hotaks444
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फार्म हाउस पर मस्ती
मेरा नाम कल्याणी है, शादी के बाद से अब मै गोरखपुर में अपने पति के साथ रहती हूँ. अब तो मै ३६ साल की, २ बच्चो की माँ हूँ और जीवन में सैक्स का मैंने शादी से पहले और शादी के बाद भरपूर आनंद लिया है. राजेश्वर सिंह जो मेरे पति है उनसे जब मेरी शादी हुयी तब शुरू की रातो में ही पता चल गया था कि मेरे पति में वो जबांजी नही है जो शादी से पहले मैंने अपने प्रेमी से चुदवाने में महसूस की थी. मैं तो सोचती थी कि वो हर दिन मुझे कम से कम 3-4 बार तो छोड़ेगा ही और अपनी जोरदार चुदाई से मेरी सारी नसे ढीली कर देगा. लेकिन जो जल्दीबाजी करते थे और जल्दी ही अपना पानी मेरी चूत में छोड़ देते थे. मैं शर्म से कुछ कह नही पाती थी, बस मौका मिलने पर ऊँगली से ही अपनी चूत की चोद के झड़ लेती थी
हमारी शादी को करीब ८ माह हो गए थे, लेकिन मै अपनी पहली चुदाई की ही याद में कैद होकर रह गयी थी. क्यों की मै अंदर से खुश नही थी, इसलिए मै गुमसुम रहने लगी, किसी भी काम में मन नही लग रहा था. मुझे उखड़ा हुआ देख कर राजेश्वर ने मुझसे कहा, "कल्याणी चलो शोहरतगढ़ चलते है, नेपाल की सीमा पर है वहां चचेरे भाई का बड़ा फार्म हाउस है , वहां कुछ दिन बिता कर आते है और तुमहरा दिल भी भल जायेगा." मैंने फ़ौरन हाँ कर दी मै भी गोरखपुर की उस वातावरण से अलग जाकर कुछ दिन रहना चाहती थी और सोचा, की हो सकता है राजेश्वर घर से बाहर आकर कुछ अपने अंदर मर्दानगी भरेगा और मै खुल के वहां के खुले मैदानों में खूब चुदुंगी.
हम लोग जब फार्म हाउस पहुंचे तो वहां हम लोगो का स्वागत गजेन्द्र नाम के आदमी ने किया , जो वहां की खेती और जानवरो की देखभाल करता था . वो करीब ३७/३८ साल का सँवला सा, भरे बदन का आदमी था. वहां वह अपनी पत्नी मुनिया जो करीब ३५ साल की थी और दो बच्चो के साथ रहता था.
उन दोनों ने हमारा जी खोल कर स्वागत किया और खाने पीने का प्रबंध किया. हम लोगो को पहुँचते पहुंचते काफी शाम होगयी थी तो हम लोगो ने जल्दी ही खाना खा लिया और जो कमरा हम लोगो के लिए तैयार था उसमे जाकर लेट गए. शहर से दूर बिलकुल अलग वातावरण था और मै आस लगाये हुए थी की राजेश्वर यहां खुल के मुझे प्यार करेंगे लेकिन वो तो थके हुए थे और यही कह कर मुँह मोड़ कर बिस्तर पर लेट गए.मैंने इतने सपने संजोये हुए थे की मुझे तो झल्लाहट के मारे नींद ही नही आरही थी. रात के सन्नाटे में मुझे बगल वाले कमरे में जिस में गजेन्द्र और उसकी पत्नी सोते थे से आवाजे आने लगी. पहले तो पलंग के हिलाने की आहत हुयी और फिर दबी दबी सीत्कारें आने लगी. मै समझ गयी थी की बगल के कमरे में गजेन्द्र अपनी पत्नी मुनिया को चोद रहा है और यह जानकर मेरी चूत भी भड़क गयी मैंने अपनी टैंगो को फैला दिया और उँगलियों से खुद को ही चोदने लगी. अनायास मुझे गजेन्द्र और उसकी बीवी का ही ख्याल आने लगा..कितना मोटा होगा उसका? किस तरह से वो उससे मस्त होकर चुदवा रही होगी? और यही सोचते सोचते मेरी चूत ने पानी फेंक दिया. झड़ने के बाद बड़ी रहत मिली और मै वैसे ही सो गयी.
