Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी

hotaks444

New member
Joined
Nov 15, 2016
Messages
54,521
प्यासी जिंदगी 


दोस्तो आपकी सेवा में एक लेकर आया हूँ इस कहानी मे हर तरह का मिर्च मसाला मिलेगा मसलन गे सेक्स, ओरल सेक्स ,नॉर्मल सेक्स , थ्रीसम मतलब सबके दिल की मुराद पूरी होगी . वैसे एक बात और बता दूं ये कहानी मैने नही लिखी है पर कुछ फेरबदल ज़रूर किए हैं तो दोस्तो ज़्यादा बातें ना करते हुए कहानी की तरफ चलते है दोस्तो मेरा नाम वसीम राजा है और मेरे चाहने वाले मुझे राज भी कहते हैं और मेरी उम्र इस वक़्त 35 साल है। कहानी है इस बारे में कि कैसे मैं और मेरी परिवार में चुदाई से आशनाई हुई। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती जाएगी.. मैं आप लोगों से अपनी फैमिली का तवारूफ करवाता जाऊँगा। 
ये सब जब शुरू हुआ.. उस वक़्त मेरी उम्र 20 साल थी। मैं सेक्स के मामले में बिल्कुल पागल था। चौबीस घंटे मेरे जेहन में सिर्फ़ सेक्स ही भरा रहता था। मैं हर वक़्त सेक्स मैगजीन्स की तलाश में रहता था।
हालांकि मुठ मारने के लिए सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी पहने हुई लड़की की तस्वीर भी मेरे लिए बहुत थी।
एक दिन मुझे मेरे दोस्त ने एक सीडी दी। मैं सीडी लेकर घर आया और हमेशा की तरह कंप्यूटर इस्तेमाल में था और मैंने शदीद झुंझलाहट में अपनी ज़िंदगी को कोसा कि मेरे इतने भाई बहन ना ही होते तो अच्छा था कि यहाँ किसी को कभी कोई प्राइवेसी ही नहीं मिलती।
मैंने सीडी अपने कॉलेज बैग में छुपा दी और रात के इन्तजार में दिन काटने लगा। 
रात को जब सब सोने चले गए तो मैंने सीडी निकाली और स्टडी रूम की तरफ चल दिया। स्टडी रूम में किसी को ना पकड़ मुझे कुछ इत्मीनान हुआ और मैंने मूवी देखना शुरू की।
यह एक आम ट्रिपल एक्स मूवी थी.. जिसमें एक जोड़े को चुदाई करते दिखाया गया था।
मैंने अपने 6.5 इंच लण्ड को अपने शॉर्ट से बाहर निकाला और मूवी देखते-देखते अपने लण्ड को सहलाने लगा।
अचानक ही मेरा छोटा भाई ज़ुबैर… रूम में दाखिल हुआ।
मैं मूवी देखने और लण्ड को सहलाने में इतना खो सा गया था कि मैं ज़ुबैर की आमद को महसूस ही नहीं कर सका जब तक कि उसने चिल्ला कर हैरतजदा आवाज़ में पुकारा- भाईजान.. ये क्या हो रहा है?

मेरी खौफ से तकरीबन मरने वाली हालत हो गई और मैंने फ़ौरन अपने लण्ड को छुपाने की कोशिश की..
ज़ुबैर कुछ देर खामोश खड़ा कुछ सोचता रहा और फिर मुस्कुराते हुए कहने लगा- तो आप भी ये सब करते हैं.. मैं तो समझता था कि सिर्फ़ मैं ही ऐसा हूँ।
मैं उस वक़्त कुछ कन्फ्यूज़्ड सा था.. लेकिन मैंने देखा कि ज़ुबैर ने इस बात को इतनी अहमियत नहीं दी है.. तो मैंने झेंपते हुए मुस्कुराहट से ज़ुबैर को देखा और कहा- यार सभी करते हैं.. ये तो नेचुरल है।
ज़ुबैर ने सवालिया अंदाज़ में पूछा- भाई.. आपने ये मूवी कहाँ से ली है?
क्योंकि उस वक़्त ऐसी मूवीज का मिलना बहुत मुश्किल होता था.. ख़ास तौर से हमारे एरिया में..
मैंने कहा- यार रफ़ीक से ली है।
रफ़ीक मेरा दोस्त था। 
ज़ुबैर ने हिचकिचाते हुए कहा- भाईजान मैं भी देखूंगा..
फिर मुझे कुछ सोचता देख कर फ़ौरन ही बोला- भाईजान प्लीज़ देखने दो ना..
मैंने मुस्कुरा कर ज़ुबैर को देखा और कहा- चल जा.. कुर्सी ले आ और यहाँ पर बैठ जा।
वो खुश होता हुआ कुर्सी लाकर मेरे साथ ही बैठ गया।
हमने पूरी मूवी साथ में देखी.. लेकिन मैं मुठ नहीं मार सका.. क्योंकि मेरा छोटा भाई मेरे साथ था। मूवी के बाद हम अपने-अपने बिस्तर पर चले गए.. जो हमारे अलग-अलग बेडरूम में थे। हमने यह तय किया कि हम में से जिसको भी ऐसी कोई मूवी मिली.. तो हम साथ ही देखा करेंगे।
इस एग्रीमेंट से हम दोनों को ही फ़ायदा हुआ कि हम कभी भी मूवी देख सकते थे। कंप्यूटर ज्यादातर हम दोनों के ही इस्तेमाल में रहता था। हमारी बहनें कंप्यूटर में इतनी रूचि नहीं लेती थीं। 
साथ फिल्म देखने में हममें एक ही मसला था कि.. हम एक-दूसरे के सामने मुठ नहीं मार सकते थे। कुछ हफ्तों के बाद हमने एक मूवी देखी.. जिसमें कुछ सीन होमोसेक्सुअल भी थे। जैसे एक सीन में एक 18-20 साल का लड़का एक आदमी का लण्ड चूस रहा था। मुझे वो सीन कुछ अजीब सा लगा और सच ये था कि मुझे एक अलग सा अनोखा मज़ा भी आने लगा।
ज़ुबैर ने स्क्रीन पर ही नज़र जमाए हुए पूछा- भाई इसमें क्या मज़ा आता है इन लोगों को? जब लड़कियाँ मौजूद हैं.. तो ये लड़के एक-दूसरे को क्यूँ चोद रहे हैं?
मैंने कहा- पता नहीं यार..
फिर मैंने ज़ुबैर को बताया- मुझे अपने एरिया के कुछ लड़कों का पता है कि वो एक-दूसरे को चोदते हैं। 
जैसे-जैसे मूवी आगे बढ़ती जा रही थी.. हमें भी मज़ा आने लगा था। 
मैंने ज़ुबैर को देखा.. तो ज़ुबैर अपने शॉर्ट के ऊपर से ही अपने लण्ड को मसल रहा था। मुझे भी बहुत अधिक ख्वाहिश हुई कि मैं भी अपने लण्ड को सहलाऊँ। तो मैंने हिम्मत की और ज़ुबैर की परवाह किए बगैर शॉर्ट के ऊपर से ही अपने लण्ड को पूरा अपनी गिरफ्त में लेकर हाथ आगे-पीछे करने लगा।
ज़ुबैर ने मेरी तरफ एक नज़र डाली और कुछ बोले बिना.. फिर से मूवी देखने लगा.. तो मैंने अपनी मुठ जारी रखी।
ज़ुबैर ने भी हिम्मत की और मेरी तरह शॉर्ट के ऊपर से अपने पूरे लण्ड को गिरफ्त में ले लिया और मुठ मारने लगा।
जल्द ही हम दोनों के हाथों के आगे-पीछे होने की स्पीड बढ़ने लगी।
मेरी साँसें फूल गई थीं.. मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं, मेरा जिस्म अकड़ रहा था और जल्द ही मेरे मुँह से हल्की सी ‘आह..’ खारिज हुई.. और मैंने अपने लण्ड के पानी को अपने लण्ड से निकलता महसूस किया, मेरे जिस्म ने 3-4 झटके लिए और मैं ठंडा हो गया।
मेरी आँख खुली और मैंने ज़ुबैर की तरफ देखा तो वो मुझे ही देख रहा था।
हम दोनों के शॉर्ट्स गीले हो चुके थे। हमने एक-दूसरे से कोई बात नहीं की। ज़ुबैर ने कंप्यूटर ऑफ किया और हम दोनों चुपचाप अपने-अपने बिस्तर पर सोने चल दिए।
इसी तरह गाहे-बगाहे हम दोनों मूवी देखते और शॉर्ट के ऊपर से ही अपने-अपने लण्ड को ग्रिप में लेकर मुठ्ठ मारते। ये सब रुटीन वर्क की तरह चल रहा था, हम दोनों में से कोई भी अब इससे अजीब नहीं समझता था।
मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि मैं गान्डू सेक्स को भी पसन्द करने लगा था। ‘गे’ सेक्स की मूवीज देख कर मुझे मज़ा आता था.. लेकिन ऐसी मूवीज आम नहीं थीं। कभी-कभार कोई सीडी मिल जाती थी.. जिसमें ‘गे’ सेक्स मूवीज होती थी। 
एक दिन मुझे एक सीडी ऐसी मिली.. जो प्योरली ‘गे’ पॉर्न की थी। उसमें सिर्फ़ आदमी थे.. कोई औरत नहीं थी।
हम दोनों वो मूवी देख रहे थे कि एक सीन आया.. जिसमें दो बहुत क्यूट से यंग लड़के एक-दूसरे की गाण्ड में डिल्डो (रबर का लण्ड) अन्दर-बाहर कर रहे थे। 
मुझे वो सीन देखते-देखते बहुत ज्यादा मज़ा आने लगा और शॉर्ट के ऊपर से लण्ड सहलाते-सहलाते मैंने अंजाने में अपने शॉर्ट को घुटनों तक उतार दिया और अपने लण्ड को अपने हाथ में लेकर तेजी से मुठ मारने लगा।
ज़ुबैर ने मुझे इस हालत में देखा तो उससे शॉक लगा और उसने चिल्ला कर कहा- भाईईइ.. ये क्या कर रहे हो आप?
मैंने कहा- छोड़ो यार.. मैं रोज़-रोज़ अपने आपको रोक-रोक कर और रोज़ रात अपने शॉर्ट को धोकर तंग आ गया हूँ। हम दोनों ही जानते हैं कि हम ये करते हैं.. तो यार खुल कर ही क्यूँ ना करें.. तुम भी उतारो अपना शॉर्ट.. और मूवी देखो यार.. हम खुल कर मज़े लेते हैं। 
ज़ुबैर से ये कह कर मैंने अपना रुख़ दोबारा कंप्यूटर की तरफ मोड़ लिया और मुठ मारने का सिलसिला दोबारा से जोड़ने लगा। कुछ देर झिझकने के बाद ज़ुबैर ने भी हिम्मत की और अपने लण्ड को शॉर्ट से बाहर निकाल लिया। 
मैंने ज़ुबैर को इस हाल में देखा तो मुस्कुरा दिया। अब अचानक ही हमारा फोकस कंप्यूटर स्क्रीन से हट कर एक-दूसरे के लण्ड पर मुन्तकिल हो गया था। ज़ुबैर का लण्ड उस वक़्त भी तकरीबन 6 इंच का था.. जबकि मेरा तकरीबन साढ़े 6 इंच का था। ज़ुबैर के लण्ड की टोपी थोड़ी गुलाबी सी थी.. जबकि मेरा लण्ड कुछ लाल-काला मिक्स से रंग का था। 
ज़ुबैर ने कहा- भाई हमारे लण्ड छोटे क्यूँ हैं.. जबकि मूवीज में तो सबके बहुत बड़े-बड़े लण्ड होते हैं?
मैंने कहा- हमारा साइज़ बिल्कुल नॉर्मल है.. जबकि मूवीज में सिर्फ़ उनको लिया जाता है.. जिन के लण्ड बड़े और मोटे हों.. जैसे आम नॉर्मल फिल्म्स में देखो सब हीरो वगैरह खासे पहलवान और आकर्षक.. सख्त जिस्म के होते हैं.. कोई आम सा लड़का कहाँ किसी फिल्म में हीरो होता है। 
कुछ बातों के बाद हम फिर मूवी पर ध्यान करने और मुठ मारने लगे।
अब हम दोनों को ही मुठ मारने में ज्यादा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि हमारी नजरों की गिरफ्त में अब रियल लण्ड भी थे।

जब मैं डिसचार्ज होने के क़रीब हुआ.. तो मैंने अपने शॉर्ट को पूरा अपने जिस्म से अलग कर दिया और अपने लण्ड पर बहुत तेज-तेज हाथ चलाने लगा।
फिर एकदम से मेरे लण्ड ने झटकों से पिचकारी मारना शुरू की और सारा पानी मेरे छाती और पेट पर गिरने लगा। ये देखते ही ज़ुबैर भी डिसचार्ज होने लगा। डिसचार्ज होने के बाद हम दोनों ने अपने-अपने जिस्म को टिश्यू से साफ किया और बारी-बारी से बाथरूम में धोने चले गए। 
उस दिन के बाद से हमने कंप्यूटर को अपने रूम में शिफ्ट कर लिया और रोज़ रात सोने से पहले हम बिल्कुल नंगे होकर मूवी देखते और मूवी देखते-देखते ही मुठ मारते। 
एक रात हम इसी तरह मूवी देखते हुए मुठ मार रहे थे.. कि अचानक लाइट चली गई.. हम दोनों बहुत निराश हो गए और मैंने झुँझलाहट में बिजली वालों को गालियाँ देनी शुरू कर दीं। ज़ुबैर ने अपनी कुर्सी से उठने की कोशिश की तो अंधेरे की वजह से अचानक ज़ुबैर का हाथ मेरे लण्ड से टच हुआ और मेरे मुँह से एक ‘आह’ खारिज हो गई।
ज़ुबैर ने फ़ौरन कहा- सॉरी भाई..
मैंने कहा- कोई बात नहीं यार..
लेकिन कसम से अपने हाथ के अलावा किसी का हाथ टच होने से मज़ा बहुत आया.. चाहे एक लम्हें का ही मज़ा था।
ज़ुबैर ने ये बात सुनी और तवज्जो दिए बगैर बिस्तर की तरफ चल पड़ा।
मैं भी अपनी कुर्सी से उठा और धीमी-धीमी सी रोशनी में संभाल कर अपना शॉर्ट लेने चल पड़ा।
ज़ुबैर पहले ही झुक कर बिस्तर से अपना शॉर्ट उठा रहा था.. अचानक ही मेरा लण्ड ज़ुबैर की नरम-गरम गाण्ड की दरार से टच हुआ.. तो मज़े की एक हसीन सी ल़हर मेरे जिस्म में फैल गई।
वो लहर एक ‘आअहह..’ बन कर मेरे मुँह से खारिज हुई।
उसी वक्त मुझे ज़ुबैर की मज़े में डूबी हुई सिसकारी सुनाई दी। ज़ुबैर ना ही कुछ बोला.. और ना ही उसने अपनी पोजीशन चेंज की और उसी हालत में रुका रहा।
मुझे अंदाज़ा हुआ कि जो इतनी ‘गे’ मूवीज हमने देखी हैं.. उनका जादू ज़ुबैर पर भी चल चुका है।
मैंने हिम्मत की और अपने जिस्म को ज़ुबैर की तरफ दबा दिया।
मैंने अपना लेफ्ट हैण्ड ज़ुबैर के एक कूल्हे पर रखा और अपने लण्ड को ज़ुबैर की गाण्ड की दरार में सैट किया, थोड़ा झुका और अपने राईट हैण्ड से ज़ुबैर के लण्ड को पकड़ा और उसकी गाण्ड की दरार में अपने लण्ड को रगड़ने लगा।
इसी के साथ-साथ ज़ुबैर के लण्ड को अपने हाथ में मज़बूती से पकड़ कर अपना हाथ आगे-पीछे करने लगा।

