Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी - Page 19 - Sex Baba Indian Adult Forum
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Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी

अपडेट. 131

सलोनी मेरी सेक्सी बीवी किसी परिचय की मोहताज़ नहीं… उसका सौन्दर्य बिना कहे ही अपनी कहानी खुद बता देता है. मुझे अब भी याद है कि विवाह से पूर्व जब मैंने सलोनी को देखा था तो बिना कुछ सोचे मैंने सलोनी के लिए हाँ कर दी थी…मेरी सलोनी है ही इतनी मस्त कि कोई उसको एक बार देख ले तो जिन्दगी भर भूल नहीं सकता.
उसकी 34C की एकदम गोल चूचियाँ… उसकी गोरी छाती पर ऐसे उभरी हैं जैसे रस भरे आम हों, जिनको मुँह लगाकर चूसने को दिल मचल उठता है.ऊपर से उनपर लगे वो चमकते गुलाबी निप्पल… कितना भी चूस लो… उनकी रंगत में कोई फर्क नहीं आया है.. किसी कम उम्र की कमसिन कुंवारी लड़की की चूचियाँ भी सलोनी के इन नगीनों के समक्ष कम लुभावनी ही नजर आएंगी.
और सिर्फ़ चूचियाँ ही क्यों… सलोनी के तो हर अंग से मादकता छलकती है… उसकी मक्खन सी गोरी जांघों के बीच सिंदूरी रंग की छोटी सी चूत… उसकी दोनों पंखुड़ियाँ आपस में ऐसे चिपकी रहती हैं जैसे प्रेमी और प्रेमिका का प्रथम चुम्बन…
मेरी सलोनी की योनि के दोनों लब आपस में अब भी किसी अक्षतयौवना की अनछुई योनि तरह चिपके हैं… उस पर सलोनी मंहगी क्रीम से उसको चमका कर रखती है.
मुझे सलोनी की नाजुक चूत पर आज तक एक भी बाल नहीं दिखा… छोटी बच्ची जैसी प्यारी सी दिखती है सलोनी की चूत….!
और मेरी सलोनी के सेक्सी, मोटे, गद्देदार, बाहर को उभरे हुए कूल्हे यानि चूतड़, जिनको देख हर कोई दीवाना हो जाता है और आते जाते उनको छूने का कोई मौका नहीं छोड़ता… हाथ, कुहनी, घुटना या फिर भीड़भाड़ वाले स्थान जगह पर तो अपना लंड तक उसके चूतड़ों से भिड़ा देते हैं लोग.
और सबसे ऊपर उसका पहनावा जो दिन पर दिन सेक्सी, और सेक्सी होता जा रहा है.
मेरी सलोनी इतनी बोल्ड है कि उसके बदन का कोई भी अंग दिख रहा हो, उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता… वो ऐसे सामान्य रहती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो!सलोनी को देख कर तो हर कोई उसका दीवाना सा हो जाता है.
हमारी कॉलोनी में हमारी बिल्डिंग से लेकर आसपास के हर आयु के किशोर, युवक अधेड़ व बूढ़े उसके मदमस्त यौवन के दर्शन कर चुके हैं, ना सिर्फ़ कॉलोनी वाले, बल्कि सलोनी तो कॉलोनी में आने जाने वालों पर भी मेहरबान रहती है.
चाहे वो दूध वाला हो या फिर कोई दूसरा काम करने वाला… कोई मेरी सलोनी को देख कर ही खुश हो जाता तो कोई उसके बदन को छू कर मज़े ले लेता… जिसका समय और भाग्य अच्छा होता था वो तो दरिया में डुबकी भी लगा लेता है.
ऐसी दरियादिल है मेरी सेक्सी रंगीली बीवी सलोनी…
पिछले एक वर्ष में तो सलोनी का बदन और भी गदरा गया है, वो पहले से कहीं ज्यादा रसीली हो गई है…अब तो सलोनी को देखने मात्र से ही कई लड़कों, बुड्ढों के अंडरवियर ख़राब हो जाते हैं.
जिस कॉलोनी में हम रहा करते थे वहाँ सब जगह सलोनी बहुत प्रसिद्ध हो ही गई थी… हर शख्स उसकी एक झलक पाने के लिए उतावला रहता था… इसके अलावा शहर में भी काफ़ी अन्जान लोग, कुछ जानने वाले और कुछ मेरे मित्र भी सलोनी की रग पहचान गए थे.
बाकी अरविन्द अंकल जैसे रंगीले बुड्ढों के कारण अब वहाँ रहना मुश्किल होता जा रहा था… उन्होंने अपने दोस्तों में भी सलोनी की रंगीली जवानी के चर्चे और कारनामे फैला दिए थे जिससे हमारी दिक्कतें बढ़ने लगी थी.
अन्तताह अब मुझे लगने लगा था कि इस शहर में रहते रहे तो अच्छा नहीं होगा, यह बात सलोनी भी समझ रही थी.वैसे तो वो बहुत समझदार है और जो भी करती है बहुत समझ सोच कर!मगर यह कामूकता होती ही ऐसी है कि इसके बढ़ने होने पर इन्सान अपनी हद लांघ जाता है… और पुरुष तो यह भूल जाता है कि वो खुद क्या है… और सारा दोष स्त्री के सर मढ़ देता है.
हम दोनों को ही लगने लगा था कि अब यहाँ सब लोग सलोनी को एक सेक्स की गुड़िया की तरह देखने लगे हैं… मेरे मित्रों की निगाहों में भी फ़र्क आ गया था, उनकी कुदृष्टि केवल सलोनी के यौवन पर ही रहती थी.
इन सब बातों को मद्देनज़र रखते हुये मैंने अपने तबादले के लिये कोशिश की… और भगवान् की कृपा से मुझे दूसरे शहर में पोस्टिंग मिल गई जहाँ हमारा कोई जानने वाला नहीं था.
इस बदलाव से सलोनी भी खुश थी क्योंकि पिछले काफ़ी दिनों से वो भी परेशान रहने लगी थी, उसने स्कूल की नौकरी भी छोड़ दी थी क्योंकि स्कूल में भी हालात वही थे.
अब उसको इस सेक्स के खेल में मजे से ज्यादा डर लगने लगा था.भले ही हम दोनों ही एक दूसरे के यौन जीवन में कोई रोकटोक नहीं करते थे मगर एक दूसरे का ख़्याल रखना और एक दूसरे से प्यार करना… इसमें कमी नहीं थी बल्कि हम दोनों का प्यार और बढ़ही गया था.
हम नये शहर में जाने की तैयारी कर रहे थे, किसी को कुछ खास बताया नहीं था क्योंकि यहाँ के नाते रिश्ते हम यहीं छोड़ जाना चाह रहे थे.



