hotaks444
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स्वामी जी का कमाल
सुभद्रा ( सुबू ) एक 25 साल की बहुत ही सुंदर गड्राई (साइट्ली फाटटीश
)शरीर की औरत है****का पति रामजी देल्ही में होल्सेल का काम करता है.सुबू
पढ़ी लिखी औरत है . लेकिन उसकी आँखों में एक उदासी सी भरी रहती है. एक
ऐसी उदासी जो अधूरी काम वासना की निशानी है. लगता है रामजी उसकी प्यास
नही बुझा पाता.घर में सुबू की छोटी बेहन भी रहती है . उसका रिश्ता रामजी
के छोटे भाई ( मनोज )से पक्का हो चुका है. रश्मि ( सुबू की छोटी बेहन )
कॉलेज में पढ़ती है.सुबू की देवरानी (रीता)भी इसी घर में रहती है मगर आज
कल ग्वालियर में हॉस्टिल में रह कर पढ़ रही है. रामजी के मा बाप गाँव में
रहते हैं.ये तो है परिवार का इंट्रोडक्षन. सुबू की उदासी का कोई अंत नज़र
नहीं आता . चुदाई का मन करता है मगर क्या करे. दिल तो उसका चाहता है की
कहीं से कोई मर्द आए और उसकी प्यास बुझा दे. लगता है सुबू की प्रार्थना
पूरी होने को है. उसकी चूत की प्यास बुझने वाली है. एक दिन एक स्वामी जी-
लगभग 35 साल के गेरूए कपड़े पहने, छोटे छोटे बॉल और छोटी दाढ़ी , गोरा
देहकता रंग, 6 फुट का हॅटा कॅटा जिस्म- सुबू के घर आए, और भिक्षा माँगने
लगे. सुबू बाहर आई और स्वामी जी को प्रणाम कर के जैसे ही नज़र उपर उठाई,
की हैरान रह गयी. स्वामी जी की पर्सनॅलिटी नें उसे मस्त कर दिया. बरबस ही
सोचने लगी – इतना सुंदर शरीर !! ना जाने लंड कैसा होगा. मन ही मन में
उनके लंड की कल्पना करने लगी. उसे अपनी चूत स्वामी जी के लंड से भरी हुई
लगी. बरबस ही उसकी नज़र स्वामी जी के लंड की तरफ उठ गयी. स्वामी जी भाँप
गये की सुंदरी लंड की प्यासी है और इसका मर्द इसे सॅटिस्फाइ नही कर पाता.
वो बोले: स्वामी जी–` देवी कैसी हो, सब कुशल तो है ?` सुबू– `हां स्वामी
जी ठीक ही है.` स्वामी जी — `नहीं देवी ठीक नही, मुझे बताओ, में तुम्हारी
समस्या दूर करने की कोशिश करूँगा.` सुबू –` नहीं स्वामी जी कुछ नही.`
कहने को तो सुबू ने कह दिया मगर मन में सोच रही थी के काश कुछ ऐसा हो जाए
की स्वामी जी आज उसकी चोद चोद कर मन की मुराद पूरी कर दें. स्वामी जी भी
समझ गये की ये औरत लंड की प्यासी है मगर दिल की इच्छा बताने में शर्मा
रही है . सोचने लगे उन्हें ही पहल करनी पड़ेगी. बोले ` देवी घर में कोई
नही ? सेठ जी दिखाई नही दे रहे.` सुबू — `स्वामी जी वो तो दुकान पर गये
हैं रात को ही आएगे. उनहें अपने काम से समय नही मिलता.` स्वामी जी —
`अच्छा ये बात है, ये तो ग़लत है, ` शरारत से बोले,` घर में इतनी सुंदर
पत्नी और उनके पास घर के लिए समय नही ? तुम कहो तो में कोई साधन करूँ की
सेठ जी तुम्हारे आगे पीछे घूमने लगें.` सुबू –` उससे क्या होगा स्वामी
जी` यह कहते हुए सुबू नें आँखे दूसरी तरफ कर ली. स्वामी जी समझ गये की
माजरा सिर्फ़ चुदाई का ही नही है बलके लंड का भी है. सेठ का लंड भी इसकी
चूत में समाता नही है. अब स्वामी जी मूड मे आ गये. बोले: ` देवी अशांत
दिखती हो कहो तो तुम्हारी शान्ती के लिए प्रयास करूँ ? क्या अंदर नही
बुलाओगी ? ` अब सुबू को महसूस हुआ कि लंड के ध्यान में वो अभी तक दरवाज़े
पर ही खड़े हैं.बोली `हां हां स्वामी जी आईए ` अंदर आ कर स्वामी जी ने
इधर उधर नज़र घुमाई और पूछा ` घर में कोई नही है ………स्वामी जी ने इधर उधर
देखा और पूछा ` घर में कोई नहीं है क्या?` सुबू नें कहा, ` काम वालियाँ
सुबह शाम आती हैं और मेरी बेहन जो कॉलेज में पढ़ती है कॉलेज के बाद अपनी
