hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
" तुम खुश तो हो ना?" मैने उससे पूछा.
" तुमसा साथी पा कर कौन नही खुश होगा." राज शर्मा ने कहा, "हर बच्चा परी के सपने देखता है मगर मुझ को तो सक्छात परी मिल गयी" .
फिर हम दोनो उठ कर साथ साथ नहाए. तैयार होकर मैं खाना बनाकर उसे अपने हाथों से खिलाई. और उसने मुझे खिलाया. फिर वापस हम बेडरूम मे आ गये. रात भर राउंड पर राउंड चलते रहे. सुबह तक मेरा तो उसने बुरा हाल कर दिया था ऐसा लग रहा था मानो मुझे मथ्नि मे डाल कर मठ दिया हो. चूत का हाल तो बहुत ही बुरा था. पहले ही मिलन मे इतनी घिसाई तो उसके हिम्मत तोड़ने के लिए काफ़ी थी. लाल होकर फूल गयी थी. फोड़े की तरह दुख रहा था. सुबह तक तो मुझमे उठकर खड़े होने की ताक़त भी नहीं बची थी. सुबह 6.0 ओ'क्लॉक को वो उठा और तैयार होकर मेरे मकान से निकल गया जिससे किसी को पता नही चले. जाने से पहले मुझे होंठों पर एक चुंबन देकर उठाया.
"मत जाओ अब मुझे छोड़कर" मैने उस से विनती की.
"अजीब पागल लड़की है" उसने कहा, "पहले शादी हो जाने दो फिर बाँध लेना मुझे."
" सहारा देकर उठा तो सकते हो."
उसने मुझे सहारा देकर उठाया. उसके जाने के बाद मैं सोफे पर ढेर हो गयी. सुबह मुझ से मिलने मेरी एक मात्र सहेली रचना आई.
"क्या हुआ मेरी बन्नो?" मैने अपना हाल सुनाया तो वो भी खुश हुई. लेकिन जब राज शर्मा के काम काज के बारे मे सुना तो कुछ मायूस हो गयी. लेकिन मैने उससे कहा कि मैं उससे प्यार करती हूँ और हम दोनो मिलकर ग्रहस्थी की गाड़ी खींच लेंगे. तब जाकर वो कुछ अस्वस्थ हुई.
मुझे काफ़ी टाइम लगा अपने परिवार वालो को मनाने मे लेकिन आख़िर मे जीत मेरी ही हुई. मेरे घरवालों ने समझाने की कोशिश की मगर मेरा निश्चय देख कर शांत हो गये.
महीने भर बाद हम दोनो ने एक सादे स्मरोह मे मंदिर मे जाकर शादी करली. मैने ट्रान्स्फर के लिए अप्लाइ किया जो की जल्दी ही आगेया. नये जगह जाय्न करने के बाद मैने शादी का अननौंसेमेट किया. तबतक मैं ऑलरेडी 3 मंत्स प्रेग्नेंट थी. रचना ने भी मेरे साथ ही सेम जगह ट्रान्स्फर के लिए अप्लाइ किया जो कि मंजूर होगया. राज शर्मा ने एक छोटी मोटी सी नर्सरी खोल ली.
मेरे साथ मेरी प्यारी सहेली रचना का भी ट्रान्स्फर उसी जगह हो गया था जो कि हमारे लिए बहुत ही खुशी की बात थी. राज ने नयी जगह पर एक नर्सरी खोल ली. जो कि उसकी महनत से अच्छा चल बैठा. मेरी पहली प्रेग्नेन्सी जो कि शादी से पहले ही हो गयी थी मिसकॅरियेज हो गया. हम दोनो बच्चों के मामले मे कोई भी जल्दी बाजी नहीं करना चाहते थे. इसलिए हम ने शादी के बाद काफ़ी सुरक्षा के साथ ही संभोग किया. रचना और राज शर्मा मे काफ़ी चुहल बाजी चलती रहती थी. जिसमे मुझे मज़ा आता था.
