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- Dec 5, 2013
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नीचे पहुँचने के बाद रुक कर राज एक बार इधर-उधर देखता है। घर में सन्नाटा था। कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था। थी तो बस खामोशी, और यह दोनों। एक काला गंदा बढ़ा और एक खूबसूरत औरत। राज अब चलने लगता है। नेहा के चेहरे पर बाल बिखरे हुए थे। किसी हसीना की तरह लग रही थी वो बहुत ही खूबसूरत। और उसको उठाकर ले रहा था एक साक्षमा राज नेहा को लेकर दरवाजा की तरफ जा रहा था।
नेहा के मन में बहुत से सवाल थे। नेहा मन में "ये मुझे कहां ले जा रहा है? किसी ने देख लिया तो?"
नेहा बोली- "कहां ले जा रहे हो मुझे? प्लीज़.. नीचे उतारों मुझे। कोई देख लेगा."
राज- बस थोड़ी देर और मेरी जान। बस पहुँच गये।
राज अब घर का मुख्य दरवाजा खोलकर बाहर जाने लगता है। नेहा राज की बाहों में से घर की तरफ देखती है। राज उसे उधर से ले जा रहा था। राज अब घर के पीछे जाने लगता है। तभी नेहा को समझ में आता है की राज उसे कहाँ ले जा रहा है। बो ओड़ा रिलैक्स महसूस करती है। क्योंकी इतनी रात में यहां कोई नहीं आएगा। लेकिन तभी उसका मन कांप उठता है एक बात से। राज के साथ एक और आदमी भी रहता है जा। वो उसी रूम में होगा।
नेहा- प्लौज़... राज छोड़ो मुझे। तुम पागल हो गये हो? मैं वहाँ नहीं जाने वाली।
राज- क्यों मेरी जान क्या हो गया?
नेहा- वहाँ वो आदमी भी है ना?
राज- कौन आदमी?
नेहा- वो।
राज- कौन वो?
नेहा- तुम्हारे साथ रहता है ना।
राज- कौन जय?
नेहा- हाँ।
राज- वो यहां नहीं है। वो अपने गांव चला गया।
इस बात पर नेहा को ओड़ी राहत मिलती है। लेकिन नेहा अंजाने में क्या कह गई और वो राज को रजामंदी दे रही थी की अगर जय वहाँ नहीं होगा तो वो चुदाई कर सकते हैं। नेहा को अपनी बात का अहसास होता है।
राज. क्या बात है मेरी बुलबुल? मतलब तू तैयार है चुदाई के लिए?
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नेहा शर्म से लाल हो जाती हैं- "ऐसी कोई बात नहीं है..."
राज- फिर क्या बात है?
नेहा- कुछ नहीं।
राज. वैसे त तैयार ना भी हो तो तुझे लगता है की मैं ऐसे ही तुझे जाने दंगा?
नेहा कुछ नहीं बोलती।
राज अब देरी ना करते हुए नेहा को लौकर क्वार्टर में ले जाता है। अंदर जाकर वो दरवाजा लाक कर देता है। नेहा की धड़कनें तेज हो रही थी, ये सोचकर की पता नहीं उसके साथ आज रात राज क्या-क्या करेगा? अब राज नेहा को नीचे उतार देता है। उतरते ही नेहा दूसरी तरफ मह कर के खड़े हो जाती है। राज अब इस शर्म
की मर्गी को पीछे से पकड़ लेता है। कमर पर राज के हाथ लगते ही नेहा उछल पड़ती है।
नेहा- "आहह.."
राज. मेरी जान तू शर्माती बहुत है।
नेहा अपनी सांसों पर काबू पाते हुए "तुम तो बेशर्म हो ना.."
