hotaks444
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अंत में सब ठीक होने पर दोनों लड़कियाँ उसके साथ रहने लगती हैं और लड़का आखिर में कहता है- ‘एक साथ दो को झेलने से भला तो मैं पागल ही रहता।’
मैं- चेतन जी इस कहानी को आपने लिखा है क्या?
चेतन जी- हाँ।
मैं उठा और उनके गले लग गया।
‘मैं जैसी कहानी चाहता था.. बिल्कुल वैसी ही कहानी है यह..’ मैंने कहा।
चेतन जी- तो कहानी फाइनल न?
मैं- बिल्कुल फाइनल। अब चलिए मुझे भूख लगी है। सुबह से कुछ खाया नहीं है, मैं सीधा यहीं आ गया।
फिर मैं और चेतन जी पास के ही एक रेस्तरां में आ गए। छोटे शहरों में तो ऐसी जगहें देखने को भी नहीं मिलती हैं। चेतन जी शायद वहाँ अक्सर आते जाते रहते थे। वहाँ के मैंनेजर हमें चेतन जी की पसंदीदा टेबल तक ले गए। फिर हमने लंच आर्डर किया और आपस में बातें करने लग गए।
चेतन जी- कैसे महसूस हो रहा है?
मैं- किस बात के लिए?
चेतन जी- तुमने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष के बाद जो मुकाम हासिल किया है.. उस बात के लिए कैसा फील कर रहे हो?
मैं- संघर्ष वो करते हैं.. जिनकी कोई मंजिल होती है। मैं तो बिना किसी मंजिल के ही अपने कदम आगे बढ़ाए जा रहा था।
चेतन जी- मैं कुछ समझा नहीं।
मैं- मैं वहाँ किस लिए आया था, आपको पता है?
चेतन जी- ऑडिशन के लिए।
मैं- जी नहीं.. मैं अपनी एक दोस्त की फाइल आप तक पहुँचाने आया था। गेट कीपर ने कहा कि अन्दर आने के लिए ऑडिशन देना होगा.. सो मैंने दे दिया। अब यह तो मेरी किस्मत थी कि बाकी किसी को एक्टिंग आती ही नहीं थी।
चेतन जी- किसी भी काम का हुनर दो वजहों से किसी के अन्दर होता है। पहला.. या तो उसने जी जान से उस हुनर को सीखा हो या तो उसमें कुदरती भगवान् की देन हो और जहाँ तक तुम्हारी बात है.. तुमसे बेहतर एक्टर सच में.. पूरी मुंबई में नहीं होगा। वैसे किसकी फाइल लेकर आए थे तुम?
मैं- कोमल जो कोलकाता की रहने वाली है। उनकी एक डॉक्यूमेंट्री देख कर आपने कॉल किया था।
चेतन जी- हाँ हाँ याद आया.. परसों रात को उनसे मेल पर बात हुई थी। आप जैसे जानते हो उसे?
मैं- मैं अभी उन्हीं के साथ रह रहा हूँ।
चेतन जी- लिव इन रिलेशन में!
मैं- नहीं सर.. हम दोनों अलग-अलग कमरे में रहते हैं।
अब खाना आ चुका था।
चेतन जी ने खाना शुरू करते हुए कहा- मैं सच में कोमल के काम से बहुत इम्प्रेस हूँ.. और उसने तो काफी सारे अवार्ड्स भी जीते हैं।
यह बात मुझे नहीं पता थी।
मैं- इस फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर की जगह वो नहीं आ सकती है क्या?
