hotaks444
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क्रिकेट अब सिर्फ़ एक खेल नहीं रहा, क्रिकेट अब एक बिज़्नेस बन चुका है.. ए प्यूर कमर्षियल बिज़्नेस, टीवी राइट्स, मीडीया राइट्स, ब्रॉडकॅस्टिंग राइट्स से लेके कौनसा प्लेयर कौनसी एड साइन करेगा, कितने में साइन करेगा, उसमे से कितना BCCई को मिलेगा, कितना नहीं.. कौनसा प्लेयर बात पे कौनसा स्टिकर लगाएगा, कौनसा स्पॉन्सर टी-शर्ट के स्लीव पे रहेगा, कौनसा साइड में, यह सब बातें अब ज़्यादा देखी जाती है.. यह तो हुई बिज़्नेस की बात, अब अगर बात की जाए खेल की, तो क्रिकेट अब एक मज़ाक बन चुका है... लोगों को लगता है क्रिकेट मैदान पे खड़े हुए 11 प्लेयर्स खेल रहे हैं, लेकिन असलियत कोई नहीं जानता... एक फोन पे सब तय होता है.. कौनसा प्लेयर कब बॅटिंग करने आएगा, कौनसा प्लेयर इंजूर्ड होके आउट रहेगा, कौनसा प्लेयर कितने रन पे आउट होगा, कैसे आउट होगा, कौनसा बोलर ओवर डालेगा, कौनसा नहीं... यह सब तय होता है, और यह सब डिसाइड होता है किसपे कितने पैसे लगे हैं उस हिसाब से.. जिसपे जितने ज़्यादा पैसे, उसको उतनी जल्दी आउट होने को कहा जाता है... काफ़ी बार हमे सामने वाले को जीतवाना भी पड़ता है,
इसलिए जिस दिन जुआरी जीते, समझ लो उसके अगले 10 दिन तक वो आपको पैसे देता रहेगा.... हारा हुआ जुआरी डबल खेलता है यह बात हमेशा याद रखी जाती है....... राजवीर और रिकी विक्रम के ऑफीस में बैठे थे, जो नाम के लिए तो एक कन्स्ट्रक्षन कंपनी थी, लेकिन बस नाम की ही थी... रिकी राजवीर की बातों को ध्यान से सुन रहा था, समझने की कोशिश कर रहा था, लेकिन राजवीर की बात ख़तम होते ही रिकी को शायद कुछ समझ नहीं आया, तभी जैसे उसकी आँखें पढ़ के राजवीर ने फिर कहा
"तुम्हे क्या लगता है, हर वर्ल्ड कप में इंडिया पाकिस्तान की मॅच सनडे को ही क्यूँ होती है, क्यूँ कि उस दिन देश का हर क्रिकेट प्रेमी जो अब हद्द पार करके चूतिया बन चुका है, वो 10 घंटे टीवी के सामने बैठा रहेगा, जितने ज़्यादा लोग टीवी देखेंगे, उतनी ज़्यादा ऐड्स बिकेगी. जितनी ज़्यादा व्यूअरशिप उतने ज़्यादा एड के पैसे, जितने ज़्यादा एड के पैसे, उतना ज़्यादा चॅनेल की कमाई और उतना ही मुनाफ़ा BCCई का.. हां दिखाने के लिए शेड्यूल इक रिलीस करेगी, लेकिन ईCC में जब अपना ही बंदा चेर्मन बन के बैठे, तब और क्या उम्मीद कर सकते हैं आप.... " राजवीर ने अपने लिए एक सिगरेट जला के कहा
"लेकिन चाचू, यह सब कैसे.. आइ मीन कोई खिलाड़ी ऐसे कैसे करेगा... " रिकी अभी भी कन्विन्स्ड नहीं लग रहा था...
"रिकी, कभी भी तुम मॅच अब्ज़र्व करना... जब भी बॅटिंग वाला प्लेयर बहुत अच्छा खेल रहा हो, और ऐसा लगे मॅच जिता देगा, उस वक़्त किसी भी बहाने , ग्लव्स चेंज करने या बात बदलने के बहाने या पानी के बहाने ड्रेसिंग रूम की ओर इशारा करता है... उस वक़्त से लेके सिर्फ़ दो ओवर्स वेट करो, वो सेट बॅट्स्मन आउट होके ही रहेगा...." राजवीर ने रिकी से कहा और उसे कन्विन्स करने के लिए एक सीडी दिखाई जिसमे कुछ साल पहले की इंडिया पाक मॅच थी , जिसमे राजवीर ने जैसे कहा वैसे ही हुआ... ऐसी कयि सारी रेकॉर्डिंग्स थी राजवीर के पास..
