मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति - Page 8 - SexBaba
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मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति

[font=verdana, geneva, lucida,]जैसा कि हम दोनों ये सोच कर आज घर से निकले थे कि आज केवल होगी ..तो ...
मस्ती मस्ती और बस मस्ती ....

तो आज की रात ऐसी ही गकर रही थी ..

मस्ती भी ऐसी कि कोई सपने में भी नहीं सोच सकता ..

मगर मेरे लण्ड को भी ना जाने कैसी जवानी आ गई थी ..

ना तो एक पल को बैठ रहा था ..
और न ही अभी तक उसने पानी ही निकाला था ...

मुझे याद नहीं पड़ता कि कभी इससे पहले ये कभी इतना रुका हो ...

कभी कभी तो केवल जरा सा देखकर ही कच्छा ख़राब कर देता था ...

मगर आज इतना मस्त नजारा चारों ओर था ...
सब तरफ चुदाई चल रही थी ...

ऋतू कि खूब चुदाई भी की थी ..
उस जैसी चुदक्कड़ रंडी को भी संतुष्ट कर दिया था ..
उसका तक पानी निकल गया था ..
मगर खुद अभी भी तना खड़ा था ...

अब साला ना जाने किसको चोदने वाला था ....

मैंने लण्ड को पेंट के अंदर डालने की कोशिश की मगर बो कहाँ अंदर जाने वाला था ...

जूली जब बिस्तर पर उस लड़की के पास गई तो मैंने सोचा शायद वो अभी भी और मस्ती के मूड में है ..

उसने अभी भी अपना कोई कपडा नहीं पहना था ...

उसकी स्कर्ट और टॉप दोनों उसके हाथ में ही दिख रहे थे ...

मगर वो बिस्तर पर जाकर कुछ ढूंढने लगी ...

ढूंढ़ते हुए ही जब वो उस आदमी के पास गई ...
जो उस लड़की को चोदने के बाद बिस्तर पर एक ओर बैठा था ...

तो उस आदमी ने भी जूली को छेड़ना शुरू कर दिया ...

जूली बिस्तर पर घुटने पर बैठ चादर हटा देख रही थी ..
वो अंग्रेजी में बोल रहा था ...
वो कोई विदेशी ही था ...
ज्यादा गोरा तो नहीं ...
पर अलग सा लुक था उसका ...

आदमी: अरे मेरी जान क्या ढूंढ रही है ...
और साले ने एक कस कर चपत जूली के चूतड़ पर लगा दी ....

उसके दोनों चूतड़ के हिस्से जोर से हिले ...
और एक दम से लाल हो गए ...

जूली: उउउउउन्न्न्न ओह दर्द होता है ...
और उसने बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में अपनी कमर को हिलाया ..

आदमी: ओह सॉरी ..
और उसने उस हिस्से को सहलाया ..
पर क्या खो गया ...

जूली: व्वव्वूऊओ मेरी ब्रा नहीं मिल रही ...
यही तो थी ....

आदमी ने उसके चूची को पकड़ लिया ..

आदमी: अरे मेरी जान इनको कैद नहीं करे न ..
कितने सुन्दर हैं तेरे ये फूल ..
इनको आजाद रहने दे ...

और उसने जूली को अपने ओर खीच उसकी एक चूची को अपने मुहं में डाल लिया ...

मैंने देखा वो लड़की भी उनकी मस्ती देख मस्त हो रहे है ...

उसने अपना हाथ जूली की पीठ पर रख दिया ..
और सहलाने लगी ...

मैंने भी अपनी पेंट को फिर से नीचे कर दिया ..
और उस लड़की के पास पहुंच गया ..

उसने मुस्कुराते हुए मेरे लण्ड को अपने बाएं हाथ से पकड़ लिया ...

मगर मैं अब कुछ और करने के मूड में नहीं था ...
मैं कैसे भी अपना पानी चूत में निकालना चाह रहा था ..

मैंने उसकी चूत को अपने हाथ से सहलाया ..
और उसको घुमाने के लिए पलटने लगा ..

वो एक दम घूमकर घोड़ी बन गई ..
उसको शायद ऐसे चुदवाना अच्छा लगता होगा ..

मैंने एक हाथ से उसकी चूत को टटोलते हुए ..
बिस्तर पर चढ़कर उसके पीछे घुटने पर बैठ गया ..

और अपने लण्ड को सेट करके उसकी चूत में अंदर तक घुसेर दिया ..

अब बिस्तर पर ही बड़ा अच्छा सीन हो गया था ....

एक साइड में वो आदमी बैठा था ..
फिर जूली अपने घुटनो पर खड़े हो अपनी चूची चुसा रही थी ..
उसके पीछे वो लड़की घोड़ी बनी थी ..
और उस लड़की का मुहं ठीक जूली के चूतड़ पर था ..
और फिर मैं उस लड़की की चूत में लण्ड डाले उसको चोद रहा था ....

तभी उस लड़की ने जूली के चतड़ों को अपने दोनों हाथ से पकड़ खोला ..
मेरे सामने जूली के दोनों छेद चमक उठे ..
दोनों पूरे लाल हो रहे थे ..

और चूत तो इतनी गीली हो रही थी ..
जैसे लगातार पानी छोड रही हो ..

मैंने उस लड़की के कसकर एक धक्का मारा...

और उसका मुहं जूली के चूतड़ से सट गया ...

उसने भी पूरा नीचे होकर जूली की चूत पर अपनी जीभ लगा दी ...

जूली ने एक बार पीछे घूमकर देखा ...
उसकी आँखे थोड़ी सी फैली ..
और फिर वो भी मजा लेने लगी ...

वो लड़की बड़े मजे से जूली की चूत चाट रही थी ...

और मैं कस कस कर धक्के मार रहा था ...

और इस बार कुछ धक्कों में ही मेरे लण्ड ने पिचकारी निकालनी शुरू कर दी ...

मैंने जल्दी से लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाला ..
और उसकी पीठ पर सारा पानी छोड दिया ...

लड़की तेजी से उठी और मेरे लण्ड को अपने मुहं में ले लिया ...
वो पूरी प्रोफेशनल थी ...
उसको सब पता था .कि मर्द को कैसे अच्छा लगता है ..

मैंने देखा उस आदमी ने जूली को अपनी गोद में खीच लिया है ..

मैंने हल्का सा नीचे झुककर देखा ...
अरे इसका लण्ड तो ठीक जूली की चूत से चिपका था ..

वो अभी भी जूली की चूची को चूस रहा था ...
जूली की एक चूची पूरी ही उसके मुहं के अंदर थी ..

और दूसरी चूची को वो अपने हाथ में लेकर मसल रहा था ....

मैंने ध्यान से देखा उसका लण्ड भी बहुत ताकतबर था ..

और जूली को भी उसके लण्ड का कठोरपन अपनी चूत पर महसूस हो रहा होगा ...

क्या जूली उसके लण्ड को चूत के अंदर ले लेगी ???

फिलहाल उसका लण्ड जूली की चूत को चारों ओर से चूम चूका था .....

तभी ....
क्याआआ ये अर रे रे र्र्र्र्र्र्र्र ......
...

......
[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]ओह थैंक्स गॉड ...

मेरे लण्ड को आखिरकार ठंडक मिल ही गई थी ....
उस लड़की ने एक एक बूँद चाट चाट कर साफ़ कर दी थी ....

मेरा लण्ड सीसे की तरह चमक रहा था ....
लड़की बाकई बहुत सेक्सी थी ....

अब मैंने उसको ध्यान से देखा ...
बड़ी बड़ी आँखें, सांवला रंग और बहुत सेक्सी होंठ ..
नीचे का होंठ कुछ ज्यादा ही चोडा था ...जो शायद लण्ड चूस चूस कर हुआ होगा ...
मगर उसकी फिगर बहुत सेक्सी था ...
मस्त उठी हुई चूचियाँ और उठी हुई गांड ...

ये पक्का था की कपड़ों में भी वो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेती होगी ...
फिलहाल तो पूरी नंगी मेरे लण्ड की सेवा में लगी थी ..

मेरा ध्यान अब जूली की ओर था ...
और मैं इंतजार में था कि ये भी चुदवा ले ...
एक मजेदार लम्बा और मजबूत लण्ड उसकी चूत से चिपका था ...

वो आदमी अपने हाथों से निचोड़ निचोड़ कर उसकी चूची चूस रहा था ...

जूली लगातार अपनी कमर हिला रही थी ...
जिससे उसकी चूत उसके लण्ड का हाल बेहाल किये थी ..

तभी उसने जूली को जरा सा ऊपर को किया ..
या जूली खुद हल्का से ऊँची हुई ...

अररर रे रे ये क्या ???
उसका लण्ड अब पूरा खड़ा था ....
करीब ८-९ इंच और बहुत मोटा ....
लण्ड का अगला भाग लाल भबुका हो रहा था ...........

जूली के दोनों पैर काफी खुले थे ...
वो उसकी गोद में पूरी चिपकी थी ....
पीछे से ही उसकी मस्त चूत खिली हुई साफ़ दिख रही थी ...
उसके उचकने से लण्ड का टोपा जूली कि चूत के मुहं पर आ गया था ...
मुझे साफ़ साफ़ दिख रहा था कि लण्ड के टोपे ने चूत के मुहं को खोलना शुरू कर दिया था ...

बहुत ही हॉट सीन था ...
मुझे लग रहा था कि किसी भी पल ये भयंकर लण्ड मेरी जान कि चूत में प्रवेश करने ही वाला है ...

शायद जूली को भी इसका अहसास होने लगा था ...
वो जैसे ही थोड़ा सा और ऊपर हुई मैंने देखा लण्ड अब उसकी चूत से हट गया था ... 

पता नहीं जूली क्यों अभी भी लण्ड से दूर हो रही थी ..

शायद उसको मेरे सामने चूत में लण्ड लेते शरम आ रही होगी ..
फिलहाल तो मेरे दिल को यही लग रहा था ...

तभी मैंने देखा उस आदमी ने जूली को कसकर बाँहों में जकड़ लिया है ....
और उसको फिर से अपनी गोद में बिठाने को नीचे कर रहा है ..
उसने अपने बाएं हाथ से जूली को कस कर चिपका लिया ..
और दायाँ हाथ नीचे ला जूली के कसे हुए चूतड़ को दबाते हुए उसको अपने लण्ड पर सेट करने लगा ...

मैं साला भी ..ना जाने क्यों इसका इन्तजार कर रहा था ..
कि कब ये लण्ड जूली कि चूत को भेदता हुआ अंदर जाता है ...

मैं बिना पलक झपकाये उसको देखे जा रहा था ...
और वो लड़की बेचारी मेरे मुरझा चुके लण्ड को अभी भी चूसे जा रही थी ...
शायद उसको फिर से चुदवाना था ...

मैंने देखा लण्ड कि पोजीशन ठीक चूत के मुहं पर थी ..
और जूली पूरा प्रयास ऊपर उठने का कर रही थी ...
उसको लण्ड अपनी चूत तक नहीं जाने देना था ...
और वो आदमी उसको किसी छोटी से गुड़िया कि तरह अपनी गोद में चिपकाये बड़े प्यार से ही उसको लण्ड के पास ला रहा था ...

बहुत ताकतबर था वो आदमी ...
उसने एक बार फिर जूली को नीचे खीचते हुए और अपनी कमर को भी थोड़ा सा ऊपर उठाते हुए ...
एक बार फिर लण्ड को चूत से भिड़ा दिया ...

मैंने देखा इस छीना झपटी में एक दो बार लण्ड का अगला हिस्सा जरूर थोड़ा बहुत चूत को भेद चुका था ..

ये सीन मेरे इतने पास चल रहा था ..
कि उसका हर प्रयास और मूवमेंट मुझे साफ़ साफ़ दिख रहा था ...

जैसे ही लण्ड चूत के मुख को छूता था जूली अपनी पूरी ताकत लगा फिर ऊपर हो जाती थी ..

उन दोनों का ये खेल देख मेरे लण्ड में फिर से जान आने लगी ..
हाँ वो सेक्सी लड़की अपनी पूरी कोशिश कर रही थी ..
मेरे लण्ड को बहुत अच्छी तरह से ..चारों ओर से चूस रही थी ...
मगर मैं १००% पक्का था कि ..
इतनी जल्दी लण्ड में ताकत उसके चूसने से नहीं ..
वल्कि सामने चल रहे सीन ओर जूली की मस्ती देख ही आ रही थी ...
मेरे लण्ड को ना जाने क्यों ?? ये सब बहुत भा रहा था .. 

अब इन्तजार लण्ड के सम्पूर्ण रूप से जूली की चूत में समाने का था ...

१०-१२ बार यही सब चलता रहा ...
वो जूली को नीचे करता ...
और जूली ऊपर उठ जाती ...

और एक बार भक्क की आवाज आई ..
अरे हाँ इस बार टोपा अंदर तक चला गया था ...

जूली: अह्ह्ह्हाआआआआआ ऊइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ 

जूली के मुहं से भी एक चीख और सिसकारी एक साथ निकली ..

मगर ये सब एक पल के लिए ही हुआ ...
जूली ने पूरी ताकत लगा फिर से ऊपर उठ गई ..
और एक बार फिर लण्ड की दूरी बढ़ गई ...
चूत उसकी पहुँच से बच कर निकल गई ...

ये सब एक चूहे बिल्ली वाला खेल बहुत रोचक और मजेदार हो रहा था ...
कभी पकड़ में आ रहे थी ...
और कभी बच कर निकल जा रहे थी ..

मुझे तो जन्नत का मजा आ रहा था ..
एक हसीना से अपना लण्ड चुसवाते हुए ये सब देखना असीम सुख दे रहा था ....

एक दो बार और ऐसा हुआ...
मगर जूली उसके काबू में बिलकुल नहीं आ रही थी ..

मुझे भी अहसास होने लगा था ..
की अगर औरत ना चाहे तो शायद कोई भी लण्ड चूत में प्रवेश न कर पाये ...

क्युकि कहाँ तो वो इतना तगड़ा आदमी ..
और कहाँ मेरी मासूम कमसिन सी जूली ...
उसकी चूत में जाने को भी इतना ताकतबर लण्ड बेचारा कितनी देर से तरस रहा था ...

तभी उस आदमी को शायद गुस्सा आ गया ...
उसने वैसे ही जूली को बिस्तर पर गिरा दिया ...

और उसकी दोनों टाँगे किसी जालिम की तरह से जकड ली ...
उसने टांगों को बड़ी ही बेदर्दी से १८० डिग्री में फैला दिया ...
वो जूली के ऊपर चढ़ आया और उसने जूली की चूत को देखा ..
जो मुझे भी दिख रही थी ...
चूत बुरी तरह से फ़ैल गई थी ...

जूली उसकी पकड़ से निकलने के लिए बुरी तरह मचल रही थी ..

और जब लण्ड चूत के ऊपर आ गया तब वो जोर से चिल्ला पड़ी ...

जूली: बछ्ःआआआआओओओओओओओओओओओ 
बस्स्स्स्स 

यही मेरी मरदानगी जाग गई ...
आखिर वो मेरी प्यारी जान थी ...

उसने अपना लण्ड जूली की चूत पर रख झटका मारने वाला ही था ...

कि जूली ने पूरी ताकत लगा दी उसको हटाने की ..
और इधर मैंने भी उस लड़की के मुहं से अपना लण्ड निकाला ...

और कसकर उस आदमी को धक्का दे दिया ..

मेरा धक्का इतना ज़ोरदार था कि वो पीछे को गिर गया ....

बस इतनी देर काफी थी ..
जूली के लिए ...
वो जल्दी से वहां से उठी ओर कपडे पकड़ कमरे के दरवाजे पर पहुंच गई ...

मैंने भी जल्दी से उठकर जूली के पीछे पहुंच गया ..

वो आदमी गुस्से से भिनभिना रहा था ...

मैंने दरवाजे पर आकर अपनी पेंट ठीक करके उसको गुस्से से देखा ...

वो मेरे पास आने को लपका ही था कि उस लड़की ने उसको पकड़ लिया ...
शायद वो वहां मारधाड़ नहीं चाहती थी ...
और वो आदमी भी नंगा होने के कारण बाहर नहीं आया ...

जूली तो नंगी ही कॉरिडोर से बाहर निकल आई थी ...
उसने अभी भी अपने कपडे नहीं पहने थे ..
उसको डर था कि कहीं वो फिर आकर उसको ना पकड़ ले ...

मैं भी जल्दी जल्दी उसके पीछे को भगा ..
कि फिर कोई उसको नंगा देख ना पकड़ ले ...

??????

........
[/font]

[/size]
 
[font=verdana, geneva, lucida,]मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था ..
आखिर ये जूली क्या चाहती है ...
अच्छा खासा मजा आ रहा था ...
और भाग कर आ गई ....

जब तुझको चुदवाना ही नहीं था तो ये सब क्यों कर रही है ...??

मैं भागता हुआ उसके पीछे आया ...

वो दूसरी गैलरी में एक साइड में खड़ी हो हाँप रही थी ..

बड़ी प्यारी लग रही थी जूली ...
उसने अपने कपडे अभी भी नहीं पहने थे ...

