Antarvasna kahani चुदासी चौकडी - Page 4 - SexBaba
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Antarvasna kahani चुदासी चौकडी

15

गतान्क से आगे…………………………………….

दोनो बहेनें मस्त थीं ..सिसकारियाँ भर रही थी..किलकरियाँ भर रही थी..झूम रही थी...

मेरा लौडा सिंधु के रस से लगातार भींगता जा रहा था ...रस टपक रहा था ....." हां रे सिंधु..मेरी जान ..मेरी रानी.....अया और ज़ोर धक्के मार ना रे ..और ज़ोर " मैं कराह रहा था ..मैं झड़ना चाह रहा था ..पर सिंधु इतनी मस्त हो गयी थी..उस ने पहले ही मेरे लौडे को जाकड़ लिया अपनी चूत से ..ढीली पड़ गयी और रस का फवारा छोड़ते हुए मेरे सीने पर ढेर हो गयी ....मेरा लौडा अभी भी कड़क था

था ..बूरी तरह कड़क ..उसकी गीली और उसके रस से पॅच पॅच भरी चूत के अंदर ...

इधर बिंदु भी मा की जोरदार चुसाइ, घिसाई और उंगलियों से चुदाइ के मारे पागल हो उठी और चूतड़ उछालते हुए मा के मुँह में अपना सारा माल छोड़ दिया और वो भी ढीली पड़ गयी ...हाँफने लागी ..मेरे चेहरे पर अपना मुँह लगाए ... और अपनी चूत मा के चेहरे पर रखे ...

मैं झड़ना चाह रहा था ..दोनो बहने निढाल थीं...

मैं उठा , अपने कड़क लौडे को सहलाता हुआ ..जो बूरी तरह गीला था ....

सिंधु को अपने से नीचे किया और बिंदु को मा से अलग हटाया..दोनो गद्दे पर पड़ी थी..

मा ने मुझे देखा अपना लौडा हिलाते हुए ..उसने अपनी बाहें फैला दीं . अपनी टाँगें फैला दीं..." हां मेरा राजा बेटा ..हां रे आ जा मेरी बाहों में ...चोद ले मुझे ,..आ जा मैं तुझे ठंडा कर दूं ...आ जा "

और मैं मा की टाँगों के बीच आता हुआ अपना लौडा उसकी गीली चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा ....पूरे का पूरा लौडा फतच से अंदर था..

मा का पूरा बदन सिहर उठा..कांप उठी मा , और मेरे लौडे को उसका ठीकाना मिल गया ..उफ़फ्फ़ मा की चूत की गर्मी ..उसकी.. मुलायम मक्खन जैसी फाँक , मानो मेरे लौडे को उसकी मंज़िल मिल गयी...

मैं भी सिहर उठा....और फिर धक्के पे धक्का लगाता गया ..पागलों की तरह ..मैं बूरी तरह बेचैन था झड़ने को ..मा भी समझ रही थी ....उस ने मुझे जाकड़ लिया ..अपने सीने से चिपका लिया " हां मेरा राजा ..मेरा सोना ..आ जा ..मा की चूत में ..हां बेटा ..." मेरे सर पर हाथ फ़ीरा रही थी..मेरी पीठ सहला रही थी ..मुझे चूम रही थी ......अपनी चूत मेरे धक्कों के साथ उछालती जा रही थी ......कभी अपनी चूत से मेरे लौडे को जाकड़ लेती ...और मैं पागल होता हुआ धक्के लगाए जा रहा था .....

