Antarvasnasex रूम सर्विस - Page 4 - SexBaba
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Antarvasnasex रूम सर्विस

कुमुद होटेल के सीनियर स्टाफ में थी. होटेल में करीब 10 साल से काम कर रही थी. उसने भी हाउस कीपिंग स्टाफ जाय्न किया था और आज हाउस कीपिंग आंड कस्टमर लियासों डिपार्टमेंट की मॅनेजर थी. होटेल की हाउस कीपिंग और कस्टमर सॅटिस्फॅक्षन का ध्यान रखना उसका काम था. कस्टमर “सॅटिस्फॅक्षन”.

एक दिन अचानक ऋतु को घर से फोन आया. फोन ऋतु की मा का था. उसके पापा का आक्सिडेंट हुआ था और वो हॉस्पिटल में भरती थे. ऋतु के पैरों तले ज़मीन खिसक गयी. उसने कुमुद से बात की और फॉरन छुट्टी लेकर पठानकोट के लिए रवाना हो गयी. ऋतु के पापा को एक कार ने टक्कर मारी थी. टक्कर किसी सुनसान इलाक़े में हुई थी और टक्कर मारने वाला गाड़ी भगा ले गया. राह चलते कुछ लोगों ने उसके घर पे सूचित किया. अगले दिन जब ऋतु पठानकोट पहुचि तो सीधा हॉस्पिटल गयी. उसकी मया का रो रो के बुरा हाल था. ऋतु भी रोती हुई मा के गले लग कर रोने लगी. डॉक्टर्स से बात की तो पता चला की उसके पापा अब ख़तरे से बाहर हैं लेकिन आक्सिडेंट की वजह से उनके टॅंगो में सेन्सेशन ख़तम हो गयी हैं. इलाज के लिए ऑल इंडिया इन्स्टिट्यूट ऑफ मेडिकल ससईएनए (आयिम्स) ले जाना पड़ेगा. एक हफ्ते के बाद ऋतु अपने माता पिता को लेके दिल्ली आ गयी.

उसने अपने पापा को आयिम्स में दिखाया तो डॉक्टर ने काई तरह के टेस्ट्स वगेरह किए. उन टेस्ट्स के आधार पे डॉक्टर की राई थी की उनका इलाज लंबा होगा लेकिन वो दोबारा पहले जैसे चल फिर सकेंगे. ऋतु को इस बात से बहुत खुशी हुई. लेकिन मान ही मान यह दर सताने लगा की इलाज के लिए पैसो का इंतेज़ां कैसे होगा. उसकी छोटी सी तनख़्वा से वैसे ही हाथ तंग था.

एक दिन ऋतु मायूस होकर अपने काम पे लगी हुई थी की तभी कुमुद ने आकर उससे पूछा

“ऋतु .. अब तुम्हारे पापा की तबीयत कैसी हैं”

“हेलो मेम… जी इलाज चल रहा हैं आयिम्स में”

“ओक.. वहाँ के डॉक्टर्स बहुत काबिल हैं.. डॉन’ट वरी सब ठीक होगा.”

“ऋतु अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो हिचकिचाना नही. आइ आम हियर फॉर यू.”

“मेम मैं यह सोच रही थी की अगर कुछ लोन मिल जाता तो बहुत अच्छा रहता. आइ नो मैने आपके पहले के भी पैसे चुकाने हैं लेकिन यह लोन मेरे परिवार के लिए बहुत ज़रूरी हैं”

“देखो ऋतु.. होटेल की कोई पॉलिसी नही हैं एंप्लायी लोन्स की सो मैं तुम्हे झूठी उमीदें नही दे सकती. मेरे पास जो थोड़ा बहुत था वो मैं पहले ही तुम्हे दे चुकी हूँ”

“आइ नो मेम… आप ना होती तो ना जाने मेरा क्या होता.”

“ऋतु एक तरीका हैं जिससे की तुम्हारी परेशानी सॉल्व हो सकती हैं”

“वो कैसे मेम”

“इस होटेल में बहुत बड़े बड़े लोग आते हैं. बिज़्नेस्मेन, डिप्लोमॅट्स, आक्टर्स, पॉलिटिशियन्स वगेरह… एज दा कस्टमर लियासों मॅनेजर यह मेरी ड्यूटी हैं की मैं कस्टमर सॅटिस्फॅक्षंका ध्यान रखूं. हुमारे क्लाइंट्स दिन भर अपना काम करके शाम को जब वापस होटेल में आते हैं तो दे नीड टू रिलॅक्स.. उन्हे कोई चाहिए जो उनसे दो बातें कर सके आंड उनके साथ वक़्त स्पेंड करे. उनका दिल बहला सके. तुम समझ रही हो ना मैं क्या कह रही हूँ.”

