hotaks444
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मैने रेहाना को आवाज़ देकर उसके लिए नीबू-पानी लाने को कहा, नीबू पानी पीकर उसको कुछ अच्छा लगा, फिर खाना खिलाया.
उस रात थकान की वजह से मे जल्दी ही सो गया था, रात को शाकीना मेरे पास आई, और आकर मेरे पास बैठ गयी, जब उसने मुझे हिलाया तो मे उठ गया और उसको अपने पास सुला लिया.
वो आगे बढ़ना चाहती थी लेकिन उसकी कमजोर हालत देख कर मैने उसे मना कर दिया और कल उसी झरने पर चलने का प्रोग्राम बना कर उसे अपने साथ सटा कर सो गया.
पता नही वो कितने बजे मेरे पास से चली गयी, जब सुबह मेरी आँख खुली तो मे अकेला ही था.
दूसरे दिन मे उसके साथ जानवरों को लेकर निकल गया झरने के किनारे और अपने- 2 कपड़े निकाल कर बिछावन पर रख दिए.
मे मात्र अंडरवेर में था, और शाकीना ब्रा और पेंटी में.
आज उसको कपड़े निकालने में झिझक महसूस नही हुई और मेरे साथ पानी में उतर गयी.
हम दोनो तैरते और एक दूसरे से छेड़खानी करते हुए झरने तक पहुँचे और उसके सफेद दूधिया पानी का लुफ्त लेने लगे.
मैने झरने के नीचे शाकीना को पीछे से अपनी बाहों में कस लिया, वो भी मेरे लंड से अपनी गोल-2 उभरी हुई छोटी सी गान्ड सटा कर चिपक गयी.
मे उसके गालों को किस करते हुए उसकी गोल-2 अविकसित चुचियों को मसल रहा था, उसके बदन को सहलाते-2 जब मेरा एक हाथ उसकी चूत पर गया तो मैने उसे पेंटी के उपर से ही मसल दिया.
वो सीत्कार कर उठी… सीईईई….आहह….उफ़फ्फ़.. और अपनी टाँगें भींच ली.
उसकी ब्रा के हुक खोल कर पानी से दूर फेंक दिया और उसको अपनी ओर घुमाकर उसके होठों को चूसने लगा, मेरे हाथ उसकी चुचियों को आकार देने में लगे हुए थे.
वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, और मेरे निचले होठ को अपने होठों के बीच दबाकर चूसने लगी.
फिर मैने उसकी गान्ड को उसी पत्थर पर लॅंड करा दिया और उसकी पेंटी भी निकाल कर उसकी ब्रा के पास फेंक दी.
उसकी चूत आज कुछ फूली सी दिख रही थी, जो होंठ उस दिन आपस में जुड़े हुए थे, आज थोड़ी सी जगह बनाए हुए थे.
मैने अपनी पूरी जीभ को एक बार उसकी चूत पर फिराया, उसकी आँखें बंद हो गयी और आआहह…. सीयी… निकल गयी उसके मुँह से….
एक बार उसकी चूत को चूस-2 कर मैने झाड़ दिया, अपना अंडरवेर उतार कर उसको लंड चूसने को कहा, उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और मज़े ले लेकर उसे चूसने लगी,
वो कभी-2 मेरे अंडों को भी मुँह में लेकर चूसने लगती तो मेरे मुँह से भी आआहह… निकल जाती.
धीरे-2 उसको लंड चूसने का अनुभव होता जा रहा था, अब वो मेरी आँखों में देखती हुई लंड चूस रही थी.
उसके मुँह की गर्मी मे ज़्यादा देर नही झेल पाया और उसके सर को अपने लंड पर दबा कर उसके मुँह को ही चोदने लगा.
उसके मुँह से लार निकल-2 कर उसके मम्मों को गीला कर रही थी. अंत में मुझसे बर्दास्त नही हुआ और उसके मुँह में ही झड गया.
