desiaks
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- Aug 28, 2015
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" अब क्या कहते हो गुरु " वापसी मे विकास ने पूछा.
" कहने को बचा ही क्या है दिलजले " कहते वक़्त विजय के होंठो पर मुस्कान थी," साबित हो गया कि सरकार दंपति बेकसूर है, उन्हे फँसाया गया था मगर ये केस यहाँ ख़तम नही होता बल्कि असल पूछो तो यहाँ से शुरू होता है, अब हमारे लिए ये पता लगाना चुनौती से कम नही है कि ये सब किसने और कैसे किया "
" किसने तो सामने है, कैसे का पता लगाना है "
" मतलब "
" किसने का तो एक ही जवाब है, लाल दाढ़ी वाला "
" क्या तुम्हे लगता है कि वो दाढ़ी असली है "
" एक पर्सेंट भी नही, दाढ़ी ही नही, बाल भी नकली है, वो उनके पीछे खुद को छुपाने की कोशिश कर रहा है "
" तो सामने कहाँ हुआ, उसकी दाढ़ी और विग नोचना भी तो एक बड़ी चुनौती है "
" मुझे मालूम है आप उसमे भी कामयाब हो जाएँगे और.... "
" और "
" मुझे लगता है कि आप कामयाब हो भी चुके है "
" ऐसा कैसे लगता है प्यारे "
" आप एक बार कह चुके है कि जब हत्यारे का चेहरा सामने आएगा तो सब चौंक पड़ेंगे, ठाकुर नाना भी "
" वो तो ऐसे ही छोड़ दी थी यार "
" मुझे नही लगता कि आप ऐसे ही छोड़ने वाले है "
" उस तक पहुच गये होते तो जंबूरा ना पकड़ लेते उसका "
" मुझे लगता है कि आप उससे खेल रहे है और इस खेल के पीछे भी कोई गहरा मकसद है "
" खेल तो लाल दाढ़ी वाला खेल रहा है हम से, एक बार फिर गच्चा दे गया वो हमे "
विकास चौंका," गच्चा दे गया, मतलब "
" पहला गच्चा उसने चीकू का मर्डर करके दिया और दूसरा गच्चा उत्सव के घर पर धमा-चौकड़ी मचाकर "
" मैं समझा नही गुरु "
" जगदीश चंडोला के घर जो कुछ भी हुआ, उसकी नाप-तौल करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुचे है कि लाल दाढ़ी वाले ने हमे भटकाया और सही समय पर चंडोला के घर नही पहुचने दिया "
" मैं अब भी नही समझा "
" कपाल के कपाट खोलकर रखा करो दिलजले, हम सरकार-ए-आली के दडबे से सीधे चंडोला के दडबे के लिए निकले थे, रास्ते मे उत्सव के दडबे पर मची धमा-चौकड़ी की सूचना मिली और हम ने यू-तुर्न ले लिया, अब एहसास हो रहा है कि उस क्षण हम लाल दाढ़ी वाले के गच्चे मे आ गये थे, उत्सव के घर उसने वो धमा-चौकड़ी मचाई ही इसलिए थी कि हम वहाँ अपना टाइम वेस्ट करे और उस टाइम मे वो जगदीश चंडोला से ना केवल अंगूठी और चैन निकलवा ले बल्कि ये बयान देने के लिए भी