ज़ुबैर की साँसें तेज हो गईं और उसने कमज़ोर से लहजे में कहा- नहीं भाई.. प्लीज़ ये नहीं करें।
लेकिन मैंने अनसुनी करते हुए कहा- इसस्शहस्शह.. कुछ नहीं होता यार.. तुम बस ज्यादा कुछ मत सोचो.. और मज़ा लो..
यह कहते हुए मैंने ज़ुबैर के लण्ड पर अपने हाथ की हरकत को मज़ीद तेज कर दिया।
अब ज़ुबैर भी मज़े में डूब गया और मेरे लण्ड के साथ आहिस्ता-आहिस्ता अपनी गाण्ड को भी हरकत देने लगा।
हम दोनों ही डिसचार्ज होने के क़रीब आ गए। 
हम दोनों ही डिसचार्ज होने के क़रीब थे.. मैंने ज़ुबैर से कहा- जब पानी निकलने लगे.. तो घूम जाना ताकि बेडशीट खराब ना हो..
इसी के साथ-साथ ही मैं ज़ुबैर की गाण्ड की दरार में अपने लण्ड को रगड़ रहा था और लम्हा-बा-लम्हा छूटने के क़रीब हो रहा था। कुछ ही मिनट बाद ज़ुबैर अचानक घूम गया और उसके लण्ड से पानी की तेज धाराएँ निकलने लगीं और मेरे सीने पर चिपकती गईं।
जैसे ही ज़ुबैर के लण्ड के जूस ने मेरे सीने को टच किया.. तो मेरे जिस्म में मज़े की एक अजीब सी लहर उठी और फ़ौरन ही वो लहर मेरे लण्ड से पानी बन कर बहने लगी, मेरा धार भी ज़ुबैर के सीने और पेट को तर करती चली गई। 
कुछ लम्हें हम वैसे ही खड़े रहे अंधेरे में और अपनी साँसों के दुरुस्त होने का इन्तजार करने लगे। हम दोनों को शर्मिंदगी और लज्जत ने उस वक़्त घेर रखा था। अचानक लाइट आ गई.. मुझे ज़ुबैर के जिस्म को अपने लण्ड के जूस से भरा और अपने जिस्म को ज़ुबैर के लण्ड के पानी से तर देखना अजीब सी लज़्ज़त दे रहा था। जबकि ज़ुबैर नर्वस सा खड़ा था।
मैंने अपना हाथ बढ़ाया और ज़ुबैर के लण्ड को सहला कर मुस्कुराते हुए कहा- बहुत लज़्ज़तअंगेज़ लम्हात थे ना.. मज़ा तो तुम्हें भी बहुत आया है.. क्या ख़याल है मेरे छोटे भाई साहब??
मेरी बात सुन कर ज़ुबैर थोड़ा पुरसुकून हुआ और उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट फैल गई। हमने इस बारे में मज़ीद कोई बात नहीं की..
मैंने अपने आपको साफ किया और ड्रेस पहन कर कमरे से बाहर निकला और अपनी छत पर चला गया। मैं अपनी दोनों कोहनियों को दीवार पर टिकाते हुए दीवार के पास खड़ा हुआ.. अपनी आज की इस हरकत के बारे में सोचने लगा।
 
मैंने अपने आपको कभी भी ‘गे’ नहीं माना.. लेकिन सच ये था कि आज जो कुछ भी हुआ.. उसने मुझे बहुत मज़ा दिया था। मैं सोचता रहा कि क्या मैं सचमुच ‘गे’ हूँ? 
फिर मैंने सोचा कि क्या होगा अगर मेरे पास एक लड़का और एक लड़की हो.. तो मैं चोदने के लिए किसे तरजीह दूँगा। फ़ौरन ही मेरे जेहन ने मुझे बता दिया कि मैं ‘गे’ नहीं हूँ। मैं हमेशा लड़की को चुदाई के लिए तरजीह दूँगा.. किसी भी लड़की के साथ किसी भी वक़्त मैं चुदाई के लिए तैयार रहूँगा।
जो मैंने अपने सगे भाई के साथ किया उसकी वजह सिर्फ़ ये थी कि हम दोनों एक ही वक़्त में एक ही जगह पर बगैर कपड़ों के नंगी हालत में थे और बहुत गरम थे.. तो ये सब होना फितरती अमल था। 
उस रात हम दोनों चुपचाप सोने के लिए लेट गए और आपस में कोई बात नहीं की।
अगली रात हमने अपना वो ही हिडन फोल्डर ओपन किया.. जहाँ हमने अपनी सेक्स मूवीज छुपा रखी थीं और एक पुरानी देखी हुई मूवी दोबारा देखना शुरू कर दी क्योंकि हमारे पास कोई नई मूवी नहीं थी।
यह भी एक बाईसेक्सुअल मूवी ही थी। दस मिनट बाद ही हम दोनों अपने जिस्मों से कपड़ों को अलहदा कर चुके थे और अपने-अपने लण्ड को हाथ में लिए हाथों को आगे-पीछे हरकत दे रहे थे।
कल जो कुछ हुआ उसकी वजह से हम दोनों ही की हरकत में कुछ झिझक सी थी.. जिसको दूर करना बहुत जरूरी था। 
मैं अपने छोटे भाई के सीधे हाथ की तरफ बैठा था और मैंने अपने राईट हैण्ड में अपने लण्ड को थाम रखा था। मैंने अपना लेफ्ट हैण्ड उठाया और आहिस्तगी से ज़ुबैर की रान पर रख दिया और ज़ुबैर की रान को अपने हाथ से सहलाने लगा। ज़ुबैर ने मेरी तरफ एक नज़र डाली। 
मैं मूवी देखने में मग्न था। ज़ुबैर ने भी अपना रुख़ कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ मोड़ दिया और मुझे कुछ नहीं कहा। मैंने कुछ और हिम्मत की और ज़ुबैर की रान को सहलाते हुए अपने हाथ को उसके लण्ड की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया और आहिस्तगी से ज़ुबैर की बॉल्स को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगा।
ज़ुबैर के मुँह से धीमी-धीमी सिसकारियाँ निकलने लगीं और उसके लण्ड पर उसके हाथ की हरकत तेज हो गई। 
मैंने ज़ुबैर का हाथ उसके लण्ड से हटाया और उसके लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगा। ज़ुबैर का मज़ा बढ़ा तो मैंने ज़ुबैर का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और हम दोनों एक-दूसरे के लण्ड पर अपने हाथ आगे-पीछे करने लगे।
इससे हम दोनों को ही इतना मज़ा आया कि जल्द ही हम दोनों के लण्ड ने एक-दूसरे के हाथ पर पानी छोड़ना शुरू कर दिया। 
डिसचार्ज होने के बाद भी हमने एक-दूसरे के लण्ड को थामे रखा और बेदिली से मूवी देखते रहे। बेदिली इसलिए कि अब मूवी से ज्यादा हम दोनों का ध्यान हमारे हाथों में थामे एक-दूसरे के लण्ड पर था। कुछ लम्हों के बाद ही हम दोनों के लण्ड दोबारा सख्ती से अकड़ गए। 
ज़ुबैर ने मुझसे कहा- भाई मैं भी आपके साथ वो करना चाहता हूँ.. जो कल आपने मेरे साथ किया था।
मैंने मुस्कुरा कर अपने छोटे भाई को देखा और कहा- ओके चल.. 
मैं अपनी कुर्सी से उठा और उसी कुर्सी पर उल्टा होकर घुटनों के बल बैठ कर अपनी कमर को आगे की तरफ झुका लिया।
ज़ुबैर उठ कर मेरी तरफ आया और उसने अपने लण्ड को थाम कर मेरे दोनों कूल्हों के बीच दरार में फँसाया और मेरे ऊपर झुकते हुए नीचे से मेरे लण्ड को अपने हाथ में थाम कर आहिस्ता-आहिस्ता मेरी गाण्ड पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा और अपने हाथ से मेरे लण्ड को सहलाने लगा। 
सच यह है कि ज़ुबैर का लण्ड जब मेरी गाण्ड के सुराख पर टच होता.. तो गाण्ड में अजीब लज्जत सी लहर पैदा होती थी और पूरे जिस्म में सनसनी सी फैल जाती। मेरी गाण्ड के अन्दर अजीब मीठी-मीठी सी गुदगुदी हो रही थी। 
मैंने भी अपने आपको पीछे की तरफ ज़ुबैर के जिस्म के साथ दबाना शुरू कर दिया।
मेरी नज़र अपने राईट साइड पर दीवार पर लगे आदमक़द आईने पर पड़ी तो भरपूर मज़े ने मुझे अपनी गिरफ्त में ले लिया और मैंने ज़ुबैर की तवज्जो भी आईने की तरफ दिलवाई.. तो ज़ुबैर की आँखें भी चमक उठीं। आईने में हम दोनों की हालत मूवी के किसी बेहतरीन सीन से ज्यादा हॉट लग रही थी। हम दोनों फ़ौरन ही मज़े की इंतेहा तक पहुँच गए और तकरीबन साथ-साथ ही डिसचार्ज हो गए। 
हमारे पूरे जिस्म पसीने में सराबोर थे और नहाने की हाजत हो रही थी। हम दोनों साथ-साथ ही बाथरूम में दाखिल हुए और नहाना शुरू कर दिया। 
ज़ुबैर ने मेरे पूरे जिस्म पर साबुन लगाया और मुझे अपने जिस्म पर साबुन लगाने का कहा। मैंने ज़ुबैर के जिस्म पर साबुन लगाया और अपने एक हाथ से ज़ुबैर के लण्ड पर साबुन लगाते हुए दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड के सुराख को मसलता रहा।
इस हरकत ने ज़ुबैर को इतना मज़ा दिया कि 5 मिनट के अन्दर अन्दर ही ज़ुबैर के लण्ड ने फिर पानी छोड़ दिया।
आज रात में ज़ुबैर तीसरी बार डिसचार्ज हुआ था.. जिससे उसे कमज़ोरी भी महसूस होने लगी थी।
नहाने के बाद हम दोनों कमरे में वापस आए और बिस्तर पर लेटते ही नींद की शह ने हमें अपनी आगोश में भर लिया।
अगले दिन सारे वक्त मैं अपने और ज़ुबैर के बीच हुए सेक्स के बारे में ही सोचता रहा। अब मैं कुछ और करना चाहता था.. कुछ नया करना चाहता था। 
मैंने अपने एक क्लोज़ दोस्त रफ़ीक से ये डिस्कस किया। रफ़ीक का इस बारे में काफ़ी अनुभव था शायद उसको मर्दाना सेक्स में भी अनुभव था।
मैंने उसे यह नहीं बताया कि मेरा पार्ट्नर मेरा सगा छोटा भाई है, बल्कि मैंने उससे कहा- मेरे पड़ोस में एक लड़का है.. जिससे थोड़ा बहुत फन हो जाता है।
उसने एक शैतानी मुस्कुराहट से मेरी तरफ देखा तो मैंने झेंपकर अपनी नजरें नीचे कर लीं। 
रफ़ीक ने हँसते हुए मेरे कंधे पर हाथ मारा और मुझे छेड़ता हुआ बोला- बच्चा जवान हो गया है, हाँ..
मैंने अपनी झेंप मिटाते हुए उससे कहा- कुत्ते बताना है तो बता.. नहीं बताता.. तो मैं जाता हूँ।
उसने कहा- अच्छा अच्छा.. रुक बताता हूँ..
बहुत कुछ तो मैंने मूवीज से ही सीख लिया था.. लेकिन काफ़ी चीजें सीखने के लिए बाक़ी थीं। जैसे मुझे यह पता नहीं था कि फर्स्ट टाइम चुदाई कैसे करनी चाहिए.. जिससे पार्ट्नर को तक़लीफ़ भी कम से कम हो और दोनों को मज़ा भी मिले।
फिर उसने मुझे कुछ टिप्स दिए ‘फ्रेंच किस’ के बारे में मुझे डिटेल से समझाया। उसने मुझे बताया कि उस लड़के के होंठों को किस करो.. उसके निचले होंठ और ऊपरी होंठ को बारी-बाबरी चूसो.. उसके लण्ड को चाटो और मुँह में भर के चूसो और उससे कहो कि वो तुम्हारे लण्ड को चूसे। 
लण्ड चूसने के बारे में सोच के मुझे अजीब सा लगा और मैंने फ़ौरन कहा- ये अजीब है यार.. लेकिन ‘फ्रेंच किस’ के बारे में मैंने उससे बताया कि मैंने कभी किसी लड़के या लड़की को किस नहीं किया है और ना कभी सोचा है कि लड़के को किस करने में भी मज़ा मिल सकता है।
तो रफ़ीक बोला- मैं तुम्हें दिखाता हूँ कि फ्रेंच किस कैसे होती है.. और इसमें कितना मज़ा आता है।
ये सुनते ही मैं फ़ौरन बोला- नहीं.. मैं नहीं चाहता कि हमारी इतनी मज़बूत दोस्ती किसी और रिश्ते में बदले.. इसे दोस्ती ही रहने देना चाहिए।
मेरी बात सुन कर वो बोला- अबे चूतिया मैं तुझे किस नहीं करने लगा हूँ.. मेरा एक मेट है.. उसकी उम्र अभी कम है.. हम दोनों आपस में खूब चुदाई करते हैं मैं उससे कहूँगा कि वो तुम्हें सिखा दे। 
मैं थोड़ी देर तो झिझका.. लेकिन फिर इस ऑफर को तसलीम कर लिया। रफ़ीक ने मुझे शाम 5 बजे उसके घर आने के लिए बोला।
शाम 5-6 बजे के क़रीब मैं उसके घर पहुँचा वो और उसका दोस्त वहीं थे। वो लड़का बहुत क्यूट था बिल्कुल लड़कियों जैसी जिल्द थी उसकी.. चेहरे पर कोई बाल नहीं और जिस्म ज़रा भरा-भरा था उसका। 
रफ़ीक ने मुझे उसका नाम कामरान बताया और हम दोनों का एक-दूसरे से तवारूफ करवाया। 
 
