hotaks444
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चाची ने कहा ठीक है और वो लोग फिर से बातें करने लगे, तभी बैठे बैठे मेरा हाथ चाची की बुर पर चला गया और बिना बालो वाली चिकनी बुर जो अभी भी तेल से सनी हुई थी उस पर हाथ फेरने लगा, तो मैने देखा कि चाची ने अपनी जाँघो को थोड़ा सा फैला दिया तो काकी ने पूछा कि क्या हुआ तो चाची ने मेरी ओर देख कर उन्हे हाथ से इशारा कर दिया तो काकी हँसने लगी और कहा “ तो क्या हुआ थोड़ा और खोल ले ताकि बुर पूरी तरह से खुल जाए और पुट्टिया बाहर लटक जाएँ” तो चाची ने वैसा ही किया जिससे चाची की पूरी बुर खुल कर दो फांको मे बँट गई और उनका चमड़ा लटक कर बाहर निकल गया उस दिन पता नही कैसे मुझे पहली बार अपना लंड कुछ कड़ा और तना हुआ महसूस हुआ.
मैने देखा कि चाची की आँखे एकदम लाल हो गयी थी और उनकी बुर काफ़ी गीली हो गई थी, तभी माँ चाइ ले कर वहाँ आ गई और नंगी ही नीचे चटाई पर बैठ गई, ये देख कर मैं तुरंत माँ की गोद मे जाने के लिए चाची की गोद से उठने लगा तो चाची ने मुझे बैठा लिया चाची की दशा देख कर काकी और माँ हँसने लगी, लेकिन चाची कुछ नही बोली और बड़े प्यार से मेरे लंड को चूमते हुए मुझ से बोली “बेटा और डाल अपनी उंगलिया अपनी चाची की बुर मे, तुझे अच्छी लगती है ना मेरी बुर और ये कहते हुए काकी और माँ के सामने ही अपनी जाँघो को पूरा खोल दिया और मेरे हाथो पर अपनी उंगलिया रख कर खुद ही अपनी पुट्टियों को खिचवाने लगी और बुर के छेद मे मेरी उंगलिया दवाने लगी.
और पता नही कैसे ज़ोर से अपने पैरो को सटाते हुए ढीली पड़ गई. माँ और काकी ज़ोर से हँसने लगी पर मेरी समझ मे उस समय कुछ नही आया, थोड़ी देर बैठने के काकी जाने लगी तो चाची ज़ोर से बोली कि “काकी परसों तैयार हो कर आना तुम्हारी जन्नत देखूँगी” तो काकी ने मेरी ओर देख कर पता नही माँ और चाची को क्या इशारा किया कि सब लोग हँसने लगे और माँ बड़े गौर से मेरे लंड को देखने लगी तो चाची ने कहा कि “अब रहने भी दो चलो नहा लो, अब तो डेली ही इस काम का मज़ा लेना है” और हँसती हुई उठने लगी तो माँ ने उनकी खुली हुई गीली बुर देख कर पूछा कि तुझे क्या हो गया था, तो चाची ने कहा कि “काकी छत पर मालिश करते वक्त जाँघो, और बुर को रगड़ रही थी तभी तुमने बिटुवा को हम दोनो की बुर दिखाने के लिए कह दिया.
और सच मे दीदी तुम्हे बिटुवा के सामने अपनी एक बित्ते की बुर और उसमे से लटकती हुई तुम्हारी लंबी सी पुट्टियो को देख कर मैं एकदम गरम हो गई थी, काकी भी मेरी बुर को फैला कर उंगली तो कर रही थी पर मैं झड नही पाई थी और यहाँ नीचे बैठने के बाद जब मैं बिटुवा का लंड सहला रही तो इसका हाथ अचानक मेरी बुर मे चला गया और मैं झड़े बिना नही रह पाई, सच दीदी इतना मज़ा तो जीजा जी से चुदवाने मे भी नही आया है कभी, मैं तो कहती हूँ कि इसका चमड़ा खोलने का चक्कर छोड़ो और चमड़ा कटवाने के बारे मे सोचो, जीजाजी के कौन सा चमड़ा है, पहले तो हम तीनो साथ साथ मज़ा भी लेते थे पर पिछले 7-8 साल से हफ्ते मे एक बार तुम्हे चोदेन्गे तो दूसरे हफ्ते मे एक बार मुझे.