और फिर मुझे लगा मेरा सारा खून लौडे के अंदर जमा हो गया हो...सन सना रहा था मेरा लौडा ....मेरा लौडा कांप उठा मा की चूत के अंदर ... मा समझ गयी ..मैं झड़ने वाला हूँ .. उस ने मुझे और भी जाकड़ लिया ..अपनी टाँगें मेरे चूतड़ पर लगाते हुए मुझे और करीब खिच लिया

" हां ..हां मेरे लाल ..आ जा ....आ जा मेरे बेटे ...तेरी मा की चूत है ना तेरे लिए ..तेरे लिए ही तो है बेटा ....बस आ जा ...आ ना रे ...." मा मुझे पुच्कार्ती रही ..प्यार करती रही ......और मैं झटके पे झटके खाता अपनी मा की चूत को अपने गर्म गर्म वीर्य की पीचकारी से भरता गया ..गाढ़े गाढ़े वीर्य की धार फूट पड़ी उसकी चूत के अंदर ...

मा भी सिहर उठी ..कांप उठी ...मेरे गर्म गर्म वीर्य की धार से , उस ने मेरे लौडे को अपनी चूत से जोरों से जाकड़ लिया ..मानो मेरा पूरा लौडा चूस डालेगी ..मुझे अपने सीने से चिपका लिया और फिर ढीली पड़ गयी ...हाँफने लगी

मैं मा के सीने पर अपना सर रखे हाँफ रहा था ..

मुझे सुकून मिल गया था ..मैं अब शांत था ..मेरा लौडा भी शांत था ..उसे मा की चूत चाहिए थी ...उसे अपना जन्नत मिल गया था ...

थोड़ी देर बाद मैं दूरूस्त हुआ..अपनी आँखें खोलीं ..देखा तो मा मेरा सर सहला रही थी ...मेरी आँखों में झाँकते हुए बोल उठी " बेटा अच्छा लगा ना...मैं जानती थी तुझे मेरी ही चूत चाहिए थी ..आख़िर बेटा अपनी मा की चूत से शांत होगा ना...हां बेटा...."

और उस ने मुझे अपने सीने से और भी चिपका लिया ..मैं अपनी मा की चूचियों की गर्मी से , उसकी नर्मी से लिपट ता हुआ ..उसकी चूचिओ पर सर रखता हुआ सो गया ...

दूसरे दिन दो-पहर होते ही मन में झुरजुरी सी होने लगी मेरे...मेम साहेब उर्फ शन्नो को कार चलाने का पाठ जो पढ़ाना था....कल की याद आते ही मेरे लौडे में हलचल मच उठी ..उफ्फ आग थी शन्नो ..एक दम आग...देखें आज आग बुझी है यह और भी भड़क उठी है ...मैं फ्रेश हो कर निकल ही रहा था कि मा की आवाज़ आई

" बेटा जग्गू ..ज़रा इधर तो आना रे.."

आवाज़ सुन मैं उधर देखा .तो मा बाथरूम के बाहर खड़ी मुझे इशारे से अपनी तरफ बूला रही थी...

" क्या है मा..?" मैं उनकी ओर बढ़ता हुआ बोला..

" ह्म्‍म्म..उपर से तो बड़ा सजधज के जा रहा है ..अंदर भी सब सज़ा सँवरा है ना रे..? " मा हंस रही थी...

" क्या मतलब मा..अंदर से ..??? अरे अंदर क्या क्रीम लगाऊं..? "
 
मा और भी जोरों से हंस पड़ी..फिर बोली " अरे कल रात को जब मेरी चुदाई कर रहा था ना मुझे लगा तेरे बाल काफ़ी उग आए हैं तेरे हथियार के आस पास..अरे लड़ाई में जा रहा है , हथीयार तो चमका ले रे ...आ इधर आ..पॅंट खोल मैं देखती हूँ..मेम साहेब को खुश रखना है ना ..आ . शर्मा मत ..चल खोल पॅंट.."

मैं भुन भुनाता हुआ उसके और करीब गया" क्या मा ..तू भी ना....चल जल्दी कर जो करना है.."

और मैने पॅंट खोल दिया उर नीचे से नंगा हो गया ..