कामरान को रफ़ीक पहले ही से सब समझा चुका था और मुझे उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि बस ये मुझ पर जंप करने को तैयार खड़ा है। कामरान ने अपने कपड़े उतारना शुरू किए और मुझे भी कपड़े उतारने के लिए कहा। 
मुझे थोड़ी झिझक हो रही थी.. तो मैंने रफ़ीक से साफ-साफ कहा- यार तू कमरे से बाहर चला जा.. मैं तेरे सामने ऐसा कुछ नहीं कर पाऊँगा..
रफ़ीक ने मेरी बात सुन कर एक क़हक़हा लगाया और कमरे से बाहर निकल गया।
जाते-जाते रफ़ीक ने हम दोनों को ये फरमान सुना दिया- जो करना है जल्दी-जल्दी कर लेना.. क्योंकि मेरी फैमिली जल्द ही वापस आ जाएगी। 
जब रफ़ीक कमरे से बाहर निकल गया.. तो मैंने आगे बढ़ कर दरवाज़ा लॉक किया और अपने तमाम कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया। मेरा लण्ड फुल खड़ा हो चुका था और मेरी नज़र कामरान के लण्ड पर पड़ी.. तो वो भी अपने पूरे यौवन पर था।
मुझे हमेशा मूवीज देख कर ये अहसास रहता था कि मेरा लण्ड छोटा (6. 5 इंच) है.. लेकिन जब मैंने कामरान का लण्ड देखा.. तो वो मेरे लण्ड से भी तकरीबन 1.5 इंच छोटा ही था। उसका जिस्म बहुत गोरा था.. उसके जिस्म पर एक भी बाल नहीं था।
वो आहिस्ता-आहिस्ता चलता हुआ मेरे पास आया और मुझसे लिपट गया। अब वो मुझे अपने जिस्म के साथ मजबूती से भींचने लगा।
वो अपने लेफ्ट हैण्ड से मेरे राईट कूल्हे को दबाने लगा और राईट हैण्ड को मेरी गाण्ड की लकीर में दबा कर फेरने लगा। 
मैंने भी उसके साथ ये ही करना शुरू किया.. तो वो अपना चेहरा मेरे क़रीब लाया और उसने मेरे होंठों पर आहिस्तगी से अपने लब रख दिए। 
उसने मुझसे कहा- अपना मुँह खोलो..
मैंने मुँह खोला.. तो उसने अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में दाखिल कर दी और मुझसे कहा- चूसो मेरी ज़ुबान.. 
मुझे थोड़ा कन्फ्यूज़्ड और झिझकते देख कर कामरान से मुझसे कहा- अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में डालो..
और यह कहते हुए उसने अपना मुँह खोल दिया।
मैंने अपनी ज़ुबान उसके मुँह में डाली.. तो उसने मेरी ज़ुबान और मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया। 
यह मेरी ज़िंदगी की पहली फ्रेंच किस थी और मैं अपने आपको किसी और ही दुनिया में महसूस कर रहा था। 
तकरीबन 5-6 मिनट तक हम किस करते रहे.। 
वो आगे बढ़ना चाहता था लेकिन मैंने कामरान से कहा- प्लीज़ यार, मुझे कुछ देर मज़ीद ऐसे ही किस करते रहो। 
हमने तकरीबन 7-8 मिनट और किस किया.. फिर कामरान बोला- यार हमारे पास टाइम बहुत कम है.. बोलो अब क्या करें?
मैंने कहा- जो तुम्हारी मर्ज़ी है.. वो करो। 
मैं अभी तक अपनी ज़िंदगी की पहली फ्रेंच किस के नशे से ही बाहर नहीं निकल सका था.. तो मज़ीद क्या कहता। 
कामरान ने मेरे सीने पर किस करना और मेरे निपल्स को काटना शुरू कर दिया। लेकिन मुझे इसमें इतना मज़ा नहीं मिला। इस बात को महसूस करते हुए कामरान मेरे पीछे आ गया और मेरी कमर को चिपटाए हुए ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया और अब वो मेरे कूल्हों को छूने और अपने दाँतों से काटने लगा। 
कामरान की यह हरकत मुझे फिर होश से बेगाना करने लगी। कामरान की गरम गरम साँसें मुझे अपनी गाण्ड के सुराख पर महसूस हो रही थीं.. जो मेरे जिस्म में अजीब सी लज्जत भर रही थीं। उसने मज़ीद कुछ ना किया और पीछे से उठ कर मेरे सामने आ बैठा और मेरी रान को चूमने लगा। 
कामरान की ज़ुबान को अपनी रान पर महसूस करते ही मेरा पूरा जिस्म झनझना उठा और मुझे अपनी देखी हुई मूवीज याद आने लगीं। मुझे पहले ही अंदाज़ा हो गया कि अब क्या होने वाला है। 
ये सोचते ही मेरा लण्ड झटके से खाने लगा। कामरान ने मेरे लण्ड को अपने हाथ में लिया और हाथ को आगे-पीछे हरकत देने लगा। 
तभी कामरान ने अपनी ज़ुबान की नोक को मेरे लण्ड की नोक पर.. लण्ड के सुराख पर टच किया.. तो बहुत ज्यादा लज्जत महसूस हुई। 
कामरान ने मेरे लण्ड को चूमना शुरू कर दिया.. लेकिन लण्ड अपने मुँह में नहीं लिया। मैं लज़्ज़त के मारे पागल सा हो रहा था।
कुछ ही देर बाद मैंने चिल्लाकर कहा- करो ना यार.. प्लीज़ क्या ड्रामा कर रहे हो.. 
उसने मुस्कुरा कर मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरा और उससे चूसने लगा।
मैं मुक्कमल तौर पर अपने होश खो चुका था। मैं सोच भी नहीं सकता था कि ये चीज़ इतनी ज्यादा लज़्ज़त देगी। ऐसा सुरूर मैंने पहले कभी नहीं महसूस किया था।
मैंने अपने हाथों से उसके सिर को थामा और कामरान के मुँह को चोदने लगा। कामरान के मुँह से घुटी-घुटी सी आवाजें निकल रही थीं। 
उसने मुझे इशारे से समझाया कि पानी निकलने लगे.. तो पहले से बता देना।
कुछ ही सेकेंड्स बाद मैं डिसचार्ज होने वाला था.. तो मैंने कामरान को बता दिया।
उसने मेरा लण्ड अपने मुँह से निकाला और हाथ से मेरी मुठ मारने लगा। उसने अपने लेफ्ट हैण्ड की इंडेक्स फिंगर को अपने मुँह में लेकर गीला किया और हाथ पीछे ले जाकर मेरी गाण्ड के सुराख पर दबाई और अन्दर डाल दी। 
मुझे हल्का सा दर्द हुआ.. उसने पूरी फिंगर अन्दर नहीं डाली.. बल्कि हाफ फिंगर को अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी इस हरकत ने मुझे फ़ौरन ही आखिरी मंज़िल पर पहुँचा दिया और मैं ऐसे डिसचार्ज हुआ कि ज़िंदगी में पहले कभी ऐसा डिसचार्ज नहीं हुआ था।
मैं बिल्कुल बेहाल हो चुका था। कामरान मेरी हालत देख कर मुस्कुरा दिया।
मैं इन सब चीजों में बिल्कुल नया था और ये सब ज़ाहिर हो रहा था। 
मैंने अपने कपड़े पहनना शुरू ही किए थे कि कामरान बोला- इतनी जल्दी.. अभी तो सही मज़ा आना शुरू हुआ है यार!
मैंने पूछा- क्या मतलब है तुम्हारा?
वो एकदम से डोगी पोजीशन में बन गया और अपनी गाण्ड के सुराख पर अपनी फिंगर रख के बोला- मैं चाहता हूँ तुम मेरे इस होल को अपना बना लो.. 
फिर वो सीधा बैठते हुए बोला- लेकिन इससे पहले तुम्हें मेरे लण्ड को चूसना होगा।
यह बात मुझे इतनी अच्छी नहीं लगी.. लेकिन सच यह है कि मैं उसकी गाण्ड का मज़ा भी लेना चाहता था। 
मैं बेदिली से उसकी टाँगों के बीच बैठ गया और उसके लण्ड को हाथ में लेकर आगे-पीछे हिलाने लगा। 
फिर मैंने झिझकते हुए अपनी ज़ुबान की नोक को उसके लण्ड से टच किया, मुझे नमकीन-नमकीन सा ज़ायक़ा महसूस हुआ।
मेरे बिगड़ते चेहरे को देख कर कामरान बोला- चलो भी यार.. अगर तुम लण्ड चुसवाना चाहते हो.. तो तुम्हें चूसना भी पड़ेगा.. ये 2 तरफ़ा ट्रैफिक है भाई..
यह सुन कर मैंने अपना मुँह खोला और कामरान के लण्ड को अपने मुँह में भर लिया। मुझे कुछ ज्यादा अच्छा नहीं लग रहा था.. लेकिन मैं जितना समझ रहा था.. उतना बुरा भी नहीं लग रहा था।

मैं उसके लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। कामरान ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे मुँह को चोदने लगा। कामरान की बॉल्स मेरी ठोड़ी को छू रही थीं।
कुछ देर बाद ही कामरान ने फूली हुई साँसों से कहा- आह्ह.. मैं डिस्चार्ज होने वाला हूँ। 
मैंने उसका लण्ड चूसना बंद कर दिया। उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला ही था कि उसका लण्ड ज़मीन पर पिचकारियाँ मारने लगा।
 
अब मेरी बारी थी उसकी गाण्ड मारने की। मैंने उससे साफ़ कर दिया- मैं तुम से गाण्ड नहीं मरवाऊँगा। 
उसने कहा- कोई बात नहीं.. 
और ये कहते हो कामरान डॉगी पोजीशन में आ गया और मेरे लण्ड को दोबारा चूसने लगा। सही तरह से गीला होने के बाद मैंने लण्ड उसके मुँह से निकाला और उसके पीछे जाकर घुटनों पर बैठ गया। 
उसने हाथ पीछे लाकर मेरे लण्ड को थमा और अपने सुराख पर सही जगह रखते हुए मुझसे कहा- अब ज़ोर लगा कर अपना लण्ड मेरे अन्दर करो..
मेरे पहले झटके से ही तकरीबन 4 इंच लण्ड उसकी गाण्ड में दाखिल हो चुका था। उसकी गाण्ड का सुराख काफ़ी लूज था.. शायद काफ़ी बार गाण्ड मरवा चुका था इसलिए ऐसा था। 
मेरे अगले झटके ने मेरे पूरे लण्ड को जड़ तक उसकी गाण्ड में उतार दिया। यह आज के दिन में तीसरी बार था कि मैंने अपने आपको किसी और ही दुनिया में महसूस किया था।
पहली बार किसिंग करते हुए.. सेकेण्ड टाइम लण्ड चुसवाते हुए और तीसरी बार ये था। 
आज का दिन मेरे लिए बहुत हसीन दिन था। मैंने बहुत पॉर्न मूवीज देखी थीं इसलिए मुझे मज़ीद हिदायतों की जरूरत तो थी नहीं।
मैं तकरीबन 5-6 मिनट तक झटके मारता रहा। फिर मुझे डोर का लॉक ओपन होने की आवाज़ आई तो मैं डर गया.. लेकिन अगले ही लम्हे दरवाजा खुला और मैंने रफ़ीक को बिल्कुल नंगा लण्ड हाथ में पकड़े हुए वहाँ खड़ा देखा।
मैं शरम से भर गया और मैंने अपनी नज़रें रफ़ीक से हटा लीं। 
रफ़ीक बोला- शर्मा मत गांडू.. मैंने पूरा सीन रूम की खिड़की में खड़े होकर देखा है.. वो मैंने पहले ही ओपन कर रखी थी।
रफ़ीक का लण्ड वाकयी बहुत इंप्रेसिव था करीब 7.5 इंच लम्बा था।
वो बोला- घबरा मत.. मैं तेरे पर नहीं चढूँगा। 
वो अन्दर आया और कामरान के सामने बैठ कर कामरान के मुँह में लण्ड डालने लगा। अब रफ़ीक कामरान के मुँह को चोद रहा था और मैं कामरान की गाण्ड मार रहा था।

