hotaks444
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ससुरजी तुम्हारे भैया को देखकर बोले, "बलराम, तो तेरी माँ ने तेरे साले को पटा ही लिया! जाने कब से तरस रही थी उसका लन्ड अपनी बुर मे लेने के लिये."
"हाँ, पिताजी." मेरे वह बोले, "मै और अमोल खिड़की से मीना की सामुहिक चुदाई देख रहे थे. बेचारे को अपनी दीदी के कुकर्म देखकर इतनी चढ़ गयी कि वह पूरा नंगा हो गया और अपना लन्ड हिलाने लगा. तभी योजना के मुताबिक माँ वहाँ आ गयी. मैं तो वहाँ से भाग गया, और माँ ने जल्दी ही अमोल को पटा लिया."
"सुनो जी, फिर तो लगता है हमारी योजना सफ़ल हो गयी है." मैने खुश होकर कहा, और बोतल में मुंह लगाकर एक और घूंट शराब की पी. "आज रात गुलाबी अमोल के साथ नही सोयेगी. मैं अपने भाई के कमरे मे जाऊंगी और उससे चुदवाऊंगी."
"हाँ, मीना. ऐसा ही करो." मेरे वह बोले और मेरी नंगी चूची को पीछे से दबाने लगे. "तुम आज रात अपने भाई से चुदवा लो. कल उससे वीणा के बारे मे बात छेड़ना. मुझे लगता है वह वीणा से शादी करने तो तैयार हो जायेगा."
"ठीक है, जी." मैने कहा, "पर अभी तुम ज़रा मेरी चूत मार दो ना! मेरी अभी उतरी नही है. जल्दी से अपना लौड़ा मेरी भोसड़ी मे पेल दो."
"तुम्हारी चूत भोसड़ी कब से हो गयी?" तुम्हारे भैया ने पूछा.
"आज से." मैने हंसकर कहा, "बाबूजी और देवरजी ने तुम्हारी प्यारी पत्नी की चूत मे एक साथ अपने लन्ड घुसाये थे. ऐसा चलता रहा तो जल्दी ही मेरी चूत मे तुम अपना हाथ घुसा सकोगे."
"चिंता मत करो. सब ठीक हो जायेगा." तुम्हारे भैया बोले, "जवानी मे औरत की चूत बहुत लोचदार होती है."
तुम्हारे बलराम भैया ने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिये और नंगे हो गये. उनका लन्ड बिल्कुल खड़ा था. अमोल से अपनी माँ की चुदाई देखकर वह पहले से ही बहुत गरम थे.
मै खिड़की के चौखट पर नंगी झुकी हुई थी. उन्होने ने मेरी कमर पकड़कर पीछे से मेरी चूत पर अपना लन्ड रखा और धक्का लगाकर अन्दर पेल दिया. फिर पीछे से मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे चोदने लगे.
बाहर नींबू के पेड़ के तले मेरा भाई अभी भी तुम्हारी मामीजी को चोदे जा रहा था. उन्हे देखते हुए हम पति-पत्नी चुदाई करने लगे.
रामु, किशन, और ससुरजी भी हमारे पास नंगे खड़े होकर अमोल और सासुमाँ को देख रहे थे.
"मीना, तुम्हारी चूत सच मे थोड़ी ढीली हो गयी है." मुझे पेलते हुए मेरे पति बोले, "अभी कुछ दिन अपने चूत को आराम दो. कोई मोटा लन्ड अन्दर मत लो."
"अभी कुछ दिन मैं अपने भाई के साथ ही सोऊंगी और उसी से चुदवाऊंगी." मैने जवाब दिया.
बाहर मेरा भाई अब बहुत जोर जोर से सासुमाँ को चोद रहा था. दोनो की मस्ती की आवाज़ हमे साफ़ सुनाई पड़ रही थी.
इधर अपने पति के धक्कों से मैं भी पूरे मस्ती मे आ चुकी थी. मैं भी जोर जोर से कराहने लगी.
मेरी आवाज़ सुनकर अमोल ने खिड़की की तरफ़ देखा तो हम दोनो की नज़रें मिल गयी. मेरी आंखें नशे मे मस्त और हवस से लाल थी. पति के जोरदार धक्कों से मेरी नंगी चूचियां उछल रही थी. मेरे दोनो तरफ़ ससुरजी, किशन और देवर नंगे खड़े थे और मेरी चूचियों को दबा रहे थे.
पर मैने अपनी नज़रें नही हटायी. एक तो मैं शराब के नशे मे थी. दूसरे मुझे अपने भाई के सामने चुदाकर बहुत कामुकता चढ़ गयी थी. अमोल की आखों मे आंखें डालकर मैं चुदवाती रही.
