hotaks444
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जैसे-जैसे मूवी आगे बढ़ती जा रही थी.. बाजी की साँसें तेज होती जा रही थीं।
मैंने भी अपने लण्ड को पैंट की क़ैद से आज़ाद कर दिया था और बिल्कुल हल्के हाथ से सहला रहा था।
बाजी ने भी अपने एक हाथ से अपने सीने की उभरी चट्टानों को नर्मी से सहलाना शुरू कर दिया था और कभी-कभी बाजी अपने एक मम्मे को अपने हाथ में भर कर ज़ोर से दबा भी देती थीं।
बाजी के सीने के उभार बगैर दुपट्टे के देख कर मेरी बुरी हालत हो गई थी।
बाजी ने अब दोनों हाथों से अपने दोनों मम्मों को बहुत ज़ोर से मसलना और दबोचना शुरू कर दिया था। अज़ीयत और मुकम्मल संतुष्टि ना मिलने का भाव बाजी के चेहरे से ज़ाहिर हो रहा था। उनकी अजीब सी हालत थे.. उन्होंने अपने निचले होंठ को बहुत मजबूती से दाँतों में दबा रखा था।
अचानक बाजी ने अपने दोनों हाथ सिर से सीधे ऊपर उठाए और एक अंगड़ाई ली और अपने हाथों को सिर पर रख के अपने स्कार्फ को लगभग नोंच कर उतारा और अपनी राईट साइड में उछाल दिया.. साथ ही अपने बाल खोल दिए।
मुझे नहीं याद था कि होश संभालने के बाद मैंने कभी अपनी बाजी के बाल देखे हों। बाजी के बाल खुल गए थे और कुर्सी पर बैठे होने के बावजूद ज़मीन तक पहुँच रहे थे। मूवी में अब एक लड़की सीधी लेटी हुई थी और उसने अपनी चूत को अपने राईट हैण्ड से छुपा रखा था और लेफ्ट हैण्ड की बड़ी उंगली से इशारा करते हुए लड़के को अपनी तरफ बुला रही थी।
लड़का अपने लण्ड को हाथ में पकड़े उसकी तरफ बढ़ रहा था और फिर अगले ही लम्हें वो लड़का.. उस नंगी लड़की के टाँगों के बीच बैठ गया। अब उसने अपना हाथ लड़की के उस हाथ पर रखा.. जिस हाथ से चूत छुपी हुई थी और उसके हाथ को हटाते ही फ़ौरन अपना मुँह उस लड़की की चूत से लगा दिया।
उसी लम्हें बाजी ने एक ‘आह..’ भरी और अपने लेफ्ट हैण्ड को कपड़ों के ऊपर से ही अपनी टाँगों के बीच वाली जगह पर रखा और उस जगह को ज़ोर से दबोच लिया। साथ ही वे दूसरे हाथ से अपने लेफ्ट दूध को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगीं।
मैं अपनी सग़ी बड़ी बहन का यह रूप देख कर बिल्कुल दंग रह गया।
बाजी कुछ देर तक यूँ ही अपने लेफ्ट दूध को दबाती रहीं और टाँगों के बीच वाली जगह को दबोचती और ढीला छोड़ती रहीं।
अब स्क्रीन पर सीन चेंज हो गया था.. वो लड़की सीधी लेटी थी.. उसने अपनी टाँगें फैला रखी थीं और लड़का उसकी टाँगों के बीच उस पर पूरा झुका हुआ लड़की के होंठों को चूस रहा था और लड़की की चूत में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा था।
कैमरे का व्यू पीछे का था इसलिए लण्ड का अन्दर-बाहर होना क्लोज़-अप में दिखाया जा रहा था। साथ ही लड़के की गाण्ड का सुराख भी वज़या नज़र आ रहा था.. तभी स्क्रीन पर इसी आसन में एक और लड़के की एंट्री हुई और उसने अपने लण्ड की नोक को लड़के की गाण्ड के सुराख पर टिकाया और एक ही झटके में तकरीबन आधा लण्ड अन्दर उतार दिया।
इस सीन को देखते ही बाजी के मुँह से एक तेज ‘अहह..’ निकली और उन्होंने अपनी टाँगों के बीच वाले हाथ को उठाया और ज़ोर-ज़ोर से 2-3 दफ़ा उसी जगह पर ऐसे मारा.. जैसे थप्पड़ मार रही हों और फिर ज़ोर से उस जगह को दबोच लिया। ऐसा लग रहा था कि इस सीन ने उन पर जादू सा कर दिया था.. उनका हर अमल इस सीन की पसंदीदगी की गवाही दे रहा था।
