Hindi Sex Stories By raj sharma - Page 23 - SexBaba
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चाची ने कहा ठीक है और वो लोग फिर से बातें करने लगे, तभी बैठे बैठे मेरा हाथ चाची की बुर पर चला गया और बिना बालो वाली चिकनी बुर जो अभी भी तेल से सनी हुई थी उस पर हाथ फेरने लगा, तो मैने देखा कि चाची ने अपनी जाँघो को थोड़ा सा फैला दिया तो काकी ने पूछा कि क्या हुआ तो चाची ने मेरी ओर देख कर उन्हे हाथ से इशारा कर दिया तो काकी हँसने लगी और कहा “ तो क्या हुआ थोड़ा और खोल ले ताकि बुर पूरी तरह से खुल जाए और पुट्टिया बाहर लटक जाएँ” तो चाची ने वैसा ही किया जिससे चाची की पूरी बुर खुल कर दो फांको मे बँट गई और उनका चमड़ा लटक कर बाहर निकल गया उस दिन पता नही कैसे मुझे पहली बार अपना लंड कुछ कड़ा और तना हुआ महसूस हुआ.


मैने देखा कि चाची की आँखे एकदम लाल हो गयी थी और उनकी बुर काफ़ी गीली हो गई थी, तभी माँ चाइ ले कर वहाँ आ गई और नंगी ही नीचे चटाई पर बैठ गई, ये देख कर मैं तुरंत माँ की गोद मे जाने के लिए चाची की गोद से उठने लगा तो चाची ने मुझे बैठा लिया चाची की दशा देख कर काकी और माँ हँसने लगी, लेकिन चाची कुछ नही बोली और बड़े प्यार से मेरे लंड को चूमते हुए मुझ से बोली “बेटा और डाल अपनी उंगलिया अपनी चाची की बुर मे, तुझे अच्छी लगती है ना मेरी बुर और ये कहते हुए काकी और माँ के सामने ही अपनी जाँघो को पूरा खोल दिया और मेरे हाथो पर अपनी उंगलिया रख कर खुद ही अपनी पुट्टियों को खिचवाने लगी और बुर के छेद मे मेरी उंगलिया दवाने लगी. 


और पता नही कैसे ज़ोर से अपने पैरो को सटाते हुए ढीली पड़ गई. माँ और काकी ज़ोर से हँसने लगी पर मेरी समझ मे उस समय कुछ नही आया, थोड़ी देर बैठने के काकी जाने लगी तो चाची ज़ोर से बोली कि “काकी परसों तैयार हो कर आना तुम्हारी जन्नत देखूँगी” तो काकी ने मेरी ओर देख कर पता नही माँ और चाची को क्या इशारा किया कि सब लोग हँसने लगे और माँ बड़े गौर से मेरे लंड को देखने लगी तो चाची ने कहा कि “अब रहने भी दो चलो नहा लो, अब तो डेली ही इस काम का मज़ा लेना है” और हँसती हुई उठने लगी तो माँ ने उनकी खुली हुई गीली बुर देख कर पूछा कि तुझे क्या हो गया था, तो चाची ने कहा कि “काकी छत पर मालिश करते वक्त जाँघो, और बुर को रगड़ रही थी तभी तुमने बिटुवा को हम दोनो की बुर दिखाने के लिए कह दिया. 


और सच मे दीदी तुम्हे बिटुवा के सामने अपनी एक बित्ते की बुर और उसमे से लटकती हुई तुम्हारी लंबी सी पुट्टियो को देख कर मैं एकदम गरम हो गई थी, काकी भी मेरी बुर को फैला कर उंगली तो कर रही थी पर मैं झड नही पाई थी और यहाँ नीचे बैठने के बाद जब मैं बिटुवा का लंड सहला रही तो इसका हाथ अचानक मेरी बुर मे चला गया और मैं झड़े बिना नही रह पाई, सच दीदी इतना मज़ा तो जीजा जी से चुदवाने मे भी नही आया है कभी, मैं तो कहती हूँ कि इसका चमड़ा खोलने का चक्कर छोड़ो और चमड़ा कटवाने के बारे मे सोचो, जीजाजी के कौन सा चमड़ा है, पहले तो हम तीनो साथ साथ मज़ा भी लेते थे पर पिछले 7-8 साल से हफ्ते मे एक बार तुम्हे चोदेन्गे तो दूसरे हफ्ते मे एक बार मुझे.

और फिर जब बिटुवा का लंड कट जाए गा तो देख भाल भी हम दोनो को ही करनी है तो मज़ा भी हम दोनो को ही आएगा, अभी ये 11 साल का है तुम 40 और मैं 37 की, कम से कम आगे तो मज़ा करेंगे, अच्छा चलो नहा लो नही तो देर हो जाए गी, फिर माँ भी उठ गई और मुझे और चाची को साथ ले कर हॅंड पाइप के पास पीढ़े पर बैठ गई, तो चाची ने कहा कि तुम इसे नहला दो तबतक मैं कपड़े धो देती हूँ. फिर माँ मुझे नीचे बैठा कर नहलाने लगी, चूँकि वो भी काफ़ी गरम हो गई थी जिसकी वजह से उसकी बुर पूरी खुली थी और उसमे से चमड़े का एक लंबा और चौड़ा टुकड़ा लटक रहा था. 



मैं बड़े ध्यान से उसे देख रहा था कि चाची मुझे देख कर मुस्कुराते हुए माँ से बोली “देखा दीदी इसे भी अब बुर देख ने का शौक लग गया है” और मुझसे बोली कि “ देख ले बेटा ध्यान से देख ले, इसी के पीछे पूरी दुनिया पागल है,” तभी माँ उठने लगी तो चाची ने पूछा क्या हुआ तो माँ बोली कि पेशाब करना है तो चाची बोली कि “अब क्या उठना और बैठना अब तो जो कुछ भी करो बिटुवा के सामने वही बैठे बैठे करो उसको भी आदत पड़ जाए गी” और हँसने लगी.


तभी छत पर से रश्मि दीदी उतर कर पेशाब करने आ गई जो काफ़ी देर से सो रही थी, हालाँकि दीदी के सामने भी माँ और चाची नगी ही नहाती थी और दीदी को भी हम सब के लिए नंगे देखना नॉर्मल था पर जब उन्होने हम सब को नंगे आँगन मे नहाते और हंसते हुए देखा तो पूछने लगी कि क्या हुआ, तो माँ चाची से हंसते बोली कि लो अब इसे पूरी कहानी समझाओ, तो चाची ने दीदी से पूछा कि तू यहाँ क्या करने आई है तो दीदी ने कहा कि पेशाब करने इतना सुनते ही मैं, माँ और चाची हँसने लगे, तभी चाची माँ से बोली लो दीदी तुम्हारा साथ देने एक और आ गई.



तो रश्मि दीदी ने चाची से कहा “बोलो ना माँ क्या हुआ” तो चाची ने कहा कि कुछ नही बस तू मूत और जाकर फिर से सो जा जब इंतज़ाम हो जाए गा तो तुझे भी मौका मिलेगा मज़ा लेने का. फिर दीदी ने कुर्ता उठाया और नाडा खोल कर पायजामा नीचे कर दिया और वहीं आँगन मे हम लोगो के सामने बैठ कर मूतने लगी, ये देख कर मैं भी मूतने लग गया तो चाची बोली कि अब तुम भी शुरू हो जाओ दीदी, जब सारे ही कर रहे है तो तुम क्यो बैठी हो और वो दोनो हँसने लगी और माँ भी पीढ़े पर बैठे बैठे मूतने लगी, मैने देखा कि माँ की बुर का जो चमड़े का हिस्सा बाहर निकला हुआ था वो पेशाब की धार के साथ साथ हिल रहा पर रश्मि दीदी की बुर से केवल एक छोटा सा लाल हिस्सा बाहर निकला था और उनकी बुर के दोनो होंठ सटे थे. 



तो मैने माँ से कहा माँ दीदी की बुर पर तुम्हारी बुर की तरह कोई चमड़ा नही दिखाई दे रहा है क्यों,” तो रश्मि दीदी भी कभी अपनी बुर को देखती और कभी माँ की बुर को, फिर उन्होने ने भी चाची से पूछा कि “हां माँ मेरी बुर मे से तुम्हारी या मौसी की तरहा कोई चमड़ा नही लटका है” तो चाची बोली कि तू अभी जाके सो जा तुझे बाद मे समझाउंगी, और माँ और चाची हँसने लगी, तभी रश्मि दीदी उठ कर चली गयी. तो मैने माँ से पूछा कि माँ दीदी का चमड़ा कहाँ गया तो चाची बोली “अरे बेटा ये चमड़ा तो बड़े भाग्य से निकलता है और जब तू बड़ा हो जाए गा तो सब समझ मे आजाए गा अभी तो तू बस बर देख और मौज़ कर. 



तभी माँ ने मुझे खड़ा कर दिया और अपने हाथो मे साबुन लेकर मेरे लंड पर लगाने लगी, ये देख कर चाची बोली – दीदी ध्यान से रगडो अभी तो इससे बहुत काम करना है और माँ और चाची हँसने लगी. फिर माँ ने मुझे नहलाने के बाद बरांडे मे भेज दिया और खुद नहाने लग गई, मैने देखा कि माँ आज अपनी बुर को कुछ ज़यादा ही फैला कर साबुन लगा रही थी.



