bahan sex kahani मेरी सिस्टर - SexBaba
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bahan sex kahani मेरी सिस्टर

hotaks444

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Nov 15, 2016
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[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी सिस्टर[/font][font=Arial, Helvetica, sans-serif] [/font][font=Arial, Helvetica, sans-serif]

कॉलेज से छुट्टी मिलते ही मैं बाहर आ गया। मैं स्नातक का छात्र हूँ। कॉलेज के गेट के बाहर हर रोज घर ले जाने के लिए एक ऑटो मेरा इंतज़ार कर रहा था। मेरे बैठते ही ऑटोवाला तेज़ी के साथ सोनिया के स्कूल की तरफ रवाना हो गया।

यह मेरा हर रोज का रुटीन था। पहले ऑटोवाला मुझे लेता था क्योंकि मेरे कॉलेज की छुट्टी 12:30 बजे होती थीं। फिर सोनिया को, जो 12वीं क्लास में पढ़ती थीं और उसके स्कूल की छुट्टी 1:00 बजे होती थी।

कुछ ही देर में मैं सोनिया के कॉनवेंट स्कूल के सामने पहुँच गया। अभी 12:45 हुए थे, ऑटोवाला बगल की दुकान पर चाय पीने चला गया।

मैंने अपने बैग में से दो किताबें निकाल लीं। ये दोनों किताबें मेरे दोस्त मनीष ने मुझे दी थीं।

एक किताब में औरत-मर्द के नंगे चित्र थे और दूसरी किताब में कहानियाँ थीं। कहानियों की किताब को मैंने बाद में पढ़ने का निश्चय किया और पिक्चर वाली किताब को अपनी इक्नोमिक्स की पुस्तक के बीच में रख कर वहीं ऑटो में देखने लगा।

तस्वीरें काफ़ी सेक्सी और उत्तेजक थीं, देखते-देखते मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरे चेहरे का रंग उत्तेजना के मारे लाल हो गया। अपने खड़े लंड को छुपाने के लिए मैंने अपना स्कूल बैग अपनी गोद में रख लिया और औरत मर्द के चुदाई के विभिन्न आसनों में ली गई उन तस्वीरों को देखने लगा।

तभी स्कूल की घंटी बज उठी, मैंने जल्दी से किताबों को मोड़ कर अपने बैग में घुसाया, अपने लंड को अपनी पैन्ट में अड्जस्ट किया और ऑटो से उतर कर अपनी डार्लिंग बहन का इंतज़ार करने लगा।

हमारे परिवार की एक छोटी सी कहानी हैं, जिसे बताना मैं आवश्यक समझता हूँ। वर्ष 2000 में एक सड़क दुर्घटना में 41 लोगों की जान चली गई थीं, जिसमें हम दोनों अनाथ हो गए थे। हम दोनों के माँ-बाप उस दुर्घटना में चल बसे थे।

उसी दुर्घटना में हमारे साथ यात्रा कर रहे श्री सक्सेना जी के परिवार में उनको छोड़ कर कोई भी जीवित नहीं बचा था। उसके बाद से ही उन्होंने हमें अपनी संतान के रूप में पाला हैं।

मेरे और सोनिया के माता-पिता अलग-अलग थे। उस समय हम अबोध बालक थे, सो उस समय से ही हम दोनों को सक्सेना जी ने ही पाला हैं और उनको हम अपना पिता मानते हैं। बाद में उसी दुर्घटना में मारे गए एक अन्य परिवार की नवविवाहित महिला जो कि विधवा हो गई थीं, उनसे सक्सेना जी ने विवाह कर लिया था। अब इस तरह हमारा एक परिवार बन गया था। दुर्घटना से बने भय के कारण हमारे वर्तमान अभिभावक हमें बाइक या स्कूटर आदि भी नहीं दिलवाते !

ठीक एक बजे मुझे मेरी प्यारी, सेक्सी गुड़िया सी बहन ऑटो की तरफ बढ़ती हुई दिख गई।

सच में कितनी खूबसूरत थी मेरी बहन ! उसको देख कर किसी भी मर्द के रीढ़ की हड्डी में ज़रूर एक सिहरन उठ जाती होंगी।

मेरी बहन इतनी खूबसूरत और सेक्सी है कि मैं उसके प्यार में पूरी तरह से डूब गया हूँ, वो भी मुझ से उतना ही प्यार करती हैं। बाहर की दुनिया के लिए हम भले ही भाई-बहन हैं मगर घर में अपने कमरे के अंदर हम दोनों भाई-बहन एक दूसरे के लिए पति-पत्नि से भी बढ़ कर हैं।

आपको यह सुन कर शायद आश्चर्य लगे मगर यही सच है। मेरी बहन इस वक़्त 19 साल की है और मैं 21 साल का।

हम दोनों अपने मम्मी पापा के साथ शहर से थोड़ी दूर उप-नगरीय क्षेत्र में रहते हैं। मेरे पापा अभी 42 साल के और मम्मी 33 साल की हैं। हमारा एक मध्यम वर्गीय परिवार है। मेरी माँ बहुत ही खूबसूरत महिला हैं और पापा भी एक खूबसूरत व्यक्तित्व के मालिक हैं।

पापा एक प्राइवेट बैंक में उच्च पद पर हैं और मम्मी सरकारी नौकरी में हैं। इस नये शहर में आकर पापा ने जानबूझ कर शहर से बाहर शान्ति भरे माहौल में एक बंगला खरीदा था।