राज- क्या करंज? तेरे जैसी माल के लिए बेशर्म बनना पड़ता है।
नेहा- चुप रहो बेशर्म।
राज नेहा के गले को चूमने लगता है। अपने गंदे मैंह से, नेहा के गोरे गले पर। राज के हाथ नेहा की कमर पर घूम रहे थे। नेहा अभी सिर्फ ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी, ना कोई साड़ी ना कोई दुपट्टा। नेहा के चेहरे पर एक अजीब सी उत्तेजना थी। पता नहीं क्यों? जो कभी इस गंदे आदमी को देखते ही घिन महसूस करती थी। आज उसकी हरकतों से उत्तेजित महसूस कर रही थी, लेकिन खुलकर बता नहीं रही थी। अब राज उसके गले को चूमते हुए नेहा की चूचियां दबाने लगता है।
नेहा- "अहह... अहह." करती है
राज अच्छी तरह से उसकी चूचियां मसल रहा था। जैसे उन चूचियों में का पूरा दूध निकाल देगा। नेहा को दर्द तो हो रहा था, लेकिन वो अब उसे रोक नहीं रही थी। राज ये सब करते हुए अब पीछे से अपने कपड़े धीरे-धीरे करके निकाल देता है। अब वो सिर्फ एक गंदी सी अंडरवेर में था। नेहा को नहीं पता था की राज उसके पीछे अपने कपड़े निकल चुका है। नेहा को तब अहसास होता है जब राज की नंगी छाती उसको अपनी नंगी पीठ पर महसूस होती है। राज नेहा की चूचियां दबाने के साथ-साथ उसको बहका भी रहा था। नेहा के पास अब विरोध का नाम-ओ-निशान नजर नहीं आ रहा था। वो बस खामोश खड़ी राज की हरकतों को सह रही थी। अब राज नेहा के बलाउज़ की डोरी पीछे से निकल देता है और उसकी नंगी पीठ को चूमने लगता है।
नेहा को अलग ही मज़ा आ रहा था राज की हरकतों से। उसकी आँखें मदहोश हो चुकी थी। नेहा की ब्रा का हुक भी राज अब निकाल देता है, और धीरे से ब्लाउज़ और फिर ब्रा निकल देता है। नेहा जो अभी शर्मा रही थी। ऊपर से नंगी होने से अपने हाथ से अपनी चूचियां छुपा लेती है।
राज- "अब हमसे क्या शर्माना मेरी जान?" बोलकर वो बेहा के हाथों मा से ही उसकी चूचियां दबोच लेता है।
नेहा हाथ नहीं हटा रही थी। नेहा की गोरी जंगी पीठ से वो चिपका हुआ था। नेहा जो अब सिर्फ एक पेटीकोट में
थी। एकदम मस्त लग रही थी। किसी राण्ड की तरह।
अब राज नेहा के हाथ पकड़ कर उन्हें वहाँ से हटाने की कोशिश करता है, लेकिन नेहा नहीं हटाती। इसलिए अब राज नेहा की कमर पर हाथ रखकर उसके पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगता है। नेहा झट से अपने दोनों हाथ उसको रोकने में लगा देती है।
राज नेहा की बड़ी-बड़ी गोरी चूचियां पकड़ लेता है और मसलते हुए कहता है- "मेरी बुलबुल, तेरी चूत में मेरा लण्ड जा चुका है। अब मुझसे क्या शर्मा रही है?"
चूत और लण्ड की बात सुनकर नेहा शर्मा जाती है। लोकल राज की बड़ी-बड़ी हलियों वाले हाथ जो उसकी चचियां मसले जा रहे थे, उससे वो मदहोश हुए जा रही थी। उन गोरी चचियों पर जो ये गंदा काला ड्राइवर बट्टा जुल्म कर रहा था।
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नेहा के मन में बहुत से सवाल थे। नेहा मन में "ये मुझे कहां ले जा रहा है? किसी ने देख लिया तो?"
नेहा बोली- "कहां ले जा रहे हो मुझे? प्लीज़.. नीचे उतारों मुझे। कोई देख लेगा."
राज- बस थोड़ी देर और मेरी जान। बस पहुँच गये।
राज अब घर का मुख्य दरवाजा खोलकर बाहर जाने लगता है। नेहा राज की बाहों में से घर की तरफ देखती है। राज उसे उधर से ले जा रहा था। राज अब घर के पीछे जाने लगता है। तभी नेहा को समझ में आता है की राज उसे कहाँ ले जा रहा है। बो ओड़ा रिलैक्स महसूस करती है। क्योंकी इतनी रात में यहां कोई नहीं आएगा। लेकिन तभी उसका मन कांप उठता है एक बात से। राज के साथ एक और आदमी भी रहता है जा। वो उसी रूम में होगा।
नेहा- प्लौज़... राज छोड़ो मुझे। तुम पागल हो गये हो? मैं वहाँ नहीं जाने वाली।
राज- क्यों मेरी जान क्या हो गया?
नेहा- वहाँ वो आदमी भी है ना?
राज- कौन आदमी?
नेहा- वो।
राज- कौन वो?
नेहा- तुम्हारे साथ रहता है ना।
राज- कौन जय?
नेहा- हाँ।
राज- वो यहां नहीं है। वो अपने गांव चला गया।
इस बात पर नेहा को ओड़ी राहत मिलती है। लेकिन नेहा अंजाने में क्या कह गई और वो राज को रजामंदी दे रही थी की अगर जय वहाँ नहीं होगा तो वो चुदाई कर सकते हैं। नेहा को अपनी बात का अहसास होता है।
राज. क्या बात है मेरी बुलबुल? मतलब तू तैयार है चुदाई के लिए?
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नेहा शर्म से लाल हो जाती हैं- "ऐसी कोई बात नहीं है..."
राज- फिर क्या बात है?