थोरी देर के बाद माँ और चाची दोनो ही नहा कर आ गई और पेटिकोट और ब्लॉज पहेन कर घर का काम करने लगी और मुझे खाना खिला कर आराम करने के लिए रश्मि दीदी के पास भेज दिया. जब मैं दीदी के पास गया तो वो सो रही थी तो मैं भी उनके बगल मे लेट गया, तभी रश्मि दीदी जाग गई और मुझसे सारी बाते पूछने लगी उस समय उनकी उमर 18 साल के आस पास थी, मैने उन्हे काकी से लेकर अब तक की सारी बाते बता दी और ये भी कह दिया कि चाची ने मुझसे अपनी बुर मे उंगली करवाई है तो पता नही दीदी को क्या हुआ कि उन्हो ने भी अपना पायजामा उतार दिया और अपनी बुर को फैला कर उंगली से रगड़ने लगी, मैने पूछा तो वो कहने लगी कि तू अभी नही समझेगा सोजा फिर मैं सो गया. रात को जब मैं जगा तो पिताजी आ गये थे और माँ और चाची उनके पास बैठी बाते कर के खूब हंस रही थी, मुझे देख कर चाची बोली लो आ गया आपका लाड़ला, और मुझे अपने पास बुला कर मेरा कुर्ता उपर कर दिया चूँकि माँ सोते समय मेरी पैंट उतार देती थी इसलिए


मैं नंगा ही था, तभी माँ ने मुझे बेड पर खड़ा कर दिया और मेरे लंड को पिताजी की तरफ कर के सुपाडे का छेद और चमड़ा दिखाने लगी और धीमे से खोलने की कोशिश करने लगी, जब वो मेरा चमड़ा खोलने लगी तो मुझे फिर दर्द होने लगा, और मैं रोने लगा. ये देख कर चाची ने कहा रहने दो दीदी जैसा काकी कहती है वैसा ही करो नही तो कुछ हो गया तो परेशानी बढ़ जाए गी, तो माँ ने चाची से कहा कि अच्छा तू एक काम कर कि लेजा कर थोड़ा ठंडा तेल इसके सुपाडे पर लगा दे तो इसका दर्द कम हो जाए गा और रश्मि से चाइ भेज दे, ये सुन कर चाची मुझे लेकर किचन मे चली आई और चाइ बना कर रश्मि दीदी से माँ के पास भेज दिया और मुझे लेकर उपर के कमरे मे आ गई और मुझे चारपाई पर खड़ा कर दिया और आलमरी से तेल लेकर चारपाई पर बैठ गई, चूँकि चाची ने केवल पेटिकोट और ब्लॉज ही पहन रखा था तो जब वो बैठी तो उनके नाडे के नीचे वाले पेटीकोत का हिस्सा जो काफ़ी खुला था, और चाची अपना एक पैर उठा कर चारपाई पे रखा हुआ था जिससे उनकी बुर का उभरा हुआ हिस्सा दिखाई पड़ रहा था,

तब तक मैं दिन की सारी घटनाओं को जोड़ कर सारी कहानी कुछ कुछ समझ चुका था. जब मैने चाची की बुर को देखा तो मुझे मेरा लंड फिर से कड़ा होता हुआ महसूस हुआ तभी चाची मेरे सुपाडे को अपने चेहरे के पास लाते हुए उसे मूह सटा कर फूँकने लगी और जानभुज कर मेरे सुपाडे पर अपने होंठ सटाने लगी फिर अचानक उन्होने मेरे सुपाडे को मूह मे भर लिया और चूसने लगी और एक हाथ से अपनी बुर खुजलने लगी, ये देख कर मैने जानबूझ कर चाची से पूछा कि क्या मैं तुम्हारी सूसू मे फिर उंगली डालूं, तो चाची ने मुझसे पूछा कि “क्या मुझे दोपहर मे मेरी बुर मे उंगली करना अच्छा लगा” तो मैने कहा “हां, अच्छा चाची तुम इसे सूसू क्यों नही कहती हो” तो चाची ने हंस कर कहा “अरे बेटा तुम लड़को के सूसू को लंड कहते है और हम औरतो के सूसू को बुर कहते है” तो मैने पूछा कि “क्या रश्मि दीदी का सूसू भी बुर कहलाएगा” तो चाची हंसते हुए बोली “हां रश्मि दीदी की सूसू भी बुर कहलाए गी तेरी माँ की बुर कहलाएगी”तो मैने कहा “लेकिन रश्मि दीदी की बुर मे से तो माँ और तुम्हारी तरह कोई चमड़ा नही लटका है” 

तो चाची बोली “लगता है तू सारी बात आज ही सीखना चाहता है, और अपनी बुर को फिर से फैलाते हुए लंबे चमड़े को हाथ से खींचते हुए कहा, ये जो मेरी बुर से चमड़ा बाहर निकला हैना वैसे ही तुम्हारी माँ की बुर से भी बाहर निकला है, इसे चमड़ा नही कहते है इसे प्यार से पुट्टी कहते है और तेरी रश्मि दीदी की बुर मे से ये पुट्टी इसलिए बाहर नही आई है क्यों कि उसकी चुदाई नही हुई है, अब तू पूछेगा कि चुदाई क्या होती है तो सुन जब तेरे पापा तेरी मम्मी की बुर मे अपना लंड डाल कर हिलाते है तो उसे चुदाई कहते है” तो मैने पूछा कि फिर तुम्हारी बुर से क्यो इतनी बड़ी पुट्टी बाहर निकली है तो वो बोली “अरे मैं भी तो तेरे पापा से चुदवाती हूँ”.
 
मैने कहा कि क्या मैं भी उन्हे चोद सकता हूँ तो वो हंसते हुए बोली “अरे बेटा इसी का जुगाड़ कर रही हूँ बस तेरा ये सुपाडे पर का चमड़ा खुल जाए तो फिर हम सब चुदाई करेंगे, तब तक तेरा लंड भी चुदाई करने लायक बड़ा हो जाए गा. और मेरे सुपाडे पर तेल लगा कर मुझे ले कर नीचे चलने लगी. नीचे माँ पिता जी को खाना खिला रही थी, हमे देख कर माँ ने पूछा कि तेल लगा दिया तो चाची ने कहा हां, और वो भी माँ के साथ हेल्प करने बैठ गयी और मैं नंगा ही रशमी दीदी के साथ खेलने लगा,


तभी माँ ने चाची से कहा की छोटी तू आज इसे अपने पास लेकर सो जा, मैं तो तेरे जीजाजी के पास थोड़ी देर तक खुजली मिटवाउंगी बहुत खुज़ला रही है सुबह से, तो चाची माँ से बोली “लगता है कि बेटे का लंड बुर में लेने को तड़प रही हो” “कोई बात नही आज मैं इसे अपने साथ ही सुलाती हूँ.” तो माँ चाची से बोली “पर देख ज़यादा कुछ मत करना अभी लंड छोटा है इसका और सुपाडा भी नही खुलता है”, तो चाची बोली अरे अभी तो बिना लंड के काम चलालुंगी और हँसने लगी,

उस रात जब मैं चाची के पास सोया तो चाची ने पहली बार मुझ से अपनी बुर और पुट्टिया चटवाई, उनकी पुट्टिया मेरे छोटे से मूह मे पूरी तरह भर गई थी, मुझे बड़ा मज़ा आरहा था, फिर रस्मी दीदी ने भी चाची की बुर मे उंगली डाल कर उनकी चुदाई की, फिर मैं चाची के नंगे बदन पर सो गया और चाची काफ़ी देर तक मेरे लंड और गान्ड के छेद से खेलती रही. अगले दो दिनो तक माँ और चाची मेरे लंड को बारी बारी से तेल लगाती और मूह से फूंकति और चमड़ा पीछे खींचने की कोशिश करती रही, दो दिनो बाद जब माँ ने दोपहर मे मेरे लंड पर तेल लगाना शुरू ही किया था कि काकी आ गई और बाते करते हुए माँ और मेरे पास ही बैठ गयी. 


उन्हे देख कर चाची जो किचन मे थी बाहर आ गई और हंसते हुए बैठ गई, तो माँ ने कहा कि “काकी जब से तुम गई हो हम दोनो इसे तेल लगाते है और इसका चमड़ा खोलते है पर कुछ फ़ायदा नही हुआ” तो काकी हंसते हुए बोली “अरे इतनी जल्दी थोड़े ही होगा अभी तो बस लगाते ही जाओ हो सकता है कि 5-6 महीने मे ही खुल जाए या फिर साल दो साल लग जाए अगर उसके बाद भी चमड़ा पूरा नही फैला तो कटवा देना उपर का चमड़ा.

तभी चाची बोली “सही कह रही हो काकी मैं तो दीदी से उसी दिन से कह रही हूँ कि तेल वेल का चक्कर छोड़ो और सीधे चमड़ा ही कटवा दो क्या फ़र्क पड़ता है” तो काकी बोली “अरे कोई बात नही थोड़े दिन तेल लगा कर देख लेने दो इसी बहाने बेचारे के लंड की मालिश भी हो जाएगी तो लंड भी मजबूत ही होगा, थोड़ा माँ के हाथो को भी बेटे के लंड का आनंद मिल जाए गा, नही तो बड़ा होने पर कौन सा अपना लंड खोल कर तुम लोगो की आगे पीछे टहलेगा, फिर तो इसका लंड देखे भी महीनो बीत जाएँगे,” और तीनो लोग हँसने लगी. 