 
अपडेट. 132

हमारी कम्पनी ने दक्षिण भारत में एक नया यूनिट शुरू किया था और अब वहाँ के कई शहरों में शाखाएँ खुलनी थी. नए स्थान पर काम करने में शुरू में काफी परेशानी होती है… और मैं तो ऐसी पोस्ट पर था कि चाहता तो मना भी कर सकता था… लेकिन वहाँ भी अनुभवी व्यक्ति की जरूरत थी और मैं और मेरी जान सलोनी भी अब इस स्थान से दूर जाना चाह रहे थे.
हम दोनों को ही लगने लगा गया था कि अब यदि हमारे घर कोई रिश्तेदार आया तो दिक्कत हो सकती है.मौज मस्ती करना और जिन्दगी के भरपूर मजे लेने में कोई बुराई नहीं लेकिन हम लोगों को समाज में बुरी नज़र से देखा जाए, यह हमें गवारा नहीं था.
इसलिए हम दोनों जो चाह रहे थे, उसमें भगवान भी हमारा साथ दे रहा था. हम दोनों शहर बदलने की तैयारी करने लगे थे.फ्लैट हम को फ़ुल्ली फ़रनिश्ड ही मिलने वाला था इसलिए सामान की ज्यादा चिंता नहीं थी.
अपने सामान की पैकिंग करते समय मैंने एक प्यार भरी नज़र से अपनी जाने जाना सलोनी को देखा… वो किसी दृष्टि से विवाहिता लगती ही नहीं…
शादी तो दूर की बात, जब मैं सलोनी को पूरी नंगी देखता हूँ तो मुझे लगता है कि जैसे वह अभी तक अक्षतयौवना अनछुई कच्ची कली हो… सच में ही मेरी सलोनी कुँवारी कमसिन बाला से भी ज्यादा जवान और नाजुक नज़र आती है, मुझे तो ऐसा लगता है जैसे इन्द्र देव के दरबार की सबसे सुंदर अप्सरा नीचे धरती पर उतर आई हो मुझे जैसे भाग्यशाली की बीवी बन कर…
हमेशा यही पढ़ा सुना है और देखा है कि ज्यादा सेक्स या फिर ज्यादा लोगों के संग सेक्स करने से नारी की सुन्दरता जल्दी क्षीण हो जाती है, वह बेडौल हो जाती है या फिर उसका प्रेम अपने पति के लिए कम हो जाता है.
संसार के इस विश्वास को मेरी सलोनी ने असत्य करार दिया था… वो जितना ज्यादा सेक्स करती, पहले से ज्यादा प्यारी होती जाती, मेरे प्रति उसका प्रेम बढ़ ही रहा था. हमारी आपसी अंडरस्टैंडिंग लाज़वाब थी, हम दोनों एक जैसे ही सोचते.. मेरे कहने से पहले ही वो मेरे मन की बात स्वयं समझ लेती.
योग, नृत्य कला और उसका सौन्दर्य ज्ञान ही उसकी सुन्दरता को बनाये रखता था और सलोनी दिन पर दिन निखरती जा रही थी, कई गुणा ज्यादा सुन्दर होती जा रही थी.
उसके संग बिस्तर पर संसर्ग करते वक्त मेरे मन में रहता है कि मैं अपनी जान को कभी कोई तकलीफ़ नहीं होने दूँगा, मैं अपनी सलोनी को हर तरह का सांसारिक और आत्मिक आनन्द दूँगा.
मेरी सलोनी सामान की पैकिंग करते हुए बहुत ही प्यारी लग रही थी… उसने नीली जीन्स शॉर्ट्स और ऊपर से धानी रंग का बारीक़ नेट वाला टॉप पहना हुआ था जिसमें से उसकी मैरून रंग की ब्रा नुमाया हो रही थी.
पैकिंग करते हुए वो उठती… बैठती… झुकती… हर आसन में वो लाजवाब लग रही थी.
प्यार भरी नजर से उसको देखते हुए मेरे मन में यही आता… कि अभी तक यहाँ हमारी जिन्दगी कितनी हसीन और रंग-बिरंगी चल रही थी… जो भी हम दोनों के मन में आता, वही करते… और वो सब कुछ करने के बाद भी.. कितना ज्यादा समझने लगे थे हम दोनों आपस में एक दूसरे को… और एक दूसरे के प्रति पहले से ज्यादा आदर, समर्पण, प्यार..
लेकिन अब लोग हमारे सामने ही वो सब बोलने लगे थे जो असहनीय होने लगा था… इस कारण हमने यहाँ से कहीं दूर जाने का फ़ैसला किया था.
पर अब सोचने वाली बात यह थी कि नए शहर में जाकर हमारा जीने का तरीका क्या बदल जाएगा? सलोनी और मेरे तौर तरीकों में कुछ बदलाव आयेगा?
यही सब सोचते हुये मैं अपनी जानम को देखकर खुश हो रहा था, रोमांचित भी था कि पता नहीं उसने आगे के लिये क्या सोचा होगा या सोच रही है… जिस जगह हम जा रहे हैं, वहाँ कोई रिश्तेदार, मित्र प्यारा, दोस्त या कोई जानने वाला भी नहीं है… हम दोनों उस जगह से पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं.
मैंने पैकिंग को बन्द करते हुए सलोनी से कहा- सलोनी माई स्वीटहार्ट… यार, अब तुम थक गई होगी, अब रहने दो, हम बाद में कर लेंगे.
सलोनी- नहीं यार… मैं तो बहुत रोमांचित हो रही हूँ… वो नई जगह कैसी होगी… वहां के लोग कैसे होंगे… सच में मैं बहुत खुश हूँ… जल्दी से जल्दी पैकिंग का काम खत्म कर देना चाहती हूँ.
मुझे ख़ुशी हुई सुन कर कि मेरी सलोनी को कोई दुख नहीं है यहाँ से जाने का… उसने यहाँ के किसी भी सम्बन्ध को गम्भीरता से नहीं लिया था… ओनली फन… सिर्फ़ मज़ा और कुछ नहीं!बिल्कुल ऐसा ही मेरे साथ था!
मैंने सलोनी से कहा- अच्छा तुमने अपनी किसी सहेली वगैरा को मेरे तबादले के बारे में कुछ बताया तो नहीं ना? या तुम्हें किसी के बिछुड़ने का कोई दुख तो नहीं है?
सलोनी एकदम मेरे पास आकर मेरे गले से लिपट गई- जानू… सच में मैं इस बात से बहुत खुश हूँ… मैं तो स्वयम् यहाँ से कहीं और जाने की सोच रही थी… और आपने मेरी तमन्ना पूरी कर दी… यू आर सच अ माई स्वीट जानू… और मैंने किसी को भी अभी इस बारे में कुछ नहीं बताया… बस यही कहा कि कुछ दिनों के लिए अपने घर जा रहे हैं.
आगे बोली- वैसे भी अभी हमें ही पता नहीं कि आप किस ब्रांच में जाएँगे… मैं तो यही सोच कर खुश हूँ कि साउथ इण्डिया घूमने की इच्छा अब पूरी हो रही है, अब तो वहाँ रहने का मौका मिल रहा है.
मैंने सलोनी को अपनी बाहों में कस लिया और उसको चूमते हुये ‘आई लव यू’ कहा- हाँ सलोनी, यहाँ वैसे भी लम्बा वक्त हो गया था.. इस जगह से अब बोरियत होने लगी था. देखो हमें नया शहर अब हमें कीसी दूसरे की जरूरत ही नही थी अब हम आपस मे ही इतना सेक्स कर रहे थे अब ना सलोनी और ना मैं किसी के साथ सेक्स करना चाहते थे क्यों कि हम इस शहर में बहुत बदनाम हो गये थे और फिर वही गलती दोहराना नही चाहते थे नही तो हम कही भी रह ही नही पाएंगे अब हम नये शहर में जा रहे थे
वहाँ हम फिर से अपनी नई लाइफ़ शुरू करेंगे!

