Bhai Bahan XXX भाई की जवानी - Page 2 - SexBaba
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Bhai Bahan XXX भाई की जवानी

आरोही में इस बढ़त कछ भी बोलने की हिम्मत नहीं बची थी।
थोड़ी देर बाद प्रिया भी लेटकर नीद की आगोश में चली जाती है।
सुबह दोनों काफी लेट उठती हैं। प्रिया फैश होने ले लिए बाथरूम जाती है। मगर बाथरूम में राजेश नहा रहा था, तो पिया ऊपर चली जाती है। जैसे ही प्रिया रूम में पहुँचती है अंदर विशाल अपने कपड़े चेंज कर रहा था। इस बत विशाल सिर्फ अंडरवेर में खड़ा था। प्रिया बिना झिझके विशाल से बातें करने लगती है।

प्रिया- वाह... विशाल भैया, तुम्हारी बाड़ी तो किसी होरी से कम नहीं है।

विशाल को अंडरवेर में प्रिया के सामने शर्म सी महसूस हो रही थी- "वो... सारी। मैं दरवाजा बंद करना भूल गया। प्रिया मुझे मालूम नहीं था की तुम आ जाओगी..."

प्रिया म कुनाते हए- "तो क्या हुआ भैया? ऐसा मैंने क्या देख लिया? मैं तो आपके बाथरूम में सम करने आई
थी.." प्रिया की बातों में शरारत भारी थी, और प्रिया बाथरूम में घुस गई।

विशाल भी जल्दी-जल्दी कपड़े पहनकर नीचे पहुंच गया। राजेश भी आफिस जाने के लिए तैयार हो चुके थे।

सुमन- बेटा विशाल, मैं तेरे साथ स्कूल चलंगी आरोही घर पर रहकर पढ़ाई कर लेगी।

विशाल- ठीक हैं मम्मी।

थोड़ी देर बाद विशाल और सुमन स्कूल के लिए निकल गये। आरोही और प्रिया दोनों घर पर अकेले रह जाते हैं।

प्रिया- आरोही क्या हुआ रात से तू बड़ी खामोश है?

आरोही- मुझे बड़ा डर लग रहा है।

प्रिया- कैसा इय?

आरोही- क्या वो सब सच में था, या मैंने कोई सपना देखा है?

प्रिया- ये सब रियल में ही था और ये तने और मैंने एक साथ देखा है। अब भी तुझे ऐसा लगता है ये सब सपना था? चल अब इन बातों को छोड़ और अपना मोबाइल दिखा। मुझे एक काल करनी है।

प्रिया आरोही का मोबाइल लेकर ऊपर छत पर जाने लगती है।

आरोही- अकेले में क्या बातें करेंगी मेरे सामने कर ले।

प्रिया- मेरी जान प्राइवेट बातें हैं, तुझे झटका ना लग जाय इसलिए ऊपर जा रही हैं।
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प्रिया माबाइल लेकर ऊपर पहुँचती है, और राहुल को काल करती है।

प्रिया- हेलो।

राहुल- हेला प्रिया कहा हो तुम?

प्रिया- राहुल मैं अपनी बुआ के यहां आ गई हूँ।

राहुल- प्रिया मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता।
प्रिया- राहुल में भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।
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राहुल- प्रिया में आ रहा हूँ तुम्हें लेने। हम कहीं दूर चले जायेंगे।

प्रिया- "ठीक है तुम कल सुबह 6:00 बजे बस स्टाप पर आ जाओ। मैं तुम्हारा वही इंतजार करेंगी..." और प्रिया नीचे आरोही के पास आ जाती है।

आरोही- कर ली प्राइवेट बातें?

प्रिया मुश्कुराते हुए- "हाँ कर ली.

आरोही- तू कभी नहीं सुधरने वाली।

प्रिया- तेरे मोबाइल में नेट कनेक्शन है?

आरोही- नहीं तो क्यों?

प्रिया- तुझे कुछ दिखाना था।

आरोही- क्या दिखना था?

प्रिया- पोर्न ।

आरोही- पोर्न... ये क्या होता है?