मा ने देखा ...." उफफफफफ्फ़.तू भी ना जग्गू..देख तो कितने बाल उग आए हैं...अरे चूत में जब लंड जाता है ना भोले राम..बाल होने से रुकावाट आती है..चिकना रहता है तो बिल्कुल चिपकता हुआ पूरे का पूरा चंदे से चमड़ा टकराता है ..तभी तो मज़ा है रे बूधू.."

और मुझे मेरे लंड को थामते हुए खिचते हुए बाथरूम के अंदर ले गयी..

सबून लगा कर अच्छे से मला और फिर मेरे सेफ्टी रेज़र से ही फटाफट बाल साफ कर दिए ...उफफफ्फ़ ..मा के बाल साफ करने से मेरी बूरी हालत हो गयी थी ..मेरा चिकना लौडा हवा से बातें कर रहा था ...

" लो अब इसे शांत कौन करेगा ...मा तुम भी ना देखो तो क्या हाल कर दिया तू ने..अब मैं क्या करूँ..??"मैने झल्लाते हुए कहा ..

मा मेरे चिकने लौडे को अपने हथेली से सहला रही थी , उसकी जोरों से हँसी निकल गयी ...

" हा ! हा!!...वाह .देख तो चिकना लंड कितना मस्त लगता है पकड़ने में ..मन करता है खा जाऊं ...ला इतने चिकने लंड को मैं ही खाती हूँ.. सब से पहले ..."

और मा मेरे लौडे को अपनी हथेली से हल्के हल्के दबाते हुए ..चॅम्डी आगे पीछे करते हुए ...नीचे बैठ गयी और जीभ लपलपाते हुए पूरे लौडे की लंबाई चाट गयी....हाथेलि से लौडे के नीचे जाकड़ लिया और मुँह में ले चूसने लगी जोरों से ....मैं तो कांप उठा ..मेरे घूटने मूड गये....मा जोरों से कभी होंठों से चूस्ति..कभी जीभ फिराती ..कभी सिर्फ़ हथेली से जोरों से जाकड़ लेती..मूठ मार देती ..और मैं आँखें बंद किए मस्ती में सिहारता जा रहा था....उफफफफफ्फ़..क्या चूसाई चल रही थी..मुझे ऐसा लग रहा था मेरे पूरे बदन से खून खिचता हुआ लंड के अंदर आता जा रहा हो..और मैं और नहीं टिक सका ..मेरे लौडे ने झटके खाने शुरू कर दिए..मा ने चूसना रोक दिया ..हथेली से जकड़े अपने मुँह पर मेरे लौडे की छेद रख ली ..और मैं जोरदार पीचकारी छोड़ दिया उसके मुँह में....छोड़ता रहा ....छ्छूड़ता रहा...मा मेरे पूरे वीर्य को अपने गले के नीचे उतारती गयी...और फिर लौडे को चाट चाट कर पूरा सॉफ कर दिया ...मेरा लौडा चमक उठा ....और शांत हो गया ..

मा उठ गयी ..मुझे गले लागया..और कहा" जा अब मेम साहेब की जम कर चुदाई कर .... देखना ना अब जल्दी नहीं झदेगा ....मैने झाड़ दिया ना..." और मेरे लौडे को मेरे पॅंट के अंदर डाल दिया .

मैं भी झूम उठा था ..मस्त हो गया था और उसी झूमते कदमों से मेम साहेब के बंगले की ओर चल दिया..

वहाँ पहून्च्ते ही दरवाज़ा खटखटाया अंदर से बड़ी मीठी सी आवाज़ आई " अरे जग्गू ..आ भी जा ना रे ...सब कुछ तो खुला है ...दरवाज़ा खुला है रे ...." और जोरदार हँसी की आवाज़ आई ...

मैं समझ गया आज मेरी खैर नहीं ... मेम साहेब की शन्नो ने काफ़ी हलचल मचा रखी है ....

