hotaks444
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"हां..क्या, सॉरी... आइ वाज़ जस्ट.." ज्योति ने अपने सर पे हाथ रख के कहा
"आइ नो.. यू हॅव आ सीट.." रिकी ने उसे बीच में टोकते हुए कहा
"आओ, बहना.. बैठो..." शीना ने हँस के कहा, लेकिन इससे जब रिकी और ज्योति को स्माइल नहीं आई, तो वो स्थिति को समझी और खामोश रही
"अब बताओ..व्हाट'स रॉंग.." रिकी ने ज्योति को शीना के पास बिठा के कहा और खुद भी नीचे बैठ गया
"भैया.. आक्च्युयली.." ज्योति असमंजस में थी कि वो रिकी को स्नेहा के बारे में बताए कि नहीं, लेकिन अब जब रिकी ने समझ लिया था तो उसके पास कोई ऑप्षन नहीं था
"हां.... आक्च्युयली... फिर आगे.." रिकी ने सीरीयस टोन में कहा
"अभी मैं स्नेहा भाभी के रूम में थी और वो...." ज्योति ने उन दोनो को सब बताया जो उसने देखा
"तो इसमे तुम क्यूँ परेशान हो रही हो..." रिकी ने हल्के से हँस के कहा, लेकिन वो भी जानना चाहता था कि अचानक स्नेहा को ऐसा क्या हुआ
"भैया, वो बस ऐसे ही...."
"अरे यार, इतनी छोटी बात में परेशानी ना ले, और ना दे... वो देख लेगी खुद... अब चलो खाने, आम वेरी हंग्री.. कितने दिनो का क्लियर सूप पिया, आज जाके अपना फेव खाना खाउन्गी.. चलो अब, जल्दी से.." शीना ने ज्योति का हाथ पकड़ा और उसे बाहर ले जाने लगी...
"अब आप चलोगे कि नहीं.." शीना ने गेट पे रुक रिकी से पूछा
"मूव अहेड.. मैं फ्रेश होके आता हूँ..."
"ओके..कम सून, चलो बहना मेरी... तू भी ना.." शीना ज्योति से बतियाते बतियाते नीचे जाने लगी..
"हेलो..." रिकी ने फोन घुमा के कहा
"मैं जानता हूँ स्नेहा रो रही थी..उसका कारण यह है..." सामने से जवाब मिला और बताने लगा...
"हेलो डॅड...हेलो पीपल...." शीना ने टेबल पे पहुँच के कहा और सब से मुस्कुराने लगी..
"ओह हो... आज बड़ी खुश लग रही हो बच्ची... सदा मुस्कुराती रहो.." अमर ने शीना को गले लगाते हुए कहा
"रिकी कहाँ है शीना.." सुहसनी ने शीना से पूछा ही था कि सामने से रिकी आता दिखा..
"लो.. शैतान जी आ गये... ऐसे धीरे धीरे ना चलो और जल्दी आओ.. खाना खिलाओ, आइ विल हॅव ऑल थिंग्स टुडे..हिहिहह" शीना ने हँस के कहा और सब आपस में बातें करने लगे...
ज्योति अभी भी परेशान थी, लेकिन वो अपनी मुस्कुराहट के तले अपनी चिंता दबाने की कोशिश कर रही थी.. रिकी भी काफ़ी हैरानी में था फोन पे बातें सुन, लेकिन अपने एमोशन्स को दबाना उसे काफ़ी अच्छे से आता था इसलिए वो शीना की बातों में उसका साथ बखूबी दे रहा था.. अमर के चेहरे पे, उसके ज़हेन में भी एक तनाव उमड़ रहा था, लेकिन उसका क्या कारण है कोई नहीं जानता... स्नेहा की परेशानी प्रेम की वजह से थी लेकिन टेबल पे काफ़ी खामोश बैठी थी, किसी से कोई बात नहीं, किसी से आँखें मिलाना नहीं.. सुहसनी और राजवीर आँखों ही आँखों में सबसे छुपते छुपाते इशारे बाज़ी कर रहे थे..
"इस अड्रेस पे ले लो जल्दी.." ज्योति ने टॅक्सी में बैठ ड्राइवर से कहा... खाना खाने के बाद सब लोग अपने अपने कमरे में सोने चले गये. लेकिन ज्योति कुछ ही देर में अंधेरा बढ़ते के साथ घर से बाहर आई और बाहर आके हाइयर्ड कॅब में बैठ के कहीं जाने लगी..