प्रिया- नेट पर सर्च कर पता चल जायेगा।

आरोही- मुझे कुछ पता करने की जरूरत नहीं। चल इन सब बातो को छोड़ और घर की सफाई करने में मेरी हेल्प कर दे।

फिर दोनों घर की सफाई करने में लग गईं। यू ही पूरा दिन गुजर गया। करीब 4:00 बजे विशाल मम्मी के साथ स्कूल से घर आ चुका था। सबने मिलकर खाना खाया।

थोड़ी देर बाद प्रिया विशाल से बोलती है- "भैया मुझे मार्केट से कुछ सामान लेना है। मेरे साथ मार्केट चलोगे?

विशाल- "हाँ हाँ क्यों नहीं चलो.." प्रिया और विशाल दोनों बाइक से मार्केट पहुँच गये। विशाल बोला- "प्रिया क्या
शापिंग करनी है तुम्हें?"

प्रिया- अपना परसोनल सामान लेना है, किसी जनरल स्टोर में चला।

दोनों एक जनरल स्टोर में पहुँचते हैं शाप पर एक लेंडी बैठी थी।

प्रिया- मैम मुझे अंडरगार्मेंट्स चाहिए।

लेडी- साइज बताइए

प्रिया- 32

लेडी प्रिया को ब्रा पैंटी के संट दिखाती है। विशाल को भी झिझक महसूस हो रही थी।

प्रिया एक सेट विशाल को दिखाते हुए- "देख ना विशाल ये सेट कैसा लग रहा है?"

विशाल- हाँ, हाँ ठीक हैईड़।

लेंडी- मैं मैडम चाहो तो आप ट्राई कर सकती हैं। सामने ट्रायल गम है।

प्रिया- ठीक है अभी ट्राई करती हैं।

प्रिया बा पैटी का सेंट लेकर ट्रायल रूम में चली गई, और अपने कपड़े उतारकर ब्रा पेंटी पहन लेती है। फिटिंग एकदम जबर्दस्त आई थी। तभी निया ट्रायल रूम से बाहर झोंकती है। सामने सेल्स लेडी को इशारा करके बुलाती है

सेल्स लेंडी- जी मैडम

प्रिया- देखना फिटिंग कैसी है?

लेडी- मैम एकदम फिट आई है। आप कहें ता मर को भेज दूं?

प्रिया- "अरें नहीं नहीं रहने दो..' और प्निया अपने अंडरगार्मेंट्स और थोड़ी बहुत शापिंग करके शाप से निकल
जाती है।

विशाल- जिया और कुछ तो नहीं चाहिए या घर चलें?

प्रिया- कुछ खिलाओगें नहीं?

विशाल- अरे क्या नहीं, बाला क्या खाओगी?

प्रिया- "चलो काफी पीते हैं.." और दोनों सामने काफी शाप में चले जाते हैं।

प्रिया- विशाल तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड भी है?

विशाल- नहीं।

प्रिया- क्यों तुम इतने हैंडसम हो। तुम पर लाखों लड़कियां फिदा हो जायें।

विशाल- में इन चक्कर में नहीं पड़ता।
 
प्रिया- क्यों तुम इतने हैंडसम हो। तुम पर लाखों लड़कियां फिदा हो जायें।

विशाल- में इन चक्कर में नहीं पड़ता।

पिया- भला क्या? इस उमर में तो सबको प्यार हो जाता है।

विशाल- क्या तुम्हारा कोई बायफ्रेंड है?

प्रिया- हाँ, मेरा तो है।

विशाल प्रिया के मुँह को देखता रह गया। फिर पूछा- "कौन है?"

प्रिया- अजय का दोस्त राहुल।

विशाल- अजय को इस बात का मालूम है?

प्रिया- हौं, घर में सबको पता चल गया है, और बड़ा हंगमा भी हुआ है।

विशाल- पिया तुम भी ना एकदम बिंदास बोलती हो।

प्रिया- प्यार ऐसा ही होता है। किसी को भी बिंदास बना देता है।

विशाल- क्या वाकई?

