Bhai Bahan XXX भाई की जवानी - SexBaba
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Bhai Bahan XXX भाई की जवानी

desiaks

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Aug 28, 2015
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भाई की जवानी

लेषक अज्ञात
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पात्र (किरदार) परिचय

01. राजेश- उम्र 42 साल, सुमन का पति, मैनेजर,

02. समन- उम्र 40 साल, राजेश की पत्नी, टीचर,

03. विशाल- उम्र 20 साल, राजेश और सुमन का बेटा, इंटर की पढ़ाई,

04. आरोही- उम्र 18 साल, राजेश और सुमन की बैटी, इंटर की पढ़ाई,

05. प्रिया- विशाल के मामा की लड़की,

06. अजय प्रिया का भाई,

07. राहुल- प्रिया का पति,
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भाई की जवानी कहानी एक ऐसे परिवार की है जिसमें राजेश उम 42 साल, अपनी पत्नी सुमन उम 40 साल और दो बच्चों विशाल उम 20 साल, और आरोही उम 18 साल के साथ जयपुर में रहता है। राजेश एक कंपनी में मैनेजर है। सुमन भी स्कूल में टीचिंग करती है. और इसी स्कूल में विशाल और आरोही दोनों इंटर की पढ़ाई कर रहे हैं।

दो मंजिला मकान में नीचे राजेश और सुमन का रूम है। विशाल और आरोही का रूम ऊपर है। दोनों भाई बहन में बहुत प्यार है. एक दूसरे की जरूरतों का खयाल रखते हैं। आज तक विशाल और आराही में किसी बात पर झगड़ा नहीं हुआ। दोनों पढ़ाई में भी टाफ रहते हैं। विशाल 95% मार्क लाता है तो आरोही भी पीछे नहीं रहती 94.5% मार्क आरोही के रहते हैं।

राजेश और सुमन को अपने बच्चों पर बड़ा गर्व रहता है। स्कूल में सभी विशाल और आरोही से दोस्ती करना चाहते हैं। मगर विशाल और आरोही दोनों ऐसें रहते हैं जैसे उन्हें किसी दोस्त की जररत ही नहीं। आरोही पढ़ाई के साथ-साथ घर के सारे काम भी किया करती थी। मम्मी पापा की लड़ली, राजेश भी दोनों बच्चों की हर ख्वाहिश पूरी करता। विशाल को पिछले साल लैपटाप दिलवाया था।

एक रात सुमन राजेश से बातें कर रही थी।

सुमन- सुनो जी स्कूल की तीन दिन की छुटियां हैं। मैं सोच रही हूँ अपने घर काशीपुर हो आऊँ।

राजेश- हाँ हाँ चली जाओ।

सुमन- आप भी साथ में चलेंगे?

राजेश- बच्चों को अकेला छोड़कर जाओगी?

सुमन- तो क्या हुआ? बच्चे अब बड़े हो गये हैं। आरोही भी किचन का सारा काम कर लेती है।

राजेश- "ठीक है जैसा आपका हुकुम..." और राजेश सुमन को अपनी बाहों में भर लेता है।

सुमन भी राजेश की बाँहो में समा जाती है। पल भर में कपड़ों की दीवार हट जाती है। राजेश का" इंच का लण्ड सुमन के हाथों में किसी लोलीपोप की तरह दिख रहा था। सुमन ने मुँह खोलकर राजेश का लण्ड मुँह में भर लिया और धीरे-धीरे चूसने लगी। राजेश के लण्ड में प्रेशर बढ़ता जा रहा था। थोड़ी देर की चुसाई में लण्ड एकदम स्टील रोड बन चुका था।

राजेश ने झट में अपने लण्ड को सुमन के मुँह से बाहर निकाला, और सुमन की टांगों को फैलाकर चूत के छेद पर रखकर एक जोरदार झटका मार दिया। सुमन की एकदम दर्द भरी आइ: निकल गई।

सुमन- आह्ह.. इसम्स्स.. धीरेs: आह्ह.."
 
