hotaks444
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उस ने कहा " देख बेटा मैं जानती हूँ तेरे दिल में हम तीनों के लिए कितना प्यार है..पर कभी मजबूरी में समय के साथ भी चलना पड़ता है बेटा...देख तू तो जानता है अगर मेम साहेब ने हमें निकाल दिया तो हम कहाँ जाएँगे..? उन्हें खुश रखने में ही हमारी भलाई है..वो बीचारी कितने दिनों से अकेली है..उसका भी तो मन करता है ना बेटा ..कोई उसे बाहों में ले..प्यार करे ..."
" हां मा मैं समझता हूँ..पर उनके पास तो कितने मौके हैं..कितने और भी लोग हैं जिनके साथ वो दोस्ती कर सकती हैं...फिर मैं ही क्यूँ..?"
"तू ठीक कहता है...मुझे लगता है किसी और के साथ करने से बात खुलने का डर है ...और उनकी बदनामी हो सकती है..तू तो घर के जैसा ही है ना ..जैसे हम तीन हैं वो चौथी हो जाएँगी ..घर की बात घर में ही रहेगी ...और सब से बड़ी बात तेरी शराफ़त और भोलापन उन्हें भा गया है..इन दो महीनों में उन्होने तेरी हर बात बड़े ध्यान से देखी है .. उन्होने आज मुझ से सॉफ सॉफ तो नहीं कहा.... पर तेरे बारे काफ़ी कुछ पूछा ...और फिर ड्राइविंग सीखने की बात आई...इसी बहाने तुम दोनो करीब आओगे ..लोगो को शक भी नहीं होगा ..."
" ह्म्म्म्म..पर मा तुझे बुरा नहीं लगेगा..?? " मैने उसे गले लगाते हुए कहा ..
"नहीं बेटा बुरा क्यूँ लगेगा.? किसी की ज़रूरत में काम आना और सिर्फ़ मज़े के लिए करना दो अलग बात है...उनकी ज़रूरत है ..और उनकी ज़रूरत पूरी करने में हमारी भलाई भी है ..."
" बात तो तेरी बिल्कुल सही है मा..पर सिंधु और बिंदु ..??उन्हें बुरा लगा तो..??" मैने पूछा
" अरे तू उनकी चिंता मत कर अभी उन्हें कुछ बताने की ज़रूरत नहीं...बात सिर्फ़ हमारे और तुम्हारे बीच रहेगी ...बाद में देखी जाएगी ..उन्हें भी समझा लेंगे ..पर एक बात का ध्यान रखना बेटा..तू जल्दबाज़ी मत करना ...धीरे धीरे ही आगे बढ़ना ..."
" हां मा मैं समझ रहा हूँ तेरी बात ..मैं उनका दिल जीत कर ही उनकी चूत पर हमला कर दूँगा..ठीक है ना..???" मैने मा की चूत पर हाथ फेरता हुआ कहा ..
" हां पर ऐसे नहीं जैसा तू अभी कर रहा है मेरे साथ...हा हा हा !!!"
और तब तक दोनो बहने भी आ गयी ..
सिंधु और बिंदु के अंदर आते ही मा उठ खड़ी हुई मेरी गोद से ..और मैं कुर्सी ज़रा और दूर सरका , बैठा रहा ..
बिंदु तो सीधे चली गयी बाथरूम की तरफ हाथ मुँह धोने और सिंधु मुझे और मा को किचन में देख हमारे पास आ गयी ...
मुझे टाँग फैलाए कुर्सी पर बैठा देख उसकी आँखों में चमक आ गयी ...इस से अच्छा मौका उसे और कब मिलता अपने प्यारे खिलौने से खेलने का ...
वो झट मेरी गोद में अपनी टाँगें मेरी दोनो ओर कर दी , अपनी पीठ मेरे चेहरे की ओर करते हुए बैठ गयी और मेरे लौडे को अपनी मुट्ठी में भर लिया ...उफफफ्फ़..आज दिन भर मेरे हथियार को चैन नहीं मिल रहा था..उधर में साहेब ने अपनी हरकतों से इसे परेशान किया ..फिर मा से बातें करते वक़्त उसकी चुतडो की मार झेलता रहा और अब अपनी प्यारी बहेन ने अपने हाथ का कमाल दिखाना शुरू कर दिया ...सिंधु के हाथ लगाते ही लौडा तंन हो गया..सिंधु की तो लौटरी लग गयी ,,उसने फ़ौरन ज़िप खोल दिया ..लौडा फंफनाता हुआ उछालता हुआ उसकी दोनो हाथ की मुत्ठियो मे क़ेद था ..