"देख लो, यह सब तुम्हे कन्विन्स करने के लिए काफ़ी है.." राजवीर ने उसके हाथ में एक बंड्ल पकड़ाते हुए कहा.. सीडी'स लेके जब रिकी कुछ नहीं बोला तब राजवीर ने फिर कहा
"एशियन टीम्स की मॅचस लाइक इंड पाक लंका और बांग्ला... और आफ्रिका की मॅचस, इन सब में सबसे ज़्यादा पैसा लगता है.. हां काफ़ी चीज़ें पहले तय होती है वैसे ही करनी पड़ती है, लेकिन कई बार सिचुयेशन के हिसाब से डिसिशन बदलने भी पड़ते हैं, उसमे हमे टीम मॅनेजर और कोच काम आता है..." राजवीर ने जैसे ही मॅनेजर और कोच का नाम लिया वैसे रिकी की आँखें बड़ी हो गयी.. रिकी को यकीन नहीं हो रहा था कि यह लेवेल तक टीम के बन्दो का इन्वॉल्व्मेंट है....
"और चाचू आइपीएल..." रिकी ने बस इतना ही पूछा
"हाहः, मज़ाक करने के लिए BCCई के अपने बंदे ने अपना दिमाग़ चलाया, लंडन में पढ़ा लिखा बिज़्नेस टिकून का लड़का, एक दिन शाम को मॅनचेस्टर सिटी के स्टेडियम के बाहर से जा रहा था, कि तभी उसकी नज़र सामने बोर्ड पे गयी.... एपीएल मॅच मॅन युनाइटेड स्ट्रीट आस्टन विला.... कुछ देर वहीं खड़े रहके कुछ सोचा, घर आके एपीएल के कॉन्सेप्ट को क्रिकेट में डाला, और उसे आइपीएल का नाम दे दिया... आइपीएल सिर्फ़ स्पॉन्सरशिप पे चलती है, ओनर्स के दो नंबर के पैसों का हिसाब रखना मुश्किल है , इसलिए वो लोग आइपीएल में आए हैं.... आइपीएल में टॉस के विन्नर से लेके, कौनसा प्लेयर कौनसी जर्ज़ी पहनेगा इन सब पे पैसा लगता है.. यह कोयिन्सिडेन्स नहीं हो सकता रिकी, कि पूरे सीज़न में एक वेस्ट इंडीस का हप्सी प्लेयर 100-100 रन बनाता है, अपने नाम से स्टोर्म लाता है, और हर बड़ी क्रूशियल मॅच में वो फैल होता है.. पूरा सीज़न उसका पैसा बढ़ता है, पूरी सीज़न हम उसको खेलने के लिए कहते हैं, और फाइनल में जब सबसे ज़्यादा पैसा उसपे लगता है, तब हम अपना काम शुरू करते हैं... यह रही इस बात को साबित करने वाली सीडी'स" राजवीर ने दूसरी सीडी'स का बॉक्स देके कहा
"पर चाचू, हम इनसे मिलते कैसे हैं... आइ मीन हमारा नंबर या ऐसा कुछ कभी ट्रेस नहीं होता.." रिकी ने फिर सीडी लेके सवाल पूछा
"हां कई बार हुआ है, इसलिए हमें और इपल् ओनर्स को सिम कार्ड्स BCCई देती है, जब मैं किसी ओनर से बात कर रहा हूँ, तब रेकॉर्ड्स के हिसाब से BCCई ऑफीसर दूसरे BCCई ऑफीसर से बात कर रहा है... ड्रेसिंग रूम के आस पास तक नहीं जाते और हमारा काम हो जाता है, और हर इपल् से पहले इंडिया की एक विदेशी टूर रहती है, वहाँ मीटिंग भी करते हैं, वहाँ मीडीया थोड़ा सा लो रहता है तो हमे अच्छा चान्स मिलता है..." राजवीर की बातें सुन रिकी खामोश हो गया था... उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे, अमर को दी हुई ज़बान उसे बार बार याद आ रही थी, लेकिन यह काम में ख़तरा ही ख़तरा था
"ज़्यादा सोचो नहीं रिकी, यूआर एनीवे शॉर्ट ऑफ ऑप्षन्स.. आइ मीन नो ऑप्षन्स, अब भाई साब से कह चुके हो तुम यह काम करोगे, सो वेलकम टू दा क्लब..." राजवीर ने उसे एक फोन पकड़ते हुए कहा, रिकी ने चुपचाप वो फोन ले लिया और उसे जेब में रख दिया... तुम जब कहो तब से शुरू कर सकते हो, अब से मेरे साथ बात करने के लिए इस फोन से कॉल करना..." राजवीर ने अपना फ़ैसला सुनाया और वहाँ से निकल गया रिकी को पीछे छोड़, जिसके मन में कई सवाल थे, लेकिन सवालों से ज़्यादा था यह ख़याल के वो अब ग़लत काम करने वाला है.. ऐसा काम जिसे हराम कहाँ जाता है बाहर की दुनिया में, जुआरी... जुआरी शब्द से बार बार रिकी के दिल में एक नफ़रत की आँधी आ जाती , लेकिन अब वो कुछ नहीं कर सकता था.. अगर वो अमर से मना करेगा तो अमर का दिल दुख सकता है और अगर नहीं करेगा तो रोज़ घुट घुट के जाएगा, रोज़ खुद को जुआरी बना देख जीएगा... कॅबिन में विकी की फोटो देख रिकी ने अपने कालजे को मज़बूत किया और फ़ैसला कर लिया...