कुछ ही देर बाद हम दोनों ही डिसचार्ज हो गए। कामरान ने रफ़ीक की सारी मलाई मुँह में लेकर ज़मीन पर थूक दी और मेरी मलाई क़तरा-क़तरा कामरान की गाण्ड के सुराख से बाहर बहने लगी।
हम तीनों ही कुछ देर तक वहीं ज़मीन पर लेटे रहे। 
फिर रफ़ीक ने मुझसे पूछा- हाँ वसीम.. मज़ा आया?
मैंने मुस्कुरा कर उसे देखा और कहा- हाँ यार.. बहुत बहुत मज़ा आया..
फिर रफ़ीक ने कहा- अब जल्दी-जल्दी उठो और कपड़े पहनो.. 6 बज गए हैं और मेरी फैमिली वापस आने ही वाली होगी। हम सबने अपने कपड़े पहने और जाने को तैयार हो गए।
मैं कामरान को गुडबाइ किस करना चाहता था.. लेकिन मुझे फ़ौरन ही याद आया कि अभी-अभी मेरे सामने कामरान ने रफ़ीक की मलाई अपने मुँह में निकलवाई है और ज़मीन पर थूकी है.. तो मैंने अपने ख़याल को खुद ही रद्द कर दिया। 
जब मैं अपने घर वापस आने लगा.. तो रफ़ीक ने मुझे एक नई सीडी थमा दी और बताया- ये भी गे मूवी है.. और सब क्यूट क्यूट से लड़के हैं.. कुछ ऐसे लड़कों की स्टोरीज हैं.. जो फर्स्ट टाइम सेक्स कर रहे हैं। 
फिर उसने मुझे आँख मारते हुए कहा- उस लड़के को भी दिखाना.. जिसको तुम चोदना चाहते हो।
रफ़ीक नहीं जानता था कि वो मेरा सगा भाई है.. मेरा छोटा भाई.. 
मैं घर वापस आया और मैंने ज़ुबैर को बताया- मैं आज एक नई सीडी लाया हूँ। 
वो बहुत एग्ज़ाइटेड हुआ.. मैंने उसके ट्राउज़र के ऊपर से ही उसके लण्ड को सहलाया और उसे आँख मार कर मुस्कुरा दिया। अब हम दोनों रात होने का इन्तजार कर रहे थे।
रात को खाना खाने के बाद जब सब अपने-अपने कमरों में सोने चले गए.. तो हम भी अपने कमरे में वापस आए।
मैंने दरवाज़ा लॉक किया और अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिए। कुछ लम्हों में ही हम दोनों बिल्कुल नंगे हो चुके थे। कुर्सी पर बैठते हुए मैंने ज़ुबैर के लण्ड को पकड़ कर दबाया और फिर हम मूवी देखने लगे। 
स्टार्टिंग में ही दो लड़के एक-दूसरे के होंठ से होंठ मिला कर किसिंग कर रहे थे। ज़ुबैर ने मेरी तरफ और मैंने ज़ुबैर की तरफ देखा। 
मैंने ज़ुबैर से पूछा- तुमने कभी किसी को किस किया है??
उसने जवाब दिया- नहीं..
मैंने पूछा- सीखना चाहते हो?
फ़ौरन ही ज़ुबैर ने जवाब दिया- हाँ.. भाई..
वो कुर्सी पर बैठा था.. मैं उठा और ज़ुबैर के पास जाकर उसके लण्ड को पकड़ा और उसकी गोद में बैठते हुए मैंने ज़ुबैर के लण्ड को अपनी गाण्ड के नीचे अपनी दरार में सैट कर लिया। मैंने अपने होंठों को ज़ुबैर के होंठों पर रखा और उसके होंठों और ज़ुबान को चूसना शुरू कर दिया।
उसने भी फ़ौरन रिस्पोन्स दिया और जल्द ही हम लोग लिप्स लॉक हो चुके थे।
हम किसिंग करते हुए ही कुर्सी से उठे और बिस्तर की तरफ चल दिए किसिंग करते-करते ही ज़ुबैर बिस्तर पर पीठ के बल लेटा और मैं उसके ऊपर लेट गया।
हम कुछ मिनट तक ऐसे ही एक-दूसरे के होंठों को चूसते और काटते रहे। 
मैं चाहता था कि ज़ुबैर मेरा लण्ड चूसे लेकिन मुझे पता था कि ज़ुबैर से चुसवाने के लिए पहले मुझे ही ज़ुबैर का लण्ड चूसना पड़ेगा। तो मैंने नीचे की तरफ जाते हुए ज़ुबैर के सीने को चूमना शुरू किया और कभी उसके निप्पल को चाटने ओर काटने लगता।
ज़ुबैर के मुँह से सिसकियाँ खारिज होने लगी थीं। मैंने नीचे ज़ुबैर के लण्ड की तरफ जाना शुरू किया। मैंने ज़ुबैर के चेहरे की तरफ देखा.. तो वो शॉक की कैफियत में था। ज़ुबैर की आँखों में देखते हुए ही मैंने अपने मुँह को खोला और ज़ुबैर के लण्ड को अपने मुँह में भर लिया। 
वो तकरीबन उछल ही पड़ा बिस्तर से.. और बेसाख्ता ही उसके मुँह से एक तेज सिसकारी निकली।
मैंने ज़ुबैर को आँखों से इशारा किया कि आवाज़ हल्की रखो और.. फिर से आहिस्ता-आहिस्ता ज़ुबैर के लण्ड को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और अपनी स्पीड बढ़ाने लगा। 
ज़ुबैर का पूरा जिस्म झटके खा रहा था और वो डिसचार्ज होने के बहुत क़रीब पहुँच चुका था तो मैंने उसका लण्ड अपने मुँह से निकाल दिया और हाथ से सहलाने लगा।
मैंने उससे टाँगें फैलाने को कहा और अपने लेफ्ट हैण्ड की इंडेक्स फिंगर को अपने मुँह से गीला करते हुए ज़ुबैर के प्यारी सी गाण्ड के होल में डालने लगा।
जैसे ही मेरी उंगली थोड़ी सी अन्दर गई.. ज़ुबैर की एक कराह निकली और दर्द का अहसास उसके चेहरे से ज़ाहिर होने लगा।
लेकिन मैंने अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करना जारी रखा और जल्द ही उसका होल लूज हो गया।
कुछ देर बाद मैं उठा और दोबारा ज़ुबैर के ऊपर आकर उसके होंठों को चूमने लगा। 
मेरे कुछ कहे बगैर ही ज़ुबैर उठा और मेरी टाँगों के बीच आकर मेरे लण्ड के नीचे वाली बॉल्स को थामा और फ़ौरन ही उन्हें चाटने लगा। 
मैं ज़ुबैर की इस हरकत पर बहुत हैरान सा था। वो मेरी बॉल्स को चाटते-चाटते मेरे लण्ड तक आया और उसे अपने मुँह में ले लिया। मूवीज ने मेरे साथ-साथ ज़ुबैर को भी बहुत कुछ सिखा दिया था।
मेरे लण्ड को थोड़ी देर चूसने के बाद ज़ुबैर ज़रा नीचे को हुआ और मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा।
मैं ज़ुबैर की इस हरकत पर बिस्तर से एकदम उछल पड़ा।
कुछ देर चाटने के बाद वो फिर से मेरे लण्ड की तरफ आया और मेरे लण्ड को मुँह में लेते वक़्त ही उसने अपनी एक उंगली भी मेरी गाण्ड में डाल दी।
मुझे मामूली सा दर्द भी हुआ.. लेकिन मज़ा दर्द पर ग़ालिब था। अब ज़ुबैर मेरे लण्ड को भी चूस रहा था और मेरी गाण्ड में अपनी उंगली को भी अन्दर-बाहर कर रहा था।
जैसे ही मैं मंज़िल के क़रीब हुआ.. तो मैंने ज़ुबैर को कहा- मेरा पानी निकलने वाला है..
लेकिन ज़ुबैर ने हाथ के इशारे से कहा- परवाह नहीं..
और मैं उसके मुँह में ही डिसचार्ज हो गया। मेरे लण्ड का जूस उसके मुँह से बह रहा था। उसने सारा पानी मेरे पेट पर थूका और फिर से मेरे लण्ड को चूसने और चाटने लगा। 
वो ऊपर आया और उसने अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिया.. मुझे बहुत अजीब सा लगा क्योंकि मेरे लण्ड का पानी अभी भी उसके चेहरे और होंठों पर लगा हुआ था। मैं ज़ुबैर को हर्ट नहीं करना चाहता था.. इसलिए मैंने किसिंग जारी रखी। लेकिन ये अजीब और मज़े का अहसास था.. अपने लण्ड के पानी को खुद ही चखना.. 
 
कुछ देर किसिंग करने के बाद मैंने ज़ुबैर से पूछा- क्या तुम अगले काम के लिए रेडी हो?
ज़ुबैर ने पूछा- वो क्या?
मैंने कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ इशारा करते हुए कहा- जैसा इस मूवी में एक लड़का दूसरे लड़के की गाण्ड में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा है। 
उसने जवाब दिया- भाई इससे बहुत दर्द होगा। मेरा ख़याल नहीं है कि हमारे छोटे-छोटे सुराख हमारे लण्ड को बर्दाश्त कर सकेंगे।
मैंने कहा- यार हम कोई चिकनाई इस्तेमाल कर लेंगे ना..
वो थोड़ा कन्फ्यूज़ नज़र आ रहा था।
मैंने कहा- चलो यार.. कुछ नहीं होता.. ट्राइ करते हैं.. ये लण्ड की चुसाई से ज्यादा मज़ा देगा।
वो बोला- भाई तुम्हें कैसे पता? 
मैंने ज़ुबैर को वो सब बताया.. जो आज दिन में मैंने किया था और मैं अब फिर बहुत ज्यादा गरम हो गया था। 
मैंने ज़ुबैर से पूछा- क्या तुम पहले करोगे?
वो शरारती अंदाज़ में बोला- पहले आप कर लो.. आख़िर आप मेरे बड़े भाई हो।
मैं इस बात पर मुस्कुरा दिया और मैंने ज़ुबैर से कहा- चलो बिस्तर पर आ जाओ और अपनी गाण्ड पीछे से उठा कर डॉगी पोजीशन बना लो। 
यह कहते हुए मैं बाथरूम गया और वहाँ से हेयर आयल की बोतल उठा लाया। फिर मैंने कुछ तेल उसकी गाण्ड के छेद पर डाला और कुछ अपनी उंगलियों पर लगा कर उसके छेद पर फेरने लगा। फिर मैंने अपनी एक उंगली उसके छेद में अन्दर कर दी।
उसने दर्द की वजह से सीधा होने की कोशिश की और कराह कर बोला- भाई आहिस्ता डालो.. दर्द होता है।
मैं जानता था कि लण्ड के दर्द के आगे यह दर्द कुछ भी नहीं.. इसलिए लण्ड डालने से पहले उसकी गाण्ड के सुराख को इतना ढीला और लचीला करना पड़ेगा कि लण्ड डालने का दर्द बर्दाश्त के क़ाबिल हो जाए।
अब मैंने उससे कहा- सीधा लेट जाओ।
फिर मैं उसके सामने आकर बैठा उसकी टाँगों के बीच उसका लण्ड मेरे चेहरे के बिल्कुल क़रीब था।
मैंने उससे टाँगें फैलाने को कहा और फिर मैंने उसकी गाण्ड में अपनी एक उंगली डाली और अन्दर-बाहर करने लगा.. जिससे उसे तक़लीफ़ होने लगी।
इसी के साथ ही मैंने ज़ुबैर के लण्ड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा.. जो उसे मज़ा देने लगा। मैंने लण्ड पर अपना मुँह आगे-पीछे करने की स्पीड मज़ीद बढ़ा दी.. जिससे ज़ुबैर को बहुत मज़ा आने लगा और इस मज़े की आड़ में ही मैंने अपनी दूसरी फिंगर भी ज़ुबैर की गाण्ड में दाखिल कर दी।
मैंने ज़ुबैर को अपनी दो उंगलियों से चोदना शुरू किया, वो एकदम चिल्ला उठा।
‘नहीं.. भाई दर्द हो रहा है..!’
मैंने कहा- बस थोड़ा दर्द होगा बर्दाश्त करो.. फिर मज़ा ही मज़ा है..

मैंने ज़ुबैर का पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया.. ताकि दर्द और लज़्ज़त दोनों बैलेन्स हो जाएं। मैंने अपना ये अमल जारी रखा.. जिससे ज़ुबैर को काफ़ी हद तक सुकून हो गया। मुझे ऐसा अंदाज़ा हुआ कि अब ज़ुबैर सिसकारियाँ भरते हुए मेरा लण्ड अपने हाथ में लेने के लिए अपना हाथ मेरे लण्ड की तरफ बढ़ा रहा था।
अब मैं अपनी तीसरी उंगली भी ज़ुबैर की गाण्ड में दाखिल करना चाह रहा था। मैं जानता था कि इसकी तक़लीफ़ बहुत ज्यादा होगी। मैं डर रहा था कि कहीं वो चिल्लाना ना शुरू कर दे। 
तो मैंने अपनी पोजीशन को चेंज किया और 69 पोजीशन में आ गया। अब मेरा लण्ड उसके चेहरे के सामने था। ज़ुबैर ने अपना मुँह खोला और जल्दी से मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और पागलों की तरह चूसने लगा। 
अब हम दोनों एक-दूसरे का लण्ड चूस रहे थे और मेरी 2 उंगलियाँ ज़ुबैर की गाण्ड में अन्दर-बाहर हो रही थीं। मैंने अचानक ही अपनी तीसरी फिंगर भी उसकी गाण्ड में दाखिल कर दी। ज़ुबैर ने चीखना चाहा.. लेकिन मेरा लण्ड उसके मुँह में होने की वजह से उसकी आवाज़ ना निकाल सकी।
मैंने अपनी उंगलियों की हरकत को रोका और उसके लण्ड पर तेज-तेज अपना मुँह चलाने लगा। 
कुछ देर बाद ज़ुबैर ने मेरा लण्ड दोबारा चूसना शुरू किया.. तो मैंने भी अपनी उंगलियों को हरकत देना शुरू कर दी।
जल्द ही उसकी गाण्ड मेरी 3 उंगलियों की आदी हो गई और हम दोनों एक-दूसरे का लण्ड चूसने लगे।
मेरे लण्ड से जूस निकलने ही वाला था जब मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में फूलता हुआ महसूस किया.. मैं समझ गया कि वो भी डिसचार्ज होने वाला है।
मैं उसका लण्ड अपने मुँह से निकालना चाहता था.. लेकिन तभी मैंने सोचा कि पहले ही अपनी मलाई टेस्ट करा चुका हूँ तो अब ज़ुबैर की मलाई मुँह में लेने से क्या फ़र्क़ पड़ता है और अगले ही लम्हें हम दोनों ही के लण्ड ने एक-दूसरे के मुँह में पानी छोड़ दिया। 
डिसचार्ज होने के बाद हम दोनों उठे और किसिंग करने लगे.. जबकि एक-दूसरे के लण्ड का जूस हम दोनों के मुँह में मौजूद था। ये एक जबरदस्त किस थी..
हम दोनों के लण्ड के जूस से भरी हुई। 
इसके बाद हम दोनों नहाने गए.. नहाने के बाद मैंने ज़ुबैर से पूछा- क्या तुम चुदाई के लिए तैयार हो?
तो ज़ुबैर ने ‘हाँ’ में जवाब दिया और हम दोनों बिस्तर के तरफ चल दिए।
बिस्तर पर पहुँच कर मैंने ज़ुबैर को कहा- अपने घुटनों और हाथों पर हो जाओ और अपनी गाण्ड को ऊपर की तरफ उठा कर डॉगी पोजीशन बना लो। 
मैंने अपने लण्ड और उसकी गाण्ड के सुराख पर तेल लगाया और ज़ुबैर पर झुकते हुए उससे कहा- अब मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ो और अपने सुराख पर सही जगह रखो.. जहाँ से मैं अन्दर डाल सकूँ।
उसने मेरे लण्ड की नोक को अपनी गाण्ड के सुराख पर टिकाया और मुझसे कहा- हाँ भाई.. अब आप ज़ोर लगाओ।
मैंने ज़ोर लगाया और मेरे लण्ड की टोपी अन्दर दाखिल हो गई।
वो दर्द की शिद्दत से बिलबिला कर बोला- ओईए.. मर गया.. भाईई.. बहुत दर्द हो रहा है.. उफ़फ्फ़..
मैं अपने हाथ को उसके सामने लाया और उसके लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगा.. ताकि उससे तक़लीफ़ का अहसास कम से कम हो। उसके लण्ड को अपने हाथ से आगे-पीछे करते हुए मैंने एक झटका और मारा और मेरा लण्ड तकरीबन 4 इंच तक उसकी गाण्ड में दाखिल हो गया।
वो दर्द से घुटी-घुटी आवाज़ में चिल्ला रहा था और मुझसे कह रहा था- भाई बाहर निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है..! 
मैंने उससे रिलैक्स करने के कोशिश की.. लेकिन वो लण्ड को बाहर निकालने के लिए मचल रहा था।
मैं जानता था कि अगर अभी मैंने बाहर निकाल लिया तो शायद वो फिर कभी नहीं डालने देगा। 
मैंने उसके लण्ड पर अपने हाथ की हरकत को तेज कर दिया और आहिस्ता-आहिस्ता अपना लण्ड अन्दर करता रहा.. जब तक कि मेरा लण्ड उसकी गाण्ड की जड़ तक नहीं उतर गया। वो जिस्मानी तौर पर मुझसे कमज़ोर था.. इसलिए मैंने उसको जकड़ रखा था.. जबकि वो मेरी गिरफ्त से निकलने के लिए मुसलसल कोशिश कर रहा था। 
कुछ देर बाद वो पुरसुकून होता गया क्योंकि मेरे हाथ की हरकत उसके लण्ड के जूस को उबाल दे रही थी और वो अपनी मंज़िल के क़रीब हो रहा था। 
जब मैंने देखा कि अब वो पुरसुकून हो गया है.. तो मैंने अपने हाथ के साथ-साथ अपने लण्ड को भी हरकत देनी शुरू की और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी गाण्ड में अन्दर-बाहर करने लगा। 
अब मुझे इतना मज़ा आने लगा था कि मुझे ज़ुबैर के दर्द की परवाह ही नहीं रही थी। वो भी अब रिलैक्स हो चुका था और दर्द अब मज़े में तब्दील हो गया था।
कुछ ही देर बाद मैंने अपने लण्ड का पानी उसकी गाण्ड के अन्दर ही निकाल दिया और मेरे हाथ ने भी अपना काम करते-करते ज़ुबैर को भी मंज़िल पर पहुँचा दिया। 
हम कुछ देर वहीं लेट कर अपनी साँसों को बहाल करते रहे।
फिर मैंने खामोशी को तोड़ते हुए कहा- तुम ठीक हो ना ज़ुबैर.. ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ? 
उसने कहा- भाईजान शुरू में तो मेरी जान ही निकल गई थी.. लेकिन फिर थोड़ी देर बाद आहिस्ता-आहिस्ता सब सही हो गया और मज़ा भी आने लगा..
मैंने कहा- चल.. बहुत देर हो चुकी है.. अब सोने की तैयारी करो। 
वो मुझे अभी चोदना चाहता था.. लेकिन मैंने कहा- कल सारी रात तुम मुझे चोद लेना.. पर अभी नहीं.. अभी मैं बहुत थक गया हूँ।
थकान तो उसे भी थी.. तो इसलिए वो जल्द ही मान गया और हम जल्द ही नींद की वादियों में खो गए। 
सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैं बहुत मीठा-मीठा सा मज़ा महसूस कर रहा था और अपने लण्ड पर गीलापन महसूस करके मैंने अंदाज़ा लगाया कि मेरे छोटे भाई को कुछ ज्यादा ही अच्छा लगा है.. जो कुछ हमने रात को किया था। इसलिए वो ‘खास तरीक़े’ से सुबह मुझसे कह रहा है।
मैंने कहा- ज़ुबैर सोने दे ना यार.. आज इतवार है.. छुट्टी है..
तो ज़ुबैर ने जवाब दिया- चलो ना भाई 2-3 घन्टे में सब उठ जाएंगे.. थोड़े मज़े ले लेते हैं.. फिर आप सारा दिन सोते रहना.. मैं तंग नहीं करूँगा।
मैंने अपने हाथ से ज़ुबैर के लण्ड की तरफ इशारा किया और कहा- ये मुझे दो..
वो मुस्कुराते हो उठा और 69 पोजीशन में आ गया. हमने एक-दूसरे के लण्ड को फिर से बहुत चूसा.. एक-दूसरे के मुँह में ही अपना पानी निकाला और फिर किस की.. जैसे कल रात को की थी। 
कुछ देर बाद उसने कहा- भाई अब मेरी बारी है.. आपको चोदने की।
मैंने कहा- ओके.. 
 