"आइ वॉंट टू गो ऑन आ ड्राइव.." शीना ने रिकी के कमरे में घुसते हुए कहा... रिकी बेड पे लेटे लेटे कुछ सोच रहा था तभी शीना अंदर आ गयी और उसका ध्यान टूटा..
"नाउ..." रिकी ने आँखें बड़ी कर पूछा
"यस.. आज, अभी.. आम वेटिंग.. कम ऑन.." शीना हुकुम देके कमरे से बाहर चली गयी.. रिकी ने गाड़ी की चाबी ली और दबे पावं नीचे जाके गॅरेज के पास पहुँचा..
"इधर क्यूँ खड़ी हो.. गाड़ी वहाँ है.." रिकी ने शीना के पीछे चिपक के कहा
"व्हाट..."
"यू ड्राइव युवर न्यू कार स्वीटहार्ट.. क्या मॉडेल है.. लॅमबर्गीनी.."
"लॅमबर्गीनी अस्टेरीओं कॉन्सेप्ट .. वन ऑफ दा ओन्ली फ्यू पीसस अवेयलाबल इन इंडिया..0-100 इन 5 सेकेंड्स.." शीना ने शॉक में आके कहा
"यस.. यही.. यू ड्राइव, आंड दिस बिलॉंग्स टू यू..." रिकी ने शीना को चाबी देते हुए कहा
"यू कॅन'ट बी,...."
"आइ कॅन बी.. इन फॅक्ट आइ आम सीरीयस... चलो ड्राइव करो.. आंड आराम नाल ओके..." रिकी ने शीना का माथा चूमते हुए कहा और गाड़ी की तरफ बढ़ गया..
"ईईईईईईईई...." शीना खुशी में चिल्लाई और जल्दी से जाके ड्राइवर सीट पे बैठ गयी
"सीट बेल्ट बांधो.. हम उड़ने वाले हैं... वववूओूऊऊ.." शीना ने रिकी से कहा और गाड़ी स्टार्ट करके घर से बाहर ले गयी..
"शीना.. गो स्लॉववव...." रिकी ने घबरा के कहा
"आइ आम फ्लईईंगगगग......" शीना ने फिर चिल्ला के कहा और गाड़ी की स्पीड बढ़ा के वॉरली सी लिंक की तरफ निकल ली..
"आइ नो.. यू हॅव आ सीट.." रिकी ने उसे बीच में टोकते हुए कहा
"आओ, बहना.. बैठो..." शीना ने हँस के कहा, लेकिन इससे जब रिकी और ज्योति को स्माइल नहीं आई, तो वो स्थिति को समझी और खामोश रही
"अब बताओ..व्हाट'स रॉंग.." रिकी ने ज्योति को शीना के पास बिठा के कहा और खुद भी नीचे बैठ गया
"भैया.. आक्च्युयली.." ज्योति असमंजस में थी कि वो रिकी को स्नेहा के बारे में बताए कि नहीं, लेकिन अब जब रिकी ने समझ लिया था तो उसके पास कोई ऑप्षन नहीं था
"हां.... आक्च्युयली... फिर आगे.." रिकी ने सीरीयस टोन में कहा
"अभी मैं स्नेहा भाभी के रूम में थी और वो...." ज्योति ने उन दोनो को सब बताया जो उसने देखा
"तो इसमे तुम क्यूँ परेशान हो रही हो..." रिकी ने हल्के से हँस के कहा, लेकिन वो भी जानना चाहता था कि अचानक स्नेहा को ऐसा क्या हुआ
"भैया, वो बस ऐसे ही...."
"अरे यार, इतनी छोटी बात में परेशानी ना ले, और ना दे... वो देख लेगी खुद... अब चलो खाने, आम वेरी हंग्री.. कितने दिनो का क्लियर सूप पिया, आज जाके अपना फेव खाना खाउन्गी.. चलो अब, जल्दी से.." शीना ने ज्योति का हाथ पकड़ा और उसे बाहर ले जाने लगी...
"अब आप चलोगे कि नहीं.." शीना ने गेट पे रुक रिकी से पूछा
"मूव अहेड.. मैं फ्रेश होके आता हूँ..."
"ओके..कम सून, चलो बहना मेरी... तू भी ना.." शीना ज्योति से बतियाते बतियाते नीचे जाने लगी..
"हेलो..." रिकी ने फोन घुमा के कहा
"मैं जानता हूँ स्नेहा रो रही थी..उसका कारण यह है..." सामने से जवाब मिला और बताने लगा...
