desiaks
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अपडेट. 131
सलोनी मेरी सेक्सी बीवी किसी परिचय की मोहताज़ नहीं… उसका सौन्दर्य बिना कहे ही अपनी कहानी खुद बता देता है. मुझे अब भी याद है कि विवाह से पूर्व जब मैंने सलोनी को देखा था तो बिना कुछ सोचे मैंने सलोनी के लिए हाँ कर दी थी…मेरी सलोनी है ही इतनी मस्त कि कोई उसको एक बार देख ले तो जिन्दगी भर भूल नहीं सकता.
उसकी 34C की एकदम गोल चूचियाँ… उसकी गोरी छाती पर ऐसे उभरी हैं जैसे रस भरे आम हों, जिनको मुँह लगाकर चूसने को दिल मचल उठता है.ऊपर से उनपर लगे वो चमकते गुलाबी निप्पल… कितना भी चूस लो… उनकी रंगत में कोई फर्क नहीं आया है.. किसी कम उम्र की कमसिन कुंवारी लड़की की चूचियाँ भी सलोनी के इन नगीनों के समक्ष कम लुभावनी ही नजर आएंगी.
और सिर्फ़ चूचियाँ ही क्यों… सलोनी के तो हर अंग से मादकता छलकती है… उसकी मक्खन सी गोरी जांघों के बीच सिंदूरी रंग की छोटी सी चूत… उसकी दोनों पंखुड़ियाँ आपस में ऐसे चिपकी रहती हैं जैसे प्रेमी और प्रेमिका का प्रथम चुम्बन…
मेरी सलोनी की योनि के दोनों लब आपस में अब भी किसी अक्षतयौवना की अनछुई योनि तरह चिपके हैं… उस पर सलोनी मंहगी क्रीम से उसको चमका कर रखती है.
मुझे सलोनी की नाजुक चूत पर आज तक एक भी बाल नहीं दिखा… छोटी बच्ची जैसी प्यारी सी दिखती है सलोनी की चूत….!
और मेरी सलोनी के सेक्सी, मोटे, गद्देदार, बाहर को उभरे हुए कूल्हे यानि चूतड़, जिनको देख हर कोई दीवाना हो जाता है और आते जाते उनको छूने का कोई मौका नहीं छोड़ता… हाथ, कुहनी, घुटना या फिर भीड़भाड़ वाले स्थान जगह पर तो अपना लंड तक उसके चूतड़ों से भिड़ा देते हैं लोग.
और सबसे ऊपर उसका पहनावा जो दिन पर दिन सेक्सी, और सेक्सी होता जा रहा है.
मेरी सलोनी इतनी बोल्ड है कि उसके बदन का कोई भी अंग दिख रहा हो, उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता… वो ऐसे सामान्य रहती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो!सलोनी को देख कर तो हर कोई उसका दीवाना सा हो जाता है.
हमारी कॉलोनी में हमारी बिल्डिंग से लेकर आसपास के हर आयु के किशोर, युवक अधेड़ व बूढ़े उसके मदमस्त यौवन के दर्शन कर चुके हैं, ना सिर्फ़ कॉलोनी वाले, बल्कि सलोनी तो कॉलोनी में आने जाने वालों पर भी मेहरबान रहती है.
चाहे वो दूध वाला हो या फिर कोई दूसरा काम करने वाला… कोई मेरी सलोनी को देख कर ही खुश हो जाता तो कोई उसके बदन को छू कर मज़े ले लेता… जिसका समय और भाग्य अच्छा होता था वो तो दरिया में डुबकी भी लगा लेता है.
ऐसी दरियादिल है मेरी सेक्सी रंगीली बीवी सलोनी…
पिछले एक वर्ष में तो सलोनी का बदन और भी गदरा गया है, वो पहले से कहीं ज्यादा रसीली हो गई है…अब तो सलोनी को देखने मात्र से ही कई लड़कों, बुड्ढों के अंडरवियर ख़राब हो जाते हैं.
जिस कॉलोनी में हम रहा करते थे वहाँ सब जगह सलोनी बहुत प्रसिद्ध हो ही गई थी… हर शख्स उसकी एक झलक पाने के लिए उतावला रहता था… इसके अलावा शहर में भी काफ़ी अन्जान लोग, कुछ जानने वाले और कुछ मेरे मित्र भी सलोनी की रग पहचान गए थे.