और फिर जब बिटुवा का लंड कट जाए गा तो देख भाल भी हम दोनो को ही करनी है तो मज़ा भी हम दोनो को ही आएगा, अभी ये 11 साल का है तुम 40 और मैं 37 की, कम से कम आगे तो मज़ा करेंगे, अच्छा चलो नहा लो नही तो देर हो जाए गी, फिर माँ भी उठ गई और मुझे और चाची को साथ ले कर हॅंड पाइप के पास पीढ़े पर बैठ गई, तो चाची ने कहा कि तुम इसे नहला दो तबतक मैं कपड़े धो देती हूँ. फिर माँ मुझे नीचे बैठा कर नहलाने लगी, चूँकि वो भी काफ़ी गरम हो गई थी जिसकी वजह से उसकी बुर पूरी खुली थी और उसमे से चमड़े का एक लंबा और चौड़ा टुकड़ा लटक रहा था.
मैं बड़े ध्यान से उसे देख रहा था कि चाची मुझे देख कर मुस्कुराते हुए माँ से बोली “देखा दीदी इसे भी अब बुर देख ने का शौक लग गया है” और मुझसे बोली कि “ देख ले बेटा ध्यान से देख ले, इसी के पीछे पूरी दुनिया पागल है,” तभी माँ उठने लगी तो चाची ने पूछा क्या हुआ तो माँ बोली कि पेशाब करना है तो चाची बोली कि “अब क्या उठना और बैठना अब तो जो कुछ भी करो बिटुवा के सामने वही बैठे बैठे करो उसको भी आदत पड़ जाए गी” और हँसने लगी.
तभी छत पर से रश्मि दीदी उतर कर पेशाब करने आ गई जो काफ़ी देर से सो रही थी, हालाँकि दीदी के सामने भी माँ और चाची नगी ही नहाती थी और दीदी को भी हम सब के लिए नंगे देखना नॉर्मल था पर जब उन्होने हम सब को नंगे आँगन मे नहाते और हंसते हुए देखा तो पूछने लगी कि क्या हुआ, तो माँ चाची से हंसते बोली कि लो अब इसे पूरी कहानी समझाओ, तो चाची ने दीदी से पूछा कि तू यहाँ क्या करने आई है तो दीदी ने कहा कि पेशाब करने इतना सुनते ही मैं, माँ और चाची हँसने लगे, तभी चाची माँ से बोली लो दीदी तुम्हारा साथ देने एक और आ गई.
तो रश्मि दीदी ने चाची से कहा “बोलो ना माँ क्या हुआ” तो चाची ने कहा कि कुछ नही बस तू मूत और जाकर फिर से सो जा जब इंतज़ाम हो जाए गा तो तुझे भी मौका मिलेगा मज़ा लेने का. फिर दीदी ने कुर्ता उठाया और नाडा खोल कर पायजामा नीचे कर दिया और वहीं आँगन मे हम लोगो के सामने बैठ कर मूतने लगी, ये देख कर मैं भी मूतने लग गया तो चाची बोली कि अब तुम भी शुरू हो जाओ दीदी, जब सारे ही कर रहे है तो तुम क्यो बैठी हो और वो दोनो हँसने लगी और माँ भी पीढ़े पर बैठे बैठे मूतने लगी, मैने देखा कि माँ की बुर का जो चमड़े का हिस्सा बाहर निकला हुआ था वो पेशाब की धार के साथ साथ हिल रहा पर रश्मि दीदी की बुर से केवल एक छोटा सा लाल हिस्सा बाहर निकला था और उनकी बुर के दोनो होंठ सटे थे.