“जी मेम” ऋतु अच्छिी तरह समझ रही थी की कुमुद क्या कह रही हैं.

“तुम स्मार्ट हो इंटेलिजेंट हो ब्यूटिफुल हो. तुम इस काम को बखूबी कर सकती हो.”

“जी मैं?”

“और नही तो क्या. तुम इस बारे में सोचना ज़रूर. इस काम के आछे ख़ासे पैसे भी मिलेंगे. तुम्हारी ज़िंदगी के सारे गीले शिखवे दूर हो जाएँगे. तुम्हारे पापा का आछे से अछा इलाज हो सकेगा. तुम्हे कभी पैसो की तंगी का सामना नही करना पड़ेगा. कोई जल्दी नही हैं आराम से सोच लो और फिर जवाब दो.”
 
यह कहकर कुमुद चली गयी. ऋतु समझ गयी थी की “कस्टमर सॅटिस्फॅक्षन” किस चिड़िया का नाम हैं. कुमुद का लिहाज करके वो उस वक़्त कुछ नही बोली. लेकिन उसके दिमाग़ में एक अजीब सा असमंजस चल रहा था. क्या पैसो के लिए वो एक वैश्या बन सकती थी? क्या वो अपने पापा के लिए यह कर सकती हैं? उसके सामने यह बहुत ही बड़ा धरमसंकट था. उसे कुछ समझ नही आ रहा था. उसे कोई और सूरत नज़र नही आ रही थी जिससे वो अपने परिवार की ज़रूरतो को पूरा कर सके. उस रात ऋतु सो नही पाई. पूरी रात वो इसी बारे में सोचती रही और सुबह की पहली किरण के साथ ही उसने निश्चय कर लिया था. अगले दिन उसने होटेल जाके कुमुद मेम को अपना निश्चय बताया.

“गुड मॉर्निंग मेम”

“गुड मॉर्निंग ऋतु.. प्लीज़ सीट. आइ होप ऋतु तुमने मेरी बात पर अच्छी तरह से सोच लिया होगा.”

“जी मेम. मैने सोचा हैं लेकिन मैं एक कशमकश में हूँ. समझ नही आ रहा की जो मैने फ़ैसला लिया हैं सही हैं या नही.”

कुमुद ऋतु की बात को ताड़ गयी.

“देखो ऋतु… इतना मत सोचो… अगर फ़ैसला ले लिया हैं तो उसपर अमल करो… जितना सोचोगी उतना ही उलझन बढ़ेगी.”

“जी मेम”

“डॉन’ट वरी.. मैं हूँ ना. तुम्हे डरने की कोई ज़रूरत नही.”

“मेम लेकिन यह सब जब बाकी लोगों को पता चलेगा तो मेरी नौकरी… और मेरी रेप्युटेशन की ऐसी तैसी हो जाएगी.”

“ऋतु यह सब की चिंता मत करो.. मुझ पे छोड़ दो. यहाँ होटेल में बंद दरवाज़े के पीछे क्या होता हैं किसी को खबर नही. और तुम अकेली नही हो इस होटेल में जो यह सब करोगी. मेरा यकीन करो.”

“जी मेम”

“आज शाम को अपनी शिफ्ट के बाद मुझे यहीं ऑफीस में मिलना.. और हां अपने घर फोन कर दो की तुम आज डबल शिफ्ट कर रही हो इसलिए रात को घर नही आओगी.”

“ओके मेम”

ऋतु अपनी शिफ्ट में लग गयी. दिन भर उसके मन में एक अजीब सी बेचैनी थी. दिल और दिमाग़ दोनो उसको अलग तरफ खीच रहे थे. शिफ्ट ख़तम होते होते उसके सर में दर्द होने लगा और थकान महसूस होने लगी. वो फिर भी कुमुद के ऑफीस में गयी.

“मे आइ कम इन मेम”

“आओ ऋतु. मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रही थी. तुम सीधा जाओ हमारे नेचर स्पा में और वहाँ स्नेहा से मिलो. स्नेहा स्पा की इंचारगे हैं. मैने उससे बात कर ली हैं. वो तूमे स्पा में रिलॅक्स करवाएँगे. उसके बाद वेट फॉर मी इन्स्ट्रक्षन्स.”

“जी मेम.”

और ऋतु स्पा की और बढ़ी. स्पा पहुच के वो स्नेहा से मिली. स्नेहा 27 साल की एक लड़की थी जो देखने में बहुत खूबसूरत थी. वो ऋतु को चेंजिंग रूम में ले गयी और उसे एक रोब दिया पहनने को. उसके बाद ऋतु को ले जाया गया सॉना रूम में. सॉना के भाप ने जैसे ऋतु के दिमाग़ से रोज़मर्रा की तकलीफो को धुनबदला कर दिया. ऋतु को वहाँ बहुत रिलॅक्सेशन मिली.