प्रिया- देखना किसी से प्यार करके कसे बोलना सिखा देगा।

फिर दोनों काफी पीकर घर आ जाते हैं। विशाल भी प्रिया की बातों को सुनकर हैरान था।

रात का खाना सब मिलकर खाते हैं। आज भी आरोही और प्रिया एक साथ सोते हैं। प्रिया आरोही के साथ थोड़ी छेड़छाड़ करती है।

प्रिया- आरोही तेरा साइज क्या है?

आरोही- तुझे भी ना बम हर वक़्त शरारत ही सूझती रहती है।

प्रिया- बता ना?

आरोही- 321
प्रिया अपना हाथ आरोही की चूचियों पर रख देती हैं, और कहती है- "देख तो कैसी है?"

आरोही प्रिया का हाथ दूर करते हुए- "देख प्रिया, मुझे ये सब पसंद नहीं है.."

पिया फिर से अपना हाथ आरोही की चूचियों पर रख देती है, और धीरे-धीरे आरोही की चूचियां मसलने लगती है। थोड़ी देर में ही आरोही को भी ये सब अच्छा लगने लगता है।

प्रिया- अब कैसा लग रहा है?

आरोही- देख कुछ होगा तो नहीं?

प्रिया- "अरे कुछ नहीं होता.." कहकर प्रिया अपना हाथ आरोही की कमीज के अंदर डाल देती है, और एकदम नंगी चूचियां प्रिया के हाथों में आ जाती हैं।

आरोही की सिसकियां निकल जाती हैं- "ओह्ह... प्रिया ऐसा मत करो सम्स्सी .. आअहह.."

प्रिया भी पूरी मस्ती के मूड में आ चुकी थी, और आरोही का एक हाथ पकड़कर अपनी चूचियों पर रख देती है।
ही मस्ती करते हए कब दोनों को नींद आ जाती है पता भी नहीं चलता।
 
प्रिया सुबह 5:00 बजे धीरे से उठकर रूम से बाहर निकल जाती है, और अपना बैग उठाकर घर से बाहर निकलकर आटो पकड़कर बस स्टाप पर पहुँचती है। एक एस.टी.डी. बूध से राहुल को काल करती है। राहुल भी बस स्टाप पहुँच चुका था। दोनों एक बस में बैठकर घर वालों से बहुत दूर निकल चुके थे।

थोड़ी देर बाद आरोही की भी नींद खुलती है, तो प्रिया वहां नहीं थी। आरोही सोचती है- "ये प्रिया सुबह-सुबह उठकर कहां चली गई?" और अपने रूम से निकलकर बाहर आती है।

सुमन किचन में नाश्ता बना रही थी- "आरोही बेटा जिया को भी उठा दो, 7:00 बज चुके हैं..."

आरोही- मम्मी वो तो मेरे से पहले उठ गई। रूम में नहीं है।

सुमन- अच्छा देख शायद ऊपर विशाल के रूम में होगी।

आरोही- "जी मम्मी.' और आरोही ऊपर विशाल के रूम में पहुँचती है।

विशाल बाथरूम में फ्रेश हो रहा था।

आरोही बाहर से आवाज लगाती है- "ओ प्रिया, कहा है त?"

विशाल- आरोही बाथरूम में में हैं। प्रिया नीचे होगी।

आरोही- मैया प्रिया नीचें भी नहीं है।

विशाल- क्या, कहां चली गई है।

आरोही- पता नहीं भैया।

विशाल चकित होकर एकदम से बाथरूम का दरवाजा खोलता है। विशाल ने सिर्फ अंडरवेर ही पहना था। पी बाडी पानी में भीगी हुई थी और अंडरवेर में लण्ड की आकार साफ चमक रही थी। मगर विशाल को इस बात का होश नहीं था।

विशाल- कहीं ऐसा तो नहीं पिया घर से भाग गई हो?

आरोही की नजर एकदम विशाल पर पड़ती है, तो आरोही को शर्म सी महसूस होती है और अपनी नजरें नीचे झुका कर आरोही बोली- "मुझं भी ऐसा ही लगता है."

विशाल चल तू नीचे मम्मी को ये बात बता मैं कपड़े पहनकर आता है।

आरोही- "जी भैया..."