 
अपडेट. 133

मैंने सलोनी को अपनी गोदी में उठाया तो उसने तुरन्त अपनी गोरी, लंबी चिकनी टांगों को मेरी कमर पर कस दिया, उसकी टाँगें लगभग नंगी थी उसके शॉर्ट्स हमेशा बहुत छोटे होते हैं और सिर्फ़ मुख्य भाग यानि चूत को ही ढकते हैं.
सलोनी को भली प्रकार से ज्ञात है कि उसके बदन का कौन सा अंग खुला रहना चाहिए और कौन सा ढका होना चाहिये जिससे उसकी सेक्स अपील अधिक से अधिक दिखाई दे… इसमें खूब माहिर है मेरी सलोनी!
कमर पर टांगें कसते ही उसके मादक कूल्हे पीछे से जरा से नीचे हुए और सलोनी का सबसे सेक्सी अंग उसकी प्यारी और मुलायम चूत ठीक मेरे लंड पर आ गई.
सामने ही बड़ा सा शीशा लगा है जिसमें मैंने हम दोनों को देखा… सलोनी का पृष्ठ भाग लाजवाब सेक्सी लग रहा था, जैसे ही मेरी निगाह उसके कूल्हों पर गई, मेरा लंड एकदम टनटना गया… क्योंकि इस आसन में सलोनी की शॉर्ट्स उसके चूतड़ों से नीचे खिसक गई थी जिससे उसके सेक्सी चूतड़ों की ऊपरी दरार दिखने लगी थी और वहाँ से सलोनी के चूतड़ों की पूरी आकृति बनी नज़र आ रही थी.
बहुत सेक्सी नज़ारा था… जिसने मेरे लंड को कह दिया कि अब बिना चुदाई किये तो नहीं जाना है.
मैंने अपने हाथों से सलोनी के शॉर्ट्स को और नीचे सरकाना शुरू किया तो सलोनी तुरन्त समझ गई… बस उसकी यही अदा तो मुझे घायल कर देती थी कि वह हमेशा मेरे लिए तैयार रहती थी, उसने कभी मेरी इच्छा का निरादर नहीं किया!
वो तुरन्त नीचे उतरी और खड़ी खड़ी ही शॉर्ट्स को खिसका कर अपने पैरों से निकाल दिया.मैंने उसके टॉप को पकड़ा ही था कि मेरी प्यारी जान ने अपने हाथ ऊपर किए, मैंने उसका टॉप उतार दिया.
सलोनी अब सिर्फ़ एक सेक्सी ब्रा में थी… कयामत लग रही थी!सलोनी ने एक सेक्सी नज़र मुझ पर डाली, अपने रक्तिम होंठों पर अपनी जीभ फिराई… बहुत ही कातिल अदा थी सलोनी की यह!
वो घुटनों के बल बैठी, उसने मेरा लोअर नीचे सरकाया, अंडरवियर मैंने पहना ही नहीं था, सलोनी ने मेरा 7 इंच का लंड आज़ाद किया, उसने एक बार फिर मेरी आँखों में सेक्सी अदा से झांका और मेरे लंड को अपने बायें हाथ से पकड़ कर उसकी आगे की त्वचा को ऊपर खींचा… फिर अपनी जिह्वा से लंड के सुपारे को चाटा…
मेरी तो ‘आआह हहा…’ निकल गई…
उसकी अदायें दिन पर दिन कामुक से भी अधिक कामुक होती जा रही थी, वो मुझको तड़फ़ा रही थी और मैं सिसकारियाँ भरने के अलावा क्या कर सकता था!अब मेरे नाजुक अंग पर उसकी मुट्ठी का अधिकार था, उसके होंठ उसके ऊपर थे, मुझे तो बस शान्त रह कर देखना था कि सलोनी आगे क्या करती है.
और कुछ ही पल बाद सलोनी ने मेरे लंड को चूसना शुरू किया… लंड पूरा उसके गले के अन्दर तक जा रहा था… उसका थूक इतना अधिक था कि मेरा लंड पूरा गीला होने के बाद भी बाहर बह कर जमीन पर गिर रहा था.
‘अह… आआहह… आआआ अह्हआ ओह्ह हुम्म…’ मेरी तो बस सिसकारियाँ और आहें निकल रही थी.…
कुछ ही देर बाद मेरे धैर्य का अन्त हो गया, सलोनी की गर्म साँसों और लंड चूसने की कलाकारी के आगे मैं कब तक ठहरता, मेरे लंड ने वीर्य उगलना शुरू किया तो सलोनी का मुँह भर गया और उसके गालों, होंठों और ठोड़ी पर भी लग गया.
उस वक्त गज़ब की सेक्सी चुदक्कड़ लग रही थी मेरी सलोनी!मेरे लंड के लावे से भीगी हुई और सेक्सी अदायें दिखाती हुई…
सलोनी ने तो अपना काम कर दिया, अब बारी मेरी थी… मैंने उसको बाहों में उठाया और उसकी मोहक योनि पर झुका… पहले उसकी खूबसूरती को निहारा और फ़िर उस पर एक गर्म चुम्बन जड़ दिया.
मेरे होंठों के वहाँ छूते ही सलोनी ने एक जोर की सीत्कार भरी… आह अह्ह्ह्हहा आआह…
और तभी…दरवाजा खुलने की आवाज आई…अरे… !!??!!दरवाज़ा लॉक करना तो हम भूल ही गये!!??
मेरा दिमाग तो एकदम से ठण्डा पड़ गया क्योंकि अभी ही मेरे लंड ने गाढ़ा गाढ़ा रस सलोनी के चेहरे पर बिखेरा था, उसका चेहरा मेरे वीर्य से सना हुआ था, मैं सलोनी की फ़ूली हुई चिकनी चूत पर अपने होंठ रख कर उसे सूंघ रहा था.
मेरा एक हाथ सलोनी की पीठ से होते हुए उसके वक्ष को छू रहा था, दूसरा हाथ उसके सेक्सी गोल नर्म चूतड़ों पर था जिसकी उंगलियाँ पीछे से ही उनकी दरार को टटोल भी रही थी.
दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आने के बाद भी एक मिनट तक तो मेरे दिमाग ने काम ही नहीं किया, मैं अपने उसी काम में लगा रहा, सलोनी की प्यारी रस भरी चूत को चूमता रहा.फिर मेरी चेतना लौटी… मेरी सेक्सी बीवी पूरी नंगी वहाँ मेरी बाहों में थी
आने वाला जो कोई भी था, उसने ये सब देखा ही होगा और वो जो भी था, कोई आवाज़ नहीं कर रहा था, उसके बोलने की या कोई भी आवाज नहीं थी.
मेरे मुंह से बस यही निकला- कौन कमबख्त आ गया इस वक्त? और सलोनी, क्या तुमने दरवाजा लॉक नहीं किया था?
सलोनी तो जैसे कामूकता के मद में मदहोश थी, उसने मेरे सिर को पकड़ रखा था और उसको अपनी चूत से हिलने भी नहीं दे रही थी.उसको तो तुरन्त इसी समय एक जोरदार चुदाई की लालसा थी, वो तो बस अपनी कमर हिला रही थी कि मैं उसकी चूत चाटूँ…उसने तो दरवाजा खुलने की आवाज सुनी भी नहीं होगी… उसके मुख से सिर्फ़ कामुक आहें और सिसकारियाँ ही निकल रही थी ‘अह्ह्ह हाआह… ऊह्ह्ह ह्ह्ह…’
मैंने बड़ी मुश्किल से अपना सिर सलोनी के हाथों से छुड़ा कर उठाया और देखा कि आने वाला है कौन?

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 134

वहाँ दो लड़के थे, कमसिन ही थे… निक्कर और टीशर्ट में… बिल्कुल चुपचाप…हे मेरे भगवान् ये दोनों लड़के तो ट्रांसपोर्ट वाले थे जिनको मैंने सामान की पैकिंग के लिए बुलाया था.दोनों ट्रांसपोर्ट कम्पनी में पर काम करते हैं… सामान की पैकिंग में मदद करने आये होंगे.
उनमें से एक तो काला सा था, तो दूसरा कुछ गोरा था, दोनों के अभी मूंछें तक नहीं आई थी… उनको देख कर ही लगता था कि दोनों ने कभी स्कूल देखा नहीं होगा.
काला वाला कुछ सेहतमंद था पर गोरे वाला तो बहुत दुबला सा था.वे दोनों आँखें फाड़े खड़े थे उनकी निगाहें सलोनी के चूतड़ों पर ही थी.दोनों ने जो निक्करें पहनी हुई थी, बहुत ढीली थी, पर तब भी पता चल रहा था कि वे दोनों यह नज़ारा देख कर उत्तेजित हो गये हैं.लंड वाले स्थान पर लंड से तम्बू बना हुआ था.
मैंने तुरंत सलोनी को खड़ी किया- ओह्ह… आ गए तुम? ऐसे ही आ गये? दरवाजा पर घन्टी तो बजाते?
पर वे अनपढ़ असभ्य क्या समझते? बस आँखें फ़ाड़े सलोनी का नंगा बदन घूरे जा रहे थे.
मैंने सलोनी को चेताया- चल जल्दी से कपड़े पहन और इन लड़को से पैकिंग का काम करवा ले!
मैंने जल्दी से अपना लोअर ऊपर किया और जाकर उन लड़कों से बात करने लगा जिससे उनकी निगाह मेरी नंगी सलोनी के बदन से तो हटे!
वासना की अग्नि में तपती सलोनी को होश ही कहाँ था, उससे सही ढंग से चला भी नहीं जा रहा था… मैं उसकी हालत समझ रहा था. वह लड़खड़ाती हुई अपने कपड़ों को उठाने लगी, एक बार दोनों लड़को की तरफ़ देखा…और वे दोनों कमीने भी पता नहीं मेरी बात सुन रहे थे या नहीं… दोनों की नज़रें सलोनी पर ही थी.
इस शहर में, घर में रहते हुए पिछले कुछ अरसे में कितना भी कुछ भी यहाँ हो चुका… पर आदतें आसानी से कहाँ बदलती हैं!
सलोनी जैसी मदमस्त सेक्सी लड़की जिसे अजब गजब बातों में सबसे अधिक मज़ा आता हो, वह इस मज़े का एक भी अवसर कैसे जाने दे सकती थी!
उसने बड़े आराम से धीरे धीरे अपने कपड़े उठाए जैसे कपड़े बहुत भारी हों, उसने अपने एक एक उत्तेजक अंग को उन दोनों लड़कों को देखने का पूरा अवसर दिया, चाहे उसके उरोज हों, चूत हो… चाहे चूतड़… कपड़े उठाते वक्त वो उन लड़कों की तरफ़ अपने चूतड़ करके झुकी तो उसकी गांड का छेद और पीछे को निकली हुई चूत भी उन लड़कों ने खूब अच्छे से देखी होगी.
सलोनी अपने कपड़े उठा कर नंगी ही बैडरूम में चली गई.
कहने को तो सलोनी उन लड़कों की आँखों से ओझल हो गई थी लेकिन वे अभी तक मदहोश थे, मेरी कोई बात उनके पल्ले नहीं पड़ रही थी, वे तो अभी तक बैडरूम के दरवाज़े पर पड़े पर्दे को ही देख रहे थे.
मैंने तेज आवाज में बात की, तब कहीं वे होश में आए, मैंने उनको सारा सामान दिखाया जो पैक करना था.दोनों बोले- हो जाएगा भाई…
तभी मुझे सिगरेट की बहुत तेज तलब लगी, मैंने सलोनी को बाहर से ही आवाज़ लगाई- मैं अभी आता हूँ सलोनी, इन लड़कों को काम बता दिया है… इन्हें अगर कुछ जरूरत हो तो देख लेना!
मैं लोअर और टीशर्ट में था, कह कर मैं बाहर निकल गया.लगभग 20 मिनट बाद मैं लौटा तो दरवाजा लॉक था… मुझे हैरानी हुई कि सलोनी ने दरवाजा क्यों लॉक किया?
और मुझे कुछ समय पहले नज़ारा याद आया… सलोनी का नंगा बदन और उन दोनों लड़कों के निक्कर में खड़े लंड!वैसे भी सिगरेट पीने के बाद मेरा दिमाग़ काम करने लगा था, मेरे दिमाग़ में फिर से शक का कीड़ा जाग गया…क्या अब भी सलोनी ने इस अवसर का लाभ उठा लिया होगा?या ऐसे ही उसने दरवाजा लॉक कर लिया?
एक आशंका यह भी हुई कि कहीं उन दोनों लड़कों ने ही?हो सकता है कि सलोनी को अकेली देख कर वो गलत काम करने पर उतारू हो गए हों… क्या वे सलोनी के साथ जबरदस्ती कर रहे होंगे?यह विचार मेरे मन में आते ही मैं कांप गया.और जल्दी से मैंने जेब में हाथ डाला, दूसरी चाबी मेरे पास ही थी… विगत समय के हालातों को देख कर अब एक चाबी मैं हमेशा अपनी जेब में रखता था.
मैंने चुपचाप जेब से चाबी निकाल कर ताला खोला… और बिना आवाज़ किये दरवाज़ा खोलकर अन्दर झांका.यह क्या??कमरे में कोई नहीं था और सारा सामान वैसे ही बिख़रा पड़ा था, कोई पैकिंग होना तो दूर… किसी सामान को हिलाया तक नहीं गया था.
कहाँ गए वे दोनों लड़के?चले गये क्या?या वे अन्दर हैं मेरे बैडरूम में?जहाँ अभी कुछ मिनट पहले नंगी सलोनी अपने कपड़े लेकर गई थी.
अंदर हैं तो क्या कर रहे होंगे? जबरदसी तो नहीं ही हो सकती क्योंकि कोई चीख आदि की आवाज नहीं आ रही थी.आखिर पिछले कुछ मिनटों में हुआ क्या यहाँ और अभी क्या हो रहा है?

