Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी - Page 4 - SexBaba
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Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी

अभी: तो तू मुझ पर छोड़ दे…बस जैसी मे कहता हूँ करती जाआअ…बोल करेगी ना…मेरी बात को रंडी के तराहा मानेगी ना…( और अभी ने फिर से मेरी चूत मे और जबरदस्त धक्का दिया)

मे: हां बबुउुउउ जीई जैसी आपप कहेंगे…..पर इस रनडिीई को डिन्न्न्न् रात आपका लौदा अपनी भोसड़ी मे चाहिए….

अभी: (मेरी चूत को तेज़ी से अपने लंड से चोदते हुए) हां रानी हान्ं मे तुम दोनो को डिन्न्न्न् रातत्तत्त चौदूँगा….साली को जब से देखा…ये लंड शांत होनी का नाआअँ नही ले रहा….मे तुम दोनो को अपनी रंडी बना कर रखूँगा…..

मे: पर बाबू जीई उसकी जिंदगी तो खराब नही होगी…

अभी: यार तेरी लड़की इतनी खूबसूरत है मे तो सारी जिंदगी उसके साथ गुजारने के लिए तैयार हूँ…कहो तो उससे शादी कर लूँ

मे: पर बाबू जी अभिईिइ तो वो सिरफफ़्फ़ 14साल की है….

अभी: चलो तब्ब चूत्त्त चुदवाना तो सीख जाएगी….

और अभी ने मुझे अपने ऊपेर खींच लिया…और मेरे होंटो को अपने होंटो मे लेकर चूसने लगा…अभी का मोटा लौदा..मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था…अब मे भी मस्ती मे आ कर अपनी गांद को उछाल-2 कर अपनी चूत को अभी के लंड पर पटकने लगी….

मे: अहह बबुउउउ जीई और्र ज़ोर्से चोदू हन्न्न आईसीए अपने लौदे को मेरीई चूत मे ठोकते राहूओ….

मे अभी की पहली चुदाई की कहानी सुन कर पहले से ही बहुत गरम हो चुकी थी…इसलिए 5 मिनट मे ही मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया…और हन्फ्ते हुए अभी पर पसर गयी…अभी मुझे बाहों मे भर कर पलट गया…और अब वो मेरे ऊपेर आ गया था..उसने मेरी दोनो जाँघो को आपस मे सटा दिया..और घुटनो से मोड़ कर अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा…मेरे जांघे सटी होने कारण…अभी का लंड मुझे अपनी चूत मे और ज़्यादा रगड़ ख़ाता हुआ महसूस हो रहा था..पर अभी-2 झड़ने के कारण मे एक दम सुस्त से पढ़ गयी थी…अभी तेज़ी से मेरी चूत को फतचा-2 चोद रहा था…मुझे फिर से मस्ती आने लगी..और मे आहह आहह करने लगी…अचानक अभी ने अपना लौदा मेरी चूत से निकाल दिया…और बेड से उतर कर खड़ा हो गया…

अभी: चल अब इधर आ कर मेरे सामने कुतिया की तराहा बन जा…मे मदहोश से होकर बेड के किनारे जा कर अपने घुटनो के बल आ गयी…और अभी ने मेरे चुतडो को पकड़ कर फैला कर मेरी चूत के छेद पर टिका दिया…

अभी: चल साली..अपनी चूत को मेरे लंड पर पटक…

और मे किसी रंडी के तराहा अभी की बात को मानते हुए अपनी गांद को पीछे के तरफ करने लगी…लंड का सुपाडे मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा…लंड का सुपाडे धीरे-2 मेरी चूत के दीवारो पर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर जा रहा था…जो मेरी चूत की खुजली को और बढ़ा रहा था…जैसे ही अभी का आधा लंड मेरी चूत मे घुसा… अभी ने मेरे चुतड़ों को दोनो तरफ से पकड़; कर अपने लंड को ज़ोर से मेरी चूत मे पेल दिया…लंड का सुपाड़ा मेरी बच्चेदानि से जा तकरया….और मेरे मुँह से दर्द और वासना से भरी हुई अह्ह्ह्ह निकल गयी…

अभी ने मेरे चुतड़ों को पकड़ कर तबाद तोड़ धक्के लगाने चालू कर दिए…अभी का लंड फुल स्पीड मे अंदर बाहर होता हुआ…मेरी चूत को गहराईयो तक चोद रहा था.. मेरी सिसकारियाँ पूरे रूम मे गूँज रही थी…मेरा मुँह रूम के विडो की तरफ था…और बाहर हाल मे लाइट जल रही थी…विंडो पर ग्लास लगा हुआ था…जिसके आर पार नही देखा जा सकता था…पर हाल की लाइट ऑन होने के कारण मुझे विंडो के ग्लास पर किसी की परछाई नज़र आई…कहीं नेहा तो नही… नही-2 वो बाहर क्या करेगी…

मेने पीछे मूड कर अभी को इशारे से उस तरफ देखने को कहा…अभी ने धक्के लगाने बंद कर दिए…और फुसफुसाते हुए बोला… (बाहर से अंदर नही दिखाई देता)

मेने अपने होंटो को अपने दाँतों मे दबा लिया..ताकि मेरी सिसकारिया ना निकले…अभी ने फिर से तेज़ी से धक्के लगाने चालू कर दिए…बाहर नेहा खड़ी है…ये सोच कर मे और गरम हो गयी…उसने कहीं मेरी मस्ती से भरी सिसकारियो को सुन तो नही लिया होगा…

ये सोच -2 कर मेरी चूत की आग फिर से बढ़ गयी…और मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया….अभी ने तेज़ी से धक्के लगाते हुए…मेरी चूत मे अपने लंड के गाढ़े पानी की बोछर कर दी….और फिर उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाल दिया…वो परछाई अभी भी वहाँ थी…अभी ने मेरी गांद को थपथापया…और मुझे उठने का इशारा किया…मे बेड से नीचे खड़ी हो गयी….

अभी: (धीरे से) चल आज से ही तेरी बेटी को लाइन पर लाने के तैयारी करते हैं

मे: नही मुझे डर लग रहा है…

अभी: तुझे कुछ नही करना है…बस जैसे बोलू वैसे करती जा…

मेने हां मे सर हिला दिया…अभी मुझे डोर के पास ले गया…और मुझे डोर पर लगे पर्दे के पीछे छुपने के लिए कहा…मे पर्दे की पीछे छुप गयी…

अभी: बस अब यहाँ से छुप कर देख मेरा कामाल…

और अभी ने अपना अंडरवेर पहना और तेज़ी से डोर खोल कर बाहर निकल गया….मे पर्दे के पीछे छुप कर देखने लगी…मेरे तो पैरो तले से ज़मीन खिसक गयी…दिल की धड़कन एक पल के लिए रुक गयी…बाहर नेहा विंडो के पास खड़ी थी…अभी को बाहर आता देख…वो एक दम से घबरा गयी…और मूड कर वापिस जाने लगी…नेहा एक बहुत ही सीधी साधी लड़की थी…और बहुत ही शर्मीली भी थी…किसी अंजान से बात करते हुए..वो एक दम से घबरा जाती थी…जैसे ही वो मूड कर जाने लगी…

अभी: रूको एक मिनिट…

नेहा के कदम वहीं थम गये…शायद वो बहुत ही घबरा गयी हो गी…अभी नेहा के पास गया…और उसके पीछे जाकर उससे एक दम सॅट कर खड़ा हो गया…हाल की लाइट जल रही थी…अभी का लंड अभी भी उसके अंडरवेर मे तन कर उभार बनाए हुआ था…जो नेहा के कूल्हे के एक साइड पर टच हो रहा था…नेहा की पीठ अभी की तरफ थी…

क्रमशः.................
 
13

गतान्क से आगे.....................

अभी: क्या कर रही थी…तुम यहाँ….

नेहा: (एक दम घबरा कर हड़बड़ाते हुए) जी जी वो मुझे प्यास लगी थी…

अभी: प्यास लगी थी…तो यहाँ क्या कर रही थी…किचन मे पानी मिलेगा यहाँ नही…बता क्या कर रही थी यहाँ….

नेहा: (नेहा को कुछ सूझ नही रहा था कि वो क्या जवाब दे और फिर से हड़बड़ाते हुए बोली) जी जीई वो मा की आवाज़ आ रही थी अंदर से…

अभी: कैसी आवाज़ आ रही थी अंदर से….वो तो सो रही है….बोलो कैसे आवाज़ आ रही थी…

नेहा का चहरे के रंग उड़ चुका था…वो एक दम से घबरा गयी…और रुआसी से भरे हुए गले के साथ बोली

नेहा: मुझे नही पता…पर मुझे ऐसा लगा…ग़लती हो गयी…

अभी: (नरम पड़ते हुए) अच्छा -2 छोड़ो ये सब…मा को देखना है….

मे अभी की बात को सुन कर बुरी तरहा काँप गयी…..पर जैसे ही नेहा ने ना मे सर हीलिया…मेरी जान मे जान आई…

अभी: अच्छा चल तुझे पानी पिला देता हुआ….

नेहा: (घबराते हुए) नही मे बाद मे पी लूँगी…

अभी: ऐसे कैसे बाद मे पी लो गी…चलो मुझे भी बहुत प्यास लगी है….जाओ पानी पीकर मेरे लिए भी पानी ले आओ…

नेहा किचन मे चली गयी…और थोड़ी देर बाद वापिस आई…उसके हाथ मे पानी का ग्लास था…नेहा ने अभी को ग्लास दिया…और अभी पानी पीने लगा…नेहा सर झुकये अभी के सामने खड़ी थी…मेने देखा वो अभी को चोर नज़रों से देख रही थी…उसकी नज़र अभी के गोरे बदन को निहार रही थी…फिर नेहा की नज़र अभी के फूले हुए अंडरवेर पर आ कर ठहर गयी…अभी ने पानी पीकर नेहा को ग्लास पकड़ा दिया…नेहा ने ग्लास लिया…और मूड कर जाने लगी…

अभी: एक मिनिट रूको…

नेहा वहीं रुक गयी..और अपने सर को झुकिए अभी के सामने खड़ी हो गयी…

अभी: थॅंक्स … वैसे तुम्हारा नाम क्या है…

नेहा: (अभी को इस हालत मे देख कर उसकी साँसें भी तेज हो चुकी थी) जी नेहा…

अभी: तुम जानती हो जब तुम डरती हो…तो ज़रा भी अच्छी नही लगती…वैसे तुम बहुत सुन्दर हो…

नेहा अभी की बात को सुन कर शर्मा गयी…उसने अपना सर झुकाया हुआ था…उसके होंटो पर मुस्कान सी आ गयी…उसके गाल एक दम से लाल होने लगे…और वो अपने पैर के नखुनो से फर्श को कुरदेन लगी…

अभी: अच्छा ठीक है…अब तुम जा कर सो जाओ…

और अभी तेज़ी से अपने रूम मे वापिस आ गया…और डोर लॉक कर दिया…उस रात अभी ने मुझे दो बार और चोदा…और चोद-2 कर मेरा बुरा हाल कर दिया…जब मे अगली सुबह उठी…तो रात की जबरदस्त चुदाई के कारण मेरा पूरा बदन टूट रहा था…मे उठ कर बैठ गयी…मे एक दम नंगी लेटी हुई थी…बगल मे अभी लेटा हुआ था..उसके जिस्म पर भी कोई कपड़ा नही था…उसका लंड मुरझाया हुआ था…मे धीरे से उठने लगी..तो उसने मेरे बालों को पकड़ लिया…

मे: उईईइ मा क्या का रहे हो बाबू जी…छोड़ो ना…

अभी ने मुझे अपने ऊपेर खींच लिया…

अभी: सुन तो सही…कहाँ जा रही है…मेरी बात को ध्यान से सुन…आज से तेरी लड़की को पटाने की तैयारी शुरू कर देते हैं…आज जैसे मे कहूँ वैसे ही करना…और मेरे बात को काटना नही…

मेने हां मे सर हिला दिया…और उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी….

अभी: सुन तूँ आज ब्लाउस और पेटिकॉट मे सारा दिन रहना…और हां नीचे कछि मत पहनना…

मे: पर क्यों बाबू जी…

अभी: साली रांड़ जैसे बोलता हूँ…वैसे कर…मेरा लंड चाहिए ना तुझे…

मेने शर्मा कर हां मे गर्दन हिला दी…

अभी: अच्छा सुन बाहर जाकर चाइ बनाना…और हां नेहा को चाइ दे कर भेजना…

मे बाहर आ गयी…और नहाने चली गयी…जैसे ही मे बाहर के बाथरूम तक पहुची..तो नेहा बाथरूम से बाहर निकल रही थी…वो नहा चुकी थी…

मे: उठ गयी बेटा…

नेहा: जी मा…

नेहा मुझे बड़ी अजीब से नज़रों से देख रही थी…उसने मुझे एक बार देखा..और फिर अपनी नज़रें फेर ली…और जाने लगी..