बाकी अरविन्द अंकल जैसे रंगीले बुड्ढों के कारण अब वहाँ रहना मुश्किल होता जा रहा था… उन्होंने अपने दोस्तों में भी सलोनी की रंगीली जवानी के चर्चे और कारनामे फैला दिए थे जिससे हमारी दिक्कतें बढ़ने लगी थी.
अन्तताह अब मुझे लगने लगा था कि इस शहर में रहते रहे तो अच्छा नहीं होगा, यह बात सलोनी भी समझ रही थी.वैसे तो वो बहुत समझदार है और जो भी करती है बहुत समझ सोच कर!मगर यह कामूकता होती ही ऐसी है कि इसके बढ़ने होने पर इन्सान अपनी हद लांघ जाता है… और पुरुष तो यह भूल जाता है कि वो खुद क्या है… और सारा दोष स्त्री के सर मढ़ देता है.
हम दोनों को ही लगने लगा था कि अब यहाँ सब लोग सलोनी को एक सेक्स की गुड़िया की तरह देखने लगे हैं… मेरे मित्रों की निगाहों में भी फ़र्क आ गया था, उनकी कुदृष्टि केवल सलोनी के यौवन पर ही रहती थी.
इन सब बातों को मद्देनज़र रखते हुये मैंने अपने तबादले के लिये कोशिश की… और भगवान् की कृपा से मुझे दूसरे शहर में पोस्टिंग मिल गई जहाँ हमारा कोई जानने वाला नहीं था.
इस बदलाव से सलोनी भी खुश थी क्योंकि पिछले काफ़ी दिनों से वो भी परेशान रहने लगी थी, उसने स्कूल की नौकरी भी छोड़ दी थी क्योंकि स्कूल में भी हालात वही थे.
अब उसको इस सेक्स के खेल में मजे से ज्यादा डर लगने लगा था.भले ही हम दोनों ही एक दूसरे के यौन जीवन में कोई रोकटोक नहीं करते थे मगर एक दूसरे का ख़्याल रखना और एक दूसरे से प्यार करना… इसमें कमी नहीं थी बल्कि हम दोनों का प्यार और बढ़ही गया था.
हम नये शहर में जाने की तैयारी कर रहे थे, किसी को कुछ खास बताया नहीं था क्योंकि यहाँ के नाते रिश्ते हम यहीं छोड़ जाना चाह रहे थे.
सलोनी मेरी सेक्सी बीवी किसी परिचय की मोहताज़ नहीं… उसका सौन्दर्य बिना कहे ही अपनी कहानी खुद बता देता है. मुझे अब भी याद है कि विवाह से पूर्व जब मैंने सलोनी को देखा था तो बिना कुछ सोचे मैंने सलोनी के लिए हाँ कर दी थी…मेरी सलोनी है ही इतनी मस्त कि कोई उसको एक बार देख ले तो जिन्दगी भर भूल नहीं सकता.
उसकी 34C की एकदम गोल चूचियाँ… उसकी गोरी छाती पर ऐसे उभरी हैं जैसे रस भरे आम हों, जिनको मुँह लगाकर चूसने को दिल मचल उठता है.ऊपर से उनपर लगे वो चमकते गुलाबी निप्पल… कितना भी चूस लो… उनकी रंगत में कोई फर्क नहीं आया है.. किसी कम उम्र की कमसिन कुंवारी लड़की की चूचियाँ भी सलोनी के इन नगीनों के समक्ष कम लुभावनी ही नजर आएंगी.
और सिर्फ़ चूचियाँ ही क्यों… सलोनी के तो हर अंग से मादकता छलकती है… उसकी मक्खन सी गोरी जांघों के बीच सिंदूरी रंग की छोटी सी चूत… उसकी दोनों पंखुड़ियाँ आपस में ऐसे चिपकी रहती हैं जैसे प्रेमी और प्रेमिका का प्रथम चुम्बन…
मेरी सलोनी की योनि के दोनों लब आपस में अब भी किसी अक्षतयौवना की अनछुई योनि तरह चिपके हैं… उस पर सलोनी मंहगी क्रीम से उसको चमका कर रखती है.
मुझे सलोनी की नाजुक चूत पर आज तक एक भी बाल नहीं दिखा… छोटी बच्ची जैसी प्यारी सी दिखती है सलोनी की चूत….!
और मेरी सलोनी के सेक्सी, मोटे, गद्देदार, बाहर को उभरे हुए कूल्हे यानि चूतड़, जिनको देख हर कोई दीवाना हो जाता है और आते जाते उनको छूने का कोई मौका नहीं छोड़ता… हाथ, कुहनी, घुटना या फिर भीड़भाड़ वाले स्थान जगह पर तो अपना लंड तक उसके चूतड़ों से भिड़ा देते हैं लोग.
