hotaks444
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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--51
गतांक से आगे ...........
तभी कामवाली अंदर आई।
मैं जा रही हूं, मेमसाहब, शाम को आ जाउंगी,,, कामवाली ने कहा।
हां ठीक है, अगर जरूरत हुई तो मैं फोन कर दूंगी,, तुम्हारा नम्बर तो है ना यहां पर,,, कोमल ने हाथ हटाते हुए कहा।
मेरे पास फोन नहीं है मेमसाहब,,, कामवाली ने कहा।
ठीक है तुम रहने देना, आज कोई है भी नहीं, तो मैं बाहर ही खा लूंगी,, कोमल ने कहा।
ओके मेमसाहब,, कामवाली ने मेरी तरफ देखते हुए मुस्करा कर कहा और बाहर चली गई।
कोमल उठकर बाहर गई और कुछ देर बाद वापिस आई।
कहां गई थी, मैंने पूछा।
दरवाजा बंद करके आई हूं, कोमल ने कहा और दूसरे दरवाजे से बाहर बाथरूम की तरफ निकल गई।
मैं उसे जाते हुए देखने लगा। सफेद झिन्नी पायजामी में से लाल पेंटी की हल्की सी झलक मिल रही थी।
उसके बाहर जाने के बाद मैं दरवाजे की तरफ ही देखता रहा।
कुछ देर बाद वो वापिस आई और मेरी तरफ देखकर मुस्करा दी।
आकर वो चेयर पर बैठ गई और अपना हाथ मेरी चेयर पर गर्दन के पास रख लिया। उसके हाथ की उंगलिया मेरी गर्दन पर टच हो रही थी।
मैं काम करने लगा, और कोमल बैठे बैठे मुझे देखती रही। मुझे उसकी उंगलियां अपनी गर्दन पर ज्यादा टच होती हुई महसूस होने लगी।
उसकी उंगलिया धीरे धीरे मेरी गर्दन पर बढ़ती जा रही थी। मुझे उसके अपने हाथ पर उसके बूब्स का हल्का हल्का स्पर्श महसूस हुआ। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था और उसकी सांसे तेज चल रही थी।
मैं उसकी तरफ देखकर मुस्करा दिया। उसे तो जैसे सिग्नल मिल गया हो। उसने अचानक से मेरा मुंह पकड़ा और अपने तपते हुए होंठ मेरे होंठों पर रख दिये।
एक बार तो मैं शॉक रह गया, पर फिर मेरे हाथ भी उसके सिर के पिछे चले गये और मैं उसके लबों को चूसने लगा।
तभी दरवाजे पर मुझे कोई खड़ा हुआ महसूस हुआ।
मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो कामवाली खडी थी। उसका मुंह खुला हुआ था और वो शाक्ड होकर हमें ही देखी जा रही थी।
मैंने हाथ से उसे जाने का इशारा किया तो उसने अपने हाथ में पकड़ी चाबी दिखाई, मैंने साइड में रखने का इशारा किया।
वो बिना कोई आवाज किये चाबी को पास वाली टेबल पर रखकर चली गई।
कोमल तो पागलों की तरह मुझे किस्स्ससस किये जा रही थी, उसे तो पता भी नहीं चला कि कामवाली आई थी।
जब हमारी सांसे उखड़ने लगी तो मैंने उसको खुद से अलग किया।
मैं तुमसे आखिरी बार पूछ रही हूं, तुम अपूर्वा से प्यार नहीं करते ना,,, कोमल ने बदहवासी में कहा।
मैंने अपने हाथ उसके सिर के पिछे रखे और उसको खींचकर उसके लबों को अपने लबों में फिर से कैद कर लिया और जोर जोर से चूसने लगा।
कोमल मेरे होंठों को काटने लगी। उसके हाथ मेरी शर्ट पर पहुंच गये और वो मेरे बटन खोलने लगी। बटन खोलकर उसने शर्ट को साइड में कर दिया और कभी मेरी छाती और कभी मेरी कमर में हाथ घुमाने लगी। उसके हाथ घुमाने से मुझे गुदगुदी हो रही थी।
मेरे हाथ उसके उरोजों पर पहुंच गये। आहहहह क्या अहसास था एकदम नरम नरम और तने हुए उरोज। मेरा लिग बाहर निकलने के लिए छटपटाने लगा।
कोमल कभी मेरे निप्पल्स को अपनी उंगलियाें बीच लेकर मसल देती थी कभी मेरी नाभि में अपनी उंगली डालकर हलके हलके घुमाने लगती थी।
मैं पागलों की तरह उसके उरोजों को दबाये जा रहा था, बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। इस मजे के कारण लिंग ने पी्रकम की कुछ बूंदे भी अंडरवियर के हवाले कर दी थी, शायद बाहर निकलने के लिए रिश्वत दे रहा था, या डरा-धमका रहा था।
कोमल का हाथ मेरी जींस पर आया और वो बेल्ट खोलने लगी।
मैंने उसे अपने से दूर किया। वो प्रश्नवाचक दृष्टि से मेरी आंखों में देखने लगी, मानो पूछना चाह रही हो ‘क्या हुआ’?