बाजी ने अपनी टाँगों के बीच से हाथ उठाया और थोड़ा झुक कर अपने अबाए को बिल्कुल नीचे से पकड़ा और ऊपर उठाने लगीं.. बाजी का अबया उनके घुटनों तक उठा.. तो मुझे हैरत का एक शदीद झटका लगा। बाजी ने अबाए के अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था.. मतलब बाजी अबाए के अन्दर बिल्कुल नंगी थीं।
मेरी बड़ी बहन.. मेरी बाजी जो पूरे खानदान में सबसे ज्यादा बा-हया समझी जाती थीं.. और सब लोग अपनी बहनों बेटियों को मेरी इस बहन की मिसालें दिया करते थे।
मेरी वो बहन सारा दिन घर में अबाए के अन्दर नंगी रहती है.. उफफफफ्फ़.. इस सोच ने मेरे जिस्म को गरमा के रख दिया था।
मैं पहली बार अपनी सग़ी बहन की टाँगों का दीदार कर रहा था। बाजी की पिंडलियाँ बहुत खूबसूरत और सुडौल थीं। उनके घुटने इतने मुतनसीब और प्यारे थे कि आप किसी भी फिल्म की हीरोइन से कंपेयर करें तो मेरी बहन के पैर ही खूबसूरत लगेंगे।
बाजी का अबया अब इतना ऊपर उठ चुका था कि उनके घुटने से ऊपरी रान आधी नज़र आ रही थी।
बाजी ने अपनी दाईं टांग पूरी नंगी करके अपने घुटने को थोड़ा सा खम देते हुए अपने पाँव कंप्यूटर टेबल के ऊपर टिका दिए। अब इसे मेरी बदक़िस्मती कहें कि जहाँ मैं मौजूद था वहाँ से बाजी का सिर्फ़ दायाँ पाँव ही नज़र आ रहा था।
बाजी ने अपना बायां हाथ अपनी नंगी टाँगों के बीच रखा और उनका हाथ तेजी से हरकत करने लगा.. जो मैं यहाँ से नहीं देख सकता था कि उनके हाथ की हरकत क्या है.. मुझे तो बस उनका हाथ हिलता हुआ नज़र आ रहा था।
बाजी ने अपने सिर को पीछे की जानिब ढलका दिया था और तेज-तेज अपने हाथ को हरकत दे रही थीं।
ये सब देखते हो मेरी अपनी हालत खराब हो चुकी थी, मैंने अपनी पैंट वहाँ खड़े-खड़े ही उतार दी थी.. मेरे जहन से खौफ.. डर या शर्मिंदगी जैसे तमाम अहसासात मिट चुके थे। किसी के बाहर से देखे जाने का ख़तरा तो था नहीं और घर में मेरे और बाजी के अलावा कोई नहीं था।
बाजी को देखते हुए मैंने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा और तेजी-तेजी से हाथ को आगे-पीछे करने लगा और 30 सेकेंड में ही मेरे लण्ड ने सफ़ेद गाढ़ा मवाद खारिज कर दिया और मेरे मुँह से मज़े के कारण तेज आवाज़ में एक ‘अहहहा..’ खारिज हुई।
मेरी इस ‘आआहहाअ..’ बाजी के कानों तक भी पहुँच गई थी।
बाजी एकदम अपनी कुर्सी से उछल पड़ीं.. उन्होंने फ़ौरन मॉनिटर को ऑफ किया और अपना गाउन ठीक करते-करते इधर-उधर देखने लगीं।
जैसे ही उन्होंने मुझे देखा वो तीर की तरह मेरी तरफ आईं, उस वक़्त उन्हें ये भी ख़याल नहीं रहा कि उनके सिर पर स्कार्फ नहीं है और जिस्म को छुपाने के लिए बड़ी सी चादर भी नहीं है।
उन्हें सिर्फ़ मेरा सीने का ऊपरी हिस्सा.. कंधे और मेरा चेहरा ही नज़र आ रहा था। उन्होंने क़रीब आकर खिड़की पूरी खोल दी और चिल्ला कर कहने लगीं- खबीस शख्स.. तुमने साबित कर दिया है कि तुम इन्तेहाई घटिया और कमीने इंसान हो.. पहले अपने सगे छोटे भाई के साथ गंदी हरकतें करते रहे हो और अब अपनी सग़ी बहन और वो भी बड़ी बहन को..!