मे: नेहा सुन जाकर चाइ बना ले…मे नहा कर आती हूँ…और हां चाइ बाबू जी को दे आना…ठीक है याद से दे आना…

नेहा मेरी बात सुन कर थोड़ा चोंक गयी…और चली गयी…मे बाथरूम मे घुस्स गयी…और जल्दी से नहाने लगी…मेरा दिल ये देखने के लिए बेकरार था..कि अभी आगे क्या करेगा…मेने जल्दी से नहा लिया…और जैसे अभी ने कहा था…वैसे ब्लाउस और पेटिकॉट पहन कर बाहर आ गयी…और दीवार की ओट से झाँकने लगी…नेहा ने चाइ बना ली थी…और वो अभी के रूम की तरफ जा रही…जैसे ही वो रूम मे गयी..मे तेज़ी से चलते हुए..रूम के डोर के पास आकर अंदर देखने लगी…अंदर अभी वैसे ही अंडरवेर पहने लेटा हुआ था…उसका लंड उसके कछे मे तन कर उभरा हुआ था…नेहा जैसे ही बेड के पास पहुचि…तो उसकी पैर वहीं जम गये…

नेहा की नज़र अभी के उभरे हुए अंडरवेर पर गढ़ गयी…उसके फेस पर अजीब से भाव आ गये थे…उसने अभी को काँपते हुए आवाज़ दी…

नेहा: बाबू जी चाइ ले लीजिए…

अभी वैसे ही बिना हीले लेटा रहा…नेहा ने दोबारा आवाज़ नही लगाई…उसकी नज़र बार-2 अभी के लंड पर जा रही थी…उसने थोड़ी देर फिर से अभी को आवाज़ लगाई..अभी की तरकीब काम कर रही थी…इस बार अभी उठ गया…और आँखों को मलते हुए बोला..

अभी: क्या हुआ…

नेहा: बाबू जी चाइ….

अभी: (बेड से उठते हुए) एक मिनिट रूको…मे ज़रा मूत कर आता हूँ….

अभी अश्लील लैंग्वेज जान बुझ कर यूज़ कर रहा था…अभी रूम के अटॅच्ड बाथरूम मे चला गया…नेहा के गाल अभी के मुँह से ऐसी बात सुन कर एक दम लाल हो चुके थे…थोड़ी देर बाद अभी बाहर आया…और नेहा के हाथ से चाइ का कप लेकर पीने लगा
 
नेहा मूड कर वापिस आने लगी…मे जल्दी से दूसरी तरफ हो गेयर…और नेहा किचन मे वापिस चली गेयर…वो अपने और मेरे लिए चाइ कप्स मे डाल रही थी…जैसे ही नेहा किचन मे गेयर…मे अभी के रूम मे आ गेयर…अभी ने मेरेर तरफ मुस्करा कर देखा… 

मे: अर्रे वा बाबू जी आप तो सीधे रास्ते पर जा रहे हो…

अभी: बस तुम देखती जाओ…कुछ ही दिनो मे तुम्हारी प्यारी बेटी उछल-2 कर मेरा लंड अपनी चूत मे लेगी…

मे: मे भी यहीं चाहती हूँ…उसे देखने से लग रहा था…कि वो भी जल्द ही चुदवाने के बेकरार है…

अभी: बस अब मे जैसे-2 बोलता जाउ…वैसे -2 करती रहो…

मे: जी जैसे आप कहें

अभी: अब आगे देखो…मे क्या करता हूँ…

और अभी किचन की तरफ जाने लगा…मे भी दबे पावं किचन के पास आ गयी…अभी किचन के अंदर गया…और नेहा के पीछे जाकर खड़ा हो गया…नेहा को जब अभी का अहसास हुआ…तो वो थोडा घबरा गयी…

अभी नेहा के पीछे जाकर उसके साथ सॅट कर खड़ा हो गया…और अपना एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया…नेहा एक दम से कसमसा गयी…और थोड़ा आगे होने लगी…पर आगे सेल्फ़ थी…इसलिए वो आगे ना हो पाई….

अभी: ये क्या? चाइ तो एक दम फीकी सी लग रही है…चीनी नही डाली…

नेहा: (कांपती हुई आवाज़ मे) जी डाली थी…पर शायद थोड़ी कम रह गयी…

अभी: (अपने कप को नेहा के आगे करते हुए) लो पी कर देखो…कम है या नही…

नेहा: बाबू जी मे आप की चाइ कैसे…मेने अपने लिए चाइ डाली है…पी कर देखती हूँ.

अभी: नही इस मे से पीकर देखो…

नेहा बेचारी आगे कुछ ना बोल सकी…और अभी के हाथ से कप ले लिया…और एक सीप ली…

अभी: अब बताओ कैसी है….

नेहा: मे और चीनी डाल देती हूँ…आप ये वाली चाइ ले लो (दूसरे कप को देते हुए)

अभी: (पहले वाले कप को उठा कर पीने लगा और एक सीप लेने के बाद) अर्रे वा… ये तो अब मीठी हो गयी….क्या किया तूने…

नेहा: (घबराते हुए) नही बाबू जी मेने कुछ नही किया…आप के सामने तो ही हूँ…

अभी: (मुस्करते हुए) अर्रे घबराओ नही…शायद तुम्हारे रसीले होंटो का कमाल है…इसलिए चाइ मीठी हो गयी….

नेहा अभी की बात सुन कर एक दम से शर्मा गयी…उसके गोरे गाल एक दम से लाल हो कर देखने लगी…और उसके होंटो पर हल्की से मुस्कान आ गयी…और उसने अपने सर को नीचे कर लिया….

अभी: नेहा एक बात बोलू….

नेहा: (कांपती हुई आवाज़ मे) जी.. (वो अपने हाथों को सेल्फ़ पर रखे हुए थी….और वो सेल्फ़ को अपने हाथों से दबा कर पकड़े हुए थी)

अभी: सच मे तुम्हारे होंटो ने इस चाइ के प्याले को शहद से भी ज़्यादा मीठा कर दिया है…तुम्हारे होंठ तो शहद से भी ज़्यादा मीठे होंगे….

नेहा और ज़्यादा शरमाने लगी…

अभी: मे सच कह रहा हूँ…दिल कर रहा है…तुम्हारे होंटो को चूम लूँ…

नेहा अभी की ये बात सुन कर एक दम से चौंक गयी…और अभी की तरफ एक नज़र देखा…अभी अपने होंटो पर मुस्कान लिए हुए…नेहा के होंटो को घूर रहा था… नेहा फिर से शर्मा गयी…और अपने नज़रें नीचे कर ली…

अभी: बोलो ना….

नेहा: (कांपती हुई आवाज़ मे) जी क्या…

अभी: एक बार तुम्हारे होंटो को चूम लूँ….

मे एक दम से हैरान रह गयी…. कि अभी ने सीधे-2 ऐसे बात नेहा से कह दी…मुझे लगा रहा था…कि अब नेहा भड़क जाएगी…पर उसने जो किया मे और हैरान रह गयी…

नेहा तेज़ी से वहाँ से हट कर जो रूम हमे दिया गया था…भाग कर रूम मे चली गयी…मेरे दिल ज़ोर से धड़कने लगा…लगता है सारा किया धारा मिट्टी मे मिल गया…इस अभी को इतनी भी क्या जल्दी थी…लगता है नेहा अभी की बात से गुस्सा हो गयी है…मे जल्दी से रूम के डोर के पास जाकर छुप कर अंदर देखने लगी…पर जैसे ही मेने अंदर देखा मे एक दम से हैरान रह गये….अंदर नेहा पलंग पर बैठी…तेज़ी से साँसें ले रही थी…वो पता नही किन ख्यालो मे खोई हुई मुस्कराए जा रही थी…उसे देखने से ऐसा लग रहा था…जैसे उसने अभी की बात का बुरा नही माना…पर वो शर्मा गयी थी…इसीलिए वो यहाँ आ गयी थी…मेरी जान मे जान आई…तभी मुझे अपने चुतड़ों पर किसी के हाथ महसूस हुए…मेने पीछे मूड कर देखा तो, अभी मेरे पीछे खड़ा था…और मेरे चुतड़ों को अपने हाथों से मसल रहा था…उसके होंटो पर जीत की मुस्कान थी… अभी ने मुझे इशारे से अपने रूम मे आने को कहा…मे अभी के पीछे -2 , उसके रूम मे आ गयी…

क्रमशः.................
 
14

गतान्क से आगे.....................

अभी ने मुझे इशारे से अपने रूम मे आने को कहा…मे अभी के पीछे -2 , उसके रूम मे आ गयी…

अभी: देखा मेने कहा था ना…उसे लाइन पर लाने मे ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़े गी…

और अभी ने मुझे अपनी तरफ खींच कर अपने से चिपका लिया….और मेरे चुतड़ों को पेटिकॉट के ऊपेर से मसलने लगा….

मे: उईईई माआ क्या कर रहे हो बाबू जीए…वो इधर आ गयी तो….

अभी: आने दो…उसे भी तो पता चले…उसके इलावा उसकी मा की चूत मे भी खुजली होती है…और मेरा लंड लेने के लिए तड़पती है…वैसे भी आज दोपहर को मे तुम्हारी चूत को उसके सामने चोदुन्गा…..

मे: (अभी की बात सुन कर एक दम से घबरा गयी) नही बाबू ये ये आप क्या कह रहे है.

अभी: साली तू तो ऐसे ही घबराती है…अगर तू ही ऐसे घबराए गी…तो उसको चुदवाने के लिए राज़ी कैसे करेगी….

मे: पर बाबू जी….

अभी: (मेरे बात को बीच मे टोकते हुए) पर वर कुछ नही…जैसे मे कहता हूँ वैसे करो…आज बहुत ही कमाल की चीज़ होने वाली है…

और अभी ने मेरे होंटो को एक बार चूस कर मुझे छोड़ दिया….

अभी: चल जा अब नाश्ता तैयार कर….

मे किचन मे आ गयी…और नाश्ता तैयार करने लगी…नाश्ता करने के बाद मे और नेहा घर की सफाई मे लग गये…दोपहर को सफाई के बाद मे और नेहा किचन मे खाना बना रहे थे… तभी अभी अंदर आ गया…और पीछे आ कर खड़ा हो गया…मे सुबह से ही…सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकॉट पहने हुए थी…उसका लंड उसकी शॉर्ट्स मे तन कर तंबू बनाए हुए था…वो मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया…उसका लंड मेरी गांद की दर्रार मे धँस सा गया…नेहा मेरी बगल मे खड़ी थी…जैसे ही उसका लंड मेरी गांद की दर्रार मे धंसा…मेरा पेटिकॉट गांद की दर्रार मे थोड़ा सा अंदर हो गया….

नेहा अभी को मेरे पीछे सटा चोर नज़रों से देख रही थी…उसके गाल उतेजना के मारे लाल हो चुके थे…मेरा भी यहीं हाल था…मे अपनी बेटी के सामने खड़ी थी…और अभी पीछे से अपने लंड को पेटिकॉट के ऊपेर से मेरी गांद की दर्रार मे रगड़ रहा था…अभी ने अपना एक हाथ मेरी लेफ्ट चूतड़ पर रख दिया…और अपने हाथ की हथेली से धीरे-2 मेरे चुतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया….

मेरे बदन मे करेंट सा दौड़ गया…मे एक दम शरम से मरी जा रही थी…नेहा के सामने अभी मेरी गांद को अपने हाथ से सहला रहा था…मे कुक्कर मे पक रही सब्जी को देख रही थी…मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था…

अभी: क्या बना रही हो….

मे: (कांपती हुई आवाज़ मे) ये मटर बना रही हूँ…

फिर अभी हम दोंनो के बीच मे आ गया…और अपना एक हाथ नेहा की कमर के नीचे उसके चुतड़ों के पास रख दिया…नेहा एक दम से कसमसा गयी…शायद मेरी माजूदगी के कारण…पर वो बेचारी कर भी क्या सकती थी…मे जान बुझ कर दूसरी तरफ देखने लगी…पर मन मे बार-2 नेहा की कमर की तरफ देखने के इच्छा हो रही थी…मे तिरछी नज़रों से नेहा की तरफ देखने लगी… अभी के हाथ धीरे-2 खिसक कर उसके गोल मटोल चुतड़ों पर आ चुके थे….और नेहा सेल्फ़ पे अपने हाथों को रखें खड़ी थी…वो बड़ी मुस्किल से अपनी आँखों को खोल पा रही थी…

उसकी साँसें उखड़ी हुई लग रही थी…और बीच-2 मे मेरे और तिरछी नज़रों से देख रही थी…जैसे ही वो मेरी तरफ देखती…कि कही मे उसे देख तो नही रही…मे दूसरी तरफ देखने लग जाती…मेरी चूत तो कुलबुलाने लगी…पर फिर भी मे चोर नज़रों से अभी के हाथ को देख रही थी…जो उसने नेहा के चुतड़ों पर रखा हुआ था…

अभी ने नेहा के चुतड़ों को धीरे-2 सहलाना चालू कर दिया…नेहा की साँसें तेज हो गयी…उसके गाल और कान एक दम लाल हो कर दहकने लगे…फिर अचानक अभी ने अपने हाथ मे नेहा के चुतड़ों को भर कर मसल दिया….और नेहा के मुँह से घुटि हुई आहह निकल गयी…जो हम तीनो को सुनाई दी…मेरा दिल जोरों से धड़कन लगा…नेहा का भी यही हाल हो रहा था…

अभी: अच्छा जल्दी करो बहुत भूक लगी है….