नेहा- कुछ नहीं।
राज. वैसे त तैयार ना भी हो तो तुझे लगता है की मैं ऐसे ही तुझे जाने दंगा?
नेहा कुछ नहीं बोलती।
राज अब देरी ना करते हुए नेहा को लौकर क्वार्टर में ले जाता है। अंदर जाकर वो दरवाजा लाक कर देता है। नेहा की धड़कनें तेज हो रही थी, ये सोचकर की पता नहीं उसके साथ आज रात राज क्या-क्या करेगा? अब राज नेहा को नीचे उतार देता है। उतरते ही नेहा दूसरी तरफ मह कर के खड़े हो जाती है। राज अब इस शर्म
की मर्गी को पीछे से पकड़ लेता है। कमर पर राज के हाथ लगते ही नेहा उछल पड़ती है।
नेहा- "आहह.."
राज. मेरी जान तू शर्माती बहुत है।
नेहा अपनी सांसों पर काबू पाते हुए "तुम तो बेशर्म हो ना.."
राज- क्या करंज? तेरे जैसी माल के लिए बेशर्म बनना पड़ता है।
नेहा- चुप रहो बेशर्म।
राज नेहा के गले को चूमने लगता है। अपने गंदे मैंह से, नेहा के गोरे गले पर। राज के हाथ नेहा की कमर पर घूम रहे थे। नेहा अभी सिर्फ ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी, ना कोई साड़ी ना कोई दुपट्टा। नेहा के चेहरे पर एक अजीब सी उत्तेजना थी। पता नहीं क्यों? जो कभी इस गंदे आदमी को देखते ही घिन महसूस करती थी। आज उसकी हरकतों से उत्तेजित महसूस कर रही थी, लेकिन खुलकर बता नहीं रही थी। अब राज उसके गले को चूमते हुए नेहा की चूचियां दबाने लगता है।
नेहा- "अहह... अहह." करती है
राज अच्छी तरह से उसकी चूचियां मसल रहा था। जैसे उन चूचियों में का पूरा दूध निकाल देगा। नेहा को दर्द तो हो रहा था, लेकिन वो अब उसे रोक नहीं रही थी। राज ये सब करते हुए अब पीछे से अपने कपड़े धीरे-धीरे करके निकाल देता है। अब वो सिर्फ एक गंदी सी अंडरवेर में था। नेहा को नहीं पता था की राज उसके पीछे अपने कपड़े निकल चुका है। नेहा को तब अहसास होता है जब राज की नंगी छाती उसको अपनी नंगी पीठ पर महसूस होती है। राज नेहा की चूचियां दबाने के साथ-साथ उसको बहका भी रहा था। नेहा के पास अब विरोध का नाम-ओ-निशान नजर नहीं आ रहा था। वो बस खामोश खड़ी राज की हरकतों को सह रही थी। अब राज नेहा के बलाउज़ की डोरी पीछे से निकल देता है और उसकी नंगी पीठ को चूमने लगता है।
नेहा को अलग ही मज़ा आ रहा था राज की हरकतों से। उसकी आँखें मदहोश हो चुकी थी। नेहा की ब्रा का हुक भी राज अब निकाल देता है, और धीरे से ब्लाउज़ और फिर ब्रा निकल देता है। नेहा जो अभी शर्मा रही थी। ऊपर से नंगी होने से अपने हाथ से अपनी चूचियां छुपा लेती है।
राज- "अब हमसे क्या शर्माना मेरी जान?" बोलकर वो बेहा के हाथों मा से ही उसकी चूचियां दबोच लेता है।
नेहा हाथ नहीं हटा रही थी। नेहा की गोरी जंगी पीठ से वो चिपका हुआ था। नेहा जो अब सिर्फ एक पेटीकोट में
थी। एकदम मस्त लग रही थी। किसी राण्ड की तरह।
अब राज नेहा के हाथ पकड़ कर उन्हें वहाँ से हटाने की कोशिश करता है, लेकिन नेहा नहीं हटाती। इसलिए अब राज नेहा की कमर पर हाथ रखकर उसके पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगता है। नेहा झट से अपने दोनों हाथ उसको रोकने में लगा देती है।
राज नेहा की बड़ी-बड़ी गोरी चूचियां पकड़ लेता है और मसलते हुए कहता है- "मेरी बुलबुल, तेरी चूत में मेरा लण्ड जा चुका है। अब मुझसे क्या शर्मा रही है?"
चूत और लण्ड की बात सुनकर नेहा शर्मा जाती है। लोकल राज की बड़ी-बड़ी हलियों वाले हाथ जो उसकी चचियां मसले जा रहे थे, उससे वो मदहोश हुए जा रही थी। उन गोरी चचियों पर जो ये गंदा काला ड्राइवर बट्टा जुल्म कर रहा था।
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