फ्रेंड के साथ चली जाती है. वहाँ से होम वर्क कर के 6 6.30 बजे आती है.`
स्वामी जी समझ गये की मामला सॉफ है और चुदाई हो सकती है.बोले ,` तो फिर
हम तुम्हारी समस्या के समाधान के लिए अनुष्ठान कर सकते हैं.` सुबू –`
जैसा आप ठीक जाने` स्वामी जी –`तो ठीक है, में तुम्हें बता दूँ की में
तुम्हें सम्मोहित करूँगा और तुम्हारी समस्या का हल ढूँढने की कोशिश
करूँगा. सम्मोहित का अर्थ जानती हो ना? तुम्हे पूरा समर्पण करना होगा, और
में तुमसे कुछ पूछूँगा और तुम्हें उसके सच्चे जवाब देने होंगे` सुबू —
`ठीक है स्वामी जी, अगर इस से मेरी समस्या का हल होता है तो मुझे कोई
ऐतराज़ नही है` स्वामी जी — `तो चलो शुरू करते है` ये कहा कर स्वामी जी
ने सुबू को आँखे बंद करने को कहा और कुछ बुदबुदाने लगे`.अचानक वो बोले,`
देवी तुम्हारी समस्या मेरी समझ में आ गयी है. तुम अब आँखें बंद कर लो.
सोचो की तुम शून्य ( ज़ीरो) हो तुम्हारा जो भी अस्तित्वा है वो मुझ से
है. तुम मुझ में हो. हम दोनो एक हैं. क्या तुम मुझे सुन रही ही ?` सुबू `
हां स्वामी जी` स्वामी जी –` क्या तुम समझ रही हो में क्या कह रहा हूँ.`
सुबू — `हां स्वामी जी ` स्वामी जी –` ठीक है, अब अपना ध्यान अपनी समस्या
पर लगाओ.` इतना सुनते ही सुबू के सामने स्वामी जी का शरीर और लंड घूम
गया.` स्वामी जी –`क्या तुम अपनी समस्या को समझ सकती हो?` सबु — `हां
स्वामी जी.` स्वामी जी –` क्या ये तुम्हारे पति से संबंधित है?` –`हां
स्वामी जी` –`क्या ये सेक्स से संबधित है?` –………. ….. –`बोलो देवी` (देवी
मीन'स विमन) –………. ….. –`बोलो देवी` –………. ….. –`अगर तुम बोलॉगी नहीं तो
समस्या का हल नहीं होगा` –………. …. –`बोलो देवी बोलो.` – `हां स्वामी जी.`
–`क्या सेक्स नहीं करते` –………. …. –अब स्वामी जी ने ट्रंप कार्ड खेलने का
फ़ैसला कर लिया-`क्या चुदाई नहीं करते?` –………. … –`बोलो देवी क्या वो
तुम्हें चोद्ते नहीं?` –`हूंम्म्ममम. ….` –` यानी चोद्ते तो हैं`
–हूंम्म्मममम. …` –` –`सॅटिस्फाइ नहीं कर सकते?` –`हूंम्म्ममम. ..`
स्वामी जी समझ गये की लोहार की चोट करने का वक़्त आ गया है. बोले ` ठीक
है देवी. स्वामीजी समझ गये की मामला फिट करने का वक़्त आ गया है. वो
बोले,`देवी चुदवाने की इच्छा रखती हो?` सुबू –`ह्म्म्म्मम..` स्वामी जी
–`ठीक है अपना हाथ बढ़ाओ.`सम्मोहित सुबू नें अपने हाथ बढ़ा दिए. स्वामी
जी नें अपने हाथ मे उसके हाथ पकड़े और मसल्ने लगे.सुबू मस्ती में आने
लगी. उसकी साँस ज़ोर ज़ोर से चलने लगीसुबूने स्वामी जी का हाथ पकड़
लिया.थोड़ी देर के बाद स्वामी जी समझ गये की औरत मस्ती में है. उन्होंने
सुबू के हाथ में अपना फफनता लंड पकड़ा दिया. सुबू ने स्वामी का 8″ का 3″
गोलाई का लंड हाथ में कस लिया जैसे कहीं भाग ना जाए.सुबू की साँसे ज़ोर
ज़ोर से चलने लगी. स्वामी जी सुबू हाथ पकड़ कर खड़े हो गये, और पूछा, "
क्यों देवी अच्छा लग रहा है?` सुबू केवल हुंकार भर कर रह गयी. स्वामी जी
बोले,` देवी अंदर लोगि ?` सुबू –`जैसा आप ठीक समझे." स्वामी जी समझ गये
की अब लंड चूत में डाल देना चाहिए. स्वामी जी नें सुबू को बेड पर लिटा
दिया, और उसकी सारी उतार दी. सुबू की चूत बिल्कुल नवेली लग रही थी. चूत
के पल्लों को देख कर ऐसा लगता था की कभी चुदाई हुई ही नहीं. धीरे धीरे
स्वामीजी ने सुबू का ब्लाउस और ब्रा भी निकाल दी. सुबू आँखें बंद कर के
केवल कसमसाती रही. अब वो इंतज़ार में थी की कब स्वामी जी का बेलन उसकी
चूत में जाता है. वो डर भी रही थी की कहीं चूत का कचरा ही ना हो जाए.
