hotaks444
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पर कुछ साफ़ दिख नहीं रहा था मतलब दोनों ही शायद थोड़े दूर दूर खड़े थे पर उनकी आवाजो से लग रहा था की बहस हो रही है दोनों में पर भाभी में इतनी हिम्मत कहा से आयी की वो राणाजी के सामने मुह खोल दे वो भी इस तरह से पर अभी सुनना था की आखिर बात क्या हो रही है
राणाजी-पर तुम ऐसा कैसे कर सकती हो
भाभी-हमने कर दिया है
राणाजी- और जब वो जवाब मांगेगा तब
भाभी- वो हमारी बात कभी नहीं टालेगा और वैसे भी सबकुछ उसी का ही तो है ना
राणाजी- बेशक, पर ये मत भूलो की वो इस वक़्त आग से खेल रहा है उस आग में जो जला देगी उसको
भाभी- तो आप उसे बता क्यों नहीं देते
राणाजी-हमारे पास कुछ भी नहीं बताने को
भाभी-आप ज्यादा देर छुपा भी नहीं पाएंगे मैंने उसकी आँखों में एक जूनून देखा है एक दीवानगी देखि है चलो आप से पूछती हु आखिर ऐसी क्या वजह थी की कुंदन लाल मंदिर तक पहुच गया क्या कभी पता लगाने की कोशिश की आपने
राणाजी-आपको क्या लगता है हमने प्रयास नहीं किया होगा यहाँ तक की कुंदन के पीछे अपने आदमी भी लगाये पर कुछ हासिल नहीं हुआ आदमियो की जान गयी सो अलग जगन से बस इतना मालूम हुआ की किसी लड़की के पीछे उसका और अंगार का पंगा हुआ था पर ये नहीं मालूम हो रहा की वो लड़की आखिर है कौन
भाभी- जो भी है एक बात तो है की कुंदन बहुत गहरे से जुड़ा है उस से,कुछ तो बात होगी उस लड़की में जिसके लिए कुंदन ने जान की परवाह भी ना की.
राणाजी- इसी लिए तो हम चाहते है की तुम कुंदन से इस बारे में मालूमात करो वो तुम्हारे बहुत करीब है तुम्हे बता देगा और अगर फिर भी बात न बने तो अपने इस खूबसूरत जिस्म का इस्तेमाल करो कुंदन को अपने रूप जाल का जाम पिलाओ
भाभी- हर कोई आपकी तरह जिस्म फरोश नहीं होता,हां वो मेरे करीब है पर उसे मेरे जिस्म की चाहत नहीं इज्जत करता है वो मेरी अपना मानता है मुझे
राणाजी- हर मर्द की एक ही कमजोरी होती है और कुंदन भी मर्द है आगे हमे कुछ कहने की जरुरत नहीं
भाभी- पर उसकी कोई कमजोरी नहीं क्योंकि वो असली मर्द है जो औरत को अपने नीचे रौंदना नहीं बल्कि उसकी इज्जत उसका सम्मान करना जनता है वो आपसे हमसे सबसे बहुत अलग है और आपको क्या लगता है कि उसे इस जायदाद का लालच है नहीं ,देखना वो खुद आता ही होगा मेरे पास
राणाजी- सवाल ये है क्या की उसे अर्जुन सिंह की वसीयत के बारे में पता है या नहीं
भाभी- उसे पता होगा और वो उसके पीछे छुपे सच को भी तलाश कर ही लेगा वैसे मैं बता दू की कुंदन कभी उस खजाने को हाथ नहीं लगायेगा कभी नहीं मैं सोचती हूं जब परम पूज्य धर्माधिकारी राणा हुकुम सिंह के चेहरे से ये नकाब उतरेगा तब क्या होगा
अगले ही पल चटाक की तेज आवाज मैंने सुनी और भाभी की आह भी राणाजी ने थप्पड़ मारा था उनको और अगले ही पल दरवाजा खुला कुछ देर बाद मैंने राणाजी की गाड़ी को गांव की तरफ जाते देखा पर इससे पहले भाभी वहां से निकलती मैं कमरे में घुस गया
मुझे वहां देख कर भाभी बुरी तरह चौंक गयी मैंने कमरे का जायजा लिया और उस कहानी को समझने की कोशिश करने लगा जो कुछ समय पहले यहाँ दोहराई गयी थी
भाभी- तुम यहाँ कैसे
मैं- मिलना था आपसे घर गया पर आप थी नहीं वापिस जा रहा था तो यहाँ गाड़ी देखी
भाभी- अभी हमारा मन नहीं है बाद में बात करेंगे
भाभी बाहर जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला- ये क्या खेल है जो सब लोग मिल कर मेरे साथ खेल रहे हो और आपने ऐसा क्यों कहा की कुंदन खजाने को हाथ भी नहीं लगायेगा
भाभी- अब तुम चोरी छिपे बाते भी सुनने लगे
मैं- आप तो सरे आम ससुर का बिस्तर गर्म कर रही हो
भाभी का थप्पड़ अगले ही पल मेरे गाल पर पड़ा और गुस्से से बिलबिलाते हुए वो कमरे से बाहर चली गयी मैंने रोकने की कोशिश नहीं की भाभी के जाने के बाद अब रुकने का कोई फायदा नहीं था जो काम करने आया था वो हुआ नहीं
