मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति - Page 9 - SexBaba
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मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति

घर से गाड़ी लेकर मैं जब ऑफिस के लिए निकला तो बहुत खुश था ....


रंजू भाभी ने मुझे असीम सुख दिया था ...
उनके साथ नंगे होकर मैंने बहुत मजे किये थे ...

उनकी चूत को जमकर चोदा था ...साथ ही साथ उनकी गांड के भी मजे लिए थे ...
उन्होंने भी बहुत जमकर चुदाई करवाई थी ...किसी भी बात के लिए मना नहीं किया था ...
वल्कि खुद आगे बढ़ चढ़कर साथ दिया था ...

दोनों अच्छी तरह नंगे होकर बाथरूम में नहाये थे ...

उससे भी ज्यादा उनका दादाजी के साथ मस्त व्यबहार ने मुझे मदमस्त कर दिया था ...

इतना कुछ होकर भी मेरा मन अशांत था ...

मैं कभी जुली के बारे में सोचने लगता कि वो क्या कर रही होगी ...
अभी तिवारी अंकल के साथ ही होगी ..या स्कूल में होगी ...

तिवारी अंकल के साथ मस्ती कर रही होगी ...
या फिर स्कूल में विकास के साथ ....
केवल मस्ती ही कर रही होगी या फिर चुदाई का भी आनंद ले रही होगी ...

फिर मेरा मन भटककर रंजू भाभी की ओर चला जाता ..
भले ही मुझसे चुदवाकर वो पूरी तरह संतुष्ट हो गई थीं ..
मगर ये साला सेक्स ऐसी चीज है जो मन कभी नहीं भरता ...

और ऊपर से वो दादाजी ....क्या रंजू भाभी को पूरा नंगा ऐसे देखकर उनका लण्ड भी खड़ा हो गया होगा ...

कितने मजे से वो रंजू भाभी की नंगी गांड का मजा ले रहे थे ,..

उनके हाथ लगातार ही भाभी के चूतड़ को सहला रहे थे ...

और भाभी भी तो कोई ऑब्जेक्शन नहीं कर रही थीं ...

मैं अभी ये सब सोच ही रहा था कि मेरे सेल फ़ोन बजने लगा ...

अरे ये तो रंजू भाभी की कॉल थी .............

इस समय वो मुझे क्यों कल कर रही हैं ....???

मैं अभी उठाने वाला ही था ...कि "वाट्स अप" पर भाभी कि वीडियो कॉल आई ...

अब ये क्या ??? वो क्या बताना चाह रही थी ...

मैंने फोन सही से एडजस्ट किया और वीडिओ शुरू किया ....

वाह भाभी जी तुस्सी तो बहुत ही ग्रेट निकली ..जो मैंने अभी तक नहीं सोचा था ....वो उन्होंने करके दिखा दिया ..

अब तो इस ट्रिक से मैं बहुत ही मजा ले सकता था ..वो भी लाइव शो के ...

उन्होंने अपना फोन मेरे बेडरूम में ही बेड के कॉर्नर टेबल पर रखा था ....

अब कैसे....... ये तो उनको ही पता होगा ...
पर मुझे मेरा बेड और कमरे का काफी हिस्सा नजर आ रहा था .....

उस दृश्य को देखकर मुझे इतनी ख़ुशी नहीं हुई ...जितनी ये सोचकर हो रही थी ...
इस तरह तो मैं आगे बहुत कुछ लाइव देख सकता था ...

...............

इस समय बेड पर दादाजी अपने पैर नीचे लटकाकर बैठे थे...
ख़ास बात ये थी कि उन्होंने पेंट नहीं पहनी थी ...उनकी पेंट उनके पास ही बिस्तर पर रखी थी ...

रंजू भाभी उनके पैरों के पास नीचे बैठी थी ...

पहली नजर में तो मुझे लगा कि वो उनके लण्ड के साथ खेल रही हैं ...
या उनके लण्ड को चूस रही हैं ...

मगर ऐसा नहीं था ..

वो नीचे बैठकर उनके घुटने पर कोई दबाई लगा रही थी ..
या फिर किसी तेल से मालिस कर रही थी ...

ध्यान से देखने पर मैंने ये भी देख लिया कि दादाजी ने अंडरवियर भी पहना हुआ है ...

पर हाँ रंजू भाभी अभी तक नंगी ही थी ...

उन्होंने अभी तक कुछ नहीं पहना था ...

अब ये वो ही जाने कि उन्होंने खुद नहीं पहना था ..या दादाजी ने उनको कुछ ना पहनने के लिए फ़ोर्स किया था ...

मगर पूरी नंगी रंजू भाभी ....जो इस समय दादाजी की सेवा में लगी थी उनको इस तरह देखना...... मुझे किसी भी ब्लू फिल्म से... कहीं ज्यादा सेक्सी लग रहा था .......

अब मैंने अपने फोन का वॉल्यूम भी ओन किया ..
मैं अब सुनना भी चाह रहा था कि वो आपस में क्या बात कर रहे हैं ....

मैंने पूरा ध्यान उन्ही पर लगाने के लिए एक सही सी जगह देख गाड़ी पार्क कर ली ...
और उस वीडिओ का मजा लेने लगा ....

मुझे उनकी आवाजें भी साफ़ साफ़ सुनाई देने लगी ...

दादाजी: अहा अहा अह्ह्ह्ह बस बेटा अब लगता है सही हो गया है ...अब रहने दे ...

रंजू भाभी: दादाजी आप भी ना इस उम्र में भी इधर उधर घूमते फिरते रहते हैं ...
घर बैठा करो ना ...कहीं रोड पर गिर जाते ना तो कोई न कोई गाड़ी काम कर जाती ...

दादाजी: हा हा तू भी ना रंजू ...अगर घर बैठा रहा तब तो वैसे ही मर जाऊंगा ...
चलता फिरता रहता हूँ तभी इतने वसंत देख भी लिए ..

रंजू भाभी: अच्छा अभी भी वसंत देखने की बात करते हो ...जबकि पुरे पिलपिले हो गए हो ....

दादाजी: बेटा जी आम जितना पिलपिला हो जाता है ..उतना मजा देता है ...

रंजू भाभी : हाँ हाँ बस रहने दीजिये अब नहीं खाना मुझे पिलपिला आम ...बस एक से ही भरपाई मैं तो ...

दादाजी: तो क्या तिवारी बेकार हो गया है ....छोड़ तू उसको एक बार मेरे को चख ले फिर कहना ....

रंजू भाभी हसते हुए उठी... पता नहीं वो मान गईं थीं या सिर्फ दादाजी का मजाक उड़ा रही थीं ... 

मगर वो बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में नंगी ही बिस्तर पर चढ़कर खड़ी हुईं ...फिर एक अंगड़ाई ली ..और फिर अपने हाथ सर के नीचे रख लेट गई ...

उनके पैर दादाजी की ओर ही थे ...

दादाजी ने भी उनकी ओर अपने को घुमा लिया ...
और अपना एक हाथ भाभी की चिकनी जांघ पर रख दिया ....

मेरा दिल धड़कने लगा ..क्या भाभी अब दादाजी से भी चुदवायेंगी ...

कैसा लगेगा जब ८० साल का एक बुड्ढा ....इतनी मस्त जवानी को पेलेगा ...

.............................

 
मैं अपनी सांस रोके दादाजी के हाथ को ही देख रहा था ....जो एक पियानो प्लेयर की तरह रंजू भाभी की जांघ पर घूम रहा था .....


भाभी पूरी नंगी थी ..तो दादाजी के हाथ बिना किसी अवरोध के जांघ से पेट फिर पेट से जांघ तक जा रहा था .........

उनकी उँगलियाँ भाभी की चूत को भी छू जा रही थी ...

ये सोचकर कि मैं एक लाइव ब्लू फिल्म देख रहा हूँ ....और ऐसा अब जूली को भी देख पाउँगा ....मेरा लण्ड सब चुदाई के दर्द को भूलकर ...पेंट में उछाले मारने लगा था ....

उनकी बातें सुनकर और भी मजा आ रहा था ...

दादाजी: आह्ह्हा कितनी प्यारी चुन्मुनिया है तेरी भी ...बिलकुल जूली की तरह ...
और उन्होंने भाभी की चूत पर अपनी हथेली रख दी ...

अब उनकी बात सुनकर चौंकने की बारी मेरी थी .....

क्युकि पूरी बिल्डिंग में जूली नाम केवल मेरी बीवी का ही है ....

क्या जूली को भी इन्होने .....
पता नहीं केवल नंगा ही देखा हो ....वैसे भी जितनी फॉर्मल वो रहती है ...ना जाने कितने लोगों ने उसकी चूत को देखा होगा ....

अब मैं और भी ध्यान से हर शब्द सुनने लगा .....

रंजू भाभी: अह्ह्ह्हाआआआ अरे इसको क्यों छू रहे हो आप ...अह्हा 
और जूली को कहाँ ऐसे देख लिए ...या उसके साथ भी कुछ ..??????????

दादाजी: जूली तो बहुत प्यारी बिटिया है ..वो तो मेरी बहुत सेवा करती है ....

दादाजी लगातार भाभी की चूत परअपनी उँगलियों से पियानो बजा रहे थे ...

रंजू भाभी:अह्ह्ह्हाआ आहा वो सेवा करती है या आप उसकी सेवा करते हों ....मुझे सब पता है ....

दादाजी: अच्छा उसने सब बता दिया ....

दादाजी ने रंजू भाभी के पैरों को खोलकर उनकी चूत को ध्यान से देखा .,,

दादाजी: अब देख न ...तेरी चुन्मुनिया कुछ जगह से काली पड़नी शुरू हो गई है ....
और जूली की देखी तूने ...
मैं उसकी मालिस करके कैसी गोरी बना दी है ....
वो अक्सर मेरे यहाँ मालिस करने और स्टीम बाथ लेने आती है ...
अब तू आ जाया करना ....तुझे भी वैसा ही बना दूंगा ..

रंजू भाभी काफी गरम हो गई थीं .....

उन्होंने अपना हाथ ...अंडरवियर के ऊपर से ही दादाजी के लण्ड के ऊपर रख दिया ...

रंजू भाभी: अह्हा केवल हाथ से ही सेवा करते थे या इससे भी ...उन्होंने लण्ड को उमेठते हुए कहा ....
लगता है इसमें तो जान ही नहीं रही ....

दादाजी: अह्ह्हाआ अरे नहीं बिटिया ...ये मीनार तो बहुत दमदार है ....
ये अलग बात है कि ...जब इसमें जवानी थी तब बहुत कम ही होल मिलते थे ...
पर अब तो इसके लिए कोई कमी ही नहीं है ..

रंजू भाभी: हा हा हा इस मुर्दे को मीनार कह रहे हो...?????
कहीं से कहीं तक कोई सुगबुगाहट नजर नहीं आ रही ...
भाभी ...दादाजी के लण्ड को अपने हाथो से पकडे थी ..
और उसको घुमा घुमा कर देख रही थी ...

दादाजी: इसकी शांति को देख ये मत समझना कि इसमें तूफ़ान नहीं आता ...

रंजू भाभी: तो क्या जूली ने कभी इसका तूफान देखा है ....

दादाजी: अरे उसकी बात छोड़ वो तो खूब मजा करती है ...
अब तो तेरी सभी गलत फहमी दूर करनी है ...

..............

रंजू भाभी: अच्छा अंकल ये बताओ ...ये जो कहते हैं क्या वो सच है ...कि आपने अपनी पोती को भी ...???

दादाजी: अरे तिवारी तो पागल है ...??? उसने एक बार मुझे अपनी पोती के साथ देख लिया था ...बस्स्स ..पर ऐसा कुछ नहीं है ....
हाँ मेरी बहु जरूर मेरे साथ .....

रंजू भाभी: क्याआ आपले साथ ....क्या उसको भी आप ....

दादाजी: हाँ उसको मेरी मीनार बहुत पसंद है ...

रंजू भाभी: फिर ये पोती के साथ क्यों कह रहे थे ...??जरूर कुछ तो ऐसा वैसा देखा होगा इन्होने ....

दादाजी: अरे तू उसको छोड़ ..तू बता न ..तुझको हर तरह से मजा दूंगा ...

रंजू भाभी: नहीं पहले बताओ ..क्या ये सच है ...??

दादाजी: अरे नहीं ..मैंने कहा ना ...बस तिवारी ने मुझे उसको नहलाते देख लिया था ...और पागल ..क्या क्या बोलने लगा ....
अह्ह्ह्हाआआआआ 

रंजू भाभी: वाह्ह जी.... क्या बात है ..पोती कि बात आते ही ..इसमें जान आने लगी ...

तभी ना जाने दादाजी को क्या हो गया ..???

दादाजी तुरंत उठे और अपना अंडरवियर उतार दिया ...

पहली बार मैंने उनके लण्ड कि हलकी सी झलक देखी ....
नार्मल ही लगा ...पर पूरा तना हुआ नहीं था ...

उन्होंने झटके से भाभी को घूमने लगे ...

दादाजी: अरे जल्दी घूम ना ..बहुत दिनों के बाद ...अह्ह्हाआआ जल्दी ....

भाभी कुछ नहीं समझी ...
पर वो पलट गई ...अब वो पेट के बल लेटी थी ...उनके उभरे हुए चूतड़ ..दादाजी के सामने थे ....

दादाजी तुरंत पीछे से ..रंजू भाभी से चिपक गए ...

मैं आँखे फाड़े उनको देख रहा था ....
क्या दादाजी ..भाभी की गांड मार रहे थे ...
पर लण्ड को अंदर डालने के लिए उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया था ...

फिर क्या ऊपर ही ऊपर से ....??
लग तो ऐसा ही रहा था ....

क्युकि भाभी के हेहरे पर चुदने जैसा कोई निसान नहीं नजर आ रहा था ....

और २ मिनट में ही वो एक ओर गिर पड़े ...वो बुरी तरह हाँप रहे थे ...

उनका हाँपना देख मैं दर गया.... कि .कहीं बुड्ढा निकल ना जाये .....

थैंक्स गॉड ..कि कुछ देर में सब सही हो गया ...

रंजू भाभी: बस ...गिर गई आपकी मीनार ...
सत्यानाश ......

दादाजी: (हांपते हुए) जरा रुक ..... अभी तू ऊपर चल ....तुझे बहुत मजे दूंगा ...मेरे पास तेरे लिए बहुत समान है ...