स्वामी जी ने उसके होंठ चूसना शुरू कर दिए. सुबू भी पूरा साथ दे रही
थी.स्वामी जी सुबू की चूचियाँ दबाने लगे. कुछ ही देर में स्वामीजी नें
सुबू की चूचियाँ चूसनी शुरू कर दी. सुबू की चूत पानी छोड़ने लगी. स्वामी
जी ने एक हाथ से चूत को सहलाना शुरू कर दिया. सुबू की बुरी हालत थी. अब
रहा नहीं जा रहा था. उसने सोचा अब सम्मोहन की आक्टिंग बंद कर देनी चाहिए
और खुल कर चुदाई का मज़ा लेना चाहिए. सुबू नें आँखें खोली और स्वामी जी
से कहा,` अब डाल भी दीजिए ना` स्वामी जी नें सर उठाया और मुस्कुराए. वो
भी तो आक्टिंग ही कर रहे थे. `हां देवी…….. ..`
सुभद्रा ( सुबू ) एक 25 साल की बहुत ही सुंदर गड्राई (साइट्ली फाटटीश
)शरीर की औरत है****का पति रामजी देल्ही में होल्सेल का काम करता है.सुबू
पढ़ी लिखी औरत है . लेकिन उसकी आँखों में एक उदासी सी भरी रहती है. एक
ऐसी उदासी जो अधूरी काम वासना की निशानी है. लगता है रामजी उसकी प्यास
नही बुझा पाता.घर में सुबू की छोटी बेहन भी रहती है . उसका रिश्ता रामजी
के छोटे भाई ( मनोज )से पक्का हो चुका है. रश्मि ( सुबू की छोटी बेहन )
कॉलेज में पढ़ती है.सुबू की देवरानी (रीता)भी इसी घर में रहती है मगर आज
कल ग्वालियर में हॉस्टिल में रह कर पढ़ रही है. रामजी के मा बाप गाँव में
रहते हैं.ये तो है परिवार का इंट्रोडक्षन. सुबू की उदासी का कोई अंत नज़र
नहीं आता . चुदाई का मन करता है मगर क्या करे. दिल तो उसका चाहता है की
कहीं से कोई मर्द आए और उसकी प्यास बुझा दे. लगता है सुबू की प्रार्थना
पूरी होने को है. उसकी चूत की प्यास बुझने वाली है. एक दिन एक स्वामी जी-
लगभग 35 साल के गेरूए कपड़े पहने, छोटे छोटे बॉल और छोटी दाढ़ी , गोरा
देहकता रंग, 6 फुट का हॅटा कॅटा जिस्म- सुबू के घर आए, और भिक्षा माँगने
लगे. सुबू बाहर आई और स्वामी जी को प्रणाम कर के जैसे ही नज़र उपर उठाई,
की हैरान रह गयी. स्वामी जी की पर्सनॅलिटी नें उसे मस्त कर दिया. बरबस ही
सोचने लगी – इतना सुंदर शरीर !! ना जाने लंड कैसा होगा. मन ही मन में
उनके लंड की कल्पना करने लगी. उसे अपनी चूत स्वामी जी के लंड से भरी हुई
लगी. बरबस ही उसकी नज़र स्वामी जी के लंड की तरफ उठ गयी. स्वामी जी भाँप
गये की सुंदरी लंड की प्यासी है और इसका मर्द इसे सॅटिस्फाइ नही कर पाता.
