Hindi Sex Stories याराना - Page 8 - SexBaba
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Hindi Sex Stories याराना

दोस्तो, मैं समझ सकता हूँ कि अपने ही भाई से अपनी प्यारी कामुक पत्नी तृप्ति को अपने से बड़े लंड से चुदते हुए देखने का नजारा प्राप्त होने वाला है। मेरी हालत भी आप जैसी ही है। बल्कि उपासना की चूत के बारे में सोच कर तो और ज्यादा बुरी हो रही है।

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तृप्ति को पट्टी बांधने के बाद कुछ पता नहीं चल सकता था कि अब कमरे में क्या हो रहा है? वह किसी को देख भी नहीं सकती थी।

12:00 बजने में अब केवल 10 मिनट बाकी थे। उपासना और विक्रम दरवाजे के बाहर ही खड़े मेरी हरी झंडी का इंतजार कर रहे थे। मेरे निर्देशानुसार दोनों चुपचाप कमरे में आ गए। दोनों को प्लान के अनुसार कुछ बोलना नहीं था।

जैसे ही उपासना ने अंदर तृप्ति को इस तरह बिना कपड़ों के नंगी पड़े हुए देखा तो उसकी धीरे से हंसी छूट गई। इस पर मैंने उसे आंखें दिखा कर डांटा और इशारे से कहा कि वह चुप रहे।

जब विक्रम को देखा तो मैंने पाया कि विक्रम तो बड़े ही ध्यान से तृप्ति को घूर रहा है। उसका हाथ अनायास ही उसके लंड पर चला गया और वह अपने लंड को अपनी पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगा। इस पर मैंने चुटकी बजाते हुए उसकी तंद्रा तोड़ी और अब जोर से बोला जिससे कि तृप्ति भी सुन सके।

मैं- जैसा कि मेरे प्यारे अदला-बदली बदली के साथियो! आप सबको पता है कि हम यहां मेरी सुंदर सेक्सी बीवी तृप्ति के जन्मदिन के मौके पर उसे बहुत ही भिन्न और मजेदार तरीके से मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं।

मैंने तृप्ति को संबोधित करते हुए कहा- मेरी प्यारी जान तृप्ति, अब वे दोनों हमारे साथ हमारे कमरे में है, जो आज हमारी अदला बदली चुदाई का हिस्सा बनने वाले हैं। क्या तुम उत्तेजना महसूस कर रही हो?

इस पर शर्म से गुलाबी चेहरा लिए हुए तृप्ति ने बिना देखे मुस्कुराते हुए धीमे से हां कही।

फिर मैंने साथ में खड़े विक्रम और उपासना से कहा- मेरे प्यारे साथियो, जैसा कि मेरी बीवी तृप्ति पूर्ण रूप से नग्न बिस्तर पर लेटी हुई है, हमें भी उसी प्रकार से पूर्ण रूप से नग्न हो जाना चाहिए। ताकि जब हम उसकी आंखें खोलें तो वह केवल अपने आप को नग्न देख कर असहज महसूस ना करे।

मेरे यह कहने पर उपासना और विक्रम ने मुस्कुराते हुए हामी भरी और जल्दी से अपने आप को अपने कपड़ों से आजाद कर दिया। विक्रम ने जब अपने पूरे कपड़े उतारे तो मैंने देखा कि उसका लंबा लिंग पहले से ही तृप्ति को इस अवस्था में देखकर पूर्ण रूप से कड़क हो कर खड़ा है। विक्रम ने आंखों ही आंखों में देख कर मुझसे पूछा कि मेरा लंड कैसा है?

मैंने भी अपनी उंगलियों से उसकी तरफ इशारा किया- एक नंबर!

अब नग्न होने की बारी उपासना की थी। उपासना ने जब अपने वस्त्र उतारे तो मैंने देखा कि उसने बड़े ही आकर्षक और महंगे लाल ही रंग के अंतः वस्त्र अर्थात ब्रा और पेंटी पहन रखे हैं जो कि मुझे उत्तेजित करने के लिए थे। लेकिन मैंने ब्रा और पेंटी का काम बिगाड़ दिया और सीधा ही उपासना को नग्न होने के लिए कह दिया था क्योंकि 12:00 बजने वाले थे इसलिए सबने अपना यह काम फुर्ती से किया।

जब उपासना को मैंने पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देखा तो ऐसा लगा कि मेरे पैरों से जमीन ना खिसक जाए। सच कहूं तो मुझे उस वक्त ऐसा लगा कि उपासना के शरीर के आगे तृप्ति का शरीर भी कमतर है। उपासना के सुंदर गोल चेहरे के नीचे उसके भारी गोल स्तन जो कि तृप्ति से भी बड़े और गोल आकार में थे बिल्कुल सीने पर लदे हुए थे। उन सीधे और लदे हुए स्तनों पर बिल्कुल भी झुकाव नहीं था। उपासना के स्तन पूर्ण रूप से सामने की तरफ इस तरह लटके हुए थे कि उनमें बिल्कुल भी ढीलापन नहीं था। ऐसा लग रहा था कि किसी पोर्न फिल्म की नायिका ने आपको आकर्षक और सेक्सी दिखाने के लिए किसी प्रकार के ऑपरेशन से इस प्रकार के स्तन तैयार करवाए हों। सच बताता हूं मित्रो, मेरी इस बात में लेश मात्र भी झूठ नहीं है। उपासना का शरीर कुछ ऐसा ही था।

उसके बाद उसका गोरा पेट, क्या बताऊं, आज तक मैंने केवल तृप्ति का ही सबसे उत्तेजित करने वाला पेट देखा था, लेकिन उपासना का फैला हुआ बड़ी नाभि वाला पेट देखकर ऐसा महसूस हुआ कि अब मेरा लंड उत्तेजना में दर्द की वजह से मेरी हालत खराब कर देगा। नीचे उपासना की गुलाबी चूत और शानदार आकार वाले गोल-गोल कूल्हे और भरी हुई मोटी जांघें। उसकी जांघें ऐसा दृश्य बना रही थीं कि एक बार तो मन किया कि तृप्ति का जन्म दिन छोड़ कर उपासना को मसलने लग जाऊं।

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उसके बाद अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए मैंने आगे का कार्यक्रम जारी रखा और इस तरह दोनों को निर्देश दिया कि तृप्ति भी सुन सके क्योंकि तृप्ति की आंखें बंधी हुई थीं। अतः उसे पता नहीं था कि आखिर यह अदला-बदली के लिए तैयार हुआ दूसरा जोड़ा है कौन। उसकी आंखों पर पट्टी बंधा हुआ उसका चेहरा शर्म से लाल हो रहा था।

मैंने कहा- साथियो, शुरू हो जाओ। मैं यहां पर, इस चुदाई मंच पर आप लोगों को निर्देश दूंगा और तृप्ति के आंखें खोलने तक आपको उन निर्देशों का पालन करना है।

मैंने निर्देश देते हुए कहा- आप में से महिला साथी तृप्ति की चूत चाट कर उसे चिकना बनाएगी तथा पुरुष साथी तृप्ति के स्तनों को अपने मुलायम हाथों से मलमल कर अपने मुंह में उसके स्तनों को दबाकर तृप्ति को उत्तेजना के चरम पर पहुंचाने की कोशिश करेगा।