तो मैने माँ से कहा माँ दीदी की बुर पर तुम्हारी बुर की तरह कोई चमड़ा नही दिखाई दे रहा है क्यों,” तो रश्मि दीदी भी कभी अपनी बुर को देखती और कभी माँ की बुर को, फिर उन्होने ने भी चाची से पूछा कि “हां माँ मेरी बुर मे से तुम्हारी या मौसी की तरहा कोई चमड़ा नही लटका है” तो चाची बोली कि तू अभी जाके सो जा तुझे बाद मे समझाउंगी, और माँ और चाची हँसने लगी, तभी रश्मि दीदी उठ कर चली गयी. तो मैने माँ से पूछा कि माँ दीदी का चमड़ा कहाँ गया तो चाची बोली “अरे बेटा ये चमड़ा तो बड़े भाग्य से निकलता है और जब तू बड़ा हो जाए गा तो सब समझ मे आजाए गा अभी तो तू बस बर देख और मौज़ कर.
तभी माँ ने मुझे खड़ा कर दिया और अपने हाथो मे साबुन लेकर मेरे लंड पर लगाने लगी, ये देख कर चाची बोली – दीदी ध्यान से रगडो अभी तो इससे बहुत काम करना है और माँ और चाची हँसने लगी. फिर माँ ने मुझे नहलाने के बाद बरांडे मे भेज दिया और खुद नहाने लग गई, मैने देखा कि माँ आज अपनी बुर को कुछ ज़यादा ही फैला कर साबुन लगा रही थी.
थोरी देर के बाद माँ और चाची दोनो ही नहा कर आ गई और पेटिकोट और ब्लॉज पहेन कर घर का काम करने लगी और मुझे खाना खिला कर आराम करने के लिए रश्मि दीदी के पास भेज दिया. जब मैं दीदी के पास गया तो वो सो रही थी तो मैं भी उनके बगल मे लेट गया, तभी रश्मि दीदी जाग गई और मुझसे सारी बाते पूछने लगी उस समय उनकी उमर 18 साल के आस पास थी, मैने उन्हे काकी से लेकर अब तक की सारी बाते बता दी और ये भी कह दिया कि चाची ने मुझसे अपनी बुर मे उंगली करवाई है तो पता नही दीदी को क्या हुआ कि उन्हो ने भी अपना पायजामा उतार दिया और अपनी बुर को फैला कर उंगली से रगड़ने लगी, मैने पूछा तो वो कहने लगी कि तू अभी नही समझेगा सोजा फिर मैं सो गया. रात को जब मैं जगा तो पिताजी आ गये थे और माँ और चाची उनके पास बैठी बाते कर के खूब हंस रही थी, मुझे देख कर चाची बोली लो आ गया आपका लाड़ला, और मुझे अपने पास बुला कर मेरा कुर्ता उपर कर दिया चूँकि माँ सोते समय मेरी पैंट उतार देती थी इसलिए
मैं नंगा ही था, तभी माँ ने मुझे बेड पर खड़ा कर दिया और मेरे लंड को पिताजी की तरफ कर के सुपाडे का छेद और चमड़ा दिखाने लगी और धीमे से खोलने की कोशिश करने लगी, जब वो मेरा चमड़ा खोलने लगी तो मुझे फिर दर्द होने लगा, और मैं रोने लगा. ये देख कर चाची ने कहा रहने दो दीदी जैसा काकी कहती है वैसा ही करो नही तो कुछ हो गया तो परेशानी बढ़ जाए गी, तो माँ ने चाची से कहा कि अच्छा तू एक काम कर कि लेजा कर थोड़ा ठंडा तेल इसके सुपाडे पर लगा दे तो इसका दर्द कम हो जाए गा और रश्मि से चाइ भेज दे, ये सुन कर चाची मुझे लेकर किचन मे चली आई और चाइ बना कर रश्मि दीदी से माँ के पास भेज दिया और मुझे लेकर उपर के कमरे मे आ गई और मुझे चारपाई पर खड़ा कर दिया और आलमरी से तेल लेकर चारपाई पर बैठ गई, चूँकि चाची ने केवल पेटिकोट और ब्लॉज ही पहन रखा था तो जब वो बैठी तो उनके नाडे के नीचे वाले पेटीकोत का हिस्सा जो काफ़ी खुला था, और चाची अपना एक पैर उठा कर चारपाई पे रखा हुआ था जिससे उनकी बुर का उभरा हुआ हिस्सा दिखाई पड़ रहा था,