मैम कब तक आयेगी, मैंने उससे पूछा।
वो तो देर से आयेंगे रात को, कोमल ने कहा और अपने हाथ मेरे सिर के पिछे रखकर मेरे सिर को अपनी तरह खिंचने लगी।
तुम अंदर जाओ, मैंने कोमल से कहा।
कोमल आश्चर्य से मेरी तरफ देखने लगी।
क्यों, मुझे करना है, मैं कहीं नहीं जा रही, कोमल ने कहा और मेरे होंठों पर टूट पड़ी।
मैंने कुछ देर उसके होंठ चूसकर उसे अलग किया।
यहां कहां करोगी फिर, अंदर आराम से करेंगे, मैंने कहां
मेरी बात सुनकर कोमल मुस्कराई और मेरे गालों को भींचते हुए खड़ी हो गई और बाहर की तरफ चल दी।
दरवाजे के पास जाकर उसने अदा के साथ पिछे गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और अपनी उंगली से पिछे पिछे आने का इशारा किया।
उसके इस इशारे से तो मैं घायल ही हो गया।
तुम चलो मैं अभी आ रहा हूं, मैंने कहा और उसकी तरफ आंख दबा दी।
मेरे साथ आओ ना, कोमल ने मेरी तरफ मुड़ते हुए कहा।
कहा ना आ रहा हूं, तुम चलो,,,, मैंने कहा।
मैं नहीं चाहता था कि पड़ोसी हमें साथ-साथ अंदर जाते हुए देखे। इसलिए मैं बाद में जाने के लिए कह रहा था।
कोमल चली गई। कुछ देर बाद मैं उठा और ऑफिस से बाहर आ गया। कोमल जा चुकी थी।
मैं इधर उधर देखते हुए अंदर आ गया। कोमल दरवाजे के पास ही खड़ी थी। जैसे ही मैं अंदर आया उसने मुझे कसकर बाहों में भींच लिया और मेरे लबों पर टूट पड़ी।
मैंने उसे बाहों में उठा लिया और मैम के बेडरूम की तरफ चल पड़ा। उसके हाथ मेरी छाती में मेरे निप्पल से छेड़छाड़ कर रहे थे।
बेडरूम में आकर मैंने उसे बेड पर पटक दिया।
आउचचचच, आराम से नहीं लेटा सकते थे,,, कोमल ने अपनी कमर में हाथ रखकर सहलाते हुए कहा।
अगले ही पल वो बेड पर घुटनों के बल हुई और मेरी शर्ट को पकड़कर मुझसे अलग कर दिया और फिर मेरी बेल्ट को निकाल कर जींस को हुक भी खोल दिया।
मैंने उसे उपर की तरफ खींचा और उसकी टी-शर्ट को पकड़कर उसके शरीर से अलग कर दिया। टी-शर्ट निकलते ही उसके दूध से सफेद उरोज मेरी आंखों के सामने आ गये। पूरी तरह से उन्नत, एकदम तने हुए, मेरे होंठों को आमंत्रित कर रहे थे।
उसका गोरा सपाट पतला सा पेट, पूरी तरह से चर्बी रहित, और उस पर सुशोभित लम्बी नाभि तो जुल्म ही ढा रही थी।
जब तक मैंने उसकी टी-शर्ट निकाली उसने मेरी जींस को सरकाकर घुटनों तक कर दिया था और मेरा कड़क तना हुआ लिंग उसके हाथों में पहुंच चुका था।
उसने मुझे पकड़कर बेड पर खिंच लिया और फिर धक्का धेकर लेटा दिया और मेरी जींस और अंडरवियर को मेरे पैरों से अलग करके घुटनों के बल ही खडे हुए मेरे लिंग को घूरघूर कर देखने लगी।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने उपर खिंच लिया। वो झटके से मेरे उपर आ गिरी। उसके उरोज मेरी छाती में दबने से उसके मुंह से एक दर्द भरी आह निकली।
