desiaks
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- Aug 28, 2015
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[font=verdana, geneva, lucida,]मेरा लण्ड एक लयबद्ध तरीके से रंजू भाभी की मस्त चूत में अटखेलियां कर रहा था ....
मैं अपने हाथों से उनकी चूचियों को मसल रहा था ..कभी हलके से तो कभी पूरी कसकर ..
कभी कभी मैं उनके निप्पल भी अपनी अंगुली और अंगूठे की साहयता से मसल देता ...
रंजू भाभी लगातार सिसकारी निकल रही थीं ...
रंजू भाभी: अह्ह्ह्ह्हाआआआआ ओह ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्हाआआ
मेरे होंठ सूखने लगे ...
मैं उनके लाल होंठो को चूसना चाह रहा था ..
बस यही मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी ...
मैं आगे बढ़कर उनके होंठो को अपने मुह में नहीं ले पा रहा था ...
शायद इसलिए क्युकि भाभी मुझसे उम्र में बड़ी थी ...
तभी भाभी आगे को बढ़कर अपना सर आगे कर ..मेरे को अपनी और झुकाती है ..
और मेरे होंठो को चूम लेती हैं ...
शायद इसीलिए सेक्स करने के बाद हम लोग इतना करीब आ जाते हैं ...
एक दूसरे की भावनाओं को कितना जल्दी समझ जाते हैं ...
मैं भाभी के होंटों को चूसने लगता हूँ ...
तभी भाभी कसकर मुझे पकड़ लेती है ...और मुझे अपने लण्ड पर गर्म गर्म अहसास होता है ..
रंजू भाभी ने अपना पानी छोड़ दिया था ...
रंजू भाभी: अह्ह्ह्ह्हाआआ अह्ह्ह्ह ह्ह्ह ओह नहीईइइइइइइइइइइइइइइइइइ अह्ह्ह्हह्ह
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआअ
वो कसकर मुझे चिपकाये थीं .. मेरा लण्ड उनकी चूत में पूरी तरह कसा था ...
मैंने भी उनकी चूची को पाकर फिर से खड़ा हुआ और तेज तेज धक्के दिए ...
अब मेरा भी निकलने वाला था ...
मैंने अपना लण्ड बाहर निकालने के लिए पीछे हट ही रहा था कि...
रंजू भाभी: ओह नहीईईईईईई अंदर ही डाल दो ...
बहुत दिन से इसको पानी नहीं लगा है ..
जल्दी करो ओ ओ ओ आआअ ...
मैं: ओह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..अगर कुछ रुक गया तो ..क्या होगा ???????
रंजू भाभी: अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह कुछ नहीं होगा ...
मैं अब इस मजे को नहीं जाने दूंगी ...
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
और मैंने उनको कसकर पकड़ लिया ...
मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी ..
जो एक के बाद एक उनके चूत में जा रही थीं ...
भाभी मस्ती से आँखें बंद किये मेरी हर पिचकारी का आनंद ले रही थी ...
रंजू भाभी: अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह आज तूने अपनी भाभी को तृप्त कर दिया रोबिन ..
आज से ये अब तेरी है ..
तू इसका ध्यान रखना ...
नियम से इसमें पानी डालते रहना ...
मैं: हाँ हाँ भाभी अब तो मेरा लण्ड भी आपको नहीं छोड़ेगा ...कितनी प्यारी हो आप ..
और आपकी ये चूत .....
आई लव यू भाभी ...
रंजू भाभी: आई लव यू टू ...पुच पुच
उन्होंने मेरे सब जगह चूम लिया ..
सच बहुत हॉट है रंजू भाभी ...
अब लण्ड से पानी निकलने के बाद मुझे जूली कि याद आई ...
भाभी नंगी अपने चूतड़ों की ओर से कपडा डाल अपनी चूत साफ़ कर रही थी ...
भाभी और क्या देखा था आपने ..
अंकल ने भी जूली को चोद दिया है ना ...
