desiaks
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अगले दिन, जैसा मैंने सोचा था, उन सभी लड़कियों ने आकर मेरा लंड एक-एक करके चूसा और मेरा वीर्य भी पिया, इसके लिए हमने अलग से दो - दो हजार रूपए चार्ज किये, फिर मैंने उनकी चूत भी चाटी, और हर रोज़ की तरह रात को ऋतू की चूत भी मारी.
अगले एक महीने तक हमने तरह तरह से, कभी मेरे दोस्तों ने ऋतू की चूत चाटकर और कभी मैंने ऋतू की सहेलियों की चूत चाटकर और अपना लंड चुस्वाकर लगभग अस्सी हज़ार रूपए जमा कर लिए...
*****
अब छुट्टियों पर जाने का टाइम आ गया था, हमारे पास काफी पैसे जमा हो चुके थे, इसलिए अब हम एन्जॉय करना चाहते थे, और जल्दी ही वो दिन भी आ गया जब हम सब एक साथ अपनी कार में बैठे और जंगल कैंप की तरफ निकल पड़े.
हम सब कार में बैठ कर केम्प की तरफ चल दिए , हम सब बड़े अक्साईटेड थे, वहां तक का सफ़र ६ घंटे का था, काफी भीड़ थी वहां, पहाड़ी इलाका था, सभी कारें लाइन में अन्दर जा रही थी, पापा ने गेट से अपने केबिन की चाबी ली और हम आगे चल पड़े, पापा ने बताया की उनके अजय की फॅमिली भी उनके साथ उसी केबिन में रहेगी , वो हमेशा उनके साथ 2 बेडरूम वाले केबिन में ही रहते थे, इस बार हमारी वजह से पापा ने 3 बेडरूम वाला केबिन लिया था, हम अन्दर पहुंचे तो मैं वहां का मैनेजमेंट देख कर हैरान रह गया, एक छोटी पहाड़ी पर बने इस जंगल केम्प में तक़रीबन 90 -100 केबिन बने हुए थे, काफी साफ़ सफाई थी, हर केबिन एक दुसरे से काफी दूर था, इनमे 1 ,2 ,3 बेडरूम वाले कमरे थे, बीच में एक काफी बड़ा stage था, जिसमे शायद मनोरंजन के प्रोग्राम और बोन्फायर आदि होते थे, पहाड़ी इलाके की वजह से काफी ठंड थी, हम अपने काबिन पहुंचे, वहां पहले से ही अजय चाचा की फॅमिली बैठी थी, चाचा की उम्र तक़रीबन ४० के आसपास थी, कान के ऊपर के बाल हलके सफ़ेद थे, गठीला शरीर और घनी मूंछे, उनकी wife आरती की उम्र तकरीबन 36 -37 के आसपास थी, वो काफी भरे हुए शरीर की औरत थी, काफी लम्बी, अपने पति की तरह, इसलिए मोटी नहीं लग रही थी, साथ ही हमारी चचेरी बहन 18 साल की नेहा भी थी, वो शरीर से तो काफी जवान दिख रही थी पर जब बातें करी तो पाया की उसमे अभी तक काफी बचपना है.!
हम सबने एक दुसरे को विश किया और अन्दर आ गए, पापा ने पहला रूम लिया दूसरा अजय अंकल ने..पापा ने मुझे और ऋतू से कहा की तीसरा रूम हमें एक साथ शेयर करना पड़ेगा क्योंकि वहां इससे बड़ा कोई केबिन नहीं था, मैंने मासूमियत से कहा.."नो प्रॉब्लम डैड, हम मैनेज कर लेंगे " और ऋतू की तरफ देख कर आँख मार दी.
हम सबने अपने सूटकेस खोले और कपडे चेंज करके बाहर आ गए, शाम हो चुकी थी , बड़े स्टेज के चारों तरफ खाने का इंतजाम किया गया था, हर तरह का खाना था, हमारा ग्रुप आया हमने पेट भरकर खाना खाया और मैं ऋतू को लेकर टहलने के लिए निकल गया, मम्मी पापा, और अजय अंकल की फॅमिली वहीँ अपने दुसरे दोस्तों से बातें करने में व्यस्त थे.
