hotaks444
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[font=Arial, Helvetica, sans-serif]मेरी सिस्टर[/font][font=Arial, Helvetica, sans-serif] [/font][font=Arial, Helvetica, sans-serif]
कॉलेज से छुट्टी मिलते ही मैं बाहर आ गया। मैं स्नातक का छात्र हूँ। कॉलेज के गेट के बाहर हर रोज घर ले जाने के लिए एक ऑटो मेरा इंतज़ार कर रहा था। मेरे बैठते ही ऑटोवाला तेज़ी के साथ सोनिया के स्कूल की तरफ रवाना हो गया।
यह मेरा हर रोज का रुटीन था। पहले ऑटोवाला मुझे लेता था क्योंकि मेरे कॉलेज की छुट्टी 12:30 बजे होती थीं। फिर सोनिया को, जो 12वीं क्लास में पढ़ती थीं और उसके स्कूल की छुट्टी 1:00 बजे होती थी।
कुछ ही देर में मैं सोनिया के कॉनवेंट स्कूल के सामने पहुँच गया। अभी 12:45 हुए थे, ऑटोवाला बगल की दुकान पर चाय पीने चला गया।
मैंने अपने बैग में से दो किताबें निकाल लीं। ये दोनों किताबें मेरे दोस्त मनीष ने मुझे दी थीं।
एक किताब में औरत-मर्द के नंगे चित्र थे और दूसरी किताब में कहानियाँ थीं। कहानियों की किताब को मैंने बाद में पढ़ने का निश्चय किया और पिक्चर वाली किताब को अपनी इक्नोमिक्स की पुस्तक के बीच में रख कर वहीं ऑटो में देखने लगा।
तस्वीरें काफ़ी सेक्सी और उत्तेजक थीं, देखते-देखते मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरे चेहरे का रंग उत्तेजना के मारे लाल हो गया। अपने खड़े लंड को छुपाने के लिए मैंने अपना स्कूल बैग अपनी गोद में रख लिया और औरत मर्द के चुदाई के विभिन्न आसनों में ली गई उन तस्वीरों को देखने लगा।
तभी स्कूल की घंटी बज उठी, मैंने जल्दी से किताबों को मोड़ कर अपने बैग में घुसाया, अपने लंड को अपनी पैन्ट में अड्जस्ट किया और ऑटो से उतर कर अपनी डार्लिंग बहन का इंतज़ार करने लगा।
हमारे परिवार की एक छोटी सी कहानी हैं, जिसे बताना मैं आवश्यक समझता हूँ। वर्ष 2000 में एक सड़क दुर्घटना में 41 लोगों की जान चली गई थीं, जिसमें हम दोनों अनाथ हो गए थे। हम दोनों के माँ-बाप उस दुर्घटना में चल बसे थे।
उसी दुर्घटना में हमारे साथ यात्रा कर रहे श्री सक्सेना जी के परिवार में उनको छोड़ कर कोई भी जीवित नहीं बचा था। उसके बाद से ही उन्होंने हमें अपनी संतान के रूप में पाला हैं।
मेरे और सोनिया के माता-पिता अलग-अलग थे। उस समय हम अबोध बालक थे, सो उस समय से ही हम दोनों को सक्सेना जी ने ही पाला हैं और उनको हम अपना पिता मानते हैं। बाद में उसी दुर्घटना में मारे गए एक अन्य परिवार की नवविवाहित महिला जो कि विधवा हो गई थीं, उनसे सक्सेना जी ने विवाह कर लिया था। अब इस तरह हमारा एक परिवार बन गया था। दुर्घटना से बने भय के कारण हमारे वर्तमान अभिभावक हमें बाइक या स्कूटर आदि भी नहीं दिलवाते !
ठीक एक बजे मुझे मेरी प्यारी, सेक्सी गुड़िया सी बहन ऑटो की तरफ बढ़ती हुई दिख गई।
सच में कितनी खूबसूरत थी मेरी बहन ! उसको देख कर किसी भी मर्द के रीढ़ की हड्डी में ज़रूर एक सिहरन उठ जाती होंगी।
मेरी बहन इतनी खूबसूरत और सेक्सी है कि मैं उसके प्यार में पूरी तरह से डूब गया हूँ, वो भी मुझ से उतना ही प्यार करती हैं। बाहर की दुनिया के लिए हम भले ही भाई-बहन हैं मगर घर में अपने कमरे के अंदर हम दोनों भाई-बहन एक दूसरे के लिए पति-पत्नि से भी बढ़ कर हैं।
आपको यह सुन कर शायद आश्चर्य लगे मगर यही सच है। मेरी बहन इस वक़्त 19 साल की है और मैं 21 साल का।
हम दोनों अपने मम्मी पापा के साथ शहर से थोड़ी दूर उप-नगरीय क्षेत्र में रहते हैं। मेरे पापा अभी 42 साल के और मम्मी 33 साल की हैं। हमारा एक मध्यम वर्गीय परिवार है। मेरी माँ बहुत ही खूबसूरत महिला हैं और पापा भी एक खूबसूरत व्यक्तित्व के मालिक हैं।
पापा एक प्राइवेट बैंक में उच्च पद पर हैं और मम्मी सरकारी नौकरी में हैं। इस नये शहर में आकर पापा ने जानबूझ कर शहर से बाहर शान्ति भरे माहौल में एक बंगला खरीदा था।
