hotaks444
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चुदाई का वीज़ा
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राजशर्मा आपके लिए एक और छोटी सी कहानी पोस्ट कर रहा हूँ जो आपको ज़रूर पसंद आएगी
मेरा नाम नबीला है और में 24 साला एक शादी शुदा औरत हूँ.
हम लोग कराची के रहने वाले हैं.
में अपनी तारीफ़ तो नही कर सकती मगर चूँकि हमारे मज़हब में गोरे रंग को ही खूबसूरती का मायर समझा जाता है .
इस लिए मेरा रंग गोरा होने की वजह से देखने वाले कहते हैं कि में एक खूबसूरत लड़की हूँ.
खास कर मेरी आँखों, उभरे हुए मम्मों और हिप्स ने मुझे ऐसा बना दिया था. मेरी कॉलेज की सहेलियाँ मेरा शुमार एक खूबसूरत और सेक्सी लड़कियों में करती थीं.
मुझे कॉलेज से फारिग हुए अभी चन्द महीने ही हुए थे. कि मेरे घर वालो ने मेरी शादी जमाल नामी एक शख्स से कर दी गई.
मेरे शोहर जमील हमारी कोई रिश्तेदारी में से नहीं हैं. बस एक शादी में उन की बहन और बहनोई ने मुझे देख लिया था और में उन को पसंद आ गई.
हमारे मुल्क के अक्सर लोग बाहर रहने वाले पाकिस्तानियों से बिला वजह ही मुतसर रहते हैं.
चूंकि मेरे शोहर अमेरिका में रहते हैं . इस लिए ज्यूँ ही उन के घर वाले उन का रिश्ता ले कर हमारे घर आए. तो मेरे घर वालों ने कुछ ज़्यादा छान बीन नही की और फॉरन ही हाँ कर दी.
जमाल एक अच्छे इंसान और आम से लड़के हैं. वो मुझे बेहाद पसंद करते हैं और में भी उन से प्यार करती हूँ.
मेरे सुसराल वाले भी बहुत ही अच्छे लोग हैं. खास तौर पर मेरे सास और सुसर तो बहुत ही शफ़ीक़ और मुहब्बत करने वाले हैं और मेरा बहुत ख़याल रखते हैं.
मेरी सास और सुसर ने अपनी सग़ी बेटी और मुझ में कभी कोई फ़र्क़ नहीं होने दिया.
मेरे सुसराल वालों का नर्सरी के इलाक़े में बहुत बड़ा बंगला है. जिस में में,सास सुसर के अलावा उन की बेटी और उस का शोहर घर दामाद बन कर उन के साथ ही रिहाइयश पज़ीर( रहते है ) हैं.
मुझे शादी के बाद अपने सुसराल में और हर तरह का आराम ओ सुकून था.
लेकिन परेशानी अगर थी तो बस ये कि मेरे शोहर शादी के बाद कुछ महीने मेरे साथ गुज़ार कर वापिस चले गये.
अब मेरी शादी को दो साल बीत चुके थे .लेकिन अभी तक मेरे अपने शोहर के पास अमेरिका जाने के कोई भी आसार नज़र नहीं आ रहे थे .
इस दौरान जमाल हर साल एक महीने के लिये आ जाते हैं. मगर साल के बाकी महीने उन के बगैर दिल नही लगता है.
एक दिन जब अपने शोहर से दूरी मेरे लिए नकाबिले बर्दाश्त हो गई. तो मैने फोन पर जमाल सेआमेरिका आने के लिए अपना विज़िट वीसा अप्लाइ करने का मशवरा किया.
जमाल ने मुझ मना किया कि में अभी विज़िट वीसा अप्लाइ ना करूँ.और वो जल्द ही मेरे ग्रीन कार्ड के लिए पेपर्स इम्मिग्रेशन में जमा करवा देंगे.
लेकेन उन के समझाने के बावजूद मैने इसरार किया कि ट्राइ करने में क्या हर्ज है.
आख़िर कार मेरी ज़िद के आगे हार मानते हुए जमाल ने मुझे विज़िट वीसा अप्लाइ करने की इजाज़त दे दी.
वीसा अप्लाइ करने के एक महीने बाद मुझे अमेरिकन एंबसी इस्लामाबाद से इंटरव्यू की कॉल आ गई.