खैर, पूजा के घर हमेशा की तरह ताला लगा हुआ था तो मैं अपनी झोपडी की तरफ बढ़ गया पर जाके देखा की झोपड़ी धू धू करके जल रही है और मैं बस उसे जलते हुए देखता रहा धीरे धीरे आग शांत होने लगी मैं कुवे की मुंडेर पर बैठे गहरी सोच में डूबा हुआ था
राणाजी-पर तुम ऐसा कैसे कर सकती हो
भाभी-हमने कर दिया है
राणाजी- और जब वो जवाब मांगेगा तब
भाभी- वो हमारी बात कभी नहीं टालेगा और वैसे भी सबकुछ उसी का ही तो है ना
राणाजी- बेशक, पर ये मत भूलो की वो इस वक़्त आग से खेल रहा है उस आग में जो जला देगी उसको
भाभी- तो आप उसे बता क्यों नहीं देते
राणाजी-हमारे पास कुछ भी नहीं बताने को
भाभी-आप ज्यादा देर छुपा भी नहीं पाएंगे मैंने उसकी आँखों में एक जूनून देखा है एक दीवानगी देखि है चलो आप से पूछती हु आखिर ऐसी क्या वजह थी की कुंदन लाल मंदिर तक पहुच गया क्या कभी पता लगाने की कोशिश की आपने
राणाजी-आपको क्या लगता है हमने प्रयास नहीं किया होगा यहाँ तक की कुंदन के पीछे अपने आदमी भी लगाये पर कुछ हासिल नहीं हुआ आदमियो की जान गयी सो अलग जगन से बस इतना मालूम हुआ की किसी लड़की के पीछे उसका और अंगार का पंगा हुआ था पर ये नहीं मालूम हो रहा की वो लड़की आखिर है कौन
भाभी- जो भी है एक बात तो है की कुंदन बहुत गहरे से जुड़ा है उस से,कुछ तो बात होगी उस लड़की में जिसके लिए कुंदन ने जान की परवाह भी ना की.
राणाजी- इसी लिए तो हम चाहते है की तुम कुंदन से इस बारे में मालूमात करो वो तुम्हारे बहुत करीब है तुम्हे बता देगा और अगर फिर भी बात न बने तो अपने इस खूबसूरत जिस्म का इस्तेमाल करो कुंदन को अपने रूप जाल का जाम पिलाओ
भाभी- हर कोई आपकी तरह जिस्म फरोश नहीं होता,हां वो मेरे करीब है पर उसे मेरे जिस्म की चाहत नहीं इज्जत करता है वो मेरी अपना मानता है मुझे
राणाजी- हर मर्द की एक ही कमजोरी होती है और कुंदन भी मर्द है आगे हमे कुछ कहने की जरुरत नहीं
भाभी- पर उसकी कोई कमजोरी नहीं क्योंकि वो असली मर्द है जो औरत को अपने नीचे रौंदना नहीं बल्कि उसकी इज्जत उसका सम्मान करना जनता है वो आपसे हमसे सबसे बहुत अलग है और आपको क्या लगता है कि उसे इस जायदाद का लालच है नहीं ,देखना वो खुद आता ही होगा मेरे पास
राणाजी- सवाल ये है क्या की उसे अर्जुन सिंह की वसीयत के बारे में पता है या नहीं
भाभी- उसे पता होगा और वो उसके पीछे छुपे सच को भी तलाश कर ही लेगा वैसे मैं बता दू की कुंदन कभी उस खजाने को हाथ नहीं लगायेगा कभी नहीं मैं सोचती हूं जब परम पूज्य धर्माधिकारी राणा हुकुम सिंह के चेहरे से ये नकाब उतरेगा तब क्या होगा
अगले ही पल चटाक की तेज आवाज मैंने सुनी और भाभी की आह भी राणाजी ने थप्पड़ मारा था उनको और अगले ही पल दरवाजा खुला कुछ देर बाद मैंने राणाजी की गाड़ी को गांव की तरफ जाते देखा पर इससे पहले भाभी वहां से निकलती मैं कमरे में घुस गया
मुझे वहां देख कर भाभी बुरी तरह चौंक गयी मैंने कमरे का जायजा लिया और उस कहानी को समझने की कोशिश करने लगा जो कुछ समय पहले यहाँ दोहराई गयी थी
भाभी- तुम यहाँ कैसे
मैं- मिलना था आपसे घर गया पर आप थी नहीं वापिस जा रहा था तो यहाँ गाड़ी देखी
भाभी- अभी हमारा मन नहीं है बाद में बात करेंगे
भाभी बाहर जाने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला- ये क्या खेल है जो सब लोग मिल कर मेरे साथ खेल रहे हो और आपने ऐसा क्यों कहा की कुंदन खजाने को हाथ भी नहीं लगायेगा
भाभी- अब तुम चोरी छिपे बाते भी सुनने लगे
मैं- आप तो सरे आम ससुर का बिस्तर गर्म कर रही हो
भाभी का थप्पड़ अगले ही पल मेरे गाल पर पड़ा और गुस्से से बिलबिलाते हुए वो कमरे से बाहर चली गयी मैंने रोकने की कोशिश नहीं की भाभी के जाने के बाद अब रुकने का कोई फायदा नहीं था जो काम करने आया था वो हुआ नहीं
खैर, पूजा के घर हमेशा की तरह ताला लगा हुआ था तो मैं अपनी झोपडी की तरफ बढ़ गया पर जाके देखा की झोपड़ी धू धू करके जल रही है और मैं बस उसे जलते हुए देखता रहा धीरे धीरे आग शांत होने लगी मैं कुवे की मुंडेर पर बैठे गहरी सोच में डूबा हुआ था