रंजू भाभी:बस जी अभी तो आप रहने दो ...अब इनके आने का समय हो गया है ...
जल्दी से कपडे पहनो ..वरना कहीं ये मीनार पूरी ही ना गिर जाए ...
हा हा हा हा ...

ऒर भाभी.... बाहर वाले कमरे में चली गई ....

मुझे भी ऑफिस के लिए देर हो रही थी ...

मैंने सेल ऑफ किया ...ऒर गाड़ी स्टार्ट कर ... ऑफिस के लिए निकल गया ...

मुझे ये चिंता भी होने लगी कि ...इतनी देर होने पर भी ना तो यास्मीन का ही कॉल आया था ...ऒर ना ही आज अभी तक जूली ने ही कोई कॉल किया था ...

पता नहीं वो अंकल के साथ ही कहीं मस्ती कर रही थी ..या फिर स्कूल पहुंच गई थी ..
या फिर विकास के साथ थी ...????

..........
..............................
 
अपने ख्यालों में खोया हुआ में ऑफिस जा रहा था ...

एक बहुत ही गरम दिन की शुरुआत हुई थी ...और लण्ड इतनी चुदाई के बाद भी अकड़ा पड़ा था ...इस साले को तो जितना माल मिल रहा था उतना तंदरुस्त होता जा रहा था ...
और जरा सी आहट मिलते ही खड़ा हो जा रहा था ...

मैं यही सोच रहा था कि ऑफिस जाते ही सबसे पहले तो यास्मीन को ही पेलूँगा ..तभी ये कुछ देर शांत रहेगा ...

और फिर मुझे पिंकी की मस्त चूत भी याद आ रही थी ..अगर वो मान गई तो उसकी भी बजा दूंगा ...

यास्मीन और पिंकी की चूतों को याद करते हुए मैं मजे से गाड़ी चलाता हुआ जा रहा था... कि ....

"जब किस्मत हो महरवान .....तो बिना तजुर्वे के भी मिल जाते हैं कदरदान ..."

यही मेरे साथ लगातार हो रहा था ...

मैंने देखा एक खूबसूरत बला..... सामने खड़ी होकर लिफ्ट मांग रही है .... 

पहले तो सोचा कि क्यों समय वरवाद करू ....निकल चलूँ ...और ऑफिस में जाकर मजे करूँ ...

परन्तु उसकी खूबसूरती ने मुझे ब्रेक दबाने पर मजबूर कर दिया ....

जैसे ही मैंने उसके निकट गाड़ी रोकी ...

अरे..... ये तो जूली की सहेली है ...
मैं ३-४ बार उससे मिल चुका था ...

क्या नाम था उसका ???? 
पता नहीं ....
पर हाँ जूली.... इसको लिजी कहकर ही बुलाती है ...ये NRI है ....

ऑस्ट्रेलिया से आई है शायद ....इसकी मैरिज वहीँ हुई है ...पर अब यहीं रह रही है ...
इसकी पति से नहीं बनती ...वो अभी भी ऑस्ट्रेलिया में ही है ...

पर अभी तक डाइवोर्स नहीं हुआ है ....

लिजी बहुत ही खूबसूरत है ....५ फिट ७ इंच लम्बी ..उम्र कोई ३०-३२ साल ....पर लगती २५ की...... बिलकुल गोरा रंग .....जैसे दूध में सिन्दूर मिला दिया गया हो .....ब्राउन हेयर ...जो उसने शार्ट स्टेप कटिंग किये हुए थे ....पिंक लिप्स ...जो बाहर को उभरे हुए थे ...ये दर्शाते थे कि इसको चूसने का बहुत शौक होगा .. ...और तीखे नयन नक्श ..सब उसको बहुत खूबसूरत दिखाते थे .....

बाकी उसके मॉडर्न कपडे ....उसके सेक्सी बदन का हर उभार अच्छी तरह दिखाते थे ...
मैं समझता हु कि उसका फिगर एक परफेक्ट फिगर था ३६ २६ ३६ का ...थोड़ा बहुत ही ऊपर नीचे होगा ...

कुल मिलाकर ..पहली नजर में ही उसको देखकर कोई भी आहें भरने लगता होगा ...
और उसको सुपर सेक्सी की संज्ञा दे देता होगा ....

.................

वही सुपर सेक्सी लिजी आज लिफ्ट मांगने मेरे सामने खड़ी थी ....

मैंने बिलकुल उसके निकट जाकर गाड़ी रोक दी....

लिजी: (अंग्रेजी में ) क्या आप मुझे ......तक ...
अरे जीजू आप ....वाओ ...

और बिना किसी फ़ोर्मल्टी के गेट खोल मेरे निकट बैठ जाती है ....

मैंने गेट लॉक पहले ही खोल दिया था ....

लिजी ने ब्लू जीन्स और वाइट टॉप पहना था ....दोनों ही कपडे बहुत टाइट थे ..उसके चिकने बदन से चिपके थे ..

मैं: हेलो लिजी ...यहाँ कैसे ..कहाँ जा रही हो ....गाड़ी कहाँ है तुम्हारी ??????

लिजी: अरे जीजू मैं तो बड़ी परेसान हो गई थी ...थैंक्स गॉड जो आप मिल गए ....
मुझे एक पार्टी से मीटिंग करने जाना है ....इट्स अर्जेंट ...और मेरी गाड़ी ख़राब हो गई ....

मैं: अरे तो कहाँ छोड़ दी ...????

लिजी: अरे वो सब तो मैंने टैकल कर लिया ....बस आप मुझे वहां तक १५ मिनट में छोड़ दें ....
अमेरिका की पार्टी है ....
समय के पाबंद हैं .....

मैं: डोन्ट वरी ...अभी छोड़ देता हूँ ....

वो पीछे को जाने लगी ...

उसकी गांड मेरी तरफ थी ....

मुझे अचानक ना जाने क्या हुआ ..???
मैंने एक स्लैप उसके चूतड़ पर लगा दिया ....

मैं: क्या कर रही हो ??? बैठती क्यों नहीं ???

लिजी ने अपने चूतड़ को हिलाते हुए ही ...पैर पीछे को रख ..पीछे वाली सीट पर चली गई ...

लिजी: अरे कुछ नहीं जीजू ..वो मुझे चेंज भी करना था ...मैं जल्दी में ऐसे ही आ गई थी ..अब अगर इन कपड़ों में उस पार्टी से मिली तो मुझे मैनेजर नहीं चपरासी समझेंगे ...

मैं: हा हा हा हा ..क्या यार ..????
उसने मेरे द्वारा चूतड़ पर हाथ मारने को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी ...
जिससे मेरी हिम्मत बढ़ गई थी ...

मैं: इतनी सेक्सी तो लग रही हो ...अब क्या करोगी ..??

मुझे ये तो पता था कि लिजी बहुत बोल्ड है ...
पर मेरे से ज्यादा खुलकर बात करने का मौका कभी नहीं मिला था ...

पर आज उसने अपनी बोलडनेस मुझे दिखा दी ...

लिजी: क्या जीजू ...इन घर के कपड़ों में भी... मैं आपको सेक्सी लग रही हूँ ....
हा हा हा हा हा ....इसमें तो सब कवर है ....कुछ भी नहीं दिख रहा .....

मैं: वाओ मेरी साली साहिबा ...तो क्या दिखाना चाह रही हो ....

लिजी: अरे आप तो हमारे प्यारे जीजू हैं ...जो देखना चाहो ...बस इशारा कर देना ....

मैं उससे बात कर ही रहा था कि जैसे ही बैक मिरर में देखा ....
ओह गॉड ...उसने अपना टॉप निकल दिया था ....
वो केवल एक माइक्रो ऑफ व्हाइट ब्रा में बैठी थी ....

मैं: अर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रीईईईईए ये क्या कर रही हो ...??

लिजी: हा हा हा हा ...अरे अपने ही तो कहा था कि देखना है ............हा हा 

मैं: अरे ऐसे तो नहीं ....चलती रोड है......ऊऊओ र 

लिजी: अरे जीजू घबराओ मत ...बस कपडे चेंज कर रही हूँ .....अब वहां जाकर तो कर नहीं पाउंगी ...

और वो बिना किसी डर के ...मेरी गाड़ी के पीछे बैठ ,,,आराम से अपने कपडे बदल रही थी ....

उसने अपनी बेग से एक रेड शुर्ख ...शिलकी टॉप निकाला ...जो अजीब कटिंग से बना था ....

मैंने सोचा कि वो इसे जल्दी से पहन ले ..पता नहीं ..फिर कहीं कोई पुलिस वाला न देख ले ....
अबकी बार तो जरूर बुरा फंस जाऊंगा ....

मगर वो तो पुरे मूड में थी ...उसने अपनी ब्रा भी निकाल दी ....

एक पल को तो मेरी धड़कन भी रुक गई ...
ना जाने वो क्या करने वाली थी ....

क्या चूची थी उसकी ....वेल शेप्ड .....राउंड ....तानी हुई ...और गुलाबी निप्पल ....
सीसे से देखकर ही दिल वावरा हो गया ...
और मैं पीछे मुहं घुमाकर देखने लगा ....

लिजी: अार रे जीजू ...क्या करते हो ..???
प्लीज आगे देखो ना ....

मैं: क्यों अब शर्म आ रही है क्या ???

लिजी: अरे नहीं ...जीजू ..कोई शर्म नहीं ....आप गाड़ी चला रहे हो ना इसीलिए ...
अभी आप गाड़ी चलाइये ....
इनको फिर कभी देख लेना ....मैं कहीं भागी नहीं जा रही ....

मैं मुहं खोले बस उसको देखे जा रहा था .....

....................

लिजी ने अपनी दोनों चूची को सहलाकर ठीक किया और फिर अपना टॉप पहन लिया ....

टॉप बहुत ही मॉडर्न स्टाइल का था .....
कई जगह से कट लिए हुए ...
ये समझ लो जैसे बहुत कम छिपा रहा था ...और काफी कुछ दिखा रहा था ....

मैं अब आगे देखकर गाड़ी चला रहा था ....परन्तु मेरी नजर बेक व्यू मिरर पर ही थी ..

जैसे मैं कोई भी दृश्य चोदना नहीं चाह रहा था ...मैं लिजी के बदन के हर हिस्से को नंगा ..जी भरकर देखना चाहता था ...

लिजी के चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कुराहट थी ...उसको मेरी सारी स्थिति का पता था ...और वो इसका पूरा मजा ले रही थी ....

मेरे लिए इतना ही काफी था ...ये खूबसूरत मछली अब मेरे जाल में थी ....इसकी छोटी मछली को मैं कभी भी मसल ...कुचल सकता था ...

पर आज मैं लिजी की मछली को देखने के लिए पागल था ...

अब उसने अपनी मिनी स्कर्ट को ठीक किया और अपनी जींस की कमर में लगा बटन खोलने लगी ...

मैं सांस रोके उसको देख रहा था ....मुझे एक और चूत के दर्शन होने वाले थे ....

मैं पक्के तौर पर तो नहीं कह सकता ...पर सीओर ही था कि जब जूली कच्छी नहीं पहनती ..तो लिजी ने भी नहीं पहनी होगी ...
आखिर ये तो जूली से भी ज्यादा मॉडर्न है ...

मैं जीन्स से एक खूबसूरत चूत के बाहर आने का इन्तजार कर ही रहा था ...

लिजी ने बैठे बैठे ही अपने चूतड़ों को उठाकर अपनी जीन्स को नीचे किया ...
मिरर से मुझे नीचे का हिस्सा कुछ साफ़ नहीं दिख रहा था ...

मैंने मिरर को थोड़ा सा और नीचे को किया ....

अब लिजी ने अपने पैर को उठाकर अपनी जीन्स को दोनों पाऊँ से निकाला ..

उसके जाँघों के जोड़ को देखने के लिए एक बार फिर मुझे पीछे को गर्दन घुमानी पड़ी ...

पर इस बार मेरी उम्मीदों को झटका लगा ...

लिजी ने एक डोरी वाली पिंक पैंटी पहन रखी थी ..जो बहुत ही सुंदर लग रही थी ...
पर लिजी के बेशकीमती खजाने को छुपाये हुए थी ...

मैंने बड़ी नाउम्मीदी से अपनी गर्दन आगे कर ली...

मेरे बिगड़े हुए मुहं को देख लिजी जोर से हंस पड़ी ...

पर उसने मुझ पर कोई रहम नहीं की ....

उसके अपनी स्कर्ट की ज़िप खोल उसको कमर से बांध अपनी स्कर्ट को ठीक कर लिया ....

...............

लिजी: क्या हुआ जीजू ??? बड़ा ख़राब मुहं बनाया ...क्या मैं इतनी बुडी लगी ..हा हा ...

मैं: अरे यार जब इंसान को भूख लगी हो और कोई खाने पर कवर लगा हो तो ऐसा ही होता है ....

लिजी: हा हा हा जीजू ...आप भी न बहुत मजाक करते हो ...ये किसी और का खाना है ....आप अपना खाना घर जाकर खा सकते हो न ...

मैं: वो तो सही है यार ....बाहर का खाना चखने को तो मिल ही जाता है ...पर यहाँ तो देखने को भी नहीं मिला ...

लिजी: हा हा हा हा ..क्या बात करते हो जीजू ...इतना तो देख लिया ....

और लिजी अपने कपडे वहीं पिछले सीट पर छोड़ जब फिर से आगे आने के लिए उसने पैर आगे रखा ...
वाओ ....
उसकी बैक मेरी ओर थी ...
उसकी स्कर्ट ऊपर तक हो गई .....और उसके नंगे चूतड़ ....कयामत चूतड़ ....क्या मजेदार गोल गोल चूतड़ थे ....पूरे नंगे ही दिख रहे थे ....क्युकि उसकी पैंटी की डोरी बहुत पतली थी जो चूतड़ों की दरार से चिपकी थी ....

मैंने उसके सीधे होने से पहले ही उसके चूतड़ों के एक गोले पर अपने बायां हाथ रख दिया ....

लिजी: क्या कर रहे हो जीजू ...?????

उसने सीधा होने की कोई जल्दवाजी नहीं दिखाई ....

मैं: मेरी प्यारी साली साहिबा जी देख रहा हूँ कि खाना गरम है या ठंडा ....
तुम बहुत खूबसूरत हो यार ...

और मैंने अपने अंगूठे से लिजी कि चूत को भी हल्का सा कुरेद दिया ...

बस बो जल्दी से सीधी हो बैठ गई ...