फिर काकी ने माँ से कहा चलो मालिश की तैयारी करो और इसे भी छत पर ले चलो इसकी भी मालिश कर दूं. मैं भी अब इन बातों का मज़ा लेने लगा था और माँ से कहा “हां माँ जल्दी छत पर चलो फिर काकी से मालिश करवाउन्गा और चाची और तुम भी मालिश करवाना, फिर काकी की बुर भी तो आज चाची देखेंगी” तो चाची बोली “देखो दीदी इसका तो अभी से ये हाल हो गया है, लंड खड़ा नही होता है और बुर पे चढ़ना पहले चाहता है” तो काकी बोली “हां हां बेटा चल आज मैं तुम लोगो की सारी तमन्ना पूरी करूँगी” कह कर हँसने लगी और माँ और काकी साथ साथ पर चलने लगी.


मैं काकी का हाथ पकड़ कर चल रहा था और माँ काकी से बाते कर रही थी, और चाची पीछे से चादर और तेल लेकर आ रही थी कि रश्मि दीदी चाची से बोली कि मा मुझे भी मालिश करानी है तो चाची ने ठीक है दरवाज़ा बंद कर के उपर आ जाओ. छत पर पहुँचने के बाद माँ चाची से चादर लेकर बिछाने लगी माँ उस समय झुकी हुई थी तभी चाची ने मुझे माँ के चुतड़ों की तरफ दिखाते हुए मुझे आँख मारी और अपने पेटिकोट की फटी हुई जगह मे हाथ डाल कर अपनी बुर दिखाने लगी और इशारा किया कि मैं माँ की उठी हुई गान्ड का पेटिकोट हटा कर अपना लंड उनकी गान्ड से सटा दूं, मैने माँ से कह दिया कि माँ माँ देखो चाची ना मुझ से तुम्हारे चूतड़ पर मेरा लंड रगड़ने को कह रही है, ये सुन कर सब हंस पड़े तो काकी ने कहा कि “कुछ दिन और रुक जा बेटा फिर इनकी बुर और गान्ड का मज़ा लेना. 



अभी तो इन्हे अपने प्यारे लंड से खेलने दे”फिर सब लोग नीचे बैठ गये और काकी ने उस दिन की तरह अपनी साड़ी को अपनी जाँघो तक समेट लिया और मुझे अपने पैरो पर लिटा दिया और फिर हाथो मे तेल लगा कर मेरी जाँघो और लंड पर मालिश करने लगी, तो चाची ने माँ से कहा लाओ दीदी तबतक मैं ही तुम्हारे पीठ पर मालिश कर देती हूँ और माँ से पेटिकोट उतारने को कहा, माँ अपना पेटिकोट और ब्लॉज उतार कर अपने पैर सामने की ओर लंबा करके बैठ गई और चाची उनके पीछे माँ के चुतड़ों के दोनो तरफ अपने पैरों को कर के बैठ गई और माँ की पीठ पर तेल लगाने लगी, हालाँकि मैं पीठ के बल काकी के पैरों पर लेटा हुआ था पर मेरा चेहरा माँ और चाची की तरफ था, मुझे चाची की बुर और उनकी लटकी हुई पुट्टिया दिखाई पड़ रही थी, तभी मुझे काकी की बुर देखने वाली बात याद आ गई.



मैं काकी की जाँघो के बीच मे हाथ डालने की कोशिश करने लगा, काकी हँसने लगी लेकिन तभी मैने अपने हाथो को बढ़ा कर काकी की साड़ी उपर उठा दी, और वाकई मे काकी अपनी बुर के बालो को सॉफ कर के ही आई थी, मैं अपने हाथो से काकी की बुर छूने की कोशिस करने लगा तो काकी ने भी मुझे प्यार करते हुए अपनी जाबघो को फैला दिया जिससे उनकी पुट्टिया मेरे हाथो मे आ गई, मैने माँ से कहा कि माँ काकी की भी बुर से तुम्हारी बुर की तरह पुट्टिया बाहर निकली है, तो चाची मुझे चौंक कर देखने लगी और बोली तूने कब देखी, लेकिन तभी अचानक माँ ने मुझसे पूछा कि “तुझे कैसे पता कि इसे बुर और पुट्टी कहते है” मैने कहा चाची ने बताया है, तो काकी ने कहा ये लो तो इसकी मास्टर ये है. 



फिर तभी काकी मेरे सुपाडे पर तेल डाल कर चमड़े को फैला कर फूँकने की कोशिश करने लगी, और मैं भी अपनी कमर उठा कर काकी के मूह से सुपाडा सटाने की कोशिश कर ने लगा, ये देख कर सब लोग हंस पड़े तभी रश्मि दीदी उपर आ गई तो चाची उनसे बोली ये देख अपने भाई की करतूत और काकी से कहा कि “ काकी इसका चमड़ा खुले चाहे ना खुले पर सुपाडे का मज़ा सब को मिल जाए गा,” तो काकी ने कहा कि “चमड़ा काटने के बाद जो मज़ा आए गा वो तो तुम दोनो सोच भी नही सकती हो, अभी तो बस इसके लंड को तेल लगा कर लंबा और मोटा करती रहो, फिर देखना”. फिर चाची ने माँ से कहा जाओ दीदी तुम तेल लगवालो तबतक मैं रश्मि को थोड़ा तेल लगा देती हूँ. 


तो माँ ने कहा कि “अरे तू तो कभी भी लगा सकती है आज काकी आई है तो इनसे लगवा दे कितने दिन हो गये इसे काकी के हाथ से मालिश करवाए हुए” और मुझसे बोली “बेटा तू इधर आजा और अपनी दीदी को तेल लगवाने दे” मैं उठ कर माँ के पास लेट गया और दीदी अपने कपड़े उतार कर काकी के पास लेट गई और काकी उसे तेल लगाने लगी, मैने देखा कि काकी दीदी की बुर को बहुत सावधानी से फैला कर उसमे उंगली से दोनो होंठो पर तेल लगा रही थी तो मैने काकी से पूछा कि “ काकी तुम दीदी की बुर को फैला कर एक उंगली से क्यों तेल लगा रही हो, माँ या चाची की बुर को तो पूरी हथेली से रगड़ती हो और पुट्टियों को खींचती हो” तो काकी ने कहा कि बेटा ये बात अपनी चाची से ही पूछ अब वो ही तेरी मास्टर है और हँसने लगी.



मैने जब चाची को देखा तो उन्होने हाथ से इशारा किया कि बाद मे बताउन्गी, फिर माँ से बोली जाओ दीदी अब तुम तेल लगवालो, फिर माँ काकी के पास लेट गई और मैं और रश्मि दीदी चाची के पास लेट गये, चाची एक हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी दूसरे हाथ से दीदी का पेट और बुर, तभी चाची काकी से बोली “काकी बाकी शरीर पर तो मैने मालिश कर दी है बस तुम दीदी की जाँघो और बुर पर करदो थोड़ा ठंडा भी कर देना अपने बेटे का लंड मालिश कर के दो दिनो से बहुत गरम हो गई है” और हँसने लगी, 

मैने भी ध्यान से देखा तो माँ अपने आँखे बंद करके जाँघो को पूरा फैला का अपनी बुर काकी के सामने कर के लेटी हुई थी, और काकी उनकी बुर के होठों को पूरा फैला कर उनकी पुट्टियो को खींच खींच कर अपने अंगूठे और उंगली से रगड़ रही थी. थोड़ी देर मे माँ ने अचानक अपने पैरो को मोड़ लिया और आँखे खोल दी तो चाची ने पूछा तो उन्हो ने कहा कि हां अब आराम मिला, और माँ थोड़ा सरक कर लेट गई. 


जब चाची काकी के पास गई तो चाची अब तो अपने कपड़े उतार दी, मैं माँ के पास बैठा था और रश्मि दीदी लेटी हुई थी, तभी चाची ने काकी के कपड़ो को खोल दिया और उनके पैरो को फैला दिया और माँ से बोली दीदी ये देखो काकी की बुर, माँ भी आँखे बड़ी करके काकी की बुर देखने लगी और रस्मी दीदी भी, चाची तो बस उनकी बुर को हाथो से फैला कर उनकी पुट्टियों से खेलने लगी. मुझे अच्छी तरह याद है शायद उत्तेजना की वज़ह से मेरा लंड पहली बार खड़ा हो गया था, माँ ने जब ये देखा तो वो मेरे को काकी, चाची और दीदी के सामने ही चूमने लगी और फिर अचानक मूह मे भर लिया और काफ़ी देर तक चुस्ती रही तभी काकी ने कहा “बेटा लंड चूसने से भी औरत का स्वस्थ अच्छा रहता है और लंड की लंबाई भी बढ़ती है”, 


थोड़ी देर के बाद हम सब नंगे ही नीचे आ गये, माँ ने चाची से कहा छोटी तू चाइ बना ला, और माँ मूतने के लिए आँगन मे बैठ गयी, जब तक मैं जाता माँ मूत कर आ गई तभी काकी को भी पेशाब लगी और वो आँगन मे बैठ गई ये देख कर मैं भी जल्दी से काकी के सामने बैठ गया और उनकी बुर की तरफ अपना लंड कर के मूतने लगा चूँकि मेरा लंड थोड़ा तना था तो पेशाब की धार काकी के पैरों के पास गिर रही थी पर काकी ने मुतना जारी रखा, पहली बार मैने किसी औरत को बुर से इतनी धार से मुतते हुए देखा. फिर काकी बरांडे मे आकर बैठ गई और चाइ पीने लगी, माँ और चाची भी नंगी ही और मैं भी, तभी अचानक मैं माँ की जाँघो को फैलाते हुए उनकी बुर की पुट्टियों को हाथ से खींचने लगा और मूह मे लेने की कोशिश करने लगा.
 
