hotaks444
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बाबुल प्यारे
चेतावनी ........... ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन और बाप बेटी के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक बाप बेटी के सेक्स की कहानी है
मैं अपने मा बापू की लाड'ली छेमिया देख'ते देखते 16 वें बसंत में आ गयी. मा तो हर काम में मुझे डान्ट'ती रहती थी पर बापू बहुत प्यार कर'ता था. बात बात में मेरी लाड'ली बेटी मेरी छेमिया कहते थकता न था. मैं अपने मा-बाप की अकेली औलाद हूँ. हम गाओं में रहते थे. मेरे बापू खेती बाड़ी करते हैं. बापू तो अब तक मुझे बच्ची ही समझ'ता है. जब की मेरी छाती के अमरूद बड़े होने लगे और मेरी चूत के इरद गिरद काफ़ी बाल उग आए.
आज से करीब साल भर पह'ले एक रात अचानक मेरी चूत से ढेर सारा खून बाहर आया था और मेरी पॅंटी खून से तर बतर हो गयी थी तो मैं तो घबरा कर रोने लगी और रोते रोते मा के पास पाहूंची थी. कुच्छ शर'माते हुए जब मा को पूरी बात बताई तो मा ने मुझे कई हिदाय'ते दी. मा ने अपना सॅनिटरी नॅपकिन दिया था. अब मा मेरे चल'ने उठ'ने और घर में फुदक'ते रहने पर डान्ट'ने लगी.
जब मैं छोटी थी तो बापू ने मुझे गाओं के स्कूल में डाल दिया. वो स्कूल 10थ तक था. अभी एक महीने पह'ले ही मैने दसवीं की परीक्षा दी है पर रिज़ल्ट आने में देर है. मैं आगे पढ़'ना चाह रही थी पर मा ने शहर जा के पढ़'ने के लिए साफ मना कर दिया. मैं बापू के साम'ने बहुत रोई गिड'गिड़ाई पर मा के आगे बापू की भी नहीं चलती थी. बापू ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं इसलिए उन्होने मुझे कहा था कि पढ़ाई के मामले में मैं जैसे ठीक समझू करलूँ.
इसी बीच दो दिन के लिए मेरे शहर वाले चाचाजी गाओं आए. चाचा की मेरी हम उम्र एक लड़की जिसका नाम रस्मी और एक लड़का था जो कि मुझ'से 5 साल छ्होटा था. घर में और बातों के साथ मेरी शहर में पढ़ाई की भी बात चली और चाचा ने कहा भी था कि दोनों बहनें यानी कि मैं और रस्मी साथ साथ कॉलेज चली जाया करेगी पर मा ने बात टाल दी. मैं आगे पढ़'ना चाह रही थी बापू भी राज़ी था पर हम दोनों की मा के आगे न चली.
मुझे काफ़ी मायूस देख चाचा ने कहा कि कुच्छ दिन इसे मेरे साथ शहर भेज दो, रस्मी के साथ इसका बहुत मन लग जाएगा और मैं चाचा के साथ शहर चली आई. शहर आ कर मैं तो हकि-बकी रह गयी. शहर की लड़कियों के कपड़े देख कर मुझे लगा कि मुझे वापस गाओं चले जाना चाहिए.कहीं मैं शहर के माहौल में बिगड़ ना जाऊं.
हमारे गाओं में लड़कियाँ सिर्फ़ सलवार सूट ही पेहेन्ती थी और वो भी काफ़ी लूज. शहर में तो किसी लड़की को लूज का मतलब ही नहीं पता था. जिसे देखो टाइट @जीन्स, टाइट टी-शर्ट, स्लीव्ले शर्ट, स्कर्ट, और अगर सलवार कमीज़ तो वो भी बहुत टाइट. रस्मी मुझ से बहुत ही मॉडर्न थी पर हम उम्र होने के कारण हम दोनों बहुत जल्द घुल मिल गये. रात में मैं और रस्मी साथ साथ सोते.
कुच्छ ही दिनों में हम पक्की सहेलियाँ बन गयी. शहर का महॉल, मेरी नादान उमारिया और रस्मी के साथ ने मुझे जल्द ही मॉडर्न बना दिया. रस्मी के पास कंप्यूटर भी था. रात में अब रस्मी मुझे अडल्ट वेब साइट्स का नज़ारा दिखाने लगी. नेट पर राज शर्मा का एक ब्लॉग कामुक-कहानियाँडॉटब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम जो की गूगल का एक हिन्दी की कहानियों के लिए फेमस ब्लॉग है उस'की वह मेंबर थी. उस ब्लॉग की कहानियाँ पढ़ के तो में हक्की बक्की रह गयी. मुझे विस्वास नहीं हो रहा था कि हक़ीक़त में कुच्छ ऐसा भी हो सक'ता है क्या.
फिर एक दिन रस्मी ने राज शर्मा के एक वीडियोब्लॉग -- वीडियोदेशीडॉटब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम पर मुझे कुच्छ अडल्ट क्लिप्स दिखाई. मज़े की बात ये थी कि इस ब्लॉग मे वीडियो देख सकते है डाउनलोड करने की ज़रूरत नही थी यह सब देख कर मेरी हालत खराब हो गयी. ऐसी फिल्म रोज़ आती थी और मैं रोज़ ही देखती थी. मैने नोटीस किया की यह सब देखने में मुझे मज़ा आता है और सोचने लगी कि असली में सेक्स करने में कितना मज़ा आता होगा. अब मुझे पता चला कि शहर की लड़कियाँ एरॉटिक कपड़े क्यों पहेंटी हैं.असल में उन्हे सेक्स में मज़ा आता है और वो उससे बुरा नहीं मानती.