सॉना के बाद स्नेहा ऋतु को लेके मसाज रूम में चली गयी. उसने ऋतु को एक टवल दिया और बोला की सिर्फ़ इसको लप्पेट के टेबल पे औंधे मूह लेट जाओ. स्नेहा रूम से बाहर चली गयी. इतने में ऋतु ने चेंज किया और लेट गयी टेबल पे. स्नेहा रूम में आई कुछ आयिल्स और क्रीम्स लेके. उसने ऋतु की अची तरह मसाज की. मसाज के बाद ऋतु का फेशियल किया गया. उसके बाद ऋतु की फुल बॉडी वॅक्सिंग की गयी. एक एक बॉल को बहुत बारीकी से सॉफ किया गया.

इतना सब होने के बाद ऋतु बहुत ही अच्छा और फ्रेश महसूस करने लगी थी. उसका सर दर्द और थकान गायब हो गये. अब ऋतु का मॅनिक्यूवर और पेदिकुरे करवाया गया. उसके बाद हेर आंड मेकप. अंत में स्नेहा ने ऋतु को एक ड्रेस दी और कहा की इसको पहन लो. ऋतु ने केवल एक रोब पहना हुआ था. उसने स्नेहा से पूछा.

“यह ड्रेस पेहन्नि हैं क्या?”

“हां ऋतु”

“ओके… लेकिन मेरी ब्रा और पॅंटी कहाँ हैं,,, वो दे दो.”

“डॉन’ट वरी.. उनकी ज़रूरत नही. सिर्फ़ यह ड्रेस पहन लो.”

ऋतु उस ड्रेस में स्टन्निंग लग रही थी. वो एक ब्लॅक कलर की कॉकटेल ड्रेस थी. उसके साथ ही ऋतु के लिए हाइ हील शूज भी थे. ऋतु को थोडा उंकोमफोर्टब्ल ज़रूर लग रहा था क्यूकी स्कर्ट के नीचे ना उसने पॅंटी पहनी थी और ना ही टॉप के नीचे ब्रा. एसी की ठंड के कारण ऋतु के निपल्स एकद्ूम एरेक्ट हो रखे थे. उस ड्रेस में ऋतु के शरीर की एक एक लचक बहुत शष्ट रूप से दिख रही थी. स्नेहा भी एक बार उसे देख के हैरान ही गयी.

कुमुद स्पा में आई और ऋतु से मिली. वो ऋतु में आए चेंज को देखकर खुश थी. ऋतु किसी फिल्म की हेरोयिन से कम नही लग रही थी. उसकी स्किन एकद्ूम सॉफ्ट और सुपल आंड उसके बाल अच्छी तरह से बँधे हुए थे. ऋतु की ड्रेस उसके फिगर को इस कदर निखार रही थी की देखने वालो के लंड खड़े हो जायें.

कुमुद ने स्नेहा को उसके काम के लिए सराहा और उसे रूम से जाने के लिए कहा. कुमुद अब ऋतु की तरफ मूडी और उसे कहा

“ऋतु तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो… आइ आम स्योर मिस्टर स्टीवन तुम्हे देख के बहुत खुश होंगे”

“मिस्टर स्टीवन… कौन हैं यह?”

“स्टीवन उस का एक बहुत बड़ा बिज़्नेसमॅन हैं जो की हर महीने दो महीने में इंडिया आता हैं. वो हमेशा हामरे ही होटेल में रुकता हैं.. वो भी प्रेसिडेन्षियल सूयीट में. वो हमेशा हमारे होटेल में रुकता हैं क्यूकी यहाँ उसकी ज़रूरतो का पूरा ख़याल रखा जाता हैं.”

“ओके”

“स्टीवन हमारे होटेल का बहुत ही इंपॉर्टेंट कस्टमर हैं. बहुत रईस और दिलदार. उसकी नज़र-ए-इनायत हुई तो तुम्हारे व्यारे न्यारे हो जाएँगे. ऋतु आज तुम्हारा इस काम में पहला दिन हैं. आइ होप तुम मेरी और स्टीवन की उमीदो पे खरी उतरॉगी.”

“आइ विल ट्राइ माइ बेस्ट मेम”

“रूम नो 137 में वो तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हैं. गुड लक”

“थॅंक यू मेम”

दोस्तो इस पार्ट का एंड अब यही करता हूँ बाकी जानने के लिए रूम सर्विस का लास्ट पार्ट पढ़न ना भूलें

आपका दोस्त

राज शर्मा
 
रूम सर्विस -लास्ट पार्ट

ऋतु रूम नंबर 137 के सामने पहुचि. यह होटेल के सबसे बढ़िया रूम्स में से एक था. उस रूम का टॅरिफ हर किसी के बस की बात नही थी. उस कमरे के बाहर खड़े खड़े ऋतु ने अपना मन मज़बूत किया, एक लंबी साँस ली और हल्के से खटखटाया. अंदर से “कम इन” की आवाज़ आई.