वो पहली बार वीर्य टेस्ट कर रही थी, सो जैसे ही मेरा वीर्य उसके मुँह में गया उसने मेरा लंड बाहर निकालना चाहा लेकिन मैने उसका मुँह अपने लंड पर ही दबाए रखा, जब तक कि पूरी तरह नही झड गया.
मजबूरी में उसको वो सब पीना पड़ा, लेकिन जैसे ही मैने अपना लंड बाहर निकाला, उसको भी टेस्ट अच्छा लगा और उसने मेरे लौडे को चाट-2 कर चम्का दिया….!
हम फिर से झरने के नीचे आ गये और एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए झरने के पानी का मज़ा लेने लगे….
हमारी उत्तेजना एक बार फिर से भड़कने लगी….
मे उसको गोद में उठाए उस पत्थर पर बैठ गया, और उसकी चूत को अपने लंड पर रखवा कर उसकी कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींचा, लंड आधा चूत में घुस गया, उसके मुँह से दर्द भरी आहह.. निकल पड़ी.
मैने उसको किस करते हुए उसके निप्पलो को मरोड़ दिया, उसने मज़े और दर्द में अपनी बाहें मेरे गले में लपेट दी और अपनी कमर को एक तेज झटका दिया, जिससे पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.
आहह….अम्मिईिइ….. उफफफफ्फ़….मारीई…हाईए…अल्लहह…
उसने अपनी कमर को उपर किया, अभी वो आधा ही लंड बाहर निकाल पाई थी कि मैने अपनी एक उंगली उसकी गान्ड के छेद में डाल दी.
गान्ड को सिकॉड़ते हुए उसने फिर से अपनी कमर मेरी ओर की, तो फिर से पूरा लंड अंदर सरक गया, उत्तेजना और मस्ती में उसने मेरे कंधे में अपने दाँत गढ़ा दिए.
मेरी चीख उबल पड़ी और अपनी पूरी उंगली उसकी गान्ड में पेल दी.
उत्तर में उसने मेरे दोनो कान पकड़ लिए और मेरे होठों को मुँह में भर कर चूसने लगी और अपनी कमर को तेज़ी से आगे-पीछे करने लगी.
मेरे कंधे में अभी भी जलन हो रही थी, मैने उसकी गान्ड पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा- साली जंगली बिल्ली काटती है..
वो मेरे होठ छोड़कर मेरी आँखों में देखती हुई स्माइल करते हुए बोली- आपकी उंगली कहाँ है.. हन ! दूसरों की फिकर नही करोगे तो कुछ तो भुगतना पड़ेगा ना.
ऐसी ही मस्ती भरी चुदाई कुछ देर चलती रही, फिर मैने उसको नीचे उतरने को कहा और पत्थर पर हाथ टिका कर उसको घोड़ी की तरह झुका दिया.
उसकी मस्त गोल-मटोल गान्ड को मुँह में भर कर चूसने लगा, फिर जीभ से उसके दोनो छेदों को बारी-2 से चाटा. उसकी सिसकियाँ बदस्तूर जारी रही.
जब मैने उसकी गान्ड के छेद पर अपनी जीभ लगाई, तो उसका छेद खोल-बंद होने लगा.
उसकी चूत में सुरसुरी बढ़ रही थी और अनायास ही उसका हाथ अपनी चूत को सहलाने लगा.
मैने उसके पीछे खड़े होकर अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सेट किया और एक करारे झटके से पूरा अंदर डाल दिया…!
आअहह…..सीईईई…धीरीए…. मेरिइइ….जाअंणन्न्….हइई…उफफफ्फ़..
और जल्दी ही उसका दर्द मस्ती बढ़ने लगा और वो और ज़ोर-2 से गान्ड हिलाने लगी.. पीछे से मेरे धक्के पूरी ताक़त से लग रहे थे…
बड़ी गरम लौंडिया थी शाकीना… पूरी ताक़त से अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक-2 कर चुद रही थी.
15 मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद हम दोनो ही एक साथ झड गये और उसी पत्थर पर उसे गोद में बिठा कर सुसताने लगा.
