Incest Kahani बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत - Page 8 - SexBaba
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Incest Kahani बड़े घरों की बहू बेटियों की करतूत

इस पोजीशन में राज नेहा को 10 मिनट चोदता है। अब राज सक कर नेहा को डागी स देता है, और उसके पीछे जाकर अपना लण्ड उसकी चूत पर सेट करता है और एक धक्का मारता है।

नेहा- "अहह.."

राज इस बार रुके बिना धक्के लगाने लगता है। इस बार नेहा को भी दर्द नहीं हो रहा था।

नेहा- अहह... उम्म्म्म... हाय ओम्म्म ."

सामने से व्यू मस्त था। नेहा की चूचियां लटकी हुई इधर-उधर मचल रही थी राज के हर धक्के के साथ।

राज- क्या चूत है तेरी अहह... मजा आ जाता हैं मारने में।

नेहा आगे से बेड शीट को पकड़े हुई थी। उसकी जुल्फें धक्कों के साथ इधर-उधर हो रही औं, उसके खूबसूरत चेहया । बहुत ही सेक्सी लग रही थी उस वक्त नेहा। राज नेहा की गाण्ड को दबा रहा था उसको चोदते हुए।

नेहा- "अहह... अहह... हाय अहह.. हाय आहह.."

ऐसे ही 5 मिनट चोदने के बाद राज नेहा की पीठ के ऊपर निटाल होकर गिर जाता है। थोड़ी देर बाद वो बेड में लेट जाता है और नेहा को खुद के ऊपर खींच लेता है। नेहा के दोनों पैर राज की कमर के इधर-उधर थे। अब राज नेहा की आँखों में देखते हुए पीछे से अपना लौड़ा पकड़कर नेहा की गाण्ड के छेद पर सेट करता है।

नेहा अपनी गाण्ड के छेद पर लण्ड के अहसास से डर जाती है, और कहती है- "क्या कर रहे हो?"

राज- जानेमन आज तेरी गाण्ड मारना चाहता हूँ।

नेहा- छी... कमीने कहीं के। मुझे नहीं करवाना वहाँ।

राज- करने दे मेरी जान। तुझे बहुत मजा आएगा।

नेहा- नहीं नहीं बहुत दर्द होगा। तुम्हारा वो बहुत बड़ा है।

राज- क्या बड़ा है मेरी जान?

नेहा शर्माती हैं, और कहती हैं- "मुझे नहीं पता."

राज- बता ना मेरी जान।

नेहा- वो.. वो... लण्ड.."

राज- लण्ड क्या?

नेहा- वो तुम्हारा लण्ड कहुत बड़ा है।

राज- एक बार ले ले मेरी जान। तुझे मजा आएगा।

नेहा- नहीं नहीं मुझे बहुत दर्द होगा।

राज- "कुछ नहीं होगा। एक बार ले ले." औं ऐसा बोलकर राज नेहा की गाण्ड पर अपने लौड़े से भीड़ा दबाव डालता है नीचे से।

नेहा- प्लीज़... राज मत करो। मैं मर जाऊँगी।

राज- क्यों ऐसी बातें कर रही है मेरी बुलबुल। कुछ नहीं होगा तुझे।
नेहा- नहीं तुम बस मत करो।

राज- क्यों फिकर करती है मेरी जान। तेरी गाण्ड का खयाल मेरा लण्ड रखेगा।

नेहा राज की पकड़ से निकलने की कोशिश करती हैं। लेकिन राज उसे छोड़ने वाला नहीं था। अब राज अपना बड़ा काला लण्ड नेहा की गाण्ड में घुसाने लगता है। नेहा की गाण्ड उसके पति ने भी नहीं मारी थी। ऐसे में नेहा को दर्द होना लाजमी था। लण्ड के दबाव से ही नेहा को दर्द होने लगा था।

नेहा- "अहह... राज मुझसे नहीं होगा प्लाज़्ज़.."

राज थोड़ा और दबाव डालता है। इस बार उसके लण्ड की टोपी अंदर घुस जाती है। उससे ही नेहा को बहुत तेज दर्द होता है।

नेहा- आह्ह... मर गई दर्द हो रहा है।

राज अब थोड़ा रुकता है। राज नेहा की सामने लटकी हुई चूचियों को एक बार चूमता है। नेहा के चेहरे पर दर्द का अहसास था। उसे पशीला आया हुआ था। नेहा एक बार राज को देखती है।

नेहा- प्लीज.. राज नहीं।

राज- जानेमन थोड़ा दर्द सह ले।

नेहा चुप रहती है अब्बा

राज अब नीचे से एक धक्का लगता है, तो उसका लौड़ा औड़ा अंदर जाता है।

नेहा- "अहह.. राज उम्म्म... नेहा को बहुत दर्द हो रहा था। उसकी गाण्ड जैसे कोई चौर रहा हो "आहह ... राज प्लीज... अहह.."

राज एक बार रुक कर एक जोरदार धक्का लगाता हैं। इस बार राज का बड़ा काला लण्ड आधे से ज्यादा अंदर चला जाता हैं नेहा की गाण्ड में।

नेहा- "अहह... मम्मी
मर गईई अहह.."

राज अब रुकता है। वैसे ही नेहा की गाण्ड में अपना काला बड़ा लौड़ा डाले रहा

नेहा राज से चिपक जाती है। उसकी चूचियां राज की छाती से दबी हुई थी, और उसकी गाण्ड में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था।

राज- शांत हो जा मेरी जान। बस हो गया। अब फिकर मत कर। मेरा लण्ड तेरी गाण्ड में जा चुका है।

नेहा- आह्ह... राज प्लीज़... निकालो इसे। में मर जाऊँगी.. और नेहा की आँखों से आँसू निकल रहे थे।

राज ने नेहा के चेहरे को पकड़ कर कहा- "कुछ नहीं होगा मेरी जान... अस बोड़ी देर और। फिर तू एंजाय करेंगी।

और में मेरी गर्लफ्रेंड को कुछ भी नहीं होने दूंगा.."

नेहा- मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बोलते हो, और मुझे इतना दर्द दे रहे हो... मालूम है तुमको कितना दर्द होता है?"

राज- "मैंने कहा जा थोड़ी देर मेरी जान... और नेहा को अब थोड़ा शांत देखकर राज नीचे से अपना लण्ड बाहर निकालकर फिर से धक्का लगाता है।

नेहा- अहह... मेरी गाण्ड... क्यों मारने पर तुले हुए हो मुझे?

" कहकर राज धीरे-धीरे अपना लौड़ा नेहा

राज- "तझे तो नहीं लेकिन तेरी गाण्ड जरूर मारने पर तुला है।

नेहा की गाण्ड में अंदर-बाहर करने लगता है।

नेहा- "अहह.."

राज- "वैसे मेरी जान... ऐसा लगता है की तेरी गाण्ड तेरे पति ने नहीं मारी। बोल?"

नेहा कुछ नहीं बोलती।

राज- "बोल." ऐसा कहते हुए वो एक जोर से धक्का लगाता है।

नेहा- "हाय नहींईई.."

राज- "वही तो.. किसी काम का नहीं है तेरा पति। मेरे लिए अच्छा है की तेरी कुँवारी गाण्ड मुझे मिल गई."

नेहा- देखो तुम मेरे पति के बारे में कुछ मत बोलो.."

राज ऐसा बोलने पर जोर से दो-तीन धक्के लगाता है।

नेहा- "हाय मर गई धीरे
आहह.. अहह.."

राज- पति के बारे में कुछ बुरा नहीं सुन सकती, लेकिन अपने बायफ्रेंड को नाराज़ कर सकती है हाँ ?" और जोर-जोर से नेहा की गाण्ड मेंरने लगता है- टप-टप टप-टप टप टप।

नेहा- "आहह... राज रुको अहह... दर्द हो रहा है अहह.."

लेकिन राज धक्के लगाए जा रहा था।
 
राज- पति के बारे में कुछ बुरा नहीं सुन सकती, लेकिन अपने बायफ्रेंड को नाराज़ कर सकती है हाँ ?" और जोर-जोर से नेहा की गाण्ड मारने लगता है- टप-टप टप-टप टप टप।

नेहा- "आहह... राज रुको अहह... दर्द हो रहा है अहह.."

लेकिन राज धक्के लगाए जा रहा था।

नेहा को बहुत तकलीफ हो रही थी राज के तेज धक्कों से- "मर गई अहह... कमौजे धीरे नहीं कर सकता?"

राज के काले बड़े लण्ड में बहुत दर्द हो रहा था उसकी। उस रूम में नेहा की चौखों और राज के धक्कों की आवाजें आ रही थी। नेहा की आँखों में आँसू आ जाते हैं। उसके लिए ये दर्द सहना बहुत मुश्किल हो रहा था। जिसे देख राज की थोड़ा रहम आता है उसपर। और धक्के थोड़ा धीरे कर देता है।

राज- रो मत मेरी जान... बस हो गया। अब दर्द नहीं होगा तुझे।

नेहा- कितना दर्द होता है पता है तुमको? लेकिन तुमको उसकी परवाह कहाँ है?