यह कहते-कहते ही बाजी ने अचानक देखा कि मेरा लण्ड मेरी मुठी में पूरा खड़ा है और मेरे लण्ड का जूस मेरे पूरे हाथ पर और लण्ड की नोक पर फैला हुआ है।
‘वसीम.. तुम कितने बेहया हो.. तुम में शर्म नाम की चीज ही नहीं है.. ऐसे खड़े हो.. ऐसी जगह पर? क्या होगा अगर किसी ने तुम्हें इस हालत में देख लिया तो?’
बाजी की बात खत्म होते ही मैं कूद करके कमरे के अन्दर दाखिल हो गया।
बाजी एकदम कन्फ्यूज़ हो गईं और दो क़दम पीछे हटती हुई बोलीं- ये क्या..?? क्या बेहूदगी है ये.. तुम करना क्या करना चाह रहे हो?’
‘जैसा कि आपने एहतियात करने का कहा तो एहतियात कर रहा हूँ.. कहीं कोई देख ना ले..’ मैंने बेपरवाह से अंदाज़ में मुस्कुराते हुए कहा।
मुझ पर अब वो ही बागी मिज़ाज ग़ालिब आ गया था.. जो इस उम्र और मेरी तबियत का ख़ासा था कि ‘सोचना क्या.. जो भी होगा देखा जाएगा..’
मैंने भी अपने लण्ड को पैंट की क़ैद से आज़ाद कर दिया था और बिल्कुल हल्के हाथ से सहला रहा था।
बाजी ने भी अपने एक हाथ से अपने सीने की उभरी चट्टानों को नर्मी से सहलाना शुरू कर दिया था और कभी-कभी बाजी अपने एक मम्मे को अपने हाथ में भर कर ज़ोर से दबा भी देती थीं।
बाजी के सीने के उभार बगैर दुपट्टे के देख कर मेरी बुरी हालत हो गई थी।
बाजी ने अब दोनों हाथों से अपने दोनों मम्मों को बहुत ज़ोर से मसलना और दबोचना शुरू कर दिया था। अज़ीयत और मुकम्मल संतुष्टि ना मिलने का भाव बाजी के चेहरे से ज़ाहिर हो रहा था। उनकी अजीब सी हालत थे.. उन्होंने अपने निचले होंठ को बहुत मजबूती से दाँतों में दबा रखा था।
अचानक बाजी ने अपने दोनों हाथ सिर से सीधे ऊपर उठाए और एक अंगड़ाई ली और अपने हाथों को सिर पर रख के अपने स्कार्फ को लगभग नोंच कर उतारा और अपनी राईट साइड में उछाल दिया.. साथ ही अपने बाल खोल दिए।
मुझे नहीं याद था कि होश संभालने के बाद मैंने कभी अपनी बाजी के बाल देखे हों। बाजी के बाल खुल गए थे और कुर्सी पर बैठे होने के बावजूद ज़मीन तक पहुँच रहे थे। मूवी में अब एक लड़की सीधी लेटी हुई थी और उसने अपनी चूत को अपने राईट हैण्ड से छुपा रखा था और लेफ्ट हैण्ड की बड़ी उंगली से इशारा करते हुए लड़के को अपनी तरफ बुला रही थी।
लड़का अपने लण्ड को हाथ में पकड़े उसकी तरफ बढ़ रहा था और फिर अगले ही लम्हें वो लड़का.. उस नंगी लड़की के टाँगों के बीच बैठ गया। अब उसने अपना हाथ लड़की के उस हाथ पर रखा.. जिस हाथ से चूत छुपी हुई थी और उसके हाथ को हटाते ही फ़ौरन अपना मुँह उस लड़की की चूत से लगा दिया।
