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bahan sex kahani ऋतू दीदी
मेरे एक रीडर ने अपनी आपबीति मेरे साथ शेयर की और उसको मैंने एक कहानी में ढ़ाल दिया है। यह कहानी हैं एक लड़के प्रशांत की। आप उसी के नज़रिये से यह कहानी पढिये।
मेरा नाम प्रशांत हैं और मैं २३ साल का नौजवांन हूं। मेरे माँ बाप का इक्लौता लड़का हूँ और गर्ल फ्रेंड बनाने के चक्कर में कभी पड़ा नहीं क्युकी मैं बहुत शाय रहा हूँ और काम बोलता हूं। कॉलेज ख़त्म होते ही पास के बड़े शहर में मेरी जॉब लग गयी और मैं माँ बाप का घर छोड़ कर नए शहर में रहने लगा। मैं अपने करियर पर कंसन्ट्रेट कर रहा था और घर वालें मेरी शादी करवाना चाहते थे और मैं उनको हमेशा ताल देता।
एक बार जब मैं कुछ दिन की छुट्टियो में घर गया तो घर वालों ने मुझे बोला की उन्होंने एक लड़की देखि हैं और मैं एक बार उस लड़की को देख और मिल लु। शादी चाहे तो मैं बाद मैं कर लु। घर वालों का दिल रखने के लिए मैं तैयार हो गया और मैं अपने पेरेंट्स के साथ लड़की के घर गया। मन में यही था की वापिस घर आकर लड़की को रेजेक्ट कर दूंगा और पीछा छुड़ा लुंगा। लड़की को मेरे सामने लाय गया और मेरी सिट्टी पिट्टी घुम हो गयी। खूबसूरत सी लड़की थी और उसका फिगर एकदम पेरफ़ेक्ट। कभी सोचा नहीं था की ऐसी लड़की से शादी करने का मौका मिलेंगा। उसके साथ अलग से बात करने को भी मिला।
उसका नाम निरु था और मैं उसकी खुबसुरती में इतना खो गया की कुछ पुछा ही नहीं, यह सोच कर की कही वो नाराज न हो जाए। वो जरूर मेरे बारे में जानकार इम्प्रेस हुयी और इंटरेस्ट दिखाया। उसके घर वालों ने बताया की निरु की जॉब उसी शहर में लगी हैं जहा मैं अभी जॉब कर रहा हूं। वो लोग निरु को उस अनजान शहर में अकेले नहीं भेजना चाहते थे और उसी शहर में किसी से शादी करवाना चाहते थे। मुझसे पुछा गया की मैं शादी को तैयार हूँ या नहीं, मैं चाहु तो सोच कर जवाब दे सकता हूं। मैंने तुरंत हां बोल दिया और हम दोनों के घर वाले बहुत खुश हुये। मैं खुश था की मुझे इतनी खूबसूरत बिवी मिलेगी। निरु खुश थी की उसकी जॉब का सपना पूरा होगा और मुझे तो वो, वैसे ही पसंद कर चुकी थी।
अगले महीने ही हमारी शादी हो गयी। एक महीने पहले मैंने सोचा भी नहीं था की मैं शादी कर लूंगा और अब सब कुछ इतना जल्दी हो गया। मगर मुझे अपने डिसिशन पर कोई पछ्तावा नहीं था। मेरा किराए के घर को शेयर करने के लिए एक लाइफ पार्टनर आ चूका था। शादी से पहले के इस एक महीने में भी मेरी बात निरु से होती रही थी। एक चीज जो मुझे पता चली थी वो यह की वो बहुत चुलबुली सी लड़की है। मेरा बिहेवियर उसके बिहेवियर से एकदम उलटा था तो मुझे वो बहुत पसंद आयी। मैं चुपचाप कम बात करता और वो जल्दी ही किसी के साथ घुलमिल जाती और ज्यादा बात करने की बहुत आदत थी। मेरे शांत घर में हमेशा चहल पहल रहने लगी। जिन पड़ोसियो से मैंने कभी बात नहीं की थी, निरु की वजह से उनके नाम भी जानने लगा और वो हमारे घर भी कभी आते थे। मुझे लगा जैसे मेरी लाइफ कम्पलीट हो गयी है। मेरी ज़िन्दगी का अधुरापन दूर हो गया था। शादी के बाद भी वो चुलबुली, बब्बली सी लड़की अपनी शरारत और नटखटपन नहीं भूलि थी। हम दोनों ने करियर को देखते हुए डिसाइड किया था की हम अपना बच्चा अभी प्लान नहीं करेंगे। निरु को बच्चो से बहुत लगाव था। वो अपना बच्चा चाहती थी पर उसे हम दोनों के करियर की भी परवाह थी।
हमारी शादी को एक साल हो चूका था और हमारी ज़िन्दगी बहुत आराम से चल रही थी। पर फिर हमारी ज़िन्दगी में एक तूफ़ान आया। एक दिन निरु मेरे पास आयी और हमेशा की तरह मुझसे बातें करने लगी।
नीरु: "प्रशांत, हम लम्बे टूर पर कभी नहीं गए, क्या हम लोग किसी बीच वाली जगह घुमने जाए, ३-४ दिन के लिये। आगे लॉन्ग वीकेंड भी आने वाला हैं"
प्रशांत: "कोई जगह सोची हैं तुम्हे की कहाँ जाना हैं? मगर अभी टाइम बहुत कम बचा हैं, इतना जल्दी हम सारी बुकिंग करवा नहीं पाएंगे"
नीरु: "उसकी चिंता तुम मत करो। मैं सब सम्भाल लुंग। तुम तैयार हो या नहीं?"
प्रशांत: "अगर सब अच्छे से मैनेज हो जायेगा तो मैं रेडी हूँ, पर तुम अकेले कैसे मैनेज करेगी? पूरा प्लान तो बताओ"
नीरु: "बंदोबश्त हो चूका है। जिजाजी और दीदी यहाँ आ रहे है। फिर हम चारो घुमने जाएंगे। जीजाजी ने ट्रैन के टिकट बुक कर दिए हैं और होटल भी बुक हो गयी हैं"
नीरु चहक रही थी और बहुत एक्ससिटेड लग रही थी और मैं दंग था की उसने सारी तयारी पहले ही कर ली पर मुझसे अब पुछ रही थी।
प्रशांत: "सारा प्लान तो तुमने और नीरज जीजाजी ने बना ही लिया हैं। कब से प्लान चल रहा था? मुझे पहले क्यों नहीं बताया?"
नीरु: "मुझे पता था तुम मना नहीं करोगे। मुझे भी कल जीजाजी ने फ़ोन करके बताया की यह प्लान हैं और हम दोनों को उनके साथ जाना ही पड़ेगा"
नीरु के घर में उसकी पेरेंट्स के अलावा सिर्फ उसकी एक बड़ी बहन ऋतु दीदी है। ऋतु दीदी निरु से ७ साल बड़ी हैं और उनकी शादी करीब ६-७ साल पहले नीरज जी से हुयी थी। जो अब रिश्ते में मेरा साढु भाई हो गए थे। नीरु की दीदी को मैं भी दीदी कह कर ही बुलाता हूँ और वो दोनों मुझे प्रशांत नाम से बुलाते हैं क्यों की मैं उनसे उमरा में ४-५ साल छोटा हूँ।