कपडे उसने अपने दाएं हाथ में ले रखे थे ....
जो उसने अपने धोंकनी की तरह ऊपर नीचे होते सीने से लगा रखे थे ...

मेरी ओर उसकी पीठ थी इसीलिए पीछे से उसकी नंगी पीठ और उसके नीचे सफ़ेद उठे हुए नंगे चूतड़ क़यामत लग रहे थे ....

एक पब्लिक प्लेस में वो भी एक नाइट क्लब में जूली को ऐसे नंगा खड़ा देख मेरा रोमांच से बुरा हाल था ...

मैं अभी आगे बढ़ने ही वाला था कि तभी ...
जूली शायद किसी कमरे के दरवाजे के पास खड़ी थी ..

मैंने देखा वहां से कोई आवाज आ रही है ...

....: अरे बेटा क्या हुआ ???

जूली ने तुरंत पीछे मुड़कर देखा ..

मैं जल्दी से पीछे वाली गैलरी के अंदर हो गया ..
मैं उसको नहीं दिखा ...

मैंने आड़ लेते हुए ही उनकी बातें सुनने कि कोशिश की..

जूली: व्व्व्व्व् वो अंकल .....

ओह इसका मतलब कोई बुजुर्ग थे ...
कहीं कोई जानने वाला तो नहीं ...
अब मेरा बुरा हाल था ....
कि कहीं कोई जानने वाला ना मिल जाए ...

मैंने फिर आगे हो झाँका तो जूली कमरे के दरवाजे पर खड़ी थी ...
उसने अपने आप को समेट रखा था ...
पर थी तो वो पूरी नंगी ही ...

तभी उस आदमी कि आवाज हलकी सी सुनाई दी ..

....: अरे ऐसे बाहर क्यों खड़ी हो ...
आओ अंदर आ जाओ ...

जूली: अरे नहीं अंकल ...वो मेरे साथ वाले आने वाले हैं .वो तो उन सबने ...
बड़ी मुस्किल से बचकर आई हूँ ...
पता नहीं कहाँ चले गए ...

उसने एक बार फिर पीछे की ओर चारों तरफ देखा ..

मैं फिर से पीछे को हो गया ...
उसको मेरी कोई झलक तक नहीं मिली ...

मुझे फिर आवाज आई ..

वो आदमी:अरे अंदर तो आओ ...
क्या यहाँ ऐसे नंगी बाहर खड़ी रहोगी ...??
अंदर आकर कपडे तो पहन लो ...

मैंने हिम्मत करके झांक कर देखा ...

जूली दरवाजे पर ही सिमटी हुई खड़ी थी ...
अब उस आदमी का हाथ मुझे जूली की पीठ पर रेंगता हुआ दिखा ...

और उसने हाथ को जूली के चूतड़ तक ले गया ...
फिर उसने वहां दवाब बनाया ...

कुछ ही पलों में जूली उसके कमरे के अंदर थी ...
मैंने सोचा की क्या उसको यहाँ मजा करने दूँ ...??

पर समय बहुत हो गया था ...
मैंने खुद को व्यवस्थित किया ...
और उस कमरे की ओर बाद गया .....

मैंने देखा उसने दरवाजा बंद नहीं किया था ..
या फिर जूली ने बंद नहीं करने दिया था ...

मैं भागता हुआ सा ही ...
आइए रियेक्ट किया जैसे अभी अभी आया हूँ ...

हाँ एक बार तसल्ली कर ली कि वो कोई जानने वाला तो नहीं है ...

वो कोई और ही था ...
पके हुए बाल ....रेसमी गाउन , चेहरे पर चमक ..
कोई अमीर बुड्ढा था ...

वो जूली को समझाने के बहाने से उसके नंगे चूतड़ों का पूरा लुफ्त उठा रहा था ...

उसका हाथ लगातार जूली के चूतड़ों पर ही घूम रहा था ...

मैंने तभी कमरे में प्रवेश किया ...

मैं: अरे जूली तुम यहाँ ...मैं तो घबरा गया था ...
आगे तक निकल गया था ...

जूली ने मुझे देखा और बिलकुल ऐसे व्यबहार किया जैसे उसका रेप होते होते रह गया हो ...

वो भागकर मेरे सीने से लग गई ...

अब अंकल की कोई हिम्मत नहीं हुई ..
वो अपने बेड पर जाकर बैठ गए ...
मगर उनकी आँखे जूली के बदन पर ही थी ...

मैंने जूली को थोड़ा सा पीछे किया ..
और उसको कपडे पहनने को बोला ...

मैं: जान... कपडे तो पहन लो ...

जूली अब कुछ नार्मल थी ..
उसने अपने कपडे को पलट कर देखा ...

ओह ये क्या उसके हाथ में केवल टॉप ही था ...
ना तो ब्रा थी और ना स्कर्ट ..

जाने कहाँ गिरा दी थी उसने ..
या फिर वहीँ छोड़ आई थी ...

उसने मेरी ओर देखा ...कुछ समझ नहीं आ रहा था ...
की ऐसी अवस्था में क्या करें ...

वो बार बार अपने उस छोटे से टियूब टॉप को घुमा घुमा कर देख रही थी ...
वो टॉप तो ब्रा रहते भी जूली की भारी चूचियों को पूरा नहीं छुपा पाता था ...
तो अब ... उस बेचारे की क्या मजाल ...

पता नहीं इस सारी स्थिति में जूली को अच्छा लग रहा था या बुरा ... 
पर उसके चेहरे से परेसानी और मायूसी साफ़ झलक रही थी ...

मेरा तो नशे और थकान के कारण दिमाग ही काम नहीं कर रहा था ...

तभी जूली अंकल की तरफ गई ...

जूली: प्लीज अंकल कोई कपडे हैं क्या आपके पास पहनने को ..
मेरे कपडे तो उन लोगों ने फाड़ दिए ..
ओह गॉड ! अब मैं घर कैसे जाउंगी ...

और ये क्या अंकल तो पूरे जूली के दीवाने हो गए थे ..

अंकल: हाँ हाँ क्यों नहीं बेटा ..
तू ऐसा कर मेरी शर्ट और पेंट पहन जा ...
मैं दूसरे मंगवा लूंगा ....

कमाल कर दिया था अंकल ने ...
मेरे दिमाग में तो ये आया ही नहीं ..
कि अपनी ही शर्ट निकाल कर दे दूँ ...

अंकल वाकई बहुत ज़िंदा दिल निकले ...

जूली ने बेड पर रखी उनकी शर्ट ..
जो सफ़ेद रंग की बहुत चमकदार थी ..
शायद रेसम के कपडे की थी ..
और बहुत ही कीमती होगी ...

फिर जूली ने उनकी पेंट देखी ..
मगर वो तो बहुत चौड़ी थी ...
ये तो उसकी पतली कमर में रुक ही नहीं सकती थी ...

उसने हंसकर उसको बिस्तर पर डाल दिया ..

जूली: ओह अंकल ये तो मेरे आएगी ही नहीं ..
ये तो बहुत बड़ी है ...

अंकल: अरे कोशिश तो कर बेटी ...
इसमें कमर बेल्ट है ..
टाइट हो सकती है ...

और मेरे सामने ही अंकल पेंट लेकर जूली को पहनाने के लिए चले ...

जूली ने मेरी ओर देखा ...
मैंने तुरंत अपनी गर्दन वहां मेज पर रखी महंगी व्हिस्की की ओर कर ली ...

और अंकल से पूछा ..

मैं: अंकल क्या दो घूंट पी लूँ ..गला सूख रहा है ...

अंकल: अरे हाँ बेटा ..कैसी बात करते हो ...
और इसको भी थोड़ी सी पिला दो ..
सारी घबराहट दूर हो जाएगी ...

मैं मेज के पास जा वहां रखी कुर्सी पर बैठ गया..
और गिलास में व्हिस्की डाल अपना पेग बनाने लगा ..

उधर अंकल खुद ही पेंट ले कर जूली को पहनाने लगे ..

और जूली ने भी अपने पैर उठा पेंट को पहनने लगी ..

ना जाने इन बूढों को सुन्दर लड़की को कपड़ें पहनाने में क्या मजा आता था ...

मुझे तो सच केवल उतारने में ही आता था ...

देखते हैं अंकल की पेंट जूली को फिट आती है या नहीं ...
या वो कैसे करके इसको फिट करेंगे ....

......
.......................
[/font]

[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]महंगी शराब देख मेरे को थोड़ा सा लालच तो आ गया था ...
मगर ये लालच केवल शराब का नहीं था ...
मेरे दिल में फिर एक इच्छा वलवती हो रही थी कि शायद जूली को यहाँ इस बड़ी उम्र के आदमी के साथ ही ज्यादा मस्ती मिलती हो ...
और वो शायद अब कुछ ज्यादा करने के मूड में हो ..

मैं एक ओर बैठा उसको देख रहा था .
और धीरे धीरे शराब का पेग भी सिप कर रहा था ...

अंकल जूली के पैर के पास नीचे बैठ उसको अपनी पेंट पहना रहे थे ...

जूली ने अपना पैर उठा पेंट के पाांचे में डाला ..
कमीज उसके चूत रुपी खजाने को पूरी तरह ढके थे ..
परन्तु पैर उठाने से ...
लगा ..
जैसे बदली से चाँद झांक रहा हो ...
बहुत ही मनोरम दृश्य था ...

अंकल नीचे पेंट पहनाते हुए भी उनका सर ऊपर की ओर ही था ...
वो शर्ट के उठते गिरते देख रहे थे ...
जरूर जूली के चूत के होंठों को खुलते बंद होते देखना उनको भा रहा होगा ...

इस उम्र में भी जवान खूबसूरत चूत और ऐसा रोमांटिक माहोल कहाँ हर किसी को नसीब होता है ..

अंकल को अपने नसीब पर गर्व महसूस हो रहा होगा ..

अंकल लगातार ऊपर देखते हुए पेंट को जूली के चिकने पैरों पर चढ़ाते हुए कमर तक ले गए ..

जूली ने एक बार उनसे पेंट लेने की कोशिश की ..

जूली: लाइए अंकल मैं पहन लेती हूँ ..

अंकल:अरे रुक ना ..चल शर्ट पकड़ ..
उन्होंने कुछ ज़ोर से ही कहा ..

जूली तुरंत शर्ट पकड़ ऊपर को कर लेती है ...

अंकल बड़े प्यार से पेंट को उसके चूतड़ पद चढ़ाते हैं ..

पेंट की बेल्ट साइड चौड़ी थी पर निचला भाग शायद छोटा था ..
जिससे जूली के विशालकाय चूतड़ पर चढ़ाने के लिए अंकल को थोड़ी मेहनत करनी पड़ी ...

इसके लिए उन्होंने अपने हाथों का सहारा लिया ..
और उसके चूतड़ को अपने हाथ से दबा कर पेंट को ऊपर खींचा ....

पेंट को ऊपर चढ़ाने के बाद उन्होंने पेंट के दोनों सिरे क्रॉस करके दोनों साइड में ले गए ..
और उनको बेल्ट से कसने लगे ..

परन्तु बेल्ट का अंतिम छेद पर कसने के बाद भी पेंट इतनी ढीली रही कि ...
अंकल के पीछे हटते ही .पेंट खुलकर जूली के पाओं पर गिर गई .... 

जूली बड़ी मासूमियत से अपनी शर्ट को पकडे खड़ी थी ..
उसके चेहरे पर नंगे खड़े होने वाली... शर्म जैसी तो कोई भावनाएं नहीं थीं ...

वल्कि कुछ मासूमी और हंसी वाले भाव दिखाई दे रहे थे ..

जैसे अंकल कि कोशिश फ़ैल हो जाने पर उनका मजाक सा उड़ा रही हो ..

कि मैं तो पहले से जानती थी कि नहीं आएगी ..

अंकल: ओह ये तो वाकई नहीं रुक रही तेरी कमर पर ..
तू है भी बहुत पतली ..
कुछ खाया पिया कर ...

ये बोलते हुए अंकल ने उसकी कमर पकड़ ली ..
और नापने का बहाना करते हुए उसके चिकने बदन का मजा लेने लगे ..

जूली: चलिए छोड़िये न अंकल ...मैं ऐसे ही चली जाउंगी ...
सुनो चलो न ...

मैं उसकी आवाज सुनते ही उठ खड़ा हुआ ...
जल्दी से पेग निबटाया ..और ..

मैं: अच्छा अंकल थैंक यू ..चलते हैं ..
आपकी शर्ट बाद में दे देंगे ..

अंकल: अरे कोई बात नहीं बेटा ...इसी को पहनने देना ..
और जूली के शर्ट के नीचे के भाग को खीचते हुए ..
जरा इसका ध्यान रखना ..
इसने कच्छी भी नहीं पहनी है ..
कहीं नंगी न हो जाये ..

मैंने नशे में बंद होती आँखों से देखा तो उनकी उंगलिया जूली कि शर्ट के निचे चूत के ऊपर थी ..

अंकल: बेटा ध्यान रखना अपनी इतनी चिकनी सड़क का ..
कहीं कोई ैक्सिडेंट न कर दे ..

मैंने जूली का हाथ पकड़ा और उसको कमरे से बाहर ले गया ..

बाहर आते हुए श्याम भी मिला पर मैं उससे मिले बिना ही जूली को ले पार्किंग में पहुंच गया ..

बाहर की ठंडी हवा ने मेरी आँखों को थोड़ा सा खोला ..

वहां मैंने लड़के को चावी दी गाड़ी बाहर निकालने के लिए ...

लड़का चावी लेते हुए भी जूली की टांगों की ओर ही देख रहा था ...

जूली अभी भी काफी नशे में लग रही थी ..
वो मेरे कंधे पर झूल रही थी ..

उसके बार बार गिरने से शर्ट ऊँची हो जा रही थी ...

लड़का पीछे देखता हुआ अंदर चला गया ..

मैं जूली को वहां रखे एक स्टूल पर बैठा दिया ..
क्युकि मुझे गाड़ी भी पिक करनी थी ...

तभी वहां दो लोग और आये वो होटल के बाहर जाते जाते रुक गए ..
वो जूली की ओर देख रहे थे ..

मैंने पीछे घूमकर जूली को देखा वो नशे के कारण स्टूल पर बैठे बैठे ही एक और को गिर गई थी ..

और उसके शर्ट उसके चूतड़ से हटी हुई थी ..
दोनों जूली के नंगे चूतड़ ही देख रहे थे ...

मैंने दोनों को डांटा ..
दोनों हस्ते हुए बाहर गेट से निकल गए ..

मैंने जूली को स्टूल पर सीधा किया ...

तभी वो लड़का बाहर आया ..

लड़का: साहब मुझसे आपकी गाड़ी का गेट नहीं खुल रहा ..
आप खुद निकाल लीजिये ..अब तो रास्ता साफ़ ही है ..

अब मैं कुछ कर भी नहीं सकता था ..
वैसे भी मेरी गाड़ी का लॉक कुछ ख़राब हो गया था ..
वो आसानी से हर किसी से नहीं खुलता था ...
मैंने उसके हाथ से चावी ले ली ...

मैं: चल इधेर आ मैडम को ऐसे ही कन्धों से पकडे रहना ..गिरे नहीं ..

लड़के की तो जैसे बांछे खिल गई ..
उसने जूली के दोनों कंधे अपने दोनों हाथ से पकड़ लिए ..

मैं जल्दी से गाड़ी लेने अंदर चला गया ..

सोचा एक बार देखू साल क्या कर रहा है ...

जरा सा बाहर आकर झांक कर देखा ..

तो वो पीछे ही खड़ा था ..हाँ कुछ चिपका हुआ सा जरूर लगा ..
हो सकता है साले ने अपना लण्ड जूली की पीठ से लगाकर मजा ले रहा हो ...

मैंने दिमाग न लगाकर जल्दी से गाड़ी के पास पंहुचा ..

मेरी गाड़ी भी उसने बहुत अंदर ही खड़ी कर रखी थी .. 

ओह मुझे भी गेट खोलने में ५ मिनट लग गए..

होता ही है जब जल्दी हो तो सही काम भी गलत हो जाता है ..

किसी तरह मैं गेट खोलकर गाड़ी ले बाहर आया ..

मैंने देखा जूली स्टूल के नीचे गिरी थी ..

मैंने उसकी ओर देखा ..

लड़का: अरे साहब खुद ही नीचे गिर गई ..
इनको तो बिलकुल होश ही नहीं है ...

मैं: चल जल्दी कर इसको उठाकर अंदर बैठा ..
मैंने जूली वाली साइड का गेट खोल दिया ..

बाहर की हवा से जूली का नशा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था शायद .. 

उस लड़के ने जूली को उठाया ..
जूली के कदम लड़खड़ा रहे थे ..

मैंने देखा कि मेरे देखते हुए भी उसने जूली को गाड़ी के अंदर करने और उसको बैठाने में उसके चूतड़ों को अच्छी तरह सहलाया था ..

उसके हाथ जूली कि शर्ट के अंदर ही थे ...

मैंने उसको १०० का नोट भी दिया ..

जैसे उसने मेरी बहुत हेल्प कि हो ..

और साला मना भी कर रहा था ... 
जैसे उसने पैसे वसूल कर लिए हों ...

मैं गाड़ी लेकर आगे बढ़ गया ...
अब मेरी मंजिल घर ही था .....