फिर मैंने तृप्ति को संबोधित करते हुए कहा- मेरी प्यारी जान तृप्ति, जब तुम्हारी चूत उत्तेजना के कारण चिकनाई से लबालब हो जाएगी, तब हमारा पुरुष साथी तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल देगा और जब तुम्हें तुम्हारी चूत में कोई लंड घुसता हुआ महसूस हो तो समझ जाना 12:00 बज गये हैं और तुम्हारा जन्मदिन शुरू हो गया है। अर्थात ठीक 12:00 बजे तुम्हारी चूत में तुम्हारे पति के अलावा किसी और मर्द का लिंग होगा जो कि तुमने पहले कभी नहीं लिया हो। उसके बाद चूत में इस नए लंड के कुछ मखमली धक्के खिलाकर हम तुम्हारी आंखें खोल कर तुम से साक्षात होंगे कि यह नए साथी हैं कौन। उसके बाद तुम्हारे मन के कुछ सवालों को हल करके हम आज ऐतिहासिक बीवियों और पतियों की अदला-बदली कर चुदाई को अंजाम देंगे।

मेरा इशारा पाकर उपासना और विक्रम, तृप्ति की तरफ लपके। विक्रम ने तृप्ति के गोरे-गोरे स्तनों पर अपना हाथ रखा और उसके गुलाबी निप्पलों को उंगलियों से छेड़ने लगा। उसके बाद उसने तृप्ति की गर्दन पर चुम्बन करते हुए अपनी जुबान को तृप्ति के स्तनों पर घुमाया। विक्रम का खड़ा लिंग यह बयां कर रहा था कि वह कितना उत्तेजित है। थोड़ी देर तृप्ति के स्तनों को आराम से चूसने और चाटने के बाद विक्रम अपने होश खो बैठा और बड़े जोर-जोर से दरिंदों की तरह तृप्ति के स्तनों को नोंचने लगा और मुंह से काटने लगा। 2 मिनट भी नहीं हुए थे कि उसने तृप्ति के गोरे-गोरे स्तनों को अपने हाथों, नाखूनों और दांतों से काट काट कर पूर्ण रूप से लाल कर दिया। लेकिन तृप्ति दर्द से नहीं, उत्तेजना से सिसकारियां भरने लगी थी।

उधर उपासना अपनी जुबान को तृप्ति की साफ-सुथरी गुलाबी चूत की फांकों पर घुमा रही थी। कभी-कभी वह तृप्ति की चूत का दाना अपनी जुबान में लेकर दबा देती, इस तरह अपने शरीर पर हो रहे दोहरे प्रहार को तृप्ति उत्तेजना की वजह से संभाल नहीं पा रही थी और अपनी गांड उठाकर सीने को यथासंभव विक्रम के मुंह पर दबाकर अपनी असहाय हालत बयान कर रही थी। ऐसी उत्तेजना के कारण तृप्ति की चूत से उत्तेजना का पानी बहने लगा। चूंकि 12:00 बजने वाले थे और उसमें केवल एक ही मिनट बाकी था इसलिए मैंने विक्रम को ताली बजाकर इशारा किया कि वह अपनी जगह ले ले। अतः उपासना और विक्रम ने अपनी जगह बदली इस तरह उपासना अब तृप्ति के स्तनों पर तथा विक्रम तृप्ति की चूत के वहां पर अपनी स्थिति जमा कर बैठ गये।

12:00 बजने से आधा मिनट पहले विक्रम अपना लौड़ा तृप्ति की चूत के बाहर रगड़ने लगा और उसके लिंग मुंड को तृप्ति की चूत की चिकनाई से चिकना करने लगा। विक्रम का लंड जब तृप्ति की चूत पर रगड़ता तो तृप्ति उत्तेजना में अपनी चूत को विक्रम के लंड की तरफ आगे करती, लेकिन विक्रम अपने लंड को पीछे हटा लेता। जैसे ही 12:00 बजे, मैं जोर से चिल्ला उठा- हैप्पी बर्थडे डार्लिंग तृप्ति!

और इसी आवाज के साथ विक्रम ने अपना लौड़ा एक ही बार में तृप्ति की चिकनी चूत में गप्प से डाल दिया।
 
मेरी बीवी तृप्ति की चूत में जैसे ही इतना बड़ा लंड एकदम से गया, तृप्ति उत्तेजना और दर्द से कराह उठी। विक्रम ने प्लान के अनुसार तृप्ति की चूत में धीमे-धीमे से धक्के दिए। उधर उपासना भी तृप्ति के स्तनों के साथ खेल रही थी। तृप्ति ने उत्तेजना के कारण अपने होंठों को अपने दांतों के नीचे दबा रखा था। मैं अपना खड़ा लंड लिए यह सब नजारा अपनी आंखों में कैद कर रहा था। वास्तव में पहले की दो अदला-बदली वाली चुदाई में ऐसा नजारा मैंने नहीं देखा था।

अब जैसा कि प्लान का हिस्सा था। हमें तृप्ति की आंखें खोल कर उसे यह ज्ञात करवाना था कि दूसरा अदला-बदली वाला जोड़ा आखिर है कौन?

अतः पहले मैंने तृप्ति के पास जाकर उसके गालों पर चुंबन देकर उसे जन्मदिन की शुभकामना दी। उसके बाद पहले उसके पांव और फिर उसके हाथ खोलकर उसे बैठाया। अब हम चारों पूर्ण रूप से नग्न एक ही बिस्तर पर बैठे हुए थे। फिर मैंने तृप्ति की आंखों से पट्टी हटाई।

हमें पता था कि यह पट्टी हटते ही एक बार तृप्ति चौंक जाएगी। मगर यह कहना मुश्किल था कि वह पट्टी के खुलने के बाद शायद शर्माए या पता नहीं क्या प्रतिक्रिया दे किंतु उसे बातों से ठंडा करना ही होगा। हम तीनों इसके लिए तैयार थे।

तृप्ति ने जैसे ही अपनी आंखें खोलीं, अपने देवर तथा देवरानी को पास में नग्न बैठे हुए देख कर चौंक गई, उसके मुंह से अनायास ही निकला- ओ माय गॉड! और उसने अपने चेहरे को अपने हाथों से छुपा लिया और बोलने लगी- राज आपने यह क्या किया? इट्स रियली शॉकिंग फॉर मी (मेरे लिये यह बहुत ही हैरत भरी बात है)

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माफ कीजिएगा दोस्तो, उस वक्त हमारा वार्तालाप कुछ इंग्लिश भाषा में हुआ जिसे मैं यथासंभव हिंदी में लिखने का प्रयत्न कर रहा हूं। फिर भी वास्तविकता का अहसास कराने के लिए थोड़े अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल कर रहा हूं।

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मै- ओ कम ऑन तृप्ति ... टेक इट इजी! (तृप्ति इसे सामान्य ही समझो)

तृप्ति- हाउ कैन यू डू दिस राज? (आप ऐसा कैसे कर सकते हैं राज)

मैं- मैंने तो केवल 4 प्रेमियों को आपस में मिलाया है। मेरी जान मुझे पता चला कि तुम और विक्रम एक दूसरे से एक समय पर बेहद प्यार करते थे। उस प्यार की तड़प विक्रम ने भी देखी और तुम ने भी। तुम्हें जानकर खुशी होगी कि मैं तुम्हारे प्रेम संबंध से नाराज भी नहीं हूं क्योंकि तुमने तो पूरी ईमानदारी से अपना पत्नी धर्म उस वक्त निभाया था जब तुम किसी की पत्नी थी ही नहीं।

