hotaks444
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करण ने ऋतु को आराम से बेड पे लिटाया. साटन की महरूम बेडशीट पे
लेट-ते ही ठंड की एक लहर ऋतु की शरीर में दौड़ गयी… उसके रोंगटे
खड़े हो गये. करण यह देख के मुस्कुराया और अपनी उंगलियों से उसके रोंगटो
को महसूस करने लगा… अब वो खुद भी बेड पे आके लेट गया. दोनो के कपड़े
अभी भी बाहर ड्रॉयिंग रूम में पड़े हुए थे.
करण बेड पे ऐसा लेटा था की ऋतु उसकी लेफ्ट साइड में थी… उसी साइड में
वॉर्डरोब भी था जिसपे बड़े बड़े शीशे लगे हुए थे. यानी की करण अपने
सामने ऋतु के आगे का शरीर देख सकता था और शीशे में उसकी पीछे
का… इस गेम का पुराना खिलाड़ी था आख़िर…. करण ने सीधा शॅंपेन की
बोतल पे मूह लगाया और शॅंपेन गटाकने लगा. उसने शॅंपेन ऋतु को भी
ऑफर की … ऋतु ने मना किया...
अब करण ने शॅंपेन की बोतल को फिर से मूह में लिया और अपने गालों में
शॅंपेन भर ली. उसने ऋतु को चूमने के बहाने वो शॅंपेन ऋतु के मूह
में उडेल दी. ऋतु ने शॅंपेन को जैसे तैसे गटक लिया और उसके बाद
खेलते हुए एक हाथ मारा करण की छाती पे. कारण ने उसे फिर से चूमना
चालू किया ताकि उसे मेन आक्ट से पहले गरम कर सके. ऋतु अब तक काफ़ी
पानी छोड़ चुकी थी और उसकी चूतका गीलपन उसकी जाँघो तक टपक रहा
था…
ऋतु के शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नही था जिसे करण ने चूमा नही…..
अब टाइम आ चुक्का था ऋतु की कुँवारी चूत को भोगने का… करण का लंड
एकदम तना हुआ था … कब से वो इस दिन का इंतेज़ार कर रहा था… ऋतु भी
फुल गरम हो चुकी थी … करण ने ऋतु की टांगे फैलाई और उनके बीच
जाके बैठा… उसने ऋतु की आँखों में देखा… उनमें एक अंजान सा डर था…
वो आगे बढ़ा और उसने ऋतु के गालों को चूमा और बोला
“डॉन’ट वरी… मैं हूँ ना”
ऋतु को यह बात सुनके कुछ सुकून मिला और उसने आँखें बंद कर ली.
आँखें बंद किए हुए ऋतु इतनी स्वीट और ब्यूटिफुल लग रही थी की एक पल के
लिए तो करण के मन में ख्याल आया की बस उसे निहारता रहे और उसकी ले
नही… लेकिन घोड़ा अगर घांस से दोस्ती कर लेगा तो खाएगा क्या.
एक उंगली… सिर्फ़ एक उंगली घुसते ही ऋतु ने आँखें ज़ोर से भीच ली दर्द के
मारे और मूह से एक दबी हुई चीख... करण ने उसे हौसला देते हुए कहा की
अभी सब ठीक हो जाएगा… उसने उंगली वापस अंदर डाली और थोड़ी देर अंदर
ही रहने दी… कुछ टाइम बाद धीरे से अंदर बाहर करने लगा… उसने उंगली
अंदर घुसाई और अंगूठे से ऋतु के क्लिट से खेलने लगा,… ऋतु मारे आनंद
के करहा रही थी… अपने घुटनो को मोड़ के उपर उठा लिया था ताकि चूत
एकदम सामने आ जाए.
अब करण से रहा नही जा रहा था…करण ने लंड को हाथ में पकड़ा और उसे
टच करवाया ऋतु की चूत पे. ऋतु सिहर गयी… पहली बार उसकी चूत पे
किसी लंड का संपर्क हुआ था. उसने अपनी सहेलियों से सुना था की पहली बार
करने में बहुत दर्द होता हैं.. लेकिन वो यह दर्द भी झेल सकती थी अपने
करण के लिए.
करण ने अब देर ना की और एक हल्के झटके से अपने लंड का सिरा उसकी चूत की
फांको में घुसा दिया. ऋतु ने ज़ोर से तकिये को दबा दिया… और आँखें
ज़ोर से भींच ली… और अभी तो सिर्फ़ लंड का सिरा गया था अंदर. करण ने
थोड़ी देर वैसे ही रहने दिया.. उसके बाद उसने वापस दम लगाया और आधा
लंड अंदर कर दिया चूत के…. ऋतु हल्के से चीख पड़ी…. उसकी आँखों के
किनारो में आँसू की बूँदें जमने लगी…
करण ने ऋतु के माथे पे आई कुछ पसीने की बूँदें पोछी और उसके गाल
थपथपाते हुए कहा.
“डॉन’ट वरी जान… यू आर डूइंग ग्रेट”
अब करण ने एक आखरी धक्का दिया और लंड चूत में पूरी तरह से घुस
गया… ऋतु की चीख चूत गयी और उसके नाख़ून कारण की पीठ में धँस
गये. करण अंदर बाहर करने लगा अपना लंड और देखा की उसके लंड पे खून
लगा हुआ था जो की चूत से सरक से बिस्तर पे पड़ रहा था…
करण ने मन ही मन सोचा “अच्छा हुआ महरूम कलर की बेडशीट्स ली ..
