Hindi Sex Stories दोस्त का परिवार - Page 2 - SexBaba
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Hindi Sex Stories दोस्त का परिवार

दोस्त का परिवार पार्ट--4 

गतान्क से आगे............. 

कुछ देर बाद मा बोली, “ बता कैसी लगी हमारी चूत की चुदाई?” मैं बोला, “हाई मेरा मन करता है कि जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत मे लंड डाले पड़ा रहूं.” मा बोली“जब तक तुम यहा हो, यह चूत तुम्हारी है, जैसे मर्ज़ी हो मज़े लो, अब थोरे देर आराम करतें है.” “नही मा, कम से कम एक बार और हो जाए. 


देखो मेरा लंड अभी भी बेकरार है.” मा ने मेरे लंड को पकड़ कर कहा, “यह तो ऐसे रहेगा ही, चूत की खुसबु जो मिल गयी है. पर देखो रात के तीन बज गये है, अगर सुबह टाइम से नही उठें तो तुम्हारी भुवा को शक गाएगा. अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के इतने दिन हमारे है. जी भर कर मस्ती लेना. 

मेरा कहा मनोगे तो रोज नया स्वाद चखाउन्गि.” मा का कहना मान कर मैने भी जीद छोड़ दी और मा भी करवट ले कर लेट गयी और मुझे अपने से सटा लिया. मैने भी उनकी गंद की दरार मे लंड फँसा कर चूंचीओ को दोनो हाथों मे पकड़ लिया और मा के कंधे को चूमता हुआ लेट गया. 


नींद कब आई इसका पता ही नही चला. 

सुबह जब अलार्म बजा तो मैने समय देखा, सुबह के सात बज रहे थी. मा ने मुस्कुरा कर देखा और एक गरमा-गरम चुंबन मेरे होटो पर जड़ दिया. मैने भी मा को जाकड़ कर उनके चुंबन का जोरदार का जवाब दिया. फिर मा उठ कर अपने रोज के काम काज मे लग गयी. वो बहुत खुश थी. 


मैं उठ कर नहा धोकर फ्रेश होकर आँगन मैं बैठ कर नास्टा करने लगा. तभीभुवा आगयी. और बोली बेटा खेत चलोगे ? मैने कहा क्यों नहीं और रात वाला उनका ककड़ी से चोदने का सीन मेरी आँखों के सामने नाचने लगा. इतने मे सुमन (दोस्त की बहन) बोली मैं भी तुम्हारे साथ खेत मैं चलूंगी. और हम तीनो खेत की ओर चल पड़े. रास्ते मैं जब हम एक खेत के पास से गुजर रहे थे तो देखा कि उस खेत मैं ककाडियाँ उगी हुई थी. 

मैने ककड़ियों को देखते हुवे भुवा से कहा “भुवा देखो इस खेत वाले ने तो ककाडियाँ उगाई हैं. और ककाड़ियों मैं काफ़ी गून होते हैं” भुवा लंबी सांस भरती हुई बोली “हां बेटा ककाड़ियों से काफ़ी फ़ायदा होता हैं और कई कामो में इसका उपयोग किया जाता हैं, जैसे सलाद में, सुबजियों में, कच्ची ककड़ी खाने के लिए भी इसका उपलोग किया जाता हैं” मैं बोला “हां भुवा, इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है” इसतरह की बातें करते करते हम लोंग अपने खेत में पहुँच गये. वहाँ जाकर मैं मकान मैं गया और लूंघी और बनियान पहन कर वापस भुवा के पास आगेया. 



भुआ खेत मैं काम कर रही थी और सुमन (दोस्त की बहन) उनके काम मैं मदद कर रही थी. मैने देखा भुवा की सारी घुटनो के उपर थी और सुमन स्कर्ट और ब्लाउस पहने हुवे थी. मैं भी लूंघी उँची करके (मद्रासी स्टाइल में) उनके साथ काम में मदद करने लगा. 


जब सुमन झुकर काम करती तो मुझे उसकी चड्डी देखाई देती थी. हम लोग करीब 1 या 1:30 घंटे काम करते रहे फिर मैने भुवा से कहा भुवा मैं थोडा आराम करना चाहता हूँ तो भुवा बोली ठीक हैं और मैं खेत के मकान में आकर आराम करने लगा. 

कुच्छ देर बाद कमरे मैं सुमन आई और कहने लगी दीनू भैया आप वहाँ बैठ जाइए क्यों कि कमरे मैं झारू मारनी हैं. और मैं कमरे के एक कोने मैं बैठ गया. और वो कमरे मैं झारू मारने लगी. झारू मारते समय जब सुमन झुकी तो फिर मुझे उसकी चड्डी दिखाई देने लगी. और उसकी चुदाई के ख़यालों मैं खो गया. थोड़ी देर बाद फिर वो बोली “भैया ज़रा पैर हटा लो झारू देनी है.” 


