hotaks444
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"हाय... क्या गाँड है भैया.." शफ़ात ने मेरा हाथ पकड के दबाते हुए हलके से कहा!
"बडी चिकनी है..." मैने कहा!
"बुर कितनी मुलायम होगी... मेरा तो खडा हो गया..." उसने अब मेरा हाथ पकड ही लिया था!
मुझे गुडिया की गाँड देखने से ज़्यादा इस बात में मज़ा आ रहा था कि मेरे साथ एक जवान लडका भी वो नज़ारा देख के ठरक रहा था! देखते देखते मैने शफ़ात की कमर में हाथ डाल दिया और हम अगल बगल कमर से कमर, जाँघ से जाँघ चिपका के खडे थे!
फ़िर गुडिया खडी हुई, खडे होने में कुछ गिरा तो वो ऐसे मुडी कि हमें उसकी चूत और भूरी रेशमी झाँटें दिखीं! उसका फ़ोन गिरा था! उसने अपनी जीन्स ऊपर नहीं की! वो फ़ोन में कुछ कर रही थी... शायद एस.एम.एस. भेज रही थी!
"तनतना गया है क्या?" मैने मौके का फ़ायदा देखा और सीधा शफ़ात के खन्जर पर हाथ रख दिया!
"और क्या? अब भी नहीं ठनकेगा क्या?" उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, बस हल्की सी सिसकारी भर के बोला!
तभी शायद गुडिया के एस.एम.एस. का जवाब सामने की झाडी में हलचल से आया, जिस तरफ़ वो देख रही थी! उधर झाडी से मेरे बाप का ड्राइवर शिवेन्द्र निकला! गुडिया ने उसको देख के अपनी नँगी चूत उसको दिखाई! उसने आते ही एक झपट्टे में उसको पकड लिया और पास के एक पत्थर पर टिका के उसका बदन मसलने लगा!
"इसकी माँ की बुर... यार साली... ड्राइवर से फ़ँसी है..." शफ़ात ने अपना लँड मुझसे सहलवाते हुये कहा!
"चुप-चाप देख यार.. चुप-चाप..."
देखते देखते जब शिवेन्द्र ने अपनी चुस्त पैंट खोल के चड्डी उतारी तो मैने उसका लँड देखा! शिवेन्द्र साँवला तो था ही, उसका जिस्म गठीला था और लँड करीब १२ इँच का था और नीचे की तरफ़ लटकता हुआ मगर अजगर की तरह फ़ुँकार मारता हुआ था... शायद वो अपने साइज़ के कारण नीचे के डायरेक्शन में था और उसके नीचे उसकी झाँटों से भरे काले आँडूए लटक रहे थे! गुडिया ने उसके लँड को अपने हाथ में ले लिया और शिवेन्द्र उसकी टी-शर्ट में नीचे से हाथ डाल कर उसकी चूचियाँ मसलने लगा! देखते देखते उसने अपना लँड खडे खडे ही गुडिया की जाँघों के बीच फ़ँसा के रगडना शुरु किया तो हमें अब सिर्फ़ उसकी पीठ पर गुडिया के गोरे हाथ और शिवेन्द्र की काली मगर गदरायी गाँड, कभी ढीली कभी भिंचती, दिखाई देने लगी!
इस सब में एक्साइटमेंट इतना बढ गया कि मैने शफ़ात का खडा लँड उसकी चड्डी के साइड से बाहर निकाल के थाम लिया और उसने ना तो ध्यान दिया और ना ही मना किया! बल्कि और उसने अपनी उँगलियाँ मेरी चड्डी की इलास्टिक में फ़ँसा कर मेरी कमर रगडना शुरु कर दिया! वो गर्म हो गया था!
फ़िर शिवेन्द्र गुडिया के सामने से हल्का सा साइड हुआ और अपनी पैंट की पैकेट से एक कॉन्डोम निकाल के अपने लँड पर लगाने लगा तो हमें उसके लँड का पूरा साइज़ दिखा! जब वो कॉन्डोम लगा रहा था, गुडिया उसका लँड सहला रही थी!
"बडा भयँकर लौडा है साले का..." शफ़ात बोला!
"हाँ... और चूत देख, कितनी गुलाबी है..."
"हाँ, बहनचोद... इतना भीमकाय हथौडा खायेगी तो मुलायम ही होई ना..."
शिवेन्द्र ने गुडिया की जीन्स उतार दी और फ़िर खडे खडे अपने घुटने मोड और सुपाडे को जगह में फ़िट कर के शायद गुडिया की चूत में लौडा दिया तो वो उससे लिपट गयी! कुछ देर में गुडिया की टाँगें शिवेन्द्र की कमर में लिपट गयी! वो पूरी तरह शिवेन्द्र की गोद में आ गयी! शिवेन्द्र अपनी गाँड हिला हिला के उसकी चूत में लँड डालता रहा! उसने अपने हाथों से गुडिया की गाँड दबोच रखी थी!
"भैया... कहाँ हो??? भैया... चाचा... चाचा..." तभी नीचे से आवाज़ आयी! ज़ाइन था, जिसकी आवाज़ शायद गुडिया और शिवेन्द्र ने भी सुनी! शिवेन्द्र हडबडाने लगा! जब आवाज़ नज़दीक आने लगी तो दोनो अलग हो गये और जल्दी जल्दी कपडे पहनने लगे!
