hotaks444
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दस लाख का सवाल
लेखक: अंजान
Hindi font by sinsex
सुबह से ही बॉस का मूड बिगड़ा हुआ था। वजह मालूम नही पड़ रही थी। मैं सानिया हमीद, मुम्बई में एक कम्पनी में सेक्रेटरी का काम करती हूँ। मेरे बॉस, राहुल अरोड़ा, का काम गवर्नमेन्ट के ठेके लेना है। टेन्डर के ज़रिये गवर्नमेन्ट ठेके देती है और मेरे बॉस आफ़िसरों को पैसे खिला पिला कर अपना काम निकलवाते हैं। उनका दिल्ली बेस होना उनके काम में काफी मदद करता है। ज्यादातर कान्ट्रैक्ट दिल्ली से पास होते है और दिल्ली में ही आफ़िसरों को खुश करने के लिये शराब, कबाब और शबाब का मज़ा लूटने देते हैं।
"सर, क्या बात है आज आप काफी परेशान दिखाई पड़ रहे हैं?" मैंने केबिन में घुसते ही पूछ लिया।
"हाँ सानिया! आज कुछ ज्यादा ही परेशान हूँ...," बॉस ने काफी संजीदा होते हुए कहा, "किसी ने हमारी कम्पनी की शिकायत दिल्ली में कर दी है।"
"किस चीज़ की शिकयात, सर?" मैंने चेयर पर बैठते हुए कहा।
"एक ठेके के बारे में, सानिया...। और उसी सिलसिले में एक बड़ा सरकारी आफ़िसर माल चेक करने आ रहा है," बॉस परेशानी की हालत में बोल रहे थे। "अब अगर हमारा माल रिजेक्ट कर दिया तो बड़ा नुकसान होगा कम्पनी को।"
"हाँ। लेकिन आफ़िसर को पटा क्यों नहीं लेते हैं सर। आप तो उन लोगो को पटाने में माहिर भी हैं!" मैंने हँसते हुए कहा।
"नहीं सानिया। ये आफ़िसर बड़ा रंगीन मिज़ाज़ है। और लोगों को तो बज़ार की रेडीमेड चीज़ों से पटा लेता हूँ। लेकिन ये आफ़िसर... मालूम नही... क्यों घरेलू चीज़ें ही पसंद करता है," बॉस परेशनी की हालत में बोले।
"घरेलू चीज़ें? मतलब?" मुझे कुछ समझ में नही आया।
"घरेलू यानि घरेलू। अरे बड़ा रंगीन मिज़ाज़ है। उसे बज़ार की औरतें नही बल्कि घरेलू औरतें चाहिये। अब यह सब कहाँ से लाऊँ मैं?" बॉस ने समझाते हुए कहा।
अब समझ में आया। बाज़ार की औरतें नहीं... यानि वेश्या नहीं... घर की औरतें चाहिये चोदने के लिये। यानि पूरा रंगीन मिज़ाज़ था आफ़िसर। यूँ तो बॉस ऐसी बातें मुझसे नही करता लेकिन आज परेशानी में वो खुलकर बोल पड़ा। फिर हम दोनों सोच में डूब गये इस मुश्किल को सुलझाने के लिये। मुझे अपनी सहेली की याद आ गयी। सादिया, एक खूबसूरत एयर होस्टेस है। हम दोनों एक साल पहले तक साथ-साथ रहते थे। वो इन चीज़ों में माहिर थी। उसका कहना था कि, ज़िन्दगी बड़ी छोटी है। अपनी खूबसुरती का इस्तेमाल करो और पैसा बनाओ। वो अपने जिस्म का फ़ायदा उठा कर बड़े-बड़े लोगों से मिलती और एक-दो महीने में लाखों कमा कर दूसरे को ढूँढने लगती। उसका कहना था कि इन सात-आठ सालों में इतना कमा लो कि बाकी ज़िन्दगी बगैर कोई काम करे गुज़ार सको। वो हमेशा मुझे भी यही मशवरा देती थी।
मुझे हमेशा कहती थी, "सानिया तू तो मुझसे भी खूबसूरत है। कहाँ सेक्रेटरी की नौकरी में पड़ी है। मेरी लाईन पर चल, लाखों कमायेगी। फिर सात-आठ साल बाद हम दोनों किसी छोटे शहर में एक छोटे से मकान में अपनी बाकी की ज़िन्दगी ऐश से गुजरेंगे।"
लेकिन मैं अपने बॉय-फ्रैंड के साथ खुश थी और थोड़ी बहुत फ्लरटिंग अपने बॉस के साथ भी कर लेती थी। जिससे बॉस भी थोड़ा बहुत मुझसे खुला हुआ था।
यह सोचते-सोचते मैंने अपने बॉस से कहा, "अगर कोई लड़की मिले भी तो वो कोई मामूली खूबसूरत ही नही नही बल्कि बला की खूबसूरत होनी चाहिये। उसे क्या मिलेगा जो ये काम करे?"