चेतन जी- मैं बात करूँगा। उसकी जैसी काबिलियत है.. मुझे नहीं लगता कि उसे इस पोजीशन पर आने में ज्यादा दिक्कत होगी।
मैं- ठीक है.. सर आप देख लेना। अगर आप कल की मीटिंग करवा दें तो बढ़िया होगा।
चेतन जी- मैं कॉल करके देखता हूँ।
फिर उन्होंने फोन पर किसी से बात की और मीटिंग होना कन्फर्म कर लिया।
मैं- थैंक यू सर।
चेतन जी- अरे थैंक यू मत कहो। अब आप यशराज बैनर के स्टार हो। इतना तो हम कर ही सकते हैं। यहाँ आज हम आपकी ज़रूरत को समझेंगे.. तभी तो कल आप हमारे लिए वक़्त निकाल सकेंगे।
मैं उनकी बातों का मतलब समझ चुका था।
खाना ख़त्म हुआ और फिर हम वापिस स्टूडियो पहुँच गए।
चेतन जी- अरे हाँ.. याद आया आज हमारे पिछली फिल्म की सक्सेस पार्टी है। मैं तुम्हें पता भेज दूँगा.. आज आ जाना। वहाँ तुम्हें फिल्म के बाकी स्टार्स से भी मिलवा दूँगा।
मैं- ठीक है सर.. वैसे मैं अपने दोस्तों को साथ ला सकता हूँ न?
चेतन जी- क्यों नहीं.. वैसे कितने पास बनवा दूँ?
मैं- जी.. मेरे अलावा तीन पास बनवा दीजिएगा..
चेतन जी- ठीक है।
मैं वहाँ से निकला और अपने फ्लैट पर आ गया। लगभग दोपहर के तीन बजे थे और घर में सब लंच में व्यस्त थीं।
पायल- आ गए एक्टर बाबू।
मैं- हाँ जी.. वैसे मेरे पास आप सबके लिए एक खुशखबरी है।
मेरा कहना था कि सब लंच छोड़ कर मुझे घेर कर बैठ गईं।
मैं- यार आप सब ऐसे मत देखो मुझे.. मुझे घबराहट होने लगती है।
ललिता- मेरे हुजूर.. अब इसकी आदत डाल लो। अब से हर रोज़ सब तुम्हें ऐसे ही देखेंगे।
मैं- ठीक है देखो फिर।
मैंने कोमल की ओर देखते हुए कहा- कोमल तुम अपनी तैयारी पूरी कर लो। तुम्हारी कल यशराज फिल्म्स में मीटिंग है। हो सकता है तुम्हें मेरी फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर बनाया जाए।
मैं- चेतन जी इस कहानी को आपने लिखा है क्या?
चेतन जी- हाँ।
मैं उठा और उनके गले लग गया।
‘मैं जैसी कहानी चाहता था.. बिल्कुल वैसी ही कहानी है यह..’ मैंने कहा।
चेतन जी- तो कहानी फाइनल न?
मैं- बिल्कुल फाइनल। अब चलिए मुझे भूख लगी है। सुबह से कुछ खाया नहीं है, मैं सीधा यहीं आ गया।
फिर मैं और चेतन जी पास के ही एक रेस्तरां में आ गए। छोटे शहरों में तो ऐसी जगहें देखने को भी नहीं मिलती हैं। चेतन जी शायद वहाँ अक्सर आते जाते रहते थे। वहाँ के मैंनेजर हमें चेतन जी की पसंदीदा टेबल तक ले गए। फिर हमने लंच आर्डर किया और आपस में बातें करने लग गए।
चेतन जी- कैसे महसूस हो रहा है?
मैं- किस बात के लिए?
चेतन जी- तुमने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष के बाद जो मुकाम हासिल किया है.. उस बात के लिए कैसा फील कर रहे हो?
मैं- संघर्ष वो करते हैं.. जिनकी कोई मंजिल होती है। मैं तो बिना किसी मंजिल के ही अपने कदम आगे बढ़ाए जा रहा था।
चेतन जी- मैं कुछ समझा नहीं।
मैं- मैं वहाँ किस लिए आया था, आपको पता है?