पर शायद किस्मत में अभी और भी बहुत कुछ देखना लिखा था ...

सामने पुलिस की पेट्रोल कार रुकी खड़ी थी ...
मैंने सोचा की निकाल लूंगा ....

जूली दरवाजे की ओर पैर किये मेरी गोद में सर रख लेटी थी ...

मैंने उसकी शर्ट किसी तरह नीचे की ..
पर फिर भी उधर खिड़की से देखने वाले को जूली के चूतड़ नंगे ही दिखते ...

मैं जैसे ही गाड़ी के पास पहुंचा ...

ओह माय गॉड ...
वो बाहर ही खड़े थे ...

दो पुलिस वालों ने हाथ देकर हमको रोक लिया ...

मैंने बहुत कोशिश की फिर भी मुझे गाड़ी रोकनी ही पड़ी ...

और उनमे से एक पुलिस वाला जूली की खिड़की की ओर ही आ रहा था ..

मैं सन्न रह गया ...
कि अब मैं क्या करूँ .?????

............
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[font=verdana, geneva, lucida,]एक तो रात की खुमारी ऊपर से नशा ..
और फिर आज एक ही रात में की गई इतनी सारी मस्ती ...
इस सबमे मैं बकै बहुत ज्यादा थक गया था ...
और शयद जूली भी ...

अब तो दिल और मन दोनों जल्दी से जल्दी घर जाने का कर रहा था ...

मगर इससे क्या होता है ...
किस्मत में तो शयद कुछ और ही लिखा था ...

मेरे साथ आज तक ऐसा नहीं हुआ था ...
मेरा कभी ऐसा कुछ पुलिस से पाल भी नहीं पड़ा था ...

अगर सब कुछ नार्मल होता तो मुझे ज्यादा कुछ नहीं लगता ...
मैं कह सकता था की पति पत्नी हैं ...

मगर यहाँ तो मामला बिलकुल ही उल्टा था ...
हम दोनों ही नशे की हालत में थे ...
रात के २ या २.३० का समय था ..
जिसमें पति पत्नी तो ऐसी हालत में नहीं निकलते ..

ऊपर से सोने पर सुहागा ...
जूली लगभग वस्त्र विहीन थी ...

उसके बदन पर एक पुरुष की शर्ट थी ..
जो उसको एक रंडी की तरह ही दिखा रही थी ...

मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस स्थिति से कैसे निकलू ...
मेरे दिमाग ने बिलकुल ही काम करना बंद कर दिया था ...

पुलिस कॉन्स्टेबल को अपनी ओर आते देख मैंने और तो कुछ नहीं बस जूली को धक्का देकर नीचे गिरा दिया ..

वो अपनी सीट से खिसक नीचे को बैठ गई ...

अब कम से कम पहली नजर में तो वो नहीं दिखने वाली थी ...

अब ये देखने वाली चीज थी कि वो कॉन्स्टेबल किस खिड़की पर आने वाला था ...

अगर जूली की तरफ ही आता तो उसको आसानी से जूली नहीं दिखती ...
क्युकि जूली का सर दरवाजे से टिक गया था ...

जूली ने थोड़ा बहुत उउउन्न्न उउउ किया बस ....

फिर वो दरवाजे पर सर रख सो गई ....

थैंक्स गॉड ...
कॉन्स्टेबल उसी की खिड़की की ओर आया...

मैंने केवल थोड़ी से ही खिड़की खोली ...
और बिना कुछ कहे अपना लाइसेंस उसको पकड़ा दिया ..

मैं उसको अंदर देखने या बात करने का मौका नहीं देना चाहता था ...

मैं: क्या हुआ सर ..???
एयरपोर्ट से आ रहा था ...
दोस्त को छोड़ने गया था ...

साला कॉन्स्टेबल बहुत ही खुरस टाइप का था ..
बिना कुछ बोले लाइसेंस लेकर अपने साहब के पास चला गया ...

मेरी ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे ही थी ...

मैं उनकी गतिविधि देख रहा था ...

मैंने सोचा अगर यहाँ बैठा रहा तो साला इनमे से कोई आकर जूली को देख सकता है ..

मैं जल्दी से नीचे उतरा और उनके पास पहुंच गया ..

उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं पूछा ...
केवल फ्लाइट के बारे में पूछा जो मुझे पता था ..
कई बार बाहर जाने के कारण मुझे एयरपोर्ट और फ्लाइट के बारे में पता था ..
तो उनको कोई शक नहीं हुआ ...

मेरे और काम के बारे में जान कर उन्होंने मेरा लाइसेंस मुझे दे दिया ...

मैं चेन की सांस ली और अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया ...

मैं अपनी सीट पर बैठ अभी गाड़ी आगे बढ़ाने वाला ही था ..

कि वो हो गया जो मैं नहीं चाहता था ...

जूली को नींद खुल गई ..
और वो उठकर अपनी सीट पर बैठ गई ..
बदकिस्मती से उसकी तरफ वाली खिड़की भी खुली थी ...

और पुलिस वालों कि नजर सीधे उसी पर पड़ी ...

मैं गाड़ी आगे बढ़ाता उससे पहले ही कॉन्स्टेबल मेरी गाड़ी के आगे आकर खड़ा हो गया ...

अब मुझे सब कुछ धुन्दला सा नजर आने लगा ...

उसको देखकर मेरी गाड़ी खुद बा खुद बंद हो गई ...

अबकी बार कॉन्स्टेबल मेरी ओर आया और मेरा दरवाजा खोल ...

कॉन्स्टेबल: तो झूट बोल रहा था वे ..साले मस्ती करता घूम रहा है ...खुलेआम ...

मैं: नहीं सर व्वव्ववूऊओ ववव वो ....

कॉन्स्टेबल: कुछ मत बोल साले चल उतर नीचे ..
और जोर से अपने साब को ...
साहब यहाँ तो नंगी छोकरी है ...
साला गाड़ी में ही काम निबटा रहा था ...

उसकी बात सुनकर मैंने जूली की ओर देखा ...
वो आँखे फाड़े केवल उस कॉन्स्टेबल को देख रही थी ..

उसकी शर्ट पूरी अस्त व्यस्त थी ...
चूची भी आधी बाहर थी और टांगें भी ऊपर तक नंगी ही दिख रही थी ...

अगर कॉन्स्टेबल ने उसको नंगी कहा था तो बिलकुल गलत नहीं कहा था ...
जूली वहां से पूरी नंगी ही दिख रही थी ....

तभी वो इंस्पेक्टर बोला ..

इंस्पेक्टर: धर ले दोनों को ....

कॉन्स्टेबल: जी साब ...
चल वे उतार इसको भी ..कहीं धंदे से ला रहा है ..
या खुद ही बजाने ले जा रहा है ..

मैं अब बिलकुल सच बोलने वाला था ...
और ये भी जानता था की ये साला कोई विस्वास नहीं करेगा .. 
मगर अब कुछ तो करना ही था ...

मैंने किसी तरह खुद को सयननित किया ..

मैं: सर विस्वास करो ये मेरी बीवी है ..
हम एक पार्टी में गए थे और वहां इसको किसी ने पिला दी ...

कॉन्स्टेबल: और इसकी हालत तो ये बता रही है कि साली खूब चुदवाकर आ रही है ... 

मुझे उसकी बात पर कुछ गुस्सा आ गया ..

मैं: तमीज से बात करो ..हम पति पत्नी हैं ...

मेरी आवाज शायद उस इंस्पेक्टर तक भी पहुंच गई .

इस्पेक्टर: क्या वकवास हो रही है वहां ???
यहाँ लेकर आ दोनों को ...

मैं दौड़कर उस इंस्पेक्टर के पास गया ..

मैं: सर हम दोनों पति पत्नी हैं और एक पार्टी से आ रहे हैं ..
और ना जाने मैंने उससे क्या क्या बोल दिया ...

तभी मुझे जूली कि आवाज सुनाई दी ..
वो कॉन्स्टेबल जबरदस्ती उसको गाड़ी से उतार रहा था ..

मैं: अरे सर उसको रोको वो मेरी बीवी के साथ बदतमीजी कर रहा है...

इंस्पेक्टर ने जैसे मेरे कोई बात सुनी ही नहीं ..
और अपने कॉन्स्टेबल से ही बोला ...
हाँ लेकर आ उसको भी यहाँ पूछ कहाँ धंधा करती है साली ...

मेरी हालत अब पतली होने लगी ...
जरूर जूली के साथ कुछ गलत होने वाला था ...

उस कॉन्स्टेबल ने जूली को गाड़ी के नीचे उतार लिया ..
गनीमत थी कि जूली अब कुछ होश में नजर आ रही थी ....

वो खुद चल रही थी ..
मगर फिर भी वो कॉन्स्टेबल उसको कोहनी के ऊपर वाहं से पकडे था ...

उसकी उंगलिया जरूर जूली कि चूची से रगड़ खा रही होंगी ...

वो जल्दी ही हमारे पास आ गया ...

खुली सड़क पर स्ट्रीट लाइट की रोसनी में जूली केवल एक शर्ट में एक इंस्पेक्टर और कॉन्स्टेबल के सामने खड़ी थी ..

और कॉन्स्टेबल उसका हाथ पकडे उसके मम्मो का मजा भी ले रहा था ....

इंस्पेक्टर: अबे ये तो कोई नया ही माल लग रहा है ..
पहले तो नहीं देखा अपने एरिया में इसको ..

कॉन्स्टेबल: हाँ साब कोई प्राइवेट धधे वाली है ..
और देखो साब खुले में करने की शौकीन है ..
लगता है गाड़ी में ही मरवाती आ रही थी ..

और कॉन्स्टेबल ने जूली का हाथ छोड़ उसकी शर्ट नीचे से पकड़ ऊपर पेट तक उठा दी ...

सत्यानास खुली सड़क पर जूली की चूत और चूतड़ दोनों नंगे हो गए ...

जूली कितनी भी ओपन हो पर ऐसा उसने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा ..
कि दो अजनबी और अपने पति के सामने उसको ऐसा कुछ सामना करना होगा ...

उसका सारा नशा अब हिरन हो गया था ...

वो शर्म के मरे चीख पड़ी ..

जूली: नहीईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ 

उसने अपने हाथ अपनी आँखों पर रख लिए थे ...

मैं भी असहाय सा उसको देख रहा था ...

इंस्पेक्टर: हाँ यार ये तो मस्त माल है ..
और वो अपना हाथ जूली कि ओर बढ़ाने लगा ...

???????????

..........
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[font=verdana, geneva, lucida,]मैं कितना भी मस्ती के मूड में था ...
चाहे बहुत अधिक खुल चुका था ...
शायद हर तरह की आवारागर्दी करना चाहता था ...

मगर इस समय खुद को ठगा सा महसूस कर रहा था ,,,

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस परिस्थति से कैसे निकला जाये ...

मैं बिलकुल नहीं चाहता था कि कोई भी इंसान हमारी मजबूरी का फ़ायदा उठाये ...

अपनी मर्जी से हम कुछ भी केन वो हर हाल में अच्छा लगता है ..

मगर इस तरह डरा धमका कर ऐसे पुलिस वालों के सामने मैं किसी भी हाल में अपनी बीवी की इंसल्ट नहीं चाहता था ...

जूली भी पूरी तरह से इन लोगों का विरोध कर रही थी ..

उसको भी ये सब बिलकुल पसंद नहीं आ रहा था ...

कि एक गंदा सा हवलदार उसको छुए और उसके साथ ऐसे बदसुलूकी करे ..

वो हर तरह से विरोध कर रही थी ....

इंस्पेक्टर भी साला कमीना टाईप का ही था ...
तभी वो कुछ नहीं सुन रहा था ...

या हो सकता है कि उसका रात की ड्यूटी में ऐसे ही लोगों का सामना होता हो ...

इसीलिए वो हम पर थोड़ा भी भरोसा नहीं कर रहा था ...

जूली मचलती हुई और उनकी हरकतों का विरोध करती हुई ...
उनके बीच खड़ी थी ...

हवलदार उसके पीछे खड़ा हुआ उसको पकडे था ..
और इंस्पेक्टर उसके सामने खड़ा उसको देख रहा था ..

मैं एक तरफ साइड में खड़ा ये सब देख रहा था और उनसे बचने की तरकीब सोच रहा था ....

हवलदार ने जूली की शर्ट उसके पेट तक ऊँची कर पकड़ ली ...
और खी खी कर हसने लगा ..

हवलदार: ये देखो साब पूरी नंगी है सुसरी ...
गाड़ी में ही करा रही थी ...

जूली ने पूरी ताकत लगा दी हवलदार के हाथ से शर्ट छुड़वाने की ..

इंस्पेक्टर: सीधी खड़ी रह ...

और उसने अपना हाथ जूली के पेट पर रख सहलाया ..
ये बिना कपड़ों के क्या कर रही थी ..??

जूली की चूत का उभार इतना ज्यादा उभरा हुआ है कि उसके खड़े होने पर भी उसके चूत के होंठ दिख रहे थे ..

ऊपर से वो हमेशा उनको चिकना रखती थी ..
इसीलिए वो कुछ ज्या ही हर किसी को आकर्षित करते हैं ...

सच जूली किसी सेक्स कि मूरत की तरह खड़ी थी ...

उसकी शर्ट का ऊपर का बटन खुला था और गाला भी काफी बड़ा था ...
जिससे उसकी गदराई मुलायम चूची का काफी भाग बाहर झाँक रहा था ...

इंस्पेक्टर ने जूली के पेट को सहलाते हुए ही अपना हाथ सीधा किया ...
उसकी उँगलियाँ जूली की चूत के ऊपरी हिस्से तक पहुँच गई ...

जूली ने पैरों को झटका जिससे उसका हाथ वहां से हटा तो नहीं पर हाँ थोड़ा सा नीचे को और हो गया ...

इंस्पेक्टर: अरे क्यों मचल रही है ...
अपने इस मुहं से फट न ..
ये अपनी इस चिड़िया को खोलकर कहाँ जा रही थी ..
लग तो ऐसा ही लग रहा है जैसे खूब खिला पिला रही है इसको ...

जूली: नहीईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ प्लीज सर मत करिये ...

अरे ये क्या ..????

इंस्पेक्टर की पूरी हथेली जूली की चूत पर थी ...
उसने जूली की चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया ...

जूली: अह्ह्हाआआआ मत करो .....

इंस्पेक्टर: सच वे बहुत चिकनी है ...

हवलदार: साब अंदर से भी चेक करो ना ..कहीं कुछ छुपा के तो नहीं ले जा रही ...

इंस्पेक्टर: वो तू अपने डंडे से चेक कर लेना ..हा हा हा 

हवलदार: हा हा हा साब आप आगे से चेक कर लो ...
मेरा डंडा तो इसको पीछे से चेक कर रहा है ...
साली खूब मालदार है ....

मैं चोंक गया ...
इसका तो मैंने ध्यान ही नहीं दिया .....

हवलदार जूली को पकड़ने के बहाने से उसके नंगे चूतड़ों से बुरी तरह चिपका था ....

मुझे बहुत तेज गुस्सा आ गया ...

मैं: ये आप लोग कर क्या रहे हो ...??
आप शायद जानते नहीं हो ...
मैं इसकी शिकायत ऊपर तक करूँगा ...

इंस्पेक्टर: जा भाग यहाँ से तू शिकायत कर ..
तब तक हम इसकी शिकायत पर मोहर लगा देते हैं ..

ओह ये तो खुलेआम गुंडागर्दी पर आ गए थे ...

मैं: आप लोग ऐसा नहीं कर सकते ..हम पति पत्नी हैं ..

इंस्पेक्टर: तो जा पहले सबूत लेकर आ ...
साले हमको बेवक़ूफ़ समझता है ...
पति पत्नी रात को इस समय नंगे घूमते हैं ..,

और एक झटके में उसने जूली की शर्ट के सारे बटन खोल दिए ...

जूली सामने से पूरी नंगी दिखने लगी ...
उसकी सफ़ेद तनी हुई चूचियाँ और उन पर सफ़ेद धब्बे के निशान लाइट में चमक रहे थे ...
जो शायद क्लब में किसी के वीर्य के थे ....

उधर हवलदार ने पीछे से शर्ट पकड़ पूरी निकाल वहीँ डाल दी ...

जूली ने इसका पूरा विरोध किया ...
मगर उनके सामने उसकी एक ना चली ...

अब उनके सामने खुली सड़क पर जूली पूरी नंगी खड़ी थी ...

इंस्पैक्टर उसके चूची को हाथ में ले मसलते हुए बोला ..

इंस्पेक्टर: देख साले ..बोल रहा है बीवी है ...
हर जगह से तो गंदे पानी से लितड़ी पड़ी है ...

हवलदार: हाँ साब पीछे भी सब जगह लगा है ...
लगता है कई से चुदवा कर आ रही है ...

मैं असहाय सा उनको ये सब करता देख रहा था ...

तभी इंस्पेक्टर ने जूली को घुमाया ...

इंस्पेक्टर: दिखा तो साले इसकी गांड कैसी है ...चूत तो बिलकुल मख्खन की टिक्की जैसी है ....

अरे ये क्या ????
हवलदार ने अपने नेकर की साइड से लण्ड बाहर निकाला हुआ था ..

