hotaks444
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मैंने अपने दोनों हाथ उठाए और बाजी के हाथ.. जिनसे उन्होंने मेरे बालों को जकड़ा हुआ था.. को कलाइओं से पकड़ लिया और कराहते हुए कहा- अच्छा अच्छा.. मैं माफी माँगता हूँ.. अब छोड़ो न बाल..
‘नहीं ऐसे नहीं.. बोलो बाजी जान.. मैं आइन्दा.. ऐसा.. नहीं.. करूँगा..’
बाजी ने ठहर-ठहर के ये लफ्ज़ अदा किए।
बाजी की बात खत्म होने पर मैंने उसी अंदाज़ में दोहराया ‘बाजी जान.. मैं.. आइन्दा.. ऐसा.. नहीं करूँगा..’
बाजी मेरे सिर के बालों को एक झटका और देते हुए बोलीं- प्लीज़.. प्यारी.. बाजी.. जी.. मुझे.. माफ़.. कर.. दें..
‘सोहनी बहना जी.. प्लीज़.. मुझे माफ़ कर दें..’
मैंने यह कहा तो बाजी ने अपनी गिरफ्त ज़रा लूज कर दी और वैसे ही मेरे बालों को जकड़े-जकड़े ही सोफे की बगल से घूमते हुए सामने आ गईं।
गिरफ्त ढीली पड़ने पर मैंने भी बाजी की कलाइयों को छोड़ दिया।
‘शाबाश, अब तुम अच्छे बच्चे बने हो ना..’ बाजी ने ये कहते हुए मेरे बाल छोड़े और हँसते हुए सोफे पर बैठने के लिए जैसे ही उन्होंने पीठ मेरी तरफ की..
मैंने खड़े होते हुए बाजी को पीछे से जकड़ा और उन्हें अपनी गोद में लेता हुआ ही सोफे पर बैठ गया।
बाजी ने जैसे ही महसूस किया था कि मैं उनको जकड़ने लगा हूँ.. तो बाजी ने अपने दोनों हाथ कोहनियों से बेंड करके अपनी गर्दन पर रख लिए थे।
बाजी ने मेरी गोद में गिरते ही अपने जिस्म को सिकोड़ लिया था और अपने दोनों बाजुओं में सीने के उभारों को छुपा लिया था।
मैंने बाजी को अपने बाजुओं में भींचते हुए कहा- बोलो बसंती.. अब तुम्हें कौन बचाएगा?
मैं यह कहते हुए सिर झुका करके बाजी के गाल चूमने की कोशिश करने लगा।
बाजी बेतहाशा हँस रही थीं.. उन्होंने अपनी टाँगें उठा कर सोफे पर सीधी कर दीं और थोड़ा नीचे खिसकते हो अपना चेहरा मेरे सीने में पेवस्त कर दिया और हँसते हुए अपने गाल मुझसे बचाने लगीं।
बाजी के कंधों का पिछला हिस्सा मेरे दायीं बाज़ू पर था.. जो मैंने अपनी दायीं रान पर टिका रखा था और मैं अपना बायाँ बाज़ू बाजी के ऊपर से पेट पर रख उनकी बगल में हाथ ले जाकर गुदगुदी करने लगा।
बाजी की कमर मेरी बायीं रान पर टिकी थी।
बाजी के कूल्हे सोफे पर ही थे और उन्होंने अपने घुटनों को बेंड किए पाँव भी सोफे पर ही रखे हुए थे।
वो मेरी गोद में तकरीबन लेटी ही हुई थीं।
मैं बाजी को गुदगुदी करते हुए चेहरा नीचे किए उनके गाल चूमने की कोशिश कर रहा था।
बाजी के जिस्म पर मेरी गिरफ्त भी ढीली हो गई थी।
बाजी ने अपनी बायीं टांग सीधी कर दी और दाईं टांग को उसी तरह मुड़ी हालत में बायीं टांग पर लेते हुए करवट ले ली।
अब बाजी का चेहरा मुझे बिल्कुल ही नज़र नहीं आ रहा था.. क्योंकि बाजी के गाल मेरे पेट से टकरा रहे थे।
उन्होंने बेतहाशा हँसते हुए घुटी-घुटी आवाज़ में कहा- वसीम छोड़ो.. मुझे बैठने दो.. वरना..