मुझे तुम पर गर्व है तृप्ति और जब हम ऐसा जीवन जी ही रहे हैं तो उस सुख से क्यों वंचित रह जाना जिसकी कभी तुमने कामना की थी। विक्रम को देखो वह इतनी शिद्दत से तुम्हें चाहता है, लेकिन भाभी होने के कारण उसने सब कुछ भुला दिया। लेकिन जब उसे हमारी अदला-बदली की चुदाईयों के बारे में पता चला तो उससे रहा नहीं गया। जब मेरा दोस्त रणवीर और तुम्हारा भाई श्लोक तुम्हें भोग सकता है तो तुम्हारा पुराना प्रेमी क्यों नहीं? क्या तुमने कभी विक्रम के बारे में नहीं सोचा? अगर कभी भी मन में विक्रम के प्रति वासना आई हो तो आज पूरी कर लो। तुम्हारे इस जन्मदिन को खास बना लो, क्योंकि वाइफ स्वैपिंग अर्थात अदला-बदली करके चुदाई करने का मजा साधारण नहीं है। यह तो हर आम मौके को खास बना देता है। तो आज तो मौका भी खास है, फिर क्यों न उसे बेहद खास बनाया जाए? एक दूसरे की बीवी और एक दूसरों के पतियों से चोदा-चोदी कर अपने जीवन का एक और याराना बनाया जाए।

मेरी प्यारी तृप्ति, क्या तुम्हें पता है कि उपासना भी कई सालों से मुझे वासना की नजरों से देखती आई है? उसने कई बार हमें हमारे कमरे में चुदाई करते देखा है और हमेशा मन में यही सोचा है कि काश तृप्ति की जगह वह (उपासना) मेरे (राजवीर) साथ मेरा लंड अपनी चूत में डलवा कर अपनी प्यास बुझा पाती। क्यों उपासना सही कहा ना मैंने?

उपासना- हां भाभी, राज भैया सही कह रहे हैं। सच बताऊं तो मैं आपकी शादी के वक्त से ही राज भैया का लंड अपने हर छेद में डलवा कर तांडव करना चाहती हूं।

तृप्ति- इट्स रियली अनबीलिवेबल! (यह वास्तव में अविश्वसनीय है) किंतु मेरे पीछे से आप सबके मन में इतने पापड़ बेले जा रहे थे यह तो मुझे पता भी नहीं था।

मैं- जानू कुछ समय पहले मुझे भी इसके बारे में कुछ नहीं पता था और मैं भी तुम्हारी तरह ही हैरान था लेकिन थोड़ी देर बाद हैरानी की जगह वासना ने ले ली। यह सोच कर खुश हूं कि उपासना जैसी शानदार शरीर वाली स्त्री के साथ संबंध बनाने में कितना मजा आएगा और तुम भी सोचो कि विक्रम के लंबे लंड का स्वाद कैसा होगा।

मैं तृप्ति को समझा ही रहा था कि विक्रम उत्तेजना वश बोल पड़ा- तो भाभी जान, क्या आप तैयार हैं?

तृप्ति- हां मेरे देवर जी, आज हो ही जाए आपका इंतकाम और पुराने प्यार की इंतहा।

तृप्ति के इस डायलॉग पर हम चारों हंसने लगे।

विक्रम- तो क्या इसी पलंग को चुदाई का महा मंच बनाया जाए? क्या सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम रखा जाए?

तृप्ति- जीवन बहुत बड़ा है देवर जी, सब कुछ अगर एक ही रात में कर लेंगे तो कल क्या करेंगे? मेरी अनुपस्थिति में दोस्ती आपकी और आपके भाई राजवीर और उपासना की हुई है। मैं आपकी इस दोस्ती में शामिल नहीं थी इसलिए मैं आप सब से खुली नहीं हूं। इस तरह पति और देवरानी के सामने खुलकर तुम्हारे लंड को गांड उठा उठाकर नहीं ले पाऊंगी।

उपासना- सच कहा भाभी। पति के सामने जेठ जी का लंड चूसने में शर्म तो आएगी ही।
 
उपासना की इस बात पर हम चारों की हँसी एक बार फिर कमरे में गूंज उठी।

मैं- तो ठीक है, आज की चुदाई केवल अपने बदले हुए साथी के साथ अर्थात एक रात के लिए बदले हुए पति के साथ कीजिए। हम भी एक रात के लिए बदली हुई बीवी को चोद लेते हैं। सामूहिक याराना अगली बार करेंगे।

अतः सबकी सहमति के अनुसार आज हमने अलग-अलग ही चुदाई करने का फैसला किया इस तरह मैं उपासना को अपनी गोद में उठाकर दूसरे कमरे अर्थात विक्रम और उपासना के कमरे में ले गया। इस कमरे में विक्रम और तृप्ति को युद्ध स्तर पर चुदाई करने के लिए अकेले छोड़ दिया।

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चुदाई का महासंग्राम शुरू हो गया है दोस्तो। सामूहिकर याराना तो तृप्ति की बात मानने के बाद नहीं संभव हो पा रहा है मगर अलग-अलग तो चुदाई का मजा बदली हुई बीवियों और बदले हुए पतियों द्वारा लिया ही जा सकता था।

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अब आगे विक्रम और तृप्ति की चुदाई का वर्णन जैसा कि विक्रम ने मुझे ऑफिस में बताया:

राजवीर और उपासना के कमरे से निकलते ही विक्रम ने दरवाजे को अंदर से लॉक किया तथा तृप्ति को मुस्कुराते हुए देखा।

तृप्ति- वाह रे मेरे आशिक, मैं कुछ दिन के लिए घर से दूर क्या गई तुमने तो मुझे मेरे ही जन्मदिन पर नंगी करने की व्यवस्था कर ली। कैसे हुआ यह सब?

विक्रम- तुम क्या सोचती हो मेरी जान? तृप्ति उर्फ तृप्ति भाभी। अपनी चूत की खुजली मिटाने के लिए दुनिया भर के लंड लेती फ़िरोगी और हम अपना लंड पकड़े हुए ऐसे ही बैठे रहेंगे? सच बताता हूं, जब मुझे पता चला कि रणवीर ने तुम्हें बुरी तरह से चोदा है तब से मेरे कलेजे पर छुरियां चल गईं थीं। मैंने तभी फैसला किया था कि तुम्हें रणवीर से भी बुरी तरह से चोद दूंगा। अपने भाई को बहनचोद बनाया है तो अपने देवर से चुद कर आज मुझे भी भाभी चोद बनना है।

तृप्ति- ओह ... तो तुम्हें सब पता है। वैसे सच बताऊं तो जब तक तुम्हारे भाई राजवीर ने मुझे अपने दोस्त रणवीर से नहीं चुदवाया था तब तक मैंने राजवीर के अलावा किसी और के बारे में कभी गलत नहीं सोचा था। लेकिन जब पति अदला-बदली करके नए-नए लंड लेने का चस्का लगा तो फिर मैंने अपने ख्यालों में किसी से भी चुदाई करना नहीं छोड़ा। जब हमने यहां श्लोक और सीमा के साथ चुदाई की और उसके बाद वे चले गए और तुम दोनों यहां आए तो मैंने कई बार मन में सोचा कि कैसे ना कैसे राजवीर तुम्हें भी अदला-बदली की चुदाई के लिए राजी कर ले। कभी-कभी रात में जब मैं राजवीर से चुद रही होती थी तुम मेरे ख्यालों में तुम मेरी चुदाई कर रहे होते थे। असल में राजवीर का लंड मुझे चोद रहा होता था लेकिन मैं ख्यालों में तुम्हारे लंड पर तांडव करती रहती थी।