पर उस दर्द में उसको जो मजा आया होगा, क्योंकि उसने सीधे मेरे लबों को अपने लबों में कैद कर लिया और जोर जोर कभी उपर वाले होंठ को तो कभी नीचे वाले होंठ को चूसने लगी।
वो सरककर पूरी तरह से मेरे उपर हो गई। मेरा लिंग उसकी योनि पर पजामी के उपर से ही दब गया। उसके मुंह से आह निकल कर मेरे मुंह में समा गई।
उसने अपनी योनि को मेरे लिंग पर जोरों से रगड़ना शुरू कर दिया। पजामी इतनी मखमली और झिन्नी थी कि ऐसा लग रहा था कि मेरा लिंग सीधा उसकी योनि पर ही रगड़ रहा है। मैंने अपने हाथ उसके नितम्बों पर रख दिये और जोर जोर से मसलने लगा। मैं नीचे से कमर उठाकर लिंग को उसकी योनि पर दबा देता और साथ ही उसके नितम्बों को कसकर नीचे की तरफ दबा देता। दोनों के मुंह से मजे में आह निकलकर एक दूसरे में मुंह में समा जाती।
मैंने कोमल को झटका देकर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके उपर आ गया। कुछ देर तक उसके होंठों को चुसता रहा और लिंग से उसकी योनि पर हल्के हल्के धक्के मारता रहा। जैसे ही मैं लिंग को उपर उठाता उसके साथ साथ कोमल के कुल्हें भी हवा में उठकर मेरे लिंग से योनि को चिपकाने की कोशिश करते।
मैं उससे अलग हुआ और उसकी पजामी को उसके शरीर से अलग कर दिया।
कोमल वासना के ज्वर में बुरी तरह तप रही थी। उसने अपने कुल्हों को उपर उठाकर पजामी निकालने में हैल्प की और जैसे ही मैंने पजामी निकाल कर साइड में रखी उसने मुझे पकड़ कर अपने उपर खिंच लिया और अपनी नंगी योनि को मेरे लिंग पर जोरों से मसलने लगी।
मैंने अपने होंठ उसके उरोजों पर रख दिये और उसके निप्पल को होंठों के बीच लेकर चुसने लगा। कोमल मचल उठी और, और भी जोर से अपनी योनि को उछाल-उछाल कर मेरे लिंग पर मारने लगी। मेरा लिंग उसकी जांघों के बीच में घुस गया और उसकी योनि छिद्र पर ठोकरें मारने लगा।
मैं उसके उभारों को चुसे जा रहा था और वो पागल होती जा रही थी। उसके हाथ मेरे सिर को अपने उभारों पर दबा रहे थे। उसके मुंह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थी।
उसके उभारों को चुस चुस कर जब मेरा मुंह दुखने लगा तो मैंने अपना मुंह हटाया और उसके मस्त पेट को चुमते हुए नीचे की तरफ आने लगा।
कोमल के पैर मेरे पैरों से बुरी तरह जंग लड़ रहे थे, जिससे मेरे पैरों के बात खिंचने के कारण मुझे दर्द हो रहा था। पर जो मजा आ रहा था उसके सामने ये दर्द कुछ भी नहीं था।
मेरे नीचे की तरफ आने के कारण मेरा लिंग उसकी योनि से दूर हो गया था, जो उसे सहन नहीं हुआ और उसने मुझे वापिस अपने उपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी।