आरोही की नजरें एक पल के लिए विशाल के अंडरवेर से जा टकराती हैं। गीले अंडरवेर में लण्ड की सेफ साफ नजर आ रही थी, और आरोही झेंपती हुई सी नीचे पहुँच जाती है।

आरोही- मम्मी, प्रिया ऊपर भी नहीं है। मुझे तो लगता है वो घर से भाग गई।

सुमन- क्या?

आरोही- जी मम्मी.. वो बता रही थी की अपने पड़ोस के लड़के महल से प्यार करती है।

सुमन- ओह माई गोड... अजी सुनते हो?

राजेश- क्या हुआ भागवान?

 
आरोही- जी मम्मी.. वो बता रही थी की अपने पड़ोस के लड़के महल से प्यार करती है।

सुमन- ओह माई गोड... अजी सुनते हो?
राजेश- क्या हुआ भागवान?

सुमन राजेश को पूरी बात बताती है, और फिर सुमन अपने भाई के पास काल करके सब बताती हैं।

सुमन- "भैया अगर इतना सब कुछ है तो दोनों की शादी कर दो.."

भाई- मेरी बहन इस लड़की ने मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी।

सुमन- "भैया तुम टेन्शन ना लो, सब ठीक हो जायगा। मैंमें बात करेंगी प्रिया से। भाई ठीक है जैसा तुम्हें सही लगे?" और फिर फोन काट जाता है।

सुमन- आरोही प्रिया का कोई कांटैक्ट है?

आरोही- जी मम्मी, प्रिया ने कल मेरे मोबाइल से फोन किया था। शायद राइल का नंबर हो।

सुमन- जरा देख तो मिलाकर।

आरोही वो नंबर मिला देती है- "हेलो। तुम राहुल बोल रहे हो?"

राहुल- हाँ मैं राहुल बोल रहा हूँ।

आरोही- प्रिया तुम्हारे साथ है क्या?

राहुल थोड़ी देर चुप रहता है, और फिर आरोही को प्रिया की आवाज सुनाई देती है।

प्रिया - आरोही, मैं प्रिया बोल रही हूँ, और मैं जा रही हूँ बहुत दूर।

आरोही- देख प्रिया, मम्मी तुझसे कुछ बात करना चाहती हैं।

सुमन- बेटा प्पिया, ये क्या बचपना है। एक बार मुझसे तो कहा होता, मैं तेरी शादी राहल से करा देती।

प्रिया- नहीं बुआ, मम्मी पापा इस बात के लिए तैयार नहीं होंगे। इसलिए हम दोनों ने फैसला किया है की आज हम दोनों मंदिर में शादी कर रहे हैं।

सुमन- बेटा बिना घर वालों के शादी नहीं होती। तू इस वक्त कहा है? हम आ जाते हैं वहां। जैसा तू कहेंगी वैसा ही होगा। तेरे मम्मी पापा भी अब तैयार हैं।

फिर प्रिया बता देती हैं की आज दोनों किस मंदिर में शादी कर रहे हैं। सुमन और राजेश भी आरोही और विशाल को लेकर वहां पहुँचते हैं। और प्रिया के मम्मी पापा भी प्रिया की जिद के आगे झुक जाते हैं। आज प्रिया की शादी एक मंदिर में राहुल के साथ हो जाती है, और प्रिया को भी अपने मम्मी पापा का आशीर्वाद मिल चुका था।

राहुल प्रिया को लेकर वहीं से हनीमून पर शिमला के लिए निकल जाता है। आज प्रिया को हनीमून पर गये पूरे 5 दिन हो चुके थे। आरोही प्रिया को फोन करती है।

आरोही- हेलो प्रिया कैसी है?

प्रिया- हेलो आरोही, मैं तो एकदम बटिया हूँ। तुम सुनाओ?