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 135

कहाँ चले गये वो दोनों लड़के?बाहर के दरवाज़े से लेकर रूम तक का फ़ासला मुझे बहुत ज्यादा लगने लगा, मेरे पैर जैसे उठ ही नहीं रह थे, मैं एक एक कदम बिना कोई आवाज़ किए रख रहा था, मैं बैडरूम तक जाना चाह रहा था, जानना चाह रहा थ कि आखिर मेरे पीछे हुआ क्या? अन्दर क्या चल रहा है?
अपने दिमाग में ऐसे ही कुछ सवाल लिए मैं दरवाजे तक पहुँचा जिस पर एक पर्दा हमेशा रहता है.मेरा हाथ उस पर्दे में से झांकने के लिए उठा ही था कि तभी मेरा हाथ जहाँ का तहाँ रुक गया!
अन्दर से एक लड़के की आवाज मुझे सुनाई दी, इस आवाज़ ने ही मेरे कई सवालों के जवाब दे दिए- आअह्ह ह्ह्ह्ह दीदी जी, आप बहुत अच्छी हो… मेरे लंड को जोर से हिलाओ… अह्ह आआह!
मेरा दिल जोर से धड़क गया… चाहे यह सब मेरे लिये कुछ नया नहीं था, ऐसा ही कुछ अंदेशा मुझे हो रहा था पर पिछले 2-3 दिन से मेरी बात सलोनी से हो रही थी, उससे लग रहा था कि शायद अब शहर बदलने के साथ ही इस सब में कुछ परिवर्तन आए!
पर यह आवाज सुन कर मेरी उस सोच पर विराम लग गया कि ऐसा कोई बदलाव नहीं होगा, शहर, स्थान चाहे बदल जाए लेकिन सलोनी ऐसी ही रहेगी… वो मजे लेने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी.
यूँ मैं भी इस सब का इतना आदी हो गया था कि साफ़ सुथरा जीवन अब मेरे बस की बात नहीं थी, एक बार मैं सिगरेट, शराब छोड़ने की सोच सकता हूँ… पर ओपन सेक्स का मज़ा शायद कभी नहीं छुटेगा. रोज रोज नई नई चूतों का चस्का जिसे लग जाये वो कैसे छुट सकता है.
शायद बिल्कुल ऐसा ही सलोनी के साथ था… नये लंड को देखते ही उसके मुँह में पानी आ जाता है… उफ़्फ़ सॉरी… मुँह में नहीं चूत में… ही… ही… सही बात है ना?
अब तो मुझसे रुका नहीं जा रहा था, अन्दर चल रहे खेल को देखने के लिये मन बेचैन हो रहा था.मैंने एक तरफ़ से पर्दा हटकर अन्दर झांका… मेरा बेड पूरा दिख रहा था… अन्दर देखते ही मेरी आँखों की चमक तो बढ़ी ही, साथ ही मेरे अण्डरवीयर का आकार भी बढ़ गया.
अन्दर वे तीनों मुझे स्पष्ट दिख रहे थे… दे दोनों लड़के और मेरी सलोनी!
मैंने ध्यान से देखा… काले लड़के के बदन पर जो बनियान थी वो पेट से ऊपर चढ़ी हुई थी, उसकी निक्कर एक कोने में पड़ी थी.दूसरा गोरे लड़के ने अपने दोनों कपड़े उतार दिये थे… वो सलोनी के सामने पूरा नंगा खड़ा था, वह था तो पतला दुबला सा, उसकी हड्डियाँ तक दिख रही थी, फिर भी उसका लंड उसके बदन के हिभाई से काफ़ी लंबा लग रहा था, और लण्ड पूरा तना हुआ था.
सलोनी बिस्तर पर ऊपर से तो टॉपलेस बैठी दिख रही थी, उसके दोनों उरोज ऊपर को तने हुए थे… उन पर गुलाबी निप्पल भी पूरे तने हुए दिख रहे थे… नीचे पलौथी लगाई हुई थी तो पता नहीं चल रहा था कि उसने नीचे कुछ पहना है या पूरी नंगी बैठी थी.
दोनों लड़के उसके पास खड़े थे, दोनों के खड़े लंड सलोनी के दोनों हाथों में थे, वो उनको ऊपर से नीचे सहला रही थी, मुठिया रही थी, दोनों आँखें बन्द किये सलोनी के कोमल हाथों का मज़ा ले रहे थे.
मैं उनको देखते हुए उनकी बातें और सीत्कारें सुन कर मज़ा लेने लगा.
सलोनी- नाम क्या है तुम दोनों का?
काला लड़का- मालिक मुझे कलुआ कहते हैं.. आप भी मुझे कलुआ ही कहिये… और इसका नाम पप्पू है…
पप्पू- हाँ दीदी, मैं पप्पू… आआह्ह्ह हाआ दीदी मेरा लंड चूसिए ना… कलुआ का तो गन्दा है.. उसका तो छोटी मैडम भी नहीं चूसती पर मेरा तो अक्सर चूस लेती हैं.
यह सुन मैं चौंक गया, ये कल के छोकरे क्या बोल रहे हैं? ये दोनों ही पूरे चालू और हरामी लग रहे हैं… ये क्या क्या कारनामे कर चुके हैं?
मेरी जिज्ञासा का अन्त तो मुझे पता है कि मेरी सलोनी कर देगी, उसे सेक्सी किस्से सुनने-सुनाने में बहुत मज़ा आता है, सलोनी चुदाई के वक्त खूब बातें करती है, मुझे यकीन है कि वो इन लड़कों से सब कुछ बकवा लेगी.
मैंने अपना लंड लोअर से बाहर निकाला और हाथ में लेकर सहलाने लगा.
और मेरे आँख-कान तो पूरी तरह से अन्दर ही लगे थे… मैं उस समय अन्दर का एक भी दृश्य गंवाना नहीं चाहता था.
मैंने सलोनी की आँखों में एक चमक सी देखी वो बोली- वाह से चिकने… तू तो खूब खेला खाया लगता है? मैं तो समझी थी कि पहली बार देखकर लार टपका रहा होगा?
पप्पू शरमा कए बोला- अरे दीदी ये साला कलुआ… यह भी बहुत हरामी है, इसने तो मेरे से भी ज्यादा चुदाइयाँ करी हैं… इसी बहनचोद ने मेरे को पहली बार चूत दिलवाई और चोदना सिखाया.
यह सुन कर कलुआ तन कर खड़ा हो गया जैसे कोई ईनाम मिलने वाला हो, उसे लगा कि पप्पू उसकी तारीफ कर रहा है.
सलोनी ने उसके लंड को जोर से हिला कर बोली- यह तो इसके लंड को देखकर ही लगा था मुझे, कैसा नाग सा हो रहा है! अच्छा तुम दोनों ने इतनी हिम्मत कैसे की? तुम्हें कैसे लगा कि मैं कुछ नहीं कहूँगी… तुम्हारी बात मान लूँगी?
इस बार दोनों हँसे और बोला कलुआ- वो तो दीदी, आप पूरी नंगी हमारे सामने बिल्कुल नहीं शरमा रही थी, तभी लग गया था! हमें तो पता लग गया था कि हमें आप की इत्ती प्यारी फ़ुद्दी मिल जाएगी. अह्ह आह…आ… दीदी आराम से…सलोनी ने उसके लंड को कस कर मरोड़ दिया, वो चिल्लाया- टूट जाएगा दीदी!
पप्पू- हाँ दीदी, मुझे तो डर लगता है पर यह मादरचोद एकदम से ताड़ लेता है, इसके साथ मुझे भी चूतें मिल जाती हैं.
सलोनी दोनों के खड़े लंडों को देख रही थी कि अचानक उसने कलुए के लंड पर होंठ टिका दिये.