मैने अपने सुसर (जिन को में एहतराम से अब्बा कहती हूँ) से बात कर के इस्लामाबाद जाने का प्रोग्राम बना लिया
प्रोग्राम के मुताबिक मेरे सुसर और मैने इंटरव्यू वाली सुबह की पहली फ्लाइट से इस्लामाबाद जाना और फिर उसी दिन शाम की फ्लाइट से वापिस कराची चले आना था.
फिर अपने प्रोग्राम के मुताबिक मेरे इंटरव्यू वाले दिन में और अब्बा दोनो बाइ एर इस्लामब्द पहुँच गये.
चूँकि हमारा इरादा तो उसी शाम ही को वापिस कराची आने का था. इस लिए हम ने अपने साथ किसी किसम का कोई समान या बॅग लाना मुनासिब नही समझा.
हम एरपोर्ट से टॅक्सी ले कर सीधे एम्बैसी आए और में इंटरव्यू के लिए एंबसी के अंदर चली गई.
जब कि अब्बा बाहर बैठ कर मेरे वापिस आने का इंतिज़ार करने लगे.
मुझे बहुत ही उम्मीद थी कि आज ज़रूर मुझे विज़िट वीसा मिल जाएगा. और में जल्द ही हवाओं में उड़ कर अपने शोहर की बाहों में पहुँच जाऊंगी.
मगर सोई किस्मत कि इंटरव्यू के बाद वीसा ऑफीसर ने मुझे वीसा देने से इनकार कर दिया.
वीसा ऑफीसर के इनकार ने मेरे दिल की आरज़ू को तहस नहस कर दिया. और में रोने लगी कि एक उम्मीद थी वो भी ख़तम हो गई थी.
मगर अब क्या हो सकता था.इस लिए में अफ्सुर्दा अंदाज़ में बोझिल कदमो से चलती हुई एम्बैसी के गेट से बाहर निकल आई.
एंबसी से बाहर निकली तो एक नई मुसीबत मेरी मुन्तिजर थी.
सुबह जब इंटरव्यू के लिए में एम्बैसी में एंटर हुई थी. उस वक़्त तक तो मोसम ठीक था.
मगर जब बाहर निकली तो देखा कि बाहर तो गजब की बारिश हो रही है.
एम्बैसी के सामने काफ़ी लॅडीस और जेंट्स’ खड़े भीग रहे थे.
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राजशर्मा आपके लिए एक और छोटी सी कहानी पोस्ट कर रहा हूँ जो आपको ज़रूर पसंद आएगी
मेरा नाम नबीला है और में 24 साला एक शादी शुदा औरत हूँ.
हम लोग कराची के रहने वाले हैं.
में अपनी तारीफ़ तो नही कर सकती मगर चूँकि हमारे मज़हब में गोरे रंग को ही खूबसूरती का मायर समझा जाता है .
इस लिए मेरा रंग गोरा होने की वजह से देखने वाले कहते हैं कि में एक खूबसूरत लड़की हूँ.
खास कर मेरी आँखों, उभरे हुए मम्मों और हिप्स ने मुझे ऐसा बना दिया था. मेरी कॉलेज की सहेलियाँ मेरा शुमार एक खूबसूरत और सेक्सी लड़कियों में करती थीं.
मुझे कॉलेज से फारिग हुए अभी चन्द महीने ही हुए थे. कि मेरे घर वालो ने मेरी शादी जमाल नामी एक शख्स से कर दी गई.
मेरे शोहर जमील हमारी कोई रिश्तेदारी में से नहीं हैं. बस एक शादी में उन की बहन और बहनोई ने मुझे देख लिया था और में उन को पसंद आ गई.
हमारे मुल्क के अक्सर लोग बाहर रहने वाले पाकिस्तानियों से बिला वजह ही मुतसर रहते हैं.
चूंकि मेरे शोहर अमेरिका में रहते हैं . इस लिए ज्यूँ ही उन के घर वाले उन का रिश्ता ले कर हमारे घर आए. तो मेरे घर वालों ने कुछ ज़्यादा छान बीन नही की और फॉरन ही हाँ कर दी.
जमाल एक अच्छे इंसान और आम से लड़के हैं. वो मुझे बेहाद पसंद करते हैं और में भी उन से प्यार करती हूँ.
मेरे सुसराल वाले भी बहुत ही अच्छे लोग हैं. खास तौर पर मेरे सास और सुसर तो बहुत ही शफ़ीक़ और मुहब्बत करने वाले हैं और मेरा बहुत ख़याल रखते हैं.
