Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी - Page 3 - SexBaba
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Incest Kahani पहले सिस्टर फिर मम्मी

कुछ देर बाद ही मेरे जानदार धक्कों का जवाब, दीदी भी अपनी गाण्ड उछाल-उछालकर देने लगी थी। शायद अब उसे भी मजा आने लगा था। उसकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी और मेरा लण्ड सटासट अंदर-बाहर हो रहा था। उसकी गोल, कठोर चूचियां मेरे हाथों में आसानी से फिट हो रही थी और उनको दबाते और सहलाते हुए मैं, अपने लौड़े को बहन की चूत में पेल रहा था। मैंने उसके होंठों को चूस रहा था और चोद रहा था।

बहना अपनी सिसकारियों और किलकारियों के द्वारा मेरा उत्साह बढ़ाते हुए, अपनी गाण्ड उछाल-उछालकर चुदवा रही थी। हम दोनों की सांसें धौंकनी की तरह चलने लगी। तभी दीदी ने मुझे कसकर अपने से चिपटा लिया, और अपनी बुर से मेरे लौड़े को कस लिया। मेरे लण्ड से भी वीर्य का एक तेज फौव्वारा, बहन की चूत के अंदर निकल पड़ा। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे, फिर थोड़ी देर बाद हम एक-दूसरे से अलग हुए और बाथरूम में जाकर अपने अंगों को साफ किया। फिर हम दोनों बेड पर बैठ गये।

दीदी ने मेरे होंठों का एक चुंबन लिया। मुझे उसकी चुदाई करने के लिये धन्यवाद दिया और कहा कि वो बहुत दिनों से किसी के साथ चुदाई करवाना चाहती थी, मगर मौका नहीं मिलने के कारण अपनी दोस्तों के साथ बैगन का इश्तेमाल करती रहती थी।

मैंने दीदी से कहा- “आज के बाद उसे बैगन के इश्तेमाल की जरूरत नहीं महसूस होगी...” ये हमारी पहली चुदाई थी, इसके बाद हम लगभग रोज चुदाई करते थे और कई-कई बार करते थे।


इतना कहकर मैं चुप हो गया।

मम्मी बड़े गौर से मेरी कहानी सुन रही थी। कहानी सुनते-सुनते उसके चेहरे का रंग भी लाल हो गया था। मुझे ऐसा लग रहा था कि मम्मी को ये कहानी सुनने में बहुत मजा आया था। वो अपने एक हाथ को अपनी जांघों । के बीच रखे हुए थी और वहां बार-बार दबा रही थी। फिर वो अपनी जांघों को भींचते हुए बोली- “ओह... लड़के, सच कह रहे हो तुम। मुझे लगता है, मैं ही इन सबका कारण हूँ। तुम्हारी कहानी सुनकर, मैं बहुत गरम और उत्तेजित हो गई हूँ..”

इतना कहते हुए, वो बेड की पुश्त पर पीठ टिकाकर अधलेटी-सी हो गई। उसने मेरा हाथ पकड़कर अपने हाथों में ले लिया और अपनी छाती पर रख दिया। मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई।

ओहह... बेटे, तुमने मुझे बहुत गरमा दिया है। तुम और तुम्हारी बहन दोपहर में बहुत जबरदस्त तरिके से चुदाई कर रहे थे। जैसा की मैं समझती हूँ, सामाजिक परंपराओं के अनुसार ये पाप है। मगर मेरा दिल जो कि मेरे दिमाग से अलग सोच रहा है और कह रहा है कि ये बहुत ही प्यारा पाप है। ओहह... पापी लड़के, क्या तुम एक और पाप करना चाहोगे? क्या तुम अपनी मम्मी के साथ भी ये पाप करना चाहोगे?”

ओहह... मम्मी, ये तुम क्या कह रही हो? क्या तुम सच में ऐसा कुछ सोचती हो?”
 
“मेरे प्यारे, क्या तुम्हें अब भी कोई शक हो रहा है? ओह्ह... माय डार्लिंग सन, जरा अपनी मम्मी की चूचियों को दबाओ और उसके होंठों को चूमो...”