ये कह कर अभी ने एक बार फिर से नेहा के चुतड़ों को मसल दिया…और किचन से बाहर चला गया…हम दोनो किचन मे खड़ी रही….हम दोनो मे से किसी के हिम्मत नही हो रही थी,एक दूसरे को देखने की…नेहा के आँखों मे मस्ती और वासना के लाल डोर्रे मे सॉफ-2 देख रही थी…

खाना बन चुका था…मेने टेबल पर अभी के लिए खाना लगा दिया…और मे और नेहा अपना खाना लेकर रूम मे आ गये…और खाना खाने लगे…हमने खाना ख़तम किया और मे झूठे बर्तनो को उठ कर किचन मे लाकर सॉफ करने लगी..तभी पीछे से अभी भी किचन मे आ गया…

अभी: अब अगला काम तुम्हें ये करना है…कि तुम मेरे मे रूम नेहा को टीवी देखने के लिए लाना…मुझे ऐसा लगता है…उसे मूवीस देखने का बहुत शॉंक है…बाकी जैसे मे कहूँ वैसे करती रहना…

मे: जी…पर अब क्या करने वाले हो….

अभी: अब मे तुम्हें उसके सामने चोदने वाला हूँ…

मे: नही बाबू जी ऐसा मत करना…मे उसको मुँह दिखाने के लायक नही रहूंगी…

अभी: चुप कर साली लंड चाहिए तो ये सब कुछ तो करना पड़ेगा…और हां वैसे भी उसको कुछ दिखाई नही देगा…

मे: पर कैसे उसको पता तो चल ही जाएगा…

अभी: हां पर पूरी तराहा नही…बस मेने जैसे कहा वैसे करो….

और अभी अपने रूम मे वापिस चला गया…मे बर्तनो को सॉफ करके अपने रूम मे आ गयी…नेहा वहाँ पलंग पर बैठी हुई थी…मुझे देख कर उसने अपनी नज़रें झुका ली…मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था, कि मे नेहा को कैसे अभी के रूम मे लेकर जाउ….मे अभी के रूम मे आ गयी…अभी लसीडी ऑन करके देख रहा था… शाहरुखख़ान की मूवी चल रही थी… शाहरुखख़ान नेहा का फैइव्रेट हीरो था…वो उसकी सभी मूवी को बड़े चाव से देखती थी…

अभी: ऐसे करो उसे बुला कर वहाँ कार्पेट पर बैठा दो….

लसीडी बेड के बिकुल सामने लगी हुई थी…अगर नेहा नीचे कार्पेट पर बैठ कर मूवी देखती है….तो उसकी पीठ बेड की तरफ हो गी…मेने नेहा को अभी के रूम से ही आवाज़ लगा कर बुला लिया…कुछ देर बाद नेहा शरमाई और घबराई हुई..अभी के रूम मे आ गयी…और सर को झुकये हुए बोली…

नेहा: क्या है मा….

मे: नेहा देख शाहरुख ख़ान की मूवी आ रही है…आ बैठ कर देखते हैं….

नेहा: नही मुझे नही देखनी….

मे: अर्रे शरमा क्यों रही है…बाबू जी कुछ नही कहेंगे…चल आजा मेरे पास बैठ…

मे बेड के (जिस तरफ अभी के पैर थे) वहाँ कार्पेट पर बैठ गयी…नेहा भी झिज़्कते हुए मेरे पास आकर बैठ गयी…मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था..ये सोच कर कि अब अभी आगे क्या करेगा…पर 15 मिनट तक कुछ नही हुआ…अब नेहा मूवी मे खो सी गयी थी…उसके फेस एक्सप्रेशन मूवी मे चल रहे सीन्स को देख कर बदल रहे थे…तभी अभी ने पीछे से मुझे आवाज़ लगाई….

मे: जी बाबू जी…

अभी: तुम मेरे बदन की मालिश कर दो गी…(और अभी ने मुझे आँख मार दी)

मे अभी के बात को समझ गयी…

मे: जी बाबू जी कर देती हूँ…

अभी: तो फिर जाकर बाथरूम से आयिल की बॉटल ले आ…

नेहा ने एक बार मेरी तरफ देखा….फिर थोड़ा सा फेस घुमा कर चोर नज़रों से अभी की तरफ देखा…जो रज़ाई ओढ़े लेटा हुआ था…मे उठ कर बाथरूम मे चली गयी…और तेल की बॉटल ले आई…और अभी की तरफ बेड के पास जाकर खड़ी हो गयी….

मे: यहीं लेटे-2 मालिश करवाएँगे….

अभी: क्यों क्या हुआ(और अभी ने रज़ाई को अपनी जाँघो तक सरका दिया)अभी सिर्फ़ अंडरवेर मे था)

मेने आयिल की बॉटल को खोला और थोड़ा सा तेल हाथ मे लेकर..बॉटल को पास पड़े टेबल पर रख दिया…और अभी ने अपनी चेस्ट की तरफ इशारा किया….और मे अपने हाथों से अभी के चेस्ट की मालिश करने लगी…नेहा का ध्यान अब मूवी से हट चुका था…वो बार-2 पीछे को फेस करके चोर नज़रों से देख रही थी…मे सुबह से ही उसी ब्लाउस और पेटिकॉट मे थी…

अभी: क्या हुआ खाना नही खाया…ज़रा ज़ोर लगा कर मालिश करो…

मे: जी बाबू जी…
 
अभी जान बुझ कर थोड़ा उँचा बोल रहा था…ताकि अभी की हर नेहा सुन सकें…मे बेड पर पालती मार कर अभी की बगल मे बैठ कर उसकी चेस्ट की मालिश कर रही थी…जब मे मालिश करते हुए अपने हाथों को अभी के पेट से आगे की ओर ले जाती…तो मेरी चुचिया बिना ब्रा के ब्लाउस मे उसकी छाती पर रगड़ खा जाती…पीछे बैठी नेहा ज़रूर ये सब देख रही थी…अभी ने अपना एक हाथ मेरी कमर पर रख दिया…और धीरे-2 उसे आगे करके मेरी चुचियो पर ले आया…और मेरे ब्लाउस के ऊपेर से उसने मेरी चुचि को ज़ोर से मसल दिया…मे अपने आप को रोक ना पे…और मेरे मुँह से आह निकल गयी…मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ…और मेने पीछे अपना फेस घुमा कर नेहा को देखा..वो हमारी तरफ ही देख रही थी…अभी के होंटो पर मुस्कान आ गयी…

और अभी ने मेरी चुचियो को दबाना चालू कर दिया…जैसे ही वो मेरे चुचियो को दबाता…मे अपनी चुचियो को पीठ को पीछे की तरफ निकाल कर पीछे खिचने की कोशिश करती…जिससे नेहा को लग रहा था…शायद अभी मेरी चुचियो को दबा रहा है…

फिर अभी ने आख़िरी चाल चली…और मुझे इशारे से मेरा कान पास लाने को कहा…मे अपने कान को अभी के होंटो के पास ले आई…

अभी (पूसफुसाते हुए) नीचे चड्धि तो नही पहनी है ना…

मेरा दिल अभी की बात सुन कर जोरों से धड़कने लगा…मेरे हाथ पैर कंम्पने लगे…मेने ना मे सर हिला दिया….कि मेने नीचे पॅंटी नही पहनी है…अभी के होंटो पर एक शैतानी से मुस्कान आ गयी…

अभी: (थोड़ा उँचा बोलते हुए) नही सही से नही कर पा रही हो…एक काम कर तू मेरे दोनो तरफ पैर रख कर मेरे ऊपेर आ जा….

मे अभी की ये बात सुन कर एक दम से सकपका गयी…मेने उसे ना मे सर हिला दिया…वो मुझे होंटो को खाली हिलाते हुए गली देने लगा…जैसे कह रहा हो साली बेहन के लोदी क्यों सारा किया धारा मिट्टी मे मिला रही हो…

अभी: सोच क्या रही है…इसके बाद मुझे नहाना भी है…चल जल्दी कर…

मेरी नज़र अचानक से बेड के रेस्ट सीट पर लगी डिज़ाइन पर पड़ी…जिसमे छोटे-2 मिरर्स लगे हुए थे…और उन मिरर्स मे जो कि अभी के सर के ठीक पीछे थोड़ा सा ऊपेर की तरफ लगी हुए थी…उनमे मेरे पीछे का सारा नज़ारा दिख रहा था…

मे अभी की जाँघो पर दोनो तरफ पैर करके…उसकी जाँघो पर बैठ गयी…मेने जो पेटिकॉट पहना हुआ था…वो अभी की जाँघो और उसके पेट के ऊपेर घेरे के तराहा फेल गया…जिससे मेरे चुतड़ों के नीचे अभी की जांघे मेरे पेटिकॉट से धक गयी…पीछे नेहा तेज़ी से साँसें लेती हुई…तिरछी नज़रों से हमे देख रही थी…उसकी आँखों मे वासना के लाल डोरे तेर रहे थे..अभी अपना एक हाथ मेरे पेटीकोटे के नीचे से अपने अंडरवेर मे ले गया…और अपने लंड को बाहर निकाल कर मेरी चूत की फांकों पर रगड़ने लगा…मेरा पूरा बदन इस नये रोमांच और वासना से काँप रहा था…मे अपनी बेटी के सामने अभी के लंड के ऊपेर बैठी हुई…अपनी चूत पर अभी के लंड की रगड़ को महसूस करके और ज़्यादा गरम होने लगी…मुझे ये सोच कर कि नेहा मेरी हालत को देख कर गरम हो रही थी…मेरी चूत मे और खुजली होने लगी…

फिर अभी ने अपने दूसरे हाथ को भी पेटिकॉट के नीचे से डाल कर मेरे चुतड़ों पर रख दिया…और मेरे चुतड़ों को अपने एक हाथ से दोबच कर मसल दिया…मेरे मुँह से फिर से आह निकल गयी…इसबार वासना मुझ पर इस्कदर हावी हो चुकी थी कि…मुझे इस बात के परवाह भी नही रही…कि नेहा सुन लेगी…

अभी ने मेरे गांद को एक हाथ से दोबच कर मेरी गांद को थोड़ा सा ऊपेर उठा दिया…और अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ कर अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के छेद पर लगा दिया…मेरी चूत के छेद पर लंड लगते ही मे सीईईईई कर उठी…इसबार नेहा और झेंप गयी…अभी ने मेरी गांद से अपना हाथ हटा लिया…हाथ हटाते ही मेरे वजन के कारण मेरी चूत का छेद अभी के लंड के सुपाडे पर दबने लगा….