ऋतु ने दरवाज़ा खोला और कॉन्फिडेंट्ली अंदर गयी. अंदर स्टीवन रोब पहने सोफा पे बैठा हुआ था. ऋतु उसकी तरफ बढ़ी और हाथ बढ़ाया मिलाने के लिए

“हाय आइ आम ऋतु”

स्टीवन उठा और उसने ऋतु का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला “आइ आम स्टीवन” और यह कहते हुए उसने धीरे से ऋतु के हाथ को चोंमा. “बट यू कॅन कॉल मी स्टीव.”

स्टीव की नज़रें ऋतु पे से हट नही रही थी. ऋतु भी पुर शबाब में थी. स्टीव ऋतु को लेके सूयीट की बार की और गया और वहाँ ऋतु के लिए एक ड्रिंक बनाने लगा.

“ऋतु हियर इस युवर ड्रिंक.”

“थॅंक्स हनी.”

“आइ लव इंडियन गर्ल्स. दे आर सो ब्यूटिफुल. सो एग्ज़ोटिक. सो मस्की. आंड सो टाइट”

ऋतु हंस दी… “ओह रियली स्टीवन… लगता हैं तुमने बहुत इंडियन गर्ल्स के साथ टाइम बिताया हैं.”

“वेल… आइ आडमाइर ब्यूटी.. आंड योउ कॅन कॉल मी स्टीव”

“ओके स्टीव”

“लेट्स गो टू दा बाल्कनी आंड हॅव अवर ड्रिंक्स देअर.”

दोनो सूयीट की बाल्कनी की तरफ चल दिए. बाल्कनी से नज़ारा बहुत खूबसूरत था…

दूर हाइवे पर चलती गाड़ियों की हेडलाइट्स ऐसे लग रही थी जैसे किसी नदी में असंख्या दिए तेर रहे हो. हल्की हल्की रात की हवा. नीचे स्विम्मिंग पूल जिसमे और उसके किनारे बैठे लोग. सामने लॉन में टहलते हुए लोग. उपर आसमान में टिमटिमाते तारे और स्टीव के पहलू में खूबसूरत शोख ऋतु. पूरा समा बहुत ही खूबसूरत था.

हवाएँ ऋतु की ज़ुल्फो से खेल रही थी और उसकी एक दो लट उसके गालो को मुसल्सल चूम रही थी. ऋतु ने उनको अपने कान के पीछे किया और स्टीव की और देख के हल्के से मुस्कुराइ. स्टीव ऋतु की अदाओं का दीवाना हो रहा था. उसका लंड ऋतु की चूत में घुसने के ख़याल से ही झूम रहा था…. उसके रोब में टेंट सा बन गया था. ऋतु की नज़रें उसपे पड़ी तो उसने स्टीव से कहा

“ईज़ दट ए गन इन यू पॉकेट ऑर आर यू ग्लॅड टू सी मी?” इस बात पे दोनो ज़ोर ज़ोर से हासणे लगे. स्टीव ऋतु के करीब गया और बोला “वाइ डॉन’ट यू चेक आउट फॉर युवरसेल्फ.”

ऋतु ने हाथ बढ़ाया और रोब के उपर रखा. रखते ही उसे स्टीव के लंड की गरमाई का एहसास हुआ. उसने आछे से हाथ में ले लिए लंड को और वो चौंक गयी.

स्टीव का लंड कम से कम 10 इंच लंबा था और ऋतु के दोनो हाथों में भी पूरा नही आ रहा था. गोलाई भी बहुत थी. एक पल के लिए तो ऋतु डर गयी और उसे लगा की आज वो मर ही जाएगी. लेकिन तभी उसे ख़याल आया की स्टीव को खुश करना ही उसका मकसद हैं और उसके लिए वो कुछ भी करेगी.
 
स्टीव का लंड अब रोब से बाहर खनक रहा था. ऋतु उसको अपने हाथों से सहला रही थी. दोनो के होंठ मिल चुके थे और स्टीव ऋतु के होंठों का आछे से मज़ा ले रहा था. उसके होंठों ऋतु के होंठों पे थे, गर्दन पे थे.. छाती पे थे… उसके हाथ ऋतु के बदन को एक्सप्लोर कर रहे थे. तभी एक झटके से वो ऋतु से अलग हो गया. अपना ड्रिंक ख़तम किया और ऋतु को घुमा के बाल्कनी की रेलिंग के साथ खड़ा कर दिया. ऋतु नीचे लोगों को देख रही थी. उसके बूब्स रेलिंग से बाहर लटक रहे थे. अभी भी उसके बदन पे सारे कपड़े थे. स्टीव उसके पीछे आके खड़ा हो गया. उसने अपने हाथ ऋतु की कमर पर रखे और वहाँ से धीरे धीरे सरकता हुआ नीचे उसके आस पे ले गया.