उसने अपनी स्कर्ट सही की ...और ...

लिजी: जीजू ये खाना हमेशा गर्म ही रहता है ...

मैं: अब मुझे क्या पता ..??? तुम ना तो कभी खिलाती हो और ना ही कभी चखाती हो ....

लिजी: ठीक है कभी आपके साथ भी हम मीटिंग कर लेंगे ....फिलहाल तो अपना काम कर लें ....
बस यहीं रोक दीजिये ...
मुझे इसी कंपनी में जाना है ....

और वो वहीँ उत्तर गई .....

मगर एक उम्मीद फिर से दे गई .....

लिजी: मेरे कपडे यहीं छोड़ जा रही हूँ ...अगर आप खाली होंगे तो लौटते समय मैं फोन कर लुंगी ...
वरना फिर बाद में ले लुंगी ....

मैं: अर्र्र्र्र्र्र नहीं ..........ये तो तुमको आज ही देने आ जाऊंगा ...अगर जूली ने देख लिए तो ....हा हा हा हा ...

वो भी हंसी ....

और हम दोनों अपनी मंजिल की ओर निकल गए ....

........
...........................
 
अपडेट 97 



जूली, रंजू भाभी, यास्मीन, पिंकी .....अभी कुछ देर पहले.... मैं सभी को खूब याद कर रहा था .....



रंजू भाभी को जमकर चोदकर आया था ..... और यास्मीन को ऑफिस जाकर चोदने की सोच रहा था ...



जूली कैसे अपने आशिकों के साथ मजे कर रही होगी ...वो सोच रहा था .....



और पिंकी की चूत के बारे में सोच सोच कर लार टपका रहा था ........



इतना सब पास होने के वावजूद ...एक ही पल में इस लिजी की सेक्सी और मस्त जवानी ने सब कछ भुला दिया था .............



जब तक लिजी पास रही .......कुछ याद ही न यही रहा .....केवल लिजी लिजी और लिजी .....



पर अब उसके जाते ही....... मैं फिर से धरातल पर आ गया था ........



अब मुझे फिर से सब कुछ याद आ गया था .......



मैं तेजी से गाड़ी चलाकर ऑफिस पहुंचा .......



वहां पहुँच कर एक झटका लगा .......



अरे आज यास्मीन आई ही नहीं थी ...........

पर उसने मुझे बताया क्यों नहीं ..???????????



तभी पिंकी केबिन में आई ......



हलके हरे, प्रिंटेड शिफॉन की साडी में वो क़यामत लग रही थी ......

स्लीवलेस ब्लाउज और नाभि के नीचे बाँधी हुई साड़ी उसको और दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा सेक्सी दिखा रही थी .......



शायद कल की घटना ने उसको काफी बोल्ड बना दिया था ........



और वो मुझे रिझाना चाह रही थी .......



ये नहीं भी हो सकता था ...ये तो केवल मेरी सोच थी ...



हो सकता है वो नार्मल ऐसे ही कपडे पहन कर आई हो ..पर मुझे पहले से ज्यादा सेक्सी लग रही थी ....



मैं पिंकी की ख़ूबसूरती को निहार ही रहा था ......

कि वो मेरी नजरों को देखते हुए ....मुस्कुराते हुए बोली ....



पिंकी: आज कहाँ रह गए थे सर .??? बड़ी देर कर दी ...



मैं उसकी बातों को सुनकर मुस्कुराया ...

वाकई कल कि घटना ने उसको बहुत ज्यादा खोल दिया था ...



पहले वो कभी मुझसे ऐसे नहीं बोली थी ....

..................



वल्कि बहुत डर कर बोलती थी ....उसको ऑफिस में आये हुए समय ही कितना हुआ था ...केवल १ महीने में वो केवल हाँ हूँ का ही जवाब देती थी ....



पर कल हुई घटना ने उसको बिंदास बना दिया था ...



अब उसको मुझसे डर नहीं लग रहा था बल्कि प्यार ही आ रहा था ....



मैं उसकी चूची और चूतड़ों को सहला चूका था ...

और उसकी नजर में........ मैं उसको पूरा नंगा देख चुका था ...

उसने भी मेरे लण्ड को पकड़ लिया था ....



मेरे ख्याल में जब नारी को ये लगने लगता है कि इस आदमी ने तो मेरे को पूरा नंगा देख ही लिया है ...

और वो उसको पसंद भी करती हो ...तो शायद वो उससे पूरी खुल जाती है ....

फिर उसके सामने उसको नंगे होने में शर्म नहीं आती ...



यही ख्याल मेरे दिल में आ रहे थे .....कि शायद पिंकी अब दोबारा मेरे सामने नंगा होने में ज्यादा नखरे नहीं करेगी ....



पर वो एक शादीशुदा नारी थी ...और उसने अभी तक बाहर किसी से सम्बन्ध नहीं बनाये थे ....

इसलिए मुझे बहुत ध्यान से उस पर कार्य करना था ...



मेरी एक गलती से वो बिदक भी सकती है ....



मेरा लण्ड मुझे सयम नहीं करने दे रहा था ...



वो पेंट से अंदर बहुत परेसान कर रहा था ....

मैंने सोचा था कि ऑफिस जाते ही यास्मीन को पेलूँगा ...



पर उसने तो मुझे धोखा दे दिया था ....

पता नहीं उसको क्या काम पर गया था .....



मैंने पिंकी को ही अपने सीसे में उतारने की सोची ...



मैं: अरे पिंकी ये यास्मीन कहाँ है आज ....



पिंकी: क्यों उसने बताया नहीं आपको ....बोल तो रही थी .....कि वो फोन कर लेगी आपको .....



मैं: अरे तो क्या वो आई थी ....फिर कहाँ चली गई ...उसको तबियत तो सही है ना ....



पिंकी: अर्र्र्र्र रे हाँ सर ....वो बिलकुल ठीक है .....उसके किसी दोस्त का एक्सीडेंट हुआ है शायद ....

मुझे बताकर गई थी ....कोई 2 घंटे पहले ....



मैं: ओह ....



मैंने सोचा उसको फोन करके पूछ लूँ कि किसी चीज कि जरुरत तो नहीं ...

पर उसका फोन ही नहीं लगा ...



लगता है यास्मीन के फोन कि बैटरी डाउन हो गई ..इसीलिए मुझे भी कॉल नहीं कर पाई ....

.................



पिंकी: हाँ सर ....यही लगता है .....मैं भी try कर रही थी ....पर नहीं लग रहा था ....

कोई काम हो तो बता दीजिये सर ....

मैं कर देती हूँ .....



मैं: अरे यास्मीन वाला काम तुम नहीं कर पाओगी ...



वो बिना सोचे समझे बोल गई ......



पिंकी: क्यों नहीं कर पाउंगी सर ...???

आप बोल कर तो देखिये .......



मैं: हा हा हा हा…………. मैं हसने लगा .......



अब उसका मुहं देखने लायक था ............







वो समझ गई कि मैं किस काम के लिए कह रहा था ...



मगर उसमे कुछ गुरुर के भाव भी थे ...जो उसको झुकने नहीं दे रहे थे ....



इसीलिए उसने अब भी हामी भरी ....



पिंकी: अरे आप हंस क्यों रहे हैं ....मैं यास्मीन से कमजोर नहीं हूँ ...ऑफिस का कोई भी काम कर सकती हूँ ....



मैं उसकी बातों का मंतवय समझते हुए ही उससे खेलने की सोचने लगा ....पिंकी के मासूम चेहरे को देखते हुए ...मैं सोच रहा था कि इसको बहुत प्यार से टैकल करूँगा ....



इस समय वो बहुत मासूम लग रही थी .....



फिर मैंने पिंकी के साथ सभी ऑफिस के काम डिस्कस किये ....



यास्मीन ने उसको सभी कार्य बहुत अच्छी तरह समझा दिए थे ......



और सबसे बड़ी बात वो आसानी से सब समझ गई थी ...



उसने सभी काम अच्छी तरह किये थे .....



मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि चलो मझे एक और हैंड अपने काम करने के लिए मिल गया था ....



अब मेरी ऑफिस की चिंता कुछ और कम हो जाने वाली थी ...



यास्मीन और पिंकी मिलकर मेरे सारे काम आसानी से कर सकती थीं ...



यास्मीन ने तो पूरी ज़िंदगी निकाह ना करने की कसम खाई थी ....

उसने कई बार मुझसे कहा था कि वो ऐसे ही काम करती रहेगी ....भले ही मुझसे निकाह मत करो पर मैं तुम्हारी बेगम की तरह ही रहूंगी ...और ऑफिस में काम करती रहूंगी ....



अब पिंकी भी उसी तरह काम सँभालने को राजी थी ...भले ही उसकी शादी हो गई थी ....पर वो लम्बे समय तक काम कर सकती थी ..

मैं उस पर भरोसा कर सकता था .........



अब अगर वो यास्मीन की तरह ही मेरे मस्ती में भी साथ देने लगे...... तो मजा आ जाये ....



ऑफिस के काम करते हुए मैं पिंकी से थोड़ी बहुत छेड़छाड़ भी करने लगा ...



जिसका वो बुरा नहीं मान रही थी ...



एक बार मुझे कुछ बताने के लिए.... जब वो.मेरे बराबर में खड़ी थी ...मैंने यास्मीन की तरह ही उसके गोल मटोल चूतड़ों पर हाथ रख दिया ...

उसने तिरछी नजरों से मुझे देखा ....और बोली ....



पिंकी: सर आपके हाथ फिर से गलत प्रॉपर्टी पर जा रहे हैं ...



मैंने मुस्कुराते हुए उसके चूतड़ों के चारों ओर अपनी हथेली को घुमाया ....

और ..........



मैं: दूसरे की प्रॉपर्टी कैसे ...मेरे ऑफिस में जो भी है ,,वो तो मेरी प्रॉपर्टी हुई ....यास्मीन ने तो कभी ऐसा नहीं कहा ....मेरी होंटों पर एक मुस्कान थी ....



पर वो थोड़ा अलग हटकर खड़ी हो गई ...मेरा हाथ उसके चूतड़ों से हट गया ....पर इस दौरान मैंने महसूस किया कि उसने कच्छी नहीं पहनी है ...



पतली सी साड़ी और पेटीकोट जो उसने इतने कसकर बांधे थे कि ..चूतड़ों पर पूरी तरह कसी थी ...

शायद चूतड़ों का उभार दिखने के लिए ....



मुझे ऐसा ही लगा जैसे नंगे चूतड़ों पर हाथ फिराया हो ...मगर मेरे हाथ को कहीं कच्छी का अहसास नहीं हुआ ...



मतलब साडी के नीचे वो नंगी चूत लिए घूम रही है ...



अगर पिछले दिन मैंने उसकी कच्छी नहीं देखी होती तो ज्यादा शक नहीं होता ....नार्मल ही लगता ....क्युकि जूली भी कच्छी कौन सा पहनती है ...



और हो सकता है वो भी इस समय अपने स्कूल में ऐसे ही विकास के ऑफिस में अपने चूतड़ उससे सहलवा रही हो ..........



जूली की याद आते ही मुझे पिंकी से सेक्स की बातें करने का एक बहुत अच्छा आईडिया आ गया ...



मैं: क्या हुआ ??????? अरे यार ऐसे कैसे काम कर पाओगी ....

इतनी दूर से ...



पिंकी: सॉरी सर ...ऐसी बात नहीं है ....पर आपके हाथ रखते ही ..पता नहीं क्यों सनसनी सी हो जाती है ...

वो क्या है कि मैं बहुत अलग रही हूँ ....और ऐसा मैंने कभी नहीं किया ...



मैं: अरे जी ...तो मैं ऐसा क्या कर रहा हूँ ...???

मैं तो केवल काम ही देख रहा हूँ ...

और ये तो मेरी आदत ही है ...

अच्छा एक बात बताओ आज कच्छी नहीं पहनी ना तुमने ...

....................



पिंकी बुरी तरह शरमा गई ...और अपनी गर्दन नीचे झुकाये हुए ही बोली ...

क्या सर ...आप भी ना .....बहत गंदे हैं ....



मैं: अरे नहीं भई ....यकीन मनो मेरी कोई गन्दी मनसा नहीं है ....

मैं जो भी करता हूँ वो कभी तुमको कोई नुक्सान नहीं पहुंचाएगा ...

और यकीन मानना मैं बही सब करूँगा जिसमें तुम्हारी मर्जी होगी और तुमको अच्छा लगेगा ....

इसके आलावा कुछ भी नहीं करूँगा ....



मैंने कसम खाने वाले अंदाज़ में कहा ...



पिंकी मुझे देख जोर से हंसी ...और अचानक उसने मेरी माथे पर चूम लिया ...



वो फिर से वहीँ ...मेरी पास आकर खड़ी हो गई ....



पिंकी: आप सच बहुत अच्छे हैं ....



मैं: एक बार सही से डिसाइड कर लो ....कि अच्छा हूँ या गन्दा हूँ ...हा हा 



वो भी हसने लगी ....मैंने हस्ते हुए ही उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपने पास किया ...और उसके चेहरे को झुका उसके माथे का एक चुम्बन ले लिया ...



उसने कोई विरोध नहीं किया ....



पिंकी: अब ये क्या है ..???????



मैं: जो तुमने किया ....मैं कुछ अपने पास नहीं रखता ...वल्कि सूद समेत वापस कर देता हूँ ...समझी ...

तुमने मेरी किस किया सो मैंने भी ....



जैसे कल कि बात याद है ना ...जब मैंने तुमको सुसु करते देखा था ...तो तुम्हारे सामने खुद भी दिखाया था ना .....



अब उसके चेहरे पर एक कातिल सी मुस्कान आ गई थी ...



वो कल की तरह ही खुलने लगी थी ....



कभी लगता था कि उसको पटाने में समय लगेगा ...और कभी ये लगता था कि वो तैयार है ...

बस साडी उठाओ और डाल दो लण्ड........



पर मैंने कोशिश जारी रखी ...



उसकी एक झिझक... मेरी बीवी जूली से भी हो सकती है ... 



तो उसको जूली के बारे में बताने के लिए मैंने खुद जूली को फोन करने की सोची ....



मैंने फोन उठाया ही था ....



कि रंजू भाभी का फोन फिर आ गया था ....



अब वो फिर से क्या बताने या दिखाने जा रही थी ....



...........
.........................
 