ये देख कर चाची बोली की लो भाई लड़का तो ट्रेंड हो गया है और सब हंस पड़े, फिर वो लोग आपस मे बाते करने लगे और मैं सो गया, जब जगा तो देखा कि सब लोग नहा धो कर बैठे थे, माँ ने भी पेटिकोट पहना हुआ था और चाची से बाते कर रही थी. फिर अगले कुछ महीनो तक या एक दो साल तक ये सिलसिला ही चलता रहा पर मेरे लंड का चमड़ा पूरी तरह नही खुल पाया, एक दिन मैं रश्मि दीदी के साथ खेल रहा था, और माँ, चाची और पिताजी बाते कर रहे थे तभी माँ की आवाज़ सुनाई दी मुझे बुलाने के लिए, मेरी उमर श्याद 14-15 साल की रही होगी, मैने पूरे कपड़े पहने हुए थे, तभी माँ ने मेरा पैंट उतार दिया और पिताजी के सामने खड़ा करके मेरा लंड दिखाने लगी और चमड़ा खोलने लगी, जब चमड़ा नही खुला तो उन्हो ने मुझे बाहर भेज दिया और वो लोग आपस मे बातें करने लगे. 



मैं दीदी के कमरे मे आ कर नंगे ही उनके सामने बैठ गया तभी अचानक दीदी ने मेरे लंड को अपने हाथो मे पकड़ लिया और देखने लगी तभी चाची की आवाज़ खाने के लिए आई और दीदी भाग गई और मैं भी वैसे ही नीचे चला गया तो देखा कि पिताजी सो गये थे और माँ और चाची खाना लगा कर बैठी थी , माँ ने मुझे अपने पास बुला लिया और मैं उनकी जाँघो के पास सट कर बैठ गया और खाना खाने लगा, तभी मैने चाची को कहते सुना कि हां दीदी अब कोई और उपाय नही है, हॉस्पिटल मे चल कर चमड़ा कटवा देते है कल जीजाजी भी दुकान देर से जाएँगे इसीलिए, माँ ने कहा ठीक है.


अगले दिन सुबह सुबह सब लोग सारनाथ मे हॉस्पिटल गये वहाँ पर डॉक्टर ने मेरे लंड को देखा और फिर माँ पिताजी से कहा कि शाम तक उन्हे वेट करना पड़ेगा, उसके बाद ही वो ऑपरेशन कर पाएगा, माँ पिताजी ने कुछ बाते की, मैं चाची के पास ही बैठा रहा फिर थोड़ी देर के बाद पिताजी चले गये, शाम 4 बजे के पास एक नर्स मुझे एक कमरे मे ले गई और मुझे नंगा कर के बेड पर लेटा दिया, फिर उसने मुझे एक इंजेक्षन लगाया, फिर मुझे याद नही कि कैसे मेरा चमड़ा कटा बस कट गया, घर आते वक्त माँ मुझे गोद मे ले कर रिक्शे पर बैठी थी और मेरे कमर के पास एक तौलिया लप्पेट दिया था.


घर पहुचने के बाद थोड़ी देर मे मुझे दर्द हो ना शुरू हुआ तो मैं रोने लगा, तो चाची और माँ मेरे पास बैठ कर मुझे सहला रही थी, कुछ ही दिनो मे मेरा घाव भरने लगा, एक दिन काकी जब घर पर आई हुई थी तो उन्होने माँ से कहा ये तुमने बहुत अच्छा किया अब कोई दिक्कत नही आएगी और मेरे लंड को हाथो मे लेकर देखने लगी, उसके बाद से माँ और चाची ही मेरे लंड की मालिश करती और दवा लगती, लगभग दो तीन महीने मे मेरा लंड पूरी तरह ठीक हो गया, और उपर चमड़ा ना होने की वज़ह से काफ़ी मोटा और लंबा भी लगता था.


वैसे मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया था और उसमे से वीर्य भी आने लगा था, हुआ यूँ कि एक दिन माँ मुझे नहला रही थी और चाची कपड़े धो रही थी, हम तीनो ही नंगे थे, माँ भी साथ ही नहा रही थी, जब उसने अपने शरीर पर और बुर पर साबुन लगा लिया तो वो मेरे लंड पर साबुन लगाने लगी, चूँकि वो मेरे लंड को मसल रही थी तो मेरा लंड खड़ा हो गया ये देख कर चाची ने माँ से कहा कि दीदी अब तो इसके लंड पर चमड़ा भी नही है और पूरा खड़ा भी होने लगा है अब थोड़ा आगे पीछे भी कर दिया करो इतने दिनो से हम सब इसके मज़े ले रहे है अब थोड़ा इसे भी मज़ा दे दो और इतना कह कर वो हँसने लगी. 


माँ भी हंसते हुए मेरे कटे हुए लंड को पकड़ कर हाथ से आगे पीछे करने लगी, मेरा लंड पूरा तना हुआ था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था तभी अचानक मुझे अजीब सी सनसनी हुई और जब तक मैं माँ से कुछ कहता मेरे लंड से गढा गाढ़ा सफेद सा पदार्थ एक धार से निकाला और माँ के मूह पर गिर गया, ये देख कर मैं थोड़ा डर गया पर अचानक चाची खुशी से बोलने लगी और माँ भी खुश हो गई पर थोड़ा शर्मा रही थी पर चाची कहती जा रही थी आज तो दीदी ऐश होगी आख़िर बेटे का लंड जवान हो गया है, फिर माँ जल्दी से अपने मूह को धोइ और नहा कर मुझे ले कर बरामदे मे आ गई, अभी माँ मेरा शरीर पोछ ही रही कि चाची भी आ गई और आते ही माँ के सामने मेरा लंड मूह मे लेकर चूसने लगी और ओह्ह कितने दिनो से इसका इंतजार था अब तो बस अपनी बुर मे डलवा ही लूँ.



माँ भी कुछ नही बोली और हँसने लगी, फिर चाची ने कहा कि चलो जल्दी से खाना खाकर आज इसका उद्घाटन कर देते है, फिर वो किचन मे चली गई और खाना लगाने के बाद हम सब को बरामदे मे खाना खिलाने लगी, चाची ने दीदी को भी बता दिया था कि क्या होने वाला है, और खाने के बाद सब लोग कमरे मे आगये, दीदी के सिवा हम सभी नंगे ही बैठे थे, तभी चाची ने दीदी से कहा कि अगर मज़ा लेना है तो फटाफट अपने कपड़े उतार दे और मुझे लिटा कर मेरे लंड को चूसने लगी पता नही कैसे थोड़ी ही देर मे मेरा लंड फिर रोड की तरह तन गया और लंबा हो गया चूँकि सुपाडा खुला हुआ था इसलिए और लंबा लग रहा था पर चाची कह रही थी कि इसका अभी से 6 इंच का हो गया है.

शायद मालिश की मेहनत रंग ले आई है. चाची मेरे लंड को मूह मे भर चूसे जा रही थी और मैं भी मज़े लेता हुआ अपना लंड चुस्वाता जा रहा था, तभी मैने देखा कि मा रश्मि दीदी को अपनी बुर को फैला कर चटा रही थी और दीदी भी उनकी बुर की
पुट्टियो को मूह मे भर कर चाट रही थी और चिल्ला रही थी कि “ओह्ह और ज़ोर से चाटो मेरी बर को , फाड़ दो मेरी बुर, चोद डालो, तभी मैने चाची से कहा कि चाची बताओ चुदाई कैसे करते है तो चाची ने हंसते हुए कहा अरे मेरा बेटा वोही करवाना है आज तुझ से. 



आज तो तेरी माँ भी चुदेगि तुझसे तो मैने कहा कि हां चाची रश्मि दीदी को भी चोदुन्गा, तो चाची ने कहा कि अरे बेटा पहले हमारी बुर की प्यास तो मिटा दे, फिर जिसे मन चाहे उसे चोद. और ये कह कर चाची ने दो तकिया बेड पर रखे और अपनी गान्ड उसपर रख कर लेट गई और अपनी जाँघो को फैलाते हुए अपनी बुर के होंठो को और पुट्टियो को खोल दिया, तकिये पर लेटने की वज़ह से उनकी बुर पाव रोटी की तरह बाहर निकल गई थी और अंदर का लाल हिस्सा दिखाई पड़ रहा था, तभी माँ और रश्मि दीदी अपनी बुर चटाई का खेल छोड़ कर हमारे अगल बगल बैठ गई और माँ मुझसे कहने लगी बेटा फाड़ दे अपनी चाची की बुर को बहुत फडक रही है. 