"हेलो डॅड...हेलो पीपल...." शीना ने टेबल पे पहुँच के कहा और सब से मुस्कुराने लगी..
"ओह हो... आज बड़ी खुश लग रही हो बच्ची... सदा मुस्कुराती रहो.." अमर ने शीना को गले लगाते हुए कहा
"रिकी कहाँ है शीना.." सुहसनी ने शीना से पूछा ही था कि सामने से रिकी आता दिखा..
"लो.. शैतान जी आ गये... ऐसे धीरे धीरे ना चलो और जल्दी आओ.. खाना खिलाओ, आइ विल हॅव ऑल थिंग्स टुडे..हिहिहह" शीना ने हँस के कहा और सब आपस में बातें करने लगे...
ज्योति अभी भी परेशान थी, लेकिन वो अपनी मुस्कुराहट के तले अपनी चिंता दबाने की कोशिश कर रही थी.. रिकी भी काफ़ी हैरानी में था फोन पे बातें सुन, लेकिन अपने एमोशन्स को दबाना उसे काफ़ी अच्छे से आता था इसलिए वो शीना की बातों में उसका साथ बखूबी दे रहा था.. अमर के चेहरे पे, उसके ज़हेन में भी एक तनाव उमड़ रहा था, लेकिन उसका क्या कारण है कोई नहीं जानता... स्नेहा की परेशानी प्रेम की वजह से थी लेकिन टेबल पे काफ़ी खामोश बैठी थी, किसी से कोई बात नहीं, किसी से आँखें मिलाना नहीं.. सुहसनी और राजवीर आँखों ही आँखों में सबसे छुपते छुपाते इशारे बाज़ी कर रहे थे..
"इस अड्रेस पे ले लो जल्दी.." ज्योति ने टॅक्सी में बैठ ड्राइवर से कहा... खाना खाने के बाद सब लोग अपने अपने कमरे में सोने चले गये. लेकिन ज्योति कुछ ही देर में अंधेरा बढ़ते के साथ घर से बाहर आई और बाहर आके हाइयर्ड कॅब में बैठ के कहीं जाने लगी..
"आइ वॉंट टू गो ऑन आ ड्राइव.." शीना ने रिकी के कमरे में घुसते हुए कहा... रिकी बेड पे लेटे लेटे कुछ सोच रहा था तभी शीना अंदर आ गयी और उसका ध्यान टूटा..
"नाउ..." रिकी ने आँखें बड़ी कर पूछा
"यस.. आज, अभी.. आम वेटिंग.. कम ऑन.." शीना हुकुम देके कमरे से बाहर चली गयी.. रिकी ने गाड़ी की चाबी ली और दबे पावं नीचे जाके गॅरेज के पास पहुँचा..
"इधर क्यूँ खड़ी हो.. गाड़ी वहाँ है.." रिकी ने शीना के पीछे चिपक के कहा
"व्हाट..."
"यू ड्राइव युवर न्यू कार स्वीटहार्ट.. क्या मॉडेल है.. लॅमबर्गीनी.."
"लॅमबर्गीनी अस्टेरीओं कॉन्सेप्ट .. वन ऑफ दा ओन्ली फ्यू पीसस अवेयलाबल इन इंडिया..0-100 इन 5 सेकेंड्स.." शीना ने शॉक में आके कहा
"यस.. यही.. यू ड्राइव, आंड दिस बिलॉंग्स टू यू..." रिकी ने शीना को चाबी देते हुए कहा
"यू कॅन'ट बी,...."
"आइ कॅन बी.. इन फॅक्ट आइ आम सीरीयस... चलो ड्राइव करो.. आंड आराम नाल ओके..." रिकी ने शीना का माथा चूमते हुए कहा और गाड़ी की तरफ बढ़ गया..
"ईईईईईईईई...." शीना खुशी में चिल्लाई और जल्दी से जाके ड्राइवर सीट पे बैठ गयी
"सीट बेल्ट बांधो.. हम उड़ने वाले हैं... वववूओूऊऊ.." शीना ने रिकी से कहा और गाड़ी स्टार्ट करके घर से बाहर ले गयी..
"शीना.. गो स्लॉववव...." रिकी ने घबरा के कहा
"आइ आम फ्लईईंगगगग......" शीना ने फिर चिल्ला के कहा और गाड़ी की स्पीड बढ़ा के वॉरली सी लिंक की तरफ निकल ली..