तैयार कर ले कि लाश पर उसकी नज़र स्वाभाविक रूप से पड़ी थी, ये बात अलग है कि वो अपने दोनो प्रयासो मे से किसी मे भी कामयाब नही हो सका, जब उसे लगा कि चंडोला हमारे सामने ठहर नही पाएगा, हम उससे हक़ीकत उगलवा लेंगे, तो उसने उसका ख़ात्मा करने का फ़ैसला किया मगर दुर्भाग्य से, अपनी पूरी कोशिश के बावजूद उसमे भी सफल नही हो सका "
" क्या आपका मतलब ये है कि उत्सव के घर उसने जो कुछ किया उसका मकसद इसके अलावा और कुछ नही था कि हमे सही टाइम पर चंडोला के घर पहुचने से रोके "
" तुम्हारे बच्चे जिए दिलजले "
" यानी कि वहाँ वो उस चीज़ की तलाश मे नही गया था जिसे उसने बिजलानी के ऑफीस मे ढूँढने की कोशिश की थी "
" वो सिर्फ़ नाटक था " विजय ने एक ठंडी साँस भरते हुए कहा था," अब बस एक बात समझो, ये कि अभी सरकार-ए-आली को ये नही बताना है कि हम उन्हे पूरी तरह से बेगुनाह मान चुके है "
" पर हम जा तो वही रहे है "
" केवल अंगूठी और चैन दिखाने जा रहे है, उससे ज़्यादा कुछ नही कहना है और वे उन्हे दिखानी ज़रूरी है "
" क्यो "
" ताकि पुष्टि हो सके कि वे कान्हा की है या नही "
" इसमे अब शक ही क्या रह गया है गुरु, जगदीश बता ही चुका है कि वे उसे मीना की लाश से मिली "
" तुम मे और हम मे बस यही फ़र्क है, हम कन्फर्म बात को भी कन्फर्म करते है जबकि तुम कन्फर्म को कन्फर्म मान लेते हो "
विकास विजय की बात का मर्म ना समझ सका.
थोड़े गॅप के बाद बोला," एक बात कहूँ गुरु "
" हज़ार कहो मेरे प्यारे "
" मुझे आपसे जबरदस्त शिकायत है "
" उगलो "
" दूसरो की बात तो छोड़ ही दीजिए, आप मुझसे भी बाते छुपाते है, काई पायंट्स ऐसे है जिनमे अभी तक मेरा दिमाग़ उलझा हुआ है जबकि जानता हूँ कि आप उन्हे सुलझा चुके है "
" अपनी बात तो छोड़ ही दो दिलजले " विजय ने ठीक उसी की-सी टोन मे कहा," बहुत सी बाते तो ऐसी होती है जिन्हे हम खुद से भी छुपा लेते है, वे हमारे दिमाग़ के एक कोने को पता होती है लेकिन उन्हे दिमाग़ के दूसरे कोने तक नही पहुचने देते "
विकास को कहने के लिए कुछ नही सूझा.
करीब एक घंटे बाद वे राजन सरकार के फ्लॅट पर थे और जब उन्होने चैन और अंगूठी सरकार दंपति के सामने रखी तो वे ना केवल अस्चर्य से उच्छल पड़े बल्कि आँखो मे आँसू भी आ गये.
इंदु सरकार कह उठी," य...ये तो मेरे कान्हा की है "
" यही पुष्टि करना चाहते थे आपसे "
राजन सरकार ने पूछा," कहाँ से मिली "
" अभी ये नही बता सकते "
" हमे बताने मे क्या बुराई है " इंदु ने कहा.
