Hindi Sex Stories याराना - Page 7 - SexBaba
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Hindi Sex Stories याराना

थोड़े समय बाद उससे रहा नहीं गया। उसने स्वयं ही अपनी ब्रा से अपने दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया। तृप्ति के स्तनों के ऊपर के चूचुक गुलाबी रंग के थे। मैं उसके एक चूचुक को अपने हाथ में तथा दूसरे चूचुक को अपने मुंह में लेकर अपनी भड़ास उसके स्तनों पर निकालने लगा। तृप्ति उत्तेजना में पागल होकर अपने पूरे शरीर को मेरे मुंह के अंदर दबाने की कोशिश करने लगी थी। मैंने तृप्ति के स्तनों के साथ उसके पेट और कमर को भी काफी चूमा और चाटा। जब मुझे लगा कि अब काफी समय तक फोरप्ले हो गया है और तृप्ति भी काफी उत्तेजित हो गई है, मैंने अपना हाथ उसके जींस के बटन पर लगाया तथा उसे खोलने का प्रयत्न करने लगा, लेकिन तृप्ति ने मेरे हाथ को उसके जींस के बटन से हटा दिया। मैं फिर अपना हाथ तृप्ति के जींस के बटन पर ले कर गया किंतु तृप्ति ने मेरा हाथ फिर हटा दिया।

मैंने तृप्ति से कहा- माय डार्लिंग तृप्ति, आई वांट टू फक यू। प्लीज़ कोऑपरेट मी। (प्रिय मैं तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूँ, कृपया मेरा साथ दो)। इस पर तृप्ति ने जवाब दिया- डार्लिंग, वी ऑलरेडी क्रॉस्ड आवर लिमिट (प्रिय हम पहले ही हमारी सीमा पर कर चुके हैं) अब इससे ज्यादा मैं साथ नहीं दे पाऊंगी।

विक्रम- प्लीज तृप्ति, मैं इतना करके अधूरा नहीं रह सकता। मुझे तुम्हारी चुदाई करनी है।

तृप्ति- ओह मेरे विक्रम। मेरी कुछ सीमाएं हैं जो मैंने तय की हैं। मैं शादी से पहले ये नहीं कर सकती। मैं तुमसे प्यार करती हूं और शादी करने के लिए तैयार हूं। उसके बाद मैं पूरी तुम्हारी हो जाऊंगी जान। उस वक्त मेरे सिर पर हवस का शेर सवार था। कोई तृप्ति के साथ इतना बढ़कर पीछे नहीं हट सकता था क्योंकि तृप्ति चीज ही ऐसी थी।

अतः पता नहीं क्यों मुझे तृप्ति पर गुस्सा आ गया और मैंने उसे गुस्से में भला-बुरा कह दिया।

मैंने तृप्ति से कहा- अगर मेरे जन्मदिन के दिन तुम एक अच्छी गर्लफ्रेंड बन कर मेरे मन की इच्छा पूरी नहीं कर सकती तो तुम क्या एक अच्छी बीवी बन पाओगी? इस पर मुझे शक है। धन्यवाद जो तुमने मुझे इतना सब करने का मौका दिया। न जाने कितनों के साथ ऐसी टेस्ट ड्राइव करके मुझे शादी का ज्ञान दे रही हो। मैंने यह बात गुस्से-गुस्से में गलत कह दी थी जिसका मुझे उसी क्षण अहसास हो गया था किंतु अपने घमंड वाले रवैये के कारण मैं उसे मना नहीं सका और उससे माफी नहीं मांग सका। तृप्ति की आंखों में आंसू थे और वह रोते-रोते अपने कपड़े पहनने लगी और मुझसे सॉरी बोल कर चली गई।

जब मेरे सिर से हवस का भूत उतरा तब मुझे अहसास हुआ की तृप्ति वास्तव में कितनी अच्छी लड़की है। ऐसी लड़की पत्नी के रूप में किसी भाग्य वाले को ही मिलेगी जो कि इतनी आगे बढ़ कर भी अपने यौवन को भंग होने से बचा ले। उसके बाद मैंने तृप्ति से माफी मांगने की काफी कोशिशें कीं किंतु तृप्ति ने मुझे कभी भाव नहीं दिया। वह मुझसे बुरी तरह से नाराज हो गई थी। अब मुझे तृप्ति से सच्चा प्यार होने लगा था। लेकिन उसने कभी मेरी एक बात नहीं मानी। मैंने उसे चिढ़ाने के लिए कॉलेज के काफी लड़कियां पटाईं। लेकिन तृप्ति का दिल कभी नहीं पिघला। मैंने गुस्से में कई लड़कियों से संबंध बनाए लेकिन उसकी कमी को पूरी नहीं कर पाया और एक दिन ऐसा आया जब फाइनल वर्ष पूरा होने पर तृप्ति चली गयी।

फिर क्या था, मैंने उस से अपना मन हटाया और पढ़ाई में लगाया। फिर राजवीर भैया! मेरे फाइनल वर्ष में आपकी शादी तय हुई और छुट्टी लेकर मैं अपने घर आपकी शादी में आया।

जब स्टेज पर आपकी दुल्हन देखी तो मेरे होश उड़ गए। मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि आपके साथ बैठी आपकी दुल्हन और कोई नहीं बल्कि मेरी प्रेमिका रह चुकी तृप्ति ही है।

मैं आश्चर्यचकित होते हुए- क्या? क्या कह रहे हो विक्रम?

विक्रम- हां भैया हां। किस्मत का ये अजीब खेल था। जब शादी में आने से पहले मेरी माँ से बात हुई थी तो उन्होंने बताया था कि आपकी सगाई किसी तृप्ति से हुई है। तब मेरे दिमाग में ये बात नहीं आई थी। फिर मैंने लड़की वालों से पूछताछ की तो पता चला कि भाभी का नाम कॉलेज और स्कूल में तृप्ति है। किंतु घर में उनको सब तृप्ति ही बुलाते हैं।

राजवीर- जब तुमने ये कहानी शुरू की थी तब मैंने भी यही सोचा भी कि ये कोई और तृप्ति होगी। अच्छा फिर क्या हुआ?

विक्रम- तृप्ति यानी तृप्ति ने भी मुझे शादी में ही देखा। वह भी मेरी तरह ही आश्चर्यचकित थी कि मैं इस घर में कैसे? उन्हें भी नहीं पता था कि मैं आपका भाई हूं। एक पल तो वह काफी डर गई थी।

फिर एक दिन हमारी अकेले में बात हुई। उन्होंने मुझे बताया कि अगर उन्हें पता होता कि मैं इस घर में रहता हूं तो मैं तुम्हारे भैया से शादी कभी नहीं करती। इस पर मैंने उन्हें विश्वास दिलाया कि मेरी वजह से उनके वैवाहिक जीवन पर कभी कोई आपत्ति नहीं आएगी। भाभी ने मुझे बताया कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती थी लेकिन तुमने मेरा विश्वास तोड़ दिया, इस वजह से मैं तुमसे दूर हो गई। लेकिन अब मैं केवल राज से प्यार करती हूं और मेरे मन में तुम्हारे प्रति कोई गलत विचार नहीं है। इस पर मैंने भाभी को बोला कि आप जैसी ईमानदार लड़की को भाभी के रूप में पाकर मुझे खुशी हुई। जितना हमारे बीच होटल के कमरे में हुआ था कोई उसके बाद भी संभल जाए ये बड़ी बात है। आज के बाद हम भाभी-देवर की तरह ही रहेंगे और बाकी हमारे बीच पुराना जो भी था उसे भूल जाएंगे। हमने अपने वादे को ईमानदारी से निभाया भैया! हमारे बीच में फिर कोई गलत बात नहीं हुई।