और अभी के लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के छेद मे समा गया…जैसे-2 मेरी चूत मेरे वजन से अभी के लंड पर दबति गयी..अभी के लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस्स गया…और मेरी बच्चेदानी से जाकर सॅट कर सेट हो गया..अभी ने अपना हाथ बाहर खींच लिया…और पेटिकॉट के नीचे से ही मेरे चुतड़ों को दोनो हाथों से पकड़ कर मसल दिया…मे एक दम कसमसा उठी…और मेरे मुँह से उंह आह निकल गया…मेरा पेटिकॉट मेरी जाँघो से ऊपेर हो चुका था…मेरे गोरी-2 जांघे अब दिखने लगी थी..अभी मेरी गांद को पकड़ कर आगे की तरफ झटके देने लगा…और मे भी मस्ती मे आ कर अपनी कमर को झटके देने लगी…हर बार अभी का सिर्फ़ 1 इंच लंड मेरी चूत से बाहर आता और अंदर घुस्स जाता…और मेरी बच्चेदानी से जाकर टकरा जाता…

अभी के हाथ मेरे चुतड़ों को मसल रहे थे…पीछे बैठी नेहा मेरे पेटीकोटे के नीचे मेरे चुतड़ों पर चल रहे अभी के हाथों को ज़रूर देख पा रही होगी…क्योंकि अभी के हाथों से मेरे चुतड़ों वाले हिस्से पर मेरा पेटिकॉट उभरा हुआ था…और अंदर चल रही हलचल को वो ज़रूर समझ गयी होगी…पर मुझे तो इसमे और मज़ा आ रहा था..कि मे नेहा के सामने अभी के लंड के ऊपेर बैठी हुई…अभी के लंड से अपनी चूत को चुदवा रही हूँ…

अब मेने धीरे-2 अपनी कमर की रफतार को बढ़ा दिया…लंड पुचुक-2 की आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा…पुचक-2 की आवाज़ बहुत धीमी पर और मदहोश कर देने वाली थी…मेने बेड के रेस्ट सीट मे लगे मिरर मे देखा…नेहा का एक बाजू बहुत तेज़ी से हिल रहा था…शायद वो अपनी सलवार के ऊपेर से अपनी कमसिन चूत को मसल रही थी…मे ये देख और भी गरम हो गयी…और तेज़ी से अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल रही थी…जैसे मे अभी के चेस्ट की मालिश कर रही हूँ…

मेरी चूत ने अपना लावा उगलना चालू कर दिया…और मेरा पूरा बदन एन्थ गया…मे झाड़ चुकी थी…मेरी आँखें बड़ी मुस्किल से खुल रही थी…अभी ने अपने हाथ को आगे लाकर अपने लंड को मेरी चूत से निकाल दिया…और फिर लंड को अंडरवेर मे कर लिया…और धीरे से कान मे फुसफुसाते हुए बोला…

अभी: अब तुम बहाने से बाहर जाओ…और 10-15 मिनट बाद अंदर आना…

मे संभलते हुए खड़ी हुई…और बाहर चली गयी…मेरे खड़े होने के साथ ही मेरा पेटिकॉट अपनी सही जगह सेट हो गया…मे बेड से नीचे उतर आई…इस बार मेने भी अपनी तरफ से आग मे घी डाल दिया…

मे: बाबू जी मुझे बहुत तेज पेशाब लगी है…मे अभी मूत कर आई…

मेने ये कहने के बाद नेहा की तरफ देखा…उसने अपने सर को झुका लिया था…वो मूवी भी नही देख रही थी…उसके गाल एक दम लाल सुर्ख हो कर दहक रहे थे…

अभी: पर मालिश कॉन करेगा…

मे: बाबू जी नेहा कर देती है…

मेरे मुँह से ये बात सुन कर नेहा एक दम चोंक पड़ी…और मेरी तरफ देखने लगी…पर जैसे ही मेने उसकी तरफ देखा..उसने अपनी नज़रें झुका ली…

मे: नेहा ज़रा बाबू जी की मालिश कर देना…मे अभी आती हूँ….

और बाहर आ गयी…नेहा डोर के सामने थी…मे बार -2 उसकी तरफ देख रही थी…अभी ने उसको आवाज़ दी जो मुझे पीछे से सुनाई दी…

अभी:नेहा जी अब बाकी की मालिश आप कर दो…

मेने पीछे मूड कर देख….नेहा घबराते हुए खड़ी हुई..और अभी के बेड के तरफ चली गयी…जैसे ही वो बेड की तरफ गयी….मे तेज़ी से वापिस मूड गयी…और डोर के पास दीवार से सॅट कर अंदर देखने लगी…

क्रमशः.................
 
15

गतान्क से आगे.....................

अभी: जल्दी करो…मुझे नहाना भी है…

नेहा सर झुकाए बेड के पास खड़ी थी…अभी की आवाज़ सुनते ही…वो एक दम से काँप गयी…और बेड पर बैठ गयी…नेहा अपनी एक टांग को मोड़ कर पालती मार कर बेड पर बैठ गयी…उसकी दूसरी टाँग बेड से नीचे लटक रही थी…नेहा की पीठ मेरी तरफ थी…इसलिए मे उसके फेस को नही देख पा रही थी…

नेहा ने अपने हाथ मे तेल लिया…और बॉटल को वापिस टेबल पर रखते हुए बोली…

नेहा: (कांपती आवाज़ मे) कहाँ लगाना है बाबू जी…

अभी: छाती पर तो रचना ने लगा दिया…अब तू मेरे पेट की मालिश कर दे…

नेहा ने अपने काँपते हुए हाथों से अभी की कमर से नीचे तेल की मालिश शुरू कर दी…अभी ने अपने अंडरवेर को थोड़ा सा नीचे कर दिया…जिससे अभी के लंड के ऊपेर झांतो के बॉल उसे नज़र आने लगे…नेहा एक पल के लिए रुक गयी…

अभी: घबरा क्यों रही है…इसलिए नीचे किया है…ताकि तेल अच्छी तराहा लग जाए…

नेहा अपने काँपते हाथो से फिर से मालिश करने लगी…अभी मेरी चुदाई के दौरान झाड़ा नही था…इसलिए उसका लंड अभी भी उसके कछे मे तना हुआ था….जिस पर नेहा की नज़र बार-2 जा रही थी…वो जान बुझ कर उसके तने हुए लंड को देख रही थी…जिसे देख कर अभी के होंटो पर कमीनी मुस्कान आ गयी…

अभी ने नेहा को गरम होता देख…अपना एक हाथ नेहा के कूल्हे की साइड मे रख दिया…नेहा का पूरा बदन एक पल के लिए थम गया…पर वो कुछ नही बोली…और फिर से अभी की मालिश करने लगी…

अभी: नेहा तुम इतना शरमा क्यों रही हो…यहाँ कोई नही है…

और अभी ने अपने हाथ से धीरे-2 नेहा के कूल्हे को सहलाना चालू कर दिया…नेहा कसमासाए जा रही थी…

अभी: नेहा तुमने सुबह मेरी बात का जवाब नही दिया….

नेहा: जी कॉन सी…

अभी: यही कि मे तुम्हारे शहद जैसे होंटो को चूमना चाहता हूँ…

नेहा अभी की बात सुन का बुरी तराहा शर्मा गयी…और वो अपने सर को झुका कर मुस्कराने लगी…

अभी: देखो ना तुम मुस्कराते हुए कितनी सुंदर लगती हो…प्लीज़ एक बार अपने होंटो का जाम मुझे पिला दो ना…(और अभी ने अपनी दोनो बाहों को उसकी पीठ पर कस के अपने ऊपेर झुका लिया..नेहा के काँपते रसीले होन्ट अभी के होंटो के बिकुल सामने आ गये) प्लीज़ एक बार चूमने दो ना…

नेहा: (कांपती आवाज़ मे) नही मा आ जाएगी…

अभी: नही आएगी…उसे अभी टाइम लगेगा

नेहा: नही बाबू जी (शरमाते हुए अपनी गर्दन को ना मे हिला दिया)

अभी: मे कह रहा हूँ ना…नही आएगी…और अगर आ भी गये..तो क्या कर लेगी…वो तो खुद….(और अभी चुप हो गया उसने नेहा को एक हिंट दे दिया था)प्लीज़ एक बार करने दो ना प्लीज़ एक बार…

नेहा ने इस बार कुछ नही बोला…और अपनी नज़रों को झुकाए हुए मुस्कराए जा रही थी…अभी ने अपने हाथ से उसकी चिन को पकड़ उसके फेस को ऊपेर किया…और नेहा के होंटो की तरफ अपने होंटो को बढ़ा दिया…नेहा के हाथ अभी के कंधों पर थे…जिस पर तेल लगा हुआ था…अभी ने नेहा के होंटो को अपने होंटो मे ले लिया…और चूसने लगा…नेहा के हाथ फिसल कर अभी की पीठ पर आ गये…पर वो अभी की बाहों मे छूटने के लिए कसमसा रही थी…शायद वो मेरे अंदर आ जाने से डर रही थी…अभी ने एक मिनिट तक नेहा के होंटो को चूसा, और फिर अपने होंटो को हटा लिया…

नेहा का पूरा बदन रोमांच और मदहोशी मे काँप रहा था…जैसे ही नेहा के होंटो अलग हुए..वो एक दम से उठ गयी…और बाहर आने लगी…पर अभी ने उसका हाथ पकड़ लिया…अभी बेड पर उठ कर बैठ गया…और नेहा को अपनी गोद मे खींच कर बैठा लिया..नेहा अभी की गोद मे बैठी कसमसा रही थी…

नेहा: (काँपते और धीमे आवाज़ मे) छोड़ दो बाबू जी मा आ जाएगी…

अभी: आने दो देख लेंगे उसे भी…

नेहा: बाबू जी प्लीज़ छोड़ दो ना…मा के सामने नही…मा ने देख लिया तो…

अभी: क्यों तूने नही देखा….

नेहा अभी की बात सुन कर एक दम से चोंक गयी….उसे अब कुछ समझ मे नही आया…कि वो क्या जवाब दे…अभी ने नेहा को फँसते देख नेहा के फेस को अपनी तरफ घुमा कर…नेहा के होंटो पर फिर से अपने होंटो को रख दिया…और नेहा के होंटो को चूसने लगा…कुछ देर नेहा के होंटो को चूसने के बाद उसने नेहा को छोड़ दिया..नेहा की साँसें तेज़ी से चल रही थी…वो हाँफती हुई खड़ी हुई…और अभी की तरफ देखने लगी…

अभी ने नेहा के तरफ देखते हुए…अपने जीभ को अपने होंटो पर फिराया…

अभी:सच मे तुम्हारे होन्ट बहुत मीठे हैं…अब जाओ…

नेहा अभी की बात सुन कर एक दम से शरमा गयी…और सर झुका कर मुस्कराते हुए तेज़ी से बाहर आ गयी…नेहा के बाहर आने से पहले मे दीवार से सॅट गयी…नेहा तेज़ी से भागते हुए अपने रूम मे चली गयी…उसने पीछे मूड कर नही देखा…मे अभी के रूम मे आ गयी…

मे: मान गये बाबू जी…आख़िर आप ने मेरी छोरी को पटा ही लिया…अब आगे क्या करने वाले हो…

अभी: आज के लिए इतना ही बहुत है….अब तू वो खुद मेरे लंड से चुदवाने के लिए तडफे गी…बस आज तूँ ज़रा अपनी चूत की मालिश कर ले…आज तेरी चूत का भोसड़ा बना कर सुज्जा दूँगा….अभी की बातों को सुन कर ही मेरी चूत मे खुजली होने लगी…

उस दिन शाम के 6 बजे मुझे बोल कर घर से निकल गया…मे रात के खाने के तैयारी करने लगी…हमने खाना भी तैयार कर लिया पर अभी जब 8 बजे तक घर वापिस नही आया…तो मुझे थोड़ी से चिंता होने लगी…मे और नेहा अभी के रूम मे टीवी देखने लगे…तभी डोर बेल बजी…मेने बाहर आ कर गेट खोला तो उसके हाथ मे बहुत से बॅग्स थे…

मे: कहाँ गये थी…बाबू जी इतनी देर क्यों लगा दी…

अभी: अंदर तो चल…बताता हूँ

मेने अभी के अंदर आने के बाद गेट को लॉक कर दिया…और अभी के पीछे रूम मे आ गयी…अभी ने कॅरी बॅग्स को बेड पर रख दिया…एक बॅग को खोल कर उसमे से बहुत ही प्यारी सी ड्रेस निकाल कर नेहा की ओर बढ़ा दी…

अभी: ये लो ये तुम्हारे लिए लिया हूँ….

अभी नेहा के लिए एक बहुत ही खूबसूरत पिंक कलर का टॉप और ब्लॅक कलर की शॉर्ट स्कर्ट लाया था…जिसे देख नेहा के होंटो पर मुस्कान आ गयी…पर फिर वो मेरी तरफ देखने लगी…

मे: ले ले बेटा देख बाबू जी कितने प्यार से लाए हैं….
 
नेहा ने अभी के हाथ से ड्रेस ले ली…और उसे देखने लगी…फिर वो नीचे सर झुका कर बोली

नेहा: पर ये तो बहुत छोटी है….

