Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी - Page 5 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी

बाजी की नज़र मुझसे मिली तो मैंने बाजी को आँख मारी और कहा- बाजी अगर ज़ुबैर की जगह आप का मुँह होता.. तो क्या ही बात थी।
बाजी ने बुरा सा मुँह बनाया और हाथ से मक्खी उड़ाने के अंदाज़ में कहा- हट.. चालू गंदे.. मैं ऐसा कभी नहीं करने वाली..
कुछ देर बाजी हमें देखती रहीं और फिर उठ कर मेरे पीछे आ कर चिपक गईं..
बाजी के सख़्त निप्पल मेरी पीठ पर टच हुए.. तो मज़े की एक नई लहर मेरे जिस्म में फैल गई। 
बाजी ने अपने सीने के उभारों को मेरी कमर से दबाया और अपने निप्पल्स को मेरी कमर पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर रगड़ने लगीं। 
बाजी के निप्पल्स मेरी कमर पर रगड़ खा कर मेरे अन्दर बिजली सी भर रहे थे और एक बहुत हसीन अहसास था नर्मी का और शहवात का। 
मैंने मज़े के असर में अपने सिर को एक साइड पर ढलका दिया और आँखें बंद करके अपनी बहन के निप्पल्स का लांस महसूस करने लगा। 
बाजी ने अपने उभारों को मेरी कमर पर रगड़ना बंद किया और ज़रा ताक़त से मेरी कमर से दबा कर अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रखे और मेरे बाजुओं पर हाथ फेरते हुए.. मेरे हाथों पर आ कर मेरे हाथों को अपने हाथों से दबाया.. और अपने दोनों हाथ मेरे पेट पर रख कर मसाज करने लगीं।
पेट पर हाथ फेरने के बाद बाजी अपने हाथ नीचे ले गईं और मेरे बॉल्स को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगीं। 
ज़ुबैर मेरा लण्ड चूस रहा था और बाजी मेरे बॉल्स को अपने हाथों से सहलाते हुए अपनी सख़्त निप्पल मेरी कमर पर चुभा रही थीं।
अचानक बाजी ने मेरी गर्दन पर अपने होंठ रखे और गर्दन को चूमते और चाटते हो मेरे कान की लौ को अपने मुँह में ले लिया और कुछ देर कान को चूसने के बाद बाजी ने सरगोशी और मज़े से डूबी आवाज़ में कहा- कैसा लग रहा है मेरे प्यारे भाई को..?? मज़ा आ रहा है ना?
मैंने अपनी पोजीशन चेंज नहीं की और नशे में डूबी आवाज़ में ही जवाब दिया- बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है बाजी.. बहुत ज्यादा!
बाजी ने मेरे चेहरे को अपने हाथ से पकड़ कर पीछे की तरफ किया और मेरे होंठों को चूसने लगीं।
बाजी ने मेरे मुँह से मेरी ज़ुबान को अपने मुँह में खींचा ही था कि मेरे जिस्म को भी झटका लगा और मेरे लण्ड का पानी ज़ुबैर के मुँह में स्प्रे करने लगा।
कुछ देर बाद मैंने अपनी आँखें खोलीं तो बाजी मेरी आँखों में ही देख रही थीं और मेरी ज़ुबान को चूस रही थीं।
मैंने नज़र नीचे करके ज़ुबैर को देखा तो ज़ुबैर बस आखिरी बार मेरे लण्ड को चाट कर पीछे हट ही रहा था।
मैंने अपने हाथ से ज़ुबैर को रोका और उसके होंठों के साइड से बहते अपनी लण्ड के जूस को अपनी उंगली पर उठा लिया। 
बाजी मेरी पीठ पर थीं जिसकी वजह से उन्होंने भी यह देख लिया था कि मैंने अपनी उंगली पर अपने लण्ड का जूस उठाया है।
मैंने अपनी उंगली बाजी के मुँह के क़रीब करते हुए शरारती अंदाज़ में कहा- बाजी एक बार चख कर तो देखो.. मज़ा ना आए तो कहना।
बाजी जल्दी से पीछे हटते हुए बोलीं- नहीं भाई.. मुझे माफ़ ही रखो.. मैंने नहीं चखनी..
यह कह कर बाजी पीछे हटते हुए बाथरूम में चली गईं और मैं और ज़ुबैर भी अपने जिस्म को साफ करने लगे। 
कुछ देर बाद बाजी बाथरूम से बाहर आईं तो फ़ौरन ही ज़ुबैर बाथरूम में घुस गया।
मैं बिस्तर पर ही लेटा था.. बाजी ज़मीन से अपने कपड़े उठा कर पहनने लगीं। 
अपने कपड़े पहन कर बाजी ने मेरा ट्राउज़र और शर्ट उठा कर मेरे पास बिस्तर पर रख दिया और ज़ुबैर की शर्ट और ट्राउज़र ले जाकर अल्मारी के साथ रखे हैंगर पर टांग दिए और बाथरूम के दरवाज़े के पास जा कर बोलीं- ज़ुबैर मैंने तुम्हारे कपड़े स्टैंड पर टांग दिए हैं.. वही निकाल कर पहन लेना और दूध टेबल पर रखा है.. वो लाज़मी पी लेना। 
फिर बाजी ने जग से दूध का गिलास भरा और मेरे पास आकर मेरे होंठों को चूमा और मेरे सिर पर हाथ फेर कर बोलीं- उठो मेरी जान.. शाबाश दूध पियो और फिर कपड़े पहन कर सही तरह लेटो.. शाबाश उठो.. 
मुझे अपने हाथ से दूध पिलाने के बाद बाजी ने एक बार फिर मेरे होंठों को चूमा और खड़ी हो गईं। 
‘ज़ुबैर निकले तो उसे भी लाज़मी दूध पिला देना अच्छा.. याद से भूलना नहीं ओके.. मैं अब चलती हूँ.. तुम भी सो जाओ..’
यह कह कर बाजी कमरे से बाहर निकल गईं। 
आजकल कुछ ऐसी रुटीन बन गई थी कि रात को सोते वक़्त.. मेरे जेहन में बाजी के खूबसूरत जिस्म का ही ख़याल होता.. साँसों में बाजी की ही खुश्बू बसी होती थी और सुबह उठते ही पहली सोच भी बाजी ही होती थीं। 
मैं सुबह उठा तो हमेशा की तरह ज़ुबैर मुझसे पहले ही बाथरूम में था और मैं अपने स्पेशल नाश्ते के लिए नीचे चल दिया। 
मैंने नीचे पहुँच कर देखा तो अम्मी अब्बू का दरवाजा अभी भी बंद ही था.. लेकिन बाजी के कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला था। मैंने अपने क़दम बाजी के कमरे की तरफ बढ़ाए ही थे कि उन्होंने अन्दर से ही मुझे देख लिया।
मैंने बाजी के सीने के उभारों की तरफ इशारा करते हुए उनको आँख मारी और मुँह ऐसे चलाया जैसे दूध पीने को कह रहा हूँ। 
बाजी ने गुस्से से मुझे देखा और आँखों के इशारे से कहा कि हनी यहीं है।
मैंने अपने हाथ के इशारे से कहा- कोई बात नहीं..
मैंने उनके कमरे की तरफ क़दम बढ़ा दिए.. बाजी ने एक बार गर्दन पीछे घुमा कर हनी को देखा और फिर मुझे गुस्से से आँखें दिखाते हुए वहीं रुकने का इशारा किया।
मैंने बाजी के इशारे को कोई अहमियत नहीं दी और आगे बढ़ना जारी रखा।
बाजी ने एक बार फिर मुझे देखा और फ़ौरन कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया।
मैं कुछ सेकेंड वहीं रुका और फिर सिर को झटकते हुए मुस्कुरा कर वापस अपने कमरे की तरफ चल दिया।
जब मैं नहा कर तैयार हो कर नाश्ते के लिए पहुँचा.. तो सब मुझसे पहले ही टेबल पर बैठे थे।
मैंने सलाम करने के बाद अपनी सीट संभाली ही थी कि बाजी ने आखिरी प्लेट टेबल पर रखी और मेरे लेफ्ट साइड पर साथ वाली सीट पर ही बैठ गईं।
सदर सीट पर अब्बू बैठे.. जो अब्बू के लिए मख़सूस थी। वे एक हाथ में अख़बार पकड़े चाय के आखिरी आखिरी घूँट पी रहे थे।
हमारे सामने टेबल की दूसरी तरफ अम्मी.. ज़ुबैर और हनी बैठे थे और अम्मी रोज़ के तरह उनको नसीहतें करते-करते नाश्ता भी करती जा रही थीं।
 
मैंने सबको एक नज़र देख कर बाजी को देखा.. तो वो परांठे का लुक़मा बना रही थीं। बाजी ने लुक़मा बनाया और अपने मुँह की तरफ हाथ ले जा ही रही थीं कि मैंने आहिस्तगी से अपना हाथ उठाया और बाजी की रान पर रख दिया।
मेरे हाथ रखते ही बाजी को एक झटका सा लगा.. एकदम ही खौफ से उनका चेहरा लाल हो गया, बाजी का लुक़मा मुँह के क़रीब ही रुक गया और मुँह खुला ही रखे बाजी ने नज़र उठा कर अब्बू को देखा.. वो अपनी नजर अख़बार में ही डुबाए हुए थे।
फिर बाजी ने अम्मी लोगों को देखते हुए अपना हाथ नीचे करके मेरे हाथ को पकड़ा और अपनी रान से हटा दिया।
बाजी की हालत मेरे पहले हमले की वजह से ही अभी नहीं संभली थी कि मैंने चंद लम्हों बाद ही फिर अपना हाथ बाजी के रान पर रखा और इस बार रान के अंदरूनी हिस्से को अपने पंजे में जकड़ लिया।
बाजी ने इस बार फ़ौरन कोई हरकत नहीं की और खौफजदा से अंदाज़ में नाश्ता करते-करते फिर मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगीं।
लेकिन मैंने अपनी गिरफ्त को मज़बूत कर लिया।
बाजी ने कुछ देर मेरा हाथ हटाने की कोशिश की और नाकाम हो कर फिर से नाश्ते की तरफ ध्यान लगाने लगीं। 
मैंने यह देखा कि अब बाजी ने इन हालात को क़बूल कर लिया है.. तो मैंने भी अपनी गिरफ्त ढीली कर दी और बाजी की रान के अंदरूनी हिस्से को नर्मी से सहलाने लगा। 
बाजी की रान को सहलाते-सहलाते ही गैर महसूस तरीक़े से मैंने अपने हाथ को अन्दर की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया। जैसे ही मेरा हाथ बाजी की चूत पर टच हुआ.. तो वो एकदम उछल पड़ीं।

जिससे अम्मी भी बाजी की तरफ मुतवज्जो हो गईं और पूछा- क्या हुआ रूही.. तुम्हारा चेहरा कैसा लाल हो गया है?
अम्मी की बात पर अब्बू समेत सभी ने बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने खाँसते हुए कहा- अकककखहून.. कुछ नहीं अम्मी.. वो.. अखों..न.. आममलेट में हरी मिर्च थी ना.. डायरेक्ट गले में लग गई है.. पानी.. अखखांकखहूंन.. जरा पानी दे दें..
मैंने इस सबके दौरान भी अपना हाथ बाजी की चूत से नहीं हटाया था.. बल्कि इस सिचुयेशन से फ़ायदा उठा कर अपने अंगूठे और इंडेक्स फिंगर की चुटकी में बाजी की सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत के दाने को पकड़ लिया था। 
‘इतनी जल्दी क्या होती है.. ज़रा सुकून से नाश्ता कर ले.. तुम्हारी वो मुई यूनिवरसिटी कहीं भागी तो नहीं जा रही ना..’
अम्मी ने गिलास में पानी डालते हुए कहा और पानी का गिलास बाजी की तरफ बढ़ा दिया। 
मैंने अम्मी के हाथ से गिलास लिया और बाजी के होंठों से गिलास लगा कर शरारत से कहा- ऐसा लगता है सारी पढ़ाई बस हमारी बहन ने ही करनी है.. बाक़ी सब तो वहाँ झक ही मारते हैं। 
मेरी बात पर अब्बू अम्मी भी मुस्कुरा दिए और अब्बू ने फिर से अख़बार अपने चेहरे के सामने कर लिया और उसमें गुम हो गए..
अम्मी भी फिर से हनी और ज़ुबैर से बातें करने लगीं। 
मैं बाजी को अपने हाथ से पानी भी पिला रहा था और दूसरे हाथ से बाजी की चूत के दाने को मसलता भी जा रहा था।
मेरी इस हरकत से बाजी की चूत ने भी रिस्पोन्स देना शुरू कर दिया था और बाजी की सलवार वहाँ से गीली होने लगी थी। 
मैं समझ गया था कि बाजी खौफजदा होने के बावजूद भी मेरे हाथ के लांस से मज़ा महसूस कर रही हैं। 
बाजी ने सब पर नज़र डालने के बाद अपनी खूबसूरत आँखें मेरी तरफ उठाईं और इल्तिजा और गुस्से के मिले-जुले भाव से मुझे देखा.. जैसे कह रही हों कि ‘वसीम ये मत करो प्लीज़।’
लेकिन मैंने बाजी के चेहरे से नज़र हटाते हुए मुस्कुरा कर अपना कप उठाया और चाय की चुस्कियाँ लेते-लेते अपने हाथ को भी हरकत देने लगा।
कुछ देर बाजी की चूत के दाने को अपनी चुटकी में मसलने के बाद मैंने अपनी उंगली बाजी की चूत की लकीर में ऊपर से नीचे फेरना शुरू कर दी।
बाजी ने भी परांठा खत्म कर लिया था और अब चाय पी रही थीं।
मैंने अपनी ऊँगली को ऊपर से नीचे फेरते हुए चूत के निचले हिस्से पर ला कर रोका और अपनी ऊँगली को अन्दर की तरफ दबाने लगा।
बाजी के चेहरे पर तक़लीफ़ के आसार पैदा हुए और उन्होंने एक गुस्से से भरपूर नज़र मुझ पर डाली और अपनी कुर्सी को पीछे धकेलते हुए खड़ी हुईं और गुस्से से मुझे देखते हुए अपने कमरे में चली गईं।
बाजी के साथ ही अब्बू भी खड़े हो गए थे।
हनी और ज़ुबैर भी नाश्ता खत्म कर चुके थे.. वो भी खड़े हो गए कि स्कूल बस तक उन्हें अब्बू ही छोड़ते थे। 
मैंने चाय का घूँट भरते हुए हनी को आवाज़ दे कर कहा- हनी देखो ज़रा.. बाजी ने कल मुझसे हाइलाइटर लिए थे.. वो कमरे में ही पड़े होंगे.. मुझे ला दो। 
हनी ने सोफे से अपना स्कूल बैग उठाया और बाहर की जानिब जाते हुए कहा- भाई आप खुद जा कर ले लें ना.. अब्बू बाहर निकल गए हैं.. हमें देर हो रही है प्लीज़..
यह कह कर वो बाहर निकल गई.. उसके पीछे ही ज़ुबैर भी चला गया। 
उनके जाने के बाद अम्मी भी अपने कमरे की तरफ जाने लगीं और मुझे कहा- वसीम चाय खत्म करके रूही को कह देना.. बर्तन उठा ले.. मैं ज़रा वॉशरूम से हो आऊँ।
मैंने भी अपनी चाय का आखिरी घूँट भरा तो अम्मी अपने कमरे में जा चुकी थीं। मैंने एक नज़र उनके दरवाज़े को देखा और फिर भागता हुआ बाजी के कमरे में दाखिल हो गया।
बाजी का हस्तमैथुन
बाजी बाथरूम में थीं.. मैंने दरवाज़े के पास जा कर आहिस्ता आवाज़ में बाजी को पुकारा- बाजी अन्दर ही हो ना..?? क्या कर रही हो? 
बाजी ने अन्दर से ही गुस्से में जवाब दिया- तुम्हें पता है वसीम.. तुम.. खबीस.. तुम कभी-कभी बिल्कुल पागल हो जाते हो।
मैंने बाजी की बात सुन कर शरारत से हँसते हुए कहा- हहेहहे हीए.. छोड़ो ना यार बाजी.. अब ये झूठ मत बोलना कि तुम को मज़ा नहीं आया.. तुम्हारे मज़े का सबूत अभी भी मेरी उंगलियों को चिपचिपा बनाए हुए है.. और मुझे पता है अभी भी मेरी बहना जी.. अपने हाथ से मज़ा ले रही है.. प्लीज़ बाजी मुझे भी देखने दो ना यार..
बाजी ने उसी अंदाज़ में जवाब दिया- हाँ.. हाँ.. हाँ.. मैं कर रही हूँ.. अभी भी अपने हाथ से.. और तुम्हारी ये सज़ा है कि मैं तुम्हें ना देखने दूँ।
मैं 2-3 मिनट वहीं खड़ा रहा.. बाजी को दरवाज़ा खोलने का कहता रहा.. लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.. बस अन्दर से हल्की हल्की सिसकारियों की आवाजें आती रहीं।
 