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मेरे यानि राजवीर के शब्दों में- तो मेरे प्यारे याराना के पाठको, अभी विक्रम की कहानी पूरी नहीं हुई है। उसमें काफी कुछ ऐसा बाकी है जो आपको उत्तेजना के चरम पर ले जाएगा। दोस्तो, याराना का पहला भाग तो आपने पढ़ा ही होगा जिसमें कि तृप्ति ने स्वीकार किया था कि उसका पहले कोई बॉयफ्रेंड था जिसके साथ उसने चुदाई तो नहीं की थी किन्तु चूमना-चाटना और स्तनपान करवाने जैसे फॉरप्ले को अंजाम दिया था। जब विक्रम ने मुझे उसके कॉलेज की तृप्ति यानि मेरी बीवी तृप्ति और उसके संबंध की कहानी सुनी तो मुझे विश्वास हो गया था कि विक्रम सच बोल रहा है। जब तृप्ति ने खुद मुझे उस वक्त यह बात बताई थी तो मुझे उसके बॉयफ्रेंड के बारे में कुछ नहीं पता था। मगर आज पता चल गया कि वो बॉयफ्रेंड मेरा भाई ही था।

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विक्रम- तो क्या मेरी अभी तक की कहानी ने आपको हैरान किया भाई?

राजवीर- हां विक्रम, मैं सचमुच हैरान हूं। एक स्त्री अपने मन में कितना कुछ दबाए हुए रह सकती है। मुझे तो लगता था मैं तृप्ति को अच्छी तरह जानता हूं।

विक्रम- आगे आपके लिए और भी सरप्राइज़ है मगर मैं चाहता हूं आगे की कहानी आपको मैं अकेला नहीं अपितु उपासना और मैं साथ में सुनाएं क्योंकि वह कहानी उपासना और मेरे जीवन की सम्मिलित कथा है।

हम दोनों भाइयों ने अपने लैपटॉप बैग समेटे और घर की तरफ चल दिए।

खाना खाने के बाद हम तीनों यानि कि मैं, विक्रम और उपासना फ्लैट की बैठक में बैठ गए।

विक्रम- मेरी प्यारी उपासना, अब जैसा कि तुम्हें पता ही है कि यहाँ भैया-भाभी का जीवन कैसे भोग विलास से भरा हुआ है। इन्होंने अपनी बीवियां बदल-बदल कर महीनों तक चुदाई की है, हो सकता है हम भी कल को इस मण्डली में शामिल हो कर जीवन का मजा लें जैसा कि तुम भी चाहती हो. तो आज ही उसकी शुरूआत करते हैं। बिना किसी लाज-शर्म के वो कहानी भैया को सुनाओ जिससे कि राज भैया अनजान हैं। मेरी प्यारी उपासना इस कहानी में कृपया लिंग शब्द के स्थान पर 'वो' या योनि के स्थान पर 'भाभी की वो' कहकर कहानी का मजा किरकिरा नहीं करना। लंड चूत जैसे शब्दों का इस्तेमाल वैसे ही करना जैसे उनकी जरूरत हो।

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मेरी इस बात पर उपासना थोड़ी मुस्कराई और कहानी बताने लगी: राज भैया, जैसा कि आपको पता है कि माँ की मौत के बाद मैं आपके ही घर पर रही। वैसे तो घर में सब अच्छे हैं और सबने मेरा बहुत ख्याल रखा। लेकिन मुझे सबसे प्यारे आप लगते थे। आप ने मुझे बहुत प्यार दिया। इनमें बहुत छोटी-छोटी बातें शामिल थी। जैसे कि मेरे लिए टॉफी लाना। पैसे दे देना। मेरे पसंदीदा कपड़े लाना। आप मेरे टीवी सीरियल के लिए अपने क्रिकेट मैच तक को छोड़ देते थे। हमारे बीच की उम्र में 7 साल का अंतर था। फिर मेरे कॉलेज में जाने की बारी आई। उम्र के इस पड़ाव पर मैं यौन सम्बन्धों के बारे में समझने और जानने लगी थी। बायोलॉजी विषय होने के कारण सहेलियों में कभी कभी अश्लील मजाक भी हो जाया करती थी। राज भैया से मुझे काफी लगाव था लेकिन मैंने कभी राजवीर भैया के बारे में ग़लत नहीं सोचा था।

फिर राज भैया की शादी तृप्ति भाभी से हुई। सब बहुत अच्छे से चल रहा था। फिर राज भैया की शादी के साल भर बाद विक्रम बैंगलोर से अपनी पढ़ाई पूरी करके घर आए। चूंकि मैं विक्रम भैया के कमरे में रहती थी इसलिए मुझे विक्रम के आने के बाद दूसरा कमरा मिला जो कि राज भैया के कमरे से सटा हुआ था। देर रात में जब मैं पढ़ाई करके लाइट बन्द करके सोई तो थोड़ी देर बाद तक मुझे नींद नहीं आई थी। तभी अचानक से मुझे किसी की सिसकारियां और आह-आह की आवाज़ आई। ध्यान दिया तो मालूम हुआ कि ये तृप्ति भाभी की आवाज़ है जो कि आपके कमरे के रोशनदान से आ रही थी। यह रोशनदान मेरे कमरे के ऊपर की बुखारी में खुलता था। इतना तो मैं समझ गयी थी कि ये सेक्स में मजे के कारण आयी हुई सिसकारियां हैं। भाभी की आवाज़ काफी देर तक आती रही जो कि मेरे हृदय की धड़कनों को बढ़ाये जा रही थी। जब आवाज़ आना बन्द हुई तो जैसे-तैसे मुझे नींद आयी।
 
लेकिन पहली बार ऐसी आवाज़ सुनने के बाद ये बात मेरे दिमाग से नहीं निकल रही थी। मैं क्या करती, मेरी भी तो चढ़ती जवानी थी। मैं उस वक्त 18 साल की थी। दिन भर मेरे दिमाग में वो आवाज चलती रही सो मैंने फैसला किया कि आज मैं आप दोनों को चुदाई करते हुए देखूंगी। मैंने दिन में ही कमरे के रोशनदान वाली बुखारी से सामान इधर उधर इस तरह व्यवस्थित किया कि रात में बिना शोर करे मैं रोशनदान से आपके कमरे में आपकी चुदाई देख सकूं। जैसे तैसे रात के 12 बजे और तृप्ति भाभी की सिसकारियां सुनाई देने लगीं और मैं टेबल पर स्टूल लगाकर अपने कमरे की लाइट बन्द कर आपको देखने लगी। मेरे कमरे की लाइट बन्द होने के कारण आप दोनों मुझे नहीं देख सकते थे किंतु मैं आपके क्रियाकलाप कम रोशनी वाली लाइट में आसानी से देख सकती थी। मेरी आंखों के सामने आप का पलंग था। जैसे ही मेरी नजर आपके कमरे के पलंग पर पड़ी मेरा कलेजा जोर-जोर से धड़कने लगा। सांसें तेज हो गईं।