हमको स्कूल ले जाने और ले आने के लिए उन्होने एक ऑटो कर दिया था। घर की ऊपरी मंज़िल पर एक कमरे में मम्मी और पापा रहते थे और दूसरे कमरे में हम दोनों भाई-बहन।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हमारे घर से स्कूल तक ऑटो करीब 25 मिनट में आ पाता था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऑटो के पास आते ही बहन ने पूछा- और भाई कैसे हो? बहुत ज्यादा देर इंतज़ार तो नहीं करना पड़ा?[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने कहा- नहीं यार, ऐसा नहीं है।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और उसको देखते हुए मुस्कुराया। मैंने देखा कि उसके गाल गुलाबी हो गए थे और चेहरे पर शर्म की लाली और आँखों में वासना के डोरे तैर रहे थे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं सोचने लगा कि मेरी प्यारी बहन के गाल गुलाबी और आँखें वासना से भरी क्यों लग रही हैं? क्या सोनिया स्कूल में गर्म हो गई थी?[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बहन ने ऑटो में बैठने के लिये अपने एक पैर को ऊपर उठाया। इस तरह करते हुए उसने बड़े ही आकर्षक और छुपे हुए तरीके से अपनी स्कर्ट को इस तरह से उठ जाने दिया कि मुझे मेरी प्यारी बहन की मांसल चिकनी और गोरी जाँघों उसकी पैंटी तक दिख गई।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]एक क्षण में ही सोनिया ऑटो में बैठ गई थी पर मेरे बगल में शैतानी भरी मुस्कुराहट के साथ बैठ गई।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं जानता था कि यह उसका मुझे सताने के अनेक तरीकों में से एक तरीका है। जब वो मेरे बगल में बैठी तो उसके महकते बदन से निकली सुगंध मेरे नाक को भर दिया और मैंने एक गहरी सांस लेकर उस सुगंध को अपने अंदर और ज्यादा भरने की कोशिश की।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बहन मेरी उत्तेजना को समझ सकती थी, उसने मुस्कुराते हुए पूछा- क्यों भाई, तुम्हारा चेहरा इस तरह से लाल क्यों हो रहा है? और तुम्हारी आँखें भी लाल हो रही हैं क्या बात है?[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखा और कहा- देखो सोनिया तुम तो मेरे दोस्त मनीष को जानती हो, उसने मुझे दो बहुत ही गर्म किताबें दी हैं। तुम्हारा इंतज़ार करते हुए मैंने उन्हें देख रहा था और फिर तुम जब ऑटो में बैठ रही थीं तब तुमने मुझे अपनी पैंटी और जाँघें दिखा दीं। अब जबकि तुम मेरे बगल में बैठी हो, तुम्हारे बदन से निकलने वाली खुश्बू मुझे पागल कर रही है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बहन हँसने लगी। ऑटोवाले ने ऑटो को आगे बढ़ा दिया था और हम दोनों भाई-बहन धीमे स्वर में फुसफुसाते हुए आपस में बात कर रहे थे ताकि हमारी आवाज़ उस तक नहीं पहुँचे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बहन मेरे दाहिने तरफ बैठी थी और अपनी दाहिने हाथ से उसने अपनी किताबों को अपनी छाती से चिपकाया हुआ था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पथरीले रास्ते पर चलने के कारण ऑटो बहुत हिल रहा था और इसलिए अपना संतुलन बनाने के लिए सोनिया ने अपने बाएं हाथ को ऊपर उठा कर ऑटो का हुड पकड़ लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऐसा करने से मेरी सोनिया के चिकनी मांसल कांख, जो कि पसीने की पतली परत और उससे भीगे हुए उसके स्कूल ड्रेस की ब्लाउज से ढके हुए थे, से निकलती हुई तीखी गंध सीधा मेरे नकुओं में आ कर समा गई।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी गोद में रखे मेरे बैग के नीचे मेरा लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था और ऐसा लग रहा था कि उसने मेरे बैग को अपने ऊपर उठा लिया हैं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यह मेरी बहन का एक और अनोखा अंदाज था मुझे सताने का, वो जानती थी कि मुझे उसकी कांख और उस से निकलने वाली गंध पागल बना देती है। उसके बदन की खुशबू मुझे कभी भी उत्तेजित कर देती है। उसने मुझे अपने आँखों के कोनों से देखा और सीट की पुष्ट से अपनी पीठ को टिका कर आराम से बैठ गई।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने अभी भी अपने बाएं हाथ से हुड को पकड़ रखा था और अपनी किताबों को अपनी छातियों से चिपकाये हुए थी। ऑटो के हिलने के कारण उसकी किताबें जो कि उसकी छातियों से चिपकी हुई बार-बार उसकी चूचियों पर रगड़ खा रही थीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जैसे ही ऑटो एक मोड़ से मुड़ा, मैंने ऐसा नाटक किया कि जैसे मैं लुढ़क रहा हूँ और अपने चेहरे को उसकी मांसल काँखों में घुसेड़ दिया और लंबी सांस खींचते हुए उसकी काँखों को चाट लिया और हल्के से काट लिया। [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बहन के मुँह से एक आनन्द भी चीख निकल गई और उसने मुझे जानवर कहा और बोली- देखो भाई, तुम एक जानवर की तरह से हरकत कर रहे हो, देखो तुमने कैसे मेरी बगलों को चाट कर गुदगुदा दिया और काट लिया, मुझे दर्द हो रहा है। मुझे लगता है तुम्हारे दोस्त की दी हुई किताबों ने तुमको कुछ ज्यादा ही गर्म कर दिया है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अगर तुम मुझे इस तरह से सताओगी तो तुम्हें यही फ़ल मिलेगा, समझी मेरी प्यारी बहना। वैसे डार्लिंग मुझे एक बात बताओ कि तुम आज कुछ ज्यादा ही चुलबुली और शैतान लग रही हो, ऐसा क्या हुआ है? आज क्या तुम भी मेरी तरह गर्म हो रही हो, बताओ ना?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनिया बोली- तुम तो मेरी सहेली तनीषा को जानते ही हो, उसने अपने घर पर कल रात हुए एक बहुत ही उत्तेजक घटना के बारे में मुझे बताया, जिसके कारण मैं बहुत गर्म हो गई हूँ। नीचे से पूरी तरह से गीली हो गई हूँ और मेरी पैंटी मेरी चूत के पानी से भीग गई है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“सच में डार्लिंग सिस, ऐसा क्या हुआ, मुझे भी बताओ ना?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनिया ने बताया- कल रात उसके घर पर उसके मामू…[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनिया बोली- तुम तो मेरी सहेली तनीषा को जानते ही हो, उसने अपने घर पर कल रात हुए एक बहुत ही उत्तेजक घटना के बारे में मुझे बताया, जिसके कारण मैं बहुत गर्म हो गई हूँ। नीचे से पूरी तरह से गीली हो गई हूँ और मेरी पैंटी मेरी चूत के पानी से भीग गई है।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“सच में डार्लिंग सिस, ऐसा क्या हुआ, मुझे भी बताओ ना?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनिया बोली- कल रात उसके घर पर उसके मामू यानि कि उसकी मम्मी के भाई आए थे, उसे और उसकी मम्मी दोनों को सिनेमा दिखाने ले गए थे। सिनेमा हॉल में उसके मामा और मम्मी एक दूसरे से लिपटने चिपटने लगे थे। बाद में घर वापस लौटने पर उसके मामू ने रात में उसकी मम्मी को खूब चोदा। भाई, जब मेरी सहेली ने अपने मामा और मम्मी की चुदाई की पूरी कहानी बताई तो मेरी चूत बुरी तरह से पनिया गई और मैं बहुत उत्तेजित हो गई। तनीषा ने मुझे बाद में बताया कि उसके मामा ने बाद में उसे भी उसकी मम्मी के सामने ही नंगी करके खूब चोदा और उसकी मम्मी ने यह सब बहुत मज़ा लेकर देखा। तुम तो जानते ही हो भाई कि उसके पापा विदेश गए हुए हैं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह, तनीषा सचमुच में बहुत ही भाग्यशाली है, तनीषा की उसके मामू और मम्मी के साथ की गई चुदाई का अनुभव सच में बहुत उत्तेजक है। बहना, मैं भी सोचता हूँ कि काश मैं तुम्हें और मम्मी को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोद पाता। इन किताबों को देखने के बाद मैं भी बहुत गर्म हो गया हूँ। मेरी प्यारी बहना रानी, चलो जल्दी से घर पर चलते हैं और एक दमदार चुदाई का आनन्द उठाते हैं, क्यों? मुझे लगता है तुम भी काफ़ी गर्म हो चुकी हो, अपनी प्यारी सहेली तनीषा की कहानी को सुन कर?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“हाँ भाई, तुम सच कह रहे हो, मैं स्कूल की छुट्टी का इंतज़ार कर रही थी। मेरी चूत खुज़ला रही है और मेरा पानी निकल रहा है।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह सोनू, तुम जब स्कूल से निकल रही थीं तभी मुझे लग रहा था कि तुम काफ़ी गर्म हो रही हो।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“हाँ भाई, तनीषा की बातों ने मुझे गर्म कर दिया है। उसकी चुदक्कड़ मम्मी और चोदू मामा की कहानी ने मेरी नीचे की सहेली में आग लगा दी है और मैं भी चाहती हूँ कि हम जल्दी से जल्दी घर पहुँच कर एक दूसरे की बाहों में खो जाएँ !”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अभी हम घर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर थे तभी एक ज़ोर की आवाज़ ने हमारा ध्यान भंग कर दिया। ऑटो रुक गया था और इसका एक टायर पंक्चर हो गया था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]आस-पास में कोई रिपेयर करने वाली दुकान भी नहीं थी और घर की दूरी भी अब ज्यादा नहीं थी। इसलिए हमने फ़ैसला किया कि हम पैदल ही घर की जाते हैं। हम दोनों नीचे उतर कर पैदल घर की ओर चल दिए।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ दूर तक चलने के बाद मेरी बहन ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा- भाई, तुम मेरे पीछे पीछे चलो, मेरे साथ नहीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी समझ में नहीं आया कि मेरी डार्लिंग सिस्टर मुझे साथ चलने से क्यों मना कर रही है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने आश्चर्य से पूछा- तुम्हारे पीछे क्यों?[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बहन ने अपनी आँखों को नचाते हुए मुस्कुरा कर कहा- भाई ऐसा करने में तुम्हारा ही फायदा है। अगर तुम चाहो तो इसे आजमा कर देख सकते हो, बल्कि मैं कहती हूँ तुम्हें एक अनोखा मज़ा मिलेगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे अपनी बहन पर पूरा भरोसा था। वो एक बहुत ही दृढ़ निश्चय और पक्के विश्वास वाली लड़की थी और हर चीज़ को माप-तौल कर बोलती थी। अगर उसने मुझसे पीछे चलने के लिए कहा था तो ज़रूर इसमे भी हमेशा की तरह कोई अनोखा आनन्द छुपा होगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऐसा सोच कर मैंने अपने प्यारी सिस्टर को आगे जाने दिया और खुद उसके पीछे उससे कुछ फ़ासले पर चलने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सारी सड़क एकदम सुनसान थी और एकाध कुत्ते के अलावा कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था। शहर के इस भाग में मकान भी इक्का-दुक्का ही बने हुये थे और एक साथ ना होकर इधर-उधर फैले हुए थे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अपनी बहन के पीछे धीरे-धीरे चल रहा था और मेरी डार्लिंग बहना भी धीरे-धीरे चल रही थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ओह डियर, क्या नज़ारा था? मेरी सिस्टर बहुत ही मादक अंदाज़ में अपने चूतड़ों को हिलाते मटकाते हुए चल रही थी। [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब मेरी समझ में आया मुझे अपने पीछे आने के लिए कहने का राज ! वो अपनी पिछाड़ी को बहुत ही मस्त अदा के साथ हिलाते हुए चल रही थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके दोनों गोल-मटोल चूतड़ जिनको कि मैं बहुत बार देख चुका, उसकी घुटनों तक की स्कर्ट में हिचकोले लेते हुए मचल रहे थे। मेरी बहन के चलने का यह अंदाज मेरे लिए लंड खड़ा कर देने वाला था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके कूल्हे मटका कर चलने के कारण उसके दोनों मस्त चूतड़ इस तरह हिलते हुए घूम रहे थे कि वो किसी मरे हुए आदमी के लंड को भी खड़ा कर सकते थे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बहन अपने मदमस्त चूतड़ों और गांड की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ़ था और वो अक्सर इसका उपयोग मुझे उत्तेजित करने के लिए करती थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी पिछाड़ी मम्मी की पिछाड़ी की तरह काफ़ी खूबसूरत और जानमारू थी। सोनिया को अच्छा लगता था जब मैं उसकी गांड और चूतड़ों की तारीफ करता और उनसे प्यार करता था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]घर तक पहुँचते-पहुँचते उसके चूतड़ों के इस मस्ताने खेल को देख कर मेरे सब्र का बाँध टूट गया और मुझे लग रहा था कि मेरे लंड से अभी पानी निकल जाएगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं जल्दी से उसके पास गया और बोला- मेरी सैक्सी सिस्टर, तुम मुझे मार डोगी, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता है। चलो जल्दी से घर के अंदर।