विक्रम- मैं भी सब कुछ छोड़-छाड़ कर केवल तुम्हारे लिए ही यहां आया हूं। यहां आने के बाद तुम्हें देख-देख कर मेरा हाल बुरा हो जाता था। हमेशा तुम्हें चोदने के ख्वाब देखे हैं। तुम मेरे जीवन की सबसे सेक्सी महिला हो जिसे देखकर हमेशा मैंने उत्तेजना महसूस की है। भले ही उपासना का शरीर तुमसे ज्यादा भरा हुआ व उत्तेजना पैदा करने वाला हो किंतु तुम्हारी नजर ही काफी है जो कि किसी पर भी पड़ जाए तो उस पर तुम्हारी वासना का जहर चढ़ जाए।

तृप्ति- ओह बस भी करो विक्रम, बहुत कर लिया वासना का इजहार। निकालो अपनी तलवार करते हैं प्यार।

तृप्ति और विक्रम पलंग के पास खड़े हुए थे।

तृप्ति ने विक्रम के गले को अपने नाखूनों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और खुद से चिपका लिया। तृप्ति के नाखूनों से विक्रम की चमड़ी थोड़ी छिल गई। विक्रम ने तृप्ति की इस हरक़त की प्रतिक्रिया में अपने दोनों हाथ तृप्ति के कूल्हों के नीचे लगाए और तृप्ति को उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया। खड़े-खड़े विक्रम की गोद में बैठी तृप्ति विक्रम के मुंह को चूमने लगी।

विक्रम ने भी अपने होंठों को तृप्ति के होंठों के बीच में दबा दिया और दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे। थोड़ी देर बाद विक्रम ने पलंग के पास जाकर तृप्ति को जोर से पलंग पर गिरा दिया। तृप्ति को इससे झटका लगा किंतु वह गुस्सा होने की बजाए, बैठकर मुस्कराई और अपनी एक उंगली का इशारा करते हुए विक्रम को आमंत्रण दिया। विक्रम अपना आपा खोते हुए तृप्ति की तरफ झपटा। तृप्ति को सीधे कूल्हों के बल लेटा कर विक्रम तृप्ति का स्तनपान करने लगा। अपने स्तन उठाकर तृप्ति भी विक्रम के मुंह में दबाने लगी। कब से बिछुड़े दो प्रेमियों ने एक दूसरे के साथ गहरी चुम्मा चाटी की। विक्रम ने तृप्ति को घोड़ी बनाकर उसके कूल्हे के छेद में अपनी जीभ डाली और जीभ लगाकर गांड के छेद को वह जीभ से चोदने लगा। तृप्ति की सिसकारियां अब कमरे में गूंजने लगी थीं। तृप्ति ने विक्रम का सिर पकड़ कर अपनी गुलाबी चूत पर लगा दिया और अपनी चूत की फांक पर विक्रम के होंठों को रगड़वाने लगी।

विक्रम ने तृप्ति की चूत के दाने को अपने दांतों से काट कर तृप्ति के साथ शरारत की जिससे कि तृप्ति स्स्स्स्स ... की आवाज के साथ चहक उठी। विक्रम अब तृप्ति की चूत को मुंह में दबा-दबा कर गुदगुदाने लगा और तृप्ति ने अपने बढ़े हुए नाखूनों वाले हाथ को विक्रम के सिर में गड़ा कर अपनी चूत की तरफ दबाने लगी। करीब 10 मिनट तक अपनी चूत चटवाने के बाद तृप्ति ने विक्रम को धक्का दिया तथा पीठ के बल सीधा लिटा कर गप्प से विक्रम का लंड मुंह में ले लिया। तृप्ति द्वारा विक्रम का लंड चाटना कोई औपचारिकता नहीं थी। वह तो पूर्ण रूप से मग्न होकर विक्रम का लिंग आइसक्रीम की तरह चूस और चाट रही थी। तृप्ति विक्रम के लंड को पूरा मुंह में अंदर लेती और फिर एकदम से बाहर निकालती। विक्रम को अपना लंड तृप्ति के गले तक लगा हुआ महसूस होता। विक्रम को ऐसा लग रहा था कि तृप्ति अपने मुंह में ही विक्रम की पूरी ताकत निचोड़ लेगी। कभी किसी भी बाला ने विक्रम के लंड को ऐसे वहशीपन से नहीं चूसा-चाटा था।
 
मन भरने तक तृप्ति विक्रम का लंड चूसती रही तथा उसके बाद लेटे हुए विक्रम के ऊपर आकर अपने कूल्हे विक्रम के लंड के ऊपर रखकर बैठ गई। अपने स्तनों को तृप्ति ने विक्रम के सीने के पास झुका कर उसके स्तनों का कोमल अहसास विक्रम के सीने पर करवाया तथा अपने होंठों को विक्रम के होंठों में देकर वापस चूसने में मग्न हो गई। लेकिन अब विक्रम से इंतजार नहीं हो रहा था। उसने अपना एक हाथ अपने लंड के पास ले जाकर उसे सीधा किया और तृप्ति की चूत पर टिका दिया। तृप्ति ने विक्रम की भावनाओं को समझते हुए अपनी गांड को व्यवस्थित किया और अपनी चूत में विक्रम के लंड को गप्प से ले लिया। विक्रम सीधा लेटा हुआ था और तृप्ति उसके ऊपर बैठी हुई थी। अब तृप्ति ने वैसा ही किया जैसा कि उसने राजवीर और उपासना के सामने कहा था। तृप्ति अपने नितंबों को उठाकर तथा फिर गिराकर विक्रम के लिंग को अपनी चूत से अंदर बाहर करने लगी।

करीब 4 से 5 बार धीरे-धीरे यह कार्य करने के बाद तृप्ति ने अपनी गति बहुत तेज कर दी और वह अपनी गांड को विक्रम का लंड अपनी चूत में समाहित किए हुए जोर-जोर से उठा कर गिराने लगी। तृप्ति के कूल्हे और विक्रम की जांघों के बीच टकराने के कारण पूरे कमरे में पट-पट की जोरदार ध्वनि आने लगी। यह ध्वनि इतनी तेज थी कि बगल के कमरे में चुदाई कर रहे राजवीर और उपासना भी आसानी से सुन सकते थे। इस उत्तेजना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई से विक्रम की भी अति उत्तेजना में आह-आह की आवाज कमरे में गूंजने लगी। तृप्ति ने थोड़ी देर के बाद अपनी स्थिति बदली। अपने चेहरे को उसने विक्रम की टांगों की तरफ किया। जैसा कि विक्रम पहले की तरह ही सीधा लेटा था, अब उसे तृप्ति की नंगी गोरी पीठ और गांड नजर आ रही थी। तृप्ति ने केवल अपना चेहरा दूसरी तरफ करके वापस विक्रम के लंड को अपनी चूत में रखा और अपनी गांड को जोर-जोर से विक्रम का लंड अंदर लिए हुए ही उठाने व गिराने लगी।