उसके काले लण्ड का अगला भाग बाहर दिख रहा था ..

कमीना अपने नंगे लण्ड को जूली के चूतड़ों से चिपकाये था ....

इंस्पेक्टर: हा हा तूने डंडा बाहर भी निकाल लिया ..

हवलदार: हाँ साब पीछे चेक कर रहा था ....

इंस्पेक्टर: हा हा हा बाहर ही चेक किया या अंदर भी देख आया ...

हवलदार: अरे साब अभी तो बाहर ही ..अंदर चेक करने के लिए तो हैलमेट पहना पड़ेगा ...

हा हा हा हो हो हो 

दोनों पागलों की तरह हँसते हुए जूली को रगड़ रहे थे ..

इंस्पेक्टर ने जूली की गर्दन पकड़ उसको झुका दिया ..
और पीछे से उसके चूतड़ों पर चपत लगा लगा कर देखने लगा ...

इंस्पेक्टर: अरे हाँ यार ..कितना ये तो लपलपा रही है ..
आज तो इसकी गांड मारने में मजा आ जाएगा ...

अब मेरा सब्र की इंतेहा हो गई थी ...

मैं: अगर आप लोगों ने इसको नहीं छोडा तो मैं अभी फोन करता हूँ ...

इंस्पेक्टर...हवलदार को बोलता है ...

इंस्पेक्टर: अव्े तू देख इसको क्या बक रहा है ये ..
तब तक मैं इसके नट बोल्ट खोलता हूँ ...

हवलदार: अरे छोड़ो साब इसको गाड़ी पर लेकर चलते हैं ...
मेरे से तो बिलकुल नहीं रुका जा रहा ..
क्या मक्खन मलाई चूत है इसकी ...

वो पीछे से ही जूली की चूत को उँगलियों से रगड़ रहा था ...

मुझमें ना जाने कहाँ से जोश आ गया ....

मैंने दोनों को एक साथ जोर से धक्का दिया ...

वो दोनों वहीँ सड़क पर गिर पड़े ....

मैंने जूली को पकड़ा और वहां से भागने लगा ...

मगर तभी हवलदार ने अपना डंडा मेरे पैरों में मार दिया ...
मैं वहीँ गिर पड़ा ...

इंस्पेक्टर: साले तू तो अब गया ...देखना कितना लम्बा तुझको अंदर करूँगा अब मैं ..

मेरी हालत ख़राब थी ...

जूली: नहीं सर प्लीज इनको छोड़ दीजिये ..
आप चाहे कुछ भी कर लीजिये पर हमको छोड़ दीजिये ..

मैं अवाक सा उसको देख रहा था ...

जूली रोये जा रही थी और मेरे से चिपकी थी ...
वो मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार थी ...

इंस्पेक्टर: नहीं ...
उसने हवलदार के हाथ से डंडा ले लिया ...
इसको तो मैं आज यही ठीक करूँगा ...

वो जैसे ही मुझे मारने को आया ...

जूली तुरंत खड़ी हो उसने इंस्पेक्टर के हाथ का डंडा पकड़ लिया ...

जूली: आपको तो विस्वास नहीं है ना ..
पर ये मेरे पति ही हैं ...
मैं इनको हाथ भी नहीं लगाने दूंगी ...
चलो आओ.... कर लो मेरे साथ अपने मन की ...

इंस्पेक्टर मुहं खोले उसको देख रहा था ...

हवलदार: वाह साब अब तो ये अपनी मर्जी से चुदवायेगी ..
चलो साब गाड़ी के अंदर आज इसकी जमकर ठुकाई करते हैं ..
बहुत टाइट माल हाथ लगा है आज तो ...

जूली बिना उनके कुछ कहे उनकी गाड़ी की ओर बढ़ गई ..

मैं पूरी नंगी जूली को जाता देख रह था ...

हवलदार भी उसकी ओर पीछे पीछे जाने लगा ...

इंस्पेक्टर: सुन साले तेरा लौड़ा बहुत अकड़ रहा है ..
रोक इसको ...
तू इस पर नजर रख ..
मैं उसको देखता हूँ ...

और हवलदार नाक मुहं सिकोड़ता हुआ ..
इंस्पेक्टर के हाथ से डंडा ले मेरे पास आ गया ...

और इन्स्पेटर गाड़ी की ओर चला गया ...
जूली पहले ही वहां पहुँच गई थी ...

हाय ये अब क्या होने जा रहा था ...
?????????

.......
.......................
[/font]
 
[font=verdana, geneva, lucida,]सोचा था पूरी रात खूब मस्ती करेंगे ..
आज वो सब कुछ करेंगे जो केवल कल्पना ही किया करते थे ....

मगर अब मुझे अपने निर्णय पर बहुत ज्यादा पछतावा हो रहा था ...
मैं सपने में भी नहीं चाहता था कि जूली ..मेरी प्यारी जान को जरा भी कष्ट हो ....

उसकी मर्जी के बिना कोई उसे छू भी सके ...

मगर इस समय वो मेरे लिए कुर्वानी देने को तैयार थी ..
उसने अपना संगमरमरी बदन एक पुलिस वाले के हाथों से नुचवाने का सोच लिया ...

अगर वो अपनी मर्जी से कर रही होती तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होता ..

मगर यहाँ तो सब कुछ अलग था ...

जिसे मैं कभी पसंद नहीं कर सकता था ....

मेरी जूली बिना वस्त्रों के नंगी पुलिस वालों कि जीप के अंदर थी ..
और वो इंस्पेक्टर भी उसके साथ था ...

ना जाने कमीना कैसे कैसे उसको परेसान कर रहा होगा ...

मैंने हवलदार को देखा... 
उसका ध्यान मेरी ओर नहीं था ..
वो साला लगातार जीप की ओर ही देख रहा था ...
जैसे उसको अपनी बारी का इन्तजार हो ..

मैं चुपचाप पीछे से निकल अपनी कार तक आया ..

और फ़ोन निकाल सोचने लगा किसको फ़ोन करूँ ..

१०० नंबर पर तो करना बेकार था ..
वो इसी को कॉल करते ...

तभी मुझे एक ओर से गाड़ी की लाइट नजर आई ...

जैसे ही गाड़ी निकट आई ..

मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा ..

ये अमित की गाड़ी थी ...
मुझे इसका ध्यान पहले क्यों नहीं आया ...

अमित के तो कई दोस्त पुलिस में हाइ रेंक में हैं ...

मेरे रोकने से पहले ही उसने गाड़ी रोक दी ...

शायद उसने भी मुझे देख लिया था ...

मैं जल्दी से उसके पास गया ....

अमित: अरे रोबिन तू ..इस समय ...यहाँ ???

मैं: ये सब छोड़ ..तू जल्दी नीचे आ ..
ये साले पुलिस वाले ...
उस जीप में जूली को ...

मेरे इतना कहते ही अमित सब कुछ समझ गया ...

वो बड़ी फुर्ती से नीचे उतरा ...

अमित: कौन है साला कुत्ता????
वो कुछ ज्यादा ही गुस्से में आ गया था ...

मैंने घड़ी देखी इस सबमे करीब १५ मिनट हो गया थे ..

जूली पिछले १५ मिनट से उस इंस्पेक्टर के साथ थी ..

ना जाने कमीने ने कितना परेसान किया होगा उसको ..

हम दोनों तेजी से जीप की ओर बड़े ...

हवलदार भी शायद मुझे ना पाकर जीप के पास चला गया था ...

उसको मेरे से ज्यादा दिलचस्पी जूली को देखने की थी ..

हम जैसे ही वहां पहुंचे ...

हवलदार ने हमको देख लिया ...

हवलदार: ऐ कहाँ जा रहे हो ...
रुको यहीं ...(वो बहुत कड़क आवाज में चिल्लाया..

मैं तो रुक गया ...

पर अमित सीधे जीप तक पहुंच गया ...

अमित: कौन है वे ...बाहर निकल ...

तभी इंस्पेक्टर गुस्से से बाहर निकला ...

अरे बाप रे ...

उसके काले और मोटे से शरीर पर केवल एक बनियान था ..
आस्तीन वाले बनियान में उसका थुलथुला शरीर बहुत ही भद्दा लग रहा था ...

मैंने नीचे देखा ..

उसका काल सा लण्ड दिखा जो ऊपर को खड़ा था ...

पता नहीं साला क्या कर रहा था ??...

इंस्पेक्टर: कौन हो वे तुम ???
निकलो यहाँ से ...
नहीं तो यहीं एनकाउंटर कर दूंगा ...

इंस्पेक्टर बहुत गुस्से में था ...

अमित बिना कुछ बोले किसी को फ़ोन कर रहा था ...

अमित: ले साले अपने बाप से बात कर ...
तेरी तो मैं ऐसी कम तैसी करता हूँ ...

इंस्पेक्टर: कौन है फ़ोन पर ???
मैं तो अपनी ड्यूटी कर रहा हूँ ...

इंस्पेक्टर की आवाज एक दम से नरम हो गई थी ...शायद उसको लग गया था कि जरूर किसी बड़े अफसर का फ़ोन होगा ...

उसने फ़ोन लेकर बात करनी शुरू कर दी ...

मुझे नहीं पता कि क्या बात कर रहा था ...

मैं चुपचाप जीप की ओर चला गया ...

हवलदार भी अब शायद डर गया था ...

उसने मुझे नहीं रोका ...

मैंने जीप के अंदर झांक कर देखा ...

पिछली सीट पर जूली पूरी नंगी लेटी थी ....

मैंने तुरंत उसको अपनी बाँहों में लिया ..

ओ माय गॉड ....

वो रो रही थी ...

मैंने किसी तरह उसको जीप से बाहर निकाला ... 

मेरे बराबर में अमित भी था ...

वो भी मेरे पीछे आ गया था ...

अमित: ओह ये क्या किया इसने साले हरामी ने ...
अभी इसकी खबर लेता हूँ ...

अमित ने अपना कोट निकाल जूली को दे दिया ...

जूली बहुत डर गई थी ...
लगता है उसने बहुत कुछ झेला है ...
जिसकी आदत शायद उसको बिलकुल नहीं थी ...

उसने कोट लेकर पहन लिया ..
और उसको कस कर आगे से पकड़ लिया ...

उधर इंस्पेक्टर ने भी अपनी पेंट पहन ली थी ...

दोनों बहुत डरे हुए थे .....

अमित ने बताया की उसने एस पी से बात कराई थी ..

इसीलिए दोनों बहुत डरे हुए थे ....

दोनों एक स्वर में: सर जी हमको माफ़ कर दो ...
ववव वो ....अब नहीं होगा ....

कमाल है ...
मैंने पहले बार पुलिस वालों को ऐसे रिरियाते देखा था ..

कमाल कर दिया था अमित ने ...

अमित: नहीं कमीनो ..तुमने मेरी भाभी के साथ ये नीच कर्म किया है ...
तुमको तो सजा मिलेगी ही मिलेगी ...

फिर मेरे से कहा ...

रोबिन सुन तू इनके ही पुलिस स्टेशन में जा ..
और इनके खिलाफ चार्जसीट दाखिल करके आ ...

मैं: प्प्प्पर इस समय ....और जूली ...

अमित: अरे तू भाभी की चिंता ना कर ..
मैं इनको घर छोड़ता हूँ ..
फिर वहीँ तेरे पास आ जाऊँगा ...
पर इन सालो को मत छोड़ना....

मुझे भी बहुत गुस्सा तो आ रहा था ...
पर जूली को इस समय ऐसी हालत में नहीं छोड़ना छह रहा था ...

पर जब अमित ने बोल दिया ...
तो फिर मुझे कोई डर नहीं था ...

अमित: सारे केस लगाना इन सालो पर ...
रेप, छेड़खानी, बिना वजह परेसान करना, मारपीट और ....

इंस्पेक्टर: नहीं सर ऐसा कुछ नहीं किया हमने ...
वो सब गलतफहमी हो गई थी ...
हमको नहीं पता था की ये वाकई इनकी पत्नी है ..
तो ....

अमित: तो साले बलात्कार कर देगा ...
पत्नी नहीं है तो तेरी जागीर हो गई ...

अमित बहुत गुस्से में था ...
वो तो इंस्पेक्टर पर हाथ भी उठा देता ..
मगर जूली ने पकड़ लिया ...

जूली: अब छोड़ो न अमित ...
मुझे बहुत डर लग रहा है ...
अब चलो यहाँ से ...
और हाँ रोबिन तुम भी घर ही चलो ..
मुझे नहीं करना कोई केस ...

पर अब मैं कैसे छोड़ सकता था ...

मैंने भी कमर कस ली ....

मैं: नहीं जान इसने तुम्हारे साथ गलत हरकत की है ..
मैं अब इसको नहीं छोड़ूंगा ...

अमित जूली को पकड़ अपनी गाड़ी की ओर ले गया ..

मैंने भी उसको ठीक से पकड़ गाड़ी में बैठा दिया ...

अमित: देख रोबिन तू वहां पहुंच ...
मैं भाभी को घर छोड़ फिर वहीँ आता हूँ ...
छोड़ूंगा नहीं इनको ...

फिर उसने जूली से पूछा ..
भाभी इसने क्या क्या किया ...

जूली ने अपना सर झुका लिया ...

उसकी आँखों में फिर से आंसू आ गए थे ...

अमित: चलो रहने दो भाभी ...
मैं समझ गया इसने सब कुछ कर लिया था ना ...
अब तो मैं इनको बिलकुल नहीं छोड़ने वाला ...

चल तू पहुंच ..मैं आता हूँ ...

और उसने अपनी गाड़ी आगे बड़ा दी ...

अब इंस्पेक्टर और हवलदार वहीँ मेरे से माफ़ी मांगने लगे ...

पर मैं कैसे उनकी बार मानता ...

काफी देर बाद हम उनके पुलिस स्टेशन पहुंचे ...

वहां भी वो दोनों मेरी खातिरदारी और माफ़ी में ही लगे रहे ...

जब वो लिखने को राजी ही नहीं हो रहे थे ...

तब मैंने अमित को फ़ोन किया ...

अमित: हाँ बोल रोबिन ...
मैंने ध्यान दिया वहां से खिलखिलाने की आवाजें आ रही हैं ...

मैं: यार ये तो लिख ही नहीं रहे ...
तू क्यों नहीं आ रहा ...???

अमित: अरे यार छोड़ उनको ...
ये जूली भाभी मुझे आने ही नहीं दे रही ..
मना कर रही है ...
और सुन वो इंस्पेक्टर कुछ नहीं कर पाया था ...
जूली भाभी ने मुझे सब कुछ बता दिया है ...
मुझे लगता है उसकी भी ज्यादा गलती नहीं है ...
ऐसा कर तू आजा यहाँ ...

मैंने घडी देखी सुबह के ४ बजने वाले थे ...

हुआ कुछ नहीं और मैं डेढ़ घंटे से परेसान हो रहा था ...

मैंने उन दोनों को वहीँ छोड़ा और थके कदमो से अपनी गाड़ी की ओर बड़ा ...

मैने सोचा जूली पहले भी वो सब बता सकती थी ..
फ़ालतू मैं मेरे २ घण्टे खराब हो गए ..

अब गाड़ी चलाते हुए फिर से मेरा दिमाग घूमने लगा ..

अव्े साले पिछले २ घंटे से अमित तो जूली के साथ ही है ...
और आज तो उसने उसको पूरा नंगा भी देख लिया है ..

ना जाने वो क्या कर रहे होंगे ...???

और अमित कह भी रहा था ...
कि वो उसकी सेवा कर रही है ...

मेरा पैर एक्सीलेटर पर अपने आप दव गया ...

घर जाने की जल्दी जो थी ...

देखू जूली कैसी सेवा कर रही है ...

????????????

........
..............................
[/font]


[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]सुबह की हलकी रोशनी चारों और फैलनी शुरू हो गई थी ....

मुझे भी कुछ थकान सी महसूस होने लगी थी ...

सब कुछ बहुत अच्छा हुआ था ...
मगर बस मुझे ये पुलिस वाला किस्सा बिलकुल पसंद नहीं आया था ...

गाड़ी चलाते हुए मैं किसी तरह अपने कॉलोनी तक पहुंचा ...

थैंक्स गॉड अब कुछ नया नहीं हुआ था ...
वहां भी कोई नहीं था ...

मैंने पार्किंग में गाड़ी खड़ी की...
बाहर की ओर अमित की गाड़ी भी खड़ी थी ..

इसका मतलब अभी तक जनाव मेरे फ्लैट में ही थे ..

ना जाने क्यों मेरे होंठो पर एक मुस्कराहट सी आ गई .. 

मैने घड़ी देखी ४:२५ हो चुके थे ... 
पूरी रात खूब धमाचौकड़ी मचाई थी...

अब तो फ्लैट में जाने की जल्दी थी ..
मुझे इस बात की चिंता नहीं थी ...बिलकुल नहीं थी ..
कि जूली ..अमित के साथ अकेली है ...
या वो वहां कुछ हरमन झोली कर रही होगी ...

मैं तो चाह रहा था ...
कि वो चाहे किसी से भी चुदाई करे ..
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था ....
मैं उसकी हर मस्ती में साथ था ...