अभी: हां पर आज कल बड़े शहरों मे लड़कियाँ ऐसे ही कपड़े पहनती हैं…

नेहा चुप हो गयी…और उस ड्रेस को अपने रूम मे ले गयी…उसके बाद अभी ने दोसरा बॅग खोला..और उसमे से उसने दो नाइलॉन की नाइटी निकाली…एक रेड कलर के थी…और दूसरी वाली ब्लू कलर की थी…अभी साथ मे 4 सेट ब्रा और पॅंटी के भी ले आया था…2 मेरे लिए और 2 नेहा के लिए…चारो पॅंटी वी शेप थी…मेने ऐसे पॅंटी पहली बार देखी थी…अगर इसे पहनो तो भी पीछे से पूरे चुतड़ों के दर्शन हों और आगे की तरफ से मुस्किल से चूत की फांकों को ढक पाए…

अभी: जाओ इसे रख आओ और खाना लागो..बहुत भूक लगी है…मे अपने रूम मे बॅग्स को रख आई…और खाना टेबल पर लगा कर खुद भी खाना खाने लगी…जब हम तीनो ने खाना खा लिया…तो हमने रात 11 बजे तक टीवी देखा…मेने नेहा को बोल दिया कि वो जाकर सो जाए…मे यहीं नीचे सो जाउन्गि…नेहा मुझे अजीब से नज़रों से देखते हुए रूम मे चली गयी…जैसे ही नेहा रूम से बाहर गयी…अभी ने उठ कर डोर लॉक कर दिया…मेने सुबह वाला पेटिकॉट और ब्लाउस पहना हुआ था…मे नीचे बैठी अभी को देख रही थी…अभी ने गेट लॉक करते ही अपना शॉर्ट्स और अंडरवेर उतार दिया..और टेबल पर फेंक दिया…अभी का लंड मेरी आँखों के सामने हवा मे झटके खा रहा था…

अभी: अब चल भी साली बैठी ही रहेगी…जल्दी अपने कपड़े उतार…

मेरी तो चूत मे सुबह से ही आग लगी हुई थी…मे जल्दी से खड़ी हुई…और अपने ब्लाउस के बटन को खोलने लगी..जैसे ही मेरे ब्लाउस के हुक्स खुले…मेरी 38 साइज़ की चुचिया उछल कर बाहर आ गयी…मेने ब्लाउस को निकाल कर टेबल पर रख दिया…और अपने पेटिकॉट के नाड्डे को खोल दिया..मेरा पेटिकॉट सरकता हुआ मेरी टाँगों मे आ गिरा..मेरे बिना झांतों की बुर लार टपका रही थी…

अभी ने मेरा हाथ पकड़ कर खींच कर मुझे बेड के किनारे बैठा दिया…और अपने लंड को हाथ मे लेकर अपने लंड के सुपाडे को मेरे मुँह मे पेलने लगा..

अभी: साली चल मुँह खोल कर मेरा लौदा चूस…फिर तेरी भोसड़ी का भोसड़ा बनाता हूँ..

मेने अपने मुँह को खोल कर अभी के लंड के सुपाडे को मुँह मे ले लिया…और अपने होंट अभी के लंड के सुपाडे को रगड़-2 कर लंड को मुँह के अंदर बाहर करने लगी..

अभी ने मेरे सर को दोनो हाथों से पकड़ लिया…और अपनी कमर हिला -2 कर मेरे मुँह मे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा..मेरे मुँह से पुcच-2 की आवाज़ आने लगी…अभी का लंड मेरे थूक से सन कर भीग चुका था…अभी ने मेरे सर को पकड़ कर पीछे कर दिया…अभी का लंड मेरे मुँह से बाहर आकर झटके खाने लगा…

अभी ने बेड के किनारे खड़े-2 मुझे बेड पर लेटा दिया…मेरी टाँगें बेड से नीचे लटक रही थी…अभी ने मेरी टाँगों को पकड़ कर ऊपेर करके फैला दिया…अभी ने अपने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत के छेद पर टिका दिया…

अभी: ये ले साली अब मेरे लंड से चुदवाने के लिए तैयार हो जा…

और अभी ने एक ज़ोर धक्का मार कर अपने लंड को मेरी चूत मे घुस्सा दिया…मे दर्द से तिलमिला उठी…पर उस दर्द मे भी अपना ही मज्जा था…अभी ने मेरी टाँगों को मोड़ कर अपने कंधों पर रख दिया…और ज़ोर-2 से अपने लंड को मेरी चूत मे ठोकने लगा…मे दर्द और मस्ती के मिलजुले अहसास से तिलमिला उठी…मेरी चूत की आग जो सुबह से भड़की हुई थी…और ज़्यादा भाड़क गयी…अभी का लंड सुपाडे तक बाहर आकर वापिस मेरी चूत के दीवारों को रगड़ता हुआ अंदर घुस्स जाता…

मे अहह ओह्ह्ह नहिी बाबू जीईए अहह अहढ़ेर्र्र्र्ररर करोन्ंणणन् नाअ ओह कर रही थी…मेरी चूत जो कुछ देर पहले सूखी हुई थी…अब उसमे पानी आने लगा था…और अभी का लंड मेरी चूत मे फतच-2 के आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा…

अभी: ह हा हा साली कलल्ल्ल टेरिइइ नेहा कीए चूत का उद्घाटन करूँगा…अह्ह्ह्ह फिर देखना मे तुम दोनो को सारा दिन अपने लंड से चोद -2 कर निहाल कर दूँगा…

मे: ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह बबुउउउ जीईए पहालीए आज्ज्जज्ज मेरे भोसड़ी क्ीईए तो आग को ठंडा कर दूऊव….

और अभी मेरी बातों को सुन कर और कस-2 के धक्के लगाने लगा…मेरे पूरा बदन अकड़ने लगा…मे झड़ने के करीब थी…मेरी सीकरियाँ पूरे रूम मे गूंजने लगी…

मे: ह बबुऊउ जीए मेरीए चूत्त्त्त्त अपनाा लावा उगलानीए वाली हाईईईई अहह अहह चोदू इसस्स सल्लीइीइ को अपनीईए गढ़ीई जैसीए लुंदड़ सीए औरर्र पेलो आह फद्दद्ड दो मेरी फुद्दिईई अहह

अभी ने अपनी स्पीड को और ज़्यादा बढ़ा दिया…और मेरी कमर झटके खाने लगी…मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया….अभी का लंड मेरी चूत के पानी से सन चुका था…अभी भी तबादतोड़ धक्के लगाते हुए…अपने वीर्ये की बोछर मेरी चूत की दीवारों पर करने लगा…और फिर एक बार अपने लंड को मेरी चूत की गहराई तक उतार कर मेरे ऊपेर निहाल हो कर गिर पड़ा….जब थोड़ी देर बाद अभी की साँसें दुरस्त हुई…अभी मेरे ऊपेर से उठ गया…और बेड के ऊपेर चढ़ कर लेट गया…मे भी अभी की बगल मे लेट गयी…और अपने दोनो के ऊपेर रज़ाई ओढ़ ली…

थोड़ी देर चुप रहने के बाद मे अभी से बोली…

मे: बाबू जी कहानी सूनाओ ना….

अभी: क्या बच्ची हो..जो तुम्हें कहानी सुनाऊ…

मे : (हस्ते हुए) नही-2 वो कहानी जो आप कल रात को सुना रहे थे…फिर आगे किया हुआ…फिर किस ख़ुसनसीब को आपका लंड नसीब हुआ….

अभी: फिर क्या था…उस रात मेने नीता को दो बार चोदा…पर उसके बाद मुझे कभी दोबारा मोका ना मिला…..

मे: फिर तो तब तो आपके लंड को चूत का स्वाद मिल चुका था..फिर ?

अभी: फिर क्या…मे चूत ना मिलने के कारण कभी-2 मूठ मार लेता…ब्लू फिल्म और किताबें और नेट पर राज शर्मा की सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर अपने मन को तसल्ली देने लगा…पर नीता ने जो चूत का स्वाद मुझे चखाया था…मे उसे भूल नही पा रहा था…

फिर एक दिन मे अपने घर पर सोफे पर बैठा टीवी देख रहा था…हमारे घर पर एक महीने पहले ही मम्मी ने एक नयी नौकरानी को रखा था…उसका नाम कमला था…मा और पिता जी अक्सर बिज़्नेस के चक्कर मे बाहर रहते थे…उस दिन जब मे टीवी देख रहा था…तो कमला घर मे पोंच्छा लगा रही थी…वो बिहार के रहने वाली थी..उसका पति रिकक्षा चलाता था…कमला बहुत ही गीतले बदन वाली थी…उसकी हाइट 5-1 थी…थोडी सी मोटी थी…चुचियाँ एक दम भरी हुई और मुलायम थी…बस उसका रंग सांवला था…उस दिन जब वो नीचे बैठ कर पोंच्छा लगा रही थी…तो उसने अपनी सारी के पल्लू को अपनी कमर मे बाँध रखा था…उसकी 38 साइज़ के बड़ी-2 चुचिया ब्लाउस से बाहर झलक रही थी….

ये पहली बार था..जब मेने ध्यान से कमला को देखा था…जब वो पोंच्छा लगाते वक़्त मेरे पास आई तो…उसकी चुचियो को जो आधे से ज़्यादा बाहर झलक रही थी देख कर मेरा लंड मेरी शॉर्ट मे तन गया….मे एक टक उसकी चुचियो को घूरते हुए…अपने लंड को शॉर्ट के ऊपेर से मलने लगा…मुझे इस बात की ज़रा भी परवाह नही थी…कि कमला मुझे अपने लंड को मसलते देख ना ले…जब वो मेरे पास पहुचि…तो मेरी तरफ देखते हुए बोली….

कमला: बाबू जी अपने पैर ऊपेर कर लो…(और कमला की नज़र मेरे हिल रहे हाथ पर पड़ी..पर वो बिना कुछ बोले अपने सर को झुकाए पोंच्छा लगाने लगी)

मेने अपने पैरो को ऊपेर कर लिया…और उसकी चुचियो को देखते हुए…अपने लंड को मसलने लगा…वो पोछा लगा कर किचन मे चली गयी…और दोपहर के लिए खाना बनाने लगी…अब मेरा एक ही मकसद था…किसी भी तराहा कमला को चोदना…पर ये बात मेरी समझ से कोसों दूर थी, कि आख़िर मे उसे चोदने के लिए मनाऊ कैसे…

पर कहते है ना जहाँ चाहह होती है…वहाँ राह भी होती है…

एक दिन मेरी मम्मी ने मुझे किसी काम के लिए शिमला जाने को कहा…वहाँ किसी को बिजनेस के कुछ पेपर देने थे…पर मे कभी अकेला नही गया था…इसीलिए मम्मी ने कमला को साथ जाने के लिए कहा…कमाल ने हां कर दी…मेने मन मे ठान लिया था…आज कुछ भी हो जाए…मे कमला को अपने जाल मे फँसा कर रहूँगा…

हम दोनो बस पकड़ कर शिमला पहुच गये…वहाँ पर हमने पापा के मनेजर को पेपर दिए…और रात गुजारने के लिए होटल मे रूम ढूढ़ने लगे…पर गर्मियो के दिन होने के कारण शिमला मे बहुत से लोग घूमने आते हैं…जिसके कारण हमे कहीं रूम नही मिल रहा था…बहुत ढूढ़ने के बाद हमे एक धर्मशाला मे रूम मिला

पर रूम काफ़ी अच्छा था…हमने रूम ले लिया…रूम मे बिस्तर ज़मीन पर लगा हुआ था…रात काफ़ी हो चुकी थी…

मे : चलो बाहर चल कर कुछ खा आते हैं…बहुत भूक लगी है….

कमला: जी बाबू जी

क्रमशः.................
 
16

गतान्क से आगे.....................

और हम दोनो बाहर आ गये…और एक ढाबे से खाना खाया…ढाबा धर्मशाला से 1 किमी दूर था…हम दोनो वहाँ पैदल चल कर गये थे…जैसे ही हम वापिस आने के लिए चले…अचानक से बहुत तेज बारिश शुरू हो गयी…शिमला मे वैसे भी बहुत ठंड होती है…बारिश से ठंड और बढ़ गयी थी..हम दोनो भीग चुके थे…जैसे ही हम धरामशाला के पास पहुचे…स्नोफॉल होने लगा…हम पहुच कर सीधा अपने रूम मे आ गये…ठंड के कारण हम दोनो के दाँत बजने लगे थे…हमारे कपड़े पूरी तराहा से गीले हो चुके थे…नीचे ज़मीन पर एक सिंगल बिस्तर लगा हुआ था….

कमला: (मुझे काँपते देख) बाबू जी…आप अपने कपड़े निकाल दो…

मेने रूम मे एक कोने मे जाकर अपने कपड़े उतार दिए…और सिर्फ़ अंडरवेर मे आकर बिस्तर मे घुस गया…कमला भी पूरी तराहा भीग चुकी थी…उसकी सारी उसके बदन से चिपकी हुई थी…वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी…मेने कमला की तरफ देखते हुए कहा…

मे: तुम क्यों खड़ी हो…जाओ तुम भी अपनी सारी निकाल दो…

कमला: पर बाबू जी…वो मेरे पास दूसरे कपड़े नही हैं…

मे: (एक दम मासूम सा बनते हुए) पर फिर क्या करोगी…इतनी ठंड मे गीले कपड़े पहन कर सोओ गी तो बीमार पड़ जाएगी…अच्छा मे अपना मुँह दूसरी तरफ कर लेता हूँ…तूँ अपने कपड़े उतार के ये बेड शीट लेपेट ले…

कमला: नही बाबू जी मे ऐसे ही ठीक हूँ….

मे: क्या पर तू सोए गी कैसे…तेरे कपढ़ो से बिस्तर भी गीला हो जाएगा..

