hotaks444
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मेरे अलाव के पास पहुँचते ही अरुण ने अपना हाथ बढ़ा कर मुझे अपनी गोद मे खींच लिया. मुकुल भी वही आकर बैठ गया. दोनो वापस मेरे नग्न बदन को मसल्ने कचॉटने लगे. मेरे एक एक अंग को तोड़ मरोड़ कर रख दिया. थकान और नशे से वापस मेरी आँखें बंद होने लगी. दोनो एक एक स्तन पर अपना हक़ जमाने की कोशिश कर रहे थे. दोनो की दो दो उंगलियाँ एक साथ मेरी योनि के अंदर बाहर हो रही थी. मैं उत्तेजना से तड़पने लगी. मैं दोनो के सिरों को जाकड़ कर अपनी चुचियों पर भींच रही थी.
अरुण घुटने के बल उठा और मेरे सिर को बालों से पकड़ कर अपने लंड पर दबा दिया. वीर्य से सने उसके लंड को मैने अपना मुँह खोल कर अंदर जाने का रास्ता दिया. मैं उनके लंड को चूसने लगी और मुकुल मेरी योनि और नितंबों पर अपनी जीभ फेरने लगा. मुझे दोनो ने हाथों और पैरों के बल पर किसी जानवर की तरह झुकाया और अरुण ने मेरे सामने से आकर अपना लंड वापस मेरे मुँह मे डाल दिया. तभी मुकुल ने वापस अपने लंड को मेरी योनि के अंदर डाल दिया. दोनो एक साथ मेरे आगे और पीछे से धक्का मारते और मैं बीच मे फाँसी दर्द से कराह उठती.
इस तरह जो संभोग चालू हुआ तो घंटों चलता रहा दोनो ने मुझे रात भर बुरी तरह झिझोर दिया. कभी आगे से कभी पीछे से कभी मुँह मे तो कभी मेरी दोनो चुचियों के बीच हर जगह जी भर कर मालिश की. मेरे पूरे बदन पर वीर्य का मानो लेप चढ़ा दिया. पूरा बदन वीर्य से चिपचिपा हो रहा था. ना तो उन्हों ने इसे पोंच्छा ना मुझे ही अपने बदन को सॉफ करने दिया. दोनो मुझे तब तक रोन्द्ते रहे जब तक ना संभोग करते करते वो निढाल हो कर वहीं पर गये. मैं तो मानो कोमा मे थी. मेरे बदन के साथ जो कुछ हो रहा था मुझे लग रहा था मानो कोई सपना हो. दोनो आख़िर निढाल हो कर वहीं लुढ़क गये.
रात को कभी किसी की आँख खुलती तो मुझे कुछ देर तक झींझोरने लगता. पता ही नहीं चला कब भोर हो गयी. अचानक मेरी आँख खुली तो देखा चारों ओर लालिमा फैल रही है. मैं दोनो की गोद मे बिल्कुल नग्न लेटी हुई थी. मेरा नशा ख़त्म हो चुका था. मुझे अपनी हालत पर शर्म आने लगी. मुझे अपने आप से नफ़रत होने लगी. किस तरह मैने उन्हे अपनी मनमानी कर लेने दिया. जी मे आ रहा था कि वहीं से कोई पत्थर उठा कर दोनो के सिर फोड़ दूं. मगर उठने लगी तो लगा मानो मेरा निचला बदन सुन्न हो गया हो. दर्द की अधिकता के कारण मैं लड़खड़ा कर वापस वहीं पसर गयी. मेरे गिरने से दोनो चौंक कर उठ बैठे और मेरी हालत देख कर मुस्कुरा दिए. मेरे फूल से बदन की हालत बहुत ही बुरी हो रही थी. जगह जगह लाल नीले निशान परे हुए थे. मेरे स्तन दर्द से सूजे हुए थे. दोनो ने सहारा देकर मुझे उठाया. मुकुल मुझे अरुण की बाहों मे छोड़ कर मेरे कपड़े ले आया तब तक अरुण मेरे नग्न शरीर से लिपटा हुया मेरे होंठों को चूमता रहा. एक हाथ मेरे स्तनो को मसल रहे थे तो दूसरा हाथ मेरी जांघों के बीच मेरी योनि को मसल रहा था. दोनो ने मिल कर मुझे कपड़े पहनने मे मदद की मगर अरुण ने मुझे मेरी ब्रा और पॅंटी वापस नही की उन दो कपड़ों को उसने हमारे संभोग की यादगार के रूप मे अपने पास रख लिया.
मैने सूमो मे बैठ कर बॅक मिरर पर नज़र डाली तो अपनी हालत देख कर रो पड़ी. होंठ सूज रहे थे चेहरे पर वीर्य सूख कर सफेद पपड़ी बना रहा था. मुझे अपने आप से घिंन आरहि थी. सड़क के पास ही थोड़ा पानी जमा हुआ था. जिस से अपना चेहरा धो कर अपने आप को व्यवस्थित किया.