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 136

यह देखकर मैं तो क्या, पप्पू भी हैरान हो गया… कि सलोनी को कलुआ का लंड ज्यादा पसन्द आया और वह उसके अग्र भाग यानि सुपारे को चूस रही थी.कलुआ ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगा था- अह्ह आह ओह्ह दीदी चूसो मेरा लंड आआअ ह्ह्हाआ मजा आ गया… कितना गर्म है आपका मुँह… आह्ह्ह ह्हाआ आआ ऊऊ!
पप्पू आँखें फ़ाड़े उसे देख रहा था और अपनी बारी का इन्तजार कर रहा था.
तभी सलोनी उठी… वो बेड पर उकड़ू… अपने दोनों पैरों पर बैठ गई तो अब मुझको उसकी कमर से नीचे वाला हिस्सा दिखा, उसने शॉर्ट्स पहनी हुई थी.इसका मतलब यह था कि उसने एक बार कपड़े पहन लिये थे पर ये लड़के उस पर नीयत ख़राब कर गए जिससे यह सब हो रहा है.
अब पप्पू के सामने सलोनी की शॉर्ट्स से झलकते उसके आधे से भी ज्यादा सेक्सी चूतड़ थे जो सलोनी के इस पोज में और भी ज्यादा कयामत बरपा रहे थे.
सलोनी के चूतड़ को देख कर तो अच्छे अच्छे दम तोड़ देते हैं, यह तो बेचारा पप्पू था!
उसने तुरन्त सलोनी के चूतड़ों पर अपने दोनों हाथ रख लिये… तो एक बार सलोनी ने कलुआ का लंड अपने मुख से निकाल कर पप्पू की तरफ़ देखा और सीधी होकर अपनी शॉर्ट्स का हुक खोल दिया, फिर से वो अपने काम में लग गई…उसने कलुआ का लंड फिर से अपने रतनार लबों के बीच लिया और चूसने लगी.
बस इतना इशारा पप्पू के लिए काफ़ी था, उसने सलोनी के उठे हुए और हिलते हुये कूल्हों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसकी शॉर्ट्स… उसके चूतड़ों से नीचे सरकानी शुरू की.
शॉर्ट्स बहुत टाइट थी, उकड़ू बैठे हुए तो सलोनी के चूतड़ों पर जकड़ी हुई थी.फिर भी पप्पू ने ताकत से उसको नीचे सरकाया…और…शायद उसने कुछ ज्यादा ही जोर लगा कर शॉर्ट्स नीचे खींच दी थी, शॉर्ट्स एक ही बार में पूरी चूतड़ों से नीचे आ गई और सलोनी के मस्त मक्खन जैसे नर्म, चिकने, उठे हुए गद्देदार चूतड़ पूरे नंगे हो गये… चूतड़ों के दोनों पट आपस में चिपके हुये थे… इसलिए बीच वाली लाल लकीर ऊपर से शुरू होकर कुछ नीचे जाकर ही दिखाई देनी बंद हो गई थी.
अब सलोनी की गांड की दरार को देखने के लिए चूतड़ की दोनों गोलाइयों को दोनों हाथों से पकड़कर बाहर की ओर खोलना था जिससे चूतड़ों की दरार पूरी दिखाई देने लगती!
और पप्पू ने यही किया, पहले उसने एक हाथ से सलोनी के एक कूल्हें पर हल्की सी चपत लगाई, फिर उसकी दोनों गोलाइयों को पकड़कर कस कर मसला और फिर उनको खोल कर उनकी खूबसूरती को निहारने लगा.
गोरे गोरे चूतड़ों की गोलाइयों के बीच गुलाबी लकीर और बीच में जादुयी सुरमयी गुदा द्वार… जैसे एक फूल खिलने को तैयार हो रहा हो!
उसके नीचे जाते ही चूत… फ़ुद्दी… बुर किसी भी नाम से बुलाओ… सामने से जितनी सुन्दर लगती है, उससे भी कहीं अधिक ऐसे बैठे हुए लग रही थी जैसे कि बहुत सुन्दर दुल्हन का घूँघट हल्का सा हट गया हो- गुलाबी.. हल्का रक्तिम.. थोड़ा सा खुला पर बहुत प्यारा व कसा हुआ काम प्रवेश द्वार…
यह सब देख कर तो पप्पू की हालत खराब होनी ही थी, वो तो बावरा सा हो गया और उसने अपना मुँह.. नाक सब उस जगह लगा दिए.वो चूतड़ों की पूरी दरार को ऊपर से नीचे तक कुत्ते की तरह चाटने लगा.
और सलोनी… वो तो लंड मुख में होते हुए भी सिसकारियाँ भर रही थी और साथ ही साथ अपनी नाजुक कमरिया भी नचाए जा रही थी.
बहुत ही सेक्सी माहौल बना हुआ था, कमाल का गर्म नज़ारा था जिसका मैं अपने हाथ में लंड लिये पूरा मजा ले रहा था
और देखते हुए यह भी सोच रहा था कि सलोनी इन दोनों लड़कों से सिर्फ़ ऐसी हलकी मस्ती के मूड में है… या कुछ ज्यादा ही शैतानी उसके मन में चल रही है?क्या आज सलोनी इन दोनों लड़कों से अपनी चूत चुदवाएगी?