वरना ना जाने कितनी बदलनी पड़ती आज तक. ”.
लेट-ते ही ठंड की एक लहर ऋतु की शरीर में दौड़ गयी… उसके रोंगटे
खड़े हो गये. करण यह देख के मुस्कुराया और अपनी उंगलियों से उसके रोंगटो
को महसूस करने लगा… अब वो खुद भी बेड पे आके लेट गया. दोनो के कपड़े
अभी भी बाहर ड्रॉयिंग रूम में पड़े हुए थे.
करण बेड पे ऐसा लेटा था की ऋतु उसकी लेफ्ट साइड में थी… उसी साइड में
वॉर्डरोब भी था जिसपे बड़े बड़े शीशे लगे हुए थे. यानी की करण अपने
सामने ऋतु के आगे का शरीर देख सकता था और शीशे में उसकी पीछे
का… इस गेम का पुराना खिलाड़ी था आख़िर…. करण ने सीधा शॅंपेन की
बोतल पे मूह लगाया और शॅंपेन गटाकने लगा. उसने शॅंपेन ऋतु को भी
ऑफर की … ऋतु ने मना किया...
अब करण ने शॅंपेन की बोतल को फिर से मूह में लिया और अपने गालों में
शॅंपेन भर ली. उसने ऋतु को चूमने के बहाने वो शॅंपेन ऋतु के मूह
में उडेल दी. ऋतु ने शॅंपेन को जैसे तैसे गटक लिया और उसके बाद
खेलते हुए एक हाथ मारा करण की छाती पे. कारण ने उसे फिर से चूमना
चालू किया ताकि उसे मेन आक्ट से पहले गरम कर सके. ऋतु अब तक काफ़ी
पानी छोड़ चुकी थी और उसकी चूतका गीलपन उसकी जाँघो तक टपक रहा
था…
ऋतु के शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नही था जिसे करण ने चूमा नही…..
अब टाइम आ चुक्का था ऋतु की कुँवारी चूत को भोगने का… करण का लंड
एकदम तना हुआ था … कब से वो इस दिन का इंतेज़ार कर रहा था… ऋतु भी
फुल गरम हो चुकी थी … करण ने ऋतु की टांगे फैलाई और उनके बीच
जाके बैठा… उसने ऋतु की आँखों में देखा… उनमें एक अंजान सा डर था…
वो आगे बढ़ा और उसने ऋतु के गालों को चूमा और बोला
“डॉन’ट वरी… मैं हूँ ना”
ऋतु को यह बात सुनके कुछ सुकून मिला और उसने आँखें बंद कर ली.
आँखें बंद किए हुए ऋतु इतनी स्वीट और ब्यूटिफुल लग रही थी की एक पल के
लिए तो करण के मन में ख्याल आया की बस उसे निहारता रहे और उसकी ले
नही… लेकिन घोड़ा अगर घांस से दोस्ती कर लेगा तो खाएगा क्या.
एक उंगली… सिर्फ़ एक उंगली घुसते ही ऋतु ने आँखें ज़ोर से भीच ली दर्द के
मारे और मूह से एक दबी हुई चीख... करण ने उसे हौसला देते हुए कहा की
अभी सब ठीक हो जाएगा… उसने उंगली वापस अंदर डाली और थोड़ी देर अंदर
ही रहने दी… कुछ टाइम बाद धीरे से अंदर बाहर करने लगा… उसने उंगली
अंदर घुसाई और अंगूठे से ऋतु के क्लिट से खेलने लगा,… ऋतु मारे आनंद
के करहा रही थी… अपने घुटनो को मोड़ के उपर उठा लिया था ताकि चूत
एकदम सामने आ जाए.
अब करण से रहा नही जा रहा था…करण ने लंड को हाथ में पकड़ा और उसे
टच करवाया ऋतु की चूत पे. ऋतु सिहर गयी… पहली बार उसकी चूत पे
किसी लंड का संपर्क हुआ था. उसने अपनी सहेलियों से सुना था की पहली बार
करने में बहुत दर्द होता हैं.. लेकिन वो यह दर्द भी झेल सकती थी अपने
करण के लिए.
करण ने अब देर ना की और एक हल्के झटके से अपने लंड का सिरा उसकी चूत की
फांको में घुसा दिया. ऋतु ने ज़ोर से तकिये को दबा दिया… और आँखें
ज़ोर से भींच ली… और अभी तो सिर्फ़ लंड का सिरा गया था अंदर. करण ने
थोड़ी देर वैसे ही रहने दिया.. उसके बाद उसने वापस दम लगाया और आधा
लंड अंदर कर दिया चूत के…. ऋतु हल्के से चीख पड़ी…. उसकी आँखों के
किनारो में आँसू की बूँदें जमने लगी…
करण ने ऋतु के माथे पे आई कुछ पसीने की बूँदें पोछी और उसके गाल
थपथपाते हुए कहा.
“डॉन’ट वरी जान… यू आर डूइंग ग्रेट”
अब करण ने एक आखरी धक्का दिया और लंड चूत में पूरी तरह से घुस
गया… ऋतु की चीख चूत गयी और उसके नाख़ून कारण की पीठ में धँस
गये. करण अंदर बाहर करने लगा अपना लंड और देखा की उसके लंड पे खून
लगा हुआ था जो की चूत से सरक से बिस्तर पे पड़ रहा था…
करण ने मन ही मन सोचा “अच्छा हुआ महरूम कलर की बेडशीट्स ली ..
वरना ना जाने कितनी बदलनी पड़ती आज तक. ”.