hotaks444
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में रचना के कमरे की और बढ़ चला,वो गहरी नींद में सो रही थी। में उसके पास जाकर लेट गया और उसे किस करने लगा,उसकी नींद खुल गयी और वो कहने लगी की क्या भैया आप हमेशा इसी के बारे में सोचते रहते हो क्या,में क हने लगा अभी तू कुछ मत बोल बस तू मुझे अपनी चूत को चोदने दे,मेने कहा प्लीज रचना मेरे बस में कुछ नही है तू बस अपनी चूत को चाटने दे ,उसने कहा ऐसा लगता है की आप नही मानोगे इतना कहकर वो बेड पर अपनी कोहनी के बल लेट गयी और चोडी करके अपनी टाँगे मोड़ ली, उसकी गीली चूत मेरे बिलकुल सामने थी.मैं अपने घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया और उसकी जांघो को पकड़ कर अपनी जीभ उसकी चूत में दाल दी...वो सिसक पड़ी और अपना सर पीछे की तरफ गिरा दिया..
उसकी मादक खुशबु मेरे नथुनों में भर गयी ...फिर तो जैसे मुझे कोई नशा सा चढ़ गया, मैं अपनी पूरी जीभ से उसकी चूत किसी आइसक्रीम की तरह चाटने लगा, रचना का तो बुरा हाल था, उसने अपने दोनों हांथो से मेरे बाल पकड़ लिए और खुद ही मेरे मुंह को ऊपर नीचे करके उसे कण्ट्रोल करने लगी, मेरी जीभ और होंठ उसकी चूत में रगड़कर एक घर्षण पैदा कर रहै थे और मुझे ऐसा लग रहा था की मैं किसी गरम मखमल के गीले कपडे पर अपना मुंह रगड़ रहा हूँ....उसकी सिस्कारियां पुरे कमरे में गूंज रही थी..और फिर वो एक झटके के साथ झड़ने लगी और उसकी चूत में से एक लावा सा बहकर बाहर आने लगा.
मैं जल्दी से उसे चाटने और पीने लगा, और जब पूरा चाटकर साफ़ कर दिया तो पीछे हटकर देखा, रचना का शारीर बेजान सा पड़ा था और उसकी अद्खुली ऑंखें और मुस्कुराता हुआ चेहरा हलकी रौशनी में गजब का लग रहा था.
मेरा पूरा चेहरा उसके रस से भीगा हुआ था.
.मैंने बेड के साइड का बल्ब जला दिया, दुधिया रौशनी में उसका गोरा बदन चमक उठा. वो फिर से बेड पर अपनी टाँगे फैला कर लेट गयी , मैंने भी अपना मुंह उसकी चूत पर टिका दिया, और उसके निचले अधरों का रस पान करने लगा, आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी, उसकी गीली चूत में मुंह मारने में काफी मजा आ रहा था, वो लम्बी-२ सिस्कारियां ले रही थी और...बडबडा रही थी.
आआआआआआआआह .......आआअशु ....म्म्म्मम्म्म्मम्म . मैंने उसकी clit अपने दांत में लेकर चुब्लाना शुरू कर दिया...वो तो पागल ही हो गयी. मैंने सांस लेने के लिए जैसे ही अपना सर उठाया,उसने एक झटके से मेरे सर को दोबारा अपनी चूत पर टिका दिया और बोली.....बस्स्सस्स्स्सस्स्स थोडा आआआआआआऔर .......म्म्मम्म्म्मम्म ...चुसो मेरी चूत को....पी जाओ मेरा रस.......माआआआआआ ......
फिर तो जैसे एक सैलाब आया, मैं दीवानों की तरह उसकी चूत में अपनी जीभ और दांत से हमले करता चला गया....अंत में जब वो धराशायी हुई तो उसका पूरा बदन कांपने लगा और शरीर ढीला हो गया. मैंने जल्दी से उसका रस पीना शुरू कर दिया...अंत में वोह बोली...बस करो भैया ...मैं मर जाउंगी...बस करो..please ..
मैं हटा तो उसकी आँखों में मेरे लिए एक अलग ही भाव था. मैंने कहा "मुझे तो तुम्हारी चूत का रस काफी अच्छा लगता है, काफी मीठा है, मुझे तो अब इसकी आदत ही हो गयी है..."
उसकी मादक खुशबु मेरे नथुनों में भर गयी ...फिर तो जैसे मुझे कोई नशा सा चढ़ गया, मैं अपनी पूरी जीभ से उसकी चूत किसी आइसक्रीम की तरह चाटने लगा, रचना का तो बुरा हाल था, उसने अपने दोनों हांथो से मेरे बाल पकड़ लिए और खुद ही मेरे मुंह को ऊपर नीचे करके उसे कण्ट्रोल करने लगी, मेरी जीभ और होंठ उसकी चूत में रगड़कर एक घर्षण पैदा कर रहै थे और मुझे ऐसा लग रहा था की मैं किसी गरम मखमल के गीले कपडे पर अपना मुंह रगड़ रहा हूँ....उसकी सिस्कारियां पुरे कमरे में गूंज रही थी..और फिर वो एक झटके के साथ झड़ने लगी और उसकी चूत में से एक लावा सा बहकर बाहर आने लगा.
मैं जल्दी से उसे चाटने और पीने लगा, और जब पूरा चाटकर साफ़ कर दिया तो पीछे हटकर देखा, रचना का शारीर बेजान सा पड़ा था और उसकी अद्खुली ऑंखें और मुस्कुराता हुआ चेहरा हलकी रौशनी में गजब का लग रहा था.
मेरा पूरा चेहरा उसके रस से भीगा हुआ था.
.मैंने बेड के साइड का बल्ब जला दिया, दुधिया रौशनी में उसका गोरा बदन चमक उठा. वो फिर से बेड पर अपनी टाँगे फैला कर लेट गयी , मैंने भी अपना मुंह उसकी चूत पर टिका दिया, और उसके निचले अधरों का रस पान करने लगा, आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी, उसकी गीली चूत में मुंह मारने में काफी मजा आ रहा था, वो लम्बी-२ सिस्कारियां ले रही थी और...बडबडा रही थी.
आआआआआआआआह .......आआअशु ....म्म्म्मम्म्म्मम्म . मैंने उसकी clit अपने दांत में लेकर चुब्लाना शुरू कर दिया...वो तो पागल ही हो गयी. मैंने सांस लेने के लिए जैसे ही अपना सर उठाया,उसने एक झटके से मेरे सर को दोबारा अपनी चूत पर टिका दिया और बोली.....बस्स्सस्स्स्सस्स्स थोडा आआआआआआऔर .......म्म्मम्म्म्मम्म ...चुसो मेरी चूत को....पी जाओ मेरा रस.......माआआआआआ ......
फिर तो जैसे एक सैलाब आया, मैं दीवानों की तरह उसकी चूत में अपनी जीभ और दांत से हमले करता चला गया....अंत में जब वो धराशायी हुई तो उसका पूरा बदन कांपने लगा और शरीर ढीला हो गया. मैंने जल्दी से उसका रस पीना शुरू कर दिया...अंत में वोह बोली...बस करो भैया ...मैं मर जाउंगी...बस करो..please ..
मैं हटा तो उसकी आँखों में मेरे लिए एक अलग ही भाव था. मैंने कहा "मुझे तो तुम्हारी चूत का रस काफी अच्छा लगता है, काफी मीठा है, मुझे तो अब इसकी आदत ही हो गयी है..."