मैं चौंक कर हक़ीकत की दुनिया मे वापस आया. देखा सुमन कमर पर हाथ रखे मेरे पास खरी है. मैं खरा हो गया और वो फिर झुक कर झारू लगाने लगी. मुझे फिर उसकी चड्डी दिखाई देने लगी. आज से पहले मैने उस पर धान नही दिया था.. पर आज की बात ही कुछ और ही थी. रात मा से चुदाई की ट्रैनिंग पाकर एक ही रात मे मेरा नज़रिया बदल गया था. अब मैं हर औरत को चुदाई की नज़र से देखना चाहता था. जब वो झारू लगा रही थी तो मैं उसके सामने आकर खड़ा होगया अब मुझे उसके ब्लाउस से उसकी चूंची साफ दिखाई दे रही थी. मेरा लंड फॅन-फ़ना गया. रात वाली मा जैसी चूंची मेरे दिमाग़ के सामने घूमने लगी. 


तभी सुमन की नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे एकटक घूरता पाकर उसने एक दबी सी मुस्कान दी और अपना ब्लाउस ठीक कर चुन्चिओ को ब्लाउस के अंदर छुपा लिया. अब वो मेरी तरफ पीठ कर के झारू लगा रही थी. उसके चूतर तो और भी मस्त थे. मैं मन ही मन सोचने लगा कि इसकी गंद मे लंड घुसा कर चूंची को मसल्ते हुए चोदने मे कितना मज़ा आएगा. बेखायाली मे मेरा हाथ मेरे तननाए हुए लंड पर पहुँच गया और मैं लूंघी के उपर से ही सुपारे को मसल्ने लगा. तभी सुमन अपना काम पूरा कर के पलटी और मेरे हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गयी. 
 
थोड़ी देर बाद भुवा और सुमन हाथ पैर धोकर आए और मुझे कहा कि चलो दीनू बेटे खाना ख़ालो. अब हम तीनो खाना खाने बैठ गये. भुवा मेरे सामने बैठी थी और सुमन मेरे लेफ्ट साइड की ओर बैठी थी. सुमन पालती मारकर बैठी थी और भुवा पैर पसारे बैठी थी. खाना खाते समय मैने कहा भुवा आज खाना तो जाएकेदार बना है. भुवा ने कहा मैने तुम्हारे लिए खास बनाया हैं. तुम यहाँ जितने दिन रहोगे गाओं का खाना खा खाकर और मोटे होजाओगे. मैं हंस पड़ा और कहा अगर ज़्यादा मोटा होऊँगा तो मुस्किल हो जाए गी. 


भुवा आंड सुमन हंस पड़ी. थोड़ी देर बाद भुवा ने कहा सुमन तुम खाना खा कर खेत मैं खाद डाल आना. मैं थोड़ा आराम करूँगी. हम सब ने खाना खाया सुमन बर्तन धो कर खेत मैं खाद डालने लगी. मैं और भुवा चटाई बिच्छा कर आराम करने लगे. 

मुझे नींद नहीं आरही थी. आज मैं भुवा या सुमन को चोदने का विचार बना रहा था. विचार करते करते कब नींद आगयी पता ही नहीं चला. जब मेरी नींद खुली तो शाम के करीब 5 बज रहे थे. मैने देखा कि मेरा मोटा लंड लंड तन कर खड़ा था और लूंघी से बाहर निकल कर मुझे सलामी दे रहा था. इतने में भुवा कमरे मैं आई मैने झट से आँखे बंद कर ली. थोड़ी देर बाद थोड़ी आँख खोल कर देखा कि भुवा की नज़र मेरे खड़े हुवे मोटे लंड पर टिकी थी. 


हैरत भरी निगाहों से मेर लंबे और मोटे लंड को देख रही थी. कुच्छ देर बाद उन्होने आवाज़ दे कर कहा “दीनू बेटा उठ जाओ अब घर चलना है” मैने कहा ठीक है और उठकर बैठ गया मेरा लंड अब भी लूँगी से बाहर था. भुवा मेरी ओर देखते हुवे बोली “दीनू बेटा क्या तुमने कोई बुरा सपना देखा था क्या ? मैं मुस्किल से कहा नहीं तो भुवा, क्यों क्या हुवा. वो बोली नीचे तो देखो क्या दिख रहा हैं. 


जब मैने नीचे देखा तो मेरा लंड लूँगी से निकला हुआ था. मैं शरम से लाल हो कर अपना लंड अंडरवेर मैं छुपा लिया. ऐसा करते समय भुवा हंस रही थी. हम करीब 6:30 बजे घर पहुँचे. रास्ते भर कोई भी बात चीत नहीं हुई. घर आकर मैने कहा कि मैं बाज़ार होके आता हूँ और फिर बाज़ार जाकर 1 व्हिस्की की बॉटल ले आया. 

जब घर पहुँचा तो रात के 9 बज रहे थे.मुझे आया देख कर भुवा ने आवाज़ दी बेटा आकर खाना ख़ालो मैं बोला भुवा अभी भूक नहीं हैं थोड़ी देर बाद खा लूँगा. फिर मैने पुछा मा और सुमन कहाँ हैं (क्योंकि मा और सुमन ना तो रसोई घर में थे नहीं आगन में थे) भुवा ने कहा कि हमारे रिस्तेदार के यहाँ आज रात भर भजन और कीर्तन हैं इसलिए भाभी और सुमन रिस्तेदार के यहाँ गये हैं और सुबह 5-6 बजे लोटेंगे. 