मैं दरवाज़ा खोलता हुआ अंदर गया...मेम साहेब सोफे पर लेटी थीं ...उन्होने एक लंबा फ्रॉक पहना था ..सोफे पर लेटी थीं ...और फ्रॉक उनके घुटनों तक उठा हुआ था ..नीचे पैंटी वॅंटी कुछ नहीं ....उनकी भी चूत चमक रही थी ....एक भी बाल नहीं था वहाँ ...फूली फूली चूत .... और गुलाबी फाँकें ...मन किया उन्हें दबोच लूँ ...

उन्होने लेटे लेटे ही मुझे अपने पैरों के पास बैठने का इशारा किया ..

मैं बैठ तो गया ..पर मेरी निगाहें उनकी चूत पे ही अटकी थी...

मैने कहा " मेम साहेब .....ओउफफफफफफ्फ़ सॉरी सॉरी शन्नो ...हां शन्नो ..क्या है आज ..चलें बाहर ..कार की चाभी दो ना ....."
 
शन्नो ने बड़ी सेक्सी आवाज़ में कहा " अरे कार की ऐसी की तैसी ...देखता नहीं मेरी चूत की क्या हाल बनाई तू ने...बस सिर्फ़ चूत और लंड की बात कर रे ...कार की तो मा चुद गयी....हा हा हा हा !! " और शन्नो ने अपनी टाँगें फैला दीं ..

मैं दंग रह गया ...आज शन्नो का एक और रूप सामने आ गया ..बिंदास और बेबाक ...उसके मुँह से गाली सुन कर मेरा लौडा तो फन्फना उठा ...

मैने कहा " ह्म्‍म्म तो शन्नो बेगम आज बड़े बिंदास मूड में है ...मुँह से गालियाँ पफूट रही है ..."

" हां रे जग्गू ..मैं पहले चुदाई के वक़्त खूब गालियाँ देती थी और गालियाँ सुनती भी थी ..तू भी गाली दे ना रे ..गंदी गंदी ..जितनी भी गंदी तू दे सके .....देगा ना जग्गू ?"

" हा हा हा ! शन्नो ...तुम्हें पता होना चाहिए मैं झोपड़पट्टी में ही पैदा हुआ..गाली सुनते ही पैदाइश हुई और गाली देता ही बड़ा भी हुआ..मादरचोद साली तू मुझे ही गाली देना सीखाएगी रे ..साली कल की पैदाइश है तेरी .तेरी .मा की चूत का भोंसड़ा कल ही तो बना है रे..." मैने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया ..

मेरी बात सुनते ही शन्नो उठ बैठी और मुझ से लिपट गयी ..मुझे चूमने लगी ..मेरे लौडे को थाम लिया और कहा " ऊफ्फ जग्गू ..वाह रे वाह क्या गालियाँ निकाली रे तू ने ,,मेरी चूत फडक गयी रे..देख ना रस टपक रहा है."...और मेरा हाथ थामे उसे अपनी गीली चूत पर रख दिया ...

मैने अपनी मुट्ठी में लेते हुए उसे मसल दिया ....मैं हैरान हो गया..जैसे ही मैने उसकी चूत मसली ..रस से मेरी हथेली भर गयी ..मानो किसी पानी से भरे गुब्बारे को दबा दिया हो ..मैं हथेली चाट लिया .....मस्त टेस्ट था उसकी चूत के रस का

शन्नो मस्त हो गयी " कैसा लगा रे मा के लौडे , मेरी चूत का रस..?"

" अरे मा की चूत ...साली क्या रस है रे ...एक दम झकास ..बोले तो एक दम नारियल पानी रे..."

आज के खेल की शुरुआत हो चुकी थी ..गालियों की बौछार से .....