वो बोले: स्वामी जी–` देवी कैसी हो, सब कुशल तो है ?` सुबू– `हां स्वामी
जी ठीक ही है.` स्वामी जी — `नहीं देवी ठीक नही, मुझे बताओ, में तुम्हारी
समस्या दूर करने की कोशिश करूँगा.` सुबू –` नहीं स्वामी जी कुछ नही.`
कहने को तो सुबू ने कह दिया मगर मन में सोच रही थी के काश कुछ ऐसा हो जाए
की स्वामी जी आज उसकी चोद चोद कर मन की मुराद पूरी कर दें. स्वामी जी भी
समझ गये की ये औरत लंड की प्यासी है मगर दिल की इच्छा बताने में शर्मा
रही है . सोचने लगे उन्हें ही पहल करनी पड़ेगी. बोले ` देवी घर में कोई
नही ? सेठ जी दिखाई नही दे रहे.` सुबू — `स्वामी जी वो तो दुकान पर गये
हैं रात को ही आएगे. उनहें अपने काम से समय नही मिलता.` स्वामी जी —
`अच्छा ये बात है, ये तो ग़लत है, ` शरारत से बोले,` घर में इतनी सुंदर
पत्नी और उनके पास घर के लिए समय नही ? तुम कहो तो में कोई साधन करूँ की
सेठ जी तुम्हारे आगे पीछे घूमने लगें.` सुबू –` उससे क्या होगा स्वामी
जी` यह कहते हुए सुबू नें आँखे दूसरी तरफ कर ली. स्वामी जी समझ गये की
माजरा सिर्फ़ चुदाई का ही नही है बलके लंड का भी है. सेठ का लंड भी इसकी
चूत में समाता नही है. अब स्वामी जी मूड मे आ गये. बोले: ` देवी अशांत
दिखती हो कहो तो तुम्हारी शान्ती के लिए प्रयास करूँ ? क्या अंदर नही
बुलाओगी ? ` अब सुबू को महसूस हुआ कि लंड के ध्यान में वो अभी तक दरवाज़े
पर ही खड़े हैं.बोली `हां हां स्वामी जी आईए ` अंदर आ कर स्वामी जी ने
इधर उधर नज़र घुमाई और पूछा ` घर में कोई नही है ………स्वामी जी ने इधर उधर
देखा और पूछा ` घर में कोई नहीं है क्या?` सुबू नें कहा, ` काम वालियाँ
सुबह शाम आती हैं और मेरी बेहन जो कॉलेज में पढ़ती है कॉलेज के बाद अपनी
फ्रेंड के साथ चली जाती है. वहाँ से होम वर्क कर के 6 6.30 बजे आती है.`
स्वामी जी समझ गये की मामला सॉफ है और चुदाई हो सकती है.बोले ,` तो फिर
हम तुम्हारी समस्या के समाधान के लिए अनुष्ठान कर सकते हैं.` सुबू –`
जैसा आप ठीक जाने` स्वामी जी –`तो ठीक है, में तुम्हें बता दूँ की में
तुम्हें सम्मोहित करूँगा और तुम्हारी समस्या का हल ढूँढने की कोशिश
करूँगा. सम्मोहित का अर्थ जानती हो ना? तुम्हे पूरा समर्पण करना होगा, और
में तुमसे कुछ पूछूँगा और तुम्हें उसके सच्चे जवाब देने होंगे` सुबू —
`ठीक है स्वामी जी, अगर इस से मेरी समस्या का हल होता है तो मुझे कोई
ऐतराज़ नही है` स्वामी जी — `तो चलो शुरू करते है` ये कहा कर स्वामी जी
ने सुबू को आँखे बंद करने को कहा और कुछ बुदबुदाने लगे`.अचानक वो बोले,`
देवी तुम्हारी समस्या मेरी समझ में आ गयी है. तुम अब आँखें बंद कर लो.