मैने कहा “ठीक हैं भुवा, अगर आप बुरा ना मानो तो क्या मैं थोड़ी विश्की पी सकता हूँ ? भाभी बोली “ठीक हैं तुम आँगन में बैठो मैं वहीं खाना लेकर आती हूँ. मैं आँगन में बैठ कर विशकी पीने लगा. करीब आधे घंटे बादभुवा खाना लेकर आई तब तक मैं 3-4 पेग पी चुक्का था और मुझे थोडा विशकी का नशा होने लगा था. 


भुवा और मैं खाना खाने के बाद, भुवा के कमरे में आ गये. मैने पॅंट को शर्ट निकाल कर लूँगी और बनियान पहन ली. भुवा ने भी सारी खोल कर केवल नाइटी पहनी हुई थी. जब भुवा खड़ी होकर पानी लाने गयी तो मुझे उनकी पारदर्शी नाइटी से उनका सरीर दिखाई दिया. उन्होने नाइटी के अंदर ना तो ब्लाउस पहना था नहीं पेटिकोट पहना था इसलिए लाइट की रोसनी के कारण उनका जिस्म नाइटी से झलक रहा था. जब वो पानी लेकर वापस आई. हम बैठ कर बातें करने लगे.
 
भुवा: दीनू क्या तुम सहर में कसरत करते हो ? 

दीनू: हां भुवा रोज सुबहा उठकर कसरत करता हूँ. 

भूवजि: इसलिए तुम्हारा एक एक अंग काफ़ी तगड़ा और तंदूरस्त हैं. क्या तुम अपने बदन पर तेल लगा कर मालिश करते हो खास तोर पर सरीर के निचले हिसें पर ? 

दीनू: मैं हर रोज़ अपने बदन पर सरसों का तेल लगा कर खूब मालिश करता हूँ. 

भुवा: हां आज मैने तुम्हारे सरीर के अलावा अंदर का अंग भी दोपहर को देखा था वाकई काफ़ी मोटा लंबा और तंदूरस्त है. हर मर्द का इस तरह का नहीं होता हैं. 


भुवा की बात सुन कर मैं शरम के मारे लाल हो गया. पूरे मकान मैं हम दोनो अकेले थे. और इसतरह की बातें कर रहे थे. 


मैने भी भुवा की से कहा. भुवा आप भी बहुत सुंदर हो और आपका बदन भी सुडोल है. 


भुवा: दीनू मुझे ताड़ के झाड़ पर मत चढ़ाओ. तुमने तो अभी मेरा बदन पूरी तरह देखा ही कहाँ हैं. मैने बोला आप ने तो मुझे दिखाया ही नहीं और मेरे सरीर के निचले हिस्से का दर्शन भी कर लिया. इतना सुनते ही वो झट बोली मुझे कहाँ अच्छी तरह कहाँ तुम्हारे दर्शन हुए. चलो एक शर्त पर तुम्हे मेरे अंदुरूनी भाग दिखा दूँगी अगर तुम मुझे अपना दिखाओगे तो ? 


मैने झट से लूँगी से लंड निकाल कर उन्हे दिखा दिया. भुवा ने भी अपने वादे के अनुसार नाइटी उपर कर के अपनी चूत दिखा दी और मुस्कराती बोली राजा बेटा खुश हो अब. हाई जालिम चूत थी. चूत देखते ही मेरा लंड तन कर फरफारने लगा. कुछ देर तक मेरे लंड की ओर देखने के बाद भुवा मेरे पास आई और झट से मेरी लूँगी खोल दी. 


फिर खड़े होकर अपनी नाइटी भी उतार दी और नंगी हो गयी. फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा. जब मैं पलंग पर बैठ कर भुवा की मस्त रसीली चूंची को देख रहा था तो मारे मस्ती के मेरा लंड छत की ओर मुँह उठाए उनकी चूत को सलामी देरहा था. 


भुवा मेरी जाँघो के बीच बैठ कर दोनो हाथों से मेरे लौरे को सहलाने लगी. कुछ देर यूँही सहलाने के बाद अचानक भाभी ने अपना सर नीचे झुकाया और अपने रसीले होंटो से मेरे सुपारे को चूम कर उसको मुँह मे भर लिया. मैं एकदम चौंक गया. मैने सपने मे भी नही सोचा था कि ऐसा होगा. 


“भुवा ये क्या कर रही हो. मेरा लंड तुमने मुँह मे क्यों ले लिया है.” “चूसने के लिए और किस लिए? तुम आराम से बैठे रहो और बस लंड चुसाइ का मज़ा लो. एक बार चुस्वा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे.” भुवा मेरे लंड को लॉलिपोप की तरह मुँह ले लेकर चूसने लगी.मैं बता नही सकता हूँ कि लंड चुसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था. भुवा के रसीले होन्ट मेरे लंड को रगर रहे थे. 