आरोही- हम भी ठीक हैं। और बता तू कब आयेगी घर।

प्रिया- कल मम्मी का भी फोन आया था मैंने कल आने को बोला है।

आरोही- प्रिया हमारे यहां होकर जाना।

प्रिया- हाँ, मैं भी यही सोच रही थी। एक रात तेरे पास रुजूगी और टेर सारी बातें करूँगी।

आरोही- चल ठीक है। अपना खयाल रखना। बाइ।

प्रिया- बाड़।

अगले दिन करीब शाम के 5:00 बजे प्रिया और राहुल आराही के यहां पहुँचते हैं। सुमन आगे बढ़ कर प्रिया को गले से लगा लेती हैं और राहुल के भी सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देती हैं। फिर प्निया आरोही के गले मिलती है और विशाल राहुल से हाथ मिलाते हुये सोफे पर बैठ जाता है।
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सुमन किचेंज में पहुँचकर नाश्ता लगाती है। सब मिलकर नाश्ता करते हुए बातें करते हैं। यूँ ही बातें करते हुए रात के 9:00 बज चुके थे।

राजेश- अरें सुमन, आज खाना नहीं खिलाओगी क्या?

सुमन- खाना एकदम तैयार है, चलो सब टेबल पर।

और फिर सब मिलकर खाना खाते हैं। रात के 11:00 बज चुके थे। राजेश और सुमन अपने रूम में जाकर लेंट जाते हैं। राहुल और विशाल टीवी देख रहे थे।

आरोही- विशाल मैया मैं और प्रिया ऊपर वाले गम में सो जाते हैं। आप दोनों नीचे ही सो जाना।

विशाल- ठीक है।

आरोही और प्रिया ऊपर रूम में चली जाती है।

प्रिया- आरोही मुझे कपड़े बदलने हैं, कोई नाइट शूट है तेरे पास?

आरोही प्रिया को एक लोवर और टीशर्ट देती है। निया आरोही के सामने ही कपड़े बदलने लगती है।

आरोही- तुझे जरा भी शर्म नहीं आती? अंदर बाथरूम में जाकर भी बदल सकती है।

प्रिया खिलखिलाकर हँसतं हए आरोही के सामने अपने सारे कपड़े उतार देती है, और कहती हैं- "अब तेरे सामनें क्या शर्माना? राहल ने तो मुझे कपड़े पहनने ही नहीं दिए थे." और प्रिया लोबर टीशर्ट पहनकर आरोही के बराबर में आकर लेट जाती है।

प्रिया- "आरोही, मेरी सुहागत की बातें सुनेंगी?"

आराही चुप हो जाती है जैसे कह रही हो- "हाँ सुनूँगी.."

प्रिया भी मुश्कुराते हुए बोलना शुरू करती हैं- "राहुल मुझे शिमला के एक होटल में लेकर पहुँचता है। पहले हमने खाना खाया फिर राहुल ने होटल में रूम बुक किया और हम जैसे ही रूम में पहचते हैं। गहल एकदम से सामान का बैग नीचे रखकर मुझे बाँहों में भर लेता है। मैं राहुल को रोकती रह गईं। मगर राहुल से सबा करना मुश्किल था, और मुझे अपनी गोद में उठाकर बेड की तरफ ले जाने लगा..."

आरोही बड़े गौर से प्रिया की बातें सुन रही थी।

प्रिया- "राहुल बड़े ही रामाटक मूड में मेरी तारीफ करना लगा..."

राहल- "प्रिया तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हारे होंठ एकदम किसी गुलाब की कली जैसे लग रहे हैं। ऐसा जी कर रहा है की इनका सारा रस पी जाऊँ..."
 
अभी राहल ये सब कह रहा था की एकदम से अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और मेरे होंठों को बुरी तरह चूसने लगा, और मुझे लेजाकर बेड पर लिटा दिया और खुद भी मेरे ऊपर गिर गया। अभी भी राहुल ने मेरे होठों को नहीं छोड़ा था। थोड़ी देर में मुझे भी मजा सा आने लगा और मैं भी अपने होंठों से राहुल के होठ चूसने लगी। थोड़ी देर में राहल अपना एक हाथ मेरी चूचियों पर रखकर धीरे-धीरे मसलने लगा। मगर राहुल को कपड़े के ऊपर से शायद मजा नहीं आ रहा था। इसलिये राहल मेरे कपड़े उतारने लगा।

मैंने राहुल का हाथ पकड़ लिया- "ये क्या कर रहे हो?"

राहुल- मेरी जान तुम्हें प्यार कर रहा हूँ। आरोही- फिर?