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“भाई, क्या यह देखना इतना बुरा है जो तुम जल्दी से घर के अंदर जाना चाहते हो?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह सोनू, तुम मेरी हालत नहीं समझ रही हो मेरा लंड फुफकार रहा है। जब हम अपने कमरे के अंदर होंगे, और मेरा लौड़ा तेरी बुर में होगा तभी चैन पड़ेगा ! जल्दी करो !”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब हम घर पहुँचे तो मम्मी घर पर नहीं थीं। जैसा कि आमतौर पर होता था, वो इस वक्त अपने ऑफिस में होती थीं। घर पर केवल खाना बनाने वाली आया पुष्पा थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने हमें बताया कि खाना तैयार होने में कुछ समय लगेगा और हमें इस से कोई ऐतराज़ नहीं था, बल्कि हम दोनों भाई-बहन तो ऐसा ही चाहते थे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हमने उससे कह दिया कि हम ऊपर अपने कमरे होमवर्क कर रहे हैं और वो हमको डिस्टर्ब नहीं करे और खाना बनाने के बाद घर चली जाए।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम जल्दी से सीढ़ियों से चढ़ कर ऊपर जाने लगे। यहाँ भी सोनू के पिछवाड़े ने एक लंड खड़ा कर देने वाली शैतानी की। उसने मुझे नीचे ही रोक दिया और खुद अपने चूतड़ों को मटकाते हिलाते हुए बड़े ही मादक अंदाज में सीढ़ियाँ चढ़ने लगी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब वो काफ़ी ऊपर पहुँच गई, तब उसने अपने बाएँ हाथ को पीछे ला कर अपनी स्कर्ट जो कि उसके घुटनों तक ही थी, को बड़े ही सेक्सी तरीके से थोड़ा सा ऊपर उठा दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऐसा करने से पीछे से उसकी मांसल और मोटी जाँघें पूरी तरह से नंगी हो गईं और उसकी काले रंग की नाइलॉन की जालीदार कच्छी का निचला भाग दिखने के साथ उनमें कसी हुई उसकी मदमस्त चूतड़ों की झलक भी मुझे मिल गई।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बहन की इस हरकत ने आग में घी का काम किया और अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो चुका था। मैं तेज़ी से दो-दो सीढ़ियाँ फांदते हुए सेकंडों में अपनी सेक्सी सोनू के पास पहुँच गया और हम दोनों भाई-बहन हँसते हुए अपने कमरे की तरफ भागे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनों के बदन में आग लगी हुई थी और हम बेचैन थे, कब हम एक-दूसरे की बाँहो में खो जाएँ। इसलिए हमने दरवाजे को धक्का दे कर खोला और अपने बैग और किताबों को एक तरफ फेंक कर, जूतों को खोल कर सीधा एक-दूसरे की बाँहों में समा गए।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दरवाज़ा हालाँकि हमने बंद कर दिया था पर…[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनों के बदन में आग लगी हुई थी और हम बेचैन थे, कब हम एक-दूसरे की बाँहो में खो जाएँ। इसलिए हमने दरवाजे को धक्का दे कर खोला और अपने बैग और किताबों को एक तरफ फेंक कर, जूतों को खोल कर सीधा एक-दूसरे की बाँहों में समा गए।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दरवाज़ा हालाँकि हमने बंद कर दिया था पर हम दोनों में से किसी को उसको लॉक करने का ध्यान नहीं रहा। वासना की आग ने हमारे सोचने की शक्ति शायद खत्म कर दी थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने ज़ोर से अपनी बहन को अपनी बाहों में कस लिया और उसके पूरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात कर दी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसने भी मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया था और उसकी कठोर चूचियाँ मेरी चौड़ी छाती में दब रही थीं। उसकी चूचियों के खड़े चूचुकों की चुभन को मैं अपने छाती पर महसूस कर रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी कमर और जाँघें मेरी जाँघों से सटी हुई थीं और मेरा खड़ा लंड मेरी पैन्ट के अंदर से उसकी स्कर्ट पर ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर मार रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी प्यारी सोनू अपनी चूत को मेरे खड़े लण्ड पर पैन्ट के ऊपर से रगड़ रही थी। हम दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे और मैं अपनी बहन के पतले रसीले होंठों का चूसते हुए चूम रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके होंठों को चूसते और काटते हुए मैंने अपनी जीभ को उसके मुँह में ठेल दिया, उसके मुँह के अंदर जीभ को चारों तरफ घुमाते हुए, उसकी जीभ से अपनी जीभ को चूसते हुए दोनों भाई-बहन एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके हाथ मेरी पीठ पर से फिरते हुए मेरी चूतड़ों और कमर को दबाते हुए अपनी तरफ खींच रहे थे और मैं भी उसके चूतड़ों को दबाते हुए उसकी गांड की दरार में स्कर्ट के ऊपर से अपनी उंगली चला रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद मैंने उसे छोड़ दिया और वो बिस्तर पर चली गई। उसने अपने घुटनों को बेड के किनारे पर जमा दिया और इस तरह से झुक गई जैसे कि वो बेड की दूसरी तरफ कोई चीज़ खोज़ रही हो। अपने घुटनों को बेड पर जमाने के बाद मेरी प्यारी बहन ने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपने स्कर्ट को ऊपर उठा दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इस प्रकार उसके खूबसूरत गोलाकार चूतड़ जो कि नाइलॉन की एक जालीदार कसी हुई पैंटी के अंदर क़ैद थे, दिखने लगे। उसकी चूत के उभार के ऊपर उसकी पैंटी एकदम कसी हुई थी और मैं देख रहा था कि चूत के ऊपर पैंटी का जो भाग था पूरी तरह से भीगा हुआ था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं दौड़ कर उसके पास पहुँच गया और अपने चेहरे को उसकी पैंटी से ढकी हुई चूत और गाण्ड के बीच में घुसा दिया। उसके बदन की खुशबू और उसकी चूत के पानी और पसीने की महक ने मेरा दिमाग़ घुमा दिया और मैंने चूत के रस से भीगी हुई उसकी पैंटी को चाट लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो आनन्द से सिसकारियाँ ले रही थी और उसने मुझे पैंटी को निकाल देने का आग्रह किया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने उसकी चूत और गांड को कस कर चूमा और उसके मांसल चूतड़ों को अपने दांतों से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लंबी सांस लेकर अपने फेफड़ों में भर लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और मैंने अपने पैंट और अंडरवीयर को खोल कर इसे आज़ादी दे दी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बहना की मांसल कदली जाँघों को अपने हाथों से कस कर पकड़ते हुए मैं उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत चाटने लगा। पैंटी से रिस-रिस कर चूत का पानी निकल रहा था। और मैं पैंटी के साथ ही उसकी बुर को अपने मुँह में भरते हुए चूस चूस कर चाटने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]पैंटी का बीच वाला भाग सिमट कर उसकी चूत और गांड की दरार में फंस गया था और मैं चूत चाटते हुए उसकी गांड पर भी अपना मुँह मार रहा था। मेरे ऐसा करने से बहन की उत्तेजना बढ़ गई थी और वो अपने कूल्हों को मटकाते हुए अपनी चूत और चूतड़ों को मेरे चेहरे पर रगड़ रही थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने धीरे से अपनी बहन की पैंटी को उतार दिया। उसके खूबसूरत चिकने चूतड़ों को देख कर मेरे लंड को जोरदार झटका लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके मैदे जैसी गोरे चूतड़ों की बीच की खाई में भूरे रंग की अनछुई गांड थी। एकदम किसी फूल की कली की तरह दिख रही थी, जिसे शायद किसी विशेष अवसर पर (जैसा कि सोनू ने प्रॉमिस किया था) मारने का मौका मुझे मिलने वाला था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी गांड के नीचे गुलाबी पंखुरियों वाली उसकी चिकनी चूत थी। सोनिया की चूत के होंठ फड़फड़ा रहे थे और भीगे हुए थे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने अपने हाथों को धीरे से उसके चूतडों और गांड की दरार में फिराया। फिर धीरे से हाथों को सरका कर उसकी बिना झांटों वाली चूत के छेद को अपनी उंगलियों से कुरेदते हुए सहलाने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी उंगलियों पर उसकी चूत से निकला उसका रस लग गया था और मैंने उसे अपने नाक के पास ले जा कर सूँघा और फिर जीभ निकाल कर चाट लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी प्यारी बहन के मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थीं और उसने मुझसे कहा- भाई तुमने जी भर कर मेरे चूतड़ों और चूत को देख लिया है। इसलिए तुम अपना काम शुरू करो न ![/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं भी अब अधिक देर नहीं करना चाहता था और झुक कर मैंने उसकी चूत के होंठों पर अपने होंठों को जमाते हुए जीभ निकाल कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी बुर का रस नमकीन सा था और मैंने उसकी बुर के काँपते हुए होंठों को अपनी उंगलियों से खोल दिया और अपनी जीभ को कड़ा और नुकीला बना कर चूत की सुरंग में घुसा कर उसके भगनासा को कुरेदने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके छोटे से भगनासे को अपनी जुबान से सहलाने से ही सोनिया की बुर मचलने लगी। मैंने उसे अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ से उसको चचोरने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बहना आनन्द और मज़े से सिसकारियाँ भरते हुए अपनी गांड को मटकाते हुए एक बहुत ज़ोर का धक्का अपनी चूत से मेरे मुँह की ओर मारा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जीभ को वो अपनी चूत में से निकाल देना चाहती हो। वो बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी और शायद उत्तेजना की पराकाष्ठा तक पहुँच चुकी थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं उसकी भगनासा को अपने अपने होंठों के बीच दबा कर चूसते हुए अपनी जीभ को अब उसके पेशाब करने वाले छेद में भी घुमा रहा था। [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके पेशाब की तीव्र गंध ने मुझे पागल बना दिया और मैंने अपनी दो उंगलियों की सहायता से उसकी पेशाब करने वाली छेद को थोड़ा फैला कर अपनी जीभ को उसमे तेज़ी से नचाने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे ऐसा करने में मज़ा आ रहा था और सोनू भी अपनी पिछाड़ी को मटकाते हुए सिसकारियाँ ले रही थी, “ओह भाई, तुम बहुत सता रहे हो डार्लिंग ब्रदर ! इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटते रहो चूसो। मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और मेरी चूत पानी छोड़ने ही वाली है। ओह भाई तुम कितना मजा दे रहे हो, ओहहह… चाटो… मेरी जान मेरे कुत्ते मेरे हरामी बालम !”