मैं बिस्तर पर ही उल्टा हो कर डॉगी पोजीशन में आ गया और ज़ुबैर ने मेरी गाण्ड के सुराख और अपने लण्ड पर तेल लगाना शुरू कर दिया।
मैंने ज़ुबैर के लण्ड को अपने हाथ में लिया जो तेल से तर था और उसके लण्ड की नोक को अपनी गाण्ड के सुराख के बिल्कुल सेंटर में एंट्रेन्स पर टिका कर उससे कहा- हाँ.. अब धक्का मारो..
उसने एक ही झटके में अपने पूरे लण्ड को मेरी गाण्ड में उतार दिया.. मैं बुरी तरह से उछला.. मुझे पूरे बदन में दर्द के एक शदीद लहर उठी थी। ऐसा महसूस हुआ था जैसे किसी ने मेरी गाण्ड में लोहे का गरम जलता हुआ खंजर उतारा हो.. जो चीरता हुआ अन्दर गया हो। 
मैंने चिल्ला कर कहा- भैनचोद.. किस बात की जल्दी है तुझे.. आराम से नहीं डाल सकता था? 
वो डरी सहमी हुई सी आवाज़ में बोला- भाई सॉरी.. मुझे नहीं पता चला.. मैं इतना एग्ज़ाइटेड था कि कुछ समझ में ही नहीं आया..
मैंने अपनी गाण्ड में से उसके लण्ड को बाहर निकालना चाहा.. लेकिन ज़रा सी भी हरकत तक़लीफ़ में नक़ाबल-ए-बर्दाश्त इज़ाफ़ा कर रही थी.. तो मैंने ज़ुबैर से कहा- अभी इसी तरह रहना.. बिल्कुल भी मत हिलना..
वो कुछ देर रुका रहा.. फिर शायद उसे मेरी टेक्निक याद आ गई.. जो मैंने कल रात उस पर आज़माई थी.. वो अपना हाथ मेरे सामने की तरफ लाया और मेरे लण्ड को थाम कर अपने हाथ को आगे-पीछे करने लगा..
बस 2-3 मिनट बाद ही मुझे हल्का-हल्का सुरूर आने लगा और मैंने ज़ुबैर से कहा- अब लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू करो.. लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता..
उसने आहिस्ता-आहिस्ता अपने लण्ड को मेरी गाण्ड में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड की अंदरूनी दीवारों से रगड़ ख़ाता.. तो जलन तो होती थी.. लेकिन जलन के साथ ही मीठा-मीठा सा मज़ा भी आ रहा था। 
कुछ देर बाद मैंने अपनी गाण्ड को उसके लण्ड के साथ ही हरकत देना शुरू कर दी। 
जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड की दीवारों से रगड़ खा के बाहर निकल रहा होता.. तो मैं भी आगे की तरफ हो जाता। जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड की दीवार को चीरता हुआ अन्दर दाखिल होता.. तो मैं भी अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ दबा देता। 
यह एक अनोखा मज़ा था.. जो मैंने कभी नहीं सोचा था.. बल्कि मेरे ख़याल से इस मज़े को कोई सोच ही नहीं सकता.. जब तक कि उसकी गाण्ड की अंदरूनी दीवार से कोई चीज़ रगड़ ना खाए.. कोई नहीं जान सकता उस मज़े का अहसास। 
मेरी हरकत के साथ-साथ ही ज़ुबैर ने भी अपनी स्पीड तेज कर दी थी और अब उसका लण्ड एक झटके की सूरत मेरे अन्दर दाखिल होता था और जड़ तक उतर जाता था। मेरे कूल्हों और उसकी जाँघों के टकराने से ‘थप्प्प-थप्प्प’ की आवाज़ पैदा होती थी.. जो मधुर मोसिक़ी महसूस हो रही थी।
इसी साथ-साथ वो मेरे लण्ड पर अपने हाथ की हरकत को भी भी तेज करता जा रहा था। 
कुछ ही देर बाद हम दोनों के लण्ड ने पानी छोड़ दिया और हम वहाँ ही सीधे हो कर लेट गए।
सांस बहाल होने के बाद मैंने ज़ुबैर से कहा- अब खुश हो तुम.. अब तो तुमने मुझे चोद लिया।
वो हँस कर कहने लगा- जी भाईजान.. सगा भाई और वो भी बड़ा भाई हो.. तो उसको चोदने में मज़ा तो आएगा ही ना..
मैंने यह सुन कर उसे मारने के लिए हाथ उठाया तो वो हँसता हुआ बाथरूम में भाग गया।
उसके निकलने से पहले ही मैंने फिर अपने आपको नींद की परी के सुपुर्द कर दिया।
उस दिन के बाद यह हमारा रुटीन बन गया, हम रोज़ रात सोने से पहले एक-दूसरे के लण्ड चूसते व चुदाई करते।
फैमिली में सब हैरान थे कि हम दोनों में बहुत अंडरस्टैंडिंग हो गई है। 
आज कल ना ही हम लड़ते हैं.. ना ही एक-दूसरे की कोई शिकायत अम्मी-अब्बू से लगाते हैं.. हमारी अम्मी अक्सर मेरी बहनों को नसीहत करते हुए कहने लगीं- शरम करो.. बजाए लड़ने झगड़ने के.. आपस में अपने भाईयों की तरह सुकून और अमन से रहो.. और हम अपनी अम्मी की इन बातों को सुन कर मुस्कुरा दिया करते थे।
अगले हफ़्ते.. ज़ुबैर अपने स्कूल एनुअल ड्रामा क्लब फंक्शन में था। वो सिर्फ़ लड़कों का स्कूल है.. और ज़ुबैर को ड्रामे में लड़की का रोल करना था.. तो उसने अपने चेहरे को लड़कियों की ड्रेसिंग के साथ मेकअप किया और साथ ही एक बड़े बालों की विग भी लगाई..
उसके सब क्लास फैलो उस पर जुमले कस रहे थे और सीटियाँ बजा रहे थे.. क्योंकि वो वाक़यी एक बहुत सेक्सी सी लड़की लग रहा था। उसने नॉर्मल से हट कर ऐसा स्टफ यूज किया था।
उसके नक़ली मम्मे ऐसे लग रहे थे.. जैसे किसी ट्रिपल एक्स मूवी की हिरोइन यानि किसी पॉर्न स्टार के मम्मे हों। 
बाहर हॉल में ड्रामा खत्म होने के बाद मैंने ज़ुबैर से कहा- अपना ये गर्ल वाला स्टफ अपने साथ घर ले आना।
उसने कहा- भाई, यह बहुत मुश्क़िल है..
मैंने उससे ज़िद करके कहा- यार कम से कम विग तो छुपा ले.. बाक़ी चीजें तो हमें घर से ही मिल जाएंगी। 
फिर जब वो घर आया.. तो वो बहुत खुश था कि विग छुपा लाने में कामयाब हो गया था। 
कुछ दिन बाद ही हमें ऐसा मौका मिला कि घर में सिर्फ़ हम दोनों ही थे। मैंने ज़ुबैर से कहा- आज ज़रा लड़की बनो यार..
‘ओके..’
हम दोनों अपनी बहनों के कमरे में गए और उनके ड्रेस देखना स्टार्ट कर दिए। तमाम कॅबिनेट लॉक थे.. लेकिन कुछ देर की मेहनत से हमें एक क़मीज़ सलवार का सूट टेबल के पीछे पड़ा मिल गया.. जो शायद बेध्यानी में वहाँ पड़ा रह गया था.. जो यक़ीनन ज़ुबैर पर फिट आता।
ओलिव कलर की कॉटन की क़मीज़ पर रेड फूल प्रिंट थे.. और सलवार भी कॉटन प्लेन ब्लैक कलर की थी। 
फिर ज़ुबैर वॉशिंग मशीन में पड़े गंदे कपड़ों के ढेर से एक स्किन कलर की ब्रा भी निकाल लाया.. जो हमें नहीं पता किसकी थी। उस पर 38डी का टैग लगा था.. लेकिन सूट हमें पता था कि बाजी का है। 
ये चीजें लेकर हम कमरे में वापस आए।
मैंने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट कर अपने लण्ड पर हाथ चलाने लगा। 
जब ज़ुबैर कपड़े उतारने लगा.. तो मैंने कहा- यहाँ नहीं यार.. बाहर से तैयार हो कर आ..
वो बाहर चला गया।
आज मैं बहुत उत्तेजित होकर अपने लण्ड को हिला रहा था और लड़के को चोदने से बोर हो चुका था।
अब मेरा मन चुदाई के लिए एक लड़की की तलब कर रहा था और ज़ुबैर लड़की के रूप में मेरी कुछ ना कुछ संतुष्टि का सबब तो बन ही सकता था।
काफ़ी देर बाद जब ज़ुबैर कमरे में आया तो मैं उससे देख कर दंग रह गया।
उसने ड्रेस चेंज करने के साथ-साथ हल्का सा मेकअप भी कर लिया था, वो बिल्कुल लड़की लग रहा था और एक खूबसूरत लड़की दिख रहा था।
उसे देखते ही मेरे जेहन में कुछ गड़बड़ सी हुई.. वो चेहरा मुझे कुछ जाना पहचाना सा लगा.. लेकिन ना मुझे याद आया और ना मैंने ज्यादा सोचा कि वो किस लड़की के चेहरे की तरह लग रहा है। 
वो सेक्सी लड़की के तरह कैटवॉक करता हुआ अन्दर आ रहा था। मैं अपने आपको रोक ना सका और मैंने जाकर उससे अपनी बाँहों में भींच लिया।
मैं किसी पागल आदमी के तरह उसके होंठों को चूमने और चूसने लगा। 
करीब 5 मिनट किसिंग करने के बाद मैंने उसके नक़ली मम्मों को दबाना शुरू किया। लेकिन सच ये है.. कि मुझे उन्हें दबाने में बिल्कुल भी मज़ा नहीं आया।
अब हम दोनों आईने के सामने आ गए ज़ुबैर मेरी टाँगों के बीच बैठा और उसने मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया। 
मैं नहीं जानता क्यों.. लेकिन रियली आईने में खुद को और ज़ुबैर को देख कर मुझे बहुत लज़्ज़त महसूस हुई, देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई लड़की मेरा लण्ड चूस रही है।
मैंने ज़ुबैर का चेहरा दोनों हाथों में थामा और उसके मुँह में तेजी से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। ज़ुबैर रुका और लण्ड को मुँह से निकाल कर बोला- भाई पानी निकालते वक़्त ध्यान रखना रूही बाजी की क़मीज़ पर कोई दाग धब्बा ना लग जाए। 
मैंने उसकी बात को अनसुनी करते हुए दोबारा उसके चेहरे को लण्ड के सामने किया और उसके मुँह में फिर से अपना लण्ड डाल दिया। कुछ देर बाद ही मेरे लण्ड ने अपना सारा पानी ज़ुबैर के मुँह में उड़ेल दिया।
कुछ देर आराम करने के बाद मैंने ज़ुबैर को पुकारा- चल ज़ुबैर.. अब मेरे ऊपर आ जा.. और अपना चेहरा मेरी तरफ करके मेरे लण्ड के ऊपर बैठो और अपनी टाँगें मेरी कमर के इर्द-गिर्द कर लो..
कहते हुए मैं आईने को अपने राईट साइड पर करते हुए सीधा लेट गया।
ज़ुबैर सलवार उतारने लगा.. तो मैंने कहा- सलवार मत उतारो बस नीचे से बीच में से सलवार की सिलाई उधेड़ लो.. ताकि वहाँ सुराख बन जाए और ड्रेस उतारना ना पड़े।