" कोई अच्छाई भी नही है "
" मोबाइल नही मिला "
" नही "
" तुमने एक साल से गायब इन चीज़ो को ढूँढ निकाला तो मुझे विश्वास हो गया है कि हत्यारे को भी ढूँढ निकालोगे और एक दिन हमारे बेटे का असली कातुहल दुनिया के सामने होगा "
" मुझे तो पहले ही विश्वास था कि तुम इस केस का दूध का दूध और पानी का पानी कर दोगे " राजन सरकार गदगद नज़र आ रहा था," मेरे अलावा किसी को विश्वास ना था, ना इंदु को, ना बिजलानी को और ना ही निर्भय को, सबने एक ही बात कही थी, यही कि अब इस केस मे कोई कुछ नही कर सकता मगर मैंने किसी की ना सुनी और अपनी फरियाद लेकर तुम्हारे दरवाजे पर पहुच गया "
" अभी ऐसा कुछ भी नही हुआ है जनाब जिसके बदले मे आप ये सब कहने लगे "
" हुआ क्यो नही है, साल भर से गुम इन दोनो चीज़ो को भला कौन ढूँढ सकता था, किसी ने कोशिश तक नही की थी "
" कहने को बचा ही क्या है दिलजले " कहते वक़्त विजय के होंठो पर मुस्कान थी," साबित हो गया कि सरकार दंपति बेकसूर है, उन्हे फँसाया गया था मगर ये केस यहाँ ख़तम नही होता बल्कि असल पूछो तो यहाँ से शुरू होता है, अब हमारे लिए ये पता लगाना चुनौती से कम नही है कि ये सब किसने और कैसे किया "
" किसने तो सामने है, कैसे का पता लगाना है "
" मतलब "
" किसने का तो एक ही जवाब है, लाल दाढ़ी वाला "
" क्या तुम्हे लगता है कि वो दाढ़ी असली है "
" एक पर्सेंट भी नही, दाढ़ी ही नही, बाल भी नकली है, वो उनके पीछे खुद को छुपाने की कोशिश कर रहा है "
" तो सामने कहाँ हुआ, उसकी दाढ़ी और विग नोचना भी तो एक बड़ी चुनौती है "
" मुझे मालूम है आप उसमे भी कामयाब हो जाएँगे और.... "
" और "
" मुझे लगता है कि आप कामयाब हो भी चुके है "
" ऐसा कैसे लगता है प्यारे "
" आप एक बार कह चुके है कि जब हत्यारे का चेहरा सामने आएगा तो सब चौंक पड़ेंगे, ठाकुर नाना भी "
" वो तो ऐसे ही छोड़ दी थी यार "
" मुझे नही लगता कि आप ऐसे ही छोड़ने वाले है "
" उस तक पहुच गये होते तो जंबूरा ना पकड़ लेते उसका "
" मुझे लगता है कि आप उससे खेल रहे है और इस खेल के पीछे भी कोई गहरा मकसद है "
" खेल तो लाल दाढ़ी वाला खेल रहा है हम से, एक बार फिर गच्चा दे गया वो हमे "
विकास चौंका," गच्चा दे गया, मतलब "
" पहला गच्चा उसने चीकू का मर्डर करके दिया और दूसरा गच्चा उत्सव के घर पर धमा-चौकड़ी मचाकर "
" मैं समझा नही गुरु "
" जगदीश चंडोला के घर जो कुछ भी हुआ, उसकी नाप-तौल करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुचे है कि लाल दाढ़ी वाले ने हमे भटकाया और सही समय पर चंडोला के घर नही पहुचने दिया "
" मैं अब भी नही समझा "
" कपाल के कपाट खोलकर रखा करो दिलजले, हम सरकार-ए-आली के दडबे से सीधे चंडोला के दडबे के लिए निकले थे, रास्ते मे उत्सव के दडबे पर मची धमा-चौकड़ी की सूचना मिली और हम ने यू-तुर्न ले लिया, अब एहसास हो रहा है कि उस क्षण हम लाल दाढ़ी वाले के गच्चे मे आ गये थे, उत्सव के घर उसने वो धमा-चौकड़ी मचाई ही इसलिए थी कि हम वहाँ अपना टाइम वेस्ट करे और उस टाइम मे वो जगदीश चंडोला से ना केवल अंगूठी और चैन निकलवा ले बल्कि ये बयान देने के लिए भी तैयार कर ले कि लाश पर उसकी नज़र स्वाभाविक रूप से पड़ी थी, ये बात अलग है कि वो अपने दोनो प्रयासो मे से किसी मे भी कामयाब नही हो सका, जब उसे लगा कि चंडोला हमारे सामने ठहर नही पाएगा, हम उससे हक़ीकत उगलवा लेंगे, तो उसने उसका ख़ात्मा करने का फ़ैसला किया मगर दुर्भाग्य से, अपनी पूरी कोशिश के बावजूद उसमे भी सफल नही हो सका "