राजेश दे दनादन शाट मरता रहा। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद दोनों शांत हुए, और एक दूसरे की बौंहों में लिपटें नींद की आगोश में चले गये।

सुबह 7:00 बजे आरोही मम्मी के रूम में आती है। सुमन बैग में कुछ सामान पैक कर रही थी।

आरोही- मम्मी में पैकिंग क्यों कर रही हो?

सुमन- अरे आरोही बेटा, उठ गई तुम? मैं तो बस अभी तुझे उठाने ही आ रही थी। बेटा हम दो दिन के लिए तेरे मामा के यहां जा रहे हैं। जाओ विशाल को भी उठा दो।

आरोही- "जी मम्मी अभी उठाती है." और आरोही ऊपर विशाल को उठाने पहुंचती है।

विशाल एक चादर ओटे गहरी नींद में सोया था।

आरोही- भैया उठा, मम्मी बुला रही है।

मगर विशाल पर आराही की आवाज का काई असर नहीं होता।

आरोही विशाल के ऊपर से चादर खींच लेती है।

विशाल- आरोही सोने दे ना.. आज तो सनडे है क्यों परेशान करती है?

आरोही- भैया नीचे आपको मम्मी बुला रही है वो मामा के यहां जा रही हैं।

विशाल- अच्छा तू चल मैं फ्रेश होकर आता हूँ।

आरोही- जी भैया ठीक है।
 
विशाल- आरोही सोने दे ना.. आज तो सनडे है क्यों परेशान करती है?

आरोही- भैया नीचे आपको मम्मी बुला रही है वो मामा के यहां जा रही हैं।

विशाल- अच्छा तू चल मैं फ्रेश होकर आता हूँ।

आरोही- जी भैया ठीक है।

थोड़ी देर में विशाल नीचे पहुँचता है। मम्मी पापा जाने के लिए बिल्कुल तैयार थे।

सुमन- बेटा हम तेरे मामा के यहां जा रहे हैं। परसों तक वापस आ जायेंगे। ये कुछ पैसे रख लें और कोई बात हो तो फोन कर लेना।

विशाल- जी मम्मी ठीक है।

राजेश- और बेटा घर पर ही रहना।

विशाल- जी पापा।

राजेश और सुमन मामा के यहां काशीपुर के लिए निकल गये।

आरोही- भैया आपके लिए नाश्ता बना दं?

विशाल- ही बना लें।

आरोही किचेन में नाश्ता तैयार करती है और विशाल सोफे पर बैठा टीवी ओज कर देता है। 'राजा हिन्दुस्तानी' मूबी आ रही थी। विशाल मूवी देखने लगता है। थोड़ी देर बाद आरोही नाश्ता लेकर आती है, और विशाल के बराबर में बैठ जाती है। दोनों नाश्ता करते हए मूवी देखने लगते हैं। तभी मबी में एकदम से किसिंग सीन आ जाता है। विशाल के एक हाथ में चाय का कप और दूसरे में सडविच था। विशाल चैनल बदलना चाह रहा था

और आरोही भी ये सीन देखकर विशाल के सामने शर्म सी महसूस कर रही थी। विशाल सैंडविच खकर रिमोट उठाकर चैनल बदल देता है। थोड़ी देर दोनों खामोश बैठे नाश्ता करते रहें।

आरोही खामोशी को तो विशाल से पूछती है- "भैया आज लंच में क्या खाओगे?"

विशाल- मटर पनीर बना लेना।

आरोही- भैया फिर तो आपको मार्केट जाना पड़ेगा।

विशाल- ओके अभी जाता हैं। और कुछ तो नहीं चाहिए?