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके मुँह से अनाप-शनाप बड़बड़ाना यह साबित कर रहा था कि मेरी चिकनी बहन अब अपनी चुदाई लीला की रौ में बहने लगी थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अभी तक उसके भगनासे को अपने होंठों में दबाकर चूस रहा था। पर जब सोनिया की बेचैनी उसके मुँह से निकलने वाली आवाजों से सुनी तो मैंने सोचा कि आज इसको और तड़फ़ाते हैं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उससे मैंने कहा- आज तू मुझको जब तक गन्दी-गन्दी गालियाँ न बकने लगे तब तक तेरी बुर को चचोरता रहूँगा साली। मेरी रंडी बहनिया, मेरी कुतिया और ऐसा कहते हुए मैंने अपनी जीभ उसकी बुर में ठेल दी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब सोनिया ने मेरी बात सुनी तो वो बोली- हाँ, माँ के लौड़े तुझे तो मैं इतनी गालियाँ बकूँगी हरामी कि तेरी माँ चुद जाएगी साले।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो अब बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मेरी जान तुम मुझे पागल बना रहे हो…! ओह मेरे चोदू सनम हाँ ऐसे… ही ऐसे ही चूसो मेरी चूत को…मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ा दो साली बहुत पानी छोड़ रही है… इसकी पुत्तियों को अपने मुँह में भर कर ऐसे ही चाटो मेरे राजा…!! ओह डियर बहुत अच्छा कर रहे हो तुम…! मेरी चूत के छेद में अपने जीभ को पेलो और अपने मुँह से चोद दो मुझे…!”[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनिया लगातार मुझे गालियाँ बके जा रही थी- हाय मेरे चोदू भाई ! मेरी बुर के होंठों को काट लो और अपनी जीभ को मेरे बुर में पेलो.. ओह मेरे चोदू भाई, ऐसे ही प्यार से मेरे डार्लिंग ब्रदर ऐसे ही ! ओह खा जाओ मेरी चूत को, चूस लो इसका सारा रस ![/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी चूत इतनी रसीली हो गई थी कि मुझे लग रहा था कि इसका फव्वारा किसी भी क्षण छूट सकता है। उसके मुख से लगातार सीत्कारें निकल रहीं थीं, मुझे उसकी सीत्कारों को सुन कर बहुत ही मजा आ रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह डियर, ओह चोदू मेरे भगनासे को ऐसे ही चचोरो कुत्ते, बहनचोद चूस, मादरचोद और कस कर अपनी जीभ को पेल… ओह सीई…ईईई मेरे चुदक्कड़ बलम, मेरा अब निकलने ही वाला है ! ओह… मैं गई..गई… गईई राजा… ओह बुरचोदू …देख मेरा निकल रहा है… हाय पी जा इसे ! ओह पी जा मेरी चूत से निकले रस को… ! सीईईई… भाई मेरे चूत से निकले स्वादिष्ट माल को पीईईई जा प्यारे भाई।” कहते हुए सोनू ने अपनी चूत से गर्म रज का झरना खोल दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी मखमली चूत से गाढ़ा द्रव निकलने लगा। वो मेरे चेहरे को अपनी चूत और चूतड़ों के बीच दबाए हुए बिस्तर पर गिर गई। उसकी चूत अभी भी फरफरा रही थी और उसके गांड में भी कम्पन हो रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने उसकी चूत से निकले एक-एक बूँद रस को चाट लिया और अपने सिर को उसकी मांसल जाँघों के बीच से निकाल लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बहन बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। कमर के नीचे वो पूरी नंगी थी। झड़ जाने के कारण उसकी आँखें बंद थीं और उसके गुलाबी होंठ हल्के सा खुले हुए थे। वो बहुत गहरी साँसें ले रही थीं और उसने अपने एक पैर को घुटनों के पास से मोड़ा हुआ था और दूसरे पैर को फैलाया हुआ था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके लेटने की यह स्थिति बहुत ही कामुक थी और इस स्थिति में उसकी सुनहरी गुलाबी चूत, उसकी भूरे रंग की गांड का छेद और उसके गुदाज चूतड़ मेरी आँखों के सामने खुले पड़े थे और मुझे अपनी ओर खींच रहे थे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरा खड़ा लौड़ा अब दर्द करने लगा था। मेरे लंड का सुपारा एक लाल टमाटर के जैसा दिख रहा था और मेरे लंड को किसी छेद की सख़्त ज़रूरत महसूस हो रही थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं गहरी साँसें खींचता हुआ अपनी उत्तेजना पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था। [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे हाथ मेरी बहन के नंगे चूतड़ों के साथ खेलने के लिए बेताब हो रहे थे और मैं अपने अन्डकोषों को सहलाते हुए सुपाड़े के छेद पर जमा हुए पानी की बूँदों को देखते हुए अपनी प्यारी सी नंगी बहन के बगल में बेड पर बैठ गया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे बेड पर बैठते ही सोनिया ने अपनी आँखें खोल दीं। ऐसा लग रहा था जैसे वो एक बहुत गहरी नींद के बाद जागी है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब उसने मुझे और मेरे खड़े लंड को देखा तो जैसे उसे सब कुछ याद आ गया और उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए मेरे खड़े लंड को अपने हाथों में भर लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनू बोली- ओह माय लव, सच में तुमने मुझे बहुत सुख दिया। मैं बहुत दिनों के बाद इस प्रकार से झड़ी हूँ। ओह डियर तुम्हारा लंड तो एकदम लोहे की रॉड जैसा खड़ा है। मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि मेरे भाई का डंडा खड़ा होगा और उसे एक छेद की ज़रूरत होगी…[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनिया ने मेरे लवड़े को अपने हाथों में पकड़ लिया और लगातार मुझसे प्यार जताने लगी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह डार्लिंग आओ…जल्दी आओ तुम्हारे लंड में खुजली हो रही होगी… मैं भी तैयार हूँ। भाई तुम्हारा खड़ा लंड देख कर मुझे भी उत्तेजना हो रही है और मेरी बुर भी अब फिर से खुजलाने लगी है।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ऐसा नहीं हैं सोनू, अगर इस समय तुम्हारी इच्छा नहीं हैं तो कोई बात नहीं है। मैं अपने लंड को हाथ से झाड़ लूँगा।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“नहीं भाई तुम अपनी बहन के होते हुए ऐसा कभी नहीं कर सकते, अगर कुछ करना होगा तो मैं करूँगी। भाई मैं इतनी स्वार्थी नहीं हूँ कि अपने प्यारे भाई को ऐसे तड़पता हुआ छोड़ दूँ।” वो मुझसे बहुत प्रेम जाता रही थी और उसको लग रहा था कि मेरे लौड़े का पानी उसकी चूत नहीं निकला तो शायद मुझे बुरा लगेगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“आओ भाई चढ़ जाओ अपनी बहन की चूत पर और जल्दी से मेरी बुर चोद दो। चलो जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करें।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्मन जड़ दिया और उसके मांसल मलाईदार चूतड़ों को अपने हाथों से मसलते उससे कहा- सोनू, तुम फिर से घुटनों के बल हो जाओ। मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बात सुन कर मेरी प्यारी सिस्टर ने बिना एक पल गँवाए फिर से वहीं पोजीशन बना ली और घुटनों के बल होकर अपनी गांड को पीछे घुमा कर मुस्कुराते हुए मुझे अपनी बड़ी-बड़ी आँखों को नचाते हुए मुझे आमंत्रण दिया, उसने अपने पैरों को फैला कर अपने ख़ज़ाने को मेरे लिए पूरा खोल दिया। मैंने फिर से अपने चेहरे को उसकी जाँघों के बीच घुसा दिया और उसकी चूत को चिकना करने के लिए चाटने लगा। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को फैला कर उसकी गांड के छेद को चौड़ा कर दिया और अपनी एक उंगली को अपने थूक से गीला करा कर उसकी गांड में धकेलने की कोशिश करने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी गांड बहुत टाइट थी, मगर मैं उसकी गांड को फिंगरयाता रहा। सोनू चिल्लाने नहीं लगी और सिसयाते हुए मुझे बोलने लगी, “ओह मेरे बहनचोद ब्रदर ! अब देर मत करो, मैं अब गर्म हो गई हूँ, अब जल्दी से अपनी इस छिनाल बहन को चोद दो और प्यास बुझा लो, ओह भाई जल्दी करो और अपने लंड को मेरी चूत में पेल दो।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने अपने खड़े लंड को उसकी गीली चूत के छेद के सामने लगा दिया और एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड उसकी चूत में एक ही धक्के में पेल दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ओह! क्या अद्भुत अहसास था ये, इसका वर्णन शब्दो में संभव नहीं हैं। उसकी रस से भरी पनियाई हुई चूत ने मेरे लंड को अपने गरम आगोश में ले लिया। उसकी मखमली चूत ने मेरे लंड को पूरी तरह से कस लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसके मुख से भी एक आह निकली- मादरचोद बिलकुल रांड समझ कर ठोक दिया अपना मूसल जैसा हथियार। मेरी फट जाएगी कुत्ते जरा धीरे नहीं पेल सकता था हरामी?[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं हँसते हुए धक्के लगाने लगा। मेरी प्यारी सोनू बहन ने भी अपनी गांड को पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेना शुरू कर दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनों भाई-बहन अब पूरी तरह से मदहोश होकर मज़े की दुनिया में उतर चुके थे। मैं आगे झुक कर उसकी कांख की तरफ से अपने हाथ को बाहर निकल कर उसकी गुदाज और मस्त चूचियों को उसके ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी चूचियाँ एकदम कठोर हो गयी थीं। उसकी ठोस संतरों को दबाते हुए मैं अब तेज़ी से धक्का लगाने लगा था और मेरी रांड बहनिया के मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी थीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो सिसकते हुए बोल रही थी, “ओह भाई, ऐसे ही, ऐसे ही चोदो, हाँ हाँ और जोर से, इसी तरह से ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ भाई, इसी प्रकार से चोदो मुझे… आह… सीईईई।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे भी आनन्द की सीमा न थीं मैं भी सिसया रहा था, “हाय मेरी रंडी तुम्हारी चूत कितनी टाइट और गर्म हैं, ओह मेरी प्यारी बहन लो अपनी चूत में मेरे लंड को, ऐसे ही लो, देखो ये लो मेरा लंड अपनी चूत में ये लो फिर से लो, ले लो मेरी रानी बहन।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं उसकी चूत की चुदाई अब पूरी ताक़त और तेज़ी के साथ कर रहा था। हम दोनों की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थीं और ऐसा लग रहा था कि किसी भी पल मेरे लौड़े से गरम लावा निकल पड़ेगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह चोद, मेरे हरजाई कुत्ते भाई और ज़ोर से चोदो, ओह कस कर मारो और ज़ोर लगा कर धक्का मारो, ओह मेरा निकल जाएगा, सीईईईई, कुत्ते, और ज़ोर से चोद मुझे, बहन की बुर को चोदने वाले बहन के लौड़े हरामी, और ज़ोर से मारो, अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा कर छोड़ो कुतिया के पिल्ले…सीई…ईईई मेरा निकल जाएगा।”