hotaks444
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मेरी मस्त दीदी--9
उसकी पावरोटी जैसी फूली हुई चूत देख कर मेरा लंड तो बुरी तरह से दहाड़े मारने लगा था। आज तो उसका जलाल देखने लायक था। 7” का मोटा गेहुंआ रंग 120 डिग्री में मुस्तैद जंग लड़ने वाले सिपाही की तरह। मैंने उसे सीधा लेटा दिया। अपनी तर्जनी अंगुली पर थूक लगाया और उसकी पहले से ही गीली चूत में गच्च से डाल दी तो वो चिहुंकी, “ऊईई. माँ. ”
अब देर करना कहाँ की समझदारी थी मैंने झट से अपना लण्ड उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक जोर का धक्का लगाया। आधा लण्ड गप्प से उसकी रसीली चूत में चला गया। एक दो झटकों के साथ ही मेरा पूरा का पूरा फनफनाता हुआ लण्ड जड़ तक उसकी चूत में फिट हो गया। वो थोड़ा सा चिहुंकी पर बाद में सीत्कार के साथ आ. उईईई. आँ. करने लगी
मैंने दनादन 4-5 धक्के कस कर लगा दिए। अब तो मेरा लण्ड दुगने उत्साह से उसे चोद रहा था। क्या मक्खन मलाई चूत थी। बिल्कुल दीदी की तरह। चुदी होने के बाद भी एक दम कसी हुई। उसकी चुदाई करते मुझे कोई 20 मिनट तो हो ही गए थे। उसकी चूत इस दौरान 2 बार झड़ गई थी और अब मेरा शेर भी किनारे पर आ गया था। मैंने उसे बताया कि मैं झड़ने वाला हूँ तो वो बोली अन्दर ही निकाल दो। मैंने उससे कहा कि अगर कोई गड़बड़ हो गई तो क्या होगा?
तो वो बोली “ आखिर M B B S कर रही हूँ , इस ज़रा सी बात के लिए चुदाई का पूरा मज़ा क्यों ख़राब किया जाये !”
मैंने उसे बाहों में जोर से भींच लिया और फ़िर 8-10 करारे झटके लगा दिए। उसने भी मुझे उतनी ही जोर से अपनी बाहों में भींचा और उसके साथ ही मेरे लंड ने पिचकारियाँ छोड़नी शुरू कर दी । मेरे लण्ड ने जैसे ही पहली पिचकारी छोड़ी ड्राइंग रूम में लगी दीवाल घड़ी ने भी टन्न टन्न 12 घंटे बजा दिए और मेरे लण्ड से भी दूसरी… तीसरी… चौथी. पिचकारियाँ निकलती चली गई।
हम लोग कोई 10 मिनट इसी तरह पड़े रहे।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा सायरा और दीदी उठ चुके है। मैं भी फ़टाफ़ट उठ कर तैयार हो गया , तब तक दीदी नाश्ता बना लाई। नाश्ता करके मैं बाइक उठा कर तुरंत अस्पताल निकल गया। वहां की सारी खाना पूरी करके मैं मामी को लेकर घर वापस आ गया।
सारे दिन मिलने जुलने वाले आते रहे हालांकि मामी अब बिलकुल ठीक थीं और बारह दिन बाद उनके टाँके भी कट जाने थे। रात को सबने खाना पीना खाया और फिर मैंने दीदी से चुपके से पूछा , " आज लेट बैठ कैसे होगी "
" बिलकुल चुपचाप रहो , अपने आप अब्बू या फूफी बता देंगी और सुन मुन्ना ! कोई ऐसी वैसी हरकत मत कर देना जिससे अब्बू को हम पर शक हो जाये " दीदी ने डरते डरते चारों तरफ देख कर कहा
" ठीक है ठीक है दीदी " मैंने जबाब दिया
हालांकि गांड मेरी खुद भी फट रही थी लेकिन इस बहनचोद लंड से बुरी तरह परेशान था। मादरचोद कभी भी कहीं भी खडा हो जाता था।
तभी अम्मी ने कौन कहाँ लेटेगा का फैसला सुना दिया। सायरा ऊपर रज़िया के साथ , दीदी ड्राइंग रूम में मामी के साथ , मैं मामू के साथ उनके कमरे में और अम्मी मामी के साथ दूसरे बेडरूम में सोयेंगी। पता नहीं इस तुगलकी फरमान को सुन कर किस किस की झांट जली थी या नहीं लेकिन मेरी तो बुरी तरह सुलग उठीं थीं।