आरोही- "अभी किचन में चंक करती हैं... और आरोही उठकर किचन में चली जाती है। थोड़ी देर बाद आरोही एक सामान की लिस्ट विशाल को पकड़ा देती है।

विशाल मार्केट चला जाता है। आरोही सोफे पर बैठकर रिमोट उठाकर चैनल बदलने लगती है। तभी एक हालीबुड मूवी पर हाट सीन देखकर रूक जाती है। उफफ्फ... क्या जबरदस्त किसिंग सीन चल रहा था। आरोही बड़े गौर से ये सब देख रही थी। अचानक सीन गायब हो जाता है। आरोही टीवी आफ करके घर की सफाई में लग जाती है।

 
करीब आधे घंटे बाद विशाल भी मार्केट से आ जाता है। आरोही सामान का बैग लेकर किचेन में पहुँचती है। जैसे हो बैंग से सामान निकालती है। आरोही को सामान के साथ एक चाकलेंट नजर आती हैं। आरोही के चेहरे पर मुश्कान आ जाती है। आरोही चाकलेट लेकर बाहर आती है और विशाल के पास बैठते हुए चाकलेट का पैक खोलती है।

आरोही- थेंक यू भैया।

विशाल- तुझे चाकलेट पसंद है ना?

आरोही- "जी भैया..." और आधी चाकलेट विशाल को देती है।

विशाल- अरे आरोही बस तुम खा लो।

आरोही- नहीं आधी आप भी खाइए।

विशाल मुश्कुराते हुए- "अच्छा बाबा लाओ..."

आरोही भी मुश्कुरा देती है, और कहती है- "भैया कोई गेम खेलते हैं..."

विशाल- कौन सा गेम?

आरोही- लूडो।

विशाल- नहीं कैरम खेलते हैं।

आरोही- नहीं भैया कैरम में तो हर बार में हार जाती हैं।

विशाल- लहों में भी तो हारती हैं।

आरोही- नहीं जी लास्ट टाइम आप हार गये थे।

विशाल- "चल ठीक है, देखते हैं आज.." और दोनों लूडो खेलने लगते हैं।

आरोही की गोटी पहले खुलती है, और जैसे ही विशाल की गोटी खुलती है, जिसे आरोही की गोटी फिर से बंद कर देती है। आरोही की 3 गोटी खुल चुकी थी और विशाल की अभी तक चारों गोटी बंद थी। आरोही के चेहरे पर मुश्कान बढ़तीजा रही थी थी।
 
आरोही की गोटी पहले खुलती है, और जैसे ही विशाल की गोटी खुलती है, जिसे आरोही की गोटी फिर से बंद कर देती है। आरोही की 3 गोटी खुल चुकी थी और विशाल की अभी तक चारों गोटी बंद थी। आरोही के चेहरे पर मुश्कान बढ़तीजा रही थी थी।

अचानक विशाल की गोटी खुल जाती है, और आरोही की गोटी पीट देती है। गेम फिर से इंदरस्टिंग मोड़ पर आ चुका था। आरोही की 3 गोटी जा चुकी थी सिर्फ एक गोटी बची थी। जैसे ही आरोही की गोटी खुलती है विशाल फिर से बंद कर देता है। ऐसे ही खेलते हुए विशाल की भी 3 गोटी जा चुकी थी।

आरोही का चेहरा मुरझाने लगता है। और विशाल जैसे ही अपनी चाल चलता हुआ आरोही से आगे आता है, आरोही की गोटी खुल जाती है और खुलते ही विशाल की गोटी पिट जाती हैं।

आरोही का मुग्झाया चेहरा एकदम फिर से खिल जाता है, और आरोही की गोटी को रोकने वाला अब रास्ते में कोई नहीं था। विशाल की एक ही गोटी बची थी जो बंद थी, और आरोही की गोटी जैसे ही मंजिल पर पहुँचती है। आरोही जीत की खुशी में चिल्ला पड़ती है- "हरेर... मैं जीत गई.."
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विशाल का चेहरा देखने लायक था।

और यूं ही मस्ती करते हुए दोनों के ये दो दिन यूं ही गुजर जाते हैं। सुबह करीब 10:00 बजे घर की डोर बेल बजती है।

आरोही जैसे ही दरवाजा खोलती है। मम्मी पापा के साथ मामा की लड़की प्रिया को देखकर खुशी में एकदम गर्ने में लिपट जाती है।

आरोही- अरे प्रिया तुम?