राज- अच्छा ठीक है मेरी जान... फिर से वैसे नहीं होगा।

राज नीचे से धक्के लगाता हुआ नेहा के खूबसूरत चेहरे को देखता है।

नेहा की जुल्फे झल रही थी इधर-उधर। जिसे वो बार-बार ठीक कर रही थी। ऐसा करते हुए वो और भी सेक्सी लग रही थी। नेहा राज को अपनी तरफ देखते हुए देखकर बोली- "क्या देख रहे हो?"

राज- मेरी जान बहुत खूबसूरत लग रही है तू।

नेहा के चेहरे पर अब स्माइल आ जाती है, और कहती है- "मुझे दर्द में डालकर खूबसूरत बोल रहे हो। ...

राज- मेरी जान ये दर्द हमारे प्यार के लिए ज़रूरी हैं।

नेहा- चुप रहो।

राज- "मेरी जान... एक बात बोलनी थी तुझसे.." राज धक्के लगाते हुए कहा।

नेहा- कैसी बात?

राज- जैसे तु मेरी गर्लफ्रेंड बन गई हैं। वैसे जय रिया मालकिन को अपनी बनाना चाहता है। तू उसकी थोड़ी मदद कर देना।

नेहा- "आहह... क्या? पागल हो क्या तुम? मैं वैसा नहीं होने देंगी। वो मेरी छोटी बहन की तरह है। तुम दोनों बूढो का दिमाग खराब हो गया है क्या?"

राज. बहन जैसी है। बहन तो नहीं है ना? कर दे ना मदद उसकी।

नेहा- नहीं मैं नहीं करने वाली। देखो राज वो बहुत अच्छी है प्लीज... उसके साथ तो ऐसा ना होने दो।

राज. पहले तू भी तो अच्छी थी ना। अब देख तू मुझसे कैसे चुदवा रही है।

नेहा शर्मा जाती है।

राज- कर दे ना मदद उसकी। बेचारा तड़प रहा है रिया मालकिन के लिए।

नेहा- नहीं राज में नहीं करने वाली।

राज अब उसकी तेज-तेज चोदने लगता हैं।

नेहा- "अहह... दर्द हो रहा हैं अह."

राज- बोल करेंगी मदद?

नेहा- "अहह.. नहीं अहह..

राज लगातार उसको वैसे चोदते रहता है।
नेहा- अहह... प्लीज... धीरेऽऽ राज... दर्द हो रहा है।

राज- मेरी जान मदद कर दे उसकी।

नेहा- "अहह... राज अहह.." और राज की रफ्तार बढ़ता देख कर नेहा को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। वो बोली- "ठीक्क है.. कर दूंगी मदद अहह..."

राज जिसे सुनकर अपनी स्पीड धीरे कर देता है। उसके चेहरे पर एक कमीनी स्माइल आ जाती है- "ये हईला बात...

नेहा- कमीजे कहीं के अपनी बात मनवा ली जा..."

राज- क्या करूं मेरी बलबुल? तू सीधी तरह से मानती भी नहीं है।

ऐसे 5 मिनट और चुदाई के बाद राज रूक जाता है। नेहा भी थकी हुई राज के कप्पर निटाल हो जाती है। उसकी आज राज ने बहुत बुरी तरह से चुदाई की थी। ऐसी चुदाई उसकी कभी नहीं हुई थी। लॉकन उसको एक अजीब सा संतोष भी मिल रहा था राज से, जो उसका पति नहीं दे पाता। नेहा पड़ी हुई थी राज की छाती पर। उसकी गोरी गोरी चूचियां दबी पड़े भी राज की बालों वाले सीने से। उसके खूबसूरत चेहरे पर एक चमक आ गई थी, और वो अपनी सौंसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी।
 
राज थोड़ी देर बाद- "उठ मेरी जान."

नेहा- "हहह.." और वो अपना चेहरा ऊपर करके राज को देखती हैं।

राज- इतने में ही थक गई क्या मेरी बुलबुल?

नेहा मन में " कैसा आदमी है ये? इतनी उमर होने के बाद भी इतना सब कुछ करके भी अभी भी ताकत बची है इसमें। कमीना कहीं का..."

राज-उठना।

नेहा अब राज के ऊपर से उठने लगती है। नेहा आधा उठी थी की राज उसे कमर से पकड़कर घुमा देता है। अब नेहा की पीठ राज की तरफ औ। राज नेहा को अपने कमा लिटा लेता है। इस पोजीशन में राज की छाती से नेहा की पीठ चिपकी हुई थी, और नीचे राज का लौड़ा नेहा की गुलाबी चूत पर दस्तक दे रहा था।

नेहा- मैं बहुत थक गई हूँ प्लीज़... बस करो अभी।

राज- जानेमन सिर्फ इतने में थक गई तो कैसे चलेगा? अभी तो सारी रात पड़ी है।

नेहा- सारी रात? नहीं नहीं बिल्कुल नहीं। में तो मर ही जाउन्गि ।

राज हँसता हुआ- "ठीक है सारी रात नहीं करूँगा बस..."

नेहा थोड़ी राहत की सांस लेती है। वरना सारी रात राज उसकी क्या हालत कर सकता है वो जानती थी।

राज- मेरी जान तैयार है ना एक और राउंड के लिए।

नेहा बस चुप रहती है।

राज अब नेहा की चूत पर अपना लौड़ा ना टिकाते हुए उसकी गाण्ड के छेद पर लगाता है।

नेहा जिसे महसूस कर के- "राज प्लीज... वहीं नहीं। मुझे बहुत दर्द होता है.." नेहा जानती थी इस पोजीशन में उसको और दर्द होगा।

राज- बस एक बार मेरी जान। फिर नहीं करूँगा ।

नेहा- प्लीज़... नहीं, मुझसे नहीं होगा।
..
राज- "बस एक बार मेरी जान। तेरी गाण्ड मारने में बहुत मज़ा है." और राज अब अपने लण्ड से नेहा की गाण्ड में एक धक्का लगाता है तो उसका 25 प्रतिशत लण्ड अंदर चला जाता है।

नेहा- "अहह..." करके नेहा राज के ऊपर से उठने की कोशिश करती हैं।

लेकिन राज उसकी कमर को मजबूती से पकड़े हुए था। राज अब नीचे से एक और धक्का लगाता है। इस बार थोड़ा आसानी से उसका लण्ड अंदर चला जाता है। करीब 75 प्रतिशत लण्ड अंदर जा चका था।

नेहा- "अहह... मर गई अहह.."

राज अब उसकी चुदाई करने लगता है।

नेहा- "अह... अहह.."

राज- कितनी टाइट है तेरी गाण्ड मेरी जान।

नेहा इस वक्त उसके ही बेडरूम में उसके ही बेड पर एक ड्राइवर के साथ गाण्ड चुदवा रही थी। वो नेहा जो कभी राज को हाँ ना करती थी, आज वही राज उसकी गाण्ड मार रहा था।

नेहा की चीखें
नेहा- "अहह... अहह... अहह... अहह... अहह.. हुह्ह अहह .. उम्म्म..." और राज के धक्कों बढ़ रही थी..." ये दोनों बेखबर थे।

नीलू उधर खिड़की से इनकी चुदाई देख रही थी. "हाय रे राज ने मार डाला हमारी नेहा मालकिन को तो। क्या हालत कर रहा है मालकिन को.... और वो खिड़की पर खुद से ही बातें कर रही थी।

इधर राज के धक्के जारी थे। मार रहा था वो नेहा की गाण्ड। उसकी चूचियां उछल कूद मचा रही थीं ऊपर से। नेहा के लिए ऐसी पोजिशन्स बिल्कुल नई थी। राज एक बूढ़ा होने के बाद उसको नई-नई पोजीशन में चांद रहा था। वो पोर्न वीडियोस जो देखता था।

नेहा- "अहह... अहह.."

खिड़की में नेहा की गाण्ड में राज का लौड़ा अंदर-बाहर होते देख रही थी, और सोच रही थी- "अरे हमारी नाज़ुक नेहा मेमसाहब की गाण्ड फाड़ डालोगे क्या राज? आप रे... देखो तो कैसे चोद रहा है?"

राज ऐसे ही नेहा को और 10 मिनट चोदता है। अब राज भी थोड़ा थक चुका था। उससे ज्यादा नेहा थकी थी। उसकी कुँवारी गाण्ड जो राज ने मारी थी। नेहा वैसे ही पड़ी रहती हैं राज के ऊपर कुछ देर। थोड़ी देर बाद राज थोड़ा हिलता है तो नेहा के जिस्म में थोड़ी हरकत होती है और वो बेड में ही साइड में लेट जाती है।

राज- मेरी जान मजा आया ना?

नेहा बिल्कुल बेहाल पड़ी थी। उसकी जिंदगी की सबसे जोरदार चुदाई की भी आज राज ने।
नेहा चुप रहती है।

राज- मज़ा आया ना तुझे भी?