अगले दिन हम लोग खेतो मै घूमे और पास के एक बड़े से तालाब में मछली भी पकड़ी. राजेश्वर का बीच में ही मन उखड गया और वापस चलने को कहने लगे, लेकिन मेरा तो घूमने को मन था, सो अनमने मन से मै उनके साथ वापस चली आई. मेरा मूड खराब होगया था और वो मेरे चहरे से साफ़ दिख भी रहा था की मुझे बीच से आना अच्छा नही लगा है. फार्म हाउस बड़ा था और अगल बगल काफी बहुत कुछ सुन्दर था. मेरे लौटने पर राजेश्वर ने कहा, 'कल्याणी हम यहाँ आये है तो कम से कम अपने स्टॉकिस्ट लोगो से भी मिल लूँ, तुम चाहो तो चले चलते है सब अगल बगल ही है, रात को लौट आएंगे.' मैंने तुनक के जवाब दिया,' मै यहाँ इस लिए तो नही आई थी!! मै नही जाउंगी आप अपना काम कर आइये.' राजेश्वर मेरी बात सुन कर मुझसे फिर कोई आग्रह नही किया और स्टॉकिस्ट से मिलने का इरादा छोड़ दिया. रात को खाना खाने के लिए बैठ रहे थे की मेरे ससुर जी का फोन गया. उनसे बात कर के पता चला की मार्च की क्लोजिंग से पहले पिछले हिसाब पुरे होने है इस लिए मेरे पति को वाकई स्टाकिस्टों से मिलाना जरुरी है. बेचारे राजेश्वर ने अपने पिता से यह नही बताया की मेरे कारण वो नही जा पाये थे . मुझे भी अफ़सोस हुआ की नाहक बिना पूरी बात जाने मैंने राजेश्वर का साथ देने से मना कर दिया. रात को जब वो बिस्तर पर ए तो मैंने बेशर्म होकर उनको बाँहों में ले लिया और कहा ,'सॉरी , माफ़ कर दो, कल हम लोग चलेंगे.' मेरे पति ने मुझे कस के चुम लिया और कहा 'नही कल्याणी तुम नही जाऊगी. मै खुद चला जाऊंगा तुम यहां आराम करो. गोरखपुर में तो तुमको कहा आराम मिलता है.' यह सुनकर मै वही रुकने को तैयार हो गयी और उस रात मेरे पति ने मुझे चोदा , लेकिन जैसे ज्यादातर होता था वो शराफत से मुझे चोद कर सो गए और मै बदन के झझकोरे जाने के एहसास की कमी लिए हुयी, अतृप्त सो गयी.
मेरा नाम कल्याणी है, शादी के बाद से अब मै गोरखपुर में अपने पति के साथ रहती हूँ. अब तो मै ३६ साल की, २ बच्चो की माँ हूँ और जीवन में सैक्स का मैंने शादी से पहले और शादी के बाद भरपूर आनंद लिया है. राजेश्वर सिंह जो मेरे पति है उनसे जब मेरी शादी हुयी तब शुरू की रातो में ही पता चल गया था कि मेरे पति में वो जबांजी नही है जो शादी से पहले मैंने अपने प्रेमी से चुदवाने में महसूस की थी. मैं तो सोचती थी कि वो हर दिन मुझे कम से कम 3-4 बार तो छोड़ेगा ही और अपनी जोरदार चुदाई से मेरी सारी नसे ढीली कर देगा. लेकिन जो जल्दीबाजी करते थे और जल्दी ही अपना पानी मेरी चूत में छोड़ देते थे. मैं शर्म से कुछ कह नही पाती थी, बस मौका मिलने पर ऊँगली से ही अपनी चूत की चोद के झड़ लेती थी
हमारी शादी को करीब ८ माह हो गए थे, लेकिन मै अपनी पहली चुदाई की ही याद में कैद होकर रह गयी थी. क्यों की मै अंदर से खुश नही थी, इसलिए मै गुमसुम रहने लगी, किसी भी काम में मन नही लग रहा था. मुझे उखड़ा हुआ देख कर राजेश्वर ने मुझसे कहा, "कल्याणी चलो शोहरतगढ़ चलते है, नेपाल की सीमा पर है वहां चचेरे भाई का बड़ा फार्म हाउस है , वहां कुछ दिन बिता कर आते है और तुमहरा दिल भी भल जायेगा." मैंने फ़ौरन हाँ कर दी मै भी गोरखपुर की उस वातावरण से अलग जाकर कुछ दिन रहना चाहती थी और सोचा, की हो सकता है राजेश्वर घर से बाहर आकर कुछ अपने अंदर मर्दानगी भरेगा और मै खुल के वहां के खुले मैदानों में खूब चुदुंगी.