[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह… चोद मेरे हरजाई कुत्ते भाई और ज़ोर से चोद… ओह… कस कर मार… और ज़ोर लगा कर धक्का मार… ओह… मेरा निकल जाएगा, सीईईईई… कुत्ते, और ज़ोर से चोद मुझे… बहन की बुर को चोदने वाले बहन के लौड़े हरामी… और ज़ोर से मार… अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा कर चोद कुतिया के पिल्ले… सीईईईई… मेरा निकल जाएगा।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अब और ज़ोर-ज़ोर से धक्का मारने लगा। मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनू के मम्मों को मसकते हुए उसके चूतड़ों पर अपनी छाती रगड़ते हुए मैं बहुत तेज़ी के साथ उसको चोद रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी बहन अब किसी कुतिया की तरह से कुकिया रही थीं और अपने चूतड़ों को नचा-नचा कर आगे-पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसिया रही थी, “ओह चोद मेरे राजा… मेरे बहन के लंड… और ज़ोर से चोद… ओह… मेरे चुदक्कड़ बालम, सीईईई… हररामजादे भाई… और ज़ोर से पेल मेरी चूत को… ओह-ओह… सीईई… बहनचोद… मेरा अब निकल रहा… हाईई…ईईई ओह सीईई।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मादक सीत्कारें भरते हुए अपनी दांतों को भींचते कर और चूतड़ों को उचकाते हुए वो झड़ने लगी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं भी झड़ने वाला ही था। मेरे मुख से भी झड़ते समय की सिसकारियाँ निकल रही थी- ओह मेरी रांड… लण्डखोर… कुतिया… साली मेरे लिए रूक… मेरा भी अब निकलने ही वाला है… ओह… रानी मेरे लंड के पानी भी अपने बुर में ले… ओह ले… ओह सीईईई…[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ठीक इसी समय मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी के ज़ोर से बोलने और चिल्लाने की आवाज़ सुन रहा हूँ और जब मैंने दरवाजे की तरफ मुड़ कर देखा तो ओह… यह मैं क्या देख रहा हूँ… मेरी अंदर की साँस अंदर ही रह गई।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सामने दरवाजे पर मेरी मम्मी खड़ी थीं। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था, वो क्रोध में अपने होंठों को काट रही थीं और अपने कूल्हे पर अपने हाथ को रख कर चिल्ला रही थीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसका चिल्लाना तो एक पल के लिए हम दोनों भाई-बहनों को कुछ समझ में नहीं आया, थोड़ी देर बाद हमको उसकी स्पष्ट आवाज़ सुनाई दे रही थीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह…! तुम दोनों एकदम अच्छे बच्चे नहीं हो, पापियों, खड़े हो जाओ, क्या मैंने तुम्हें यही शिक्षा दी थी, ओह… तुमने मेरा दिमाग़ खराब कर दिया, भाई-बहन हो कर… ये कुकर्म करते हो…!”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इसके आगे वो कुछ भी नहीं बोल पाईं। मैं एकदम भौंचक्का रह गया था और शीघ्रता से अपने लंड को अपनी बहन की चूत में से निकाल लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरा लंड का पानी अभी नहीं निकला था, वो निकलने वाला ही था, पर बीच में मम्मी के आ जाने के कारण रुक गया था, इसलिए मेरा लंड दर्द कर रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरा दिमाग़ को अभी भी हमारी पूरी स्थिति की गंभीरता का अहसास शायद नहीं हुआ था। इसलिए मेरा लंड अभी भी खड़ा और उत्तेजित था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अचानक से एक झटके के साथ उसमें से एक तेज धार के साथ पानी निकल गया। मेरे वीर्य की कुछ बूदें उछल कर सीधा मम्मी के ऊपर उसकी साड़ी और पेट पर जा गिरी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये सब कुछ एक क्षण के अंदर हो गया था। झड़ जाने के बाद शायद मेरे दिमाग़ में सामने खड़ी मेरी मम्मी कर डर हावी हुआ और मैं डर कर अपनी पैन्ट को खोजने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं अपनी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा था। मेरा लंड अब पानी छोड़ कर लटक गया था। मेरी बहन तेज़ी के साथ बिस्तर पर से उतर गई और अपनी स्कर्ट को उसने चूतड़ों पर चढ़ा लिया था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी मम्मी कुछ नहीं बोल पाई और मेरे वीर्य को अपने साड़ी और पेट पर से साफ करने लगीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“छी छी…” कहते हुए वो कमरे से बाहर बिना कोई शब्द बोले हम दोनों को अकेला छोड़ कर निकल गईं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनों एकदम अचंभित हो कर कुछ देर वहीं पर खड़े रहे, फिर हमने अपने कपड़े पहन लिए। हम दोनों के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थीं कि हम कमरे से बाहर जा सके। मेरी बहन और मैं बहुत डरे हुए थे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनिया ने कहा- चलो जो हुआ, सो हुआ, अब हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है। चलो, हम इस स्थिति का सामना करते हैं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]करीब एक घंटे के बाद हम दोनों नीचे गए और फ्रेश हो कर अपना लंच लिया। हम दोनों ठीक तरह से खा भी नहीं पा रहे थे। क्योंकि हमारे दिल में डर भरा हुआ था और हम नहीं जानते थे कि हमारे साथ क्या होने वाला है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम अपने कमरे में आ गए। मम्मी अपने कमरे में थीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनों ने थोड़ी देर तक पढ़ाई की, फिर नीचे उतर कर नौकरानी से मम्मी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि मम्मी अपने कमरे में हैं और उसने कहा है कि उनको डिस्टर्ब नहीं किया जाए।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तभी कॉल-बेल बजी, दरवाज़े पर डैडी के ऑफिस का चपरासी था जो पापा का सूटकेस लेने के लिए आया था। पापा शायद चार दिनों के लिए बाहर जा रहे थे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने हिम्मत करके मम्मी के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया और उनको इस बारे में बताया। मम्मी ने सामने रखे एक सूटकेस की ओर इशारा किया, मैंने चुपचाप उस सूटकेस को उठा लिया और बाहर आकर उसे चपरासी को दे दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनों भाई-बहन ने डिनर लिया और सोनिया वापस कमरे में चली गई। मैं हिम्मत कर के मम्मी के कमरे की ओर चला गया। दरवाज़ खुला था और मैं सीधा मम्मी के पास इस तरह से गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनसे पूछा- क्या आपने डिनर कर लिया है क्योंकि नौकरानी अब घर जाना चाहती है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनने कोई जवाब नहीं दिया और मैंने बाहर आकर नौकरानी को घर जाने के लिए कह दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनों भाई-बहन अब भी अपने अंदर काफ़ी ग्लानि महसूस कर रहे थे और हमने एक दूसरे से कोई बातचीत भी नहीं की। चूँकि हमारा कमरा एक था इसलिए हम दोनों चुपचाप आकर सो गए।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बेड के एक छोर पर मैं और वो दूसरे छोर पर लेट गए। हम दोनों ने एक दूसरे को छुआ भी नहीं। दरवाज़ा भी खुला हुआ ही था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]रात के 12 बजे के आस पास अचानक मेरी नींद खुली। मुझे प्यास लगी थी। मुझे महसूस हुआ कि मेरी कमर के ऊपर कोई भारी चीज़ रखी है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने सोचा हो सकता है कि यह मेरी बहन का पैर हो। मगर जब मैंने उसे अपनी कमर के ऊपर से हटाने की कोशिश की, तो मुझे भारी महसूस हुआ और ऐसा लगा जैसे ये मेरी बहन के पैर नहीं हैं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी आँखें खुल गईं और कमरे की मद्धिम रोशनी में मैंने जो देखा उसने मेरे दिल की धड़कने बढ़ा दीं और मेरा गला सूख गया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]…ओह ये मैं क्या देख रहा था। मेरे और मेरी बहन के बीच में हमारी मम्मी सोई हुई थीं। एक पल के लिए तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया मगर फिर मैं टायलेट जाने के लिए बेड से नीचे उतर गया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने एक या दो कदम ही आगे बढ़ पाया था कि मम्मी की फुसफुसाहट भरी आवाज़ सुनाई दी- कहाँ जा रहे हो तुम?[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह मम्मी तुम जाग रही हो… मैं टायलेट जा रहा हूँ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ठीक है, ज़रा इंतज़ार करो, मुझे भी वहीं जाना है।” कहते हुए वो बेड से नीचे उतर गईं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब वो खड़ी हो गईं तो मैंने उनको देखा, उनके बाल बिखरे हुए थे, केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहन रखा था और उनका गोरा चेहरा थोड़ा फूला हुआ लग रहा था। मगर फिर भी उसकी सुंदरता में कोई कमी नहीं आई थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जहाँ मैं खड़ा था, वहाँ तक आने के लिए जब वो चलने लगीं तो उनके कदम डगमगा गए और उनके मुँह से हल्की बू भी मुझे आती हुई लग रही थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे लग रहा था शायद मम्मी ने घर में डैडी की शराब में से कुछ पी है। जो भी हो उनने मेरे नज़दीक आ कर अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और आगे बढ़ते हुए मुझे अपने से सटा लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने भी अपना एक हाथ उनकी कमर में डाल दिया। मेरे ऐसा करने से मेरे बदन में एक हल्की सिहरन सी हुई, इस बात से मैं इनकार नहीं कर सकता था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मगर दोपहर की घटनाओं घटनाओं की रोशनी में इस समय इस तरह का कोई भी ख्याल मैं अपने दिमाग़ से कोसों दूर झटक देना चाहता था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]टायलेट की तरफ जाते हुए मम्मी का बदन मेरे बदन से रगड़ खा रहा था और उनकी एक चूची मेरे चेहरे पर दवाब डाल रही थी। इस सब से मेरे हाथ एकदम ठंडे हो गए थे और कमर से नीचे खिसक कर उसके पिछवाड़े पर चला गया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]टायलेट में पहुँच कर मम्मी ने लाइट ऑन कर दी। तेज चमकदार रोशनी में वो बहुत खूबसूरत रही थीं। गोरा चेहरा, तीखे नाक नक्श, बिखरे बाल, बड़ी बड़ी नशे के कारण गुलाबी हुई आँखें, और थोड़ा फूला हुआ चेहरा कुल मिला के उनको खूबसूरत ही बना रहे थे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनकी साँसे बहुत तेज चल रही थीं, जिसके कारण उनकी ब्लाउज में क़ैद चूचियाँ तेज़ी से उठ-बैठ रही थीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनने मेरी ओर देखा और मुस्कुराते हुए मुझसे पेशाब करने के लिए कहा। मैं थोड़ा हिचकिचाया और मम्मी की ओर देखा तो वो मुस्कुराते हुए आगे बढ़ी और मेरे पीछे आ कर मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और मेरे पजामा के नाड़े को खोल कर उसे नीचे कर मुझे पेशाब करने के लिए कहा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे बहुत शर्म आ रही थी मगर साथ ही साथ मैं धीरे-धीरे उत्तेजित भी हो रहा था क्योंकि मम्मी का मांसल बदन मेरी पीठ से चिपका हुआ था। मुझे महसूस हुआ कि उनकी चूचियाँ मेरी पीठ से चिपकी हुईं हैं और मेरे चूतड़ उनके मांसल जाँघों के बीच के गड्ढे में उसकी चूत के ऊपर चिपके हुए हैं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरे लिए पेशाब करना बहुत मुश्किल हो चुका था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मम्मी ने अपनी गर्दन को मेरे कंधे पर रखते हुए अपने गाल को मेरे चेहरे से सटा दिया और रगड़ते हुए बोलीं- क्या हुआ, क्या तुम्हें पेशाब नहीं आ रही है? करो, दिखाओ मुझे तुम कैसे पेशाब करते हो? मैंने तुम्हें चोदते हुए तो देखा ही है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था और मेरा लंड अब अपनी पूरी औकात पर आ गया था। यानि कि 7 इंच लंबा हो गया था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे लंड को देखते हुए उनने कहा- कितना बड़ा डंडा है तुम्हारा ! तुम्हारी उम्र के लिहाज से तो बहुत बड़ा है, लेकिन बहुत अच्छा है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इतना कहते हुए उनने अपने मुँह से चटखारे की आवाज़ निकाली जैसे कि खाने की कोई बहुत स्वादिष्ट चीज़ उसे मिल गई हो।