उसी लम्हें बाजी ने एक ‘आह..’ भरी और अपने लेफ्ट हैण्ड को कपड़ों के ऊपर से ही अपनी टाँगों के बीच वाली जगह पर रखा और उस जगह को ज़ोर से दबोच लिया। साथ ही वे दूसरे हाथ से अपने लेफ्ट दूध को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगीं।
मैं अपनी सग़ी बड़ी बहन का यह रूप देख कर बिल्कुल दंग रह गया।
बाजी कुछ देर तक यूँ ही अपने लेफ्ट दूध को दबाती रहीं और टाँगों के बीच वाली जगह को दबोचती और ढीला छोड़ती रहीं।
अब स्क्रीन पर सीन चेंज हो गया था.. वो लड़की सीधी लेटी थी.. उसने अपनी टाँगें फैला रखी थीं और लड़का उसकी टाँगों के बीच उस पर पूरा झुका हुआ लड़की के होंठों को चूस रहा था और लड़की की चूत में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा था।
कैमरे का व्यू पीछे का था इसलिए लण्ड का अन्दर-बाहर होना क्लोज़-अप में दिखाया जा रहा था। साथ ही लड़के की गाण्ड का सुराख भी वज़या नज़र आ रहा था.. तभी स्क्रीन पर इसी आसन में एक और लड़के की एंट्री हुई और उसने अपने लण्ड की नोक को लड़के की गाण्ड के सुराख पर टिकाया और एक ही झटके में तकरीबन आधा लण्ड अन्दर उतार दिया।
इस सीन को देखते ही बाजी के मुँह से एक तेज ‘अहह..’ निकली और उन्होंने अपनी टाँगों के बीच वाले हाथ को उठाया और ज़ोर-ज़ोर से 2-3 दफ़ा उसी जगह पर ऐसे मारा.. जैसे थप्पड़ मार रही हों और फिर ज़ोर से उस जगह को दबोच लिया। ऐसा लग रहा था कि इस सीन ने उन पर जादू सा कर दिया था.. उनका हर अमल इस सीन की पसंदीदगी की गवाही दे रहा था।
बाजी ने अपनी टाँगों के बीच से हाथ उठाया और थोड़ा झुक कर अपने अबाए को बिल्कुल नीचे से पकड़ा और ऊपर उठाने लगीं.. बाजी का अबया उनके घुटनों तक उठा.. तो मुझे हैरत का एक शदीद झटका लगा। बाजी ने अबाए के अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था.. मतलब बाजी अबाए के अन्दर बिल्कुल नंगी थीं।
मेरी बड़ी बहन.. मेरी बाजी जो पूरे खानदान में सबसे ज्यादा बा-हया समझी जाती थीं.. और सब लोग अपनी बहनों बेटियों को मेरी इस बहन की मिसालें दिया करते थे।
मेरी वो बहन सारा दिन घर में अबाए के अन्दर नंगी रहती है.. उफफफफ्फ़.. इस सोच ने मेरे जिस्म को गरमा के रख दिया था।
मैं पहली बार अपनी सग़ी बहन की टाँगों का दीदार कर रहा था। बाजी की पिंडलियाँ बहुत खूबसूरत और सुडौल थीं। उनके घुटने इतने मुतनसीब और प्यारे थे कि आप किसी भी फिल्म की हीरोइन से कंपेयर करें तो मेरी बहन के पैर ही खूबसूरत लगेंगे।
बाजी का अबया अब इतना ऊपर उठ चुका था कि उनके घुटने से ऊपरी रान आधी नज़र आ रही थी।
बाजी ने अपनी दाईं टांग पूरी नंगी करके अपने घुटने को थोड़ा सा खम देते हुए अपने पाँव कंप्यूटर टेबल के ऊपर टिका दिए। अब इसे मेरी बदक़िस्मती कहें कि जहाँ मैं मौजूद था वहाँ से बाजी का सिर्फ़ दायाँ पाँव ही नज़र आ रहा था।