विक्रम ने तृप्ति को उठाया और डॉगी पोजिशन में व्यवस्थित कर अपना लंड तृप्ति की चूत में फिर डाल दिया। अपने एक हाथ से वह तृप्ति की गांड पर जोर-जोर से मारने लगा और तृप्ति की गांड को लाल करते हुए अंग्रेजी भाषा में ओ यस ... ओ यस ... करने लगा। थोड़ी देर के बाद जब विक्रम को अहसास हुआ कि तृप्ति की इस तरह की चुदाई से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं है और वह पहले की तरह सिसकारियां नहीं ले रही है तब उसने तृप्ति की कमर को पकड़कर अपने लंड की तरफ जोर से दबाया और अपने लंबे लिंग की चोट तृप्ति की चूत की गहराई तक की। तृप्ति दर्द से कराह उठी लेकिन उत्तेजना के कारण उत्साहित होकर अपनी गांड मटकाती रही। विक्रम ने एक हाथ से तृप्ति की गांड पर अपने हाथ जोर से मसले तथा एक हाथ में तृप्ति के बालों को लेकर उन्हें पीछे खींचने लगा, यह काफी उत्तेजित करने वाली अवस्था थी। इस तरह की 'सजा और मजा' का आनंद दोनों ने तब तक उठाया जब तक तृप्ति की कमर दर्द न करने लगी।

तृप्ति ने कहा- विक्रम बहुत हो गया। मैं अब झड़ने वाली हूँ। तुम भी यह बारी खत्म करो।

इस पर विक्रम ने तृप्ति को सीधे लिटाया और उसकी टांगें चौड़ी कर दीं। तृप्ति ने स्वयं को सहज महसूस करने के लिए अपनी गांड के नीचे तकिया रखा और अपनी चूत को थोड़ा ऊपर व्यवस्थित किया। विक्रम ने सामने से आ कर तृप्ति की गुलाबी चूत, जो कि अब विक्रम के लंड की चोट खा-खा कर लाल हो गई थी, में अपना लन्ड ठेल दिया और पूरी जान लगाकर रफ्तार से तृप्ति की चूत को चुनौती देने लगा। तृप्ति की गर्म गीली भट्टी जैसी चूत ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए विक्रम के लंड से निकला सारा लावा अपने आप में समाहित कर लिया।
 
वातानुकूलित कमरे में दोनों पसीने में भीगे हुए जोर-जोर से सांस ले रहे थे। जोर-जोर से सांस लेने के कारण तृप्ति के स्तन ऊपर नीचे हिल रहे थे जिन्हें देखकर विक्रम ने कहा- वाह! क्या नजारा है इन पर्वतों को हिलते हुए देखने का।

इस पर तृप्ति मुस्कुराने लगी और विक्रम का अध-लटका हुआ लंड अपने हाथ में लेकर बोली- कुछ भी कहो, दम है तुम्हारे लंड में। मजा आ गया इसकी सवारी करके ... राज का लन्ड थोड़ा मोटा होने के कारण चूत के चारों तरफ की दीवार में घर्षण उत्पन्न करता है जिसका अहसास आज तुम्हारी बीवी उपासना करेगी और चूत की गहराई तक चोट करने का अहसास जो तुम्हारी बीवी उपासना करती थी आज मैंने किया। क्या मस्त अहसास है पति बदलकर चुदाई करने का! लगता है जैसे स्वर्ग का भोग इसी फ्लैट में कर लिया है।

अपने लंड की तारीफ तृप्ति जैसी अप्सरा से सुनकर विक्रम का लंड फिर कड़क होने लगा। विक्रम ने जैसे ही कुछ बोलने के लिए मुंह खोला उससे पहले ही तृप्ति ने विक्रम के मुंह पर हाथ रखते हुए कहा- मुझे पता है कि तुम मेरी गांड की चुदाई करने वाले हो।

तृप्ति की इस बात पर विक्रम हंसने लगा और बोला- वाह यार भाभी, सेक्स में आपकी होशियारी का कोई जवाब नहीं। मैं आपसे सम्मोहित हो चुका हूं। विक्रम ने तृप्ति की गांड को पकड़कर उसे उल्टा किया तथा तृप्ति को स्तनों के बल लेटा कर पीछे आया और लगभग डॉगी स्टाइलमें ही तृप्तिको फिर से तैयार किया। किंतु तृप्ति का सिर ऊपर नहीं बल्कि पलंग पर टिका हुआ था और गांड ऊपर उठी हुई थी। विक्रम ने अपने मुंह से थूक निकाल कर तृप्ति की गांड के चारों तरफ लगाया तथा थोड़ा थूक निकाल कर खुद के लिंग पर लगाया। उसके बाद वह अपने लंड को तृप्ति की गांड के छेद पर स्पर्श कराने लगा।

जैसा कि आपको पता है कि पहले रणवीर, फिर श्लोक और मैं ... सब मेरी बीवी तृप्ति की गांड मार चुके थे। अतः गांड मरवाने में तृप्ति काफी अनुभवी हो गई थी।

विक्रम ने धीरे-धीरे करके अपना पूरा लिंग तृप्ति की गांड में घुसेड़ दिया तथा शुरूआती धीमे धक्कों के बाद जोर जोर से तृप्ति की गांड चुदाई शुरू कर दी। तृप्ति की कसाव भरी गांड के कारण विक्रम ज्यादा देर तृप्ति की गांड चुदाई में नहीं टिक सका। उसकी कसी हुई गांड को चोदते हुए दस मिनट बाद लगातार झटके देते हुए वह तृप्ति की गांड में ही झड़ गया। तृप्ति को अपने कॉलेज के दिनों का यार मिल गया था और विक्रम को अपने कॉलेज के दिनों का प्यार मिल गया था।

देवर भाभी दोनों ही इस चुदाई के बाद तृप्त हो गये। उनकी जिंदगी में जो कुछ भी अब तक घटा था वह सब बहुत ही हैरान कर देने वाला था जिसकी भरपाई आज हो गई थी। इसके बाद करीब आधा घण्टा अपने बीते कॉलेज के बीते दिनों की बातें करने के बाद दोनों ने एक बार फिर चुदाई की और फिर एक दूसरे को आलिंगन में लिए गहरी नींद में वो दोनों सो गए।

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दोस्तो, मेरे छोटे भाई विक्रम ने अपनी भाभी की चूत को चोदने की कामना पूरी कर ली थी। या यूं कहें कि तृप्ति ने अपने बीते समय के बॉयफ्रेंड और वर्तमान समय के देवर के दमदार लंड से चुद कर पति की अदला-बदली का भरपूर मजा ले लिया था।

अब मेरी बारी थी अपने छोटे भाई की बीवी उपासना की चुदाई करने की।

मेरे छोटे भाई की नंगी पत्नी उपासना मेरी बांहों में थी जिसे उठाकर मैं दूसरे कमरे में लाया था। मेरा खड़ा लिंग उपासना के कूल्हों पर स्पर्श कर रहा था जिसे महसूस करके उपासना मुस्कुरा रही थी। मैंने उपासना को प्यार से बिस्तर पर लेटाया और कमरे को अंदर से लॉक कर दिया। जैसे ही मैंने उपासना की तरफ देखा, वह मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी। उसके हाव-भाव से लग रहा था कि वह बहुत ही खुश है। मैं जाकर उसके बगल में लेट गया। फिर हम दोनों में कुछ वार्तालाप हुआ जो कि इस प्रकार है:

उपासना- राज भैया, आज मैं बहुत खुश हूं। इतनी खुशी मुझे अपनी शादी के दिन भी नहीं हुई थी। मैं आपसे प्यार करती हूं। शायद आप इसे वासना कहें लेकिन जब मैंने आपको और तृप्ति भाभी को कई रातों तक आपस में संभोग करते देखा तो मेरे मन में आपको पाने की लालसा जाग उठी। मैं तब से आपके सपने देख रही हूं। मुझे आपके अलावा और कोई गवारा नहीं। हालांकि आपकी शादी हो चुकी थी इसलिए मैं आपकी साथी बन जाऊं, ऐसा तो संभव नहीं था लेकिन एक पल के लिए भी मैं आपको भुला नहीं पाई।

मैं- देखो उपासना, मेरे और तृप्ति के संभोग में कुछ खास नहीं था। यह तो सब करते हैं किंतु वह तुम्हारी कच्ची उम्र थी जब तुमने हमें संभोग करते देखा। यह केवल एक बार नहीं अपितु बार-बार था। इस उम्र में जब किसी को पॉर्न फिल्म देखने को मिलती है तो उसका हाल भी यही होता है किंतु तुमने तो पॉर्न फिल्म को जीवन्त रूप में देखी थी। अतः तुम्हें मुझसे आकर्षण हुआ। अपनी शादी के बाद भी तुम मेरे सपने देखती हो? क्या विक्रम तुम्हें प्यार नहीं करता? क्या वह तुम्हें संभोग में संतुष्टि प्रदान नहीं करता?

उपासना- ऐसी बात नहीं है राज भैया, विक्रम संभोग करने में बहुत अच्छा है। वह तो चूत की एक-एक नस खोल देता है। पर न जाने क्यों मेरे दिमाग में आपकी ही तस्वीर संभोग करते हुए बनी हुई है। आप इसे नहीं समझोगे। औरत का प्यार ऐसा ही होता है। अगर किसी के लिए चढ़ जाए तो आसानी से नहीं उतरता। मैं अभी तक आपके मोटाई वाले लंड को नहीं भूली हूं। उसकी तस्वीर मेरे दिमाग से कभी नहीं उतरी है। माना कि शादी के कुछ समय बाद तथा शादी के कुछ समय पहले विक्रम ने मुझे चोद-चोद कर आप का लंड भुलाने में मेरी मदद की किंतु जब मुझे विक्रम द्वारा आप की और रणवीर, प्रिया की अदला-बदली वाली चुदाई के बारे में पता चला तो मैं फिर बहक गयी। पतियों की अदला-बदली करके भी चुदाई की जाती है यह सुनकर मैं उत्तेजना की वजह से पागल हो गई। दिन रात मुझ पर अदला-बदली का ख्याल चढ़ा रहता।

फिर मेरे सामने एक समस्या आई कि रणवीर तो दोस्त था और हम तो रिश्तेदार हैं। तृप्ति विक्रम की भाभी है और आप मेरे जेठ, तो हमारी अदला-बदली तो कभी नहीं हो सकती। लेकिन जब विक्रम ने आपकी और आपकी सलहज की अदला-बदली के बारे में बताया तो मुझे विश्वास हो गया था कि मैं आपको पा सकती हूं और तब से आपके साथ संभोग करने के सपने मजबूत होते गए क्योंकि विक्रम और मैं दोस्त थे। हम एक दूसरे से यह बातें आसानी से कर लेते थे कि राजवीर भैया जब अपनी बीवी को उसके सगे भाई से चुदवा सकते हैं तो अपने भाई से क्यों नहीं? फिर जो हुआ वह तो आपको पता ही है।

मैं- जो हुआ बहुत अच्छा हुआ। अब अन्तर्वासना का समाधान हो जाए। तुम्हारे सपनों का लन्ड तुम्हारी चूत की खुजली मिटाने के लिए तत्पर है।

उपासना- क्या कभी आपके मन में मेरे लिए वासना जागृत नहीं हुई?
 
मैं- सच बताऊं तो जब तक हम हमारे गांव में रहते थे तब तक तो नहीं। फिर इस बदलाव वाले जीवन अर्थात अदला-बदली वाले जीवन की शुरुआत करने के बाद दिल काफी बिगड़ गया। यह एक ऐसा नशा है जो कभी दिमाग से नहीं उतरता। एक भी ऐसी सुंदर वैवाहिक स्त्री नहीं बची होगी जिसे मैंने देखा होगा और उसके साथ अदला-बदली करके चुदाई के बारे में नहीं सोचा होगा। अदला-बदली करके चुदाई करने में जो सुख है वह चोरी छुपे महिला मित्र और पुरुष मित्र से चुदाई करने में नहीं। इसका नशा कुछ अलग ही है।

श्लोक और सीमा के बाद जब तुम उनकी जगह यहाँ आए तो तुम्हारे बारे में भी ऐसे विचार आना स्वाभाविक था। लेकिन विक्रम को देखते हुए मैंने उनको अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया। मुझे लगा कि विक्रम को इस खेल में शामिल न ही किया जाए तो सही रहेगा क्योंकि वह सीधा है। लेकिन मुझे क्या पता था वह जलेबी की तरह सीधा निकलेगा।

एक बार तुम नहाने के बाद छत पर कपड़े सुखाने टॉवल में ही चली गई थी। यह दिन का समय था जिस वक्त मैं ऑफिस में हुआ करता था। लेकिन उस दिन मैं ऑफिस नहीं गया था। इसके बारे में तुम्हें पता नहीं था। तुमने सोचा घर पर केवल तृप्ति और तुम ही हो। तुमने अपने स्तनों पर टॉवल लपेटकर अपने कूल्हे व स्तन ढक रखे थे। उस वक्त मैं ऊपर वाले कमरे में ही था। तुम्हें इसके बारे में पता नहीं था। लेकिन जब मैंने अंदर से तुम्हें देखा तो देखता ही रह गया।

उस दिन मैंने तुम्हारे उभरे हुए स्तनों का आकार तथा गोरी भरी हुई मोटी जांघें देखीं। जिसने मेरे लंड में हलचल मचा दी। मैं तब तक तुम्हें निहारता रहा जब तक तुम मेरी नजरों से ओझल नहीं हो गई। तुम्हें देख कर मुझे टेलीविजन अभिनेत्री रश्मि देसाई को इस प्रकार देखने की अनुभूति हुई। मैंने इंटरनेट पर उसका एक भी वीडियो नहीं छोड़ा और सब तुम्हारी दीवानगी में देखता गया। बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाने पर मैंने तृप्ति को उपासना समझकर जोरदार तरीके से चोदा और ऐसा मैं सप्ताह में कम से कम 4 बार करता था। इसीलिए तृप्ति और मेरा संभोग जीवन सफल है क्योंकि मुझे भी पता है कि वह भी ख्यालों में किसी और से चुदाई करवाती है और मैं भी ख्यालों में किसी और की चुदाई करता हूं। जिसके बारे में हम एक दूसरे को नहीं बताते। हम तो केवल रणवीर और श्लोक तक की ही बातें करते हैं। बाकी किसे पता कि तृप्ति कितनों से खयालों में चुदी है और मैंने न जाने कितनी चूतों को खयालों में चोदा है।