इस बार फिर फोन दो बार बजने के बाद अपने आप बंद हो गया ....
फोन रंजू भाभी का ही था ....
पता नहीं अब वो क्या बताने जा रही थी ..????
मैं अगर अकेला होता तो जरूर दोबारा फोन करके उनसे पूछता ...
पर इस समय तो मैं इस प्यारी पिंकी के साथ बिजी था ......

पिंकी की मस्त भरी जवानी मेरे केबिन में लहरा रही थी ....उसकी प्रिंटेड साडी इतनी झीनी थी ...कि अगर वो प्लेन होती…… तो मैं दावे से कह सकता हूँ….. कि उसके तराशे हुए बदन का हर कोण आसानी से नुमाया होता ....

मगर पिंकी के अंदर ख्वाइशें तो बहुत थीं…… पर उन पर उसकी शरम ने पर्दा डाला हुआ था .....
इसीलिए बो खुलकर कुछ भी करने से बहुत ज्यादा ही डर रही थी ....

मैं उसके बारे में और सब स्थिति के बारे में सोच-सोच कर बहुत रोमांचित हो रहा था .........

जूली अपने आप में बहुत ज्यादा मॉडर्न और ओपन लड़की थी ...उसने बचपन से को-एड में पढ़ाई की थी ..
और खुले कपडे पहने थे .....

वो जो कुछ भी कर रही थी केवल खुद की मस्ती और ख़ुशी के लिए ....इसके अलावा उसके मन में कुछ नहीं था ....
वो मेरे से बहुत प्यार करती थी ....और मेरे लिए कुछ भी कर सकती थी .....

अगर मैं उससे एक बार कह दूँ कि ये सब मुझे पसंद नहीं है ...तो वो १००% सब कुछ छोड़ देगी ....
उसको मेरी भी हर पसंद का बहुत ख्याल है ....

और सेक्स को केवल कुछ समय का मजा समझती है ...न कि प्यार की गहराई ....
प्यार दिल की गहराई से किया जाता है ...और सेक्स चूत की गहराई से ...इसका अंतर उसको अच्छी तरह से पता है ....
हाँ वो मेरे सामने चुदवाने से जरूर संकोच करती है ...पर मजे में उसको कोई आपत्ति नहीं है ....

पर शायद मैं उससे भी आगे हूँ या जूली को इसमें कोई आपत्ति नहीं कि मैं उसके सामने भी किसी को चोदूँ ...वल्कि चोद भी चुका हूँ ...हाँ थोड़ी बहुत झिझक जरूर होती है ....
उस झिझक को नशा जरूर दूर कर देता है ...ये मैंने अच्छी तरह जान लिया था .....

पिंकी एक प्योर हिंदुस्तानी संस्कृति से बंधी लड़की थी .....उसके लिए शादी मतलब ..एक आदमी के प्रति पूरा समर्पित रहना था ....वो इस दलदल से निकलना तो चाहती थी परन्तु उसके संस्कार गुलामी वाले थे ...
कि पति चाहे जितना जुल्म करे पर तुमको सहते रहना है ...

मुझे नहीं पता कि उसका पति कैसा है ...पर इतना अहसास हो गया था कि पिंकी उसको पसंद नहीं करती ...अब ये देखने वाली बात थी कि संस्कारो में बंधी लड़की ..अपनी नापसंद चीज को कितनी जल्दी और कितने हद तक दरकिनार करती है ......

पिंकी अपनी जंजीरों से बाहर आना चाहती थी ...पर खुद उन जंजीरों को खोलने को राजी नहीं थी ....

उसको अपने बदन पर परपुरुष का हाथ मजा तो देता था ...पर उसका दिल उसको गलत ही समझता था ...

मैं पिंकी के साथ कोई जोर जबरदस्ती करना नहीं चाहता था ...पर उसको इस खूबसूरत जिंदगी का कुछ अहसास कराना जरूर चाहता था ....

मेरे अंदर एक जिज्ञासा ये भी थी कि जूली को तो मैंने अच्छी तरह देख परख लिया था .... कि वो किस हद तक सेक्स को ले जा सकती है ....

..............

पर पिंकी जो शायद शादी से पहले ..मर्द के टच को भी नहीं पहचानती थी .... मैं पूरे पक्के तौर पर कह सकता हूँ कि वो सुहागरात के समय कुआंरी होगी ...और अपने पति के अलावा उसने कभी किसी से कुछ करना तो छोड़ो..किसी और के बारे में कुछ अलग सोचा भी नहीं होगा ....

अब ये देखना था कि अगर पिंकी अपनी दबी हुई इच्छाओं को बाहर निकालने में कामयाब हो जाती है...
तब वो कैसा महसूस करती है और किस हद तक अपनी इच्छाओं को पूरा करती है ....

जूली और पिंकी दोनों ही शादीसुदा थी ..पर दोनों में धरती आसमान का अंतर था ....
एक आज़ाद एवं खुले विचारों वाली थी और दूसरी संकीर्ण विचारों वाली ....

पिंकी के साथ सेक्स कि बातें करने में और उसका शरमा-शरमा कर जवाब देने में बहुत मजा आ रहा था .....

मैं समझ सकता था कि जीवन में पहले बार किसी परपुरुष का हाथ अपने नाजुक बदन पर महसूस करके उसको कितना आनंद आ रहा होगा ...

और उसने कैसा महसूस किया होगा कि एक दूसरे पुरुष ने उसकी उस नाजुक चूत को देखा है जिसे आज तक उसने बाहर की हवा भी ...अकेले या फिर उसके अपने पति के सामने ही पड़ने दी थी ...

केवल एक दिन की मस्ती ही ने उसको इतना खोल दिया था ...कि आज वो बिना कच्छी के आ गई थी ...

ये भी शायद पहली बार ही हुआ होगा ...जो उसने इतनी हिम्मत की थी ...
हो सकता है शायद यास्मीन ने ही उसको इसके लिए बोला हो ....

पर उसका शरमाना और सकुचाना मुझे बहुत भा रहा था ....

अपने चूतड़ों पर मेरा हाथ महसूस करके ही उसका चेहरा पूरा लाल हो गया था ....

और जब मैंने कच्छी के बारे में बात की ..तब तो उसका चेहरे के साथ-साथ उसका पूरा बदन ही सिमट रहा था ....

पिंकी शरम के मारे दोहरी हुई जा रही थी ....
लग ही नहीं रहा था कि उसने कभी लण्ड भी देखा हो या कभी चुदाई भी कराई हो ....

बिलकुल कुँवारी ..नाजुक कली कि तरह ही शरमा रही थी इस समय पिंकी ....

कल जो वो ज्यादा खुल गई थी या कुछ जयदा बोल्ड व्यबहार कर रही थी ...उसकी वजह शायद यास्मीन थी ....
एक लड़की ..दूसरी लड़की के सामने खुद को थोड़ा ताकतबर महसूस करती है ...और अधिक बोल्ड हो जाती है ....

मैंने सोचा शायद इसीलिए २ लड़के और १ लड़की या फिर २ लड़की और १ लड़का जैसे ३ सम में उन लोगों को ज्यादा मजा आता होगा ....

मन ही मन मुस्कुराते हुए मैं इस ट्रिक को भी आजमाने की सोचने लगा ....

पिंकी के साथ ऑफिस का काम निबटाने में बहुत ही मजा आ रहा था ....

अब हम काफी हद तक खुल गए थे ...मेरे मजाक करने और हमेशा खिलखिलाने से वो बहुत ज्यादा नार्मल हो गई थी ...

फिर मैं उसके सामने ही टॉयलेट के लिए गया ...

................

मैं: ऐ सुन……… कल का बदला पूरा हो गया है ...अब मैं सुसू करने जा रहा हूँ ..तो देखने की कोशिश नहीं करना ओके ....हा हा हा हा 

वो भी जोर से हंस पड़ी ....

मैं भी बेशर्मो की तरह दरवाजा बिना बंद किये मूतने लगा ....

मुझे लगा वो मुझे नहीं देखेगी ...

पर मेरा दिल ख़ुशी के मारे उछलने लगा जब मैंने उसको तिरछी नजर से अपनी ओर देखते हुए पाया ...

भले ही उसको मेरा लण्ड नहीं दिख रहा था ...पर खुले लण्ड का अहसास तो वो कर ही रही होगी....

इसका अहसास मुझे बाहर आते ही हो गया ...

पिंकी बड़ी कातिल नजरों से मुझे देख रही थी ...और उसके लाल रक्तमय होंठों पर हलकी मुस्कान भी थी ...

मेरे बाहर आते ही वो भी बाथरूम की ओर बड़ी ...

मैं: क्या हुआ ???? हा हा हा हा मुझे देखकर लग गई ..या पहले से रोकी हुई थी ...हा हा .....

पर पिंकी ने कोई जवाब नहीं दिया ..बस मुझे देखते हुए ही एक मुस्कुराहट दी ...वो भी कुछ गुस्से में ...प्यार वाला गुस्सा ....

उसके टॉयलेट जाने के बाद मैं कुछ काम करने लगा ...पर जैसे ही मैंने दरवाजे की ओर देखा ...मेरा माथा ठनका ...

अरे ये क्या ?????

पिंकी ने दरवाजा लॉक नहीं किया था ....
उसने दरवाजा केवल बंद कर दिया था ....पर लॉक नहीं किया था ...

मुझे दरवाजा बंद होने वाली जगह से एक हलकी सी झिर्री नजर आ गई ...
जहाँ से लाइट बाहर आ रही थी ....

अब मेरा दिल फिर से बेकाबू होने लगा ...की कुछ करूँ या नहीं ...

पर ऐसे तो मैं बेबकूफ कहलाऊंगा ...अब उसने मेरे यहाँ रहते ..अगर दरवाजा लॉक नहीं किया ...तो कुछ तो वो भी मस्ती के मूड में थी ..

क्युकि ऐसा तो बिलकुल नहीं लग रहा था कि वो दरवाजा खुद लॉक करना भूल गई होगी ....

अब चाहे जो हो मैंने कुछ तो शरारत करने का फैसला कर ही लिया था ... .

मैं जल्दी से दरवाजे के पास पहुंचा ...और मैंने दरवाजे पर हाथ मारते हुए ऐसे ही कहा ...

मैं: अरे पिंकी तुमने दरवाजा लॉक नहीं किया ....

................

वाओ आज तो कमाल हो गया ...

सामने पिंकी कमोड पर बैठी थी ...

मैंने बिलकुल सही समय पर ही दरवाजा खोला था ...

वो शायद अभी अभी ही सुसू करने बैठी थी ....और उसने करना शुरू कर दिया था ....
क्युकि उसके मूतने की आवाज आ रही थी ...

अब ना तो वो उठ सकती थी ...और ना ही कुछ कर सकती थी ...

उसकी साडी कमर तक सिमटी थी जो उसने अपने हाथों से पकड़ी हुई थी ...

और उसकी गोरी गोरी सफ़ेद टांगें ..जो पूरी चिकनी थीं ....नंगी दिख रही थी ...

दरवाजे से उसकी चूत या फिर उससे निकलता मूत तो नहीं दिख रहा था ...परन्तु उसके नंगेपन का पता चल रहा था ....

वो भौचक्की सी मुझे देख रही थी ......

मैं उसको मूतते हुए देख कर हंस रहा था .....

जब उसका पूरा हो गया ...तब उसको कुछ होश आया ..

और …………

…………..

 
मेरे अपने ऑफिस का बाथरूम मेरे लिए वरदान साबित हो रहा था ....

मेरे स्टाफ की लड़कियां ज्यादातर उसी को यूज़ करती थीं ...

उनका बार-बार उसमें सुसू जाना, खुद को व्यवस्थित करने के लिए या कभी कभी सैनिटरी पेड़ बदलने के लिए वो उसको यूज़ करती रहती थीं ...

मैं सोच रहा था कि यार क्यों ना अपने बाथरूम में कैमरा लगवा लूँ ....

और अपना पूरा स्टाफ बदलकर प्यारी प्यारी लड़कियों का ही कर लूँ .....

खैर ये सब संभव नहीं था ....पर सोचकर बहुत अच्छा लग रहा था ........

फिलहाल मेरा ध्यान इस देसी कुड़ी ....पिंकी की ओर ही था ....बहुत ही मस्त है साली ....

देखने को भी मना करती है और दरवाजा भी खुला रख .....मेरे बाथरूम में नंगी हो बैठ जाती है .... 

इतने प्यारे पोज़ में उसको बैठे देख मैं ये सोच रहा था ....कि काश ये इंडियन शीट होती तो मजा आ जाता ...

इसकी मख्खन जैसी चूत के दोनों खुले होंट दिख जाते .....

मेरा लण्ड इतना बैचेन हो गया था ....कि उसमे दर्द होने लगा था ..........

मैं उसको ..अपनी साडी कमर तक उठाये ...अपने दोनों हाथों से पकडे ......उसकी चिकनी सफ़ेद टांगों को घूरता हुआ खड़ा ही था .....
कि ...............

उसने मुझे जाने का इशारा किया ...

मैं भी शराफत से एक ओर को हो गया ...मैंने दरवाजा बंद नहीं किया ...

और उसकी नजर से तो कुछ बच गया ...पर अपनी नजर उसी पर रखी ... 

हाँ पीछे जरूर हट गया ...

उसने भी मेरे से नजर हटाई ...और खड़े होकर एक दम से अपनी साडी को हाथों से छोड़ दिया ...

बस एक पल के लिए ही मुझे उसकी चूत के दर्शन हुए ...

उसने बिना मेरी ओर देखे सिस्टन चलाया और हाथ धोकर बाहर आ गई ...

वो बहुत हल्का सा ही मुझ पर नाराज हुई ...

पिंकी: ये क्या करते हो सर….. आप ..???
मुझे बहुत शरम आती है ...

मैं: अरे यार तुम भी ना ...मैं तो केवल दरवाजा बंद करने को ही कह रहा था ...हा हा ....और फिर क्या हो गया ...
अभी तो हम दोस्त हो गए ना ,,,,

...............

पिंकी ने कुछ नहीं कहा ...जैसे उसने ये सब स्वीकार कर लिया हो ...

मैंने बहुत ही प्यार से पिंकी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा ...

मैं: तुम भी ना यार इतना ज्यादा शरमाती हो ...अरे यार ये सब तो नार्मल है ...इसमें एन्जॉय करना चाहिए ...

उसने अपनी पलकें झुकाकर अपनी स्वीकृति दी ...