पर मेरी इच्छा उसको चुदाई करवाते देखने की थी ...

और इतना सब होने के बाद भी ...
मझे दुःख इसी बात का था ...
कि जूली ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ....

मैं तो उसके हर बात में साथ हूँ ...
फिर उसने मुझे पुलिस वालों के साथ क्यों जाने दिया ??
जब उसने कुछ करना ही नहीं था ...

अगर उसको अमित के साथ ही कुछ करना था तो मैं कोन सा उसको रोक रहा था ...

पर मेरा इतना समय भी ख़राब हुआ और कितनी थकान भी हो गई ...

पूरे कम्पार्टमेंट में कोई नहीं था ..
मैं आसानी से अपने फ्लैट तक पहुंच गया ...

मैंने कोई बैल नहीं बजाई ..
ये मैंने पहले ही सोच लिया था ...
कि आज जूली को बिना बताये ही फ्लैट में प्रवेश करूँगा ...

अगर उसने पूछा तो मेरे पास वाहना भी था ...
कि तुमको डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था ..
इसीलिए खुद अंदर आ गया ...

मैंने अपने पर्स से चावी निकाल बहुत चुपके से फ्लैट का दरवाजा खोला ...
और बहुत शांति से ही अंदर प्रवेश कर गया ...

पहली नजर में मुझे वहां कोई नजर नहीं आया ...
मैंने चुपके से दरवाजा बंद किया ..

पर जैसे ही घूमा ...
अरे बाप रे ...

मेरे सभी विचारों को लकवा मार गया ...

अमित सोफे पर बैठा ड्रिंक कर रहा था ...

उसने मेरे को देख लिया था ...

अमित बहुत धीमी आवाज में ही बोला ...

अमित: चल अच्छा हुआ तू आ गया ...
मैं तेरा ही इन्तजार कर रहा था ...
बहुत मुस्किल से भाभी को सुलाया है ...
लगता है बहुत ज्यादा ही डर गई हैं विचारी ...

मैं: अरे तो टी यहाँ अकेला ही बैठा है ...
तेरे को ऐसे छोड़ कैसे सो गई यार ...

अमित: अरे तू फ़ोर्मल्टी मत कर ..
वो बहुत ज्यादा थकी और परेसान थीं ..
इसीलिए मैंने उनको सुला दिया था ...
फिर सोचा तू आ जाये तभी निकलूंगा ...
चल अब मैं भी चलता हूँ ..
तू भी आराम कर ले ...

मैं: तू पागल हो गया है क्या ...??
अब इस समय कहाँ जायेगा ...
३-४ घंटे यहीं आराम कर ले ...सुबह चले जाना ..

मैंने अब देखा अमित ने कपडे पहले ही चेंज कर लिए हैं ..
मतलब उसका भी दिल अभी जाने का नहीं है ...

उसने मेरा ही एक लोअर पहना हुआ था ...
और ऊपर उसका अपना सेंडो बनियान ...

मगर मुझे उसके कपडे वहां कहीं नजर नहीं आये ...

मतलब उसने मेरे बैडरूम में ही कपडे बदले होंगे ...

पता नहीं क्या क्या हुआ होगा ..???
ये सब तो मेरे से निकल ही गया था ...

अमित: पर यार तुम लोग डिस्टर्ब होगे ...
मुझे जाने दे ..

मैं: तूने सोनिया को तो बोल दिया होगा ना ...

अमित: वो उसकी तो कोई फ़िक्र नहीं ..
उको तो रात ही फोन कर दिया था ...

मैं: तो तू अब कुछ मत सोच ...
चल अंदर तू आराम कर ...

मैं भी फ्रेश होकर आता हूँ ...

अमित ने एक दो बार और थोड़ा सा ही विरोध किया ..
फिर वो रुकने को राजी हो गया ...

मैं उसको अंदर ले गया ...

बिस्तर पर एक ओर चादर ओढ़े जूली सो रही थी ..

मुझे नहीं पता उसके बदन पर क्या था ???
या उसने कुछ पहना भी था या नहीं ...

मुझे उसका चेहरा तक नहीं दिख रहा था ...

वो अपनी तरफ मुहं किये सो रही थी ...
बहुत थक गई थी बेचारी ...

अमित ने मेरी ओर देखा ...

मैंने उसको बिस्तर की और इशारा किया ...

उसकी आँखे जरा सी सिकुड़ी ...

मैं फुसफुसाते हुए ही ...

मैं: तू इधर को सो जा ...
मैं बीच में लेट जाऊंगा ...

वो बिना कुछ कहे दूसरे कोने में सिकुड़ कर लत गया ..

ना जाने क्यों ???
मुझे उस पर कुछ ज्यादा ही शक हुआ ...

कि ये जो सब जगह कितना मजाकिया था ...
हर समय महिलाओं में घुसा रहता था ...

हर समय बस फ़्लर्ट ही करता रहता था ...
आज इतना सीधा क्यों है ..??
क्यों इतना ज्यादा सरीफ बन रहा है ...

और जूली भी चाहे कितना भी थकी हो ..
वो अमित को अकेला छोड़ कैसे सो गई ...

सब कुछ अजीव सा लग रहा था ...
मगर वो सब मैं केवल अनुमान ही लगा सकता था ...

फिलहाल दोनों को छोड़ मैं बाथरूम में चला गया ...
जल्दी से फ्रेश हो कपडे बदल मैं भी रूम में आ गया ...

ये क्या ???
जूली ने करवट बदल ली थी ...
उसका मुहं अब अमित की ओर था ...
ओर सबसे बड़ी बात ...
वो बिस्तर के बीच आ गई थी ...

मैं चाहता तो उसको एक ओर कर बीच में लेट सकता था ...

मगर अभी भी मेरे दिल में शरारत ही थी ..

जूली को बीच में लिटाने में भी मुझको कोई ऐतराज नहीं था ...

मैंने अमित को देखा ...
वो दूसरी ओर करवट लिए सो रहा था ..
या सोने की एक्टिंग कर रहा था ...

मैं चुपचाप दूसरी ओर लेट गया ... 

मुझे बहुत तेज नींद आ रही थी ...

मगर दिल में एक उत्शुकता थी जो मुझे सोने नहीं दे रही थी ...

कि जूली ना जाने कैसे कपड़ों में या हो सकता है नंगी ही हम दोनों के बीच लेटी है ...

अमित इतना सीधा तो नहीं है ...
कि एक नंगी खूबसूरत नारी को अपनी गाड़ी में लेकर आया ...
जो हलके नशे में भी थी ..
उसको बिना चोदे छोड़ा हो ...

और अब दोनों मेरे सामने ऐसे एक्टिंग कर रहे हैं ...

अगर कुछ हुआ होगा तो जरूर कुछ न कुछ तो बात करेंगे ही ...

जहाँ इतना अपनी नींद की कुर्वानी दी है ...
वहां कुछ ओर भी कर सकता हूँ ...

हालाँकि नींद मेरे पर हावी होती जा रही थी ...

पता नहीं क्या हुआ ओर होगा ..????

.......
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[font=verdana, geneva, lucida,]कुछ देर तक मैं दोनों को देखता रहा ...दोनों ही गहरी नींद सो रहे थे ....उनको देखकर कोई नहीं कह सकता था कि उनके बीच कुछ हुआ होगा ...

मगर मेरा दिमाग तो सैतान का दिमाग बन गया था ...इसकी वजह पिछले कुछ दिनों से जूली का व्यवहार ही था ..जो कुछ मैंने देखा और सुना था उसको जानकर कोई धर्मात्मा भी विस्वास नहीं करता कि यहाँ बंद कमरे में जूली और अमित अकेले हों ...
वो भी ऐसी स्थिति के बाद जिसमे जूली को पूरा नंगा देख लिया हो ...
ना केवल नंगा देखा वल्कि उसको लगभग नंगा ही अपनी गाड़ी में बिठाकर लाया हो ...
फिर भी कुछ ना हुआ हो ..सब कुछ सोचकर असंभव सा ही लगता था ...

ना जाने कितने विचार मेरे दिमाग में घूम रहे थे ...
और सोचते सोचते ना जाने कब मैं सो गया ...

वैसे भी सुबह के ५ तो बज ही गए थे ...और थकान भी काफी हो गई थी ..शारीरिक भी और मानसिक भी ...

कोई ३ घंटे मैं सोता रहा.... मुझे कुछ नहीं पता कि इस बीच क्या हुआ ??? काफी गहरी नींद आई थी और अच्छी भी ...

मेरी उठने की वजह स्वंय नहीं थी ....वल्कि वो आवाज थी जो मैंने सुनी ...
मुझे लगा जैसे कुछ बहुत तेज गिरा हो ...मेरी नींद तो खुल गई थी परन्तु मैंने आँख नहीं खोली थी ...

मैं लेटे लेटे ही आवाज की दिशा और स्थान का अवलोकन करता रहा ... 
कुछ समय बाद फिर हलकी आवाज आई ...ये मेरे बैडरूम से तो नहीं आई थी ...

अरे ये तो बाथरूम से आई थी ...
अब मैंने अपनी पूरी आँख खोल देखा ...कमरे में अभी भी अँधेरा ही था ...
शायद जूली ने मुझे कष्ट ना हो और आराम से सोता रहूँ ..इसीलिए लाइट और परदे नहीं हटाये थे ...

मेरी आँखे अभी भी खुलने को मन कर रही थी ...क्युकि नींद पूरी नहीं हुई थी ..
मैंने पास से मोबाइल उठाकर टाइम देखा ...८:१० हो चुके थे ...

मैं उठकर बाथरूम के दरवाजे तक गया ...और कान लगाकर आवाज सुनने लगा ...

अरे जूली अंदर अकेली नहीं थी ...उसके साथ अमित भी था ...
और रात वाले सभी विचार तुरंत मेरे दिमाग में आ गए ...इसका मतलब ये आपस में पूरी तरह खुल गए हैं ...और अभी भी मस्ती कर रहे हैं ...

साफ लग रहा था की दोनों एक साथ स्नान कर रहे हैं ..
अमित को तो जूली पहले से ही पसंद करती थी ...फिर कल जो उसने हमारी हेल्प की थी ...उससे तो वो मेरा भी फेवरट हो गया था ...

फिर जूली को तो वैसे भी ..जो उसकी जरा भी केयर करता था उस पर जान निछावर कर देती थी ...

अब ये जानना था कि क्या अमित उसकी वो पसंद बन गया था कि उससे चुदवा भी ले ...या अभी तक उसको भी उसने केवल ऊपरी मस्ती के लिए ही रखा था ...

अब इतने समय में मैं ये तो जान गया था कि जूली हर किसी से तो नहीं चुदवाती ...उसको ऊपरी मस्ती करने और लेने का शौक ही था ...
और बहुत कम मर्द ही उसकी पसंद थे ...जिनसे वो चुदवाती थी ...मेरे सामने उसको केवल मस्ती करने में मजा आता था ...वो मेरे सामने चुदवाना भी नहीं चाहती थी ...

शायद उसको डर था कि ऐसा देखने के बाद मेरा प्यार उसके लिए कम हो जायेगा ..ये केवल मेरे विचार थे ..जो कुछ मैंने अभी तक उसको जाना था ...

मेरा दिल बाथरूम के अंदर देखने का कर रहा था ...मगर अंदर देखनेका कोई साधन मेरे पास नहीं था ..
हाँ बाथरूम से बाहर देखने के लिए तो मैंने जुगाड़ कर लिया था ...मगर बाहर से उसमे नहीं देखा जा सकता था .....

.....................
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=small][font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]मैं पूरे मनोयोग से आवाजें सुनने लगा ...वैसे भी बाहर पूरी शांति थी ...तो हर आवाज मुझे सुनाई दे रही थी ..

अमित: हम्म्म्म पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च 

जूली: ओह बस्स्स्स ना ..कल से १००० से ज्यादा बार चूम चुके हो ...

अमित: पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च ...
कहाँ मेरी जान ...अभी एक ही बार तो ....

जूली: देखो अमित मैंने तुम्हारी साड़ी इच्छाएं पूरी कर दी हैं ...अब तुम घर जाओ ..सोनिआ भी तुम्हारा इंतजार कर रही होगी ...कल से कितनी बार उसने फोन कर दिया है ...

अमित: पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च ....................तुम बहुत सेक्सी हो जूली सच ....................पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च ..........आई लव यू जानेमन ...........पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च 

जूली: ओह ...फिर से ....अह्ह्हाआआआआ नहीईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ क्या करते हो ?????फिर से गीला कर दिया ....अह्ह्हाआआआआआ .....

अमित: अह्हा पुचच च च पुचच च च क्या चूत है यार तुम्हारी .....हजारों में एक .....पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च ...वाह क्या टेस्ट है .........पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च ....

जूली: अह्ह्हाआआआ अब क्या खा जाओगे ....??
अह्ह्हाआआआ ओह्ह्ह्ह नहीईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ अह्ह्हाआआआआ बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अमित बस ना .....

अमित: सुनो जानेमन अभी मेरी एक इच्छा रह गई है ....उसको अब तुम्हारे ऊपर है ...कैसे पूरा करती हो ...

जूली: पागल हो गए तुम ....कल से कितनी सारी तुम्हारी इच्छाएं पूरी की है ...
तुमको याद भी कि नहीं ...और फिर से एक और इच्छा ..अब तुम सोनिया कि इच्छाएं पूरी करवाओ ..तुम्हारी सभी हो गई है ...

अमित: पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च ....जानेमन इच्छाओं का अंत कभी नहीं होता ...और मेरी तो केवल ३-४ ही हैं ...

जूली: अह्ह्ह्ह्ह्हाआआआआआ ३-४ ....अहा ....कितनी सारी तो मैंने ही पूरी की ....बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ना ..ओह क्यों काटते हो ........

अमित: पुचच च च पुचच च च पुचच च च अच्छा इतनी सारी बताओ फिर ....

जूली: अह्ह्हाआआआआ अब गिनानी भी होंगी ..
तो सुनो .......
पहली: चलती गाड़ी में चुसवाया तुमने अपना ....

अमित: पुचच च च पुचच च च हा हा क्या ???देखो नाम वोलने की शर्त थी ....हैं .....पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च ....

जूली: हाँ और दूसरी इन सबके गंदे नाम भी बुलवाये ...जो मैं केवल रोबिन के सामने ही बोल पाती थी ...पर तुम्हारे सामने भी बोलने पड़े ...

अमित: तो मजा तो उसी में ही है जानेमन ..पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च ...पर अभी भी गच्चा दे देती हो ....

जूली: जी नहीं .....तुमने अपना लण्ड नहीं चुसवाया था चलती गाड़ी में ...और फिर मेरी चूत भी चाटी थी ...
अह्ह्हाआआआआआआआआ बस ना ....

अमित: और क्या किया था ..??????????बस चाटी ही थी ना ...चोदा तो नहीं था ....अभी तो चलती गाड़ी में चोदने का भी मन है ...

जूली: हाँ फिर कहीं भिड़ा देना ...अह्ह्हाआआ ..गाड़ी को ....

अमित: पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च ...........अरे नहीं जानेमन बहुत एक्सपर्ट हूँ ..मैं इसमें ..सोनिया तो अक्सर ऐसे ही चुदवाती है ....
अह्हाआआआआ ...अछआ ...तो ये भी .....अरे इतने कसकर नहीं यार ...दर्द होता है ....आखिर ये लण्ड भी अब तुम्हारा ही है ....

जूली: हाँ बहुत सैतान है ये तुम्हारा लण्ड ....पुचच च च पुचच च च ...

अमित: अह्ह्हाआआआआ फिर .....

जूली: फिर मुझे नंगा पार्किंग से यहाँ तक लाये ...
वो तो गनीमत थी कि किसी ने नहीं देखा ...कितना डर गई थी मैं ...पागल ......अह्हाआआआआ पुचच च च पुचच च च ....

अमित: यही तो मजा है जानेमन ...मजा भी तो कितना आया था ....अह्ह्हाआआआआआ ओह ....

जूली: और फिर तुम्हारी वो सारी इच्छाएं ...पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च 
अह्ह्हाआआआआआआ हो गया ......

अमित: अह्ह्हाआआआआ अह्हाआआआ अह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उउउ ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कम्माल कर दिया तुमने जाने मन ...इतनी जल्दी ...अह्ह्हाआआआआ ......

जूली: बस्स्स्स्स्स्स्स्स न हो गया ना .....चलो अब ...जल्दी करो ...मुझे स्कूल भी जाना है ...अंकल भी आने वाले होंगे ..और रोबिन को भ उठाना है ...चलो जल्दी करो ....

अमित: अंकल क्यों ?????

जूली: वो स्कूल में साड़ी पहनकर जाना होता है ...और मुझे पहननी नहीं आती ...इसीलिए वो हेल्प करते हैं ...

ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म 

उनकी इतनी बात सुनकर ही मुझे काफी कुछ पता चल गया था ...कि दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई है... ...

अब आगे आगे देखना था कि क्या होता है ?????

मैं अपनी जगह आकर सो गया ..............

आधे घंटे तक दोनों बाहर वाले कमरे में ही थे ...हाँ १-२ बार कुछ काम करने या कपडे लेने जूली आई थी ...
उसने मेरे को किस भी किया था ...
मैं वैसे ही सोने का वाहना करता रहा ...