नेहा- कमिने कहाँ की। इतना जोर से भी कोई करता है क्या?

राज- माफ कर दे मेरी जान। कभी-कभी जोश में हो जाता है।

नेहा- क्या जोश में? कितना दर्द होता है। मालूम है तुमको?

राज अब नेहा के ऊपर आ जाता है।

नेहा राज को देखने लगती है।

राज- "मेरी जान माफ कर दे.." बोलकर वो नेहा के लाल होठों की तरफ बढ़ा देता है।

नेहा बस अपनी आँखें बंद कर लेती हैं।
 
राज- "मेरी जान माफ कर दे.." बोलकर वो नेहा के लाल होठों की तरफ बढ़ा देता है।

नेहा बस अपनी आँखें बंद कर लेती हैं।

राज के काले होंठ उन लाल होंठों को छूकर उनको चूसने लगता है। राज और नेहा दोनों नंगे थे। एक अजीब सा हाट इश्य बन गया था वहीं। राज नेहा की जीभ भी कभी-कभी अपने मुँह में लेकर चूस रहा था। इस बार नेहा भी उसका साथ अच्छे से दे रही थी। दोनों नंगे जिश्म एक दूसरे की बाहों में पड़े हुए किस कर रहे थे।

जौल- "हाय देखो तो कैसे लैला मजन आपस में प्यार कर रहे हैं। में चलती हैं इन दोनों को अकेला छोड़कर..."
और नीलू वहीं से चली जाती है।

यह दोनों 3 मिनट किस करने के बाद किस तोड़ते हैं। राज नेहा के खूबसूरत चेहरे पर बिखरी हुई जुल्फें हटाकर कहता है- "हो जाये एक बार और मेरी जान..."

नेहा हरानी से राज को देखते हुए की ये कैसा आदमी है। उमर होने के बाद भी अभी तक इतना स्टेमिना कैसे हैं इसके पास। नेहा बोली- "नहीं राज प्लीज... मुझसे नहीं होगा और.."

राज को भी नेहा पर अब तरस आ जाता है- "ठीक है मेरी जान। जैसा तू कहे.."

नेहा अब बेड से उतरती है और वाईटरोब से एक तौलिया और कुछ कपड़े निकालकर बाथरूम की तरफ जाने लगती हैं।

राज. कहा जा रही है।

नेहा- नहाने और कहाँ?

राज- मुझे भी नहाना है तुम्हारे साथ मेरी जान।

नेहा शर्मा जाती है। साथ में नहाने वाली बात से, और कहती है- "साथ में... नहीं नहीं कोई ज़रूरत नहीं है..." और वो स्माइल करती है।

राज- रहने देना मेरी जान।

नेहा- नहीं तुम जरूर कोई ना कोई गलत हरकत करोगे उधर भी।

राज- नहीं करूँगा । वैसे भी सब कुछ तो कर चुका हूँ।

नेहा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। राज भी बेड पर से उतरकर उधर जाने लगता है। नेहा बाथरूम में चली जाती है तब तक। अब राज भी अंदर आ जाता है। दोनों नंगे थे। नेहा को बहुत शर्म आ रही थी की उसकी आज एक गंदे काले बूढ़े के साथ नहाना पड़ेगा। लेकिन वो ये भी जानती थी के उसी बूढ़े ने आज उसको बो संतोष दिया है जो उसका पति कभी नहीं दे पाया था।
 
नेहा को समझ में नहीं आ रहा था की वो आखिरकार, एक अंजान आदमी के साथ नहाए कैसे? उसे बहुत शर्म आ रही थी। किसी जमाने में नेहा राज को हाँ टति थी और आज उसी राज ने उसको साथ में नहाने पर मजबूर किया था।

राज- "चल मेरी जान नहाते हैं। बाल्टी किधर है" राज ठहरा गाँव वाला। उसे तो बाल्टी से पानी लेकर नहाना ही पड़ता था।

नेहा को राज की बात से एक बार हंसी आती हैं। नेहा शावर ओन करती हैं।

राज- अरे ये तो बारिश जैसा हैं।

नेहा की फिर से हँसी छूट जाती है।

राज- हैंस क्यों रही है?

नेहा- "कुछ नहीं.." नेहा एक साइड में खड़ी थी।

राज अब शावर के नीचे आता है और नेहा को भी खींच लेता है, और कहता है- "आज मजा आएगा अपनी गर्लफ्रेंड के साथ नहाने में..."

नेहा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। पानी की बूंदे दोनों के नंगे जिश्म पर गिरने लगती हैं। नेहा के लिए ये बिल्कुल अलग था। वो कभी खुद के पति को नहाते हुए अंदर आने नहीं देती थी। लेकिन वो एक गंदे काले बूढ़े के साथ नहा रही थी, वो भी पूरी नंगी। दोनों आमने सामने खड़े थे। नंगे होने की वजह से नेहा के हाई निपल राज को अपनी छाती पर चुभ रहे थे। नेहा को बहुत शर्म आ रही थी। वो ठहरी एक खूबसूरत इस घर की बहू और वो इस वक्त एक बूढ़े के साथ नहा रही है। दोनों के बीच थोड़ा फासला था। जिसे देखकर राज अब नेहा की कमर में हाथ डालकर अपने से सटा लेता है। जिससे नेहा की चुचियां राज की छाती से दब जाती हैं।

राज. मेरी जान क्या मजा है यहाँ नहाने का, वो भी तेरे साथ।

नेहा कछ नहीं बोलती। राज के हाथ पीछे से उसकी गाण्ड पर चले जाते हैं। राज के हाथ नेहा की नंगी भीगी गाण्ड को अब ममल रहे । काफी हाट दृश्य था। यह खूबसूरत बहु काले बूढ़े के साथ पूरी नंगी बाभरकम में खड़ी थी। राज की तो बस रात चल रही थी। राज नेहा की गाण्ड को बहुत ही कामुक तरीके से दबा रहा था। जो अब नेहा को गरम करने लगा था। नेहा वैसे ही गरम हो रही थी अपनी चूचियां राज के छाती से दबे जाने से। और उसको तंग करने के लिए उसकी चूत पर राज का बड़ा काला लण्ड भी टकरा रहा था। राज अब नेहा के गले को भी चूमने लगता हैं। जिससे नेहा की सिसकारियां निकलने लगती हैं।

नेहा- हाय राज।

राज- क्या खुश्बुदार बदन है तेरा मेरी जान।

नेहा मुश्कुराती हैं। उसे अब थोड़ी शरारत सूझती हैं, और कहती है- "अपने इस शैतान को दूर करो ना। मुझे बहुत तंग कर रहा है... नेहा राज के लौड़े की तरफ देखते हुए बोलती है।

राज. वो ऐसे दूर नहीं होगा मेरी जान। उसे तेरी चूत चाहिए।

नेहा- उसे कहीं अभी नहीं मिलेगी।

राज. बो नहीं मानेगा मेरी जान। तेरी चूत को गर्माहट ही उसे ठंडा कर सकती है।

नेहा का चेहरा लाल हो जाता है- "छी... कितनी गंदी बातें करते हो तुम। शर्म नहीं आती?"

राज- अब अपनी गर्लफ्रेंड से कैसी शर्म मेरी जान।

नेहा भी मुश्कुराती है।

राज अब गले को छोड़कर नेहा की चूचियों पर अपना मुँह ले जाता है, और एक-एक करके उसकी चूचियां चूसता है। राज के ऐसा करते हुए नेहा की आँखें बंद हो रही थी। ऊपर से उसके हाथ भी नेहा की गाण्ड को मसल रहे थे। थोड़ी देर बाद राज नेहा को घुमा देता है, और उससे पीछे से चिपक जाता है। फिर उसकी चूचियां पकड़कर मसलने लगता है। इस पोजीशन में राज का काला लौड़ा नेहा को अपनी गाण्ड की दरार में चुभ रहा था। जो बेहा को अजीब अहसास दिला रहा था। दोनों के नंगे जिश्म शावर के नीचे भीग रहे थे। एक भी खूबसूरत बड़े घर की बहू और दूसरा एक काला बदसूरत बूढ़ा ड्राइवर।

नेहा को कुछ भी होश नहीं था की वो क्या कर रही है? वो भूल गई थी की वो एक पड़े लिखी खूबसूरत और एक शादीशुदा औरत है। लेकिन राज की हरकतें उसे पागल बना रही थी। ऐसा नहीं था की नेहा ने इन सबसे फाइट करने की कोशिश नहीं की। लेकिन कहते हैं ना हवस इंसान से कुछ भी करा सकती है। राज इधर नेहा की चूचियां दाते हुए अब उसकी नाभि पर हाथ फेरने लगता है।

नेहा- "अहह.."

राज के काले हाथ नेहा की गोरी बड़ी-बड़ी चूचियों को दबा रहे थे।

नेहा- "अहह.."