ज़ुबैर ने एक लम्हा कुछ सोचा और फिर वो ही किया.. जो मैंने कहा था।
फिर ज़ुबैर मेरे ऊपर आया.. मैंने लण्ड को अपने हाथ में पकड़ रखा था और सीधा कर रखा था। 
ज़ुबैर ने एक हाथ से सलवार के होल को अपनी गाण्ड के सुराख से मैच किया और मेरे लण्ड की नोक पर अपने सुराख को टिका दिया और गाण्ड को मेरे लण्ड पर दबाने लगा। 
मेरे लण्ड पर बैठते-बैठते उसने क़मीज़ के गले को सामने से खींच कर ज़रा नीचे कर दिया.. जिस से ब्रा का ऊपरी हिसा नज़र आने लगा। 
मैंने ‘ये देखो तो…’ दिल ही दिल में अपने छोटे भाई की ज़हानत की दाद दी। 
मेरा लण्ड जड़ तक ज़ुबैर की गाण्ड में दाखिल हो चुका था।
मैंने उससे कहा- अपनी विग के बाल भी अपने चेहरे पर गिरा लो..
उसने ऐसे ही किया और मेरे सीने पर अपने हाथ टिका कर अपनी गाण्ड को ऊपर-नीचे करते हुए मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड में अन्दर-बाहर करने लगा। 
मैं भी इन्तेहाई मज़े के कारण नीचे से झटके लगाने लगा और मैंने अपना चेहरा मोड़ कर आईने में देखा.. तो अपना सीन आईने में इतना ज़बरदस्त और वंडरफुल लगा कि मैं फ़ौरन ही अपना कंट्रोल खो बैठा और मेरे लण्ड ने ज़ुबैर की गाण्ड में ही फुहार बरसाना शुरू कर दी।
वो भी थक चुका था.. लेकिन डिसचार्ज होने के बावजूद भी मेरे लण्ड की सख्ती अभी काफ़ी हद तक कायम थी। 
मैंने ज़ुबैर को ऐसे ही अपने सीने पर सिर रखने को बोला और 5-6 मिनट बाद मेरा लण्ड फिर से अपने पूरे जोबन पर आ चुका था। इसके बाद मैंने एक बार फिर उसकी चुदाई की और ये हमारी चुदाई में से अब तक की सबसे बेहतरीन चुदाई थी। 
 
ज़ुबैर बिल्कुल लड़की लग रहा था और अब मैं जान चुका था कि मुझे चुदाई के लिए लड़की मिल गई है.. क्योंकि अब मैं लड़के को चोदने से बेजार हो चुका था और कुछ नया चाहता था।
अब यहाँ कहानी के इस मोड़ पर आकर इस बात की जरूरत है कि मैं अपनी बाजी के बारे में चंद बातें खुलासा कर दूँ। 
मेरी बाजी जिनका नाम रूही है.. वो मुझसे 4 साल बड़ी हैं। वो बहुत ही पाकीज़ा सी हस्ती हैं।
बाजी पर्दे की बहुत सख़्त पाबंद हैं.. घर से बाहर निकलती हों.. तो मुक्कमल तौर नक़ाब लगा के.. हाथों पर ब्लैक दस्ताने.. पाँवों में ब्लैक मोज़े.. और आँखों पर काला चश्मा लगाती हैं.. यानि कि उनके जिस्म का कोई हिस्सा तो बहुत दूर की बात एक बाल भी नहीं नज़र आता है।
घर में भी उनके सिर पर हर वक़्त स्कार्फ बँधा होता है.. जैसे नमाज़ पढ़ते वक़्त.. औरतें बाँधा करती हैं। उनका सिर्फ़ चेहरा ही नज़र आता है.. बाल.. माथा और कान भी स्कार्फ में छुपे होते हैं। 
मेरी यह बहन हर किसी का ख़याल रखने वाली.. सबके लिए दिल में दर्द रखने वाली.. नरम मिज़ाज की हैं। उनकी शख्सियत में नफ़ासत बहुत ज्यादा है.. उनसे कहीं हल्की सी गंदगी भी बर्दाश्त नहीं होती।
बेहद साफ़ चेहरा और उनका गुलाबी रंग उनको बहुत पुरनूर और उनका लिबास उनकी शख्सियत को मज़ीद नफीस बना देता है। 
हमारी छोटी बहन का नाम नूर-उल-आई है.. जो ज़ुबैर की हम उम्र और जुड़वां है।
हम सब प्यार से उसे हनी कहते हैं..
बाक़ी तफ़सील उस वक़्त बताऊँगा.. जब हमारी कहानी में हनी की एंट्री होगी।
मुझे और ज़ुबैर को चुदाई का खेल खेलते लगभग 3 महीने हो गए थे। हम लण्ड चूसते थे.. गाण्ड चाटा करते थे.. चुदाई की तकरीबन सभी पोज़िशन्स को हम लोग आज़मा चुके थे। 
एक रात मैं बहुत ज्यादा गरम हो रहा था.. तो मैंने ज़ुबैर से कहा- तू आज फिर से लड़की बन जा।
उसने कहा- भाई ये नहीं हो सकता.. सबके सब घर में हैं.. हम बहनों के कमरे में से उनके ड्रेस नहीं ला सकते..
मैंने उससे कहा- जब सब खाना खा रहे हों.. तो तुम उस वक़्त बहनों के कमरे में चले जाना और कपड़े छुपा लाना..
उसने ऐसा ही किया और खाना खाने के बाद जब हम अपने कमरे में दाखिल हुए तो बहुत एग्ज़ाइटेड हो रहे थे। 
मैं अपने कपड़े उतारने लगा और ज़ुबैर चेंज करने के लिए बाथरूम में चला गया। ज़ुबैर बाथरूम से बाहर आया.. तो उसने सिर्फ़ एक क़मीज़ पहन रखी थी, यह पिंक क़मीज़ पर्पल लाइनिंग के साथ थी.. और वो क़मीज़ हनी की थी।
मैंने उसे किस करना शुरू किया और कुछ ही लम्हों बाद वो मेरी टाँगों के बीच बैठा था और मेरा लण्ड जड़ तक उसके मुँह में था।

वो पागलों की तरह मेरे लण्ड को चूसे जा रहा था।
आज बहुत दिन बाद मुझे इतना मज़ा आ रहा था। मैं उठा और अपने हाथों को पीछे की तरफ बिस्तर पर टिका कर बैठ गया, मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं।
ज़ुबैर बहुत स्पीड से मेरे लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रहा था और मैं मज़े की आखिरी हदों को छू रहा था। मेरा सिर पीछे की तरफ ढुलक चुका था, मुझे महसूस हो रहा था कि कुछ ही सेकेंड्स में मेरा लण्ड पानी छोड़ देगा।
मेरे लण्ड का जूस निकलने ही वाला था कि एक आवाज़ बम बन कर मेरी शामत से टकराई ‘या मेरे खुदा.. ये तुम दोनों क्या कर रहे हो..!?!’
मेरी तो तकरीबन हवा निकलने वाली हो गई जब मैंने दरवाज़े में रूही बाजी को खड़ा देखा।
उनकी आँखें फटी हुई थीं और मुँह खुला हुआ था। 
वो शॉक की हालत में खड़ी थीं.. और उनका चेहरा काले स्कार्फ में लाल सुर्ख हो रहा था।
मुझे नहीं पता ये उस माहौल की टेन्शन थी.. या कुछ और..
तभी ज़ुबैर ने मेरे लण्ड को अपने मुँह से निकाला ही था और उसका चेहरा मेरे लण्ड के पास ही था.. इसलिए अचानक मेरे लण्ड ने पिचकारी मारनी शुरू कर दी और मेरे लण्ड का वाइट पानी ज़ुबैर के पूरे चेहरे पर चिपकता चला गया। 
मेरे मुँह से घुटी-घुटी सी सिसकारियाँ भी निकली थीं.. जो तक़लीफ़, मज़े और डर की मिली-जुली कैफियत की नुमायश कर रही थीं।
मेरी सग़ी बहन.. मेरी रूही बाजी की नजरें मेरे लण्ड की नोक से निकलते वाइट लावे पर जमी थीं।
इसके बाद मैं फ़ौरन सीधा हो कर बैठा और मैंने बिस्तर की चादर को अपने जिस्म के साथ लपेट लिया। 
ज़ुबैर भी फ़ौरन बेडशीट में छुपने के कोशिश कर रहा था.. उसकी पोजीशन ज्यादा ऑक्वर्ड थी.. क्योंकि रूही बाजी ने जब देखा था.. तो वो मेरी टाँगों के बीच बैठा था और मेरा लण्ड उसके मुँह में था और सोने पर सुहागा उसने कपड़े भी लड़कियों वाले पहन रखे थे। 
‘ये क्या गन्दगी है.. और तुमने कपड़े… ये हनी की क़मीज़ पहन रखी है ना तुमने..??’
रूही बाजी अपनी कमर पर दरवाज़ा बंद करते हुए इन्तेहाई गुस्से से बोलीं। 
हमारी हालत ऐसी थी कि काटो तो बदन में लहू नहीं.. हमारा खून खुश्क हो चुका था। 
‘वसीम तुम्हें शरम आनी चाहिए.. बड़ा भाई होने के नाते तुम इस तरह रोल मॉडल बन रहे हो… छोटे भाई के साथ ऐसी गंदी हरकतें करके… छी:.. मैं सोच भी नहीं सकती थी कि तुम ऐसा करोगे।’
वो इसी तरह थोड़ी देर हम दोनों पर चिल्लाती रहीं, उनका चेहरा गुस्से की शिद्दत से लाल हो रहा था। 
मैंने थोड़ा सा उठ कर अपने कपड़ों के तरफ हाथ बढ़ाया तो रूही बाजी ने चिल्ला कर कहा- वहीं बैठे रहो.. मज़ीद कमीनगी मत दिखाओ.. मेरी बातों को इग्नोर करके..
उनके हाथ-पाँव गुस्से की वजह से काँपने लगे।
कुछ देर वो अपनी हालत पर क़ाबू पाने के लिए वहीं खड़ी रहीं। 
शायद वो हमें मज़ीद लेक्चर देना चाहती थीं.. इसलिए उन्होंने सोफे की तरफ क़दम बढ़ाए ही थे कि उनकी नज़र कंप्यूटर स्क्रीन पर पड़ी जहाँ पहले से ही ट्रिपल एक्स मूवी चल रही थी और एक ब्लैक लड़का एक अंग्रेज गोरी लड़की को डॉगी स्टाइल में चोद रहा था और उसका स्याह काला लण्ड उस लड़की की पिंक चूत में अन्दर-बाहर होता साफ दिख रहा था। 
रूही बाजी ने चेहरा हमारी तरफ मोड़ा और कहा- तो ऐसी नीच और घटिया फिल्म देख-देख कर तुम लोगों का दिमाग खराब हुआ है हाँ..!” 
बाजी ने हमें ये बोला और अपना रुख़ मोड़ कर कंप्यूटर के तरफ चल दीं। 
रूही बाजी अभी कंप्यूटर से चंद क़दम के फ़ासले पर ही थीं कि मूवी में लड़के ने अपना लण्ड लड़की की चूत से निकाला। 
उसका लण्ड तकरीबन 10 इंच लंबा होगा और लड़की फ़ौरन मुड़ कर लड़के की टाँगों के बीच बैठ गई और खड़े लण्ड को पकड़ के अपने खुले हुए मुँह के पास लाई और फ़ौरन ही उसके डार्क ब्लैक लण्ड से वाइट जूस निकलने लगा.. जो कि लड़की अपने मुँह में भरने लगी। 
पता नहीं यह हक़ीक़त थी या मुझे ऐसा लगा जैसे रूही बाजी के बढ़ते क़दम इस सीन को देख कर एक लम्हें के लिए रुक से गए थे। उनकी नजरें स्क्रीन पर ही जमी थीं।
जब उन्होंने आगे बढ़ कर कंप्यूटर को ऑफ किया.. तो उस वक़्त तक मूवी वाली लड़की ब्लैक आदमी के लण्ड के जूस को पी चुकी थी और अब अपना खाली मुँह खोल के कैमरा में दिखा रही थी।
बाजी कंप्यूटर ऑफ कर के मुड़ी.. तो मैं अपना शॉर्ट पहन रहा था और ज़ुबैर भाग कर बाथरूम में घुस चुका था।
मैं 2 क़दम बाजी की तरफ बढ़ा और ज़मीन पर बैठ गया और मैंने कहा- सॉरी बाजी.. हमारे जेहन हमारे क़ाबू में नहीं रहे थे.. हम बहुत एग्ज़ाइटेड हो गए थे।
‘क्या मतलब है तुम्हारा एग्ज़ाइटेड.. हो गए थे..?? तुम इतने पागल हो गए थे कि अपना सगा और छोटा भाई भी तुम्हें नहीं नज़र आया..। किसी लड़की के साथ मुँह नहीं काला कर सकते थे.. तो कम से कम कहीं बाहर ही कोई अपने जैसी खबीस रूह वाला लड़का देख लेते.. जो तुम्हारा सगा भाई तो ना होता..”
मेरे पास उनकी इस बात का कोई जवाब नहीं था.. लेकिन मैंने यह महसूस किया था कि कंप्यूटर स्क्रीन पर नज़र पड़ने के बाद से बाजी के लहजे में बहुत फ़र्क़ आ गया था और उनका गुस्सा तकरीबन गायब ही हो चुका था।
कुछ देर खामोशी रही.. बाजी किसी सोच में डूबी हुई सी लग रही थीं। 
मैंने झिझकते-झिझकते खौफज़दा सी आवाज़ में उनसे पूछा- क्या आप अम्मी-अब्बू को भी बता दोगी?
वो ऐसे चौंकी.. जैसे यहाँ से बिल्कुल ही गाफिल थीं और फिर वे बोलीं- मैं नहीं जानती कि मैं क्या करूँगी.. लेकिन ये ही कहूँगी कि तुम दोनों को शरम आनी चाहिए.. ये सब करना ही है.. तो घर से बाहर किसी और के साथ जाकर करो।
फिर कुछ देर और खामोशी में ही गुज़र गई, मैंने बाजी के चेहरे की तरफ देखा.. तो वो छत की तरफ देख रही थीं और उनका जेहन कहीं और मशरूफ था।
अब उनका गुस्सा मुकम्मल तौर पर खत्म हो चुका था.. चेहरा भी नॉर्मल हो गया था.. लेकिन वो कुछ खोई-खोई सी थीं। मेरी नजरों को अपने चेहरे पर महसूस करके उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- उठो और जाकर ज़ुबैर को देखो। 
मैं उठा तो बाजी ने भी कुर्सी छोड़ दी और मेरे साथ ही बाथरूम की तरफ चल दीं। दरवाज़ा बन्द था.. बाजी ने दरवाज़ा बजाया.. अन्दर से कोई आवाज़ नहीं आई। 
तो वो बोलीं- ज़ुबैर मुझे तुमसे बिल्कुल भी ये उम्मीद नहीं थी.. तुम दोनों ही गंदगी में धंसे हुए नापाक इंसान हो। 
अन्दर से ज़ुबैर की रोती हुई आवाज़ आई- बाजी प्लीज़ मुझे माफ़ कर दें.. बाजी प्लीज़ अम्मी-अब्बू को नहीं बताना..
कह कर उसने बाकायदा रोना शुरू कर दिया। 
रूही बाजी ने मेरी तरफ देखा और कहा- इसे चुप करवाओ और शरम करो कुछ..
यह कह कर वो दोबारा कंप्यूटर टेबल के तरफ चली गईं और वहाँ कुछ करने के बाद कमरे से बाहर चली गईं।
मैंने भाग कर दरवाज़ा बन्द किया और बाथरूम के पास आकर ज़ुबैर से कहा- बाजी चली गई हैं.. दरवाज़ा खोल और बाहर आ जा।
यह कह कर मैं बेड पर जाकर लेट गया और बाजी के बदलते रवैये के बारे में सोचने लगा। 
कुछ देर बाद ज़ुबैर बाहर आया और मेरे पास आकर लेट गया और डरे सहमे लहजे में बोला- भाईजान अगर बाजी ने अम्मी-अब्बू को बता दिया तो??
मेरे पास इस बात का कोई जवाब नहीं था.. लेकिन मैंने ज़ुबैर से कह दिया- यार तुम परेशान नहीं होओ.. कुछ नहीं होगा.. बाजी किसी को नहीं बताएँगी!
मैंने ज़ुबैर को तो समझा-बुझाकर चुप करवा दिया.. लेकिन हक़ीक़त ये ही थी कि मैं खुद भी डरा हुआ था। डर के साथ-साथ ही मुझे तश्वीश थी।
बाजी के बदलते रवैए के बारे में ये सब सोचते-सोचते ही मुझे ख़याल आया कि मैं कंप्यूटर में से अपना पॉर्न मूवीज का फोल्डर तो डिलीट कर दूँ ताकि बाजी अब्बू को बता भी दें.. तो कोई ऐसा सबूत तो ना हो। 
 
