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नागपुर के पास उम्रेड तालुका मे बाइ पास के नज़दीक मकान नंबर 4 मे रहने वाले मिस्टर. और मिसेज़. राजवंश गर्व से कहते थे ' हम तो सामान्य लोग हैं..
कोई सोच भी नही सकता था कि यह लोग किसी रहस्यमयी या अजीब चीज़ मे उलझ सकते थे.....क्यों कि वे इन बेतुकी बातों से दूर रहते थे.....
मिस्टर. आनंद राजवंश आदित्या इंडस्ट्रीस नाम की कंपनी के डाइरेक्टर थे.....जो ड्रिल बनाती थी..
आनंद राजवंश मोटे तगड़े आदमी थे और उनकी गर्दन तो जैसे थी ही नही, हालाँकि उनकी मुच्छे बहुत बड़ी थी....
उर्मिला राजवंश बेहद खूबसूरत, पढ़ी लिखी हाउस वाइफ थी...उनकी गर्दन सामान्य से दुगुनी लंबी थी...ये गर्दन उनके बहुत काम आती थी....
क्यों कि वो बगीचे की मुंडेर के पार ताक झाँक करने मे और पड़ोसियो की जासूसी करने मे अपना बहुत सा समय बिताती थी....
उनका एक छोटा सा बेटा भी था .... जिसका नाम आदित्या राजवंश था...
आनंद और उर्मिला का मानना था कि दुनिया मे आदित्या से सुंदर बच्चा हो ही नही सकता.....
उनके पास सब कुछ था, जो भी वो चाहते थे......
पर उनकी जिंदगी मे एक रहस्य भी था और उन्हे सबसे ज़्यादा डर इसी बात से लगता था कि कही वो रहस्य किसी को पता ना चल जाए....
वो ये सोच भी नही सकते थे कि अगर किसी को राजवंश परिवार के बारे मे पता चल गया, तो उनका क्या होगा...?
मेघा, उर्मिला की बहन थी लेकिन कयि सालो से दोनो एक दूसरे से नही मिली थी
सच तो ये था कि उर्मिला सबको यही बताती थी कि उनकी कोई बहन ही नही थी...
क्यों कि उसकी बहन और उसका निकम्मा पति उन लोगो से उतने ही अलग थे..जितना होना संभव था...
ये सोच कर ही आनंद और उर्मिला के होश उड़ जाते थे कि अगर मेघा और उसका पति उनकी गली मे आ गये तो उनके पड़ोसी क्या कहेंगे....
वो जानते थे कि उनका एक छोटा सा बेटा भी था पर उन्होने उसे कभी नही देखा था
यह बच्चा भी एक बड़ा कारण था, जिस वजह से वो मेघा के परिवार से दूर रहते थे....वो नही चाहते थे कि आदित्य इस तरह के बच्चे से मिले जुले....
जब आनंद और उर्मिला उस बोझिल मंगलवार को सुबह सो कर उठे, जहाँ से हमारी कहानी शुरू होती है...
उस दिन बादलो से भरे आसमान को देख कर कोई भी ये नही सोच सकता था कि पूरे देश मे अजीबो ग़रीब और रहस्यमयी घटनाए जल्दी ही होने वाली हैं........
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कोई सोच भी नही सकता था कि यह लोग किसी रहस्यमयी या अजीब चीज़ मे उलझ सकते थे.....क्यों कि वे इन बेतुकी बातों से दूर रहते थे.....
मिस्टर. आनंद राजवंश आदित्या इंडस्ट्रीस नाम की कंपनी के डाइरेक्टर थे.....जो ड्रिल बनाती थी..
आनंद राजवंश मोटे तगड़े आदमी थे और उनकी गर्दन तो जैसे थी ही नही, हालाँकि उनकी मुच्छे बहुत बड़ी थी....
उर्मिला राजवंश बेहद खूबसूरत, पढ़ी लिखी हाउस वाइफ थी...उनकी गर्दन सामान्य से दुगुनी लंबी थी...ये गर्दन उनके बहुत काम आती थी....
क्यों कि वो बगीचे की मुंडेर के पार ताक झाँक करने मे और पड़ोसियो की जासूसी करने मे अपना बहुत सा समय बिताती थी....
उनका एक छोटा सा बेटा भी था .... जिसका नाम आदित्या राजवंश था...
आनंद और उर्मिला का मानना था कि दुनिया मे आदित्या से सुंदर बच्चा हो ही नही सकता.....
उनके पास सब कुछ था, जो भी वो चाहते थे......
पर उनकी जिंदगी मे एक रहस्य भी था और उन्हे सबसे ज़्यादा डर इसी बात से लगता था कि कही वो रहस्य किसी को पता ना चल जाए....
वो ये सोच भी नही सकते थे कि अगर किसी को राजवंश परिवार के बारे मे पता चल गया, तो उनका क्या होगा...?
मेघा, उर्मिला की बहन थी लेकिन कयि सालो से दोनो एक दूसरे से नही मिली थी
सच तो ये था कि उर्मिला सबको यही बताती थी कि उनकी कोई बहन ही नही थी...
क्यों कि उसकी बहन और उसका निकम्मा पति उन लोगो से उतने ही अलग थे..जितना होना संभव था...
ये सोच कर ही आनंद और उर्मिला के होश उड़ जाते थे कि अगर मेघा और उसका पति उनकी गली मे आ गये तो उनके पड़ोसी क्या कहेंगे....
वो जानते थे कि उनका एक छोटा सा बेटा भी था पर उन्होने उसे कभी नही देखा था
यह बच्चा भी एक बड़ा कारण था, जिस वजह से वो मेघा के परिवार से दूर रहते थे....वो नही चाहते थे कि आदित्य इस तरह के बच्चे से मिले जुले....
जब आनंद और उर्मिला उस बोझिल मंगलवार को सुबह सो कर उठे, जहाँ से हमारी कहानी शुरू होती है...
उस दिन बादलो से भरे आसमान को देख कर कोई भी ये नही सोच सकता था कि पूरे देश मे अजीबो ग़रीब और रहस्यमयी घटनाए जल्दी ही होने वाली हैं........
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