hotaks444
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मेरा दिल धड़कने लगा. वह मजाक नहीं कर रहा था. "तेरा बड़ा भाई है क्या? उसकी शादी नहीं हुई अब तक?" मैंने पूछा.
वह हंस कर बोला. "कहो तो मेरा भाई है, कहो तो मामा है और कहो तो मेरा डैडी है. और जिस चूत का मैंने जिक्र किया, वह पता है किसकी चूत है? मेरी मां की चूत!"
मैं चकरा गया. "ठीक से बता ना यार!" मैंने उससे आग्रह किया.
"चल पूरी कहानी बताता हूं. टाइम लगेगा, इसलिये चल, सोफे पर बैठते हैं आराम से." मुझे उठा कर वह वैसे ही सोफे पर ले गया और मुझे गोद में ले कर बैठ गया. मेरे चूतड़ों के बीच अब भी उसका लौड़ा गड़ा हुआ था. धीरे धीरे अपने लंड को मेरी गांड में मुठियाते हुए मुझे बार बार प्यार से चूमते हुए उसने अपनी कहानी बताई. मस्त परिवार प्यार की कहानी थी.
हेमन्त की मां माया की शादी बस नाम की हुई थी. उसका पति कभी साथ नहीं रहा. माया अक्सर मायके आ जाती जहां उसके पिता उसे चोदा करते थे. अपने बाबूजी से चुदा कर उसे महुत मजा आता था. जब वह सोलह साल की थी तभी अपने पिता से उसे बच्चा पैदा हुआ, रतन. एक अर्थ से रतन माया का बेटा था और दूसरे अर्थ से छोटा भाई. रतन के पैदा होने के बाद दस साल बाद ही उसके पिता की मौत हो गयी.
२०
बचपन से रतन बहुत मतवाला था. यार दोस्तों से गांड मरवाता और मारता था. उसकी यह आदत छुड़ाने को माया ने उसे खुद ही रिझाया और अपने साथ संभोग करना सिखा दिया. छोटी उम्र से ही रतन अपनी मां को चोदता था.
माया को बहुत सुख मिला पर रतन गे का गे ही रहा. दूसरी औरतों में उसकी रुचि बिलकुल नहीं थी. कमसिन उमर में के रतन से माया को गर्भ रह गया. हेमन्त पैदा हुआ. तब माया अट्ठाईस साल की थी. इस हिसाब से हेमन्त माया का बेटा भी था और भांजा और पोता भी. और रतन हेमन्त का पिता, मामा और भाई तीनों था.
हेमन्त भी पक्का चोदू निकला. छोटी उमर में ही रतन ने उसकी गांड मारना शुरू कर दी. रतन के महाकाय लंड से मरा कर हेमन्त की हालत खराब हो गयी. दो तीन दिन वह बिस्तर में रहा. माया पहले बहुत झल्लायी पर आखिर उसने अपना हठ छोड़ दिया क्योंकि हेमन्त को भी मजा आया था. वह समझ गयी कि उसके दोनों बेटे गे हैं. अपने खेल में उसने हेमन्त को भी शामिल कर लिया. वैसे वह बहुत खुश थी. दो दो जवान बेटे उसे चोदते और उसकी गांड मारते थे. और साथ में एक दूसरे से भी खूब संभोग करते थे.
अब हेमन्त बाईस साल का नौजवान था, रतन चौंतीस का हो गया था और माया पचास की. रतन ने शादी करने से साफ़ इन्कार कर दिया था. बोला था कि किसी औरत को चोदेगा और चूसेगा तो सिर्फ़ अम्मा को. बाकी मजे के लिये तो उसका छोटा भाई था ही. एकाध दो दोस्त भी उसने बना लिये थे.
माया बेचारी बहुत चाहती थी कि रतन शादी कर ले. एक दिन रतन मजाक में बोला था कि अगर कोई शी मेल या अर्ध नारी मिल जाये तो वह शादी कर लेगा. पर ऐसा नाजुक छोकरा मिलना चाहिये जिसका लंड मजबूत हो और मस्त चिकनी गांड और चूचियां भी हों, भले ही नकली चूचियां हों. वैसे असली हों तो और अच्छा है.