‘वरना क्या??’ मैंने भी हँसते हुए ही पूछा।
‘वरना.. ये..’ कह कर बाजी ने अपने दाँतों को मेरे पेट में गड़ा दिया और काटने लगीं।
‘अहह.. अच्छा अच्छा.. छोड़ता हूँ.. छोड़ता हूँ..’ यह कह कर मैंने फ़ौरन अपने हाथ बाजी के जिस्म से अलग करके हवा में ऊपर उठा लिए।
बाजी ने ज़ोर से काटा और फिर हँसते हुए चेहरा ऊपर उठा दिया.. लेकिन वो उठी नहीं और उसी तरह आधी सोफे पर और आधी मेरी गोद में लेटे रहते हुए उन्होंने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया.. और अपनी हँसी पर क़ाबू पाने लगीं।
हँसते-हँसते बाजी की आँखों में नमी आ गई थी और आँखों से पानी बह कर खूबसूरत गुलाबी गालों को तर कर रहा था।
मैंने भी हँसते हुए अपनी गर्दन को सोफे की पुश्त से टिकाया और सीधा हाथ बाजी के बालों में फेरते हुए बायें हाथ को बाजी के पेट पर रख दिया।
चंद लम्हें ऐसे ही अपनी हँसी को रोकते और लंबी-लंबी साँसें लेते हुए गुज़र गए।
मैंने अपना सिर उठाया और बाजी की तरफ देखा.. उनका चेहरा बहुत खिल रहा था और गाल आँखों से बहते पानी से तर थे।
बाजी भी अपनी हँसी पर क़ाबू पा चुकी थीं, उन्होंने भी मेरी तरफ देखा और हम कुछ सेकेंड्स एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे।
बाजी की नज़र से नज़र मिलाए हुए ही मैंने अपना हाथ बाजी के पेट से उठाया और उनके गालों को साफ करने लगा।
अब बाजी एकदम सीरीयस नज़र आने लगी थीं। बाजी ने भी अपने बायें हाथ को उठाया और मेरे गाल को अपनी हथेली में भर लिया और मेरी नजरों से नजरें मिलाए ही बहुत संजीदा लहजे में बोलीं- वसीम हम दोनों जो ये सब कर रहे हैं.. तुम्हारे ख्याल में ये सब सही है?’
बाजी की बात सुन कर मेरे चेहरे पर भी संजीदगी आ गई थी, मैंने भी बाजी के बालों में हाथ फेरते-फेरते ही जवाब दिया- बाजी क्या सही है.. क्या गलत है.. यह मैं भी नहीं जानता.. मैं बस इतना जानता हूँ कि यह जो लड़की मेरी गोद में लेटी है.. मुझे इससे शदीद मुहब्बत है.. बस..
‘लेकिन वसीम, हम सगे बहन-भाई हैं.. हम ये सब नहीं कर सकते..’ बाजी के संजीदा लहजे में कोई फ़र्क़ नहीं आया था।
मैंने कहा- बाजी ठीक है कि आप मेरी बहन हो.. लेकिन मेरी बहन होने के साथ-साथ.. दुनिया की हसीन-तरीन लड़की भी हो। मैंने आज तक आप से ज्यादा खूबसूरत चेहरा नहीं देखा।
‘वसीम, यह कोई मज़ाक़ नहीं है.. ये सब करने की इजाज़त ना ही हमारा मज़हब देता है और ना ही हमारा ये ताल्लुक.. हमारा समाज क़ुबूल करेगा।’
बाजी ने कहा और अपने पेट पर रखे मेरे हाथ को उठाया और उसकी पुश्त को चूम लिया।
मैंने अपने हाथ को बाजी के हाथ से छुड़ा कर वापस उनके पेट पर रखते हुए अपने सिर को झटका और झुंझलाहट से ज़िद्दी लहजे में कहा- बाजी मैं कुछ नहीं सोचना चाहता.. बस मैं यह जानता हूँ कि मुझे आपसे शदीद मुहब्बत है और मैं अब आपके बिना नहीं रह सकता।
बाजी ने जवाब में कुछ नहीं कहा और मेरे गाल से हाथ हटा कर मेरे बालों को सँवारने लगीं.. जो उन्होंने ही खराब किए थे।
मैं भी खामोश ही रहा और बस बाजी की आँखों में देखता रहा।
कुछ देर बाद बाजी ने कहा- वसीम मुझे भी यही महसूस होता है कि मैं भी अब हमेशा तुम्हारे ही साथ रहना चाहूंगी.. कभी शादी नहीं करूँगी.. लेकिन..!