फिर भुवा ने अपने होन्ट गोल कर के मेरा पूरा लंड अपने मुँह मे लेलिया और मेरे आंडो को हथेली से सहलाते हुए सिर उपर नीचे करना शुरू कर दिया मानो वो मुँह से ही मेरा लंड को चोद रही हो. धीरे-धीरे मैने भी अपनी कमर हिला कर भुवा के मुँह को चोदना शुरू कर दिया. मैं तो मानो सातवें आसमान पर था. 


बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी. थोरी ही देर मे लगा कि मेरा लंड अब पानी छोड़ देगा. मैं किसी तरह अपने उपर काबू कर के बोला, “भूवजिीइईईईई मेरा पानी छूटने वाला है.” भुवा ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नही दिया बाल्की अपने हाथो से मेरे चूतर को जाकड़ कर और तेज़ी से सिर उपर-नीचे करना शुरू कर दिया. मैं भी उनके सिर को कस कर पकड़ कर और तेज़ी से लंड उनके मुँह मे पेलने लगा. 


कुछ ही देर बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और भुवा गतगत करके पूरे पानी पी गयी. सुबह से काबू मे रखा हुआ मेरा पानी इतना तेज़ी से निकला कि उनके मुँह से बाहर निकल कर उनके तोड़ी पर फैल गया. कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूंची पर भी जा गिरी. झरने के बाद मेने अपना लंड निकाल कर भुवा के गाल्लो पर रगड़ दिया. क्या खूबसूरत नज़ारा था. मेरा वीर्य भुवा के मुँह गाल होन्ट और रसीली चूंची पर चमक रहा था. 
 
भुवा ने अपनी गुलाबी जीभ अपने होटो पर फिरा कर वान्हा लगा वीर्य चाता और फिर अपनी हथेली से अपनी चूंची को मसल्ते हुए पूछा, “क्यों दीनू बेटा मज़ा आया लंड चुसवाने मे?” मैं बोला “बहुत मज़ा आया भुवा, तुमने तो एक दूसरी जन्नत की सैर करवा दिया मेरी जान. आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मो के लिए गुलाम हो गया. कहो क्या हुक्म है.” भुवा बोली“हुक्म क्या, बस अब तुम्हारी बारी है.” 


मैं कहा “क्या मतलब, मैं कुछ समझा नही?” भुवा बोली “मतलब ये कि अब तुम मेरी चूत चॅटो.” एह कहा कर भुवा खड़ी हो गयी और अपनी चूत मेरे चहेरे के पास ले आई. मेरे होन्ट उनकी चूत के होंटो को छूने लगी. भुवा ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी कमर आगे की और अपनी चूत मेरे नाक पर रगर्ने लगी. मैने भी उनकी चूतर को दोनो हाथो से पकड़ लिया और उनकी गंद सहलाते हुए उनकी रसीली चूत को चूमने लगा. 


भुवा की चूत की प्यारी-प्यारी खुसबु मेरे दिमाग़ मे छाने लगी. मैं दीवानो की तरह उनकी चूत और उसके चारो तरफ के इलाक़े को चूमने लगा. बीच-बीच मे मैं अपनी जीभ निकाल कर उनकी रानो को भी चॅट लेता. भुवा मस्ती से भर कर सिसकारी लेते हुए अपनी चूत को फैलाते हुए बोली, “हाई राजा अहह! जीभ से चॅटो ना. अब और मत तरपाओ राजा. मेरी बुर को चॅटो. 


डाल दो अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर. अंदर डाल कर जीभ से चोदो.” अब तक उनकी नशीली चूत की खुसबू ने मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था. मैने उनकी चूत पर से मुँह उठाए बिना उन्हे खींच कर पलंग पर बैठा दिया और उनकी जाँघो को फैला कर अपने दोनो कंधों पर रख लिया और फिर आगे बढ़ कर उनकी चूत के होंटो को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. भुवा मस्ती से बड़बड़ाने लगी और अपनी चूतर को और आगे खिसका कर अपनी चूत को मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया. 


अब भुवा के चूतर पलंग से बाहर हवा मे झूल रहे थे और उनकी मखमली जांघों का पूरा दबाब मेरे कंधों पर था. मैने अपनी जीभ पूरी की पूरी उनकी चूत मे डाल दी और चूत की अन्द्रुनी दीवालों को जीभ से सहलाने लगा. भुवा मस्ती से तिलमिला उठी और अपने चूतर उठा उठा कर अपनी चूत मेरी जीभ पर दबाने लगी. “हाई राजा, क्या मज़ा आ रहा है. 


अब अपनी जीभ को अंदर-बाहर करो नाआअ! चोदो रजाआअ चोदूऊओ! अपनी जीभ से चोदो मुझे. हाई राजा तुम ही तो मेरे असली सैयाँ हो. पहले क्यों नही मिले, अब सारी कसर नीकालूंगी. हाई राजा चोदो मेरी चूत को अपनी जीभ से.” मुझे भी पूरा जोश आ गया और भुवा की चूत मे जल्दी जल्दी जीभ अंदर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा. भुवा अभी भी ज़ोर-ज़ोर से कमर उठा कर मेरे मुँह को चोद रही थी. 