"बडी चिकनी है..." मैने कहा!
"बुर कितनी मुलायम होगी... मेरा तो खडा हो गया..." उसने अब मेरा हाथ पकड ही लिया था!
मुझे गुडिया की गाँड देखने से ज़्यादा इस बात में मज़ा आ रहा था कि मेरे साथ एक जवान लडका भी वो नज़ारा देख के ठरक रहा था! देखते देखते मैने शफ़ात की कमर में हाथ डाल दिया और हम अगल बगल कमर से कमर, जाँघ से जाँघ चिपका के खडे थे!
फ़िर गुडिया खडी हुई, खडे होने में कुछ गिरा तो वो ऐसे मुडी कि हमें उसकी चूत और भूरी रेशमी झाँटें दिखीं! उसका फ़ोन गिरा था! उसने अपनी जीन्स ऊपर नहीं की! वो फ़ोन में कुछ कर रही थी... शायद एस.एम.एस. भेज रही थी!
"तनतना गया है क्या?" मैने मौके का फ़ायदा देखा और सीधा शफ़ात के खन्जर पर हाथ रख दिया!
"और क्या? अब भी नहीं ठनकेगा क्या?" उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, बस हल्की सी सिसकारी भर के बोला!
तभी शायद गुडिया के एस.एम.एस. का जवाब सामने की झाडी में हलचल से आया, जिस तरफ़ वो देख रही थी! उधर झाडी से मेरे बाप का ड्राइवर शिवेन्द्र निकला! गुडिया ने उसको देख के अपनी नँगी चूत उसको दिखाई! उसने आते ही एक झपट्टे में उसको पकड लिया और पास के एक पत्थर पर टिका के उसका बदन मसलने लगा!
"इसकी माँ की बुर... यार साली... ड्राइवर से फ़ँसी है..." शफ़ात ने अपना लँड मुझसे सहलवाते हुये कहा!
"चुप-चाप देख यार.. चुप-चाप..."
देखते देखते जब शिवेन्द्र ने अपनी चुस्त पैंट खोल के चड्डी उतारी तो मैने उसका लँड देखा! शिवेन्द्र साँवला तो था ही, उसका जिस्म गठीला था और लँड करीब १२ इँच का था और नीचे की तरफ़ लटकता हुआ मगर अजगर की तरह फ़ुँकार मारता हुआ था... शायद वो अपने साइज़ के कारण नीचे के डायरेक्शन में था और उसके नीचे उसकी झाँटों से भरे काले आँडूए लटक रहे थे! गुडिया ने उसके लँड को अपने हाथ में ले लिया और शिवेन्द्र उसकी टी-शर्ट में नीचे से हाथ डाल कर उसकी चूचियाँ मसलने लगा! देखते देखते उसने अपना लँड खडे खडे ही गुडिया की जाँघों के बीच फ़ँसा के रगडना शुरु किया तो हमें अब सिर्फ़ उसकी पीठ पर गुडिया के गोरे हाथ और शिवेन्द्र की काली मगर गदरायी गाँड, कभी ढीली कभी भिंचती, दिखाई देने लगी!
इस सब में एक्साइटमेंट इतना बढ गया कि मैने शफ़ात का खडा लँड उसकी चड्डी के साइड से बाहर निकाल के थाम लिया और उसने ना तो ध्यान दिया और ना ही मना किया! बल्कि और उसने अपनी उँगलियाँ मेरी चड्डी की इलास्टिक में फ़ँसा कर मेरी कमर रगडना शुरु कर दिया! वो गर्म हो गया था!
फ़िर शिवेन्द्र गुडिया के सामने से हल्का सा साइड हुआ और अपनी पैंट की पैकेट से एक कॉन्डोम निकाल के अपने लँड पर लगाने लगा तो हमें उसके लँड का पूरा साइज़ दिखा! जब वो कॉन्डोम लगा रहा था, गुडिया उसका लँड सहला रही थी!
"बडा भयँकर लौडा है साले का..." शफ़ात बोला!
"हाँ... और चूत देख, कितनी गुलाबी है..."
"हाँ, बहनचोद... इतना भीमकाय हथौडा खायेगी तो मुलायम ही होई ना..."
शिवेन्द्र ने गुडिया की जीन्स उतार दी और फ़िर खडे खडे अपने घुटने मोड और सुपाडे को जगह में फ़िट कर के शायद गुडिया की चूत में लौडा दिया तो वो उससे लिपट गयी! कुछ देर में गुडिया की टाँगें शिवेन्द्र की कमर में लिपट गयी! वो पूरी तरह शिवेन्द्र की गोद में आ गयी! शिवेन्द्र अपनी गाँड हिला हिला के उसकी चूत में लँड डालता रहा! उसने अपने हाथों से गुडिया की गाँड दबोच रखी थी!
"भैया... कहाँ हो??? भैया... चाचा... चाचा..." तभी नीचे से आवाज़ आयी! ज़ाइन था, जिसकी आवाज़ शायद गुडिया और शिवेन्द्र ने भी सुनी! शिवेन्द्र हडबडाने लगा! जब आवाज़ नज़दीक आने लगी तो दोनो अलग हो गये और जल्दी जल्दी कपडे पहनने लगे!