आजा इधर इसके पैरों के बीच मे बैठ आजा मेरे बेटे आज मैं तुझे चोदना सिखाती हूँ, और इतना कह कर माँ ने मेरे लंड को हाथो से पकड़ कर चाची की बुर के मुहाने पर रख दिया और अपना मूह एकदम नीचे चाची की बुर के पास लेजा कर थूक दिया और अपनी उंगलियो से मेरे सुपाडे पर चाची की बुर के छेद पर फैला दिया, और मुझसे कहा कि अब डाल दे अपना लंड अपनी चाची की बुर मे जितना ज़ोर से धक्का मार सकता है उतनी ज़ोर से धक्का मार बहुत खुज़ला रही है इसकी बुर. और मैने अपनी माँ के मूह से ये बात सुनते ही एक झटके मे अपना 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा लंड चाची की बुर मे घुसेड दिया,

एक पल को तो ऐसा लगा कि किसी गरम भट्टी मे मेरा लंड घुस गया है पर अगले ही पल चाची की चीख निकल गई, मैने देखा कि चाची की दोनो तरफ की पुट्टिया मेरे लंड के चारो तरफ चिपक सी गई थी, तभी माँ ने कहा कि बेटा अब अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाल कर फिर अंदर डाल और इसी तरह करता रह और इतना कह कर माँ फिर अपने पैरो को फैला कर अपनी एक बित्ते की बुर और हथेली जितनी बड़ी अपनी पुट्टियों को रश्मि दीदी को चटाने लगी. 
 
ये देख कर मैं भी जोश मे आ गया और खूब ज़ोर ज़ोर से चाची के जाँघो को फैलाते हुए धक्का मारने लगा, मेरी जांघे उनके चुतड़ों से टकरा कर फॅट फॅट की आवाज़ कर रही थी, थोरी देर के बाद अचानक चाची ने ज़ोर बडबडाते हुए मेरी कमर को कस कर दबा दिया और शांत हो गई, उनके कमर को कस कर दबाने की वज़ह से मैं अपना लंड उनकी बुर मे नही डाल पा रहा था, तभी माँ ने कहा कि बेटा अब मेरी भी बुर की प्यास बुझा दे और खुद चाची की जगह पर लेट गई, मेरा लंड अभी चाची की बुर के गीलेपान से सना हुआ था, पर माँ ने वैसे ही मेरे लंड को अपने हाथो से पकड़ कर अपनी बुर के छेद पर रख दिया और अंदर डालने को कहा, मैं भी अभी उत्तेजना से काँप रहा था और अपनी माँ की बुर मे लंड एक धक्के के साथ घुसा दिया. 


उस दिन मैने पहली बार चाची को रश्मि दीदी की बुर चाटते हुए देखा, मैं एक दम जोश मे आगया था और लगातार माँ की बुर मे धक्के मार रहा था, तभी मुझे कुछ महसूस हुआ जैसे कुछ निकलने वाला है और माँ भी अपनी गान्ड ज़ोर ज़ोर से उपर उछालने लगी, और फिर शायद हम दोनो एक साथ ही झड गये, मैं उनकी बुर मे अपना लंड घुसाए वैसे ही पड़ा रहा, और माँ भी अपनी चुदि बुर मे मेरे लंड को पकड़े नीचे लेटी रही. कुछ देर के बाद हम लोग अलग हुए और बैठ गये तो चाची ने मेरे लंड को हाथ मे पकड़ते हुए कहा कि वाह आज कितने दिनो बाद इतना मज़ा मिला, और बैठे बैठे माँ की बुर को सहलाने लगी, माँ एकदम संतुष्ट नज़र आ रही थी, फिर माँ ने चाची से कहा जा चाइ बना ला. 



चाची चाइ बनाने चली गई तो मैं माँ से बोला माँ मुझे रश्मि दीदी को चोदना है, तो माँ ने कहा ठीक है पर थोड़ी देर के बाद, अभी तेरा लंड खड़ा नही हो पाए गा तो दीदी तुरंत मेरे लंड को माँ के सामने ही अपने मूह मे भर कर चाची की तरह चूसने लगी, ये देख कर माँ हैरान रह गई और पता नही कैसे मेरा लंड भी खड़ा हो हया. तभी चाची चाइ ले कर कमरे मे आ गई और दीदी को मेरा लंड चूस्ते देख कर खुशी से बोली अरे वाह आज तो बेटे को तीन तीन सवारी मिल गयी, पर देख रश्मि को धीरे धीरे ही चोदना वरना इसकी बुर ज़यादा फट जाए गी, माँ ने चाची से कहा कि तू चिंता मत कर मैं संभाल लूँगी, और फिर वो दोनो चाइ पीने लगी, इधर मैं दीदी की बुर मे अपना लंड डालने के लिए पागल हो रहा था तो माँ ने चाची से कहा कि तू मक्खन लेकर आ. 



और चाची जब मक्खन ले कर आई तो माँ ने खूब सारा मक्खन मेरे सुपाडे पर लगाया और दीदी को तकिये पर लिटा कर उनकी बुर मे भी लगाया और उनकी बुर को अपने हाथो से फैलाते हुए मुझे उनका छेद दिखाया फिर मुझसे कहा कि अब दीदी की बुर के छेद पर सुपाडा रख कर धीमे से अंदर डाल, मेरा लंड तो पूरी तरह तना हुआ था और सुपाडे की मोटाई भी दीदी की बुर के छेद से मोटी थी पर मक्खन की वज़ह से थोड़ा ज़ोर लगाते ही सुपाडा अंदर घुस गया, फिर माँ ने कहा अब थोड़ा रूको और दीदी की चुचि दबाने लगी, ये देख कर मैं धीरे से अपना लंड उनकी बुर मे अंदर डालने लगा, मैं बहुत धीरे धीरे लंड अंदर कर रहा था क्योकि दीदी की बुर का छेद वाकई मे छोटा था, थोड़ी देर वैसे ही पोज़िशन मे रहने की वज़ह से दीदी की बुर अड्जस्ट हो गई थी और मेरा लंड आसानी से पूरा अंदर चला गया.



माँ का मक्खन वाला तरीका काम कर गया, और मैने भी अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ा दी, थोड़ी देर मे दीदी भी अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवाने लगी और मैं भी पूरे ज़ोर से लंड अंदर पेल रहा था, कुछ ही देर मे हम दोनो झड गये और थोड़ी देर तक लेटे रहने के बाद उठ कर बैठ गये, हम ने देखा कि माँ और चाची बड़े ध्यान से हमारी चुदाई देख रही थी और अपनी बुर एक दूसरे से चटवा रही थी, थोड़ी देर के बाद वो लोग भी शांत हो गयी, और बैठ कर मेरे लंड और चुदाई के बारे मे बातें करने लगी, फिर हम सब लोग साथ साथ मूतने चले गये.


फिर माँ और चाची ने अपने कपड़े पहने और शाम के खाने की तैयारी करने लगी, दीदी ने भी अपने कपड़े पहन लिए पर मैं वैसे ही नंगा माँ और चाची के साथ लिपटता रहा और उनके पेटिकोट मे हाथ डाल कर उनकी बुरो से खेलता रहा. शाम को पिताजी के आने से पहले माँ ने मुझे कपड़े पहना दिए और कहा कि ये बात तुम पिताजी को नही बताओगे, मैने कहा ठीक है और दीदी के पास चला गया.


अगले दिन पिताजी के जाने के बाद मैं फिर से नंगा हो गया और मैने माँ और चाची को भी पेटिकोट पहनने से मना कर दिया, उस दिन चाची ने मुझे चुदाई के कई रंग दिखाए, वो कभी कभी अपनी पुट्टियों को खींच कर रगड़ने लगती तो कभी माँ की पुट्टियों को चूसने लगती, एक बार तो उन्हो ने माँ के मूह मे मेरे लंड को डाल कर उन्हे चूसने को कहा और खुद अपनी पुट्टियों को फैलाते हुए माँ के मूह पर बैठ गई , माँ मेरे लंड को चूस रही थी तभी चाची मेरे सुपाडे को निशाना बनाते हुए उनके मूह मे मूतने लगी पर माँ भी उनके मूत को पूरा का पूरा गटक गई, फिर तो ये हम लोगो का रोज़ का नियम हो गया था. 


पिताजी के जाने के बाद हम शुरू हो जाते. कभी मैं माँ को चोद ता तो कभो चाची की गान्ड मे सुपाडा फँसा कर उनकी बुर को दीदी से चटवाता, कभी कभी हम चारो एक दूसरे की बुर और पुट्टियों को चाटते और चुदाई करते, बाद मे तो हम इतने खुल गये थे कि टाय्लेट भी साथ साथ करते और एक दूसरे की टाय्लेट सॉफ करते , चाची ने कह दिया था कि अब से एक दूसरे के शरीर का ध्यान दूसरा ही रखेगा, कभी मैं चाची के साथ टाय्लेट करता तो चाची मेरी गान्ड सॉफ करती और मैं चाची का, इसी तरह से माँ और दीदी का भी, कई बार तो हम आपस मे मुत्ते समय पेशाब की धार लड़ाते और मैं तो बदमाशी मे चाची की बुर मे ही लंड डाल कर मूतने लगता. 