बाजी नाश्ते के वक्त मेरी छेड़छड़ से इतनी गर्म हो गई कि उन्हें अपने हाथ से मज़ा लेने के लिये अपने कमरे में जाना पड़ा। मैंने बाजी से गुजारिश की कि मैं उन्हें ऐसा करते देखना चाहता हूँ लेकिन उन्होंने मुझे अन्दर नहीं आने दिया।
मज़ीद 3-4 मिनट के बाद बाजी बाहर निकलीं.. तो उनके बाल बिखरे हुए थे.. चेहरा चमकता हुआ सा लाल हो रहा था और पसीने के नन्हे-नन्हे क़तरे उनकी पेशानी पर साफ नज़र आ रहे थे। 
बाजी ने अपने दोनों हाथ अपनी क़मर पर टिकाए और नशीली आँखों से गुस्सैल अंदाज़ में मुझे देखा। 
मैंने आगे बढ़ कर बाजी के चेहरे को थामा और उनके होंठों को चूम कर कहा- तो मेरी बहना ने ये सब बहुत एंजाय किया है और मुझे खामख्वाह गुस्सा दिखा रही थीं।
बाजी ने अपनी कमर से हाथ उठा कर मेरे सीने पर एक मुक्का मारा और फिर मेरे गले लगते हुए अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा कर बोलीं- जी नहीं.. मुझे शदीद गुस्सा आ रहा था तुम पर.. वसीम, प्लीज़ कुछ तो ख़याल किया करो.. ज़रा सोचो अम्मी-अब्बू को ज़रा सा भी शक़ हो जाता.. तो हमारा क्या होता? 
मैंने बाजी के कंधों को पकड़ कर उन्हें पीछे किया और उनके चेहरे को फिर से अपने हाथों में भरते हुए कहा- लेकिन बाजी इस सबमें मज़ा भी तो बहुत आता है ना.. अकले में ये सब करने में मज़ा तो है.. लेकिन इतनी एग्ज़ाइट्मेंट नहीं है.. जितनी कि ऐसे टाइम पर आती है कि हम सबके सामने भी हैं और हमारी हरकतें सबसे छुपी हुई भी हैं। आप भी कितनी एग्ज़ाइटेड हो गई थीं ना.. 
‘हाँ तुम सही कह रहे हो.. लेकिन फिर भी वसीम.. प्लीज़ दोबारा ऐसा मत करना।’ 
‘ओके.. मेरी सोहनी बहना जी.. आइन्दा ख़याल रखूँगा… बस?’
यह कह कर मैंने मुस्कुरा कर बाजी की आँखों में देखा और फिर एक बार बाजी के होंठों को चूम कर बाहर निकल आया और बाजी को सोचता हुआ ही कॉलेज को चल दिया।
दिन में कॉलेज से आ कर खाना खाया और आराम करने के बाद.. कमरे में ही अपना एक प्रॉजेक्ट खोल बैठा.. जो 2 दिन बाद लाज़मी कॉलेज में सबमिट करना था।
जब मैं अपना प्रॉजेक्ट पूरा करके उठा तो रात के 8 बज चुके थे।
बाजी आज भी आई सेक्स का लुत्फ़ उठाने
मैं थोड़ी देर जेहन को फ्रेश करने के लिए बाहर निकल गया और दोस्तों के साथ कुछ टाइम गुजार कर घर वापस आया और खाना खा कर उठा तो बाजी ने भी आज रात फिर आने का सिग्नल दे दिया।
मैं रूम में पहुँचा.. तो ज़ुबैर बाथरूम में था..
मैंने अपने कपड़े उतार कर ज़मीन पर फैंके और बिस्तर पर नंगा ही बैठ कर बाजी के आने का इन्तजार करने लगा।
कुछ देर बाद ज़ुबैर बाथरूम से निकला तो मेरी हालत देख के खुश होता हुआ बोला- भाई.. मतलब बाजी आएँगी आज भी?
मेरा जवाब ‘हाँ’ में सुनते ही उसने भी अपने कपड़े उतार कर वहीं ज़मीन पर फैंके और बिस्तर पर आकर बैठा ही था कि दरवाज़ा खुला..
बाजी कमरे में दाखिल हुईं और अपनी क़मीज़ और सलवार उतार कर सोफे पर रख दी। 
मैं और ज़ुबैर तो पहले से ही अपने कपड़े उतारे बैठे थे। बाजी ज़मीन पर पड़े मेरे और ज़ुबैर के कपड़े उठाने लगीं और कपड़े उठाते हुए ही बोलीं- तुम लोग कुछ तो तमीज़ सीखो.. कितना टाइम लगता है इन्हें स्टैंड पर लटकाने में..
यह कह कर बाजी ने हमारी तरफ पीठ की और अल्मारी की तरफ चल दीं। 
बाजी की पीठ हमारी तरफ हुई.. तो मेरी नजरें बाजी के खूबसूरत कूल्हों पर जम कर रह गईं। 
जब बाजी अपना राईट पाँव आगे रखती थीं.. तो उनका लेफ्ट कूल्हा भी ऊपर की तरफ चढ़ जाता और जब लेफ्ट पाँव आगे रखतीं.. तो उसी रिदम में लेफ्ट कूल्हा नीचे आता और साथ ही राईट कूल्हा ऊपर की तरफ उठ जाता। 
क़दम उठाने के साथ ही बाजी की कमर का खम मज़ीद बढ़ जाता.. और कूल्हे बाहर की तरफ निकल आते।
बाजी हमारे कपड़े स्टैंड पर लटका कर मुड़ीं.. तो हमारी शक्ल देख कर हँसते हुए बोलीं- अपने मुँह तो बंद कर लो ज़लीलो.. ऐसे मुँह और आँखें फाड़-फाड़ कर अपनी सग़ी बहन का नंगा जिस्म देख रहे हो.. कुछ तो शर्म करो।

ज़ुबैर ने तो जैसे बाजी की बात सुनी ही नहीं.. उसकी पोजीशन में कोई फ़र्क़ नहीं आया.. लेकिन मैंने एक़दम ही अपना खुला मुँह बंद किया और अपने सिर को खुजाते झेंपी सी मुस्कुराहट के साथ बोला- बाजी कसम से अगर आप खुद अपने आपको ऐसे देख लो.. तो आपकी टाँगों के बीच वाली जगह भी गीली हो जाएगी.. हम तो फिर भी लड़के हैं।
खुद का नंगा जिस्म निहारने लगी बाजी
बाजी ने मुझे आँख मारी और बोलीं- अच्छा ऐसा है क्या?
और यह कह कर वे आईने की तरफ चल दीं।
आईने के सामने जा कर बाजी ने पहले सीधी खड़ी हो कर अपने जिस्म को देखा और फिर एक हाथ कमर पर रखा
और दूसरे हाथ से अपने बालों को जूड़े की शक्ल में पकड़ते हुए साइड पोज़ पर हो गईं..
और खुद ही अपने जिस्म को आईने में निहारने लगीं।
फिर इसी तरह अपने हाथों को चेंज किया और दूसरे रुख़ पर हो कर फिर अपना साइड पोज़ देखा और आईने में ही से ज़ुबैर को देखा.. जो अभी भी मुँह खोले बाजी के जिस्म को घूर रहा था। 
फिर बाजी ने मुझे देखा और नज़र मिलने पर आँख मार के.. एक किस कर दी। 
मैंने भी अपने लण्ड पर अपना हाथ आगे-पीछे करते हुए बाजी को जवाबी किस की.. और हम दोनों ही मुस्कुरा दिए। 
फिर बाजी अपनी पीठ आईने की तरफ करके अपनी गर्दन घुमा कर अपनी गाण्ड को देखने लगीं.. इसी पोजीशन में अपनी गाण्ड को देखते-देखते..
बाजी अपने दोनों हाथों को पीछे ले गईं और अपने दोनों कूल्हों को पकड़ के चीरते हुए अलहदा किया
और अपनी गाण्ड का सुराख देखने की कोशिश करने लगीं।
इसमें उन्हें नाकामी ही हुई.. कुछ देर और कोशिश करने के बाद बाजी ने दोबारा अपना रुख़ घुमाया और अपने सीने के दोनों उभारों को हाथों में पकड़ कर आईने में देखने लगीं। 
बाजी ने अपने दोनों उभारों को बारी-बारी दोनों साइड्स से देखा.. फिर अपने दोनों उभारों को आपस में दबाते हुए आईने में से ही मेरी तरफ नज़र उठाई और मेरी आँखों में देखते हुए अपनी ज़ुबान निकाली और सिर झुका कर अपने खूबसूरत.. गुलाबी खड़े निप्पल्स पर अपनी ज़ुबान फेरने लगीं।
भाई बहन का जिस्मानी प्यार
मेरी बर्दाश्त अब जवाब दे गई थी।
मैं अपनी जगह से उठा और बाजी के पीछे जाकर उनके नंगे जिस्म से चिपक गया।
मैंने बाजी के हसीन और नर्म ओ नाज़ुक बदन को अपने बाजुओं के आगोश में ले लिया और एक तेज सांस के साथ अपनी बहन के जिस्म की महक को अपने अन्दर उतार कर बोला- बाजी ये मक्खन नहीं है.. मैं कसम खा कर कहता हूँ कि मैंने आज तक आप से ज्यादा हसीन जिस्म किसी लड़की का नहीं देखा.. आप बहुत खूबसूरत हो।
फिर मैंने बाजी की गर्दन को चूमा और कहा- आपका चेहरा.. आपके सीने के उभार.. आपके बाज़ू.. पेट.. खूबसूरत गोल गोल कूल्हे.. खम खाई हुई कमर.. आपकी खूबसूरत जाँघें.. हर चीज़ इतनी हसीन और मुकम्मल है कि हर हिस्से पर शायरी की जा सकती है।
बाजी ने मुस्कुरा कर अपने दाहिने हाथ को मेरे और अपने जिस्म के बीच लाकर मेरे खड़े लण्ड को पकड़ा और अपने दूसरे बाजू को उठाया
और मेरे सिर के पीछे से गुजार कर मेरे सिर की पुश्त पर रख कर मेरे गाल को चूम कर कहा- मेरा भाई भी किसी से कम नहीं है.. और मेरा जिस्म जितना भी हसीन है.. इस पर पहला हक़ मेरे प्यारे भाई का ही है।
बाजी ने यह कह कर मुहब्बत भरी नज़र से मेरी आँखों में देखा और फिर मेरे गाल पर चुटकी काट ली। 
‘सस्स्स्स्स्सीईईईई.. आअप्प्पीईईईई कुत्ती..’ मैंने तक़लीफ़ से झुंझला कर कहा।
तो बाजी ने मेरे कान की लौ को अपने दाँतों में पकड़ का काटा और शरारत और मुहब्बत भरे लहजे में सरगोशी करते हुए मेरे कान में बोलीं- हाँ हूँ कुत्ती.. अपने कुत्ते भाई की कुत्ती..
और इसी के साथ ही उन्होंने मेरे लण्ड को भी अपनी मुठी में ताक़त से भींच दिया। 
 
मैंने थोड़ा सा पीछे हट कर अपने हाथ से बाजी की टाँगों को खोला और अपना खड़ा लण्ड बाजी के हाथ से छुड़ा कर अपने हाथ में पकड़ लिया और बाजी की रानों के बीच में रख कर अपने लण्ड की टोपी को बाजी की चूत की लकीर पर रगड़ा.. तो बाजी के मुँह से बेसाख्ता ही एक सिसकी खारिज हुई और वो बोलीं- अहह वसीम.. नहीं..
फिर उसी पोजीशन में रहते हुए मेरे गाल पर अपना हाथ रख कर मेरी आँखों में देख कर संजीदा लहजे में कहा- इसका सोचो भी नहीं वसीम.. प्लीज़..
मैंने अपने हाथ से पकड़ कर बाजी का हाथ अपने गाल से हटाया और उनके हाथ की पुश्त को चूम कर कहा- बाजी मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा.. जो आपको तक़लीफ़ दे.. आप क्यों परेशान होती हो.. मैं बस ऊपर ही रगडूंगा प्लीज़..
यह कहकर मैंने फिर से अपने फुल खड़े लण्ड को अपनी बहन की रानों के बीच में फँसाया और बाजी से कहा- अपनी टाँगों को बंद कर लो..
बाजी ने मेरे कहने के मुताबिक़ मेरे लण्ड को अपनी रानों में सख्ती से दबा लिया और मेरा लण्ड बाजी की नर्म हसीन रानों के बीच दब गया। 
मैंने अपने लण्ड को बाजी की रानों में ही आगे-पीछे करना शुरू किया.. लेकिन 2-3 बार ही आगे-पीछे करने से मेरा लण्ड बाहर निकल आया।
मैं दोबारा अपना लण्ड को बाजी की रानों में फँसा ही रहा था कि बाजी ने कहा- वसीम एक मिनट रूको यहीं.. मैं ये सब देखना चाहती हूँ..
बाजी इधर-उधर देख कर कुछ तलाश करने लगीं.. फिर बाजी कंप्यूटर टेबल के पास गईं और कुर्सी को उठा कर यहाँ ले आईं और आईने में अपना साइड पोज़ देखते हुए कुर्सी को ज़मीन पर रख दिया और कुर्सी के दोनों बाजुओं पर अपने हाथ रख कर थोड़ा आगे को झुक कर खड़ी हो गईं।
फिर आईने में मेरी तरफ देखते हुए उन्होंने अपनी टाँगों को खोला और कहा- आओ वसीम अब फंसाओ अपना लण्ड..
अब बाजी लण्ड शब्द का इस्तेमाल बेझिझक कर रही थीं।
मैंने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ कर बाजी की रानों के बीच में फँसाया.. तो मुझे अपने लण्ड में करेंट सा लगता महसूस हुआ।
बाजी के इस तरह झुक कर खड़े होने की वजह से उनकी चूत का रुख़ ज़मीन की तरफ हो गया था और मेरे लण्ड का ऊपरी हिस्सा अपनी बहन की चूत की लकीर में समा गया।