मुझे तो ऐसा ही लगता है ...
रंजू भाभी: अरे नहीं रे ...ऐसा तो मुझे नहीं लगता ...
पर हाँ दोनों एक दूसरे को नंगा देख चुके हैं ..
और चुम्मा चाटी भी होती रहती है ...
मैं: अरे आपने क्या देखा वो बताओ ना ..???
रंजू भाभी: अब तू फिर जाकर लड़ेगा ना जूली से ...
मैं: अरे अब मैं क्यों लड़ूंगा ... ???
मुझे तो इतनी प्यारी भाभी मिल गई ना अब चोदने के लिए ...
रंजू भाभी: ओ हाँ ..सुन मैंने २-३ बार उनको चूमते हुए देखा है ..
मैं: बस स्स्स्स्स्स्स्स्स वो तो मैंने कितनी बार देखा है ..वो तो जब भी आते हैं ..मेरे सामने ही जूली के गालो को चूमते हैं ..
ये तो अलग बात हुई ना ..
रंजू भाभी: अरे वैसे नहीं पागल ..
एक बार जब मैं गैलरी में थी तो तुम्हारे अंकल जूली के पास ही गए थे ...
मैंने वैसे ही किचिन में झांक लिया
तो तुम्हारे अंकल जूली को चिपकाये उसके होंठो को चूस रहे थे ...
मैं: बस इतना ही ना ...
रंजू भाभी: और उनके हाथ जूली के नंगे चूतड़ों पर थे ..जिनको वो मसल रहे थे ...
तुमको तो पता ही है ..
कि वो कितनी छोटी गाउन पहनती है ...और कच्छी पहनती नहीं है ...
या हो सकता है कि इन्होने उतार दी हो ....
मैं: तो फिर तो आगे भी कुछ किया होगा उन्होंने ...
रंजू भाभी: मुझे भी यही लगा था ...पर फिर कुछ देर बाद ही ये वापस आ गए थे ...
मैं: और क्या क्या देखा आपने ????
रंजू भाभी: बस ऐसा ही कुछ और भी देखा था ... फिर बाद में बता दूंगी ...
उन्होंने अपनी पजामी सीधी कर पहनते हुए कहा ...
मुझे भी अब जूली को देखने कि इच्छा होने लगी थी ..
मैंने मोबाइल निकाल समय देखा ...
करीब आधा घंटा मुझे घर से निकले हो गया था ...
अनु भी वहां थी तो तिवारी अंकल जूली से ज्यादा मजा तो नहीं ले पाये होंगे ...
और मैंने तो यहाँ पूरा काम ही कर दिया था ...
पर कहीं ना कहीं दिल जूली के बारे में जानने को कर रहा था ...
तभी रंजू भाभी ने मेरे लण्ड को भी कपडे से साफ़ किया ..फिर उसको चूमकर मेरी पेंट में कर दिया ...
मैंने उनको चूमा और वहां से निकाल आया ...
मैंने अपने फ्लैट की ओर देखा ...
दरवाजा बंद था ....
मतलब अंकल अभी भी अंदर ही थे ...
मैं अभी प्लान कर ही रहा था ...
कि मुझे सीढ़ियों से अनु आती नजर आई ...
मैं चोंक गया ...अनु यहाँ है ..
तो क्या बंद फ्लैट के अंदर अंकल और जूली अकेले हैं ..
ओह क्या वो दोनों भी चुदाई कर रहे हैं ..???
अनु मुझे आश्चर्य से देख रही थी ...
मैंने उसको आँखों में देखते हुए ही पूछा ..
मैं: कहाँ गई थी तू .... ???
अनु: (जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं ) अरे भैया आप यहाँ ..इस समय ...
मैं: मैंने तुझसे कुछ पूछा ...
अनु: अपने हाथ में सिगरेट कि डब्बी दिखाते हुए ..
अंकल ने मंगाई थी ...