क्रमशः...........
 
दोस्त का परिवार पार्ट--5 

गतान्क से आगे............. 

मुझे भी इस चुदाई से का मज़ा आने लगा. मैने अपनी जीभ कड़ी कर के सिर आगे पीछे कर के भुवा की चूत को चोदने लगा. उनका मज़ा दोगुना हो गया. अपने चूतर को ज़ोर-ज़ोर से उठाती हुए बोली, “और ज़ोर से बेटा और ज़ोर से, हाई मेरे प्यारे राजा आज मैं तेरी रंडी भुवा हो गयी. जिंदगी भर के लिए चुदवाउन्गि तुझसे. आह! उईईइ माआ!” वो अब झरने वाली थी. वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी चूत मेरे पूरे चहेरे पर रगड़ रही थी. 

मैं भी पूरी तेज़ी से जीभ लॅप-लपा कर उनकी चूत पूरी तरह से चाट रहा था. और बीच बीच मे अपनी जीभ को उनकी चूत मे पूरी तरह अंदर डाल कर अंदर बाहर करने लगा. जब मेरी जीभ भुवा की भग्नासा से टकराई तो भुवा का बाँध टूट गया और मेरे चहेरे को अपनी जांघों मे जाकड़ कर उन्होने अपनी चूत को मेरे मुँह से चिपका दिया. कुछ देर बाद उनका पानी बहने लगा और मैं उनकी चूत की दोनो फांकों को अपने मुँह मे दबा कर उनका अमृत-रस पीने लगा. 

मेरा लंड फिर से लोहे की रोड की तरह सख़्त हो गया था. मैं उठ कर खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ से सहलाते हुए भुवा को पलंग पर सीधा लिटा कर उनके उपर चढ़ने लगा. उन्होने ने मुझे रोकते हुए कहा, “ऐसे नही मेरे राजा, चूत का मज़ा तुम चूस चूस के ले चुके हो आज मैं तुम्हे दूसरे छेद का मज़ा दूँगी. मैने कहा भुवा मेरी समझ मे कुछ नही आया. भुवा बोली, “आज तुम अपने मोटे तगड़े लंबे लंड को मेरी गंद मे डालो,” और उठ कर बैठ गयी. मेरे हाथ हटा कर दोनो हाथों से मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाते हुए अपनी दोनो चुचीओ के बीच दबा-दबा कर लंड के सुपरे को चूमने लगी. उनकी चूंची की गर्माहट पाकर मेरा लॉरा और भी जोश मे आकर अकड़ गया. मैं हैरान था. इतनी छोटी सी गंद के छेद मे मेरा लंड कैसे जाएगा. 

मैं बोला, “भुवा इतना मोटा लंड तुम्हारी गंद मे कैसे जाएगा ?” भुवा बोली, “हाँ मेरे राजा, गंद मे ही. पीछे से चोदना इतना आसान नही है. तुम्हे पूरा ज़ोर लगाना होगा.” इतना कह कर भुवा ने ढेर सारा थूक मेरे लंड पर लगा दिया और पूरे लंड की मालीश करने लगी. “पर भुवा गंद मे लंड घुसाने के लिए ज़यादा ज़ोर क्यों लगाना परेगा?” भुवा बोली वो इसलिए राजा कि जब औरत गर्म होती है तो उसकी चूत पानी छोड़ती है, जिससे लॉरा आने-जाने मे आसानी होती है. 

पर गंद तो पानी नही छोड़ती इसीलिए घर्षण जायदा होता है और लंड को जायदा ताक़त लगानी पड़ती है. गंद मारने वाले को भी बहुत तकलीफ़ होती है. पर राजा मज़ा बहुत है मरवाने वाले को भी और मारने वाले को भी आता है. इसीलिए गंद मारने के पहले पूरी तैय्यारि करनी पड़ती है.” मैने कहा “क्या तैयारी करनी पड़ती है?” भुवा मुस्कुरा कर पलंग से उतरी और अपने चूतर को लहराते हुए ड्रेसिंग टेबल से वस्सेलीन की शीशी उठा लाई. 
 
ढक्कन खोल कर ढेर सारा वस्सलिन अपने हाथो मे ले लिया और मेरे लौरे की मालीश करने लगी. अब मेरा लॉरा रोशनी मे चमकने लगा. फिर मुझे डिब्बी दे डी और बोली, “अब मैं झुकती हूँ और तुम मेरे गंद मे ठीकसे वस्सेलीन लगा दो. और वो पलंग पर पेट के बल लेट गयी और अपने घुटनो के बल होकर अपने चूतर हवा मे उठा दिए. देखने लायक नज़ारा था. भुआ के गोल मटोल चूतर मेरी आँखों के सामने लहरा रहे थे. मुझसे रहा नही गया और झुक कर चूतर को मुँह मे भर कर कस कर काट लिया. भुवा की चीख निकल गयी. 