मैंने देखा कि तृप्ति भाभी और आप पूर्ण रूप से नग्न होकर एक दूसरे के साथ 69 की पोजीशन में एक दूसरे के गुप्तांगों को बड़ी शिद्दत से चूस चाट रहे हैं। आप दोनों ही अपने आप में इस तरह खोए थे कि आपको दुनिया की कोई खबर नहीं थी। यह पहला क्षण था जब मैंने किसी भी जोड़े को सेक्स करते हुए देखा था। उसके बाद जब तृप्ति भाभी ने आप की तरफ अपनी टांगें चौड़ी कीं और आप सीधे हुए तब मैंने आपका लंड देखा। वाह! क्या नजारा था आपके लंड का। वह दृश्य ऐसा लग रहा था जैसे मेरे गले में अटक गया हो। तृप्ति भाभी ने आपके लंड को अपने मुंह में लिया और उसे चूसने लगी और उसके थोड़ी देर बाद आपने तृप्ति भाभी की चूत में अपना लंड पेल कर उनकी चूत में जोरदार धक्के देना शुरू कर दिए। तृप्ति भाभी के बड़े स्तन आपके लंड के झटकों से ऊपर नीचे हो रहे थे। करीब 15-20 मिनट की जोरदार घमासान चुदाई के बाद आप दोनों निढाल होकर एक दूसरे से चिपक कर सो गए।

आप दोनों तो सो गए लेकिन आपके इस दृश्य ने मेरी चूत में एक अजीब सी आग लगा दी थी। मैंने खड़े-खड़े कब अपनी उंगलियां अपनी चूत में डाल दीं थी मुझे पता ही नहीं चला और इस तरह मैंने अपनी चूत की आग को अपनी उंगलियों से शांत किया। यह मेरा पहला हस्तमैथुन था। उस दिन के बाद मुझे आपको देखने का नजरिया बदल गया। आप में मुझे बस केवल वासना नजर आती थी राज भैया।

तृप्ति भाभी खुशनसीब थी कि उसे आप जैसा पति मिला। मैं हर रोज आप दोनों के चुदाई घमासान को देखती और अपने आप को उंगलियों से शांत करती। फिर एक दिन पिताजी द्वारा घर का जरूरी सामान उस बुखारी में रख दिया गया और मेरा आप लोगों को देखने का जरिया बंद हो गया। लेकिन तब तक मेरे सीने में एक आग जल गई थी जिसने दिन रात मुझे वासना में डुबा दिया था।

आप लोगों को तो देख नहीं सकती थी तो फिर मैंने अपनी एक सहेली से अपनी वासना मिटाने का एक जरिया सीखा। मैंने फेसबुक पर नकली नाम से एक खाता बनाया और उस खाते से मैंने अपने कई पुरुष मित्र बनाए और उनसे गंदी-गंदी चैट करने लगी। मेरे कहने पर लड़के अपने नग्न चित्र और वीडियो मुझे मैसेज में भेज देते थे। जिससे कि मैं अपनी पूर्ण उत्तेजना में होकर खुद को उंगली से शांत कर लिया करती थी।

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विक्रम- फिर एक दिन मुझे इंटरनेट पर कुछ देखना था। मेरे फोन में रिचार्ज नहीं होने पर मैंने उपासना से उसका फोन लिया। उपासना अपने फोन से हिस्ट्री मिटाना भूल गई थी और उसने अपनी फेसबुक आईडी भी लॉगआउट नहीं की थी क्योंकि वैसे भी उसका फोन कोई नहीं छेड़ता था। जब मेरी नजर उसके नकली नाम वाली आईडी पर पड़ी तो मैंने उसके इनबॉक्स को चेक किया और जो देखा वह देखकर दंग रह गया। हमारी उपासना एक नकली नाम से प्रोफाइल बनाकर लड़कों से इस प्रकार की चैट करती है।

एक पल तो मुझे उस पर गुस्सा आया और मन किया कि उससे जाकर लडूं। फिर शांति से सोचा कि क्यों न इसके बिगड़ने का फायदा मैं ही उठा लूं। कॉलेज में तो काफी लड़कियां पटाई थीं लेकिन यहां गांव में आकर मेरा सेक्स जीवन सूखा था। मेरे मन में उपासना के प्रति वासना घर कर गई और उसे देखने का नजरिया बदल गया। मैंने भी फेसबुक पर एक नकली नाम से एक प्रोफाइल बनाई तथा उपासना को रिक्वेस्ट भेज कर खुद ही उसे स्वीकार कर लिया था। मैं उसकी मित्र सूचि में सम्मिलित हो गया और जैसा कि उपासना की मित्र लिस्ट में काफी सारे लोग थे तो मुझे विश्वास था कि उसे यह भी याद नहीं रहेगा कि ये मेरा मित्र कब बना। मैंने उपासना को उसका फोन लौटा दिया।
 
अगले दिन उपासना जब ऑनलाइन आई तो मैंने उसे मैसेज किया। फिर उसका मुझे जवाब आया। हमने थोड़ी देर इधर-उधर की बातें कीं और उसके बाद हम सेक्स चैट में लिप्त हो गए। मैंने अपनी सेक्सी चैट से उसे पूर्ण रूप से उत्तेजित कर दिया था और उसे यह नहीं पता था कि मैं उसके बगल वाले कमरे से ही उसके साथ गुफ्तगू कर रहा हूं। हम एक दूसरे को बिना देखे एक दूसरे से सेक्सी चैट करते थे और हमारी दोस्ती दिन-ब-दिन गहरी होती जा रही थी। एक दिन जब मैंने उससे पूछा कि क्या तुमने कभी किसी को चुदाई करते हुए देखा है तब उसने चैट में ही बताया कि मैंने अपने घर में भैया-भाभी को चुदाई करते हुए देखा है।

मैंने उससे पूछा कि अपने भाई-भाभी के बारे में तुम ऐसा कैसे सोच सकती हो? तब उपासना ने मुझसे चैट में कहा कि वो मेरे सगे भाई नहीं हैं। उपासना ने कहा कि जब से मैंने उन दोनों (राजवीर और तृप्ति) को चुदाई करते देखा है मैं भाई की फैन हो गयी हूं। मन करता है कि कैसे न कैसे एक बार मुझे वो चोद दें और वैसा ही हाल कर दें जैसा कि वो भाभी का करते हैं। वैसे तो मेरी असली पहचान से अनजान उपासना यह चैट मुझसे ही कर रही थी और उसके लिए मैं एक अजनबी था। लेकिन यह बात हो मुझे मालूम हो गयी थी कि उपासना में ऐसा बदलाव क्यों आया है। वह राजवीर भैया, यानि कि आपसे चुदाई करवाना चाहती थी। एक बार देर रात उपासना और मैं फेसबुक पर चैटिंग कर रहे थे। हम इतनी उत्तेजित बातें कर चुके थे कि उस समय हमारी उत्तेजना चरम पर थी। उपासना ने मुझसे मेरे लिंग का फोटो मांगा जो कि मैंने उसे भेज दिया। उस फोटो से वह बहुत सम्मोहित हुई। उसके बाद मैंने उससे उसके स्तनों का फोटो मांगा। उपासना ने भी मेरी बात मान कर बिना चेहरे के मुझे अपने स्तनों का फोटो भेजा। उसके अति उत्तम आकार वाले गोरे स्तनों को देखकर मेरा हाल बुरा हो गया।