हमको स्कूल ले जाने और ले आने के लिए उन्होने एक ऑटो कर दिया था। घर की ऊपरी मंज़िल पर एक कमरे में मम्मी और पापा रहते थे और दूसरे कमरे में हम दोनों भाई-बहन।[/font]
कॉलेज से छुट्टी मिलते ही मैं बाहर आ गया। मैं स्नातक का छात्र हूँ। कॉलेज के गेट के बाहर हर रोज घर ले जाने के लिए एक ऑटो मेरा इंतज़ार कर रहा था। मेरे बैठते ही ऑटोवाला तेज़ी के साथ सोनिया के स्कूल की तरफ रवाना हो गया।
यह मेरा हर रोज का रुटीन था। पहले ऑटोवाला मुझे लेता था क्योंकि मेरे कॉलेज की छुट्टी 12:30 बजे होती थीं। फिर सोनिया को, जो 12वीं क्लास में पढ़ती थीं और उसके स्कूल की छुट्टी 1:00 बजे होती थी।
कुछ ही देर में मैं सोनिया के कॉनवेंट स्कूल के सामने पहुँच गया। अभी 12:45 हुए थे, ऑटोवाला बगल की दुकान पर चाय पीने चला गया।
मैंने अपने बैग में से दो किताबें निकाल लीं। ये दोनों किताबें मेरे दोस्त मनीष ने मुझे दी थीं।
एक किताब में औरत-मर्द के नंगे चित्र थे और दूसरी किताब में कहानियाँ थीं। कहानियों की किताब को मैंने बाद में पढ़ने का निश्चय किया और पिक्चर वाली किताब को अपनी इक्नोमिक्स की पुस्तक के बीच में रख कर वहीं ऑटो में देखने लगा।
तस्वीरें काफ़ी सेक्सी और उत्तेजक थीं, देखते-देखते मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरे चेहरे का रंग उत्तेजना के मारे लाल हो गया। अपने खड़े लंड को छुपाने के लिए मैंने अपना स्कूल बैग अपनी गोद में रख लिया और औरत मर्द के चुदाई के विभिन्न आसनों में ली गई उन तस्वीरों को देखने लगा।
तभी स्कूल की घंटी बज उठी, मैंने जल्दी से किताबों को मोड़ कर अपने बैग में घुसाया, अपने लंड को अपनी पैन्ट में अड्जस्ट किया और ऑटो से उतर कर अपनी डार्लिंग बहन का इंतज़ार करने लगा।
हमारे परिवार की एक छोटी सी कहानी हैं, जिसे बताना मैं आवश्यक समझता हूँ। वर्ष 2000 में एक सड़क दुर्घटना में 41 लोगों की जान चली गई थीं, जिसमें हम दोनों अनाथ हो गए थे। हम दोनों के माँ-बाप उस दुर्घटना में चल बसे थे।
उसी दुर्घटना में हमारे साथ यात्रा कर रहे श्री सक्सेना जी के परिवार में उनको छोड़ कर कोई भी जीवित नहीं बचा था। उसके बाद से ही उन्होंने हमें अपनी संतान के रूप में पाला हैं।
मेरे और सोनिया के माता-पिता अलग-अलग थे। उस समय हम अबोध बालक थे, सो उस समय से ही हम दोनों को सक्सेना जी ने ही पाला हैं और उनको हम अपना पिता मानते हैं। बाद में उसी दुर्घटना में मारे गए एक अन्य परिवार की नवविवाहित महिला जो कि विधवा हो गई थीं, उनसे सक्सेना जी ने विवाह कर लिया था। अब इस तरह हमारा एक परिवार बन गया था। दुर्घटना से बने भय के कारण हमारे वर्तमान अभिभावक हमें बाइक या स्कूटर आदि भी नहीं दिलवाते !
ठीक एक बजे मुझे मेरी प्यारी, सेक्सी गुड़िया सी बहन ऑटो की तरफ बढ़ती हुई दिख गई।
सच में कितनी खूबसूरत थी मेरी बहन ! उसको देख कर किसी भी मर्द के रीढ़ की हड्डी में ज़रूर एक सिहरन उठ जाती होंगी।
मेरी बहन इतनी खूबसूरत और सेक्सी है कि मैं उसके प्यार में पूरी तरह से डूब गया हूँ, वो भी मुझ से उतना ही प्यार करती हैं। बाहर की दुनिया के लिए हम भले ही भाई-बहन हैं मगर घर में अपने कमरे के अंदर हम दोनों भाई-बहन एक दूसरे के लिए पति-पत्नि से भी बढ़ कर हैं।
आपको यह सुन कर शायद आश्चर्य लगे मगर यही सच है। मेरी बहन इस वक़्त 19 साल की है और मैं 21 साल का।
हम दोनों अपने मम्मी पापा के साथ शहर से थोड़ी दूर उप-नगरीय क्षेत्र में रहते हैं। मेरे पापा अभी 42 साल के और मम्मी 33 साल की हैं। हमारा एक मध्यम वर्गीय परिवार है। मेरी माँ बहुत ही खूबसूरत महिला हैं और पापा भी एक खूबसूरत व्यक्तित्व के मालिक हैं।
पापा एक प्राइवेट बैंक में उच्च पद पर हैं और मम्मी सरकारी नौकरी में हैं। इस नये शहर में आकर पापा ने जानबूझ कर शहर से बाहर शान्ति भरे माहौल में एक बंगला खरीदा था।
हमको स्कूल ले जाने और ले आने के लिए उन्होने एक ऑटो कर दिया था। घर की ऊपरी मंज़िल पर एक कमरे में मम्मी और पापा रहते थे और दूसरे कमरे में हम दोनों भाई-बहन।[/font]