desiaks
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सलोनी- कुछ आधा अधूरा नहीं… 3-4 रातों तक तो वे वैसे ही मस्ती करते रहे, चोदा नहीं मुझे… बस हल्के हल्के लंड को अन्दर करते थे और बाहर निकाल लेते थे.
फिर जब मेरे एग्जाम में कई दिनों की छुट्टी आई… तो उस रात उन्होंने काफ़ी चिकनाई लगाकर मेरी चूत में अपना पूरा लंड घुसाया था.उस रात मुझे बहुत दर्द हुआ था और खून भी निकला था! अंकल उस रात बहुत खुश हुए, उस रात अंकल ने मुझे अच्छी तरह चोदा… और फिर जब तक मैं वहाँ रही… तकरीबन हर रात बार बार चोदते थे.
चलो हो गई कहानी पूरी… अब उठो यहाँ से!
तभी ताऊ उठे और उन्होंने अपने हाथ से अपना पानी सलोनी की जांघ पर गिरा दिया.
सलोनी- आह… अह… ताऊ, माने नहीं ना तुम… चलो अब जाओ काम पर लगो.
और सबने अपने आप को ठीक ठाक कर के कपड़े पहन लिए.
अब मैंने देखा कि अब यहाँ ज्यादा कुछ मसाला नहीं बचा है तो मैं एकदम दरवाज़े से बाहर निकला, वैसे ही लॉक कर दिया… जिससे किसी को कोई शक ना हो.करीब दस मिनट बाद मैं ऐसे ही घूमते हुए लौट कर आ गया.
तीनों बाहर काम में लग चुके थे और दरवाज़ा खुला हुआ था.मैं बिना कुछ बोले बैडरूम में आया तो तब तक सलोनी ने बैडरूम एकदम से ठीक ठाक कर दिया था.
सलोनी ने शॉर्ट्स और टॉप ही पहने हुए थे.
इन सब का पानी तो निकल चुका था लेकिन मेरा अभी भी अधूरा था.वे तीनों बाहर काम में लगे थे और मैंने सलोनी को पीछे से पकड़ा तो सलोनी बोली- ओह्ह… कहां रह गये थे आप? ये तीनों तो बहुत सुस्त हैं, देखो जरा भी काम नहीं निपटाया!
मैं- अरे जानेमन, कर तो रहे हैं तब से लगातार, अभी मैंने देखा बाहर, तीनों काम में ही लगे हुये हैं.
सलोनी- अब आपको क्या हुआ? बाहर से आते ही ये छोटे ज़नाब क्यों अकड़ रहे हैं? कि अभी से मुझे तंग करने लगे?
मैं- अरे यार, बाहर बड़ी कंटीली आइटम दिख गई थी तो मन चुदाई का करने लगा!
सलोनी- अच्छा? तो अब ये ज़नाब दूसरों को देख कर भी खड़े होने लगे? पर अभी तो रुको, बाहर वे लोग हैं, उनको जाने दो, सब कसर पूरी कर दूँगी.
यही अदाएँ तो मुझे पसन्द थी मेरी जान की… कभी मुझे या मेरे लंड को निराश नहीं करती… हर समय हम दोनों का पूरा ख्याल रखती.मैं- अरे यार, वे बाहर काम कर रहे हैं… ऐसे में तो चुदाई का ज्यादा मजा आयेगा… आओ ना…
और सलोनी जान मान गई.मैंने दरवाज़ा बन्द करने की कोई जरूरत नहीं समझी… वैसे भी बैडरूम का दरवाजा स्लाइडिंग है, उस पर परदा था… वही परदा जिसमें से अभी कुछ देर पहले मैंने सब कुछ देखा था… और वो पूरी तरह से ढका हुआ नहीं था.
मेन गेट भी खुला था जिससे मैं अन्दर तो आ गया पर बन्द नहीं किया था.इसके बावजूद इस बार मैंने मज़े लेने की सोची, जो काम मैं बाहर रह कर करता था, आज सोचा कि मैं चोदूँगा सलोनी को और देखता हूँ इनमें से कोई हमें देखता है या नहीं!
अगर देखता है तो क्या करेगा?मैंने आवाज़ करते हुए सलोनी को कसके अपने बदन से चिपका लिया, अपने हाथ आगे ला कर मैंने सलोनी की शॉर्ट्स का बटन एक बार फिर खोल दिया.
बेचारी शॉर्ट्स भी सोच रही होगी कि अभी पहने हुये दस मिनट भी नहीं हुये और उतरने की बारी फिर आ गई. ये लड़की आख़िर पहनती ही क्यों है मुझे?
और मैंने शॉर्ट्स के अन्दर हाथ से सलोनी की प्यारी और चिकनी चूत को सहलाया तो शॉर्ट्स अपने आप ही नीचे सरकती हुई सलोनी के पैरों में गिर गई.
पूरी नंगी थी सलोनी नीचे से… उसने कोई कच्छी नहीं पहनी थी!