“ओह्ह... ये बहुत ही आश्चर्यजनक बात है, मेरे लिये। मुझे समझ नहीं आ रहा, मैं आपको क्या जवाब दें और कैसे आगे बढ़े.. ओहह... मम्मी, मुझे आपके साथ ये सब करने में बहुत शर्म आ रही है, क्या आप?”

हरामी लड़के, तुम्हें अपनी प्यारी बहना को चोदने में कोई शर्म नहीं आई और तुमने बेशरमी से मुझे सारी कहानी भी सुना दी। अब तुम शर्माने का नाटक कर रहे हो... ओह्ह... बेटे, क्या मैं तुम्हें सुंदर नहीं लगती?”

नहीं मम्मी, तुम ऐसा कभी ना सोचना। तुम बहुत ही सुंदर हो, और कोई भी मेरी उमर का लड़का तुम्हें प्यार करना चाहेगा। मैं हमेशा से सोचता रहता था कि मेरी मम्मी और बहन से ज्यादा खूबसूरत कोई भी नहीं है। दीदी के साथ प्यार करने के बाद, मेरे मन में कई बार यह इच्छा उठी कि मैं तुमसे भी प्यार करूं, पर आज अचानक.."

ओह्ह... बेटे, तुमने जब अपनी बहन को चोदने का पाप कर लिया है, तो फिर अपने आपको इस पाप के लिये भी तैयार कर लो। बेटे, मुझे अपना प्यारा हथियार दिखाओ, जिससे तुम दोपहर में अपनी प्यारी दीदी को चोद रहे थे...”

ओह... माय डार्लिंग मम्मी, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे अपने ही घर में ऐसा आनंद मिलने वाला है...” कहते हुए, मैंने मम्मी की चूचियों को अपनी दोनों मुठ्ठीयों में भर लिया और उन्हें कस-कसकर दबाने लगा। फिर अपने आपको उसके ऊपर झुका कर, उसके होंठों पर एक जोरदार चुंबन लिया।

मम्मी की चूचियां, मेरी बहन की चूचियों की अपेक्षा में बहुत ज्यादा बड़ी-बड़ी थीं। जहां दीदी की चूचियां मेरे हाथों में पूरी तरह से फिट हो जाती थी, वहीं मम्मी के स्तन थोड़े भारी और बड़े-बड़े थे। मम्मी के पतले गुलाबी होंठों को चूसते हुए, मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दी और उसकी चूचियों को कसकर दबाने लगा। मम्मी ने भी मुझे अपने से चिपका लिया और मुझे अपने ऊपर खींचकर, मेरे चूतड़ों को दबाने लगी।
 
मैंने चूचियों को दबाना छोड़कर, उसके ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। मम्मी ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी। उसकी नंगी गुदाज चूचियों को अपने हाथों से दबाते हुए मैंने, उसके होंठों से अपने होंठों को अलग किया। मम्मी भी थोड़ा उठकर, बैठ गई और अपने ब्लाउज़ को पूरी तरह से उतार दिया। उसकी चूचियां, दीदी की चूचियों से काफी बड़ीबड़ी थीं, मगर उनमें जरा-सा भी ढलाव नजर नहीं आ रहा था। बहुत ही खूबसूरत चूचियां थीं मम्मी की।

तभी मम्मी ने मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़कर, मेरे मुँह को अपनी चूचियों पर गाड़ दिया। मैंने भी चूचियों को अपने मुँह में भर लिया और निप्पलों को बारी-बारी मुँह में भरते हुए जोर-जोर से चूसने लगा। एक चूची को चूसते हुए, दूसरी चूची को कस-कसकर दबाने लगा।

मम्मी अब बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और सिसकाते हुए बोली- “ओह... माय लवली सन। बेटे, ऐसे ही चूसो अपनी मम्मी की चूचियों को। उफ्फ्फ... तुम बहुत मजा दे रहे हो अपनी मम्मी को..”

मैं पूरे जोश के साथ, दोनों चूचियों को बारी-बारी चूस रहा था। ऐसा लग रहा था, जैसे मैं उनका दूध पीने की कोशिश कर रहा हूँ।

ओह्ह... बोय, तुम तो कमाल की चूची चूसते हो। इसी तरह से मेरे निप्पलों को चूसो, प्यारे। जहां तक मुझे याद है, तुम्हारे डैडी ने भी कभी इस तरह से इन्हें नहीं चूसा है। लड़के, लगता है कि तुमने अपनी बहन की चूचियों का रस पी-पीकर काफी प्रैक्टिस कर ली है...”