उत्तेजना की आग दोनों तरफ लगी थी। तब उपासना ने मुझसे कहा कि अब मुझे चैट बन्द करनी होगी क्योंकि उसे हस्तमैथुन करना है। तब मैंने उससे कहा कि अगर अपनी उंगलियों की जगह तुम्हें अभी कोई असली लिंग मिल जाए तो? इस पर उपासना ने कहा कि ऐसी मेरी किस्मत कहां। अगर मिल जाए तो क्या बात हो, मैं उस लिंग को खुद में निचोड़ लूंगी। मगर ऐसा नहीं हो सकता यार, हस्तमैथुन ही करना होगा।

इस पर मैंने कहा- अच्छा चलो, जब दरवाज़ा बजे तो चुपचाप उसे खोल देना। जो भी हो उसे अंदर आने देना ताकि कोई और न जग जाए। जो बात करनी है अंदर ही करना। उपासना का चैट में जवाब आया कि क्यों मज़ाक़ करते हो यार?

इतने में मैं अपने कमरे से निकल कर उपासना के कमरे की तरफ गया। रात के करीब डेढ़ बजे थे। इसीलिए सब सो चुके थे। जैसे ही मैंने गेट बजाया, उपासना ने दरवाजा खोला। मैंने बिना कोई बात किए उसे कमरे के अंदर धकेल कर कमरे का दरवाजा लगा लिया और उपासना से कहा- लो उपासना, आ गया असली लंड लेकर ... कर लो अपने मन की।

उपासना- ओह माय गॉड ... ये कैसे सम्भव है। मैं विक्रम तुमसे ये सब बातें कर रही थी? और तुम्हें कैसे पता चला कि वो मैं ही हूं।

विक्रम- उपासना, अब मौका मिला है तो क्या ये बातें करने में समय निकाल दोगी। राजवीर भैया का तो तुम्हें शायद ही मिले। आज मेरा ही लन्ड ले लो।

अब उपासना के लिए शर्म और नखरे करने की कोई गुंजाइश तो रह नहीं गयी थी। हमने करीब 1 महीने तक सेक्स संबंधी क्या क्या बातें की थी यह हम ही जानते हैं। हम दोनों ने तो एक-दूसरे से अपनी सेक्स संबंधी कल्पना भी जाहिर की थी कि कैसे मैं अपने साथी के स्तन और चूत को चूसूंगा और चुदाई करूंगा। उपासना ने भी ऐसी कई बातें की थीं कि वह कैसे अपने साथी के लन्ड को चाट-चाट कर मजे देगी।
 
अतः हमने आव देखा न ताव एक दूसरे को कसकर चूमने चाटने लगे। जब चुम्बनों कि बरसात खत्म हुई तो हमने एक दूसरे के सारे वस्त्र उतारने में जरा भी समय बर्बाद नहीं किया। उस वक्त मैंने अपने सामने उपासना को खड़ा किया और उसे अच्छे से ऊपर से नीचे तक निहारा। उस समय उपासना के 32 के स्तन और 26 की कमर और गांड का आकार भी 32 का ही था। गोरे रंग के जिस्म पर ये छरहरी काया। क्या खुशबू थी उपासना के जिस्म की।

उपासना- मैंने भी जब विक्रम का लंड देखा तो इसकी कायल हो गई। फ़ोटो में इसका वो आकार नजर नहीं आया था जो वास्तव में था। ये फोटो से ज्यादा आकर्षक था। करीब साढ़े 7 इंच का लन्ड खड़ा-खड़ा मेरी चूत के लिए चिकना पानी छोड़ रहा था। मुझे तो विक्रम के साथ वो सब करना था जो कि मैंने इतने दिनों तक आपको तृप्ति भाभी के साथ करते देखा था। मुझमें सेक्स की भूख भरी पड़ी थी। मेरा बदन यह सोच-सोच कर सिहर उठा था कि आज उंगलियों की जगह असली का लिंग मेरी चूत में धक्के देगा। मैंने विक्रम से मेरी सबसे पसंदीदा चुदाई के आसन में आने को कहा। विक्रम जानता था कि मैं 69 की बात कर रही हूं। अतः मेरे बिस्तर पर हम दोनों 69 के आसन में आकर एक दूसरे के गुप्तांगों को चूसने लगे।

विक्रम- उपासना की चूत के पानी ने मेरे पूरे चेहरे को गीला कर दिया था और तभी उपासना मेरे मुंह में अपनी लाल चूत को दबाती रही। उसने मेरा लन्ड अपने मुंह में पूरा अंदर ले लिया और बड़ी बेदर्दी से चूस चूस के ऊपर नीचे करती रही।

मैंने उपासना के स्तनों को चूसने की इच्छा जताई तो उपासना ने सीधे होकर अपना एक स्तन मेरे मुंह में दे दिया और अपने हाथ से मेरे सिर को उसके स्तनों में दबाने लगी। मैंने उसके दूसरे स्तन को हाथ में लेकर अपने हाथों से मसलना शुरू किया। करीब 20 मिनट के इस फोरप्ले के बाद उपासना ने अपनी गीली चूत मेरे सामने करके अपनी टांगें चौड़ी कर दीं। मैंने उसके ऊपर आते हुए अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया जो कि एक बार में गुप्प से अंदर चला गया क्योंकि उत्तेजना में चिकनाई ही इतनी थी। मैंने अपनी पूरी जान लगाकर उपासना की चूत में धक्के दिए जिसे उपासना बड़ी ही शिद्दत से ग्रहण कर रही थी। कोई नहीं कह सकता था कि यह उपासना की पहली चुदाई है।

लेकिन राजवीर और तृप्ति भाभी की चुदाई देख देख कर उपासना इतनी परिपक्व हो गयी थी। उपासना स्वयं अपने आपको मेरे लन्ड में रगड़ दिलवा रही थी। उसकी इस कला ने मुझे उसका दीवाना बना दिया था। करीब 20 मिनट की घमासान चूत चुदाई के बाद हम दोनों साथ में स्खलित हुए और एक दूसरे से कसकर लिपट गए।

10 मिनट बाद उपासना ने फिर से मेरा लिंग चूसना शुरू किया और खड़ा करके फिर से उस पर बैठ गयी और अपनी चूत में मेरा लन्ड ले कर अपनी गांड को ऊपर नीचे करके लेने लगी। उसके उचकते हुए स्तनों को मैंने अपने हाथ में लेकर मसलना शुरू किया। जब वह गांड हिलाते हिलाते थक गई तो मैंने उसे पेट के बल लेटाकर उसके ऊपर आकर उसकी गदराई गांड के नीचे चूत में लन्ड ठेल कर पीछे से उसकी चूत चुदाई शुरु की और फिर से दोनों झड़ गए।

अब हम दोनों का हाल बुरा था। करीब 3 बजने वाले थे इसलिए कपड़े पहन कर मैं अपने कमरे में आ गया।