प्रिया- फिर मैंने राहुल से कहा- अच्छा लाइट तो आफ कर लो।

राहुल- "नहीं मुझे तुम्हारे खूबसूरत जिश्म को देखना है." और राहुल ने मेरी कमीज निकल दी।

मैंने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी। राहल ने दोनों हाथों से बा के ऊपर से ही मेरे उभारों को पकड़ लिया।

राहुल- "कितनी ठोस हैं प्रिया तुम्हारी चूचियां.." और फिर राहुल ने ब्रा की स्ट्रैप भी खोल दी।

मैं एकदम टापलेश हो चुकी थी। रोशनी में मेरी चूचियों के निप्पल देखकर राहल से रहा नहीं गया और अपना मुँह मेरी चूचियों से लगाकर किसी बच्चे की तरह चूसने लगा। मेरी तो हालत खराब हो चुकी थी।

आरोही- फिर?

प्निया- मेरे अंदर से अजीब-अजीब सी आवाजें निकलने लगी आह्ह... उईई... स्स्सी... आअहह।

आरोही- फिर?

प्रिया- राहुल यहीं सकने वाला नहीं था। उसका एक हाथ नीचे सरकत्ता जा रहा था। मुझे पता भी ना चला और
राहल ने अपने हाथ से मेरी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया।

आरोही ये सब सुनते हुए अजीब सी बेचैनी महसूस करने लगी।

प्रिया- "और अपना हाथ पता है कहां रख दिया था?"

आरोही- कहा?

प्रिया- मेरी चूत पर... जो बुरी तरह गीली हो चुकी थी। राहुल के होंठ मेरी चूचियों को चूस रहे थे और हाथ मेरी गीली चूत सहला रहे थे। फिर राहुल ने मेरी सलवार भी पूरी तरह उतार दी। मैं एकदम नंगी राहुल के सामने लेटी थी। मारे शर्म के मैंने अपनी आँखें बंद कर ली। और पता है फिर राहुल ने क्या किया?
 
आरोही- क्या किया?

प्रिया- अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया।

आरोही का हैरत से मुँह खुला रह गया- "क्याऽs?"

प्रिया- हौं। ऐसा तो मैंने भी नहीं सोचा था। राहुल बड़े ही मजे से मेरी चूत को चूसने लगा। और पता है मेरी बेचैनी इस कदर बढ़ चुकी थी की जाने आज मुझे क्या होने वाला है। और मेरे हाथ खुद-ब-खुद राहुल के सिर को पकड़ लेते हैं। अंदर से ऐसा दिल कर रहा था बस राहुल , ही करता रहे। राहुल की जीभ मेरी चूत में साफ महसूस हो रही थी, और थोड़ी देर में मैं फारिग हो गई।

आरोही- फारिग?

प्रिया- हाँ मेरी जान... जब चूत में बेचे होती है तो चूतरस निकलता है, उसे ही फारिग होना कहते हैं। फिर गहल खड़ा होकर अपने सारे कपड़े उतार देता है। जैसे ही अपना अंडरवेर उतारता है, मेरी नजरों के सामने राहुल का लण्ड लहरा जाता है। एक पल के लिए तो देखकर मैं भी सहम गई थी। और मेरे मुँह से निकल गया. उफफ्फ... इतना बड़ा?

राहुल- "मेरी जान डरो नहीं, इससे हाथ में पकड़ो." और राहुल ने अपना लण्ड मेरे हाथ में पकड़ा दिया और मुझसे अपने लण्ड को धीरे-धीरे सहलबाने लगा। फिर पता है राहुल ने क्या कहा?

आरोही- क्या?

प्रिया- कहने लगा इसे किस करो।

आरोही- क्या?

प्रिया- हौं भला इस बात में क्या मना करती? मैंने राहुल के लण्ड को चूम लिया। मगर राहल कुछ और ही चाहता था।

आरोही- क्या?

प्रिया- लण्ड को मुँह में लो कुल्फी की तरह।

आरोही- फिर?