“मम्मी, तुम्हारी चूचियां ज्यादा मजेदार हैं। दीदी की चूचियां तुमसे थोड़ी छोटी है, इसलिये तुम्हारी चूचियों को। चूसने में मुझे ज्यादा मजा आ रहा है। तुम्हारे निप्पल भी काफी बड़े और रसीले है। ईडी सच में बहुत लकी हैं...”

लड़के, लकी तो तुम भी कम नहीं हो। प्यारे, तुमने इनसे दूध पीया है और इनका रस पीते हुए मजा कर रहे हो, और अपना लण्ड खड़ा कर रहे हो...”

मैंने दोनों चूचियों को चूस-चूस के लाल कर दिया था। मम्मी की दोनों चूचियां मेरे थूक से पूरी तरह से गीली हो गई थीं। तभी मेरे होंठ फिसलकर उसके हाथ और कंधे के जोड़ तक पहुँच गये। तुरंत ही मेरे नथुनों में उसकी कांखों से निकलती हुई मादक खुशबू भर गई। मैंने मम्मी के हाथ को पकड़कर अलग किया और अपने चेहरे को उसकी कांख में गाड़ दिया।

उसको हल्की-सी गुदगुदी का एहसास हुआ तो वो हँस पड़ी और बोली- “ईईस्स्स... उफ्फ... शीशीईई, ये क्या कर रहे हो लड़के? उफ्फ्फ्फ ... क्या तुम अपनी बहन की कांखों को भी चाटते हो? ओह्ह... शैतान लड़के...”
 
मैं उसके कांखों की मदमस्त खुशबू से एकदम मदहोश हो चुका था और कांखों के सारे पशीने को चाट गया। फिर मैंने उसकी दूसरी कांख को भी चाटा और नीचे की तरफ बढ़ता चला गया। उसकी नाभि को और पेट खूब अच्छी तरह से चाटा। नाभि के गोलाकार छेद में अपनी जीभ को डालकर घुमाते हुए, मैंने उसके पेटीकोट के ऊपर से ही हाथ फिराना शुरू कर दिया। अपने हाथों को उसकी जांघों के बीच लेजाकर उसकी चूत को अपनी मुठ्ठी में भरकर मसलने लगा। उसकी चूत एकदम गीली हो गई थी, इसका एहसास मुझे पेटीकोट के ऊपर से भी हो रहा था। मैंने हाथ बढ़ाकर उसके पेटीकोट ऊपर उठा दिया और उसकी जांघों को फैलाकर, उनके बीच आ गया। मम्मी की जांघे मोटी, केले के तने जैसी, मांसल और गोरी थी।


उसकी गोरी मांसल जांघों के बीच हल्की-हल्की झांटें थी और झांटों के झुरमुट के बीच उसकी गोरी चूत, चांद के जैसे झांक रही थी। उसकी चूत के गुलाबी होंठ गीले थे और ट्यूब-लाइट की रोशनी में चमक रहे थे। उसकी गोरी जांघों में मुँह मारने की मेरी हार्दिक इच्छा हुई और मैंने अपनी इस इच्छा को पूरा कर लिया। उसकी जांघों को। हल्के-हल्के दांत से काटते हुए मैं जीभ से चाटने लगा। चाटते-चाटते मैं उसकी रानों के पास पहुँच गया और उसकी जांघों के जोड़ को चाटने लगा। तभी मेरी नाक में उसकी पानी छोड़ती हुई चूत से आती खुशबू का एहसास हुआ और मैंने अपना मुँह उसकी चूत की मखमली झांटों पर रख दिया।

मम्मी ने भी अपने पैरों को फैला दिया और मेरे सिर के बालों पर हाथ फेरते हुए, मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबाया। मैं भी जीभ निकलकर उसकी चूत को ऊपर से नीचे एक बार चाटा, फिर चूत के गुलाबी होंठों को अपने हाथों से फैला दिया। मम्मी की चूत रस से एकदम गीली हो चुकी थी और बुर की क्लिट लाल दिख रही थी। मैंने अपनी जीभ को उस क्लिट के ऊपर हल्के से फेरा तो मम्मी का पूरे बदन कंपकंपा गया।

उसकी जांघे कांपने लगी और सिसयाते हुए बोली- “ओहह.. लड़के, क्या कर रहे हो... आआहह... बेटे, बहुत अच्छा कर रहे हो। ओओहहह... सही जा रहे हो। ऐसे ही अपनी जीभ मेरी चूत पर फिराओ और चूसो मेरी चूत को...”