तभी मुझे बाहर हल्की सी आहट सी सुनाई दी… कौन आया देखने?
कहानी जारी रहेगी.
फिर जब मेरे एग्जाम में कई दिनों की छुट्टी आई… तो उस रात उन्होंने काफ़ी चिकनाई लगाकर मेरी चूत में अपना पूरा लंड घुसाया था.उस रात मुझे बहुत दर्द हुआ था और खून भी निकला था! अंकल उस रात बहुत खुश हुए, उस रात अंकल ने मुझे अच्छी तरह चोदा… और फिर जब तक मैं वहाँ रही… तकरीबन हर रात बार बार चोदते थे.
चलो हो गई कहानी पूरी… अब उठो यहाँ से!
तभी ताऊ उठे और उन्होंने अपने हाथ से अपना पानी सलोनी की जांघ पर गिरा दिया.
सलोनी- आह… अह… ताऊ, माने नहीं ना तुम… चलो अब जाओ काम पर लगो.
और सबने अपने आप को ठीक ठाक कर के कपड़े पहन लिए.
अब मैंने देखा कि अब यहाँ ज्यादा कुछ मसाला नहीं बचा है तो मैं एकदम दरवाज़े से बाहर निकला, वैसे ही लॉक कर दिया… जिससे किसी को कोई शक ना हो.करीब दस मिनट बाद मैं ऐसे ही घूमते हुए लौट कर आ गया.
तीनों बाहर काम में लग चुके थे और दरवाज़ा खुला हुआ था.मैं बिना कुछ बोले बैडरूम में आया तो तब तक सलोनी ने बैडरूम एकदम से ठीक ठाक कर दिया था.
सलोनी ने शॉर्ट्स और टॉप ही पहने हुए थे.
इन सब का पानी तो निकल चुका था लेकिन मेरा अभी भी अधूरा था.वे तीनों बाहर काम में लगे थे और मैंने सलोनी को पीछे से पकड़ा तो सलोनी बोली- ओह्ह… कहां रह गये थे आप? ये तीनों तो बहुत सुस्त हैं, देखो जरा भी काम नहीं निपटाया!
मैं- अरे जानेमन, कर तो रहे हैं तब से लगातार, अभी मैंने देखा बाहर, तीनों काम में ही लगे हुये हैं.
सलोनी- अब आपको क्या हुआ? बाहर से आते ही ये छोटे ज़नाब क्यों अकड़ रहे हैं? कि अभी से मुझे तंग करने लगे?
मैं- अरे यार, बाहर बड़ी कंटीली आइटम दिख गई थी तो मन चुदाई का करने लगा!
सलोनी- अच्छा? तो अब ये ज़नाब दूसरों को देख कर भी खड़े होने लगे? पर अभी तो रुको, बाहर वे लोग हैं, उनको जाने दो, सब कसर पूरी कर दूँगी.
यही अदाएँ तो मुझे पसन्द थी मेरी जान की… कभी मुझे या मेरे लंड को निराश नहीं करती… हर समय हम दोनों का पूरा ख्याल रखती.मैं- अरे यार, वे बाहर काम कर रहे हैं… ऐसे में तो चुदाई का ज्यादा मजा आयेगा… आओ ना…
और सलोनी जान मान गई.मैंने दरवाज़ा बन्द करने की कोई जरूरत नहीं समझी… वैसे भी बैडरूम का दरवाजा स्लाइडिंग है, उस पर परदा था… वही परदा जिसमें से अभी कुछ देर पहले मैंने सब कुछ देखा था… और वो पूरी तरह से ढका हुआ नहीं था.
मेन गेट भी खुला था जिससे मैं अन्दर तो आ गया पर बन्द नहीं किया था.इसके बावजूद इस बार मैंने मज़े लेने की सोची, जो काम मैं बाहर रह कर करता था, आज सोचा कि मैं चोदूँगा सलोनी को और देखता हूँ इनमें से कोई हमें देखता है या नहीं!
अगर देखता है तो क्या करेगा?मैंने आवाज़ करते हुए सलोनी को कसके अपने बदन से चिपका लिया, अपने हाथ आगे ला कर मैंने सलोनी की शॉर्ट्स का बटन एक बार फिर खोल दिया.
बेचारी शॉर्ट्स भी सोच रही होगी कि अभी पहने हुये दस मिनट भी नहीं हुये और उतरने की बारी फिर आ गई. ये लड़की आख़िर पहनती ही क्यों है मुझे?
और मैंने शॉर्ट्स के अन्दर हाथ से सलोनी की प्यारी और चिकनी चूत को सहलाया तो शॉर्ट्स अपने आप ही नीचे सरकती हुई सलोनी के पैरों में गिर गई.
पूरी नंगी थी सलोनी नीचे से… उसने कोई कच्छी नहीं पहनी थी!
तभी मुझे बाहर हल्की सी आहट सी सुनाई दी… कौन आया देखने?
कहानी जारी रहेगी.