बॉस ने समझाते हुए कहा, "सानिया, यह कान्ट्रैक्ट जो की दस करोड़ का है... अगर कैन्सल हो जायेगा तो कम्पनी को दो-तीन करोड़ का नुक्सान जरूर हो जायेगा। मैं तो इससे बचने के लिये दस करोड़ का एक परसेंट कमिशन दस लाख तक देने को तैयार हूँ।"
"दस लाख रुपये!!! सिर्फ एक रात के लिये!!!" मेरा मुँह ये कहते हुए खुला ही रह गया। यह रकम कोई छोटी नही होती किसी भी लड़की के लिये। कोई भी तैयार हो जाये। तभी मेरे मन में और एक विचार आने लगा। और यह रकम मुझे मिल जाये तो.... फिर अपने बॉस से कहा, "सर, मैं एक लड़की को जानती हूँ।"
बॉस ने ज़रा जोश में कहा, "कौन है वो। कोई चालू लड़की नही चहिये।"
मैंने कहा, "वो एक एयर-होस्टेस है।"
बॉस ने फिर पुछा, "क्या वो रेडी हो जायेगी?"
"कोशिश करती हूँ," मैंने जवाब दिया।
"सोच लो सानिया। अगर अभी रेडी हो गयी और टाईम पर ना बोल दिया तो कहीं लेने के देने ना पड़ जायें। फिर तुम जानती हो। एक बार कान्ट्रक्ट कैन्सल हुआ तो कितना बड़ा नुकसान हो जायेगा।" बॉस ने जोर देते हुए कहा।
फिर ना जाने मेरे मुँह से कैसे निकल गया, "सर, आप परेशान नही हों । मैं मैनेज कर लूँगी।" बॉस मुझे देखते ही रह गये।
मैंने अपने घर पहुंच कर अपनी फ़्रेन्ड, सादिया, के मोबाईल पर फोन किया।
"क्या हाल है सादिया? मुम्बई में हो या कहीं और..." मैंने फोने लगाते ही पुछा।
"सानिया। व्हॉट ए ग्रेट सरप्राइज़! मुम्बई से ही बोल रही हूँ यार। बता क्या हाल-चाल है?" सादिया ने पुछा।
"बस कुछ नही। तू आज कल किसके साथ एय्याशी कर रही है?" मैंने हंसते हुए कहा।
"कहाँ यार। अभी तो कोई मुर्गा ही ढुंढ रही हूँ? तू भी क्या अभी सेक्रेटरी बनी हुई है या मेरे जैसी बन गयी," सादिया बोली।
"तेरी तरह बन जाऊँ? चल जा हट। लेकिन तेरे लिये जरूर एक काम है । खूब पैसे मिलेंगे।"
"कोई मुर्गा मिला है क्या?" सादिया ने पुछा। तब मैंने उसे सारी बात बतायी। और उसे साथ देने के लिये फिफ्टी-फिफ्टी का ऑफ़र किया जिसे वो मान गयी।
लेखक: अंजान
Hindi font by sinsex
सुबह से ही बॉस का मूड बिगड़ा हुआ था। वजह मालूम नही पड़ रही थी। मैं सानिया हमीद, मुम्बई में एक कम्पनी में सेक्रेटरी का काम करती हूँ। मेरे बॉस, राहुल अरोड़ा, का काम गवर्नमेन्ट के ठेके लेना है। टेन्डर के ज़रिये गवर्नमेन्ट ठेके देती है और मेरे बॉस आफ़िसरों को पैसे खिला पिला कर अपना काम निकलवाते हैं। उनका दिल्ली बेस होना उनके काम में काफी मदद करता है। ज्यादातर कान्ट्रैक्ट दिल्ली से पास होते है और दिल्ली में ही आफ़िसरों को खुश करने के लिये शराब, कबाब और शबाब का मज़ा लूटने देते हैं।