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनने मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। मैंने इस से बचने की कोशिश की मगर कोई फायदा नहीं हुआ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]जब मैंने उनकी ओर पलट कर देखा तो उनने सीधा मेरे होंठों पर अपने गरम मुलायम होंठ रख दिए और अपनी जीभ को मेरे मुँह में पेलने की कोशिश की।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे उनके मुँह से शराब का टेस्ट महसूस हुआ। मम्मी मेरे लंड को थोड़ी देर तक सहलाती रही फिर बोलीं- ठीक है, अगर तुम पेशाब नहीं करना चाहते तो कोई बात नहीं। मुझे पेशाब आ रही है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इतना कहते हुए वो मेरे आगे आईं और अपने पेटीकोट को ऊपर उठा कर घुटनों को मोड़ कर वहीं पर बैठ गईं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ओह ! कितना कामुक दृश्य मेरी आँखों के सामने था ![/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनके खूबसूरत गोलाकार चूतड़ जो कि सफेद संगमरमर के जैसे थे और भूरे रंग की खाई के द्वारा को अलग-अलग बाटें हुए थे और जिनके बीच में सिकुड़ा हुआ छोटा सा भूरे रंग का छेद को देखते ही मेरी आँखें फैल गईं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरा मुँह और गला दोनों ही सूख गए जब मैंने उनकी चूत को पीछे से देखा। उनकी पेशाब करने की शर्रस्शर्र…शर्रस्शर्र… की आवाज़ ने मुझे और भी अधिक उत्तेजित कर दिया था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]थोड़ी देर तक पेशाब करने और मुझे इस खूबसूरत और दिल को घायल कर देने वाला नज़ारा दिखाने के बाद वो उठीं और पेटीकोट को नीचे करके मेरी ओर देखते हुए प्यार से मुस्कुराते हुए बोलीं- बेटे, अगर तुम्हें पेशाब लगी है, तो तुम कर लो। मैं अपने कमरे में जा रही हूँ और वहीं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इतना कह कर वो बाथरूम से निकल गईं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं थोड़ी देर तक वहीं खड़ा सोचता रहा, इस बीच मेरा लंड थोड़ा ढीला हो गया था। इसलिए मैंने पेशाब कर ली और अपने लंड को धोकर बाथरूम से निकल कर जब मैं मम्मी के कमरे में पहुँचा तो मैंने देखा कि डबल बेड पर मम्मी तकिये के सहारे पीठ टिका कर बैठी थीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनके सामने एक छोटी टेबल पर गिलास में ड्रिंक्स रखा हुआ था। उनने इस समय अपने बालों को संवार लिया था। उन्होंने पेटीकोट नाभि से नीचे बाँधा हुआ था जिसके कारण उनका गोरा मांसल पेट और नाभि दिख रही थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनके ब्लाउज का आगे का एक बटन खुला हुआ था जिसके कारण उनकी चूचियाँ एकदम बाहर की ओर निकली हुई दिख रही थीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं धीमे क़दमों से चलते हुए उनके पास पहुँचा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनने मुझे बेड पर बैठने का इशारा करते हुए पूछा- क्या तुम लोगे?[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप उनकी तरफ देखता रहा तो उनने एक दूसरे गिलास में शराब डाल दी और थोड़ा मुस्कुराते हुए बोलीं- लो पी लो, इसको लेने के बाद तुम अच्छा महसूस करोगे और फिर हम दोनों आराम से बात कर सकेंगे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने देखा कि जब वे खुद ही मुझे ड्रिंक्स ऑफर कर रही हैं तो मैंने उसे उठा लिया ओर एक ही साँस में पी गया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उन्होंने भी अपने गिलास को खाली कर दिया और फिर मेरी तरफ घूम कर बोलीं- तुम ऐसा कब से कर रहे हो?[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं चुप रहा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“देखो, मैं तुम्हें डांट तो नहीं रही, मगर फिर भी मैं कुछ पूछना चाहती हूँ कि तुम ऐसा कैसे कर सकते हो? क्या तुम्हें डर नहीं लगा?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने थोड़ा बात को घुमाने के इरादे से हिम्मत करके जवाब दिया, “तुम क्या बात कर रही हो? मम्मी मैं चाहता हूँ कि तुम थोड़ा खुल कर बताओ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मुझे आश्चर्य है कि तुम दोपहर की घटना को इतनी जल्दी भूल गए, फिर भी मैं तुम से खुल कर पूछती हूँ कि तुम ऐसा, यानि कि अपनी बहन को कब से चोद रहे हो?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे ड्रिंक्स और उनके खुले व्यवहार ने कुछ साहसी बना दिया था, लेकिन मैंने डरने और शर्माने का नाटक किया और हल्के से बुदबुदाते हुए ‘हाँ…हूँ’ बोल कर चुप हो गया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो मुझे से लगातार पूछ रही थीं, “बताओ मुझे! क्या तुम्हें ज़रा भी शरम नहीं महसूस नहीं हुई या पाप का अहसास नहीं हुआ? अपनी बहन को चोदते हुए!![/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने अपना सिर नीचे झुका लिया और कोई जवाब नहीं दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं मन ही मन सोच रहा था कि ना तो वो मेरी सगी बहन है और ना ही वो औरत जो इस समय मुझसे सवाल जवाब कर रही है, वो मेरी सगी माँ है।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो मुझे से लगातार पूछ रही थीं, “बताओ मुझे ! क्या तुम्हें ज़रा भी शर्म नहीं महसूस नहीं हुई या पाप का अहसास नहीं हुआ? अपनी बहन को चोदते हुए?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने अपना सिर नीचे झुका लिया और कोई जवाब नहीं दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]तब उनने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे चेहरे को कोमलता से अपने हाथों में लेकर मेरी आँखों में झाँकते हुए कहा- बेटे, मुझे विस्तार से बताओ तुम दोनों के बीच ये सब कैसे हुआ?[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने बड़े ही मासूमियत के साथ उनसे माफी माँगी और उनकी आँखों में झाँकते हुए उनसे वादा लिया कि वो नाराज़ नहीं होंगीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उनके बाद मैंने पूरी कहानी सुनाई:[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यह लगभग 3 महीने पहले की बात है। जब एक दिन अचानक मेरी नींद रात के करीब 12 या 12:30 के आस-पास खुली। मैं बाथरूम जाने के लिए उठा। बाथरूम से जब मैं वापस लौट रहा था, तब मैंने देखा कि आपके कमरे की लाइट जल रही थी और डोर थोड़ा सा खुला हुआ था। मैं कमरे में घुस कर पर्दे के पीछे छिप गया और देखने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मैंने देखा कि तुम केवल पेटीकोट में ही कमरे के बाहर आ गई हो और तुम्हारी छातियाँ पूरी तरह से नंगी थीं। तुम अपने बालों का जूड़ा बनाते हुए सीधा बाथरूम के अंदर घुस गईं।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुम्हारे खूबसूरत और नग्न बदन को देख कर मेरे पैर जैसे ज़मीन में गड़ गए थे, मेरा मुँह सूख गया और मेरी रीढ़ की हड्डी में एक कंम्पन दौड़ गई। तुम्हारी छातियाँ बड़े ही कामुक अंदाज़ में हिल रही थीं। मैं दम साधे तुम्हें देखता रहा। तुम बिना बाथरूम का दरवाजा बंद किए अपने पेटीकोट को ऊपर उठा कर पेशाब करने बैठ गईं। पेशाब करने के बाद तुम सीधा अपने कमरे में गईं और दरवाज़ा बंद कर दिया।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मैं हिम्मत करके तुम्हारे कमरे की खिड़की के पास चला गया। पिताजी बिस्तर पर तकिये के सहारे नंगे लेटे हुए थे और सिगरेट पी रहे थे। उनका डंडा लटका हुआ और भीगा हुआ लग रहा था। तुमने पिताजी के पास पहुँच कर कुछ कहा और उनके हाथ से सिगरेट ले ली।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“अपने पेटीकोट को खोल कर फेंक दिया और अपने एक पैर को उनके चेहरे की दूसरी तरफ डाल दिया, आपका एक पैर अभी भी ज़मीन पर ही था ऐसा करके अपनी चूत को पिताजी के मुँह से लगा दिया। उन्होंने तुम्हारे खूबसूरत चूतड़ों को अपने हाथों में भर लिया और तुम्हारी चूत को चाटने लगे।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुम बहुत खुश लग रही थीं और अपने एक हाथ से अपनी चूचियों को मसलते हुए सिगरेट भी पी रही थीं। कुछ देर बाद तुमने सिगरेट फेंक दिया और नीचे झुक कर पिताजी के डंडे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“कुछ ही देर में उनका डंडा खड़ा हो गया। तुमने डंडे को चूसना बंद कर दिया और अपने दोनों पैर को फैला कर पिताजी के ऊपर बैठ गईं। उनके डंडे को अपने हाथों से पकड़ कर तुमने उसे अपनी भोसड़ी में घुसा लिया और उनके ऊपर उछलने लगी।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुम्हारे दोनों गोरे मुलायम चूतड़ मुझे साफ़-साफ़ उचकते हुये दिख रहे थे और उनके बीच का भूरा छेद भी अच्छी तरह से नज़र आ रहा था। पिताजी का डंडा बहुत तेज़ी के साथ तुम्हारी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था और पीछे से तुम्हारी खूबसूरत चूत में घुसता हुआ पिताजी का डंडा मुझे भी दिख रहा था।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मैंने ब्लू फिल्मों के बाद पहली बार ऐसा दृश्य देखा था। मेरे जीवन का यह अद्भुत अनुभव था। यह इतना रोमांचित कर देने वाला और वासना भड़का देने वाला दृश्य था कि मैं बता नहीं सकता।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“यह सब कुछ देख कर मेरे पैर काँपने लगे थे और मेरा डंडा एकदम से खड़ा हो गया था। मेरे लिए बर्दाश्त कर पाना संभव नहीं था। एक ओर पिताजी तुम्हारी खूबसूरत पपीतों को मसल रहे थे और दूसरी तरफ मैं भी अपने लंड को मसलने लगा।