तभी मामू बोले , " अरे सो जायेंगे , जिसे जहां जगह मिलेगी वहां , पहले इतने दिन बाद सब इकट्ठे हुए है सो बतियाते है , अभी तो सिर्फ साढ़े नौ ही तो बजे है "
मेरी जान में जान आई और मैं अपने लंड की खुराक की जुगत में लग गया जो की दीदी या रज़िया में से ही एक थीं। हालांकि मज़ा सायरा को चोदने में भी बहुत आया था लेकिन इन कुंवारी चूतों की बात ही अलग थी। क्या फंसा फंसा लंड चूत में जाता था। कसम से ऐसा लगता था कि अमूल मक्खन की टिकिया में अपना लंड ठांस दिया हो। खैर सभी मामी के कमरे में आकर इकट्ठे हो गए और कुर्सियों व बेड पर बैठ गए।
थोड़ी देर बतियाने के बाद सायरा की अम्मी उठते हुए बोली , " अच्छा मैं तो अब सोने जाती हूँ बहुत तेज़ नींद आ रही है "
" हां हां चलो अब मैं भी सोता हूँ चल कर " मामू बोले
मैं थोडा और टाइम पास करने की गरज से बोला , " आप लोग सोइये , हम लोगों को नींद नहीं आ रही "
मामू के जाने के बाद मैंने अपनी रात की जुगाड़ के लिए जाल बुनना शुरू कर दिया।
" यार ये लोग तो हॉस्पिटल से आये है , थके हुए भी है इसलिए इन लोगों को सोने दो। हम लोगों ने कौन से पहाड़ खोदे है जो इतनी ज़ल्दी सो जायेंगे। क्यों न हम चारो ऊपर वाले कमरे में चल कर रमी खेलें ?"
दीदी और रज़िया कुछ नहीं बोले परन्तु सायरा बोली ," आईडिया बुरा नहीं है "
" तुम लोग जो मर्ज़ी आये करो , हम लोगों को अब सोने दो। रात के ग्यारह बज चुके है " अम्मी ने कहा
मेरी तो बल्ले बल्ले हो गयी। मैंने उठते हुए कहा , " अम्मी सही कह रहीं हैं , हम लोग ऊपर चल कर ताश खेलते है। इन लोगों को सोने दिया जाय , वहां हॉस्पिटल में वैसे भी तीन दिन में आराम नहीं मिला होगा "
मैंने तीनो लोगो को ऊपर भेज कर रूम की लाइट बंद करके नाईट बल्ब जला दिया और खुद भी अपने लंड को सहलाता हुआ ऊपर चल दिया।
उसकी पावरोटी जैसी फूली हुई चूत देख कर मेरा लंड तो बुरी तरह से दहाड़े मारने लगा था। आज तो उसका जलाल देखने लायक था। 7” का मोटा गेहुंआ रंग 120 डिग्री में मुस्तैद जंग लड़ने वाले सिपाही की तरह। मैंने उसे सीधा लेटा दिया। अपनी तर्जनी अंगुली पर थूक लगाया और उसकी पहले से ही गीली चूत में गच्च से डाल दी तो वो चिहुंकी, “ऊईई. माँ. ”
अब देर करना कहाँ की समझदारी थी मैंने झट से अपना लण्ड उसकी चूत के मुहाने पर रखा और एक जोर का धक्का लगाया। आधा लण्ड गप्प से उसकी रसीली चूत में चला गया। एक दो झटकों के साथ ही मेरा पूरा का पूरा फनफनाता हुआ लण्ड जड़ तक उसकी चूत में फिट हो गया। वो थोड़ा सा चिहुंकी पर बाद में सीत्कार के साथ आ. उईईई. आँ. करने लगी
मैंने दनादन 4-5 धक्के कस कर लगा दिए। अब तो मेरा लण्ड दुगने उत्साह से उसे चोद रहा था। क्या मक्खन मलाई चूत थी। बिल्कुल दीदी की तरह। चुदी होने के बाद भी एक दम कसी हुई। उसकी चुदाई करते मुझे कोई 20 मिनट तो हो ही गए थे। उसकी चूत इस दौरान 2 बार झड़ गई थी और अब मेरा शेर भी किनारे पर आ गया था। मैंने उसे बताया कि मैं झड़ने वाला हूँ तो वो बोली अन्दर ही निकाल दो। मैंने उससे कहा कि अगर कोई गड़बड़ हो गई तो क्या होगा?
तो वो बोली “ आखिर M B B S कर रही हूँ , इस ज़रा सी बात के लिए चुदाई का पूरा मज़ा क्यों ख़राब किया जाये !”