"सर, क्या बात है आज आप काफी परेशान दिखाई पड़ रहे हैं?" मैंने केबिन में घुसते ही पूछ लिया।
"हाँ सानिया! आज कुछ ज्यादा ही परेशान हूँ...," बॉस ने काफी संजीदा होते हुए कहा, "किसी ने हमारी कम्पनी की शिकायत दिल्ली में कर दी है।"
"किस चीज़ की शिकयात, सर?" मैंने चेयर पर बैठते हुए कहा।
"एक ठेके के बारे में, सानिया...। और उसी सिलसिले में एक बड़ा सरकारी आफ़िसर माल चेक करने आ रहा है," बॉस परेशानी की हालत में बोल रहे थे। "अब अगर हमारा माल रिजेक्ट कर दिया तो बड़ा नुकसान होगा कम्पनी को।"
"हाँ। लेकिन आफ़िसर को पटा क्यों नहीं लेते हैं सर। आप तो उन लोगो को पटाने में माहिर भी हैं!" मैंने हँसते हुए कहा।
"नहीं सानिया। ये आफ़िसर बड़ा रंगीन मिज़ाज़ है। और लोगों को तो बज़ार की रेडीमेड चीज़ों से पटा लेता हूँ। लेकिन ये आफ़िसर... मालूम नही... क्यों घरेलू चीज़ें ही पसंद करता है," बॉस परेशनी की हालत में बोले।
"घरेलू चीज़ें? मतलब?" मुझे कुछ समझ में नही आया।
"घरेलू यानि घरेलू। अरे बड़ा रंगीन मिज़ाज़ है। उसे बज़ार की औरतें नही बल्कि घरेलू औरतें चाहिये। अब यह सब कहाँ से लाऊँ मैं?" बॉस ने समझाते हुए कहा।
अब समझ में आया। बाज़ार की औरतें नहीं... यानि वेश्या नहीं... घर की औरतें चाहिये चोदने के लिये। यानि पूरा रंगीन मिज़ाज़ था आफ़िसर। यूँ तो बॉस ऐसी बातें मुझसे नही करता लेकिन आज परेशानी में वो खुलकर बोल पड़ा। फिर हम दोनों सोच में डूब गये इस मुश्किल को सुलझाने के लिये। मुझे अपनी सहेली की याद आ गयी। सादिया, एक खूबसूरत एयर होस्टेस है। हम दोनों एक साल पहले तक साथ-साथ रहते थे। वो इन चीज़ों में माहिर थी। उसका कहना था कि, ज़िन्दगी बड़ी छोटी है। अपनी खूबसुरती का इस्तेमाल करो और पैसा बनाओ। वो अपने जिस्म का फ़ायदा उठा कर बड़े-बड़े लोगों से मिलती और एक-दो महीने में लाखों कमा कर दूसरे को ढूँढने लगती। उसका कहना था कि इन सात-आठ सालों में इतना कमा लो कि बाकी ज़िन्दगी बगैर कोई काम करे गुज़ार सको। वो हमेशा मुझे भी यही मशवरा देती थी।
मुझे हमेशा कहती थी, "सानिया तू तो मुझसे भी खूबसूरत है। कहाँ सेक्रेटरी की नौकरी में पड़ी है। मेरी लाईन पर चल, लाखों कमायेगी। फिर सात-आठ साल बाद हम दोनों किसी छोटे शहर में एक छोटे से मकान में अपनी बाकी की ज़िन्दगी ऐश से गुजरेंगे।"
लेकिन मैं अपने बॉय-फ्रैंड के साथ खुश थी और थोड़ी बहुत फ्लरटिंग अपने बॉस के साथ भी कर लेती थी। जिससे बॉस भी थोड़ा बहुत मुझसे खुला हुआ था।
यह सोचते-सोचते मैंने अपने बॉस से कहा, "अगर कोई लड़की मिले भी तो वो कोई मामूली खूबसूरत ही नही नही बल्कि बला की खूबसूरत होनी चाहिये। उसे क्या मिलेगा जो ये काम करे?"