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यह कहानी में मम्मी को सुनाते-सुनाते मैं पूरी तरह से गर्म हो चुका था इसलिए मैंने नंगे शब्दों का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। मैंने अपने लिए एक पैग और बनाया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे पैग बनाते देख कर मम्मी बोलीं- एक मेरा भी बनाना और सुनो वो सिगरेट की डिब्बी उठाना जरा![/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने डिब्बी उठा कर मम्मी को दे दी। उनने एक सिगरेट अपने होंठों में फंसाई और लाइटर से उनको बड़ी अदा से सुलगा कर मुझसे व्हिस्की का गिलास ले लिया, सिप भरते हुए मुझे आँख से इशारा किया किया आगे सुनाओ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मतलब उनकी भी सुरसुरी बढ़ने लगी थी। मैंने भी गिलास को उठा कर अपने मुँह से लगा कर लम्बा घूँट भरा और फिर मम्मी के हाथ से सिगरेट मांगी। उन्होंने बगैर किसी विरोध के सिगरेट मेरी ओर बढ़ा दी। मैंने भी एक कश खींचा और अपना मुँह ऊपर करके धुँआ उड़ा दिया और मम्मी को उनकी ही चुदाई की कथा कामुक अंदाज में सुनाने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे अब अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने में भी कोई हिचक नहीं हो रही थी। सो मम्मी के सामने ही अपने लौड़े को सहलाने लगा। वे मेरी इस हरकत को देख कर अपने ब्लाउज को ऊपर से ही सहलाने लगीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने आगे सुनाना शुरू किया, “मैं आप दोनों की चुदाई देख कर बहुत ही गर्म होने लगा था और तुम पिताजी को गालियाँ बक रही थीं कि ‘मादरचोद भडुए ! चोद जोर-जोर से चोद साले अगर मुझे मजा नहीं आया तो मैं तेरी गांड डिल्डो से मारूंगी !’[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और पिताजी भी चिल्ला रहे थे- ले कुतिया, मेरा पूरा लंड खा साली ! लौड़े की कितनी प्यासी है। बहन की लौड़ी को हाथी का लंड चाहिए। एक दिन तुमको मैं 4 काले विदेशियों के बड़े-बड़े लंडों से चुदवाऊँगा। हरामजादी ले मेरा पानी निकलने वाला है। तू बता तेरा हुआ या और खाएगी?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]‘मम्मी !’ तुमने भी सिसकारते हुए कहा- ‘हफ..हफ.. ओ मैं भी बस हो जाऊँगी… लगा दे आखिरी धक्के मादरचोद.. ठंडी कर दे मेरी चूत की आग…’[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और फिर तभी तुम दोनों एक साथ झड़ गए।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये सब देखते-देखते कुछ ही देर में मेरे लंड से भी पानी निकल गया। मैं अपने लंड को हाथ में पकड़े हुए वापस अपने बिस्तर में आ गया।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इतना सुनाने के बाद में चुप हो गया और उनकी आँखों में झाँकने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ये तो तुमने मेरी कहानी मुझे सुना दी, मैंने तुमसे पूछा था कि तुम्हारी बहन और तुम्हारे बीच नाज़ायज़ संबंध कैसे बना? बेटे मुझे उनके बारे में बताओ, मैं वो सब जानने को बहुत उत्सुक हूँ।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह मम्मी आगे की कहानी बताने में मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा, मैं थोड़ी शर्म भी महसूस कर रहा हूँ।”[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“तुम बहुत शैतान हो, तुम्हें अपने मम्मी-पापा की चुदाई की कहानी बताने में कोई शर्म नहीं आई। मगर अपनी बहन के साथ की गई बेशर्मी की कहानी सुनाने में तुम्हें शर्म आ रही है। तुम एक दुष्ट पापी पुत्र हो। अब तुमको यदि मेरे साथ शराब और सिगरेट पीने में शर्म नहीं आ रही है? और क्या मुझको मेरी चुदाई की कहानी में भरपूर गालियाँ सुना कर शर्म नहीं आ रही है? तो क्या मैं अब तुमको गालियाँ दूँ माँ के लौड़े !!!”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मम्मी को अब नशा हो चला था। उनके मुख से गालियाँ सुन कर मैं भौंचक्का था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“नहीं मम्मी ऐसा नहीं हैं, चलो मैं शॉर्ट में तुम्हें बता दूँ कि …”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“नहीं मुझे सारी कहानी विस्तार से बताओ और पूरी तरह से खुल कर बताओ कि कैसे तुमने अपनी बहन के साथ इतना बडा पाप किया। तुम्हें जब ऐसा करने में कोई शर्म नहीं आई तो फिर मुझे उस पाप की कहानी बताने में क्यों शर्म आ रही है?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं था।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“नहीं मुझे सारी कहानी विस्तार से बताओ और पूरी तरह से खुल कर बताओ कि कैसे तुमने अपनी बहन के साथ इतना बड़ा पाप किया। तुम्हें जब ऐसा करने में कोई शर्म नहीं आई तो फिर मुझे उस पाप की कहानी बताने में क्यों शर्म आ रही है?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने जब देखा कि मम्मी भी अब खुलने को आतुर हैं तो मैंने भी ठान लिया कि अब इनको सोनू की चुदाई की लीला सुना ही दूँ और मुझे दो पैग पीने के बाद नशा और मस्ती सी चढ़ने लगी थी। सो मैंने एक सिगरेट और सुलगाई और कश लेकर अपना लंड सहलाया और मम्मी से कहा- ओके ! अब आप सुनो ![/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]और मैं सब कुछ बताने लगा:[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“कमरे में मैंने देखा कि सोनिया गहरी नींद में सोई हुई थी और उसका नाइट-गाउन अस्त-व्यस्त हो गया था, उसकी खूबसूरत मांसल जाँघें और पैंटी में ढकी हुई उसकी गुलाबी बुर दिख रही थी। मैं उसके पास आकर उसके जाँघों पर हाथ फेरने लगा और उसकी पैंटी को ध्यान से देखने लगा।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“उसकी पैंटी उसके चूत पर कसी हुई थी और ध्यान से देखने पर उसकी चूत की फांकें स्पष्ट दिख रही थीं। मेरा दिल कर रहा था कि मैं हाथ बढ़ा कर उसकी चूत को छू लूँ। मैंने उसके चेहरे की ओर एक बार ध्यान से देखा कि हो सकता है, वो जाँघों पर हाथ फेरने से जाग गई हो। मगर सोनू अब भी गहरी नींद में सो रही थी और उसकी चूचियाँ बहुत उभरी हुई सीधी तनी हुई दिख रही थीं और उसके साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“उसके नाइट्गाउन के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे और गोरी मुलायम चूचियाँ का ऊपरी भाग फ्लौरेसेंट लाइट की रोशनी में चमक रहे थे और मुझे अपनी ओर आमंत्रित कर रहे थे। वासना की आग में मैं अब अँधा हो चुका था। बहन की उभरी हुई चूचियों को देख कर मेरे हाथ बेकाबू होने लगे और मैं हाथ बढ़ा कर उन्हें हल्के-हल्के दबाने लगा। फिर मैंने धीरे से नाइट गाउन के सारे बटन खोल दिए और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके संतरों को दबाने और चूमने लगा।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मुझे अब ज़रा भी होश नहीं था ना ही मैं डर रहा था कि बहन जाग जाएगी। तभी बहन ने अपनी आँखें खोल दीं। मैं थोड़ा सा डरा मगर मैंने अपने हाथों को उसकी चूचियों पर से नहीं हटाया था। बहन ने अपनी आँखें खोल कर मुझे देखा और मुस्कुराते हुए मेरे सिर के पीछे अपने हाथों को रख कर मेरे होंठों को चूम लिया।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मुझे थोड़ा आश्चर्य तो हुआ पर तभी सिस्टर ने कहा कि ‘भाई क्या तुम मम्मी-पापा की चुदाई देख कर आ रहे हो?’[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“सोनिया के ऐसे पूछने पर मैं चौंक गया और मैंने पूछा कि तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“वो इसलिए भाई क्योंकि तुम इतने ज्यादा उत्तेजित पहली बार लग रहे हो, मैं भी इतना ही उत्तेजित हो जाती थी जब मैं मम्मी पापा की चुदाई देख कर आती थी।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह सिस्टर, इसका मतलब है कि तुमने भी मम्मी और पापा की चुदाई देख…”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“यस ब्रदर, मैंने कई बार मम्मी-पापा का खेल देखा है और हर बार मैं उतना ही उत्तेजित हो जाती थी जितना आज तुम महसूस कर रहे हो। मगर मेरे पास बाथरूम में जाकर, उंगली या बैंगन से करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता था।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“पापा जब भी यहाँ होते हैं, वो दोनों हमेशा आपस में प्यार करते हैं और खुल कर चुदाई करते हैं। मैंने उन दोनों का खेल बहुत बार देखा है इसलिए मैं अब तभी देखने जाती हूँ, जब पापा कुछ दिनों के छुट्टी के बाद घर वापस आते हैं। उस समय पापा बहुत भूखे होते हैं और वो और मम्मी दोनों मिल कर बहुत जबरदस्त चुदाई करते हैं।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“वाओ सोनू, इसका मतलब तुम बहुत दिनों से मम्मी-पापा की चुदाई देख रही हो और यह भी जानती हो, किस दिन सबसे अच्छी चुदाई देखने को मिल सकती है। मगर उसके बाद तुम बैंगन का इस्तेमाल क्यों करती हो? क्या तुम्हारे मन में किसी आदमी के डंडे का उपयोग करने की इच्छा नहीं हुई?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“भाई, मेरा तो बहुत मन करता था मगर मेरे पास कोई रास्ता नहीं था। क्योंकि मेरी सहेली तनीषा ने मुझे पहले ही बता दिया था कि बाहर के लड़कों के साथ बहुत सारे ख़तरे होते हैं फिर हमारा गर्ल्स स्कूल होने के कारण कोई बॉय-फ्रेंड बनाना बहुत ही मुश्किल हो गया था।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह सोनू मैं सच कह रहा हूँ आज के पहले मैंने ऐसा मजेदार खेल केवल ब्लू-फिल्मों में ही देखा था। यह मेरे जीवन की पहली घटना है और इसने मुझे बहुत ही रोमांचित और उत्तेजित कर दिया है, इसलिए कमरे में आते ही जब मैंने तुम्हारी नंगी जाँघें और पैंटी देखी तो मैं बेकाबू हो गया और तुम्हारी चूचियाँ दबाने लगा।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“ओह भाई, मैं समझ सकती हूँ कि तुम बहुत गर्म हो गए होगे, तभी तुमने ऐसी हरकत की हैं। मैं देखना चाहूँगी कि तुम कितने बड़े हो गए हो।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यह कह कर मेरी बहन उठ कर बैठ गई और उसने मेरे पजामे को खोल दिया और मेरा लंड, जैसा कि मम्मी तुम देख ही चुकी हो 7 इंच का है और उस समय पूरी तरह से खड़ा था। सोनू ने मुझको नंगा कर दिया। लंड फनफनाते हुए बाहर निकल आया। इसको देख कर सोनू के मुँह से एक किलकारी निकल गई।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो मुस्कुराते हुए बोली, “बहुत प्यारा है भाई तुम्हारा लंड और काफ़ी बड़ा भी है, तुम्हारे लंड को देख कर मुझे लग रहा है कि तुम बहुत बड़े हो गए हो।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर बहन नीचे झुक कर मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरे लिए यह पहला और अनोखा अनुभव था। मुझे बहुत उत्तेजना हो रही थी और गुदगुदी भी हो रही थी। मैंने उसके मुँह से लंड को बाहर खींचने की कोशिश की मगर बहन ने लंड के सुपारे को मुँह में भर कर चूसना जारी रखा हुआ था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यह बड़ा ही आनन्ददायक क्षण था मेरे लिए, पहली बार मैं अपने लंड को चुसवा रहा था और वो भी मेरी प्यारी गुड़िया सी बहन के द्वारा, “ओह सोनू मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और मैंने ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया है।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]वो मेरे लौड़े को चचोरते हुए बोलती जा रही थी- चेतन मेरे भाई, तुम्हारा लंड सच में बहुत ही मजेदार है और मुझे चूसने में बहुत अच्छा लग रहा है। तुम्हारे इस खडे लंड को देखने और चूसने से मेरी पैंटी गीली महसूस हो रही है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और लग रहा था कि मेरा फिर दुबारा से निकल जाएगा।[/font]
 