सोचो की तुम शून्य ( ज़ीरो) हो तुम्हारा जो भी अस्तित्वा है वो मुझ से
है. तुम मुझ में हो. हम दोनो एक हैं. क्या तुम मुझे सुन रही ही ?` सुबू `
हां स्वामी जी` स्वामी जी –` क्या तुम समझ रही हो में क्या कह रहा हूँ.`
सुबू — `हां स्वामी जी ` स्वामी जी –` ठीक है, अब अपना ध्यान अपनी समस्या
पर लगाओ.` इतना सुनते ही सुबू के सामने स्वामी जी का शरीर और लंड घूम
गया.` स्वामी जी –`क्या तुम अपनी समस्या को समझ सकती हो?` सबु — `हां
स्वामी जी.` स्वामी जी –` क्या ये तुम्हारे पति से संबंधित है?` –`हां
स्वामी जी` –`क्या ये सेक्स से संबधित है?` –………. ….. –`बोलो देवी` (देवी
मीन'स विमन) –………. ….. –`बोलो देवी` –………. ….. –`अगर तुम बोलॉगी नहीं तो
समस्या का हल नहीं होगा` –………. …. –`बोलो देवी बोलो.` – `हां स्वामी जी.`
–`क्या सेक्स नहीं करते` –………. …. –अब स्वामी जी ने ट्रंप कार्ड खेलने का
फ़ैसला कर लिया-`क्या चुदाई नहीं करते?` –………. … –`बोलो देवी क्या वो
तुम्हें चोद्ते नहीं?` –`हूंम्म्ममम. ….` –` यानी चोद्ते तो हैं`
–हूंम्म्मममम. …` –` –`सॅटिस्फाइ नहीं कर सकते?` –`हूंम्म्ममम. ..`
स्वामी जी समझ गये की लोहार की चोट करने का वक़्त आ गया है. बोले ` ठीक
है देवी. स्वामीजी समझ गये की मामला फिट करने का वक़्त आ गया है. वो
बोले,`देवी चुदवाने की इच्छा रखती हो?` सुबू –`ह्म्म्म्मम..` स्वामी जी
–`ठीक है अपना हाथ बढ़ाओ.`सम्मोहित सुबू नें अपने हाथ बढ़ा दिए. स्वामी
जी नें अपने हाथ मे उसके हाथ पकड़े और मसल्ने लगे.सुबू मस्ती में आने
लगी. उसकी साँस ज़ोर ज़ोर से चलने लगीसुबूने स्वामी जी का हाथ पकड़
लिया.थोड़ी देर के बाद स्वामी जी समझ गये की औरत मस्ती में है. उन्होंने
सुबू के हाथ में अपना फफनता लंड पकड़ा दिया. सुबू ने स्वामी का 8″ का 3″
गोलाई का लंड हाथ में कस लिया जैसे कहीं भाग ना जाए.सुबू की साँसे ज़ोर
ज़ोर से चलने लगी. स्वामी जी सुबू हाथ पकड़ कर खड़े हो गये, और पूछा, "
क्यों देवी अच्छा लग रहा है?` सुबू केवल हुंकार भर कर रह गयी. स्वामी जी
बोले,` देवी अंदर लोगि ?` सुबू –`जैसा आप ठीक समझे." स्वामी जी समझ गये
की अब लंड चूत में डाल देना चाहिए. स्वामी जी नें सुबू को बेड पर लिटा
दिया, और उसकी सारी उतार दी. सुबू की चूत बिल्कुल नवेली लग रही थी. चूत
के पल्लों को देख कर ऐसा लगता था की कभी चुदाई हुई ही नहीं. धीरे धीरे
स्वामीजी ने सुबू का ब्लाउस और ब्रा भी निकाल दी. सुबू आँखें बंद कर के
केवल कसमसाती रही. अब वो इंतज़ार में थी की कब स्वामी जी का बेलन उसकी
चूत में जाता है. वो डर भी रही थी की कहीं चूत का कचरा ही ना हो जाए.
स्वामी जी ने उसके होंठ चूसना शुरू कर दिए. सुबू भी पूरा साथ दे रही
थी.स्वामी जी सुबू की चूचियाँ दबाने लगे. कुछ ही देर में स्वामीजी नें
सुबू की चूचियाँ चूसनी शुरू कर दी. सुबू की चूत पानी छोड़ने लगी. स्वामी
जी ने एक हाथ से चूत को सहलाना शुरू कर दिया. सुबू की बुरी हालत थी. अब
रहा नहीं जा रहा था. उसने सोचा अब सम्मोहन की आक्टिंग बंद कर देनी चाहिए
और खुल कर चुदाई का मज़ा लेना चाहिए. सुबू नें आँखें खोली और स्वामी जी
से कहा,` अब डाल भी दीजिए ना` स्वामी जी नें सर उठाया और मुस्कुराए. वो
भी तो आक्टिंग ही कर रहे थे. `हां देवी…….. ..`