hotaks444
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वो जब तैयार होकर बैठी तब तक नीचे एक गाड़ी के रुकने की आवाज आई उसे पता था कि पापाजी आ गये है थोड़ी देर बाद कामेश भी आ जाएगा और फिर रोज की तरह कुछ भी नहीं होगा
खेर जो भी होना था हुआ रात को डाइनिंग टेबल पर एक बात खुलकर आई
पापाजी- बहू क्या किया आज दिन भर
कामया- जी कुछ नहीं बस टीवी और क्या
पापाजी- हाँ… अकेली बहुत बोर हो जाती होगी तुम
कामया- जी
कामेश- क्यों नहीं कल से हम गाड़ी भेज दे पापाजी को छोड़ने के बाद कही घूम आना और शाम को गाड़ी चलाने के बाद भेज देना
कामया- अरे नहीं पापाजी को तकलीफ होगी
पापाजी- अरे काहे की तकलीफ लाखा करता क्या है वहाँ बस बैठा रहता है और क्या घर आ जाएगा तो तुम भी थोड़ा सा घूम फिर लोगी क्यों
कामेश- और क्या और हाँ… घर में तुम अकेली रहती हो कुछ नहीं तो घर की पहरेदारी ही करेगा भीमा तो सब्जी भाजी लेने चला जाता होगा दोपहर को
कामया- मुझे पता नहीं
पापाजी- हाँ… हाँ… यह ठीक रहेगा और कामेश लाखा को भी यही बुला लेते है भीमा के साथ ही रूम शेयर कर लेगा कह रहा था कि वहाँ अच्छा नहीं लगता शायद उसकी भोला से नहीं पट-ती
कामेश- हाँ… भोला से किसी की नहीं पट-ती साला है ही वैसा मौथर है गधा कह लो सांड़ है
पापाजी- तुझे तो बहुत अच्छा लगता था वो अब क्या हो गया
कामेश- अच्छा तो अब भी है नमक हलाल है और बहुत मेहनती भी पर साले की बात चीत का तरीका बहुत गलत है
पापाजी- हाँ… देख क्या करना है कही बाद में गले ना पड़ जाए
कामेश- अरे नहीं उसकी इतनी हिम्मत नहीं जिस दिन चाहूँगा गर्दन मरोड़ दूँगा
पापाजी---वो माल काम कैसा चल रहा है
कामेश- गया था अभी टाइम है सुना है वहां भी दादा गिरी करने लगा है और शराब भी बहुत पीने लगा है
पापाजी- कौन भोला
कामेश- हाँ…
और अचानक ही वो कामया की ओर पलटकर
कामेश- तुम एक काम क्यों नहीं करती जब तुम घूमने जाओ तो क्यों नहीं थोड़ी देर रुक कर माल का काम देखकर आया करो तुम्हारा भी टाइम पास हो जाएगा और थोड़ा बहुत दादा गिरी भी चल जाएगी
कामया- क्या माल का काम मुझे नहीं आता यह सब
कामेश- अरे काम क्या थोड़ी देर खड़े ही तो होने है और क्या बस थोड़ा सा डर रहे लोगों में कि मेमसाहब आई है और क्या
कामया-अरे नहीं मुझसे नहीं बनेगा
पापाजी- और क्या बहू को क्यों भेज रहा है वहाँ तू और में तो चले ही जाते है दिन में एक दो बार
कामेश- अरे में तो इसलिए कह रहा था कि अगर होसके तो नहीं तो चल तो रहा है
कामया- कहाँ है
कामेश अरे मंदिर से जो सीधा रास्ता गया है वही लेफ्ट साइड में बहुत बड़ा माल है वो मेडम आपके नाम का ही है
कामया- मेरे नाम का मतलब
कामेश- उसका नाम मेडम आपके नाम से ही है कामया विला कामया शापिंग कॉंप्लेक्स आंड कामया मल्टिपलेक्स समझी
पापाजी- तुम्हें मालूम ही नहीं बहू
कामया- जी इन्होने कब बताया
पापाजी- क्या यार तूने बहू को अभी तक नहीं बताया था और चाहता है कि वो काम देखने चली जाए
कामेश- वो भूल गया होउँगा अरे अब तो बता दिया ना
कामया- हाँ… देखूँगी अगर मन किया तो चली जाऊँगी और खाना खाने लगी कामया को बहुत गुस्सा आ रहा था क्यों नहीं उसे कामेश ने यह सब पहले बताया था कि उसके नाम एक कॉंप्लेक्स विला और मल्टिपलेक्स बना रहे है
जो गुस्सा उसे कामेश पर था वो अब कही ज्यादा बढ़ चुका था क्या वो अपने काम में इतना व्यस्त रहता है कि इतनी बड़ी बात ही उसे बताना भूल गया या वो जान मुझ कर ऐसा करता है कामया की क्या औकात है उसकी जिंदगी में क्या वो एक उसके लिए घर में सजाने का आइटम भर है या उसे वो अपनी पत्नी भी समझता है या फिर बस ऐसे ही दुनियां को दिखाने के लिए .