ऋतु को यह बहुत ही उत्तेजक लग रहा था. दोनो बाल्कनी में खड़े थे खुले में और कोई भी बीच से ऋतु को देख सकता था. स्टीव क्यूकी ऋतु के पीछे था इसलिए वो सबको नही दिख रहा था. स्टीव के रोब से झाँकता हुआ उसका बेकाबू लंड ऋतु के चूतडो के बीच चुभ रहा था. स्टीव ने पीछे से हाथ आगे बढ़ाए और ऋतु के बूब्स को जकड़ा. ऋतु डर गयी. अगर कोई नीचे से उपर देखता तो उसको स्पष्ट दिख जाता की ऋतु के बूब्स पे किसी और के हाथ हैं.

ऋतु ने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन स्टीव ने उसे हिलने नही दिया. ऋतु यही प्रार्थना कर रही थी भगवान से की नीचे से कोई उपर ना देखे और उसे ना पहचाने. स्टीव को इस सब में अजीब सा मज़ा आ रहा था.

स्टीव एक हाथ नीचे ले गया और ऋतु की ड्रेस को उपर खीचा. ऋतु ने पॅंटी और ब्रा तो पहनी थी ही नही… उसकी मस्त मुलायम और चिकनी चूत पे हाथ फिरते हुए स्टीव का लंड और भी तन गया था. अब स्टीव ने अपनी एक उंगली ऋतु की चूत में डाल दी. ऋतु आआअह करने लगी. वहीं दूसरी और स्टीव का लंड ऋतु के चूतडो के बीच की गहराई में जा बैठा था. स्टीव धीरे धीरे उपर नीचे हो रहा था और अपने लंड को दोनो मांसल चुतडो के बीच रगड़ रहा था.

ऋतु को कुछ डर कुछ मज़ा यह बसब का मिला जुला एहसास सा रहा था. उसे बाहर यह सब करने में आनंद आ रहा था. पकड़े जाने के डर से उसकी चूत भड़क रही थी. स्टीव की उंगलियाँ भी बहुत आछे से अपना काम कर रही थी. ऋतु को थोड़ा दर्द और थोड़ा मज़ा आ रहा था. बहुत दीनो से वो चुदी नही थी इसलिए चूत थोड़ी टाइट हो गयी थी. टाइट होने के बावजूद स्टीव की उंगलियाँ आराम से अंदर फिसल रही थी क्यूकी अब तक ऋतु 2 बार पानी छोड़ चुकी थी.

ऋतु के हाथ अब पीछे गये और स्टीव के लंड को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगे. स्टीव का लंड पहले से ही तना हुआ था. बस अब उससे नही रहा गया. उसने वहीं बाल्कनी की रेलिंग पे ऋतु को थोड़ा सा आगे को झुकाया और उसकी टांगे फैलाने को बोला. स्टीव थोड़ा झुका और अपने लंड का सिरा ऋतु की चूत पर टीकाया. एक ज़ोरदार झटके के साथ की स्टीव का लंड ऋतु की चूत में था और ऋतु के मूह से एक चीख छूट गयी. काफ़ी लोग उपर देखने लगे. ऋतु ने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन स्टीव ने उसे हटने ना दिया. नीचे खड़े लोगों को स्टीव नही दिख रहा था. एक दो बार उपर देखने के बाद लोग वापस अपने काम में लग गये.

स्टीव तो पहले से ही बेख़बर था उन लोगों के बारे में. उसको तो बस ऋतु की टाइट चूत का मज़ा लेना था. वो कस कस के झटके मारे जा रहा था. ऋतु ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और उसकी आँखों के किनारे से आँसू निकल रहे थे. स्टीव का लंड ऋतु की चूत की उन गहराइयो को छू रहा था जिनके होने का एहसास ऋतु को भी नही था.

15 मिनट की इस ज़बरदस्त चुदाई के बाद स्टीव ऑर्गॅज़म करने के लिए तैयार हुआ… उसके टटटे शॉर्ट होने लगे. उसने ऋतु की चूत से लंड निकाला और उसको घुटनो के बल बाल्कनी के फ्लोर पे बिठाया. ऋतु आँखें बंद करके बैठ गयी. उसे पता था स्टीव क्या करने वाला हैं. स्टीव ज़ोर से मूठ मारने लगा ऋतु के मूह के पास. थोड़ी ही देर में उसके वीर्य की एक तेज़ गर्म धार निकल कर ऋतु के चेहरे पे पड़ी. फिर एक और और उसके बाद एक और. यह सिलसिला करीब 1 मिनिट तक चलता रहा. स्टीव ने जो भी वीर्य स्टॉक में था सब का सब ऋतु पे न्योछार कर दिया. ऋतु का पूरा चेहरा स्टीव के लेस से सना हुआ था .. उसके बालों पे भी वही था और कुछ बहकर उसके गर्दन और छाती पे भी चला गया था.
 