मैंने चूत के होंठों को अपने होंठों से मिला दिया और बुर की टीट को होंठों में भरकर थोड़ी देर तक चूसा। फिर उसकी पनियाई हुई चूत के छेद में, अपनी जीभ को नुकीला करके पेल दिया और तेजी के साथ नचाने लगा। चूत में जीभ के नचाने पर मम्मी अपनी गाण्ड को हवा में उछालने लगी और सिसियाती हुई बोली- “ओहह... बेटा, । माय डार्लिंग सन, ऐसे ही डिअर ऐसे ही मेरी चूत में अपने जीभ को घुमाओ, यह मुझे बहुत मजा दे रहा है। मेरे बुरचाटू राजा, ओहहह, १३शीईई, मेरे गान्डू बेटे, तुम बहुत अच्छी चटाई कर रहे हो...”

मैं अपने हाथ को उसके चूतड़ों के नीचे ले गया। अपने हाथों से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए, उसकी गाण्ड के छेद को अपनी एक अंगुली से छेड़ने लगा। मैं अपनी जीभ को कड़ा करके, उसकी चूत में तेजी के साथ पेल रहा था और जीभ को बुर के अंदर पूरा लेजाकर उसे घुमा रहा था। मम्मी भी अपने चूतड़ों को तेजी के साथ नचाते हुए, अपनी गाण्ड को मेरी जीभ पर धकेल रही थी। मैं उसकी बुर को जीभ से चोद रहा था। मम्मी अब उत्तेजना
की सीमा को पार कर चुकी थी, शायद।
 
वो अब अपने चूतड़ों नचाते हुए बहुत तेज सिसकारियां ले रही थी- “शीईई, आआह्ह्ह... ओह... बहनचोद बेटे, तुम मुझे पागल बना रहे हो, ओह... डार्लिंग सन, हाँ ऐसे ही, ऐसे ही चूसो मेरी चूत को, मेरी बुर के होंठों को अपने मुँह में भरकर, ऐसे ही चाटो राजा, ओहह... प्यारे, बहुत अच्छा कर रहे हो तुम, इसी प्रकार से मेरी चूत के छेद में अपनी जीभ को पेलों और अपने मुँह से चोद दो, अपनी मम्मी को..”

मम्मी की उत्साहवर्धक सिसकारियों ने मेरी जीभ पेलने की स्पीड को काफी तेज कर दिया। मैं चूत के रस को । पीते हुए, पूरी बुर में अपनी जीभ को घुमा रहा था। चूत का नमकीन पानी और उसका कसैला स्वाद, मुझे पागल बना रहा था। मैं हांफते हुए एक कुत्ते की तरह, उस कसैले शहद की कटोरी को चाट रहा था।

१३शीईई, ईईस्स्स, बहुत अच्छे, बेटे। बहुत खूब, ऐसे ही, ओह... शीशीशी... ओहह... मादरचोद बना देंगी आज तुम्हें। हाये अब मेरी चूत को चाटना बंद कर दे, साले। चाटते ही रहोगे, या फिर अपना लौड़ा भी अपनी मम्मी को दिखाओगे, हरामी। हाय अपनी बहन को चोदनेवाले दुष्ट पापी लड़के, अब अपनी मम्मी को भी चोदो। चूत के होंठों को फैला दो, और उसमें अपना बहनचोद लण्ड जल्दी से पेलो...”