तभी मैंने एक दम से चौंकते हुए ही कहा ...

मैं: अरे पिंकी ये क्या ????तुमने मूतने के बाद अपनी बुर साफ़ नहीं की ...

मैंने जान बूझकर ही चूत शब्द का प्रयोग नहीं किया ...

क्युकि मुझे पता था कि उसको अच्छा नहीं लगेगा ...

बुर शब्द सेक्सी भी था ..और प्यारा भी लगता है ...

उसने अपनी आँखों को हल्का सा सिकोड़ा ...और कुछ भौचक्की आँखों से मुझे देखा ...

पर मेरी बात का आशय समझते ही उसका चेहरा ..एक बार फिर पूरा लाल हो गया ....

मैं: अरे यार ...अब इसमें क्या शरमाना... ये तो नार्मल बात ही है ....क्या तुम अपनी बुर गन्दी ही रखती हो ...मूतने के बाद तो साफ़ करना चाइये ना ...

पिंकी: जी नहीं ..मैं हमेशा पानी से साफ़ करती हूँ ...

मैं: अच्छा तो आज क्यों नहीं की ....एक तो कच्छी नहीं पहनी ...ऊपर से मूतने के बाद बुर साफ़ भी नहीं की ....

पिंकी को अब मेरी बातों में रस आने लगा था ...उसने ना तो अपना हाथ ही मेरे हाथों से छुड़ाया ...और ना ही कुछ विरोध कर रही थी ....

पिंकी: जी केवल आपकी वजह से ....कैसे दरवाजा खोल दिया था ....हम्म्म्म 

मैं अब जोर से हंसा ....

मैं: हा हा हा हा ...तो इसमें भी मेरे पर ही इल्जाम ...
चलो कोई बात नहीं ....इसका हर्जाना भी भर देते हैं ...

मैंने मेज पर सामने रखा नेपकिन पेपर उठाते हुए कहा ...

मैं: लाओ जी मैं अपने हाथ से साफ़ कर देता हूँ ....

पिंकी: हाय राम....क्या कह रहे हैं आप सर ...इस पेपर से .....आप ....

मैंने उसकी बात पूरी नहीं होने दी ....

मैं: अच्छा पेपर से नहीं ....तो फिर ....क्या जीभ से करूँ ????
और मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल ...जीभ की लम्बी नोक हिलाकर उसको दिखाया ...

..................

मैंने साफ़ महसूस किया उसके हाथ जो मेरे हाथ में ही था ....उसमे जोर सा कम्पन हुआ ...
उसने एक जोरदार झुरझुरी ली थी ...

इसका मतलब मेरी बातों का असर हो रहा था ...पिंकी भी सेक्स की गर्मी महसूस कर रही थी ...और उसको बहुत मजा आ रहा था ....

उसने अजीब सी आँखों से मुझे देखा ...

मैंने जीभ को लहराते हुए ही कहा ...

मैं: अरे हाँ डिअर ...यास्मीन की भी मैं जीभ से ही साफ़ करता हूँ ...उसको ये बहुत पसंद है ....और मुझे भी इसका टेस्ट बहुत अच्छा लगता है ....
यास्मीन तो हमेशा मूतने के बाद अपनी बुर मुझी से साफ़ करवाती है ...

पिंकी अब कुछ मना नहीं कर रही थी ...उसने अपना हाथ अभी तक मेरे हाथ में पकड़ा रखा था ...
वल्कि अब तो मैं उसकी पकड़ अपने हाथ पर महसूस कर रहा था .....

पिंकी: तो क्या यास्मीन आपने सामने नंगी लेट जाती है ....

मैं: ओह ....तो इसमें क्या हुआ ...??? और क्या मैंने अभी तुमको नंगा नहीं देखा ....
अरे मेरी जान इसमें क्या तुम्हारी बुर काली हो गई ...या मेरी आँखे ख़राब हो गई ...
जब दोनों को अच्छा लगा तो इसमें बुराई क्या है ...??
बताओ .....

उसने कोई जवाब भी नहीं दिया ...पर कुछ कर भी नहीं रही थी ...

मैंने ही उसके हाथ को पकड़ अपनी मेज पर झुका दिया ....

उसने कुछ नहीं कहा ...

मैं: बताओ ना जान ...क्या तुम्हारी इजाजत है ...
क्या मैं तुम्हारी प्यारी ...राजदुलारी ..बुर को प्यार से साफ़ कर सकता हूँ ....

पिंकी बैचेनी भरी नजरों से मुझे देखे जा रही थी ...

मैंने भी उसकी साडी उठाने की कोई जल्दी नहीं की ...

पिंकी की लाल आँखे बता रही थीं ..की वो वासना के कारण ..जल रही है .....
उसका शरीर उसके मन के विचारों से बगावत कर रहा है ......
वो बुरी तरह काँप रही थी ...........

मैं अगर इस समय उसको चोदना चाहता तो वो बिलकुल भी मना नहीं करती ....

पर बाद में उसको ग्लानि हो सकती थी ....इसीलिए मैं उसके साथ सेक्स नहीं वल्कि उसके विचारों को बदलना चाहता था .....

पिंकी मेरी ऑफिस की मेज पर अधलेटी मेरे बाहों में बंधी थी .... 

मेरा एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे और दूसरा उसके पेट पर रखा था ........

पेट वाले हाथ से मैं हलके हलके गुदगुदी कर रहा था ...जिससे उसकी साडी सिमट गई थी ...
अब मेरा हाथ उसके नंगे पेट पर रखा था ....
मैं बहुत धीरे धीरे उस हाथ को उसके पेट और वेळी पर फिसला रहा था .....

पिंकी की साँसे बहुत तेज-तेज चल रही थी ....
उसकी छातियाँ तेजी से ऊपर नीचे हो रही थीं ....

मैं अपना चेहरा उसके पास ले गया और में उसके गालों से अपने होंठों को चिपका दिया ...

और अचानक उसने अपनी गर्दन को मेरी ओर घुमाया ...यही वो क्षण थे जब उसके लाल...कांपते हुए लबों से मेरे होंठ जुड़ गए ....

शायद उसके बदन की जरुरत ने उसके संकीर्ण विचारों पर फुल स्टॉप लगा दिया था ...
और वो भी हर क्षण की मस्ती में डूब जाना चाहती थी ...अब वो हर पल का पूरा लुफ्त उठाना चाहती थी ...

मैंने १० मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा ...इस बीच हम दोनों की जीभ ने भी पूरी कुस्ती लड़ी ...

मैं लगातार उसके पेट को सहलाते हुए ...अपना हाथ साडी के ऊपर से ही उसके बेशकीमती खजाने ...पिंकी की चूत के ऊपर ले गया .....
और साडी के ऊपर से उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया ...

बिलकुल ऐसा लगा जैसे नंगी चूत ही हाथ में आ गई हो ...
पिंकी की साडी और पेटीकोट इतने पतले थे ..कि नंगी चूत का अहसास हो रहा था ....
ऊपर से उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी ....

मैं मस्ती के साथ उसकी चूत को मसलने लगा ...

अब पिंकी के मुहं से मजेदार सिस्कारियां निकलने लगी ...

पिंकी: अह्ह्हाआआआ पुच अह्हाआआआ पुच ...... अह्ह्हाआआआ पुच अह्हाआआआ पुच ...... अह्ह्हाआआआ पुच अह्हाआआआ पुच ...... अह्ह्हाआआआ पुच अह्हाआआआ पुच ...... अह्ह्हाआआआ पुच अह्हाआआआ पुच ...... अह्ह्हाआआआ पुच अह्हाआआआ पुच ......

अब मुझे लगने लगा था कि पिंकी अपनी चूत को दिखाने के लिए मना नहीं करेगी ...
अब वो अपनी चूत को नंगा करने को तैयार हो जाएगी ...

मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए ही कहा ...

मैं: हाँ तो अब क्या सोचती हो जानेमन ....???
अब तो अपनी बुर को साफ़ कराने को तैयार हो ....
अगर महारानी जी कि इजाजत हो तो इस परदे को हटाऊँ....

मैंने पिंकी की साडी को पकड़ते हुए पूछा ...

और..................

.................
...............................

 
पिंकी की पिंक ...गुलाबी चूत को इतने नजदीक से देखने के लिए मैं मर रहा था .....

उसकी कोमल चूत को देखने और छूने का समय आ गया था ....

पिंकी अब मेरी किसी भी हरकत का खुलकर विरोध नहीं कर रही थी ....

जो भी थोड़ा बहुत ना नुकुर या फिर इधर उधर वो कर रही थी ...वो उसकी नारी सुलभ लज़्ज़ा थी ...या फिर पहली बार किसी बाहरी पुरुष के इतने नजदीक जाने का अहसास ....

लेकिन ये पक्का था कि ये सब छेड़खानी उसको बहुत ज्यादा भा रही थी ....

और उसकी महकती हुई ...मचलती हुई जवानी मेरी बाहों में थी ....और मुझे ज़माने भर का सुख दे रही थी ...

उसकी पतली साडी के ऊपर से ..मैंने पिंकी कि चूची, चूत और गांड को खूब मसल लिया था ....
अब बारी इन सभी अंगों को नंगा करने की थी ....

जिसकी शुरुआत मैंने कर दी थी ....

मैंने साडी खोलने की वजाए ..पहले उसकी साडी को उठाकर उसके बेशकीमती खजाने ...पिंकी की कोमल सी बुर को नंगा करने की सोची ....

एक बार उसकी बुर अच्छी तरह गरम हो जाए ...और कामरस से भर जाए ....वो खुद साड़ी ..पेटीकोट उतार फेंकेगी ....और मेरा लण्ड अपनी चूत में घुसा लेगी ...

मैंने बहुत अरमानो के साथ ही उसकी साडी का निचला सिरा पकड़ लिया .....

और बोला ....

मैं:लाओ जानेमन ...अब तो इज़ाज़त दे दो ....तुम्हारी बुर को अच्छी तरह साफ़ करने की ....

पिंकी: अरे तो अभी तक आप क्या कर रहे थे ..???
मैं तो समझी आप मेरी साफ़ ही कर रहे हैं ... 

मैं: अरे ये भी कोई साफ करना होता है ...एक बार वैसे साफ करवा कर देखो ...फिर तो हर बार मुझे ही याद करोगी ....
मैंने फिर से अपनी जीभ की नोंक को हिलाकर सेक्सी इशारा किया ...(कि कैसे अपनी जीभ से तेरी चूत को कुरेद-कुरेद कर साफ़ करूँगा)

पिंकी के चेहरे पर अब ना बुझने वाली मुस्कान ...सेक्सी मुस्कान ...लगातार झलक रही थी ...

पिंकी: अच्छा तो चलिए उसे भी देख लेते हैं ....

मैं पिंकी की साडी को नीचे से पकड़ ऊपर उठाने लगा ...

मेरे दिल की धड़कने लगातार बढ़ रही थी ....

उसकी साडी अभी घुटने के ऊपर ही आई थी कि ..पिंकी ने कहा ....

...................

पिंकी: ओह ....सुनिए सर ...सोफे पर चलें ...यहाँ ये चुभ रहा है .....

मैंने तुरंत अपने लण्ड की ओर देखा……. जो उसकी जांघ से चिपका था ....

मगर बो मेज से नीचे उतर अपने चूतड़ों को सहला रही थी ...

ओह मतलब मेज पर कुछ चुभ रहा था .....उसका आशय मेरे लण्ड से नहीं था .....

मैंने भी हँसते हुए उसके चूतड़ों को सहलाया ....

मैं:कहाँ जान ?????
मैं तो कुछ ओर समझा ...?????

वो भी मेरे लण्ड की ओर देखते हुए ..मुस्कुराती हुई सोफे पर चली गई ......

सोफ़ा बहुत अच्छी जगह था ....
ये सीसे वाली वाल से लगा था .....

सोफे के पीछे वाला परदा हटते ही ..सीसे से बाहर वाले कमरे में ..पूरा स्टाफ काम करते हुए नजर आने लगता था .....
जिसका मजा में हमेशा यास्मीन को चोदते हुए लेता था .....

पिंकी बड़े आराम से सोफे पर अधलेटी हो गई ....

मैं उसके पैरों के पास बैठ गया ....

मैं धीरे से उसकी साडी ऊपर उठाने लगा ....

पिंकी ने अपनी आँखे बंद कर ली थीं ....

वो आने वाले सुख का पूरा मजा लेना चाहती थी ....

इसी का फ़ायदा उठाते हुए मैंने सीसे पर से परदा हटा दिया ....

और सभी स्टाफ मुझे दिखने लगा .....

अब ऐसा लग रहा था जैसे में कहीं भीड़भाड़ ...या पब्लिक प्लेस में हूँ ....और ये सब मस्ती कर रहा हूँ ...

पिंकी की शरम अभी भी पूरी तरह नहीं हटी थी ....

उसने अपनी टाँगे ढीली नहीं छोड़ी थीं ...वल्कि कसकर मुझे साडी नहीं उठाने दे रही थी .....

पिंकी: प्लीज ऐसे ही कर दीजिये न साफ़ .....मुझे बहुत शरम आ रही है .....

उसके नखरे देख मुझे बहुत मजा आ रहा था .....

मैंने पिंकी को चूमते हुए सोफे पर सही से लिटा दिया ...
उसके साडी का पल्लू हटाकर उसके चेहरे पर डाल दिया ...

..................

पिंकी: देखिये सर मुझे बहुत शरम आ रही है ...केवल एक बार ही ...जल्दी से साफ़ कर देना ....फिर मैं उठ जाउंगी ....एक दो बार से ज्यादा मैं नहीं कराऊंगी ...पक्का ...

मैं: हा हा हा हा ...अरे मैं कौन सा घंटे ललगाउंगा ..बस गीलापन साफ़ करूँगा ...कसम से .....हा हा 

पहले उसकी शरम को कुछ दूर करना जरुरी था ....

मैं सोफे के नीचे अपने घुटनो पर बैठ गया ...मैंने अपने होंठ पिंकी की नाभि के ऊपर रख दिए ...और जीभ से चाटने लगा ...

अब पिंकी मचलने लगी ....मैंने एक हाथ उसके घुटनो पर रख ...उसकी साडी को पकड़ लिया ....

पिंकी के मचलने से और मेरे प्रयास से उसकी साडी ऊपर होने लगी ....
कुछ ही क्षणों में साडी जाँघों तक आ गई ...