" क्या आपका मतलब ये है कि उत्सव के घर उसने जो कुछ किया उसका मकसद इसके अलावा और कुछ नही था कि हमे सही टाइम पर चंडोला के घर पहुचने से रोके "
" तुम्हारे बच्चे जिए दिलजले "
" यानी कि वहाँ वो उस चीज़ की तलाश मे नही गया था जिसे उसने बिजलानी के ऑफीस मे ढूँढने की कोशिश की थी "
" वो सिर्फ़ नाटक था " विजय ने एक ठंडी साँस भरते हुए कहा था," अब बस एक बात समझो, ये कि अभी सरकार-ए-आली को ये नही बताना है कि हम उन्हे पूरी तरह से बेगुनाह मान चुके है "
" पर हम जा तो वही रहे है "
" केवल अंगूठी और चैन दिखाने जा रहे है, उससे ज़्यादा कुछ नही कहना है और वे उन्हे दिखानी ज़रूरी है "
" क्यो "
" ताकि पुष्टि हो सके कि वे कान्हा की है या नही "
" इसमे अब शक ही क्या रह गया है गुरु, जगदीश बता ही चुका है कि वे उसे मीना की लाश से मिली "
" तुम मे और हम मे बस यही फ़र्क है, हम कन्फर्म बात को भी कन्फर्म करते है जबकि तुम कन्फर्म को कन्फर्म मान लेते हो "
विकास विजय की बात का मर्म ना समझ सका.
थोड़े गॅप के बाद बोला," एक बात कहूँ गुरु "
" हज़ार कहो मेरे प्यारे "
" मुझे आपसे जबरदस्त शिकायत है "
" उगलो "
" दूसरो की बात तो छोड़ ही दीजिए, आप मुझसे भी बाते छुपाते है, काई पायंट्स ऐसे है जिनमे अभी तक मेरा दिमाग़ उलझा हुआ है जबकि जानता हूँ कि आप उन्हे सुलझा चुके है "
" अपनी बात तो छोड़ ही दो दिलजले " विजय ने ठीक उसी की-सी टोन मे कहा," बहुत सी बाते तो ऐसी होती है जिन्हे हम खुद से भी छुपा लेते है, वे हमारे दिमाग़ के एक कोने को पता होती है लेकिन उन्हे दिमाग़ के दूसरे कोने तक नही पहुचने देते "
विकास को कहने के लिए कुछ नही सूझा.
करीब एक घंटे बाद वे राजन सरकार के फ्लॅट पर थे और जब उन्होने चैन और अंगूठी सरकार दंपति के सामने रखी तो वे ना केवल अस्चर्य से उच्छल पड़े बल्कि आँखो मे आँसू भी आ गये.
इंदु सरकार कह उठी," य...ये तो मेरे कान्हा की है "
" यही पुष्टि करना चाहते थे आपसे "
राजन सरकार ने पूछा," कहाँ से मिली "
" अभी ये नही बता सकते "
" हमे बताने मे क्या बुराई है " इंदु ने कहा.
" कोई अच्छाई भी नही है "
" मोबाइल नही मिला "
" नही "
" तुमने एक साल से गायब इन चीज़ो को ढूँढ निकाला तो मुझे विश्वास हो गया है कि हत्यारे को भी ढूँढ निकालोगे और एक दिन हमारे बेटे का असली कातुहल दुनिया के सामने होगा "
" मुझे तो पहले ही विश्वास था कि तुम इस केस का दूध का दूध और पानी का पानी कर दोगे " राजन सरकार गदगद नज़र आ रहा था," मेरे अलावा किसी को विश्वास ना था, ना इंदु को, ना बिजलानी को और ना ही निर्भय को, सबने एक ही बात कही थी, यही कि अब इस केस मे कोई कुछ नही कर सकता मगर मैंने किसी की ना सुनी और अपनी फरियाद लेकर तुम्हारे दरवाजे पर पहुच गया "
" अभी ऐसा कुछ भी नही हुआ है जनाब जिसके बदले मे आप ये सब कहने लगे "
" हुआ क्यो नही है, साल भर से गुम इन दोनो चीज़ो को भला कौन ढूँढ सकता था, किसी ने कोशिश तक नही की थी "