अब तो चाची भी मेरे मूत को बड़े प्यार से पी जाती है वो अक्सर मेरे लंड को मुत्ते समय मूह मे भर लेती और पूरा पी जाती. एक दिन कई दिनो के बाद काकी घर पर आई तो उस समय भी हम सब नंगे ही थे पर चाची ने काकी को भी नंगा कर दिया, और मेरे लंड को उनके सामने कर दिया , काकी ने जब मेरा कटा हुआ लंड और सुपाडा देखा तो रुक नही पाई और चूसने लगी, फिर चाची ने उन्हे नीचे लिटा दिया और मेरे लंड को उनकी बुर पर रख कर चोदने के लिए कहा तो काकी ने मना नही किया और हम सब ने जम कर चुदाई का आनंद लिया, बाद मे जाते वक्त काकी ने कहा अब जब भी उन्हे मौका मिलेगा तो वो यहाँ आ जाया करेंगी.



आज मैं 23 साल का हो गया हूँ और माँ और चाची के बदन पर भी थोड़ी चर्बी चढ़ गई है पर सच मानिए अब वो और ज़्यादा खूबसुरात हो गई है, और आज भी हम सब लोग डेली चुदाई करते है, हां अब चाची की गान्ड थोड़ी निकल गई है तो मैं दीदी की गान्ड मे ही लंड डाल कर काम चला लेता हूँ पर चुदाई सब की होती है.


दोस्तो ये कहानी यहीं समाप्त होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त..!!
 
पिज्जा डेलिवरी


लेखक- अज्ञात




मैनेजर- “आशफ...”

आशफ- “जी सर...”

मैनेजर- “यह लो पता, और आधे घंटे में आपने यहाँ डेलिवरी देनी है। और हाँ देखो इस बार लेट नहीं होना, वरना नौकरी से जाओगे...”

आशफ- “जी सर, इस बार कोई शिकायत नहीं होगी..” कहकर मैंने मालिक से पता लिया और काउंटर से अपना आर्डर लेने लगा। मैं बी.काम. का छात्र हैं और अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए शाम को पिज्जा की दुकान पर डिलिवरी-मैन का काम करता हूँ। अंतिम बार जब पिज्जा डेलिवर करने पहुँचा तो लेट हो गया था, जिसकी वजह से बास ने मुझे इस बार वार्निग दी थी कि समय पर पहुँचना, वर्ना यह नौकरी चली जाएगी।

मैंने जल्दी-जल्दी आर्डर लिया और बाइक स्टार्ट करके गंतव्य की ओर दौड़ा दिया। बास ने जो पता दिया था वह क्षेत्र अमीरों का क्षेत्र था, जहां लोग ज्यादातर फास्ट फूड खाते थे। समय से पहले ठीक पते पर पहुँच गया और दरवाजा बजाने लगा, लेकिन कोई नहीं आया। फिर मैं बगल में लगी बेल, फोनबेल बजाई।

तब अंदर से किसी लड़की की आवाज आई- “कौन है?”

मैंने कहा- “जी पिज्जा लेकर आया हूँ, जो आपने आर्डर किया था...” मैंने पते की स्लिप पर नाम देखा तो लड़की का नाम अंजली था। मैंने पूछा- “आप मिस अंजली हैं?
वो बोली- “जी मैं ही हूँ...” फिर मिस अंजली ने अंदर से बटन दबाया और दरवाजा खुल गया। उन्होंने मुझे अंदर आने के लिए कहा और रिसीवर रख दिया।

मैं अंदर गया और फिर अंदर वाला दरवाजा बजाया तो एक खूबसूरत लड़की ने दरवाजा खोला, वही अंजली थी। उसने मुझे अपने साथ अंदर आने को कहा। मैं उसके पीछे-पीछे चला गया। वह सीढ़ियों से मुझे नीचे अंडरग्राउंड स्विमिंग पूल पर ले गई। वहाँ पहले से दो लड़कियां स्विमिंग सूट में स्विमिंग कर रही थीं। उनका सूट बहुत टाइट था, जिसमें से उनकी ब्रा और रंग के निशान दिखायी दे रहे थे। मैं थोड़ा घबरा भी रहा था कि पिज्जा लेना था तो ऊपर ही रिसीव कर लेतीं, मुझे यहाँ लाने की क्या जरूरत थी?
 
वह मुझे पूल के किनारे बने हुए रूम में ले गई . यहाँ भी पहले से एक लड़की मौजूद थी जिसके हाथ में पिस्टल थी उसने मेरे अंदर आते ही पिस्टल मेरे ऊपर तान दी . और मुझे पिज़्ज़ा टेबल पर रखने को कहा मैने पिज़्ज़ा टेबल पर रखा , इतने मे दरवाजे से वे दोनों लड़कियाँ भी
अंदर आ गई जो पूल में स्विम्मिंग कर रही थी . 

अब मुझे एसी की ठंडी हवा में भी पसीने आने लगे . मैने कहा '' मैडम मैने क्या किया है मैं तो पिज़्ज़ा देने आया था जो आपने ऑर्डर किया था
प्लीज़ मुझे जाने दीजिए वरना मेरी नौकरी चली जाएगी .

लड़की १- '' शटअप '' चुपचाप खड़े रहो और जैसा हम कहते हैं वैसा करो वरना यहाँ से तुम्हारी लाश ही बाहर जाएगी .

मैं - प्लीज़ मेडम मुझे जाने दीजिए 

इतने मैं दूसरी लड़की आगे आई और मुझे एक जोरदार थप्पड़ मारा 

मैं रोने लगा और रोते हुए कहने लगा '' प्लीज़ मेडम मुझे जाने दीजिए प्लीज़ मेडम ''

लेकिन इन लड़कियों के इरादे ही ग़लत थे . जो लड़की स्विम्मिंग करके अंदर आई थी उसने अपना सूट उतारना शुरू कर दिया .

मैं ये देख कर हैरान था और ये देख कर और भी घबराने लगा कि पता नहीं ये मेरे साथ क्या करेंगी और आज तो मेरी नौकरी भी जाएगी

थोड़ी देर मे दोनो लड़कियों ने भी अपने सूट उतार दिए और वो दोनो अब केवल ब्रा और पैंटी में थी मैं दहशत से उन्हें देख रहा था . एक
लड़की तो दुबली पतली थी और उसके चुचे भी छोटे थे . लेकिन दूसरी वाली मुझे दहशत में भी सेक्सी दिखाई दे रही थी उसके मम्मे उसकी ब्रा से बाहर हो रहे थे

फिर पहली लड़की बोली ; '' अब क्या करना है क्या अब भी जाना चाहते हो ''

मैं - मेडम आप लोग मुझसे क्या चाहते हो प्लीज़ मुझे जाने दीजिए . 

यह बोल ही रहा था कि वह लड़की जिसने थप्पड़ मारा था, वो मेरे पास आई और मेरे हाथ मेरी कमर पर मोड़कर पकड़ लिया और दूसरी लड़की ने मुझे बांधना शुरू किया। मैं उछलने लगा, लेकिन जिसके हाथ में पिस्तौल थी उसने मुझसे कहा- “अगर जरा भी हिले तो गोली मार दूंगी...”
 
मैं अब सीधा खड़ा हो गया और उन्होंने मेरे हाथ पीछे किए लेकिन फिर उन्हें कुछ विचार आया तो उन्होंने मुझे शर्ट उतारने को कहा।
मैंने नहीं उतारी, तो पिस्तौल वाली लड़की ने चीखकर कहा, तो मैंने तुरंत अपनी शर्ट उतार दी। अब उसने मेरे दोनों हाथ पीछे करके बांध दिए।
इतने में अंजली एक गिलास पानी और दो कैप्सूल लेकर आई। अंजली ने मुझे मुँह खोलने को कहा, लेकिन मैंने नहीं खोला।
पिस्तौल वाली लड़की मेरे पास आई और पिस्तौल मेरे मुँह में घुसा दी। अब मैं बोल भी नहीं पा रहा था। उसने कहा- “अगर यह कैप्सूल नहीं खाए तो यह गोली खानी पड़ेगी..." यह कहकर उसने पिस्तौल निकाल ली।
फिर अंजली ने मेरे मुँह में दोनों कैप्सूल डाल दिए और ऊपर से पानी पिला दिया। मैं दोनों कैप्सूल पी गया। मुझे नहीं पता था कि किसका कैप्सूल था। मैं अब बहुत घबरा रहा था। फिर वे लोग मुझे बाहर स्विमिंग पूल के पास ले गई और बेंच पर बिठा दिया। अब वह चारों लड़कियां मेरे सामने आ गई। और जो दोनों पैन्टी में थी एक दूसरे के गले लगकर प्यार करने लगीं। वे दोनों एक दूसरे की चूचियां दबाने लगीं और लिप-टु-लिप किस करने लगीं।
मैं यह सब देखकर घबरा तो रहा था, लेकिन उनके सेक्सी बदन मेरे अंदर भी कुछ हलचल मचा रहे थे। फिर उन दोनों ने एक दूसरे की कमर में हाथ डालकर ब्रा के हुक खोल दिए। फिर दोनों ने अपनी-अपनी ब्रा पकड़कर उतार दिए। मैं यह सब बड़ी हैरानी से देख रहा था। मेरी पैन्ट में मेरा लण्ड अकड़ने लगा था, लेकिन अंडरवेर की वजह से वह खड़ा नहीं हो पा रहा था। अब मेरी बेचैनी बढ़ रही थी।
बाकी की दो लड़कियां भी धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगी। वे दोनों भी पैन्टी और ब्रा में आ गई और एक दूसरे को प्यार करने लगीं। अब वह चारों मेरे सामने थी। और मेरी नजरें उनके सेक्सी बदन को घूर रही थीं। एक साथ चार-चार लड़कियां मेरे सामने बारी-बारी नंगी हो रही थीं। अब मेरा अंडरवेर गीला हो रहा था।
इन चारों में से दो लड़कियां पैर खोलकर खड़ी हो गई और शेष दो अपने-अपने घुटनों पर बैठकर उनकी चूत को चाटने लगीं। यह दृश्य देखकर मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं अंदर ही खत्म हो जाऊँगा। अब मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। आधे घंटे से अधिक हो गया था। अब मुझे पता चला था कि वह कैप्सूल किसके थे। मेरा लण्ड मेरे अंडरवेर में अकड़कर सर्वोपरि हो गया था और आज तक वो इतना सख्त नहीं हुआ था। मुझे खुद महसूस हो रहा था जैसे मेरा अंडरवेर फट जाएगा।
 