उसने अपने हाथ हमारे जांघों के बीच में किए और लिंग को अपनी योनि पर सैट करने लगी। मैं समझ गया कि अब ये नहीं रूकने वाली। मैंने थोडा उपर होकर लिंग सैट करने में उसकी हैल्प की और जैसे ही लिंग उसके योनी छिद्र पर लगा मैंने एक हल्का सा धक्का मार दिया।
कुछ तो उसकी योनि से बहते यौवन रस की चिकनाई और कुछ उसके हाथों का सपोर्ट जिससे लिंग इधर उधर नहीं फिसला और सुपाडा उसकी योनि में प्रवेश कर गया।
उसके मुंह से दर्द के मारे जोर की चीख निकली। मैंने तुरंत उसके मुंह को अपने होंठों से बंद कर दिया और उसकी बाकी की चीख मेरे मुंह में गुम हो गई।
उसने अपनी योनि को इधर उधर करके लिंग को बाहर निकाल दिया। उसकी आंखों में आंसू थे। मैंने उसके आंसुओं को अपने होंठों से पिया और उसकी आंखों में देखने लगा।
बहुत दर्द हो रहा है, उसने सुबकते हुए कहा।
पहली बार तो होगा ही, पर ज्यादा देर नहीं होगा, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
मैंने ऐसे ही अपने लिंग को उसकी योनि के उपर सहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद वो वापिस अपने हाथों को जांघों के बीच लाई और मेरे लिंग को अपनी योनि पर सैट किया।
अबकी बार एक बार में ही पूरा डाल देना, बार बार दर्द तो नहीं होगा, उसने कहा।
मैंने हल्का सा दबाव डाला तो मेरा सुपाड़ा उसकी योनि में घुस गया। उसकी आंखें दर्द से फैल गई। परन्तु अबकी बार उसने लिंग को बाहर नहीं निकाला। उसके हाथ अभी भी मेरे लिंग को पकड़े हुए थे।
कुछ देर ऐसे ही रहकर मैंने एक जोर का झटका मारा और मेरा लिंग उसकी योनि की दीवारों को चीरता हुआ दो इंच तक अंदर घुस गया।
उसका शरीर दर्द से कांप उठा और उसकी मुट्ठी मेरे लिंग पर कस गई। ऐसा लग रहा था कि वो भींच कर मेरे लिंग को फोड़ देगी। बहुत ज्यादा दर्द हुआ लिंग में। पर मैंने सह लिया।
मैंने थोड़ा सा उपर उठते हुए अपने हाथ उसके उभारों पर कस दिये और मसलने लगा। उसके दूसरे उभार को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा। कुछ देर में वो शांत हुई और नीचे से अपने कुल्हों केा थोड़ा थोड़ा उठाने लगी।
अभी तो पूरा बाहर ही है, जब इतने से में इतना ज्यादा दर्द हो रहा है तो, फिर पूरा अंदर जायेगा तो कितना दर्द होगा, कोमल ने मेरे लिंग को अपने हाथ से नापते हुए कहा।
उसके चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था, पर उस डर में मजे के चिह्न भी दिखाई दे रहे थे।
मैंने उसके हाथों को बीच में से निकाला और लिंग को हल्का सा बाहर खींचा, परन्तु साथ साथ कोमल के कुल्हे भी उपर उठे। मैंने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लिंग सीधा उसकी गहराईयों में उतरकर उसके गर्भाश्य से जा टकराया। उसकी चीख निकले उससे पहले ही मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को सील कर दिया।
क्रमशः.....................