हमने पूरा इलाका अच्छी तरह से देखा, ठंड बड़ रही थी, इसलिए हम वापिस केबिन की तरफ चल दिए, आये तो पाया की वो सब भी अन्दर आ चुके हैं, और ड्राइंग रूम में बैठे बीयर पी रहे हैं.
मैंने पहली बार मम्मी को भी पीते हुए देखा, पर उन्होंने ऐसा शो किया की ये सब नोर्मल है. हम सभी वहीँ थोड़ी देर तक बैठे रहे और बातें करते रहे,पापा ने हमें बताया की नेहा भी हमारे रूम में रहेगी, दोनों लडकियां एक बेड पर और मैं एक्स्ट्रा बेड पर सो जाऊंगा, हमने कोई रिएक्शन नहीं दिया, नेहा पहले ही जाकर हमारे रूम में सो चुकी थी, फिर तक़रीबन एक घंटे बाद सबको नींद आने लगी और सभी एक दुसरे को गुड नाईट करके अपने-२ रूम में चले गए, रास्ते में मैंने ऋतू से नेहा के बारे में विचार जानने चाहे तो उसने कहा..."बच्ची है...देख लेंगे." और हंसने लगी.
अपने रूम में जाकर मैंने ऋतू से कहा "मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा की इन्होने हमें एक ही रूम में सोने के लिए कहा है , इससे बेहतर तो कुछ हो ही नहीं सकता था"
ऋतू : "हाँ...सच कह रहे हो, हम अब एक दुसरे के साथ पूरी रात ऐश कर सकते हैं"
मैं : "पर इसका क्या करें ?" मैंने नेहा की तरफ इशारा करके कहा.
"देख लेंगे इसको भी...पर पहले तो तुम मेरी प्यास बुझाओ..." और वो उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी टांगे मेरी कमर के चारो तरफ लिपटा ली और मेरे होंठो पर अपने सुलगते हुए होंठ रख दिए...मैंने अपना सर पीछे की तरफ झुका दिया और उसके गद्देदार चूतडों पर अपने हाथ रखकर उसे उठा लिया, ऋतू की गरम जीभ मेरे मुंह के अन्दर घुस गयी और मुझे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी, मैंने उसके नीचे के होंठ अपने दांतों के बीच फ़सा लिए और उन्हें चूसने और काटने लगा,...आज हम काफी उत्तेजित थे, मैंने एक नजर नेहा की तरफ देखा , वो बेखबर सो रही थी, मैंने दरवाजा पहले ही बंद कर दिया था, मैं ऋतू को किस करता हुआ बेड की तरफ गया और पीठ के बल लेट गया, नेहा एक कोने में उसी बेड पर सो रही थी, हमारे पास काफी जगह थी, मैंने अपने हाथ बढाकर ऋतू के मुम्मो पर रख दिए..वो कराह उठी.
आआआआआअह ......mmmmmmm .......दबऊऊऊऊऊऊओ इन्हीईईईई ........aaaaaaaaaahhhhh
मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी, उसके ब्रा में कैद चुचे मेरी आँखों के सामने झूल गए, मैंने उन्हें ब्रा के ऊपर से ही दबाया, काली ब्रा में गोरी चूचियां गजब लग रही थी, मैंने गौर से देखा तो उसके निप्पलस ब्रा में से भी उभर कर दिखाई दे रहे थे, मैंने अपने दांत वहीँ पर गड़ा दिए और उसका मोती जैसा निप्पल मेरे मुंह में आ गया, ऋतू ने हाथ पीछे लेजाकर अपनी ब्रा भी खोल दी, वो ढलक कर झूल गयी, मैंने अपना मुंह फिर भी नहीं हटाया, अब उसकी झूलती हुई ब्रा और निप्पल पर मैं मुंह लगाए बैठा था, ऋतू की आँखें उन्माद के मारे बंद हो चुकी थी उसने मेरा मुंह अपनी छाती पर दबा डाला...मेरे मुंह में आने की वजह से उसकी ब्रा भी गीली हो चुकी थी.