अब वह मुझे दूसरे कमरे में ले गईं जो बेडरूम था। उन्होंने मुझे बेड पर लेटने को कहा तो मैं लेट गया। एक लड़की ने मेरे बंधे हाथों को पीछे बेड से बांध दिया और दूसरी लड़की ने मेरी पैन्ट उतार दी। मैं बुरी तरह फैस चुका था। मुझे पता था अब मेरे साथ क्या होने वाला है।
वे जबरन मुझसे अपनी हवस पूरी करना चाहती थीं। यह बड़े घर की लड़कियां होती ही ऐसी हैं। और यह तो मुझे एक गंदे परिवार की लग रही थीं। बहरहाल मैं अब कुछ नहीं कर सकता था। मेरे पास दो रास्ते थे- या तो मैं खुद बारी-बारी सबकी इच्छा पूरी कर दें, या फिर वो मेरे साथ जबरदस्ती करें। मेरी पैंट हटाने के बाद अब मैं सिर्फ अंडरवेर में था, और मेरा लण्ड अंडरवेर में एकदम सीधा खड़ा हो गया, जिसे देखकर वे एक दूसरे को मुश्कुरा कर देखने लगी।
उनके खिलाए हुए कैप्सूल ने काम दिखा दिया था। मेरा लण्ड लोहे की तरह अकड़ा हुआ था और मुझे खुद भी विश्वास नहीं हो रहा था।

अब उनमें से वह लड़की जिसके हाथ में पिस्तौल थी बेड पर चढ़ गई। वह लड़की सबसे सुंदर थी। उसका गोरा बदन ऐसा था कि अगर उंगली लगाई तो निशान पड़ जाएं। मैं उसके मम्मों पर फिदा हो रहा था। उसके गुलाबी गुलाबी स्तन भी सख्ती के मारे सीधे खड़े थे। वो मेरे ऊपर आ गई और अपने हाथ की उंगलियों से मेरे होंठों को, मेरे बदन को, मेरे निप्पल को छूने लगीं, और मैं उसके चूचियों को घूरे जा रहा था।

उसने देखा तो मुझसे पूछा- “क्या उन्हें चूसना चाहते हो?”
मैंने हाँ में गर्दन हिला दी। फिर वह मेरे पास आई और अपने मम्मे मेरे मुँह के पास ले आई और जैसे ही मैंने मुँह खोला उसने पीछे हटा लिया। फिर वे चारों जोर-जोर से हँसने लगीं। मैं शर्मिंदा सा हो गया। फिर वह मेरे पैरों के पास आई और मेरा अंडरवेर नीचे कर दिया। मेरा लण्ड भी एक छड़ी की तरह अकड़ा हुआ था, जो लहराता हुआ बाहर निकल आया। अब वह लड़की मेरे लण्ड को मसलने लगी। फिर उसने दूसरी लड़की से एक बोतल ली जिसमें कोई तेल या लोशन था, जो उसने बोतल से निकालकर मेरे पूरे लण्ड पर मसल दिया।
उधर अंजली मेरे पास आ गई और अपने मम्मे मेरे मुँह के आगे कर दिए, लेकिन मैंने उन्हें नहीं चूसा।
अंजली बोली- “मैं पीछे नहीं करूंगी, लो चूसो इन्हें प्लीज...” फिर उसने खुद ही मेरे मुँह में जबरन अपने मम्मे घुसा दिये और मचलने लगी।
अब मैंने मुँह खोला और उन्हें चूसने लगा। अंजली के मम्मे मेरे मुँह में थे जिन्हें मैं मस्ती में चूसे जा रहा था। अंजली की आहें निकलने लगीं। मेरे हाथ बंधे हुए थे, नहीं तो मैं उसकी चूत को सहलाता। अंजली ने सफाई नहीं की हुई थी। उसके बालों ने उसकी चूत को छुपाया हुआ था।
बाकी की दो लड़कियां सोफे पर लेटी हुई एक दूसरे को प्यार कर रही थीं। वह अपनी बारी का इंतजार कर ही थीं।
अंजली अब मेरे ऊपर मेरे पेट पर बैठ गई। मुझे कुछ गीला-गीला महसूस हो रहा था कि शायद अंजली की चूत का पानी था। वह बुरी तरह परेशान थी। मैंने उसकी चूचियों को चूस-चूसकर पूरा गीला कर दिया था।
उधर गोरी वाली लड़की ने मेरे लण्ड पर कंडोम चढ़ाया और मेरे ऊपर मेरे लण्ड पर बैठने लगी। उसने अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़कर अपनी चूत के छेद पर रखा और अपने शरीर को नीचे करने लगी। मेरा लण्ड स्लिप होता हुआ उसकी चूत में चला गया और उसके मुँह से केवल आहहह... निकली।
शायद यह लड़कियां यह काम पहले से करती रही हैं। क्योंकी इस लड़की की चूत से खून नहीं निकला और मेरा लण्ड भी आसानी से अंदर चला गया।
उधर अंजली पूरी तरह बेचैन थी। अंजली बेड पर खड़ी हुई थी और मेरे मुँह पर अपनी चूत ले आई। उसने दोनों हाथों से अपनी चूत को खोला तब मुझे उसकी चूत दिखी। वह अंदर से गुलाबी-गुलाबी थी। उसने चूत मेरे मुँह पर मसलना शुरू कर दिया। मैं न चाहते हुए भी उसकी चूत चाटने लगा। उसका नमकीन-नमकीन स्वाद मुझे अच्छा नहीं लगा रहा था लेकिन मैं कुछ भी नहीं कर सकता था।
 
उधर गोरी लड़की मेरे लण्ड पर उछल रही थी। उसके मम्मे गेंद की तरह उछल रहे थे और वह दोनों हाथों से अपने मम्मे पकड़ रखी थी। वह काफी देर तक मेरे लण्ड पर उछलती रही लेकिन मैं झड़ा नहीं था। बल्की मुझे तो लगता ही नहीं था कि मेरा लण्ड उसकी चूत में जा रहा था। मेरा लण्ड एकदम सुन्न हो चुका था। शायद वह तेल इसीलिए लगाया था कि मैं देर तक चारों को चोद सकें।
थोड़ी ही देर में अंजली की आहें तेज हो गईं। मैंने चाट-चाटकर उसे झड़ा दिया। वह मेरे मुँह पर ही झटके लेने लगी। वह मस्ती में अपने हाथों से अपने मम्मे दबाती रही और आआआ... उम्म्म्म ... करती हुई अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ती रही। उसने मेरा पूरा मुँह गंदा कर दिया था।
अब गोरी वाली लड़की भी तेज-तेज उछलने लगी। वह भी झड़ने वाली थी, और एक जोरदार आह्ह्ह... के साथ वह भी झड़ गई, उसकी गति कम हो गई। उसका पूरा बदन झटके ले रहा था। मैं दो लड़कियों को झड़ा चुका था। अब गोरी लड़की बिस्तर से उतर गई। लेकिन अंजली नहीं उतरी।
अंजली मेरे लण्ड पर बैठने लगी। अंजली की चूत टाइट थी। जब वह अंदर ले रही थी तब उसकी चीख निकल रही थी, और बड़ी मुश्किल से उसने मेरा लण्ड अन्दर लिया। वह कुछ देर ऐसे ही मेरा लण्ड अन्दर लिए बैठी रही। फिर उसने हिलना शुरू किया। उसके मम्मे भी उसके उछलने के साथ-साथ हिलने लगे। वह भी दोनों हाथों से उन्हें पकड़ने लगी। अंजली अब मेरे ऊपर झुक गई। वह मुझे चोदने लगी और अपने कूल्हे उछाल-उछालकर अपनी चूत को मेरे लण्ड पर मारने लगी। वह बुरी तरह मुझे किस कर रही थी। उसकी चूत का पानी जो मेरे होंठों पर लगा था वह अब उसके होठों पर था, और वह उसे जीभ से चाटने लगी।
फिर अंजली मेरे लण्ड से उतर गई और बेड के पीछे जाकर मेरे हाथ खोले। वह बिस्तर पकड़कर झुक गई और मुझे पीछे से चोदने को कहा। मेरे हाथ बंधे थे। मैं अंजली के पीछे गया और गोरी वाली लड़की ने मेरे लण्ड को पकड़कर अंजली के पीछे वाले छेद पर रख दिया और मुझे झटके मारने को कहा। मैंने जैसे ही झटका मारा अंजली चिल्ला उठी। उसकी चीख पूरे कमरे में गूंज गई। मैंने तुरंत अपना लण्ड निकाल लिया।
अंजली ने चैन की सांस ली और पीछे मुड़कर मुझे एक थप्पड़ मारा। उसने मुझे पीछे वाले छेद में डालने की वजह से मारा था।
मैंने कहा- “मेरे तो हाथ बंधे हैं मुझे तो उसने कहा था अंदर डालने को..."
फिर अंजली ने गोरी वाली लड़की को घूरकर देखा और बोली- “यह क्या हरकत थी? तुम्हें पता है मुझे कितना दर्द हुआ?”
गोरी वाली लड़की सारी कहने लगी।
फिर अंजली फिर से झुक गई और गोरी लड़की ने इस बार मेरा लण्ड चूत पर रखा। मैंने झटका नहीं मारा बल्की धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। अंजली फिर से आहें भरने लगी। मैंने धीरे-धीरे गति बढ़ा दिया। अब अंजली पागल होने लगी। उसने बेड की चादर को जोर से पकड़ रखा था। जैसे वह तड़प रही हो। अंजली कुछ ही देर में फिर झटके लेने लगी। उसके मुँह से आह्ह्ह... ओह्ह्ह... निकलने लगी। मैंने गति दी, और अंजली का शरीर अकड़ने लगा। वह थोड़ी ही देर में ठंडी आहें भरने लगी और उसका शरीर ढीला पड़ गया।
 