राज का काला लण्ड अब रोड़ की तरह खड़ा हो चुका था। जो नेहा को अपनी गाण्ड के छेद पर चुभ रहा था।
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नेहा- "मुझे बहुत तंग कर रहा है तुम्हारा....... कहकर नेहा रुक जाती है।

राज- बोल क्या तंग कर रहा है मेरा?

नेहा स्माइल करते हुए- "मुझे नहीं पता.."

राज- बोल ना। क्या तंग कर रहा है तुझे?

नेहा- "वो तुम्हारा लन....... फिर से नेहा रुक जाती हैं।

राज- बोल।

नेहा- तुम्हारा लण्ड।

राज. वो मेरा लण्ड। तेरी जैसी माल को देखकर उसका तो बुरा हाल होना ही है। अब वो तेरी चूत मौंग रहा है।

नेहा- छी.... चुप रहो तुम् कितने गंदे हो तुम। औरत से कैसे बात करनी चाहिए तुमको पता ही नहीं है।

राज अब नेहा की चूत पर अपना एक हाथ ले जाता है।

नेहा- "उम्म्म्म "म्म्म्म अहह..." और नेहा की चूत पहले से ही पानी छोड़ रही थी।
...
राज की नेहा की चूत की गर्मी साफ महसूस होती है- "देख मेरी जान। तेरी चूत कैसे लगातार पानी छोड़ रही है। अब तो चुदाई जरूरी है मेरी जान..."

नेहा- नहीं नहीं यहीं नहीं। मुझे पता था तुम कोई ना कोई गलत हरकत करोगे। इसलिए अब तुम बाहर जाओ। मैं अकेली ही नहा लूँगी ।

राज. ऐसा क्यों कर रही है मेरी जान। बहुत मज़ा आएगा नहाते हुए चुदाई करने में।

नेहा- नहीं मुझे नहीं करने मजे। पहले ही मेरी हालत खराब कर चुके हो तुम... और क्या करने का इरादा हैं?

राज- इरादे तो बहुत हैं मेरी जान। लेकिन तू कुछ करने दे तब ना?

नेहा- इतना सब कुछ तो कर चुके हो और क्या बाकी हैं?

राज- बहुत कुछ मेरी जान। तू देखती जा।

अब राज पीछे से नेहा की गलाबी चूत पर अपना काला लण्ड लगाता है। पानी की ठंडक में जब नेहा को अपनी गरम चूत पर राज का पानी लगा हुआ काला लौड़ा महसूस होता है तो उसकी एक संतुष्टि भरी आह निकलती है

नेहा- "उम्म्म्म ... अहह और नेहा का बदन जैसे अकड़ जाता है। वो राज से पीछे हटने लगती है। उसका बदन अब राज के जिस्म से लिपटना चाह रहा था।

राज के लण्ड की गर्मी उसको बहुत ज्यादा आनंद दे रही थी। राज जानता था कि नेहा तड़प रही है। राज अब थोड़ा दबाव डालता है, तो चूत गीली होने की वजह से लण्ड आधा अंदर चला जाता है।

नेहा- अह...

तभी बाहर बेडरूम से नेहा के मोबाइल कर एक रिंग होती है। जिसे सुनकर नेहा अपने होश में वापस आती है।

नेहा- मेरा मोबाइल बज रहा है।

राज ने उसकी कमर पकड़ रखी थी।

नेहा- राज छोड़ो मुझे। किसी का काल आया है।

राज. रहने दे मेरी जान। इस वक्त अलग मत हो मुझसे।

नेहा अलग ना होने की बात से शर्मा जाती हैं, और कहती है- "राज प्लीज... छोड़ो किसी का काल है..."

राज अपना लण्ड अंदर घुसाने लगता है।

नेहा- अहह.. राज प्लीज़.. छोड़ो ना।

राज को कुछ सूझता है और वो नेहा को छोड़ देता है। नेहा को भी थोड़ी हैरानी होती है की राज तो इतना जिद्दी है, उसने कैसे उसकी इतनी आसानी से छोड़ दिया। नेहा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है और भागकर ही बाथरूम से बाहर जाती है।

पानी की बूँदें उसके गोरे जिस्म पर थी, जिससे वो और भी हाट लग रही थी। बेड के पास जाकर वो अपना मोबाइल देखती है, तो उसपर उसके पति का काल था। नेहा थोड़ा टेन्शन में आ जाती है। क्योंकी वो इस वक्त राज जैसे घटिया बूढ़े के साथ उसी के बेडरूम में नंगी घूम रही है।

इधर राज बाथरसम के दरवाजे से नेहा को नंगी बेड के पास खड़ी देख रहा था। नेहा की गोरी गाण्ड उसकी तरफ थी। वो अपना लण्ड मसलते हुए देख रहा था नेहा की गाण्ड।

राज- "हाय्य मेरी बुलबुल। तेरी यही गाण्ड तो मुझे दीवाना बनाती है। इसी गाण्ड में दम कर के रखा है मेरे लण्ड को। लेकिन अब कोई फिकर नहीं है। क्योंकी अब त सिर्फ मेरी है। तेरी गाण्ड, तेरी चूत, तेरी चूचियां, तेरा परा जिश्म अब सिर्फ और सिर्फ मेरे नाम हैं..." ऐसा बोलकर राज के बदसूरत चेहरे पर एक कमीनी स्माइल आ जाती है।
 
इधर नेहा काल उठाती है- "हेलो..."

विशाल- नेहा क्या कर रही हो?
नेहा- ओह्ह... वो कुछ नहीं बस बेड पर लेटी हुई औ।
विशाल- अच्छा।
नेहा- तुम पार्टी में नहीं गये क्या?
विशाल- पार्टी में ही हैं। थोड़ा टाइम मिला तो सांचा तुमसे बात कर लें।
नेहा- अच्छा जी... तो याद आ रही है आपको मेरी।
विशाल- याद तो आ रही है तुम्हारी।

नेहा मन में- "काश विशाल तुम मेरी याद के साथ मेरा खयाल भी रखते। तुमको नहीं पता की यहां यह बूढ़ा तुम्हारी बीवी की क्या हालत कर रहा है। यह V तुम्हारी बीबी को अपनी गर्लफ्रेंड तक बना चुका है। पता नहीं आगे क्या-क्या करेगा ये तुम्हारी बीवी के साथ? विशाल कहीं ये तुम्हारी बीवी को भगा ना ले जाए।
नेहा- बस बस अब आप पार्टी एंजाय कीजिये।
विशाल- चलो ठीक है।
नेहा- बाइ।
विशाल- "बाइ.." फिर दोनों काल खतम करते हैं। नेहा वहाँ पर खड़ी थी।
राज तभी बाथरूम से- "मेरी जान हो गया क्या बात करके अपने पति से। अब अपने इस बायफ्रेंड का भी कुछ खयाल करो..."
नेहा मुड़कर राज को देखती है। उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती हैं। लेकिन वो वहाँ पर खड़ी रहती है।
राज- जल्दी आ मेरी जान।
नेहा शरारती भाव के साथ- "में नहीं आने वाली.." ऐसा बोलकर बो स्माइल करती है।
नेहा अब बहुत खुलकर राज से बात कर रही थी। क्योंकी वो नंगी ही राज से बात कर रही थी। खुद को छुपाने की जरा भी कोशिश नहीं कर रही थी।
राज- अनार त अंदर नहीं आई तो मैं उधर आ जाऊँगा। सोच ले?
नेहा- नहीं नहीं इधर मत आजा। फर्श गीला हो जायगा।
राज- तो इधर आ जल्दी।
नेहा कुछ देर रुक कर उधर जाने लगती है। राज बाथरूम में खड़ा अपना लण्ड हिला रहा था। जिसे देखकर नेहा समझ रही थी की राज आगे क्या करने वाला है। नेहा दरवाजे के पास जाकर रुक जाती है। राज झट से उसका हाथ पकड़कर अंदर खींच लेता है। जोर की वजह से नेहा सीधा राज के सीने से जा लगती है। दोनों
एकदूसरे को देखने लगते हैं। राज की एँ अपनी तरफ हवस भरी नजरों से देखने से नेहा शर्म के मारे अपनी नजर झका लेती हैं।
राज- "हाय शर्मा रही हैं मेरी जान। अब हमसे क्या शर्माना?" ऐसा बोलकर राज नेहा को पलटकर झका देता हैं, और पीछे से अपना काला लण्ड उसकी चूत पर टिका देता है।