सुमन- मैं बेटा, पहले अंदर तो आने दें फिर आराम से गले मिल लेना।

आरोही- ओह आओ आओ अंदर आओ। भैया देखो कौन आया है?

विशाल भी प्रिया को देखकर बहुत खुश होता है। विशाल आगे बढ़कर प्रिया से हाथ मिलाता है- "कैसी हो प्रिया?"

प्रिया- एकदम बंदिया, तुम बताओ?

विशाल- आई आम फाइन।

राजेंश- आरोही बेटा, प्रिया को ऊपर रूम में ले जाओ। थोड़ा आराम कर लेंगी, सफर में थक गई होगी।

आरोही- "जी पापा.. और आरोही प्रिया को लेकर ऊपर चली जाती है।

नीचे राजेश और सुमन भी आराम करते हैं। विशाल होटल से खाना लेने चला जाता है।

ऊपर आरोही और प्निया बातें कर रही थी।

प्रिया- और सजाओ आरोही तेरी लाइफ कैंसी चल रही है?

आरोही- ठीक चल रही हैं। बस एक टेन्शन सी है।

प्रिया- कैसी टेन्शन?

आरोही- अबकी बार भी लगता है भाई के मार्क मुझसे ज्यादा आयेंगे।

प्रिया. तुझे पढ़ाई के अलावा भी कोई बात नहीं आती?
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आरोही- क्यों तेरी पढ़ाई कैंसी चल रही है?

प्रिया- मैंने तो पढ़ाई छोड़ दी। क्या करेंगी इतना पटकर?

आरोही- क्या?

प्रिया- इतना चकित क्यों हो रही है? कुछ दिन में शादी हो जायेंगी। फिर बस पतिदेव की सेवा। क्या होगा इस
पढ़ाई का?
 
प्रिया- मैंने तो पढ़ाई छोड़ दी। क्या करेंगी इतना पटकर?

आरोही- क्या?

प्रिया- इतना चकित क्यों हो रही है? कुछ दिन में शादी हो जायेंगी। फिर बस पतिदेव की सेवा। क्या होगा इस
पढ़ाई का?

आरोही- तू और तेरी सोच। तेरे से बातों में काई नहीं जीत सकता।

प्रिया- अब तेरे जैसा गुलाम बनकर तो मैं रह नहीं सकती।

आरोही- गुलाम? मुझमें तूने ऐसा क्या देख लिया?

प्रिया- रात दिन बस किताबों की गुलाम बनी रहती है। इस जहाँ में स्कूल और किताबा से अलग भी कोई दुनियां हैं देखी है तूने?

आरोही- आज तू ये कैसी बातें कर रही है, कोई तो बात जरूर है?

प्रिया- देख त मेरी सबसे क्लोज है। मैं तुझसे कछ नहीं रिपाऊँगी।

आरोही प्रिया की बातों को बड़े ही गौर से सुनने लगती है।

प्रिया- तू जानती है हमारे पड़ोस में राहुल को?

आरोही- हाँ हाँ जानती हैं। तेरे छोटे भाई अजय का पक्का दोस्त है। क्या हुआ?

प्रिया. में उससे पसंद करने लगी और हम दोनों चोरी छुपे मिलने लगे।

आरोही चकित हाकर पिया की बातें सुन रही थी।

प्रिया- अभी दो दिन पहले अजय ने हम दोनों को एक साथ माल में देख लिया। और घर पर आकर मम्मी पापा से जाने क्या-क्या कहा। और मम्मी ने मुझे बहुत मारा और मुझे यहां भेज दिया।

आरोही- प्रिया ये तो तुमने ठीक नहीं किया। हमें अपने माँ बाप की इज्जत का भी खयाल रखना चाहिए।

प्रिया- मैं क्या करती? रोज रात को मम्मी पापा का लाइव शो देख देखकर बैचैन रहती थी।

आरोही- कैसा लाइव शो?