"करना तो पड़ेगा ही, अब अगर मैं नहीं करूँगा तो शीना थोड़ी करेगी.." रिकी ने खुद से कहा और तुरंत ही उसे ख़याल आया के शीना से बात करनी चाहिए इस मामले में.. वो तुरंत वहाँ से निकला और शीना को फोन करके कोलाबा स्टार बक्स बुला लिया...
"इतना अर्जेंट क्या आ गया अब... आप इतने परेशान क्यूँ हैं..." शीना ने रिकी के पास बैठ के कहा
"पहले तुम बताओ, क्या था सुबह को जो इतनी परेशान थी.." रिकी ने शीना का हाथ पकड़ के कहा...
"नतिंग, मेरी फरन्ड है, मैने उससे काफ़ी टाइम से बात नहीं की थी, लेकिन अब उसका फोन नहीं लग रहा काफ़ी टाइम से, उसके घर पे देख के आई, लेकिन कहीं कोई पता नहीं, इसलिए थोड़ी सी परेशान थी.. लेकिन अभी मेरी बात हुई, तो आइएम फीलिंग बेटर.." शीना ने बड़े ही नॉर्मल लिहाज़ में जवाब दिया और झूठ बोली, लेकिन रिकी जानता था कि वो झूठ बोल रही है क्यूँ कि इस बात के लिए शीना परेशान हो वो ऐसी नहीं थी.. फिलहाल बहेस करने के मूड में नहीं था रिकी इसलिए उसने उसकी बात मान ली
"अब आप बताइए, क्या हुआ..." शीना ने अपने हाथ को उपर लाके रिकी पे रखा.. रिकी ने उसे सब बातें बता दी, जो सुबह से उसने देखा था, जो राजवीर ने कही... रिकी की बात सुन पहले तो शीना को समझ नही आया, लेकिन जब धीरे धीरे बात उसके भेजे में उतरी, तब उसकी आँखें बड़ी होती चली गयी और मूह धीरे धीरे खुलने लगा
"ओह माइ गॉड... यू मीन,... ऑल दिस मनी.." शीना ने बस इतना ही कहा के रिकी ने उसे टोक दिया
"यस, ऑल दिस ईज़ ब्लॅक..." रिकी ने इतना कहा और दोनो कुछ देर वहीं बैठे रहे
"क्या बात है आज कल रिकी को खूब अब्ज़र्व कर रही हो हाँ.." स्नेहा ने ज्योति से कहा, दोनो इस वक़्त स्नेहा के कमरे में बैठे थे और बातें कर रहे थे
"नहीं भाभी ऐसी कोई बात नहीं है, इट वाज़ जस्ट..." ज्योति ने इतना ही कहा कि फिर स्नेहा टोक के बोली
"या या आइ नो यूआर जस्ट.... खैर, फिलहाल चुप रहो, तुम्हे तुम्हारे इस सवाल का जवाब मिलेगा, अभी दिमाग़ में कुछ भी ख़याल नहीं लाना, अभी बस दिमाग़ को ठंडा रखो, जितना ज़्यादा चलाओगी, उतनी ज़्यादा तक जाओगी.. बेहतर रहेगा तुम चिल मारो, तुम्हारे हर सवाल का जवाब तुम्हे ज़रूर मिलेगा, बस सही वक़्त आने दो..." स्नेहा ने जवाब में कहा और ज्योति फिर खामोश रही... अपने दिमाग़ को काबू करने की कोशिश कर रही थी और काफ़ी हद तक इसमे कामयाब भी हो रही थी, जब से स्नेहा ने उसे समझाया था, तब से ज्योति जैसे बच्चों की तरह उसकी बात को मानती...
"अच्छा अब यह तो बता, गोआ में क्या मज़े किए मेरी बिल्लो रानी..." स्नेहा ने एक ही पल में अपने हाथ को आगे बढ़ाया और शीना के चुचों को हल्के से मसल के वापस हाथ खींच लिया, स्नेहा की इस हरकत से ज्योति अचंभित रह गयी लेकिन गोआ के ख़यालों में चली गयी
"ज्योति.. ज्योति, व्हेअर आर यू..." कहके राजवीर जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा खोल के बाहर निकला , सामने ज्योति को देख उसकी आँखें दंग रह गयी, दिमाग़ जैसे फटने को था... उसे विश्वास नहीं हो रहा था सामने ज्योति को देख
"सॉरी डॅड, स्विम्मिंग करके काफ़ी थक चुकी थी... इसलिए ऐसे ही सोफा पे लेट गयी, जस्ट तो स्ट्रेच आउट.."
ज्योति ने राजवीर की आँखों में देखा और उसी पल नज़र नीची करके राजवीर के बाथिंग गाउन में दिख रहे तंबू को घूर्ने लगी और हल्के से निचले होंठ पे आनी ज़बान फेरने लगी.. राजवीर को समझ नहीं आ रहा था के यह सब वो ऐसा क्यूँ कर रही है... लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और सामने जाके बैठ गया जिससे ज्योति को ना दिखे के उसका लंड अपनी ही बेटी को देख के तूफान मचा रहा है....