उसके बाद थोड़ी देर और झरने के नीचे खड़े होकर नहाए फिर तैरते हुए बाहर आ गये.
उस रात थकान की वजह से मे जल्दी ही सो गया था, रात को शाकीना मेरे पास आई, और आकर मेरे पास बैठ गयी, जब उसने मुझे हिलाया तो मे उठ गया और उसको अपने पास सुला लिया.
वो आगे बढ़ना चाहती थी लेकिन उसकी कमजोर हालत देख कर मैने उसे मना कर दिया और कल उसी झरने पर चलने का प्रोग्राम बना कर उसे अपने साथ सटा कर सो गया.
पता नही वो कितने बजे मेरे पास से चली गयी, जब सुबह मेरी आँख खुली तो मे अकेला ही था.
दूसरे दिन मे उसके साथ जानवरों को लेकर निकल गया झरने के किनारे और अपने- 2 कपड़े निकाल कर बिछावन पर रख दिए.
मे मात्र अंडरवेर में था, और शाकीना ब्रा और पेंटी में.
आज उसको कपड़े निकालने में झिझक महसूस नही हुई और मेरे साथ पानी में उतर गयी.
हम दोनो तैरते और एक दूसरे से छेड़खानी करते हुए झरने तक पहुँचे और उसके सफेद दूधिया पानी का लुफ्त लेने लगे.
मैने झरने के नीचे शाकीना को पीछे से अपनी बाहों में कस लिया, वो भी मेरे लंड से अपनी गोल-2 उभरी हुई छोटी सी गान्ड सटा कर चिपक गयी.
मे उसके गालों को किस करते हुए उसकी गोल-2 अविकसित चुचियों को मसल रहा था, उसके बदन को सहलाते-2 जब मेरा एक हाथ उसकी चूत पर गया तो मैने उसे पेंटी के उपर से ही मसल दिया.
वो सीत्कार कर उठी… सीईईई….आहह….उफ़फ्फ़.. और अपनी टाँगें भींच ली.
उसकी ब्रा के हुक खोल कर पानी से दूर फेंक दिया और उसको अपनी ओर घुमाकर उसके होठों को चूसने लगा, मेरे हाथ उसकी चुचियों को आकार देने में लगे हुए थे.
वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, और मेरे निचले होठ को अपने होठों के बीच दबाकर चूसने लगी.
फिर मैने उसकी गान्ड को उसी पत्थर पर लॅंड करा दिया और उसकी पेंटी भी निकाल कर उसकी ब्रा के पास फेंक दी.
उसकी चूत आज कुछ फूली सी दिख रही थी, जो होंठ उस दिन आपस में जुड़े हुए थे, आज थोड़ी सी जगह बनाए हुए थे.
मैने अपनी पूरी जीभ को एक बार उसकी चूत पर फिराया, उसकी आँखें बंद हो गयी और आआहह…. सीयी… निकल गयी उसके मुँह से….
एक बार उसकी चूत को चूस-2 कर मैने झाड़ दिया, अपना अंडरवेर उतार कर उसको लंड चूसने को कहा, उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और मज़े ले लेकर उसे चूसने लगी,
वो कभी-2 मेरे अंडों को भी मुँह में लेकर चूसने लगती तो मेरे मुँह से भी आआहह… निकल जाती.
धीरे-2 उसको लंड चूसने का अनुभव होता जा रहा था, अब वो मेरी आँखों में देखती हुई लंड चूस रही थी.
उसके मुँह की गर्मी मे ज़्यादा देर नही झेल पाया और उसके सर को अपने लंड पर दबा कर उसके मुँह को ही चोदने लगा.
उसके मुँह से लार निकल-2 कर उसके मम्मों को गीला कर रही थी. अंत में मुझसे बर्दास्त नही हुआ और उसके मुँह में ही झड गया.
वो पहली बार वीर्य टेस्ट कर रही थी, सो जैसे ही मेरा वीर्य उसके मुँह में गया उसने मेरा लंड बाहर निकालना चाहा लेकिन मैने उसका मुँह अपने लंड पर ही दबाए रखा, जब तक कि पूरी तरह नही झड गया.