अगले एक महीने तक हमने तरह तरह से, कभी मेरे दोस्तों ने ऋतू की चूत चाटकर और कभी मैंने ऋतू की सहेलियों की चूत चाटकर और अपना लंड चुस्वाकर लगभग अस्सी हज़ार रूपए जमा कर लिए...
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अब छुट्टियों पर जाने का टाइम आ गया था, हमारे पास काफी पैसे जमा हो चुके थे, इसलिए अब हम एन्जॉय करना चाहते थे, और जल्दी ही वो दिन भी आ गया जब हम सब एक साथ अपनी कार में बैठे और जंगल कैंप की तरफ निकल पड़े.
हम सब कार में बैठ कर केम्प की तरफ चल दिए , हम सब बड़े अक्साईटेड थे, वहां तक का सफ़र ६ घंटे का था, काफी भीड़ थी वहां, पहाड़ी इलाका था, सभी कारें लाइन में अन्दर जा रही थी, पापा ने गेट से अपने केबिन की चाबी ली और हम आगे चल पड़े, पापा ने बताया की उनके अजय की फॅमिली भी उनके साथ उसी केबिन में रहेगी , वो हमेशा उनके साथ 2 बेडरूम वाले केबिन में ही रहते थे, इस बार हमारी वजह से पापा ने 3 बेडरूम वाला केबिन लिया था, हम अन्दर पहुंचे तो मैं वहां का मैनेजमेंट देख कर हैरान रह गया, एक छोटी पहाड़ी पर बने इस जंगल केम्प में तक़रीबन 90 -100 केबिन बने हुए थे, काफी साफ़ सफाई थी, हर केबिन एक दुसरे से काफी दूर था, इनमे 1 ,2 ,3 बेडरूम वाले कमरे थे, बीच में एक काफी बड़ा stage था, जिसमे शायद मनोरंजन के प्रोग्राम और बोन्फायर आदि होते थे, पहाड़ी इलाके की वजह से काफी ठंड थी, हम अपने काबिन पहुंचे, वहां पहले से ही अजय चाचा की फॅमिली बैठी थी, चाचा की उम्र तक़रीबन ४० के आसपास थी, कान के ऊपर के बाल हलके सफ़ेद थे, गठीला शरीर और घनी मूंछे, उनकी wife आरती की उम्र तकरीबन 36 -37 के आसपास थी, वो काफी भरे हुए शरीर की औरत थी, काफी लम्बी, अपने पति की तरह, इसलिए मोटी नहीं लग रही थी, साथ ही हमारी चचेरी बहन 18 साल की नेहा भी थी, वो शरीर से तो काफी जवान दिख रही थी पर जब बातें करी तो पाया की उसमे अभी तक काफी बचपना है.!
हम सबने एक दुसरे को विश किया और अन्दर आ गए, पापा ने पहला रूम लिया दूसरा अजय अंकल ने..पापा ने मुझे और ऋतू से कहा की तीसरा रूम हमें एक साथ शेयर करना पड़ेगा क्योंकि वहां इससे बड़ा कोई केबिन नहीं था, मैंने मासूमियत से कहा.."नो प्रॉब्लम डैड, हम मैनेज कर लेंगे " और ऋतू की तरफ देख कर आँख मार दी.
हम सबने अपने सूटकेस खोले और कपडे चेंज करके बाहर आ गए, शाम हो चुकी थी , बड़े स्टेज के चारों तरफ खाने का इंतजाम किया गया था, हर तरह का खाना था, हमारा ग्रुप आया हमने पेट भरकर खाना खाया और मैं ऋतू को लेकर टहलने के लिए निकल गया, मम्मी पापा, और अजय अंकल की फॅमिली वहीँ अपने दुसरे दोस्तों से बातें करने में व्यस्त थे.