कहानी सुन कर मेरा ऐसा तन्ना गया था कि क्या कहूं. हेमन्त उसे मुठियाता हुआ बोला. "अब समझा मेरी गांड ढीली क्यों है? रतन ने मार मार कर ऐसी कर दी है. बहुत मजा आता है उससे मरवाने में. तू उसका लंड देखेगा तो घबरा जायेगा! मुझसे बहुत बड़ा है."
मैंने मचल कर उसकी गर्दन में बांहें डालीं और उसे चूमने लगा. वह भी अपना मुंह खोल कर मेरी जीभ चूसता हुआ नीचे से ही मेरी गांड मारने लगा. झड़ने के बाद उसने मेरा लंड चूस डाला. इतनी मीठी उत्तेजना मुझे हुई कि मैं
करीब करीब रो दिया.
घंटे भर हम चुप रहे. सोते समय उससे लिपट कर मैं शरमा कर बोला. "तू सच कह रहा था कि मैं तेरी भाभी बन जाऊ? पर फ़िर तू मुझे नहीं चोदेगा?"
वह मेरे बाल सहलाता हुआ बोला. "अरे मैंने अपनी मां को नहीं छोड़ा तो तुझे क्या छोडूंगा. समझ ले तीन तीन से तुझे चुदाना पड़ेगा. मैं, रतन और अम्मा. अम्मा है पचास साल की पर बड़ी छिनाल है. साली का मन ही नहीं भरता.
घर की बहू बन कर तुझे सबकी सेवा करनी होगी. पिटाई भी होगी तेरी अगर किसी की बात नहीं मानी."
मैं बोला. "यार मुझे बात जमती है पर डर भी लगता है. मेरी हालत कर दोगे तीनों मिल कर."
वह सीरियस होकर बोला. "हां, यह तो सच है. गांव में बहू की क्या हालत होती है यह तू जानता है. असल में अम्मा, मेरे और रतन के मन में बड़े बुरे विकृत खयाल आते हैं. रतन भी कह रहा था कि कोई छोकरा बहू बन के आये तो सब मुराद पूरी कर लें. अम्मा तो क्या क्या सोचती है, तू सुनेगा तो घबरा जायेगा. और एक बात है. हम जैसे रखें रहना पड़ेगा, जो कहें वह करना पड़ेगा. पक्के गांडू और चुदैल लड़के को बहुत मजा आयेगा हमारी बहू बनकर अपनी दुर्गति कराने में भी."
मेरा मन डांवाडोल हो रहा था. बहुत डर लग रहा था पर दो मस्त बड़े लंड वाले जवानों और एक अधेड़ चुदक्कड़ नारी से मिलने वाली तरह तरह के कामुक गंदे और विकृत सुखों की सिर्फ कल्पना से ही मैं विभोर हो रहा था.
रात भर हमने संभोग किया, इतने हम इन गंदी बातों से उतावले हो गये थे. सुबह देर से उठे. हेमन्त तैयार होकर कालेज को निकला. मैंने मना कर दिया. बोला आज मूड नहीं है. वह मुस्कराया और चला गया.
मैं झट से तैयार हो कर बाजार गया. अपनी छाती और कूल्हों का नाप मैंने ले लिया था. चौंतीस और छत्तीस. फ़ेमिना में ब्रा का नाप लेने का लेख आया था, वह मैंने पढ़ा था. बाजार से ३४ डी डी कप साइज़ की नाइलान की पैडेड ब्रा और ३६ साइज़ की पैंटी खरीदी. साड़ी पेटीकोट और ब्लाउज़ का कपड़ा लिया. एक दर्जी से दुगने पैसे देकर सामने ही ब्लाउज़ सिलवाया. झूट मूट कहा कि बहन के लिये चाहिये. फ़िर हाई हील की सैंडल ली. अंत में एक लंबे बालों का विग खरीदा.
वापस आया तो बुरी तरह लंड खड़ा था. किसी तरह मुठ्ठ मारने से खुद को रोका और सो गया. शाम को उठकर अपने सिंगार में जुट गया. नहा कर पहले पैंटी और ब्रा पहनीं. ब्रा के अंदर बहुत सारे रुमाल ढूंस लिये जिससे वह फूल जाये. फ़िर विग लगाया. आइने में देखा तो विश्वास ही नहीं हुआ. मैं बहुत ही सेक्सी बड़े स्तनों वाली अर्धनग्न कन्या जैसा लग रहा था. बस पैंटी में तंबू बनाता मेरा लंड यह बता रहा था कि मैं मर्द हूं. उसे पेट से सटाकर पेटीकोट पहना और नाड़ी से लंड पेट पर बांध लिया.
