hotaks444
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करण का लंड पहले ही सेमी एरेक्ट था लेकिन अब पुर ज़ोर पे था. वो खुद अब तक ऋतु की गान्ड से ही खेल रहा था… उसने उसके अस्स के क्रॅक में से स्ट्रॅप निकाल के साइड में खींच दिया था और उस दरार में अपना हाथ उपर नीचे करे जा रहा था. उसने गान्ड के छेद के उपर ले जाकर अपनी उंगली टिकाई और उससे खेलने लगा… उंगली टिकाते की ऋतु थरथरा सी गयी..
आज करण के हाथ ऋतु की चूत से दूर बस उसकी गान्ड पे ही टीके हुए थे… 2 बार तो ऋतु की चूत में वो अपना लंड पेल चुक्का था… अब उसका ध्यान कहीं और था… जी हां आज वो ऋतु की गान्ड मारने के मूड में था.
करण ने एक हाथ से ऋतु के ब्रा का स्ट्रॅप उसके कंधे से उतार दिया.. दूसरे कंधे से भी उसने स्टरपनीचे कर दिया…. वैसे भी वो ब्लॅक लेसी ब्रा ऋतु के बूब्स को संभाल नही पा रही थी… उसके मम्मे जैसे ब्रा के कप्स से छलकने को तैयार थे…. धीरे से करण ने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए पीछे से.
ब्रा सरक के नीचे फर्श पर गिर गयी. ऋतु ने उसे पैर से सरका के साइड कर दिया … दोनो अभी भी डॅन्स की मुद्रा में थे … अब करण ने उसकी थॉंग्ज़ को कमर की दोनो तरफ से पकड़ा और नीचे कर दिया… और नीचे जाते जाते उसकी नाभि को चूमने लगा… ऋतु ने उसका मूह अपने पेट में दबा लिया… उसके बूब्स करण के सर उपर जाके टिक गये. और वो उनसे हल्का हल्का दबाव उसके सर पर बनाने लगी… इतनी अच्छी हेड मसाज शायद ही आज तक किसी को मिली हो
करण उपर आया तो ऋतु ने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए… शर्ट उतारने के बाद ऋतु के हाथ अब उसकी जीन्स के बटन पे थे… जीन्स के साथ ही उसने करण का बॉक्सर्स भी नीचे कर दिया…
अंडरवेर से फ्री होते ही उसका लंड टान्न्न करके करके सामने था… तभी करण ने नीचे पड़ी जीन्स की जेब से एक छोटी सी ट्यूब निकाली. जेल्ली की. ऋतु समझ ही नही पाई की यह हैं क्या.
“यह क्या हैं करण”
“बेबी दिस ईज़ जेल्ली या ल्यूब्रिकेशन”
“लेकिन इसकी क्या ज़रूरत हैं.. तुम्हारा हाथ लगते ही मैं तो वैसे ही लूब्रिकेटेड हो जाती हूँ”
“आज ज़रूरत पड़ेगी जान… देखते जाओ.”
करण ने ऋतु को डाइनिंग टेबल के पास ले गया… उसने एक हाथ से डाइनिंग टेबल पर पड़ी फ्रूट ट्रे को सरका के गिरा दिया… नीचे फर्श पर सेब बिखर गये. करण ने ऋतु को उठा के डाइनिंग टेबल पे इस तरह लिटा दिया की ऋतु का बाकी शरीर डाइनिंग टेबल पे था और उसकी गान्ड टेबल से बाहर लटक रही थी… उसकी टाँगो को करण ने अपने कंधे पे उठा रखा था.