प्रिया- मैंने अपना मुँह खोल दिया और राहल ने अपना लण्ड मेरे मुँह में दे दिया। मैं धीरे-धीरे लण्ड को कुल्फी की तरह चूसने लगी। थोड़ी देर में राहुल ने लण्ड को मेरे मुँह से निकाला और दो-तीन पिचकारी छोड़ दी।

आरोही- कैसी पिचकारी?
 
प्रिया- मैंने अपना मुँह खोल दिया और राहल ने अपना लण्ड मेरे मुँह में दे दिया। मैं धीरे-धीरे लण्ड को कुल्फी की तरह चूसने लगी। थोड़ी देर में राहुल ने लण्ड को मेरे मुँह से निकाला और दो-तीन पिचकारी छोड़ दी।

आरोही- कैसी पिचकारी?

प्रिया- आदमी जब फारिग होता है तो उसका भी वीर्य निकलता है, जो पिचकारी छोड़ता हुआ निकलता है। थोड़ी देर बाद राहुल मुझे फिर में चूमने सहलाने लगा और इस बार राहुल मेरी टांगों के बीच आ जाता है और मेरी टांगों को ओड़ा फैलाकर मेरी चूत के छेद को उंगली से टटोलने लगता है। और फिर अपने लण्ड को हाथ से पकड़कर मेरी चत के छोटे से छेद पर लगा देता है, और अंदर करने के लिए जोर लगाने लगा। मगर इतना बड़ा लण्ड भला मेरी छोटी सी चूत में कहा जा सकता था, बार-बार फिसल जाता था।

आरोही- फिर?

प्रिया- फिर राहुल मुझसे पूछने लगा की कोई क्रीम है? मैंने राहुल को अपने पर्म से कोल्ड क्रीम की डिबिया दी, और राहल ने थोड़ी सी कीम मेरी चूत पर लगाई और थोड़ी अपने लण्ड पर। फिर अपने लण्ड को मेरी चूत के छोटे से केंद्र पर लगाकर जो धक्का मारा तो राहुल का लण्ड अंदर घुस गया। उफफ्फ... मैं दर्द में तड़प गई। मेरी तो एकदम से जान पर बन आई। ऐसा लगा जैसे किसी ने चूत में चाकू घोंप दिया हो। मेरी चीख निकलने वाली थी की एकदम से राहुल ने मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया, और राहुल ने एक-दो और धक्के मार कर अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया। मेरे आँसू निकल गये थे।

आरोही- फिर?

प्रिया- करीब 10 मिनट बाद मैं कुछ नार्मल हुईं। अब मुझे इतना दर्द नहीं हो रहा था। राहुल के लण्ड में चूत में जगह बना ली थी। लण्ड स्पीड से अंदर-बाहर हए जा रहा था। अब मुझे भी मजा आने लगा था।

आरोही की ये सब सुनकर एक सिसकी सी निकल गई।
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प्रिया- क्या हुआ आरोही?

आरोही- पता नहीं प्रिया, तेरी बातों से बड़ी बेचैनी सी होने लगी है।

प्रिया- "अच्छा, कहां पर?" और प्रिया अपना हाथ आरोही की सलवार पर एकदम चूत के ऊपर रख देती है, जो इस वक़्त गीली हो चुकी थी- "ओहह... तरी चूत तो गोली हो गईं। अब तुझे भी एक जोरदार लण्ड चाहिए, जो तेरी बेचेनी दूर करेंगा..."

आरोही- चुप कर मुझे नहीं चाहिए।

प्रिया- "ओह्ह... मेरी बन्लो। तुझे नहीं चाहिए ता बता फिर ये गीली क्यों हो गई?"

आरोही कछ बोल ना सकी, और थोड़ी देर बाद दोनों नीद की आगोश में चले गये।
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सुबह राहल और प्रिया अपने घर के लिए निकल रहे थे।

प्रिया सुमन से बोलती है- "बुआ आप भी हमारे साथ चलिए ना... मुझे मम्मी पापा के सामने थोड़ी हिम्मत सी रहेंगी...'