वह हंस कर बोला. "कहो तो मेरा भाई है, कहो तो मामा है और कहो तो मेरा डैडी है. और जिस चूत का मैंने जिक्र किया, वह पता है किसकी चूत है? मेरी मां की चूत!"
मैं चकरा गया. "ठीक से बता ना यार!" मैंने उससे आग्रह किया.
"चल पूरी कहानी बताता हूं. टाइम लगेगा, इसलिये चल, सोफे पर बैठते हैं आराम से." मुझे उठा कर वह वैसे ही सोफे पर ले गया और मुझे गोद में ले कर बैठ गया. मेरे चूतड़ों के बीच अब भी उसका लौड़ा गड़ा हुआ था. धीरे धीरे अपने लंड को मेरी गांड में मुठियाते हुए मुझे बार बार प्यार से चूमते हुए उसने अपनी कहानी बताई. मस्त परिवार प्यार की कहानी थी.
हेमन्त की मां माया की शादी बस नाम की हुई थी. उसका पति कभी साथ नहीं रहा. माया अक्सर मायके आ जाती जहां उसके पिता उसे चोदा करते थे. अपने बाबूजी से चुदा कर उसे महुत मजा आता था. जब वह सोलह साल की थी तभी अपने पिता से उसे बच्चा पैदा हुआ, रतन. एक अर्थ से रतन माया का बेटा था और दूसरे अर्थ से छोटा भाई. रतन के पैदा होने के बाद दस साल बाद ही उसके पिता की मौत हो गयी.
२०
बचपन से रतन बहुत मतवाला था. यार दोस्तों से गांड मरवाता और मारता था. उसकी यह आदत छुड़ाने को माया ने उसे खुद ही रिझाया और अपने साथ संभोग करना सिखा दिया. छोटी उम्र से ही रतन अपनी मां को चोदता था.
माया को बहुत सुख मिला पर रतन गे का गे ही रहा. दूसरी औरतों में उसकी रुचि बिलकुल नहीं थी. कमसिन उमर में के रतन से माया को गर्भ रह गया. हेमन्त पैदा हुआ. तब माया अट्ठाईस साल की थी. इस हिसाब से हेमन्त माया का बेटा भी था और भांजा और पोता भी. और रतन हेमन्त का पिता, मामा और भाई तीनों था.
हेमन्त भी पक्का चोदू निकला. छोटी उमर में ही रतन ने उसकी गांड मारना शुरू कर दी. रतन के महाकाय लंड से मरा कर हेमन्त की हालत खराब हो गयी. दो तीन दिन वह बिस्तर में रहा. माया पहले बहुत झल्लायी पर आखिर उसने अपना हठ छोड़ दिया क्योंकि हेमन्त को भी मजा आया था. वह समझ गयी कि उसके दोनों बेटे गे हैं. अपने खेल में उसने हेमन्त को भी शामिल कर लिया. वैसे वह बहुत खुश थी. दो दो जवान बेटे उसे चोदते और उसकी गांड मारते थे. और साथ में एक दूसरे से भी खूब संभोग करते थे.
अब हेमन्त बाईस साल का नौजवान था, रतन चौंतीस का हो गया था और माया पचास की. रतन ने शादी करने से साफ़ इन्कार कर दिया था. बोला था कि किसी औरत को चोदेगा और चूसेगा तो सिर्फ़ अम्मा को. बाकी मजे के लिये तो उसका छोटा भाई था ही. एकाध दो दोस्त भी उसने बना लिये थे.
माया बेचारी बहुत चाहती थी कि रतन शादी कर ले. एक दिन रतन मजाक में बोला था कि अगर कोई शी मेल या अर्ध नारी मिल जाये तो वह शादी कर लेगा. पर ऐसा नाजुक छोकरा मिलना चाहिये जिसका लंड मजबूत हो और मस्त चिकनी गांड और चूचियां भी हों, भले ही नकली चूचियां हों. वैसे असली हों तो और अच्छा है.
कहानी सुन कर मेरा ऐसा तन्ना गया था कि क्या कहूं. हेमन्त उसे मुठियाता हुआ बोला. "अब समझा मेरी गांड ढीली क्यों है? रतन ने मार मार कर ऐसी कर दी है. बहुत मजा आता है उससे मरवाने में. तू उसका लंड देखेगा तो घबरा जायेगा! मुझसे बहुत बड़ा है."