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनिया बोली- मेरे भाई, तुम्हारा लंड सच में बहुत ही मजेदार है और मुझे चूसने में बहुत अच्छा लग रहा है। तुम्हारे इस खड़े लंड को देखने और चूसने से मेरी पैंटी गीली महसूस हो रही है।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और लग रहा था कि मेरा फिर दुबारा से निकल जाएगा। इसलिए मैंने सोनिया के बालों को पकड़ कर उसके मुँह को अपने लंड पर से हटा कर ऊपर उठा दिया और उसके होंठों पर को चूम लिया। बहन ने भी बहुत प्यार से मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दिया। हम दोनों करीब पाँच सात मिनट तक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]कुछ देर बाद सोनू ने अपना चेहरा मेरे से अलग किया और बोली- ओह भाई यह बहुत ही रोमांचक है कि हम दोनों को इस तरह का मौका मिला, तुम और मैं अपनी चुदाई की आग को शांत करने के लिए दोनों जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करते हैं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]यह कह कर बहन बेड पर पीठ के बल लेट गई, उसके नाइट-गाउन के सारे बटन तो पहले से खुले हुए थे। अब उसने अपनी ब्रा भी उतार दी। उसकी गोल-गोल भरी हुईं चूचियों को मैंने अपने हाथों में ले लिया और एक मुसम्मी को मुँह में भर कर दूसरी मुसम्मी को ज़ोर से दबाते हुए चूसने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बहन के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, मैं धीरे-धीरे नीचे की ओर सरकता गया और मैंने अपने चेहरे को उसकी मोटी जाँघों के बीच छुपा दिया। उसकी झीनी पैंटी के ऊपर से मैंने उसकी चूत को अपने मुँह में क़ैद कर लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मुझे ऐसा लगा जैसे उसकी चूत के ऊपर बाल उगे हुए हैं। मैंने जल्दी से उसकी पैंटी को खींचा सोनू ने भी अपने चूतड़ उठा कर इस काम में मेरी मदद की और मेरे सामने मेरी प्यारी सोनू बहन की खूबसूरत हल्के सुनहरे झाँटों वाली गुलाबी बुर नुमाया हो गई।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे अंदर जज़्बात का एक तूफान उमड़ पड़ा और मैं अपने आपको इतनी खूबसूरत और प्यारी बुर से अब अलग नहीं रख सकता था। अपनी इस उत्तेजित अवस्था में मुझे अपने चेहरे को उसकी बुर में गाड़ देने में कोई हर्ज़ नज़र नहीं आ रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैंने ऐसा ही किया और उसकी बुर को चाटने लगा और उनकी फाँकों को अपने जीभ से सहलाने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]बहन ने भी अपने दोनों हाथों को मेरे सिर पर रख दिया और मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबा दिया और अपनी कमर को उठाते हुए अपनी बुर को मेरे चेहरे पर रगड़ने लगी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]उसकी बुर बहुत पानी छोड़ रही थी और मुझे उसकी बुर के रस का नमकीन पानी बहुत स्वादिष्ट लग रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]सोनू के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थीं और वो अपने दोनों हाथों से अपनी दोनों मुसम्मियों को खूब भींच-भींच कर मसल रही थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं इस समय बहुत ही उत्तेजित अवस्था में था, मैंने अपनी जीभ को उसकी बुर में पेल दिया और जीभ को बुर की पुत्तियों रगड़ते हुए अंदर घुमाने लगा। सोनिया उत्तेजना के मारे अपनी पिछाड़ी हवा में उछाल रही थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे लिए उसके ऊपर काबू करना मुश्किल हो रहा था इसलिए मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ लिया जिससे कि वो ज्यादा उछल नहीं पाए और तब मैं उसके बुर की टीट (क्लिट) को अपने होंठों के बीच दबा कर चूसने लगा।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“जानू मेरे, ओह अब चढ़ जाओ मेरे ऊपर, उफ्फ़…सस्स्स्सीईईई… अब मेरे लिए… ओह, सनम, मेरे प्यारे भाई जल्दी करो, अब मुझ से ये खुजली बर्दाश्त नहीं हो रही है, और अब मेरी बुर को चूसना छोड़ दे मेरे भाई तुम्हें मेरी चूत का रस पीने और भी मौके मिलेंगे, आज हमारा पहला मिलन होने वाला हैं, देर मत करो ब्रदर, अपने मोटे फनफनाते हुए लौड़े को जल्दी से मेरी चूत में पेल दो।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं भी अब उसको चोदने की ज़रूरत महसूस कर रहा था और मैंने जल्दी से अपने चेहरे को उसकी जाँघों के बीच से हटा कर अपने आप को उसकी जाँघों के बीच ले आया एक हाथ से अपने खड़े लंड को पकड़ कर उसकी बुर के गुलाबी छेद पर लगा दिया और एक जोरदार झटका दिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरा लंड दनदनाता हुआ सीधा उसकी बुर में घुसता चला गया। सोनू के मुँह से एक चीख निकल गई। शायद मेरे इतनी तेज़ी के साथ लंड घुसने के कारण उसे दर्द हो गया था मगर उसने अपने आप को संभाल लिया और मुझे कस कर अपनी बाँहो में चिपटा लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]ये सही है कि मैंने अपने दोस्तों से चुदाई संबंधी बहुत सारी बातें की हुई थीं और मैंने कुछ किताबें और फोटो एल्बम भी देख रखे थे लेकिन मम्मी, तुम्हारी और पापा की चुदाई को देखने के बाद मैं एकदम से पागल हो गया था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मेरे अंदर वासना का तूफान खड़ा हो गया था। मैं बहन की सिसकारियों और चीखों की तरफ बिना कोई ध्यान दिए बहुत जोरदार धक्के लगा रहा था। कुछ देर बाद ही मेरे जानदार धक्कों का जवाब सोनिया भी अपनी पिछाड़ी उछाल-उछाल कर देने लगी थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अब उसे मज़ा आने लगा था। उसकी बुर एकदम गीली हो चुकी थी और मेरा लंड सटासट अंदर-बाहर हो रहा था, उसकी गोल कठोर चूचियाँ मेरे हाथों में आसानी से फिट हो गई थीं और उनको दबाते और सहलाते हुए मैं अपने लौड़े को बहन की चूत में पेल रहा था।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मैं उसके रसीले होंठों को चूस रहा था और छोड़ रहा था। बहन अपनी सिसकारियों और किलकरियों के द्वारा मेरा उत्साह बढ़ाते हुए अपने नितम्ब उछाल-उछाल कर दम से चुदवा रही थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]हम दोनों की साँसें धौकनी की तरह चलने लगी और तभी बहन ने मुझे कस कर अपने से चिपटा लिया और अपनी बुर से मेरे लौड़े को कस लिया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरे लंड से भी वीर्य का एक तेज फ़व्वारा बहन की चूत के अंदर निकल पड़ा। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे फिर थोड़ी देर बाद हम एक-दूसरे से अलग हुए और बाथरूम में जाकर अपने अंगों को साफ किया।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]फिर हम दोनों बेड पर बैठ गए, बहना ने मेरे होंठों का एक चुम्बन लिया मुझे उसकी चुदाई करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि वो बहुत दिनों से किसी के साथ चुदाई करवाना चाहती थी मगर मौका नहीं मिलने के कारण अपनी सहेलियों के साथ बैंगन का इस्तेमाल करती रही थी, जिससे उसकी झिल्ली फट चुकी थी।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मैंने उस से कहा कि आज के बाद उसे बैंगन के इस्तेमाल की ज़रूरत नहीं महसूस होगी। यह हमारी पहली चुदाई थी। इसके बाद हम लगभग रोज चुदाई करते थे और कई-कई बार करते थे।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इतना कह कर मैं चुप हो गया। मम्मी बड़े गौर से मेरी कहानी सुन रही थीं। कहानी सुनते सुनते उसके चेहरे का रंग भी लाल हो गया था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मम्मी को यह कहानी सुनने में बहुत मज़ा आया था। वो अपने एक हाथ को अपने जाँघों के बीच रखे हुए थीं और वहाँ बार-बार दबा रही थीं।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]अपनी जाँघों को भींचते हुए मुझसे सिगरेट ली और एक बड़ा सुट्टा मार कर बोलीं- सच कह रहे हो तुम? मुझे लगता है मैं ही इन सबका कारण हूँ। तुम्हारी कहानी सुन कर मैं बहुत गरम और उत्तेजित हो गई हूँ।[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]इतना कहते हुए वो बेड की पुष्ट पर पीठ टिका कर अधलेटी सी हो गईं। मेरा हाथ पकड़ कर अपने हाथों में ले लिया और अपने दिल पर रख दिया, मेरे पूरे बदन में सिहरन दौर गई। [/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“बेटे तुमने मुझे बहुत गर्म कर दिया है, तुम और तुम्हारी बहन दोपहर में बहुत जबरदस्त तरीके से चुदाई कर रहे थे। जैसा कि मैं समझती हूँ और सामाजिक परंपराओं के अनुसार यह पाप है, मगर मेरा दिल जो कि मेरे दिमाग़ से अलग सोच रहा है और कह रहा है कि यह बहुत ही प्यार भरा पाप है। क्या तुम एक और पाप करना चाहोगे? क्या तुम अपनी मम्मी के साथ भी यही पाप करना चाहोगे?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मम्मी, तुम क्या कह रही हो, क्या तुम सच में ऐसा कुछ सोच रही हो?”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“माय डियर सन, क्या तुम्हें अब भी कुछ शक़ हो रहा है? माय डार्लिंग, ज़रा अपनी मम्मी के इन दुद्दुओं को दबाओ और मसलो।”[/font]

[font=Arial, Helvetica, sans-serif]“मॉम, ये मेरे लिए एक पाप ही है। मुझे समझ नहीं आ रहा मैं आपको क्या जवाब दूँ और कैसे ये सब करूँ, मम्मी मुझे आपके साथ ये सब करने में बहुत झिझक हो रही है। क्या आ आप…?”[/font]
 
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