इस तरह की चुदाई का मजा मैंने अपने जीवन में कभी नहीं लिया था। कॉलेज के समय में चुदाइयाँ तो बहुत की थीं मगर उपासना ने जिस तरह से अपनी चूत चुदवाई मैं उसका कायल हो गया था।

उपासना- और मेरी तो यह पहली चुदाई थी। मैं तो उस खुमारी से दिन-रात बाहर निकल ही नहीं पा रही थी।

विक्रम- फिर ये हमारे लिए लगभग रोज की बात हो गई। सबके सोने के बाद हमारा ये चुदाई घमासान रोज होता।

उपासना- हम दोनों एक दूसरे से इतने खुश थे कि हमने एक दूसरे से शादी का मन भी बना लिया।
 
विक्रम- और इस से पहले कि पिताजी उपासना के लिए लड़का देखना शुरू करते उससे पहले ही मैंने मां के द्वारा उनके कान में यह बात डाल दी कि मैं उपासना से शादी करना चाहता हूं क्योंकि उपासना पिताजी के दोस्त की बेटी थी और आज के इस युग में अच्छा लड़का ढूंढना मुश्किल था जो कि किसी लड़की को दुख ना दे, अतः पिताजी को यह प्रस्ताव अच्छा लगा और हम दोनों की शादी पिताजी ने करवा दी।

राजवीर- वाह ... अब पता लगा कि तुम दोनों की प्रेम कहानी के पीछे इतनी बड़ी कहानी है। मुझे तो लगा तुम दोनों में आंखों ही आंखों में प्यार हुआ होगा और तुमने एक दूसरे से शादी के लिए हामी भर दी। यह सचमुच मेरे लिए हैरानी की बात है। मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरे आस-पास इतना सब कुछ घटित हो रहा है और मैं इन सब खबरों से बेखबर हूं।

विक्रम- यह तो कुछ नहीं भैया, लेकिन अब जो खबर मैं आपको सुनाने जा रहा हूं वह तो आपके होश उड़ा देगी।

राजवीर- क्या कहा?? अभी भी कुछ ऐसा बाकी है जो मेरे होश उड़ाने वाला है? मेरे लिए तो यह सब ही बहुत है।

उपासना- अभी तो देखते जाइए राज भैया, हमने आपके लिए कितने सारे राज का पिटारा बंद कर रखा था। एक-एक करके खोले जा रहे हैं।

राजवीर- तो खोलिए पिटारा ... मैं भी तैयार हूं सारे राज का सामना करने के लिए। आखिर मेरा नाम राजवीर है। बड़े-बड़े राज पर वीरता प्राप्त करने वाला हूं मैं।

उपासना- तो सुनिए, बीती रात जो हुआ मतलब विक्रम और आपके शराब पीने के बाद गलती से मेरे कमरे में आ जाना और मेरे साथ यौन संबंध बनाना। ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। यह सब मेरा और विक्रम का किया हुआ नाटक था ताकि हम इस स्थिति में पहुंचे कि साथी अदला-बदली की बातें आसानी से कर सकें।

मैं उपासना की यह बात सुनकर स्तब्ध रह गया। जिस घटना के लिए मैं 2 दिन से ग्लानि महसूस कर रहा था वह कुछ घटित हुआ ही नहीं था।

मैंने विक्रम से पूछा- ऐसा नाटक करने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी?

विक्रम- भैया, मुझे माफ करना। हमारी शादी के कुछ समय बाद जब तृप्ति भाभी और आप जयपुर आ गए तब हमारे बिजनेस की भागदौड़ मुझे संभालनी पड़ी। बिजनेस के सिलसिले में मुझे हमारे पुराने दुश्मन और आपके पुराने दोस्त रणवीर से मुलाकात करनी होती थी क्योंकि आप दोनों अब दोस्त थे तो मैंने भी उनसे अच्छा व्यवहार किया और उन्होंने भी मुझसे अच्छा व्यवहार किया। इस तरह हमारी थोड़े दिनों में अच्छी दोस्ती हो गई हम कहीं बाहर घरवालों से छुप कर शराब पार्टी करते थे। रणवीर आपको बहुत याद करता था। एक बार हम शराब के नशे में थे। रणवीर के मुंह से निकला कि राजवीर के साथ तृप्ति भी बहुत अच्छी है। लेकिन जहां तक मेरे ज्ञान का सवाल था मुझे यही पता था कि रणवीर और तृप्ति भाभी की कभी मुलाकात नहीं हुई है। इस पर मैंने रणवीर से पूछा कि आप तृप्ति भाभी से कब मिले? पहले तो रणवीर ने मुझे कुछ ना बता कर बात को टालने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर जब मैंने उन्हें दोस्ती का वास्ता दिया तो जो पता चला उसे सुनकर मेरे होश उड़ गए। रणवीर ने मुझे आप दोनों के पहले वाले याराना की कहानी सुनाई मतलब कि किस तरह आप ने घर से दूर जाकर अपनी बीवियों की अदला-बदली करके मजे लिए। रणवीर ने मुझे कसम दी कि मुझे यह बात पता है लेकिन यह बात मेरे अलावा किसी तीसरे व्यक्ति को पता नहीं चले। रणवीर की और आप की पहली अदला-बदली की चुदाई वाली घटना को सुनकर मेरी रातों की नींद उड़ गई थी।

मैं सोच में पड़ गया था कि क्या राजवीर भैया ऐसा कर सकते हैं? इस बात पर मुझे कभी विश्वास नहीं हो रहा था और इस कार्यक्रम में तृप्ति भाभी भी शामिल हुई। सच बताऊं तो तृप्ति भाभी है ही इतनी सेक्सी कि उनके बारे में यह बात सुनकर मेरे मन में उनके प्रति एक बार फिर से वासना ने घर कर लिया। मैं दिन-रात तृप्ति भाभी के बारे में सोचने लगा कि मैं प्रेमी होकर भी तृप्ति भाभी की चुदाई नहीं कर सका किंतु आपने बड़ी होशियारी से रणवीर की पत्नी को चोदने के लिए रणवीर को तृप्ति भाभी को सौंप दिया। सच बताऊं तो आपकी पहली अदला-बदली वाली घटना इतनी रोमांचक थी कि उसके बारे में जितना सोचो कम था।
 
जब भी रणवीर और हम मिलते तो हम उस घटना के बारे में जरूर बात करते। एक दिन पता चला कि आपकी फोन पर रणवीर से बात हुई है। रणवीर ने मुझे बताया कि राजवीर बड़ा खुशनसीब है जो उसे शादी के बाद इतनी अच्छी अच्छी सुंदरियों की चुदाई करने का भरपूर मौका मिल रहा है। उसने मुझे बताया है कि पहले वाले अदला-बदली के याराना के बाद अब राजवीर जयपुर में अपने साले श्लोक और सीमा की अदला-बदली वाली चुदाई का आनंद ले रहे हैं। समझ नहीं आ रहा था कि मेरे जीवन में इतने सरप्राइज़ एक के बाद एक कैसे सामने आ रहे हैं। मेरी प्रेमिका तृप्ति जो कि एक पतिव्रता नारी थी वह अपने साथी बदल-बदल कर चुदाई करवा रही थी और बड़ी हैरानी की बात तो यह थी कि अबकी बार वह अपने भाई से ही अपनी चूत की खुजली मिटवा रही थी। आप भी राज भैया! मान गए आपको ... आपने एक भाई को बहनचोद बनवा दिया और यहां जिंदगी के मजे ले रहे थे।

