hotaks444
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मैं अब निशा को पूरी तन्मयता से मज़े लेकर चोद रहा था और अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर अंदर घुसा रहा था. केवल लंड का टोपा ही अंदर रह जाता जब मैं लंड को बाहर निकालता और जब मैं लंड को अंदर घुसाता तो अब निशा भी पूरा साथ देते हुए अपनी गांद उठा कर मेरे लंड का स्वागत करती और पूरा अंदर ले लेती. जब हमारे जिस्म टकराते तो उसकी तेज़ हुंकार इस आवाज़ को दबा देती. यही क्रम कोई 4-5 मिनट तक चलता रहा फिर मैने अपने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी बढ़ा दी और थोड़ा ऊपेर को होकर तेज़ और गहरे धक्के लगाने लगा. ऊपेर को होने के कारण मेरे लंड का ऊपेरी भाग चूत में तो घर्षण कर ही रहा था साथ ही निशा के भज्नासे पर भी रगड़ खा रहा था. निशा की साँसे भी तेज़ हो गयीं और उसकी गांद का उच्छालना भी. उसकी हालत बता रही थी के वो चरम को पहुँचने वाली है. प्रिया अब उसके ऊपेरी भाग को छोड़ कर नीचे आ गयी थी और तन्मयता के साथ मेरे लंड को निशा की चूत में अंदर बाहर होते और निशा का अपनी गांद उठाकर मेरे लंड कास्वागत करते देख रही थी. उसके हाथ निशा की जांघों पर हल्के स्पर्श के साथ फिरने लगे. निशा की आँखे पूरी खुल कर जैसे बाहर आने को हो रही थीं. मैने उसको पूछा, क्यों निशा कैसा लग रहा है. आ..आ..न..आ..न..द… ही…..आ…आ…न…आ…न…द. और ज़ोर से चोदो मुझे. हाए मुझे पता होता के इतना मज़ा आता है तो मैं तो कब की चुदवा लेती. मैने हंसते हुए कहा मेरी जान पहली चुदाई तो मैने तुम्हारी करनी थी, तो पहले कैसे चुद जाती तुम. वो मुस्कुरा दी और अपनी गांद को पूरा ज़ोर लगाकर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी.
फिर वो बहुत ज़ोर से उच्छली और उसका शरीर अकड़ सा गया और एक ज़ोर की हुंकार निकली उसके मुँह से और वो झाड़ गयी. एक वाइब्रटर की तरह थर्रने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ते हुए भी मेरे लंड को जकड़ने का असफल प्रयास किया. असफल इसलिए के उसके स्राव से चिकनाई उत्पन्न हो गयी थी और मेरा लंड उसकी भरपूर जाकड़ के बाद भी उसकी चूत में फिसल कर अंदर बाहर हो रहा था. इस जकड़न और फिसलन का आनंद शब्दों में नही बताया जा सकता, केवल स्वानुभव द्वारा ही समझा जा सकता है. इतना सब होने के बावजूद मैं चरम से अभी बहुत दूर था क्योंकि एक बार झाड़ चुका था और दूसरी बार झड़ने के लिए उत्तेजित होने में समय लगता है.
मैने निशा की टाँगें नीचे कर दीं और उसकी चूत पर पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा. मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने की स्पीड इतनी तेज़ थी के प्रिया मुँह बाए इसका नज़ारा कर रही थी और उसकी आँखों में आश्चर्या और प्रशंसा के मिलेजुले भाव थे. मैं लगातार अपने धक्कों में परिवर्तन ला रहा था. कभी प्यार से अपना लंड पूरा बाहर खींच लेता और केवल सुपरा ही निशा की चूत में रह जाता और फिर से ऊपेर की ओर दबाव बनाते हुए लंड को अंदर घुसाता और कभी तेज़-तेज़ धक्के मारता. निशा के चेहरे के भाव बदलने लगे थे. लगता था के वो फिर से उत्तेजित हो रही है. मैने उसके मम्मे सहलाते हुए पूछा के कैसा लग रहा है मेरी जान तो उसने अधखुली मदमस्त आँखों से मेरी ओर देखते हुए कहा के कुच्छ मत पूच्छो मैं फिर से हवा में तेर रही हूँ और मेरी चूत में खुजली फिर से बढ़ गयी है, प्लीज़ इस खुजली को मिटा दो फाड़ दो मेरी चूत को ना चूत रहे ना खुजली…….हाए मैं क्या करूँ, ह…..आ…..आ…..न, ह…..आ…..आ…..न, और ज़ोर से, और ज़ोर से. निशा की पुकार से मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और मैने पूरी ताक़त से धक्के मारने शुरू कर दिए. इतनी ज़ोर के थे के पूरा बेड ऐसे हिल रहा था जैसे भूचाल आ रहा हो. निशा धीरे-धीरे फिर चरम की ओर अग्रसर हो रही थी. मुझे भी आनंद की लहरें झाँकरीत कर रही थीं. यह सब देख रही प्रिया को भी उत्तेजना ने अपनी आगोश में ले लिया था और वो झटके से उठकर निशा के ऊपेर आई और अपनी चूत को उसके मुँह पर लगा दिया और बोली के निशा तुम्हें इतना अधिक उत्तेजित देख कर मैं भी मस्ती में भर गयी हूँ और चाहती हूँ के तुम एक बार फिर मेरी मदद करो के कुच्छ तो आनंद मुझे भी आए. निशा ने तुरंत अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल कर चाटना शुरू कर दिया और प्रिया भी आनंद के मीठे-मीठे हिचकोले लेने लगी. दोस्तो इस तरह मैने दूसरी कमसिन किशोरी का शिकार कर लिया था दोस्तो कहानी अभी जारी है
क्रमशः..........