गतांक से आगे ...........
तभी कामवाली अंदर आई।
मैं जा रही हूं, मेमसाहब, शाम को आ जाउंगी,,, कामवाली ने कहा।
हां ठीक है, अगर जरूरत हुई तो मैं फोन कर दूंगी,, तुम्हारा नम्बर तो है ना यहां पर,,, कोमल ने हाथ हटाते हुए कहा।
मेरे पास फोन नहीं है मेमसाहब,,, कामवाली ने कहा।
ठीक है तुम रहने देना, आज कोई है भी नहीं, तो मैं बाहर ही खा लूंगी,, कोमल ने कहा।
ओके मेमसाहब,, कामवाली ने मेरी तरफ देखते हुए मुस्करा कर कहा और बाहर चली गई।
कोमल उठकर बाहर गई और कुछ देर बाद वापिस आई।
कहां गई थी, मैंने पूछा।
दरवाजा बंद करके आई हूं, कोमल ने कहा और दूसरे दरवाजे से बाहर बाथरूम की तरफ निकल गई।
मैं उसे जाते हुए देखने लगा। सफेद झिन्नी पायजामी में से लाल पेंटी की हल्की सी झलक मिल रही थी।
उसके बाहर जाने के बाद मैं दरवाजे की तरफ ही देखता रहा।
कुछ देर बाद वो वापिस आई और मेरी तरफ देखकर मुस्करा दी।
आकर वो चेयर पर बैठ गई और अपना हाथ मेरी चेयर पर गर्दन के पास रख लिया। उसके हाथ की उंगलिया मेरी गर्दन पर टच हो रही थी।
मैं काम करने लगा, और कोमल बैठे बैठे मुझे देखती रही। मुझे उसकी उंगलियां अपनी गर्दन पर ज्यादा टच होती हुई महसूस होने लगी।
उसकी उंगलिया धीरे धीरे मेरी गर्दन पर बढ़ती जा रही थी। मुझे उसके अपने हाथ पर उसके बूब्स का हल्का हल्का स्पर्श महसूस हुआ। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था और उसकी सांसे तेज चल रही थी।
मैं उसकी तरफ देखकर मुस्करा दिया। उसे तो जैसे सिग्नल मिल गया हो। उसने अचानक से मेरा मुंह पकड़ा और अपने तपते हुए होंठ मेरे होंठों पर रख दिये।
एक बार तो मैं शॉक रह गया, पर फिर मेरे हाथ भी उसके सिर के पिछे चले गये और मैं उसके लबों को चूसने लगा।
तभी दरवाजे पर मुझे कोई खड़ा हुआ महसूस हुआ।
मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो कामवाली खडी थी। उसका मुंह खुला हुआ था और वो शाक्ड होकर हमें ही देखी जा रही थी।
मैंने हाथ से उसे जाने का इशारा किया तो उसने अपने हाथ में पकड़ी चाबी दिखाई, मैंने साइड में रखने का इशारा किया।
वो बिना कोई आवाज किये चाबी को पास वाली टेबल पर रखकर चली गई।
कोमल तो पागलों की तरह मुझे किस्स्ससस किये जा रही थी, उसे तो पता भी नहीं चला कि कामवाली आई थी।
जब हमारी सांसे उखड़ने लगी तो मैंने उसको खुद से अलग किया।
मैं तुमसे आखिरी बार पूछ रही हूं, तुम अपूर्वा से प्यार नहीं करते ना,,, कोमल ने बदहवासी में कहा।
मैंने अपने हाथ उसके सिर के पिछे रखे और उसको खींचकर उसके लबों को अपने लबों में फिर से कैद कर लिया और जोर जोर से चूसने लगा।
कोमल मेरे होंठों को काटने लगी। उसके हाथ मेरी शर्ट पर पहुंच गये और वो मेरे बटन खोलने लगी। बटन खोलकर उसने शर्ट को साइड में कर दिया और कभी मेरी छाती और कभी मेरी कमर में हाथ घुमाने लगी। उसके हाथ घुमाने से मुझे गुदगुदी हो रही थी।
मेरे हाथ उसके उरोजों पर पहुंच गये। आहहहह क्या अहसास था एकदम नरम नरम और तने हुए उरोज। मेरा लिग बाहर निकलने के लिए छटपटाने लगा।
कोमल कभी मेरे निप्पल्स को अपनी उंगलियाें बीच लेकर मसल देती थी कभी मेरी नाभि में अपनी उंगली डालकर हलके हलके घुमाने लगती थी।
मैं पागलों की तरह उसके उरोजों को दबाये जा रहा था, बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। इस मजे के कारण लिंग ने पी्रकम की कुछ बूंदे भी अंडरवियर के हवाले कर दी थी, शायद बाहर निकलने के लिए रिश्वत दे रहा था, या डरा-धमका रहा था।
कोमल का हाथ मेरी जींस पर आया और वो बेल्ट खोलने लगी।
मैंने उसे अपने से दूर किया। वो प्रश्नवाचक दृष्टि से मेरी आंखों में देखने लगी, मानो पूछना चाह रही हो ‘क्या हुआ’?