दोनो मुझे अपने बदन से उनके दिए निशानो को मिटाने की नाकाम कोशिश करते देख रहे थे. अरुण मेरे बदन से लिपट कर मेरे होंठो को चूम लिया. मैने उसे धकेल कर अपने से अलग किया. "मुझे अपने घर वापस छोड़ दो." मैने गुस्से से कहा. अरुण ने सामने की सीट पर बैठ कर जीप को स्टार्ट किया. जीप एक ही झटके मे स्टार्ट हो गयी.
"ये….ये तो एक बार मे ही स्टार्ट हो गयी…" मैने उनकी तरफ देखा तो दोनो को मुझ पर मुस्कुराते हुए पाया. मैं समझ गयी कि ये सब दोनो की मिली भगत थी. मुझे चोदने के लिए ही सूनसान जगह मे लेजा कर गाड़ी खराब कर दिया. सारा दोनो की मिली जुली प्लॅनिंग का हिस्सा था. मैं चुप चाप बैठी रही और दोनो को मन ही मन कोस्ती रही.
घंटे भर बाद हम घर पहुँचे. रास्ते मे भी दोनो मेरे स्तनो पर हाथ फेरते रहे. मगर मैने दोनो को गुस्से से अपने बदन सी अलग रखा. हम जब तक घर पहुँचे राज अपने काम पर निकल चुका था जो की मेरे लिए बहुत ही अच्छा रहा वरना उसको मेरी हालत देख कर सॉफ पता चल जाता कि रात भर मैने क्या क्या गुल खिलाएँ हैं. मेरे लिए उसकी गहरी आँखों को सफाई देना भारी पड़ जाता.
मैने दरवाजा खोला और अंदर गयी. दोनो मेरे पीछे पीच्चे अंदर आ गये. मैं उन्हे रोक नही पाई.
"मैं बाथरूम मे जा रही हूँ नहाने के लिए तुम वापस जाते समय दरवाजा भिड़ा देना."
"जानेमन इतनी जल्दी भी क्या है. अभी एक एक राउंड और खेलने का मन हो रहा है." अरुण ने बदतमीज़ी से अपने दाँत निकाले.
"नही….चले जाओ नही तो मैं राज शर्मा को बता दूँगी. राज शर्मा को पता चल गया तो वो तुम दोनो को जिंदा नही छोड़ेगा." मैने दोनो की ओर नफ़रत से देखा.
"अरे नही जानेमन तुम हम मर्दों से वाकिफ़ नही हो. अभी अगर जा कर मैने कह दिया कि तुम्हारी बीवी सारी रात हमारे साथ गुलचर्रे उड़ाने के लिए रात भर हमारे पास रुक गयी तो तुम्हारा हज़्बेंड हमे ही सही मानेगा. देती रहना तुम अपनी सफाई. हाहाहा…." अरुण मेरी बेबसी पर हंस रहा था मुझे लग रहा था कि अभी दोनो का गला दबा दूं. मैं चुप छाप खड़ी फटी फटी आँखों से उसे देखती ही रह गयी.
अरुण घुटने के बल उठा और मेरे सिर को बालों से पकड़ कर अपने लंड पर दबा दिया. वीर्य से सने उसके लंड को मैने अपना मुँह खोल कर अंदर जाने का रास्ता दिया. मैं उनके लंड को चूसने लगी और मुकुल मेरी योनि और नितंबों पर अपनी जीभ फेरने लगा. मुझे दोनो ने हाथों और पैरों के बल पर किसी जानवर की तरह झुकाया और अरुण ने मेरे सामने से आकर अपना लंड वापस मेरे मुँह मे डाल दिया. तभी मुकुल ने वापस अपने लंड को मेरी योनि के अंदर डाल दिया. दोनो एक साथ मेरे आगे और पीछे से धक्का मारते और मैं बीच मे फाँसी दर्द से कराह उठती.
इस तरह जो संभोग चालू हुआ तो घंटों चलता रहा दोनो ने मुझे रात भर बुरी तरह झिझोर दिया. कभी आगे से कभी पीछे से कभी मुँह मे तो कभी मेरी दोनो चुचियों के बीच हर जगह जी भर कर मालिश की. मेरे पूरे बदन पर वीर्य का मानो लेप चढ़ा दिया. पूरा बदन वीर्य से चिपचिपा हो रहा था. ना तो उन्हों ने इसे पोंच्छा ना मुझे ही अपने बदन को सॉफ करने दिया. दोनो मुझे तब तक रोन्द्ते रहे जब तक ना संभोग करते करते वो निढाल हो कर वहीं पर गये. मैं तो मानो कोमा मे थी. मेरे बदन के साथ जो कुछ हो रहा था मुझे लग रहा था मानो कोई सपना हो. दोनो आख़िर निढाल हो कर वहीं लुढ़क गये.