तब मैंने भी ठान लिया कि अब कुछ भी हो जाए यह अदला-बदली का सुख मुझे भी अपने जीवन में ग्रहण करना है। वैसे भी उपासना तो आपके लंड की दीवानी थी ही। तृप्ति भाभी को भी अगर पुराना प्यार मिल जाए तो बात ही क्या हो क्योंकि अब तो वह पतिव्रता नारी बिगड़ गई है तो क्यों न प्रेमी-प्रेमिका का अधूरा मिलन पूरा हो जाए। अतः मैंने पिताजी से बात की और कहा कि यहां बिजनेस के उत्पादन के कार्य में मेरी पढ़ाई काम नहीं आ रही है अतः मुझे भी राज भैया की तरह मार्केटिंग करने के लिए जयपुर जाना है। पिताजी ने चंद पैसे लगवा कर बिजनेस को अहमदाबाद में शुरू करवाया और मैंने बड़ी चालाकी से श्लोक और सीमा को वहां भिजवाया। ताकि यहां उनकी अदला-बदली चुदाई मंडली की जगह हम दोनों ले सकें। जैसे जैसे मुझे आपके राज रणवीर से पता चलते गए यह सब उपासना को बताता गया क्योंकि हम पति-पत्नी कम और दोस्त ज्यादा थे। मुझे जब से आपके, श्लोक और सीमा की अदला-बदली की चुदाई की बात पता चली तभी मैंने उपासना को यह सब बता दिया था।

पता है? जब हम रात की चुदाई करते हैं तो मैं उपासना को तृप्ति और तृप्ति मुझे राजवीर कहकर बुलाती थी और हम अपने ख्यालों में आपके साथ ही बदल कर चुदाई करते थे। इस चुदाई कार्यक्रम में हमें जो मजा आता था उसे हम बयान नहीं कर सकते। हमने कई बार ख्वाबों में आपके साथ साथी बदल कर चुदाई की है। फिर जब हम जयपुर आए तो हमें लगा कि हमारा सपना साकार होने वाला है किंतु हमने जैसा सोचा था वैसा बिलकुल नहीं हुआ। यहां आने के महीनों तक आपने ऐसी कोई बात नहीं की जिससे कि अदला-बदली संभव हो। हमें हमारे अरमानों पर पानी फिरता नजर आने लगा। आप कभी भी उपासना को गंदी नजरों से नहीं देखते थे और तृप्ति भाभी भी उस प्रेमी प्रेमिका वाले किस्से को भूलकर पतिव्रता होने का पूरा नाटक कर रही थी। अतः हमने इस नाटक को अंजाम देने का फैसला किया ताकि कैसे ना कैसे करके सच्चाई बाहर आए और हम इस कार्यक्रम में शामिल हो सकें। किस्मत ने हमारा साथ दिया और तृप्ति भाभी अपने भाई श्लोक के वहां चली गई और फिर जो हुआ वह तो हम सबको पता है।

भैया आप हमसे नाराज तो नहीं हैं ना? हमने आपके साथ इतना बड़ा खेल खेला।

राजवीर- मेरे प्यारे छोटे भाई विक्रम! तुम दोनों से नाराज होकर तुम्हारे इतने बड़े अरमानों पर पानी कैसे फेर सकता हूं? दूसरों की बीवियों की चुदाई करने के लिए मैंने दूसरों के साथ कितने खेल खेले हैं, अगर मुझे और मेरी तृप्ति को पाने के लिए कोई मेरे साथ खेल खेलता है तो मैं इसे कैसे इंकार कर सकता हूं। ओ मेरे प्यारे अदला बदली के नए साथियों, तुम्हारा इस मंडली में स्वागत है। दो याराना के बाद अब तीसरे याराना की बारी आ गई है।

उपासना- ओ भैया ... आप कितने प्यारे हैं।

हम तीनों अपनी जगह से उठे और एक दूसरे को गले लगाया।

विक्रम- तो बताइए भैया! कैसे शुरू करना है। मैं तो उत्तेजना में पागल हुआ जा रहा हूं। क्या आज हम दोनों उपासना की थ्रीसम चुदाई करके इस कार्यक्रम का शुभारंभ करें?

राजवीर- वैसे यह अच्छा विचार है विक्रम, किंतु मुझे लगता है कि उपासना को पहले ही भोग लेने से अदला-बदली करके चुदाई करने का मजा नहीं आएगा। याराना का मजा तो तब ही है जब मैं इधर तुम्हारी बीवी की चुदाई करूं और तुम मेरी बीवी की। एक साथ, साथ-साथ!
 
विक्रम- तो भैया अब ज्यादा इंतजार नहीं होगा। जल्दी से जल्दी तृप्ति भाभी को यहां बुलाइए।

राजवीर- लेकिन तृप्ति को अभी हमारे इस प्लान के बारे में कुछ नहीं पता है। जब वह जानेगी तो हैरान हो जाएगी और पता नहीं क्या प्रतिक्रिया देगी। मुझे इसके बारे में कोई अंदाजा नहीं है। मेरे दिमाग में एक विचार आया है कि हमें किस प्रकार इस अदला-बदली की शुरुआत करनी है।

उपासना- वाह! आज तो मेरे सपने पूरे हो गए। मैं राजवीर भैया के उन विचारों का हिस्सा बनने जा रही हूं जो काफी मजेदार होते थे। तो बताइए कैसे बकरा बनाना है तृप्ति भाभी को?

राजवीर- अभी काफी रात हो गई है, तृप्ति भी सो गई होगी और हमें भी सो जाना चाहिए। सुबह जब मैं तृप्ति से फोन पर बात करूंगा तब इस बात का अनुमान लगाना कि हम क्या करने जा रहे हैं। सच बताता हूं यह काफी मजेदार होगा।

विक्रम- ओ भैया! आपके करामाती दिमाग की नई कारस्तानी देखने के लिए मैं बहुत व्याकुल हूं। इतना कहकर विक्रम खुशी-खुशी, जोर-जोर से यह गीत गाने लगा- यारा तेरी यारी को मैंने तो जहां माना, याद करेगी दुनिया तेरा मेरा याराना ... ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे, छोड़ेंगे दम मगर यह साथ ना छोड़ेंगे।

अगली सुबह हम नाश्ते की मेज पर तीनों मिले। तीनों के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट थी। इधर उपासना और विक्रम दोनों जानना चाहते थे कि अदला-बदली संपन्न करने के लिए मेरे दिमाग में क्या चल रहा है?

मैंने दोनों के सामने ही तृप्ति को फोन लगाया, तृप्ति ने फोन उठाया। इधर मैंने अपना फोन स्पीकर पर लगा दिया, और बात करने लगा।

उधर तृप्ति को पता नहीं था कि हम दोनों की बातें विक्रम और उपासना भी सुन रहे हैं।

मैं- हैलो जान, कैसी हो?