उस ने मज़े लेते हुए उसे सहलाना शुरू कर दिया ..
" अरे क्या सिंधु बेटी , आते ही अपने भाई को तंग करना शुरू कर दिया ...खाना वाना खाना है या नहीं...चलो छोड़ो इसे ..खाना खाते हैं ..."
" हां मा खाना खाने के पहले मुझे अपने मुँह का टेस्ट तो ठीक करने दो ना ..." सिंधु बोल उठी ...
मेरा लंड तो पहले से ही पानी छोड़ रहा था , अंदर भरा भरा से लग रहा था ..बाहर निकलने को मचल रहा था...मुझे लगा सिंधु थोड़ी देर और सहलाए तो मैं तो झाड़ जाउन्गा ..और मैं चाहता भी था के इतने देर से लंड के अंदर का बवाल शांत हो जाए ..
मैने कहा " मा तुम खाना लगाओ ना हम आते हैं 5 मिनिट में ..." और फिर सिंधु के चेहरे को अपनी तरफ मोडते हुए कहा ..
" सिंधु मेरी जान ..मेरी प्यारी बहेना ..हा ..ज़रा जल्दी जल्दी हाथ चला ना ..मैं बस झड़ने वाला ही हूँ '
और उसके गाल चूमने लगा ..उसकी चुचियाँ मसल्ने लगा
" हां भाई , कर तो रही हूँ ..पर आज इतना गर्म क्यूँ है तेरा हथियार भाई...? मा ने दिया नहीं क्या ..?? "
" अरे नहीं यार , बस मुझे गर्म कर बीच में ही छोड़ दिया..तुम लोग आ गये ना ..." मैने उसे चूमते हुए कहा ..
" ऊवू ऐसी बात ..ठीक है भाई मैं अभी इसे ठंडा करती हूँ..." सिंधु ने मेरे लौडे को चूमते हुए कहा
पता नहीं सिंधु को क्या मज़ा मिलता था मेरे लौडे को सहलाने में ...खुद मेरे मुँह से मेरे लौडे को सहलाने की बात सुन वो और भी जोश में आ गयी , और मेरी गोद में अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर हुमच हुमच कर अपने हथेलियों से जाकड़ कर मेरी मूठ मारने लगी ...
और मैं उसके इस हमले को ज़्यादा देर झेल नहीं पाया ..उसके दो चार हमले के बाद मुझे लगा मैं झड़नेवाला हूँ ..मैने उसे अपनी तरफ खिचा लिया ..उसे जाकड़ लिया और अपनी चूतड़ उछालते हुए , अपने जांघों को उपर कर लंड को भी उपर करते हुए जोरदार पीचकारी छोड़ दिया ...
सिंधु मुझे झाड़ता देख मस्त हो गयी ...मुझे लगा वो भी मस्ती में आ गयी , उस ने अपनी पकड़ ढीली कर दी ,पर लौडे को छोड़ा नही , मेरा लौडा उसकी हथेली की पकड़ में ही झटके पे झटका खा रहा था ..और मेरी पीचकारी छूटती जा रही थी...
"ऊऊओ भाई ...आ आज पहली बार मुझे ये नज़ारा दिन के उजाले में देखने को मिला ....हां निकल दो अपना सारा माल बहार ..हां भाई .."
उसकी चूत भी ये दिलकश नज़ारा देख बिल्कुल गीली हो गयी थी ..पता नहीं शायद वो भी झाड़ रही थी...
सिंधु मेरे लौडे को झड़ने के बाद भी थामे रही , लौडा मुरझाया हुआ उसकी पकड़ में था ..उस ने उसे निचोड़ , निचोड़ कर , दबा दबा कर एक एक बूँद बाहर टपकती रही ..फिर अपनी पीठ मेरे सीने से लगा मुझ पर ढीली पड़ती हुई हाँफने लगी ........
मैं उसके गालों ..होंठों , गर्दन को चूमे जा रहा था ....
तब तक बाहर से मा की आवाज़ आई " हाई रे इन दोनो भाई-बहेन का प्यार ....अरे तुम लोग अब आ भी जाओ खाना तो खा लो.."
" हां मा , बस आया.." कहता हुआ मैने सिंधु को उसकी कमर से पकड़ता हुआ उठाया , अपनी गोद से उठाता हुआ उसे चूमता हुआ नीचे कर दिया और कहा
" थॅंक यू मेरी सिंधु जान .थॅंक यू.."