शन्नो मुझे अपने सीने से लगाए लगाए ही उठ बैठी और मुझे धक्के देते हुए अपने बेडरूम की ओर चल पड़ी और मेरे कानों में बूद्बूदाति हुई बोलती भी जा रही थी

" जग्गू ....आज मुझे बूरी तरह चोद डाल..कुछ भी रहेम नहीं..भोंसड़ा बना दे रे ..फाड़ दे रे ..अगर तेरे लौडे में दम है ..इसके चिथड़े कर डाल ....उफफफफफ्फ़ .....मादरचोद रुकना मत .....आह कैसी आग है रे ...बहेन के लौडे .... तू साला अपनी मा बहेन को चोद चोद अपने लंड को साला मूसल बना रखा है...पेल दे मूसल आज ....."

और बेड रूम में मुझे अपनी पलंग पर धकेल दिया .. मेरे उपर चढ़ बैठी ...मेरे कड़क लौडे को अपनी जांघों के बीच जाकड़ लिया ...

मैं तो उसकी तड़प , उसके बिंदास रूप और गालियाँ सुन सुन हैरान भी था और मेरा लौडा भी टन टन कर रहा था ..

" अबे रंडी की औलाद ..साली लगता है तेरे बाप का लंड तेरी चूत में फँसा था ...साली लंड लिए लिए ही तेरी पैदाइश हुई ...तभी साली जब देखो लंड की बात करती है..चल तुझे पटक पटक के चोद्ता हूँ ..साली एक धक्के में दस चुदाई के धक्के मारूँगा ..साली तेरी गांद तक हिला दूँगा ..मादरचोद साली चूत से घूसेड तेरे मुँह से लंड निकालूँगा..चल उतार अपने कपड़े ....."

मैने उसे अपने उपर से हटाते हुए कहा और खुद अपने कपड़े एक झटके में उतार दिए..मेरा लौडा हिल रहा था..इतना कड़क हो गया था आज ....

पर शन्नो अभी भी मुस्कुराते हुए खड़ी थी और कपड़े उतारने की कोई हरकत नही थी...

" अबे तू ने सुना नहीं ..कपड़े कौन उतारेगा तेरा बाप..साली बाप से चुद्वाने का बड़ा शौक है..? उतार नहीं तो चूत तो बाद में फटेगी तेरी साली सारे कपड़े फाड़ दूँगा ... "

मैने ज़ोर से कहा ..

" तो फाड़ ना उल्लू के पट्ठे ....देखता क्या है ....?" उस ने जवाब दिया ...

और मैं भी टूट पड़ा उसके कपड़ों पर ..उसकी छाती के अंदर हाथ घुसाया और जोरों से खिचता हुआ नीचे तक कपड़ों को दो टुकड़ो में फाड़ता हुआ उसके गुदाज ..मांसल और गोरे गोरे बदन को नंगा कर दिया .... उसकी चुचियाँ डोल रही थीं...चूत से पानी रीस रहा था ....
 
थोड़ी देर दोनो एक दूसरे को देखते रहे ..दो नंगे बदन ....मैं अपना लंड सहला रहा था..और शन्नो अपनी चूत फैलाए उस पर उंगलियाँ फेर रही थी...

शन्नो ने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया ..अपनी चूत को मेरे लौडे से चिपका दिया ..मेरे होंठ काटने लगी ..उस पर दाँत गढ़ा दिए ..मानो काट खाएगी ....मैं दर्द से चिल्ला उठा

" अरे मादरचोद साली ...क्या करती है .....छोड़ ना ..उफ़फ्फ़ ..."

आज शन्नो बिल्कुल बेखौफ़ थी ...अपने पूरे तन , मन और बदन से नंगी ....

उस ने मुझे जकड़े जकड़े ही बिस्तर पर धकेल दिया , मेरे उपर लेटी रही और मेरे होंठ चुसती रही..उस ने काटना बंद कर दिया था .... अपनी चूत मेरे लौडे पर हिलाती जा रही थी. चूतड़ घूमा घूमा कर ....

मैने उसकी चुचियाँ मसलना शुरू कर दिया ..मानो आटा गूँध रहा हूँ ...क्या चूचियाँ थी ...मोटी मोटी ..भारी भारी ..दबाते जाओ पर कहीं ख़त्म होने के आसार ही नहीं ..बस गोश्त ही गोश्त ......