हमने पूरा इलाका अच्छी तरह से देखा, ठंड बड़ रही थी, इसलिए हम वापिस केबिन की तरफ चल दिए, आये तो पाया की वो सब भी अन्दर आ चुके हैं, और ड्राइंग रूम में बैठे बीयर पी रहे हैं.
मैंने पहली बार मम्मी को भी पीते हुए देखा, पर उन्होंने ऐसा शो किया की ये सब नोर्मल है. हम सभी वहीँ थोड़ी देर तक बैठे रहे और बातें करते रहे,पापा ने हमें बताया की नेहा भी हमारे रूम में रहेगी, दोनों लडकियां एक बेड पर और मैं एक्स्ट्रा बेड पर सो जाऊंगा, हमने कोई रिएक्शन नहीं दिया, नेहा पहले ही जाकर हमारे रूम में सो चुकी थी, फिर तक़रीबन एक घंटे बाद सबको नींद आने लगी और सभी एक दुसरे को गुड नाईट करके अपने-२ रूम में चले गए, रास्ते में मैंने ऋतू से नेहा के बारे में विचार जानने चाहे तो उसने कहा..."बच्ची है...देख लेंगे." और हंसने लगी.
अपने रूम में जाकर मैंने ऋतू से कहा "मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा की इन्होने हमें एक ही रूम में सोने के लिए कहा है , इससे बेहतर तो कुछ हो ही नहीं सकता था"
ऋतू : "हाँ...सच कह रहे हो, हम अब एक दुसरे के साथ पूरी रात ऐश कर सकते हैं"
मैं : "पर इसका क्या करें ?" मैंने नेहा की तरफ इशारा करके कहा.
"देख लेंगे इसको भी...पर पहले तो तुम मेरी प्यास बुझाओ..." और वो उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी टांगे मेरी कमर के चारो तरफ लिपटा ली और मेरे होंठो पर अपने सुलगते हुए होंठ रख दिए...मैंने अपना सर पीछे की तरफ झुका दिया और उसके गद्देदार चूतडों पर अपने हाथ रखकर उसे उठा लिया, ऋतू की गरम जीभ मेरे मुंह के अन्दर घुस गयी और मुझे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी, मैंने उसके नीचे के होंठ अपने दांतों के बीच फ़सा लिए और उन्हें चूसने और काटने लगा,...आज हम काफी उत्तेजित थे, मैंने एक नजर नेहा की तरफ देखा , वो बेखबर सो रही थी, मैंने दरवाजा पहले ही बंद कर दिया था, मैं ऋतू को किस करता हुआ बेड की तरफ गया और पीठ के बल लेट गया, नेहा एक कोने में उसी बेड पर सो रही थी, हमारे पास काफी जगह थी, मैंने अपने हाथ बढाकर ऋतू के मुम्मो पर रख दिए..वो कराह उठी.
आआआआआअह ......mmmmmmm .......दबऊऊऊऊऊऊओ इन्हीईईईई ........aaaaaaaaaahhhhh
मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी, उसके ब्रा में कैद चुचे मेरी आँखों के सामने झूल गए, मैंने उन्हें ब्रा के ऊपर से ही दबाया, काली ब्रा में गोरी चूचियां गजब लग रही थी, मैंने गौर से देखा तो उसके निप्पलस ब्रा में से भी उभर कर दिखाई दे रहे थे, मैंने अपने दांत वहीँ पर गड़ा दिए और उसका मोती जैसा निप्पल मेरे मुंह में आ गया, ऋतू ने हाथ पीछे लेजाकर अपनी ब्रा भी खोल दी, वो ढलक कर झूल गयी, मैंने अपना मुंह फिर भी नहीं हटाया, अब उसकी झूलती हुई ब्रा और निप्पल पर मैं मुंह लगाए बैठा था, ऋतू की आँखें उन्माद के मारे बंद हो चुकी थी उसने मेरा मुंह अपनी छाती पर दबा डाला...मेरे मुंह में आने की वजह से उसकी ब्रा भी गीली हो चुकी थी.