सिंधु ने मेरी ओर देखते हुए मुस्कुरा दिया , मेरे हाथ थाम लिए और मेरी हथेली को चूमते हुए कहा " भाई कितनी बार थॅंक यू बोलॉगे ..अभी तो सारी जिंदगी पड़ी है ...."
और फिर उस ने मुझे दिखाते हुए अपनी उंगलियों में लगे मेरे वीर्य को पूरी तरह चाट लिया " ह्म्म्म्म..अब खाने का मज़ा आएगा ना मा... मुँह का टेस्ट कितना मस्त हो गया ..." सिंधु अपनी जीभ चटखारते हुए कहा..
मैं उसके इस बात से झूम उठा , उसके अपने भाई के लिए इतनी चाहत से मेरा सीना चौड़ा हो गया ..मैने उसे अपनी तरफ खिचते हुए उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा " इतना प्यार मत कर अपने भाई से रे ...मैं इतना प्यार संभाल नहीं पाउन्गा ...."
और फिर हम लोग स्टील वाले टेबल पर रखे खाने पर टूट पड़े ..खड़े खड़े ही खाते रहे .....
खाने के बाद मैं अपने रूम में चला गया ...और बिस्तर पर आँखें बंद किए लेट गया...
मेरी आँखों के सामने अभी भी मेम साहेब की तस्वीर ताज़ा थी ....
सही में मोटी औरत और इतनी खूबसूरत , मैने आज तक नहीं देखी थी ..उनकी हाइट 5' 4" से किसी भी हालत में कम नहीं थी ..ज़यादा भी हो सकती थी...तभी उनके बदन में मोटापा दिखता नहीं ..बल्कि उसे और भी सेक्सी कर देता था..भारी भारी गोल गोल चुचियाँ ... गोल और बिल्कुल दूधिया सफेद चेहरा ,काली काली आँखें चौड़ी और बड़ी बड़ी..चेहरे पर एक मासूमियत ले आई थी ... सब से सेक्सी तो मुझे उनका सुडौल नाक लग रहा था ...बहुत ही शेप्ली जैसे तराशा हुआ ... जब वो बातें कर रही थी ..बीच बीच में जब हँसती ..उनकी नाक के नथुने फडक उठते ...उफफफफ्फ़ कितना सेक्सी लग रहा था मुझे..पर मैने अपने आप को बहुत कंट्रोल कर रखा था ...और उनके भरे भरे होंठ पर गहरी पिंक लिप-स्टिक ..मानो मुझे उन्हें चूस लेने को ..खा जाने को बूला रही थीं...
क्रमशः…………………………………………..
" हां मा मैं समझता हूँ..पर उनके पास तो कितने मौके हैं..कितने और भी लोग हैं जिनके साथ वो दोस्ती कर सकती हैं...फिर मैं ही क्यूँ..?"
"तू ठीक कहता है...मुझे लगता है किसी और के साथ करने से बात खुलने का डर है ...और उनकी बदनामी हो सकती है..तू तो घर के जैसा ही है ना ..जैसे हम तीन हैं वो चौथी हो जाएँगी ..घर की बात घर में ही रहेगी ...और सब से बड़ी बात तेरी शराफ़त और भोलापन उन्हें भा गया है..इन दो महीनों में उन्होने तेरी हर बात बड़े ध्यान से देखी है .. उन्होने आज मुझ से सॉफ सॉफ तो नहीं कहा.... पर तेरे बारे काफ़ी कुछ पूछा ...और फिर ड्राइविंग सीखने की बात आई...इसी बहाने तुम दोनो करीब आओगे ..लोगो को शक भी नहीं होगा ..."
" ह्म्म्म्म..पर मा तुझे बुरा नहीं लगेगा..?? " मैने उसे गले लगाते हुए कहा ..
"नहीं बेटा बुरा क्यूँ लगेगा.? किसी की ज़रूरत में काम आना और सिर्फ़ मज़े के लिए करना दो अलग बात है...उनकी ज़रूरत है ..और उनकी ज़रूरत पूरी करने में हमारी भलाई भी है ..."
" बात तो तेरी बिल्कुल सही है मा..पर सिंधु और बिंदु ..??उन्हें बुरा लगा तो..??" मैने पूछा
" अरे तू उनकी चिंता मत कर अभी उन्हें कुछ बताने की ज़रूरत नहीं...बात सिर्फ़ हमारे और तुम्हारे बीच रहेगी ...बाद में देखी जाएगी ..उन्हें भी समझा लेंगे ..पर एक बात का ध्यान रखना बेटा..तू जल्दबाज़ी मत करना ...धीरे धीरे ही आगे बढ़ना ..."