" अबे गान्डू ..क्या कर रहा है...साले कल काट खाया मेरी चुचियाँ और आज लगता है उन्हे उखाड़ फेंकेगा ....उफफफफफ्फ़ ..ज़रा तो रहेम कर बे भडवे ...." शन्नो ने सिसकियाँ लेते हुए कहा ..कल वाली जगह दबाने से उसे दर्द महसूस हुआ ...

मैं रुक गया ...और उसकी चूचियों को मुँह में लिया और चूसने लगा ...उसका दर्द कम हुआ

" हां मेरे भडवे राजा ..ऐसे ही चूस ..चूस के सारा रस निकाल दे रे मेरी चूचिओ से ...उफफफफफफ्फ़ ..मादरचोद तू बड़ा ज़ालिम है रे ...क्या कर दिया तू ने रे ..मैं तेरे बिना कैसे रहूंगी रे...उफफफ्फ़ बहनचोद साला हररमी की औलाद ..क्या कियाअ रे .....अया चूस ना ...और चूस ..." और अपनी चूचिया उस ने अपने हाथों से थामते हुए उसकी घूड़ियाँ मेरे मुँह में और भी अंदर घूसेड दी....

मैं मस्ती में उसकी भारी भारी चुचियाँ चूसे जा रहा था..और नीचे से एक हाथ से उसकी चूत भी सहला रहा था ..जैसे जैसे चूची चूस्ता उसकी चूत से रस फूट पड़ता ....एक दम मस्तायी जा रही थी शन्नो ..चूद्ने को तड़प रही थी ....बार बार अपनी चूत से मेरे लौडे को घीसती जा रही थी ...

मैं भी पागल हो रहा था ...मा की लंड चुसाइ और इधर शन्नो के आज के बिंदास और बेबाक रूप से मैं भी ताबड़तोड़ चोद्ने के मूड में आ गया..

मैने शन्नो को अपने उपर से हटाते हुए नीचे कर दिया..उसकी टाँगों के बीच आ गया ..उसकी जांघों को अपनी जांघों पर टिकाया ..उस ने अपनी टाँगें खोल दीं ...चूत की गुलाबी फाँक रीस रही थी..रस से सराबोर ..मैने उन्हें चूम लिया और उसकी चूतड़ उपर कर ली ...

क्रमशः…………………………………………..
 
16

गतान्क से आगे…………………………………….

चूत मेरे लौडे के बिल्कुल करीब थी ..चू रही थी..मैने अपनी चूतड़ पीछे करते हुए एक जोरदार धक्का लगाया ..शन्नो हिल गयी ....और मेरा लौडा फत्च्फत्चता हुआ अंदर था .....फिसलता हुआ....उसकी चूत की फाँक चीरता हुआ ....

" हाइईईईईईईईईईई रे तेरी मा की चूत आबे गान्डू ये मेरी चूत है रे कोई रंडी का भोंसड़ा नही रे गान्डू ...उफफफफ्फ़ ..ज़रा संभाल के नहीं चोद सकता बे ..हरामी ..साला......उफफफफफ्फ़...हाीइ रे मज़ा भी तो आ रहा है .....उफफफफफफ्फ़...चल अब रुका क्यूँ..मार ना धक्का ...." शन्नो बड़बदाई जा रही थी..

" हां रे बूर्चोदि ..साली ले..ना ..ख़ाआ ना मेरा लौडा गापागप.....ले ले पूरे का पूरा ..साली इतनी चूदासी थी ..अब ले चुदाई का मज़ा .....ले मेरा मूसल लौडा अपनी चूत में ..ले ..साली ..ले ...मादरचोद ले..ना ..." और मैं भी उसे गालियाँ देता जा रहा था और चोदे जा रहा था ..चोदे जा रहा था..ठप ..ठप ..फतच फतच .....चिकना लंड और चिकनी चूत ..सटा सॅट ..सटा सॅट ..लौडा अंदर बाहर हो रहा था....