पर मैंने मम्मी की इस बात को अनसुना कर दिया और चूत चाटता रहा। शायद इससे मम्मी को गुस्सा आ गया और उसने अपने हाथों से मेरे सिर को धकेलते हुए हटा दिया। मुझे लगभग बिस्तर पर पटकते हुए वह मेरे ऊपर चढ़ गई। फिर मेरे पजामे के नाड़े को तेजी के साथ खोल दिया और खिंचते हुए बाहर निकल दिया। मैं अब पूरा नंगा हो गया था। मेरा लण्ड सीधा खड़ा होकर छत की ओर देख रहा था।


मेरे खड़े लण्ड को अपने हाथों में पकड़कर, उसके ऊपर की चमड़ी को हटाकर, मेरे लाल-लाल सुपाड़े को देखती हुई मम्मी बोली- “ओह्ह... सन, कितना प्यार हथियार है तुम्हारा। येस, ये बहुत शानदार और ताकतवर लग रहा है, तभी तुम्हारी बहन इस पर मर मीटी है। ओहह... प्यारे, कितना खूबसूरत सुपाड़ा है तेरे लौड़े का, एक लाल आलू की तरह लग रहा है। सच बताओ बेटे, क्या तुम्हारी बहन इसे मुँह में लेती है और चूसती है? क्योंकी मैं तुम्हारे लण्ड को चूसने जा रही हूँ...”

इतना कहने के बाद, मम्मी ने मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में कस लिया और उसे बहुत जोर से चूसने लगी। मुझे लग रहा था, जैसे कोई मेरे लण्ड में से कुछ खींचने की कोशिश कर रहा है। मैंने मम्मी के बालों को पकड़ लिया और उसके सिर को दबाते हुए, अपना लण्ड उसके मुँह में ठेलने की कोशिश करने लगा। मेरा लण्ड उसके गले तक जा पहुँचा था।

मम्मी को शायद सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। मगर उसने अपने मुँह को मेरे लण्ड पर एडजस्ट कर लिया। फिर खूब जोर-जोर से मेरे आधे से अधिक लण्ड को अपने मुँह में भरकर, मेरे अंडकोष की गोलियों के साथ खेलते हुए चूसने लगी।

मेरे सांसें फूल गई थी और टूटे-फूटे शब्दों में सिसकते हुए, मैं बोला- “ओह्ह... मम्मी, बहुत अच्छा। ओह्ह.. तुम तो दीदी से भी अच्छा चूस रही हो। ओहह... मजा आ गया मम्मी। ये तो बहुत ही मजेदार है, लगता है तुमने । डैडी का लण्ड चूस-चूसकर काफी अनुभव प्राप्त कर लिया है। ओहह... मम्मी, इसी तरह से चूस अपने बेटे का लण्ड..."

मेरा लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकालकर मम्मी ने फिर मेरे अंडकोषों को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वो ऐसा कर रही थी जैसे कोई आम की गुठलियों को चूसता है। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था मैंने सिसकाते हुए कहा- “ओह्ह... मेरी लण्डखोर मम्मी, इसी तरह चूसो। मेरा पानी निकल जायेगा। ओह्ह... ऐसे ही चूस साली..."

मम्मी की गर्मी भी बहुत बढ़ चुकी थी, और उसे लगा कि मैं पानी निकाल दूंगा। इसलिये उसने जल्दी से अपना मुँह मेरे लण्ड पर से हटा लिया, और मेरे लौड़े के सुपाड़े को अपनी अंगुली और अंगूठे के बीच पकड़कर कसकर दबा दिया। इससे मुझे कुछ राहत महसूस हुई। तभी मम्मी अपने दोनों पैरों को मेरी कमर के दोनों तरफ करके, मेरे ऊपर आ गई।
 
फिर मेरे लण्ड को अपने हाथों से पकड़कर, अपनी झांटदार बुर के होंठों पर रगड़ते हुए बोली- “ओहह... सन, अब मुझसे भी बरदाश्त नहीं हो रहा है। मेरी चूत तुम्हारे इस दीदीचोद लौड़े को जल्दी से अपने अंदर लेना चाहती है। लड़के, तैयार हो जा, मैं तुम्हारे लण्ड के ऊपर बैठने जा रही हैं और इसे अपनी चूत के अंदर लेकर इसका सारा रस निकालने वाली हूँ...” कहते हुए मम्मी ने मेरे लण्ड को अपनी बुर के छेद पर लगा दिया।