अमोल ने भी मेरी आंखों से आंखें नही हटायी. मुझे देखते हुए वह सासुमाँ को चोदता रहा. हम भाई-बहन एक दूसरे से नज़रें मिलाये हुए अपनी चुदाई मे लगे रहे. फिर मुझसे रहा नही गया और मैं मुस्कुरा दी. मुझे मुस्कुराते देखकर अमोल भी मुस्कुरा दिया और झेंपकर उसने अपनी नज़रें झुका ली.
उसके बाद वह सासुमाँ के होठों को पीते हुए उन्हे हुमच हुमचकर चोदने लगा.
कुछ देर की चुदाई के बाद सासुमाँ ने उसे जोर से जकड़ लिया और जोर जोर से कराहती हुई झड़ने लगी. अमोल भी और रुक नही सका. वह भी सासुमाँ की बुर मे अपना वीर्य गिराने लगा.
जब दोनो शांत हुए तो अमोल उठा और नीचे गिरे हुए अपने कपड़ों को पहनने लगा. उसका सर झुका हुआ था, पर बीच-बीच मे वह मेरी तरफ़ देख रहा था. मैं मुस्कुराकर उसे देखती हुई अपने पति से चुदवाये जा रही थी.
कपड़े पहनकर अमोल और सासुमाँ घर के अन्दर चले गये.
कुछ देर मे तुम्हारे भैया मुझे चोदते हुए झड़ गये और मैं भी खलास हो गयी.
जब हम सबकी हवस शांत हुई तो मैने कपड़े पहने और बाहर निकली.
अमोल का कहीं कुछ पता नही था. रसोई मे गयी तो सासुमाँ वहाँ बैठकर काम कर रही थी. उनके चेहरे पर बहुत तृप्ति थी, जैसे कोई मनचाही चीज़ उन्हे मिल गयी हो.
मुझे देखकर बोली, "बहु, तेरा भाई तो बहुत ही स्वादिष्ट माल है रे! तु भी जल्दी से उसे चखकर देख!"
"हाँ, माँ. आज रात ही चखती हूँ उसे!" बोलकर मैं काम मे लग गयी.
वीणा, उसके बाद भी बहुत कुछ हुआ, पर वह मैं अगले ख़त मे लिखूंगी. यह ख़त ऐसे ही बहुत बड़ा हो गया है!
तुम्हारी कलमुही भाभी
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"हाँ, पिताजी." मेरे वह बोले, "मै और अमोल खिड़की से मीना की सामुहिक चुदाई देख रहे थे. बेचारे को अपनी दीदी के कुकर्म देखकर इतनी चढ़ गयी कि वह पूरा नंगा हो गया और अपना लन्ड हिलाने लगा. तभी योजना के मुताबिक माँ वहाँ आ गयी. मैं तो वहाँ से भाग गया, और माँ ने जल्दी ही अमोल को पटा लिया."
"सुनो जी, फिर तो लगता है हमारी योजना सफ़ल हो गयी है." मैने खुश होकर कहा, और बोतल में मुंह लगाकर एक और घूंट शराब की पी. "आज रात गुलाबी अमोल के साथ नही सोयेगी. मैं अपने भाई के कमरे मे जाऊंगी और उससे चुदवाऊंगी."
"हाँ, मीना. ऐसा ही करो." मेरे वह बोले और मेरी नंगी चूची को पीछे से दबाने लगे. "तुम आज रात अपने भाई से चुदवा लो. कल उससे वीणा के बारे मे बात छेड़ना. मुझे लगता है वह वीणा से शादी करने तो तैयार हो जायेगा."
"ठीक है, जी." मैने कहा, "पर अभी तुम ज़रा मेरी चूत मार दो ना! मेरी अभी उतरी नही है. जल्दी से अपना लौड़ा मेरी भोसड़ी मे पेल दो."
"तुम्हारी चूत भोसड़ी कब से हो गयी?" तुम्हारे भैया ने पूछा.
"आज से." मैने हंसकर कहा, "बाबूजी और देवरजी ने तुम्हारी प्यारी पत्नी की चूत मे एक साथ अपने लन्ड घुसाये थे. ऐसा चलता रहा तो जल्दी ही मेरी चूत मे तुम अपना हाथ घुसा सकोगे."
"चिंता मत करो. सब ठीक हो जायेगा." तुम्हारे भैया बोले, "जवानी मे औरत की चूत बहुत लोचदार होती है."
तुम्हारे बलराम भैया ने जल्दी से अपने कपड़े उतार दिये और नंगे हो गये. उनका लन्ड बिल्कुल खड़ा था. अमोल से अपनी माँ की चुदाई देखकर वह पहले से ही बहुत गरम थे.