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 137

सलोनी ने कलुआ का लंड चूसते हुए आधे से अधिक लण्ड अपने मुँह के अंदर ले लिया और कलुआ भी अपनी कमर हिलाते हुये सलोनी के मुँह की चुदाई कर रहा था.उस के पीछे बैठे पप्पू ने अपने थूक और लार से सलोनी के चूतड़ों से लेकर गांड चूत सब गीले कर दिये.
तभी पप्पू सलोनी के पीछे अपने घुटनों पर खड़ा हुआ, उसने सलोनी के चूतड़ों को ऊपर को किया, सलोनी ने आराम से अपनी कमर को उसके खड़े लंड से सटा दिया, पप्पू ने अपनी पोज़िशन ठीक की और लंड को नीचे चूत पर सेट किया और धक्का मार दिया.इसके साथ ही उसने अपना लौड़ा सलोनी की चूत में प्रवेश करा दिया.
सलोनी ने एक सिसकारी भरी और उसने आराम से पप्पू के लंड को अपनी चिकनी चूत में स्थान दे दिया.
2-3 धक्कों में ही पप्पू ने अपना पूरा लंड सलोनी की चूत में घुसेड़ दिया और वो अब आराम से उसके चूतड़ों को पकड़ कर लयबद्ध तरीके से सलोनी की चूत को चोदने लगा.
इधर मैं अपने लंड को अपने हाथ से हिला रहा था और उधर वो पप्पू मेरी जानम सलोनी को चोद रहा था,सलोनी के मुख में अभी भी कलुआ का लंड था, जिसको कलुआ ने सिर्फ़ मुंह में डाल रखा था, सलोनी के आगे पीछे होने से कलुआ का लंड अपने आप ही सलोनी के मुँह में आगे पीछे हो रहा था.
और एकदम अचानक कलुआ ने अपना लंड सलोनी के मुँह से बाहर निकाल लिया, सलोनी उसको देख ही रही थी कि वो पप्पू को हटाकर बोला- हट बे… अब तू आगे जा… मेरा तो इसके मुँह में ही निकल जाता… तू हट… मैं भी 2-5 घस्से मार लूँ… फिर तू चोद लियो…
उसने पप्पू को धक्का देकर हटा दिया.स्पष्ट दिख रहा था कि यह ना तो पप्पू को अच्छा लगा.. और ना ही सलोनी को पसन्द आया.
और कलुआ ने सलोनी के चूतड़ों को कुछ ज्यादा ही खोल कर ढेर सारा थूक सलोनी की गांड के छेद पर डाला और उसको अपने लंड से मल दिया.
सलोनी या मैं कुछ समझता, उससे पहले ही उसने अपना मूसल सा लंड सलोनी की गांड में घुसा दिया.
ऊउह… हहह… उछल सी गई सलोनी…
सलोनी- ओह्ह पागल है क्या? बिना बताए कहाँ घुसा रहा है? निकाल इसे वहाँ से!और वो आगे को सरक गई.
कलुआ- क्या हुआ मैडमजी… गांड में ही तो डाल रहा था.सलोनी- बिल्कुल नहीं… चुपचाप नीचे डाल… वहाँ नहीं.. मरना नहीं है मुझे…
पता नहीं क्यों और कैसे, कलुआ एकदम मान गया, शायद उसे मेरे आ जाने डर होगा, इससे उसने कोई ज्यादा बहस नहीं की.सलोनी को शायद डर भी था कि ये दो जने हैं जबर्दस्ती भी कर सकते हैं… या फिर कलुआ ही हरामपंथी पर उतर आये और गांड में डाल दे?
इसलिए वो अब सीधी होकर लेट गई और अपने पाँव फैला कर बोली- चल आ… अब यहाँ से डाल… और जल्दी कर… कोई भी आ सकता है.और कलुआ बिना कुछ कहे उसकी जांघों के बीच में आया और उसने उसी हालत में अपना लंड सलोनी की चूत पर टिकाया और 2-3 झटकों में आराम से सलोनी की चूत अन्दर प्रवेश करा दिया.
अब कलुआ सलोनी पर अधलेटा उसे चोद रहा था, पप्पू अब सलोनी के सिर के पास बैठा था, कुछ नहीं कर रहा था.. वो शायद डर गया था..सलोनी ने उसे प्यार से देखा तो वह सलोनी के चेहरे के पास आकर उसकी चूचियों को मसलने लगा.
उसका लंड इतनी देर में हल्का सा मुरझा गया था, सलोनी ने हाथ से उसके लंड को पकड़ा तो सलोनी के हाथ लगते ही दोबारा से पूरा सख्त हो गया.
सलोनी ने अपना मुँह उसकी ओर करके पप्पू के लंड को अपने होंठों में ले लिया.पप्पू ने जोर से सिसकारी भरी- अह्हहाआ आआआहआ…पप्पू और कलुआ दोनों जोर जोर से सिसकारियाँ ले रहे थे, दोनों को ही बहुत मजा आ रहा था.
कमरे में काफ़ी आवाजें गूंज रही थी जिनका सम्बन्ध सिर्फ़ चुदाई से था- सिसकारियाँ… जांघें पटकने की आवाज… चप चप… लंड के अन्दर बाहर होने की आवाज़ें… और चुस चस्प… लंड चूसने की आवाज़ें…बहुत ही सेक्सी नजारा था.
और तभी कलुआ ने सलोनी को तेजी से चोदना शुरू कर दिया- अह्ह्ह्हाआ आआआ… ओह… उम्म… अम्म… आह…सलोनी को तुरन्त पता चल गया कि अब कलुआ का पानी निकलने को है, वो एकदम पीछे को हुई और गप्प… की आवाज के साथ कलुआ का लंड चूत से बाहर!
सलोनी पप्पू के लंड को छोड़ जल्दी से उठी और कलुआ के लंड को पकड़ कर हिलाने लगी और कलुआ ने जोर से पिचकारी मारी, बहुत सारा वीर्य सलोनी के वक्ष पर गिर गया.फिर उसके बाद काफ़ी छोटी छोटी पिचकारियाँ निकली और सलोनी का पूरा पेट गीला हो गया.
काफ़ी ज्यादा पानी निकला था कलुआ का… उसका लंड अभी भी सलोनी के हाथ में था… पता नहीं कलुआ को अचानक क्या हुआ, वह एक ओर बैठा और उसने सलोनी को अपने लंड की तरफ झुकाया.
सलोनी फिर से घुटनों पर आ गई और उसने कलुआ का लंड पहले तो साफ़ किया और फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

 
अब पप्पू को कुछ होश आया, यह सब देख कर वो बहुत उत्तेजित हो चुका था, उसका लंड उसके हाथ में था जिसे वह मसले जा रहा था.वो तुरंत सलोनी के पीछे आया और एक बार फिर से उसने सलोनी के मोटे चूतड़ों और फ़ुद्दी का निरीक्षण किया… सलोनी की चूत अभी अभी कलुआ की चुदाई के कारण कुछ लाल लग रही थी.
पप्पू ने सलोनी के गांड के छेद पर उंगली फिराई, सलोनी तुरन्त उठी और वो कुछ कहती, इससे पहले ही कलुआ ने उसका मुँह दबा लिया और पप्पू को इशारा किया..!
मेरे या सलोनी के कुछ करने से पहले ही पप्पू ने अपना लंड सलोनी की गांड में घुसा दिया और सलोनी विवश सी लेटी रही.वो तो शुक्र था कि पप्पू का लंड ज्यादा मोटा नहीं था और सलोनी भी गांड से कुंवारी नहीं थी.
3-4 धक्कों के साथ ही पप्पू का पूरा लंड सलोनी की गांड के अंदर था और पप्पू सलोनी की गांड को मजे से चोदने लगा था.
कलुआ ने सलोनी का चेहरा पकड़ रखा था पर जब सलोनी को मज आने लगा तो उसने सलोनी के मुँह में फिर से अपना लंड घुसा दिया.
सलोनी और पप्पू दोनों ही इस चुदाई का आनन्द उठा रहे थे- आः ह्हाआआ म्म्माआ आअम्म्म्म आअह्हाआआ बहुत कसी है गांड आपकी… आआह्हआ मजा आ गया… मदम्म जी आअह्ह्हाआआ कितना कसा हुआ जा रहा है… आआह्ह्हा आआ ऊऊओ
दोनों बस इस चुदाई का पूरा मजा ले रहे थे.
पता नहीं सलोनी को क्या हुआ, वो क्या करना चाहती थी, उसने आगे होकर पप्पू का लंड अपनी गांड से बाहर निकाल दिया.बेचारा पप्पू… एक तो उसका निकल नहीं रहा था, हर बार बीच में कोई रुकावट आ जाती थी.
पहले कलुआ ने उसको हटाया और अबा सलोनी ने उसके मज़े को ख़राब कर दिया, वह आँखें फाड़े देखे जा रहा था.
तभी सलोनी पूरी नंगी उठकर बिस्तर पर खड़ी हो गई!
उफ़्फ़ ज़ालिम… इतनी सेक्सी लग रही थी!अब यह क्या करेगी?