फिर मम्मी ने अपनी गाण्ड तक का एक जोरदार झटका लगाया। मेरे लण्ड का लगभग आधे से अधिक भाग, एक झटके के साथ उसकी चूत के अंदर समा गया। मम्मी की चूत अभी भी कसी हुई थी। उसकी चूत की दिवारों ने मेरे लण्ड की चमड़ी को उलट दिया था। मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत की दिवारों में घर्षण पैदा कर रहा था। तेजी के साथ लण्ड के घुसने के कारण मम्मी के मुँह से दर्द भरी सिसकारी निकल गई। मगर उसने इसकी परवाह किये बिना, तेजी से एक और झटका मारा और मेरा पूरा लण्ड अपनी चूत के अंदर घुसा लिया।

उसके बाद मेरे ऊपर लेटकर अपनी मस्तानी चूचियों को मेरी छाती से रगड़ती हुई, वो बोली- “ओहह... सन, बहुत मस्त लण्ड है, तुम्हारा। ये मेरी बुर में अच्छी तरह से फिट हो गया है और बहुत मजा दे रहा है। ओहह... डियर बताओ ना, कैसा लग रहा है अपनी मम्मी की चूत में लौड़ा धंसाकर? क्या तुम्हें अच्छा लग रहा है?”

ओहह... मम्मी, बहुत अच्छा लग रहा है। तुमने मेरे लण्ड को अपनी चूत में बहुत अच्छे तरिके से ले लिया है। ओह्ह... मम्मी, तुम्हारी चूत बहुत मजा दे रही है और इसने मेरे लण्ड को अपने अंदर कस लिया है...”

मम्मी अब अपनी गाण्ड उछाल-उछालकर धक्का लगा रही थी। उसकी चूचियां हर धक्के के साथ, मेरी छाती से रगड़ खा रही थी। दूसरी तरफ मेरा लौड़ा उसकी चूत की दिवारों को कुचलते हुए, उसकी बुर की तलहटी तक पहुँच जाता था। मम्मी अपनी गाण्ड को नचाते हुए, पूरा ऊपर तक खींचकर, लण्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाल देती थी। फिर एक जोरदार धक्के के साथ अपनी चूत के अंदर ले लेती थी। मैं अपने हाथों को उसके मोटे-मोटे गोलाकार चूतड़ों पर ले गया और उन्हें मसलते हुए, उसके चूतड़ को चौड़ा कर दिया। फिर मैंने उसकी गाण्ड के छेद में अपनी अंगुली को घुसेड़ दिया। मेरी ये हरकत शायद मम्मी को बहुत पसंद आई।

उसने अपनी कमर और तेजी के साथ चलानी शुरू कर दी। मेरा लण्ड अब गपागप, फच-फच की आवाजें करते। हुए, उसकी सैंकडो बार चुदी चूत में घुस रहा था। फच-फच का मादक संगीत दीदी को चोदने पर ज्यादा नहीं निकलती थी। हम दोनों अब पूरी तरह से मदहोश होकर मजे की दुनियां में उतर चुके थे। मैं नीचे से गाण्ड । उछाल-उछालकर, उसकी चूचियों को दबाते हुए धक्का लगा रहा था। उसकी चूचियां एकदम कठोर हो गई थीं और निप्पल एकदम नुकीले। उसकी ठोस चूचियों को दबाते हुए मैं अब तेजी से गाण्ड उछालने लगा था।
 
मेरी मम्मी के मुँह से सिसकारियां फूटने लगी थी। वो सिसकाते हुए बोल रही थी- “ओह्ह... बेटे ऐसे ही, ऐसे ही चोदो। हां, हां, इसी तरह से, जोर-जोर से धक्का लगाओ नीचे से। अपनी मम्मी की मदद करो चुदने में। इसी तरह से पेलो अपने मादरचोद लण्ड को, इसी प्रकार से चोदो मुझे...”

आआह, १३शीईई, मम्मीई तुम्हारी चूत कितनी गरम है। ओहह... मेरी प्यारी मम्मी लो, लो और लो ना, अपनी चूत में मेरे लण्ड को... ऐसे ही लो, देखो, ये लो मेरा लण्ड अपनी चूत में, मेरी प्यारी सेक्सी मम्मी, हाये मम्मी, बताओ ना, मेरे लण्ड से चुदने में तुम्हें कैसा लग रहा है? क्या ये मजेदार है, क्या मेरा लण्ड डैडी से अच्छा है?”