मैं: क्या कर रहे हैं वो दोनों अंदर..........?????
अनु ने कंधे उचकाए ...
अनु: मुझे क्या पता ????
मैं: कितनी देर हो गई तुझे निकले हुए ...
अनु: अभी तो गई थी ...हाँ दुकान पर कुछ भीड़ थी ..
मुझे पता था कि बाहर कॉलोनी तक जाने इतनी सीढ़ियां ..इस सबमे करीब १५ मिनट तो लगते ही हैं ..
इसका मतलब पिछले १५-२० मिनट से दोनों अंदर हैं ..
और दरवाजा भी लॉक कर लिया ...
साला तिवारी मेरी बीवी से पूरा मजा ले रहा होगा ...
अब देखा कैसे जाये ...
तभी मुझे किचिन वाली खिड़की नजर आई ...
और मैं चुपचाप अनु को वहां ले गया ...
मेरी किस्मत कि खिड़की खुली थी ..
हाँ उसके दरवाजे भिड़ा कर बंद कर दिया था ...
मैंने हलकी से आहत लेते हुए दरवाजे को खोल दिया ...
किचिन में कोई नहीं था ...
मैंने उसके जंगले कि चिटकनी खोल उसको भी खोला ..
और देखा....
अब अंदर जाया जा सकता था ..
पर खिड़की काफी ऊँची थी ...
ऊपर चढ़ने के लिए कोई ऊँची कुर्सी या स्टूल चाहिए था ...
मैंने अनु कि और देखा ...
उसने अपना कल वाला फ्रॉक पहन लिया था ...
शायद बाहर आने के लिए ...
या अंकल के कारण....
मैंने मुह पर ऊँगली रख उसको चुप रहने के लिए इशारा किया ...
और उसको अंदर जाने के लिए बोला ...
वो एक दम तैयार हो गई ...
मैंने उसको उचकाया ...और जैसे ही उसके चूतड़ों पर हाथ लगाया ...
एक दम से ठंडा सा लगा ..
अनु ने अभी भी कच्छी नहीं पहनी थी ...
उसके चूतड़ नंगे थे .....
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मैं अपने हाथों से उनकी चूचियों को मसल रहा था ..कभी हलके से तो कभी पूरी कसकर ..
कभी कभी मैं उनके निप्पल भी अपनी अंगुली और अंगूठे की साहयता से मसल देता ...
रंजू भाभी लगातार सिसकारी निकल रही थीं ...
रंजू भाभी: अह्ह्ह्ह्हाआआआआ ओह ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्हाआआ
मेरे होंठ सूखने लगे ...
मैं उनके लाल होंठो को चूसना चाह रहा था ..
बस यही मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी ...
मैं आगे बढ़कर उनके होंठो को अपने मुह में नहीं ले पा रहा था ...
शायद इसलिए क्युकि भाभी मुझसे उम्र में बड़ी थी ...
तभी भाभी आगे को बढ़कर अपना सर आगे कर ..मेरे को अपनी और झुकाती है ..
और मेरे होंठो को चूम लेती हैं ...
शायद इसीलिए सेक्स करने के बाद हम लोग इतना करीब आ जाते हैं ...
एक दूसरे की भावनाओं को कितना जल्दी समझ जाते हैं ...
मैं भाभी के होंटों को चूसने लगता हूँ ...
तभी भाभी कसकर मुझे पकड़ लेती है ...और मुझे अपने लण्ड पर गर्म गर्म अहसास होता है ..
रंजू भाभी ने अपना पानी छोड़ दिया था ...
रंजू भाभी: अह्ह्ह्ह्हाआआ अह्ह्ह्ह ह्ह्ह ओह नहीईइइइइइइइइइइइइइइइइइ अह्ह्ह्हह्ह
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआअ
वो कसकर मुझे चिपकाये थीं .. मेरा लण्ड उनकी चूत में पूरी तरह कसा था ...
मैंने भी उनकी चूची को पाकर फिर से खड़ा हुआ और तेज तेज धक्के दिए ...