रात को कभी किसी की आँख खुलती तो मुझे कुछ देर तक झींझोरने लगता. पता ही नहीं चला कब भोर हो गयी. अचानक मेरी आँख खुली तो देखा चारों ओर लालिमा फैल रही है. मैं दोनो की गोद मे बिल्कुल नग्न लेटी हुई थी. मेरा नशा ख़त्म हो चुका था. मुझे अपनी हालत पर शर्म आने लगी. मुझे अपने आप से नफ़रत होने लगी. किस तरह मैने उन्हे अपनी मनमानी कर लेने दिया. जी मे आ रहा था कि वहीं से कोई पत्थर उठा कर दोनो के सिर फोड़ दूं. मगर उठने लगी तो लगा मानो मेरा निचला बदन सुन्न हो गया हो. दर्द की अधिकता के कारण मैं लड़खड़ा कर वापस वहीं पसर गयी. मेरे गिरने से दोनो चौंक कर उठ बैठे और मेरी हालत देख कर मुस्कुरा दिए. मेरे फूल से बदन की हालत बहुत ही बुरी हो रही थी. जगह जगह लाल नीले निशान परे हुए थे. मेरे स्तन दर्द से सूजे हुए थे. दोनो ने सहारा देकर मुझे उठाया. मुकुल मुझे अरुण की बाहों मे छोड़ कर मेरे कपड़े ले आया तब तक अरुण मेरे नग्न शरीर से लिपटा हुया मेरे होंठों को चूमता रहा. एक हाथ मेरे स्तनो को मसल रहे थे तो दूसरा हाथ मेरी जांघों के बीच मेरी योनि को मसल रहा था. दोनो ने मिल कर मुझे कपड़े पहनने मे मदद की मगर अरुण ने मुझे मेरी ब्रा और पॅंटी वापस नही की उन दो कपड़ों को उसने हमारे संभोग की यादगार के रूप मे अपने पास रख लिया.
मैने सूमो मे बैठ कर बॅक मिरर पर नज़र डाली तो अपनी हालत देख कर रो पड़ी. होंठ सूज रहे थे चेहरे पर वीर्य सूख कर सफेद पपड़ी बना रहा था. मुझे अपने आप से घिंन आरहि थी. सड़क के पास ही थोड़ा पानी जमा हुआ था. जिस से अपना चेहरा धो कर अपने आप को व्यवस्थित किया.
दोनो मुझे अपने बदन से उनके दिए निशानो को मिटाने की नाकाम कोशिश करते देख रहे थे. अरुण मेरे बदन से लिपट कर मेरे होंठो को चूम लिया. मैने उसे धकेल कर अपने से अलग किया. "मुझे अपने घर वापस छोड़ दो." मैने गुस्से से कहा. अरुण ने सामने की सीट पर बैठ कर जीप को स्टार्ट किया. जीप एक ही झटके मे स्टार्ट हो गयी.
"ये….ये तो एक बार मे ही स्टार्ट हो गयी…" मैने उनकी तरफ देखा तो दोनो को मुझ पर मुस्कुराते हुए पाया. मैं समझ गयी कि ये सब दोनो की मिली भगत थी. मुझे चोदने के लिए ही सूनसान जगह मे लेजा कर गाड़ी खराब कर दिया. सारा दोनो की मिली जुली प्लॅनिंग का हिस्सा था. मैं चुप चाप बैठी रही और दोनो को मन ही मन कोस्ती रही.
घंटे भर बाद हम घर पहुँचे. रास्ते मे भी दोनो मेरे स्तनो पर हाथ फेरते रहे. मगर मैने दोनो को गुस्से से अपने बदन सी अलग रखा. हम जब तक घर पहुँचे राज अपने काम पर निकल चुका था जो की मेरे लिए बहुत ही अच्छा रहा वरना उसको मेरी हालत देख कर सॉफ पता चल जाता कि रात भर मैने क्या क्या गुल खिलाएँ हैं. मेरे लिए उसकी गहरी आँखों को सफाई देना भारी पड़ जाता.
मैने दरवाजा खोला और अंदर गयी. दोनो मेरे पीछे पीच्चे अंदर आ गये. मैं उन्हे रोक नही पाई.
"मैं बाथरूम मे जा रही हूँ नहाने के लिए तुम वापस जाते समय दरवाजा भिड़ा देना."
"जानेमन इतनी जल्दी भी क्या है. अभी एक एक राउंड और खेलने का मन हो रहा है." अरुण ने बदतमीज़ी से अपने दाँत निकाले.
"नही….चले जाओ नही तो मैं राज शर्मा को बता दूँगी. राज शर्मा को पता चल गया तो वो तुम दोनो को जिंदा नही छोड़ेगा." मैने दोनो की ओर नफ़रत से देखा.
"अरे नही जानेमन तुम हम मर्दों से वाकिफ़ नही हो. अभी अगर जा कर मैने कह दिया कि तुम्हारी बीवी सारी रात हमारे साथ गुलचर्रे उड़ाने के लिए रात भर हमारे पास रुक गयी तो तुम्हारा हज़्बेंड हमे ही सही मानेगा. देती रहना तुम अपनी सफाई. हाहाहा…." अरुण मेरी बेबसी पर हंस रहा था मुझे लग रहा था कि अभी दोनो का गला दबा दूं. मैं चुप छाप खड़ी फटी फटी आँखों से उसे देखती ही रह गयी.