"डॅड... क्या मैं आपके साथ स्कॉच ले सकती हूँ..." ज्योति ने सोफे पर से खड़े होके कहा और अपने नंगे जिस्म के हिस्सों के दर्शन करवाने लगी राजवीर को, राजवीर बेचारा कुछ नहीं बोला और बस हां में गर्दन हिला दी... सोफे से लेके बार तक ज्योति गान्ड थिरका थिरका के गयी और राजवीर की नज़रें उसके चुतड़ों पे ही जमी रही...
"चियर्स डॅड...." ज्योति ने अपने और अपने बाप के लिए पेग बनाते हुए कहा.. राजवीर को लगा दो स्कॉच जाएगी अंदर और उसे थोड़ी हिम्मत आएगी ज्योति से बात करने की.. इसलिए एक ही झटके में अपने पेग को ख़तम किया और दूसरे का इशारा कर दिया ज्योति से... दो, तीन चार... चार पेग नीट लेने के बाद राजवीर का कलेजा जल रहा था, लेकिन अब उसे वो हिम्मत आ गयी थी जो उसे चाहिए थी ज्योति से बात करने के लिए
"ज्योति... यह जो भी कर रही हो तुम ग़लत कर रही हो... आंड आइ आम नोट अप्रूविंग दिस ओके.." राजवीर ने सीधी मुद्दे की बात कही, ज्योति समझ गयी कि वो क्या कह रहा है लेकिन फिर भी उसने अंजान बनने की कोशिश की
"नो, डॉन'ट आक्ट ओके.. यू वेरी वेल नो व्हाट आइ मीन... मैं ऐसे कुछ ख़यालों को हवा नहीं देने वाला समझी, बेटर यू गेट इट स्ट्रेट आंड स्टॉप दिस नॉनसेन्स राइट नाउ..." राजवीर ने गुस्से में कहा और इस बार अपने लिए एक और पेग बनाया और फिर एक ही झटके में गटक गया.. ज्योति समझ गयी अब कोई फ़ायदा नहीं है अंजान बनने का इसलिए वो भी सीधी बैठी और जवाब दिया
"क्यू नहीं कर सकते, इसमे ग़लत क्या है... अगर घर के बाहर भी मैं अपनी जवानी के मज़े नहीं ले सकती, और घर के अंदर भी नहीं. तो फिर क्या करूँ, जाने दूं ऐसे ही मेरी जवानी को, शादी कर के बैठ जाउ किसी की बहू बन के, ताके फिर किसी के भी कहने पे एक रिमोट कंट्रोल की तरह चलूं.. नहीं डॅड, मैं ऐसा नहीं करूँगी... मुझे जवानी के मज़े लूटने हैं, समझे आप... मैं यूही यह वक़्त ज़ाया नहीं करना चाहती, आइ वॉंट टू हॅव सम फन इन लाइफ नाउ.. बहुत जी ली मैं घर की चार दीवारों में, आप फ़ैसला कीजिए, अब घर की चार दीवारों के अंदर मुझे मज़े मिलेंगे या घर के बाहर.. मैं अब नहीं रहने वाली किसी और के हिसाब से.." ज्योति ने भी एक ही साँस में अपनी भडास निकालना शुरू की और अपने लिए खुद एक पेग बनाया और नीट मार दिया... ज्योति की बात सुन राजवीर को यकीन नहीं हो रहा था वो क्या कह रही है, कभी उसने ऐसा नहीं सोचा था कि ज्योति के अंदर ऐसे ख़याल पैदा होंगे, लेकिन उसने बात को संभालने की कोशिश की, क्यूँ कि वो जानता था गुस्से से बात और बिगड़ सकती है..
"देखो बच्चे, यह चीज़ सही है तुम्हारी, मैं जानता हूँ काफ़ी पाबंदी है तुम पे, लेकिन उसका मतलब यह नहीं कि तुम ऐसी बातें दिल में लाओ, और बाप बेटी की मर्यादा का उलंघन करो.." राजवीर ने ठंडे स्वाभाव में कहा
"यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी डॅड जब आपने अपने ही भाई की बीवी के साथ संबंध बनाया था, यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी जब अपनी भाभी के साथ बिस्तर गरम किया था, यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी जब आप उस रात को अपनी ही भाभी की फोटो देख के लंड हिला रहे थे, यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी जब उस रात को भाभी को उन्ही के कमरे में चोदने गये थे... कहाँ थी यह मर्यादा डॅड जब आपने यह सब किया था..." ज्योति अब जितनी अंदर से जल रही थी, उतनी ही आग अपने मूह से उगल रही थी.. राजवीर के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी थी, उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ज्योति ऐसे शब्दो का प्रयोग भी कर सकती है, लेकिन साथ ही साथ वो यह सोचने लग गया कि उसे सुहसनी के बारे में कैसे पता चला.... राजवीर ने सोचा ही था कि वो ज्योति को ग़लत कह के बात को दबाने की कोशिश करे, उसी वक़्त ज्योति ने फिर ऐसी बात कही जिससे सुन राजवीर के शरीर से
जैसे जान ही निकल गयी, वो बैठे बैठे वहीं मर गया हो..