" हां मा मैं समझ रहा हूँ तेरी बात ..मैं उनका दिल जीत कर ही उनकी चूत पर हमला कर दूँगा..ठीक है ना..???" मैने मा की चूत पर हाथ फेरता हुआ कहा ..
" हां पर ऐसे नहीं जैसा तू अभी कर रहा है मेरे साथ...हा हा हा !!!"
और तब तक दोनो बहने भी आ गयी ..
सिंधु और बिंदु के अंदर आते ही मा उठ खड़ी हुई मेरी गोद से ..और मैं कुर्सी ज़रा और दूर सरका , बैठा रहा ..
बिंदु तो सीधे चली गयी बाथरूम की तरफ हाथ मुँह धोने और सिंधु मुझे और मा को किचन में देख हमारे पास आ गयी ...
मुझे टाँग फैलाए कुर्सी पर बैठा देख उसकी आँखों में चमक आ गयी ...इस से अच्छा मौका उसे और कब मिलता अपने प्यारे खिलौने से खेलने का ...
वो झट मेरी गोद में अपनी टाँगें मेरी दोनो ओर कर दी , अपनी पीठ मेरे चेहरे की ओर करते हुए बैठ गयी और मेरे लौडे को अपनी मुट्ठी में भर लिया ...उफफफ्फ़..आज दिन भर मेरे हथियार को चैन नहीं मिल रहा था..उधर में साहेब ने अपनी हरकतों से इसे परेशान किया ..फिर मा से बातें करते वक़्त उसकी चुतडो की मार झेलता रहा और अब अपनी प्यारी बहेन ने अपने हाथ का कमाल दिखाना शुरू कर दिया ...सिंधु के हाथ लगाते ही लौडा तंन हो गया..सिंधु की तो लौटरी लग गयी ,,उसने फ़ौरन ज़िप खोल दिया ..लौडा फंफनाता हुआ उछालता हुआ उसकी दोनो हाथ की मुत्ठियो मे क़ेद था ..
उस ने मज़े लेते हुए उसे सहलाना शुरू कर दिया ..
" अरे क्या सिंधु बेटी , आते ही अपने भाई को तंग करना शुरू कर दिया ...खाना वाना खाना है या नहीं...चलो छोड़ो इसे ..खाना खाते हैं ..."
" हां मा खाना खाने के पहले मुझे अपने मुँह का टेस्ट तो ठीक करने दो ना ..." सिंधु बोल उठी ...
मेरा लंड तो पहले से ही पानी छोड़ रहा था , अंदर भरा भरा से लग रहा था ..बाहर निकलने को मचल रहा था...मुझे लगा सिंधु थोड़ी देर और सहलाए तो मैं तो झाड़ जाउन्गा ..और मैं चाहता भी था के इतने देर से लंड के अंदर का बवाल शांत हो जाए ..
मैने कहा " मा तुम खाना लगाओ ना हम आते हैं 5 मिनिट में ..." और फिर सिंधु के चेहरे को अपनी तरफ मोडते हुए कहा ..
" सिंधु मेरी जान ..मेरी प्यारी बहेना ..हा ..ज़रा जल्दी जल्दी हाथ चला ना ..मैं बस झड़ने वाला ही हूँ '
और उसके गाल चूमने लगा ..उसकी चुचियाँ मसल्ने लगा
" हां भाई , कर तो रही हूँ ..पर आज इतना गर्म क्यूँ है तेरा हथियार भाई...? मा ने दिया नहीं क्या ..?? "
" अरे नहीं यार , बस मुझे गर्म कर बीच में ही छोड़ दिया..तुम लोग आ गये ना ..." मैने उसे चूमते हुए कहा ..
" ऊवू ऐसी बात ..ठीक है भाई मैं अभी इसे ठंडा करती हूँ..." सिंधु ने मेरे लौडे को चूमते हुए कहा
पता नहीं सिंधु को क्या मज़ा मिलता था मेरे लौडे को सहलाने में ...खुद मेरे मुँह से मेरे लौडे को सहलाने की बात सुन वो और भी जोश में आ गयी , और मेरी गोद में अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर हुमच हुमच कर अपने हथेलियों से जाकड़ कर मेरी मूठ मारने लगी ...
और मैं उसके इस हमले को ज़्यादा देर झेल नहीं पाया ..उसके दो चार हमले के बाद मुझे लगा मैं झड़नेवाला हूँ ..मैने उसे अपनी तरफ खिचा लिया ..उसे जाकड़ लिया और अपनी चूतड़ उछालते हुए , अपने जांघों को उपर कर लंड को भी उपर करते हुए जोरदार पीचकारी छोड़ दिया ...