मैंने अपने लण्ड को थोड़ा ऊपर की तरफ दबाया तो बाजी ने अपना एक हाथ नीचे से मेरे लण्ड पर रखा और उससे हिला-जुला कर अपनी चूत में सही तरह से फिट करने लगीं।
बाजी ने मेरे लण्ड को अपनी चूत पर राईट लेफ्ट हिलाते हुए दबाया.. तो बाजी की चूत के दोनों होंठ खुल से गए और मेरा लण्ड बाजी की चूत के अंदरूनी नर्म हिस्से पर छू गया।
बाजी के मुँह से एक और ‘अहह..’ खारिज हुई और वो अपनी टाँगों को मज़बूती से भींचते हुए सिसकती आवाज़ में बोलीं- हाँ.. वसीम.. उफ़फ्फ़.. हान्ं.. अब आगे-पीछे करो।
मैंने अपने हाथ अपनी बहन की कमर के इर्द-गिर्द से गुजारे और बाजी के खूबसूरत खड़े उभारों को अपने हाथों में थाम लिया और उन्हें दबाते हुए अपना लण्ड बाजी की रानों के बीच में आगे-पीछे करने लगा। 
मैं जब अपना लण्ड पीछे को खींचता तो मेरा लण्ड बाजी की चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर रगड़ ख़ाता हुआ पीछे आता और जब मेरे लण्ड का रिंग… जो रिंग टोपी के एंड पर होता है.. बाजी की चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर टच होता.. तो बाजी के बदन में झुरझुरी सी फैल जाती और वो मज़े के शदीद असर से सिसकारी भरतीं।
इसी के साथ मैं उनके मज़े को दोगुना करने के लिए बाजी के मम्मों को दबा कर उनकी प्यारे से खड़े हुए और सख़्त निप्पलों को अपनी चुटकी में भर कर मसल देता।
अपने लण्ड को ऐसे ही रगड़ते हुए और बाजी के निप्पलों से खेलते हुए मैंने अपने होंठ बाजी की कमर पर रखे और उनकी कमर को चूमने और चाटने लगा।
आइने में बाजी की चु्दाई
बाजी ने मज़े से एक ‘आहह..’ भरते हुए अपनी गर्दन को दायें बायें झटका सा दिया और उनकी नज़र अपनी बाईं तरफ़ आईने में पड़ी.. तो वो सिसकारते हुए बोलीं- आह वसीम। आईने में देखो..
मैंने बाजी की कमर पर अपना गाल रगड़ते हुए आईने में देखा.. तो इस नज़ारे ने मेरे बदन में मज़े की एक अनोखी लहर दौड़ा दी। 
आईने में मेरा और बाजी का साइड पोज़ नज़र आ रहा था। बाजी कुर्सी के बाजुओं पर हाथ रखे झुक कर खड़ी थीं। उनका चेहरा आईने की ही तरफ था और मैं बाजी पर झुका हुआ उनकी रानों में अपना लण्ड फँसाए.. अपना लण्ड आगे-पीछे कर रहा था।
लेकिन आईने में ऐसा ही लग रहा था.. जैसे मैं अपना लण्ड अपनी बहन की चूत में डाले हुए अन्दर-बाहर कर रहा होऊँ..
मैंने पूरे मंज़र पर नज़र डाल कर बाजी के चेहरे की तरफ नज़र डाली.. तो मुझसे नज़र मिलने पर बाजी मुस्कुरा कर जोशीले अंदाज़ में बोलीं- देखो वसीम बिल्कुल ऐसा लग रहा है ना.. जैसे तुम मुझे कर रहे हो.. है ना?
मैंने शरारत से बाजी को देखा और कहा बाजी मैं क्या ‘कर’ रहा हूँ आपको.. सही लफ्ज़ बोलो ना?
बाजी के चेहरे पर हल्की सी शर्म की लहर पैदा हुई और वो बोलीं- वो ही कर रहे हो.. जो एक मर्द औरत के साथ इन हालत में करता है।
मैंने ज़रा जिद्दी से अंदाज़ में कहा- यार साफ-साफ बोलो ना बाजी.. अब क्यों शरमाती हो.. प्लीज़ बोलो ना.. 
बाजी थोड़ी देर चुप रहीं और अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लण्ड को अपनी चूत पर ऊपर की तरफ दबाया.. जो कि अब ज़रा नीचे हो गया था और बोलीं- अच्छा सुनो साफ-साफ.. बिल्कुल ऐसा लग रहा है.. जैसे मेरा सगा भाई मुझे यानि कि अपनी सग़ी बहन.. अपनी बड़ी बहन को चोद रहा है।
मैं बाजी के अल्फ़ाज़ सुन कर एकदम दंग रह गया और मेरा मुँह खुला का खुला रह गया क्योंकि मुझे उम्मीद नहीं थी कि बाजी इतने खुले अल्फ़ाज़ में ऐसे कह देंगी।
बाजी ने एक गहरी नज़र से मेरी आँखों में देखा और वॉर्निंग देने के अंदाज़ में कहा- वसीम मेरे भाई, तुम अभी औरत को जानते नहीं हो.. मुझे छुपा ही रहने दो.. मेरी झिझक कायम ही रहने दो.. मेरा कमीनापन बाहर मत लाओ.. वरना मैं तुम से संभाली नहीं जाउंगी.. पहले ही बता रही हूँ।
यह बात कहते हो बाजी की आँखें उस टाइम बिल्कुल बिल्ली से मुशबाह हो गई थीं और उन आँखों में बगावत का तूफान था.. जिन्सी जुनून था.. इंतेहा को पहुँची हुई बेशर्मी थी.. और अजीब चमक थी।
पता नहीं क्या था उनकी आँखों में.. कि मैं एक लम्हें को दहल सा गया और खौफ की एक लहर पूरे जिस्म में फैल गई।
मुझसे बाजी की आँखों में देखा ही नहीं गया.. मैंने नजरें झुका लीं।
बाजी की बेबाक जुबान
बाजी ने एक क़हक़हा लगाया और शरारती अंदाज़ में बोलीं- हीई हीएहीई तुम्हारी ही बहन हूँ मैं भी.. एक ही खून है दोनों का.. अब सोच लो कि मेरी आखिरी हद कहाँ तक हो सकती है.. मैं बिगड़ी.. तो कहाँ तक जा सकती हूँ।
फिर मुझे आँख मार कर मेरा दायाँ हाथ पकड़ा और अपने सीने के उभार से उठा कर नीचे की तरफ़ ले गईं और अपनी चूत के दाने पर रखती हुई बोलीं- खैर छोड़ो बातें.. यहाँ से रगड़ो.. लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता..
मैंने भी बाजी की कही पहले की बात का कोई जवाब नहीं दिया और उनकी चूत के दाने को अपनी उंगली से सहलाता हुआ अपना लण्ड उनकी रानों में रगड़ने लगा।
बाजी की रानें बहुत चिकनी थीं।
मेरे लण्ड का ऊपरी हिस्सा.. जो कि बाजी की चूत की लकीर में फँसा.. उनकी चूत के अंदरूनी हिस्से से रगड़ खा रहा था।
बाजी की चूत से क़तरा-क़तरा निकलते लसदार जूस से तर हो गया था।
लेकिन मेरे लण्ड की दोनों साइड बाजी की रानों में रगड़ लगने से लाल हो गई थीं और मुझे मामूली सी जलन भी महसूस होने लगी थी।
मैंने अपने लण्ड को बाजी की रानों से बाहर निकाला और पीछे हटा तो फ़ौरन ही बाजी ने कहा- क्या हुआ.. निकाल क्यों लिया?
मैंने अपने क़दम टेबल पर रखी तेल की बोतल की तरफ बढ़ाते हुए कहा- रगड़ से जलन हो रही है।
और इसके साथ ही मैंने तेल की बोतल को उठाया और फिर से बाजी के पीछे आकर खड़ा हो गया।
मैंने थोड़ा सा तेल अपने हाथ पर लिया और झुकते हुए अपने हाथ से बाजी की टाँगों को थोड़ा खोलते हुए बाजी की दोनों रानों पर लगाया और रानों के साथ ही मैंने हाथ थोड़ा ऊपर किया और बाजी की चूत पर अपने हाथ की दो उंगलियों से तेल लगाने लगा। 
मैंने अपनी दो उंगलियों से बाजी की चूत के पर्दों को अलहदा किया और एक उंगली चूत की लकीर में रख कर अंदरूनी नरम हिस्से को रगड़ कर चूत के सुराख पर अपनी उंगली को रखते हुए हल्का सा दबाव दिया। 
मेरी उंगली तेल और बाजी की कुंवारी चूत से निकलते रस की वजह से पूरी चिकनी थी.. जो थोड़े से दबाव ही से फिसलती हुई तकरीबन एक इंच तक चूत के अन्दर दाखिल हो गई।
उसी वक़्त बाजी ने एक तेज सिसकी भरी और अपनी टाँगों को आपस में बंद करते हुए सीधी खड़ी हो गईं- वसीम निकालो बाहर.. जल्दी निकालो.. मैंने कहा था ना.. अन्दर मत डालना..
‘कुछ नहीं होता ना बाजी.. बोलो.. क्या मज़ा नहीं आ रहा आपको?’ 
मैंने बाजी को जवाब दिया और 6-7 बार उंगली को अन्दर-बाहर करने के बाद दोबारा सीधा खड़ा हो गया और अपना लण्ड फिर से बाजी की रानों के बीच में फँसाते हुए बाजी के हाथ को पकड़ा और अपने होंठ बाजी की कमर पर रख कर आगे की तरफ ज़ोर दे कर झुका दिया.. और उनके हाथ कुर्सी के आर्म्स पर रख दिए।
फिर आईने में अपने आपको देखते हुए बाजी से कहा- अब देखो बाजी.. बिल्कुल मूवी के सीन की तरह लग रहे हैं हम दोनों.. और ऐसा ही लग रहा है कि जैसे मैं आपको चोद रहा हूँ।
बाजी ने भी आईने में देखा और मैंने बाजी को देखते हुए ही अपने झटके मारने की स्पीड भी बढ़ा दी।
वैसे भी अब मेरा लण्ड बहुत आराम से बाजी की रानों में फँसा हुआ आगे-पीछे हो रहा था और तेल की वजह से जलन भी नहीं हो रही थी।
ज़ुबैर अभी भी बिस्तर पर बैठा था.. थोड़ा सा मुँह खोले मुझे और बाजी को देखते हुए अपने लण्ड को मुठी में पकड़े ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। 
 
जब तक मैं या बाजी उससे खुद से नहीं बुलाते थे.. वो हमारे पास नहीं आता था।
मैंने उससे सख्ती से नसीहत की हुई थी कि वो अपना दिमाग बिल्कुल मत लगाए और जैसा मैं कहूँ वैसा ही करे..
इसी लिए मेरे कहने के मुताबिक़ उसने तमाम हालत मुझ पर छोड़ दिए थे। वो अपनी मर्ज़ी से कोई क़दम नहीं उठाता था। 
बाजी ने आईने से नज़र हटा कर ज़ुबैर की तरफ देखा और उससे हाथ के इशारे से अपनी तरफ बुलाते हुए हँस कर बोलीं- आओ छोटे शहज़ादे.. गंगा बह ही रही है तो तुम भी हाथ धो ही लो..
मैं बाजी के पीछे से उनकी जांघों के बीच अपना लन्ड रगड़ रहा था और आइने में दिख रहा था जैसे मैं बाजी की चूत चोद रहा हूँ।
बाजी ने ज़ुबैर को बुलाया कि वो भी कुछ मौज मस्ती कर ले।
ज़ुबैर एकदम कूद कर बिस्तर से उठा.. जैसे कि वो बस हमारे बुलाने का ही इन्तजार कर रहा था।
वो भागता हुआ बाजी के पास आ गया और आते ही अपने हाथ बाजी के सीने के उभारों की तरफ बढ़ाए ही थे कि बाजी ने उसके हाथ को झटका दिया और बोलीं- जब तक वहाँ बैठे रहते हो.. तो सब्र में रहते हो.. लेकिन मेरे पास आते ही जंगली हो जाते हो.. रुको और सीधे खड़े हो जाओ।