"वैसे भी क्या फरक पड़ेगा डॅड, कौनसी मैं आपकी सग़ी बेटी हूँ... एक अनाथ ही तो हूँ, खून का रिश्ता ना आपका अपनी भाभी से है, ना ही मुझसे.. जब अपनी भाभी के साथ बिस्तर गरम कर सकते हो तो मेरे साथ क्यूँ नहीं, वो भी मेरी मर्ज़ी के होते हुए भी.." ज्योति की यह बात सुन राजवीर बिना कुछ सोच के खड़ा हुआ और जाके एक तमाचा रिस दिया ज्योति के गालों पे... तमाचा इतना ज़ोर का था के ज्योति के सफेद चेहरे पे राजवीर की पाँचों उंगलियों के निशान देखे जा सकते था....
"स्टे इन युवर लिमिट्स... वी आर गोयिंग बॅक नाउ..." कहके राजवीर वहाँ से अपना समान पॅक करने निकल गया
इसलिए जिस दिन जुआरी जीते, समझ लो उसके अगले 10 दिन तक वो आपको पैसे देता रहेगा.... हारा हुआ जुआरी डबल खेलता है यह बात हमेशा याद रखी जाती है....... राजवीर और रिकी विक्रम के ऑफीस में बैठे थे, जो नाम के लिए तो एक कन्स्ट्रक्षन कंपनी थी, लेकिन बस नाम की ही थी... रिकी राजवीर की बातों को ध्यान से सुन रहा था, समझने की कोशिश कर रहा था, लेकिन राजवीर की बात ख़तम होते ही रिकी को शायद कुछ समझ नहीं आया, तभी जैसे उसकी आँखें पढ़ के राजवीर ने फिर कहा
"तुम्हे क्या लगता है, हर वर्ल्ड कप में इंडिया पाकिस्तान की मॅच सनडे को ही क्यूँ होती है, क्यूँ कि उस दिन देश का हर क्रिकेट प्रेमी जो अब हद्द पार करके चूतिया बन चुका है, वो 10 घंटे टीवी के सामने बैठा रहेगा, जितने ज़्यादा लोग टीवी देखेंगे, उतनी ज़्यादा ऐड्स बिकेगी. जितनी ज़्यादा व्यूअरशिप उतने ज़्यादा एड के पैसे, जितने ज़्यादा एड के पैसे, उतना ज़्यादा चॅनेल की कमाई और उतना ही मुनाफ़ा BCCई का.. हां दिखाने के लिए शेड्यूल इक रिलीस करेगी, लेकिन ईCC में जब अपना ही बंदा चेर्मन बन के बैठे, तब और क्या उम्मीद कर सकते हैं आप.... " राजवीर ने अपने लिए एक सिगरेट जला के कहा
"लेकिन चाचू, यह सब कैसे.. आइ मीन कोई खिलाड़ी ऐसे कैसे करेगा... " रिकी अभी भी कन्विन्स्ड नहीं लग रहा था...
"रिकी, कभी भी तुम मॅच अब्ज़र्व करना... जब भी बॅटिंग वाला प्लेयर बहुत अच्छा खेल रहा हो, और ऐसा लगे मॅच जिता देगा, उस वक़्त किसी भी बहाने , ग्लव्स चेंज करने या बात बदलने के बहाने या पानी के बहाने ड्रेसिंग रूम की ओर इशारा करता है... उस वक़्त से लेके सिर्फ़ दो ओवर्स वेट करो, वो सेट बॅट्स्मन आउट होके ही रहेगा...." राजवीर ने रिकी से कहा और उसे कन्विन्स करने के लिए एक सीडी दिखाई जिसमे कुछ साल पहले की इंडिया पाक मॅच थी , जिसमे राजवीर ने जैसे कहा वैसे ही हुआ... ऐसी कयि सारी रेकॉर्डिंग्स थी राजवीर के पास..
"देख लो, यह सब तुम्हे कन्विन्स करने के लिए काफ़ी है.." राजवीर ने उसके हाथ में एक बंड्ल पकड़ाते हुए कहा.. सीडी'स लेके जब रिकी कुछ नहीं बोला तब राजवीर ने फिर कहा
"एशियन टीम्स की मॅचस लाइक इंड पाक लंका और बांग्ला... और आफ्रिका की मॅचस, इन सब में सबसे ज़्यादा पैसा लगता है.. हां काफ़ी चीज़ें पहले तय होती है वैसे ही करनी पड़ती है, लेकिन कई बार सिचुयेशन के हिसाब से डिसिशन बदलने भी पड़ते हैं, उसमे हमे टीम मॅनेजर और कोच काम आता है..." राजवीर ने जैसे ही मॅनेजर और कोच का नाम लिया वैसे रिकी की आँखें बड़ी हो गयी.. रिकी को यकीन नहीं हो रहा था कि यह लेवेल तक टीम के बन्दो का इन्वॉल्व्मेंट है....