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 138

मैं अपनी सांसें रोके उन तीनों को देख रहा था, मुझको पता ना था कि अगले कुछ मिनट में मैं किसी विदेशी ब्ल्यू मूवी से भी ज्यादा गर्म थ्रीसम धमाकेदार चुदाई देखने वाला हूँ.
सच सेक्स का ऐसा नंगा नाच जिसे देख कर ही लन्ड से पानी की नदियाँ बह जायें!
ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ भी!ये दोनों गँवार लड़के भी पता नहीं कैसी राजकुमारों की सी किस्मत लेकर पैदा हुये होंगे कि एक तो इन्होंने राजकुमारी जैसी मेरी सलोनी को बिना कपड़ों के नंगी देखा और अब उसी के साथ अपने जीवन की सर्वाधिक मज़ेदार चूत और गांड चुदाई कर रहे थे.
सलोनी ने पप्पू को नीचे लिटाया और उसकी कमर के दोनों ओर पैर करके उसके ऊपर को खड़े लन्ड पर बैठ गई. उसकी पीठ पप्पू के मुँह की तरफ़ थी, उसका चेहरा दरवाजे की ओर था इसलिए उसकी चूत में जाते हुए लन्ड साफ़ दिख रहा था.और उस पर कयामत उस की चूचियाँ जो इधर उधर झूल कर मज़ेदार सेक्सी दृश्य उत्पन्न कर रही थी.
तभी कलुआ उसके सामने आकर खड़ा हुआ और एक बार फिर सलोनी ने अपने हाथ से उसका लन्ड पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया.नीचे से पप्पू अपके कूल्हे हिला रहा था और साथ ही सलोनी भी उसके लन्ड पर बैठी डांस कर रही थी.
आप हम तो केवल चूत और लन्ड के इस संगम के नज़ारे को सोच कर अपना लन्ड ही हिला ही सकते हैं और लड़कियाँ अपनी उंगली अपनी चूत में कर सकती हैं.
पप्पू और सलोनी तो पूरे मदहोश हुए पड़े थे, पप्पू का लन्ड सलोनी की चूत के हर एक कोने में घूम रहा था कभी धीरे से… तो कभी तेज तेज… कभी ऊपर.. कभी नीचे… तो कभी गोल गोल… कई तरह से सलोनी की चुदाई हो रही थी.
साथ ही कलुआ का लन्ड भी उसके मुँह से बाहर नहीं निकल रहा था.
फिर सलोनी ऐसे ही पीछे लेट गई तो कलुआ भी घूम कर उधर आ गया और फिर सलोनी उसका लन्ड चूसती हुई सेक्सी से भी अधिक सेक्सी चुदक्कड़ दिख रही थी.इस पोज़िशन में सलोनी की चूत में अन्दर बाहर होता लन्ड साफ नज़र आ रहा था.
और अब कलुआ ने एक बार फिर से पप्पू को हिलाया और सलोनी को उसके ऊपर से हटाया, कलुआ नीचे लेटा और उसने सलोनी को अपने ऊपर आने का इशारा किया.
इस बार सलोनी उसकी तरफ़ ही मुख करके कलुआ के लन्ड पर बैठी और अब कलुआ का लन्ड सलोनी की चूत में आवागमन कर रहा था.एक ही बार में लन्ड बदल बदल कर सलोनी को अपनी चूत चुदवाने में बहुत मज़ा आ रहा होगा.
इस पोज़िशन में सलोनी तेज़ी से अपनी कमर हिला रही थी, लगता था कि अब उसे चरम सीमा पर पहुँचने की जल्दी थी.वो कलुआ के लन्ड पर बैठी हिल ही रही थी कि इस बार पप्पू ने हिम्मत की और मुझे वो नज़ारा देखने को मिल गया जो मैंने कभी सलोनी से तो उम्मीद भी नहीं की थी.हो सकता है सलोनी ने भी इसे पहली ही बार किया हो!
पप्पू ने आगे झुकी हुई सलोनी पीछे जाकर एक बार फिर अपना लन्ड सलोनी की गांड के छेद पर सेट करके अन्दर डाल दिया…आअहह… आआ… सलोनी की हल्की सी चीख निकली पर पप्पू की पकड़ मजबूत थी अगर सलोनी कोशिश भी करती तो वो पप्पू का लंड अपनी गांड से निकालने में असफल रहती.
अब एक साथ दो दो लन्ड सलोनी के अंदर थे. पप्पू का लन्ड सलोनी की गांड में और कलुआ का लंड उसकी चूत में!और कमरे में अनवरत असंख्य सिसकारियाँ… अह्ह आअह ओह्ह ऊई आअह्हा आअह्ह ओह ऊई इइइ आअह हह ओह्ह्ह ऊईय आअह ओह्ह इइइ म्म्माआ मरर्र गई… आअह्ह्हा आआआ
ना जाने कितनी बार उन्होंने जगह बदल बदल कर सलोनी की चूत और गांड को चोदा और साथ साथ पप्पू और कलुआ अपनी सेक्सी बातें भी करते रहे.
सलोनी चुदवाते चुदवाते उनसे पूछने लगी- यह तो बताओ कि तुम दोनों वहाँ किस किस को चोदते हो और पहली बार कैसे चोदना शुरू हुआ तुम्हारा?
पप्पू ने पीछे से सलोनी को चोदते चोदते बताया- मैडम, हम दोनों वहीं सेठ के गैरेज में सोते हैं, हम दोनों को एक दूसरे का लन्ड हिलाने की आदत है तो कई बार रात को नंगे भी सो जाते थे.एक दिन सवेरे सेठानी जल्दी आई हम दोनों नंगे सो रहे होंगे, सेठानी ने कलुआ का लन्ड देख लिया, सुबह को लन्ड खड़ा ही होता है, बस सेठनी ने उसे पकड़ लिया और लगी खेलने लन्ड से!शुरू में तो हम को कुछ डर सा लगा फ़िर उन्होंने ही हम दोनों को ये सब सिखाया.हम दोनों ही सेठानी को चोदने लगे, वे अपनी चूत और गांड दोनों ही चुदवाती हैं, हर दूसरे तीसरे दिन सवेरे आती और चुदवा लेती हैं.
सलोनी ने पूछा- है कैसी तुम्हारी सेठानी?कलुआ- मैडम, वो तो माल है पूरी… हमारा सेठ तो बुढ़िया गया है…पर सेठानी अभी ज़वान है दो बेटियाँ होने के बाद भी! सब तरफ़ से टाइट है.
पप्पू- हां मैडम… सेठानी तो है ही सुंदर… उनकी बेटियाँ तो और भी ज्यादा सेक्सी हैं. दो बेटियाँ हैं उनकी… अभी कॉलेज में पढ़ रही हैं… फिर उन दोनों ने पता नहीं कैसे अपनी मम्मी को हमारे साथ देख लिया और उन्हें भी पता चल गया तो कॉलेज से आने के बाद वे हम में से किसी एक को किसी ना किसी बहाने से बुलाती हैं और हम दोनों ने ही उन दोनों को चोदा है. बड़ी बेटी ने तो अपनी एक सहेली को भी मुझसे चुदवाया है, कलुआ से उसने नहीं चुदवाया.
ऐसी ही बात करते हुये वे चुदाई के आनन्द को और भी बढ़ा रहे थे.
और ऐसे में ही कलुआ की सिसकारियाँ निकलने लगी, लगने लगा कि उसका काम तमाम होने वाला है.
इस बार सलोनी ने पूरे जोर से पप्पू को हटाया, पप्पू भी समझ गया, वो पीछे हटा और कलुआ जल्दी से सलोनी की चूत से अपना लंड निकाल कर सलोनी के चेहरे के पास आ गया.
सलोनी वैसे ही झुकी रही, पप्पू एक बार फिर से उसकी गांड में लन्ड डालकर चोदने लगा और कलुआ का लन्ड सलोनी के हाथ में था.कलुआ भी उसको तेज तेज हिला रहा था तो उसका माल ज़ल्दी ही निकल गया, उसने एक बार फिर सलोनी के चेहरे और बदन को चिप चिप कर दिया.
उधर पप्पू भी अब आखिरी दौर में ही था, उसने अपना लन्ड बाहर निकाला और सलोनी की पीठ को अपनी मलाई से भर दिया.
और अचानक दरवाजे पर…ठक… ठक…!? अब कौन आ गया?