ज़ुबैर सीधा खड़ा हुआ तो बाजी ने अपना हाथ कुर्सी से उठाया और ज़ुबैर के लण्ड को अपने हाथ में पकड़ कर आगे-पीछे करते हुए बोलीं- अब पकड़ लो.. लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता दबाना.. अच्छा..! 
ज़ुबैर ने अपने हाथ नर्मी से बाजी के उभारों पर रखे और उन्हें आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगा।
बाजी ने सुरूर में आकर अपनी आँखें बंद कर लीं और ज़ुबैर के लण्ड पर हाथ चलाते-चलाते ही मुझसे बोलीं- उम्म्म.. वसीम.. अपना हाथ आगे ले आओ न..
मैंने बाजी की बात सुन कर अपना हाथ आगे से बाजी की चूत के दाने पर रख दिया।
अब पोजीशन यह थी कि बाजी अपनी आँखें बंद किए सिसकारियाँ भरते हुए कुर्सी के बाजुओं पर एक हाथ रखे.. थोड़ा झुक कर खड़ी थीं और दूसरे हाथ से ज़ुबैर के खड़े लण्ड को मुठी में थामे हाथ आगे-पीछे कर रही थीं।
ज़ुबैर बाजी के कंधों को चूमते और चाटते हुए बाजी के खूबसूरत सीने के उभारों को अपने हाथ से मसल रहा था।
मैंने अपने एक हाथ से बाजी की चूत के दाने को चुटकी में पकड़ रखा था और अपना लण्ड बाजी की रानों के बीच में रगड़ते हुए उनकी कमर को भी चाटता जा रहा था।
फ़रहान को मेरी गांड मारने का हुक्म
थोड़ी देर बाद बाजी ने अपनी आँखें खोलीं और ज़ुबैर के लण्ड को छोड़ते हुए अपना हाथ कुर्सी के आर्म पर रखा और कहा- ज़ुबैर.. वसीम के पीछे जाओ और पीछे से वसीम को चोदो।
मुझे बाजी की बात से शदीद हैरत हुई और बाजी के इस ऑर्डर ने मेरे अन्दर एग्ज़ाइट्मेंट की एक नई लहर भर दी। 
ज़ुबैर मेरे पीछे आकर खड़ा हुआ और जैसे ही उसका खड़ा लण्ड मेरी गाण्ड के सुराख से छुआ.. तो मैंने चिल्ला कर उससे कहा- बहनचोद.. किसी उतावले के चोदे हो..! कम से कम तेल तो लगा ले मेरे भाईईईईईई..
बाजी मेरी बात सुन कर और मेरा चिड़चिड़ा अंदाज़ देख कर खिलखिला कर हँसी और ज़ुबैर झेंपी सी हँसी हँसते हुए पीछे हट गया और अपने लण्ड पर और मेरी गाण्ड के सुराख पर तेल लगाने के बाद दोबारा अपना लण्ड मेरी गाण्ड के सुराख पर रखा..
तो मैंने उससे धमकाते हुए कहा- आहिस्ता-आहिस्ता डालना.. जंगली नहीं हो जाना।
ज़ुबैर ने कोई जवाब नहीं दिया और धीरे-धीरे मेरी गाण्ड में उसका लण्ड अन्दर जाने लगा और पूरा जड़ तक उतारने के बाद ज़ुबैर ने आहिस्ता-आहिस्ता झटके मारने शुरू किए।
उसका लण्ड मेरी गाण्ड के अंदरूनी हिस्से से रगड़ ख़ाता हुआ अन्दर-बाहर होने लगा। 
मैं कुछ देर चुप खड़ा रहा और उसके बाद ज़ुबैर के रिदम के साथ ही खुद भी झटके लेने शुरू कर दिए.. जब ज़ुबैर अपने लण्ड को मेरी गाण्ड के अन्दर दबाता.. तो में भी अपना लण्ड बाजी की रानों के बीच अन्दर तक ले जाता और ज़ुबैर लण्ड बाहर निकालता.. तो मैं भी उसी रिदम में अपने लण्ड को बाजी की रानों से बाहर की तरफ खींच लेता। 
‘ज़ुबैर.. वसीम.. देखो ज़रा आईने में कैसा नज़ारा है?’
बाजी की आवाज़ हमारे कानों में पड़ी.. तो मैंने और ज़ुबैर ने एक साथ ही आईने में देखा और बेसाख्ता ही मेरे मुँह से निकाला- ववऊओ..
हमारा साइड पोज़ आईने में नज़र आ रहा था और बिल्कुल ऐसा ही लग रहा था.. जैसे मैं बाजी को चोद रहा होऊँ और ज़ुबैर मुझे चोद रहा है।
बाजी ने आईने में ही नज़र जमाए मुझे देखा और आँख मार कर बोलीं- कैसा सीन है.. बोलो कभी ऐसा सीन देखा है किसी फिल्म में? अरे थैंक यू बोलो अपनी बड़ी बहन को.. जो ऐसा मज़ेदार आइडिया दिया है मैंने!
इस नज़ारे ने हम तीनों के जिस्मों में ही बिजली सी भर दी थी और हमारे झटकों की रफ़्तार काफ़ी तेज हो गई थी।
मैंने अपना हाथ बाजी की चूत से हटाया और उनके दोनों सीने के उभारों को अपने हाथों से दबाने और मसलने लगा।
बाजी ने मेरा हाथ उनकी चूत से हटता महसूस किया तो अपना एक हाथ कुर्सी से उठा कर अपनी चूत पर रख लिया और तेजी से अपनी चूत को मसलने लगीं।
फ़रहान मेरी गान्ड में झड़ गया
अचानक ही ज़ुबैर के झटके बहुत तेज हो गए और मैंने बाजी की रानों में अपने लण्ड को रोक लिया और ज़ुबैर के लण्ड को अपनी गाण्ड में तेजी से अन्दर-बाहर होता महसूस करने लगा।
चंद ही तेज-तेज झटकों के बाद ज़ुबैर का जिस्म अकड़ गया और उसने एक ज़ोरदार झटका मार कर अपने लण्ड को मेरी गाण्ड में जड़ तक उतार दिया और इसके साथ ही मैंने ज़ुबैर के लण्ड से निकलते गरम-गरम जूस को अपनी गाण्ड के अन्दर महसूस किया।
इस अहसास ने मुझे भी एकदम ही मंज़िल पर पहुँचा दिया और मेरे लण्ड से भी गरम गाढ़ा सफ़ेद पानी निकल कर बाजी की रानों पर चिपकने लगा। 
मैंने डिसचार्ज होते वक़्त बाजी के सीने के उभारों को बहुत ताक़त से अपने हाथों में दबोचा था और मेरा जिस्म अकड़ गया था.. जिससे बाजी ने भी मुझे डिसचार्ज होता महसूस कर लिया था और उनका हाथ उनकी चूत पर बहुत तेजी से चलने लगा था।
मैंने बाजी को छोड़ा और उनसे पीछे हुआ ही था कि उनके जिस्म ने भी झटके लेने शुरू किए और बाजी की चूत की दहकती आग उनके अपने ही जूस से ठंडी होने लगी।
बाजी को अपना वीर्य चखाया
मुझे नहीं पता मेरे दिल में पता नहीं क्या आया कि मैंने झुक के बाजी की रानों पर लगे अपने ही लण्ड के जूस को काफ़ी मिक़दर में चाटा और अपने मुँह में अपना जूस भर कर बाजी के सामने आया और उनके चेहरे को दोनों हाथों से थाम कर अपने होंठ अपनी बाजी के होंठों से चिपका दिए। 
बाजी ने भी रिस्पोन्स दिया और मेरे होंठों को चूसने लगीं।
मैंने ऐसे ही किस करते-करते अपने मुँह में भरे अपने लण्ड के जूस को अपनी ज़ुबान से ढकेलते हुए बाजी के मुँह में दाखिल कर दिया और उनके चेहरे को मज़ीद मज़बूती से थामते हुए उसी तरह किस करता रहा। 
जब मुझे यक़ीन हो गया कि मेरे लण्ड का सारा जूस मेरे मुँह से बाजी के मुँह में मुन्तकिल हो गया है.. तो मैंने बाजी का चेहरा छोड़ा और पीछे हट गया।
बाजी ने कुछ सोचने के से अंदाज़ में अपनी ज़ुबान से अपने होंठों को चाटा और सवालिया से अंदाज़ में मुझे देखा। 
मैं समझ गया था कि बाजी ने अजीब सा ज़ायक़ा अपने मुँह में महसूस कर लिया है।
मैं वहाँ ही खड़ा बाजी को देखता रहा। 
‘क्या है?’ बाजी ने अभी भी ना समझने के अंदाज़ में पूछा। 
मैंने बाजी से नज़र मिलने पर उन्हें आँख मारी और मुस्कुरा कर कहा- देखा आपने.. ये इतना बुरा तो नहीं है ना.. जितना आप समझ रही थीं?
बाजी ने गुस्सैल अंदाज़ में थूकते हुए कहा- ऑहह कमीने.. गंदे.. मैं भी कहूँ कि किस करने से मुँह का ज़ायक़ा अजीब सा क्यों लग रहा है।
मैंने आगे बढ़ कर बाजी को अपने बाजुओं में जकड़ लिया और उनके होंठों पर एक ज़ोरदार किस करके कहा- कुछ नहीं होता बाजी.. मैंने भी तो आप की चूत से निकलता हुआ जूस पिया है और कसम से बस मुझे इतनी ज्यादा मज़ेदार चीज़ कभी कोई नहीं लगी.. आप का जूस बहुत मज़ेदार है.. तो क्या हुआ अगर आपने भी मेरे लण्ड का पानी चख लिया है।
बाजी कुछ देर तो बुरा सा मुँह बनाए चुपचाप अपना मुँह चलाते खड़ी रहीं.. फिर मेरे गाल को चूम कर अपना मुँह मेरे कान के पास लाईं और शरारती अंदाज़ में बोलीं- वैसे वसीम इतना बुरा भी नहीं था ये..
यह बोल कर मेरे कान को अपने दाँतों से काटा और मुझसे अलग होकर अपने कपड़ों की तरफ चल दीं।
मेरा दिल चाह रहा था कि अभी हम कुछ देर और ऐसे ही खेलें.. इसी लिए मैंने बाजी को कहा- बाजी थोड़ी देर और रुक जाओ ना प्लीज़.. आज दिल और कुछ देर खेलने को चाह रहा है। 
बाजी ने अपनी सलवार हाथ में पकड़ी हुई थीं.. और उसे फैला कर अपनी टांग उठा कर सलवार में डालते हुए ही जवाब दिया- तुम्हारे साथ तो मैं सारी रात भी गुजार लूँ.. तो तुम्हारा दिल नहीं भरेगा.. कल कर लेंगे.. अभी मुझे जाने दो..
बाजी ने सलवार पहन ली थी और अब अपनी क़मीज़ में अपने दोनों हाथ डाले और उसे अपने सिर से गुजार कर गर्दन पर लाते हुए बोलीं- उस दिन रात को भी जब मैं कमरे में गई.. तो हनी जाग ही रही थी और मुझसे पूछ भी रही थी कि मैं इतनी देर तक स्टडी-रूम में क्या करती रहती हूँ?
‘तो बता देना था ना.. कि अपने भाईयों के साथ मज़े कर रही थी..’ मैंने मुस्कुरा कर शरारत से जवाब में कहा।
बाजी ने अपने कपड़े पहन लिए थे.. उन्होंने पहले ज़ुबैर के माथे को चूमा और फिर मेरे माथे को चूम कर मेरे बालों में हाथ फेरते हुए बोलीं- चलो बस अब तुम लोग भी सो जाओ.. मैं भी जाती हूँ। 
यह कह कर हमारे कमरे से बाहर चली गईं।
 
अगली सुबह भी रूटीन की ही सुबह थी। मैंने सब के साथ ही नाश्ता किया.. लेकिन बाजी नाश्ते के टेबल पर मौजूद नहीं थीं.. शायद उन्हें आज यूनिवर्सिटी नहीं जाना था.. इसलिए उठी भी नहीं थीं।
नाश्ता करके हनी और ज़ुबैर अब्बू के साथ ही निकले थे और उनके कुछ ही देर बाद मैं भी अपने कॉलेज चला गया।

दोपहर में जब मैं कॉलेज से घर वापस आया और अपने कमरे में दाखिल हुआ.. तो मुझे हैरत से एक झटका लगा। 
ज़ुबैर और बाजी कंप्यूटर टेबल के सामने बैठे थे और कंप्यूटर पर एक ट्रिपल-एक्स मूवी चल रही थी। ज़ुबैर ने टी-शर्ट और ट्राउज़र पहना हुआ था और उसका लण्ड ट्राउज़र से बाहर था।
रूही बाजी.. ज़ुबैर का लण्ड अपनी मुठी में पकड़े हाथ ऊपर-नीचे कर रही थीं।

बाजी ने भी कॉटन की एक क़मीज़-सलवार का सूट पहन रखा था.. उनका दुपट्टा नीचे ज़मीन पर पड़ा था.. लेकिन काला स्कार्फ उनके सिर पर ही उनके मख़सूस अंदाज़ में बंधा हुआ था और उन दोनों की नजरें स्क्रीन पर जमी थीं।
दरवाज़े की आहट सुन कर ज़ुबैर और बाजी दोनों ने उसी वक़्त मेरी तरफ़ देखा.. तो मैंने पूछा- खैर तो है ना..? आज दिन दिहाड़े वारदात हो रही है?
बाजी ने ज़ुबैर के लण्ड को ज़ोर से दबा कर और अपने दाँतों को भींच कर कहा- अम्मी और हनी सलमा खाला के घर गई हैं.. शाम में ही वापस आएँगी.. और हमारे छोटे भाई साहब को जिन्न चढ़ गया है.. इनका जिन्न उतार रही हूँ.. 
मैंने बाजी की बात सुनी और हँस कर बाथरूम की तरफ जाते हुए कहा- यार मैं ज़रा नहा लूँ.. गर्मी इतनी ज्यादा है कि पूरा जिस्म पसीने से चिप-चिप कर रहा है।
मैं नहाने के बाद तौलिए से अपना जिस्म साफ करते हुए बाथरूम से बाहर निकला।
मैंने पहली नज़र कंप्यूटर टेबल पर ही डाली.. लेकिन बाजी और ज़ुबैर को वहाँ ना पा कर मैंने दूसरी तरफ देखा तो.. बाजी आईने के सामने कल रात वाले सेम अंदाज़ में खड़ी थीं.. और ज़ुबैर उनकी रानों के बीच में अपना लण्ड फंसाए आगे-पीछे हो रहा था।
बाजी ने भी उसी वक़्त मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दीं।
मैंने भी बाजी की मुस्कुराहट का जबाव मुस्कुरा कर ही दिया।
बाजी संग जोरदार चुम्बन
मैंने उनके सामने आकर अपने होंठ बाजी के खूबसूरत और नर्म-ओ-नाज़ुक होंठों से चिपका दिए। एक सादे चुम्बन के बाद मैंने अपना ऊपर वाला होंठ बाजी के ऊपर वाले होंठ से ऊपर रखा.. और अपना नीचे वाला होंठ बाजी के नीचे वाले होंठ से नीचे रख कर बाजी के दोनों होंठों को अपने होंठों में पकड़ लिया और चूसने लगा। 
बाजी के होंठ चूसने में इतना मज़ा आता था कि मैं घन्टों तक सिर्फ़ उनके होंठ ही चूसता रहूं.. तो भी मेरे लिए यही बहुत था। 
भरपूर अंदाज़ में बाजी के होंठ चूसने के बाद मैंने अपने होंठ बाजी के होंठों से हटाए और चेहरा उनके चेहरे के सामने रखे मुहब्बत भरी नजरों से बाजी की आँखों में देखा।
मैं और बाजी एक-दूसरे की आँखों में डूबने के क़रीब ही थे कि अचानक बाजी का सिर मेरे नाक से टकराया.. जैसे कि उन्होंने टक्कर मारी हो।
उसी वक़्त ज़ुबैर की मज़े से भरी ‘आआहह..’ मुझे सुनाई दी और मैं तक़लीफ़ से अपनी नाक को अपने हाथ में पकड़े ‘उफ्फ़ ऑश..’ करते हुए पीछे हट गया। 
बाजी भी फ़ौरन मेरी तरफ बढ़ीं और कहा- ज्यादा तो नहीं लगी?
मैंने नहीं के अंदाज़ में अपना सिर हिलाया और बाजी को देखते हुए झुंझलाहट में कहा- हुआ क्या था आपको?
उन्होंने हँसते हुए ज़ुबैर की तरफ इशारा कर दिया.. मैंने ज़ुबैर को देखा तो वो हाँफता हुआ ज़मीन पर बैठा था और उसने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा हुआ था।
उसका हाथ उसके अपने ही लण्ड के जूस से भरा था। 
तब मुझे समझ में आई कि असल में हुआ ये था.. कि मैं और बाजी तो अपने में मगन थे.. और ज़ुबैर बाजी की रानों में अपना लण्ड डाल कर झटके लगा रहा था और अचानक ही वो अपना कंट्रोल खो बैठा और उसने एक जोरदार झटका मारा।
उस झटके की ही वजह से बाजी का सिर मेरी नाक से टकराया था और बाजी भी फ़ौरन आगे बढ़ी थीं.. जिससे ज़ुबैर का लण्ड उनकी रानों से बाहर आ गया था.. 
लेकिन ज़ुबैर बिल्कुल आखिरी स्टेज पर था और बाजी के आगे होते ही ज़ुबैर के लण्ड ने अपना पानी छोड़ दिया और उसने अपने ही हाथ से आखिरी 2-3 झटके दिए.. जिससे ज़ुबैर का हाथ और उसकी टाँगें भी उसके पानी से तर हो गईं।
बाजी ने मेरी बगलों में हाथ डाल कर सहारा देकर मुझे उठाया और कहा- चलो बेड पर बैठो। 
मैं बेड की तरफ चल दिया.. बाजी ने अपना दुपट्टा उठाया और उसके कोने की छोटी सी गठरी बना कर मेरे पास आ गईं। 
मैं बेड पर बैठा.. तो बाजी अपने दुपट्टे की गठरी पर फूँकें मार-मार कर मेरी नाक को सेंकने लगीं। मैं बाजी के खूबसूरत जिस्म को देखने लगा.. बाजी की हरकत के साथ ही उनके बड़े-बड़े मम्मे भी हरकत कर रहे थे। 
बाजी के निप्पल अभी भी मुकम्मल खड़े थे.. उनका पेट.. उनकी रानें.. हर चीज़ इतनी मुतनसीब थीं कि देख कर दिल ही नहीं भरता था।
बाजी कुछ देर मेरे नाक को सहलाती रहीं.. नाक की तक़लीफ़ की वजह से ही मेरा लण्ड भी बैठ गया था।
बाजी ने दुपट्टा साइड पर फेंका और मेरे साथ बैठ कर मेरे बैठे हुए लण्ड को अपने हाथ में लिया और कुछ देर तक उससे गौर से देखने के बाद बिल्कुल बच्चों के अंदाज़ में खुश होते हुए कहा- ये अभी कितना छोटा सा मासूम सा लग रहा है ना.. नरम-नरम सा.. और बाद में कितना बड़ा और सख़्त हो जाता है। 
वे मेरे नर्म लण्ड को दबाने लगीं। 
मैंने कहा- बाजी आपने थोड़ी देर ऐसे ही पकड़े रखा.. तो यह नर्म नहीं रहेगा.. अपने जलाल में आ ही जाएगा।
यह कह कर मैंने बाजी के कंधों को थामा और बाजी को अपने साथ ही नीचे लिटाता हुआ पीछे की तरफ लेट गया। 
बाजी के लेटने से मेरी नज़र ज़ुबैर पर पड़ी.. वो अब भी बेसुध सा ज़मीन पर लेटा हुआ था और उसकी आँखें भी बंद थीं.. शायद सो ही गया था। 
मैंने लेटे-लेटे ही करवट बदली और थोड़ा सा बाजी के ऊपर होकर उनके एक गुलाबी खड़े निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे उभार को अपने हाथ से मसलने लगा। 
बाजी के हाथ में मेरा लण्ड.. अब फिर से फूलने लगा था.. कुछ देर में ऐसे ही बारी-बारी से बाजी के सीने के उभारों को चूसता रहा और मेरा लण्ड अपने जोबन पर आ गया।
मैं उठा और टेबल से तेल की बोतल उठा लाया.. मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारा तेल लगाया और फिर अपने हाथ में तेल लेकर बाजी के खूबसूरत मम्मों के बीच भी लगा दिया।
बाजी ने हैरानी की कैफियत में मुझे देखा और पूछा- वसीम.. ये क्या कर रहे हो तुम?
मैं बाजी के ऊपर ऐसे बैठ गया कि मेरे घुटने उनकी बगलों के बीच आ गए.. लेकिन मैंने अपना वज़न अपने घुटनों पर ही रखा और अपने खड़े लण्ड को अपनी बहन के सीने के उभारों के बीच रख कर उनसे कहा- बाजी अब अपने हाथों से अपने दोनों उभारों को दबाओ।
बाजी अब समझ गईं कि मैं क्या करना चाह रहा हूँ।
हमने साथ में और अकेले-अकेले में ही बहुत ट्रिपल-एक्स मूवीज देखी थीं.. और ये सब चीजें मेरे लिए और बाजी के लिए नई नहीं थीं। 
बाजी ने खुश होते हो कहा- गुड शहज़ादे.. अच्छी पोजीशन है ये..
उन्होंने अपने दोनों उभारों को दबा कर मेरे लण्ड को उनके बीच भींच लिया। 
मैंने दिखावे का गुस्सा दिखाते हुए कहा- आप सही जगह तो डालने देती नहीं हो.. अब ऐसी ही जगहें ढूँढ़नी पड़ेंगी ना बाजी..!
जवाब में बाजी सिर्फ़ मुस्कुरा कर रह गईं लेकिन बोलीं कुछ नहीं।
मैंने अपने लण्ड को आहिस्ता-आहिस्ता बाजी के सीने के उभारों के बीच आगे-पीछे करना शुरू कर दिया..
बाजी के मम्मे बहुत सख़्त थे और मेरा पूरा लण्ड चारों तरफ से रगड़ खा रहा था और हर बार रगड़ लगने से जिस्म में मज़े की नई लहर पैदा होती थी।
मैं जब अपने लण्ड को आगे की तरफ बढ़ाता था.. तो मेरे बॉल्स का ऊपरी हिस्सा भी बाजी के मम्मों और पेट के दरमियानी हिस्से पर रगड़ ख़ाता हुआ आगे जा रहा था और जब मैं लण्ड को वापस लाता.. तो मेरे बॉल्स के निचले हिस्से पर रगड़ लगती.. जिससे मुझे दुहरा मज़ा आ रहा था। 
बाजी ने अपने दोनों मम्मों को साइड्स से पकड़ कर दबा रखा था.. मैंने अपने दोनों हाथों को बाजी के मम्मों पर रखा और उनके निप्पल को अपनी चुटकियों में पकड़ कर मसलने लगा और लण्ड को आगे-पीछे करना जारी रखा। 
बाजी ने मज़े की वजह से अपनी आँखें बंद कर ली थीं और बाजी तेज-तेज साँसों के साथ सिसकारियाँ भर रही थीं।
बाजी को मज़े लेता देख कर मैं भी जोश में आ गया और तेजी से अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगा। कमरे में बाजी की सिसकारियाँ और मेरे लण्ड की रगड़ लगने से ‘पुचह.. पुचह..’ की आवाजें साफ सुनाई दे रही थीं।
हमें यह भी इत्मीनान था कि घर में हमारे अलावा और कोई नहीं है.. इसलिए ना ही बाजी अपनी आवाजों को कंट्रोल कर रही थीं और मैं भी इस मामले में बेख़ौफ़ था।
बाजी ने आनन्द के कारण अपनी आँखें बंद कर ली और साथ ही वे तेज साँसों के साथ सिसकारियाँ भर रही थीं। 
मैंने बाजी की निप्पलों को ऊपर की तरफ खींच कर ज़रा ज़ोर का झटका लगाया.. तो मेरे लण्ड की नोक बाजी के निचले होंठ से टच हो गई।
बाजी ने फ़ौरन अपनी आँखें खोल कर मेरी तरफ देखा.. लेकिन बोलीं कुछ नहीं। बाजी की आँखें नशीली हो रही थीं.. और उनकी आँखों में नमी भर गई थी.. जो शायद उत्तेजना की वजह से थी।
मैं बाजी की आँखों में देखते हुए ही ज़ोर-ज़ोर के झटके मारने लगा।
बाजी बिना कुछ बोले आँखें झपकाए बगैर मेरी आँखों में ही देख रही थीं।
और अब तकरीबन हर झटके पर ही मेरे लण्ड की नोक बाजी के निचले होंठ से टच होने लगी।
मैं दिल ही दिल में खुश हो रहा था कि बाजी इस बात से मना नहीं कर रही हैं और ये सोच मेरे अन्दर मज़ीद जोश भर रही थी। 
कुछ देर बाद ही मुझे हैरत का शदीद झटका लगा।
 
