hotaks444
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बाजी की नज़र मुझसे मिली तो मैंने बाजी को आँख मारी और कहा- बाजी अगर ज़ुबैर की जगह आप का मुँह होता.. तो क्या ही बात थी।
बाजी ने बुरा सा मुँह बनाया और हाथ से मक्खी उड़ाने के अंदाज़ में कहा- हट.. चालू गंदे.. मैं ऐसा कभी नहीं करने वाली..
कुछ देर बाजी हमें देखती रहीं और फिर उठ कर मेरे पीछे आ कर चिपक गईं..
बाजी के सख़्त निप्पल मेरी पीठ पर टच हुए.. तो मज़े की एक नई लहर मेरे जिस्म में फैल गई।
बाजी ने अपने सीने के उभारों को मेरी कमर से दबाया और अपने निप्पल्स को मेरी कमर पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर रगड़ने लगीं।
बाजी के निप्पल्स मेरी कमर पर रगड़ खा कर मेरे अन्दर बिजली सी भर रहे थे और एक बहुत हसीन अहसास था नर्मी का और शहवात का।
मैंने मज़े के असर में अपने सिर को एक साइड पर ढलका दिया और आँखें बंद करके अपनी बहन के निप्पल्स का लांस महसूस करने लगा।
बाजी ने अपने उभारों को मेरी कमर पर रगड़ना बंद किया और ज़रा ताक़त से मेरी कमर से दबा कर अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रखे और मेरे बाजुओं पर हाथ फेरते हुए.. मेरे हाथों पर आ कर मेरे हाथों को अपने हाथों से दबाया.. और अपने दोनों हाथ मेरे पेट पर रख कर मसाज करने लगीं।
पेट पर हाथ फेरने के बाद बाजी अपने हाथ नीचे ले गईं और मेरे बॉल्स को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगीं।
ज़ुबैर मेरा लण्ड चूस रहा था और बाजी मेरे बॉल्स को अपने हाथों से सहलाते हुए अपनी सख़्त निप्पल मेरी कमर पर चुभा रही थीं।
अचानक बाजी ने मेरी गर्दन पर अपने होंठ रखे और गर्दन को चूमते और चाटते हो मेरे कान की लौ को अपने मुँह में ले लिया और कुछ देर कान को चूसने के बाद बाजी ने सरगोशी और मज़े से डूबी आवाज़ में कहा- कैसा लग रहा है मेरे प्यारे भाई को..?? मज़ा आ रहा है ना?
मैंने अपनी पोजीशन चेंज नहीं की और नशे में डूबी आवाज़ में ही जवाब दिया- बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है बाजी.. बहुत ज्यादा!
बाजी ने मेरे चेहरे को अपने हाथ से पकड़ कर पीछे की तरफ किया और मेरे होंठों को चूसने लगीं।
बाजी ने मेरे मुँह से मेरी ज़ुबान को अपने मुँह में खींचा ही था कि मेरे जिस्म को भी झटका लगा और मेरे लण्ड का पानी ज़ुबैर के मुँह में स्प्रे करने लगा।
कुछ देर बाद मैंने अपनी आँखें खोलीं तो बाजी मेरी आँखों में ही देख रही थीं और मेरी ज़ुबान को चूस रही थीं।
मैंने नज़र नीचे करके ज़ुबैर को देखा तो ज़ुबैर बस आखिरी बार मेरे लण्ड को चाट कर पीछे हट ही रहा था।
मैंने अपने हाथ से ज़ुबैर को रोका और उसके होंठों के साइड से बहते अपनी लण्ड के जूस को अपनी उंगली पर उठा लिया।
बाजी मेरी पीठ पर थीं जिसकी वजह से उन्होंने भी यह देख लिया था कि मैंने अपनी उंगली पर अपने लण्ड का जूस उठाया है।
मैंने अपनी उंगली बाजी के मुँह के क़रीब करते हुए शरारती अंदाज़ में कहा- बाजी एक बार चख कर तो देखो.. मज़ा ना आए तो कहना।
बाजी जल्दी से पीछे हटते हुए बोलीं- नहीं भाई.. मुझे माफ़ ही रखो.. मैंने नहीं चखनी..
