hotaks444
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उधर ऋतु की इच्छा उसके अपने मन में ही रह गई एक साथ दो लंड से चुदने की क्यूंकी वो रवि को बिल्कुल भी दुखी नही करना चाहती थी.
अगले दिन सबने बचा कुचा समान पॅक किया और एरपोर्ट की तरफ निकल पड़े.
जिस वक़्त ये लोग फ्लाइट से देल्ही पहुँचे तो एरपोर्ट पर विमल, कामया और सुनीता इनको रिसीव करने आए हुए थे. सब एक दूसरे से मिले और सुनीता की पारखी आँखों ने ऋतु की चाल में फरक को भाँप लिया.
सब रमेश के घर पहुँचे तो कामया ने एक गेस्ट रूम जो बहुत कम इस्तेमाल होता था वो सुनीता और रमण के लिए फिक्स कर दिया और ऋतु को राम्या के कमरे में भेज दिया. रवि को विमल के साथ भेज दिया.
और रमेश भी रिया को लेकर घर पहुँच गया.
सारे बच्चे एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश थे और अपनी अपनी बातें करने लगे.
रमेश भी रमण के साथ बैठ गया. दोनो ने बियर का दौर शुरू कर दिया और रमेश रमण से उसके आगे के प्लान के बारे में बातें करने लगा.
कामया और सुनीता किचन में बिज़ी हो गई.
रात का खाना हो गया पर बच्चों की आँखों से नींद दूर थी. सुनीता ऋतु से अकेले में बात करना चाहती थी पर मोका नही मिल रहा था.
खाने के बाद रमेश और रमण फिर दारू ले के बैठ गये और सारे बच्चे एक कमरे में घुस कर धमाल मचाने लगे.
कामया को रिया में भी कुछ बदलाव नज़र आया था पर उसके पास भी कोई मोका नही था उससे बात करने का.
सुनीता को विमल की आदत पड़ चुकी थी, उसके बदन में रह रह कर टीस उठ रही थी पर कुछ कर नही सकती थी.
रमण भी सुनीता के साथ कुछ वक़्त बिताना चाहता था पर रमेश उसे छोड़ ही नही रहा था.
कामया बार बार गुस्से से रमेश को देख रही थी, पर रमेश उसकी कोई परवाह नही कर रहा था.
तंग आ कर कामया ने जितना स्नॅक्स उनके लिए तयार किया था सामने टेबल पे रख दिया और एलान कर दिया कि वो और सुनीता सोने जा रही हैं और कामया सुनीता को ले कर अपने कमरे में घुस गई और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.
रमण रमेश से उसके साथ कैसे इनवेस्ट कर सकता है वगेरा वगेरा के बारे में बातें कर रहा था और रमेश का दिमाग़ कहीं और था वो दुबई में इनवेस्टमेंट के बारे में पूछ रहा था. अब ये बातें होंगी तो वक़्त का पता किसे चलता है रात भर इनकी बातें चलती रही और रात भर बच्चे धमाचोकड़ी मचाते रहे.
सुनीता को इस बात की कोई चिंता नही थी कि काफ़ी दिनो के बाद उसका पति आया है और उसे बाँहों में भरने के लिए तड़प रहा होगा और कामया को इस बात की कोई फिकर नही थी कि रमेश भी शायद उसके लिए भूका होगा क्यूंकी वो अच्छी तरहा जानती थी कि रमेश इधर उधर मुँह मारता ही रहता है.
ये दोनो तो किसी तरहा सो जाती हैं पर बाकी सब जागते रहते हैं.
किसी को नही मालूम था कि पिछले कुछ दिनो में क्या क्या हुआ है.
देखते हैं ये बातें खुलती हैं या नही खुलती हैं तो क्या होगा और नही खुलती तो क्या होगा. साथ बने रहिएगा.
सुबह होने वाली थी, बक्चोदि करते करते बच्चे लोग भी थक गये थे. विमल रवि को ले कर अपने कमरे में चला जाता है और तीनो लड़कियाँ राम्या के कमरे में ढह हो जाती हैं.
रवि और विमल बिस्तर पे लेट जाते हैं.
रवि : विमू भाई एक काम कर दोगे.
विमल : हां बोल कर सका तो तेरे लिए क्यूँ नही.
रवि : मैं चाहता हूँ कि आगे की पढ़ाई मैं और ऋतु मुंबई में करे तेरा साथ भी मिल जाएगा.
विमल : तू यहाँ भी तो कर सकता है फिर मुंबई क्यूँ जाना चाहता है.?
रवि : वो सब बाद में, ये बता ये काम करा सकता है या नही और मुझे एक पार्ट टाइम जॉब भी चाहिए होगी.
विमल बस रवि को देखता रह जाता है. रवि ऐसा क्यूँ चाहता है उसे कुछ समझ नही आ रहा था.
रवि : एक बात और, जब तक हमारी अड्मिशन नही हो जाती तू ये बात घर में किसी से भी नही कहेगा.
विमल : भाई तूने इतने सालों में पहली बार कुछ माँगा है. सर्टिफिकेट्स की कॉपीस दे देना सब हो जाएगा.
रवि : थॅंक्स भाई.
विमल : थप्पड़ मारूँगा एक दुबारा थॅंक्स बोला तो. बड़ा हूँ तुझ से.
रवि की आँखों में आँसू आ जाते हैं. और विमल से लिपट जाता है.
नीचे हाल में दोनो साडू रमेश और रमण वहीं सोफे पे ढह जाते हैं. आधे आधे भरे ग्लास टेबल पे ही पड़े थे. पता नही कब इनकी आँख लग गई.
आधी रात को सुनीता की नींद खुल जाती है, उठ के पानी पीती है और पिछले दिनो जो कुछ हुआ वो सोचने लगती है. उसकी आँखों से नींद गायब हो जाती है और बिस्तर के एक कोने में अढ़लेटी हो कर ये सोचने लगती है कि आगे क्या होगा.