नेहा- "अहह...
दोनों शावर के नीचे थे। पानी अभी भी उनके ऊपर गिर रहा था। अब राज नेहा की कमर पकड़कर अपना लण्ड
अंदर घुसा देता है एक धक्के के साथ।
नेहा- "अहह...
आधा लण्ड अंदर आ। राज भी थोड़ा झक कर नेहा की गोरी पीठ को चूमता है। अब वो एक और धक्का लगाता है, तो उसका लण्ड और अंदर जाता है।
नेहा- "अहह... धीरे."
राज उसकी पीठ को चूमते हुए अब धक्के लगाने लगता है। पानी की वजह से टप-टप-टप की आवाजें आने लगती हैं। नेहा के झकने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां मचल रही थी। ऊपर से उसके खूबसूरत चेहरे पर धक्कों के साथ बिखरे बाल। अफफ्फ... काफी हाट इश्य था। एक बड़े घर की बहू को पूरी तरह से इश्तेमाल कर रहा था ये बड़ा।
नेहा- "अहह..'
राज कभी-कभी झुक कर चूचियां भी दबा रहा था। नेहा को अब ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। कीम का उसको में चूमना आदि सब अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर की चुदाई के बाद राज रुक कर नेहा को पलटा देता है। अब दोनों आमने सामने थे। वो अब नेहा की एक टांग उठाकर अपना लण्ड उसकी गुलाबी चूत पर टिकाकर धक्के लगाने लगता है।
नेहा- "अहह... और इस बार नेहा के सबसरत चेहरे पर सेक्सी भाव राज देख सकता था। नेहा की आँखें आधी बंद और सिसकारियां। वो बस राज की जोरदार चुदाई एंजाय कर रही थी।
राज अब नेहा का चेहरा पकड़कर उसकी नजरें खुद की नजरों से मिलते हर- "मेरी जान तेरी चूत की जो गर्मी हैं जा मेरे लण्ड को बहुत पसंद है.."
नेहा शर्माकर नीचे देखने लगती हैं।
राज- ऐसी गर्मी किसी और चूत में नहीं।
नेहा इस बात पर ऊपर देखती है, और कहती है- "नेहा- किसी और की चूत? और किसके साथ चल रहा है तुम्हारा?" और नेहा इस बार सीरियस होकर बोलती है।
राज को भी पता था की नेहा पहले ही दो-तीन औरतों से जेलस महसूस कर चुकी हैं उसके लिए।

राज- कोई नहीं है मेरी जान। ऐसे ही बोला मैंने।
नेहा- तुमने अभी तो कहा ना किसी और में नहीं?
राज- वो तो ऐसे ही बोला मैंने।
नेहा चुप हो जाती है।

राज नेहा की टांग उठकर चोद रहा था। अब राज आगे झुक कर उसकी चूचियां मुंह लेकर चूसने लगता है।
नेहा- "उम्म्म्म
... अहह... वो उम्म अहह.. ओहह.."
राज के धक्के इस बार थोड़े तेज थे। 5 मिनट की इसी तरह चुदाई के बाद राज रूक जाता है, और वहीं बाभरकम की टाइल्स पर लेट जाता है- "मेरी जान... अब पानी बंद कर दे, और आ जा मेरे ऊपर "
नेहा वहीं पर खड़ी राज को लेटा हुआ देख रही थी। उसकी नजर राज के लौड़े पर जाती है, जो अभी भी खड़ा था। गंदा सा लग रहा था। अभी-अभी वो उसी की चूत में जाकर बाहर आया था।
राज- जल्दी कर ना।
नेहा अब शावर बंद कर देती है। राज उसको अपने ऊपर खींच लेता है। नेहा का चेहरा राज की ओर था। अब राज नीचे से अपना लण्ड नेहा की चूत में घुसाता है और चुदाई शुरू कर देता है।
नेहा- "अह.. अहह... हो आह्ह... अहह.."
राज नीचे से अपनी काली जांघे ऊपर-नीचे कर रहा था। नेहा बस पड़ी हई भी उसके ऊपर। राज एक बार के लिए नेहा के मासूम से खूबसूरत चेहरे को देखता है। चुदाई की संतुष्टि उसके चेहरे से साफ झलक रही थी। राज से रहा नहीं जाता है और वो नेहा के चेहरे को पकड़ लेता है। अपना चेहरा पकड़ने से नेहा उसकी तरफ देखती है। दोनों की नजरें आपस में मिल जाती हैं।
 
राज अपने काले होंठ उसकी तरफ बढ़ाता है। नेहा इस बार अपने हाथसे राज के चेहरे को पकड़ लेती है और वो भी अपने लाल होंठ उसकी तरफ बढ़ाती है। दोनों के तरसते होंठ मिलने में ज्यादा देरी नहीं लगती है। होंठ मिलते ही दोनों पागलों की तरह एकदूसरे को किस करने लगते हैं। नीचे से राज के धक्के जारी थे।
नेहा- "उम्म्म्म ... उम्म्मह... उम्म्म्म
..." और किस की वजह से नेहा की आवाज उसके मुँह में ही रह रही थी।
राज के हाथ पीछे से नेहा की गाण्ड को मसल रहे थे।

नेहा- "उम्म्म्म ... अहम्म्म्म ..."

चुदाई हो ही रही थी की बाहर दरवाजे पर नाक होती है। जिसे सुनकर राज रुक जाता है। नेहा भी डर जाती है अब। इरे भी क्यों ना? वो इस बड़े घर की बहु होकर एक बूढ़े के साथ इस वक्त चुद रही है। नेहा के दिमाग में अलग-अलग खयाल आने लगते हैं। दोनों किस तोड़ चुके थे।
नेहा- "इस वक़्त कौन आया होगा? कहाँ विशाल वापस तो नहीं आ गये.. और नेहा की पशीने छूटने लगते हैं डर के मारे।
***** ****

दोनों को नहीं पता था की आखीर कार, इस वक़्त कौन बाहर खड़ा है? नेहा की तो हालत बुरी थी क्योंकी वो अगर नंगी हालत में एक बटे के साथ पकड़ी गई तो उसकी शादी टूटना तो पक्का था। यही सब बरे खयालात उसके दिमाग में आ रहे थे।

नेहा- ओह नहीं... अब में क्या करें?
राज भी थोड़ा टेन्शन में था की कहीं उसका पति तो नहीं आ गया। लेकिन वो खुद को थोड़ा रिलेक्स करके कहता है- "मेरी जान जा जाकर दरवाजा खोल दे। लेकिन उसको यही अंदर मत आने देना.."

नेहा भी कुछ सोचकर बाहर चली जाती है। फिर वह एक तौलिया लपेट लेटी है खुद पर, और दरवाजा की तरफ चल देती है। दरवाजा खोलते हुए उसके हाथ कांप रहे । आखीर कार, बो दरवाजा खोल हा देती है। सामने खड़ी सख्स को देखकर वो थोड़ी सी राहत की सांस लेती है। सामने रिया खड़ी थी जो कुछ परेशान लग रही थी।

नेहा- क्या हुआ रिया? इतनी ग़ात का?

रिया- "दीदी वो मम्मीजी के भाई की तबीयत खराब हो गई है। तो सब लोग जा रहे हैं। आप आ रही हो ना?"

नेहा को समझ नहीं आ रहा था के वो क्या करें? नेहा बोली- "रिया, वो मैं अभी नहीं सकती। मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है.." और नेहा झठ भूल रही थी क्योंकी राज बाथरुम में आ।

रिया- ठीक है दीदी। मैं मम्मीजी को बोल देती हैं। हम कल आएंगे शायद।

नेहा- ठीक है।
रिया फिर जाने लगती है।

नेहा झट से अंदर जाती है। उसे बाथरूम के दरवाजा पर राज नंगा नजर आता है। नेहा शर्म के मारे अपनी नजर नीचे कर लेती हैं।

राज. कौन था?
नेहा- वो... वो रिया थी।

राज- क्या हुआ उसको?

फिर नेहा पूरी कहानी बताती है उसको।

राज- ओहो... इसका मतलब चान्स अच्छा है। तू एक काम कर, उस रिया को रोक ले जाने से।

नेहा- लेकिन क्यों?

राज. तुझे याद है ना। तूने कहा था की तू जय की मदद करेगी रिया को पटाने में।

नेहा- प्लीज़... राज रिया बहुत अच्छी लड़की है। तुम उसकी जिंदगी ५ बर्बाद मत करो।

राज- ये अच्छी बचछी का पुराण बंद कर और जाकर जल्दी उसे रोक।

नेहा समझ नहीं पा रही थी की वो क्या करे? क्या वो अपनी बहन जैसी रिया को उस गंदे जय के हवाले कर दे। लेकिन नेहा पर राज का कंट्रोल काम कर जाता है। फिर भीड़ी देर बाद वो बाईरोब से एक नाइटी निकालकर जल्दी से बाहर चली जाती है।

राज इधर गम में सोचता है- "अब आएगा मजा इन दोनों बहुओ के साथ। हम दोनों ऐसे ऐसे मजे करेंगे की कोई सोच भी नहीं सकता.."
 
इधर नेहा रिया के रूम में आ जाती है। रिया जाने के लिए तैयार हो रही थी।
रिया नेहा को यहाँ देखकर- "क्या हुआ दीदी, आप भी आ रहे हो क्या?"

नेहा- नहीं। वो मैं ये कहने आई थी की सब लोग उधर जा रहे हैं तो मैं अकेली रह जाऊँगी इधर।

रिया- इसीलिए कह रही हैं दीदी आप भी चलो हमारे साथ।

नेहा- वो... रिया क्यों ना तुम भी रुक जाओ इधर हो। मम्मीजी और पापाजी हो आएंगे उधर।

रिया- लेकिन दीदी वो दोनों अकेले?