तब तक मैं दिन की सारी घटनाओं को जोड़ कर सारी कहानी कुछ कुछ समझ चुका था. जब मैने चाची की बुर को देखा तो मुझे मेरा लंड फिर से कड़ा होता हुआ महसूस हुआ तभी चाची मेरे सुपाडे को अपने चेहरे के पास लाते हुए उसे मूह सटा कर फूँकने लगी और जानभुज कर मेरे सुपाडे पर अपने होंठ सटाने लगी फिर अचानक उन्होने मेरे सुपाडे को मूह मे भर लिया और चूसने लगी और एक हाथ से अपनी बुर खुजलने लगी, ये देख कर मैने जानबूझ कर चाची से पूछा कि क्या मैं तुम्हारी सूसू मे फिर उंगली डालूं, तो चाची ने मुझसे पूछा कि “क्या मुझे दोपहर मे मेरी बुर मे उंगली करना अच्छा लगा” तो मैने कहा “हां, अच्छा चाची तुम इसे सूसू क्यों नही कहती हो” तो चाची ने हंस कर कहा “अरे बेटा तुम लड़को के सूसू को लंड कहते है और हम औरतो के सूसू को बुर कहते है” तो मैने पूछा कि “क्या रश्मि दीदी का सूसू भी बुर कहलाएगा” तो चाची हंसते हुए बोली “हां रश्मि दीदी की सूसू भी बुर कहलाए गी तेरी माँ की बुर कहलाएगी”तो मैने कहा “लेकिन रश्मि दीदी की बुर मे से तो माँ और तुम्हारी तरह कोई चमड़ा नही लटका है”
तो चाची बोली “लगता है तू सारी बात आज ही सीखना चाहता है, और अपनी बुर को फिर से फैलाते हुए लंबे चमड़े को हाथ से खींचते हुए कहा, ये जो मेरी बुर से चमड़ा बाहर निकला हैना वैसे ही तुम्हारी माँ की बुर से भी बाहर निकला है, इसे चमड़ा नही कहते है इसे प्यार से पुट्टी कहते है और तेरी रश्मि दीदी की बुर मे से ये पुट्टी इसलिए बाहर नही आई है क्यों कि उसकी चुदाई नही हुई है, अब तू पूछेगा कि चुदाई क्या होती है तो सुन जब तेरे पापा तेरी मम्मी की बुर मे अपना लंड डाल कर हिलाते है तो उसे चुदाई कहते है” तो मैने पूछा कि फिर तुम्हारी बुर से क्यो इतनी बड़ी पुट्टी बाहर निकली है तो वो बोली “अरे मैं भी तो तेरे पापा से चुदवाती हूँ”.
मैने देखा कि चाची की आँखे एकदम लाल हो गयी थी और उनकी बुर काफ़ी गीली हो गई थी, तभी माँ चाइ ले कर वहाँ आ गई और नंगी ही नीचे चटाई पर बैठ गई, ये देख कर मैं तुरंत माँ की गोद मे जाने के लिए चाची की गोद से उठने लगा तो चाची ने मुझे बैठा लिया चाची की दशा देख कर काकी और माँ हँसने लगी, लेकिन चाची कुछ नही बोली और बड़े प्यार से मेरे लंड को चूमते हुए मुझ से बोली “बेटा और डाल अपनी उंगलिया अपनी चाची की बुर मे, तुझे अच्छी लगती है ना मेरी बुर और ये कहते हुए काकी और माँ के सामने ही अपनी जाँघो को पूरा खोल दिया और मेरे हाथो पर अपनी उंगलिया रख कर खुद ही अपनी पुट्टियों को खिचवाने लगी और बुर के छेद मे मेरी उंगलिया दवाने लगी.