मैंने उसे बाहों में जोर से भींच लिया और फ़िर 8-10 करारे झटके लगा दिए। उसने भी मुझे उतनी ही जोर से अपनी बाहों में भींचा और उसके साथ ही मेरे लंड ने पिचकारियाँ छोड़नी शुरू कर दी । मेरे लण्ड ने जैसे ही पहली पिचकारी छोड़ी ड्राइंग रूम में लगी दीवाल घड़ी ने भी टन्न टन्न 12 घंटे बजा दिए और मेरे लण्ड से भी दूसरी… तीसरी… चौथी. पिचकारियाँ निकलती चली गई।
हम लोग कोई 10 मिनट इसी तरह पड़े रहे।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा सायरा और दीदी उठ चुके है। मैं भी फ़टाफ़ट उठ कर तैयार हो गया , तब तक दीदी नाश्ता बना लाई। नाश्ता करके मैं बाइक उठा कर तुरंत अस्पताल निकल गया। वहां की सारी खाना पूरी करके मैं मामी को लेकर घर वापस आ गया।
सारे दिन मिलने जुलने वाले आते रहे हालांकि मामी अब बिलकुल ठीक थीं और बारह दिन बाद उनके टाँके भी कट जाने थे। रात को सबने खाना पीना खाया और फिर मैंने दीदी से चुपके से पूछा , " आज लेट बैठ कैसे होगी "
" बिलकुल चुपचाप रहो , अपने आप अब्बू या फूफी बता देंगी और सुन मुन्ना ! कोई ऐसी वैसी हरकत मत कर देना जिससे अब्बू को हम पर शक हो जाये " दीदी ने डरते डरते चारों तरफ देख कर कहा
" ठीक है ठीक है दीदी " मैंने जबाब दिया
हालांकि गांड मेरी खुद भी फट रही थी लेकिन इस बहनचोद लंड से बुरी तरह परेशान था। मादरचोद कभी भी कहीं भी खडा हो जाता था।
तभी अम्मी ने कौन कहाँ लेटेगा का फैसला सुना दिया। सायरा ऊपर रज़िया के साथ , दीदी ड्राइंग रूम में मामी के साथ , मैं मामू के साथ उनके कमरे में और अम्मी मामी के साथ दूसरे बेडरूम में सोयेंगी। पता नहीं इस तुगलकी फरमान को सुन कर किस किस की झांट जली थी या नहीं लेकिन मेरी तो बुरी तरह सुलग उठीं थीं।
तभी मामू बोले , " अरे सो जायेंगे , जिसे जहां जगह मिलेगी वहां , पहले इतने दिन बाद सब इकट्ठे हुए है सो बतियाते है , अभी तो सिर्फ साढ़े नौ ही तो बजे है "
मेरी जान में जान आई और मैं अपने लंड की खुराक की जुगत में लग गया जो की दीदी या रज़िया में से ही एक थीं। हालांकि मज़ा सायरा को चोदने में भी बहुत आया था लेकिन इन कुंवारी चूतों की बात ही अलग थी। क्या फंसा फंसा लंड चूत में जाता था। कसम से ऐसा लगता था कि अमूल मक्खन की टिकिया में अपना लंड ठांस दिया हो। खैर सभी मामी के कमरे में आकर इकट्ठे हो गए और कुर्सियों व बेड पर बैठ गए।
थोड़ी देर बतियाने के बाद सायरा की अम्मी उठते हुए बोली , " अच्छा मैं तो अब सोने जाती हूँ बहुत तेज़ नींद आ रही है "
" हां हां चलो अब मैं भी सोता हूँ चल कर " मामू बोले
मैं थोडा और टाइम पास करने की गरज से बोला , " आप लोग सोइये , हम लोगों को नींद नहीं आ रही "
मामू के जाने के बाद मैंने अपनी रात की जुगाड़ के लिए जाल बुनना शुरू कर दिया।
" यार ये लोग तो हॉस्पिटल से आये है , थके हुए भी है इसलिए इन लोगों को सोने दो। हम लोगों ने कौन से पहाड़ खोदे है जो इतनी ज़ल्दी सो जायेंगे। क्यों न हम चारो ऊपर वाले कमरे में चल कर रमी खेलें ?"
दीदी और रज़िया कुछ नहीं बोले परन्तु सायरा बोली ," आईडिया बुरा नहीं है "
" तुम लोग जो मर्ज़ी आये करो , हम लोगों को अब सोने दो। रात के ग्यारह बज चुके है " अम्मी ने कहा
मेरी तो बल्ले बल्ले हो गयी। मैंने उठते हुए कहा , " अम्मी सही कह रहीं हैं , हम लोग ऊपर चल कर ताश खेलते है। इन लोगों को सोने दिया जाय , वहां हॉस्पिटल में वैसे भी तीन दिन में आराम नहीं मिला होगा "
मैंने तीनो लोगो को ऊपर भेज कर रूम की लाइट बंद करके नाईट बल्ब जला दिया और खुद भी अपने लंड को सहलाता हुआ ऊपर चल दिया।