प्रिया- "तू तो बिलकुल टक्कन है। तुझे किताबों के अलावा कुछ मालूम नहीं। मैं औरत मर्द के जिस्मानी संबंधों
की बात कर रही हैं। समझी कुछ?

आरोही प्रिया की बातें सुनकर हैरान श्री. "ओह माई गोड... प्रिया क्या तू इतना आगे बढ़ चुकी है? तूने सेक्स......"

प्रिया- अभी मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ।
 
आरोही ये सुनकर थोड़ा राहत सी महसूस करती है और प्रिया को समझाती है- "देख प्निया कभी ऐसा काई कदम नहीं उठाना जिससे तेरे मम्मी पापा को शर्मिंदगी उठानी पड़े। अब कुछ दिन तू आराम से मेरे पास रह और में सब बातें अपने दिमाग से निकल दे...

तभी विशाल रूम में एंटर होता है।

विशाल- क्या बातें हो रही हैं दोनों में?

आरोही- क-क-कुछ नहीं भैया।

विशाल- चलो नीचे खाना खा लो।

आरोही- "जी भैया। चलो प्रिया.." और सब नीचे आकर एक साथ खाना खाते हैं।

पूरा दिन में ही गुजर जाता है। शाम को आरोही मम्मी के साथ किचेन के काम में हाथ बंटा रही थी, और विशाल और प्रिया ऊपर छत पर टहल रहे थे।

विशाल- और सुनाओ प्रिया पढ़ाई कैसी चल रही है?

प्रिया- विशाल भैया, मैंने पढ़ाई छोड़ दी।

विशाल- बया?

प्रिया- बस ऐसे ही। मेरे दिमाग में पढ़ाई घुसती ही नहीं।

विशाल- फिर अब क्या करोगी?

प्रिया- शादी।

विशाल- ओह इतनी जल्दी?

प्रिया- जल्दी कहां है? 19 साल की हो चुकी है मैं।

विशाल भी प्रिया की बातों को सुनकर हैरान था।

तभी आरोही चाय लेकर ऊपर आ जाती है- "क्या-क्या बातें हो रही हैं दोनों में?"
 
विशाल भी प्रिया की बातों को सुनकर हैरान था।

तभी आरोही चाय लेकर ऊपर आ जाती है- "क्या-क्या बातें हो रही हैं दोनों में?"

विशाल- पढ़ाई के लिए पूछ रहा था।

और थोड़ी देर , ही चाय पीते हुए बातें करते रहे। रात के 10:00 बजे चुके थे। विशाल ऊपर रूम में जाकर लेट गया। राजेश और सुमन भी अपने रूम में सो चुके थे। नीचे मम्मी पापा के रूम के बराबर में एक रूम और था। आरोही और प्निया दोनों उसी रूम में लेट गये।

आरोही- प्रिया तूनें विशाल को राहुल के बारे में तो कुछ नहीं बताया?

प्रिया- बस बताने वाली थी की त आ गई।

आरोही अपने माथे पर हाथ मारते हुए- "तू कैसी बेवकूफ है? ये बातें तू किसी को नहीं बतायेगी.."

प्रिया- "अच्छा बाबा नहीं बताऊँगी..." फिर कहा- "आराही, अपना मोबाइल दिखाना..."

आरोही- किसलिए?

प्रिया- एक काल करनी है।

आरोही- किसे?

प्रिया- राहल को।

आरोही- नहीं।

प्रिया- प्लीज मार, बस एक काल करेंगी।

आरोही- तुझे इतना समझाने पर समझ में नहीं आ रहा?

प्रिया- प्यार ऐसा ही होता है।

आरोही- ये प्यार नहीं है।

तभी प्रिया की नजर टेबल पर रखें मोबाइल पर जाती है, और प्रिया मोबाइल उठाकर राहुल का नंबर मिला देती है। आरोही प्रिया को देखती रह जाती है। मगर ल का नंबर स्विच-आफ जा रहा था, और प्रिया आकर आरोही के बराबर में लेट जाती है।

आरोही- प्रिया तू तो बहुत आगे निकल चुकी है।

प्रिया. मेरा तो ऐसा दिल कर रहा है की अभी भागकर राहुल के पास पहुंच जाऊँ।

आरोही- क्या?