अब मेरा भी निकलने वाला था ...
मैंने अपना लण्ड बाहर निकालने के लिए पीछे हट ही रहा था कि...
रंजू भाभी: ओह नहीईईईईईई अंदर ही डाल दो ...
बहुत दिन से इसको पानी नहीं लगा है ..
जल्दी करो ओ ओ ओ आआअ ...
मैं: ओह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..अगर कुछ रुक गया तो ..क्या होगा ???????
रंजू भाभी: अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह कुछ नहीं होगा ...
मैं अब इस मजे को नहीं जाने दूंगी ...
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
और मैंने उनको कसकर पकड़ लिया ...
मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी ..
जो एक के बाद एक उनके चूत में जा रही थीं ...
भाभी मस्ती से आँखें बंद किये मेरी हर पिचकारी का आनंद ले रही थी ...
रंजू भाभी: अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह आज तूने अपनी भाभी को तृप्त कर दिया रोबिन ..
आज से ये अब तेरी है ..
तू इसका ध्यान रखना ...
नियम से इसमें पानी डालते रहना ...
मैं: हाँ हाँ भाभी अब तो मेरा लण्ड भी आपको नहीं छोड़ेगा ...कितनी प्यारी हो आप ..
और आपकी ये चूत .....
आई लव यू भाभी ...
रंजू भाभी: आई लव यू टू ...पुच पुच
उन्होंने मेरे सब जगह चूम लिया ..
सच बहुत हॉट है रंजू भाभी ...
अब लण्ड से पानी निकलने के बाद मुझे जूली कि याद आई ...
भाभी नंगी अपने चूतड़ों की ओर से कपडा डाल अपनी चूत साफ़ कर रही थी ...
भाभी और क्या देखा था आपने ..
अंकल ने भी जूली को चोद दिया है ना ...
मुझे तो ऐसा ही लगता है ...
रंजू भाभी: अरे नहीं रे ...ऐसा तो मुझे नहीं लगता ...
पर हाँ दोनों एक दूसरे को नंगा देख चुके हैं ..
और चुम्मा चाटी भी होती रहती है ...
मैं: अरे आपने क्या देखा वो बताओ ना ..???
रंजू भाभी: अब तू फिर जाकर लड़ेगा ना जूली से ...
मैं: अरे अब मैं क्यों लड़ूंगा ... ???
मुझे तो इतनी प्यारी भाभी मिल गई ना अब चोदने के लिए ...
रंजू भाभी: ओ हाँ ..सुन मैंने २-३ बार उनको चूमते हुए देखा है ..
मैं: बस स्स्स्स्स्स्स्स्स वो तो मैंने कितनी बार देखा है ..वो तो जब भी आते हैं ..मेरे सामने ही जूली के गालो को चूमते हैं ..
ये तो अलग बात हुई ना ..
रंजू भाभी: अरे वैसे नहीं पागल ..
एक बार जब मैं गैलरी में थी तो तुम्हारे अंकल जूली के पास ही गए थे ...
मैंने वैसे ही किचिन में झांक लिया
तो तुम्हारे अंकल जूली को चिपकाये उसके होंठो को चूस रहे थे ...
मैं: बस इतना ही ना ...
रंजू भाभी: और उनके हाथ जूली के नंगे चूतड़ों पर थे ..जिनको वो मसल रहे थे ...
तुमको तो पता ही है ..
कि वो कितनी छोटी गाउन पहनती है ...और कच्छी पहनती नहीं है ...
या हो सकता है कि इन्होने उतार दी हो ....
मैं: तो फिर तो आगे भी कुछ किया होगा उन्होंने ...
रंजू भाभी: मुझे भी यही लगा था ...पर फिर कुछ देर बाद ही ये वापस आ गए थे ...
मैं: और क्या क्या देखा आपने ????
रंजू भाभी: बस ऐसा ही कुछ और भी देखा था ... फिर बाद में बता दूंगी ...