बाजी यह कह कर रुकीं.. तो उनके चेहरे से बेबसी और शदीद मायूसी ज़ाहिर हो रही थी।
‘लेकिन-वेकिन कुछ नहीं.. बस आप भी ज्यादा मत सोचो और मैं भी.. बस सोचना क्या.. जो भी होगा देखा जाएगा..’
मैंने यह जुमला कह कर अपने सिर को नीचे किया और नर्मी से अपने होंठों को बाजी के होंठों से लगा दिया।
बाजी ने अपनी आँखों को बंद कर लिया और मैंने बाजी के ऊपरी होंठ को अपने होंठों के बीच पकड़ा और चूसने लगा।
बाजी जिस हाथ से मेरे बालों को संवार रही थीं.. उस हाथ को मेरी गर्दन पर रखा और मेरे निचले होंठ को चूसना शुरू कर दिया।
अचानक मैंने किसी ख़याल के तहत चौंक कर अपने सिर को उठाया तो बाजी ने भी अपनी आँखें खोल दीं और सवालिया अंदाज़ से मेरी तरफ देखने लगीं।
‘बाजी.. अम्मिईइ..??’
मैं यह कह कर चुप हुआ.. तो बाजी ने मेरी गर्दन पर रखे अपने हाथ को मेरे सिर की पुश्त पर ले जाते हुए कहा- मैंने दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया था, वो जल्दी नहीं उठेंगी।
अपनी बात खत्म करते ही बाजी ने दोबारा आँखें बंद कर लीं और मेरे सिर को नीचे के तरफ दबाते हुए मेरे निचले होंठ को अपने होंठों में दबा लिया और अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में दाखिल कर दी।
मैंने बाजी की ज़ुबान को चूसते हुए अपना हाथ बाजी के पेट से उठाया और नर्मी से उनके उभार पर रख कर दबाना और सहलाना शुरू कर दिया।
बाजी ने मेरे सख़्त हाथ को अपने नर्म और मुलायम उभार पर महसूस किया और एक ‘अहह..’ भरते हुए मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और मेरे हाथ को हटाने के बजाए अपने हाथ से मेरे हाथ को दबाने लगीं।
हमारे होंठ एक-दूसरे के होंठों में पेवस्त थे.. कभी बाजी मेरी ज़ुबान चूसने लगतीं.. तो कभी मैं उनकी ज़ुबान को चूसता।
‘नहीं ऐसे नहीं.. बोलो बाजी जान.. मैं आइन्दा.. ऐसा.. नहीं.. करूँगा..’
बाजी ने ठहर-ठहर के ये लफ्ज़ अदा किए।
बाजी की बात खत्म होने पर मैंने उसी अंदाज़ में दोहराया ‘बाजी जान.. मैं.. आइन्दा.. ऐसा.. नहीं करूँगा..’
बाजी मेरे सिर के बालों को एक झटका और देते हुए बोलीं- प्लीज़.. प्यारी.. बाजी.. जी.. मुझे.. माफ़.. कर.. दें..
‘सोहनी बहना जी.. प्लीज़.. मुझे माफ़ कर दें..’
मैंने यह कहा तो बाजी ने अपनी गिरफ्त ज़रा लूज कर दी और वैसे ही मेरे बालों को जकड़े-जकड़े ही सोफे की बगल से घूमते हुए सामने आ गईं।
गिरफ्त ढीली पड़ने पर मैंने भी बाजी की कलाइयों को छोड़ दिया।
‘शाबाश, अब तुम अच्छे बच्चे बने हो ना..’ बाजी ने ये कहते हुए मेरे बाल छोड़े और हँसते हुए सोफे पर बैठने के लिए जैसे ही उन्होंने पीठ मेरी तरफ की..
मैंने खड़े होते हुए बाजी को पीछे से जकड़ा और उन्हें अपनी गोद में लेता हुआ ही सोफे पर बैठ गया।
बाजी ने जैसे ही महसूस किया था कि मैं उनको जकड़ने लगा हूँ.. तो बाजी ने अपने दोनों हाथ कोहनियों से बेंड करके अपनी गर्दन पर रख लिए थे।
बाजी ने मेरी गोद में गिरते ही अपने जिस्म को सिकोड़ लिया था और अपने दोनों बाजुओं में सीने के उभारों को छुपा लिया था।
मैंने बाजी को अपने बाजुओं में भींचते हुए कहा- बोलो बसंती.. अब तुम्हें कौन बचाएगा?