मैंने ज़ुबैर की तरफ देखा तो वो सो चुका था। मैं उठा और कंप्यूटर टेबल पर आकर कंप्यूटर ऑन करने लगा.. तो मैंने देखा कि उसकी पावर कॉर्ड गायब थी।
कुछ देर तो मुझे समझ नहीं आया लेकिन फिर याद आया कि बाजी कमरे से जाने से पहले कंप्यूटर के पास गई थीं, यक़ीनन वो ही पावर कॉर्ड निकाल कर ले गई होंगी।
लेकिन उन्होंने ऐसा क्यूँ किया?
यह ही सोचते हुए मैं अपने बिस्तर पर आकर लेट गया और मेरे जेहन में यही बात आई कि बाजी यक़ीनन अम्मी या अब्बू को बता देंगी और इसी लिए वो पावर कॉर्ड निकाल कर ले गई हैं ताकि हम सबूत ना मिटा सकें। 
यह सोच जेहन में आते ही मुझे ख़ौफ़ की एक लहर ने घेर लिया और कुछ देर बाद ही जब नींद भी अपना रंग जमाने लगी.. तो मैंने अपनी फ़ितरत की मुताबिक़ अपने जेहन को समझा दिया कि जो भी होगा.. देखा जाएगा।
ज्यादा से ज्यादा अम्मी-अब्बू घर से निकाल देंगे ना.. तो मैं कुछ भी कर लूँगा.. अब मैं खुद भी कमा सकता हूँ.. ऐसी बागी सोच वैसे भी उस उम्र का ख़ास ख्याल होता है.. जिसे उम्र में मैं उस वक़्त था। 
बस ऐसी ही सोच में उलझा-उलझा मैं नींद के आगोश में चला गया। 
अगली सुबह जब हमारी आँख खुली.. तो आँख खुलते ही जेहन में पहला सवाल ये ही था कि अब क्या होगा?? 
मैं कॉलेज के लिए तैयार होकर बाहर निकला तो अम्मी टेबल पर नाश्ता लगा रही थीं.. जबकि डेली हमें नाश्ता रूही बाजी बना के देती थीं और हमारे निकलने के बाद वो नाश्ता करके यूनिवर्सिटी जाती थीं। 
मैं टेबल पर बैठा ही था कि ज़ुबैर भी सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आता दिखाई दिया। उसी वक़्त रूही बाजी और हनी के कमरे का भी दरवाजा खुला और हनी स्कूल यूनिफॉर्म पहने बाहर आती दिखाई दी। 
इसी पल में मैंने दरवाज़े में से अन्दर देख लिया था कि रूही बाजी अभी तक बिस्तर पर ही थीं। 
ज़ुबैर टेबल पर आकर बैठा तो उसका चेहरा ऐसा हो रहा था.. जैसे बिल्ली को सामने देख कर चूहे का हो जाता है।
मैंने उससे कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि किचन से अम्मी और हनी नाश्ता लेकर बाहर आती नज़र आ गईं। 
अम्मी हनी से कह रही थीं- सच-सच बताओ मुझे.. कल तुम लोगों ने बाहर से कोई उल्टी-सीधी चीज़ मंगा कर खाई थी ना.. इसी लिए रूही का पेट खराब है और वो यूनिवर्सिटी भी नहीं जा रही है। 
हनी मुसलसल इनकार कर रही थी.. खैर उनकी इस बहस से मुझे रूही बाजी के ना उठने की वजह तो मालूम हो ही गई थी और ज़ुबैर के चेहरे पर भी ये सुन कर सकून छा गया था कि बाजी अभी अपने कमरे में ही सो रही हैं। 
मैंने भी शुक्रिया अदा किया कि अच्छा ही हुआ कि बाजी से सामना नहीं हुआ। मैं बा ज़ाहिर तो पुरसुकून था.. लेकिन हक़ीक़तन खौफजदा तो मैं भी था ही। 
हम घर से स्टॉप तक साथ ही जाते थे और फिर अपनी-अपनी बस में बैठ जाते थे.. आज भी हम तीनों एक साथ निकले।
ज़ुबैर और हनी को उनके स्कूलों की बसों में बैठाने के बाद मैं भी अपने कॉलेज की तरफ चल दिया। 
लेकिन मेरा जेहन बहुत उलझा हुआ था, अजीब ना समझ आने वाली कैफियत थी, ऐसा लग रहा था जैसे कोई बात है.. जो जेहन में कहीं अटक गई है.. लेकिन क्लियर नहीं हो रही है। इसी उलझन में मैं कॉलेज से भी जल्दी ही निकल आया।
घर में दाखिल होते हुए भी मैंने ये एहतियात रखी कि बाजी सामने ना हों क्योंकि मैं रूही बाजी का सामना नहीं करना चाहता था।
अन्दर दाखिल होने पर मैंने चारों तरफ नज़र दौड़ाई तो मुझे कोई भी नज़र नहीं आया.. जबकि मेरे हिसाब से अम्मी के साथ-साथ रूही बाजी को भी घर में ही मौजूद होना चाहिए था।
जब मुझे कोई नज़र ना आया.. तो मैंने भी सिर को झटका और पैर अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ियों की तरफ बढ़ा दिए। 
मैं सीढ़ियों से ज़रा दूर ही था कि मैंने अम्मी को उनके कमरे से निकल कर सीढ़ियों की तरफ जाते देखा।
उसी वक़्त उनकी नज़र भी मुझ पर पड़ी.. तो वो फ़ौरन मेरी तरफ आईं और परेशान हो कर पूछने लगीं- क्या हुआ वसीम खैरियत तो है ना बेटा.. इतनी जल्दी वापस आ गए कॉलेज से?
तो मैंने सिर दर्द या पेट दर्द जैसे बहाने बनाने से ऐतराज़ किया कि उस पर अम्मी का लेक्चर सुनना पड़ जाता, मैंने कह दिया कि आज टीचर्स ने किसी बात पर हड़ताल कर रखी है।
अम्मी ने अपनी बगल में दबाए अपने बुर्क़े को खोला और बुर्क़ा पहनते-पहनते टीचर्स को कोसने लगी, फिर नक़ाब बाँधते हुए उन्होंने मुझे कहा- मैं तुम्हारी सलमा खाला के घर जा रही हूँ.. उसने बुलाया है.. कोई काम है उसे.. मैं ये ही रूही को बताने ऊपर जा रही थी कि दरवाज़ा बंद कर ले। कब से ऊपर जाकर बैठी है.. उसे पता भी है कि मुझसे सीढ़ियाँ नहीं चढ़ी जाती हैं.. लेकिन तुम लोगों को मेरी परवाह कब है.. सब ऐसे ही हो।’ 
उन्होंने ये कहा और मुझे दरवाज़ा बंद करने का इशारा करते हुए बाहर निकल गईं।
मैंने डोर लॉक किया और सना बाजी के बारे में सोचते हुए ऊपर अपने कमरे की तरफ चल पड़ा।
ऊपर या तो हमारा रूम है.. या स्टडीरूम है।
मैं पहले स्टडीरूम की तरफ गया कि सना बाजी को देख लूँ.. लेकिन स्टडी में सना बाजी को ना पाकर मुझे बहुत हैरत हुई। स्टडी रूम में ना होने का मतलब ये ही था कि वो हमारे कमरे में हैं। 
मेरी सिक्स सेंस्थ ने मुझे आगाह कर दिया कि कुछ गड़बड़ है.. मैं दबे पाँव चलता हुआ अपने कमरे के दरवाज़े पर आया और हल्का सा दबाव देकर देखा। लेकिन दरवाज़ा अन्दर से लॉक था। मैं वापस स्टडीरूम में आया और खिड़की के बाहर बने शेड पर उतर गया। शेड पर चलते-चलते मैं अपने कमरे की खिड़
 
हम इस एक खिड़की का लॉक हमेशा खुला रखते थे कि कभी इसकी कोई जरूरत पड़ ही सकती है और आज इस बात ने फ़ायदा पहुँचा ही दिया था।
वैसे भी हमारा ये कमरा ऊपर वाली मंजिल पर था.. तो कोई ऐसा ख़तरा भी नहीं था कि कोई चोर डाकू आ जाएं। हमारे घर के चारों तरफ लॉन था उसके बाद दीवारें बनी हुई थीं.. वो भी 10 फीट ऊँची थीं और उन पर काँच लगे थे।
बरहराल.. मैंने आहिस्तगी से सिर उठा कर खिड़की से अन्दर झाँका।
इस खिड़की से कंप्यूटर टेबल इस एंगल पर थी कि यहाँ से कंप्यूटर स्क्रीन भी नज़र आती थी और कुर्सी पर बैठे हो बंदे का लेफ्ट साइड पोज़ भी उसकी कमर के कुछ हिस्से के साथ-साथ देखा जा सकता था, ज़रा तिरछा सा एंगल बनता था। 
उम्मीद है कि मैंने इस पोजीशन का आपके जेहन में मुकम्मल खाका बना दिया होगा।
यहाँ जरूरी है कि मैं अपनी बाजी के जिस्म के बारे कुछ डीटेल्स बयान कर दूँ ताकि कहानी पढ़ते वक़्त आप लोगों के ज़हन में मेरी सग़ी बहन की तस्वीर बनी हुई हो।
मेरी बाजी मुझसे 4 साल बड़ी हैं.. उनका रंग गोरा नहीं.. बल्कि गुलाबी है.. जिल्द बिल्कुल शफ़फ़ है। उनकी लम्बाई तकरीबन 5 फीट 4 इंच है.. उनका जिस्म भरा हुआ था.. पेट बिल्कुल नहीं था।
उनकी टाँगें काफ़ी लंबी-लंबी और भारी-भारी कदली सी जाँघें हैं और उनके सीने के दोनों उभार काफ़ी बड़े और वैलशेप्ड हैं.. जो शायद खानदानी जींस की वजह से हैं।
मेरे पूरे खानदान में ही सब औरतों के मम्मे बड़े-बड़े ही हैं।

जब मेरी नज़र अन्दर पड़ी.. तो मेरा मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया और मेरा लण्ड एक ही झटके लेकर तन गया। सामने मेरी बाजी कुर्सी पर बैठी थीं।
कंप्यूटर स्क्रीन उनके सामने थी और की बोर्ड उनकी गोद में पड़ा था। उन्होंने स्काइ-ब्लू क़मीज़.. जिस पर ब्लैक फूल प्रिंटेड थे.. पहन रखी थी। 
सिर पर डार्क-ब्लू स्कार्फ ऐसे ही बाँध रखा था.. जैसे वो बाँधा करती हैं, इसको मैं पहले बयान कर चुका हूँ।
नीचे आपा ने वाइट कॉटन की ही सलवार पहनी हुई थी.. जिसके पायेंचों ने उनके पैरों को आधे से ज्यादा ढक रखा था।
स्क्रीन पर वो रात वाली ही मूवी चल रही थी.. जिसमें सब ब्लैक आदमी और गोरी लड़कियाँ ही थीं।
यह सीन थ्रीसम का था जिसमें एक गोरी लड़की डॉगी पोजीशन में थी और एक डार्क ब्लैक लण्ड उसकी खूबसूरत पिंक-पिंक चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।
उसी वक़्त में ही एक और काले लण्ड को उसके होंठों ने अपनी गिरफ्त में ले रखा था। 
सामने बैठी मेरी सग़ी बहन मेरी बड़ी बहन.. मेरी बाजी.. अपने राईट हैण्ड से की बोर्ड को कंट्रोल कर रही थीं और लेफ्ट हैण्ड की 2 उंगलियों से उन्होंने अपने लेफ्ट मम्मे के निप्पल को पकड़ रखा था और उसे चुटकी में मसल रही थीं।
उन्होंने अपनी दाईं टांग पर अपनी बाईं टांग को क्रॉस करके रखा हुआ था.. जिसकी वजह से मुझे अपनी बहन की हसीन रान और बाएँ कूल्हे के निचले हिस्से का भी दीदार हो रहा था। 
अपनी सग़ी बहन को इस हालत में देख कर मेरी क्या हालत थी.. इसका अंदाज़ा आप बाखूबी लगा सकते हैं। 
मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोल के अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया था.. लेकिन मैं उसे हाथ भी नहीं लगा रहा था क्योंकि मुझे पता था कि मेरे हाथ टच करते ही मेरा लण्ड अपना पानी बहा देगा.. बगैर हाथ लगाए ही मेरे लण्ड से क़तरा-क़तरा सफ़ेद माल निकल रहा था।
चंद सेकेंड्स के वक्फे से मेरा लण्ड एक झटका ख़ाता था… और एक क़तरा बाहर फेंक देता था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पूरे जिस्म में आग लगी हुई है, मुझे अपने कानों से धुंआ निकलता महसूस हो रहा था।