"और चाचू आइपीएल..." रिकी ने बस इतना ही पूछा
"हाहः, मज़ाक करने के लिए BCCई के अपने बंदे ने अपना दिमाग़ चलाया, लंडन में पढ़ा लिखा बिज़्नेस टिकून का लड़का, एक दिन शाम को मॅनचेस्टर सिटी के स्टेडियम के बाहर से जा रहा था, कि तभी उसकी नज़र सामने बोर्ड पे गयी.... एपीएल मॅच मॅन युनाइटेड स्ट्रीट आस्टन विला.... कुछ देर वहीं खड़े रहके कुछ सोचा, घर आके एपीएल के कॉन्सेप्ट को क्रिकेट में डाला, और उसे आइपीएल का नाम दे दिया... आइपीएल सिर्फ़ स्पॉन्सरशिप पे चलती है, ओनर्स के दो नंबर के पैसों का हिसाब रखना मुश्किल है , इसलिए वो लोग आइपीएल में आए हैं.... आइपीएल में टॉस के विन्नर से लेके, कौनसा प्लेयर कौनसी जर्ज़ी पहनेगा इन सब पे पैसा लगता है.. यह कोयिन्सिडेन्स नहीं हो सकता रिकी, कि पूरे सीज़न में एक वेस्ट इंडीस का हप्सी प्लेयर 100-100 रन बनाता है, अपने नाम से स्टोर्म लाता है, और हर बड़ी क्रूशियल मॅच में वो फैल होता है.. पूरा सीज़न उसका पैसा बढ़ता है, पूरी सीज़न हम उसको खेलने के लिए कहते हैं, और फाइनल में जब सबसे ज़्यादा पैसा उसपे लगता है, तब हम अपना काम शुरू करते हैं... यह रही इस बात को साबित करने वाली सीडी'स" राजवीर ने दूसरी सीडी'स का बॉक्स देके कहा
"पर चाचू, हम इनसे मिलते कैसे हैं... आइ मीन हमारा नंबर या ऐसा कुछ कभी ट्रेस नहीं होता.." रिकी ने फिर सीडी लेके सवाल पूछा
"हां कई बार हुआ है, इसलिए हमें और इपल् ओनर्स को सिम कार्ड्स BCCई देती है, जब मैं किसी ओनर से बात कर रहा हूँ, तब रेकॉर्ड्स के हिसाब से BCCई ऑफीसर दूसरे BCCई ऑफीसर से बात कर रहा है... ड्रेसिंग रूम के आस पास तक नहीं जाते और हमारा काम हो जाता है, और हर इपल् से पहले इंडिया की एक विदेशी टूर रहती है, वहाँ मीटिंग भी करते हैं, वहाँ मीडीया थोड़ा सा लो रहता है तो हमे अच्छा चान्स मिलता है..." राजवीर की बातें सुन रिकी खामोश हो गया था... उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे, अमर को दी हुई ज़बान उसे बार बार याद आ रही थी, लेकिन यह काम में ख़तरा ही ख़तरा था
"ज़्यादा सोचो नहीं रिकी, यूआर एनीवे शॉर्ट ऑफ ऑप्षन्स.. आइ मीन नो ऑप्षन्स, अब भाई साब से कह चुके हो तुम यह काम करोगे, सो वेलकम टू दा क्लब..." राजवीर ने उसे एक फोन पकड़ते हुए कहा, रिकी ने चुपचाप वो फोन ले लिया और उसे जेब में रख दिया... तुम जब कहो तब से शुरू कर सकते हो, अब से मेरे साथ बात करने के लिए इस फोन से कॉल करना..." राजवीर ने अपना फ़ैसला सुनाया और वहाँ से निकल गया रिकी को पीछे छोड़, जिसके मन में कई सवाल थे, लेकिन सवालों से ज़्यादा था यह ख़याल के वो अब ग़लत काम करने वाला है.. ऐसा काम जिसे हराम कहाँ जाता है बाहर की दुनिया में, जुआरी... जुआरी शब्द से बार बार रिकी के दिल में एक नफ़रत की आँधी आ जाती , लेकिन अब वो कुछ नहीं कर सकता था.. अगर वो अमर से मना करेगा तो अमर का दिल दुख सकता है और अगर नहीं करेगा तो रोज़ घुट घुट के जाएगा, रोज़ खुद को जुआरी बना देख जीएगा... कॅबिन में विकी की फोटो देख रिकी ने अपने कालजे को मज़बूत किया और फ़ैसला कर लिया...
"करना तो पड़ेगा ही, अब अगर मैं नहीं करूँगा तो शीना थोड़ी करेगी.." रिकी ने खुद से कहा और तुरंत ही उसे ख़याल आया के शीना से बात करनी चाहिए इस मामले में.. वो तुरंत वहाँ से निकला और शीना को फोन करके कोलाबा स्टार बक्स बुला लिया...
"इतना अर्जेंट क्या आ गया अब... आप इतने परेशान क्यूँ हैं..." शीना ने रिकी के पास बैठ के कहा
"पहले तुम बताओ, क्या था सुबह को जो इतनी परेशान थी.." रिकी ने शीना का हाथ पकड़ के कहा...