मैं पिंकी के पेट को चूमते हुए ही नीचे उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा ...
साथ ही साथ साडी ..पेटीकोट के साथ ऊपर ..उसकी कमर तक भी लाने का कार्य जारी था ....

और जल्दी ही साडी कमर तक पहुँच गई ....

मैं भी घूमकर अब उसकी टांगों के बीच आ गया .....

वाओ.... कितनी चिकनी और सफ़ेद टांगें थी पिंकी की ....बिलकुल केले के तने जैसी ...तरासी हुई टांगों को देखकर ही मेरा डिल बाग़ बाग़ हो गया ....

मैंने उसके पैरों को सहलाते हुए ....अपना पूरा चेहरा वहां रख दिया ....
उसके पैरों को सहलाते हुए मैं ऊपर को बढ़ने लगा ...

पिंकी बहुत कसमसा रही थी ...पर जैसे ही मैं उसकी जांघो तक पहुंचा ..उसने खुद ही अपनी टांगों के बीच गैप बना दिया ....

अब मैंने उसकी दोनों टांगों को घुटने से हल्का सा मोड़ते हुए ....उसकी जाँघों के अंदर वाले भाग को चूमते हुए ....दोनों को इतना फैला दिया कि मेरा सर ..सरलता से वहां आ गया ....

अब मैं पिंकी की चूत के बिलकुल नजदीक पहुँच गया था ....
इतनी सब क्रिया के बाद ...मैंने पहली बार पिंकी की गुलाबी चूत को देखा .....

कसम से मेरे लण्ड ने हल्का सा पानी छोड़ दिया ...क्या चूत थी ...गुलाबी तो थी ही ...और इस समय उसके सफ़ेद रस से भरी हुई ....

उसकी चूत का पानी उसके चूत के छेद और बाहर भी निकल कर चारों ओर फ़ैल गया था ....
वो चमक रहा था ..जिससे चूत की ख़ूबसूरती कई गुना बढ़ गई थी ...

....................

मैंने अपनी नाक ठीक उसके चूत के छेद पर रख उसकी मदमस्त खुसबू ली ...

मेरी सांस जैसे ही वहां पड़ी ...

पिंकी ने एक जोर की सिसकारी ली ....

पिंकी: अह्ह्ह्हाआआआआआ आह्हआआआआआआआआअ ओह ......

उसकी साडी तो शायद पूरी खुल ही गई थी ...और पेटीकोट के साथ उसके कमर से भी ऊपर ..उसके पेट तक फैली थी ....

पैरों के तलुए से लेकर ..पेट तक ..जहाँ पिंकी ने अपने पेटीकोट का नारा बाँधा था ...वहां तक पूरी नंगी वो मेरे सामने लेती थी ...

उसके पैरों में घुँघरू वाली पायल ..लगातार बज रही थी ..जो बहुत खूबसूरत लग रही थी ...

अपने दोनों पैरों को थोड़ा सा उठाकर ..घुटनो तक मोड़े हुए ...
उसके चूतड़ों की गोलाई ...चूतड़ों के बीच सुरमई छेद ....और गुलाबी दरार ....उसके ऊपर ..गुलाबी पफ्फ़ी ..गुदगुदे ..हलके से उभरे हुए ...पर आपस में चिपके हुए ..उसकी चूत की ख़ूबसूरती के हर कौण को अच्छी तरह दिखा रहे थे ...

उसकी चूत को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि ये अभी तक चुदी भी है ...उसको देखकर तो लग रहा था जैसे उसमे कभी ऊँगली तक नहीं गई ....

मैंने पिंकी की ख़ूबसूरती अच्छी तरह निहारने के बाद उससे खेलना शुरू कर दिया ....

मेरी जीभ पिंकी की चूत के हर ओर घूमने लगी ...

पिंकी के मुहं से अब लगातार सिस्कारियां निकल रही थी ....

पिंकी: आःह्हाआआआआआ उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ओह अह्ह्ह हाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आःह्हाआआ नहीईइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइइ आह्हआआआअ 

मेरे ऑफिस में एक अलग ही माहोल बन गया था ....

....................

मैंने उसकी चूत को अब अपने हाथों से हल्का सा खोला ....बहुत चिपचिपा हो रहा था ...

सायद बहुत समय के बाद उसकी चूत को ये अहसास मिल रहा था ...या शायद पहली बार ....

उसकी चूत बहुत ज्यादा ही पानी छोड़ रही थी ....इतना पानी तो अनु की चूत से भी नहीं निकला था ...

मुझे उसकी खुसबू बहुत भा रही थी ...मेरी जीभ लगातार उसकी चूत के चारों ओर ...अंदर तक अठखेलियां कर रही थी ...

अब पिंकी ने अपने चूतड़ों को ऊपर की ओर उछालना भी शुरू कर दिया था ....

उसको बाकई बहुत आनंद आ रहा था ....

वो मजे के सागर में गोते लगा रही थी ....

मैं चूत से लेकर गांड तक ..सब कुछ चाट रहा था ....

जो पिंकी केवल १-२ बार में साफ़ करने की बात कर रही थी ...
वो अब सिस्कारियों के साथ-साथ चटवाने में सहयोग भी कर रही थी ...

वो खुद अपनी चूत मेरे मुहं से चिपकाये जा रही थी ...

मुझे १५ मिनट से भी ज्यादा हो गए थे ...मेरे होंठ दर्द करने लगे थे ....

मगर पिंकी १ बार भी मना नहीं कर रही थी ...

उसने शायद दो बार अपना पानी भी छोड़ दिया था ...

क्युकि उसकी चूत ..पानी से लबालब हो गई थी ...

मैं उसके सरे पानी को चाट चाट कर फिर से साफ़ कर देता था ....

फिर मुझे ही उससे बोलना पड़ा ...क्या हुआ मेरी जान ....अभी और साफ़ करू .....

इस समय मैं चाहता तो उसको आसानी से चोद सकता था ...
वो इस कदर गरम हो गई थी ...कि बड़े से बड़े लण्ड को भी मना नहीं करती ...

पर मैं उसको ऐसे नहीं वल्कि उसके अपने दिल से ये सब करना चाहता था ....

जब वो खुद पहले से चुदाई के लिए राजी होगी ...तभी मैं चोदना चाहता था ....

वरना उसको बहुत हर्ट होता ...जो मैं नहीं चाहता था ...

मैंने उसको वैसे ही छोड दिया ...

वो कुछ देर तक वैसे ही लेटी रही ....नीचे से नंगी लेटी वो बहुत सेक्सी लग रही थी ...

उसने अपनी साडी से चूत तक को नहीं ढका ...मतलब वो बहुत कुछ चाहती थी ...पर खुद नहीं कह पा रही थी ...

भले ही वो इस समय मुझे गाली दे रही होगी ...परन्तु जब उसकी खुमारी उतरेगी ..वो मुझसे प्यार करने लगेगी ...
मुझे इस बात की पूरी गारंटी थी ....

अब मैं उसके उठने और कपडे सही करने का इन्तजार कर रहा था ....
मैं देखना चाहता था कि वो ऑफिस के स्टाफ को देख कैसा रियेक्ट करती है ....

मैं दराज से सिगरेट निकाल ...जलाई ...और आराम से पीते हुए उसको देख रहा था ........

........
........................ 

 
अपने ऑफिस में ...अपनी रिवॉल्विंग चेयर पर आराम मुंद्रा में बैठा ....सिगरेट के कश लगाता हुआ ...मैं मस्ती के पलों को जी रहा था .....


सामने सीसे पर पड़ा हुआ परदा पूरा हटा हुआ था ...
जहाँ मेरा स्टाफ पूरी लगन के साथ अपने-अपने काम में बिजी था ........
वहां काफी चहल पहल थी ........

और सीसे के ठीक बराबर में जो सोफ़ा पड़ा था ..वहां पिंकी मस्ती में नहाईं हुई ..अपने रस में डूबे अंगों को लिए लेटी हुई थी ....

मैं उसके अंगों को बड़े आराम से देख रहा था .....

जब भी वो हिलती ...अपने पैरों को ऊपर नीचे करती या फिर घूम जाती ....
वाह क्या दिलकश नजारा था ....

उसके जांघो के जोड़ और योवन से लदे हुए पिंकी के चूतड़ बार-बार मेरे लण्ड को आमंत्रण दे रहे थे ...

सिगरेट से कहीं ज्यादा नशा उसके अंगों को देखकर चढ़ रहा था ...

ये मेरा दिल ही जानता है की मैंने कैसे खुद को रोका हुआ था ....

अगर कुछ देर और पिंकी ऐसे ही रहती तो शायद मैं खुद को नहीं रोक पाता ...

पर पिंकी की शरम फिर से वापस आ गई ..

और वो सोफे से उठकर ..जल्दी से खुद को व्यवस्थित करने लगी ...

उसकी साड़ी तो पहले से ही अस्त-व्यस्त थी ...
अतः उसने उठते हुए साडी को अपने वदन से हटा दिया ...

वो केवल पेटीकोट और ब्लाउज में बहुत सेक्सी लग रही थी ....

पिंकी का पेटीकोट बहुत ही झीने कपडे का था ...कपडे से उसकी टाँगें और सभी कुछ दिख रहा था ...

ये सब बहुत ही सेक्सी लग रहा था ....

उसने मेरी ओर देखे बिना ही ...अपने पेटीकोट के नाड़े को सीधा करके बाहर निकाला ...
शायद उसको अपना पेटीकोट सही करना था .....

मैं बिना पलक झपकाये उसको देख रहा था ...

उसने पेटीकोट के नाड़े को खीच कर खोला ... पेटीकोट पहले ही .नाभि से काफी नीचे बंधा था ...
नाड़ा खुलने से वो नाभि के पास से कुछ ओर नीचे खिसक गया ...

मुझे उसकी चूत का ऊपरी हिस्सा तक दिख गया था ...

मेरे मुहं से अह्ह्हाआआ निकल गई ....

.....................

पिंकी ने पेटीकोट पकडे पकडे ही नजर उठाकर मुझे देखा .....

और वो बला का शरमा गई ...........

पिंकी मुझे देखकर वैसे ही शरमाकर मेरी ओर पीठ कर लेती है ....उसके घूमने से अब उसका मुहं ठीक सीसे की ओर हो जाता है ...

पहली बार वो उस सीसे से सबको देखती है ...दो जने ठीक सीसे के सामने खड़े बात कर रहे थे ....

बस यही वो क्षण था ....उसने जैसे ही सीसे से सबको देखा और ....

स्वाभिकता पूर्ण उसके मुख से एक जोरदार चीख निकली.......... और उसके दोनों हाथ उसके चेहरे पर आँखों को ढकने के लिए उठे ....

पेटीकोट उसके हाथ से छूट गया .....जिसने नीचे जमीन चूमने में एक क्षण भी नहीं लगाया ..

अब पिंकी कमर के नीचे पूरी नंगी थी ....

लेकिन फिर भी उसके नंगे चूतड़ों का दृश्य की मुझे बस जरा सी झलक ही मिली ...

क्युकि पिंकी वहां से दौड़ कर तुरंत मेरे सीने से लग गई ....

शायद अपनी शरम को छिपाने का नारी को यही सबसे सुलभ उपाए लगता है ....

मैंने हसते हुए अपनी सिगरेट बुझाई ..उसको डस्टबिन में डालने के बाद उसकी पीठ पर हाथ रख उसको खुद से चिपका लिया ....

मैं: क्या हुआ जानेमन ?????

उसने कुछ नहीं कहा ...बस तेज तेज सांस लेते हुए उसने अपने एक हाथ से सीसे की ओर इशारा किया ...

मैं खुद कुर्सी के खड़ा हुआ ...और उसको भी उठाकर खड़ा किया ...

वो अभी भी मेरे सीने से चिपकी थी ....

उसकी पीठ पर रखे ... अपने हाथ को सरकाकर मैं उसके चूतड़ों पर ले गया ....और नंगे चूतड़ की एक गोलाई को मसलते हुए ही ....उससे कुछ मस्ती करने के लिए मैंने कहा ......

मैं:हा हा हा तो क्या जानेमन ...पेटीकोट भी निकालकर उनको ये सब क्यों दिखा रही हो ....

मैंने उसकी चूतड़ों की दरार में ऊँगली फिराते हुए ...ऊँगली उसकी चूत तक ले गया .....

उसने एक जोरकी सिसकारी ली ....

पिंकी: अह्ह्हाआआ क्या करते हो सर आप ....???? प्लीज वो परदा बंद करो ना ...और ये आपने ही खोला होगा .....

....................

मैं: अरे घबराओ मत मेरी जान ....ये तो बस मनोरंजन ही है ....ये "वन साइड व्यू ग्लास" है .....हम तो बाहर देख सकते है ...
मगर उधर से कुछ नहीं दिखेगा ....

अब शायद उसको समझ आ गया था ....

क्युकि उसने भी उधर खड़े होकर कई बार अपने बाल सही किये थे ...

उधर से किसी को भी खुद का अपना अक्स ही नजर आता है .....

ये सब जानने के बाद भी वो मेरे सीने से लगी रही ....

मेरा हाथ कभी उसके नंगे चूतड़ों के सम्पूर्ण भाग को सहलाता ....
कभी उसके चूतड़ों की दरार तो कभी उसके गुदाद्वार को कुरेदता ...
तो कभी मैं चूतड़ों के नीचे उसकी चूत को भी सहला देता ....

उसने एक बार भी मेरे हाथ को ना तो हटाने की कोई कोशिश की और ना ही हल्का सा भी विरोध किया ...

मेरा लण्ड आगे से उसकी नंगी चूत को छू रहा था ...
पर वो अभी भी पेंट के अंदर ही था ...

मेरा दिल कह रहा था ..कि यार लौंडिया पूरी गरम है ...निकल लण्ड और डाल दे चूत में ....

मगर दिमाग अभी उसको बहुत आराम से चोदने के मूड में था ...वो कोई भी जल्दबाजी करने की इजाजत नहीं दे रहा था ....

मैंने ही पिंकी को थोड़ा सा अपने से अलग करते हुए कहा ...

मैं: मेरी जान ....उधर सबको देखते हुए आराम से कपडे पहनो ..फिर देखो कितना मजा आता है ....
हा हा हा हा हा ह 

पिंकी ने उउउह्ह्ह्हूऊउ करते हुए ...अपने कपडे उठाये ...ओर दूसरी तरफ जाकर अपना पेटीकोट और साडी पहनी .....