अंजली बेड पर इसी तरह झुकी रही, और मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। मैं दो लड़कियों को चोद चुका था। लेकिन मेरा लण्ड पहले से अधिक अकड़ चुका था। मैं झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अब बाकी की दो लड़कियों की बारी थी। इन दोनों ने मुझे सोफे के पास बुलाया और मैं चला गया।
वो दोनों चुदाई के लिए तैयार थीं। उन्होंने आपस में प्यार करके एक दूसरे को इतना बेचैन कर लिया था कि बस अब उनको लण्ड की जरूरत थी। मैं सोफे के पास गया तो एक लड़की सोफे पर बैठ गई और उसने अपने पैर हवा में उठा लिये तो उसकी चूत मेरे सामने थी और वह मुझे चोदने का कह रही थी। मैं उसकी टांगों के बीच गया और दूसरी लड़की ने मेरा लण्ड पकड़कर उसके छेद पर रखा।
अंजली को थप्पड़ मुझे याद था। इसीलिए धीरे-धीरे डालने लगा। लेकिन दूसरी एक लड़की खड़ी हो गई और मेरे पीछे से मुझे धक्का मारा तो मेरा पूरा लण्ड उसके अंदर चला गया।
वो चिल्ला उठी- “आआआ... कमीने, बेगैरत, इतनी जोर से डाल दिया... आआआ...”
मैंने भी कहा- “मैंने कुछ नहीं किया, इस लड़की ने मुझे मारा...”
यह सुनकर दूसरी लड़की ने मुझे पीछे से कमर पर मारा और बोली- “चल झटके मार..."
मैं तुरंत हिलने लग गया। सोफे वाली लड़की आहें लेने लगी- “उफफ्फ... ओफफ्फ... साले, मेरी चूत फाड़ डाली। इतना मोटा लण्ड है तेरा। उफफ्फ... उम्म्म..." वह आहें और सिसकियां ले रही थी और मैं लगातार झटके मारे जा रहा था।
इतने में मेरे पीछे वाली भी सोफे पर अपनी टाँगें उठाकर बैठ गई और मुझसे कहा- “अब मुझे चोदो...”
मैंने लण्ड निकालकर उसकी चूत में डाल दिया। लण्ड एक ही झटके में पूरा अन्दर चला गया और लड़की की एक आह्ह..नहीं निकली। उसने अपने हाथ मेरी कमर में डाले और मुझे अपने पास खींचा तो मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। वह मेरा लण्ड अंदर लेकर अपनी चूत को घुमाने लगी। मुझे बहुत मजा मिल रहा था। मैं भी और अंदर करने लगा। अब मेरी चिंता बढ़ गई थी। मैंने उसके हाथ हटाए और जोर-जोर से झटके मारने लगा। इतनी जोर से झटके मार रहा था कि सोफे के स्प्रिंग के कारण वह लड़की उछल रही थी।
कुछ ही देर में मेरे मुँह से एक जोरदार आह... निकली- “आह्ह्ह...” और मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। मेरा पानी कंडोम में भर गया। लेकिन मेरा लण्ड वैसे ही खड़ा था। मैं झड़ने के बाद भी झटके मारता रहा। मेरा शरीर तो ढीला पड़ रहा था लेकिन लण्ड अभी भी अकड़ा हुआ था, और मैं चोदता रहा। कुछ ही देर में वह लड़की भी झड़ गई।
अब बराबर वाली लड़की की बारी थी। मैंने कंडोम बदलने को कहा तो उसने यह वाला उतारकर दूसरे पहना दिया। अब मैं उसे चोदने लगा। उसकी चूत सबसे टाइट थी। इसीलिये उसे दर्द हो रहा था। शायद यह लड़की अभी तक नहीं चुदवायी थी। मैं अपनी गति से उसे चोदता रहा।


उसके मुँह से आहों के साथ चीखें भी निकल रही थीं- “ओहह... चोदो मुझे, चोदो मुझे... बास्टई..." वह बाकी लड़कियों से अधिक सेक्सी थी जिसकी आवाज मुझे फिर से मदहोश कर रही थीं। अब यह भी झड़ने करीब थी, और कुछ ही देर में झटके लेते हुए यह भी झड़ गई। उसका शरीर ढीला पड़ गया। वह मस्ती में अपने मम्मे दबाने लगी।
मैंने लण्ड बाहर निकाल लिया। अब मैं चारों को खुश कर चुका था। मैं अभी जाना चाहता था। मुझे दो घंटे हो गए थे। मेरा बास मुझे फोन कर रहा होगा लेकिन मेरा मोबाइल दूसरे कमरे में था जहां मेरे कपड़े उतरे थे।
मैंने अंजली से कहा- “मुझे जाने दो प्लीज...”
अंजली ने कहा- “एक शर्त पे यहाँ से जा सकते हो? अगर इस बात का जिक्र किसी से किया तो अपनी जान से हाथ धो बैठोगा, और अगली बार जब भी पिज्जा आर्डर करेंगे, तुम ही डेलिवरी लाना...”
मैंने इस समय तो अंजली की सारी बातें मान ली तो एक लड़की ने मेरे कपड़े ला दिये, दूसरी ने मेरे हाथ खोले। मैं तैयार होने लगा लेकिन पैंट नहीं पहन सका। मेरा लण्ड अकड़ा हुआ था, जो पैंट में नहीं जा रहा था।
अंजली मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़कर फिर से बेड के पास ले गई। वे बेड पर झुक गई और बोली- “अब वहाँ डालो जहां पहले डाला था...”
मैं समझा नहीं तो उसने मेरा लण्ड पकड़कर पीछे वाले छेद पर रखा। उसने मुझे कंडोम उतारने को कहा। मैंने कंडोम उतारा और लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर रखकर अन्दर करने लगा। छेद बहुत सख्त था, वह मेरे लण्ड को भींच रहा था। धीरे-धीरे पूरा अन्दर चला गया। अंजली की तो जैसे सांसें रुक रही थीं। वह दर्द को सहन कर रही थी।
अब मैं धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। अंजली दर्द से कराह रही थी। शायद अंजली को मजे से अधिक दर्द हो । रहा था। कुछ देर अंदर-बाहर करने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मैं झड़ने वाला हूँ। मैंने अपनी गति बढ़ा दी। अंजली अब आराम में आ चुकी थी। वह भी मेरी तेजी से मजा कर रही थी। मैंने अचानक अपना लण्ड बाहर निकाला और मेरा सारा पानी अंजली के चूतड़ों पर चला गया। अंजली की साँसें तेज-तेज चल रही थी।
अंजली बेड पर झुकी-झुकी लेट गई। अब मेरा लण्ड भी अकड़ने लगा था। मैंने तौलिये से अंजली के कूल्हे साफ किए और तैयार हो गया। मैंने अंजली से अब जाने के लिए कहा तो उसने भी कपड़े पहन लिये और मेरे साथ बाहर आ गई। बाकी की लड़कियां भी कपड़े पहनकर मेरे साथ दरवाजे तक आईं। अंजली ने मुझे अपना नंबर दिया कि अगर कभी यहाँ से गुजरना हो या हम चारों का आनंद फिर से लूटना हो तो आ जाना।
मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और दुकान के लिये निकल पड़ा। रास्ते भर मेरी नजरों के सामने इन चारों का नंगा बदन आ रहा था। मुझे इस बात की जरा भी चिंता नहीं थी कि दुकान पर पहुँचकर मेरा क्या हाल होगा? मैं दुकान पहुँचा तो मालिक का पारा सिर पर था। वह मुझपर चीखने चिल्लाने लगा और मेरे लेट आने का कारण पूछे बिना मुझसे बाइक की चाबी ली और मुझे नौकरी से निकाल दिया।

मैं अपना सामaन लेकर वहां से चल दिया लेकिन नौकरी का गम मुझे दुखी नहीं कर रहा था। मुझे तो बस इन चारों का नंगा बदन मेरी नजरों के सामने घूमता नजर आ रहा था।
***** समाप्त ***
 
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