मैंने अपने लण्ड को आगे झटका दिया ही था कि उससे वक़्त बाजी ने मेरी आँखों में देखते-देखते ही अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और मेरे लण्ड की नोक बाजी की ज़ुबान पर टच हुई और बाजी के थूक ने मेरे लण्ड की नोक पर सुराख को भर दिया और मेरे मुँह से बेसाख्ता निकला- आअहह आअपीईई ईईईई उफ्फ़.. आपकी ज़ुबान टच हुई तो ऐसा लगा जैसे बिजली का झटका लगा हो.. आपकी ज़ुबान मेरे लण्ड में करेंट दौड़ा रही है।
बाजी मुस्कुरा दीं और हर झटके पर इसी तरह अपनी ज़ुबान बाहर निकालतीं और मेरे लण्ड की नोक पर टच कर देतीं।
थोड़ी देर इसी तरह अपना लण्ड बाजी के सीने के उभारों के बीच रगड़ कर आगे-पीछे करने के बाद मैंने एक झटका मारा बाजी की ज़ुबान बाहर आई और मेरे लण्ड की नोक से टच हुई.. तो मैंने अपने लण्ड को वहाँ ही रोक दिया। 
बाजी ने अपनी ज़ुबान वापस मुँह में डाली और कुछ देर मेरी आँखों में ही देखती रहीं.. लेकिन मैंने अपना लण्ड पीछे नहीं किया और कुछ बोले बगैर ही उनकी आँखों में देखता रहा। 
चंद सेकेंड बाद बाजी ने अपनी नज़रें नीची करके मेरे लण्ड को देखा और फिर अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर ज़ुबान की नोक को मेरे लण्ड के सुराख में डाला और अपनी ज़ुबान से मेरे लण्ड के सुराख के अंदरूनी हिस्से को छेड़ने लगीं।
कुछ देर बाजी ऐसे ही मेरे लण्ड की नोक के अन्दर अपनी ज़ुबान की नोक डाले रहीं और फिर मेरे लण्ड की टोपी पर पहले अपने ज़ुबान की नोक से ही मसाज किया और फिर अपनी ज़ुबान को थोड़ा टेढ़ा करके ऊपरी हिस्से से मेरे लण्ड की टोपी की राईट साइड को चाटा और इसी तरह से लेफ्ट साइड चाटने के बाद टोपी पर अपनी ज़ुबान गोलाई में फेरी और ज़ुबान वापस अपने मुँह में खींच ली। 
मेरे चेहरे पर शदीद बेबसी के आसार थे और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।
‘बाजी प्लीज़.. अब और मत तरसाओ.. प्लीज़ बाजीयईई कुछ तो रहम करो।
मैंने यह कहते हुए अपने लण्ड को थोड़ा और आगे किया और मेरे लण्ड की नोक बाजी के होंठों के सेंटर में टच हो गई। 
बाजी ने अपने दोनों होंठों को मज़बूती से बंद कर लिया था।
मेरी बात सुन कर थोड़ा झिझकते हुए बाजी ने अपने होंठों को ढीला किया और मेरे लण्ड की टोपी बाजी के मुँह में दाखिल हो गई। 
बाजी ने फ़ौरन ही मेरे लण्ड को मुँह से निकाला और फिर से होंठ मज़बूती से भींच लिए।
मेरा बहुत शिद्दत से दिल चाह रहा था कि बाजी मेरे लण्ड को अपने मुँह में लें।
मैंने अपने लण्ड की नोक को बाजी के बंद होंठों से लगा कर ज़ोर दिया और गिड़गिड़ा कर कहा- बाजी डालो ना मुँह में.. प्लीज़ यार.. क्यों तड़फा रही हो.. चूसो ना बाजी.. मेरी प्यारी बहन प्लीज़ चूसो.. नाआआआआअ..
बाजी कुछ देर सोचती रहीं और फिर कहा- अच्छा मैं खुद करूँगी.. तुम ज़ोर मत लगाना। 
यह कह कर बाजी ने अपना दायें हाथ अपने उभार से उठाया और मेरे लण्ड को अपनी मुठी में पकड़ कर झिझकते हुए अपना मुँह खोला.. मेरे लण्ड की नोक पर मेरी प्रीकम का एक क़तरा झिलमिला रहा था, बाजी ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और अपनी ज़ुबान की नोक से मेरी प्रीकम के क़तरे को समेट कर ज़ुबान अन्दर कर ली और ऐसे मुँह चलाया जैसे किसी टॉफ़ी को अपनी ज़ुबान पर रख कर चूस रही हों।
बाजी ने फिर मुँह खोला और मेरी आँखों में देखते-देखते मेरे लण्ड की टोपी अपने मुँह में डाल ली।
बाजी के मुँह की गर्मी को अपने लण्ड की टोपी पर महसूस करके ही मेरी हालत खराब होने लगी। मैंने अपने सिर को पीछे की तरफ झटका और आँखें बंद करके भरपूर मज़े से एक सिसकारी भरी- आहह.. मेरी प्यारी बहना.. उफ्फ़.. चूसो ना.. बाजी.. प्लीज़..
बाजी ने वॉर्निंग देने के अंदाज़ में कहा- याद रखना वसीम.. अगर तुमने अपना जूस मेरे मुँह में छोड़ा तो मैं फिर कभी तुम्हारा लण्ड मुँह में नहीं डालूँगी।
मैंने अपने दोनों हाथों से बाजी के चेहरे को नर्मी से थामा और कहा- नहीं बाजी.. मैं आपके मुँह में डिस्चार्ज नहीं होऊँगा.. बस थोड़ी देर चूस लो.. जब मेरा जूस निकलने लगेगा.. तो मैं पहले ही बता दूँगा। 
इस पोजीशन में बाजी मुकम्मल तौर पर मेरे कंट्रोल में थीं और अपनी मर्ज़ी से अब लण्ड मुँह से बाहर नहीं निकाल सकती थीं।
उन्हें यह डर भी था कि कहीं मैं ज़बरदस्ती अपना लण्ड बाजी के हलक़ तक ना घुसा दूँ। 
बस यही सोच कर बाजी ने मुझे थोड़ा पीछे हटने का इशारा किया और मेरे पीछे हटने पर बोलीं- मेरे ऊपर से उतर कर सीधे बैठ जाओ.. तुम्हें जोश में ख़याल नहीं रहता.. पहले भी मेरे ऊपर सारा वज़न डाल दिया था तुमने.. मेरा सांस रुकने लगता है।
मैं बाजी के ऊपर से उतरा और बेड के हेड से कमर टिका कर बैठ गया। बाजी मेरी टाँगों के बीच आकर घुटनों के बल बैठी हुई झुक गईं।
ऐसे बैठने से बाजी के घुटने और टाँगों का सामने का हिस्सा.. पैरों समेत बिस्तर पर था और मुँह नीचे मेरे लण्ड के पास होने की वजह से गाण्ड भी हवा में ऊपर की तरफ उठ गई थी।
बाजी ने फिर से मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा और मुँह खोल कर मेरे लण्ड के पास लाकर मेरी तरफ देखा।
इस वक़्त बाजी की आँखों में झिझक या शर्म नहीं थी.. बस उनकी आँखों में शरारत नाच रही थी। बाजी मेरी आँखों में ही देखते हो अपना मुँह खोल के मेरे लण्ड को मुँह में डालतीं.. लेकिन अपने मुँह के अन्दर टच ना होने देतीं और उसी तरह लण्ड मुँह से बाहर निकाल देतीं।
बाजी की गर्म-गर्म सांसें मुझे अपने लण्ड पर महसूस हो रही थीं। 
बाजी ने 3-4 बार ऐसा ही किया.. तो मैंने बहुत बेबसी की नजरों से उन्हें देखते हुए कहा- क्यों तड़फा रही हो बाजी.. शुरू करो ना..
बाजी खिलखिला के हँस दीं और कहा- शक्ल तो देखो अपनी ज़रा.. ऐसे लग रहा है जैसे किसी भिखारी को 10 दिन से रोटी ना मिली हो।
कह कर फिर से हँसने लगीं।
मैंने जवाब में कुछ नहीं कहा.. बस वैसे ही मासूम सी सूरत बनाए उन्हें देखता रहा। 
‘ओके ओके बाबा.. नहीं तड़फाती बस..’ बाजी ने कहा और फिर उसी तरह मुँह खोल कर आहिस्ता से मेरा लण्ड अपने मुँह में डाला और आहिस्तगी से ही अपने होंठ बंद कर लिए.. मेरे लण्ड की टोपी पूरी ही बाजी के मुँह में थी।
बाजी ने होंठों से मेरे लण्ड को जकड़ा और मुँह के अन्दर ही मेरे लण्ड के सुराख पर और पूरी टोपी पर अपनी ज़ुबान फेरने लगीं।
मैं लज़्ज़त की इंतिहा पर पहुँचा हुआ था। बाजी के मुँह की गर्मी से इतना मजा मिल रहा था कि मैंने ऐसा मज़ा आज से पहले कभी नहीं महसूस किया था।
मैं पहले बहुत बार ज़ुबैर से अपना लण्ड चुसवा चुका था.. लेकिन बाजी के मुँह में लण्ड देने का मज़ा उस मज़े से कहीं गुना बढ़ कर था। 
एक लड़के और लड़की के मुँह में फ़र्क़ तो होता ही है.. इसके अलावा असल मज़ा इन फ़ीलिंग्स का था.. यह अहसास था कि मेरा लण्ड एक लड़की के मुँह में है.. एक कुंवारी लड़की और वो लड़की भी मेरी सग़ी बहन है.. मेरी बड़ी बहन है। यह अहसास था जो मेरे मज़े को बढ़ा रहा था। 
बाजी कुछ देर इसी तरह मेरे लण्ड की टोपी को होंठों में फँसाए मुँह के अन्दर ही अन्दर ज़ुबान उस पर फेरती रहीं और फिर उन्होंने आहिस्ता आहिस्ता लण्ड को अपने मुँह में उतारना शुरू कर दिया।
मेरा लण्ड आधे से ज्यादा बाजी के मुँह में चला गया था कि अचानक मुझे अपने लण्ड की नोक पर सख्ती महसूस हुई और उसी वक़्त बाजी को उबकाई सी आ गई। 
यह इस बात का सबूत थी कि मेरा लण्ड बाजी के हलक़ तक पहुँच गया था.. लेकिन अभी भी थोड़ा सा मुँह से बाहर बच गया था।
उबकाई लेकर बाजी ने थोड़ा सा लण्ड को बाहर निकाला और सांस लेकर दोबारा से अन्दर गहराई में उतारने लगीं।
लेकिन इस बार भी लण्ड पहले जितना ही अन्दर गया ही था कि बाजी को एक बार फिर उबकाई आई और बाजी लण्ड को थोड़ा सा बाहर निकाल कर खांसने लगीं, खाँसते हुए भी मेरे लण्ड की टोपी बाजी के मुँह में ही थी। 
बाजी धीरे धीरे मेरे लंड को मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी, लेकिन बार बार उनको उबकाई सी आ जाती थी।
 