तृप्ति- मैं ठीक हूं, आप कैसे हो राज, यहां भेजने के बाद आप तो मुझे भूल ही गए।

मैं- ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं तुम्हें भूल जाऊं तृप्ति। अपने भाई श्लोक के पास तो तुम गई हो और वहां पर शायद थ्रीसम चुदाई का आनंद भी ले रही हो। मैं तो यहां अकेला हूं।

तृप्ति- जोर से हंसते हुए- हाहाहा ... तुम्हें इतनी जलन हो रही है तो तुम भी आ जाओ राज। थ्रीसम क्या हम फोरसम कर लेंगे!

मैं- हां, विचार तो यही है, लेकिन सीमा और श्लोक के साथ नहीं। कल तुम्हारा जन्मदिन है, और मैंने तुम्हारे लिए यहां एक सरप्राइज़ रखा है। तुम्हें सब कुछ छोड़-छाड़ कर आज ही जयपुर आना है।

तृप्ति- अरे यार, आज एकदम से क्या हो गया? यहां श्लोक और सीमा ने भी मेरे लिए पार्टी रखी है। वे भी मेरे जन्मदिन की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे एकदम से कैसे आ जाऊं?

मैं- ऐसे एकदम से इसलिए आ जाओ क्योंकि मैं तुम्हारा पति हूं। तुम्हारे जन्मदिन को मनाने का पहला अधिकार मेरा है। पहले मेरा मन इस तरह का कार्यक्रम करने का नहीं था, लेकिन अब मेरे दिमाग में एक विचार आया है जिससे कि मैं तुम्हारा यह जन्मदिन सबसे ज्यादा यादगार बना दूंगा, इसलिए तुम्हें आज आना ही होगा।

तृप्ति- ऐसा क्या यादगार देने वाले हो प्रिय राज? जरा हमें भी तो बताइए।

मैं- तो सुनो, मैं तुम्हें वही देने जा रहा हूं जो हम दोनों को अपने जीवन में सबसे ज्यादा लजीज है।

तृप्ति- और वो क्या?

मैं- पति बदल कर चुदाई।

तृप्ति आश्चर्यचकित होते हुए- ओ गॉड और वह किसके साथ? सीमा और श्लोक तो यहां हैं, तो फिर तुम मुझे वहां क्यों बुला रहे हो?

मैं- सीमा और श्लोक के साथ तो तुम थ्रीसम चुदाई कर ही रही हो, उसमें क्या सरप्राइज़ है। मेरे पास यहाँ तुम्हारे लिए यहां एक नया जोड़ा है।

तृप्ति- क्या? कौन सा नया जोड़ा?

मैं- सुनो मेरी बात। रात में मैंने एक नए जोड़े का इंतजाम किया है जिसके साथ मिलकर हम अदला-बदली की चुदाई करके तुम्हारा जन्मदिन मनाएंगे।

तृप्ति- अच्छा तो कहीं तुमने रणवीर और प्रिया को तो नहीं बुला लिया?

मैं- नहीं यार, मैंने कहा न जोड़ा नया है। जिसके साथ हमने पहले कभी चुदाई नहीं की है।

तृप्ति- यार किसको बुला लिया आपने राज? वह भी अपने घर पर! कल को यह बात दूसरे लोगों को पता चली तो कहीं दिक्कत तो नहीं हो जाएगी? आप मुझे बताइए पहले कि वह कौन है? पता नहीं कोई अनजान जोड़ा हमारी इज्जत के लिए खतरा न बन जाए।

मैं- क्या यार जानू, तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं? सारी चिंताएं अपने दिमाग से निकाल दो और केवल मजे पर ध्यान दो कि आज रात जब तुम्हारा जन्मदिन शुरू हो तब हम किसी नए जोड़े के साथ बीवियां और पति बदलकर चुदाई कर रहे होंगे। क्या तुम्हारे लिए उत्तेजना की बात नहीं है?
 
तृप्ति- जी, उत्तेजना की बात तो है, चलो ठीक है। सारी चिंता मैं आपके जिम्मे छोड़कर केवल अदला-बदली की चुदाई के आनंद के बारे में सोचती हूं। आशा है आपका सरप्राइज उतना ही बेहतर होगा जितना कि मैं सोच रही हूं और थैंक्यू राज, इस तोहफे के बारे में तो मैंने नहीं सोचा था अब देखते हैं कि आपका तोहफा कितना मजेदार है।

मैं- तो ठीक है तृप्ति। श्लोक और सीमा को इस चुदाई के बारे में अभी पता नहीं चले। उनसे बस यह कह देना कि राजवीर ने मेरे लिए कोई सरप्राइज़ रखा है इसलिए वह मुझे आज रात जयपुर में चाहते हैं। श्लोक से बोलो कि वह दोपहर की फ्लाइट पकड़ा दे, इस तरह तुम शाम को यहां पहुंच जाओगी।

तृप्ति- ठीक है जानू, शाम को मिलते हैं। बाय ... आई लव यू।

मैं- आई लव यू टू तृप्ति।

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जैसे ही फोन काटा विक्रम और उपासना दोनों जोर से चिल्लाकर मेरे करीब आए और मुझे गले लगा लिया और 'शाम को क्या करना है' इसके बारे में पूछने लगे।

मैंने उपासना से कहा- तुम घर को अच्छी तरह से सजा दो। खुशबू का माहौल बना दो। शाम 7:00 बजे तक तृप्ति यहां आ जाएगी, अतः तुम्हें यहां से निकलना होगा। विक्रम तुम्हें तृप्ति के आने से पहले यहां से होटल ले जाएगा, वहां तुम दोनों तैयार होकर करीब रात 11:30 बजे घर पर आ जाना। अभी विक्रम और मैं दोनों ऑफिस जा रहे हैं। रात को 11:30 बजे आकर तुम्हें क्या करना है वह मैं विक्रम को समझा दूंगा और विक्रम तुम्हें शाम को होटल में सब समझा देगा।

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नाश्ता करने के बाद मैं और विक्रम दोनों ऑफिस के लिए निकल गए और फ्लैट को सुंदर और संवारने की जिम्मेदारी उपासना पर छोड़ गए।

(मैं आपका राजवीर, आप सब मुझसे तो परिचित हैं ही। आकर्षक छवि और ठीक-ठाक सूरत वाला व्यक्ति हूं जो लड़कियो को पसंद है. उनके लिए करीब 7 इन्च का सामान्य लिंग है जो मोटाई में सामान्यतः और व्यक्तियों के लिंग से मोटा है।

तृप्ति 'याराना' की पुरानी खिलाड़ी और पात्र है। इसलिये आप उससे परिचित होंगे। संजना खान के जैसे चहरे और तमन्ना भाटिया के जैसी शरीर की मालकिन है तृप्ति। लंबाई में और कमर व पेट से बिल्कुल जैसे तमन्ना भाटिया ही है। उसके आकर्षक पेट के नीचे शानदार आकार लिए हुए फैली हुई गांड आंखों से लेकर लंड तक सुरसुरी पैदा कर देती है। बिल्कुल गोरा रंग और गुलाबी स्तन। मेरी रानी की ग़ुलाबी चूत है और उसकी चूत की दरार भी गुलाबी है। सांचे में ढली हुई काम की देवी है तृप्ति। 34-26-34 कुछ यूं ही उसके शरीर का माप है।