बॉस ने समझाते हुए कहा, "सानिया, यह कान्ट्रैक्ट जो की दस करोड़ का है... अगर कैन्सल हो जायेगा तो कम्पनी को दो-तीन करोड़ का नुक्सान जरूर हो जायेगा। मैं तो इससे बचने के लिये दस करोड़ का एक परसेंट कमिशन दस लाख तक देने को तैयार हूँ।"
"दस लाख रुपये!!! सिर्फ एक रात के लिये!!!" मेरा मुँह ये कहते हुए खुला ही रह गया। यह रकम कोई छोटी नही होती किसी भी लड़की के लिये। कोई भी तैयार हो जाये। तभी मेरे मन में और एक विचार आने लगा। और यह रकम मुझे मिल जाये तो.... फिर अपने बॉस से कहा, "सर, मैं एक लड़की को जानती हूँ।"
बॉस ने ज़रा जोश में कहा, "कौन है वो। कोई चालू लड़की नही चहिये।"
मैंने कहा, "वो एक एयर-होस्टेस है।"
बॉस ने फिर पुछा, "क्या वो रेडी हो जायेगी?"
"कोशिश करती हूँ," मैंने जवाब दिया।
"सोच लो सानिया। अगर अभी रेडी हो गयी और टाईम पर ना बोल दिया तो कहीं लेने के देने ना पड़ जायें। फिर तुम जानती हो। एक बार कान्ट्रक्ट कैन्सल हुआ तो कितना बड़ा नुकसान हो जायेगा।" बॉस ने जोर देते हुए कहा।
फिर ना जाने मेरे मुँह से कैसे निकल गया, "सर, आप परेशान नही हों । मैं मैनेज कर लूँगी।" बॉस मुझे देखते ही रह गये।
मैंने अपने घर पहुंच कर अपनी फ़्रेन्ड, सादिया, के मोबाईल पर फोन किया।
"क्या हाल है सादिया? मुम्बई में हो या कहीं और..." मैंने फोने लगाते ही पुछा।
"सानिया। व्हॉट ए ग्रेट सरप्राइज़! मुम्बई से ही बोल रही हूँ यार। बता क्या हाल-चाल है?" सादिया ने पुछा।
"बस कुछ नही। तू आज कल किसके साथ एय्याशी कर रही है?" मैंने हंसते हुए कहा।
"कहाँ यार। अभी तो कोई मुर्गा ही ढुंढ रही हूँ? तू भी क्या अभी सेक्रेटरी बनी हुई है या मेरे जैसी बन गयी," सादिया बोली।
"तेरी तरह बन जाऊँ? चल जा हट। लेकिन तेरे लिये जरूर एक काम है । खूब पैसे मिलेंगे।"
"कोई मुर्गा मिला है क्या?" सादिया ने पुछा। तब मैंने उसे सारी बात बतायी। और उसे साथ देने के लिये फिफ्टी-फिफ्टी का ऑफ़र किया जिसे वो मान गयी।