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 139

ठक… ठक…!पता नहीं अब कौन आ गया?यह तो अच्छा हुआ कि मैंने दरवाज़ा लॉक कर दिया था वरना अभी कुछ भी पंगा हो सकता था.
पता नहीं अन्दर उन तीनों ने ठक ठक सुनी या नहीं और वे किस हालत में होंगे?अभी तो मेरी हालत ख़स्ता थी… मेरा लन्ड लोअर के बाहर मेरे हाथ में था, वो भी पूरा सख्त खड़ा हुआ!अगर सलोनी मुझे यहाँ इस अवस्था में देख ले तो बिल्कुल अच्छा नहीं होगा.
सलोनी को तो मैं चलो एक बार सम्भाल भी लूँ… अगर उन कमीने लड़कों ने देख लिया तो जाने क्या सोचेंगे मेरे बारे में और भविष्य में भी परेशान कर सकते हैं.
मैंने जल्दी से लन्ड को लोअर के अन्दर किया और अपने छिपने की जगह खोजने लगा.बाथरूम दिखा, वहाँ में उन में से भी कोई आ सकता था, रसोई नजर आई… और मैं रसोई के दरवाजे के पीछे हो गया.
अब कोई मुझे सीधे नहीं देख सकता था जब तक रसोई में न आए!
मैं सांस रोके आगे के कारमाने देखने लगा.सबसे पहले बात तो यह कि आया कौन होगा?
तभी कलुआ कमरे से बाहर निकला, उसने कपड़े पहन लिये थे और सामान्य दिख रहा था, कपड़े भी क्या, निक्कर और टीशर्ट!वो दरवाज़ा खोलने गया शायद!
तभी पप्पू भी नज़र आया, उसने भी अपने कपड़े पहन लिए थे और वो सामान के साथ कुछ करके अपने को व्यस्त दिखाने लगा.
वे दोनों लड़के शायद समझ रहे थे कि मैं आया होऊँगा.तभी मुझे कलुआ की आवाज़ सुनाई दी, वह किसी से बात कर रहा था.ऐसा कौन आया होगा जिसे कलुआ जानता था? क्या इन दोनों का ही कोई और साथी?
और तभी वे आगे को आए, मुझे दोनों दिखाई दिए और उनकी बातें भी सुनाई पड़ने लगी.आने वाले का नाम जोगिंदर था,कोई जट था कलुआ उसको ताऊ बोल रहा था, दुबला पतला, जरा लम्बा, थोड़ा काला सा आदमी था, चैक वाली लुंगी और बनियान पहना था, उमर भी उसकी काफ़ी लग रही थी, शायद पचास से ऊपर होगा.
वो ट्रक ड्राइवर था, सामान लेने आया था…मैं उन दोनों की बातें सुनने लगा…
जोगिंदर - अबे छोरो.. तुम यहाँ क्या कर रहे हो? एक घण्टा हो गया, अब तक तो मैं सारा सामान पहुँचा देता, तुमने तो कोई सामान पैक ही नहीं किया?
कलुआ- व्ववो ताऊ… हमको मैडम ने दूसरे काम में लगा लिया था… नहीं तो अब तक तो हो जाता, अबे पप्पू जल्दी कर ले रे…
जोगिंदर - कमीनो, मुझे बेवकूफ़ ना बनाओ, यहाँ तो कोई है ही नहीं, भाई कहां हैं?
पप्पू- हां ताऊ, कलुआ सही कह रहा है, भाई बाहर को गये हैं और मैडम… हा अ हा हा हा…बस इतना कहते ही पप्पू जोर से हंस पड़ा…
मुझे डर लगने लगा कि ये दुष्ट कहीं इसके सामने सलोनी की चूत चुदाई की बात ना बोल दें.
तभी सलोनी बैडरूम से बाहर निकली… ओ माई गॉड…उसने कपड़े तो पहन लिये थे लेकिन वही जो उसने मेरे सामने पहन रखे थे.शॉर्ट्स और छोटा सा टॉप…जोगिंदर आँखें फाड़े उसको घूर रहा था…
सलोनी- कौन है यह आदमी? और तुम दोनों ने अपना काम पूरा किया या नहीं?सलोनी स्वयम् को सामान्य दिखाने की पूरी कोशिश कर रही थी या यूँ कहें कि उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया.
पप्पू- जी मैडम, बस थोड़ी देर में हो जाएगा जी!
यह अच्छा ही हुआ कि मैं रसोई में आ गया था छिपने… सलोनी वहीं से बाथरूम में चली गयी.
तभी जोगिंदर ने एक जोर की अह्ह्ह्हाआ भरी- क्या गजब चीज है बे… मज़ा आ गया! अबे तुम दोनों इसी के चूतड़ देखने को इत्ता धीमे काम कर रे? यार… क्या चूचे हैं, और क्या चूतड़ हैं साली के!
यह सुन कर दोनों लड़के जोर से हंसने लगे.
जोगिंदर - अबे सालो… तुम्हारे चूतड़ों पर एक लात मारूँगा जो इब मेरा मज़ाक बनाया तो!
कलुआ- ताऊ, आप तो बस ऐसे ही आहें भरते रहोगे, इसीलिए आपकी शादी भी नहीं हुआ अभी तक… हम देखने में नहीं, खाने में विश्वास रखते हैं.
जोगिंदर - ओ कलुवे, ज्यादा मत बोल रे तू… बात तो ऐसे कर रिया है कि जैसे अभी बजा चुका हो इसकी?और पप्पू उसके उकसाने में आ गया- हां ताऊ… सही बोले तुम… मैंने तो खूब बजाई इसकी गान्ड… लन्ड में अभी भी दर्द हो रहा है!
कलुआ- चुप कर कमीने… क्यों बोल रहा है? मैडमजी ने मना किया था…
जोगिंदर आँखें फाड़े उनको देखने लगा.
जोगिंदर - अबे सालो, सवेरे से तुम दोनों को मैं ई मिला बेवकूफ़ बनाने को?
पप्पू- हम आपका बेवकूफ़ नहीं बना रहे ताऊ… सच… अभी कुछ देर पहले यह मैडम हमारे साथ पूरी नंगी थी उस कमरे में!पप्पू ने बैडरूम की तरफ़ इशारा कर के कहा.
शायद जोगिंदर को इन लड़कों की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था पर मुझको लग रहा था कि ये दोनों लड़के क्यों इतना बोल रहे हैं. अब तक जो जो हुआ, हो गया, पर यह जोगिंदर तो काफ़ी घाघ किस्म का आदमी लग रहा है, पता नहीं क्या कर डाले?
जोगिंदर - अबे झूठ ना बोलै मेरे सामने… मैं तो तब मानूँ जो इस गोरी के चूतड़ एक बार नंगे देखने को मिल जाये?
कलुआ- बस इत्ती सी बात?
जोगिंदर - कह तो ऐसे रहा है…जैसे दिखवा देगा?
कलुआ- पहले यह बताओ ताऊ तुम हमको क्या दोगे जो दिखवा दिये तो?
जोगिंदर - दोनों को सौ सौ का एक एक नोट दे दूँगा लेकिन पूरे नंगे करके दिखवाने पड़ेंगे इसके चूत्तड़… अर वो भी पास सै…
पप्पू- वाह ताऊ सौ रुपे… ताऊ आप अच्छे से अपने हाथ से छू के देख लियो!यह साला तो कुछ ज्यादा ही आगे जा रहा था.
और तभी सलोनी बाथरूम से बाहर आई, उसने कोई कपड़े नहीं बदले थे, जैसा मैं सोच रहा था. मतलब इसे इनके सामने इन कपड़ों में रहने में कोई परेशानी नहीं थी.
कलुआ एकदम से सलोनी के पास गया- मैडमजी, ये हमारे ताऊ हैं, जोगिंदर ताऊ… हमारे साथ ही रहते हैं, ये वहाँ ट्रक चलाते हैं.
सलोनी- तो क्या? फ़टाफ़ट सामान पैक करो और ले कर जाओ इनको!सलोनी कुछ तेज आवाज में बोली.
कलुआ- व्ववो मेमसाब, इनको सब पता लग गया है.
सलोनी- क्या पता है? क्या बकवास कर रहा है?
कलुआ- मैडम जी आप ऐसे क्यों बोल रही हो? अभी कुछ देर पहले तो…
सलोनी जोर से चीखी- चुप्प्प… ज्यादा ना बोल, जल्दी से अपना काम खत्म कर और निकल जा यहाँ से!इतने में जोगिंदर भी पास आ गया- अरे मैडम जी, आप क्यों गुस्सा हो रही हो, ऐसा क्या कर दिया इस बालक ने? तू बोल कलुआ… मैं भी देखता हूँ.. तुझे कौन कुछ कहता है!
कलुआ- मैडम जी, ऐसा मत बोलो, ताऊ वैसा कुछ नहीं करेंगे जैसा आप समझ रही हो, ये चोदेंगे नहीं…उसने सरेआम वो बोल दिया जो नहीं बोलना चाहिए था…सलोनी तो जहाँ थी वहाँ जड़वत् खड़ी रह गयी…

कहानी जारी रहेगी.

 
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