चेतावनी ........... ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन और बाप बेटी के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक बाप बेटी के सेक्स की कहानी है
मैं अपने मा बापू की लाड'ली छेमिया देख'ते देखते 16 वें बसंत में आ गयी. मा तो हर काम में मुझे डान्ट'ती रहती थी पर बापू बहुत प्यार कर'ता था. बात बात में मेरी लाड'ली बेटी मेरी छेमिया कहते थकता न था. मैं अपने मा-बाप की अकेली औलाद हूँ. हम गाओं में रहते थे. मेरे बापू खेती बाड़ी करते हैं. बापू तो अब तक मुझे बच्ची ही समझ'ता है. जब की मेरी छाती के अमरूद बड़े होने लगे और मेरी चूत के इरद गिरद काफ़ी बाल उग आए.
आज से करीब साल भर पह'ले एक रात अचानक मेरी चूत से ढेर सारा खून बाहर आया था और मेरी पॅंटी खून से तर बतर हो गयी थी तो मैं तो घबरा कर रोने लगी और रोते रोते मा के पास पाहूंची थी. कुच्छ शर'माते हुए जब मा को पूरी बात बताई तो मा ने मुझे कई हिदाय'ते दी. मा ने अपना सॅनिटरी नॅपकिन दिया था. अब मा मेरे चल'ने उठ'ने और घर में फुदक'ते रहने पर डान्ट'ने लगी.
जब मैं छोटी थी तो बापू ने मुझे गाओं के स्कूल में डाल दिया. वो स्कूल 10थ तक था. अभी एक महीने पह'ले ही मैने दसवीं की परीक्षा दी है पर रिज़ल्ट आने में देर है. मैं आगे पढ़'ना चाह रही थी पर मा ने शहर जा के पढ़'ने के लिए साफ मना कर दिया. मैं बापू के साम'ने बहुत रोई गिड'गिड़ाई पर मा के आगे बापू की भी नहीं चलती थी. बापू ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं इसलिए उन्होने मुझे कहा था कि पढ़ाई के मामले में मैं जैसे ठीक समझू करलूँ.
इसी बीच दो दिन के लिए मेरे शहर वाले चाचाजी गाओं आए. चाचा की मेरी हम उम्र एक लड़की जिसका नाम रस्मी और एक लड़का था जो कि मुझ'से 5 साल छ्होटा था. घर में और बातों के साथ मेरी शहर में पढ़ाई की भी बात चली और चाचा ने कहा भी था कि दोनों बहनें यानी कि मैं और रस्मी साथ साथ कॉलेज चली जाया करेगी पर मा ने बात टाल दी. मैं आगे पढ़'ना चाह रही थी बापू भी राज़ी था पर हम दोनों की मा के आगे न चली.
मुझे काफ़ी मायूस देख चाचा ने कहा कि कुच्छ दिन इसे मेरे साथ शहर भेज दो, रस्मी के साथ इसका बहुत मन लग जाएगा और मैं चाचा के साथ शहर चली आई. शहर आ कर मैं तो हकि-बकी रह गयी. शहर की लड़कियों के कपड़े देख कर मुझे लगा कि मुझे वापस गाओं चले जाना चाहिए.कहीं मैं शहर के माहौल में बिगड़ ना जाऊं.
हमारे गाओं में लड़कियाँ सिर्फ़ सलवार सूट ही पेहेन्ती थी और वो भी काफ़ी लूज. शहर में तो किसी लड़की को लूज का मतलब ही नहीं पता था. जिसे देखो टाइट @जीन्स, टाइट टी-शर्ट, स्लीव्ले शर्ट, स्कर्ट, और अगर सलवार कमीज़ तो वो भी बहुत टाइट. रस्मी मुझ से बहुत ही मॉडर्न थी पर हम उम्र होने के कारण हम दोनों बहुत जल्द घुल मिल गये. रात में मैं और रस्मी साथ साथ सोते.
कुच्छ ही दिनों में हम पक्की सहेलियाँ बन गयी. शहर का महॉल, मेरी नादान उमारिया और रस्मी के साथ ने मुझे जल्द ही मॉडर्न बना दिया. रस्मी के पास कंप्यूटर भी था. रात में अब रस्मी मुझे अडल्ट वेब साइट्स का नज़ारा दिखाने लगी. नेट पर राज शर्मा का एक ब्लॉग कामुक-कहानियाँडॉटब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम जो की गूगल का एक हिन्दी की कहानियों के लिए फेमस ब्लॉग है उस'की वह मेंबर थी. उस ब्लॉग की कहानियाँ पढ़ के तो में हक्की बक्की रह गयी. मुझे विस्वास नहीं हो रहा था कि हक़ीक़त में कुच्छ ऐसा भी हो सक'ता है क्या.
फिर एक दिन रस्मी ने राज शर्मा के एक वीडियोब्लॉग -- वीडियोदेशीडॉटब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम पर मुझे कुच्छ अडल्ट क्लिप्स दिखाई. मज़े की बात ये थी कि इस ब्लॉग मे वीडियो देख सकते है डाउनलोड करने की ज़रूरत नही थी यह सब देख कर मेरी हालत खराब हो गयी. ऐसी फिल्म रोज़ आती थी और मैं रोज़ ही देखती थी. मैने नोटीस किया की यह सब देखने में मुझे मज़ा आता है और सोचने लगी कि असली में सेक्स करने में कितना मज़ा आता होगा. अब मुझे पता चला कि शहर की लड़कियाँ एरॉटिक कपड़े क्यों पहेंटी हैं.असल में उन्हे सेक्स में मज़ा आता है और वो उससे बुरा नहीं मानती.