मेने खड़ा हो कर नीचे से बेड शीट निकाल कर कमला की तरफ बढ़ा डी…बेड शीट सिंगल बेड की थी…कमला ने मेरे हाथ से बेडशीट ली और उसी कोने मे जाकर अपनी सारी उतारने लगी…

मे चोर नज़रों से कमला को पीछे से देख रहा था…कमला ने अपनी सारी निकाल कर टाँग दी..मेरा तो लंड अंडरवेर मे झटके खाने लगा…कमला वाइट कलर ब्लाउस और पेटिकॉट मे थी…कमला का पेटिकॉट गीला होने कारण उसके चुतड़ों पर चिपका हुआ था…उसकी गांद की दर्रार भी मुझे सॉफ -2 दिख रही थी…मेरा तो बुरा हाल हो चुका था…फिर कमला ने बेडशीट को अपने कंधों पर रख कर अपने ब्लाउस को खोलना चालू कर दिया…और ब्लाउस खोल कर टाँग दिया…मे कमला को देख-2 कर पागल हुआ जा रहा था…फिर कमला ने अपना पेटिकॉट को खोल कर टाँगों से निकाल कर टाँग दिया…और बेड शीट को अपनी चुचियो पर लप्पेट लिया…बेड शीट सिर्फ़ उसके घुटनो तक आ रही थी…बिस्तर पर सिर्फ़ एक ही कंबल था…वो मेरे पास आकर बैठ गयी..

कमला मुझसे नज़र नही मिला रही थी…मे महॉल को सहज करने के लिए उससे बात करने लगा…धीरे-2 वो भी सहज होने लगी….

मे: मुझे तो नींद आ रही है….जाओ लाइट बंद कर दो….

कमला ने उठ कर लाइट ऑफ कर दी…रूम मे अंधेरा छा गया…और थोड़ी देर बाद आकर वो मेरे पास लेट गयी….ठंड बहुत ज़्यादा थी…मे सर्दी के कारण काँप रहा था…कमला मेरी तरफ पीठ करके लेटी थी…जब उसे मेरे काँपने का महसूस हुआ…तो वो मेरी तरफ मूड गयी…और मेरे माथे पर हाथ लगा कर देखने लगी..

कमला: क्या हुआ बाबू जी ठंड लग रही है…

मे: हां बहुत ज़यादा…

कमला मेरे पास खिसक आई…और मुझ से सॅट गये…उसकी चुचिया बेडशीट मे कसी हुई थी…जो आधी से ज़्यादा बाहर झलक रही थी…कमला की चुचियो की गर्माहट ने मुझे और पागल कर दिया…और मे भी कमला से सॅट गया…और अपना एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया…थोड़ी देर लेटे रहने के बाद मेने अपने होंटो को कमला की चुचियो के ऊपेर हिस्से पर लगा दिया…कमला थोडा कसमासाई….पर फिर वो वैसे ही लेटी रही…

मेरी हिम्मत अब बढ़ चुकी थी…नीचे मेरा लंड लोहे की रोड के तराहा तन कर उसके पेट के नीचले हिस्से पर चादर के ऊपेर से रगड़ खा रहा था…कमला अपने निचले हिस्से को मुझसे थोड़ा दूर रखने की कॉसिश कर रही थी….

पर अब मे चूत के लिए पागल सा हो गया था…मे हिम्मत करके अपने होंटो को उसकी चुचियो के ऊपेरी हिस्से पर रगड़ने लगा…कमला मे मुँह से आह निकल गयी…और वो अपने हाथों से मेरे सर को पकड़ कर दूर करने लगी…पर मेने आगे की तरफ ज़ोर लगाते हुए उसकी चुचियो के ऊपेर हिस्से को अपने होंटो से रगड़ना चालू रखा….

कमला: (कांपती हुई आवाज़ मे) ये क्या कर रहे हो बाबू जीए…पीछो हटो…

पर मे कमला की बात पर ध्यान दिए बिना कमला की चुचियो की खाई मे अपने होंटो को रगड़ता रहा…वो अपने हाथों से मेरे सर को पीछे हटाने के कॉसिश कर रही थी….

कमला: आहह बाबू जीए पीछे हट जाओ…ये ठीक नही है…

बाहर के बल्ब से हल्की रोशनी अंदर आ रही थी…कमला मुझे पीछे धकेल कर पीठ के बल होकर खड़ी होने लगी…मे जल्दी से कमला के ऊपेर आ गया…और चादर को पकड़ कर नीचे खींच दिया..कमला के 40 साइज़ की बड़ी-2 चुचिया उछल कर बाहर आ गयी…

वो एक दम से चोंक गयी…और मेरे नीचे तिलमिलाने लगी…कमला ने अपने एक हाथ से अपनी चुचियो को ढक लिया, और दूसरे हाथ से मुझे अपने ऊपेर से हटाने के कॉसिश करने लगी…अब मे वासना मे इतना पागल हो चुका था…मुझ पर कमला की बात का असर नही हो रहा था…वो बाबू जी बाबू जी कर रही थी…

कमला: आह बाबू जी क्या कर रहे हो…हट जाओ नही तो मे शोर मचा दूँगी….

मेने कमला के हाथ को पकड़ कर नीचे उसके सर के पास बिस्तर पर सटा दिया…अब उसके काले मोटे निपल मेरी आँखों के सामने आ चुके थे…जो मुझे बाहर से आ रही हल्की रोशनी मे दिख रहे थे…उसके निपल बहुत ही मोटे थे…मेने अपना मुँह खोल कर उसके एक काले मॉट निपल्ले को मुँह मे भर लिया…जैसे ही मेरे होन्ट उसके निपल पर पड़े..उसका बदन एन्थ गया…और उसने अपने हाथों की उंगलयों को मेरे हाथ की उंगलयों मे कस लिया….

कमला: ह बाबू जीई….मे आप के हाथ जोड़ती हूँ…मुझे छोड़ दूओ ह बाबू जीई मेरा पति मुझे जान से मार देगा…. अहह

मे किसे भूखे कुत्ते के तराहा उसके निपल को चूसने लगा…वो अह्ह आहह कर रही थी…और बार-2 रुआसी सी आवाज़ मे छोड़ देने के लिए कह रही थी…मे ज़ोर-2 से कमला के निपल को चूसने लगा….कमला के हाथ ने विरोध करना कम कर दिया था…मे अपना एक हाथ जल्दी से नीचे ले गया…और अपने अंडरवेर को घुटनो तक सरका दिया…और फिर एक झटके मे ढीली हो चुकी चादर को ऊपेर खींच दिया…और मेरा तना हुआ लंड कमला की चूत की फांकों पर रगड़ खा गया…कमला एक दम से सिहर गयी..और उसने अपनी जाँघो को भींच लिया…मेने अपने लंड को उसकी चूत मे बहुत घुसाने की कॉसिश की…पर वो अपनी जाँघो को पूरे ज़ोर से भींचे हुए थी…मे कमला के निपल को चूस्ता हुआ..अपने लंड के सुपाडे को कमला की चूत की फांकों पर रगड़ने लगा..कमला अहह ऑश नहियिइ बाबू जीए छोडर दो बाबू जीई अह्ह्ह्ह क्या कर रहीई हू कर रही थी….

मे इतना गरम हो चुका था…कि मे अपने आप को रोक ना सका, और कमला की चूत की फांकों पर अपने वीर्ये की बोचार कर दी…मे झाड़ कर हाँफने लगा…मे एक दम पस्त हो कर कमला के ऊपेर से लूड़क कर, नीचे बगल मे लेट गया…मे कमला की तरफ देख रहा था…उसने अपनी आँखों को सॉफ किया…शायद उसकी आँखों से आँसू आ गये थे…वो बिना कुछ बोले लेटी रही…काफ़ी देर लेटे रहने के बाद कमला उठ कर रूम के उसी कोने मे चली गयी…जहाँ हमने कपड़े उतारे थी…मे जागा हुआ था,और कमला को देख रहा था…उसने पानी की बॉटल उठाई…और कोने मे जाकर पंजों के बल बैठ गयी…और अपने हाथ पर पानी डाल कर अपनी चूत और जाँघो को सॉफ करने लगी…फिर कमला उठ कर वापिस आ गयी…और मेरी बगल मे ही लेट गयी…

.

क्रमशः.................
 
17

गतान्क से आगे.....................

फिर कमला उठ कर वापिस आ गयी…और मेरी बगल मे ही लेट गयी…

मुझे अब नींद नही आ रही थी…जैसे ही वासना का भूत मेरे सर से उतरा, तो मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ…मे हाथ पैर डर के मारे कँपने लगे…मे ये सोच कर घबरा गया,की कहानी वो मम्मी पापा से मेरे शिकायत ना कर दे…मेरी तो फटी जा रही थी…फिर सोचा मे कमला से माफी माँग लूँ…और यहीं मामला सेट्ल कर लूँ…अगर पैसे देने से भी काम बन जाएगा..तो मे उसे पैसे भी दे दूँगा… पर अचानक मेरा ध्यान कमला की तरफ गया….

कमला का एक हाथ कंबल के अंदर उसकी चूत के ऊपेर से हिल रहा था…वो आँखें बंद किए…अपनी चूत को मसल रही थी…और अपने होंटो को अपने दाँतों से दबाए हुए थी…एक बार फिर मे सारा डर भूल गया…और ये सोच कर कि कमला अपनी चूत को अपनी उंगली से चोद रही है…मेरा लंड फिर से झटके खाने लगा….मेने थोड़ा सोचने के बाद फिर से अपने मन को कमला को चोदने के लिए पक्का कर लिया…

मेने अपनी हिम्मत जुटा कर अपने हाथ को कमला की चूत पर रख दिया…उसके हाथ की एक उंगली उसकी चूत मे थी…वो एक दम से चोंक पड़ी…और मेरी तरफ देखने लगी…

मे: अपने हाथ को क्यों तकलीफ़ दे रही हो…एक बार मुझे अपनी सेवा का मोका दे कर तो देखो…

कमला: (एक दम से उठ कर बैठ गयी) ये क्या कर रहे हो बाबू जी…

मे: मे तो तुम्हारी मदद कर रहा था…एक बार मुझे आज़मा के तो देख…तेरी तबीयत रंगीन कर दूँगा….

कमला: नही बाबू जी ये ठीक नही है…आप अभी बहुत छोटे हो…और अगर किसी को पता चल गया, तो मे कहीं की नही रहूंगी.

मे: मे क्या तुम्हें बच्चा नज़र आता हूँ.एक बार मेरा लंड पकड़ कर के तो देख.

और मे खड़ा हो गया.और अपना अंडरवेर उतार कर निकाल दिया.फिर कमरे के लाइट ऑन कर दी…जैसे ही मे कमला की तरफ घुमा.कमला हैरानी भरी नज़रों से मेरे लंड को देख रही थी…मे कमला के पास जाकर खड़ा हो गया…मेरा लंड तन कर हवा मे झटके खा रहा था…और गुलाबी रंग का सुपाडे एक दम फूला हुआ था…

मे: देख मे क्या बच्चा नज़र आता हूँ…

कमला एक टक मेरे लंड को देख रही थी…फिर उसने अपने नज़रें झुका ली…

कमला: नही बाबू जी.ये ठीक नही है…मे बहुत ग़रीब हूँ…और मेरी इस इज़्ज़त के सिवा मेरे पास और कुछ नही..अगर किसी को पता चल गया तो मे कही की नही रहूंगी.

मे: (कमला के पास बैठ कर अपना हाथ उसकी चुचि पर रख दिया) कमला देख मेरा लंड कैसे आकड़ा हुआ है…प्लीज़ एक बार मुझे करने ना दो ना…मे वादा करता हूँ…मे किसी को नही बताउन्गा…प्लीज़ एक बार, ये बात हम दोनो के बीच मे ही रहेगी..

कमला सोच मे पड़ गयी…और मे मोके फ़ायदा उठाते हुए…धीरे-2 उसकी चुचियो को सहलाने लगा…वो एक दम से चूक गयी…

कमला: नही बाबू जी…ये ठीक नही है..हमारे बीच ऐसे संबंध ठीक नही है…

मे उठ कर खड़ा हो गया…और कमला के हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख कर..उसके हाथ को मुट्ठी बना कर अपने लंड पर कस दिया…कमला ने अपना हाथ वापिस नही खींचा…

मे: देख ना मेरा लंड कैसे तड़प रहा है…बस आज की रात की बात है…मे तुझसे वादा करता हूँ..कि मे फिर तुम्हें कभी तंग नही करूँगा…और किसी को आज के रात के बारे मे नही बताउन्गा…

मेने अपना हाथ कमला के हाथ के ऊपेर से हटा लिया…और कमला ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़े रखा…

मे: अहह कमला तेरे हाथों मे तो जादू है…देख कैसे इसकी नसें फूल गयी हैं..अब मान भी जा…

कमला ने मेरी तरफ देखा…उसके होंटो पर वासना से भरी हल्की मुस्कान आ गयी थी…

कमला: पक्का ना बाबू जी…आप किसी को बताओगे तो नही…

मे एक दम खुस हो गया….

मे: नही..बताउन्गा…पक्का….

कमला: अच्छा तो देखें तो सही…हमारे छोटे बाबू का लंड कैसा है…बाबू जी अब बड़े होगये हैं…

और कमला मेरे लंड को मुति मे भर कर आगे पीछे करने लगी…उसकी आँखों मे मेरे 7 इच के लंड को देख कर चमक आ गयी…मेने कमला के सर को पकड़ कर अपने लंड पर झुकाना चालू कर दिया….