"नतिंग, मेरी फरन्ड है, मैने उससे काफ़ी टाइम से बात नहीं की थी, लेकिन अब उसका फोन नहीं लग रहा काफ़ी टाइम से, उसके घर पे देख के आई, लेकिन कहीं कोई पता नहीं, इसलिए थोड़ी सी परेशान थी.. लेकिन अभी मेरी बात हुई, तो आइएम फीलिंग बेटर.." शीना ने बड़े ही नॉर्मल लिहाज़ में जवाब दिया और झूठ बोली, लेकिन रिकी जानता था कि वो झूठ बोल रही है क्यूँ कि इस बात के लिए शीना परेशान हो वो ऐसी नहीं थी.. फिलहाल बहेस करने के मूड में नहीं था रिकी इसलिए उसने उसकी बात मान ली
"अब आप बताइए, क्या हुआ..." शीना ने अपने हाथ को उपर लाके रिकी पे रखा.. रिकी ने उसे सब बातें बता दी, जो सुबह से उसने देखा था, जो राजवीर ने कही... रिकी की बात सुन पहले तो शीना को समझ नही आया, लेकिन जब धीरे धीरे बात उसके भेजे में उतरी, तब उसकी आँखें बड़ी होती चली गयी और मूह धीरे धीरे खुलने लगा
"ओह माइ गॉड... यू मीन,... ऑल दिस मनी.." शीना ने बस इतना ही कहा के रिकी ने उसे टोक दिया
"यस, ऑल दिस ईज़ ब्लॅक..." रिकी ने इतना कहा और दोनो कुछ देर वहीं बैठे रहे
"क्या बात है आज कल रिकी को खूब अब्ज़र्व कर रही हो हाँ.." स्नेहा ने ज्योति से कहा, दोनो इस वक़्त स्नेहा के कमरे में बैठे थे और बातें कर रहे थे
"नहीं भाभी ऐसी कोई बात नहीं है, इट वाज़ जस्ट..." ज्योति ने इतना ही कहा कि फिर स्नेहा टोक के बोली
"या या आइ नो यूआर जस्ट.... खैर, फिलहाल चुप रहो, तुम्हे तुम्हारे इस सवाल का जवाब मिलेगा, अभी दिमाग़ में कुछ भी ख़याल नहीं लाना, अभी बस दिमाग़ को ठंडा रखो, जितना ज़्यादा चलाओगी, उतनी ज़्यादा तक जाओगी.. बेहतर रहेगा तुम चिल मारो, तुम्हारे हर सवाल का जवाब तुम्हे ज़रूर मिलेगा, बस सही वक़्त आने दो..." स्नेहा ने जवाब में कहा और ज्योति फिर खामोश रही... अपने दिमाग़ को काबू करने की कोशिश कर रही थी और काफ़ी हद तक इसमे कामयाब भी हो रही थी, जब से स्नेहा ने उसे समझाया था, तब से ज्योति जैसे बच्चों की तरह उसकी बात को मानती...
"अच्छा अब यह तो बता, गोआ में क्या मज़े किए मेरी बिल्लो रानी..." स्नेहा ने एक ही पल में अपने हाथ को आगे बढ़ाया और शीना के चुचों को हल्के से मसल के वापस हाथ खींच लिया, स्नेहा की इस हरकत से ज्योति अचंभित रह गयी लेकिन गोआ के ख़यालों में चली गयी
"ज्योति.. ज्योति, व्हेअर आर यू..." कहके राजवीर जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा खोल के बाहर निकला , सामने ज्योति को देख उसकी आँखें दंग रह गयी, दिमाग़ जैसे फटने को था... उसे विश्वास नहीं हो रहा था सामने ज्योति को देख
"सॉरी डॅड, स्विम्मिंग करके काफ़ी थक चुकी थी... इसलिए ऐसे ही सोफा पे लेट गयी, जस्ट तो स्ट्रेच आउट.."
ज्योति ने राजवीर की आँखों में देखा और उसी पल नज़र नीची करके राजवीर के बाथिंग गाउन में दिख रहे तंबू को घूर्ने लगी और हल्के से निचले होंठ पे आनी ज़बान फेरने लगी.. राजवीर को समझ नहीं आ रहा था के यह सब वो ऐसा क्यूँ कर रही है... लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और सामने जाके बैठ गया जिससे ज्योति को ना दिखे के उसका लंड अपनी ही बेटी को देख के तूफान मचा रहा है....
"डॅड... क्या मैं आपके साथ स्कॉच ले सकती हूँ..." ज्योति ने सोफे पर से खड़े होके कहा और अपने नंगे जिस्म के हिस्सों के दर्शन करवाने लगी राजवीर को, राजवीर बेचारा कुछ नहीं बोला और बस हां में गर्दन हिला दी... सोफे से लेके बार तक ज्योति गान्ड थिरका थिरका के गयी और राजवीर की नज़रें उसके चुतड़ों पे ही जमी रही...