हम दोनों की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। ऐसा लग रहा था कि, किसी भी पल मेरे लौड़े से गरम लावा निकल पड़ेगा।

“ओहह... मेरे चोदू बेटे, ईईस्स्स्स , ऊऊफ्फ्फ, ३१शीईई, तेरा लण्ड तेरे डैडी से भी ज्यादा मजा दे रहा है। शायद मैं अपने ही बेटे के लण्ड को अपनी चूत में ले रही हैं, इस बात ने मुझे ज्यादा उत्तेजित कर दिया है। पर जो भी हो मुझे मजा आ रहा है सन। और मैं सोचती हूँ कि तुम्हें भी मजा आ रहा होगा। और जोर से, और जोर से पेलो अपने लण्ड को मुझे, बहन की बुर चोदने वाले, चोदू हरामी, और जोर से मारो, अपना पूरा लण्ड अपनी मम्मी की चूत में घुसाकर, चोदो...”

मुझे लगा कि मम्मी अब थक गई है। इसलिये मैंने उसे अपनी बांहों में कस लिया और उसे धक्का लगाने से रोकते हुए, पलटने की कोशिश की। मम्मी मेरे मन की बात समझ गई और उसने मेरा साथ दिया। अब मम्मी नीचे थी और मैं उसके ऊपर। ऊपर आकर मैं और जोर-जोर से धक्का मारने लगा। केवल यह सोचने मात्र से कि मैं अपनी मम्मी को चोद रहा हूँ, मेरे लण्ड की मोटाई शायद बढ़ गई थी। मैं अपने आपको बहुत ज्यादा उत्तेजित महसूस कर रहा था। लण्ड को उसकी चूत की तह तक पेलते हुए मैं अपने पेड़ से उसकी चूत के भगनाशे को भी रगड़ रहा था। मैं अपने लण्ड को पूरा बाहर निकालकर, फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता। मम्मी की चूचियों को दबाते हुए, उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते और मसलते हुए, मैं बहुत तेजी के साथ उसे चोद रहा था।

मेरी मम्मी अब नीचे से अपनी गाण्ड को हवा में उछालते हुए, अपने चूतड़ों को नचा-नचा कर, मेरे लण्ड को अपनी चूत में लेते हुए, सिसिया रही थी- “ओहह... चोदो, मेरे चोदू बेटे, और जोर से चोदो। ओहह... मेरे चुदक्कड़ बेटे, श्श्शीईई... हरामजादे, और जोर से मारो मेरी चूत को, ओह्ह... आआहह... बेटीचोद भी बनोगे, तुम एक ना एक दिन। ऊऊऊफ्फ्फ ... हरामी, बहन के लौड़े, बहन के यार, मादरचोद, जोर-जोर से पेलो लौड़ा और चोदो, मेरा अब निकल रहा है, ओह्ह्ह्ह शीईई भोसड़ी वाले ईईस्स, ओहह... मजा आ गया...” कहते हुए अपनी दांतों को पीसते हुए और चूतड़ों को उंचकाते हुए, वो झड़ने लगी।

मैंने भी झड़ने वाला ही था। इसलिये चिल्लाकर उसको बोला- “ओह... कुतिया, लण्डखोर मम्मी, तेरी मम्मी को चोदू, हाये १३शीईई मेरा भी निकलेगा अब, जरा इन्तेजार कर साल्ल्ली ...”

मगर तभी मेरे लण्ड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। ऐसा जबरदस्त एहसास दीदी को पहली बार चोदने पर हुआ था। रात भी बहुत हो चुकी थी और इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद हम दोनों में से किसी को होश नहीं था। मैं। मम्मी के ऊपर से लुढ़क कर, उसकी बगल में लेट गया। मम्मी भी अपनी आँखों को बंद किये, अपनी सांसों को संभालने में लगी हुई थी।

कुछ ही देर में हमारी आंख लग गई और फिर सुबह जब मैं उठा तो...


THE END
 
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