करण की एकटक नज़र ऋतु की गान्ड पे थी.. वो आज उसकी चूत की तरफ देख भी नही रहा था. उसने सोच रखा था की आज वो ऋतु के इस छेद को भी नही छोड़ेगा. उसने जेल्ली की ट्यूब का ढक्कन खोला और उसे दबाया. जेल्ली को अपने हाथ में लेके उसने अच्छे से अपने लंड पे लगाया. उसे जेल्ली में आछे से कोट कर दिया. उसने ट्यूब फिर से दबा के और जेल्ली निकाली और ऋतु के गान्ड के छेद पे लगा दी… उसकी उंगलियाँ तो पहले से ही जेल्ली से सनी हुई थी. उसने धीरे से एक उंगली छेद के सिरे पे टीका दी और अंदर घुसाने के लिए हल्का सा ज़ोर लगाया. उंगली फटाक से अंदर घुस गयी,..
“ऊई मा… यह क्या कर रहे हो करण”
“जेल वाली उंगली डाल रहा हूँ… क्या हुआ”
“लेकिन यह कहाँ डाल रहे हो बाबा…ठीक से डालो आगे”
“आगे नही … यह तो यहीं जाएगी…”
इतनी देर में करण अपनी उंगली से जेल की अछी ख़ासी मात्रा ऋतु की गान्ड में डाल चुक्का था. उसने अपने कड़क लंड को पकड़ा और छेद पे टीका दिया अपना सूपड़ा. एक ज़ोरदार धक्का मारा और लंड गान्ड के अंदर…
“करण यह क्या हैं… प्लीज़ निकालो इसे… यह मत करो… दर्द हो रहा हैं”
“ओह कमऑन ऋतु… ट्राइ टू रिलॅक्स”
“नही नही यह सब क्या कर रहे हो”
“क्या कर रहा हूँ… कुछ भी तो नही… यह तो आजकल कामन चीज़ हैं” करण अब लंड आगे पीछे करने लगा था
“आआअहह ……नही नही यह ठीक नही… प्लीज़ निकालो… दर्द हो रहा हैं…यह तो अन्नॅचुरल हैं” ऋतु को दर्द हो रहा था…. वो रिलॅक्स नही कर रही थी और इसी की वजह से दर्द और बढ़ रहा था
“अन नॅचुरल क्या होता हैं… ” करण लगातार चालू था
“आआआहह ओओओओईईईई माआआआ करण प्लीज़.”
“ऋतु प्लीज़ … ट्राइ टू रिलॅक्स…2 मिनट रूको… अभी सब ठीक हो जाएगा और तुम्हे इसमे चूत से ज़्यादा मज़ा आएगा.”
आज करण के हाथ ऋतु की चूत से दूर बस उसकी गान्ड पे ही टीके हुए थे… 2 बार तो ऋतु की चूत में वो अपना लंड पेल चुक्का था… अब उसका ध्यान कहीं और था… जी हां आज वो ऋतु की गान्ड मारने के मूड में था.
करण ने एक हाथ से ऋतु के ब्रा का स्ट्रॅप उसके कंधे से उतार दिया.. दूसरे कंधे से भी उसने स्टरपनीचे कर दिया…. वैसे भी वो ब्लॅक लेसी ब्रा ऋतु के बूब्स को संभाल नही पा रही थी… उसके मम्मे जैसे ब्रा के कप्स से छलकने को तैयार थे…. धीरे से करण ने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए पीछे से.
ब्रा सरक के नीचे फर्श पर गिर गयी. ऋतु ने उसे पैर से सरका के साइड कर दिया … दोनो अभी भी डॅन्स की मुद्रा में थे … अब करण ने उसकी थॉंग्ज़ को कमर की दोनो तरफ से पकड़ा और नीचे कर दिया… और नीचे जाते जाते उसकी नाभि को चूमने लगा… ऋतु ने उसका मूह अपने पेट में दबा लिया… उसके बूब्स करण के सर उपर जाके टिक गये. और वो उनसे हल्का हल्का दबाव उसके सर पर बनाने लगी… इतनी अच्छी हेड मसाज शायद ही आज तक किसी को मिली हो
करण उपर आया तो ऋतु ने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए… शर्ट उतारने के बाद ऋतु के हाथ अब उसकी जीन्स के बटन पे थे… जीन्स के साथ ही उसने करण का बॉक्सर्स भी नीचे कर दिया…
अंडरवेर से फ्री होते ही उसका लंड टान्न्न करके करके सामने था… तभी करण ने नीचे पड़ी जीन्स की जेब से एक छोटी सी ट्यूब निकाली. जेल्ली की. ऋतु समझ ही नही पाई की यह हैं क्या.