खाना खाने के बाद कामया का मूड थी नहीं था पर कामेश को कोई फरक नहीं पड़ता था वो तो खाना खाने के बाद उठा और चला गया और पापाजी भी और रह गई आकेली कामया वो अब भी डाइनिंग टेबल पर बैठी हुई अपने बारे में और कामेश के बारे ही सोच रही थी कि उसे पदचाप की आवाज सुनाई दी उसने मुड़कर देखा भीमा चाचा थे वो टेबल पर पड़े हुए झूठे बर्तन उठाने को आ रहे थे
वो एक बार भीमा चाचा की ओर देखकर मुस्कुराई और उठकर अपने हाथ धोने को सिंक पर चली गई
उसके दिमाग में अब भी बहुत कुछ चल रहा था और गुस्सा भी बहुत आ रहा था नजाने क्या सोचते हुए कामया सीढ़िया चढ़ती जा रही थी, पीछे उसे भीमा चाचा के काम करने की आवाजें भी आ रही थी अचानक ही वो रुकी और पलटकर भीमा चाचा की ओर देखते हुए
कामया- चाचा जल्दी सो जाते है आप
भीमा- जी ?
कामया- जी कुछ नहीं
और अपने होंठों पर हँसी को दबाती हुई जल्दी से सीढ़िया चढ़ती हुई अपने कमरे में पहुँच गई
कमरे में कामेश बिस्तर पर लेट चुका था शायद सो भी चुका था कामया बाथरूम की ओर अपने कपड़े चेंज करने को जाने लगी थी उसके हाथों में एक गाउन था जो कि कामेश को बहुत पसंद था दो स्टीप से ही टंगा रहता था वो गाउन उसके कंधे पर और ए-लाइन टाइप की थी उसके ऊपर बहुत सुंदर और कसा हुआ सा लगता था
जब वो बाथरूम से बाहर आते ही सबसे पहले
कामया- क्यों सो गये क्या
कामेश- हाँ… क्यों
कामया- इतनी जल्दी सो जाते हो बातें करनी है
कामेश- अरे बहुत थका हुआ हूँ कल सुबह बातें करेंगे
कामया- उठिए ना प्लीज
कामेश हाँ हाँ… करता हुआ पलटकर सो गया पर कामया तो गुस्से में थी वो आज कामेश को कहाँ छोड़ने वाली थी वो लपक कर बेड पर चढ़ि और कामेश से सट कर लेट गई और अपने हाथों को उसकी बाहों पर चलाते हुए
कामया- प्लीज ना सोइए मत आपसे तो बातें ही नहीं हो पाती
खेर जो भी होना था हुआ रात को डाइनिंग टेबल पर एक बात खुलकर आई
पापाजी- बहू क्या किया आज दिन भर
कामया- जी कुछ नहीं बस टीवी और क्या
पापाजी- हाँ… अकेली बहुत बोर हो जाती होगी तुम
कामया- जी
कामेश- क्यों नहीं कल से हम गाड़ी भेज दे पापाजी को छोड़ने के बाद कही घूम आना और शाम को गाड़ी चलाने के बाद भेज देना
कामया- अरे नहीं पापाजी को तकलीफ होगी
पापाजी- अरे काहे की तकलीफ लाखा करता क्या है वहाँ बस बैठा रहता है और क्या घर आ जाएगा तो तुम भी थोड़ा सा घूम फिर लोगी क्यों
कामेश- और क्या और हाँ… घर में तुम अकेली रहती हो कुछ नहीं तो घर की पहरेदारी ही करेगा भीमा तो सब्जी भाजी लेने चला जाता होगा दोपहर को
कामया- मुझे पता नहीं
पापाजी- हाँ… हाँ… यह ठीक रहेगा और कामेश लाखा को भी यही बुला लेते है भीमा के साथ ही रूम शेयर कर लेगा कह रहा था कि वहाँ अच्छा नहीं लगता शायद उसकी भोला से नहीं पट-ती
कामेश- हाँ… भोला से किसी की नहीं पट-ती साला है ही वैसा मौथर है गधा कह लो सांड़ है
पापाजी- तुझे तो बहुत अच्छा लगता था वो अब क्या हो गया
कामेश- अच्छा तो अब भी है नमक हलाल है और बहुत मेहनती भी पर साले की बात चीत का तरीका बहुत गलत है
पापाजी- हाँ… देख क्या करना है कही बाद में गले ना पड़ जाए
कामेश- अरे नहीं उसकी इतनी हिम्मत नहीं जिस दिन चाहूँगा गर्दन मरोड़ दूँगा
पापाजी---वो माल काम कैसा चल रहा है
कामेश- गया था अभी टाइम है सुना है वहां भी दादा गिरी करने लगा है और शराब भी बहुत पीने लगा है
पापाजी- कौन भोला
कामेश- हाँ…
और अचानक ही वो कामया की ओर पलटकर