कमला मेरे मन की बात को समझ गये…और अपने मुँह खोल कर अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे लंड के गुलाबी सुपाडे को चाटने लगी…वो सुर्प-2 कर मेरे लंड के सुपाडे को चारो तरफ से अपनी जीभ से चाट रही थी…मे मस्ती मे पागल हुआ जा रहा था..

कमला की आँखों मे अब वासना के लाल डोर्रे तेर रहे थे…वो साथ-2 मेरे लंड की मूठ भी मार रही थी..और अपनी नशीले आँखों से मेरी तरफ देख रही थी…

फिर कमला ने अपने मुँह को खोल कर अपने होंटो को मेरे लंड के सुपाडे पर कस लिया…और धीरे -2 मेरे लंड के सुपाडे को मुँह के अंदर बाहर करके चूसने लगी.

मे मस्ती मे आकर अपनी आँखों को बंद किए मज़े से कमला से लंड को चुस्वा रहा था…और कमला पूरे ज़ोर से मेरे लंड के सुपाडे को चूस रही थी…

कमला ने 5 मिनट तक मेरे लंड के सुपाडे को चूस-2 कर अपने थूक से गीला कर दिया… मेरा लंड तन कर झटके खा रहा था….कमला ने अपने बदन पर पड़ी ढीली हो चुकी चादर को हटा कर एक साइड मे रख दिया…और पीठ के बल लेट कर अपनी जाँघो को फैला दिया…

मे कमला की जाँघो के बीच मे आ गया…और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर,लंड के सुपाडे को कमला की चूत के छेद पर लगा दिया…कमला के मुँह से सीईइ की आवाज़ निकल गयी…मे एक हल्का सा धक्का दिया…मेरे लंड का सुपाड़ा कमला की गरम और लबलबा रही चूत मे समा गया…कमला ने अपने हाथों से तकये को कस के पकड़ लिया…मेने फिर से एक और धक्का मारा, इस बार मेरा आधा लंड कमला की चूत मे समा गया…

मे कमला के ऊपेर झुक गया…और कमला की एक चुचि को मुँह मे ले लिया…और ज़ोर-2 से चूसने लगा…कमला मेरे होन्ट अपने चुचि पर पड़ते ही तड़प उठी..

कमला: अहह बबुऊउ जीए इन्हीईए नाअ चुस्स्सूऊ बहुत गुदगुडिई होती हाईईईई अहह ओह बाबू जीई आह बस करूऊओ नाअ

मे कमला की बात पर ध्यान दिए बिना पूरे जोश मे उसके निपल को चूस रहा था…उसका काला निपल और कड़ा हो कर मोटा और बढ़ चुका था…उसके निपल करीब आधे इंच के थे…मे कमला के निपल को अपने होंटो के बीच मे लेकर मसल्ने लगा…कमला एक दम से चुदास से भर गयी…और अपनी चूत को मेरे लंड पर ऊपेर की तरफ उछालने लगी…लंड फतच-2 की आवाज़ करता हुआ…अंदर बाहर जाने लगा…और मेरे लंड का सुपाड़ा कमला की बच्चेदानी से जा टकराया…

कमला: अहह बबुउुुुउउ जीए मेन्णन मॅर गइईए ओह्ह्ह ओह्ह्ह बाबू जीए आपका तो सच मे बहुत तगड़ा हाीइ हाईए माया…आह मोरी चूत्त्त्त्त फटी रीईई…..

मे कमला की चुचि को चूस्ते हुए धीरे-2 अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा…कमला भी अपनी गांद को उछाल-2 कर मेरे लंड को अपनी चूत मे ले रही थी..

और अपने हाथों से मेरे बालों को सहला रही थी…मे धना धन लगतार अपने लंड को कमला की चूत के अंदर बाहर कर रहा था…

कमला: आह बाबू जीई और जोर्र्र से चोदीए ह ह ओह फदद्ड़ दएजी मेरीई चूत ओह आपकीए लौडईए मे तो सच मे बहुत जान हाईईइ अहह आहह ओह्ह…

मैने कमला की टाँगों को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर कर दिया…और अपने लंड को उसकी चूत की गहराईयो तक ठोकने लगा…वो मेरे हर धक्के के साथ आह आह ह कर रही थी…और मुझे और ज़ोर से चोदने के लिए कह रही थी…मेने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला…और उसकी टाँगों को पकड़ कर उसे उल्टा कर दिया…अब वो मेरे सामने डॉगी स्टाइल मे थी…

मेने पीछे से उसकी चूत के छेद पर अपने लंड को टिका दिया…और उसकी गांद को दोनो हाथों से फैला कर अपने पंजों मे कस लिया…और एक ज़बरदस्त धक्का मारा…लंड चूत की दीवारों से रगर्ता हुआ पूरा का पूरा एक ही बार मे कमला की चूत मे समा गया…

कमला: हइईए रीईए जालिमम्म्म बाबू किया कारर्र रहे हू फदद्ड़ डीईए ना मेरे ब्ौस्दी अहह मररा डल्ला….कुतिया समझ कार्ररर चोद्द्द्द्द रहे हू बबुऊउ…अपने गधे जैसी लुंदड़ से मेरी नाज़ुक बुर्र्रर को ऐसी क्यों चोद्द्द रहीई हूओ…आह

मेने कमला की गांद को थामें हुए, तेज़ी से धक्के लगाने चालू कर दिए…लंड फतच-2 की आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा…मेरे लंड का सुपाड़ा बार उसकी बच्चेदानी से जा टकराता..और कमला आहह ओह्ह्ह्ह्ह उईइ माआ कर उठती…मे अपने लंड को पूरी ताक़त से कमला की चूत मे पेल रहा था…

पूरे कमरे मे आहह ओह्ह्ह फतच-2 की आवाज़ गूँज रही थी…अब हम दोनो मे से किसी को ठंड नही लग रही थी…कमला भी अपनी चूत को पीछे के तरफ पटकने लगी…

कमला: अहह बाबू जीए और्र जोर्र्र्र से चोदूओ अह्ह्ह्ह मेरी चूत कितना पानी छोड़ रही है…ह आह आह बाबू जीई….

मे कमला के चुतडो को थामे ज़ोर -2 अपने लंड को चूत मे पेल रहा था…पूरा ज़ोर लगने के कारण मेरे मुँह से हा हा हा की आवाज़ आ रही थी…

कमला : अहह बाबू जीए मेरीई चूत पानी छोड़ेंंणणन् वाली है…और ज़ोर से ठोको…और ज़ोर से तुखाई करो…..अहह अहह माइईई रीए चूत्त्त्त गय्ाआ मेरी पाणिीईई

और कमला की कमर झटके खाने लगी…कमला की चूत मे से पानी बह कर बाहर आने लगा…और मेरा लंड पूरी तराहा गीला हो गया..और कुछ झटकों के बाद मेने भी कमला की चूत मे अपना लावा उगलना चालू कर दिया…और मे कमला के ऊपेर लूड़क गया…कमला मेरे वजन के कारण पेट के बल लेट गयी..मे उसके ऊपेर लेटा हुआ तेज़ी से साँसें लेने लगा…और कुछ देर बाद मे उठ कर उसकी बगल मे लेट गया….

मे अभी की बातों को सुन कर एक दम से गरम हो चुकी थी…और अपनी चूत के क्लिट को मसल रही थी…

मे: वा बाबू जी..अपने तो बेचारी कमला की चूत को फाड़ ही दिया…फिर क्या हुआ…फिर आप ने उसको चोदा…

अभी: उस रात तो नही…क्योंकि मे दो बार झड़ने के कारण थक चुका था…और मेने कमला से वादा भी किया था.कि मे उसे दोबारा तंग नही करूँगा…जब अगले दिन हम घर आए तो..उसके बाद से वो मुझसे दूर -2 रहने लगी…मे उसको अकेले मे पकड़ कर उसकी चुचि को दबा देता…तो वो मुझे डाँट देती…और कहने लगती…बाबू जी अपनी हद मे रहो..आपने मुझसे क्या वादा किया था…अगर कही मेरे पति को पता चल गया..कि मे एक जवान लड़के के लंड से अपनी चूत की खुजली मिटा रही हूँ..तो वो मुझे जान से मार देगा…

फिर एक दिन मे अपने घर की छत पर टहल रहा था…कमला छत पर झाड़ू लगा रही थी…हमारे घर के पीछे की जगह खाली थी..उसमे बहुत ही झाड़िया उगी हुई थी…कमला ने झाड़ू लगा कर सारा कूड़ा करकट इकट्ठा किया…और उसे पीछे के खाली प्लॉट मे फेंकेन के लिए छत के पीछले हिस्से की तरफ गयी…कूड़ा करकट फेंकने के बाद वो नीचे देखने लगी…

अचानक मेरे ध्यान कमला पर पड़ा…मे सोच मे पढ़ गया…कि आख़िर कमला नीचे क्या देख रही है…कमला कुछ देर नीचे देखने के बाद मूडी..और उसकी नज़रें मुझ से मिली…और वो एक दम सी झेंप गयी…मे उसके पास जाकर देखने लगा…नीचे एक कुत्ता कुतिया को चोद रहा था…फिर मेने कमला की तरफ देखा...उसने सर को झुका लिया

और तेज़ी से नीचे चली गयी…

क्रमशः.................
 
गतान्क से आगे.....................

मम्मी घर पर थी और पापा ऑफीस गये हुए थे…मे ऊपेर ही टहलता रहा…मुझे पता था…कि कमला थोड़ी देर बाद ऊपेर कपड़े धोने आएगी…छत पर एक छोटा सा स्टोर रूम बना हुआ था…मे स्टोर रूम मे डोर के पास चेर पर बैठ गया…

थोड़ी देर बाद कमला कपड़ो को लेकर ऊपेर आ गयी…और स्टोर की दीवार के पास बैठ कर कपड़े धोने लगी…स्टोर की दीवार के पास नल लगा हुआ था…कमला ने अपनी सारी को उठा कर अपनी कमर मे फाँस लिया..कमला की सारी थोड़ा सा ऊपेर हो गयी…कमला पंजों के बल बैठ कर कपड़े धोने लगी…

कमला ने अपनी सारी के पल्लू को भी कमर मे लप्पेट रखा था…मे कमला के ब्लाउस से बाहर आ रही…मोटी-2 चुचियो को देख रहा था…कमला भी चोर नज़रों से मुझे बीच-2 मे देख रही थी…जैसे ही कमला मेरी तरफ देखती मे अपने लंड को अपने शॉर्ट के ऊपेर से पकड़ कर सहलाते हुए उसे दिखाने लगता….वो शर्मा कर अपनी नज़रों को झुका लेती…वो बड़ी हसरत भरी नज़रों से मेरे लंड की तरफ देख रही थी…

मेने हिम्मत करके अपने शॉर्ट को अपने घुटनो तक नीचे कर दिया…और अपने तने हुए लंड को हाथ मे लेकर मूठ मारते हुए उसकी तरफ देखने लगा…कमला एक दम से मेरी हरकत को देख कर चोंक गयी…और मुझे इशारे से लंड को अंदर करने के लिए कहने लगी..पर मे उसकी बात पर ध्यान दिए बिना अपने लंड को मसले जा रहा था…

कमला उठ कर मेरे पास आ गयी…और मुझे स्टोर रूम मे अंदर आने का इशारा करके अंदर चली गयी…मे वैसे ही खड़ा हुआ..और अपने लंड को हाथ मे थामें बाहर से अंदर चला गया…

कमला: (कमला की नज़र बार -2 मेरे लंड के तरफ जा रही थी) ये क्या पागलपन है बाबू जी…कहीं मालकिन ने देख लिया तो…आप का तो पता नही…वो मुझे धक्के दे कर बाहर निकाल देगी..