फिर मैने ढेर सारा वसल्लिन लेकर उनकी गांद की दरार मे लगा दिया. भुवा बोली, “आरे मेरे भोले सैयाँ, उपर से लगाने से नही होगा. उंगली से लेकर अंदर भी लगाओ और अपनी उंगली पेल पेल कर पहले गांद के छेद को ढीला करो.” 

मैने अपनी बीच वाली उंगली पर वसल्लिन लगा कर उनकी गंद मे घुसाने की कोशिश की. पहली बार जब नही घुसी तो दूसरे हाथ से छेद फैला कर दोबारा कोशिश की तो मेरा उंगली थोड़ी सी उंगली घुस गयी. मैने थोड़ा बाहर निकाल कर फिर झटका दे कर डाला तो घापक से पूरी उंगली धँस गयी. भुवा ने एकदम से अपने चूतर सिकोर लिए जिससे की उंगली फिर बाहर निकल गयी. 

भुवा बोली “इसी तरह उंगली अंदर-बाहर करते रहो कुछ देर तक. मैं उनके कहे मुताबिक उंगली जल्दी से अंदर-बाहर करने लगा. मुझे इसमे बड़ा मज़ा आ रहा था. वो भी कमर हिला-हिला कर मज़ा ले रही थी. कुछ देर बाद भुवा बोली, “चलो राजा आ जाओ मोर्चे पर और मारो गंद अपनी भुवा की.” मैं उठ कर घुटने का बल बैठ गया और लंड को पकड़ कर भुवा की गंद के छेद पर रख दिया. 

भुवा ने थोड़ा पीछे होकर लंड को निशाने पर रखा. फिर मैने उनकी चूतर को दोनो हाथों से पकड़ कर धक्का लगाया. भुवा की गंद का छेद बहुत टाइट था. मैं बोला, “भुवा मेरा लंड आप की गन्ड में नही घुस रहा है.” भुवा ने तब अपने दोनो हाथों अपने चूतर को खींच कर गंद का छेद को फैला दिया और दोबारा ज़ोर लगाने को कहा. इसबार मैने थोड़ा और ज़ोर लगाया और मेरा सुपरा उनकी गंद के छेद मे चला गया. भुवा की कसी गंद ने मेरे सुपरे को जाकड़ लिया. 

मुझे बरा मज़ा आया. मैने दोबारा धक्का दिया तो उनकी गंद को चीरता हुआ मेरा आधा लंड भुवा की गंद मे दाखिल हो गया. भुवा ज़ोर से चीख उठी, “उईइ मा, दुख़्ता है मेरे राजा.” पर मैने उनकी चीख पर कोई ध्यान नही दिया और लंड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया. मेरा 9” का लॉरा उनकी गंद को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर दाखिल हो गया. भुवा फिर चीख उठी. 

वो बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी. मैने आगे को झुक कर उनकी चूंची को पकड़ लिया और उन्हे सहलाने लगा. लंड अभी भी पूरा का पूरा उनकी गंद के अंदर था. कुछ देर बाद भुवा की गंद मे लंड डाले डाले उनकी चूंची को सहलाता रहा. 

जब भुवा कुछ नॉर्मल हुई तो अपने चूतर हिला कर बोले, “चलो राजा अब ठीक है.” उनका सिग्नल पाकर मैने दोबारा सीधे होकर उनकी चूतर पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला कर लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. भुवा की गंद बहुत ही टाइट थी. 

इसे चोदने मे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब भुवा भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मज़ा लेने लगी. उन्होने अपनी एक उंगली अपनी चूत मे डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया. भुवा की मस्ती देख कर मैं भी जोश मे आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. मेरा लंड अब पूरी तेज़ी से उनकी गंद मे अंदर-बाहर हो रहा था. भुवा भी पूरी तेज़ी से कमर आगे पीछे करके मेरे लंड का मज़ा ले रही थी. लंड ऐसे अंदर-बाहर हो रहा था मानो एंजिन का पिस्टन. 

पूरे कमरे मे चुदाई का ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी. जब भुवा के थिरकते हुए चूतर से मेरी जंघे टकराती थी तो लगता कोई तबलची तबले पर ठप दे रहा हो. भुवा पूरे जोश मे पूरी तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर-बाहर करती हुई सिसकारी भर रही थी. हम दोनो ही पसीने पसीने हो गये थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था. भुवा मुझे बार बार ललकार रही थी, “चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी भुवा की गंद. आज फाड़ डालो इससे. शाबाश मेरे शेर, और ज़ोर से राज्ज्जा और ज़ोर से. 

फाड़ डाली तुमने मेरी तो.” मैं भी हुमच हुमच कर शॉट लगा रहा था. पूरा का पूरा लंड बाहर खीच कर झटके से अंदर डालता तो उनकी चीख निकल जाती. मेरा लावा अब निकलने वाला था. उधेर भुवा भी उंगली से चूत को चोद चोद कर अपनी मंज़िल के पास थी. तभी मैने एक झटके से लंड निकाला और उनकी चूत मे जड़ तक धंसा दिया. भुवा इसके लिए तैय्यार नही थी, इसलिए उनकी उंगली भी चूत मे ही रहा गयी थी जिससे उनकी चूत टाइट लग रही था. मैं भुवा के बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मे समेट कर दनादन शॉट लगाने लगा.
 