बाजी ने अपना बायां हाथ अपनी नंगी टाँगों के बीच रखा और उनका हाथ तेजी से हरकत करने लगा.. जो मैं यहाँ से नहीं देख सकता था कि उनके हाथ की हरकत क्या है.. मुझे तो बस उनका हाथ हिलता हुआ नज़र आ रहा था।
बाजी ने अपने सिर को पीछे की जानिब ढलका दिया था और तेज-तेज अपने हाथ को हरकत दे रही थीं।
ये सब देखते हो मेरी अपनी हालत खराब हो चुकी थी, मैंने अपनी पैंट वहाँ खड़े-खड़े ही उतार दी थी.. मेरे जहन से खौफ.. डर या शर्मिंदगी जैसे तमाम अहसासात मिट चुके थे। किसी के बाहर से देखे जाने का ख़तरा तो था नहीं और घर में मेरे और बाजी के अलावा कोई नहीं था।
बाजी को देखते हुए मैंने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा और तेजी-तेजी से हाथ को आगे-पीछे करने लगा और 30 सेकेंड में ही मेरे लण्ड ने सफ़ेद गाढ़ा मवाद खारिज कर दिया और मेरे मुँह से मज़े के कारण तेज आवाज़ में एक ‘अहहहा..’ खारिज हुई।
मेरी इस ‘आआहहाअ..’ बाजी के कानों तक भी पहुँच गई थी।
बाजी एकदम अपनी कुर्सी से उछल पड़ीं.. उन्होंने फ़ौरन मॉनिटर को ऑफ किया और अपना गाउन ठीक करते-करते इधर-उधर देखने लगीं।
जैसे ही उन्होंने मुझे देखा वो तीर की तरह मेरी तरफ आईं, उस वक़्त उन्हें ये भी ख़याल नहीं रहा कि उनके सिर पर स्कार्फ नहीं है और जिस्म को छुपाने के लिए बड़ी सी चादर भी नहीं है।
उन्हें सिर्फ़ मेरा सीने का ऊपरी हिस्सा.. कंधे और मेरा चेहरा ही नज़र आ रहा था। उन्होंने क़रीब आकर खिड़की पूरी खोल दी और चिल्ला कर कहने लगीं- खबीस शख्स.. तुमने साबित कर दिया है कि तुम इन्तेहाई घटिया और कमीने इंसान हो.. पहले अपने सगे छोटे भाई के साथ गंदी हरकतें करते रहे हो और अब अपनी सग़ी बहन और वो भी बड़ी बहन को..!
यह कहते-कहते ही बाजी ने अचानक देखा कि मेरा लण्ड मेरी मुठी में पूरा खड़ा है और मेरे लण्ड का जूस मेरे पूरे हाथ पर और लण्ड की नोक पर फैला हुआ है।
‘वसीम.. तुम कितने बेहया हो.. तुम में शर्म नाम की चीज ही नहीं है.. ऐसे खड़े हो.. ऐसी जगह पर? क्या होगा अगर किसी ने तुम्हें इस हालत में देख लिया तो?’
बाजी की बात खत्म होते ही मैं कूद करके कमरे के अन्दर दाखिल हो गया।
बाजी एकदम कन्फ्यूज़ हो गईं और दो क़दम पीछे हटती हुई बोलीं- ये क्या..?? क्या बेहूदगी है ये.. तुम करना क्या करना चाह रहे हो?’
‘जैसा कि आपने एहतियात करने का कहा तो एहतियात कर रहा हूँ.. कहीं कोई देख ना ले..’ मैंने बेपरवाह से अंदाज़ में मुस्कुराते हुए कहा।
मुझ पर अब वो ही बागी मिज़ाज ग़ालिब आ गया था.. जो इस उम्र और मेरी तबियत का ख़ासा था कि ‘सोचना क्या.. जो भी होगा देखा जाएगा..’