उन्होंने अपनी पजामी सीधी कर पहनते हुए कहा ...
मुझे भी अब जूली को देखने कि इच्छा होने लगी थी ..
मैंने मोबाइल निकाल समय देखा ...
करीब आधा घंटा मुझे घर से निकले हो गया था ...
अनु भी वहां थी तो तिवारी अंकल जूली से ज्यादा मजा तो नहीं ले पाये होंगे ...
और मैंने तो यहाँ पूरा काम ही कर दिया था ...
पर कहीं ना कहीं दिल जूली के बारे में जानने को कर रहा था ...
तभी रंजू भाभी ने मेरे लण्ड को भी कपडे से साफ़ किया ..फिर उसको चूमकर मेरी पेंट में कर दिया ...
मैंने उनको चूमा और वहां से निकाल आया ...
मैंने अपने फ्लैट की ओर देखा ...
दरवाजा बंद था ....
मतलब अंकल अभी भी अंदर ही थे ...
मैं अभी प्लान कर ही रहा था ...
कि मुझे सीढ़ियों से अनु आती नजर आई ...
मैं चोंक गया ...अनु यहाँ है ..
तो क्या बंद फ्लैट के अंदर अंकल और जूली अकेले हैं ..
ओह क्या वो दोनों भी चुदाई कर रहे हैं ..???
अनु मुझे आश्चर्य से देख रही थी ...
मैंने उसको आँखों में देखते हुए ही पूछा ..
मैं: कहाँ गई थी तू .... ???
अनु: (जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं ) अरे भैया आप यहाँ ..इस समय ...
मैं: मैंने तुझसे कुछ पूछा ...
अनु: अपने हाथ में सिगरेट कि डब्बी दिखाते हुए ..
अंकल ने मंगाई थी ...
मैं: क्या कर रहे हैं वो दोनों अंदर..........?????
अनु ने कंधे उचकाए ...
अनु: मुझे क्या पता ????
मैं: कितनी देर हो गई तुझे निकले हुए ...
अनु: अभी तो गई थी ...हाँ दुकान पर कुछ भीड़ थी ..
मुझे पता था कि बाहर कॉलोनी तक जाने इतनी सीढ़ियां ..इस सबमे करीब १५ मिनट तो लगते ही हैं ..
इसका मतलब पिछले १५-२० मिनट से दोनों अंदर हैं ..
और दरवाजा भी लॉक कर लिया ...
साला तिवारी मेरी बीवी से पूरा मजा ले रहा होगा ...
अब देखा कैसे जाये ...
तभी मुझे किचिन वाली खिड़की नजर आई ...
और मैं चुपचाप अनु को वहां ले गया ...
मेरी किस्मत कि खिड़की खुली थी ..
हाँ उसके दरवाजे भिड़ा कर बंद कर दिया था ...
मैंने हलकी से आहत लेते हुए दरवाजे को खोल दिया ...
किचिन में कोई नहीं था ...
मैंने उसके जंगले कि चिटकनी खोल उसको भी खोला ..
और देखा....
अब अंदर जाया जा सकता था ..
पर खिड़की काफी ऊँची थी ...
ऊपर चढ़ने के लिए कोई ऊँची कुर्सी या स्टूल चाहिए था ...
मैंने अनु कि और देखा ...
उसने अपना कल वाला फ्रॉक पहन लिया था ...
शायद बाहर आने के लिए ...
या अंकल के कारण....
मैंने मुह पर ऊँगली रख उसको चुप रहने के लिए इशारा किया ...
और उसको अंदर जाने के लिए बोला ...
वो एक दम तैयार हो गई ...
मैंने उसको उचकाया ...और जैसे ही उसके चूतड़ों पर हाथ लगाया ...
एक दम से ठंडा सा लगा ..
अनु ने अभी भी कच्छी नहीं पहनी थी ...
उसके चूतड़ नंगे थे .....
............................[/font]