"चियर्स डॅड...." ज्योति ने अपने और अपने बाप के लिए पेग बनाते हुए कहा.. राजवीर को लगा दो स्कॉच जाएगी अंदर और उसे थोड़ी हिम्मत आएगी ज्योति से बात करने की.. इसलिए एक ही झटके में अपने पेग को ख़तम किया और दूसरे का इशारा कर दिया ज्योति से... दो, तीन चार... चार पेग नीट लेने के बाद राजवीर का कलेजा जल रहा था, लेकिन अब उसे वो हिम्मत आ गयी थी जो उसे चाहिए थी ज्योति से बात करने के लिए
"ज्योति... यह जो भी कर रही हो तुम ग़लत कर रही हो... आंड आइ आम नोट अप्रूविंग दिस ओके.." राजवीर ने सीधी मुद्दे की बात कही, ज्योति समझ गयी कि वो क्या कह रहा है लेकिन फिर भी उसने अंजान बनने की कोशिश की
"नो, डॉन'ट आक्ट ओके.. यू वेरी वेल नो व्हाट आइ मीन... मैं ऐसे कुछ ख़यालों को हवा नहीं देने वाला समझी, बेटर यू गेट इट स्ट्रेट आंड स्टॉप दिस नॉनसेन्स राइट नाउ..." राजवीर ने गुस्से में कहा और इस बार अपने लिए एक और पेग बनाया और फिर एक ही झटके में गटक गया.. ज्योति समझ गयी अब कोई फ़ायदा नहीं है अंजान बनने का इसलिए वो भी सीधी बैठी और जवाब दिया
"क्यू नहीं कर सकते, इसमे ग़लत क्या है... अगर घर के बाहर भी मैं अपनी जवानी के मज़े नहीं ले सकती, और घर के अंदर भी नहीं. तो फिर क्या करूँ, जाने दूं ऐसे ही मेरी जवानी को, शादी कर के बैठ जाउ किसी की बहू बन के, ताके फिर किसी के भी कहने पे एक रिमोट कंट्रोल की तरह चलूं.. नहीं डॅड, मैं ऐसा नहीं करूँगी... मुझे जवानी के मज़े लूटने हैं, समझे आप... मैं यूही यह वक़्त ज़ाया नहीं करना चाहती, आइ वॉंट टू हॅव सम फन इन लाइफ नाउ.. बहुत जी ली मैं घर की चार दीवारों में, आप फ़ैसला कीजिए, अब घर की चार दीवारों के अंदर मुझे मज़े मिलेंगे या घर के बाहर.. मैं अब नहीं रहने वाली किसी और के हिसाब से.." ज्योति ने भी एक ही साँस में अपनी भडास निकालना शुरू की और अपने लिए खुद एक पेग बनाया और नीट मार दिया... ज्योति की बात सुन राजवीर को यकीन नहीं हो रहा था वो क्या कह रही है, कभी उसने ऐसा नहीं सोचा था कि ज्योति के अंदर ऐसे ख़याल पैदा होंगे, लेकिन उसने बात को संभालने की कोशिश की, क्यूँ कि वो जानता था गुस्से से बात और बिगड़ सकती है..
"देखो बच्चे, यह चीज़ सही है तुम्हारी, मैं जानता हूँ काफ़ी पाबंदी है तुम पे, लेकिन उसका मतलब यह नहीं कि तुम ऐसी बातें दिल में लाओ, और बाप बेटी की मर्यादा का उलंघन करो.." राजवीर ने ठंडे स्वाभाव में कहा
"यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी डॅड जब आपने अपने ही भाई की बीवी के साथ संबंध बनाया था, यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी जब अपनी भाभी के साथ बिस्तर गरम किया था, यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी जब आप उस रात को अपनी ही भाभी की फोटो देख के लंड हिला रहे थे, यह मर्यादा उस वक़्त कहाँ थी जब उस रात को भाभी को उन्ही के कमरे में चोदने गये थे... कहाँ थी यह मर्यादा डॅड जब आपने यह सब किया था..." ज्योति अब जितनी अंदर से जल रही थी, उतनी ही आग अपने मूह से उगल रही थी.. राजवीर के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी थी, उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ज्योति ऐसे शब्दो का प्रयोग भी कर सकती है, लेकिन साथ ही साथ वो यह सोचने लग गया कि उसे सुहसनी के बारे में कैसे पता चला.... राजवीर ने सोचा ही था कि वो ज्योति को ग़लत कह के बात को दबाने की कोशिश करे, उसी वक़्त ज्योति ने फिर ऐसी बात कही जिससे सुन राजवीर के शरीर से
जैसे जान ही निकल गयी, वो बैठे बैठे वहीं मर गया हो..
"वैसे भी क्या फरक पड़ेगा डॅड, कौनसी मैं आपकी सग़ी बेटी हूँ... एक अनाथ ही तो हूँ, खून का रिश्ता ना आपका अपनी भाभी से है, ना ही मुझसे.. जब अपनी भाभी के साथ बिस्तर गरम कर सकते हो तो मेरे साथ क्यूँ नहीं, वो भी मेरी मर्ज़ी के होते हुए भी.." ज्योति की यह बात सुन राजवीर बिना कुछ सोच के खड़ा हुआ और जाके एक तमाचा रिस दिया ज्योति के गालों पे... तमाचा इतना ज़ोर का था के ज्योति के सफेद चेहरे पे राजवीर की पाँचों उंगलियों के निशान देखे जा सकते था....
"स्टे इन युवर लिमिट्स... वी आर गोयिंग बॅक नाउ..." कहके राजवीर वहाँ से अपना समान पॅक करने निकल गया