फिर करीब १ घंटे तक तो वो बड़ी ही ऑफ मूड रही ...मगर बाद में उसकी समझ में आ गया ...और उसकी आँखों में एक अलग ही प्यार मुझे अपने लिए नजर आया ...

कुछ देर तक तो मैं अपनी थकन उतारता रहा और कुछ ऑफिस का काम किया ...

२-3 बार यास्मीन को भी कॉल किया मगर फिर नहीं लगा ...लगता था उसको चार्ज करने का समय नहीं मिला था ....

पर पहली बार ऐसा हुआ था कि उसने किसी और के फोन से भी मुझे कॉल करके नहीं बताया था ....शायद किसी जरुरी कार्य में ही फंस गई थी ...

हे गॉड उसके साथ सब कुछ सही हो ...

फिर कुछ फ्री होने के बाद मैंने जूली को फोन करने कि सोची ...

मगर तभी रंजू भाभी की कॉल आ गई ...

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फिर कुछ फ्री होने के बाद मैंने जूली को फोन करने कि सोची ...

मगर तभी रंजू भाभी की कॉल आ गई ...

मैं सोच ही रहा था कि वो जरूर मुझसे नाराज होंगी कि मैंने दोबारा उनको कॉल क्यों नहीं किया ...
पर उधर से कोई.वैसी आवाज तो नहीं आई ...उन्होंने कुछ नहीं कहा .....

मैं अभी हेलो कहने ही वाला था ……….कि मुझे लगा जैसे वहां कोई बात कर रहा हो ......
ये तो सरप्राइज़ था ...

अरे ये भाभी तो मेरे ही फ्लैट में थी ...

और जूली भी स्कूल से वापस आ गई थी ....

वो दोनों आपस में बात कर रही थी ....

और रंजू भाभी ने शायद ये सोचा होगा कि ये बातें मुझे भी सुना दें ...

ग्रेट रंजू भाभी .....

रंजू भाभी के इस कमाल का मैं कायल हो गया था ...उन्होंने कमाल कर दिया था ....जो मजा मुझे इस समय मिल रहा था....इसका सारा क्षेय केवल और केवल रंजू भाभी को जाता है ....

अब बस इतना देखना था कि ...क्या रंजू भाभी अपने कमाल से जूली से उसके सेक्सी राज निकाल पाएंगी या नहीं .....

और वो दोनों आपस में बात कर रही थी ...

मैं ध्यान से दोनों की बात सुनने लगा .....

रंजू भाभी : अरे कुछ तो शरम कर लिया कर ...जब देखो बेशर्मो की तरह नंगी खड़ी हो जाती है ....

जूली : हा हा हा क्या भाभी ..आप भी ना ... अब आप से क्या शरमाना ...?? मेरे पास ऐसा क्या है जो आपके पास नहीं है ....

रंजू भाभी : हा हा हा वो तो सही है ...फिर भी ...एक तो तेरे अंकल भी ना ...जब देखो तब ...एक दम से आ धमकते हैं ....
उनसे तो शरम कर लिया कर ....

मैं उनकी बात सुन ही रहा था ...की पिंकी फिर से मेरे केबिन में आ गई ....

वो कुछ बोलने वाली ही थी ...कि मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया ....

और फोन स्पीकर पर कर लिया ....
थैंक्स गॉड ...उसको समझ आ गया ...उसने कोई अन्य प्रशन नहीं किया ....

अब वो भी ध्यान से उन बातों को सुनने लगी ....

उसके माथे पर हलकी शिकन जरूर थी ...

.....................

पर अभी उसने कोई प्र्शन पूछना व्यर्थ समझा ...यह उसकी समझदारी थी ...

आगे ...........

जूली : अरे तो उनसे क्या शरमाना भाभी ....बेचारे कितनी हेल्प करते हैं मेरी ....हा हा हा हा ...फिर थोड़ा बहुत इनाम तो उनको भी मिलना चाहिए ना ...

रंजू भाभी : हाँ तुझे ऐसे नंगा देखने के बाद ...पता है मुझे कितना परेशान करते हैं ...

जूली : हाय ...सच भाभी ....फिर तो आपको मेरा अहसान मानना चाहिए ...हा हा हा हा ...मेरे कारण आपको कितना मजा आता होगा ....

रंजू भाभी : हाँ हाँ मुझे सब पता है ...मेरे मजे के चक्कर में तू कितना मजा ले रही है ....

जूली : ह्हह्हाआ बिलकुल नहीं भाभी ....अंकल को तो मैंने टच तक नहीं किया ...हाँ बस उन्होंने ही थोड़ा बहुत ...पर मेरे दिल में तो उनके लिए बहुत इज़्ज़त है ...मेरे लिए तो वो बिलकुल पिता समान हैं ...

रंजू भाभी : अरे उनकी छोड़ ....वो तो तू चाहें कुछ भी कर ....वो जो तू कल रात कैसे ...बिलकुल नंगी ...उस लड़के के साथ ... पूरी कॉलोनी में घूम रही थी ...और क्या पूरे शहर में भी ऐसे ही नंगी घूम रही थी ...??
बता ना ...क्या क्या किया उस लड़के के साथ ...और रोबिन कहाँ था ..??? तुम रात भर अकेले उस लड़के के साथ ....बता न ..क्या क्या हुआ ...???

जूली : हा हा हा हा ओह अरे थोड़ा रुको तो भाभी ...आप तो एक दम से ....सवाल पर सवाल ...सवाल पर सवाल ....हा हा हा ...
अरे अभी-अभी थककर स्कूल से आई हूँ ....जरा रुको तो ...

रंजू भाभी : हाँ वो तो लग ही रहा है ...लगता है बहुत मेहनत की है स्कूल में ....तेरी इस डिबिया ने ....बड़ी लाल हो रही है ..जैसे खूब पिटाई हुई हो इसकी किसी तातकवर डंडे से ....हा हा ....

जूली : अरे वाह ...भाभी ..कह तो आप बिलकुल ठीक रही हो .....हा हा 

मैंने सोचा कि 
लगता है दोनों खूब मस्ती कर रहे हैं ...

रंजू भाभी : और ये क्या ...तू स्कूल भी कच्छी पहनकर नहीं जाती ....

जूली : अरे वो मैं कहाँ पहनती हूँ वैसे भी ...मुझे आदत ही नहीं है ....और हाँ भाभी अगर कच्छी पहनकर जाउंगी तो फिर मजा कैसे करुँगी ....

रंजू भाभी : तू तो पूरी बेशरम होती जा रही है .....

जूली : झूट भाभी ..मैं तो पहले से ही हूँ ...वो तो अब आप बेशरम होती जा रही हो ...हा हा ..बोलो मैं सही कह रही हूँ ना ....
अच्छा आप बताओ ..अपने मेरे पति का सही से ध्यान रखा था ना ......
और अनु को क्यों वापस भेज दिया ....कहीं कुछ ऐसा वैसा तो नहीं किया ना आपने मेरे भोले भाले पति के साथ .....हा हा हा ...

........................

रंजू भाभी : हाँ बस एक तू भोली है और वो तेरा पति भोला है ...और बाकी सब ही टेड़े हैं ....
मैं ऐसी वैसी बिलकुल नहीं हूँ ...पूछ लेना अपने उस भोले से ....हाआंन्नणणन्

जूली : अर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र आप नाराज क्यों होती हो मेरी प्यारी भाभी ....मैं तो ऐसे ही कह रही थी ...और अगर दिल हो तो कर भी लेना .. सच मैं कुछ नहीं कहूँगी ....मुझे अच्छा ही लगेगा ....

रंजू भाभी : कितनी बेशरम होती जा रही है तू ....

जूली : अरे इसमें बेशरम की क्या बात है ...अगर मेरे प्यारे पति को और मेरी प्यारी भाभी ....दोनों को अच्छा लगे तो मैं तो खुद उनका डंडा आपकी इस मुनिया में डाल दूँ ....हा हा ....

रंजू भाभी : चल दूर हट मेरे से ...मुझे ये सब पसंद नहीं .....
तू ही डलवा ...अलग अलग डंडे ....
चल ये सब बातें छोड़ ..मुझे वो बता ना ....

जूली : आए ओये ओये ...ये क्या बात हुई ...वैसे तो आपको ये सब पसंद नहीं ...और ये बता ..वो बता ...जब पसंद नहीं तो ये सब क्यों पूछ रही हो ...जाओ मैं कुछ नहीं बताती ...

मेरा तो दिल धक्क्क रह गया ...अरे ये क्या कह रही है ....ऐसे तो कुछ भी पता नहीं चलेगा ....

रंजू भाभी : अरे मेरी बन्नो ....नाराज क्यों होती है ...?? पसंद नहीं होता तो वैसी ही तेरे पास बैठी रहती ....वो तो तू जैसे बात कर रही है ...तो मैंने कहा ...
चल अब ज्यादा नखरे मत कर ..और जल्दी से बता कि कल रात क्या गुल खिलाये तूने ...

जूली : अरे वो तो भाभी कल आपके चहेते ...रोबिन की ही मर्जी थी ...उन्ही के कारण कल मुझे कितने लोगों के सामने नंगा रहना पड़ा ....

रंजू भाभी : क्या मतलब ??

जूली : अरे बता रही हूँ ना ...

और उसने पहले बिलकुल वही कहानी सुनाई ..जैसे होटल में क्या-क्या हुआ ...और फिर पुलिस वाले की भी ...

हाँ उसने एक नई बात बताई ....जिसे सुन मैं चोंक गया ....अमित ने बताया था कि इंस्पेक्टर ने ज्यादा कुछ नहीं किया था ....मगर साला अमित ने झूठ बताया ..
जूली के अनुसार उस इंस्पेक्टर ने बहुत मजे लिए ....

मैं आश्चर्यचकित था कि १५-२० मिनट में ही उसने जूली को इस कदर भोग लिया था ....

मेरी समझ में ये भी आ गया था कि केवल मेरे सामने ही वो चुदवाना पसंद नहीं करती है ...
वल्कि मेरे पीछे उसको चुदवाने से कोई परहेज़ नहीं है ..वल्कि उसको लण्ड अपनी चूत या गांड में डलवाने में मजा ही आता है ...

उसके अनुसार इंस्पेक्टर ने कुछ देर तक तो उससे अपना लण्ड चुसवाया ...फिर उसकी चूचियों को मसला और लण्ड भी चूचियों के बीच रखकर रगड़ा ....

............................
 
फिर जूली उसके लण्ड को चूत में लेना चाहती थी ...मगर उसने चूत को ऊँगली से चोदते हुए मना कर दिया कि उसको और ये भी कहा कि ....
उसको तुम जैसी रंडियों की ढीली ढाली चूत मारने में नहीं वल्कि गांड मरने में मजा आता है ...

और इंस्पेक्टर ने जूली को जीप में ही घोड़ी बनाकर पीछे उसके गांड में अपना लण्ड डाल दिया ....

जूली ने ये भी बताया कि उसको बहुत दर्द हुआ ...

जिस समय अमित उसको बचाने आया ..उस समय उस इंस्पेक्टर का लण्ड जूली की गांड में था ...
अमित ने खुद इंस्पेक्टर को धक्का देकर उसका लण्ड बाहर निकाला था ...
फिर अपने रुमाल से जूली की गांड को साफ़ करके ..अपना कोट उसको पहनाया था ....

मुझे अमित पर बहुत गुस्सा आया कि साले ने मुझे बताया क्यों नहीं ...और उस इंस्पेक्टर को क्यों छोड़ दिया ....

और फिर जूली पर भी गुस्सा आया कि उसने मुझे क्यों नहीं बताया ....???

फिलहाल तो मैं उसकी बातें सुन रहा था ....

रंजू भाभी : चल अच्छा हुआ कि फिर भी बच गई तू ...वरना अभी तो वो दूसरा भी था ...पता नहीं बीच सड़क पर और क्या-क्या होता ...

जूली : हाँ भाभी सच ...मैं अमित भैया का अहसान कभी नहीं भूल सकती ....मुझे बहुत दर्द सहने से बचा लिया था उन्होंने ....

रंजू भाभी : तो उनका अहसान तूने कैसे उतारा ...
उस बेचारे रोबिन को तो तुमने रात भर पुलिस स्टेशन भेज दिया ...और अकेले यहाँ दोनों ....हम्म्म 

जूली : अरे नहीं भाभी ...उनको तो मैंने ही जल्दी बुलवा लिया था ....अगर उस इंस्पेक्टर को केस के चककर में पड़ते ...तो पता नहीं आज भी हम वहीँ होते ....और हमारी बदनामी वो अलग ....

रंजू भाभी : फिर भ कुछ तो हुआ होगा बता ना ...

जूली : उनको वहीँ छोड़ मैं डरी हुई सी अमित भैया के साथ उनकी गाड़ी में आई ....
वो बहुत मजाक कर रहे थे ..जिससे में नार्मल हो जाऊं ...
फिर मुझे पता चला कि वो तो मुझे पहले से ही बहुत पसंद करते हैं ...
उन्होंने बताया कि उनकी बहुत पुरानी इच्छा पूरी हो गई ...मुझे नंगा देखने की ......

उनकी प्यारी और मजाकिया बातें सुन मुझे बहुत अच्छा लगा ...और मैं जल्दी ही नार्मल हो गई ...

फिर उन्होंने ही कहा कि भाभी आज मजा करते हैं ...वो चाहता था कि मैं पार्किंग से यहाँ तक नंगी ही आऊँ....

मैंने बहुत मना किया ...पर उसने ज़िद्द पकर ली ...और फिर अपना कोट भी वापस मांग लिया ...

फिर मैंने भी सोचा कि रात को इस समय कौन सा कोई जगा होगा ...सब तरफ अँधेरा ही था ...फिर अमित तो मुझे पहले ही नंगा देख चुका था ...
बस मैंने उसकी यह इच्छा भी पूरी कर दी ...

...........................

सच भाभी बहुत मजा आया ...एक दिन आप भी यह ट्राई करना ....

वो तो हमारे पास चावी नहीं थी ....वरना आपको भी कुछ पता नहीं चलता ...

रंजू भाभी : रहने दे ....तेरे अंकल तो कब से तेरी राह देख रहे थे ...उन्होंने तेरे को पूरा कंपाउंड का चक्कर लगाकर ...नंगा ऊपर आने तक सब देख लिया था ...