मेरी सास और सुसर ने अपनी सग़ी बेटी और मुझ में कभी कोई फ़र्क़ नहीं होने दिया.
मेरे सुसराल वालों का नर्सरी के इलाक़े में बहुत बड़ा बंगला है. जिस में में,सास सुसर के अलावा उन की बेटी और उस का शोहर घर दामाद बन कर उन के साथ ही रिहाइयश पज़ीर( रहते है ) हैं.
मुझे शादी के बाद अपने सुसराल में और हर तरह का आराम ओ सुकून था.
लेकिन परेशानी अगर थी तो बस ये कि मेरे शोहर शादी के बाद कुछ महीने मेरे साथ गुज़ार कर वापिस चले गये.
अब मेरी शादी को दो साल बीत चुके थे .लेकिन अभी तक मेरे अपने शोहर के पास अमेरिका जाने के कोई भी आसार नज़र नहीं आ रहे थे .
इस दौरान जमाल हर साल एक महीने के लिये आ जाते हैं. मगर साल के बाकी महीने उन के बगैर दिल नही लगता है.
एक दिन जब अपने शोहर से दूरी मेरे लिए नकाबिले बर्दाश्त हो गई. तो मैने फोन पर जमाल सेआमेरिका आने के लिए अपना विज़िट वीसा अप्लाइ करने का मशवरा किया.
जमाल ने मुझ मना किया कि में अभी विज़िट वीसा अप्लाइ ना करूँ.और वो जल्द ही मेरे ग्रीन कार्ड के लिए पेपर्स इम्मिग्रेशन में जमा करवा देंगे.
लेकेन उन के समझाने के बावजूद मैने इसरार किया कि ट्राइ करने में क्या हर्ज है.
आख़िर कार मेरी ज़िद के आगे हार मानते हुए जमाल ने मुझे विज़िट वीसा अप्लाइ करने की इजाज़त दे दी.
वीसा अप्लाइ करने के एक महीने बाद मुझे अमेरिकन एंबसी इस्लामाबाद से इंटरव्यू की कॉल आ गई.
मैने अपने सुसर (जिन को में एहतराम से अब्बा कहती हूँ) से बात कर के इस्लामाबाद जाने का प्रोग्राम बना लिया
प्रोग्राम के मुताबिक मेरे सुसर और मैने इंटरव्यू वाली सुबह की पहली फ्लाइट से इस्लामाबाद जाना और फिर उसी दिन शाम की फ्लाइट से वापिस कराची चले आना था.
फिर अपने प्रोग्राम के मुताबिक मेरे इंटरव्यू वाले दिन में और अब्बा दोनो बाइ एर इस्लामब्द पहुँच गये.
चूँकि हमारा इरादा तो उसी शाम ही को वापिस कराची आने का था. इस लिए हम ने अपने साथ किसी किसम का कोई समान या बॅग लाना मुनासिब नही समझा.
हम एरपोर्ट से टॅक्सी ले कर सीधे एम्बैसी आए और में इंटरव्यू के लिए एंबसी के अंदर चली गई.
जब कि अब्बा बाहर बैठ कर मेरे वापिस आने का इंतिज़ार करने लगे.
मुझे बहुत ही उम्मीद थी कि आज ज़रूर मुझे विज़िट वीसा मिल जाएगा. और में जल्द ही हवाओं में उड़ कर अपने शोहर की बाहों में पहुँच जाऊंगी.
मगर सोई किस्मत कि इंटरव्यू के बाद वीसा ऑफीसर ने मुझे वीसा देने से इनकार कर दिया.
वीसा ऑफीसर के इनकार ने मेरे दिल की आरज़ू को तहस नहस कर दिया. और में रोने लगी कि एक उम्मीद थी वो भी ख़तम हो गई थी.
मगर अब क्या हो सकता था.इस लिए में अफ्सुर्दा अंदाज़ में बोझिल कदमो से चलती हुई एम्बैसी के गेट से बाहर निकल आई.
एंबसी से बाहर निकली तो एक नई मुसीबत मेरी मुन्तिजर थी.
सुबह जब इंटरव्यू के लिए में एम्बैसी में एंटर हुई थी. उस वक़्त तक तो मोसम ठीक था.
मगर जब बाहर निकली तो देखा कि बाहर तो गजब की बारिश हो रही है.
एम्बैसी के सामने काफ़ी लॅडीस और जेंट्स’ खड़े भीग रहे थे.