बाजी ने तीसरी बार पूरा मुँह में लेने की कोशिश नहीं की और मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर उससे ऊपर की तरफ सीधा किया और लंड की जड़ में अपनी ज़ुबान का ऊपरी हिस्सा रख कर पूरे लंड की लंबाई को चाटते हुए नोक तक आईं और एक बार लंड की टोपी पर ज़ुबान फेर कर उससे नीचे की तरफ दबाया और लंड के ऊपरी हिस्से की लंबाई को ऊपर से नीचे जड़ तक चाटा।
फिर इसी तरह बाजी ने मेरे लंड को दोनों साइड्स से ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर तक चाटा और फिर लंड को मुँह में ले लिया। लेकिन इस बार बाजी ने आधा ही लंड मुँह में डाला और उस पर अपने होंठों की गिरफ्त को टाइट करके अन्दर की तरफ चूसने लगीं। 
लंड को इस तरह चूसने से बाजी के दोनों गाल पिचक कर अन्दर घुस जाते और उनका चेहरा लाल हो जाता था।
बाजी इतनी ताक़त से चूस रही थीं कि मुझे साफ महसूस हुआ कि मेरे लंड के अन्दर से मेरी मलाई का एक क़तरा रगड़ ख़ाता हुआ बाहर की तरफ जा रहा है।
जब वो क़तरा मेरे लंड की नोक से बाहर आया तो मेरे जिस्म और लंड को एक झटका सा लगा।
मैंने झटका लेकर बाजी की तरफ देखा.. तो वो मेरे चेहरे पर ही नज़र जमाए हुए थीं और मेरी हालत से लुत्फ़ ले रही थीं।
मुझसे नज़र मिलने पर बाजी ने शरारत से आँख मारी और फिर अपने मुँह को मेरे लंड पर आगे-पीछे करने लगीं।
जब बाजी मेरे लंड पर अपना मुँह आगे की तरफ लाती थीं.. तो अन्दर से अपने मुँह के जबड़ों की गिरफ्त को ढीला कर देतीं और जब मेरा लंड अपने मुँह से बाहर लातीं तो सिर को तो पीछे की जानिब हटाती थीं.. जिससे लंड बाहर आना शुरू हो जाता था।
लेकिन बाहर लाते वक़्त बाजी अपने मुँह के अन्दर वाले हिस्से से लौड़े को ऐसे चूसतीं कि मेरा लंड अन्दर की तरफ खिंचता हुआ बाहर आता था। 
पता नहीं मैं आपको यह अंदाज़ समझा पाया हूँ या नहीं.. बहरहाल एक बार फिर गौर से पढ़िएगा तो आपको समझ आ जाएगा।
इस अंदाज़ से कभी ज़ुबैर ने भी मेरा लंड ना चूसा था.. बल्कि ज़ुबैर क्या मैंने भी कभी ऐसे नहीं चुसवाया था.. जैसे बाजी चूस रही थीं। 
कुछ देर तक इसी तरह बाजी मेरा लंड चूसती रहीं और फिर जब भी बाजी लंड को अपने मुँह के अन्दर धकेलतीं.. तो आख़िर में एक झटका मारती थीं.. जिससे मेरा लंड हर बार थोड़ा-थोड़ा ज्यादा अन्दर जाने लगा था।
कुछ ही देर में बाजी की कोशिश रंग लाई और उन्होंने जड़ तक मेरा लंड अपने मुँह में लेना शुरू कर दिया।
लेकिन सिर्फ़ एक लम्हें को ही बाजी के होंठ मेरे लंड की जड़ तक पहुँच पाते थे और फिर बाजी वापस लंड को बाहर निकालना शुरू कर देती थीं।
बाजी का हाथ मेरे पेट और लंड के दरमियानी हिस्से पर रखा हुआ था.. जहाँ से मेरे लंड के बाल शुरू होते हैं। 
बाजी ने इसी तरह मेरा लंड चूसते-चूसते अपना हाथ मेरे लंड के बालों वाली जगह से उठाया और मेरे लंड के नीचे लटकती गोटों को पकड़ लिया और आहिस्ता-आहिस्ता इन बॉल्स को सहलाने लगीं। 
बाजी का हाथ मेरी बॉल्स पर टच हुआ तो सुरूर की एक और लहर मेरे बदन से उठी और मुझे ऐसा लगा कि शायद मैं अब अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाउंगा, मैंने दोनों हाथों से बाजी का चेहरा थामा और अपना लंड उनके मुँह से निकाल लिया और आँखें बंद करके लंबी-लंबी साँसें लेने लगा।
मुझे साफ महसूस हुआ कि मेरे लंड का जूस जो कि बाहर आने लगा था.. वो अब वापस मेरी रगों में जा रहा है।
चंद सेकेंड बाद जब मैंने यह महसूस किया कि अब मैंने अपनी हालत पर कंट्रोल कर लिया है..
तो मैंने आँखें खोलीं और बाजी की तरफ देखा।
बाजी का चेहरा मेरे हाथों में और उनका मुँह थोड़ा सा खुला हुआ मेरे लंड से तकरीबन 4 इंच दूर था.. मेरे लंड की नोक से एक पतली सी लकीर बाजी के निचले होंठ तक गई हुई थी। वो पता नहीं मेरे लंड का जूस (मेरा प्री कम) था या बाजी की थूक(सलाइवा) थी.. जो बारीक सी तार की तरह मेरे लंड की नोक से बाजी के होंठों तक गई हुई थी।
बाजी की नजरें मेरे चेहरे पर ही जमी थीं और शायद उन्होंने इस लकीर को देखा ही नहीं था। 
मैंने बाजी का चेहरा एक हाथ से मज़बूती से थामा कि वो मुँह हिला ना सकें और दूसरे हाथ की उंगली बाजी की आँख के सामने लहराई। 
बाजी ने कुछ ना समझने वाले अंदाज़ में मेरी उंगली को देखा और मैं अपनी उंगली नीचे अपने लंड की तरफ ले जाने लगा।
बाजी की नजरें मेरी उंगली पर ही जमी थीं और उंगली के साथ-साथ गर्दिश कर रही थीं।
मैंने अपनी उंगली अपने लंड की टोपी पर नोक के पास रखी.. तो उसी वक़्त बाजी की नज़र भी मेरी प्री-कम के उस बारीक तार पर पड़ी और मैंने बाजी के चेहरे को मज़बूती से थाम लिया कि कहीं बाजी पीछे हटने की कोशिश ना करें। 
लेकिन मैंने महसूस क्या कि बाजी ने ऐसी कोई कोशिश नहीं की तो मैंने भी गिरफ्त ढीली कर दी और उनकी नजरें मेरे लंड की नोक से उसी तार पर होती हुई उनके अपने होंठों तक गईं।
बाजी ने मुस्कुरा कर मेरी आँखों में देखा।
बाजी की आँखों में अजीब सी चमक थी.. अजीब सा खुमार था.. जो इस अहसास के लिए था कि यह उनकी ज़िंदगी का पहला लंड था.. जिसको उन्होंने चूसा और उसके ज़ायक़े को महसूस किया और लंड भी उनके अपने सगे भाई का था।
मैंने अपनी उंगली बाजी के होंठों पर रखी और अपनी प्री-कम की लकीर को उनके होंठों से लेकर के अपनी उंगली पर ले लिया और उस तार को उंगली पर समेटते हुए अपने लंड की नोक तक आया.. और वहाँ से भी उस तार को तोड़ लिया। 
मैंने अपनी उंगली बाजी को दिखाई.. बाजी ने मेरी उंगली पर लगा मेरे लंड का जूस देखा और नर्मी से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी आँखों के क़रीब ले गईं और फिर अचानक ही झपट कर मेरी उंगली अपने मुँह में लेकर उससे चूसने लगीं। 
मैं बाजी का यह अंदाज़ देख कर दंग रह गया।
बाजी ने मेरी पूरी उंगली चूसी और मेरा हाथ छोड़ कर फिर से मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर.. अपनी ज़ुबान लंड के सुराख में घुसाने लगीं।
एक बार फिर उन्होंने पूरे लंड को चाटने के बाद लंड मुँह में लिया और तेजी से अपने मुँह में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। 
कुछ ही देर बाद मेरा जिस्म अकड़ना शुरू हो गया.. मैंने कोशिश की कि मैं अपने आप पर कंट्रोल करूँ.. लेकिन जल्द ही मुझे महसूस हुआ कि मैं अबकी बार अपने आपको नहीं रोक पाऊँगा।
मैंने अपनी तमाम रगों को फैलता- सिकुड़ता महसूस किया.. और मैंने चीखती आवाज़ में बा-मुश्किला कहा- बाजीयईईईई.. मैं छूटने वाला हून्ंननणन्..
बाजी ने मेरी बात सुनते ही लंड को मुँह से निकाला और तेजी से मेरे लंड को अपने हाथ से मसलने लगीं, फिर 3-4 सेकेंड बाद ही मेरे मुँह से एक तेज ‘आअहह’ निकली और मेरे लंड ने फव्वारे की सूरत में अपने जूस की पहली धार छोड़ी.. जो सीधी मेरी बहन के हसीन गुलाबी उभारों पर गिरी।
बाजी ने अपना हाथ मेरे लंड से नहीं हटाया और इस धार को देख कर और तेजी से मेरे लंड को रगड़ने लगीं। 
दो-दो सेकेंड के वक्फे से मेरे लंड से एक धार निकलती.. और बाजी के मम्मों या पेट पर चिपक जाती।
तकरीबन एक मिनट तक मेरा लंड और जिस्म झटके ख़ाता रहा और जूस बहता रहा।
बाजी ने मेरे लंड से निकलते इस समुंदर को देखा तो बोलीं- वॉववववव.. आज तो मेरी जान.. मेरा सोहना भाई बहुत ही जोश में है..
यह सच था कि आज से पहले कभी मेरे लंड ने इतना ज्यादा जूस नहीं छोड़ा था और मैं कभी इतना निढाल भी नहीं हुआ था।
बाजी ने मेरा वीर्य चखा
बाजी ने भी अपना हाथ चलाना अब बंद कर दिया था.. लेकिन बदस्तूर मेरे लंड को थाम रखा था।
मैंने निढाल सी कैफियत में अधखुली आँखों से बाजी को देखा.. उनके सीने के उभारों और पेट पर मेरे लंड से निकले जूस ने आड़ी तिरछी लकीरें सी बना डाली थीं।
बाजी ने अपने जिस्म पर नज़र डाली और मेरे लंड को छोड़ कर अपनी उंगली से अपने खूबसूरत निप्पल्स पर लगे मेरे लंड के जूस को साफ किया और काफ़ी सारी मिक़दर अपनी उंगली पर उठा कर उंगली अपने मुँह में डाल ली। 
मैं बाजी को देख तो रहा था.. लेकिन इतना निढाल था कि कुछ बोलना तो दूर की बात है.. बाजी की इस हरकत पर हैरत भी ना ज़ाहिर कर सका और खाली-खाली आँखों से बाजी को देखता रहा।
बाजी ने उंगली को अच्छी तरह चूसा और मुझे आँख मार के अपनी आँखों को गोल-गोल घुमाते हो कहा- उम्म्म यूम्ममय्ययई.. यार वसीम यह तो मज़े की चीज़ है।
वे यह बोल कर हँसने लगीं। 
मैंने भी मुस्कुरा कर बाजी का साथ दिया। 
अचानक ही बाजी की हँसी को ब्रेक लग गया और उन्होंने घबराए हुए अंदाज़ में घड़ी को देखा।
बाजी ने मेरे लण्ड को चूस कर मेरा माल अपनी छाती पर गिराया और फिर मेरे लण्ड के जूस को काफ़ी सारी मिक़दार अपनी उंगली पर उठा कर अपने मुँह चखा और मुझे आँख मार कर आँखें गोल गोल घुमा कर कहा- उम्म्म यूम्मय्ययई.. यार वसीम, यह तो मज़ेदार चीज़ है।
मैं मुस्कुरा दिया। अचानक बाजी ने घड़ी को देखा, फिर बिस्तर से उछल कर खड़ी होती हुए बोलीं- शिट.. अम्मी और हनी आने ही वाली होंगी.. या शायद आ ही गई हों।
बाजी ने मेरी शर्ट उठा कर जल्दी-जल्दी अपना जिस्म साफ किया और क़मीज़ पहन कर सलवार पहनने लगीं..
तो मैंने कहा- बाजी आप तो आज डिस्चार्ज हुई ही नहीं हो?
बाजी ने सलवार पहन ली थी.. उन्होंने कहा- कोई बात नहीं.. फिर सही। 
वे ज़ुबैर के पास गईं.. जो कि नीचे कार्पेट पर नंगा ही उल्टा सो रहा था, उसको फिर से उठाते हुए कहा- ज़ुबैर उठो.. कपड़े पहनो और सही तरह बिस्तर पर लेटो.. उठो शाबाश..
 
ज़ुबैर को उठा कर मेरे पास आईं और मेरे होंठों को चूम कर मेरे बाल सँवारते हुए बोलीं- उठो मेरी जान.. शाबाश, अपना जिस्म साफ करो.. मैं जा रही हूँ।
इसके साथ ही कमरे से बाहर निकल गईं। 
मैं उठा तो ज़ुबैर बाथरूम जा चुका था।
मैंने वैसे ही अपना लोअर पहना और बिस्तर पर लेटते ही मुझे नींद आ गई.. शायद कमज़ोरी की वजह से! 
शाम को बाजी ने ही मुझे उठाया.. वो दूध लेकर आई थीं।
वे हम दोनों को उठा कर फ़ौरन ही वापस नीचे चली गईं.. क्योंकि उन्होंने रात का खाना भी बनाना था। 
दूध पी कर मैंने गुसल किया और बाहर निकल गया।
जब मैं वापस आया तो रात का खाना बाहर ही दोस्तों के साथ ही खा कर आया था।
घर पहुँचा तो 11 बज रहे थे.. सब अपने-अपने कमरों में ही थे.. बस अब्बू टीवी लाऊँज में बैठे न्यूज़ देख रहे थे। अब्बू को सलाम वगैरह करने के बाद मैं अपने कमरे में आया तो ज़ुबैर सो चुका था।