विक्रम यूं तो दिखने में वरुण सोबती के जैसा लगता है। उसने भी अपने शरीर को काफी संभाला हुआ है। पतली कमर और वी शेप के सीने के कारण वह किसी मॉडल से कम नहीं लगता जैसा कि उपासना ने बताया था, उसके लिंग की लंबाई साढ़े सात इंच थी जो कि मेरे लिंग से थोड़ी ज्यादा है। इसका मतलब यह था कि तृप्ति को आज नया स्वाद मिलने वाला है।

दोस्तो, अगर उपासना के शरीर और सुंदरता के बारे में जानना है तो आप टेलीविजन अभिनेत्री रश्मि देसाई की कल्पना कर सकते हैं। उपासना केवल शरीर से ही नहीं बल्कि अपने चेहरे से भी रश्मि की तरह लगती है। गोल भरा हुआ चेहरा, भारी स्तन, भारी गांड और पतली कमर। आज से कुछ साल पहले जब उपासना और विक्रम की शादी हुई थी तब उपासना ऐसे शरीर की मालकिन नहीं थी। लेकिन चढ़ती जवानी और विक्रम के स्तन और गांड इस्तेमाल से उपासना का वर्तमान शरीर 35-27-36 हो गया था। ऐसी अप्सरा मेरे लंड की दीवानी थी इस बात को सोच-सोच कर मुझे घमंड होने लगा था।
 
इसमें कोई शक नहीं कि आज विक्रम तृप्ति की चुदाई करके उसकी हालत खराब कर देगा क्योंकि वह तृप्ति के लिए भरा पड़ा है। एक तो तृप्ति गुजरे हुए समय में उसकी प्रेमिका थी तथा दूसरा कारण यह था कि उसके अलावा वह रणवीर और श्लोक से चुदी थी। यह बातें उसे उत्तेजित करने के लिए काफी थीं। वह अपनी भड़ास तृप्ति पर निकालना चाहता था। यह बात मैं अच्छी तरह समझ सकता था।

फिर मैं भी कहां कमी रखने वाला था। तृप्ति के जन्मदिन के मौके पर मुझे भी उपासना जैसे शरीर की मालकिन की चुदाई करने का भरपूर मौका मिल रहा था। मैंने भी मन ही मन ठान लिया था कि आज उपासना को जब उसका पसंदीदा लंड मिलेगा तब उसे चोद-चोद कर उसका बुरा हाल कर दूंगा।)

बाथरूम से बाहर निकलकर तृप्ति और मैंने खाना खाया।

करीब 11:30 बज गए थे। अतः मैं अपने प्लान का शुभारंभ करते हुए तृप्ति को हमारे शयनकक्ष में लेकर गया। तृप्ति ने बहुत उत्तेजित करने वाली नाइटी पहन रखी थी जिसे कि मैंने उतरवा दिया और कहा- मेरे पास इससे भी ज्यादा कुछ नया है। तृप्ति को पता नहीं था कि मैं क्या करने वाला हूं। मैंने उससे उसकी नाइटी खोलने की गुजारिश की। इस पर तृप्ति ने मुझसे इंकार किया कि अदला-बदली वाले जोड़े को मैं पहले देखना चाहूंगी और इस तरह सीधे ही ब्रा और पेंटीमें उन्हें नजर नहीं आना चाहती।

इस पर मैंने तृप्ति से कहा- प्लीज मेरी जान, मेरी बात मानो। मैं जो करने जा रहा हूं वह बहुत ही उत्तेजित, उत्साहित करने वाला और रोमांच से भरपूर है। अतः अपने कपड़े उतार कर पूर्ण रूप से नंगी हो जाओ।

इस पर तृप्ति ने मुझे कहा- प्लीज यार राज, पूर्ण रूप से नंगी नहीं। ब्रा और पेंटी में ठीक रहेगा।

लेकिन मेरे दिमाग में करामाती विचार थे। अतः मैंने ब्रा और पेंटी के लिए हामी भर दी। मैंने तृप्ति को बेड पर लेटने के लिए कहा इस पर तृप्ति ने अपनी नाइटी उतारी और लाल रंग की खूबसूरत ब्रा और पेंटी में पलंग पर सीधी पीठ के बल लेट गई और इंतजार करने लगी कि मैं क्या करने वाला हूं। मैंने अपने लैपटॉप बैग से रबड़ वाली वह रस्सियां निकाली जो कि आज मैंने इस मौके के लिए खरीदी थीं।

जैसे ही तृप्ति ने यह देखा तो वह समझ गई कि मैं उसे बांधने वाला हूं। इस पर वह उठ बैठी और बोली- नहीं नहीं ... जब तक मैं दूसरे जोड़े को देख ना लूं, मैं तुम्हारे जाल में बंधने वाली नहीं हूं।

मैंने तृप्ति से कहा- यार जान ... तुम बार-बार यह सवाल करके जन्मदिन का पूरा मजा खराब करने वाली हो। देखो 12:00 बजने वाले हैं और तुम्हारा जन्मदिन शुरू होने वाला है और मैं चाहता हूं कि तुम्हें तुम्हारा जन्मदिन शुरू होने का पता कुछ नए अंदाज में चले। जब आज 12:00 बजें और तुम्हारा जन्मदिन शुरू हो तो यह सबसे नई और खास बात से शुरू होना चाहिए जैसा किसी ने पहले नहीं किया हो।

इस पर तृप्ति ने मुझ पर विश्वास करते हुए हामी भर दी। मैंने पहले तृप्ति की टांगें बेड के दोनों सिरों से इस तरह बांधीं कि तृप्ति की टांगें पूर्ण रूप से चौड़ी हों और उसकी गुलाबी चूत के खुले दर्शन आसानी से हो सकें। जैसे-जैसे मेरी तृप्ति को मैं बांध रहा था तब वह बोल रही थी- मुझे तो सोच-सोच कर ही उत्तेजना हो रही है कि आज मैं किसके सामने इस तरह नंगी लेटने जा रही हूँ। कोई आते ही मुझे इस रूप में देखेगा, यह सोच-सोच कर ही मेरी चूत पानी छोड़ने लगी है। इस तरह मैंने तृप्ति के हाथ भी बेड के दोनों सिरों से बांध दिए। अतः तृप्ति के दोनों हाथ और पांव खुली फैली हुई अवस्था में बंधे हुए थे। एक प्रकार से देखो तो तृप्ति पूर्ण रूप से असहाय थी कि कोई भी उसके साथ कुछ भी कर सकता है किंतु यह सब तो तृप्ति की मर्जी से ही हो रहा था, यह किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं थी।

वह इस अवस्था में बंधी थी कि कोई सामने से आकर तृप्ति की चूत को चाट सकता है, चोद सकता है, उसके स्तन चूस सकता है, दबा सकता है, उसके कंधों के नीचे वाली जगह, हम अंग्रेजी में जिसे अंडर आर्म कहते हैं, वहां चुम्बन कर सकता है, उनकी भीनी-भीनी खुशबू ले सकता है। यह वास्तव में एक गजब ही उत्तेजक करने वाला दृश्य था। अब मैंने अपने लैपटॉप बैग में से आंखों की एक पट्टी निकाली तथा उसे तृप्ति की आंखों पर बांध दिया।
 
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