यह कह कर बाजी पीछे हटते हुए बाथरूम में चली गईं और मैं और ज़ुबैर भी अपने जिस्म को साफ करने लगे।
कुछ देर बाद बाजी बाथरूम से बाहर आईं तो फ़ौरन ही ज़ुबैर बाथरूम में घुस गया।
मैं बिस्तर पर ही लेटा था.. बाजी ज़मीन से अपने कपड़े उठा कर पहनने लगीं।
अपने कपड़े पहन कर बाजी ने मेरा ट्राउज़र और शर्ट उठा कर मेरे पास बिस्तर पर रख दिया और ज़ुबैर की शर्ट और ट्राउज़र ले जाकर अल्मारी के साथ रखे हैंगर पर टांग दिए और बाथरूम के दरवाज़े के पास जा कर बोलीं- ज़ुबैर मैंने तुम्हारे कपड़े स्टैंड पर टांग दिए हैं.. वही निकाल कर पहन लेना और दूध टेबल पर रखा है.. वो लाज़मी पी लेना।
फिर बाजी ने जग से दूध का गिलास भरा और मेरे पास आकर मेरे होंठों को चूमा और मेरे सिर पर हाथ फेर कर बोलीं- उठो मेरी जान.. शाबाश दूध पियो और फिर कपड़े पहन कर सही तरह लेटो.. शाबाश उठो..
मुझे अपने हाथ से दूध पिलाने के बाद बाजी ने एक बार फिर मेरे होंठों को चूमा और खड़ी हो गईं।
‘ज़ुबैर निकले तो उसे भी लाज़मी दूध पिला देना अच्छा.. याद से भूलना नहीं ओके.. मैं अब चलती हूँ.. तुम भी सो जाओ..’
यह कह कर बाजी कमरे से बाहर निकल गईं।
आजकल कुछ ऐसी रुटीन बन गई थी कि रात को सोते वक़्त.. मेरे जेहन में बाजी के खूबसूरत जिस्म का ही ख़याल होता.. साँसों में बाजी की ही खुश्बू बसी होती थी और सुबह उठते ही पहली सोच भी बाजी ही होती थीं।
मैं सुबह उठा तो हमेशा की तरह ज़ुबैर मुझसे पहले ही बाथरूम में था और मैं अपने स्पेशल नाश्ते के लिए नीचे चल दिया।
मैंने नीचे पहुँच कर देखा तो अम्मी अब्बू का दरवाजा अभी भी बंद ही था.. लेकिन बाजी के कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला था। मैंने अपने क़दम बाजी के कमरे की तरफ बढ़ाए ही थे कि उन्होंने अन्दर से ही मुझे देख लिया।
मैंने बाजी के सीने के उभारों की तरफ इशारा करते हुए उनको आँख मारी और मुँह ऐसे चलाया जैसे दूध पीने को कह रहा हूँ।
बाजी ने गुस्से से मुझे देखा और आँखों के इशारे से कहा कि हनी यहीं है।
मैंने अपने हाथ के इशारे से कहा- कोई बात नहीं..
मैंने उनके कमरे की तरफ क़दम बढ़ा दिए.. बाजी ने एक बार गर्दन पीछे घुमा कर हनी को देखा और फिर मुझे गुस्से से आँखें दिखाते हुए वहीं रुकने का इशारा किया।
मैंने बाजी के इशारे को कोई अहमियत नहीं दी और आगे बढ़ना जारी रखा।
बाजी ने एक बार फिर मुझे देखा और फ़ौरन कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया।
मैं कुछ सेकेंड वहीं रुका और फिर सिर को झटकते हुए मुस्कुरा कर वापस अपने कमरे की तरफ चल दिया।
जब मैं नहा कर तैयार हो कर नाश्ते के लिए पहुँचा.. तो सब मुझसे पहले ही टेबल पर बैठे थे।
मैंने सलाम करने के बाद अपनी सीट संभाली ही थी कि बाजी ने आखिरी प्लेट टेबल पर रखी और मेरे लेफ्ट साइड पर साथ वाली सीट पर ही बैठ गईं।
सदर सीट पर अब्बू बैठे.. जो अब्बू के लिए मख़सूस थी। वे एक हाथ में अख़बार पकड़े चाय के आखिरी आखिरी घूँट पी रहे थे।
हमारे सामने टेबल की दूसरी तरफ अम्मी.. ज़ुबैर और हनी बैठे थे और अम्मी रोज़ के तरह उनको नसीहतें करते-करते नाश्ता भी करती जा रही थीं।
बाजी ने बुरा सा मुँह बनाया और हाथ से मक्खी उड़ाने के अंदाज़ में कहा- हट.. चालू गंदे.. मैं ऐसा कभी नहीं करने वाली..