मुझे भी काफ़ी थकान सी महसूस हो रही थी और मुझे यह भी अंदाज़ा था कि आज दिन में हमने सेक्स किया ही है.. तो बाजी अभी रात में हमारे पास नहीं आएँगी।
उनका दिल चाह भी रहा हो तब भी वो नहीं आएंगी क्योंकि वो हमारी सेहत के बारे में बहुत फ़िक़रमंद रहती थीं।
हक़ीक़त यह थी कि इस वक़्त मुझे भी सेक्स की तलब महसूस नहीं हो रही थी.. इसलिए मैं भी जल्द ही सो गया।
सुबह मैं अपने टाइम पर ही उठा.. कॉलेज से आकर थोड़ी देर नींद लेने के बाद दोस्तों में टाइम गुजार कर रात को घर वापस आया.. तो खाने के बाद बाजी ने बता दिया कि वो आज रात में आएँगी।
मैं कुछ देर वहाँ टीवी लाऊँज में ही बैठ कर बिला वजह ही चैनल चेंज कर-करके टाइम पास करता रहा और तकरीबन 10:30 पर उठ कर अपने कमरे की तरफ चल दिया।
मैं कमरे में दाखिल हुआ.. तो ज़ुबैर हमेशा की तरह मूवी लगाए कंप्यूटर के सामने ही बैठा था.. मुझे देख कर बोला- यहाँ आ जाओ भाई.. जब तक बाजी नहीं आतीं.. मूवी ही देख लेते हैं।
मैंने अपनी पैंट उतारते हुए ज़ुबैर को जवाब दिया- नहीं यार.. मेरा मूड नहीं है मूवी देखने का.. तुम देखो।
मैं बिस्तर पर आ लेटा।
थोड़ी देर बाद ज़ुबैर भी कंप्यूटर बंद करके बिस्तर पर ही आ गया और बोला- भाई कल जब मेरे लण्ड ने अपना जूस निकाला.. तो मुझे तो इतनी कमज़ोरी फील हो रही थी कि आँखें बंद किए पता ही नहीं चला कि कब सो गया। मैं तो बाजी के उठाने पर ही उठा था.. मुझे बताओ न.. मेरे सो जाने के बाद आपने बाजी के साथ क्या-क्या किया था?
मैंने जान छुड़ाने के लिए ज़ुबैर से कहा- यार छोड़.. फिर कभी बताऊँगा।
लेकिन ज़ुबैर के पूछने पर मेरे जेहन में भी कल के वाक़यात घूम गए कि कैसे बाजी मेरा लण्ड चूस रही थीं.. किसी माहिर और अनुभवी चुसक्कड़ की तरह।
ज़ुबैर ने मुझसे मिन्नतें करते हुए दो बार और कहा.. तो मैं उससे पूरी स्टोरी सुनाने लगा कि कल क्या-क्या हुआ था।
ज़ुबैर ने सुकून से पूरी कहानी सुनी और बोला- भाई आप ज़बरदस्त हो.. आपने जिस तरह बाजी को ये सब करने पर राज़ी किया है.. उसका जवाब नहीं.. मैं तो ये सोच कर पागल हो रहा हूँ कि जब बाजी मेरा लण्ड चूसेंगी तो.. उफफ्फ़..
यह कह कर ज़ुबैर ने एक झुरझुरी सी ली। 
मैंने मुस्कुरा कर ज़ुबैर को देखा और कहा- फ़िक्र ना कर मेरे छोटे.. मेरा अगला टारगेट तो बाजी की टाँगों के बीच वाली जगह है।

ज़ुबैर ने छत को देखते हुए एक ठंडी आह भरी और बोला- हाँनन् भाई.. कितना मज़ा आएगा.. जब बाजी की चूत में लण्ड पेलेंगे।
फिर एकदम चौंकते हुए बोला- लेकिन भाई अगर कोई मसला हो गया तो.. मतलब बाजी प्रेग्नेंट हो गईं या ऐसी कोई और बात हो गई तो फिर?
मैंने एक नज़र ज़ुबैर को देखा और झुंझला कर कहा- चुतियापे की बात ना कर यार.. मैं इसका बंदोबस्त कर लूँगा बस.. एक बार फिर कहता हूँ कि खुद से कोई पंगा मत लेना.. जैसा मैं कहूँ बस वैसा ही कर..
इन्हीं ख़यालात में खोए और बाजी का इन्तजार करते.. हम दोनों ही पता नहीं कब नींद के आगोश में चले गए। 
सुबह मैं उठा तो ज़ुबैर जा चुका था। मैं कॉलेज के लिए रेडी हो कर नीचे आया तो अम्मी ने ही नाश्ता दिया क्योंकि बाजी भी यूनिवर्सिटी जा चुकी थीं।
मैं नाश्ता करके कॉलेज चला गया।
कॉलेज से वापस आया तो 3 बज रहे थे मैंने बाजी के कमरे के अधखुले दरवाज़े से अन्दर झाँका.. तो बाजी सो रही थीं और हनी वहाँ ही बैठी अपनी पढ़ाई कर रही थी।
मुझे अम्मी ने खाना दिया और खाना खाकर मैं अपने कमरे में चला गया। ज़ुबैर भी सो रहा था.. मैंने भी चेंज किया और सोचा कि कुछ देर नींद ले लूँ.. फिर रात में बाजी के साथ खेलने में देर हो जाती है और नींद पूरी नहीं होती। 
शाम को मैं नीचे उतरा.. तो बाजी अभी भी घर में नहीं थीं.. मैंने अम्मी से पूछा तो उन्होंने बताया कि सलमा खाला की किसी सहेली की छोटी बहन की मेहँदी है.. कोई म्यूज़िकल फंक्शन भी है तो ज़ुबैर, बाजी और हनी तीनों ही उनके साथ चले गए हैं। 
मैं भी अपने दोस्तों की तरफ निकल गया।
रात में 10 बजे मैं घर पहुँचा तो बाजी अभी भी वापस नहीं आई थीं.. अब्बू टीवी लाऊँज में ही बैठे अपने लैपटॉप पर बिजी थे।
मैंने कुछ देर उन से बातें कीं और फिर अपने कमरे में चला गया। 
मैंने कमरे में आकर ट्रिपल एक्स मूवी ऑन की.. लेकिन आज फिल्म देखने में भी मज़ा नहीं आ रहा था.. बस बाजी की याद सता रही थी।
किसी ना किसी तरह मैंने एक घंटा गुज़ारा और फिर नीचे चल दिया कि कुछ देर टीवी ही देख लूँगा। 
मैं अभी सीढ़ियों पर ही था कि मुझे अम्मी की आवाज़ आई- बात सुनिए.. सलमा का फोन आया है वो कह रही है कि वसीम को भेज दें.. रूही लोगों को ले आएगा।
मैं अम्मी की बात सुन कर नीचे उतरा तो अब्बू अपना लैपटॉप बंद कर रहे थे। मैंने उनसे गाड़ी की चाभी माँगी.. तो पहले तो अब्बू गाड़ी की चाभी मुझे देने लगे.. फिर एकदम किसी ख़याल के तहत रुक गए और चश्मे के ऊपर से मेरी आँखों में झाँकते हुए बोले- वसीम तुमने लाइसेन्स नहीं बनवाया ना अभी तक?
मैंने अपना गाल खुजाते हो टालमटोल के अंदाज़ में कहा- वो अब्बू.. बस रह गया कल चला जाऊँगा बनवाने।
अब्बू ने गुस्से से भरपूर नज़र मुझ पर डाली और बोले- यार अजीब आदमी हो तुम.. कहा भी है.. जा के बस तस्वीर वगैरह खिंचवा आओ.. अपने साइन कर दो वहाँ.. बाक़ी शकूर साहब संभाल लेंगे.. लेकिन तुम हो कि ध्यान ही नहीं देते हो किसी बात पर.. मैं देख रहा हूँ आजकल तुम बहुत गायब दिमाग होते जा रहे हो.. किन ख्यालों में खोए रहते हो.. हाँ?
मैं अब्बू की झाड़ सुन कर दिल ही दिल में अपने आपको कोस रहा था कि इस टाइम पर नीचे क्यों उतरा।
अम्मी ने मेरी कैफियत भाँप कर मेरी वकालत करते हुए अब्बू से कहा- अच्छा छोड़ो ना.. आप भी एक बात के पीछे ही पड़ जाते हैं.. बनवा लेगा कल जाकर!
अब्बू ने अपना रुख़ अम्मी की तरफ फेरा और बोले- अरे नायक बख़्त.. लोग तरसते हैं कि कोई जान-पहचान वाला आदमी हो.. तो अपना काम करवा लें और शकूर साहब मुझे अपने मुँह से कितनी बार कह चुके हैं कि लाइसेन्स ऑफिस वसीम को भेज दो.. अब पता नहीं कितने दिन हैं वो वहाँ.. उनका भी ट्रान्स्फर हो गया.. तो परेशान होता फिरेगा.. इसलिए कह रहा हूँ कि बनवा ले जाकर..
अम्मी ने बात खत्म करने के अंदाज़ में कहा- अच्छा चलिए अब चाभी दें उसे.. वो लोग इन्तजार कर रहे होंगे। 
अब्बू ने अपना लैपटॉप गोद से उठा कर टेबल पर रखा और खड़े होते हुए बोले- नहीं अब इसकी ये ही सज़ा है कि जब तक लाइसेन्स नहीं बनवाएगा.. गाड़ी नहीं मिलेगी।
यह कह कर वे बाहर चल दिए। 
अम्मी ने झल्ला कर अपने सिर पर हाथ मारा और कहा- हाय रब्बा.. ये सारे जिद्दी लोग मेरे नसीब में ही क्यों लिखे हैं.. जैसा बाप है.. वैसी ही सारी औलाद..
मैं चुपचाप सिर झुकाए खड़ा था कि दोबारा अम्मी की आवाज़ आई- अब जा ना बेटा.. दरवाज़ा खोल वरना हॉर्न पर हॉर्न बजाना शुरू कर देंगे।
मैं झुंझलाए हुए ही बाहर गया और अब्बू के गाड़ी बाहर निकाल लेने के बाद दरवाज़ा बंद करके सीधा अपने कमरे में ही चला गया। 
मेरा मूड बहुत सख़्त खराब हो चुका था.. पहले ही बाजी के साथ सेक्स ना हो सकने की वजह से झुंझलाहट थी और रही-सही कसर अब्बू की डांट ने पूरी कर दी। 
मैं बिस्तर पर लेटा और तय किया कि सुबह सबसे पहला काम यही करना है कि जा कर लाइसेन्स बनवाना है।
इसी ऑफ मूड के साथ ही नींद ने हमला करके मेरे शरीर को सुला दिया। 
बाजी आज भी नहीं आई
मैं सुबह उठा तो मेरे जेहन में अब्बू की डांट ताज़ा हो गई, मैं जल्दी-जल्दी तैयार हुआ और नाश्ता करके लाइसेन्स ऑफिस चल दिया। वहाँ जा कर मैं शकूर साहब (अब्बू के दोस्त) से मिला.. उन्होंने एक आदमी मेरे साथ भेजा।
खैर.. सब पेपर वर्क निपटा कर मैं शकूर सहाब के पास गया और पूछा- तो अंकल ये लर्निंग तो कल मिल जाएगा ना.. उसके कितने अरसे बाद मुझे पक्का लाइसेन्स मिलेगा?
उन्होंने एक नज़र मुझे देखा और हँसते हुए बोले- बेटा अगर तुम्हारे लाइसेन्स में भी अरसा-वरसा या लर्निंग और कच्चे-पक्के लाइसेन्स का झंझट हो.. तो फिर तो हम पर लानत है ना।
मुझे उनकी बात कुछ समझ नहीं आई.. तो मैंने दोबारा पूछा- क्या मतलब अंकल? 
वो बड़े फखरिया से लहजे में बोले- बेटा मैं सब देख लूँगा.. बस तुम्हारा काम खत्म हो गया है.. तुम जाओ घर.. और हाँ अब्बू को मेरा सलाम कहना.. मैं किसी दिन चक्कर लगाऊँगा।
मैंने अपने कंधों को लापरवाह अंदाज़ में झटका दिया.. जैसे मैंने कह रहा होऊँ कि ‘मेरे लण्ड पर ठंड.. मुझे क्या’
मैं वहाँ से सीधा कॉलेज चला गया। 
कॉलेज से घर आया तो ज़ुबैर टीवी देख रहा था, मुझे देख कर बोला- भाई खाना टेबल पर रखा है.. खा लो।
मैंने अम्मी का पूछा.. तो ज़ुबैर ने बताया कि अम्मी और हनी मार्केट गई हैं और बाजी को सलमा खाला अपने साथ कहीं ले गई हैं। 
मैं खाना खा कर कमरे में गया और जाते ही सो गया क्योंकि आज थकान भी काफ़ी हो गई थी। 
शाम में मैं सो कर उठा.. तो फ्रेश हो कर दोस्तों की तरफ निकल गया और रात को घर वापस पहुँचा.. तो 9 बज रहे थे।
मैंने सबके साथ ही रात का खाना खाया और अपने कमरे में आ गया। 
काफ़ी देर बाजी का इन्तज़ार करने के बाद भी बाजी नहीं आईं.. मैंने टाइम देखा तो 11:30 हो चुके थे।
मैं ज़ुबैर को वहाँ ही लेटा छोड़ कर खुद नीचे बाजी को देखने के लिए चल दिया।
मैं टीवी लाऊँज में पहुँचा.. तो बाजी के कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला था। बाहर लाइट ऑफ थी.. लेकिन अन्दर लाइट जल रही थी और अम्मी और हनी बाजी को वो कपड़े वगैरह दिखा रही थीं.. जो उन्होंने आज शॉपिंग की थी। 
अम्मी और हनी की कमर मेरी तरफ थी और बाजी उनके सामने बैठी थीं। मैं दरवाज़े के पास जा कर खड़ा हो गया और दरवाज़े की झिरी से हाथ हिलाने लगा कि बाजी मेरी तरफ देख लें.. लेकिन काफ़ी देर कोशिश के बाद भी बाजी ने मेरी तरफ नहीं देखा और मैं मायूस हो कर वापस जाने का सोच ही रहा था कि बाजी की नज़र मुझ पर पड़ी और फ़ौरन ही उन्होंने नज़र नीची कर लीं। 
लेकिन मैंने देख लिया था कि बाजी को मेरी मौजूदगी का इल्म हो चुका है।
कुछ ही देर बाद बाजी बिस्तर से उठीं और कहा- हनी तुम वो पीला वाला शॉपिंग बैग खोलो.. मैं पानी पी कर आती हूँ।
बाजी यह कह कर दरवाज़े की तरफ बढ़ी ही थीं कि हनी ने आवाज़ लगाई- बाजी प्लीज़ एक गिलास मेरे लिए भी ले आना प्लीज़..
मैं फ़ौरन दरवाज़े से साइड को हो गया कि दरवाज़ा खुलने पर अम्मी या हनी की नज़र मुझ पर ना पड़ सके। 
बाजी के साथ थोड़ी बेतकल्लुफ़ी
बाजी कमरे से बाहर निकलीं और अपनी पुश्त पर दरवाज़ा बंद करके किचन की तरफ जाने लगीं.. तो मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें अपनी तरफ खींचा।
बाजी इस तरह खींचे जाने से डर गईं और बेसाख्ता ही उनके हाथ अपने चेहरे की तरफ उठे और वो मेरे सीने से आ लगीं। बाजी मुझसे टकराईं.. तो मैं भी पीछे दीवार से जा लगा और बाजी को अपने बाजुओं में जकड़ लिया।
बाजी के दोनों बाज़ू उनके सीने के उभारों और मेरे सीने के बीच आ गए थे।
उन्होंने हाथ अपने चेहरे पर रखे हुए थे और मैंने बाजी को अपने बाजुओं में जकड़ा हुआ था। 
बाजी ने अपने चेहरे से हाथ हटाए और सरगोशी में बोलीं- वसीम.. कमीने कुछ ख़याल किया करो.. मेरी तो जान ही निकल गई थी.. ऐसे अचानक तुमने मुझे खींचा है।
मैंने भी सरगोशी में ही जवाब दिया- मैं समझा आपने मुझे दरवाज़े से हट कर दीवार से लगते हुए देख लिया होगा।
‘नहीं मैंने नहीं देखा था.. और अभी छोड़ो मुझे.. अम्मी और हनी दोनों अन्दर हैं.. बाहर ना निकल आएँ और अब्बू भी अपने कमरे में ही हैं।
बाजी ने यह कहा और एक खौफजदा सी नज़र अब्बू के कमरे के दरवाज़े पर डाली। 
मैंने बाजी की कमर से हाथ हटाए और उनकी गर्दन को पकड़ कर होंठों से होंठ चिपका दिए।
बाजी ने मेरे सीने पर हाथ रख कर थोड़ा ज़ोर लगाया और मुझसे अलग हो कर बोलीं- वसीम क्या मौत पड़ी है.. पागल हो गए हो क्या?
मैंने बाजी का हाथ पकड़ा और अपने ट्राउज़र के ऊपर से ही अपने खड़े लण्ड पर रख कर कहा- बाजी ये देखो मेरा बुरा हाल है.. आओ ना कमरे में..
‘वसीम पागल हो गए हो क्या.. अभी कैसे चलूं.. अम्मी और हनी कमरे में ही हैं.. तुम देख ही चुके हो।’ 
बाजी ने ना जाने की वजह बताई.. लेकिन अपना हाथ मेरे लण्ड से नहीं हटाया और ट्राउज़र के ऊपर से ही मुठी में पकड़ कर मेरा लौड़ा दबाने लगीं।
मैंने बाजी के सीने के राईट उभार को क़मीज़ के ऊपर से ही पकड़ कर दबाया और पूछा- तो कब तक फ्री होओगी? बाजी आज चौथी रात है कि मैंने कुछ नहीं किया.. मेरा जिस्म जल रहा है।
‘मैं क्या कहूँ वसीम.. पता नहीं कितनी देर लग जाए।’
बाजी ने अपनी बात खत्म की ही थी कि मैंने अपना ट्राउज़र थोड़ा नीचे किया और अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और बाजी को कहा- बाजी प्लीज़ थोड़ी देर मेरा लण्ड चूस लो ना!
बाजी ने मेरे नंगे लण्ड को अपने हाथ में पकड़ा और कहा- वसीम..! पागल हो गए हो क्या.. अपने आप पर थोड़ा कंट्रोल करो.. मैं फारिग हो कर तुम्हारे पास आ जाऊँगी ना!
मैंने बाजी की बात सुनते-सुनते अपना राईट हैण्ड पीछे से बाजी की सलवार के अन्दर डाल दिया था। मैंने बाजी की गर्दन पर अपने होंठ रखते हुए अपने हाथ को उनके दोनों कूल्हों पर फेरा और उनके दोनों चिकने और सख़्त कूल्हों को बारी-बारी दबाने लगा। 
मेरे होंठ बाजी की गर्दन पर और हाथ बाजी के कूल्हों पर डाइरेक्ट टच हुए.. तो उनका बदन लरज़ गया और वो सरगोशी में लरज़ती आवाज़ से बोलीं- वसीम.. आहह.. नहीं करो प्लीज़.. में. मैं बर्दाश्त नहीं.. कर पाऊँगी नाआ..
मैंने बाजी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और उनकी गर्दन को चाटता हुआ अपना मुँह गर्दन की दूसरी तरफ ले आया.. साथ-साथ ही मैंने अपना लेफ्ट हैण्ड बाजी की सलवार में आगे से डाला और उनकी मुकम्मल चूत को अपनी मुठी में पकड़ते हुए दूसरे हाथ की ऊँगलियों को कूल्हों की बीच दरार में घुसा दिया और पूरी दरार को रगड़ने लगा। 
बाजी पर आहिस्ता-आहिस्ता मदहोशी सी सवार होती जा रही थी और वो अपनी आँखें बंद किए आहिस्ता-आवाज़ में बेसाख्ता बड़बड़ा रही थीं- बस वसीम.. वसीम छोड़ दो मुझे.. बस करो..
उनकी आवाज़ ऐसी थी जैसी किसी गहरे कुँए में से आ रही हो। 
मैंने बाजी की चूत को अपने हाथ से छोड़ा और दोनों लबों के बीच में अपनी ऊँगली दबा कर चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर रगड़ते हुए दूसरे हाथ की एक उंगली बाजी की गाण्ड के सुराख में दाखिल कर दी।
मेरे इस दो तरफ़ा हमले से बाजी ने तड़फ कर अपनी आँखें खोल दीं और होश में आते ही उन्हें अहसास हुआ कि हमारी पोजीशन कितनी ख़तरनाक है और किसी के आने पर हम अपने आपको बिल्कुल संभाल नहीं पाएंगे। 
इसी ख़तरे के पेशेनज़र बाजी ने लरज़ती आवाज़ में कहा- वसीम कोई बाहर आ जाएगा.. मेरे प्यारे भाई प्लीज़.. अपनी पोजीशन को समझो न.. खुदा के लिए!
बाजी ने यह कहा ही था कि हमें एक खटके की आवाज़ आई और बाजी फ़ौरन मुझे धक्का देकर पीछे हटीं और किचन की तरफ भाग गईं।
बाजी के धक्का देने और पीछे हटने से मेरे हाथ भी बाजी की सलवार से निकल आए थे। मैंने फ़ौरन अपना ट्राउज़र ऊपर किया.. मेरा दिल भी बहुत ज़ोर से धड़का था।
मैं कुछ सेकेंड वहीं रुका रहा और फिर दबे क़दम सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगा। 
वो खटका शायद कमरे के अन्दर ही हुआ था.. बाजी किचन से पानी लेकर निकलीं तो मैं सीढ़ियों के पास ही खड़ा था।
बाजी को किचन से निकलता देख कर मैं उनकी तरफ बढ़ा.. तो बाजी ने गर्दन को नहीं के अंदाज़ में हिला कर मुझ पर एक गुस्से भरी नज़र डाली और मेरे क़दम रुकते ना देख कर भाग कर कमरे की तरफ चली गईं। 
बाजी ने कमरे के दरवाज़े पर खड़े हो कर पीछे मुड़ कर मुझे देखा।
मैं बाजी को भागता देख कर अपनी जगह पर ही रुक गया था। बाजी ने मुझे देख कर मेरी तरफ एक फ्लाइंग किस की.. लेकिन मैंने बुरा सा मुँह बना कर बाजी को देखा और घूम कर सीढ़ियों की तरफ चल दिया।
तीन दिन से बाजी हमारे कमरे में नहीं आई थी। चौथे दिन भी जब वक्त बीत गया तो मैं बाजी को देखने निकला। बाजी अपने कमरे में अम्मी और हनी के साथ थी। बाजी ने मुझे देख लिया और बाजी बाहर आई, मैंने वासना से उनको छुआ तो वो कुछ गुस्सा हुई और मुझे अपने कमरे में जाने को कहा।
बाजी ने मेरी तरफ एक फ्लाइंग किस की.. लेकिन मैं बुरा सा मुँह बना कर घूम कर सीढ़ियों की तरफ चल दिया। 
मैंने पहली सीढ़ी पर क़दम रखा ही था कि मुझे पीछे दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई.. बाजी कुछ देर तक वहीं रुकी.. मुझे देखती रही थीं। लेकिन मैंने पलट कर नहीं देखा.. तो वो अन्दर चली गईं। 
मैं भी अपने कमरे में वापस आया तो ज़ुबैर सो चुका था.. मुझे बाजी पर बहुत गुस्सा आ रहा था और मैं उसी गुस्से और बेबसी की ही हालत में लेटा और फिर पता नहीं कब मुझे भी नींद ने अपने आगोश में ले लिया। 
सुबह ज़ुबैर ने उठाया तो कॉलेज जाने का दिल नहीं चाह रहा था.. इसलिए मैंने ज़ुबैर को मना किया और फिर सो गया।
दूसरी बार मेरी आँख खुली तो 10 बज रहे थे। मैं नहा धो कर फ्रेश हुआ और नीचे आया तो अम्मी टीवी लाऊँज में बैठी टीवी देखते हुए साथ-साथ मटर भी छीलती जा रही थीं। 
मैंने अम्मी को सलाम किया और डाइनिंग टेबल पर बैठा ही था कि बाजी भी मेरी आवाज़ सुन कर अपने कमरे से निकल आईं और उसी वक़्त अम्मी ने भी मटर के दाने निकालते हुए आवाज़ लगाई- रुहीई..! बाहर आओ बेटा.. भाई को नाश्ता दे दो..
‘जी अम्मी आ गई हूँ.. देती हूँ अभी..’ बाजी ने अम्मी को जवाब देकर किचन की तरफ जाते हो मुझे देखा।
मैंने भी बाजी को देखा और गुस्से में मुँह बना कर नज़र फेर लीं। 
इस एक नज़र ने ही मुझे बाजी में आज एक खास लेकिन बहुत प्यारी तब्दीली दिखा दी थी.. बाजी ने हमेशा की तरह अपने सिर पर स्कार्फ बाँधा हुआ था और बड़ी सी चादर ने उनके बदन के नशेबोफ़राज़ को हमारी नजरों से छुपा रखा था..
लेकिन खास तब्दीली थी कि बाजी की बड़ी-बड़ी खूबसूरत आँखों में झिलमिलता काजल.. बाजी ने आज आँखों में काजल लगा रखा था और उससे बाजी की खूबसूरत आँखें मज़ीद हसीन और बड़ी नज़र आ रही थीं। 
 