और पता नही कैसे ज़ोर से अपने पैरो को सटाते हुए ढीली पड़ गई. माँ और काकी ज़ोर से हँसने लगी पर मेरी समझ मे उस समय कुछ नही आया, थोड़ी देर बैठने के काकी जाने लगी तो चाची ज़ोर से बोली कि “काकी परसों तैयार हो कर आना तुम्हारी जन्नत देखूँगी” तो काकी ने मेरी ओर देख कर पता नही माँ और चाची को क्या इशारा किया कि सब लोग हँसने लगे और माँ बड़े गौर से मेरे लंड को देखने लगी तो चाची ने कहा कि “अब रहने भी दो चलो नहा लो, अब तो डेली ही इस काम का मज़ा लेना है” और हँसती हुई उठने लगी तो माँ ने उनकी खुली हुई गीली बुर देख कर पूछा कि तुझे क्या हो गया था, तो चाची ने कहा कि “काकी छत पर मालिश करते वक्त जाँघो, और बुर को रगड़ रही थी तभी तुमने बिटुवा को हम दोनो की बुर दिखाने के लिए कह दिया.
और सच मे दीदी तुम्हे बिटुवा के सामने अपनी एक बित्ते की बुर और उसमे से लटकती हुई तुम्हारी लंबी सी पुट्टियो को देख कर मैं एकदम गरम हो गई थी, काकी भी मेरी बुर को फैला कर उंगली तो कर रही थी पर मैं झड नही पाई थी और यहाँ नीचे बैठने के बाद जब मैं बिटुवा का लंड सहला रही तो इसका हाथ अचानक मेरी बुर मे चला गया और मैं झड़े बिना नही रह पाई, सच दीदी इतना मज़ा तो जीजा जी से चुदवाने मे भी नही आया है कभी, मैं तो कहती हूँ कि इसका चमड़ा खोलने का चक्कर छोड़ो और चमड़ा कटवाने के बारे मे सोचो, जीजाजी के कौन सा चमड़ा है, पहले तो हम तीनो साथ साथ मज़ा भी लेते थे पर पिछले 7-8 साल से हफ्ते मे एक बार तुम्हे चोदेन्गे तो दूसरे हफ्ते मे एक बार मुझे.
और फिर जब बिटुवा का लंड कट जाए गा तो देख भाल भी हम दोनो को ही करनी है तो मज़ा भी हम दोनो को ही आएगा, अभी ये 11 साल का है तुम 40 और मैं 37 की, कम से कम आगे तो मज़ा करेंगे, अच्छा चलो नहा लो नही तो देर हो जाए गी, फिर माँ भी उठ गई और मुझे और चाची को साथ ले कर हॅंड पाइप के पास पीढ़े पर बैठ गई, तो चाची ने कहा कि तुम इसे नहला दो तबतक मैं कपड़े धो देती हूँ. फिर माँ मुझे नीचे बैठा कर नहलाने लगी, चूँकि वो भी काफ़ी गरम हो गई थी जिसकी वजह से उसकी बुर पूरी खुली थी और उसमे से चमड़े का एक लंबा और चौड़ा टुकड़ा लटक रहा था.
मैं बड़े ध्यान से उसे देख रहा था कि चाची मुझे देख कर मुस्कुराते हुए माँ से बोली “देखा दीदी इसे भी अब बुर देख ने का शौक लग गया है” और मुझसे बोली कि “ देख ले बेटा ध्यान से देख ले, इसी के पीछे पूरी दुनिया पागल है,” तभी माँ उठने लगी तो चाची ने पूछा क्या हुआ तो माँ बोली कि पेशाब करना है तो चाची बोली कि “अब क्या उठना और बैठना अब तो जो कुछ भी करो बिटुवा के सामने वही बैठे बैठे करो उसको भी आदत पड़ जाए गी” और हँसने लगी.
तभी छत पर से रश्मि दीदी उतर कर पेशाब करने आ गई जो काफ़ी देर से सो रही थी, हालाँकि दीदी के सामने भी माँ और चाची नगी ही नहाती थी और दीदी को भी हम सब के लिए नंगे देखना नॉर्मल था पर जब उन्होने हम सब को नंगे आँगन मे नहाते और हंसते हुए देखा तो पूछने लगी कि क्या हुआ, तो माँ चाची से हंसते बोली कि लो अब इसे पूरी कहानी समझाओ, तो चाची ने दीदी से पूछा कि तू यहाँ क्या करने आई है तो दीदी ने कहा कि पेशाब करने इतना सुनते ही मैं, माँ और चाची हँसने लगे, तभी चाची माँ से बोली लो दीदी तुम्हारा साथ देने एक और आ गई.