फिर शायद अंकल जी आ गए थे ...और अमित भी चला गया था .....

अब मुझे भी तैयार होकर काम पर जाना था ....
९ से भी ऊपर हो गए थे ...

सोचा एक बार अंकल को सारी पहनाते देखकर बाथरूम में चला जाऊंगा .....


और उठकर बाहर कमरे में देखने लगा .....
............
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[font=verdana, geneva, lucida,]कल का पूरा दिन बहुत ही खूबसूरत था ...और रात तो उससे भी ज्यादा सेक्सी ...
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने अपनी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत दिन जी लिया हो ....

सबसे बड़ी बात ...मेरी जान जूली ...वो तो इतनी खुश दिख रही थी ..जितनी मैंने आज तक नहीं देखा था ...
उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि वो बहुत खुश है ....

और मुझे क्या चाहिए ..???
अगर ये सब मेरे संज्ञान के बिना होता तो शायद गलत होता ...
मगर हम दोनों को ही ऐसा मजेदार जीवन पसंद था ...हम इस सबका भरपूर मजा ले रहे थे ...

कुछ ही देर में अमित चला गया ...वो मुझसे बिना मिले ही गया ...
पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था ...

मगर अब ये सब मुझे कोई बुरा नहीं लगता था ...उसको अगर जूली पसंद है ...और जूली भी उसको पसंद करती है तो दोनों को रोमांस करने दो ...

मुझे भी दूसरी लड़कियों का मजा मिल रहा था ...और जूली को इस तरह फ़्लर्ट करते देखने में भी मजा आ रहा था ....

तभी अंकल आ गए थे ...
मैंने देखा जूली ने पेटीकोट और ब्लाउज पहले ही पहना हुआ है ...
फिर भी अंकल ने कुछ मजा लेते हुए उसको साडी पहनाई ...

आज इतना जरूर हुआ कि जूली ने खुद ही पहनी ..और अंकल ने केवल उसको गाइड किया ...

पर मैंने इतना जरूर सुना ...कि अंकल को पता था हम रात देर से आये और जूली अमित के साथ आई थी ..

मगर उनकी बातें मुझे ज्यादा साफ़ साफ़ नहीं सुनाई दी ...
हाँ इतना भी पता चला कि विकास उसको लेने आने वाला है ..
क्युकि स्कूल बहुत दूर है ..

तभी मुझे याद आया और मैंने अपना पेन रिकॉर्डर ...जो पहले ही फुल चार्ज कर लिया था ...ओन करके जूली के पर्स में डाल दिया ....

फिर मैं बाथरूम में फ्रेश होने चला गया ...
कोई १० मिनट बाद ...मुझे बस जूली की आवाज सुनाई दी ...

जूली: सुनो मैं जा रही हूँ ....नास्ता आपको भाभी दे देंगी ....

मैं सोच ही रहा था कि कौन भाभी ...और ये अनु क्यों नही आई .....उसने तो सुबह -शाम आने को कहा था ..

अनु की मीठी मीठी यादों में नहाकर में बाहर निकला ..
हमेशा की तरह नंगा ...
अनु की कोमल चूत को याद करने से मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया था ....जो इस समय बहुत प्यारा लग रहा था ...

बाहर आते ही एक और सरप्राइज तैयार था ...

.......
...................
[/font]


[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]मेरे सामने रंजू भाभी मुस्कुराते हुए खड़ी थी ...उनकी नजर मेरे खड़े लण्ड पर ही थी ...

एक पल के लिए मैं जरूर चौंका था ...क्युकि मैं उनको बिलकुल एक्सपेक्ट नहीं कर रहा था ...
मगर फिर मेरे होंठो पर भी मुस्कराहट आ गई ...
अब समझ आया जूली रंजू भाभी को बोल गई होगी ...

मुझे कुछ अफ़सोस भी था ...
मैं विकास से मिलना चाहता था ..मगर वो शायद अब चले गए थे ...

मैं: ओह भाभी जी आप यहाँ ..क्या बात ???
अंकल कहाँ चले गए ...??

रंजू भाभी: (मुहं दबाकर मुस्कुरा रही थी ) ...
वो तो जूली को लेकर गए हैं ..तुमसे कुछ कहकर नहीं गई ...

मैं: अरे अंकल गए हैं ...पर वो तो शायद किसी और के साथ जाने वाली थी ...

रंजू भाभी शायद कुछ शरमा सी रही थी ...माना हम दोनों चुदाई कर चुके थे ...मगर कवल एक बार ही की थी ...
वो भी उनके घर पर ..शायद इसीलिए वो शरमा रही थी ..

दूसरे रंजू भाभी ने मेरे साथ चुदाई तो कर ली थी ..मगर वो पूरी घरेलु औरत थी...
हाँ अब उनमे कुछ मोडर्नेस आ रही थी ...वो सब अंकल के खुले व्यवहार और जूली के कारण ...

उह्नोने इस समय लाइट ब्लू .. डीप नैक गाउन पहना था ..जो ज्यादा ट्रांसपेरेंट तो नहीं था ..
मगर फिर भी उनके अंगों का पता चल रहा था ...

मैं: तो भाभी जी किसलिए आई थी आप ...जूली ने क्या कहा था ..??

रंजू भाभी: बस तुम्हारा ध्यान रखने के लिए ...और नास्ता देने के लिए ...

मैं: तो ध्यान क्यों नहीं रख रही ...करो ना सेवा ...
हम तो नास्ता बाद में करेंगे पहले इस बेचारे पप्पू को नास्ता करा दो ..
देखो कैसे अकड़ रहा है भूख के मारे ...

मैंने अपने लण्ड को हाथ से पकड़ जोर से हिलाया ...

अब रंजू भाभी कुछ खुली ...

वो मेरे पास आई और मुस्कुराते हुए ...

रंजू भाभी: जी नहीं ऐसा तो कुछ नहीं था ...जूली ने तो केवल तुमको ही नास्ते के लिए कहा था ...
और इसको तो ...लगता है वो खूब खिला पिला कर गई होगी ....

मैंने भाभी को कसकर अपनी बाँहों में जकड लिया ...

मैं: अरे मेरी प्यारी और भोली भाभी जी ...अगर इसका पेट भरा होता तो ऐसे लालची होकर अपने खाने को नहीं देख रहा होता ....

रंजू भाभी: ये तो हर समय भूखा ही रहता है ...

मैंने रंजू भाभी के मांसल चूतड़ों को मसलते हुए ...उनको अपने से चिपका लिया ...
मेरे से पहले ..मेरे लण्ड ने उनकी चूत को ढूंढ लिया ..और भाभी की गद्देदार चूत से जोंक की तरह चिपक गया ...

मेरे हाथों को तो लगा ही था कि उन्होंने कच्छी नहीं पहनी है ...जब मैंने उनके चूतड़ों को सहलाया था ...

मगर अब मेरे लण्ड ने पक्का कर दिया था कि वाकई उन्होंने कच्छी नहीं पहनी है ...
ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लण्ड ने नंगी चूत को ही छू लिया हो ...

रंजू भाभी बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी ...
उनकी झिझक मेरे छूते हो ख़त्म हो गई थी ...

रंजू भाभी: अहाहाहा कितना प्यारा और सख्त है तुम्हारा ...
अब उन्होंने मेरे लण्ड को अपने हाथ से खुद व खुद ही पकड़ लिया था ...

उनकी गरम हथेली में जाते ही लण्ड ने मेरे सोचने समझने की शक्ति को ख़त्म कर दिया था ...

मैं भूल गया था की मुझे ऑफिस भी जाना है ..और जूली अकेली अंकल के साथ गई है ...या वो स्कूल में क्या क्या करेगी ...और अनु के बारे में भी ...अभी तो बस रंजू भाभी और उनकी चुदी हुई ही सही ...मगर गद्देदार चूत ही दिख रही थी ...

मैंने एक बात नोटिस की ...कि पीछे दिनों में ...मैं जितनी चुदाई कर रहा था ...और जितनी ज्यादा चूत देख रहा था ...मेरे चोदने कि शक्ति और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी ...
और लण्ड हर समय चोदने को तैयार रहने लगा था ...

रंजू भाभी को देखते ही लण्ड फिर से चोदने को तैयार हो गया था ...और रंजू भाभी शायद यही सोचकर आई थी ...

उन्होंने केवल एक बार ही मना किया था ...फिर वो नीचे बैठ मेरे लण्ड को चूसने लगी ...

मेरे लण्ड भाभी के लाल होठों के बीच फंसा था ...उनके चूसने का स्टाइल एक ही दिन में बहुत सेक्सी हो गया था ...

अपने ही बैडरूम में भाभी के साथ अपना लण्ड चुसवाना .... मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था ...

मैंने एक बार दरवाजे के बारे में सोचा कि कहीं मैं डोर खुला तो नहीं है ... 

मैं: भाभी दरवाजा ....

मैंने बस इतना ही कहा था ....

भाभी ने लण्ड चूसते हुए ही आँखों से बंद होने का इशारा किया ...

मतलब वो पूरा प्लान बनाकर आई थी ...

मुझे भी ऑफिस की कोई जल्दी नहीं थी ...यास्मीन सब देख ही लेती है ...

मैंने तस्सल्ली से भाभी को चोदना चाहता था ...अंकल भी कम से कम २ घंटे तो नहीं आने वाले थे ..

क्युकि अंकल की गाड़ी की स्पीड के अनुसार उनको ४५ मिनट तो स्कूल पहुँचने में ही लगेंगे ...

फिर अभी तो उनके साथ जूली भी है ...पता नहीं स्कूल लेकर भी जाएंगे या कहीं रास्ते में ही छाम्मक्छाइया ...

पर मुझे क्या उनकी बीवी इस समय मेरे बैडरूम में ही लण्ड को चूस रही है ...और अभी उसकी जोरदार चुदाई होने वाली है ...
आज तो मैं उनकी मसालेदार गांड भी जमकर चोदने वाला था ...
मैंने सब सोच लिया था ...

मैंने भाभी को उठकर खड़ा किया ...और उनका गाउन नीचे से पकड़ ऊपर किया ...
उन्होंने गाउन निकालने में पूरी हेल्प की ...
मैंने गाउन को ऊपर करते हुए उसको उनके गले से पूरा निकाल दिया ...

वाओ क्या मस्त जवानी थी ...रंजू भाभी मेरे सामने एक माइक्रो ब्रा में खड़ी थी ...

ये ब्रा शायद वो कल ही लेकर आई थी ...जो केवल उनके निप्पल को ही कवर कर रही थी ...
शेष पूरी चूची नंगी दिख रही थी ...ब्रा केवल दो धागों से उनके पीठ से बंधी थी ...

मैंने अपने हाथों से उनके सम्पूर्ण चिकने बदन को सहलाया ....

रंजू भाभी: अह्ह्हाआआआआआ 

और अपने एक हाथ को उनकी टांगों के बीच तिकोने पर ले गया ...
उनकी बेपर्दा चूत मेरी उँगलियों के नीचे थी ...

उनकी चूत रस से भरी पड़ी थी ... वो बुरी तरह प्यास से तरस रही थी ...

मैं: क्या बात भाभी ??? ये तो लग रहा है कल से प्यासी की प्यासी ही है ....

रंजू भाभी: और नहीं तो क्या ...??? रात से इसमें आग लगी पड़ी है ...
तुम दोनों तो रात मस्ती से चुदाई कर रहे थे ...
और तुम्हारे अंकल केवल देखने के शौकीन ...मैंने कितना कहा पर कहाँ किये ...बस जूली को देखकर ही ढीले हो गए ...

मैं उनकी बात से चौंका ...मतलब रात उन्होंने हमको देख लिया था ...

मैं: क्या मतलब भाभी ???? क्या रात अंकल ने कुछ देखा ...

रंजू भाभी : और नहीं तो क्या ...??वो जूली किसके साथ थी रात ...
अह्ह्हाआआआ ...

मैंने एक ऊँगली उनकी चूत में घुसेड़ दी ....

रंजू भाभी: अह्ह्हाआआआआआ करो और करो ...प्लीज बहुत अच्छा लग रहा है ....
हाँ वो कुछ तो मैंने देखा ...फिर तेरे अंकल ने ही ...अह्हाआआआआआ 

मैं: क्याआआआआआ ??? देखा .....

रंजू भाभी: अह्ह्हाआआआ बताती हूँ ...उन्होंने बताया था ,......

उनकी बातें सुन मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया था ........

हाँ बताओ न भाभी ..........

???????
........
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[font=verdana, geneva, lucida,]मेरे बेडरूम में ..मेरे बिस्तर पर ...रंजू भाभी की मस्त नंगी जवानी बल खा रही थी ...

रंजू भाभी पूरी नंगी ..उनके चिकने, गोरे बदन पर एक रेशा तक नहीं था ....

वो लाल, वासना भरी आँखों से मुझे देखे जा रही थी ...कभी अपने मम्मो को मसलती तो कभी अपने पैरों को खोलती ...अपनी चूत की कलियों को देखा रही थी ...

मैं कुछ देर तक उनके मस्ताने रूप को निहारता रहा ...
उनका एक एक अंग साँचे में ढला था ...

इस उम्र में भी उन्होंने खुद को इतना ज्यादा मेन्टेन किया था कि कुवारी लड़कियों को भी मात दे रही थी ..

उनकी बल खाती कमर, उठी ही चूचियाँ और चूत के ढलान को देख मुझे कही पुराना पढ़ा हुआ एक लेख याद आ गया ...
"कि नारी जब तक सेक्स के प्रति लालयित रहती है तभी तक अपने अंगो और खुद का ध्यान रखती है ...
जब उसकी इच्छा सेक्स से हट जाती है उसके अंग अपनी ख़ूबसूरती खो देते हैं और वो खुद भी मोटी, बेडौल हो जाती है ..."

अगर ऐसा है तब तो नारी को सारी उम्र ही सेक्स करते रहना चाहिए ...इससे वो आखिर तक खूबसूरत बानी रहनी चाहिए ...

रंजू भाभी के अंदर भी सेक्स कि लालसा चरम पर थी ..इसीलिए उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक दिख रही थी ..
और उनका हर अंग अपनी चमक बिखेर रहा था ...

रंजू भाभी ने मदहोश भरी आँखों से अपनी वाहें फैला दी ..
वो वासनामय आमंत्रण दे रही थी ...

मैं भी उनके नागिन जैसे बलखाते बदन से चिपक गया ...
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]उन्होंने मेरा हाथ पकड़ खुद अपनी टांगों के बीच रख ठीक चूत पर जकड़ लिया ... 

मुझे ऐसा लगा जैसे किसी भट्टी पर हाथ रखा हो ..

मैं: वाह भाभी कितनी आग निकल रही है तुम्हारी इस भट्टी से आज ...

रंजू भाभी: अह्ह्हाआआआआ हाँ रे ...रात से ही ये परेसान है ...तुम्हारे अंकल तो जूली को देखकर ही ढीले हो गए ...और मैं रात भर तड़फ रही थी ...
कितनी देर तक तो तुम्हारा इन्तजार किया ...
पर तुम तो जूली को किसी और के पास छोड़कर कहाँ चले गए थे ....???
अह्हाआआआआआ इसको तो बस तुम्हारे डंडे का ही इन्तजार था ...
अब डाल दो ना ......

भाभी जरुरत से ज्यादा ही गरम दिख रही थी ...वो खुद लण्ड को डालने के लिए रिरिया रही थी ..
इसका मतलब रात बहुत कुछ हुआ था ....जो रंजू भाभी इस कदर गरम थी ...

मैंने सोचा मेरा वॉइस रिकॉर्डर सब जगह तो काम नहीं करेगा ... 
और अनु भी अभी बच्ची ही है ...वो बहुत कम ही जूली के साथ रहती है ...
अगर जूली के दिल कि सारी इच्छाएं जाननी हैं तो रंजू भाभी को सेट करना होगा ...
एक वो ही हैं जो जूली की हर बात अच्छी तरह से मुझे बता सकती हैं ...इससे जूली के सेक्स के बारे में भी पता चल जायेगा और रंजू भाभी के जिस्म का भी मजा मिल जायेगा ...

मैंने उनकी चूत में अपनी ऊँगली डालते हुए ...

मैं: भाभी सच कितनी चिकनी हो रही है आपकी चूत ...ऐसा लग रहा है जैसे मलाई की फैक्टरी हो ...
मैं अपनी ऊँगली को चूत के हर कोने में घुमा रहा था ..

वो मदहोश हुई जा रही थी ...
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[font=verdana, geneva, lucida,]रंजू भाभी: अह्ह्ह्हाआआआआ मेरे राजा ...करो जल्दी ...मैं मर जाउंगी ....जल्दी ..करो ना ...अह्हा अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उउउउउउउउउउ ....

मैं: भाभी एक बात बोलूं ....

रंजू भाभी: अब कुछ मत बोल ...अह्ह्हाआआ केवल अपना अंदर डाल दे ....अह्ह्हाआआआ बहुत मजा आ रहा है ....अह्ह्हाआआआआ जल्दी कर ना ...