वो भी सम्हल कर ज़ोर ज़ोर से आह उहह करती हुई चूतर आगे-पीछे करके अपनी चूत मे मेरा लंड लेने लगी. हम दोनो की सांस फूल रही थी. आख़िर मेरा ज्वालामुखी फूट पड़ा और मैं भुआ की पीठ से चिपक कर भुवा की चूत मे झार गया. उनकी भी चूत को झरने को थी और भुवा भी चीख़्ती हुई झार गयी. हम दोनो उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गये और थकान की वजह से सो गये. उस रात मैने भुआ की चूत कम से कम चार बार और चोदि. 



सुबहा करीब 10 बजे सुमन (दोस्त की बहन) ने मुझे उठा कर चाइ दी और कहा दीनू भैया फ्रेश हो कर नहा धो लो मैं नास्टा बनाती हूँ. घर में केवल उसे देख कर कहा मा और भूवजि कहाँ गये ? वो बोली वे तो कब के मे चले गये हैं. 

यहाँ आवाज़ होगी इसलिए मा रात की नीद खेत में ही पूरी करेगी और वे लोग शाम से पहले लोटने वाले नहीं हैं. और मैं फ्रेश होकर नहा धो कर नास्टा करने लगा. सुमन अपने काम में लग गयी. मैं कमरे में आकर किताब पढ़ने लगा. मुझे कहीं बाहर जाना नहीं था इसलिए मैं केवल तौलिया और बनियान में था. 


करीब एक घंटे बाद सुमन अपना काम निबटा कर कमरे में बिस्तेर ठीक करने आई और मुझसे बोली भैया आप उधर कुर्सी पर बैठ जाओ मुझे बिस्तर ठीक करना हैं. मैं उठ कर कुर्शी पर बैठ गया वो बिस्तर ठीक करने लगी. 


चादर पर मेरे लंड और भुवा की चूत के पानी के धब्बे रात की कहानी सुना रहे थे. सुमन झुक कर निशान वाली जगह को सूंघ रही थी. मेरी तो उपर की सांस उपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी. थोड़ी देर बाद सुमन उठ गयी और मेरी तरफ देखती हुई अदा से मुस्कुरा दी. 


फिर इठलाते हुए मेरे पास आई और आँख मार कर बोली, “लगता है रात भुवा के साथ जम कर खेल खेला हैं.” मैं हिम्मत कर के बोला, “क्या मतलब?” वो मुझसे सॅट-ती हुई बोली, “इतने भोले मत बनो. जनभुजकर अंजान बन रहे हो. क्या मैं अच्छी नहीं लगती तुम्हे? मैने कुच्छ नहीं कहा और केवल मुस्करा दिया और मैने गौर्से देखा उसको. 

मस्त लौंडिया थी. स्वामली सा रंग, छरहरा बदन. उठी हुई मस्त चूंचियाँ. उसने अपना पल्लू सामने से लेकर कमर मे दबाया हुआ था, जिससे उसकी चूंची और उभर कर सामने आ गयी थी. वो बात करते करते मुझसे एक दम सॅट गयी और उसकी तनी तनी चूंची मेरी नंगी छाती से छूने लगी. 


यह सब देख कर मेरा लंड जोश मे फरफारा उठा. मैने सोचा कि इससे ज़्यादा अक्च्छा मौका फिर नही मिलने वाला. साली खुद ही तो मेरे आई हुई है. मैने हिम्मत कर के उसे कमर से पकड़ लिया और अपनी पास खींच कर अपने से चिपका लिया और बोला, “चल सुमन थोडा सा खेल तेरे साथ भी हो गये, वो एकदम से घबरा गयी और अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. पर मैं उसे कस कर पकड़े हुए चूमने की कोशिश करने लगा. 


वो मुझ से दूर हटने की कोशिश करती जा रही थी पर वो बेबस थी. इसी दौरान मेरा तौलिया खुल गया और मेरा 9” का फंफनता हुआ लंड आज़ाद हो गया. मैं कहा देखो मज़े लेना हैं तो चलो बिस्तर पर और उसे अपनी बाहों में उठा कर बिस्तेर पर लिटा कर अपना लंड उसकी गंद मे दबाते हुए मैने अपनी एक टांग उसकी टांग पर चढ़ा दिया और उसे दबोच लिया.
 
दोनो हाथों से चूंचियो को पकड़ कर मसल्ते हुए बोला, “नखरे क्यों दिखाती है? खुदा ने हुस्न दिया है क्या मार ही डालॉगी, आरे हमे नही दोगी तो क्या आचार डालॉगी? चल आजा और प्यार से अपनी मस्त जवानी का का मज़ा लेते हैं.” 