और सबसे ऊपर उसका पहनावा जो दिन पर दिन सेक्सी, और सेक्सी होता जा रहा है.
मेरी सलोनी इतनी बोल्ड है कि उसके बदन का कोई भी अंग दिख रहा हो, उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता… वो ऐसे सामान्य रहती है जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो!सलोनी को देख कर तो हर कोई उसका दीवाना सा हो जाता है.
हमारी कॉलोनी में हमारी बिल्डिंग से लेकर आसपास के हर आयु के किशोर, युवक अधेड़ व बूढ़े उसके मदमस्त यौवन के दर्शन कर चुके हैं, ना सिर्फ़ कॉलोनी वाले, बल्कि सलोनी तो कॉलोनी में आने जाने वालों पर भी मेहरबान रहती है.
चाहे वो दूध वाला हो या फिर कोई दूसरा काम करने वाला… कोई मेरी सलोनी को देख कर ही खुश हो जाता तो कोई उसके बदन को छू कर मज़े ले लेता… जिसका समय और भाग्य अच्छा होता था वो तो दरिया में डुबकी भी लगा लेता है.
ऐसी दरियादिल है मेरी सेक्सी रंगीली बीवी सलोनी…
पिछले एक वर्ष में तो सलोनी का बदन और भी गदरा गया है, वो पहले से कहीं ज्यादा रसीली हो गई है…अब तो सलोनी को देखने मात्र से ही कई लड़कों, बुड्ढों के अंडरवियर ख़राब हो जाते हैं.
जिस कॉलोनी में हम रहा करते थे वहाँ सब जगह सलोनी बहुत प्रसिद्ध हो ही गई थी… हर शख्स उसकी एक झलक पाने के लिए उतावला रहता था… इसके अलावा शहर में भी काफ़ी अन्जान लोग, कुछ जानने वाले और कुछ मेरे मित्र भी सलोनी की रग पहचान गए थे.
बाकी अरविन्द अंकल जैसे रंगीले बुड्ढों के कारण अब वहाँ रहना मुश्किल होता जा रहा था… उन्होंने अपने दोस्तों में भी सलोनी की रंगीली जवानी के चर्चे और कारनामे फैला दिए थे जिससे हमारी दिक्कतें बढ़ने लगी थी.
अन्तताह अब मुझे लगने लगा था कि इस शहर में रहते रहे तो अच्छा नहीं होगा, यह बात सलोनी भी समझ रही थी.वैसे तो वो बहुत समझदार है और जो भी करती है बहुत समझ सोच कर!मगर यह कामूकता होती ही ऐसी है कि इसके बढ़ने होने पर इन्सान अपनी हद लांघ जाता है… और पुरुष तो यह भूल जाता है कि वो खुद क्या है… और सारा दोष स्त्री के सर मढ़ देता है.
हम दोनों को ही लगने लगा था कि अब यहाँ सब लोग सलोनी को एक सेक्स की गुड़िया की तरह देखने लगे हैं… मेरे मित्रों की निगाहों में भी फ़र्क आ गया था, उनकी कुदृष्टि केवल सलोनी के यौवन पर ही रहती थी.
इन सब बातों को मद्देनज़र रखते हुये मैंने अपने तबादले के लिये कोशिश की… और भगवान् की कृपा से मुझे दूसरे शहर में पोस्टिंग मिल गई जहाँ हमारा कोई जानने वाला नहीं था.
इस बदलाव से सलोनी भी खुश थी क्योंकि पिछले काफ़ी दिनों से वो भी परेशान रहने लगी थी, उसने स्कूल की नौकरी भी छोड़ दी थी क्योंकि स्कूल में भी हालात वही थे.
अब उसको इस सेक्स के खेल में मजे से ज्यादा डर लगने लगा था.भले ही हम दोनों ही एक दूसरे के यौन जीवन में कोई रोकटोक नहीं करते थे मगर एक दूसरे का ख़्याल रखना और एक दूसरे से प्यार करना… इसमें कमी नहीं थी बल्कि हम दोनों का प्यार और बढ़ही गया था.
हम नये शहर में जाने की तैयारी कर रहे थे, किसी को कुछ खास बताया नहीं था क्योंकि यहाँ के नाते रिश्ते हम यहीं छोड़ जाना चाह रहे थे.