मैं: नहीं भाभी इसको जितना करेंगे उतना मजा आएगा ....आप देखना ..आज मैं आपको कितना मजा देता हूँ ...आज इस चूत की सारी हसरतें पूरी कर दूंगा ...
मगर मेरे लण्ड को जूली के चुदाई की कहानी सुनने में बहुत मजा आता है ...

रंज भाभी: क्याआआआआ अह्हाआआआआआ कर और कर अह्ह्हाआआआ क्या कह रहा है ...जूली की 
...पर वो तो तेरी बीवी ही है ना ...
अह्ह्हाआआआआआ 
ये क्या हो जाता है तुम मर्दों को ....तेरे अंकल भी आजकल जूली की ही बात करते हुए चोचचच चोदते हैं अह्ह्ह्हाआआआ जब देखो उसकी ही नंगपने की बात करते हैं ...
पर क्या तुझको अच्छा लगता है कि कोई दूसरा उसको चचचोदे ....
अह्ह्हाआआआआ 

रंजू भाभी रुक रुक कर ही सही पर मेरे रंग में रंगने को तैयार थी ..
उनके मुहं से चोदने जैसा शब्द सुन्ना बहुत भा रहा था ..

उन्होंने मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भींच लिया था ..और मसले जा रही थी ...

मेरे लंड कि सभी नशे ब्री तरह तन गई थी ...लण्ड उनके नंगे जिस्म से ज्यादा ..हमारी बातों से तन खड़ा था ...

पर मुझे चुदाई की कोई जल्दी नहीं थी ...पुरे २ घंटे थे मेरे पास ..आज मैं रंजू भाभी को पूरा शीशे में उतारना चाह रहा था ...

ये मेरा वो मोहरा था जो मुझे हर पल की जानकारी दे सकता था ...क्युकि जूली भी अपनी हर बात उनको बता देती थी ...
और भाभी के अनुसार अंकल भी उनसे सभी बात कर लेते थे ...
फिर तो उनको जूली की हर हरकत का पता होगा ..और आगे जो होगा वो भी मुझे पता चल जायगा ..

मैंने एक हाथ से भाभी के चूतड़ को मसलते हुए ..उनके चूची के निप्पल को अपने होंठो से पकड़ लिया ...जबकि दूसरा हाथ तो उनकी चूत से खेल ही रहा था ...

रंजू भाभी को मैं हर मजा दे रहा था ...वो भी मदहोशी में मचले जा रही थीं ...

रंजू भाभी: अह्ह्ह्हाआआआआ अह्ह्ह्ह ओह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और ऊऊऊऊ ऊऊऊऊओओ ओ र आह्ह्ह्हा 

उनके मुहं से सिसकारी रुक ही नहीं रही थीं ....

..............
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]रंजू भाभी: ह्हाआआआआअह्ह्ह्ह्ह तुझको जूली को किसी और के साथ देखना अच्छा लगता है ...तझे गुस्सा नहीं आता ...

मैं: क्याआआ भाभी ...क्यों ??? अगर उसको इसमें मजा आता है तो क्या जाता है ...मैं भी तो मजे करता हूँ ना पुच पचर पु प्प्प्प्प्प्प्प च ...
निप्पल को चूसते हुए ही मैं जवाब दे रहा था ....

रंजू भाभी: ह्हह्हह्हह्हह्हह्ह आह्ह तुम बहुत अच्छे हो .....जूली बहुत लकी है .....अब करो न ....अह्हाआआआआआआआ ...प्लीज ....अह्हा 

मैं: पहले बताओ ना रात क्या हुआ था ??.....मैं तो कहीं काम में फंस गया था .... और अमित ने ही जूली को यहाँ छोड़ा था ...
भाभी बताओ ना क्या दोनों ने आपस में चुदाई की थी ..
आपने देखा था क्या ?????????

रंजू भाभी: अह्ह्ह्हाआआआ अरे जैसे वो आये थे ...और आपस में कर रहे थे ...उससे तो यही था कि दोनों ने रात भर यहाँ खूब धमाचौकड़ी की होगी ...
जूली तो उसको छोड़ ही नहीं रही थी ...ऐसे चिपकी जा रही थी जैसे उसमे गोंद लगा हो ....
अह्ह्ह्ह हाह हा हा वैसे तो भैया भैया कह रही थी मगर ...हा हा हा ....अह्ह्हाआ करो न अह्हा 

मैं: हाँ भाभी सब बताओ न ऐसे नहीं मुझे सब कुछ डिटेल में सुन्ना अच्छा लगता है ...

रंजू भाभी: हाँ हाँ ...अह्हाआआआ ...पहले तू अपना मेरी इसमें डाल ...तभी मैं तुझे सब कुछ बताउंगी ...अह्हाआआआआ देख बहुत मन कर रहा है ..
पहले डाल फिर मैं तुझे उसकी सारी बातें बताउंगी ...

मैंने भी अब सोचा कि हाँ यही सही रहेगा ...मेरा भी लण्ड अब रोड बन गया था ...मुझसे भी बिलकुल नहीं रुका जा रहा था ...

मैंने ऐसी पोजीशन में उनको चोदने कि सोची कि लम्बे समय तक मैं उनको चोद सकूँ ...दोनों को मजा आये और थकान भी ना हो ...

मैं बायीं करवट के लेट गया और भाभी को अपनी ओर घुमा लिया ...मैंने उनकी टांग उठा अपनी कमर के ऊपर तक ले गया ...
फिर भाभी को इतना अपने से चिपका लिया कि उनकी रसभरी चूत मेरे लण्ड तक चिपक गई ...
मैंने अपने हाथ से उनकी चूत के होंठों को खोलते हुए अपने लण्ड का सुपाड़ा चूत के अंदर सरका दिया ...

रंजू भाभी: ह्हाआआअहाआआआ गया ....मजा आ गया ...

और कुछ ही देर में मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत के अंदर था ...

अब हम दोनों लेटे लेटे ही चुदाई कर रहे थे ...भाभी प्यार भरी आँखों से मुझे देख रही थी ..उनको भी विस्वास नहीं था ..कि इतने आराम से भी चुदाई हो सकती है ...

मैं: हाँ भाभी आज हम सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे ...बस आप जूली की चुदाई बताती जाओ ..मैं आपको इतने म्यूजिकल तरीके से चोदूंगा कि कई MP3 की डीवीडी बन जाएँगी ...

रंजू भाभी: हा हा हा हा अह्ह्ह अहा हाह .....

वो हस्ते हुए सिसकारती जा रही थी ...

मैं बहुत हलके हलके धक्के लगाते हुए उनको पुचकार रहा था ...
बताओ ना भाभी ......

रंजू भाभी कुछ ही देर में नार्मल हो गई ...
वो मेरे हर धक्के का पूरा लुफ्त उठा रही थीं ..

...................
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]रंजू भाभी: हाँ ऐसे ही ...सच बहुत मजा आ रहा है ...तुम तो जादूगर हो ....
हाँ तो मैं बता रही थी ...तुम्हारे अंकल रात बहुत परेसान थे ...कि तुम दोनों कहाँ चले गए ...बस बाहर ही घूम रहे थे ...और सिगरेट पर सिगरेट ...उनको जूली की बहुत चिंता थी ...मैंने कई बार उनको अंदर बुलाया ..पर वो आते ...थोड़ी देर लेटते फिर उठकर बाहर आ जाते .....
मैंने उनको .चुदाई के लिए भी मनाने की कोशिश की पर वो कहाँ माने वाले थे ...जूली ने तो उन पर जादू कर दिया है ...

फिर मैं सो गई ...
करीब ३ बजे सुबह इन्होने मुझे उठाया ...वो जूली आई है ...
तब मैंने देखा जूली एक कोट पहने खड़ी थी ...पूरी नंगी ...और उसके साथ एक लड़का ..वो क्या नाम बताया था तुमने अमित ..हाँ वो भी था ....
उनको फ्लैट की चावी चाहिए थी ...पता नहीं अपनी कहाँ खोकर आ गई थी ...मेरे पास एक मास्टर चावी भी है ना ...बस उसी से उन्होंने अपना फ्लैट खोला था ....

मैंने तो उससे कुछ नहीं पूछा ..के तेरी ऐसी हालत कैसे हुई ...बस यही उसके साथ गए थे ...

जब ये आधे घंटे तक नहीं आये तब मैं बाहर गई ...तब ये तुम्हारी किचन से लगे खड़े थे ...
मैं चुपचाप इनके पीछे गई ...

तब मैंने देखा जूली पूरी नंगी कुछ बना रही थी ...
और वो लड़का अमित भी पूरा नंगा था ...उसके पीछे खड़ा सिगरेट पी रहा था ...
दोनों जरूर चुदाई करने के बाद अब कुछ खाने किचन में आये थे ...

मैं: तुमको कैसे पता ...हो सकता हो वैसे ही खड़े हों ..या केवल ऊपरी मजे किये हों ..चुदाई ना की हो ...

रंजू भाभी: अह्हा अह्ह्ह अरे पागल इतना तो मैं समझ ही सकती हूँ ना ...अमित का ठक्कर सिगरेट पीना ...और उसका मुरझाया हुआ लण्ड ...उस पर कुछ लगा भी था ..बिलकुल चुदाई के बाद ही ऐसा होता है ...
और फिर तेरे अंकल ने भी बताया के दोनों मजेदार चुदाई करके आये थे ...
उन्होंने तो पूरा ही देखा था ...

मैं अब भाभी को तेजी से चोदने लगा ...ये सोचकर के कल रात जूली ने यही पर अमित से खूब चुदाई करवाई होगी ...
मैंने सोचा के सुबह उनकी बातों से भी लग रहा था के दोनों ने बहुत कुछ किया है ...

मैं: अच्छा भाभी फिर अंकल ने क्या बताया ...और अपने चोदने की स्पीड तेज कर दी ...

रंजू भाभी: अह्हा अह्हा हां आःह्हाआआआ ह्हह्हाआ ह्हह्हाआआआआआह्ह्ह ओह हाः आअह्ह्हाआआआआअह्ह अह्ह्ह करो बस्स्स करूओ अह्ह्हाआआआ अह्ह्हाआ ह ओह ...वो कुछ नहीं कह रहे थे ...उनसे आज सब डिटेल में पूछकर फिर तुमको बताउंगी ...अह्हा बस अब करो तुम ...अह्ह्हाआ ओह 
अह्ह्हाआआआ 

और फिर मैंने उनको घोड़ी बना कुछ और तेज धक्के लगा अपना सारा वीर्य उनकी चूत में ही छोड दिया ..
रंजू भाभी के साथ ये भी बहुत मजा था ...
मेरे रस की एक एक बून्द भाभी की चूत में जा रही थी ..बहुत ही गरम गरम लग रहा था ...
मेरे लण्ड और मेरे लिए ये स्वर्ग का अहसास था ...
सच बहुत ही दमदार चुदाई का मजा मैंने और भाभी ने लिया था ...

अब मुझे भाभी से बहुत कुछ पता चलने वाला था ...
उन्होंने वादा किया था के वो जूली से उसकी सारी बातें पूछेंगी ..और फिर मुझे भी बयताएंगी ...

अब मुझे जूली से ज्यादा खुलने की जरुरत नहीं थी ..छुपकर ही उसकी चुदाई का मजा लेना था ....

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[font=verdana, geneva, lucida,]प्यार ...पिछले कुछ दिनों में ही ...प्यार की परिभाषा मेरे लिए बिलकुल बदल सी गई थी ...
जिस प्यार को मैं पहले समर्पण और वफादारी और ना जाने कितने भारी भारी शब्द समझता था ....

वो सब अब मेरे से दूर हो गए थे ..
मैं जूली से हमेशा से ही बहुत प्यार करता था ..मगर अगर पहले के प्यार पर नजर डालू तो वो केवल स्वार्थ ही नजर आता है ...

हम कितना एक दूसरे को समय दे पाते थे ..
सच कहूँ तो दोस्तों कभी कभी तो बिना चुदाई किये हुए भी १५ दिन गुजर जाते थे ....

और हम जब बिस्तर पर चुदाई कर रहे होते थे तभी एक दूसरे को प्यार भरी बात कर पाते थे ...

वरना वाकी समय केवल जरुरत की बात ही होती थी ..

मुझे नहीं लगता कि कभी एक दूसरे से कुछ दिन भी अलग होने में हमको कोई कमी महसूस होती थी ....

हाँ बस इतना था कि हमको ये लगता था ..जूली का तो पता नहीं ...पर मुझे तो यही लगता था कि जूली बिलकुल पाक साफ है ...वो केवल मुझी से चुदवाती है ..

पता नहीं साला ये कैसा प्यार है ..जो केवल एक उस छोटे से छेद के लिए होता है ...
जिसको नॉर्मली हम गन्दा, छी और ना जाने क्या क्या बोलते हैं .. 

अरे नारी के शरीर में सबसे जरुरी अगर कुछ है तो वो उसका दिल है ...
और अगर उसका दिल आपसे खुश है तभी वो आपसे सच्चा प्यार कर पाती है ..

बस इतनी सी बात मुझे समझ आ गई थी ...
और मैंने महसूस किया था कि पिछले दिनों में हमारा प्यार बहुत बढ़ गया था ...

मैं अब हर पल बस जूली के बारे में ही सोचता रहता था .....
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]पहले भी मैं कई दूसरी लड़कियों और स्त्रियों से सम्बन्ध बना चुका था ...
पर उस समय उनकी चुदाई करते हुए मैं कभी जूली के बारे में बिलकुल भी नहीं सोचता था ...

पर इस समय चुदाई के समय भी मुझे जूली ही दिखाई देती थी ...
और मैं जूली की ही बात करता रहता था ...

बिलकुल सच कह रहा हूँ ...
इसका कारण जूली की मस्ती या चुदाई के आरे में जानना ही नहीं था ...
वल्कि मैं उसके हर पल के बारे में जानकारी रखना चाहता था ..उसके हर पल बस उसके निकट रहना चाहता था ...
कि उस पर कोई मुसीबत नहीं आये ..वो जो चाहती है उसको वो सारी ख़ुशी मिले ... 

सच मेरा प्यार जूली के प्रति ओर भी ज्यादा हो गया था ...

सेक्स तो हमको कहीं से भी मिल जाता है ...पर वो ख़ुशी छणिक या कुछ पल की ही होती है ...
मगर प्यार केवल पत्नी से ही मिलता है ...जो दिल से हमारा ख्याल रखती है ...बिना किसी स्वार्थ के ...

वो केयर ही मेरे लिए सच्चा प्यार है ...

पहले मैं सोच रहा था कि जूली से खुलकर बात करता हूँ और दोनों मिलकर खूब मजे करेंगे ...
एक दूसरे के सामने खूब ऐश करेंगे ...
वो अपनी चुदाई के किस्से मुझे बताएगी ..
और मैं अपनी चुदाई के किस्से उसको बताऊंगा ...

मगर भाभी से चुदाई करने के बाद मैंने ये विचर त्याग दिया ....
अगर हम एक दूसरे के सामने दूसरों की चुदाई के किस्से बताते हैं ...
और एक दूसरे के सामने ही चुदाई भी करने लगे तो फिर हमारा प्यार खत्म ही हो जायेगा ...

फिर दूसरे भी हमको गलत समझने लगेंगे ...
हो सकता है हम बदनाम हों जाएँ और सब कुछ ख़त्म हो जाये ...

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[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]इसीलिए मैंने जूली के बारे में जानने के लिए दूसरे जरिये निकाले ...
वॉइस रिकॉर्डर तो था ही ....फिर घर पर अनु थी और अब ये रंजू भाभी भी बता सकती थी ...

अभी विडिओ रिकॉर्डिंग या विडिओ कैमरे के बारे में मैंने कुछ नहीं सोचा था ...
क्युकि इसके लिए बहुत प्लान करना पड़ता ...

हाँ एक काम मैंने और सोच लिया था ...कि कभी जूली को बताये बिना अगर घर में रहना हो तो ...
मेरे बेडरूम में ही एक स्टोर था जो बहुत छोटा था ..उसमे लाइट भी नहीं थी ...उसमे केवल बेकार डिब्बे और समान पड़ा था ...

उसको मैंने थोड़ा सा साफ़ कर लिया था ...
इस स्टोर में जूली कभी नहीं आती थी ...डर के कारण...
उसको अँधेरे से बहुत डर लगता था ...
इसी का फायदा मैंने उठाने की सोची ...

अगर मैं इस स्टोर में छुप जाता हूँ तो जूली को मेरे घर पर होने की जानकारी नहीं हो सकती थी ...

और मैं आराम से उसको देख सकता था ....

बस यही सब मैं सोचकर रखा था ...कि अबकी बार जब विजय आएगा तो मैं यही करूँगा ...
जिससे उनकी चुदाई पूरी तरह देख सकूँ ....
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]फिलहाल तो मैंने रंजू भाभी को पूरी तरह खुश कर दिया था ...
उनकी चूत की खूब कुटाई करने के बाद हम दोनों नंगे ही बाथरूम में नहाये ...
फिर मैंने एक बार फिर उनकी गांड को भी चोदा ...
साबुन के चिकने झाग लगाकर उनकी गांड मारने में खूब मजा आया ....

फिर भाभी न नंगी ही किचन में मेरा नास्ता गर्म किया ...