कहते हुए उसके ब्लाउस को खींच कर खोल दिया. फिर एक हाथ को नीचे ले जाकर उसके पेटिकोट के अंदर घुसा दिया और उसकी चिकनी चिकनी जाँघो को सहलाने लगा. धीरे धीरे हाथ उसकी चूत पर ले गया. पर वो तो दोनो जांघों को कस कर दबाई हुए थी. मैं उसकी चूत को उपर से कस कस कर मसल्ने लगा और उंगली को किसी तरह चूत के अंदर डाल दिया. 


उंगली अंदर होते ही वो कस कर छटपताई और बाहर निकालने के लिए कमर हिलाने लगी. इससे उसका पेटिकोट उपर उठ गया. मैने कमर पीछे कर के अपने लंड को नंगे चूतर की दरार मे लगा दिया. क्या फूले फूले चूतर थे. अपना दूसरा हाथ भी उसकी चूंची पर से हटा कर उसके चूतर को पकड़ लिया और अपना लंड से उसकी गंद की दरार मे रख कर उसकी चूत को मैं उंगली से चोद्ते हुए गंद की दरार मे लंड थोड़ा थोड़ा धंसा रहा था. कुछ ही देर मे वो ढीली पड़ गयी और जांघों को ढीला कर के कमर हिला हिला कर आगे और पीछे की चुदाई का मज़ा लेने लगी. 

“क्यों रानी मज़ा आ रहा है?” मैने धक्का लगाते हुए पूछा. “हाँ भैयाँ मज़ा आ रहा. है” उसने जंघे फैला दी जिससे कि मेरी उंगली आसानी से अंदर-बाहर होने लगी. फिर उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और उसकी मोटाई को नाप कर बोली, “हाई इतना मोटा लंड. चलो मुझे सीधा होने दो,” कहते हुए वो चित लेट गयी. 


अब हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे. मैने अपनी टांग उसकी टांग पर चढ़ा ली और लंड को उसकी जाँघ पर रगड़ते हुए चूंचीओ को चूसने लगा. पत्थर जैसी सख़्त थी उसकी चूंची. एक हाथ से उसकी चूंची मसल रहा था और दूसरे हाथ की उंगली से उसकी चूत चोद रहा था. वो भी लगातार मेरे लंड को पकड़ कर अपनी जांघों पर घिस रही थी. जब हम दोनो पूरे जोश मे आगये तब सुमन बोली, “अब मत तद्पाओ भैया चोद दो मुझे अब.”मैने झटपट उसकी सारी और पेटिकोट को कमर से उपर उठा कर उसकी चूत को पूरा नंगा कर दिया. 


वो बोली, “पहले मेरे सारे कपड़े तो उतारो.” मैं बोला, “नही तुझे आध नंगी देख कर जोश और डबल हो गया है, इसलिए पहली चुदाई तो कपड़ो के साथ होगी.” फिर मैने उसकी टाँगे अपनी कंधों पर रखी और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और बोले, “आओ , शुरू हो जाओ.” मैने कमर आगे कर के ज़ोर दार धक्का दिया और मेरा आधा लंड दनदनाता हुआ उसकी चूत मे धँस गया. 


वो चिल्ला उठी. “आहिस्ते भैया आहिस्ते दर्द हो रहा हैं और उसने अपनी चूत को सिकोड लिया जिस से मेरा लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया. मैने उसकी सख़्त चूंची को पकड़ कर मसलते हुए फिर अपना लंड उसकी चूत पर रख कर एक और शॉट लगाया तो मेरा सूपड़ा उसकी चूत मैं घुस गया कुछ देर तक मैने कुच्छ हरकत नहीं की और उसके होटो को अपने होटो में लेकर चूसने लगा. उसकी आँखों से अब भी आँसू निकल रहे थे थोड़ी देर बाद वो थोड़ा शांत हुई और अब मैने दूसरा शॉट लगाया तो मेरा बचा हुआ लॉरा भी जड़ तक उसकी चूत मे धँस गया. 


मारे दर्द के उसकी चीख निकल गयी और बोली, “बरा जालिम है तुम्हारा लॉरा. किसी कुँवारी छोकरी को इसतरह चोदोगे तो वो मर जाएगी. संभाल कर चोदना.”मैं उसकी चूंचियो को पकड़ कर मसल्ते हुए धीरे-धीरे लंड चूत के अंदर-बाहर करने लगा. चूत तो इसकी भी टाइट थी 


में उसकी चूत को पहले आराम से चोद्ता रहा जब मेरा लंड उसकी चूत में आराम से आने जाने लगा तो में उसे बहुत ज़ोर से चोदने लगा, मेने उसको आधे घंटे तक चोदा ... और फिर उसकी चूत में अपना वीर्य भर दिया इस बीच वो 3 बार झारी .... झरने के बाद मैं उसके उपर ही ढेर होगया .... फिर तो मैने पुर एक महीने तक मा बुआ और सुमन की खूब चुदाई की 

छुट्टी ख़तम होने को थी इसलिए मुझे शहर वापिस आना पड़ा लेकिन जब भी ये लोग शहर आते है हमारी राते रंगीन होती रहती है तो दोस्तो कैसी लगी ये मस्त कहानी आपका दोस्त राज शर्मा 


दा एंड ....
 
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