तो रश्मि दीदी ने चाची से कहा “बोलो ना माँ क्या हुआ” तो चाची ने कहा कि कुछ नही बस तू मूत और जाकर फिर से सो जा जब इंतज़ाम हो जाए गा तो तुझे भी मौका मिलेगा मज़ा लेने का. फिर दीदी ने कुर्ता उठाया और नाडा खोल कर पायजामा नीचे कर दिया और वहीं आँगन मे हम लोगो के सामने बैठ कर मूतने लगी, ये देख कर मैं भी मूतने लग गया तो चाची बोली कि अब तुम भी शुरू हो जाओ दीदी, जब सारे ही कर रहे है तो तुम क्यो बैठी हो और वो दोनो हँसने लगी और माँ भी पीढ़े पर बैठे बैठे मूतने लगी, मैने देखा कि माँ की बुर का जो चमड़े का हिस्सा बाहर निकला हुआ था वो पेशाब की धार के साथ साथ हिल रहा पर रश्मि दीदी की बुर से केवल एक छोटा सा लाल हिस्सा बाहर निकला था और उनकी बुर के दोनो होंठ सटे थे.
तो मैने माँ से कहा माँ दीदी की बुर पर तुम्हारी बुर की तरह कोई चमड़ा नही दिखाई दे रहा है क्यों,” तो रश्मि दीदी भी कभी अपनी बुर को देखती और कभी माँ की बुर को, फिर उन्होने ने भी चाची से पूछा कि “हां माँ मेरी बुर मे से तुम्हारी या मौसी की तरहा कोई चमड़ा नही लटका है” तो चाची बोली कि तू अभी जाके सो जा तुझे बाद मे समझाउंगी, और माँ और चाची हँसने लगी, तभी रश्मि दीदी उठ कर चली गयी. तो मैने माँ से पूछा कि माँ दीदी का चमड़ा कहाँ गया तो चाची बोली “अरे बेटा ये चमड़ा तो बड़े भाग्य से निकलता है और जब तू बड़ा हो जाए गा तो सब समझ मे आजाए गा अभी तो तू बस बर देख और मौज़ कर.
तभी माँ ने मुझे खड़ा कर दिया और अपने हाथो मे साबुन लेकर मेरे लंड पर लगाने लगी, ये देख कर चाची बोली – दीदी ध्यान से रगडो अभी तो इससे बहुत काम करना है और माँ और चाची हँसने लगी. फिर माँ ने मुझे नहलाने के बाद बरांडे मे भेज दिया और खुद नहाने लग गई, मैने देखा कि माँ आज अपनी बुर को कुछ ज़यादा ही फैला कर साबुन लगा रही थी.
थोरी देर के बाद माँ और चाची दोनो ही नहा कर आ गई और पेटिकोट और ब्लॉज पहेन कर घर का काम करने लगी और मुझे खाना खिला कर आराम करने के लिए रश्मि दीदी के पास भेज दिया. जब मैं दीदी के पास गया तो वो सो रही थी तो मैं भी उनके बगल मे लेट गया, तभी रश्मि दीदी जाग गई और मुझसे सारी बाते पूछने लगी उस समय उनकी उमर 18 साल के आस पास थी, मैने उन्हे काकी से लेकर अब तक की सारी बाते बता दी और ये भी कह दिया कि चाची ने मुझसे अपनी बुर मे उंगली करवाई है तो पता नही दीदी को क्या हुआ कि उन्हो ने भी अपना पायजामा उतार दिया और अपनी बुर को फैला कर उंगली से रगड़ने लगी, मैने पूछा तो वो कहने लगी कि तू अभी नही समझेगा सोजा फिर मैं सो गया. रात को जब मैं जगा तो पिताजी आ गये थे और माँ और चाची उनके पास बैठी बाते कर के खूब हंस रही थी, मुझे देख कर चाची बोली लो आ गया आपका लाड़ला, और मुझे अपने पास बुला कर मेरा कुर्ता उपर कर दिया चूँकि माँ सोते समय मेरी पैंट उतार देती थी इसलिए