उपासना- जी, यह बहुत ही अनोखा तरीका है, अपने ख्यालों में किसी और के साथ चुदाई करके अपने मन की इच्छा पूरी करने का। इसका मजा मैंने और विक्रम ने भी काफी लिया है। मुझे बहुत खुशी हुई भैया कि आपने भी मेरे लिए वासना महसूस की। अब तो मजा जरूर आएगा इस चुदाई का। देखो मेरी चूत गीली हो गई है। मुझे भी आपके लंड को खड़ा हुआ देखा नहीं जा रहा। आओ शुरू करते हैं आज का घमासान।

मैं- घमासान तो आज होगा ही। पहले सोच रहा हूं कि तुम्हारी कुछ ख्वाहिशें पूरी कर लूं क्योंकि तुम्हारा भरा हुआ शरीर है। इसे देखकर मुझे नहीं लगता कि मैं ज्यादा देर अपने आप पर काबू कर पाऊंगा और अगर मुझ पर एक बार उत्तेजना हावी हो गई तो फिर मैं केवल अपने मन की करूंगा।

उपासना- ठीक है राज भैया, आज मैं अपने मन की करवाती हूं। मैं अपने सबसे पसंदीदा सेक्स आसन 69 में आपके लन्ड को अपने मुंह में निचोड़ना चाहूंगी। उसी समय आप भी मेरी चूत का रसपान कीजिए। मेरी पहली ख्वाहिश तो यही है क्योंकि मैंने आपको तृप्ति भाभी के साथ सबसे पहले यही करते देखा था। नग्न तो हम दोनों थे ही ... एक दूसरे के शरीर को स्वयं से चिपका कर हमने एक दूसरे को आलिंगन में लिया था तथा एक दूसरे के शरीर को स्वयं के शरीर पर स्पर्श कराकर मजे की अनुभूति कर रहे थे। उसके बाद हमने एक दूसरे के होंठों को मुंह में लेकर उनका रसपान किया।

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उपासना बहुत ही सुंदर गोल चेहरे वाली तथा शानदार भरे-पूरे शरीर वाली स्त्री थी, जिसके प्रतिरूप का उदाहरण तो मैं दे ही चुका हूं। उपासना की शारीरिक संरचना जिससे मिलती है, इस कहानी को पढ़ते वक्त उसे आप इंटरनेट पर देखेंगे तो कहानी का रोमांच और ज्यादा आएगा।

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उपासना ने अपने बाल क्लिप से समेटे हुए थे जिन्हें मैंने पूरी तरह से खोल दिया। अब वह खुले बालों में नग्न अप्सरा लग रही थी। मैंने उपासना के चेहरे से अपना मुंह हटा कर उसके उभरे हुए स्तनों पर अपने मुंह से प्रहार बोल दिया तथा उसके गोल, बड़े, सफेद रंग के स्तनों को चूस कर, चाट कर तथा दांतों से काट कर लाल कर दिया। उपासना की हल्के गुलाबी रंग की चूचियां जो कि पूर्ण रूप से तनी हुई थीं, मेरे चेहरे पर स्पर्श करके मेरे शरीर में एक अलग ही गुदगुदी उत्पन्न कर रही थीं। उत्तेजना में मैंने उपासना के चूचुक को भी काट लिया। मेरी हरकतें उपासना को उत्तेजित कर रही थीं लेकिन उसका मकसद कुछ और था। उसने मुझे जोरदार धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और अपने कूल्हों को मेरे मुंह पर रख कर अपनी चूत मेरे मुंह पर टिका कर उसे मेरे मुंह पर रगड़ने लगी।

यह देख कर मुझे विक्रम के द्वारा बताई गई विक्रम और उपासना की पहली चुदाई की दास्तान याद आ गई। मैंने विक्रम की कहानी से मन हटा कर उपासना की गुलाबी चूत पर ध्यान लगाया और अपनी जीभ का पूरा इस्तेमाल करते हुए मैंने अपने छोटे भाई की पत्नी की चूत और उसके गांड के छेद को चाट चाट कर गीला कर दिया। उपासना मेरा लिंग पूर्ण रूप से अंदर लेकर अपने मुंह को ऊपर नीचे करने लगी। हमने करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को सिक्स नाइन की मुद्रा में मुंह से चोदा। उसके बाद उपासना ने अपनी अगली इच्छा जाहिर की।
 
उसने मुझे कमरे में रखी लकड़ी की कुर्सी पर बिठाया जिस पर हाथ का सहारा रखने वाले हत्थे नहीं थे बल्कि केवल पीछे ही पीठ का सहारा लेने के लिए व्यवस्था थी। मैं उपासना के कहे अनुसार उस कुर्सी पर अपना खड़ा लिंग लिए बैठ गया। उसके बाद उपासना अपनी गांड मटकाती हुई मेरे पास आई और अपने स्तन को मेरे सीने पर दबाते हुए मेरे लिंग को अपनी चूत में समाहित किए हुए मेरी तरफ मुंह करके मेरी गोद में बैठ गई। अब उपासना के स्तन मेरे सीने पर स्पर्श कर रहे थे। उपासना ने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी टांगों को नीचे फर्श पर लगाकर अपनी टांगों के इस्तेमाल से अपने आप को ऊपर नीचे करना शुरू किया जिससे कि मेरा खड़ा लिंग उपासना की चूत में अंदर-बाहर होने लगा। मुझे उपासना की चुदाई का यह तरीका बेहद खास लगा।

थोड़ी देर में उपासना के पांव की गति तेज हो गई। उसके गोल-गोल बड़े-बड़े स्तन मेरे सीने से टकराने लगे। उपासना ने गति इतनी तेज कर ली कि वह अब अपनी सांसों पर संयम नहीं कर पा रही थी। उसने अपने मुंह को मेरे मुंह से अलग किया और अति उत्तेजना में आह ... आह ... की ध्वनि निकाल कर मेरे लंड पर उछल-कूद करने लगी। उपासना अपनी गांड का इस्तेमाल इस प्रकार कर रही थी कि जब भी ऊपर होकर नीचे की तरफ आती तो मेरी जांघों पर टकराकर पट-पट की जोरदार ध्वनि उत्पन्न करती। जब उपासना के पांव जवाब देने लगे तो मैंने अपनी टांगों का इस्तेमाल करते हुए उपासना की चूत की गहराई तक अपने लंड को पहुंचाना शुरू किया और करीब 5 से 7 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों की टांगों ने जवाब दे दिया। अब हमने अपनी सेक्स स्थिति बदलने की सोची।

उपासना ने अपनी गीली चूत में से सना हुआ मेरा लंड बाहर निकाला और कमरे की स्टडी टेबल पर अपने स्तनों को टिका दिया। उपासना अपने पांव पर खड़ी होकर अपने पूरे शरीर को टेबल पर लेटा चुकी थी। उसने अपनी गर्दन और स्तनों को टेबल पर लेटा कर अपने हाथों को पीछे मोड़कर अपने कूल्हे को अपने हाथ से जोर से थपथपाया और कहा- कम ऑन राज, माय ऐस्स इज वेटिंग फॉर यू। (आओ राज, मेरी गांड का छेद तुम्हारा इंतजार कर रहा है) उपासना की यह संजना मुझे भा गई। मैं कुर्सी से उठकर उसकी तरफ गया और उसके पीछे खड़े होकर उसकी गांड पर जोर से थप्पड़ मारा। दोस्तो, वास्तव में क्या गांड थी उपासना की, गोलाकार गोरे रंग की गांड। अगर कोई टाइट कपड़ों में ऐसे ही देख ले तो उससे मुट्ठ मारे बिना नहीं रहा जाए और यह तो मेरे सामने अपने असली रंग को दर्शाती हुई नंगी गांड थी।