मैम कब तक आयेगी, मैंने उससे पूछा।
वो तो देर से आयेंगे रात को, कोमल ने कहा और अपने हाथ मेरे सिर के पिछे रखकर मेरे सिर को अपनी तरह खिंचने लगी।
तुम अंदर जाओ, मैंने कोमल से कहा।
कोमल आश्चर्य से मेरी तरफ देखने लगी।
क्यों, मुझे करना है, मैं कहीं नहीं जा रही, कोमल ने कहा और मेरे होंठों पर टूट पड़ी।
मैंने कुछ देर उसके होंठ चूसकर उसे अलग किया।
यहां कहां करोगी फिर, अंदर आराम से करेंगे, मैंने कहां
मेरी बात सुनकर कोमल मुस्कराई और मेरे गालों को भींचते हुए खड़ी हो गई और बाहर की तरफ चल दी।
दरवाजे के पास जाकर उसने अदा के साथ पिछे गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और अपनी उंगली से पिछे पिछे आने का इशारा किया।
उसके इस इशारे से तो मैं घायल ही हो गया।
तुम चलो मैं अभी आ रहा हूं, मैंने कहा और उसकी तरफ आंख दबा दी।
मेरे साथ आओ ना, कोमल ने मेरी तरफ मुड़ते हुए कहा।
कहा ना आ रहा हूं, तुम चलो,,,, मैंने कहा।
मैं नहीं चाहता था कि पड़ोसी हमें साथ-साथ अंदर जाते हुए देखे। इसलिए मैं बाद में जाने के लिए कह रहा था।
कोमल चली गई। कुछ देर बाद मैं उठा और ऑफिस से बाहर आ गया। कोमल जा चुकी थी।
मैं इधर उधर देखते हुए अंदर आ गया। कोमल दरवाजे के पास ही खड़ी थी। जैसे ही मैं अंदर आया उसने मुझे कसकर बाहों में भींच लिया और मेरे लबों पर टूट पड़ी।
मैंने उसे बाहों में उठा लिया और मैम के बेडरूम की तरफ चल पड़ा। उसके हाथ मेरी छाती में मेरे निप्पल से छेड़छाड़ कर रहे थे।
बेडरूम में आकर मैंने उसे बेड पर पटक दिया।
आउचचचच, आराम से नहीं लेटा सकते थे,,, कोमल ने अपनी कमर में हाथ रखकर सहलाते हुए कहा।
अगले ही पल वो बेड पर घुटनों के बल हुई और मेरी शर्ट को पकड़कर मुझसे अलग कर दिया और फिर मेरी बेल्ट को निकाल कर जींस को हुक भी खोल दिया।
मैंने उसे उपर की तरफ खींचा और उसकी टी-शर्ट को पकड़कर उसके शरीर से अलग कर दिया। टी-शर्ट निकलते ही उसके दूध से सफेद उरोज मेरी आंखों के सामने आ गये। पूरी तरह से उन्नत, एकदम तने हुए, मेरे होंठों को आमंत्रित कर रहे थे।
उसका गोरा सपाट पतला सा पेट, पूरी तरह से चर्बी रहित, और उस पर सुशोभित लम्बी नाभि तो जुल्म ही ढा रही थी।
जब तक मैंने उसकी टी-शर्ट निकाली उसने मेरी जींस को सरकाकर घुटनों तक कर दिया था और मेरा कड़क तना हुआ लिंग उसके हाथों में पहुंच चुका था।
उसने मुझे पकड़कर बेड पर खिंच लिया और फिर धक्का धेकर लेटा दिया और मेरी जींस और अंडरवियर को मेरे पैरों से अलग करके घुटनों के बल ही खडे हुए मेरे लिंग को घूरघूर कर देखने लगी।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने उपर खिंच लिया। वो झटके से मेरे उपर आ गिरी। उसके उरोज मेरी छाती में दबने से उसके मुंह से एक दर्द भरी आह निकली।