मैं यह कहते हुए सिर झुका करके बाजी के गाल चूमने की कोशिश करने लगा।
बाजी बेतहाशा हँस रही थीं.. उन्होंने अपनी टाँगें उठा कर सोफे पर सीधी कर दीं और थोड़ा नीचे खिसकते हो अपना चेहरा मेरे सीने में पेवस्त कर दिया और हँसते हुए अपने गाल मुझसे बचाने लगीं।
बाजी के कंधों का पिछला हिस्सा मेरे दायीं बाज़ू पर था.. जो मैंने अपनी दायीं रान पर टिका रखा था और मैं अपना बायाँ बाज़ू बाजी के ऊपर से पेट पर रख उनकी बगल में हाथ ले जाकर गुदगुदी करने लगा।
बाजी की कमर मेरी बायीं रान पर टिकी थी।
बाजी के कूल्हे सोफे पर ही थे और उन्होंने अपने घुटनों को बेंड किए पाँव भी सोफे पर ही रखे हुए थे।
वो मेरी गोद में तकरीबन लेटी ही हुई थीं।
मैं बाजी को गुदगुदी करते हुए चेहरा नीचे किए उनके गाल चूमने की कोशिश कर रहा था।
बाजी के जिस्म पर मेरी गिरफ्त भी ढीली हो गई थी।
बाजी ने अपनी बायीं टांग सीधी कर दी और दाईं टांग को उसी तरह मुड़ी हालत में बायीं टांग पर लेते हुए करवट ले ली।
अब बाजी का चेहरा मुझे बिल्कुल ही नज़र नहीं आ रहा था.. क्योंकि बाजी के गाल मेरे पेट से टकरा रहे थे।
उन्होंने बेतहाशा हँसते हुए घुटी-घुटी आवाज़ में कहा- वसीम छोड़ो.. मुझे बैठने दो.. वरना..
‘वरना क्या??’ मैंने भी हँसते हुए ही पूछा।
‘वरना.. ये..’ कह कर बाजी ने अपने दाँतों को मेरे पेट में गड़ा दिया और काटने लगीं।
‘अहह.. अच्छा अच्छा.. छोड़ता हूँ.. छोड़ता हूँ..’ यह कह कर मैंने फ़ौरन अपने हाथ बाजी के जिस्म से अलग करके हवा में ऊपर उठा लिए।
बाजी ने ज़ोर से काटा और फिर हँसते हुए चेहरा ऊपर उठा दिया.. लेकिन वो उठी नहीं और उसी तरह आधी सोफे पर और आधी मेरी गोद में लेटे रहते हुए उन्होंने अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया.. और अपनी हँसी पर क़ाबू पाने लगीं।
हँसते-हँसते बाजी की आँखों में नमी आ गई थी और आँखों से पानी बह कर खूबसूरत गुलाबी गालों को तर कर रहा था।
मैंने भी हँसते हुए अपनी गर्दन को सोफे की पुश्त से टिकाया और सीधा हाथ बाजी के बालों में फेरते हुए बायें हाथ को बाजी के पेट पर रख दिया।
चंद लम्हें ऐसे ही अपनी हँसी को रोकते और लंबी-लंबी साँसें लेते हुए गुज़र गए।
मैंने अपना सिर उठाया और बाजी की तरफ देखा.. उनका चेहरा बहुत खिल रहा था और गाल आँखों से बहते पानी से तर थे।
बाजी भी अपनी हँसी पर क़ाबू पा चुकी थीं, उन्होंने भी मेरी तरफ देखा और हम कुछ सेकेंड्स एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे।
बाजी की नज़र से नज़र मिलाए हुए ही मैंने अपना हाथ बाजी के पेट से उठाया और उनके गालों को साफ करने लगा।
अब बाजी एकदम सीरीयस नज़र आने लगी थीं। बाजी ने भी अपने बायें हाथ को उठाया और मेरे गाल को अपनी हथेली में भर लिया और मेरी नजरों से नजरें मिलाए ही बहुत संजीदा लहजे में बोलीं- वसीम हम दोनों जो ये सब कर रहे हैं.. तुम्हारे ख्याल में ये सब सही है?’
बाजी की बात सुन कर मेरे चेहरे पर भी संजीदगी आ गई थी, मैंने भी बाजी के बालों में हाथ फेरते-फेरते ही जवाब दिया- बाजी क्या सही है.. क्या गलत है.. यह मैं भी नहीं जानता.. मैं बस इतना जानता हूँ कि यह जो लड़की मेरी गोद में लेटी है.. मुझे इससे शदीद मुहब्बत है.. बस..