मेने कमला की तरफ बढ़ कर उसके हाथ को पकड़ कर अपने खड़े हुए लंड पर रख दिया..और उसके हाथ को अपनी मुति मे भींच लिया…

मे: देख ना कमला…मेरा लंड कैसे तन कर खड़ा है…एक बार अपनी चूत का पानी इसे पिला दे…

कमला: क्या कह रहे हो बाबू जी…मालकिन घर पर है…

मे:तो क्या हुआ….वो नीचे है…

कमला ने अपना हाथ मेरे लंड से हटा लिया…और तेज़ी से स्टोर रूम के डोर पर गयी…

मुझे लगा आज भी मूठ मार कर काम चलाना पड़ेगा…पर ये क्या…कमला ने डोर मे पड़ी उस पुराने जमाने की चेर को उठा कर अंदर लाने लगी…और उसे अंदर लाकर विंडो की साथ दीवार से सटा कर रख दिया…फिर तेज़ी से बाहर जाकर सीडयों से नीचे झाँकने लगी…

और फिर वो थोड़ी देर बाद वापिस आई…और मुझे हाथ मे अपने लंड को हिलाता देख कर उसके होंटो पर मुस्कान आ गयी…

कमला: बाबू जी आप एक दिन मेरी गांद को फादवा कर छोड़ो गे…चलो अब ऐसे खड़े -2 हिलाते रहो गे…बैठो इस कुर्सी पर…

मे उस कुर्सी पर बैठ गया…कमला ने विंडो को थोड़ा सा खोल दिया…ताकि वो बाहर भी नज़र रख सकें…फिर कमला ने अपने दोनो हाथों से अपनी सारी को इकट्ठा करके अपनी कमर तक चढ़ा लिया…मुझे उसकी झांतों से भरी काली फांकों वाली चूत के दर्शन होने लगे…और कमला मुस्कराते हुए…कुर्सी के ऊपेर मेरी टाँगों के दोनो तरफ के खाली जगह पर अपने पैरो के पंजों के बल मूतने वाले स्टाइल मे बैठ गयी..और अपने हाथ मे ढेर सारा थूक उगल कर…उसने मेरे लंड के सुपाडे पर लगा कर अपने हाथ से फैलाने लगी…मे भी कमला के नकल करते हुए…अपने हाथ पर थूक उगल कर उसकी चूत पर मलने लगा….

कमला मेरी और देख कर मुस्कराने लगी…और मेरे लंड को जड़ से पकड़ कर मेरे लंड के सुपाडे को अपनी चूत के छेद पर लगा दिया…और अपनी गांद को आगे की तरफ धक्का दिया…मेरे लंड का सुपाड़ा कमला की चूत मे समा गया…कमला ने अपनी आँखें बंद कर ली..और अपने होंटो को दाँतों मे भींच कर तेज़ी सेअपनी चूत को उछाल-2 कर मेरे लंड पर पटकने लगी…कुछ ही पलों मे मेरे पूरा लंड कमला की चूत मे समा चुका था…मेने अपने हाथों को पीछे लेजा कर कमला की गांद पर रख कर मसलने लगा…कमला तेज़ी से पंजों के बल बैठी हुई…अपनी गांद को ऊपेर नीचे उछाल कर मेरे लंड को अंदर बाहर अपनी चूत मे ले रही थी…

कमला: अहह अहह बाबू जीई आख़िर तुमने फिरररर से मेरी चूत्त्त्त मार हीईए लीयी अहह अहह ओजालदी अपनी चोदो बाबू जीईई आहह कोई आ जाएगा…जल्दी से अपने पानी छोड़ मेरी चूत मे बाबू….क्या कर दिया आप ने मुझे आह

मे कमला के चुतड़ों को अपने हाथों से दोबचते हुए…अपनी कमर को नीचे से ऊपेर के तरफ उछाल कर अपने लंड को तेज़ी से कमला की चूत के अंदर बाहर करने लगा…कमला और मचल उठी….

कमला: उईईइ माआअ धीरीए बाबू जीए धीरीए…आप तूओ बहुत्त कस्स क़ास्स्सस्स के चोद रहे हैंन्न…

मे: कमला मे तुम्हें रोज ऐसे ही चोदुन्गा…बोल ना चुदेगी रोज मुझ सीई आ हा हा बोल रोज अपनी चूत मे मेरा लौदा लेगी ना…

कमला: हां बाबू जीईए रोज्ज्ज चुड़ूँगी…रोज्ज्ज बाबू जीए हररर टिमीई जबब्ब्ब आप चाहूऊऊ

मे कमला की बात सुन कर खुस हो गया…और कमला की गांद को दोनो हाथों से मसलते हुए तेज़ी से उसकी चूत को अपना लंड अंदर बाहर करते हुए ठोकने लगा….चुदाई इतनी ज़बरदस्त थी के हम दोनो 5 ही मिनट मे झाड़ गये…जैसे ही कमला को होश आया..वो मेरे ऊपेर से उठ गयी…और अपनी सारी को ठीक करके बाहर चली गयी…मेने भी अपना शॉर्ट्स ऊपेर किया…और चेर को वहीं डोर की दहलीज मे लाकर बैठ गया…

कमला सीडयों से नीचे झाँक कर आई…और फिर से कपड़े धोने लगी…

कमला: अब तो बाबू जी नीचे चले जाओ…आप को जो चाहिए था आप को मिल गया ना…कहीं मालकिन ऊपेर आ गयी…तो उन्हे शक हो जाएगा…अब आप जाओ…मुझे पेशाब भी करना है….

मे: चला जाता हूँ…मेरे रानी पहले एक बार मुझे ये तो दिखाओ…औरतें मूतति कैसे हैं…

कमला: अब इसमे क्या देखने की बात है (शरमाते हुए)

मे: नही मुझे देखना है…फिर मे नीचे चला जाउन्गा…

कमला ने वैसे ही बैठे-2 चारो तरफ देखा…और अपनी सारी को आगे से उठा दिया…उसकी झांतों से भरी काली फांकों वाली चूत की फाँकें फड़फदा रही थी…उसमें से मेरा वीर्ये और उसकी चूत का पानी बाहर आ रहा था…उसकी चूत की फाँकें थोड़ा सा फेल गयी…और फिर उसके क्लिट के नीचे एक मूत की मोटी धार निकल पड़ी…

मे आँखें फाडे कमला को मूतते हुए देख रहा था…कमला ने शर्मा कर अपने फेस को अपनी सारी मे छुपा लिया था…फिर मूत की धार हल्की पड़ गयी…और उसकी चूत मे छोटी -2 मूत की पिचकारिया छूटने लगी…फिर उसकी चूत की फाँकें आपस मे सॅट गयी…

कमला: (शरमाते हुए) अब तो जाओ बाबू जी…

मे मुस्कुराता हुआ उठा..और नीचे आ गया…मा खाना बना चुकी थी…और मे खाना खाने लगा…

मे (रचना): तो फिर बाबू जी…आप के तो मज़े हो गये होंगे…रोज-2 कमला को चोदते होंगे..

अभी: रोज तो नही पर जब भी मोका मिलता था…

मे: फिर बाबू जी…कमला के बाद भी किसी और ख़ुसनसीब को आपका लंड मिला..

अभी: हां क्यों नही

मे: फिर बताओ ना बाबू जी…

अभी: अब मेरी कहानी सुन-2 कर अपनी चूत मे उंगली ले रही है साली…मेरे लंड का क्या…चल जल्दी से चूस कर इसे खड़ा कर..फिर तेरी चूत की ठुकाई करता हूँ…

मे: बाबू जी…मुझे बहुत तेज पेशाब लगी है…मे अभी आती हूँ...

मे जैसे ही उठ कर बाथरूम मे आई…तो अभी भी मेरे पीछे आ गया…और मुझे पीछे से पकड़ कर कमोद के ऊपेर झुका दिया…मेने अपने आप को गिरने से बचाने के लिए अपनी टाँगों को फैला लिया…जिससे से कमोद ठीक मेरी चूत के नीचे आ गया…

मे: अहह क्या कर रहे हो बाबू जी…मे अभी गिरने वाली थी…

अभी ने मुझे आगे से झुका दिया…मेने अपने हाथों को दीवार से सटा दिया…और अभी ने पीछे से थोड़ा झुक कर अपने लंड के सुपाडे को मेरी चूत के छेद पर लगा कर एक तेज धक्का मारा…अभी का लंड एक ही बार मे आधा मेरी चूत मे घुस्स कर फँस गया…मे अहह कर उठी…फिर अभी ने मेरे चुतड़ों को पकड़ कर फैला दिया…और तेज़ी से अपने गधे जैसे लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करके चोदने लगा…

अभी की रास लीला को सुन कर मेरी चूत पहले से ही पानी छोड़ रही थी…लंड फतच-2 की आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा…मे आह आह ओह ओह्ह्ह्ह बाबू जीई नहिी कर रही थी…पर अभी मेरे चुतड़ों को अपने हाथों से मसलता हुआ अपने लंड को धना-2 धन मेरी चूत की गहराईयो मे पेल रहा था…

मे: अहह बाबू जीए नहियीईई मुझे बहुत तेजज़्ज़्ज पेशाब्ब्ब आ रहा हाईईइ

अभी: तो साली मूत ना किसे ने रोका है…….

मे: नही बाबू जीई ऐसे नही निकलेगा….

अभी: कर साली नखेरें क्यों कर रही है….

मे: नही बाबू जी ऐसे नहिी आ रहा आहह ओह्ह्ह्ह उईमाआ धीरीई देहएर्र्ररर बबुऊउ

जीईए मेन्णन्न् मरररर गाईए ओह्ह्ह्ह

अभी: चल साली निकाल अपना मूत…मे भी तो देखूं तेरी चूत मे से कैसे मूत निकलता हाईईईईई

अभी ने अपने लंड को मेरी चूत से निकाल लिया…और मुझे सीधा कर दिया…और मुझे पंजों के बल कमोद पर बैठा दिया…मे तेज़ी से साँसे ले रही थी…मुझे तो साँस लेने मे भी दिक्कत हो रही थी…

अभी: चल अपनी जाँघो को चोडा कर…

मेने अपने तरफ दोनो दीवारों को हाथ से थाम कर संभलते हुए अपनी जाँघो को फैला दिया…मे अभी के मोटे लंड की गुलाम बन चुकी थी…इसलिए एक बाजारू रंडी के तराहा अपना भोसड़ा उसके सामने खोल कर ऐसी हालत मे बैठी थी…

अभी ने अपने घुटनो को मोड़ कर झुकना शुरू कर दिया…जब उसका गधे जैसा मोटा लंड मेरी चूत के बराबर आ गया…तो उसने अपने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर दूसेरे हाथ से मेरी चूत की फांकों को फैला कर अपने लंड के सुपाडे को मेरी चूत की फांकों के बीच मे रगड़ने लगा…

मे उसी हालत मे बैठी…मचल रही थी….एक तो बहुत तेज पेशाब आ रहा था..और दूसरा अभी अपने लंड के टोपे से मेरी चूत को रगड़ रहा था…

अभी: क्या हुआ मूत ना…

मे: बाबू जी ऐसे नहिी निकलेगा अहह क्या कर रहे हो….

अभी: निकलेगा जाने मन…मे निकालूँगा….

और अभी ने अपने लंड के सुपाडे को मेरी चूत मे पेल दिया…और लंड के सुपाडे को ही मेरी चूत मे धीरे-2 अंदर बाहर करने लगा…

अभी: चल कर ना

मेने अपना पूरा ज़ोर लगा दिया…पर अभी के लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के अंदर होने कारण मे मूत नही पा रही थी..

मे: (कांपति हुई आवाज़ मे) नही हो रहा बाबू जीई अह्ह्ह्ह

अभी ने तेज़ी से अपने लंड को मेरी छूट के अंदर बाहर करना चालू कर दिया…अब अभी अपना पूरा लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर कर रहा था…मे अभी से रुकने के लिए कहने लगी…पर अभी मेरी बात को सुने बिना तेज़ी से अपने लंड को मेरी चूत की गहराईयो तक ले जाकर चोदे जा रहा था…अब मेरी बर्दास्त से बाहर हो चुका था …और मेरी चूत से पानी निकल गया और उसके बाद पेशाब की धार छूट पड़ी…और अभी के पेट पर गिरने लगी…अभी ने जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत से निकाल लिया…और पीछे हो गया… 

अभी: (हन्फते हुए) जल्दी -2 अपनी चूत की फांकों को फैला….

मेने अपना हाथ नीचे करके अपनी चूत की फांकों को फैला दिया…और मेरी चूत से मूत के द्वार सू सू की आवाज़ करते हुए निकल पड़ी…जो अभी के पैरो के ठीक आगे गिर रही थी…अभी अपने लंड को अपने हाथ से तेज़ी से हिला रहा था…मे एक बार झाड़ चुकी थी…जैसे ही मेरा मूतना बंद हुआ अभी ने फिर से अपने घुटनो को मोड़ कर अपने लंड को मेरी चूत के बराबर ला दिया…मे अपने हाथों को अपनी चूत से हटाने लगी..

अभी: नही साली फैला कर रख…

मे अभी के सामने अपनी चूत को दोनो हाथों से फैला कर बैठी थी…तभी अभी का बदन अकड़ने लगा…और अभी के लंड के सुपाडे मे से वीर्ये की गरम पिचकारी चूत कर मेरी खुली चूत के छेद पर पड़ने लगी…एक बाद एक अभी के लंड से 3-4 बार वीर्ये के बोछर हुई..और मेरी चूत अभी के गाढ़े गरम वीर्ये से लबालब भर गयी…अभी का वीर्ये मेरी चूत के चारों और फैला हुआ था…

अभी जब शांत हुआ..तो वो सीधा खड़ा होकर मेरी तरफ देखने लगा…मे शरम के मारे मरी जा रही थी…मे सच मे उसकी रंडी बन चुकी थी…

क्रमशः.................
 
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