स्टीव ने झाड़ते हुए आँखें मूंद ली थी. उसने आखें खोली और ऋतु को देखा. उसे ऋतु के पुर चेहरे पे अपना वीर्य ही दिख रहा था. उसने ऋतु को उठाया और उसको टाय्लेट का रास्ता दिखाया. खुद भी अंदर आ गया और एक और ड्रिंक बनाना लगा. तभी उसने बाथरूम में ऋतु को एक आवाज़ लगाई.

“लीव युवर क्लोद्स देअर इटसेल्फ बेबी.”

ऋतु बाथरूम में वॉश बेसिन के सामने लगे शीशे में अपने आप को घूर रही थी. वीर्य से सने उसके चेहरे में उसको दुनिया भर की बदसूरती नज़र आ रही थी. उसे अपने आप से घिंन आ रही थी. उसे अपने शरीर के दर्द से ज़्यादा अपने आत्मा पे लगे घाव का मलाल था.

ऋतु ने अपने शरीर से उस ड्रेस को उतार दिया और सिर्फ़ हील्स पहने हुए रूम में आ गयी. स्टीव सोफे पे बैठा अपनी ड्रिंक पी रहा था. ऋतु को देखते ही उसके मूह से एक सीटी निकल गयी. ऋतु हल्के से मुस्कुराइ और उसके पास आके बैठ गयी. स्टीव ने उसके गले में हाथ डाला और कंधे के उपर से नीचे लाते हुए ऋतु का एक बूब दबा दिया.

“वाउ यू आर ब्यूटिफुल”

“थॅंक्स स्टीव”

“वी आर नोट डन यट हनी. बी रेडी फॉर ए सेकेंड राउंड सून.”

“आइ आम ऑल्वेज़ रेडी. वेनेवर यू से डार्लिंग.”

स्टीव के हाथ ऋतु के जिस्म हर घूम रहे थे. ऋतु की चूत अभी भी स्टीव के लंड के एहसास से धधक रही थी. स्टीव ने ऋतु को अपनी गोद में बिठा लिया. ऋतु के जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था. स्टीव अभी भी अपना रोब पहने हुए था जिसमे में उसका लंड बाहर झाँक रहा था. ऋतु जब स्टीव की गोद में बैठी तो उसका लंड सीधा ऋतु की गांद के छेड़ पे था. ऋतु उछल के खड़ी हो गयी और दोबारा ठीक से बैठी. स्टीव इस बात पर हस पड़ा. गोद के नीचे ऋतु को स्टीव के लंड की गर्मी और ठॉस्पान का एहसास हो रहा था. एक बार झड़ने के बाद भी स्टीव का लंड वापस पहले जैसे सख़्त हो गया था.

स्टीव ने अपना हाथ ऋतु के चूतडो पे हिलाया और धीरे धीरे ऋतु के गान्ड के छेद की और ले गया. ऋतु को इस बात का एहसास हो गया की स्टीव का अगला लक्ष्या उसकी गान्ड हैं. वो सहम गयी. स्टीव के लंड ने उसका बुरा हाल कर दिया था. अब गान्ड का ना जाने क्या हाल होगा. स्टीव धीरे धीरे उसके गान्ड के छेद पे उंगली हिलाने लगा. ऋतु को भी इस काम में मज़ा आने लगा.

अब तक सिर्फ़ एक ही बार उसकी गान्ड मारी थी करण ने लेकिन उस दिन को याद करके ऋतु सिहर उठी. क्या स्टीव भी वही सब करेगा?

स्टीव ऋतु के साथ गुज़र रही इस शाम का पूरा मज़ा ले रहा था. वो होटेल का पुराना और बहुत बड़ा क्लाइंट था. वो होटेल के स्टाफ को और होटेल का स्टाफ उसे अच्छी तरह से जानता था. कुमुद से उसकी ख़ास दोस्ती थी. कुमुद उसकी हर ज़रूरत का ख़याल रखती थी और इसके बदले वो कुमुद को मूह माँगी कीमत देता था.

आज शाम जब उसने चेक इन किया था तो रूम में आने के बाद कुमुद को फोन करके बताया की वो बहुत थका हुआ हैं और अकेला भी. कुमुद ने उसको आश्वासन दिया की आज उसकी पूरी थकान रात को उतार दी जाएगी. कुमुद स्टीव से $1000 ले चुकी थी. ऋतु को . 25000 रुपये देने के बाद कुमुद के पास भी 25000 बचेंगे. कुमुद का सिंपल 50% वाला हिसाब था. कस्टमर की नीड और जेब के हिसाब से वो उनके लिए सर्विस का इंतज़ाम करती थी. रूम सर्विस.