पर उस दर्द में उसको जो मजा आया होगा, क्योंकि उसने सीधे मेरे लबों को अपने लबों में कैद कर लिया और जोर जोर कभी उपर वाले होंठ को तो कभी नीचे वाले होंठ को चूसने लगी।
वो सरककर पूरी तरह से मेरे उपर हो गई। मेरा लिंग उसकी योनि पर पजामी के उपर से ही दब गया। उसके मुंह से आह निकल कर मेरे मुंह में समा गई।
उसने अपनी योनि को मेरे लिंग पर जोरों से रगड़ना शुरू कर दिया। पजामी इतनी मखमली और झिन्नी थी कि ऐसा लग रहा था कि मेरा लिंग सीधा उसकी योनि पर ही रगड़ रहा है। मैंने अपने हाथ उसके नितम्बों पर रख दिये और जोर जोर से मसलने लगा। मैं नीचे से कमर उठाकर लिंग को उसकी योनि पर दबा देता और साथ ही उसके नितम्बों को कसकर नीचे की तरफ दबा देता। दोनों के मुंह से मजे में आह निकलकर एक दूसरे में मुंह में समा जाती।
मैंने कोमल को झटका देकर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके उपर आ गया। कुछ देर तक उसके होंठों को चुसता रहा और लिंग से उसकी योनि पर हल्के हल्के धक्के मारता रहा। जैसे ही मैं लिंग को उपर उठाता उसके साथ साथ कोमल के कुल्हें भी हवा में उठकर मेरे लिंग से योनि को चिपकाने की कोशिश करते।
मैं उससे अलग हुआ और उसकी पजामी को उसके शरीर से अलग कर दिया।
कोमल वासना के ज्वर में बुरी तरह तप रही थी। उसने अपने कुल्हों को उपर उठाकर पजामी निकालने में हैल्प की और जैसे ही मैंने पजामी निकाल कर साइड में रखी उसने मुझे पकड़ कर अपने उपर खिंच लिया और अपनी नंगी योनि को मेरे लिंग पर जोरों से मसलने लगी।
मैंने अपने होंठ उसके उरोजों पर रख दिये और उसके निप्पल को होंठों के बीच लेकर चुसने लगा। कोमल मचल उठी और, और भी जोर से अपनी योनि को उछाल-उछाल कर मेरे लिंग पर मारने लगी। मेरा लिंग उसकी जांघों के बीच में घुस गया और उसकी योनि छिद्र पर ठोकरें मारने लगा।
मैं उसके उभारों को चुसे जा रहा था और वो पागल होती जा रही थी। उसके हाथ मेरे सिर को अपने उभारों पर दबा रहे थे। उसके मुंह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थी।
उसके उभारों को चुस चुस कर जब मेरा मुंह दुखने लगा तो मैंने अपना मुंह हटाया और उसके मस्त पेट को चुमते हुए नीचे की तरफ आने लगा।
कोमल के पैर मेरे पैरों से बुरी तरह जंग लड़ रहे थे, जिससे मेरे पैरों के बात खिंचने के कारण मुझे दर्द हो रहा था। पर जो मजा आ रहा था उसके सामने ये दर्द कुछ भी नहीं था।
मेरे नीचे की तरफ आने के कारण मेरा लिंग उसकी योनि से दूर हो गया था, जो उसे सहन नहीं हुआ और उसने मुझे वापिस अपने उपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी।