कामेश- तुम एक काम क्यों नहीं करती जब तुम घूमने जाओ तो क्यों नहीं थोड़ी देर रुक कर माल का काम देखकर आया करो तुम्हारा भी टाइम पास हो जाएगा और थोड़ा बहुत दादा गिरी भी चल जाएगी
कामया- क्या माल का काम मुझे नहीं आता यह सब
कामेश- अरे काम क्या थोड़ी देर खड़े ही तो होने है और क्या बस थोड़ा सा डर रहे लोगों में कि मेमसाहब आई है और क्या
कामया-अरे नहीं मुझसे नहीं बनेगा
पापाजी- और क्या बहू को क्यों भेज रहा है वहाँ तू और में तो चले ही जाते है दिन में एक दो बार
कामेश- अरे में तो इसलिए कह रहा था कि अगर होसके तो नहीं तो चल तो रहा है
कामया- कहाँ है
कामेश अरे मंदिर से जो सीधा रास्ता गया है वही लेफ्ट साइड में बहुत बड़ा माल है वो मेडम आपके नाम का ही है
कामया- मेरे नाम का मतलब
कामेश- उसका नाम मेडम आपके नाम से ही है कामया विला कामया शापिंग कॉंप्लेक्स आंड कामया मल्टिपलेक्स समझी
पापाजी- तुम्हें मालूम ही नहीं बहू
कामया- जी इन्होने कब बताया
पापाजी- क्या यार तूने बहू को अभी तक नहीं बताया था और चाहता है कि वो काम देखने चली जाए
कामेश- वो भूल गया होउँगा अरे अब तो बता दिया ना
कामया- हाँ… देखूँगी अगर मन किया तो चली जाऊँगी और खाना खाने लगी कामया को बहुत गुस्सा आ रहा था क्यों नहीं उसे कामेश ने यह सब पहले बताया था कि उसके नाम एक कॉंप्लेक्स विला और मल्टिपलेक्स बना रहे है
जो गुस्सा उसे कामेश पर था वो अब कही ज्यादा बढ़ चुका था क्या वो अपने काम में इतना व्यस्त रहता है कि इतनी बड़ी बात ही उसे बताना भूल गया या वो जान मुझ कर ऐसा करता है कामया की क्या औकात है उसकी जिंदगी में क्या वो एक उसके लिए घर में सजाने का आइटम भर है या उसे वो अपनी पत्नी भी समझता है या फिर बस ऐसे ही दुनियां को दिखाने के लिए .
खाना खाने के बाद कामया का मूड थी नहीं था पर कामेश को कोई फरक नहीं पड़ता था वो तो खाना खाने के बाद उठा और चला गया और पापाजी भी और रह गई आकेली कामया वो अब भी डाइनिंग टेबल पर बैठी हुई अपने बारे में और कामेश के बारे ही सोच रही थी कि उसे पदचाप की आवाज सुनाई दी उसने मुड़कर देखा भीमा चाचा थे वो टेबल पर पड़े हुए झूठे बर्तन उठाने को आ रहे थे
वो एक बार भीमा चाचा की ओर देखकर मुस्कुराई और उठकर अपने हाथ धोने को सिंक पर चली गई
उसके दिमाग में अब भी बहुत कुछ चल रहा था और गुस्सा भी बहुत आ रहा था नजाने क्या सोचते हुए कामया सीढ़िया चढ़ती जा रही थी, पीछे उसे भीमा चाचा के काम करने की आवाजें भी आ रही थी अचानक ही वो रुकी और पलटकर भीमा चाचा की ओर देखते हुए
कामया- चाचा जल्दी सो जाते है आप
भीमा- जी ?
कामया- जी कुछ नहीं
और अपने होंठों पर हँसी को दबाती हुई जल्दी से सीढ़िया चढ़ती हुई अपने कमरे में पहुँच गई
कमरे में कामेश बिस्तर पर लेट चुका था शायद सो भी चुका था कामया बाथरूम की ओर अपने कपड़े चेंज करने को जाने लगी थी उसके हाथों में एक गाउन था जो कि कामेश को बहुत पसंद था दो स्टीप से ही टंगा रहता था वो गाउन उसके कंधे पर और ए-लाइन टाइप की थी उसके ऊपर बहुत सुंदर और कसा हुआ सा लगता था
जब वो बाथरूम से बाहर आते ही सबसे पहले
कामया- क्यों सो गये क्या
कामेश- हाँ… क्यों
कामया- इतनी जल्दी सो जाते हो बातें करनी है
कामेश- अरे बहुत थका हुआ हूँ कल सुबह बातें करेंगे
कामया- उठिए ना प्लीज
कामेश हाँ हाँ… करता हुआ पलटकर सो गया पर कामया तो गुस्से में थी वो आज कामेश को कहाँ छोड़ने वाली थी वो लपक कर बेड पर चढ़ि और कामेश से सट कर लेट गई और अपने हाथों को उसकी बाहों पर चलाते हुए
कामया- प्लीज ना सोइए मत आपसे तो बातें ही नहीं हो पाती