फिर वो बहुत ज़ोर से उच्छली और उसका शरीर अकड़ सा गया और एक ज़ोर की हुंकार निकली उसके मुँह से और वो झाड़ गयी. एक वाइब्रटर की तरह थर्रने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ते हुए भी मेरे लंड को जकड़ने का असफल प्रयास किया. असफल इसलिए के उसके स्राव से चिकनाई उत्पन्न हो गयी थी और मेरा लंड उसकी भरपूर जाकड़ के बाद भी उसकी चूत में फिसल कर अंदर बाहर हो रहा था. इस जकड़न और फिसलन का आनंद शब्दों में नही बताया जा सकता, केवल स्वानुभव द्वारा ही समझा जा सकता है. इतना सब होने के बावजूद मैं चरम से अभी बहुत दूर था क्योंकि एक बार झाड़ चुका था और दूसरी बार झड़ने के लिए उत्तेजित होने में समय लगता है.
मैने निशा की टाँगें नीचे कर दीं और उसकी चूत पर पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा. मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने की स्पीड इतनी तेज़ थी के प्रिया मुँह बाए इसका नज़ारा कर रही थी और उसकी आँखों में आश्चर्या और प्रशंसा के मिलेजुले भाव थे. मैं लगातार अपने धक्कों में परिवर्तन ला रहा था. कभी प्यार से अपना लंड पूरा बाहर खींच लेता और केवल सुपरा ही निशा की चूत में रह जाता और फिर से ऊपेर की ओर दबाव बनाते हुए लंड को अंदर घुसाता और कभी तेज़-तेज़ धक्के मारता. निशा के चेहरे के भाव बदलने लगे थे. लगता था के वो फिर से उत्तेजित हो रही है. मैने उसके मम्मे सहलाते हुए पूछा के कैसा लग रहा है मेरी जान तो उसने अधखुली मदमस्त आँखों से मेरी ओर देखते हुए कहा के कुच्छ मत पूच्छो मैं फिर से हवा में तेर रही हूँ और मेरी चूत में खुजली फिर से बढ़ गयी है, प्लीज़ इस खुजली को मिटा दो फाड़ दो मेरी चूत को ना चूत रहे ना खुजली…….हाए मैं क्या करूँ, ह…..आ…..आ…..न, ह…..आ…..आ…..न, और ज़ोर से, और ज़ोर से. निशा की पुकार से मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और मैने पूरी ताक़त से धक्के मारने शुरू कर दिए. इतनी ज़ोर के थे के पूरा बेड ऐसे हिल रहा था जैसे भूचाल आ रहा हो. निशा धीरे-धीरे फिर चरम की ओर अग्रसर हो रही थी. मुझे भी आनंद की लहरें झाँकरीत कर रही थीं. यह सब देख रही प्रिया को भी उत्तेजना ने अपनी आगोश में ले लिया था और वो झटके से उठकर निशा के ऊपेर आई और अपनी चूत को उसके मुँह पर लगा दिया और बोली के निशा तुम्हें इतना अधिक उत्तेजित देख कर मैं भी मस्ती में भर गयी हूँ और चाहती हूँ के तुम एक बार फिर मेरी मदद करो के कुच्छ तो आनंद मुझे भी आए. निशा ने तुरंत अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल कर चाटना शुरू कर दिया और प्रिया भी आनंद के मीठे-मीठे हिचकोले लेने लगी. दोस्तो इस तरह मैने दूसरी कमसिन किशोरी का शिकार कर लिया था दोस्तो कहानी अभी जारी है
क्रमशः..........