सिंधु मुझे झाड़ता देख मस्त हो गयी ...मुझे लगा वो भी मस्ती में आ गयी , उस ने अपनी पकड़ ढीली कर दी ,पर लौडे को छोड़ा नही , मेरा लौडा उसकी हथेली की पकड़ में ही झटके पे झटका खा रहा था ..और मेरी पीचकारी छूटती जा रही थी...
"ऊऊओ भाई ...आ आज पहली बार मुझे ये नज़ारा दिन के उजाले में देखने को मिला ....हां निकल दो अपना सारा माल बहार ..हां भाई .."
उसकी चूत भी ये दिलकश नज़ारा देख बिल्कुल गीली हो गयी थी ..पता नहीं शायद वो भी झाड़ रही थी...
सिंधु मेरे लौडे को झड़ने के बाद भी थामे रही , लौडा मुरझाया हुआ उसकी पकड़ में था ..उस ने उसे निचोड़ , निचोड़ कर , दबा दबा कर एक एक बूँद बाहर टपकती रही ..फिर अपनी पीठ मेरे सीने से लगा मुझ पर ढीली पड़ती हुई हाँफने लगी ........
मैं उसके गालों ..होंठों , गर्दन को चूमे जा रहा था ....
तब तक बाहर से मा की आवाज़ आई " हाई रे इन दोनो भाई-बहेन का प्यार ....अरे तुम लोग अब आ भी जाओ खाना तो खा लो.."
" हां मा , बस आया.." कहता हुआ मैने सिंधु को उसकी कमर से पकड़ता हुआ उठाया , अपनी गोद से उठाता हुआ उसे चूमता हुआ नीचे कर दिया और कहा
" थॅंक यू मेरी सिंधु जान .थॅंक यू.."
सिंधु ने मेरी ओर देखते हुए मुस्कुरा दिया , मेरे हाथ थाम लिए और मेरी हथेली को चूमते हुए कहा " भाई कितनी बार थॅंक यू बोलॉगे ..अभी तो सारी जिंदगी पड़ी है ...."
और फिर उस ने मुझे दिखाते हुए अपनी उंगलियों में लगे मेरे वीर्य को पूरी तरह चाट लिया " ह्म्म्म्म..अब खाने का मज़ा आएगा ना मा... मुँह का टेस्ट कितना मस्त हो गया ..." सिंधु अपनी जीभ चटखारते हुए कहा..
मैं उसके इस बात से झूम उठा , उसके अपने भाई के लिए इतनी चाहत से मेरा सीना चौड़ा हो गया ..मैने उसे अपनी तरफ खिचते हुए उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा " इतना प्यार मत कर अपने भाई से रे ...मैं इतना प्यार संभाल नहीं पाउन्गा ...."
और फिर हम लोग स्टील वाले टेबल पर रखे खाने पर टूट पड़े ..खड़े खड़े ही खाते रहे .....
खाने के बाद मैं अपने रूम में चला गया ...और बिस्तर पर आँखें बंद किए लेट गया...
मेरी आँखों के सामने अभी भी मेम साहेब की तस्वीर ताज़ा थी ....
सही में मोटी औरत और इतनी खूबसूरत , मैने आज तक नहीं देखी थी ..उनकी हाइट 5' 4" से किसी भी हालत में कम नहीं थी ..ज़यादा भी हो सकती थी...तभी उनके बदन में मोटापा दिखता नहीं ..बल्कि उसे और भी सेक्सी कर देता था..भारी भारी गोल गोल चुचियाँ ... गोल और बिल्कुल दूधिया सफेद चेहरा ,काली काली आँखें चौड़ी और बड़ी बड़ी..चेहरे पर एक मासूमियत ले आई थी ... सब से सेक्सी तो मुझे उनका सुडौल नाक लग रहा था ...बहुत ही शेप्ली जैसे तराशा हुआ ... जब वो बातें कर रही थी ..बीच बीच में जब हँसती ..उनकी नाक के नथुने फडक उठते ...उफफफफ्फ़ कितना सेक्सी लग रहा था मुझे..पर मैने अपने आप को बहुत कंट्रोल कर रखा था ...और उनके भरे भरे होंठ पर गहरी पिंक लिप-स्टिक ..मानो मुझे उन्हें चूस लेने को ..खा जाने को बूला रही थीं...
क्रमशः…………………………………………..