प्रिया- इतना क्यों चकित हो रही है?

आरोही- "वैसे तुम्हारे बीच... मेरा मतलब है कुछ ऐसा वैसा?"

प्रिया- हौं, थोड़ा बहुत किस वगैरह।

आरोही- "ओह माई गोड... तमनें आपस में किस भी कर लिया?"

प्रिया- "अरें किस तो नार्मल है.." कहकर प्रिया अपना एक हाथ बढ़ाकर आरोही की चूचियों पर रखते हए- "राहल
तो मेरी चूचियों को भी मसल चुका है.."

आरोही अपनी चूचियों से प्रिया का हाथ हटाते हुए- "ये सब क्या हैं प्रिया?"

प्रिया- "ये ही तो जवानी के मजें हैं मेरी जान."

तभी प्निया को बराबर वाले रूम से कुछ आवाजें सुनाई देती हैं- "आहह... सस्सीई..."

प्रिया- "लगता है तेरे मम्मी पापा का शो स्टार्ट हो गया..."

आरोही- तुझं ऐसा क्यों लगता है?

प्रिया. साइलेंट होकर गौर से सुन।

आरोही बड़े गौर से कुछ सुनने की कोशिश करती है। उसे भी मम्मी के कराहने की आवाजें सुनाई देती है "आहह... सस्स्स्सी ... ऊहह.."

आरोही- लगता है मम्मी की तबीयत ठीक नहीं हैं।

प्रिया- "तू तो वाकई बिल्कुल ढक्कन है। ये कराहने के आवाजें तबीयत खराब की नहीं, मजे की है। चल तुझे दिखाती हूँ..."

आरोही- नहीं मुझे नहीं देखना।
 
आरोही बड़े गौर से कुछ सुनने की कोशिश करती है। उसे भी मम्मी के कराहने की आवाजें सुनाई देती है "आहह... सस्स्स्सी ... ऊहह.."

आरोही- लगता है मम्मी की तबीयत ठीक नहीं हैं।

प्रिया- "तू तो वाकई बिल्कुल ढक्कन है। ये कराहने के आवाजें तबीयत खराब की नहीं, मजे की है। चल तुझे दिखाती हूँ..."

आरोही- नहीं मुझे नहीं देखना।

प्रिया आरोही का हाथ पकड़कर रूम से बाहर ले आती है और बाहर की लाइट आफ कर देती है। मम्मी पापा के रूम में हल्की रोशनी की वजह से झिरियां दिखने लगती हैं। और प्निया अपनी आँखों को इन झिरियों में लगा देती है। अंदर का नजारा बड़ा ही सेक्सी था। राजेश सुमन को डागी स्टाइल में किये हुए अपने लण्ड का अंदर बाहर कर रहा था।

प्रिया ये सब देखकर मुश्कुराते हुए आरोही को झाँकने को बोलती है।

आरोही जैसे ही अंदर का नजारा देखती है। उसकी धड़कनें धड़कना भूल जाती हैं। आरोही बुत सी बनी अपने पापा का लंबा मोटा लण्ड अंदर-बाहर होतें हए देख रही थी। प्रिया आरोही का हाथ पकड़कर वापस अपने रूम में ले आती है।

आरोही ये सीन देखकर बेजान किसी पत्थर की मूरत बन चुकी थी।

प्रिया आराही को झंझोड़ते हुए. "आरोही क्या हुआ, कहां खो गई तू?"

आरोही को जैसे ही होश आता है। आरोही बोलती है- "आइह माई गोड... ये सब क्या था?"

प्रिया- देखा लगा ना तुझे भी झटका? मेरी जान मैं ये सब अपने घर रोज देखती हैं।

आरोही में इस बढ़त कछ भी बोलने की हिम्मत नहीं बची थी।
थोड़ी देर बाद प्रिया भी लेटकर नीद की आगोश में चली जाती है।
 
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