होटेल की कुछ लड़कियाँ जैसे की ऋतु और कुछ बाहर की लड़कियों की मदद से कुमुद यह काम कर रही थी. महीने में 10-15 ऐसे कस्टमर्स तो मिल ही जाते थे जिससे की करीब 1-1.5 लाख रुपये की कमाई हो जाती थी कुमुद की. लेकिन ज़्यादातर लड़कियाँ इतनी खूबसूरत नही थी की उनके लोग बहुत ज़्यादा दाम दें. ऋतु उन सब से अलग थी. कुमुद को पूरा यकीन था की अगर ऋतु ने स्टीव को खुश कर दिया तो अगली बार स्टीव ऋतु के लिए $1500 भी दे देगा आराम से.

उधर कमरे में सहमी हुई ऋतु को देख के स्टीव खुश था. स्टीव ने अपनी उंगली ऋतु की गान्ड में घुसाई तो ऋतु के मूह से आह छूट गयी. स्टीव ने ऋतु से पूछा

“हॅव यू बिन फक्ड इन दा आस बिफोर.”

“नो स्टीव… आइ हेअर्ड इट्स वेरी पेनफुल टू डू इट देअर.” ऋतु ने ना कह दी ताकि स्टीव को यह खुशी मिले की ऋतु की गान्ड सबसे पहले उसी ने मारी हैं.

“नो बेबी.. इट्स नोट दट… आइ विल डू इट गेंट्ली.” स्टीव मन ही मन खुश हुआ की ऋतु की कुँवारी गान्ड को आज वो चोदेगा.
 
स्टीव ने एक वॉटर बेस्ड ल्यूब की बॉटल ली और उसमे से थोड़ा सा ल्यूब अपनी उंगलियों पे लगाया. ऋतु की दोनो टॅंगो को चौड़ा करके उसने गान्ड के छेद पे खूब सारा ल्यूब लगा दिया. अब हल्के से एक उंगली से उस ल्यूब को अंदर धकेला. ऋतु की साँसें भारी होती जा रही थी और स्टीव यह देख के बहुत खुश था. स्टीव ने धीरे धीरे पूरी उंगली अंदर कर दी. ऋतु ने झूठ मूठ दर्द होने का नाटक किया. स्टीव ऋतु के इस दर्द से और पागल हो उठा. उसने दो उंगलियाँ अंदर कर दी. ऋतु ने उची आवाज़ में दर्द का इज़हार किया.

अब स्टीव ने अपने लंड पे खूब सारा ल्यूब लगाया. वो ऋतु की कुँवारी गान्ड को फाड़ने के लिए तैयार था. उसका लंड बेताब हो रहा था की गान्ड में घुसे. उसने लंड का सिरा गान्ड के छेद पे टीकाया और एक ही ज़ोरदार झटके में लंड को आधा गान्ड के अंदर धकेल दिया. स्टीव का फिरंगी लंड करण के देसी लंड के मुक़ाबले बहुत चौड़ा था और ऋतु की सचमुच दर्द के मारे चीख निकल पड़ी. उसकी आँखों के किनरो से आँसू भी आने लगे. यह देख के स्टीव को ऐसा जोश चढ़ा की उसने एक और झटके में लंड पूरा गान्ड में घुसा दिया.

दर्द के मारे ऋतु तिलमिला उठी. उसे लगा की आज उसकी मौत पक्की हैं.. दर्द के मारे. स्टीव एक पल के लिए रुका ताकि ऋतु की गान्ड अच्छी तरह से खुल जाए और उसके बाद और धक्के देना शुरू करेगा. आज तक स्टीव ने बहुत गान्ड मारी थी लेकिन इतनी टाइट और मज़ेदार कोई नही. कुछ देर के बाद स्टीव ने हल्का सा लंड बाहर निकाला और वापस गान्ड में घुसा दिया. ऋतु को अभी भी दर्द हो रहा था लेकिन पहले से कम. उसने हाथ टाँगों के नीचे से बढ़ा कर स्टीव के टटटे पकड़ लिए. स्टीव एक पल के लिए हैरान हो गया. लेकिन जब ऋतु ने हल्के हल्के हाथ से टॅटू को दबाया तो उसको बहुत अच्छा लगा. स्टीव आन थोड़ी स्पीड से गान्ड के अंदर बाहर कर रहा था अपना लंड. ऋतु को भी अब दर्द ज़्यादा नही था और मज़ा आने लगा था.