नेहा- अरे तो तू सौरभ को काल कर देना... मैं विशाल को काल कर देती हैं। वो दोनों चले जाएंगे उनके साथ।

रिया- ठीक है दीदी में करती हूँ काल सौरभ को।

नेहा- ठीक है में विशाल को काल कर के आती है।

फिर नेहा वहीं से ब्याहर आ जाती है। नेहा विशाल को काल करके सब बताती हैं और वो और सौरभ उधर से घर के लिए निकल जाते हैं। नेहा बाहर हाल में आई हुई थी। तभी उसकी सास अपने रूम से तैयार होकर आती है।

नेहा उधर जाकर- "मम्मीजी सब ठीक हो जायगा। फिकर मत कीजिये.."

सावित्री वो सब तो ठीक है बहू, लोकल तुम नहीं आ रही हो क्या?

नेहा- नहीं मम्मीजी मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है। मैंने विशाल को काल कर दिया है वो लोग आ रहे हैं।

सावित्री ठीक है बहू ।
थोड़ी देर में वो लोग आ जाते हैं। फिर वो लोग निकल पड़ते हैं उधर जाने के लिए। अब घर में नेहा और रिया ही बचे हुए थे, और नेहा को रूम में राज।

नेहा हाल में खड़ी थी कि उसे एकदम से याद आता है की उसके गम में तो राज है। नेहा जल्दी से जाने लगती है

रिया- दीदी क्या हुआ? कहाँ इतना जल्दी जा रही हो?

नेहा- वो कुछ नहीं बस वो थोड़ा गीजर ओन किया था। नहाने जा रही हैं।

रिया- ठीक है दीदी। रात भी बहुत हो गई है। मैं भी सो जाती हैं।

नेहा- "ठीक है." फिर नेहा उधर चली जाती है। रुम में जाकर वो देखती है की राज बेड पर पूरा नंगा लेटा हुआ है। नेहा उसे देखकर शर्मा जाती है।

राज- हाय आ गई त। आ जा जल्दी से।

नेहा धीरे-धीरे उधर जाने लगती है। नेहा एक नाइटी में और चलते हुए उसकी चूचियां हिल रही थी। जिसे राज बड़े ही कामुक नजर से देख रहा था। नेहा बेड के पास आ जाती है।

राज. क्या हुआ नीचे? उस रिया मेमसाहब को रोक लिया या नहीं?

नेहा- हाँ रोक लिया।

राज- और अब तुम दोनों ही हो ना घर में?

नेहा- हाँ ।

राज- क्या बात है मेरी जान... अब तने की जा मेरी गर्लफ्रेंड वाली बात।

नेहा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। राज फिर अपनी जेब से अपना छोटा सा मोबाइल निकालकर किसी को काल लगता है।

राज- "हाँ सुन बे तेरी रिया अकेली है अपने रूम में। और घर में कोई भी नहीं हैं। जल्दी से आ अंदर... राज ने जय को काल किया ।

नेहा- किसे काल किया था तुमने?

राज- मेरी जान, रिया के आशिक को।

नेहा- तुम दोनों सच में पागल हो।
राज. पागल तो मैं हैं ही, तेरे हान के प्यार में।
नेहा शर्मा जाती है। राज उसे अपने ऊपर खींच लेता है। इधर जय मुख्य दरवाजे से होते हए आराम से अंदर आ जाता है। जय चलते हुए जा रहा था रिया के रूम की तरफ।
इधर राज नेहा को अपने ऊपर खींच कर उसे अपनी बाहों में भरे हुए था।
नेहा- जानेमन अब तो तेरे घर में कोई नहीं है। बहुतू मज़े करेंगे।
नेहा- क्या कोई नहीं है। रिया हैं ना? और तुमने इतना कुछ किया आलरेडी। थकते नहीं क्या तुम?
राज. तेरे साथ अक गया तो क्या फायदा मेरी जान। तू चीज ही ऐसी है की मेरा मन तुझसे कभी नहीं भरता।
नेहा के चेहरे पर स्माइल आ जाती हैं। तभी रिया के कमरे से आवाज आती हैं।
रिया- "दीदी दीदी.."
राज इधर समझ जाता है की वहाँ जय आ चुका है।
नेहा- यह रिया को क्या हो गया? क्यों चिल्ला रही है? मैं देख कर आती हैं।

राज उसका हाथ पकड़कर वापस बिठा देता है, और कहता है- "मेरी जान फिकर मत कर। कुछ नहीं हुआ उसे। वो उसका आशिक आ गया लगता है.."
नेहा- लेकिन वो चिल्ला रही है। कहीं तुम्हारे उस दोस्त ने कुछ कर तो नहीं दिया?
राज- कुछ नहीं करेगा।
नेहा थोड़ा शांत हो जाती है।
इधर रिया के रूम में हश्य ही कुछ अलग था। रिया को दीवार से सटाया हुआ जय बिल्कुल उसके सामने खड़ा
था। रिया की दोनों नाजुक कलाई जय के काले हाथ पकड़े हुए थे। और रिया के चेहरे पर गुस्सा साफ नजर आ रहा था। रिया जो तैयार हुई थी जाने के लिए। अभी भी उन कपड़ों में भी। बी जीन्स और टाप में थी। टाप थोड़ा टाइट आ। इस तरह दीवार से सटे होने की वजह से रिया की धड़कनें तेज चल रही औं। जिसकी वजह से उसकी चूचियां उस टाइट टाप में ऊपर-नीचे हो रही थी। जय अपना बदसूरत चेहरा लिये हुए उसके सामने खड़ा आ, और रिया को देख रहा था। रिया लाख कोशिश कर रही थी उसकी पकड़ से छुटने की लेकिन नहीं हो पा रहा था उससे
जय- भूल गई क्या थप्पड़ जो तूने मुझे मारा था।
रिया- मैं चिल्लाऊँगी।
जय- चिल्ला चिल्ला। तेरे घर में कोई नहीं है मुझे पता है।
रिया- "दीदी दीदीड....
जय- तेरी दीदी नहीं आनेवाली।
रिया- क्यों?
जय अब रिया के गले को चूमने लगता है।
रिया- आहह... दूर रहो मुझसे ।
जय- "तुझसे दूर रहने के लिए यहीं नहीं आया हूँ मैं समझी..." ऐसा बोलकर जय अब रिया के गल्ले को चाटने लगता है।
रिया- "ओहह... दूर रहो मुझसे..." रिया को पहले भी जय ऐसा पकड़ चुका था लोकिन आज घर पर कोई नहीं आ। रिया को जय के मुँह से आती गंदी बदबू अलग से परेशान कर रही थी। कहती है- "छोड़ मुझे कमीने.."

जय उसको छोड़ कर- "ले छोड़ दिया। अब क्या?"
रिया जय को एक बार गुस्से से देखकर, उधर से जाने लगती है। वो थोड़ी दूर जाती है की जय उसे पीछे से पकड़ लेता है और उसकी चूचियां दबाने लगता है।
रिया- "अहह.. कमीने..." और रिया को अपनी गाण्ड की दरार में जय का बड़ा लण्ड महसूस हो रहा था। साइज महसूस करके ही रिया बहुत डर जाती है। रिया उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करती हैं। लेकिन जय की पकड़ बहुत मजबूत थी।
जय रिया के कान के पास आकर- "तो इस मखमली जिम के लिये बहुत तड़पा है में..."
रिया को ये सुनकर ही घिन आ रही थी। वो फिर से जय की पकड़ से छूटने की कोशिश करती है, लेकिन नहीं हो पाता। उल्टा जय के लण्ड का दबाब उसकी गाण्ड पर और ज्यादा हो रहा था। अब तो जय रिया की गाण्ड पर दबाव डाल रहा था अपने लण्ड से। जो रिया के लिए कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था।
इधर राज और नेहा इस रूम में मस्ती कर रहे थे। राज की बाहों में नेहा थी।
राज- मेरी जान, चल ना देखते हैं वो दोनों क्या कर रहे हैं?
नेहा- देखो राज मैं अभी भी बोल रही है प्लीज... रिया के साथ ऐसा ना होने दो। वो अच्छी लड़की है।
राज- तू फिर से शुरू हो गई। मैंने कहा ना कुछ नहीं होता। चल देखते हैं क्या हो रहा है वहीं।
नेहा- नहीं नहीं मुझे नहीं देखना।
राज- चल ना मेरे लिए।
नेहा- "मुझे नहीं देखना राज प्लीज़."
राज- तू ऐसे नहीं मानेगी ना?" और राज नेहा की तरफ कामुकता से देखने लगता हैं।
नेहा जानती थी राज क्या कर सकता है। कहा- "नहीं नहीं चल रही हूँ.."
राज- "ये हुई ना बात.." फिर राज आगे चलने लगता है।
नेहा उधर जाने के लिए झिझक रही थी।
राज- चल जल्दी।

नेहा भी चलने लगती हैं। वो रिया के रूम के बाहर तक पहुँच जाते हैं। रूम के अंदर से आवाज आती है।
"कमीनी... छोड़ मझे." ऐसी सब आवाजें आ रही थी।

नेहा धीरे से- "देखो राज ये गलत कर रहा है वो रिया के साथ। प्लीज़... रोको उसे...