मैंने उपासना के बालों को पीछे खींचते हुए उसकी चूत में अपना लंड ठेल दिया और अपनी पूरी जान लगा कर उपासना की चूत को चोदने लगा। कमरे में जोरदार फच-फच की आवाज गूंजने लगी। जब मेरा लिंग उपासना की चूत के चिकने पानी से पूर्ण रूप से चिकना हो गया तब मैंने उसे उपासना की गांड के छेद पर टिका कर अंदर डालने का प्रयास किया। उपासना भी अपनी गांड का उद्घाटन विक्रम से शादी से पहले ही करवा चुकी थी इसलिए मेरे लंड ने उपासना की गांड में जाने में ज्यादा समय नहीं लगाया। मेरा लंड उपासना की गांड में तो चला गया था लेकिन मैं उसमें अभी तक धक्का नहीं मार पाया था क्योंकि लंड को अंदर बाहर करने में मुझे उपासना की गांड का कसाव कुछ ज्यादा ही महसूस हो रहा था।
 
उपासना बोली- राज, तुम्हारा लंड विक्रम से ज्यादा मोटा है। इसलिए मुझे अपनी गांड में दर्द की अनुभूति हो रही है। कृपया थोड़ा आराम से करना। उपासना ने तो मुझसे अपना लंड अंदर बाहर आराम से करने की गुजारिश की किंतु विक्रम से थोड़ा ज्यादा मोटा होने की तारीफ मुझे कुछ ज्यादा ही उत्तेजित कर गई। अतः मैंने दरिंदे की तरह अपने लिंग को उपासना की गांड के छेद के बाहरी मुंह तक निकाला और एकदम से जोर से अंदर पेल दिया। उपासना यह झटका संभाल नहीं पाई और उसके मुंह से 'ओ बहन चोद ...' की गाली निकल गई। मुझे उसके द्वारा निकाली गई गाली ने और उत्तेजित किया और मैंने फिर अपने लंड को बाहर निकाल कर फिर जोर से उसकी गांड में ठेला। इस बार उसने मुझसे मादरचोद कहा और जोर-जोर से कहने लगी कि अपने लंड को मेरी गांड से बाहर निकालो।

जैसा कि मैंने कहा था, मैंने अपनी उत्तेजना में अपना आपा खो कर अपने धक्कों की गति और तेज कर दी इस तरह मेरी कमर और उपासना की गांड की टकराहट से जोरदार आवाजें आने लगी। थोड़ी देर बाद उपासना की गांड के छेद ने मेरे लंड को एडजस्ट कर लिया और उपासना भी इस गांड चुदाई का मजा लेने लगी। उपासना की कसमसाई गांड में झटके लगा-लगा कर मुझे अहसास हुआ कि अब मैं झड़ने वाला हूं। अतः मैने अपना लिंग उपासना की गांड से निकाल कर इसी स्थिति में उसकी चूत में पेल दिया और उसकी चूत को अपने लंड से फाड़ने लगा।

उपासना जोर से अंग्रेजी में फक फक फक ... बकने लगी। थोड़ी देर में उपासना की चूत ने मेरे लंड पर हल्का सा फव्वारा छोड़ दिया तथा मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया।

उपासना की इस धुआंधार चुदाई से हम दोनों की टांगों ने जवाब दे दिया था क्योंकि ज्यादातर चुदाई हमने हमारे टांगों के बल पर ही की थी। जिसके कारण हम थक कर बिस्तर पर आकर लेट गए। हम दोनों बिस्तर पर नंग-धड़ंग पड़े हुए थे और हमारी सांसें तेज चल रही थीं।

हमारी चुदाई रुकने से जैसे ही शांति हुई तो पास वाले कमरे से तृप्ति और विक्रम के कमर और कूल्हों की टकराहट की जोरदार पट-पट वाली आवाज हमारे कमरे तक आ रही थी जिसे सुनकर हम दोनों की हंसी छूट गई।

उपासना ने कहा- देवर और भाभी की जोरदार चुदाई चल रही है। विक्रम आज तृप्ति को बुरी तरह चोद देगा।

इस पर मैंने उपासना से कहा- मेरी प्यारी जानू, तुम तृप्ति को नहीं जानती। विक्रम तृप्ति को नहीं बल्कि तृप्ति विक्रम की इस प्रकार चुदाई करेगी कि सुबह अगर विक्रम ने दर्द से अपना लंड नहीं पकड़ लिया तो मेरा नाम बदल देना।

इस प्रकार दोनों की हंसी फिर छूट गई।

उपासना बोली- विक्रम का लंबा लन्ड तृप्ति की चूत की इतनी गहराई तक जाएगा कि आपका वहां तक नहीं पहुंचता होगा।

इस पर मैंने उपासना को जवाब दिया कि मेरा लंड भी तो तुम्हारी चूत की चौड़ाई को बढ़ाता हुआ अंदर गया है। इतना चौड़ा कि विक्रम पहले कभी नहीं कर पाया होगा।

इस तरह की उत्तेजना भरी बातों के कारण हम दोनों के गुप्तांगों ने एक बार फिर हमारे दिमाग को इशारा दिया कि एक घमासान चुदाई फिर हो जानी चाहिए। इसलिए मैंने जैसे ही उपासना के स्तनों को पकड़ते हुए अपने लंड को उसकी चूत के पास बढ़ाया, इस पर उपासना ने मुझे रोकते हुए कहा- आप की पहली चुदाई ने मजे के साथ दर्द भी दिया है। अबकी बार इस तरह से चुदाई करते हैं कि चुदाई के साथ सिकाई भी हो जाए।

उपासना उठ खड़ी हुई और अपनी मादक चाल से चलते हुए बाथरूम के अंदर घुस गई। उसने बाथटब को गुनगुने पानी से भर दिया और मुझे बाथरूम में बुला लिया। मैं अपना खड़ा लंड लेकर बाथरूम में गया जहां उपासना ने मेरा लंड पकड़ते हुए मुझे बाथटब के अंदर खींच लिया। मैं बाथटब में बैठ गया जिसका पानी मेरे सीने तक आ रहा था। उपासना ने भी अपने आप को बाथटब में गिरा लिया। अब हम दोनों के नंगे जिस्म झाग वाले गुनगुने पानी में एक दूसरे से घर्षण करने लगे। हमने एक दूसरे को चुंबन करते हुए एक दूसरे के गुप्तांगों को सहलाना शुरू किया। उत्तेजना के चरम पर पहुंच कर उपासना मेरी गोद में आकर बैठ गई और उसने अपनी चूत में मेरा लंड फंसा लिया। अब हम दोनों की टांगें विपरीत दिशा में थीं और उपासना मेरी गोद में बैठे हुए मेरे लिंग की सवारी मानो इस तरह कर रही थी जैसे किसी घोड़े पर बैठने के बाद सवारी करते हुए घुड़सवार ऊपर नीचे होता है।
 
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