ऋतु उसके टटटे दबाब रही थी और स्टीव के हाथ ऋतु के बूब्स पे . स्टीव उनको आछे से मसल रहा था. ऋतु के निपल जो की हल्के भूरे रंग के थे इस मसालने की व्जाह से अब एकद्ूम लाल हो गये थे. ऋतु को गान्ड मरवाने में मज़ा आ रहा था. वो स्टीव को उत्साहित कर रही थी कुछ ना कुछ बोलके

“ओह स्टीव .. यू आर सो गुड…..युवर कॉक इस सो बिग …. फक माइ आस स्टीव…. शो मी हू दा मॅन ईज़… मेक मी युवर लिट्ल इंडियन होर स्टीव… ऊह एसस्स.., युवर कॉक फील्स सो गुड बेबी…. माइ आस ईज़ स्ट्रेच्ड… दिस ईज़ दा बेस्ट फक ऑफ माइ लाइफ”

स्टीव भी इन सब बातों को सुन के ज़ोर ज़ोर से पंप करने लगा. थोड़ी ही देर में उसके लंड में प्रेशर बनने लगा. उसने स्पीड और तेज़ कर दी. ऋतु उसके टॅटन को हल्के से दबाए जा रही थी. स्टीव से रहा ना गया और उसने ऋतु की गान्ड में अपने वीर्य की बौछार कर दी. वो अभी भी पंप करे जा रहा था. फाइनली स्टीव रुका और उसने लंड ऋतु की गान्ड से बाहर निकाला. वो थक कर बैठ गया. ऋतु की गान्ड से स्टीव का वीर्य बह कर बाहर आ रहा था. ऋतु भी पसीने से लथपथ पड़ी हुई थी.

स्टीव ने उसको बड़ी तबीयत से चोदा था और ऋतु भी अरसे बाद चुदी थी. दोनो एक दूसरे के आस पास पड़े रहे.

कुछ देर बाद स्टीव उठा और आल्मिराह में से अपने वॉलेट निकाल के उसमे से $200 निकाल के ऋतु को दिए.

“हियर स्वीटहार्ट.. गेट उर्सेलफ ए गिफ्ट”

ऋतु ने स्टीव के हाथ में $100 के 2 नोट देखे और उसको एक पल के लिए यह एहसास हुआ की वो क्या बन चुकी हैं. यह सोचते ही उसका मन एकदम से विचलित हुआ लेकिन अगले ही पल उसने यह ख़याल हटा के मुस्कुराते हुए स्टीव से वो पैसे लिए और उसको किस किया और कहा.

“ओह स्टीव डार्लिंग… दिस वाज़ दा बेस्ट नाइट ऑफ माइ लाइफ. यू आर ए स्ट्रॉंग मॅन!! आइ होप वी गेट टुगेदर सून”

“सून बेबी. गुड नाइट.”

“गुड नाइट डार्लिंग”

ऋतु ने अपने कपड़े पहने और स्टीव के रूम से चली आई. उसने रूम सर्विस बखूबी प्रवाइड की और उसके काम से खुश होके स्टीव ने उसे अच्छी टिप भी दी थी. चलते चलते ऋतु की आँखों के सामने उसकी ज़िंदगी चलने लगी.. कैसे वो पाठकोट से दिल्ली आई थी ट्रेन में.. पूजा के साथ हॉस्टिल में… पहली जॉब.. करण के साथ गुज़ारे हसीन पल… दोनो का प्यार… करण और ऋतु के बीच की ग़लतफहमी… ऋतु का अकेलापन.. उसके घर की परेशानियाँ… होटेल की नौकरी… और एक एंप्लायी से एक कॉल गर्ल बनने तक की जर्नी. चलते चलते ऋतु की आँखों से आँसू आने लगे लेकिन ऋतु ने उनको पोछा और दिल मज़बूत किया. पर्स से फोन निकाला और लास्ट डाइयल्ड नंबर को रिडाइयल किया. दूसरी तरफ से कोई आवाज़ नही आई

ऋतु बोली “रूम सर्विस डन!!” और फोन कट किया.

दोस्तो ये थी कहानी एक मासूम लड़की की जो दुनिया के एशो आराम के लिए अपने परिवार के लिए एक वेश्या बन चुकी थी हमारे समाज मैं आज भी ऐसी बहुत लड़कियाँ है जिनकी कहानी ऋतु से मिलती है जो किसी के प्यार मैं आकर अपना शरीर लड़को को न्योछावर कर देती है जब वो भंवरे उनका रस पीकर उड़ जाते है तब उनके पास सिर्फ़ यही काम बचता है जिसका नाम है रूम सर्विस . दोस्तो कहानी कैसी लगी बताना मत भूलना आपके जबाब के इंतजार मैं

आपका दोस्त

राज शर्मा
 
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