जूली : हाँ वो तो उन्होंने मुझे बता दिया था ...अब चलो उनकी तो कोई बात नहीं ...वो तो अपने ही हैं ना ..हा हा 

रंजू भाभी : और ये भी तो हो सकता है कि कुछ और लोगों ने भी देखा हो ...इतनी भी रात नहीं हुई थी ...हो सकता है कोई और भी अपनी बालकोनी से देख रहा हो ...

जूली : हा हा सच भाभी ..तो चलो ये उसका इतनी रात तक जागने का इनाम हो गया होगा ....हा हा ..

रंजू भाभी : फिर तुम दोनों ने अकेले फ्लैट में क्या किया ....वो तो बता ....

जूली : अरे बस अब रहने भी दो ना भाभी ...वो सब बाद में बता दूंगी ....

रंजू भाभी : नहीं मुझे अभी सुनना है बता न ....

मैं पिंकी की ओर देखता हूँ ...वो आँखे फाड़े ...मुहं खोले ..सब सुन रही थी ...
उसकी समझ में आ तो गया होगा कि मैं किसकी बात सुन रहा हूँ ....क्युकि उन्होंने मेरा ज़िक्र भी छेड़ा ही था ....
अब उसकी क्या प्रतिकिर्या होती है ..यही देखना था ...

जूली : ओके बाबा बताती हूँ ....मुझे भी अमित भैया पहले से ही बहुत पसंद हैं ..इसीलिए मैंने भी सोच लिया था ...कि उनकी सभी इच्छा पूरी करुँगी ....

रंजू भाभी : और तेरे अमित भैया की क्या इच्छा थी ...

जूली : क्या भाभी आप भी ....मुझ जैसे लड़की को नंगी देखकर एक लड़के की क्या इच्छा हो सकती है ...
हा हा .....

रंजू भाभी : तो तुम दोनों ने सब कुछ कर लिया ....

जूली : ह्म्म्म्म्म बताती हूँ ...ना रुको तो .....

?????????????????????????

और कुछ देर वहां चुप सा हो जाता है ....

अब क्या राज खोलने वाली है जूली ...

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.............
...................................
 

अपडेट 103


मैं पिंकी के साथ बैठा रंजू भाई और जूली की बातें सुन रहा था ....

हम दोनों में एक फर्क था ...

मुझे तो उनकी बातें सुनकर मजा आ रहा था ....

पर पिंकी अभी हमारे बारे में ज्यादा नहीं जानती थी ... 
इसलिए उसको शायद बहुत अजीब लग रहा था ...

वो तो एक पतिव्रता टाइप की लड़की थी ...उसने कभी दूसरे मर्द के बारे में शायद ऐसा सोचा भी नहीं था ...

पर अब वो कुछ कुछ खुद को बदल रही थी ...

अभी तो उसके चेहरे के भाव और रंग हर पल बदल रहे थे ...

वो मुझे बड़े ही सिम्पेथी के भाव से देख रही थी ...

और उसकी आँखों में मेरे लिए बहुत ही याचना के भाव थे ....

मैं बस यही सोच रहा था कि जब उसको पता चलेगा कि मुझे जूली के ऐसा कुछ करने से कोई ऐतराज नहीं है ...तब उसको कैसा लगेगा ...

फिलहाल तो वो मेरे साथ जूली कि बातें सुनने में मस्त थी ....

और उधर फिर से बातचीत शुरू हो गई ...

लगता है जैसे आज रंजू भाभी सब कुछ उगलवाने का मूड लेकर ही आई थी ....

और जूली को भी उनको कुछ भी बताने से कोई ऐतराज नहीं था ....

रंजू भाभी : अच्छा अब कुछ तो पहन ले या ऐसे ही नंगी घूमती रहेगी ...

जूली : हा हा ...क्या भाभी आपमें और अंकल में कितना फर्क है ....
आप हमेशा कुछ पहनने को बोलती रहती हो और अंकल ...?????

रंजू भाभी : अंकल क्याआआ ????

जूली : अरे छोड़ो न भाभी ...बस लो पहन लिया ....ना 

रंजू भाभी : ये भी तेरा कोई कपडा है ...लगता है जैसे कुछ पहना ही नहीं है ...

जूली : अरे भाभी इसमें ही तो मजा है ...खुद के लिए हमने पहना भी है ...और दूसरों के लिए नहीं भी ...हा हा 

रंजू भाभी : हाँ तो बता न फिर क्या हुआ ..???

...................

जूली : अरे भाभी बताया ना ....पहले तो हम दोनों ही थक गए थे ....
तो मैंने गीजर ओन कर दिया ...
तब अमित भैया बोले कि जब तक पानी गरम हो वो मुझे मसाज दे देते हैं ...
सच उनको बहुत अच्छा मसाज करना आता है ...भाभी आप भी करवा कर देखना ....मैं तो पूरी नंगी थी ही ...अमित भैया ने भी पाने सभी कपडे निकाल दिए थे ...

रंजू भाभी : सब क्या ??? अंडरवियर भी ...

जूली : उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ हाँ भाई वो भी ....और उनका लण्ड काफी बड़ा था ...और पूरा खड़ा था ...अब बस यही सुनना चाहती थी ना आप ...

रंजू भाभी : हाय राम ...बड़ी बेशरम है तू तो .....मैंने तो ऐसे ही पूछा था ....

जूली : हाँ मुझे पता है सब ...कि कैसे और क्या जानना है आपको ....

रंजू भाभी : अच्छा ठीक है तू चाहे जैसे भी बता ...पर मुझे अच्छा लग रहा है ...फिर क्या हुआ .???

जूली : अरे फिर तो बहुत मजा आया ....उसने अपनी सभी कलाएं मेरी बॉडी पर लगा दी ...
पहले उसने खूब मेरा मसाज किया ....
फिर मेरे चूतड़ों में दर्द तो हो ही रहा था ...उस इंपेक्टर के लण्ड कि वजह से ....
तो अमित भैया ने मुझे उल्टा करके मेरे चूतड़ों कि खूब मालिस की ...
फिर मेरे छेद में भी खूब अच्छी तरह से मालिस की ..

रंजू भाभी : तूने उससे मना नहीं किया ....

जूली : क्या भाभी ?? मुझे तो खूब अच्छा लग रहा था ...मैं उससे मना क्यों करती ...??
जब वो पीछे से मेरे ऊपर चढ़कर मालिस कर रहे था तब उनका लण्ड मुझे खूब मजा दे रहा था ....

रंजू भाभी : वो कैसे ???

जूली : उनका लण्ड मेरी जांघो और चूत को भी बार बार छू रहा था ....

रंजू भाभी : मतलब तू चाह रही थी कि वो उसको तेरी मुनिया में डाल दे ..........

जूली : सच भाभी ...मैं तो पहले से ही इतनी गरम हो गई थी ....पर वो भी पूरा घाघ था ....
लगा रहा था ..घिस रहा था ..मगर डाल नहीं रहा था ...
फिर जब मैंने उसको याद दिलाया कि जल्दी करो ना रोबिन आने वाले होंगे ...

रंजू भाभी : तो तूने अपने मुहं से कह दिया ...बड़ी कमीनी है तू तो ...

जूली : अरे नहीं भाभी ..मेरा मतलब तो मालिस पूरी करने से था ....
मगर वो भी तो ..पुरे सताने पर लगे थे ...
फिर उन्होंने मेरे सामने ही रोबिन को फोन किया ...कि अरे हाँ पूछ लेते हैं कि जनाव है कहाँ ...

रंजू भाभी : ओह वो तो बड़ा बहादुर निकला ...उसको तो नहीं और तेरे को भी डर नहीं लगा कि ऐसे नंगे दोनों फिर रोबिन को भी कॉल करने लगे ....

...................
जूली : अरे भाभी अब वो कहाँ डरता ...जब रोबिन के सामने से मुझे... पूरी नंगी ही अपनी गाड़ी में बैठा कर ले आया .....और रोबिन ने भी कुछ नहीं कहा ....

रंजू भाभी : अरे रोबिन बेचारा क्या जाने ..??? कितना सीधा है वो तो ....

जूली : हाँ भाभी ये तो आप बिलकुल सही कह रही हैं ...वाकई वो है तो बहुत सीधे और अच्छे भी ....

रंजू भाभी : अच्छा फिर फोन पर किसने बात की ...

जूली : कह तो वो मुझी से रहे थे .... पर मैंने मना कर दिया ....
फिर खुद ही बात करने लगे ..और बात करते करते ही उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया ...मेरा तो मुहँ ..खुला का खुला रह गया .....
अब मैं कुछ बोल भी नहीं सकती थी ...और हिल भी नहीं सकती थी ...
मुझे चोदते हुए ही वो बात करते रहे ....
और मैं अपना मुहँ दबाये बिलकुल चुप रही ....अगर हलकी सी भी सांस वो सुन लेते तो उनको कितना बुरा लगता ....
सच पुरे पागल ही हैं ...और उनको बोल रहे थे ...कि मैं अपने कमरे में आराम कर रही हूँ ....जबकि मुझे बुरी तरह चोद रहे थे ...
पूरे एक झटके में ही उन्होंने अपना पूरा लण्ड मेरी नाजुक चूत में घुसा दिया था ....
सच बहुत दर्द हुआ था ...
फिर तो उन्होंने मुझे बहुत मजा दिया ....
जब तक रोबिन घर नहीं आ गए वो मुझे चोदते रहे ....

रंजू भाभी : क्यों फिर नहाये नहीं तुम दोनों ....??

जूली : नहाये तो थे ....वो सुबह मेरे साथ ही नहाकर अपने घर गए .........

रंजू भाभी : क्या मतलब ???? रोबिन कहाँ था ????

जूली : वो तो यहाँ सो रहे थे ....बेचारे पूरी रात के थके थे ....

रंजू भाभी : अच्छा और तुझे थकान नहीं हुई ....

जूली : अरे मेरी थकान तो अमित भैया ने अच्छी तरह निकाल दी थी ...हा हा हा ......
सच बहुत मजा आया था ....
कल पहले तो रोबिन के साथ ही बहुत मजा आया था ..
फिर अमित भैया ने दिल खुश कर दिया ....
३ बार चोदा मुझे ....अभी तक मीठी मीठी टीस उथ्स रही है ...

....................

रंजू भाभी : टीस वो कहाँ उठ रही हैं ...

जूली : अरे चूत और गांड दोनों में ही ....

रंजू भाभी : तो क्या उसने गांड भी मारी तेरी ....??
तुझे डर नहीं लगा कि अगर रोबिन जाग गया तो ...

जूली : अरे डर की बात कर रही हो आप भाभी ...वो तो इतना हिम्मती था ...कि रात को जब मैं रोबिन के साथ सो रही थी ...
तब भी यहाँ आकर मेरे पास लेट गया ...
और मेरी चूत चाटी ..मेरे से अपना लण्ड चुसवाया ...
और लेटे-लेटे ही एक बार मेरे को चोदा भी ....

रंजू भाभी : क्या पागलों जैसी बात कर रही है ...?? कहाँ चोदा ??? और रोबिन कहाँ था ????

जूली : अरे यहीं ..मेरे पास लेटे मजे से सो रहे थे ... उधर वो तो जोर जोर से खर्राटे ले रहे थे ...और इधर वो हर खर्राटे कि आवाज पर धक्के मार रहा था ...
सच भाभी बहुत ही मजे वाला अनुभव था ...
बहुत मजा आया ....करीब आधे घंटे तक उसने मुझे चोदा ...

रंजू भाभी : और तुझे बिलकुल डर नहीं लगा ...कि रोबिन ने देख लिया तो क्या होगा ???? और कपडे उतारे थे या ऐसे ही किया सब कुछ ....

जूली : कौन से कपडे भाभी ....अमित भैया ने मुझे कपडे पहनने ही कहाँ दिए ....
जब रोबिन यहाँ दरवाजे तक पहुँच गए तब तक तो लगातार चोदते रहे ...
फिर जब उन्होंने बैल बजाई ..तब मैं तो भागकर यहाँ आकर सोने का नाटक करने लगी ...
और अमित भैया ने ही दरवाजा खोला ...और पता नहीं क्या कहा उनसे ...
और मैं तो यहाँ सांस रोके चुपचाप ही रही ...कपडे पहनने का समय ही नहीं मिला ...

रंजू भाभी : और रोबिन ने भी एक बार भी तुझे नहीं देखा कि कपडे पहने है या नहीं ....

जूली : अरे नहीं ...मैं तो डर रही थी ...पर उन्होंने नहीं देखा ....फिर मैं ये भ सोच रही थी ...कि अगर देख भी लिया तो कुछ नहीं कहने वाले ...आखिर जब मैं उनके पास से आई थी ...तब नंगी ही थी ....

रंजू भाभी : सच तू तो बहुत हिम्मती है ...और तूने बहुत हिम्मत वाला काम किया है ...मुझे तो सोचकर ही डर लग रहा है ...

जूली : हा हा हा हा भाभी ...सच पर उस मजे के लिए इतना तो रिस्क लेना ही पड़ता ...क्या मजा आया था ...

...............

रंजू भाभी : और फिर गांड कब छोड़ी तेरी उसने ....

जूली : सुबह नहाते हुए .....उसमे भी बहुत मजा आया ...
अभी तक टीस उठ रही है ..अह्ह्हाआआआ

रंजू भाभी : और रोबिन जाग जाता तो .......
तूने तो हद ही कर दी जूली.......

जूली : अरे इसमें हद किस बात की ....शुरू में तो मैं केवल उसकी हेल्प को ही गई थी ...
पर जब उन्होंने मुझे भी साथ ले लिया ...तब फिर मैं सब कुछ भूल गई ....
और फिर जो अमित भैया ने मेरी गांड मारी है ....सच आज तक इतना मजा नहीं आया ....
मैं तो उनकी चुदाई की कायल ही हो गई ....

रंजू भाभी : देखो तो कितनी बेशरम होकर सब बता रही है ....तुझे तो अब किसी बात की शर्म ही नहीं रही ...

ट्रीन्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न त्रिन्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न 

रंजू भाभी : ओह कौन आ गया इस समय ....

जूली : अंकल ही होंगे .....

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.....................

अंकल : अरे तू कब से यहाँ बैठी है ......

और तभी कॉल कट हो जाती है ...............

अब मैं खुद को पिंकी के प्रश्न के लिए तैयार कर रहा था .....
कि अब उसको क्या और कैसे सब कुछ बताना है ...

उसको बुरा भी ना लगे और वो सब कुछ अच्छी तरह एक्सेप्ट कर ले .......

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