मैं नंगा ही था, तभी माँ ने मुझे बेड पर खड़ा कर दिया और मेरे लंड को पिताजी की तरफ कर के सुपाडे का छेद और चमड़ा दिखाने लगी और धीमे से खोलने की कोशिश करने लगी, जब वो मेरा चमड़ा खोलने लगी तो मुझे फिर दर्द होने लगा, और मैं रोने लगा. ये देख कर चाची ने कहा रहने दो दीदी जैसा काकी कहती है वैसा ही करो नही तो कुछ हो गया तो परेशानी बढ़ जाए गी, तो माँ ने चाची से कहा कि अच्छा तू एक काम कर कि लेजा कर थोड़ा ठंडा तेल इसके सुपाडे पर लगा दे तो इसका दर्द कम हो जाए गा और रश्मि से चाइ भेज दे, ये सुन कर चाची मुझे लेकर किचन मे चली आई और चाइ बना कर रश्मि दीदी से माँ के पास भेज दिया और मुझे लेकर उपर के कमरे मे आ गई और मुझे चारपाई पर खड़ा कर दिया और आलमरी से तेल लेकर चारपाई पर बैठ गई, चूँकि चाची ने केवल पेटिकोट और ब्लॉज ही पहन रखा था तो जब वो बैठी तो उनके नाडे के नीचे वाले पेटीकोत का हिस्सा जो काफ़ी खुला था, और चाची अपना एक पैर उठा कर चारपाई पे रखा हुआ था जिससे उनकी बुर का उभरा हुआ हिस्सा दिखाई पड़ रहा था,
तब तक मैं दिन की सारी घटनाओं को जोड़ कर सारी कहानी कुछ कुछ समझ चुका था. जब मैने चाची की बुर को देखा तो मुझे मेरा लंड फिर से कड़ा होता हुआ महसूस हुआ तभी चाची मेरे सुपाडे को अपने चेहरे के पास लाते हुए उसे मूह सटा कर फूँकने लगी और जानभुज कर मेरे सुपाडे पर अपने होंठ सटाने लगी फिर अचानक उन्होने मेरे सुपाडे को मूह मे भर लिया और चूसने लगी और एक हाथ से अपनी बुर खुजलने लगी, ये देख कर मैने जानबूझ कर चाची से पूछा कि क्या मैं तुम्हारी सूसू मे फिर उंगली डालूं, तो चाची ने मुझसे पूछा कि “क्या मुझे दोपहर मे मेरी बुर मे उंगली करना अच्छा लगा” तो मैने कहा “हां, अच्छा चाची तुम इसे सूसू क्यों नही कहती हो” तो चाची ने हंस कर कहा “अरे बेटा तुम लड़को के सूसू को लंड कहते है और हम औरतो के सूसू को बुर कहते है” तो मैने पूछा कि “क्या रश्मि दीदी का सूसू भी बुर कहलाएगा” तो चाची हंसते हुए बोली “हां रश्मि दीदी की सूसू भी बुर कहलाए गी तेरी माँ की बुर कहलाएगी”तो मैने कहा “लेकिन रश्मि दीदी की बुर मे से तो माँ और तुम्हारी तरह कोई चमड़ा नही लटका है”
तो चाची बोली “लगता है तू सारी बात आज ही सीखना चाहता है, और अपनी बुर को फिर से फैलाते हुए लंबे चमड़े को हाथ से खींचते हुए कहा, ये जो मेरी बुर से चमड़ा बाहर निकला हैना वैसे ही तुम्हारी माँ की बुर से भी बाहर निकला है, इसे चमड़ा नही कहते है इसे प्यार से पुट्टी कहते है और तेरी रश्मि दीदी की बुर मे से ये पुट्टी इसलिए बाहर नही आई है क्यों कि उसकी चुदाई नही हुई है, अब तू पूछेगा कि चुदाई क्या होती है तो सुन जब तेरे पापा तेरी मम्मी की बुर मे अपना लंड डाल कर हिलाते है तो उसे चुदाई कहते है” तो मैने पूछा कि फिर तुम्हारी बुर से क्यो इतनी बड़ी पुट्टी बाहर निकली है तो वो बोली “अरे मैं भी तो तेरे पापा से चुदवाती हूँ”.