राज- कुछ नहीं कर रहा है मेरी जान। बस उसे प्यार कर रहा है।

नेहा- ये कैसा प्यार हैं जबरदस्ती से?

राज. पहले ऐसे ही होता है। बाद में वो भी लाइन पर आ जाएगी।

नेहा चुप हो जाती है। दरवाजा थोड़ा सा खुला था, जिससे यह दोनों अंदर देख रहे थे। अंदर जय रिया को पीछे से पए था, और उसकी चूचियां दबा रहा था। अब तक रिया की सिसकारियां निकलने लगी थी।

बाहर का भी दृश्य कुछ कम हाट नहीं था। नेहा आगे खड़ी थी और उसके पीछे राज। नेहा बड़े ही उत्तेजना के साथ अंदर देख रही थी, और राज भी उसके पीछे खड़ा अंदर देख रहा था।

अंदर जय अब रिया को गरम होता देखकर, अपना एक हाथ रिया की कमर से होते हुए उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी चूत पर ले जाता है। इस तरह हाथ लगने से रिया एक बार के लिए उछल पड़ती है। लेकिन उसके चेहरे के भाब चेंज हो रहे थे। जय अब रिया की चूत को साड़ी के ऊपर से ही मसलने लगता है।

बाहर ये सब देखकर राज का लण्ड खड़ा हो जाता है। राज नेहा के कान के पास जाकर जो बड़े गौर से अंदर का दृश्य देख रही थी, कहता है- "देख मेरी जान कैसे दोनों मजे कर रहे हैं?
नेहा कुछ नहीं बोलती

राज अब उससे चिपक के खड़ा हो जाता है। जिसे महसूस करके नेहा एक बार पीछे देखती है। फिर आगे देखने लगती है।

जय अब अंदर रिया की चूत सहलाना बंद कर चुका था। इसी बीच रिया झड़ चुकी थी। जय अब रिया को बेड पर धकेल देता है। रिया बेड पर गिर जाती हैं। अब जय अपनी शर्ट निकालने लगता है।

रिया- प्लीज्ज... ऐसा मत करो मेरे साथ। छोड दो ।

जय कुछ नहीं बोलता। बस अपनी शर्ट निकाल देता है। एकदम काला सा दिखने वाला शरीर उसका पहली बार रिया के सामने था।

बाहर नेहा की नजर भी पहली बार उसके पति और राज के अलावा किसी गैर आदमी के नंगे शरीर पर पड़ी।

राज उसके पीछे चिपका हुआ बड़े कामुक तरीके से नेहा की गाण्ड से चिपका हुआ था। जो नेहा को उधर गरम कर रहा था। लेकिन नेहा चुपचाप खड़ी देख रही थी अंदर।

रिया अपना मुँह फेर लेती है जय को कपड़े निकालता देखकर, और कहती है- "क्यों मेरी जिंदगी खराब कर रहे हो' प्लीज.. छोड़ दो मुझे.."

जय कुछ सोचकर- "अच्छा ठीक है छोड़ देता हूँ लेकिन एक शर्त पर।

रिया जय की तरफ हैरत से देखते हुए- "कसी शर्त?"

जय अपना लौड़ा मसलते हुए- "एक बार मेरा लण्ड चूस दे। फिर मैं तुझे छोड़ दूंगा.."

रिया- क्या? गंदे कहीं के। में नहीं करने वाली ये सब।

जय- तो फिर तैयार हो जा। आज परी रात तेरे साथ मजे करना है मुझे।

रिया इस बात से दूर जाती हैं- "नहीं नहीं प्लीज... मत करो ये सब..."

जय- देख तुझे कुछ तो करना पड़ेगा। या तो लण्ड चूस या फिर चुदाई के लिए तैयार हो जा।

बाहर खड़ी नेहा जय की बातें सुन रही थी। उसका बुरा हाल हो रहा था रिया की ये हालत देखकर। लेकिन पता नहीं वो फिर भी बड़ा इंटरेस्ट लेकर अंदर का शो देख रही थी।
 
रिया मन में- "ये में कहीं फंस गई। इस कमीने बढ़े को तो में पोलिस के हवाले कर देंगी। अब में क्या करेंग?"

जय- बोल बोल क्या करना चाहती है?

रिया नजर झका लेती है।

जय जानता था की रिया लण्ड चसने के लिए तैयार है। अब जय अपने पैंट की जिप खोलने लगता है।

इधर तभी ऐसा करते हुए देखकर नेहा पीछे हट जाती है।

राज जो उसके पीछे खड़ा था वो भी पीछे हट जाता है, खर कहता है- "क्या हुआ तुझे?"

नेहा- मुझे नहीं देखना आगे।

तभी राज अंदर देखता है। अंदर का हश्य देखकर राज भी समझ जाता है की नेहा क्यों पीछे हटी।

राज- "ओहो तो यह बात है। ठीक है चल तेरे रूम में चलते हैं...

नेहा कुछ नहीं बोलती। बस चलने लगती है अपने रुम को और। राज भी खुश होकर उसके पीछे पीछे जाने लगता है।

इधर जय जिप खोलकर अपनी अंडरवेर में से अपना काला लण्ड बाहर निकाल लेता है।

रिया उस काले बदसूरत लण्ड पर नजर पड़ते ही अपना मुँह फेर लेती हैं।

जय अपना लण्ड पकड़कर धीरे से ऊपर-नीचे करने लगता है, और कहता है- "चल अब इधर देख.."

रिया को घिन आ रही थी एक गंदे बटे के सामने लाचार होकर। वो कुछ करने की हालत में भी नहीं थी। घर में कोई था भी नहीं। जय अब रिया के मुँह के नजदीक अपना लण्ड ले जाता है। रिया अपना मुंह दूसरी तरफ किर हुई थी। पेशाब की बदबू से ही उसे उल्टी सी आने लगती है।

जय- इधर देख जल्दी।

रिया अब धीरे से अपना मुँह उधर करती है। लण्ड देखते ही फिर से वो अपना मुँह फेर लेती हैं। इतना गंदा लण्ड था जो रिया ने अपने भयानक सपने में भी नहीं देखा था। ये बात जय भी जानता था की रिया जैसी बड़े घर की इतनी खूबसूरत बह ने इतना गंदा लण्ड कभी नहीं देखा होगा।
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जय अब रिया के होंठों के करीब अपना लौड़ा ले जाता है। उसके गुलाबी होंठों के बिल्कुल पास जय का काला मोटा लण्ड था। जय बोला- "चल मँह खोल अपना..."

रिया बिलकुल नहीं चाहती थी की इतना गंदा लण्ड वो अपने मुँह में ले। वो भी एक काले बटे का। सोचकर ही रिया को घिन आ रही थी। रिया बेमन से अपना मुँह खोलती हैं। जय के चेहरे पर एक कमीनी स्माइल आ जाती हैं। जय धीरे से अपना काला लौड़ा रिया के गुलाबी होंठों से लगा देता हैं।

रिया के चेहरे पर लण्ड अपने होंठों से टच होते ही एक अजीब सा अनुभूति आ जाती है, जैसे वो उल्टी करना चाहती हो। लेकिन वो खुद को संभाल लेती हैं।

जय अब अपना लण्ड धीरे-धीरे रिया के मुंह में डालने लगता है। रिया को बहुत बदल आ रही थी उस गंदे लण्ड से। लेकिन वो बस बुत बनी बैठी थी। जिससे जय को आसानी हो रही थी। रिया को जय की झांटों से भी परेशानी हो रही थी। उन घनी झांटों से पसीने की बदब अलग आ रही थी। जय का काला मोटा लण्ड बहुत मुश्किल से रिया के मुँह में जा रहा था।

जय- अहह... क्या मजा है इसमें।

जय को रिया के मुँह की गर्मी अपने लण्ड पर पागल बना रही थी। एक बड़े घर की खूबसूरत बह के मुँह में अपना काला लौड़ा डाले हुए रहना उसको उत्सुकता से पेल रहा था।

जय- "आहह..." और जय आधा लण्ड अंदर डालने के बाद धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगता है।

रिया अपना मुह जितना हो सके उतना खुला रखने की कोशिश कर रही थी। जय अपना पूरा लण्ड नहीं घुसा पर रहा था अंदर। था ही उतना बड़ा उसका लण्ड। वैसे करते हुए उसके बाल्स जो एकदम गंदे काले लग रहे थे। हर धक्के के साथ हिल रहे थे। रिया के बाल बार-बार उसके चेहरा पर आ रहे थे।