बाजी नाश्ते की ट्रे लेकर आईं और टेबल पर मेरे सामने रखते हुए आहिस्ता- आवाज़ में बोलीं- अल्ल्लाआअ मेरी जान.. नाराज़ है मुझसे..
मैंने बाजी को कोई जवाब नहीं दिया।
उन्होंने ट्रे से निकाल कर ऑमलेट परांठा मेरे सामने रखा और मेरे गाल पर चुटकी काट कर अपने दाँतों को भींचते हुए बोलीं- गुस्से में लगता बड़ा प्यारा है.. मेरा सोहना भाई।
मैंने बुरा सा मुँह बना कर बाजी के हाथ को झटका.. लेकिन मुँह से कुछ ना बोला और ना ही नज़र उठा कर उनको देखा। 
मुझे यह खौफ भी था कि अगर मैंने नज़र उठाई तो बाजी के खूबसूरत गुलाबी गाल और उनकी हसीन आँखें.. जो काजल की वजह से मज़ीद सितम ढा रही हैं.. मुझे ऐसे क़ैद कर लेंगी कि मैं अपनी नाराज़गी कायम रखना तो दूर की बात.. दुनिया ओ माफिया ही से बेखबर हो जाऊँगा।
मैंने चुपचाप नज़र झुकाए हुए ही नाश्ता करना शुरू कर दिया।
बाजी कुछ देर वहाँ ही खड़ी रहीं.. फिर अम्मी के पास जाकर मटर छीलने में उनकी मदद करने लगीं। 
मैंने नाश्ता खत्म किया ही था कि बाजी ने पौधों को पानी देने वाली बाल्टी उठाई और अम्मी को कुछ कहते हुए बाहर गैराज में रखे गमलों को पानी लगाने के लिए चली गईं। 
मैं टीवी लाऊँज के दरवाज़े पर पहुँचा ही था कि अम्मी की आवाज़ आई- वसीम मोटर चला दो.. ये लड़की पौधों को पानी लगाते-लगाते पूरी टंकी ही खाली कर देगी।
टीवी लाऊँज के दरवाज़े से निकल कर राईट साइड पर हमारे घर का छोटा सा लॉन है.. और लेफ्ट साइड पर गाड़ी खड़ी करने के लिए गैरज है। गैरज के अन्दर वाले सिरे पर ही मोटर लगी हुई है और गैरज के बाहर वाले सिरे पर तो ज़ाहिर है हमारे घर का मेन गेट ही है।
बाजी ने मुझे मनाया
मैं मोटर का बटन ऑन करके मुड़ा ही था कि बाजी ने मेरा हाथ पकड़ कर झटका दिया और अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रख कर बोलीं- ये क्या ड्रामा है वसीम.. बात क्यों नहीं कर रहे हो मुझसे?
मैंने अभी भी बाजी की तरफ नहीं देखा और नज़र झुकाए हुए ही नाराज़ अंदाज़ में कहा- बस नहीं करनी मैंने बात.. मेरी मर्ज़ी..
बाजी ने मेरी ठोड़ी को अपने हाथ से ऊपर उठाया और मुहब्बत भरे अंदाज़ में कहा- वसीम.. मैं भी तो मजबूर हूँ ना.. बस अब नाराज़गी खत्म करो.. चलो शाबाश मेरी तरफ देखो.. मेरा सोहना भाई.. नज़र उठाओ अपनी।
मैंने नज़र नहीं उठाई लेकिन बाजी के हाथ को भी नहीं झटका- बाजी कितने दिन हो गए हैं.. आप नहीं आई हो.. आप का अपना दिल चाहता है तो आती हो.. मेरी खुशी के लिए तो नहीं ना..
‘मुझे पता है.. आज 5 दिन हो गए हैं मैंने अपने सोहने भाई को खुश नहीं किया.. मैं क्या करूँ मेरी जान.. मौका ही नहीं मिल पाया है.. लेकिन मैं आज रात लाज़मी कोशिश करूँगी.. ओके..’
बाजी ने ये कहा और मेरी ठोड़ी से हाथ हटा लिया और मेरे चेहरे पर अपनी नजरें गड़ा दीं।
मैंने बाजी की बात सुन कर भी अपना अंदाज़ नहीं बदला और हल्का सा गुस्सा दिखाते हुए बोला- अभी भी ये ही कह रही हो कि कोशिश करूँगी.. यानि कि आज रात को भी आने का प्रोग्राम नहीं है?
‘यार तुम्हें पता ही है कि ज़ुबैर और हनी के फाइनल एग्जाम होने वाले हैं.. हनी रात में 3-4 बजे तक पढ़ाई करती रहती है.. मैं उसके सामने कैसे आऊँ? तुम भी तो एक बार ज़िद पकड़ लेते हो.. तो कोई बात समझते ही नहीं हो।
अब बाजी के लहजे में भी झुंझलाहट पैदा हो गई थी।
थोड़ी देर तक ऐसे ही बाजी मेरे चेहरे पर नज़र जमाए रहीं और मेरी तरफ से कोई जवाब ना सुन कर.. कुछ फ़ैसला करके बोलीं- ओके ठीक है.. ऐसी बात ही तो ये लो..
बाजी नंगी हो गई
ये कहते हुए बाजी ने अपनी सलवार में अपने दोनों अंगूठों को फँसाया और एक ही झटके में अपने पाँव तक पहुँचा दिया और अपनी चादर और क़मीज़ को इकठ्ठा करके अपने पेट तक उठा लिया और मेरी तरफ पीठ करते हुए बोलीं- चलो अभी और इसी वक़्त चोदो मुझे.. मैं कसम खाती हूँ कि तुम्हें नहीं रोकूँगी.. आओ चोदो मुझे..
अपनी बहन का ये अंदाज़ देख कर मैं दंग ही रह गया और हकीक़तन डर से मेरी गाण्ड ही फट गई।
मैं खुद भी ऐसी हरकतें करता ही था.. लेकिन जब बंदा खुद कर रहा हो.. तो समझ आता है.. जेहन मुतमइन होता है कि कोई मसला हुआ तो मैं संभाल ही लूँगा.. लेकिन बाजी की ये हरकत मेरे वहमोगुमान में भी नहीं थी।
हम से चंद क़दम के फ़ासले पर ही टीवी लाऊँज का दरवाज़ा था और अन्दर अम्मी बैठी थीं और सामने घर का मेन गेट था। अगर कोई भी घर में दाखिल होता तो पहली नज़र में ही हम दोनों सामने नज़र आते।
अब हालत कुछ ऐसी थी कि बाजी ने मेरी तरफ पुश्त की हुई थी और थोड़ी सी झुकी खड़ी थीं.. उनके खूबसूरत गुलाबी.. चिकने कूल्हे मेरी नजरों के सामने थे।

झुकने से बाजी के दोनों कूल्हों के बीच का गैप थोड़ा बढ़ गया था और बाजी की गाण्ड का डार्क ब्राउन सुराख भी झलक दिखला रहा था।
उससे थोड़े ही नीचे बाजी की खूबसूरत चूत के लब नज़र आ रहे थे.. जो थोड़े उभर गए थे और आपस में ऐसे मिले हुए थे कि चूत की बारीक सी लकीर बन गई थी। 
बाजी की साफ और शफ़फ़ गुलाबी रानें अपनी मुकम्मल गोलाई के साथ कहर बरपा रही थीं। 
मुझे हैरत का शदीद झटका लगा था। मैं गुमसुम सा ही खड़ा था और मेरी नज़र बाजी की नंगी रानों और कूल्हों पर ही थी कि बाजी की आवाज़ मुझे होश की दुनिया में वापस ले गई।
‘चलो ना.. रुक क्यों गए हो.. आओ डालो अपना लण्ड मेरी चूत में..’
 
Back
Top