‘लेकिन वसीम, हम सगे बहन-भाई हैं.. हम ये सब नहीं कर सकते..’ बाजी के संजीदा लहजे में कोई फ़र्क़ नहीं आया था।
मैंने कहा- बाजी ठीक है कि आप मेरी बहन हो.. लेकिन मेरी बहन होने के साथ-साथ.. दुनिया की हसीन-तरीन लड़की भी हो। मैंने आज तक आप से ज्यादा खूबसूरत चेहरा नहीं देखा।
‘वसीम, यह कोई मज़ाक़ नहीं है.. ये सब करने की इजाज़त ना ही हमारा मज़हब देता है और ना ही हमारा ये ताल्लुक.. हमारा समाज क़ुबूल करेगा।’
बाजी ने कहा और अपने पेट पर रखे मेरे हाथ को उठाया और उसकी पुश्त को चूम लिया।
मैंने अपने हाथ को बाजी के हाथ से छुड़ा कर वापस उनके पेट पर रखते हुए अपने सिर को झटका और झुंझलाहट से ज़िद्दी लहजे में कहा- बाजी मैं कुछ नहीं सोचना चाहता.. बस मैं यह जानता हूँ कि मुझे आपसे शदीद मुहब्बत है और मैं अब आपके बिना नहीं रह सकता।
बाजी ने जवाब में कुछ नहीं कहा और मेरे गाल से हाथ हटा कर मेरे बालों को सँवारने लगीं.. जो उन्होंने ही खराब किए थे।
मैं भी खामोश ही रहा और बस बाजी की आँखों में देखता रहा।
कुछ देर बाद बाजी ने कहा- वसीम मुझे भी यही महसूस होता है कि मैं भी अब हमेशा तुम्हारे ही साथ रहना चाहूंगी.. कभी शादी नहीं करूँगी.. लेकिन..!
बाजी यह कह कर रुकीं.. तो उनके चेहरे से बेबसी और शदीद मायूसी ज़ाहिर हो रही थी।
‘लेकिन-वेकिन कुछ नहीं.. बस आप भी ज्यादा मत सोचो और मैं भी.. बस सोचना क्या.. जो भी होगा देखा जाएगा..’
मैंने यह जुमला कह कर अपने सिर को नीचे किया और नर्मी से अपने होंठों को बाजी के होंठों से लगा दिया।
बाजी ने अपनी आँखों को बंद कर लिया और मैंने बाजी के ऊपरी होंठ को अपने होंठों के बीच पकड़ा और चूसने लगा।
बाजी जिस हाथ से मेरे बालों को संवार रही थीं.. उस हाथ को मेरी गर्दन पर रखा और मेरे निचले होंठ को चूसना शुरू कर दिया।
अचानक मैंने किसी ख़याल के तहत चौंक कर अपने सिर को उठाया तो बाजी ने भी अपनी आँखें खोल दीं और सवालिया अंदाज़ से मेरी तरफ देखने लगीं।
‘बाजी.. अम्मिईइ..??’
मैं यह कह कर चुप हुआ.. तो बाजी ने मेरी गर्दन पर रखे अपने हाथ को मेरे सिर की पुश्त पर ले जाते हुए कहा- मैंने दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया था, वो जल्दी नहीं उठेंगी।
अपनी बात खत्म करते ही बाजी ने दोबारा आँखें बंद कर लीं और मेरे सिर को नीचे के तरफ दबाते हुए मेरे निचले होंठ को अपने होंठों में दबा लिया और अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में दाखिल कर दी।
मैंने बाजी की ज़ुबान को चूसते हुए अपना हाथ बाजी के पेट से उठाया और नर्मी से उनके उभार पर रख कर दबाना और सहलाना शुरू कर दिया।
बाजी ने मेरे सख़्त हाथ को अपने नर्म और मुलायम उभार पर महसूस किया और एक ‘अहह..’ भरते हुए मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और मेरे हाथ को हटाने के बजाए अपने हाथ से मेरे हाथ को दबाने लगीं।
हमारे होंठ एक-दूसरे के होंठों में पेवस्त थे.. कभी बाजी मेरी ज़ुबान चूसने लगतीं.. तो कभी मैं उनकी ज़ुबान को चूसता।