जय अब रिया के बाल अपने एक हाथ से अपनी मुट्ठी में पकड़ता है। और अपने लण्ड पर रिया का चेहरा आगे-पीछे करने लगता है। जय मजे में डूबा हुआ था। जय के खड़े होने की वजह से उसको रिया के ब्लाउज़ से उसकी क्लीवेज साफ दिख रही थी। जो जय को और पागल बना रही थी। ऊपर से रिया के गले में लटकता हुआ उसके पति के नाम का मंगलसूत्र। रिया के मुँह से गप्न-गप्प की आवाजें आने लगती है। रिया की भूक से जय का लौड़ा गोला हो गया था। रिया को अपने मुँह में अजीब सा नमकीन टेस्ट आ रहा था।

रिया ने कभी नहीं सोचा था की वो कभी अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द का वो भी एक गंदा काला बुड्ढ़ा का लण्ड चूसेगी। थोड़ी देर बाद जय से रहा नहीं जाता और वो रिया के सिर को पीछे से पकड़कर अपने लण्ड पर दबाता है। इस बार काफी लण्ड उसके मुँह में अंदर चला जाता है।

रिया को बहुत तकलीफ हो रही थी। रिया खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। लोकल जय ने बहुत मजबूती से पकड़ रखा था उसके सिर को। जय का लण्ड रिया के गले तक गया हुआ था। अभी भी थोड़ा लण्ड बाहर था। जय की झांटें रिया के मुंह के करीब थी। कुछ एक मिनट ऐसे करते हुए हो गया था। रिया की साँसें अटकी हुई थी। वो जैसे अब किसी भी वक्त बेहोश हो जायेगी। उसकी आँखें बंद होने लगती हैं।

तभी जय अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है। जैसे ही लण्ड बाहर निकलता है रिया झक कर खांसने लगती हैं। वो बुरी तरह से सांस ले रही थी। अपनी सौंसों पर काबू पानी की कोशिश कर रही थी। वहीं जय के काले लौड़े पर रिया की थूक लगी हुई थी। रिया खोंसते हुए बहुत सेक्सी लग रही थी। बाल उसके चेहरे पर आए हुए थे। उसके गुलाबी होठों पर उसकी भूक लगी हुई थी। जय भी ये सब देखकर बहुत खुश हो रहा था।

रिया थोड़ी देर बाद नार्मल हो जाती है। अब रिया उठकर वाशरूम की तरफ जाने लगती है। तभी जय उसका गोरा कोमल हाथ पकड़ता है। जिसे देखकर प्रिया उसकी तरफ गुस्से से देखती है।
 
रिया- छोहो मेरा हाथ।

जय- क्यों?

रिया- तुमको जो चाहिए था वो मिल गया ला। इसलिए छोड़ो मुझे।

जय- तुझे इस हालत में देखकर में और बहक रहा हैं।

रिया इस बात पर डर जाती है, और कहती है- "देखो तुमने सिर्फ इतने की ही बात की थी...

जय- वादा तो नहीं किया था ना?

रिया अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है- "छोड़ो मुझे."

जय- तुझ छोड़ने के लिए नहीं चोदने के लिए पकड़ा है।

रिया फिर से उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करती है। लेकिन जय उसे जाने नहीं देता। बल्कि इस बार जय उसे जोर से अपनी ओर खींचता है। जिससे वो जय की ओर खिंची चली जाती है। रिया सीधा जय की बाहों में चिपक जाती है। जिस फोर्स से जय ने उसे खींचा था की रिया की चूचियां जय की छाती से दबी हुई थीं। जय रिया को पीछे से अपनी तरफ और दबाकर जोर से अपने गले लगाता हैं। जिसमें रिया की चूचियां जय की छाती से दब जाती हैं।

थोड़ी देर बाद जय रिया की गाण्ड फर अपने हाथ रखता है और मसलता है। जिसमें रिया को अजीब सी फीलिंग आती है। अब तक जय की जबरदस्ती से उसे बहुत घिन आ रही थी। लेकिन मैं जय का उसकी गाण्ड दबाना उसे एराटिक फीलिंग दे रहा था। लेकिन फिर भी वो खुद को जय से हारना नहीं चाहती थी, और लगातार विरोध कर रही थी। लेकिन इस बार जय की हरकत ने उसे अंदर से हिला दिया था। जय का अकड़ा हुआ लण्ड उसको अपनी चूत पर चुभ रहा था साड़ी के ऊपर से। दोहरा अटक हो रहा था उसपर जय दवारा।

जय मन में- "ये साली अब थोड़ा शांत लग रही हैं। यही सही मौका है इसकी और गर्म करने का...'

जय अब आगे से झटके मारने लगता है। जैसे वो रिया को चोद रहा हो। इस तरह हरकत रिया उम्मीद नहीं कर रही थी। लेकिन ऐसा करने से उसके शरीर में एक बिजली से दौड़ जाती है। उसका बदन अकड़ने लगता है। इसी बात का फायदा उठाते हुए जय रिया के ब्लाउज़ की डोरी खोल देता है। जिससे रिया की पीठ नंगी हो जाती है। जय रिया की गोरी नंगी पीठ पर अपने काले हाथ फेरते हर कहता है।

जय- तेरा जिश्म क्या मस्त है? क्या गारा और कोमल बदल है तेरा.. तेरे सामने अच्छी से अच्छी हेरोइन भी फेल हो जाये। तेरे इस मखमली जिम के साथ में बड़े अच्छी तरह से खेलेंगा..

जय अब रिया की पीठ पर हाथ फेरते हुए उसके ब्लाउज़ को आगे से निकाल देता है। रिया एक अजीब दुनियां में खोई हुई थी। उसका विरोध काफी हद तक कम हो गया था। रिया अब ऊपर से ब्रा में थी। आँखें बंद, गोरी आधी नंगी पीठ। ये सब चीजें जय को बम और पागल बना रही थी। अब जय आगे से रिया के पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगता है।

रिया उसे रोकती है- "प्लीज़... मत करो.."

जय उसकी बात को अनसुना करते हुए नाड़ा खोल देता है। रिया का पेटीकोट सरकते हुए नीचे उसके पैरों में गिर जाता है। अब रिया सिर्फ ब्रा और पेटी में खड़ी थी। रिया खुद को छुपाने लगती है। तभी जय उसे फिर से अपनी बाहों में भर लेता है। लेकिन इस बार उसे वो उठाकर बेड की तरफ जाने लगता है। बेड के पास पहुँचकर वो रिया को बेड पर लिटा देता है, और खुद साइड में खड़े होकर अपने कपड़े एक-एक करके उतार देता हैं। अब वो सिर्फ अपनी बड़ी सी अंडरवेर में था। जिसमें एक बड़ा सा तंबू बना हुआ था। जो साफ-साफ बता रहा था के उसका बड़ा काला लौड़ा अंदर से परा तैयार हैं रिया की हालत बुरी करने के लिए।

जय अब बेड पर चढ़ता है, और रिया के ऊपर आ जाता है। वो रिया के चेहरे की तरफ जाने लगता है। जय का बदसूरत चेहरा अपने खूबसूरत चेहरे की तरफ आता देखकर रिया अपना मुँह दूसरी तरफ कर लेती है। लेकिन उससे जय को कुछ फर्क नहीं पड़ता। वो रिया के गले पर अपना मुह रखकर चूमने लगता है वहाँ।

रिया- "उम्म्म्म ... आहह.."

रिया की धड़कनें तेज चल रही थी जिसकी वजह से उसकी ब्रा में केंद्र चूचियां ऊपर-नीचे हो रही औं। जय रिया के गले की हर तरह से चल रहा था। वो तो ऐसे चम रहा था जैसे उसे कोई चीज बरसों बाद मिली हो। बस टूट पड़ा आ वो रिया के ऊपर। थोड़ी देर बाद वो थोड़ा नीचे आता है और रिया को ब्रा के ऊपर से ही उसकी क्लीवेज को चूमता है।

रिया- "अहह..."
जय फिर थोड़ा और नीचे आकर, ब्रा के ऊपर से उसकी दोनों चूचियों को चूमता है।

रिया- "अहह... अहह.. और रिया का विरोध अब सिसकारियों में चेंज हो रहा था।

जय थोड़ा और नीचे आकर रिया की गोरी नाभि को एक बार चूमता हैं। थोड़ी देर रिया के गोरे गेट को देखने के बाद जय अपनी ज़बान बाहर निकालकर उसके पेट को चाटने लगता है। रिया के लिए ये बिल्कुल नया अनुभव था। उसे नहीं पता था की सेक्स में ये सब कुछ भी होता है। जो भी था लेकिन जय की हरकतें अब उसे गरम कर रही थी। उसे ये डर था कि कहीं वो भड़क ना जाए।

जय के ऐसा करने से रिया का पेट थर थर कांप रहा था, और उसकी चूचियां तेज धड़कनों की वजह से ऊपर-नीचे हो रही औं। काफी हाट दृश्य बन गया था वहाँ। इस घर की छोटी बहू, बेहद खूबसूरत और जवान, एक काले बदसूरत बुड्ढे की हरकतों से गरम हो रही थी।

रिया- हाय उम्म्म्म
... अहम्म ..."
 
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