राजेश- चली जाओं सुमन, एक दो दिन में आ जाना।

सुमन- आप भी चलिए परसों आ जायेंगे।

राजेश- "ठीक है चलो..." और प्रिया के साथ राजेश और सुमन भी चले गये।

आरोही और विशाल घर में रह जाते हैं। आरोही घर की सफाई में लगी थी, और विशाल हाल में बैठा अपने लैपटाप पर फेसबुक खोले हुए था। आरोही सफाई करते हुए जैसे ही हाल में आती है।
 
विशाल- आरोही एक कप चाय बना दोगी?

आरोही- "जी भैया। अभी हाल की सफाई करके बनाती हैं..."

आरोही ने इस बात दुपट्टा नहीं पहना था। झाड़ लगते हए आरोही की चूचियां थोड़ी-थोड़ी दिख रही थीं। मगर विशाल का इस तरफ ध्यान नहीं था। वो तो लैपटाप में नजरें जमाए था। मगर जैसे ही आरोही सोफे के नीचे से झाड़ निकालने के लिए विशाल से पैर ऊपर करने को बोलती है। एकदम से विशाल की नजरें सीधे आरोही के सीने प हैं। उफफ्फ... इतने करीब से विशाल को आरोही की चूचियां अंदर तक दिख जाती हैं। विशाल एकदम से अपनी नजरें हटा लेता है, और आरोही झाड़ लगाकर किचन में चली जाती है। मगर तभी आरोही किचेन से बाहर आती है।

आरोही- विशाल भैया, चाय पत्ती तो खतम हो गई हैं।

विशाल- "अच्छा अभी लाता हैं... और विशाल अपना लैपटाप साफे पर रखकर चाय पत्ती लेने चला जाता है।

आरोही सोफे पर बैठकर विशाल की फेसबुक देखने लगती है। विशाल की दास्त लिस्ट चेक करती है, 100 से ज्यादा दोस्त थे विशाल के और लगभग आधी लड़कियां भी थी। तभी आरोही को याद आता है। प्रिया ने बोला था नेट पर पोर्न सर्च करने को। और प्निया जेट सर्च करती हैं और पार्न टाइप करती हैं। एकदम से पोर्न की बहुत सारी साइट खुलती है। आरोही जैसे ही एक साइड खोलती है, आरोही की आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। सामने स्कीन पर बहुत सारी नंगी पिक आ जाती हैं। किसी पिक में लड़की लण्ड को मुँह में लेकर चूस रही थी और किसी में लड़की ने लण्ड चूत में लिया हुआ था।

तभी दरवाजे की बैल बाजती है। आरोही घबराकर लेपटाप बंद कर देती हैं। आरोही की धड़कनें ऐसे चलने लगी, जैसे अभी कई सौ सीदियां चढ़कर आई हो। और आरोही दरवाजा खोल देती है।

विशाल चाय की पत्ती के साथ चिप्स भी आरोही को पकड़ाता है, और कहता है- "आरोही क्या हुआ, इतना क्यों हॉफ रही है?"

आरोही- "वा... भैया.. नहीं ता... मैं ऊपर से भागकर आई थी इसलिए सांस चढ़ गई..." और आरोही किचेन में चली जाती है।

विशाल भी किचन में आरोही के पास आ जाता है- "जल्दी से चाय बना, आज मुझे तेरे साथ लूडो खेलना है.."

आरोही- भैया, आप आज भी हार जाओगें।

विशाल- हाँ हाँ देखते हैं, उस दिन तो मेरी एक गोटी फंस गई थी। आज उस हार का बदला ले लेगा।

आरोही- भैया अगर आज भी हार गये तो?

विशाल तो मैं तुझे जो कहेगी वो खिलाऊँगा।

आरोही चाय दो कप में ट्रे में रखती है, और एक पलेंट में चिप्स- "चलिए भैया हाल में बैठकर चाप पिएंगे..."

विशाल- ओके।

आरोही टेबल पर चाय रखकर लडो लेने ऊपर चली जाती है, और विशाल सोफे पर रखा लैपटाप उठाकर एक तरफ रख देता है और रिमोट उठाकर टीवी चला देता है। मैक्स पर 'आशिक बनाया आपने आ रही थी। तभी आरोही लडो लेकर आ जाती है और विशाल के सामने सोफे पर बैठ जाती है।

आरोही- भैया पहले चाय तो पी लो, नहीं तो ठंडी हो जायेगी।
 
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