मैंने मचल कर उसकी गर्दन में बांहें डालीं और उसे चूमने लगा. वह भी अपना मुंह खोल कर मेरी जीभ चूसता हुआ नीचे से ही मेरी गांड मारने लगा. झड़ने के बाद उसने मेरा लंड चूस डाला. इतनी मीठी उत्तेजना मुझे हुई कि मैं
करीब करीब रो दिया.
घंटे भर हम चुप रहे. सोते समय उससे लिपट कर मैं शरमा कर बोला. "तू सच कह रहा था कि मैं तेरी भाभी बन जाऊ? पर फ़िर तू मुझे नहीं चोदेगा?"
वह मेरे बाल सहलाता हुआ बोला. "अरे मैंने अपनी मां को नहीं छोड़ा तो तुझे क्या छोडूंगा. समझ ले तीन तीन से तुझे चुदाना पड़ेगा. मैं, रतन और अम्मा. अम्मा है पचास साल की पर बड़ी छिनाल है. साली का मन ही नहीं भरता.
घर की बहू बन कर तुझे सबकी सेवा करनी होगी. पिटाई भी होगी तेरी अगर किसी की बात नहीं मानी."
मैं बोला. "यार मुझे बात जमती है पर डर भी लगता है. मेरी हालत कर दोगे तीनों मिल कर."
वह सीरियस होकर बोला. "हां, यह तो सच है. गांव में बहू की क्या हालत होती है यह तू जानता है. असल में अम्मा, मेरे और रतन के मन में बड़े बुरे विकृत खयाल आते हैं. रतन भी कह रहा था कि कोई छोकरा बहू बन के आये तो सब मुराद पूरी कर लें. अम्मा तो क्या क्या सोचती है, तू सुनेगा तो घबरा जायेगा. और एक बात है. हम जैसे रखें रहना पड़ेगा, जो कहें वह करना पड़ेगा. पक्के गांडू और चुदैल लड़के को बहुत मजा आयेगा हमारी बहू बनकर अपनी दुर्गति कराने में भी."
मेरा मन डांवाडोल हो रहा था. बहुत डर लग रहा था पर दो मस्त बड़े लंड वाले जवानों और एक अधेड़ चुदक्कड़ नारी से मिलने वाली तरह तरह के कामुक गंदे और विकृत सुखों की सिर्फ कल्पना से ही मैं विभोर हो रहा था.
रात भर हमने संभोग किया, इतने हम इन गंदी बातों से उतावले हो गये थे. सुबह देर से उठे. हेमन्त तैयार होकर कालेज को निकला. मैंने मना कर दिया. बोला आज मूड नहीं है. वह मुस्कराया और चला गया.
मैं झट से तैयार हो कर बाजार गया. अपनी छाती और कूल्हों का नाप मैंने ले लिया था. चौंतीस और छत्तीस. फ़ेमिना में ब्रा का नाप लेने का लेख आया था, वह मैंने पढ़ा था. बाजार से ३४ डी डी कप साइज़ की नाइलान की पैडेड ब्रा और ३६ साइज़ की पैंटी खरीदी. साड़ी पेटीकोट और ब्लाउज़ का कपड़ा लिया. एक दर्जी से दुगने पैसे देकर सामने ही ब्लाउज़ सिलवाया. झूट मूट कहा कि बहन के लिये चाहिये. फ़िर हाई हील की सैंडल ली. अंत में एक लंबे बालों का विग खरीदा.
वापस आया तो बुरी तरह लंड खड़ा था. किसी तरह मुठ्ठ मारने से खुद को रोका और सो गया. शाम को उठकर अपने सिंगार में जुट गया. नहा कर पहले पैंटी और ब्रा पहनीं. ब्रा के अंदर बहुत सारे रुमाल ढूंस लिये जिससे वह फूल जाये. फ़िर विग लगाया. आइने में देखा तो विश्वास ही नहीं हुआ. मैं बहुत ही सेक्सी बड़े स्तनों वाली अर्धनग्न कन्या जैसा लग रहा था. बस पैंटी में तंबू बनाता मेरा लंड यह बता रहा था कि मैं मर्द हूं. उसे पेट से सटाकर पेटीकोट पहना और नाड़ी से लंड पेट पर बांध लिया.