मै खिड़की के चौखट पर नंगी झुकी हुई थी. उन्होने ने मेरी कमर पकड़कर पीछे से मेरी चूत पर अपना लन्ड रखा और धक्का लगाकर अन्दर पेल दिया. फिर पीछे से मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे चोदने लगे.
बाहर नींबू के पेड़ के तले मेरा भाई अभी भी तुम्हारी मामीजी को चोदे जा रहा था. उन्हे देखते हुए हम पति-पत्नी चुदाई करने लगे.
रामु, किशन, और ससुरजी भी हमारे पास नंगे खड़े होकर अमोल और सासुमाँ को देख रहे थे.
"मीना, तुम्हारी चूत सच मे थोड़ी ढीली हो गयी है." मुझे पेलते हुए मेरे पति बोले, "अभी कुछ दिन अपने चूत को आराम दो. कोई मोटा लन्ड अन्दर मत लो."
"अभी कुछ दिन मैं अपने भाई के साथ ही सोऊंगी और उसी से चुदवाऊंगी." मैने जवाब दिया.
बाहर मेरा भाई अब बहुत जोर जोर से सासुमाँ को चोद रहा था. दोनो की मस्ती की आवाज़ हमे साफ़ सुनाई पड़ रही थी.
इधर अपने पति के धक्कों से मैं भी पूरे मस्ती मे आ चुकी थी. मैं भी जोर जोर से कराहने लगी.
मेरी आवाज़ सुनकर अमोल ने खिड़की की तरफ़ देखा तो हम दोनो की नज़रें मिल गयी. मेरी आंखें नशे मे मस्त और हवस से लाल थी. पति के जोरदार धक्कों से मेरी नंगी चूचियां उछल रही थी. मेरे दोनो तरफ़ ससुरजी, किशन और देवर नंगे खड़े थे और मेरी चूचियों को दबा रहे थे.
पर मैने अपनी नज़रें नही हटायी. एक तो मैं शराब के नशे मे थी. दूसरे मुझे अपने भाई के सामने चुदाकर बहुत कामुकता चढ़ गयी थी. अमोल की आखों मे आंखें डालकर मैं चुदवाती रही.
अमोल ने भी मेरी आंखों से आंखें नही हटायी. मुझे देखते हुए वह सासुमाँ को चोदता रहा. हम भाई-बहन एक दूसरे से नज़रें मिलाये हुए अपनी चुदाई मे लगे रहे. फिर मुझसे रहा नही गया और मैं मुस्कुरा दी. मुझे मुस्कुराते देखकर अमोल भी मुस्कुरा दिया और झेंपकर उसने अपनी नज़रें झुका ली.
उसके बाद वह सासुमाँ के होठों को पीते हुए उन्हे हुमच हुमचकर चोदने लगा.
कुछ देर की चुदाई के बाद सासुमाँ ने उसे जोर से जकड़ लिया और जोर जोर से कराहती हुई झड़ने लगी. अमोल भी और रुक नही सका. वह भी सासुमाँ की बुर मे अपना वीर्य गिराने लगा.
जब दोनो शांत हुए तो अमोल उठा और नीचे गिरे हुए अपने कपड़ों को पहनने लगा. उसका सर झुका हुआ था, पर बीच-बीच मे वह मेरी तरफ़ देख रहा था. मैं मुस्कुराकर उसे देखती हुई अपने पति से चुदवाये जा रही थी.
कपड़े पहनकर अमोल और सासुमाँ घर के अन्दर चले गये.
कुछ देर मे तुम्हारे भैया मुझे चोदते हुए झड़ गये और मैं भी खलास हो गयी.
जब हम सबकी हवस शांत हुई तो मैने कपड़े पहने और बाहर निकली.
अमोल का कहीं कुछ पता नही था. रसोई मे गयी तो सासुमाँ वहाँ बैठकर काम कर रही थी. उनके चेहरे पर बहुत तृप्ति थी, जैसे कोई मनचाही चीज़ उन्हे मिल गयी हो.
मुझे देखकर बोली, "बहु, तेरा भाई तो बहुत ही स्वादिष्ट माल है रे! तु भी जल्दी से उसे चखकर देख!"
"हाँ, माँ. आज रात ही चखती हूँ उसे!" बोलकर मैं काम मे लग गयी.
वीणा, उसके बाद भी बहुत कुछ हुआ, पर वह मैं अगले ख़त मे लिखूंगी. यह ख़त ऐसे ही बहुत बड़ा हो गया है!
तुम्हारी कलमुही भाभी
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