“यह क्या हैं करण”
“बेबी दिस ईज़ जेल्ली या ल्यूब्रिकेशन”
“लेकिन इसकी क्या ज़रूरत हैं.. तुम्हारा हाथ लगते ही मैं तो वैसे ही लूब्रिकेटेड हो जाती हूँ”
“आज ज़रूरत पड़ेगी जान… देखते जाओ.”
करण ने ऋतु को डाइनिंग टेबल के पास ले गया… उसने एक हाथ से डाइनिंग टेबल पर पड़ी फ्रूट ट्रे को सरका के गिरा दिया… नीचे फर्श पर सेब बिखर गये. करण ने ऋतु को उठा के डाइनिंग टेबल पे इस तरह लिटा दिया की ऋतु का बाकी शरीर डाइनिंग टेबल पे था और उसकी गान्ड टेबल से बाहर लटक रही थी… उसकी टाँगो को करण ने अपने कंधे पे उठा रखा था.
करण की एकटक नज़र ऋतु की गान्ड पे थी.. वो आज उसकी चूत की तरफ देख भी नही रहा था. उसने सोच रखा था की आज वो ऋतु के इस छेद को भी नही छोड़ेगा. उसने जेल्ली की ट्यूब का ढक्कन खोला और उसे दबाया. जेल्ली को अपने हाथ में लेके उसने अच्छे से अपने लंड पे लगाया. उसे जेल्ली में आछे से कोट कर दिया. उसने ट्यूब फिर से दबा के और जेल्ली निकाली और ऋतु के गान्ड के छेद पे लगा दी… उसकी उंगलियाँ तो पहले से ही जेल्ली से सनी हुई थी. उसने धीरे से एक उंगली छेद के सिरे पे टीका दी और अंदर घुसाने के लिए हल्का सा ज़ोर लगाया. उंगली फटाक से अंदर घुस गयी,..
“ऊई मा… यह क्या कर रहे हो करण”
“जेल वाली उंगली डाल रहा हूँ… क्या हुआ”
“लेकिन यह कहाँ डाल रहे हो बाबा…ठीक से डालो आगे”
“आगे नही … यह तो यहीं जाएगी…”
इतनी देर में करण अपनी उंगली से जेल की अछी ख़ासी मात्रा ऋतु की गान्ड में डाल चुक्का था. उसने अपने कड़क लंड को पकड़ा और छेद पे टीका दिया अपना सूपड़ा. एक ज़ोरदार धक्का मारा और लंड गान्ड के अंदर…
“करण यह क्या हैं… प्लीज़ निकालो इसे… यह मत करो… दर्द हो रहा हैं”
“ओह कमऑन ऋतु… ट्राइ टू रिलॅक्स”
“नही नही यह सब क्या कर रहे हो”
“क्या कर रहा हूँ… कुछ भी तो नही… यह तो आजकल कामन चीज़ हैं” करण अब लंड आगे पीछे करने लगा था
“आआअहह ……नही नही यह ठीक नही… प्लीज़ निकालो… दर्द हो रहा हैं…यह तो अन्नॅचुरल हैं” ऋतु को दर्द हो रहा था…. वो रिलॅक्स नही कर रही थी और इसी की वजह से दर्द और बढ़ रहा था
“अन नॅचुरल क्या होता हैं… ” करण लगातार चालू था
“आआआहह ओओओओईईईई माआआआ करण प्लीज़.”
“ऋतु प्लीज़ … ट्राइ टू रिलॅक्स…2 मिनट रूको… अभी सब ठीक हो जाएगा और तुम्हे इसमे चूत से ज़्यादा मज़ा आएगा.”