चेतन जी- ऑडिशन के लिए।
मैं- जी नहीं.. मैं अपनी एक दोस्त की फाइल आप तक पहुँचाने आया था। गेट कीपर ने कहा कि अन्दर आने के लिए ऑडिशन देना होगा.. सो मैंने दे दिया। अब यह तो मेरी किस्मत थी कि बाकी किसी को एक्टिंग आती ही नहीं थी।
चेतन जी- किसी भी काम का हुनर दो वजहों से किसी के अन्दर होता है। पहला.. या तो उसने जी जान से उस हुनर को सीखा हो या तो उसमें कुदरती भगवान् की देन हो और जहाँ तक तुम्हारी बात है.. तुमसे बेहतर एक्टर सच में.. पूरी मुंबई में नहीं होगा। वैसे किसकी फाइल लेकर आए थे तुम?
मैं- कोमल जो कोलकाता की रहने वाली है। उनकी एक डॉक्यूमेंट्री देख कर आपने कॉल किया था।
चेतन जी- हाँ हाँ याद आया.. परसों रात को उनसे मेल पर बात हुई थी। आप जैसे जानते हो उसे?
मैं- मैं अभी उन्हीं के साथ रह रहा हूँ।
चेतन जी- लिव इन रिलेशन में!
मैं- नहीं सर.. हम दोनों अलग-अलग कमरे में रहते हैं।
अब खाना आ चुका था।
चेतन जी ने खाना शुरू करते हुए कहा- मैं सच में कोमल के काम से बहुत इम्प्रेस हूँ.. और उसने तो काफी सारे अवार्ड्स भी जीते हैं।
यह बात मुझे नहीं पता थी।
मैं- इस फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर की जगह वो नहीं आ सकती है क्या?
चेतन जी- मैं बात करूँगा। उसकी जैसी काबिलियत है.. मुझे नहीं लगता कि उसे इस पोजीशन पर आने में ज्यादा दिक्कत होगी।
मैं- ठीक है.. सर आप देख लेना। अगर आप कल की मीटिंग करवा दें तो बढ़िया होगा।
चेतन जी- मैं कॉल करके देखता हूँ।
फिर उन्होंने फोन पर किसी से बात की और मीटिंग होना कन्फर्म कर लिया।
मैं- थैंक यू सर।
चेतन जी- अरे थैंक यू मत कहो। अब आप यशराज बैनर के स्टार हो। इतना तो हम कर ही सकते हैं। यहाँ आज हम आपकी ज़रूरत को समझेंगे.. तभी तो कल आप हमारे लिए वक़्त निकाल सकेंगे।
मैं उनकी बातों का मतलब समझ चुका था।
खाना ख़त्म हुआ और फिर हम वापिस स्टूडियो पहुँच गए।
चेतन जी- अरे हाँ.. याद आया आज हमारे पिछली फिल्म की सक्सेस पार्टी है। मैं तुम्हें पता भेज दूँगा.. आज आ जाना। वहाँ तुम्हें फिल्म के बाकी स्टार्स से भी मिलवा दूँगा।
मैं- ठीक है सर.. वैसे मैं अपने दोस्तों को साथ ला सकता हूँ न?
चेतन जी- क्यों नहीं.. वैसे कितने पास बनवा दूँ?
मैं- जी.. मेरे अलावा तीन पास बनवा दीजिएगा..
चेतन जी- ठीक है।
मैं वहाँ से निकला और अपने फ्लैट पर आ गया। लगभग दोपहर के तीन बजे थे और घर में सब लंच में व्यस्त थीं।
पायल- आ गए एक्टर बाबू।
मैं- हाँ जी.. वैसे मेरे पास आप सबके लिए एक खुशखबरी है।
मेरा कहना था कि सब लंच छोड़ कर मुझे घेर कर बैठ गईं।
मैं- यार आप सब ऐसे मत देखो मुझे.. मुझे घबराहट होने लगती है।
ललिता- मेरे हुजूर.. अब इसकी आदत डाल लो। अब से हर रोज़ सब तुम्हें ऐसे ही देखेंगे।
मैं- ठीक है देखो फिर।
मैंने कोमल की ओर देखते हुए कहा- कोमल तुम अपनी तैयारी पूरी कर लो। तुम्हारी कल यशराज फिल्म्स में मीटिंग है। हो सकता है तुम्हें मेरी फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर बनाया जाए।