शन्नो की चूतड़ हर धक्के में उछल रही थी ...उसकी चूत की फाँक मेरे लौडे को जाकड़ती जा रही थी...कस्ति जा रही थी.....अपने हाथ मेरे कमर के गिर्द रखे ..टाँगों से मेरे चुतडो को जकड़े ...उपर नीचे करती जाती ....

" पेल ..राजा ..पेल हां रे चोदु राजा ..पेल और पेल ...बहनचोद पेल हां ....अयाया आआआः पेले जाअ रे ...फाड़ डाल ..चीथड़े कर डाल जग्गू ....मार डाल रे ...मादरचोद ..मार ना और माअर धक्के लगा ना...."शन्नो बूरी तरह चिल्लाए जा रही थी ....बडबडाये जा रही थी ....

और फिर उस ने बूरी तरह मुझे अपनी टाँगों से जाकड़ लिया ..मुझ से चिपक गयी ....अपनी चूत से मेरे लौडे को कस लिया ....मानो उसे चूस डालेगी ...कुछ देर तक लंड चूत से कस्ति ..फिर छोड़ती और फिर खूब जोरों से लंड अपनी चूत से जाकड़ ली ....उसका पूरा बदन ऐंठ गया ..अकड़ गया ...और वो हन्फ्ते हुए ढीली पड़ गयी ..उसके हाथ पैर ढीले हो गये और मेरे लंड ने उसके चूत की गर्म गर्म धार का बहाव महसूस किया ..

मैं गन्गना गया ..और जोरदार धक्के लगाए .....मेरा पूरा बदन सिहर रहा था ...कांप रहा था ..मैने उसे जाकड़ लिया ..अपना लंड अंदर डाले डाले ही उसे जकड़ा रहा और झटके पे झटके खाता हुआ मेरे लंड ने वीर्य उगलना शुरू कर दिया ....हर झटके में मैं सिहर उठता और उसे और भी जोरों से जाकड़ लेता ....

मैं भी हांफता हुआ उसके सीने पर ..उसकी गुदाज और मांसल चूचियों पर सर रखे ढेर हो गया...

और इसी तरह दिन ,रात , हफ्ते और महीने गुज़रते गये ....मेरी जिंदगी मा , शन्नो और मेरी दोनो प्यारी प्यारी बहनो के गिर्द घूमती रही ....मैं इन्ही चार लोगो में अपनी जिंदगी की सारी खुशियाँ , मस्ती और मज़े ढूँढ लेता ..

मैने अब अपनी एक खुद की कार धुलाई की एजेन्सी भी शुरू कर ली थी ...आस पास के काफ़ी बिल्डिंग्स में मेरे छोकरे सफाई किया करते ....अच्छी ख़ासी कमाई हो जाती थी..

मा अभी भी मेम साहेब के यहाँ काम करती , पर बिंदु और सिंधु ने अपने काम छोड़ दिए थे ...मेम साहेब के यहाँ ही मा को उसके काम में मदद कर देतीं..पर हम ने मेम साहेब का बांग्ला छोड़ा नहीं....इतना अच्छा घर और वो भी मुफ़्त..कहाँ मिलता इतने बड़े शहर में ...और साथ में शन्नो जैसी मस्त चूत ....

बस अच्छे दिन चल रहे थे ..

एक दिन शन्नो बड़ी उदास सी थी ..पूछने पर पता चला उसकी एकलौती बेटी और दामाद अब हमेशा के लिए इंडिया छोड़ यू एस ए में सेट्ल हो गये......शन्नो अपने आप को बहुत अकेला महसूस कर रही थी....
 
मैने उसे समझाया ...खूब मनाया और अच्छे से चुदाई की उसकी ....वो काफ़ी खूश थी ....उसे अब काफ़ी अच्छा और हल्का महसूस हुआ...अपनी बेटी की जुदाई का गम उसकी चूत की चुदाई ने भूला दिया था..