कुछ देर बाजी हमें देखती रहीं और फिर उठ कर मेरे पीछे आ कर चिपक गईं..
बाजी के सख़्त निप्पल मेरी पीठ पर टच हुए.. तो मज़े की एक नई लहर मेरे जिस्म में फैल गई।
बाजी ने अपने सीने के उभारों को मेरी कमर से दबाया और अपने निप्पल्स को मेरी कमर पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर रगड़ने लगीं।
बाजी के निप्पल्स मेरी कमर पर रगड़ खा कर मेरे अन्दर बिजली सी भर रहे थे और एक बहुत हसीन अहसास था नर्मी का और शहवात का।
मैंने मज़े के असर में अपने सिर को एक साइड पर ढलका दिया और आँखें बंद करके अपनी बहन के निप्पल्स का लांस महसूस करने लगा।
बाजी ने अपने उभारों को मेरी कमर पर रगड़ना बंद किया और ज़रा ताक़त से मेरी कमर से दबा कर अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रखे और मेरे बाजुओं पर हाथ फेरते हुए.. मेरे हाथों पर आ कर मेरे हाथों को अपने हाथों से दबाया.. और अपने दोनों हाथ मेरे पेट पर रख कर मसाज करने लगीं।
पेट पर हाथ फेरने के बाद बाजी अपने हाथ नीचे ले गईं और मेरे बॉल्स को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगीं।
ज़ुबैर मेरा लण्ड चूस रहा था और बाजी मेरे बॉल्स को अपने हाथों से सहलाते हुए अपनी सख़्त निप्पल मेरी कमर पर चुभा रही थीं।
अचानक बाजी ने मेरी गर्दन पर अपने होंठ रखे और गर्दन को चूमते और चाटते हो मेरे कान की लौ को अपने मुँह में ले लिया और कुछ देर कान को चूसने के बाद बाजी ने सरगोशी और मज़े से डूबी आवाज़ में कहा- कैसा लग रहा है मेरे प्यारे भाई को..?? मज़ा आ रहा है ना?
मैंने अपनी पोजीशन चेंज नहीं की और नशे में डूबी आवाज़ में ही जवाब दिया- बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है बाजी.. बहुत ज्यादा!
बाजी ने मेरे चेहरे को अपने हाथ से पकड़ कर पीछे की तरफ किया और मेरे होंठों को चूसने लगीं।
बाजी ने मेरे मुँह से मेरी ज़ुबान को अपने मुँह में खींचा ही था कि मेरे जिस्म को भी झटका लगा और मेरे लण्ड का पानी ज़ुबैर के मुँह में स्प्रे करने लगा।
कुछ देर बाद मैंने अपनी आँखें खोलीं तो बाजी मेरी आँखों में ही देख रही थीं और मेरी ज़ुबान को चूस रही थीं।
मैंने नज़र नीचे करके ज़ुबैर को देखा तो ज़ुबैर बस आखिरी बार मेरे लण्ड को चाट कर पीछे हट ही रहा था।
मैंने अपने हाथ से ज़ुबैर को रोका और उसके होंठों के साइड से बहते अपनी लण्ड के जूस को अपनी उंगली पर उठा लिया।
बाजी मेरी पीठ पर थीं जिसकी वजह से उन्होंने भी यह देख लिया था कि मैंने अपनी उंगली पर अपने लण्ड का जूस उठाया है।
मैंने अपनी उंगली बाजी के मुँह के क़रीब करते हुए शरारती अंदाज़ में कहा- बाजी एक बार चख कर तो देखो.. मज़ा ना आए तो कहना।
बाजी जल्दी से पीछे हटते हुए बोलीं- नहीं भाई.. मुझे माफ़ ही रखो.. मैंने नहीं चखनी..