वल्कि मैंने उनको एक भी कपडा नहीं पहनने दिया ...
उन्होंने जब गाउन पहनने के लिए सीधा किया ...तभी मैंने खींचा और वो फट गया ...

वो नाराज भी हुई ...मगर मैंने उनको बोल दिया कि नास्ता तभी करूँगा जब आप बिलकुल नंगी रहोगी ...
क्युकि जूली मुझे ऐसे ही नास्ता करवाती है ...

वो मेरी चुदाई से इतनी खुश थी ..कि मेरी हर बात मानने को तैयार थी ...

हम दोनों ने एक साथ एक दूसरे से छेड़खानी करते हुए ही नास्ता किया ...

फिर मेरे दिमाग में एक शरारत आई ...मैंने सोचा रंजू भाभी भी अब जूली की तरह ही सेक्स को पसंद करने लगी हैं ...

अब उनको भी जूली की तरह ही खोलना चाहिए ...तभी वो जूली से पूरी तरह ओपन हो पाएंगी ...

और फिर जूली भी अपनी सभी बात उनसे करने लगेगी ...
फिर भाभी से मेरे को पता लगती रहेगी ...

बस मैंने भाभी को खोलने का प्लान अभी से शुरू कर दिया ...
वैसे वो बिस्तर पर जूली से भी ज्यादा खुल चुकी थी ...चुदाई के समय मैंने जो किया और कहा ..उन्होंने उसमे पूरा साथ दिया ...

मगर वो बेडरूम के अंदर की बात थी ...अब मैं उनको बाहर भी खोलना चाहता था ...

क्युकि किचन में नंगी रहकर .. नास्ता गरम करते हुए ...या साथ नास्ता करते हुए...वो उतना कंफर्टेबल महसूस नहीं कर रही थी ....
जितना कपडे पहने हुए रहती थी ...

जबकि जूली नंगी भी काम करती थी तो ऐसा लगता था जैसे उसको कोई फर्क नहीं पड़ता ...वो इस सबकी आदि हो चुकी थी ...

मैं ऐसा ही रंजू भाभी को भी बनाना चाहता था ...एक दो बार ऐसे ही नंगे रहने से वो भी नार्मल हो जाएँगी .. 

............
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[font=verdana, geneva, lucida,][size=medium]तैयार होने के बाद मैंने उनसे पूछा ...

मैं: भाभी यही रुकोगी या अपने फ्लैट पर जाओगी ...

रंजू भाभी: अरे जाना वहीँ था ...पर तुमने छोड़ा कहाँ ...अब क्या नंगी ही जाउंगी ...??
लाओ मुझे कोई जूली का ही गाउन दो ...
कम से कम कुछ तो छुपेगा ...

मैं: क्या भाभी आप भी ...इतनी खूबसूरत लग रही हो ..और बोलती हो इस खूबसूरती को छुपाने को ...
मेरी बात मानो आप ऐसे ही रहा करो ...

रंजू भाभी ने मेरा कान पकड़ते हुए ...

रंजू भाभी: हाँ बदमाश ..तू तो यही चाहेगा ...जैसा जूली को बना दिया है तूने ...कोई कपडा पहनना ही नहीं चाहती ...

मैं: अरे सच भाभी आप उससे भी ज्यादा से लग रही हो ...

रंजू भाभी: ना जी मुझे तो बक्श ही दो ...मुझसे बिना कपडे के नहीं रहा जायेगा ...
ऐसा लग रहा है जैसे सब मुझे ही देख रहे हों ...

मैं: अभी कहाँ भाभी ...चलो ऐसे ही मुझे नीचे पार्किंग तक छोड़ने चलो ...हा हा हा हा ...फिर देखना कितना मजा आता है ...

रंजू भाभी: ये सब तो तेरी जूली को ही मुबारक ...देखा मैंने ..कि कैसे नंगी आई थी ...
मैं ऐसा नहीं कर सकती ...
अब तुम जाओ ..मैं कर लुंगी मैनेज ...

मैं: नहीं भाभी आप को बाहर तक तो मुझे छोड़ने आना ही होगा ...

रंजू भाभी: तुम पागल हो गए हो क्या ...??
मैं ये नहीं कर सकती ... 

मैं: देख लो भाभी ...वरना मैं नहीं जाऊँगा ..और अभी अंकल आकर आपको ऐसे मेरे साथ देख लेंगे ...

रंजू भाभी: ओह ...तुम तो बहुत ज़िद करते हो ....
दोपहर के १२ बज रहे हैं ...कोई भी बाहर हो सकता है ...
और तुमको देर नहीं हो रही ...

मैं: बिलकुल नहीं ...आपको ऐसे तो छोड़कर नहीं जा सकता ...

रंजू भाभी थोड़ी देर ना नुकुर करने के बाद मान गई ..

वल्कि उन्होंने कहा कि तुम अब अपना फ्लैट बंद ही कर दो ..
मैं अपने फ्लैट में चली जाती हूँ ...

वाओ वो नंगी मेरे फ्लैट से अपने फ्लैट तक जाएँगी ..
मजा आ जायेगा ...

मैं सोचने लगा ...काश कोई बाहर उनको नंगा देख भी ले ...
फिर मैं उनके एक्सप्रेशन का मजा लेना चाहता था ...

पर उन्होंने ज़िद की ...पहले देखो जब कोई नहीं होगा तभी वो बाहर निकलेंगी ....

मैंने बाहर आकर देखा ...वाकई कोई नहीं था ....

मैंने उसको बताया कोई नहीं है ....

मेरे फ्लैट से उनका फ्लैट बायीं ओर कोई २० कदम के फासले पर था ...
और हमारी बिल्डिंग के हर फ्लोर पर केवल २ ही फ्लैट थे ...
तो ऐसे किसी के आने का ज्यादा डर नहीं रहता था ..

हाँ अगर ऊपर से कोई नीचे आ रहा हो तो ..वो भी सीढ़ी से तभी किसी के देखने की संभावना थी ...

इसीलिए भाभी बाहर नंगी आने को तैयार हो गई थीं ..

वो तो रोज ही घर ही रहती थीं ...
उनको पूरा आईडिया होगा की दोपहर को इस समय सूनसान ही रहती है ...

क्युकि ज्यादा चहल पहल सुबह ..शाम ही रहती थी ...

मैंने कुछ देर इन्तजार भी किया ...मगर कोई नहीं आया ....

अब मुझे ऑफिस भी जाना था ...
इसीलिए मैंने भाभी को आने का इशारा कर दिया ..

उन्होंने भी मेरे पीछे से बाहर झांक कर देखा ...जब वो संतुष्ट हो गई ...

तो तन कर बाहर निकली ...जैसे उन्होंने कोई किला जीत लिया हो ...

रंजू भाभी: देखा ...मैं कितनी बहादुर हूँ ....
वो नंगी ऐसे चल रही थी ...कि अगर कोई देख लेता तो बेहोश हो जाता ...

मैं बहुत उम्मीद से किसी के आने और देख लेने का इन्तजार कर रहा था ...
मगर नाउम्मीदी ही हाथ लगी ...
कोई नहीं आया ....

जब वो अपने फ्लैट तक पहुंची तभी उनको याद आया ..अरे चावी तो वहीँ रह गई है .....

और तभी ....??????????

..........
.............................
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एक अनोखे रोमांच से मैं गुजर रहा था ...

और ये भी पक्का था कि रंजू भाभी को भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था ...

उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि इस तरह बिना कपड़ों के ..बिलकुल नंगी होकर वो फ्लैट के बाहर गैलरी में घूमेगी ...

जब नंगे बदन पर बाहर कि हवा लगती है तो ऐसा महसूस होता है ..जैसे कोई अजनवी पुरुष नंगे बदन को सहला रहा हो ...

रंजू भाभी उसी का आनंद ले रही थीं ...

जब वो अपने फ्लैट तक अपने मस्ताने नंगे बदन को लहराती हुई लेकर पहुंचीं ..
तभी उनको याद आया कि उनके फ्लैट कि चावी तो मेरे यहाँ ही रह गई है ...

मैं उनको एक प्लानिंग के तहत ही वहीँ छोड़ ..चावी खुद लेने अपने फ्लैट तक आता हूँ ...

चावी तो मुझे तुरंत ही मिल जाती है ...
मगर फिर भी मैं कुछ समय लगाता हूँ कि कोई न कोई ...भूला भटका ही सही ...वहां आ जाये और रंजू भाभी का मस्ताना बदन देख उसको मजा आ जाये ....

पता नहीं मेरी ये इच्छा पूरी होती या नहीं ...

पर आज किस्मत कुछ ज्यादा ही साथ थी ...

मुझे बाहर आहट सी हुई ...

मैं चावी लेकर बाहर को देखने का प्रयास करता हूँ ...

तो मुझे सीढी से किसी के उतरने का अहसास सा होता है ...
मतलब कोई नीचे से तो नहीं पर हाँ ऊपर से जरूर कोई आ रहा था ...

फॉर मैंने सोचा कि वैसे भी नीचे से तो वाही वहां आता जिसे हमारे फ्लोर पर ही रुकना होता ...
क्युकि १६ फ्लोर पर कोई भी लिफ्ट से ही आता था ...अब इससे ऊपर भी कोई आया होगा तो लिफ्ट से ही गया होगा ...

हाँ ऊपर से जरूर कोई सीढी से आ सकता था ..जो उस समय आ रहा था ...
अब ये देखना था कि उसको देखकर रंजू भाभी या उस पर क्या फर्क पड़ता है ...

..........

तभी मैंने देखा कि वो टॉप फ्लोर पर रहने वाले ..एक बुजुर्ग थे ...वो ८० साल से भी ज्यादा उम्र के थे ...
मगर बहुत ज्यादा हेल्थ कॉन्शियस थे ..
मैंने ज्यादातर उनको सीढी से ही आते जाते देखा था ..

आज भी वो अपनी फोल्डिंग छड़ी लेकर ..बहुत ही धीमी गति से ..एक एक सीढी उतर कर नीचे आ रहे थे ...

उनके आँखों का ऑपरेशन भी हो चुका था ....
उनकी आँखों पर हमेशा एक मोटा काला चश्मा चढ़ा रहता था ...

जहाँ तक मुझे याद है उनको बहुत ही कम दिखाई देता था ....

मतलब ये अहसास तो रहेगा कि कोई दूसरा वहां खड़ा है ....मगर उसको कितना दिख रहा है ...इसका पता नहीं चलेगा ...

मैंने अब थोड़ा आगे आकर रंजू भाभी को देखा तो वो भी सांस रोके एक साइड को होकर खड़ी थी ...

उनको भी लग रहा था कि वो अंकल बिना कुछ देखे चुपचाप निकल जायेंगे ...

और शायद होता भी ऐसा ही ...अगर कोई भी आवाज उनको नहीं आती तो वो कुछ भी देखने कि कोशिश नहीं करते ...

उनको शायद किसी एक ही आँख से जरा सा ही दिखता होगा ...
जिससे वो जांच परख कर एक एक कदम आगे बढ़ाते हैं ....

मगर या तो उनको किसी का अहसास हुआ ..या फिर उन्होंने कोई आवाज सुनी ..कि आखिर कि एक सीढी पहले ही उन्होंने एक ओर को देखा ...
फिर वो लड़खड़ाए और..... आअह.... की आवाज के साथ गिर पड़े ....

आदत अनुसार मैं एक दम आगे को बड़ा ..पर तुरंत ही मैंने अपने कदम पीछे खींच लिए ...
कारण रंजू भाभी भी उनको पकड़ने ..आगे को बढ़ी...

उनको आगे बढ़ते देख ..मैं पीछे को हो गया था ...

स्वाभिक्ता पूर्ण वो ये भूल गई कि उन्होंने कुछ नहीं पहना है ...
वो पूरी नंगी ही उनके पास पहुँच गई ...

...........

उन्होंने बिना कुछ सोचे अंकल को लपक कर उठा लिया ..

मैं रंजू भाभी की वाहों में अंकल को देख रोमांच से भर गया ...

पूरी नंगी भाभी ने झुककर अंकल को पकड़ लिया ...
पर अंकल ने भी तुरंत उनको पकड़ा ...

मैं गौर से उनकी हर हरकत को देख रहा था ...

अंकल का हाथ भाभी की कमर पकड़ने के लिए आगे बड़ा ...
और काँपता हुआ हाथ उनके नंगे चूतड़ों पर चला गया ..

भाभी ने उनको दोनों हाथों से संभाला हुआ था ..वो कुछ कर भी नहीं सकती थी ..

अंकल ने दोनों हाथ से भाभी के पैर को जांघ के पास पकड़ लिया ...

भाभी भी काँप रही थी ...
मगर उन्होंने अंकल को नहीं छोड़ा ...

अंकल तो कुछ थोड़ा बहुत बोल भी रहे थे ..
जो मुझे समझ नहीं आ रहा था ..

मगर भाभी कुछ नहीं बोल रही थी ...
शायद उनको अपनी आवाज पहचाने जाने का डर था ...

मगर तभी अंकल ऊपर को उठते हुए ही .... उनकी जांघ से हाथ सरकाते हुए उनकी कमर तक ले गए ...
और पूरी तरह ऊपर उठकर खड़े हो गए ...

अब उन्होंने भाभी के कंधे पकडे हुए थे ..
उनको कोहनी भाभी के नंगी चूची से छू रही थी ...

तभी मैंने अंकल की आवाज सुनी ...

अंकल: अरे रंजू तू यहाँ नंगी क्या कर रही है .???
ये तिवारी कहाँ है ...??

मैं चौंक गया कि ..अरे इनको तो सब दिखता है ...और इन्होने भाभी को पहचान भी लिया ..अब क्या होगा ???

.............

रंजू भाभी: कहाँ अंकल ...व्वव्वूो ...

अंकल: क्या वव लगा रखी है ...
कुछ पहना क्यों नहीं तूने ...ये नंगी क्यों है ...

और बोलते हुए बुड्ढे ने अपने एक हाथ से भाभी को कंधे से पकडे हुए ही ...
दूसरे हाथ से उनकी चूची को सहलाते हुए चिकने पेट तक लाये फिर उसको उनकी फूली हुई चूत के ऊपर रख दिया ...
बिना कच्छी या कुछ पहने क्या कर रही है तू यहाँ ...

रंजू भाभी: अरे दादा जी ...वो आप ...क्या आपको दिखने लगा ...??

अंकल: तो क्या तूने मुझे अँधा लगया था ...??
सब कुछ दिखता है ..
वो तो शरीर थोड़ा सा साथ नहीं देता बस .... 

अंकल ने अपना हाथ अभी भी भाभी कि चूत पर रखा था ...
और भाभी भी कुछ नहीं कह रही थी ..

तभी भाभी ने उनको सही करते हुए ..
सीधा खड़ा किया और उनकी छड़ी पकड़ाते हुए ..

रंजू भाभी: अरे अंकल वो मैं जूली के यहाँ थी ...काम ख़त्म करके नहाने जा रही थी ...
तभी आपकी आवाज सुनी ...और बिना कुछ सोचे आपको उठाने आ गई ...
जल्दी में कुछ भी नहीं पहन पाई ...

अंकल भाभी के कंधे और चूतड़ों पर हाथ रखे आगे बढ़ने लगे ...

अंकल: हा हा हा इसका मतलब आज पहले बार मेरा गिड़ने से फायदा हुआ ...

रंजू भाभी: कैसा फ़ायदा अंकल ...

अंकल: चल छोड़ ...मुझे अपने यहाँ ले चल ..लगता है घुटने में चोट आई है ...

अब भाभी के पास कोई चाडा नहीं था ...
वो उनको पकडे मेरे फ्लैट की ओर ही आने लगी ...
क्यों कि उनका फ्लैट तो बंद था ...

अब मैं अगर खुद को उनकी नजर में आने देता तो मामला बिगड़ जाता ..
बुड्ढा एक दम समझ जाता कि मेरे और भाभी के बीच जरूर कोई चुद्दम चुदाई हुई है ...

मैंने दोनों को आते देख तुरंत चावी को वहीँ रखा और अपने फ्लैट से बाहर आ किचन वाली खिड़की की ओर चला गया ...
वहां से एक दम से किसी की नजर मुझ पर आसानी से नहीं पड़ सकती थी ...

जब दोनों मेरे फ्लैट के अंदर चले गए ...

मैंने देखा अंकल का हाथ पूरा फैला हुआ भाभी के चूतड़ों पर था ..

मतलब ये बुड्ढा भी साला पूरा चालू था ...

तभी भाभी ने पीछे मुड़कर देखा ....

मैंने हसते हुए खुद तो ऑफिस जाने का इशारा किया ...
और अपने एक हाथ से गोल बनाकर ..दूसरी हाथ की ऊँगली उसमें डालते हुए चुदाई का इशारा किया ...
कि मजे करो ...

उन्होने मुझे गुस्से से देखा ...
पर मैं दोनों को वहीँ छोड़कर अपने ऑफिस के लिए निकल गया ...

ऑफिस जाते हुए मैं ये भी सोच रहा था कि ३ घंटे हो गए ये तिवारी अंकल जूली को छोड़कर अभी तक आये क्यों नहीं ...??
क्या वो वहीँ रुके होंगे ???
या उसको कहीं ओर ले गए होंगे ...

..........
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