इतने दिनों के साथ ने हमें एक दूसरे के काफ़ी करीब ला दिया......शन्नो अब हम सब से इतनी जुड़ गई थी कि ..उसे अपनी जिंदगी हमारे बिना बेमाने लगती ..मेरे बिना उसे चैन नहीं था ...हम उसकी जिंदगी बन गये थे ....

उस ने सोच लिया अपनी जिंदगी को पूरी तरह अपना लें ..अपना बना लें ... हमेशा के लिए ...

शन्नो एक दिन एक डिबिया में सिंदूर ले आई ..मेरी ओर देखा ..मेरी उंगली पकड़ी उसे सिंदूर में डुबोया और अपनी माँग में लगा दिया....

मैं तो भौंचक्का रह गया .....पर कुछ कह ना सका .....प्यार के सामने उम्र , समय और अमीरी ग़रीबी की सीमाओं का कोई मतल्ब नहीं होता ...सारी सीमायें और बंधनों को लाँघते हुए .हम एक दूसरे से हमेशा के लिए एक हो गये ...

उस रात शन्नो ने अपने ही अंदाज़ में हमारी सुहागरात मनाई..उस ने मेरे सुपाडे में सिंदूर लगाया ..फिर अपनी चूत और गांद की सुराख पर भी सिंदूर लगा दिया ..और बारी बारी से सिंदूर का टीका लिए लौडे को पहले अपने हाथों से अपनी चूत में डाला और फिर मेरी ओर अपनी गांद करते हुए अपने हाथों से मेरे लौडे को थामते हुए अपनी गुदाज , मुलयाम , मोटी मोटी , भारी भारी गांद के सुराख पर टीकाया और मुझे कहा " अब लगा धक्के जग्गू ..आज से सब कुछ तेरा है..तेरे लौडे का है ....हां रे मैं पूरी तरह से तेरी हो गयी ..चोद ले ..मार ले मेरी गांद ...ले ले मेरी चूत..भर दे अपने लौडे के रस से ...हां रे मा के लौडे ...ले ले ...."

और सारी रात मैं कभी गांद पेलता कभी चूत ..तो कभी गांद में लंड और चूत में उंगली धँसा देता..और इसी तरह हम दोनो एक दूसरे की बाहों में चिपके थक कर सो गये ...

हमारी शादी से मा और मेरी बहेनें तो बस खुशी से झूम उठी थीं ...इतना अच्छा मौका था ..हमारी ग़रीबी अब हमारे पीछे छूट गयी थी.....

हम सब मेम साहेब के बंगले में ही रहने लगे .....

आपास में कोई भेद भाव नहीं था ..एक खुला खुला सा माहौल था..

समय रहते ही हम ने अपनी दोनो बहनो की शादी भी अच्छे अच्छे घरों में कर दी ...पैसा हो तो कुछ भी मुमकीन है....

दोनो बहुत खुश हैं अपने अपने घरों में..और जब हमारे यहाँ आती हैं ..कहना ना होगा ..अपने भाई के लंड से खूब खेलती हैं दोनो .....उस समय मा और शन्नो दोनो हम भाई-बहनो को साथ छोड़ देती हैं .....खूब चूद्वाति हैं अपने प्यारे भाई से ..जी भर कर ..बारी बारी से अपनी अपनी चूतो में लंड भर लेती हैं और रात-रात भर पड़ी रहती हैं...और फिर दोनो बहेनें खुशी खुशी अपने अपने घर चली जाती हैं .....

फिर रह जाते हैं हम तीनों ... मा, शन्नो और मैं ..अपनी दुनिया में खोए ....सारी दुनिया से बेख़बर ..जहाँ सिर्फ़ हम तीन होते हैं और साथ में होती हैं शन्नो और मा की चूत.....और मेरा हलब्बी लंड......

दा एंड .
 
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