मजबूरी में उसको वो सब पीना पड़ा, लेकिन जैसे ही मैने अपना लंड बाहर निकाला, उसको भी टेस्ट अच्छा लगा और उसने मेरे लौडे को चाट-2 कर चम्का दिया….!
हम फिर से झरने के नीचे आ गये और एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए झरने के पानी का मज़ा लेने लगे….
हमारी उत्तेजना एक बार फिर से भड़कने लगी….
मे उसको गोद में उठाए उस पत्थर पर बैठ गया, और उसकी चूत को अपने लंड पर रखवा कर उसकी कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींचा, लंड आधा चूत में घुस गया, उसके मुँह से दर्द भरी आहह.. निकल पड़ी.
मैने उसको किस करते हुए उसके निप्पलो को मरोड़ दिया, उसने मज़े और दर्द में अपनी बाहें मेरे गले में लपेट दी और अपनी कमर को एक तेज झटका दिया, जिससे पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.
आहह….अम्मिईिइ….. उफफफफ्फ़….मारीई…हाईए…अल्लहह…
उसने अपनी कमर को उपर किया, अभी वो आधा ही लंड बाहर निकाल पाई थी कि मैने अपनी एक उंगली उसकी गान्ड के छेद में डाल दी.
गान्ड को सिकॉड़ते हुए उसने फिर से अपनी कमर मेरी ओर की, तो फिर से पूरा लंड अंदर सरक गया, उत्तेजना और मस्ती में उसने मेरे कंधे में अपने दाँत गढ़ा दिए.
मेरी चीख उबल पड़ी और अपनी पूरी उंगली उसकी गान्ड में पेल दी.
उत्तर में उसने मेरे दोनो कान पकड़ लिए और मेरे होठों को मुँह में भर कर चूसने लगी और अपनी कमर को तेज़ी से आगे-पीछे करने लगी.
मेरे कंधे में अभी भी जलन हो रही थी, मैने उसकी गान्ड पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा- साली जंगली बिल्ली काटती है..
वो मेरे होठ छोड़कर मेरी आँखों में देखती हुई स्माइल करते हुए बोली- आपकी उंगली कहाँ है.. हन ! दूसरों की फिकर नही करोगे तो कुछ तो भुगतना पड़ेगा ना.
ऐसी ही मस्ती भरी चुदाई कुछ देर चलती रही, फिर मैने उसको नीचे उतरने को कहा और पत्थर पर हाथ टिका कर उसको घोड़ी की तरह झुका दिया.
उसकी मस्त गोल-मटोल गान्ड को मुँह में भर कर चूसने लगा, फिर जीभ से उसके दोनो छेदों को बारी-2 से चाटा. उसकी सिसकियाँ बदस्तूर जारी रही.
जब मैने उसकी गान्ड के छेद पर अपनी जीभ लगाई, तो उसका छेद खोल-बंद होने लगा.
उसकी चूत में सुरसुरी बढ़ रही थी और अनायास ही उसका हाथ अपनी चूत को सहलाने लगा.
मैने उसके पीछे खड़े होकर अपना लंड उसकी चूत के छेद पर सेट किया और एक करारे झटके से पूरा अंदर डाल दिया…!
आअहह…..सीईईई…धीरीए…. मेरिइइ….जाअंणन्न्….हइई…उफफफ्फ़..
और जल्दी ही उसका दर्द मस्ती बढ़ने लगा और वो और ज़ोर-2 से गान्ड हिलाने लगी.. पीछे से मेरे धक्के पूरी ताक़त से लग रहे थे…
बड़ी गरम लौंडिया थी शाकीना… पूरी ताक़त से अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक-2 कर चुद रही थी.
15 मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद हम दोनो ही एक साथ झड गये और उसी पत्थर पर उसे गोद में बिठा कर सुसताने लगा.
उसके बाद थोड़ी देर और झरने के नीचे खड़े होकर नहाए फिर तैरते हुए बाहर आ गये.