बाजी कुर्सी पर बिना हिले-जुले ऐसे बैठी थीं.. जैसे कि वो बुत हों। उधर मूवी में अब दोनों लड़के अपने-अपने लण्ड चूत और मुँह से निकाल कर साथ-साथ खड़े हो गए थे और वो लड़की उन दोनों के सामने घुटनों के बल बैठ कर बारी-बारी से दोनों का लण्ड चूस रही थी और हाथ में उनके हैवी लौड़े पकड़ कर अपने हाथ को आगे-पीछे हरकत दे रही थी। 
फिर उस लड़की ने लण्ड को अपने मुँह से निकाला और अपने सीने के उभारों पर रगड़ने लगी। फिर उसने लण्ड की नोक को अपने निप्पल पर दबाया ही था कि लण्ड से गाढ़ा सफ़ेद जूस निकल-निकल कर उसके मम्मों पर गिरने लगा।
वो अपने हाथ से अपने दोनों मम्मों पर लण्ड के पानी की मालिश करने लगी।
उसी वक़्त दूसरे ब्लैक आदमी ने लड़की के सिर को पकड़ कर अपने लण्ड की तरफ घुमाया और उस लड़की ने उसके लण्ड को पकड़ कर एक बार में पूरे लण्ड को जड़ तक अपने मुँह में भरा और फिर लण्ड को मुँह से निकाल कर सिर्फ़ उसकी नोक को अपने निचले होंठ पर टिका दिया और अपना मुँह जितना खोल सकती थी.. खोल लिया और लण्ड को अपनी मुठी में पकड़ कर हाथ को आगे-पीछे करने लगी।
फ़ौरन ही उसके लण्ड से भी गाढ़ा-गाढ़ा सफ़ेद पानी निकलने लगा.. जो लड़की के मुँह में जमा होता रहा। 
उसी वक़्त बाजी के जिस्म को भी झटका सा लगा.. उन्होंने की बोर्ड अपनी गोद से उठा कर सामने टेबल पर रख दिया। उन्होंने मीडिया प्लेयर के कर्सर को हरकत दी और मूवी वहीं से शुरू हो गई.. जहाँ से लड़की ने जड़ तक लण्ड को चूस कर अपने निचले होंठ पर टिका दिया था।
शायद वो ये सीन फिर से देखना चाहती थीं। 
बाजी ने भी अपने दोनों हाथों को सामने टेबल पर रखा और टेबल का किनारा बहुत मज़बूती से पकड़ लिया। उन्होंने अपनी टाँगों को आपस में भींच लिया। बाजी की गर्दन की अकड़ गई थी.. उनकी गिरफ्त टेबल पर मज़बूत होती जा रही थी और पूरा जिस्म अकड़ गया था। सिर गर्दन की अकड़ की वजह से पीछे को झुक सा गया था।
अचानक उनके जिस्म ने 2-3 झटके लिए और उनको हिचकियाँ भी आने लगीं, शायद अपनी सिसकारियों को रोक रही थीं।
इस वजह से सिसकारियाँ हिचकी में तब्दील हो गई थीं।
उसी वक़्त मेरे लण्ड ने भी झटके लिए और दीवार पर पिचकारी मारने लगा।
मेरी जिन्दगी में पहली बार ऐसा हुआ था कि बगैर हाथ टच हुए मैं डिसचार्ज हुआ था।
झटके खाने के बाद भी बाजी का जिस्म तकरीबन 30 सेकेंड तक अकड़ा रहा और फिर उनका बदन ढीला पड़ गया और वो निढाल सी हो गई।
शायद मेरी बाजी भी मेरी तरह बगैर टचिंग के ही अपनी मंज़िल पा गई थीं।
मैं नहीं चाहता था कि बाजी को मेरी मौजूदगी का पता चले।
मैं जिस रास्ते से यहाँ तक आया था.. उसी रास्ते पर चलता नीचे चला गया।
मुझे उम्मीद थी कि बाजी भी अब फ़ौरन ही नीचे आ जाएंगी।
इसलिए मैं बाहर वाले मेन गेट पर आकर खड़ा हो गया कि बाजी को सीढ़ियाँ उतारते देख कर घर में ऐसे दाखिल होऊँगा कि उन्हें ऐसा ही ज़ाहिर हो कि मैं अभी-अभी ही घर आया हूँ। 
लेकिन 10-15 मिनट वहाँ खड़े होने के बावजूद भी बाजी नीचे नहीं उतरीं.. तो मैं बाहरी दरवाजे को बन्द करते हुए घर से बाहर निकल गया। 
 
कुछ देर टाइम पास करने के लिए स्नूकर क्लब की तरफ चल दिया। मेरा जेहन बहुत कन्फ्यूज़ था। मेरा जेहन अपनी सग़ी बहन.. जो बहुत पाकीज़ा.. लायक और शरीफ थी.. का ये रूप क़बूल नहीं कर रहा था। अपनी बहन जिसके मम्मों को मैंने कभी दुपट्टे के बगैर नहीं देखा था.. अभी उन मम्मों पर सजे खूबसूरत निपल्स को चुटकी में मसलता हुआ देख कर आ रहा था। हाँ वो थे तो क़मीज़ में छुपे.. लेकिन शायद ब्रा से बेनियाज़ थे। 
मेरी बहन जो कभी हमारे सामने ज्यादा देर बैठती नहीं थी.. उसकी वाइट सलवार में छुपी रान और कूल्हे का निचला हिस्सा मेरी नज़रों में घूम रहा था। 
‘भाई साहब चना चाट खाओगे.. बिल्कुल ताज़ा है..’ 
इस आवाज़ पर मेरी सोचों का सिलसिला टूटा.. तो मुझे पता चला कि मैं जा तो स्नूकर क्लब रहा था.. लेकिन पहुँच गया था अपने एरिया में बने एक पार्क में.. शायद मैं सोचने के लिए तन्हाई चाहता था और मेरा जेहन मुझे यहाँ ले आया था।
सारा दिन घर से बाहर गुजारने के बाद जब मैं घर पहुँचा.. तो रात के 9 बज रहे थे।
घर में घुसते ही अब्बू की आवाज़ ने मेरा इस्तक़बाल किया- अमां यार कहाँ थे बेटा.. सारा दिन तुम्हारा सेल फोन भी ऑफ मिल रहा है। 
मैंने उनके सामने वाली कुर्सी पर डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए यूँ ही कुछ बहाना बनाया और बात को टाल दिया। 
अम्मी ने कहा- खाना खा कर जल्दी सो जाना.. सुबह 5 बजे तुम्हें सलमा खाला के साथ गाँव जाना है। ज़ुबैर शाम 4 बजे ही इजाज़ (सलमा खाला के शौहर) के साथ गाँव चला गया है।
मैंने अब्बू की तरफ सवालिया नजरों से देखा.. तो उन्होंने तफ़सील से बताया कि वहां हमारी कुछ ज़मीने हैं.. जो तुम्हारे और ज़ुबैर के नाम पर हैं। उनके साथ ही हमारी खाला की भी ज़मीन है। बस उन्ही का कुछ मसला था.. जिसकी तफ़सील बयान करके मैं आप लोगों को बोर नहीं करना चाहता।
तभी अम्मी ने कहा- तुम्हारा बैग रूही ने तैयार कर दिया होगा। अपना जरूरी सामान जो साथ ले जाना चाहो.. वो भी रूही को दे देना.. वो रख देगी..। 
रूही बाजी का नाम सुनते ही मुझे आज सुबह का देखा हुआ सीन याद आ गया और फ़ौरन ही मेरे लण्ड ने रिस्पोन्स में मुझे सैल्यूट दे दिया। 
मैं खाना खा चुका था.. मैंने अम्मी-अब्बू को खुदा हाफ़िज़ कहा और उन्हें कह दिया कि मैं सुबह सलमा खाला को उनके घर से ले लूँगा और सीढ़ियों की तरफ चल दिया।
मैंने पहली सीढ़ी पर क़दम रखा ही था कि ऊपर से रूही बाजी आती दिखाई दीं।
उन्हें देख कर मेरा दिल ज़ोर से धड़का और फिर जैसे मेरी धड़कन रुक सी गई। उन्होंने सुबह वाला ही सूट पहन रखा था और वो ही स्कार्फ बाँधा हुआ था.. डार्क ब्लू कलर का और एक बड़ी सी ग्रे रंग की चादर उन्होंने अपने पूरे जिस्म के गिर्द लपेट रखी थी।
लेकिन वो बड़ी सी चादर भी बाजी के सीने के बड़े-बड़े उभारों को मुकम्मल तौर पर छुपा लेने में नाकाम थी। जब वो मेरे सामने पहुँचीं और मेरी नजरों से उनकी नज़र मिलीं तो मेरी नज़रें फ़ौरन झुक गईं.. 
लेकिन इस एक नज़र ने मुझे ये बता दिया था कि बाजी की नजरों में भी अब वो दम नहीं था कि वो मुझसे आँख मिला सकतीं।
उनकी नज़र भी फ़ौरन ही झुकी थी।
आख़िर उनके दिल में भी चोर बस ही गया था।
मैं गाँव में 5 दिन गुजार कर आज ही वापस पहुँचा था और सलमा खाला को उनके घर छोड़ कर बस अपने घर में दाखिल हुआ ही था कि सामने डाइनिंग हॉल में ही अम्मी बैठी हुई मिल गईं। उन्होंने सलाम का जवाब दिया और मेरा माथा चूमने के बाद पहला सवाल ज़ुबैर के बारे में किया कि वो कहाँ है?
तो मैंने बताया कि वो भी कल आ जाएगा। 
मेरा जवाब खत्म होते ही अम्मी ने दूसरा सवाल दाग दिया- गाँव के जिस काम के लिए हम गए थे.. उसमें क्या हुआ?
मैंने सिर्फ़ इतना ही जवाब दिया- सब काम खैरियत से निपट गया है। तफ़सील आप सलमा खाला से ही पूछ लेना। 





मुझे पता था कि अगर मैंने यह बात शुरू कर दी… तो अम्मी सारा दिन ही गुजार देंगी। हरेक बंदे के बारे में मालूम करके ही सुकून से बैठेंगी। इसलिए ये बात सलमा खाला के सिर डाल कर मैंने बात ही खत्म कर दी।
दोनों बहनों को बातें करने का भी बहुत शौक है.. आपस में सब मालूमत का तबादला भी कर लेंगी।
मैं उठा ही था कि अम्मी ने हुकुम दिया- मेरे कमरे से बुर्क़ा ला दे.. मैं अभी जाती हूँ सलमा के पास..
मैंने बुर्क़ा ला कर दिया और पूछा- अब्बू कहाँ हैं..?? 
अम्मी बताने लगीं- तुम्हारे अब्बू को तो ऑफिस के अलावा कुछ सूझता ही नहीं.. आज इतवार था.. छुट्टी आराम करने के लिए होती है.. लेकिन उनके ऑफिस वालों ने कोई पार्टी अरेंज की हुई है.. जिसमें फैमिली लंच और कोई मैजिक शो का इंतज़ाम भी है.. जो रात तक चलेगा।
मैंने अम्मी से सिर्फ़ अब्बू के बारे में ही पूछा था लेकिन उन्होंने हस्बे-आदत सब का बताना शुरू कर दिया।
साथ ही यह भी बता दिया कि वो निकम्मी हनी भी मैजिक शो का नाम सुन कर उनके साथ जाने को तैयार हो गई, उसे भी साथ ले गए हैं.. और रूही की तो ये मुई पढ़ाई ही जान नहीं छोड़ती। कोई थीसिस लिख रही है.. सुबह 9 बजे ऊपर जाती है स्टडी रूम में.. तो रात तक वहाँ ही होती है।
आगे बोली- अभी तुम्हारे आने से एक मिनट पहले ही ऊपर गई है। मैं अपने घुटनों के दर्द की वजह से ऊपर जा नहीं सकती। बस नीचे से आवाजें मारती रहती हूँ। कभी सुन ले तो जवाब दे देती है.. नहीं तो खुद ही खामोश हो जाती हूँ और अब तो उसने घर में भी अबया पहनना शुरू कर दिया है.. 24 घंटे अबया पहने रहती है। 
अम्मी ने रूही बाजी के बारे में जो बात कही.. उसने मेरे दिमाग में लाल बत्ती जला दी थी।
ये बात खत्म करने तक वो बुर्क़ा और नक़ाब पहन चुकी थीं। मुझे हाथ से दरवाज़ा बन्द करने का इशारा करते हुए बाहर की तरफ चल पड़ी।
मैंने उनके पीछे चलते हुए कहा- आप ऑटो लॉक क्यूँ नहीं लगा कर जाती हैं, कुल 6 नंबर का तो कोड है.. 6 बटन ही दबाने होते हैं ना।
तो वो बाहर निकलते हुए चलते-चलते बोलीं- जब तुम लोगों में से कोई पास नहीं होता.. तो खुद ही लॉक करती हूँ। अब बंद कर लो दरवाजा और घर का ख़याल रखना, मैं खाना सलमा के पास ही खाकर आऊँगी।
अम्मी के जाने के बाद मैंने दरवाज़ा लॉक किया और ऊपर अपने कमरे की तरफ चल पड़ा।
मैं ऊपर आखिरी सीढ़ी पर था जब मैंने बाजी को स्टडी रूम से निकलते देखा, वो निकल कर स्टडी रूम का दरवाज़ा बंद कर रही थीं।
पहली ही नज़र में मैंने जो चीज़ नोटिस की.. वो सना बाजी का गहरे काले रंग का सिल्क का अबया था.. जिसकी लंबाई इतनी थी कि बाजी के पाँव भी उसी अबाए में ही छुपे हुए थे और स्लेटी रंग का स्कार्फ उन्होंने अपने मख़सूस अंदाज़ में बाँध रखा था।
मैं बगैर कुछ सोचे-समझे दबे पाँव नीचे की तरफ चल पड़ा।
मैं बाजी का सामना नहीं करना चाह रहा था। नीचे पहुँच कर मैं डाइनिंग हाल में ही खड़ा हो गया और बाजी के नीचे आने का इन्तजार करते हुए अपनी सोच में अपने आपको सिरज़निश करने लगा कि बाजी वाक़यी स्टडी रूम में होती हैं और मैं अपनी सग़ी बहन.. अपनी पाकीज़ा और लायक बहन के बारे में कैसी बातें सोच रहा हूँ।
दो मिनट बाद मैंने सोचा कि बाजी को अब तक नीचे आ जाना चाहिए था और इसी सोच के साथ ही मैंने ऊपर की तरफ अपने क़दम बढ़ा दिए।
ऊपर पहुँच कर मैंने पहले स्टडी रूम के दरवाज़े को देखा.. लेकिन वो बाहर से लॉक था।
फिर मैंने अपने कमरे के दरवाज़े पर दबाव डाल कर देखा लेकिन वो अन्दर से लॉक था।
मैं स्टडी रूम की तरफ गया और खिड़की के रास्ते शेड से होता हुआ अपने कमरे की खिड़की तक पहुँच गया और मैंने नीचे झुके-झुके ही खिड़की पर दबाव डाला। वो हमेशा की तरह आज भी अनलॉक ही थी। मैंने अन्दर नज़र डाली तो रूम खाली था। लेकिन उसी वक़्त बाथरूम का दरवाज़ा खुला और रूही बाजी बाहर आईं और सीधी कंप्यूटर की तरफ बढ़ गईं। 
उनकी बेताबी.. उनके हर अंदाज़ से ज़ाहिर थी। वो कुर्सी पर बैठीं और कंप्यूटर ऑन करने के बाद डाइरेक्ट हमारे पॉर्न मूवीज वाले फोल्डर तक पहुँची और उन्होंने एक मूवी ओपन कर ली। जब मूवी ओपन हुई तो मैंने देखा ये मूवी नंबर 109 थी और हमारे कम्प्यूटर में टोटल 111 मूवीज थीं। 
जिसका मतलब ये था कि बाजी ने पिछले 5 दिनों में तकरीबन सारी ही मूवीज देख डाली थीं।
अब मूवी स्टार्ट हो चुकी थी और एक जोड़ा किसिंग कर रहा था!
 
Back
Top