हम लोग जब फार्म हाउस पहुंचे तो वहां हम लोगो का स्वागत गजेन्द्र नाम के आदमी ने किया , जो वहां की खेती और जानवरो की देखभाल करता था . वो करीब ३७/३८ साल का सँवला सा, भरे बदन का आदमी था. वहां वह अपनी पत्नी मुनिया जो करीब ३५ साल की थी और दो बच्चो के साथ रहता था.
उन दोनों ने हमारा जी खोल कर स्वागत किया और खाने पीने का प्रबंध किया. हम लोगो को पहुँचते पहुंचते काफी शाम होगयी थी तो हम लोगो ने जल्दी ही खाना खा लिया और जो कमरा हम लोगो के लिए तैयार था उसमे जाकर लेट गए. शहर से दूर बिलकुल अलग वातावरण था और मै आस लगाये हुए थी की राजेश्वर यहां खुल के मुझे प्यार करेंगे लेकिन वो तो थके हुए थे और यही कह कर मुँह मोड़ कर बिस्तर पर लेट गए.मैंने इतने सपने संजोये हुए थे की मुझे तो झल्लाहट के मारे नींद ही नही आरही थी. रात के सन्नाटे में मुझे बगल वाले कमरे में जिस में गजेन्द्र और उसकी पत्नी सोते थे से आवाजे आने लगी. पहले तो पलंग के हिलाने की आहत हुयी और फिर दबी दबी सीत्कारें आने लगी. मै समझ गयी थी की बगल के कमरे में गजेन्द्र अपनी पत्नी मुनिया को चोद रहा है और यह जानकर मेरी चूत भी भड़क गयी मैंने अपनी टैंगो को फैला दिया और उँगलियों से खुद को ही चोदने लगी. अनायास मुझे गजेन्द्र और उसकी बीवी का ही ख्याल आने लगा..कितना मोटा होगा उसका? किस तरह से वो उससे मस्त होकर चुदवा रही होगी? और यही सोचते सोचते मेरी चूत ने पानी फेंक दिया. झड़ने के बाद बड़ी रहत मिली और मै वैसे ही सो गयी.
अगले दिन हम लोग खेतो मै घूमे और पास के एक बड़े से तालाब में मछली भी पकड़ी. राजेश्वर का बीच में ही मन उखड गया और वापस चलने को कहने लगे, लेकिन मेरा तो घूमने को मन था, सो अनमने मन से मै उनके साथ वापस चली आई. मेरा मूड खराब होगया था और वो मेरे चहरे से साफ़ दिख भी रहा था की मुझे बीच से आना अच्छा नही लगा है. फार्म हाउस बड़ा था और अगल बगल काफी बहुत कुछ सुन्दर था. मेरे लौटने पर राजेश्वर ने कहा, 'कल्याणी हम यहाँ आये है तो कम से कम अपने स्टॉकिस्ट लोगो से भी मिल लूँ, तुम चाहो तो चले चलते है सब अगल बगल ही है, रात को लौट आएंगे.' मैंने तुनक के जवाब दिया,' मै यहाँ इस लिए तो नही आई थी!! मै नही जाउंगी आप अपना काम कर आइये.' राजेश्वर मेरी बात सुन कर मुझसे फिर कोई आग्रह नही किया और स्टॉकिस्ट से मिलने का इरादा छोड़ दिया. रात को खाना खाने के लिए बैठ रहे थे की मेरे ससुर जी का फोन गया. उनसे बात कर के पता चला की मार्च की क्लोजिंग से पहले पिछले हिसाब पुरे होने है इस लिए मेरे पति को वाकई स्टाकिस्टों से मिलाना जरुरी है. बेचारे राजेश्वर ने अपने पिता से यह नही बताया की मेरे कारण वो नही जा पाये थे . मुझे भी अफ़सोस हुआ की नाहक बिना पूरी बात जाने मैंने राजेश्वर का साथ देने से मना कर दिया. रात को जब वो बिस्तर पर ए तो मैंने बेशर्म होकर उनको बाँहों में ले लिया और कहा ,'सॉरी , माफ़ कर दो, कल हम लोग चलेंगे.' मेरे पति ने मुझे कस के चुम लिया और कहा 'नही कल्याणी तुम नही जाऊगी. मै खुद चला जाऊंगा तुम यहां आराम करो. गोरखपुर में तो तुमको कहा आराम मिलता है.' यह सुनकर मै वही रुकने को तैयार हो गयी और उस रात मेरे पति ने मुझे चोदा , लेकिन जैसे ज्यादातर होता था वो शराफत से मुझे चोद कर सो गए और मै बदन के झझकोरे जाने के एहसास की कमी लिए हुयी, अतृप्त सो गयी.