यह कह कर बाजी पीछे हटते हुए बाथरूम में चली गईं और मैं और ज़ुबैर भी अपने जिस्म को साफ करने लगे।
कुछ देर बाद बाजी बाथरूम से बाहर आईं तो फ़ौरन ही ज़ुबैर बाथरूम में घुस गया।
मैं बिस्तर पर ही लेटा था.. बाजी ज़मीन से अपने कपड़े उठा कर पहनने लगीं।
अपने कपड़े पहन कर बाजी ने मेरा ट्राउज़र और शर्ट उठा कर मेरे पास बिस्तर पर रख दिया और ज़ुबैर की शर्ट और ट्राउज़र ले जाकर अल्मारी के साथ रखे हैंगर पर टांग दिए और बाथरूम के दरवाज़े के पास जा कर बोलीं- ज़ुबैर मैंने तुम्हारे कपड़े स्टैंड पर टांग दिए हैं.. वही निकाल कर पहन लेना और दूध टेबल पर रखा है.. वो लाज़मी पी लेना।
फिर बाजी ने जग से दूध का गिलास भरा और मेरे पास आकर मेरे होंठों को चूमा और मेरे सिर पर हाथ फेर कर बोलीं- उठो मेरी जान.. शाबाश दूध पियो और फिर कपड़े पहन कर सही तरह लेटो.. शाबाश उठो..
मुझे अपने हाथ से दूध पिलाने के बाद बाजी ने एक बार फिर मेरे होंठों को चूमा और खड़ी हो गईं।
‘ज़ुबैर निकले तो उसे भी लाज़मी दूध पिला देना अच्छा.. याद से भूलना नहीं ओके.. मैं अब चलती हूँ.. तुम भी सो जाओ..’
यह कह कर बाजी कमरे से बाहर निकल गईं।
आजकल कुछ ऐसी रुटीन बन गई थी कि रात को सोते वक़्त.. मेरे जेहन में बाजी के खूबसूरत जिस्म का ही ख़याल होता.. साँसों में बाजी की ही खुश्बू बसी होती थी और सुबह उठते ही पहली सोच भी बाजी ही होती थीं।
मैं सुबह उठा तो हमेशा की तरह ज़ुबैर मुझसे पहले ही बाथरूम में था और मैं अपने स्पेशल नाश्ते के लिए नीचे चल दिया।
मैंने नीचे पहुँच कर देखा तो अम्मी अब्बू का दरवाजा अभी भी बंद ही था.. लेकिन बाजी के कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला था। मैंने अपने क़दम बाजी के कमरे की तरफ बढ़ाए ही थे कि उन्होंने अन्दर से ही मुझे देख लिया।
मैंने बाजी के सीने के उभारों की तरफ इशारा करते हुए उनको आँख मारी और मुँह ऐसे चलाया जैसे दूध पीने को कह रहा हूँ।
बाजी ने गुस्से से मुझे देखा और आँखों के इशारे से कहा कि हनी यहीं है।
मैंने अपने हाथ के इशारे से कहा- कोई बात नहीं..
मैंने उनके कमरे की तरफ क़दम बढ़ा दिए.. बाजी ने एक बार गर्दन पीछे घुमा कर हनी को देखा और फिर मुझे गुस्से से आँखें दिखाते हुए वहीं रुकने का इशारा किया।
मैंने बाजी के इशारे को कोई अहमियत नहीं दी और आगे बढ़ना जारी रखा।
बाजी ने एक बार फिर मुझे देखा और फ़ौरन कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया।
मैं कुछ सेकेंड वहीं रुका और फिर सिर को झटकते हुए मुस्कुरा कर वापस अपने कमरे की तरफ चल दिया।
जब मैं नहा कर तैयार हो कर नाश्ते के लिए पहुँचा.. तो सब मुझसे पहले ही टेबल पर बैठे थे।
मैंने सलाम करने के बाद अपनी सीट संभाली ही थी कि बाजी ने आखिरी प्लेट टेबल पर रखी और मेरे लेफ्ट साइड पर साथ वाली सीट पर ही बैठ गईं।
सदर सीट पर अब्बू बैठे.. जो अब्बू के लिए मख़सूस थी। वे एक हाथ में अख़बार पकड़े चाय के आखिरी आखिरी घूँट पी रहे थे।
हमारे सामने टेबल की दूसरी तरफ अम्मी.. ज़ुबैर और हनी बैठे थे और अम्मी रोज़ के तरह उनको नसीहतें करते-करते नाश्ता भी करती जा रही थीं।