उसने अपने हाथ हमारे जांघों के बीच में किए और लिंग को अपनी योनि पर सैट करने लगी। मैं समझ गया कि अब ये नहीं रूकने वाली। मैंने थोडा उपर होकर लिंग सैट करने में उसकी हैल्प की और जैसे ही लिंग उसके योनी छिद्र पर लगा मैंने एक हल्का सा धक्का मार दिया।
कुछ तो उसकी योनि से बहते यौवन रस की चिकनाई और कुछ उसके हाथों का सपोर्ट जिससे लिंग इधर उधर नहीं फिसला और सुपाडा उसकी योनि में प्रवेश कर गया।
उसके मुंह से दर्द के मारे जोर की चीख निकली। मैंने तुरंत उसके मुंह को अपने होंठों से बंद कर दिया और उसकी बाकी की चीख मेरे मुंह में गुम हो गई।
उसने अपनी योनि को इधर उधर करके लिंग को बाहर निकाल दिया। उसकी आंखों में आंसू थे। मैंने उसके आंसुओं को अपने होंठों से पिया और उसकी आंखों में देखने लगा।
बहुत दर्द हो रहा है, उसने सुबकते हुए कहा।
पहली बार तो होगा ही, पर ज्यादा देर नहीं होगा, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
मैंने ऐसे ही अपने लिंग को उसकी योनि के उपर सहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद वो वापिस अपने हाथों को जांघों के बीच लाई और मेरे लिंग को अपनी योनि पर सैट किया।
अबकी बार एक बार में ही पूरा डाल देना, बार बार दर्द तो नहीं होगा, उसने कहा।
मैंने हल्का सा दबाव डाला तो मेरा सुपाड़ा उसकी योनि में घुस गया। उसकी आंखें दर्द से फैल गई। परन्तु अबकी बार उसने लिंग को बाहर नहीं निकाला। उसके हाथ अभी भी मेरे लिंग को पकड़े हुए थे।
कुछ देर ऐसे ही रहकर मैंने एक जोर का झटका मारा और मेरा लिंग उसकी योनि की दीवारों को चीरता हुआ दो इंच तक अंदर घुस गया।
उसका शरीर दर्द से कांप उठा और उसकी मुट्ठी मेरे लिंग पर कस गई। ऐसा लग रहा था कि वो भींच कर मेरे लिंग को फोड़ देगी। बहुत ज्यादा दर्द हुआ लिंग में। पर मैंने सह लिया।
मैंने थोड़ा सा उपर उठते हुए अपने हाथ उसके उभारों पर कस दिये और मसलने लगा। उसके दूसरे उभार को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा। कुछ देर में वो शांत हुई और नीचे से अपने कुल्हों केा थोड़ा थोड़ा उठाने लगी।
अभी तो पूरा बाहर ही है, जब इतने से में इतना ज्यादा दर्द हो रहा है तो, फिर पूरा अंदर जायेगा तो कितना दर्द होगा, कोमल ने मेरे लिंग को अपने हाथ से नापते हुए कहा।
उसके चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था, पर उस डर में मजे के चिह्न भी दिखाई दे रहे थे।
मैंने उसके हाथों को बीच में से निकाला और लिंग को हल्का सा बाहर खींचा, परन्तु साथ साथ कोमल के कुल्हे भी उपर उठे। मैंने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लिंग सीधा उसकी गहराईयों में उतरकर उसके गर्भाश्य से जा टकराया। उसकी चीख निकले उससे पहले ही मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को सील कर दिया।
क्रमशः.....................