" तुमसा साथी पा कर कौन नही खुश होगा." राज शर्मा ने कहा, "हर बच्चा परी के सपने देखता है मगर मुझ को तो सक्छात परी मिल गयी" .
फिर हम दोनो उठ कर साथ साथ नहाए. तैयार होकर मैं खाना बनाकर उसे अपने हाथों से खिलाई. और उसने मुझे खिलाया. फिर वापस हम बेडरूम मे आ गये. रात भर राउंड पर राउंड चलते रहे. सुबह तक मेरा तो उसने बुरा हाल कर दिया था ऐसा लग रहा था मानो मुझे मथ्नि मे डाल कर मठ दिया हो. चूत का हाल तो बहुत ही बुरा था. पहले ही मिलन मे इतनी घिसाई तो उसके हिम्मत तोड़ने के लिए काफ़ी थी. लाल होकर फूल गयी थी. फोड़े की तरह दुख रहा था. सुबह तक तो मुझमे उठकर खड़े होने की ताक़त भी नहीं बची थी. सुबह 6.0 ओ'क्लॉक को वो उठा और तैयार होकर मेरे मकान से निकल गया जिससे किसी को पता नही चले. जाने से पहले मुझे होंठों पर एक चुंबन देकर उठाया.
"मत जाओ अब मुझे छोड़कर" मैने उस से विनती की.
"अजीब पागल लड़की है" उसने कहा, "पहले शादी हो जाने दो फिर बाँध लेना मुझे."
" सहारा देकर उठा तो सकते हो."
उसने मुझे सहारा देकर उठाया. उसके जाने के बाद मैं सोफे पर ढेर हो गयी. सुबह मुझ से मिलने मेरी एक मात्र सहेली रचना आई.
"क्या हुआ मेरी बन्नो?" मैने अपना हाल सुनाया तो वो भी खुश हुई. लेकिन जब राज शर्मा के काम काज के बारे मे सुना तो कुछ मायूस हो गयी. लेकिन मैने उससे कहा कि मैं उससे प्यार करती हूँ और हम दोनो मिलकर ग्रहस्थी की गाड़ी खींच लेंगे. तब जाकर वो कुछ अस्वस्थ हुई.
मुझे काफ़ी टाइम लगा अपने परिवार वालो को मनाने मे लेकिन आख़िर मे जीत मेरी ही हुई. मेरे घरवालों ने समझाने की कोशिश की मगर मेरा निश्चय देख कर शांत हो गये.
महीने भर बाद हम दोनो ने एक सादे स्मरोह मे मंदिर मे जाकर शादी करली. मैने ट्रान्स्फर के लिए अप्लाइ किया जो की जल्दी ही आगेया. नये जगह जाय्न करने के बाद मैने शादी का अननौंसेमेट किया. तबतक मैं ऑलरेडी 3 मंत्स प्रेग्नेंट थी. रचना ने भी मेरे साथ ही सेम जगह ट्रान्स्फर के लिए अप्लाइ किया जो कि मंजूर होगया. राज शर्मा ने एक छोटी मोटी सी नर्सरी खोल ली.
मेरे साथ मेरी प्यारी सहेली रचना का भी ट्रान्स्फर उसी जगह हो गया था जो कि हमारे लिए बहुत ही खुशी की बात थी. राज ने नयी जगह पर एक नर्सरी खोल ली. जो कि उसकी महनत से अच्छा चल बैठा. मेरी पहली प्रेग्नेन्सी जो कि शादी से पहले ही हो गयी थी मिसकॅरियेज हो गया. हम दोनो बच्चों के मामले मे कोई भी जल्दी बाजी नहीं करना चाहते थे. इसलिए हम ने शादी के बाद काफ़ी सुरक्षा के साथ ही संभोग किया. रचना और राज शर्मा मे काफ़ी चुहल बाजी चलती रहती थी. जिसमे मुझे मज़ा आता था.